बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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Rohit Kapoor
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Re: बड़े घर की बहू

Post by Rohit Kapoor »

Guru ji ki to nikal padi ........nice update
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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

Post by sexi munda »

गुरुजी- देखो सखी वो लोगो का नियन्त्रण कुछ नहीं है अपने शरीर पर कैसे एक के बाद एक ढेर होते जा रहे है उनके शरीर में इतनी भी ताकत नहीं बची है कि दोबारा कुछ कर सके क्या तुम इन जैसी बनना चाहती हो नहीं सखी में तुम्हें यहां इसलिए नहीं लाया हूँ में चाहता हूँ कि तुम इस खेल में इतना निपुण हो जाओ कि हर मर्द हर औरत तुम्हें पाने की इच्छा रखे पर तुम अपनी मर्ज़ी की मालिक रहो इनकी मर्ज़ी की नहीं हाँ… सही सुना तुमने में चाहता हूँ कि तुम अपनी मर्ज़ी की मालिक रहो अपने शरीर को इतना अच्छा बनाओ कि मर्द देखकर ही तुम्हें पाने की इच्छा करे तुम्हारे हाथ लगाने भर से ही वो झड़ जाए तुम्हें देखकर ही वो झड़ जाए नाकि तुम उनको देखकर उत्तेजित होओ तुममे वो बात है में जानता हूँ पर तुम्हें बहुत कुछ सीखना है सखी बोलो मेरा साथ दोगी ना … …

और गुरु जी ने उसकी चुचियों को धीरे से दबाकर उसके कंधों को पकड़कर अपनी और मोड़ लिया था कामया उत्तेजना के शिखर पर थी उसे एक मर्द की जरूरत थी और अभी अभी जो वो देख रही थी और गुरु जी के हाथों के स्पर्श ने जो उसके साथ किया था वो एक अलग सा अनुभव था उत्तेजना में उसके गले से आवाज नहीं निकल रही थी गला सूखा हुआ था और एकटक गुरुजी की ओर देखती हुई कामया अपने गालों पर गुरु जी के कोमल हाथों का स्पर्श पाते ही सिर्फ़ आखें बंद किए हुए सिर को हिलाकर अपना समर्थन भर दे पाई थी

गुरु जी- ठीक है सखी आज से तुम हमेशा मेरे साथ ही रहोगी तुम्हें जो चाहिए मुझे बताना कोई झिझक नहीं करना में तुम्हारा हूँ इस संसार का हूँ पर पहले तुम्हारा फिर बाद में किसी और का ठीक है
और कहते हुए अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ लिया था

कामया अभी आतूरता में थी ही झट से गुरूरजी के होंठों को अपने होंठों के सुपुर्द करके उसके बाहों में झूल गई थी

कामया कोशिश में थी कि जितना हो सके गुरुजी से सट कर खड़ी हो जाए उसका रोम रोम जल रहा था दीवाल के दूसरे तरफ जो खेल चल रहा था वो एक अनौखा खेल था अपनी जिंदगी में उसने इस तरह का खेल नहीं देखा था उसका शरीर उस खेल में इन्वॉल्व होने को दिल कर रहा था उसे एक साथ अपने जीवन में आए हर मर्द के बारे में याद दिला रहा था

यादे कुछ ना करे पर शरीर और मन को झंझोर कर रख देती है कामया का भी यही हाल था हर वो पल जो उसने भीमा लाखा और भोला के साथ बिताए थे एक-एक पल उसे याद आते जा रहे थे और गुरुजी के साथ चिपकते हुए वो सिर्फ़ एक ही इच्छा रखती थी कि गुरुजी उसके साथ भी वही खेल खेले पर गुरुजी का अंदाज कुछ अलग था अब भी कोई जल्दी बाजी नहीं थी और ना ही मर्दाना भाव ही था उनमें सिर्फ़ हल्के हाथों से उसे सिर्फ़ सहारा दिए हुए थे

कामया- गुरुजी प्लीज कुछ कीजिए ना बहुत पागलपन सा लग रहा है

गुरुजी- नहीं सखी तुम सिर्फ़ इस खेल के लिए नहीं हो तुम्हें बहुत कुछ सीखना है यहां बैठो
और कहते हुए कामया को साथ लिए हुए वहां रखे हुए आसन पर बैठ गये थे कामया उनसे चिपक कर बैठ गई थी उसका हाथ गुरुजी के सीने पर घूम रहे थे और रह रहकर उसका हाथ जान भुज कर उसके लिंग तक पहुँचा रही थी कामया बहुत उत्तेजित थी और गुरुजी सिर्फ़ उसे सहारा दिए हुए सामने दीवाल की ओर देख रहे थे कामया एकटक गुरुजी की ओर देखती रही और अपने काम के अंजाम के इंतजार में थी कि गुरुजी बोले

गुरु जी- देख रही हो इन महिलाओं और मर्दो को सिर्फ़ एक बार या दो बार में ही कितना थक गये है शायद अब उठाकर इन्हें मार भी डालो तो पता नहीं चलेगा और नहीं कुछ सख्ती बाजी है कि कुछ कर भी सके पर हमारी शिष्या और शिष्यों को देखो कितने जोरदार तरीके से अब भी इस खेल का पूरा आनंद ले रहे है है ना

कामया की नजर एक बार फिर दीवाल की ओर उठी थी वहां का खेल अब अलग था जितने भी मर्द और औरत बाहर के थे सब नीचे पड़े हुए थकान से चूर थे और गहरी सांसें भरते हुए अपने आपको व्यवस्थित कर रहे थे पर रूपसा मंदिरा और चार मर्द जो कमरे में आए थे वो अब भी खड़े हुए थे और उन लोगों की ओर देखते हुए उस कमरे में घूम रहे थे मर्द सिर्फ़ औरतों को छूकर देख रहे थे और रूपसा और मंदिरा मर्दो को छूकर देख रही थी पर कोई भी हिलने की हालत में नहीं था

पर फिर भी कुछ लोगों में इतनी हिम्मत तो थी कि पास आने वालों का मुस्कुरा कर स्वागत तो कर ही रहे थे महिलाओं से ज्यादा थके हुए मर्द थे ना कोई हिल रहा था और नहीं कोई मुस्कुरा रहा था महिलाए तो चलो थोड़ा बहुत मुस्कुरा कर एक बार उनको देख भी लेती थी इतने में कामया ने देखा कि एक औरत शायद कोई 30 35 साल की होगी बहुत सुंदर शरीर नहीं था पर थी साँचे में ढली हुई मास ज्यादा था हर कही ऊपर के साथ उसका शरीर भी कुछ वैसा ही हो गया होगा उठकर उन चार मर्दो में से एक को अपनी ओर खींचा था उस मर्द ने भी बिना कोई आपत्ति के धीरे
से उस महिला को अपनी बाहों में भर लिया था और उसके साथ सेक्स के खेल में लिप्त होता चला गया था धीरे-धीरे उन चारो मर्दो में से बचे हुए तीन मर्दो ने भी उसे घेर लिया था हर किसी के हाथ उसके शरीर पर घूमते चले गये थे हर एक मर्द उस महिला के अंगो को तराष्ते हुए फिर हल्के से उन्हें दबाते हुए अपने होंठों के सुपुर्द करते जा रहे थे वो महिला उन चारो मर्दो के बीच में घिरी हुई अपने आपको किसी सेक्स की देवी से कम नहीं समझ रही थी बहुत ही मजे से हर एक को सहलाती हुई उनका साथ दे रही थी हर चुंबन का और हर एक को उनके मसलने का और हर एक को उनके आकर्षण का जबाब देती जा रही थी उसके मुख से सिसकारी निकलती रही और वो चारो उससे रौंद-ते रहे


कामया बैठी हुई हर एक हरकत को देखती जा रही थी और पास बैठे हुए गुरुजी को सहलाते हुए उनसे सटी जा रही थी गुरु जी सिर्फ़ उसके पीठ को सहलाते हुए उसे उत्तेजित करते हुए उसे अपने से सटा कर कुछ कहते जा रहे थे

गुरुजी- देखो इस महिला को अपनी प्यास बुझाने को कितनी आतुर है घर में इसका पति उसे वो नहीं दे पाता है पर यहां सबकुछ उसे मिल रहा है यहां ऐसे लोगों को भीड़ है सखी उन्हें यह सब चाहिए जो उन्हें बाहर के समाज में नहीं मिलता यहां हर कोई कुछ ना कुछ माँगने आता है और में उनकी इच्छा और अभिलाषा को पूरा करता हूँ तुम्हें भी यही करना होगा अपने हर शिष्यो की मदद करनी होगी

कामया- … >>>

गुरु जी- हाँ… हर शिष्य की चाहे वो कोई भी हो तुम्हें पता है विद्या भी यहां आई थी ईश्वार भी सभी यहां आए है धरम पाल भी उसकी पत्नी भी और उसकी बेटियाँ भी
कामया … …
तोड़ा सा चौंकी थी कामया

गुरु जी- चौको मत सखी तभी तो मुझे इतना मानते है मुझे भी नहीं पता कि तुम्हारा पति किसका बेटा है तुम्हारे ससुर का कि इनमे से कोई पर में नहीं हूँ या पता नहीं शायद में भी हूँ पर इससे क्या फरक पड़ता है में तो इस पूरे आश्रम का मलिक हूँ तुम्हारे और इस आश्रम में रहने वाले हर एक पर मेरा हक है तुम पर तो ज्यादा ही देख रही हो उस महिला के साथ यह सब क्या कर रहे है

और दीवाल की ओर अपनी उंगलियों को उठा दिया था कामया जो कि उस बात पर थोड़ा सा ठिठक गई थी और अपने आपको भूलकर उस बात पर ध्यान देदिया था पर जब उसकी नजर दीवाल पर गई थी तो वो चौंक गई थी उन चारो ने उस महिला को इस तरह से घेर लिया था कि वो कुछ भी नहीं कर सख्ती थी कर सख्ती थी …
नहीं कहना चाहिए कि बड़े मजे ले रही थी वो एक ने उसकी योनि के अंदर अपने लिंग को उतार दिया था और वो नीचे लेटा हुआ था पीछे से दूसरे ने उसके गुदा द्वार पर अपने लिंग को घुसा दिया था और बाकी के बचे हुए दोनों अपने लिंग को उसके हाथों में पकड़ा कर बारी बारी से उसके मुख के अंदर अपने लिंग को करते जा रहे थे ये देखकर कामया की आखें फटी की फटी रह गई थी पर गुरु जी उसी तरह से शांत बैठे हुए उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे बड़े प्यार से समझा रहे थे

गुरु जी- देखा तुमने उस औरत को कोई दिक्कत नहीं हो रही है बल्कि उसे मजा आ रहा है देखो उसके चेहरे को देखो कितना सुख मिल रहा है उसे

कामया ने देखा था हाँ… सही है उसके चेहरे को देखकर कोई भी कह सकता था कि उसे जो चाहिए था उसे मिल रहा था वो बड़े मजे से उनके लिंग को चूसती जा रही थी अपनी योनि को और गुदाद्वार के अंदर तक हर एक धक्के को बर्दास्त भी करती जा रही थी और अपने अंदर के उफ्फान को शांत करती जा रही थी वो चारों पुरुष मिलकर एक के बाद एक अपनी पोजीशन भी चेंज करते जा रहे थे और वो औरत भी उसका साथ दे रही थी उसको देखकर ही लगता था कि आज जो सुख वो भोग रही थी वो उसे अच्छे से और बड़े ही तरीके से भोग कर जाना चाहती है

उसे भी कोई जल्दी नहीं है हर किसी को वो अपने अंदर तक समा लेना चाहती है कामया देख रही थी पर अपने हाथों पर काबू नहीं रख पा रही थी और पास बैठे गुरु जी के सीने को अपने हाथों से रगड़ती हुई उनसे सट कर बैठी थी गुरु जी भी उसे अपने से सटा कर धीरे-धीरे उसके चुचों की ओर अपने हाथ ले जा रहे थे कामया ने जैसे ही देखा कि गुरुजी उसके चुचों की ओर अपनी हाथ ले जा रहे थे उसने खुद ही अपने कंधों से अपने ड्रेस को उतार दिया और गुरुजी को एक खुला निमंत्रण दे डाला

गुरु जी हँसते हुए कामया की ओर देखे और धीरे से उसके होंठों को अपने होंठों के अंदर लेकर धीरे-धीरे चुबलने लगे थे
कामया की आखें बंद हो रही थी वो सेक्स के सागर में डूबने लगी थी और देखते ही देखते वो खुद गुरुजी की गोद में बैठने लगी थी गुरु जी ने भी कोई आपत्ति नहीं की और अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़े हुए धीरे से उसके होंठों को अपने होंठों से दबाए हुए उसके गोल गोल चुचों को बहुत ही धीरे-धीरे मसलने लगे थे गुरु जी बिल्कुल उत्तावाले नहीं थे उतावली तो कामया थी चाह कर भी वो अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पा रही थी आधी गुरु जी की गोद में और आधी लेटी हुई कामया अपने होंठों को उठाकर गुरुजी को न्योता दे रही थी गुरुजी भी धीरे से अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ कर फिर से उसके होंठों को चुबलने लगे थे कामया आखें बंद किए हुए गुरुजी के हाथों का आनंद लेती हुई अपनी जीब को धीरे से गुरुजी की जीब से मिलाने की कोशिश में लगी थी
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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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गुरुजी भी अब धीरे धीरे अपने आपको कामया के सुपुर्द करते जा रहे थे एक नजर अपने सामने वाली दीवाल पर डाले हुए अपनी बाहों में कामया को समेटने लगे थे कामया तो पूरी तरह से गुरुजी के सुपुर्द थी और बिना कुछ सोचे अपनी काम अग्नि को शांत करने की जुगत में लगी थी कामया का दिल तो कर रहा था कि गुरुजी को पटक कर उनके ऊपर चढ़ जाए पर एक शरम और झीजक के चलते वो अपने आपको रोके हुई थी

गुरुजी भी बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे कोई जल्दी नहीं थी उन्हें अपने एक हाथ के बाद दूसरे हाथ को भी वो अब कामया की चूचियां पर रखते हुए उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराते हुए उसे पूरी तरह से अपनी ओर खींच लिया था अब कामया बिल्कुल उनकी गोद में बैठी हुई थी उसका ऊपर का कपड़ा खुला हुआ था और कमर पर बँधे हुए चैन की वजह से वो कपड़ा अटका हुआ था पर किसी काम का नहीं था नीचे से सबकुछ उठा हुआ था और कोई भी अंग कपड़े से ढँका हुआ नहीं था पूरा शरीर साफ-साफ दिख रहा था और हर अंग सेक्स की आग में डूबा हुआ गुरु से आग्रह करता नजर आता था कि शांत करो और अपनी भूख को मिटाओ गुरुजी ने अपनी गोद में लिए कामया को एक बार उसकी ठोडी पकड़कर दीवाल की ओर नजर डालने को कहा

कामया ने जब उस ओर देखा तो वो औरत एक मर्द के ऊपर लेटी हुई थी और पीछे से उसकी गुदा द्वार पर वो लंड घुसाए हुए था ऊपर का मर्द उसकी योनि के अंदर था और साथ के दो मर्द उसके आजू बाजू में खड़े हुए अपने लिंग को उसके हाथों में पकड़ाए हुए उसकी चुचियों पर घिस रहे थे और मंदिरा और रूपसा अपनी योनि को एक-एक करके उसके होंठों पर घिस रही थी रूपसा और मंदिरा पास खड़े उन दो मर्दो को भी छू रही थी और उनके शरीर से भी खेलती थी और वो औरत तो बेसूध सी पूरे खेल का आनंद ले रही थी क्या सेक्स का तरीका था उसका कितना सेक्सी और काम की उतावली थी वो देखते ही बनता था उसे कामया भी उसे देखकर और भी उत्तेजित हो गई थी झट से घूमकर एक बार फिर से गुरुजी की ओर बड़े ही सेक्सी तरीके से देखा था और

कामया- बस गुरुजी और मत तड़पाओ मुझसे नहीं रुका जा रहा है मुझे शांत कीजिए प्लीज

गुरुजी- इस तरह से कर पाओगी सखी तुम हाँ…
और उसकी ओर देखते हुए धीरे से उसकी होंठों को चूम लिया था और एकटक उसकी ओर देखते रहे थे कामया को समझ नहीं आया था कि क्या जबाब दे पर अपने हाथों को गुरुजी के गालों पर घुमाकर सिर्फ़ देखती रही थी अर्ध नग्न आवस्था में बैठी हुई वो नहीं जानती थी क्या कहे

गुरुजी- अपने अंदर सेक्स की इच्छा इतना जगाओ कि तुम अपने आपको इस खेल में माहिर कर लो और हर मर्द तुम्हारे सामने हार जाए सखी तुम हमेशा से ही मेरी पसंद रही हो शादी के समय तुम्हारा फोटो दिखाया था मुझे ईश्वर ने तभी में जान गया था तुम क्या हो और कहाँ तक तुम जा सकती हो तभी आज तुम यहां हो मेरे पास नहीं तो उसी घर में रहती और तुम्हें यहां सिर्फ़ उस कमरे तक आने की इजाजत होती कहो जो मैंने सोचा है करोगी ना

कामया- जी … …
और गुरुजी से सटती हुई उनके होंठों पर फिर से टूट पड़ी थी गुरुजी अब तक अपनी धोती से आजाद नहीं हुए थे पर कामया की उंगलियां अब धीरे धीरे उनकी धोती तक पहुँच रही थी और कमर पर बँधी हुई धोती उसकी उंगलियों में उलझ रही थी अपने आपको उनकी गोद से ना उठाते हुए कामया ने उनकी धोती को खोल लिया था किसी तरह और अपनी जाँघो से उनके लिंग को दबाने लगी थी कामया की योनि तो जैसे झरने को तैयार थी पानी की हल्की सी धार उसमें से बहते हुए उसे पूरा गीलाकर चुकी थी

पर गुरुजी का लिंग अब भी ढीला ही था बहुत कुछ टेन्शन में नहीं दिख रहा था कामया एक बार गुरुजी की ओर देखती हुई धीरे से अपनी कमर को हिलाते हुए और उनके लिंग को अपनी जाँघो से दबाते हुए धीरे से नीचे की ओर होने लगी थी उसे पता था कि उसे क्या करना था और गुरुजी भी शायद जानते थे कि कामया अगला स्टेप क्या होगा वो वैसे ही मुस्कुराते हुए कामया की पीठ को सहलाते हुए उसे अपनी बाहों से आजाद करते रहे कामया ने धीरे-धीरे उनकी जाँघो के बीच में बैठी हुई अपनी उंगलियों से उनके लिंग को उठाकर एक बार देखा और धीरे से अपनी जीब को निकाल कर उसपर फेरा था अपनी निगाहे उठाकर एक बार गुरुजी की ओर देखते हुए वो फिर से अपनी जीब से उनके लिंग को धीरे-धीरे चूसती हुई अपने होंठों के बीच में ले गई थी उसकी आँखे गुरुजी पर ही टिकी हुई थी

उसकी नजर को देखकर साफ लगता था कि वो कितनी उत्तेजित थी और अपना हर प्रयास गुरुजी को उत्तेजित करने में लगाने वाली थी जो कुछ भी रूपसा और मंदिरा ने उसे सिखाया हुआ था वो करने को बेताब थी उस कमरे में होने वाले खेल को वो इस कमरे में जीवित करना चाहती थी पर गुरुजी के चहरे पर कोई उत्तेजना उसे दिखाई नहीं दे रही थी पर बिना थके वो अपनी आखें गुरुजी पर टिकाए हुए उनके लिंग को धीरे-धीरे अपने होंठों और जीब से चूमते हुए उनकी जाँघो को अपने हाथों से और अपनी चूचियां से सहलाते जा रही थी गुरुजी के पैरों के अंगूठे उसकी योनि को छू रहे थे बैठी बैठी कामया आपनी योनि को उनके उंगुठे पर घिसती रही और अपने अंदर की आग को और भड़काती रही थी गुरुजी की नजर भी कामया पर टिकी हुई थी और धीरे-धीरे वो भी कामया होंठों के सामने झुकने लगे थे थोड़ा बहुत टेन्शन अब उनके लिंग में आने लगा था अपने उंगुठे से कामया की योनि को छेड़ने में उन्हें बड़ा मज आ रहा था

कामया अपने पूरे जतन से गुरुजी के लिंग को चूसे जा रही थी और बीच बीच में अपने दाँत भी हल्के से गढ़ा देती थी गुरुजी हल्का सा झटका खाते थे तो कामया को बड़ा मजा आता था आखों में मस्ती लिए हुए थोड़ा सा मुस्कुराते हुए गुरुजी के लिंग से खेलती हुई कामया अब गुरुजी के सीने को भी हथेली से सहलाते हुए धीरे से उठी और उनके सीने को चूमती रही अपनी चुचियों से गुरुजी के लिंग को स्पर्श करती हुई कामया उनके निपल्स को अपने होंठों के बीच में लिए हुए चूमती जा रही थी जीब से चुभलते हुए उनपर भी दाँत गढ़ा देती थी गुरुजी अब तैयारी में थे पर कामया का इस तरह से उनके साथ खेलना उन्हें भी अच्छा लग रहा था अपनी सखी को अपने घुटनों के पास इस तरह से बैठे और उनको चूमते हुए वो देखते रहे अपने हाथों को धीरे से कामया की चुचियों पर रखा था उन्होंने फिर धीरे से मसलते हुए नीचे झुके थे और कामया के होंठों को अपने होंठो में दबा लिया था एक हल्की सी सिसकारी भरती हुई कामया उनके गले में लटक गई थी और अपनी जीब को उनकी जीब से मिलाते हुए उनके सीने में अपने आपको रगड़ती हुई जोर-जोर से सांसें ले रही थी गुरुजी की पकड़ अब उसके चुचो पर थोड़ा सा कस गई थी और कामया को अपने ऊपर गर्व हो रहा था वो अपने सामने गुरुजी को झुकाने में सफल हो गई थी कामया पूरे मन से तन से और अपने सारे हुनर से गुरुजी को खुश करने में लगी थी हर एक कदम वो संभाल कर और बड़े नजाकत से रखती हुई गुरुजी के चुंबन का जबाब देती जा रही थी गुरुजी भी थोड़ा बहुत आवेश में आ गए थे और धीरे से कामया को पकड़कर वही आसन में अढ़लेटा सा करते हुए उसके होंठों को चूम रहे थे कामया की जांघे खुलकर गुरजी के चारो ओर कसती जा रही थी और उनके लिंग का स्पर्श अब उसके योनि द्वार पर होने लगा था आम्या अपने अंदर उस लिंग को जल्दी से ले जाना चाहती थी

गुरु जी- बहुत उत्तावाली हो जाती हो सखी तुम इतना उत्तावाली होना अच्छा नहीं है तुम्हें तो शांत रहना चाहिए

कामया- बस गुरुजीी बहुत हो गया प्लीज अब अंदर कर दीजिए बहुत तड़प गई हूँ प्लीज

और कहते हुए अपने होंठ वापस गुरुजी से जोड़ लिए थे गुरुजी भी उसे शांत करने में लग गये थे और धीरे बहुत धीरे से अपने लिंग को अंदर पहुचाने में लग गये थे गुरुजी जिस तरह से कामया को सिड्यूस कर रहे थे कामया सह नहीं पा रही थी अपनी कमर के एक झटके से ही उसने गुरुजी के लिंग को आधे से ज्यादा अपने अंदर उतार लिया था

कामया- आआआआअह्ह बस अब करते रहिए प्लीज जल्दी-जल्दी

गुरुजी उसे देखकर मुस्कुराए और आधी जमीन पर और आधी आसन पर पड़ी हुई कामया को एक बार नीचे से ऊपर तक देखा था बिल्कुल गोरा रंग और सचे में ढाला शरीर अब उसके हाथों में था वो जैसा चाहे इसे भोग सकते है और जब चाहे तब

गुरुजी- बस थोड़ा सा और रूको सखी वहां देखो उस महिला को कितना आनंद ले रही है

कामया की नजर एक बार फिर से दीवाल पर गई थी वो औरत अब झड़ चुकी थी और वो चारो पुरुष उसे अभी रौंद रहे थे कोई उसके मुख में घुसा रहा था तो कोई उसके हाथों के साथ साथ उसके शरीर में अपना लिंग घिस रहा था दो जने तो निरंतर उसके योनि और गुदा द्वार पर हमलाकर ही रहे थे


एक नजर देखकर कामया ने फिर से अपनी कमर को एक झटके से ऊपर उठाकर गुरुजी के लिंग को पूरा का पूरा अपने अंदर समा लिया था और कस कर गुरुजी को पकड़ लिया

कामया- बस करते रहिए गुरुजी नहीं तो में पागल हो जाऊँगी प्लीज गुरुजी प्लेआस्ीईईईईई

इतने में गुरुजी ने भी उसे थोड़ा सा ठंडा किया और एक जोर दार झटका उसके अंदर तक कर ही दिया

गुरुजी- लो अब सम्भालो मुझे तुम नहीं मनोगी

कामया- नहीं अब और नहीं प्लेआस्ीईई करते रहिए

गुरुजी- घबराओ नहीं सखी तुम्हें ऐसे नहीं छोड़ूँगा शांत किए बिना नहीं छोड़ूँगा
और गुरुजी ने आवेश में आते ही कामया को कसकर पकड़कर अपनी बाहों में भर लिया था और अढ़लेटी सी कामया की योनि पर प्रहार पर प्रहार करने लगे थे कामया तो बस कुछ ना कहते हुए अपनी जाँघो को खोलकर गुरुजी के प्रसाद का मजा लेने लगी थी वो इतना कामुक थी और उत्तेजित थी कि उसे अपने आपको रोक पाना बिल्कुल मुश्किल हो रहा था गुरुजी के लिंग का हर धक्का उसकी योनि के आखिरी छोर तक जाता था और उनकी पकड़ भी इतनी सख्त थी कि वो हिल भी नहीं पा रही थी पर मजा बहुत आरहा था गुरुजी का वहशीपन अब उसके सामने था वो कितना शांत और सभी बनते थे वो अब उसके सामने खुल गया था पर हाँ… उनके सेक्स का तरीका सबसे जुदा था वो जानते थे कि औरत को कैसे खुश किया जाता है उसे किस तरह आवेश में लाया जाता है और किस तरह उसे तड़पाया जाता है

वो निरंतर हर धक्के में गुरुजी के बाहों में कस्ती जा रही थी सांसें लेना भी दूभर हो रहा था सिर्फ़ अपने शारीर को शांत करने की इच्छा में वो हर तरह का कष्ट सहने को तैयार थी और गुरुजी उसका पूरा इश्तेमाल भी कर रहे थे

गुरुजी की पकड़ में वो हिल भी नहीं हो पा रही थी

कामया- हमम्म्मम प्लीज़ और बस

गुरुजी- बोलो सखी यह मजा और कही आया है तुम्हें

कामया- नही और करो प्लीज ईईएआआओउुउउर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर हमम्म्ममम सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह

गुरुजी- कामेश से भी नहीं हाँ…

कामया-, नही

गुरुजी- और किसी और के साथ

कामया- नही

गुरुजी- और किसके साथ किया है तुमने बोलो हाँ… आआह्ह

कामया- …
गुरुजी- कहो नहीं तो रुक जाउन्गा

कामया- नही प्लीज रुकिये नहीं प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज करते रहिए मेरा ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
और कामया ने कस कर गुरुजी को अपनी जकड़ में ले लिया था और अपने शरीर का हर हिस्सा गुरु जी से मिलाने की कोशिश करने लगी थी

कामया तो शांत हो गई थी पर गुरुजी अभी शांत नहीं हो रहे थे वो कामया के झड़ने के बाद तो जैसे और आक्रामक हो गये थे अपनी बाहों में कामया के नाजुक और ढीले पड़े हुए शरीर को कस लिया था और लगातार झटके पे झटके देते रहे निचोड़ कर रख दिया था उन्होंने कामया को और जबरदस्त तरीके से उसे चूसते हुए बिल्कुल उसकी चिंता नहीं करते हुए अपने आपको शांत करने में लगे थे कामया उनके नीचे दबी हुई अब अपने आपको छुड़ाने की कोशिश भी कर रही थी पर उसकी हालत ऐसी नहीं थी आधी लेटी हुई और आधी नीचे की ओर होने से उसे बलेन्स नहीं मिल रहा था और किसी तरह से गुरुजी की बाहों का सहारा ही उसे लेना पड़ रहा था और इतने में शायद गुरुजी भी अपने अंतिम पड़ाव की ओर आ गये थे कि अचानक ही उन्होंने अपने लिंग को निकाल कर एक ही झटके में कामया को नीचे गिरा लिया और उसके होंठों के अंदर अपने लिंग को जबर दस्ती घुसा दिया था एक रेप की तरह था वो कामया कुछ कहती या करती उससे पहले ही गुरुजी का लिंग उसके गले तक पहुँचजाता था और फिर थोड़ा सा बाहर की ओर आते ही फिर से अंदर की ओर हो जाता था कामया नीचे पड़ी हुई गुरुजी की ओर देखते हुए कुछ आखों से मना करती पर गुरुजी अपनी आखें बंद किए हुए जोर-जोर से उसके सिर को पकड़कर अपने लिंग में आगे पछे की ओर करते रहे कि अचानक उनके लिंग से ढेर सारा वीर्य उसके गले में उतर गया कामया अपने आपको छुड़ाना चाहती थी पर गुरुजी की पकड़ इतनी मजबूत थी की उसे पूरा का पूरा वीर्य निगलने के अलावा कोई चारा नहीं था गुरुजी अब उसके सिर पर से अपनी गिरफ़्त ढीली करके साइड में बैठ गये थे

कामया थक कर नीचे ही लेटी हुई थी और गुरुजी की पीठ पर टिकी हुई थी गुरुजी भी नीचे ही बैठे थे सांसों को कंट्रोल करते हुए कामया के कानों में गुरुजी की आवाज टकराई थी

गुरुजी- इस सेक्स को जितना गंदे और आक्रामकता से खेलोगी इसमें उतना ही मजा आता है अपने अंदर के गुस्से को और हवस को शांत करने का यही तरीका है सखी

कामया को यह आवाज बहुत दूर से आती सुनाई दी थी पर सच था यह उसे अच्छा लगा था आज गुरुजी के साथ बहुत तड़पाया था उन्होंने पर शांत करने का तरीका भी जुदा था लेटी हुई कामया को कुछ पैरों के जोड़े दिखाई दिए थे पास में आके रुक गये थे और पहले गुरु जी को सहारा देकर उठाया था फिर कामया को वही चेयर में बिठाकर दूसरे कमरे की ओर ले चले थे

कामया जो देख पा रही थी वो था कुछ महिलाए और बड़े-बड़े कमरो के बीच से होकर निकलना कामया बेसूध टाइप की थी अपने आपको अब तक संभाल नहीं आई थी पर अचानक ही उसे अपने नहाने वाले कमरे में ले जाते हुए देखकर वो थोड़ा सा निसचिंत हो गई थी थोड़ी देर बाद वो उस कुंड में थी और सभी महिलाए उसे फिर से नहलाने में जुटी हुई थी रूपसा और मंदिरा भी वहां आ गई थी हाथों में एक ग्लास लिए हुए उसमें वही पेय था जो वो लगातार यहां आने के बाद से पीते चली आई थी
नहाने के बाद और वो पेय पदार्थ पीने के बाद कामया फिर से तरोताजा हो उठी थी एकदम फ्रेश अपने अंगो को और अपने शरीर को ढँकते समय उसने देखा था कि वो अब भी बहुत सुंदर है और हर अंग एक नई ताज़गी लिए हुए था कमरे में उसे खाना भी सर्व किया गया और पेय पीने के बाद उसे आराम करने को कहा गया था
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