बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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उस कमरे में घुसते ही कामया की सांसें बंद होने लगी थी बड़ी ही मुश्किल से साँसे ले पा रही थी

मनसा- बस रानी साहिबा कुछ देर में ही ठीक हो जाएगा बस उबटन थोड़ा सा गीला हो जाए फिर स्नान को जाएँगे बस थोड़ी ही देर

कामया के पूरे शरीर में उबटन लगा हुआ था वो अब धीरे-धीरे नरम पड़ रहा था, और थोड़ा सा ढीला भी लगा रहा था मनसा ने आगे बढ़ कर उसकी आखों पर से जो पकिंग था हटा लिया था अब वो देख सकती थी पर धुन्ध से भरे हुए कमरे में उसके और मनसा के सिवा कोई नहीं था वो एक वुडन बेंच पर लेटी हुई थी और भाप से पूरा कमरा भरा हुआ था

कामया पहली बार स्टीम बाथ ले रही थी स्टीम से पार्लर में चेहरा जरूर साफ किया था पर कंप्लीट बाथ कभी भी नहीं लिया था पर यह एक सुखद एहसास था उसके लिए अब वो अपने शरीर को भी देख सकती थी हर कही ग्रीन कलर का कोट अब धीरे-धीरे गीला हो चुका था एक नजर उठाकर उसने मनसा की ओर देखा तो मनसा बोल उठी

मनसा- अभी थोड़ी देर में ही यह उबटन निकल जाएगा रानी साहिबा बस थोड़ा सा और इंतजार कीजिए
कहती हुई वो एक डोर से बाहर निकल गई थी कामया अकेली ही लेटी थी कि मनसा की पदचाप फिर से सुनाई दी थी कामया ने पलटकर उसे देखा तो मनसा हाथों में एक ग्लास लिए खड़ी थी होंठों में एक मधुर सी मुश्कान लिए वो कामया की ओर बढ़ी थी कामया की ओर वो ग्लास बढ़ाती हुई वो बोली
मनसा- इसे पिलीजिए अच्छा लगेगा

थकि हुई सी कामया ने उस ग्लास को लिया और बिना कुछ कहे ही धीरे से उसे अपने होंठों में लगा किया था कुछ पेय था मीठा सा पर बहुत ही गाढ़ा और शीतल सा मस्त और टेस्टी पीते ही उसके शरीर में एक नई जान भर गई थी पर सांस लेने में अब भी तकलीफ हो रही थी कामया के पेय के पीते ही मनसा ने उसके हाथों से वो ग्लास ले लिया था और साइड में खड़ी हो गई थी और अपने हाथों से उसके शरीर से उबटन को एक छोटे से कपड़े से पोछने लगी थी

कामया उसकी ओर देखती हुई लेटी रही थी धीरे-धीरे उस पेय ने एक बार फिर से कामया के अंदर उत्साह और स्फूर्ति भर दी थी कामया एक बार फिर से मनसा के हाथों के साथ-साथ मचलने लगी थी कामया का शरीर एक बार फिर से जीवित हो उठा था हर टच का जबाब अपने शरीर को मोड़कर या फिर अंगड़ाई लेकर देती जा रही थी





थोड़ी देर में ही कामया के शरीर से उबटन पुछ गया था और वो एक कामुक मुद्रा में लेटी हुई थी चिपका हुआ सा पेट और उसके ऊपर उठी हुई सी चूचियां और मुख को उँचा किए हुए अपनी एडी से जाँघो को उठा रखा था उसने मनसा की आवाज पर वो उठी थी और एक बार मनसा की ओर देखती हुई अपने आपको देखा था वाह क्या निखार आ चुका था उसके शरीर में अनचाहे बाल साफ और इतना साफ की हथेली रखते ही फिसल जाए कितना मेहनत करना पड़ता था पार्लर में वक्सिंग थ्रीडिंग और प्लुगिंग और ना जाने क्या-क्या

पर यहां तो एक बार में ही सबकुछ इतनी आसानी से हो गया था तेल के कारण त्वचा में जो निखार आया था वो उबटन के बाद और भी निखर गया था मतवाली सी और गोरी सी और कयामत ढाने वाली कामया अब तैयार थी अगले स्नान के लिए कामया की बोझिल सी आखों से अब भी एक प्रश्न उछल कर आ रहा था कि आगे क्या …

मनसा ने मुस्कुराते हुए एक बड़ा सा कपड़ा फिर से आगे कर दिया कामया जैसे समझ गई थी उसे उठना है उठ-ते ही वही चेयर लिए कुछ महिलाए वापस आ गई थी और कामया को बिठा कर फिर से उसी स्नान घर में ले आई थी पानी बदला हुआ था पर गुलाब की पखुड़िया बहुत सी बिछी हुई थी या कहिए तैरती हुई दिख रही थी पानी में कुछ बूंदे आयिल जैसी भी थी किसी रानी की तरह से आगमन था कामया का परियो की रानी सुंदर और कोमल और मदहोशी का और मदमस्त चाल की मालकिन कामया धीरे से उस चेयर से उतरती हुई ही अपने आप ही उसने अपने कपड़े को हटाकर मनसा की ओर बढ़ा दिया था और मुस्कुराती हुई कुंड में समा गई थी उफ्फ देखना था क्या अदा है क्या नजाकत है और क्या कयामत सी लग रही थी


कामया पर उबटन और तेल का कमाल उसके शरीर में अलग से छलक रहा था मद भरी आखों से देखती हुई और अधखुले होंठो की मालेकिन कामया एक सच मूच की गजब की हुश्न की मल्लिका लग रही थी क्या रंग लाएगा उसका यह हुश्न किसी को नहीं पता था नहीं ही किसी को इस बात का ही पता था कि आगे क्या होगा और क्या होगा सिर्फ़ शायद गुरुजी को ही पता था या शायद उन्हे भी कुछ ज्यादा पता नहीं या चलिए यह बात बाद में अभी तो कुंड में घुसते ही कामया का आधा शरीर पानी में डूब चुका था पानी में बैठ-ते ही उन महिलाओं ने एक-एक करके कामया को बाँट लिया था और अपने काम को अंजाम देने में जुट गई थी आराम से अपने कोमल हाथों से घिसते हुए वही आनंद का एहसास कामया के शरीर में पहुँचा रही थी


कामया भी अब नार्मल हो चुकी थी एक बार तो हो चुका था और क्या फिर से क्या शरम आखें तक तो मिला नहीं पा रही थी यह महिलाए और सिर्फ़ अपने काम को अंजाम देने में जुटी हुई थी ना कोई जल्दी और नहीं कोई उत्साह और नहीं कोई चिंता थी उन महिलाओं के चेहरे पर


पर हाँ काम में निपुण थी वो हाथों का खेल उन्हे बड़े ही अच्छे से आता था और किस जगह में हाथ लगाने से कामया पर क्या फरक पड़ेगा वो अच्छे से जानती थी कामया का सिर कुंड के कोने पर टिका हुआ था मनसा अब भी वही बैठी हुई थी कामया की ओर देखती हुई और अपने हाथों से उसके माथे और बालों को सहलाती हुई

मनसा- बस रानी साहिबा कुछ देर और फिर हो गया बिल्कुल ढीला छोड़ दे अपने शरीर को और स्नान का मजा ले इस तरह का स्नान अब रोज होगा कल सुबह और शाम को आप घर जाने से पहले भी तैयार रहिएगा और अपने आपको इतना संवार लीजिए की बाहर के लोग आपका देखकर ईर्षा करने लगे और आपको देखने को भीड़ लग जाए देखिएगा एक दिन आपके साथ ऐसा ही होगा बाहर लोगों की भीड़ रहेगी सिर्फ़ आपकी एक झलक पाने को

कामया सिर्फ़ एक मीठी सी हँसी ही हँस पाई थी और कुछ नहीं सिर को टिकाकर उन महिलाओं के हाथों का आनंद लेने लगी थी सिर और बालों पर घूमते हुए मनसा के हाथों में भी जादू था आखें बंद सी हो जाती थी शरीर का हर कोना जगा हुआ था और हर टच का जबाब देने को आतुर था टाँगो को ठीक से रख पाना एक बार फिर से मुश्किल होता जा रहा था बाहों को भी ठीक से रख नहीं पा रही थी वो सांसों की गति धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी सांसो के उतार चढ़ाव के साथ साथ उसके पेट का चिपकना और उतना ही बरकरार था लगता था कि एक बार फिर से वो उत्तेजित होने का खेल रही है और खेले भी क्यों नहीं उसे कौन रोकेगा इस खेल में अब यह महिलाए भी तो उसे उसे तरह से छेड़ रही थी कोई उसके शरीर से खेलेगा और वो कुछ नहीं करेगी

उसका ही शरीर है उत्तेजना तो होगी ही वो भी एक औरत है और वो भी शादी शुदा उसे सब पता है वो डूबती जा रही थी धीरे से उस खेल में स्नान तो एक साइड में था उसके लिए पर उन हाथों के भेट चढ़े हुए उसे ज्यादा मजा आरहा था उसके हाथों का टच और उससे उठने वाली तरंग जो की उसके शरीर के हर कोने तक जाती थी उसके अंदर की औरत को जगा कर चुपचाप बैठ जाती थी और कामया एक ऐसी आग में धकेल देती थी कि उससे निकलने के लिए वो जी जान से कोशिश करती, और धीरे-धीरे महिलाओं का आक्रमण तेज होने लगा था तेल और उबटन के लगाने के बाद तो जैसे उसका शरीर एक कोमलता का चिकने पन की हद तक वो स्पर्श के साथ ही हर रोम रोम तक उन उंगलियों का एहसास अंदर तक पहुँचा देता था


कामया की जाँघो पर हाथ फेरती हुई दोनों महिलाए जब उसकी योनि तक जाती थी तो कामया आगे की ओर हो जाती थी ताकि वो और आगे तक बढ़े पर जब वो वापस अपने हाथों को खींचती हुई चलो जाती थी तो कामया परेशान हो उठ-ती थी दोनों और से बैठी हुई महिलाए भी उसकी चूचियां को थोड़ा सा रगड़कर पेट और पीठ तक पहुँच आ जाति थी पर कामया चाहती थी कि उनके हाथ बस उसकी योनि और चुचियों पर ही टीके रहे और कही नहीं जो होना था वो हो चुका पहले वोा करो फिर बाद में यह सब करना पर नहीं वो उन्हें कुछ ना कह सकी हाँ… मनसा की ओर देखती जरूर थी शायद वो समझ जाए


पर मुस्कुराती हुई मनसा ठीक वैसे ही बैठी रही थी अपनी हथेलयो को बस उसके गाल और गले तक पहुँचा भर दिया था इससे क्या होगा जो चाहिए था वो करो कामया का दिल बड़े ही जोर से धड़क रहा था हर अंग एक नई कहानी लिखने को बेकरार था हर एक कोना खिल उठा था हर एक हिस्सा अलग अलग तरह की फरमाइश कर रहा था इतने सारे हाथों के रहते हुए भी कामया का शरीर खाली सा था हर अंग पर हाथों का काफिला था पर खाली सा लग रहा था वो लगभग मचल रही थी जल में रहते हुए भी जल बिन मछली की तरह इतने सारे हाथों के रहते हुए भी अपने शरीर में हाथों की कमी पा रही थी
और ज्यादा नहीं रुक सकती थी वो उसके अंदर कुछ तो चाहिए ही था दो बार झड़ने के बाद भी उसकी उत्तेजना को देखकर लगता था कि बहुत दिनों की भूखी है और शरीर की उत्तेजना को छुपा नहीं पा रही है जैसे ही पास बैठी हुई महिला का हाथ उसके चूचो पर टकराया था उसने अपना हाथ उसके हाथों पर रख दिया था ताकि वो वापस ना खींच सके और वो वही रहे उन महिलाओं ने भी अपनी रानी की आग्या मानी थी लगता था उसका पूरा ध्यान अब कामया की चुचियों पर टिका हुआ था और कही नहीं हहतो का तरीका भी थोड़ा सा बदला था उनका अभी तक जो धीरे-धीरे सहलाने की प्रक्रिया चल रही थी वो अब धीरे-धीरे मसलने लगे थे वो शायद जानती थी कि रानी साहिबा को क्या चाहिए उनके दबाने का ढंग भी चेंज था और निपल को छेड़ने का तरीका भी नीचे बैठी हुई महिलाओं ने भी अपना तरीका बदल लिया था अब वो भी कामया की टांगों को खोलकर
जाँघो के साथ-साथ उसके योनि तक पहुँच जाते थे और वही रुक कर उसकी योनि के अंदर तक अपनी उंगलियां पहुँचाने की कोशिश करने लगी थी


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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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कामया के मुख से निकलने वाली सिसकारी की जगह अब अया और अया ने ले लिया था हर एक उंगली के अंदर जाते ही वो थोड़ा सा और आगे की ओर होजती थी पर साइड में बैठी हुई महिला के हाथों का भी उसे ध्यान था वो नहीं चाहती थी की उसके हाथ उसकी चूचियां से हटे पर शायद नीचे की ओर महिलाओं को भी कामया की उत्तेजना का ध्यान था नचुरल था अब दूसरी बार कर रहे थे वो स्नान हो गया था सो वो थोड़ा और आगे की ओर होते हुए अपने काम मे लग गये थे अब तो वो कामया के शरीर पर भी रेगञे लगे थे साइड से लेकर नीचे की ओर बैठी हुई महिलायों ने अचानक ही अपना पेन्तरा बदल लिया था एक रोमन आर्जी सा लग रहा था कामया जो कि अपनी बाहों में भरकर साइड की दोनों महिलाओं को कसी हुई थी वही अपनी जाँघो खोलकर नीचे महिलाओ को पूरा अधिकार दे दिया था कि जो करना है करो


अपनी उंगलियों से कुछ देर तक कामया की योनि को खोलकर एक-एक करके वो अपने होंठों से कामया को ठंडा करने में भी लग गई थी कामया की हालत खराब कर दी थी उन दोनों ने होंठों के साथ-साथ उनकी जीब जब उसकी योनि को छूती थी तो सिसकारी के साथ-साथ एक लंबी सी आह भी निकलती थी उसके मुख से साथ की महिलाए भी उसकी उत्तेजना का हर संभव इलाज करने की कोशिश कर रही थी पर कामया की उत्तेजना इतनी थी कि चारो महिलाए उसे पानी में संभाल नहीं पा रही थी वो तैर रही थी पर एक बात जो थी वो थी कि उन दोनों महिलाओं को वो छोड़ नहीं रही थी और नीचे बैठी हुई महिलाओ को भी अपनी जाँघो के बीच में ले रखा था कहाँ से इतनी ताकत आ गई थी उसमें नहीं पता था पर उसे जो चाहिए था वो उसे अब पूरे जोर से पाना चाहती थी कोई चिंता नहीं थी और नहीं कोई शरम,

मनसा---आराम से रानी साहिबा आराम से

कामया- नहीं प्लीज उन्हें कहो और करे जीब और डाले और अंदर तक चूसो और जोर से प्लीज ईईईईईई
कहाँ से इतना दम आ गया था उसके अंदर इस तरह की बात उसने कभी नहीं की थी पर मजबूर थी उत्तेजना के साथ-साथ उसने अपने पुराने आदर्श और औरतपन को भूल चुकी थी शरम हया और एक घर की मर्यादा को भूल चुकी थी


कामया- और करो प्लीज अंदर तक करो जोर-जोर से बाबाओ और प्लीज़ अंदर तक करो ना प्लीज उूुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ पागल हो जाऊँगी मनसा बोलो इनसे

मनसा- जी रानी साहिबा आप ढीला छोड़े अपने आपको और लेटी रहे सब ठीक हो जाएगा
और अपने हाथों को भी वो कामया के बूब्स तक ले आई थी और अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया था कामया तो जैसे यही चाहती थी झट से मनसा के होंठों को अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगी थी अपने बाँहे भी उसके गले में डालकर उसे खींचने लगी थी पर मनसा वही रही जहां थी हाँ पर थोड़ा सा आगे जरूर हो गई थी होंठों के साथ-साथ कामया लगभग उसपर टूट पड़ी थी अपनी जीब से उसके अंदर तक चूसने की कोशिश करने लगी थी पर शायद उत्तेजना के चलते सांसों की कमी के कारण उसने होंठों को आजाद कर लिया था और नीचे उन महिलाओं की ओर देखती मदहोश सी आखों से देखती हुई अपनी कमर को और उँचा उछाल दिया था जैसे ही उसकी कमर थोड़ी सी ऊपर उठी थी दोनों महिलाओं की हथेलियों ने उसे वही रोक लिया था अब तो जैसे उस कमरे में एक तूफान आ गया था कामया की सिसकारी और आवाज से वो कमरा भर उठा था

कामया- और करो प्लीज जल्दी-जल्दी करो और अंदर तक जीब डालो प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज ीसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह हाँ और और र्र्र्ररर सस्स्शह

अब तो वो महिलाए भी निडर होती हुई अपनी जीब के साथ-साथ अपनी उंगलियां भी डालती और एक साथ दो-दो जीब से उसे चोदने की कोशिश करने लगी थी एक जीब बाहर निकलती थी तो दूसरी घुस जाती थी एक उंगली अंदर तक जाती थी की दूसरी जगह बनाने लगती थी जीब के साथ साथ उंगलियों का खेल जो चला था वो एक असहनीय प्रक्रिया को जनम दे चुका था जहां सिर्फ़ आहे और सिसकारी की जगह ही थी और कुछ कहने और सुनने की जगह ही नहीं थी बस चलते रहना चाहिए जो चल रहा था और कुछ सोचने और समझने का वक़्त नहीं था


कामया- करते रहो ऊऊऊ प्लेआए और जोर से प्लेआस्ीई अंदर तक करूऊ प्लीज धीरे नहीं जल्दी-जल्दी जोर-जोर से चूसो हमम्म्मममममममममम आआआआआआअह्ह

लंबी सी आह लेते हुए कामया एक बार फिर से झड चुकी थी पर जान बहुत थी अब भी उसके शरीर में अपने साथ में बैठी हुई महिलाओं को अब तक नहीं छोड़ा था उसने अपनी बाहों भरे हुए उनसे सट कर सांसें ले रही थी, वो महिलाए भी अपने काम में अब भी लगी हुई थी उसके शरीर की आखिरी बूँद तक निचोड़ने में लगी थी एक-एक करके अब तक वो महिलाए उसके योनि का रस पान कर रही थी पर जब कामया आखिरमे तक कर कुंड के किनारे पर टिक गई थी और उसका जिश्म थोड़ा सा ढीला पड़ा था वो महिलाए भी अपनी जगह पर वापस हो गई थी और स्नान का दौर फिर चलता रहा हर अंग को फिर से तरास कर धोया गया और साफ किया गया पर ना तो कामया होश था और नहीं उसे कोई चिंता थी तीन तीन बार झडने के बाद भी कामया तरो ताजा थी एकदम बिंदास थी उसकी आखों में एक अजीब तरह का मुस्कुराहट थी उसके होंठों के साथ-साथ उसका हर अंग मुस्कुरा रहा था पानी अंदर

कामया का शरीर फूल के समान हल्का और खुशबू से भरा हुआ था हर अंग खिल उठा था वो इस बात का एहसास कर रही थी नहाने के बाद जब उसे उसी चेयर पर बिठाकर सिंगार ग्रह में लाया गया था तो उसके सामने और साइड बहुत सी महिलाए खड़ी हो गई थी


मिरर में उसे कुछ नहीं दिखाई दिया था पर जब वो महिलाए उसके सामने और साइड से हटकर एक साइड मे हुई तो मिरर में उसे देखने का मौका दिया था तो वो दंग रह गई थी अपने आपको देखकर इतनी खूबसूरत और इतनी मस्त लग रही थी और वो भी बिना मेकप के आज तक उसने कभी जुड़ा नहीं बनाया था फैशन ही नहीं था पर आज उन महिलाओं ने जुड़ा बना दिया था गोल गोल बालों को घुमाकर सिर्फ़ तीन लटे उसके सामने और एक पीछे की ओर लटक रही थी और कुछ नहीं जुड़े पर गोल्डन पिन और डायमंड की पिन लगाकर उसे सजाया गया था आखें मस्त बड़ी-बड़ी और मादकता लिए हुए थी और त्वचा तो इतना चमक रही थी कि आज से पहले उसने कभी नहीं देखा था

निखार आ गया था उसके शरीर में पूरा शरीर दमक रहा था बिना मेकप के मनसा पास खड़ी उसे ही देख रही थी

मनसा- क्या देख रही है रानी साहिबा ठीक है या

कामया- नहीं ठीक है हमने आज तक अपने को ऐसा कभी नहीं देखा

मनसा- अपने अभी देखा ही कहाँ है रानी साहिबा अभी तो शुरूआत है एक स्नान में ही आपका काया कल्प नहीं होगा कम से कम तीन स्नान लगेंगे फिर आप देखना और फिर रोज तेल और उबटन जो गुल खिलाएँगे ना देखती रह जाएँगी


और कामया के देखते-देखते मनसा ने एक बार कामया की ओर गोर से देखा और दूसरे कमरे की ओर ले जाने लगी थी कामया भी मनसा के पीछे-पीछे दूसरे कमरे में आ गई थी एक बड़े से टेबल के दोनों ओर कुछ महिलाए खड़ी थी और एक बड़ा सा ऊँचा सा चेयर रखा था डाइनिंग रूम जैसा कुछ था टेबल पर कँडल जल रहे थे मनसा ने इशारे से बैठने को कहा और वही खड़ी हो गई थी एक दूर के डोर से कुछ महिलाए एक के बाद एक हाथों में कुछ बोल लेकर धीरे से उस टेबल पर सजाने लगी थी एक भावी सा दिखने वाला डाइनिंग टेबल थोड़ी ही देर में तैयार हो गया था इतना सारा खाना अकेले कामया के लिए उसने एक बार मनसा की ओर देखा और कुछ कहे इससे पहले ही मनसा ने आगे बढ़ कर एक प्लेट को उसकेआगे कर दिया और फिर एक के बाद एक डिश उसे सर्व करने लगी थी इतना स्वादिष्ट और जाएकेदार खाना कामया ने कभी नहीं खाया था

सभी डिश एक से बढ़ कर एक बनी थी कुछ देर में ही काया थक कर चूर हो गई थी खाते खाते उसका पेट भर गया था
कामया- बस अब और नहीं इतना नहीं खाती में

मनसा- हाहाहा अरेरानी साहिबा क्यों चिंता कर रही है खाइए यह खाना ख़ास आपके लिए ही बना है इसे खाने से आपके शरीर में एक नई जान आएगी

कामया- नहीं नहीं बस और नहीं पेट फट जाएगा

कामया ने देखा था उसके खाने में ज्यादा तर चीजे नोन वेग थी कुछ और चीजे भी थी कुछ पेयै थे जो की अलग ही तरीके के थे पीने में मजा आता था एक नई सी जान उसके अंदर उठ-ती थी

खाना खतम करके मनसा उसे उसी कमरे में वापस ले आई थी जहां से वो चली थी बेड बिल्कुल तैयार था इतने बड़े से कमरे में वो आकेली पर उसे चिंता करने की जरूरत नहीं थी वो लगभग इतना खाने के बाद नींद से बोझिल सी हो उठी थी
कमरे में पहुँचते ही वो बेड की ओर बढ़ी थी पर इतना सज धज कर क्या वो सो पाएगी

कामया- मनसा यह क्लिप बागेरा निकाल दूं सोने से पहले

मनसा- हाँ… हाँ… क्यों नहीं बिल्कुल आप क्यों में निकाल देती हूँ
और मनसा ने कामया के जुड़े से क्लिप और पिन निकाल कर वही एक टेबल पर रख दिया था और जो कपड़ा पहना था उसके भी कुछ पिन निकाल दिए थे रात बड़े ही मजे में कटी थी कामया की

और फिर सुबह से ही वही करवाही चली नहाने का पर आज तेल की मालिश के समय एक नया परिवर्तन उसे दिखा था आज उसकी योनि के साथ-साथ गुदा द्वार के अंदर ज्यादा से ज्यादा तेल डालने की कोशिश हो रही थी वो छोटी-छोटी महिलाए अपने हाथों को कलाईयों तक उसके दोनों द्वारो के अंदर करते समय बहुत सा तेल अपने मुट्ठी में भरकर अंदर तक उसे तेल से नहलाने की कोशिश करती थी हर कही तेल से नहाने के बाद उसे उसी तरह से उबटान लगाया गया था
और यही बात शाम को भी हुआ था पर थोड़ा सा जल्दी आज शाम को उसे अपने घर जाना था उसे नहीं पता था कि कामेश कहाँ है घर पर उसका इंतजार करता होगा कि नहीं अचानक ही घर की याद आते ही उसका रोम रोम खिल उठा था अभी तक जो सेक्स का खेल वो यहां नहाते समय खेल रही थी वो एक बार फिर जल उठी थी मन में एक नई आशा और तन में एक नई तरह की आग लिए कामया एक फुर्ती लिए हुए शाम को अपने घर जाने के लिए तैयार हो रही थी अभी तक उसे गुरु जी और कोई भी अपने घर के किसी भी सदस्य ने कॉंटक्ट नहीं किया था
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Re: बड़े घर की बहू

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कामया अपने रूप को निहारती हुई और अपनी नई काया को निहारती हुई तैयार हो चुकी थी वैसा ही कपड़ा बाँधा था उसने जैसा कि यहां अश्राम में कहा गया था पर मनसा ने उसे पिन और क्लिप से इतना तरीके से ढँका था और कमर पर एक मोटी सी गोल्ड की कमरबन्द से कस दिया था कि देखने में वो एक धोती के साथ आँचल लिए हुए दिखती थी पूरा वाइट और गोल्डन कलर से सजा दिया था उन महिलाओ ने उसे और फिर एक सफेद कलर के कपड़े की चप्पल उसके पैरों में पहना दिया था सज कर कामया ने जब अपने आपको आईने में देखा था तो सिर्फ़ देखती ही रह गई थी रूप था की बदल कर सोना हो गया था आखें बड़ी-बड़ी और गहरी हो गई थी मादकता लिए हुए और बोझिल सी देखने में थी शरीर का हर हिस्सा कस गया था और बिना हील के भी उसके नितंब बाहर की ओर निकले हुए थे बिना ब्रा के भी उसके स्तन तने हुए थे यह कमाल सिर्फ़ और सिर्फ़ तेल की मालिश और उबटन का ही था कि आज उसे बिना ब्रा के बाहर जाने में कोई दिक्कत नहीं हुई थी एक गजब का कान्फिडेन्स डेवेलप हो चुका था उसके अंदर एक पूर्ण विस्वास से खड़ी थी वो

मनसा- क्या देख रही है रानी साहिबा

कामया- नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही

मनसा- देखना भैया जी देखते ही टूट पड़ेंगे आप पर

कामया- धात कैसी बातें करती हो तुम

मनसा- क्यों रानी साहिबा शादीशुदा हो पति के साथ भी तो रहोगी ना

कामया के अंदर वो आग फिर से जल उठी थी एक नयापन जीवंत सा हो गया था और योनि के अंदर तक हलचल मच गया था जाँघो को जोड़ कर किसी तरह से अपने आप को शांत करते हुए मनसा से नजर चुरा लिया था उसने और आगे की ओर बढ़ चली थी मनसा भी मुस्कुराते हुए उसके पीछे-पीछे बाहर किया ओर चल ने लगी थी कामया उसी रास्ते से बाहर की ओर निकल रही थी जहां से कल प्रवेश किया था कुछ भी चेंज नहीं था पर उसका देखने का तरीका बदल गया था वो सब जो वो पहले देखा था तो एक आश्चर्य हुआ था पर अब नहीं बहुत बड़े से हाल को पार करते ही बाहर एक लंबी सी गाड़ी खड़ी थी मनसा ने आगे बढ़ कर उसका डोर खोलकर खड़ी हो गई थी

मनसा- आइए रानी साहिबा ड्राइवर आपको छोड़ देगा

कामया- क्यों तुम नहीं चलोगी

मनसा- नहीं रानी साहिबा आज नहीं आज आप अपने घर जा रही है कल से में जब आप फिर यहां आएँगी में जरूर आपके साथ रहूंगी अभी चलिए नहीं तो गाधुलि बेला से पहले नहीं पहुँच पाएँगी

कामया को समझ नहीं आया कि क्या कह रही है पर जल्दी से गाड़ी में बैठ गई थी सामने ड्राइवर था कौन था नहीं मालूम पर वही सफेद ड्रेस में सीधे बैठा हुआ और सामने की ओर देखता हुआ नजर पीछे की ओर भी नहीं किया था उसने डोर के बंद होते ही मनसा ने गाड़ी को आगे जाने का इशारा किया था और गाड़ी धीरे से अश्राम के बाहर की ओर सरकने लगी थी

आज दो दिन बाद वो आश्रम से निकली थी पर लगता था कि सालो बाद वो इस जगह को देख रही है बदला कुछ नहीं था पर कामया की नजर बदल गई थी उसके देखने का तरीका बदल गया था उसे सबकुछ बड़ा गंदा सा लग रहा था देखने में एक अजीब सी बदबू आ रही थी इससे पहले उसे कभी ऐसा नहीं हुआ था इन रस्तो पर वो कई बार निकली थी पर आज कुछ अलग था बदबू से भरी हुई लगती थी उसे यह जगह गाड़ी अपनी रफ़्तार से उसके घर के ओर दौड़ रही थी कोई भी आवाज नहीं थी अंदर सिवा एंजिन के थोड़ा सा शोर और बाहर की कोई आवाज अंदर तक नहीं आ रही थी पर कामया का मन नहीं लग रहा था लगता था कि कितना लंबा सफर है कुछ देर बाद ही उसे अपना घर दिखाई देने लगा था वही घर जहां वो विवाह के बाद आई थी

वही घर जहां वो इतने सालो तक रही थी वही घर जहां से उसने अपना शादीशुदा जिंदगी का सफर शुरू किया था

गेट के अंदर गाड़ी घुसते ही वो अपने आपको वापस असल जिंदगी में खींचकर ले आई थी घर के बाहर बहुत सजा हुआ था और मम्मी जी भी हाथों में थाली लिए खड़ी थी गाड़ी के रुकते ही कामया के लिए किसी महिला ने गेट खोला था कामया ने धीरे से अपने घर के आँगन में कदम रखा था बाहर खड़ी महिलाओं में एक उत्सुकता थी कामया को देखने की कामया के बाहर आते ही एक हमम्म्मममममम और वाह की आवाज गूँज उठी थी कामया एक मद मस्त कर देने वाली मुश्कान फैलाती हुई अपनी मम्मी जी के सामने खड़ी थी मम्मी जी भी आखें फाडे हुए उसे देखती ही रह गई थी हाथों में थाली लिए हुए वो मंत्र मुग्ध सी खड़ी हुई कामया को देख रही थी

कामया- क्या हुआ मम्मी जी

मम्मी जी ऐसे नींद से जागी थी
मम्मी जी- नहीं एयेए अंदर आ

और थाली से आरती कर कामया को सहारा दिए घर के अंदर ले आई थी कामया ने मम्मी जी के साथ-साथड्राइंग रूम में प्रवेश किया था घर बड़ा सजा हुआ लगता था पर वही घर जहां वो इतने दिनों तक रही थी और अपने सपनो को पूरा करने के रह देखती थी वही घर अब उसे अपरिचित सा लग रहा था बहुत छोटा और घुटन भरा लग रहा था फिर भी कामया मुस्कुराती हुई सभी लोगा का मन मोह रही थी और मम्मी जी के साथ बैठी हुई उनकी बातों को ध्यान से सुन रही थी बैठी बैठी कामया को थकन सी होने लगी थी वही चेयर और सोफे पर वो आज से दो दिन पहले बैठती थी तो अच्छा लगता था गद्दे दार लगता था पर अब वही सोफा और चेयर उसे चुभ रहे थे अचानक ही मम्मी जी ने भी
मम्मी जी- चलो बहुत हो गया चलो बहू तुम्हारा बेग कमरे में रखवा दिया है खाना खा लो और फिर आराम कर लो कामेश और तुम्हारे पापा जी तो गुरु जी के काम से बाहर गये है जो भी जरूरत पड़े बताना और कहती हुई कामया के साथ-साथ सभी खड़े हो गये थे कामया भी क्या करती मुस्कुराती हुई खड़ी हुई और एक नजर हाल के चारो ओर फेर कर मम्मी के साथ उन लोगों को विदा करने लगी थोड़ी देर में ही सब खाली हो गया था सभी लोग चले गये थे और बचे थे सिर्फ़ मम्मी जी और कामया खाली सा कमरा और हाल और डाइनिंग स्पेस से होते हुए कामया वही सीढ़ियो के पास जाकर खड़ी हो गई थी ऊपर की ओर जाते हुए सीढ़ियो को देखती हुई कामया ने एक बार मम्मी की ओर देखा था

मम्मी जी मुस्कुराती हुई


मम्मी जी- जा जा कर आराम करले सिर्फ़ आज का दिन ही तुझे इस घर में रहना है फिर तो कल से वही अश्राम में रहना होगा फिकर ना कर हम भी वही आ रहे है कामेश और तेरे पपाजी को आने दे फिर ठीक आई और मुस्कुराती हुई कामया के सिर पर अपने हाथ फेरती हुई कामया की ओर देखती रही कामया ने देखा था मम्मी जी के चहरे पर बहुत प्यार था बहुत सा स्नेह उसके आखों पर से चालक रह आता कामया ने नजर पलटा ली और सीढ़ियो की और बढ़ चली थी धीरे-धीरे वो अपने कमरे में भी पहुँच गई

वही कमरा जहां वो शादी के बाद से ही अपने पति के साथ रहती आई थी कितना परिचित सा था वो कमरा कामया लिए पर आज कितना पराया सा लग रहा था छोटा सा समान से भरा हुआ किसी कबाड़ खाने से कम नहीं लग रहा था कमरे में हवा और सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी उसे जल्दी से कमरे की विंडो खोलने को गई थी वो पर रुक गई थी एसी ओन था पर फिर भी कमरा अच्छा नहीं लग रहा था खाली सा बिस्तर जमीन से लगा हुआ लग रहा था बेड पर बैठी थी वो सख्त और चुभ सा रहा था उसे दो दिन में ही क्या वो इतना बदल गई थी क्या उसे अश्राम की हवा लग चुकी थी


उसे यह घर में रहने की बिल्कुल इच्छा नहीं कर रही थी बेड पर उसका बेग रखा था यह बेग उसका है क्या है इस बैग में देखने को उठी थी वो और खोलकर देखा था कुछ खास नहीं एक सोने से पहले पहनने का छोटा सा कपड़ा था और एक बड़ा सा और साथ एक छोटा सा ग्लास की बोतल थी उसमें वही पेय पदार्थ भरा हुआ था जो अब तक वो वहां पीते आई थी बस और कुछ नहीं मनसा ने पॅक कर दिया होगा चलो ठीक है एक बार घूमकर उसने बाथरूम को देखा उबकाई सी आने लगी थी उसे इतना सुंदर बाथरूम भी उसे गंदा सा लग रहा था बहुत ही छोटा और घुटन भरा था वेंटिलेशन होते हुए भी बदबू सी लग रही थी उसे इतने में इंटरकम की घंटी बजी थी

कामया- जी

मम्मी जी- आज बहू खाना खा ले फिर आराम करना

कामया- जी

और कुछ सोचती हुई वो नीचे की ओर चल दी थी

मम्मी जी- अरेतूने चेंज नहीं किया

कामया- जी वो अश्राम में यही कपड़े पहनने पड़ते है बिना सिले हुए इसलिए

मम्मी जी- पर क्या यही पहनकर सोएगी

कामया कुछ कहती इतने में भीमा किचेन से नजर झुकाए निकला था हाथों में प्लेट और ट्रे लिए कामया उसकी ओर देखती पर मम्मी जी के रहते वो ऐसा ना कर पाई थी पर एक नजर उसे पता था कि भीमा देख जरूर रहा था एक बिजली सी दौड़ गई थी उसके शरीर में वही नजर थी उनकी जो आज से बहुत दिनों पहले उसने दिखी थी वही आकर्षण वही उत्तेजना कामया के शरीर में फिर से दौड़ गई थी भीमा चाचा का नजर चुरा कर उसे देखना और फिर नजर बचा कर मम्मी जी को देखते हुए उसे फिर देखना कामया के लिए काफी था वो एक उत्तेजित सी और न संभलने वाली स्थिति में पहुँच चुकी थी इतने दिनों तक अपने पति और अपने शरीर को किसी पुरुष के हाथों में ना पाकर जो स्थिति बनी थी आज वो उस स्थिति से लड़ने को बिल्कुल तैयार नहीं थी
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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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बहुत दिन हो गये थे बिना मर्द के स्पर्श के और तो और अश्राम में भी उसे सिर्फ़ उत्तेजित कर छोड़ दिया गया था सिर्फ़ और सिर्फ़ महिलाओं ने ही उसकी उत्तेजना को शांत किया था एक शादीशुदा औरत को उत्तेजित करके महिलाए शांत करे ठीक है पर यह तो सिर्फ़ दिखावा है ना की फूल सटिस्फॅक्षन सिर्फ़ और सिर्फ़ दिखावा

नहीं आज नहीं आज कामेश नहीं है वो आज अपने को कैसे रोके पुराने दिन खाते खाते उसे याद आने लगे थे कैसे भीमा ने उसकी पहले मालिश किया था और फिर कैसे वो खुद भीमा के पास गई थी और कैसे वो रात को भीमा और लाखा के पास गई थी किचेन से लेकर हर बात उसे याद आने लगी थी खाते खाते कामया इतना उत्तेजित हो चुकी थी कि उसे खाते नहीं बना और पता नहीं क्यों यह खाना भी उसे अच्छा नहीं लग रहा था किसी तरह मम्मी जी का मन रखने के लिए उनका साथ देती रही थी


किसी तरह खाना खतम होते ही कामया उठकर वाशबेसिन में हाथ धो कर जल्दी से अपने कमरे में पहुँच गई थी और चेंज करने लगी थी वो पेय जो की मनसा ने उसे दिया था उसे पीना जरूर था वो एक आयुर्वेदिक पेय था वो पता नहीं क्या था पर एक नई शक्ति और स्फूर्ति उसके शरीर में जरूर आ जाती थी उसे पीने से सो हाथ मुँह धोकर उसने पहले वो पेय पिया और फिर ड्रेस उतार कर वही एक छोटा सा कपड़ा जो की उसके बैग में था उसे कंधे में डालकर पहन लिया था जोकि घुटनों के ऊपर तक आता था वो कमर में एक मोटी सी गोलडेन कलर का रस्सी से कस्स कर बाँधना था उसे बाँध कर उसने अपने आपको मिर्रर में देखा था गजब जाँघो से लेकर टांगों तक का चमचमाता हुआ एक एक अंग साफ छलक रहा था चुचे बिना ब्रा के भी तने हुए थे आखें मदमस्त और गहरी थी होंठों पर लालिमा बिना लिपीसटिक के ही दिख रही थी बाल जुड़े की शेप में बँधे थे पर कही कही से लंबे से निकले हुए थे कंधा भी खाली था सिर्फ़ वो कपड़े से जितना ढका हुआ था बस उतना ही साइड से उसका शरीर कमर तक साफ-साफ दिख रहा था देखते देखते वो अपने शरीर की रचना में ही खो गई थी कितनी सुंदर और कामुक लग रही थी किसी अप्सरा के जैसी कोई भी सन्यासी और देव पुरुष तक उसके इस शरीर का दीवाना हो सकता था सच में किसी ने सच ही कहा है औरत के पास जो एक हथियार है वो है उसका शरीर आज तक इतिहास गवाह है की इस शरीर के लिए कितनी ही लड़ाइया हुई है और कितने ही कत्ल हुए है आज एक वैसा ही शरीर फिर से इस संसार पर राज्य करने के लिए तैयार हो रहा था


कामया सोचते सोचते अपने आप में इतना खो गई थी कि उसे टाइम का ध्यान ही नहीं रहा था फिर अचानक ही उसने घड़ी की ओर नजर उठाई तो देखा करीब एक घंटा हो चुका था पता नहीं भीमा कहाँ होगा क्या करू देखूँ क्या उसके कमरे में नहीं नहीं वो खुद आ जाएगा उसे भी तो इच्छा होगी कैसे देख रहा था नजर चुरा कर पर वो तो रुक नहीं पा रही है एक बार धीरे से कामया ने अपनी जाँघो को देखते हुए अपने आपको सहलाया था एक सिसकारी उसके मुख में दब कर रह गई थी नहीं वो नहीं रुक सकती उसे कोई मर्द तो चाहिए ही चाहे वो भीमा ही हो वो जल्दी से अपने कमरे से बाहर की ओर भागी और डोर खोलकर एक बार बाहर की ओर देखा कोई नहीं था सबकुछ शांत था धीरे से उसने नजर ऊपर की ओर जाती हुई सीढ़ियो पर ले गई थी वहां भी शांति थी

वो बाहर निकलकर सीढ़िया चढ़ने लगी थी भीमा चाचा के कमरे में वो पहले भी आई थी आज उसे कोई दिक्कत नहीं थी घर में कोई नहीं था और उसे जो चाहिए था वो भीमा के पास था और खूब था वो भी एक भूका शेर था जो कि उसकी कल्पना में शायद इतने दिनों तक भूका ही था तभी तो वो इस तरह से चोर नज़रों से मम्मी जी के सामने नहीं हिम्मत करता हाँ… वो भी भूका है पर वो तो कमरे में नहीं है कहाँ है शायद नीचे होगा क्या करे वही वेट करे नहीं नहीं ऐसा नहीं वो जल्दी से अपने कमरे की ओर जाने लगी थी पर थोड़ी दूर जाकर वो रुक गई थी क्या कर रहा है भीमा नीचे अभी तक क्या उसे जल्दी नहीं है चोर नजर से तो ऐसे देख रहा था कि वही निचोड़ कर रख देगा और अभी देखो तो किचेन में ही लगा हुआ है कामया से नहीं रहा गया और वो धीरे-धीरे नीचे की ओर चल दी किचेन में लाइट जल रही थी भीमा वही होगा डाइनिंग स्पेस में आते ही उसे भीमा की पीठ उसकी ओर दिखी थी


वो प्लॅटफार्म की सफाई कर रहा था उसका ध्यान बिल्कुल भी पीछे की ओर नहीं था पर अचानक ही पीछे की पदचाप से वो पलटा था कामया स्वर्ग से उतरी हुई एक अप्सरा परी सुंदरी और ना जाने क्या-क्या एक साथ उसके दिमाग में चल पड़ा था जाँघो तक एकदम खाली वो सुंदरी उसके लिए ही यहां आई थी

कामया- क्या आज ही सारा काम खतम करना है

एक उत्तेजित और हुकुम देने वाली आवाज किचेन ने गूँज उठी थी भीमा की नजर एक बार कामया के चहरे पर गई थी कितना रुआब था उसके चहरे पर कितनी निडर हो गई थी वो पहले तो आवाज ही नहीं निकलती थी सिर्फ़ हाँ हूँ और उऊफ और आह के सिवा कुछ नहीं

कामया- लाखा कहाँ है …

भीमा (हलकता हुआ)- जी वो मदिर वाले घर पर चला गया है

बड़े ही डरे हुए और धीमी आवाज में उसने कहा था

कामया- पानी दो
एक कड़क आवाज में आर्डर था

भीमा डरा हुआ सा जल्दी से ग्लास लिए हुए फ़्रीज खोलकर पानी का ग्लास लिए हुए कामया के पास पहुँचा था कामया तब तक किचेन के अंदर आ गई थी और बीच में पड़े हुए टेबल पर कूल्हे टिकाकर खड़ी थी गोरी गोरी टाँगें एकदम साफ चमक रही थी भीमा नजर झुकाए पानी का ग्लास उसकी ओर बढ़ाकर अपनी नजर उठाने की कोशिश करता पर कामया की दाईं टाँग को उठकर उसकी टांगों के बीच में आता देख रहा था वो थोड़ा दूर खड़ी थी पर उसकी टाँगें उसके पास पहुँच रही थी कामया ने एक हाथ से उसके हाथो से ग्लास ले लिया था और अपनी टाँग को उठा कर उसकी जाँघो के बीच में फँसा लिया था और उसके नितंबों तक पहुँचा कर उसे अपने पैरों से अपने पास खींच रही थी

भीमा निस्तब्द सा आगे की और हो गया था उसकी हथेलियाँ कामया की जाँघो को छू रही थी गोरी और कोमल जांघे कितनी सुंदर है उउफ्फ… हाथ में आई यह छुई मुई सी औरत कितनी कोमल और नाजुक है उसके दोनों हाथ कामया की उस जाँघ पर एक बार घूम गई थी और उसके चिकने पन के एहसास को अपने दिल में संजोने की कोशिश भी कर रहा था


भीमा की हालत खराब थी कामया की टाँगें उसके लिंग से टकरा रही थी जो की उसके जाँघो के बीच में थी पर वो तो जैसे एक पत्थर की मूरत की तरह एकटक उसकी ओर ही देखे जा रही थी कामया से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी उसकी कामया की कड़कती हुई आवाज उसके कानों में गूँज उठी थी

कामया- खोलो इसे और याद रहे आज के बाद तुम हर काम सिर्फ़ मेरे लिए करोगे जब में इस घर में रहूं तो ठीक है

भीमा- जी
और वो अपने हाथों को आगे बढ़ा कर कामया की कमर में बँधे उस रोप को खोलने लगा था कामया की टाँगें अब नीचे हो गई थी और एक हथेली भीमा के लिंग को टटोलने लगी थी उसके धोती के ऊपर से ही उसकी नाजुक सी उंगलियां भीमा के लिंग को कस्स कर पकड़ती और फिर ढीला छोड़ देती थी भीमा अपनेआपको संभालता और करता क्या डरा हुआ सा भीमा उस परी का दीवाना तो था पर आज जो कुछ वो देख रहा था और झेल रहा था उससे यह तो साफ था की आज वो इस नारी को शांत कर नहीं पाएगा उसका शरीर कब तक उसका साथ देगा उसे नहीं पता पर कोशिश जरूर करेगा यह सोचते हुए जब तक वो कामया की कमर से वो रोप खोलकर अलग करता तक तक तो कामया ने उसके लिंग पर पूरा काबू पा लिया था धोती के ऊपर से ही उसे अपनी पतली पतली उंगलियों से कस्स कर पकड़ी हुई अपने एक हाथ से अपने सामने से उस कपड़े को हटा दिया था

कामया- उतारो इसे
और भीमा ने धीरे से कामया के ऊपर से वो कपड़ा हटा दिया था एक स्वप्नसुंदरी उसके सामने खड़ी थी गोरा रंग जैसे दूध में थोड़ा सा लाल रंग मिला दिया हो वैसा रंग था, उसके पर सिर पर बालों के सिवा कही कोई बाल नहीं थे एकदम साफ और चमक दार थी वो अपने आपको नहीं रोक पाया था और कामया की ओर देखते हुए उसके पैर पर अपने हाथ टिकाकर सहलाने लगा था पर एक डर था उसके दिल में कही मालकिन ना आ जाए या कोई देख ना ले किचेन में थे वो लोग बाहर से भी नजर नहीं पड़ जाए पर कामया को कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था हिम्मत जुटा कर भीमा बोल ही उठा
भीमा- बहू रानी अंदर चलते है

पर बीच में ही कामया ने उसकी बातें काट दी थी
कामया- पहले यहां करो फिर अंदर जाएँगे जल्दी करो और खोलो इसे क्या फालतू की चीज को बाँधे खड़े हो

भीमा कुछ कहता इससे पहले ही कामया ने एक झटके से उसकी कमर से उसकी धोती खींचली थी बड़े से अंडर वेयर में फसी हुई उसकी धोती लटक गई थी और कामया का हाथ फिर से उसके लिंग को कस्स कर पकड़ लिया था और एक हल्की सी आवाज में भीमा के होंठों के पास आते हुए बोली
कामया- खोलो जल्दी से नहीं तो तोड़ दूँगी
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Re: बड़े घर की बहू

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भीमा जल्दी से अपने अंडरवेयर को खोलने लगा था कामया की मजबूत पकड़ उसके लिंग पर और कस गई थी पागल सी हो उठी थी वो लाइट में उसका गोरा शरीर चमक रहा था और भीमा की हालत उसके आपे से बाहर हो रही थी कामया के हाथों में अपने लिंग को छुड़ा नहीं पा रहा था पर अपने आपको रोक भी नहीं पा रहा था वो जानता था कि कामया कुछ देर और उसके साथ यही खेल खेलती रही तो वो बिना कुछ करे ही झड जाएगा सो वो जल्दी से कामया को खींचकर अपनी बाहों में भरने लगा था उसके होंठ जो की उसके पास ही थे झट से उनपर कब्जा जमा लिया था पर कब्जा भीमा ने नहीं कामया ने जमा लिया था एक जोर दार, तरीके से कामया ने भीमा के होंठों के साथ-साथ उसकी जीब को झट से खींचकर अपने मुख में भर लिया था और बहुत जोर-जोर से चुबलने लगी थी उसके हाथ अब भी भीमा के लिंग को निचोड़ रहे थे ना जाने कैसे और जैसे भीमा की जान पर बन आई थी आज भीमा जिस जिश्म के लिए इतना पागल था वो आज उसकी जान पर बन आई थी वो नहीं जानता था कि कामया को क्या हुआ है पर उसकी दीवानगी के आगे वो झुक गया था वो और ज्यादा देर तक अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पाया था और वही कामया के हाथों में ही झड़ गया था कामया ने एक बार, उसे देखा था बहुत ही गुस्से में पर लिंग को छोड़ा नहीं था किसी मेमने की तरह वो कामया के होंठों की बलि चढ़ गया था उसके हाथों की बलि चढ़ गया था और अपने आप को शांत करके कामया की कमर को पकड़े हुए खड़ा उसपर टिका हुआ लंबी-लंबी सांसें छोड़ रहा था कामया एक शेरनी की तरह से उसे देख रही थी जैसे की कह रही हो बस हो गया इतना ही दम है

कामया- क्या चाचा बस

भीमा- नहीं बहू रानी डर के मारे निकल गया है आप जिस तरह से कर रही थी वैसा आज तक किसी ने नहीं किया इसलिए संतुलन नहीं रख पाया माफ किर दीजिए
और नजर झुकर खड़ा हो गया था पर अपने लिंग को कामया के हाथों से छुड़ाने की जरा भी कोशिश नहीं किया था कामया की हथेली में उसका लिंग पानी छोड़ने के बाद सिकुड़ने लगा था पर उसके हाथों में उसका वीर्य अब भी चमक रहा था वो नीचे सिर किए हुए कामया के हाथों में अपने लिंग को देख रहा था और उसकी गोरी गोरी जाँघो को धीरे से सहलाते हुए इंतजार कर रहा था कि कब कामया उसके लिंग को छोड़े

कामया- फिर अब क्या करोगे जाकर सो जाओगे हाँ…

भीमा- नहीं बहू जब तक आपको मेरी जरूरत है में यही हूँ

कामया- पर तुम तो गये फिर

भीमा- नहीं बहू रानी अभी बहुत कुछ है रुकिये और धीरे से अपने आपको कामया की जाँघो के बीच में ले गया था और अपनी जीब से उसकी योनि को सहलाते हुए कामया को धीरे से उस टेबल पर बिठा लिया था कामया ने भी कुछ नहीं कहा था जैसा भीमा चाहता था वही किया

अपने आपको उसने टेबल पर रखे ही अपनी कमर को इतना आगे कर चुकी थी कि भीमा चाचा की जीब उसके अंदर तक चली जाए अपने आपको रोक नहीं पा रही थी वो इतने दिनों बाद उसके शारीर को किसी मर्द ने छुआ था एक पहचाना हुआ सा स्पर्श था वो पर एक भूख को और भी बढ़ाता हुआ सा भी अलग अलग तरीके से छूने की दशा में भी कामया अपने आपको हिलाकर और कमर को उँचा करते हुए भीमा चाचा को पूरा समर्थन दे रही थी


होंठों में दबी हुई आवाज अब तेज होती जा रही थी अंदर का उफान बढ़ता जा रहा था एक चिरपरिचित सी मादकता उसके अंदर तक एक तूफान को जनम दे रही थी कामया चाह कर भी अपने को रोक नहीं पा रही थी उसकी कमर या कहिए योनि अपने आप भीमा के होंठों के सुपुर्द होने को आतुर थी टेबल पर टिके हुए भी वो आगे की ओर होने लगी थी भीमा जो की पूरे तन मन से अपनी बहू के सौंदर्य को चूसने में लगा था एक भड़की हुई आग से खेलने को तैयार था अपने बुढ़ापे को भूलकर जवान बनने की कोशिश कर रहा था तन की शक्ति जबाब दे देने के बाद भी वो उस हसीना को छोड़ने को तैयार नहीं था


या कहिए अपने मन में छुपी हुई आकांक्षा को दबा नहीं पा रहा था अपने होंठों के साथ-साथ वो अपनी जीब को जितना अंदर तक हो सके और जितना दम उसमें था वो निरंतर प्रयासरत था कामया को खुश करने में हर एक बार जैसे ही उसकी जीब अंदर से बाहर की ओर आती थी कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकलजाति थी उसकी जांघे खुलकर इतना फेल गई थी कि भीमा के माथे के साथ-साथ उसके दोनों हाथ भी उनमें समा गए थे कामया के मुख सी निकलने वाली सिसकारी से भीमा और भी उत्तेजित होता जा रहा था

कामया- और जोर-जोर से चूसो चाचा और जोर से उंगली भी डालो अंदर तक डालो और अंदर
कामया लगातार भीमा को उकसा रही थी की वो उसके साथ हर संभव प्रयास करता रहे और भीमा भी पीछे नहीं हट रहा था पर कामया को आज संभालना मुश्किल था उत्तेजना में वो पागल हो चुकी थी उसके हाथ अब धीरे-धीरे भीमा के बालों पर कसने लगे थे उसकी उत्तेजना की हालत यह थी की लगता था कि भीमा के बाल खींचकर अलग कर देगी मुख से निकलने वाली सिसकारी बढ़ती ही जा रही थी और साथ में उसके हाथों का खिचाव भी भीमा अपने बालों को उससे अलग करना चाहता था पर अचानक ही कामया टेबल से उतर पड़ी और अपनी जाँघो को खोलकर लगभग उसके ऊपर बैठ ही जाती पर बीच में ही रुक गई थी थोड़ा सा बैठी हुई वो लगातार भीमा के बालों को खींचकर अपनी योनि से जोड़े रखना चाहती थी

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