बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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भोला का एक हाथ उसके बाजू से होकर चुचियों पर भी आ गया था और धीरे-धीरे उसके निपल्स को छेड़ रहे थे भोला की हरकतें अब स्थिर थी और नहीं ज्यादा आग्रेसिवे थी और नहीं ज्यादा कड़कपन था कामया को अच्छा लग रहा था उसे अंदर की आग को भड़काने में उसे मजा आ रहा था और बस अब एक ही इच्छा थी कि भोला फिर से उसके अंदर उतर जाए और जल्दी ही नहीं तो वो खुद उसे खींच लेगी पर भोला की हालत भी अब ज्यादा ठीक नहीं थी जिस तम्माना से वो वहां था वो उसे पूरा कर लेना चाहता था वो धीरे से अपने आपको बाथटब के अंदर उतार दिया और कामया के नीचे की ओर से उसको पकड़कर अपने आपसे सटा कर धीरे धीरे पानी में बैठने लगा था उसका लिंग कामया के होंठों से छूट कर उसके पूरे शरीर को छूते हुए अपने मुकाम की और बढ़ा था गले से लेकर सीने के हर हिस्से को छूते हुए और नाभि से लेकर उसके जाँघो के बीच से अपने रास्ते की तलाश में वो पहुँच गया था भोला की सख़्त सी बाँहे अब कामया को जकड़कर अपने ऊपर की और बैठाकर उसे अपने से जोड़े रखा था और धीरे-धीरे उसके होंठों का रस पान करते हुए अपने लिंग को धीरे से इंतजार करते हुए योनि के अंदर बहुत ही धीरे-धीरे से उतारता चला गया

एक हल्की सी आह निकली थी कामया के मुख से और उसके होंठों ने फिर से भोला के होंठों पर कब्जा जमा लिया था हर धक्का अब उसके अंदर तक उतर रहा था और धक्के के साथ ही एक हल्की सी आहह भी भोला के मुख में कही गुम हो जाती थी पर कामया को कोई दिक्कत नहीं थी वो और भी आ करके उसके ऊपर बैठ गई थी ताकि उसकी चोट ठीक से और सटीक लगे भोला भी अपनी बाहों में कामया को कसे हुए धीरे-धीरेधक्के लगाता जा रहा था और अपने लिंग को अंदर और अंदर तक उतारता जा रहा था उसे बहुत मजा आने लगा था जिस शरीर की उसने इतने साल तम्माना की थी आज उसका भाग्य जाग उठा था उसी शरीर को वो जैसे चाहे वैसे भोग सकता था और जितना चाहे वो उसके साथ खेल सकता था वो उत्तेजित तो था पर वो इंतजार करना चाहता था बहुत देर तक वो कामया मेमसाहब के अंदर रहना चाहता था और वैसे ही उसके नरम और कोमल शरीर को अपने शरीर के साथ जोड़े रखना चाहता था वो अपने माथे को मेमसाहब के कंधे पर ले गया था और कामया ने भी अब भोला के सिर को कस्स कर पकड़ रखा था पता नहीं कहाँ से इतना जोर आ गया था कि वो अपनी बाहों से उसके सिर को जाने ही नहीं देना चाहती थी उसकी पकड़ में इतनी मजबूती थी कि भोला को ही अपना चेहरा हाथ कर या फिर इधर उधर करते हुए सांस लेने के लिए जगह बनानी पड़ रही थी पर वो खुश था और अपने माथे को उसके कंधे पर रखे हुए धीरे-धीरे अपनी कमर को चला रहा था उसका हर धक्का कामया के अंतर मन को झंझोर देती थी थकि हुई कामया के अंदर का हर हिस्सा झलक जाता था हर अंग में एक नई उर्जा उत्पन्न हो जाती थी वो भोला को और भी कस्स कर पा लेती थी और अपने कमर को अऔर भी आगे करते हुए उसकी चोट को अंदर तक उतार लेने की कोशिश करती थी भोला को भी कामया का इस तरह से साथ देना बहुत अच्छा और परम सुख दाईं लग रहा था वो जानता था कि कामया मेम्साब एक अंदर जो आग है वो उसके हाथों से ही भुझेगी पर कब यह वो नहीं जानता था पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि कामया हर दम तैयार मिलेगी उसे

वो अपने दोनों हाथों से कामया की पीठ का हर कोना टटोल चुका था और अब अपने हाथों को उसके कंधों के ऊपर और एक हाथ को उसके नितंबो के ऊपर रखकर अपने आपसे जोड़े रखा था और अपनी धक्कों की रफ़्तार को धीरे-धीरे बढ़ाने लगा था अब तो कामया की कमर को भी वो अपनी जाँघो पर टिकने नहीं दे रहा था और नहीं कामया ही उसकी जाँघो पर टिक रही थी उसकी भी हालत लगता था कि भोला के जैसी हो गई थी वो भी थोड़ा सा उठकर भोला के हर धक्के को उपने अंदर समा लेने को तैयार थी और भोला के कंधे पर लटकी हुई थी वो उसके माथे को कसकर पकड़े हुए अपनी कमर को थोड़ा सा उचका करके भोला को जगह बना के देना चाहती थी, कि करो और करो
कामया- आअह्ह प्लीज बस रुखना नहीं बस रुखना नहीं और जोर से और जोर से
भोला- मेमसाहब ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब आआआआआआआआह्ह
कामया-- रुकना नहीं प्लीज थोड़ी देर और प्लीज
भोला- मेमसाहब कितनी खूबसूरत हो आप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प कितनी प्यारी हो आप
लगता था कि जैसे भोला अपने मन की बातें अभी ही कामया को बता देना चाहता था पर कामया के कानो में कोई बातें नहीं जा रही थी उसका तो पूरा ध्यान भोला के लिंग की तरफ था जो कि अब तो दोगुनी रफ़्तार से उसके अंदर-बाहर हो रहा आता

कामया- बस स्बस सस्स्शह अह्हहहहहहहह उूुुुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममम

और कामया एक झटके से उसके गले में लटक गई थी और हर धक्के को फिर से उपने अंदर तक उतारने के लिए जो कि उसने आपने आपको उठा रखा था धीरे-धीरे बैठने लगी थी पर पकड़ अब भी उतनी ही सख़्त थी और सांसों का चलना तो जैसे कई गुना बढ़ गया था वो स्थिर रहने की कोशिश कर रही थी पर भोला के धक्के पर हर बार उचक जाती थी अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए वो और भी जोर से भोला के गले के चारो और अपनी पकड़ बनाए हुए थी और उसको उसके मुकाम पर पहुँचाने की कोशिश करती जा रही थी


वो नहीं चाहती थी कि भोला को बीच में ही छोड़ दे पर हिम्मत और ताकत की कमी थी उसमें थकि हुई थी और हर एक धक्का जो कि भोला की कमर से लग रही थी हिल सी जाती थी वो हर धक्के पर उसका बंधन चूत जाता था और बहुत रोकने पर भी उचक कर उसके माथे से ऊपर चली जाती थी भोला को भी उसकी परिस्थिति समझ में आ रही थी पर वो अपने अंदर जाग उठे हैवान से लड़ रहा था और बहुत ही धीरज से काम ले रहा था पर कामया के झरने से और उसके निढाल हो जाने से उसके अंतर मन को शांति नहीं मिल रही थी वो जो चाहता था वो नहीं हो पा रहा था वो एक बार अपने होंठों को कामया के गालों से लेकर उसके होंठों तक घुमाकर कामया को फिर से उत्साहित करने की कोशिश करता रहा पर.........

कामया तो जैसे धीरे-धीरे निढाल सी होती जा रही थी और अपना शरीर का पूरा भार भोला के ऊपर छोड़ कर अपनी ही दुनियां में कही खो जाना चाहती थी पर भोला अपने मन की किए बगैर कहाँ मानने वाला था अपने दोनों टांगों को जोड़ कर वो एक बार उकड़ू बैठ गया और कामया को अपनी गोद में चढ़ा कर वो उसे टब में लिटाने लगा था ताकि वो अपनी जिद पूरी कर सके पर जैसे ही वो कामया लिटाया था कामया का मुँह पानी में डूबने से एक झटके से उठकर भोला के गले से लिपट गई थी

भोला को समझ में आ गया था कि अब आगे क्या करना है वो धीरे से टब का स्टॉपर निकाल कर शावर का नॉब चालू कर दिया और कामया को फिर से लिटा दिया था अब वो आजाद था कामया के शरीर को एक बार अपने लिंग को घुसाए हुए योनि की ओर देखता हुआ पानी की एक-एक बूँद उसके शरीर को छूकर टब पर वापस कही खो जाते हुए देखता रहा और वो एक बार फिर से उसके ऊपर झुक गया था और कामया की एक टाँग को टब से बाहर निकाल कर लटका दिया था और दूसरी को वाल और टब के ऊपर टिकाकर अपने लिए रास्ता बना लिया था अब वो आजाद था



अपने मन की करने को कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी कामया ने ना ही कोई ना नुकर हाँ… एक शांति जरूर मिली थी कामया को लेटने से ऊपर से गरम पानी की बौछार अब धीरे-धीरे रुक गई थी वो अब डाइरेक्ट उसके ऊपर नहीं गिर रही थी अब वो भोला को छूते हुए उसके ऊपर गिर रही थी और वो उसके शरीर से छूकर आते हुए पानी को पी भी रही थी थकी हुई थी और प्यासी भी पर इस पानी का स्वाद कुछ अलग था शायद भोला के शरीर की गंध उसमें मिली हुई थी और एक अजीब सा नशा भी था

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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भोला अपने आपको व्यवस्थित करते हुए अपने काम को अंजाम तक पहुँचने में लग गया था और धीरे-धीरे अपने आपको संयम करता हुआ अपने आपको कामया की योनि के अंदर-बाहर पहले धीरे से फिर अपनी स्पीड को निरंतर बढ़ाते हुए अपनी पूरी जान उसमें झौंक दिया था

कामया का शरीर साथ नहीं दे रहा था पर उसका अंतर मन पूरी तरह से भोला का एक बार फिर से साथ देने लगा था उसके झड़ने के बाद से ही वो जो अपना साथ छोड़ चुकी थी वो अब फिर से धीरे-धीरे भोला के हर धक्के के साथ एक बार फिर से जागने लगा था पर हाथ पाँव उसका साथ नहीं दे रहे थे पर शायद मन नहीं भरा था या कहिए कि मन कही भरता है वो तो शरीर साथ नहीं देता पर मन कभी नहीं भरता यही स्थिति थी कामया की हर धक्का उसके अंदर एक उफ्फान को जनम देने लगा था और वो लेटे लेटे अपनी योनि की हलचल को संभालती हुई एक सफर की ओर ना चाहते हुए भी चलने लगी थी भोला का
आमानुष उसके निढालपन ने बढ़ा दिया था शायद हर आदमी में यह बात होती है शायद जीत की खुशी या फिर अपने पुरुसार्थ को दिखाने की खुशी में वो निरंतर आग्रेसिवे होता जा रहा था हर धक्का बहुत ही तेज और कामया को हिला देने वाला होता था

एक हुंकार के साथ-साथ एक मजबूत सी पकड़ वो निरंतर बढ़ाए हुए था लगता था कि उसके हाथों से कही कामया छूट नहीं जाए पर कामया कहाँ तक छूटेगी वो तो एक बार फिर से उसके बंधन में एक नये और परम सुख के सागर में गोते लगाने को तैयार हो रही थी भोला की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो चाह कर भी अपने मुख से कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी पर उसके कानों में एक दरिंदे की सांसों की और कुछ कहने की आवाज उसे लगातार सुनाई दे रही थी

भोला- बस हो गया मेमसाब, बस, थोड़ी देर और र्र उूुउउफफफफफ्फ़

कामया- (सिर्फ़) उूुउउम्म्म्ममम और सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह



अलावा कुछ नहीं कह पा रही थी पर हाँ… उसे कहने की जरूरत भी नहीं थी जिसे कहा था वो कह रहा था ऊपर से गिरते हुए गरम पानी का स्वाद वो ले रही थी और नीचे से एक अलग स्वाद अपने दोनों जोड़ी होंठों से एक-एक करके अलग अलग स्वाद को चख रही थी कामया और एक बार फिर से अपने आपको संभालने की कोशिश करती जा रही थी अब तो धीरे-धीरे उसकी दोनों बाँहे भी भोला के कंधे से होकर उसकी गर्दन के चारो ओर घूमकर उसे अपने आपसे जोड़े रखना चाहती थी और भोला का जानवर अब कोई रहम और आराम के मूड में नहीं था वो लगातार स्पीड से अपने आपको उस मुकाम में पहुँचा देना चाहता था वो लगातार कामया को अपनी बाहों में जकड़े हुए वो अपने आपको पहुँचाने की कोशिश में लगा था उसके मन की हर इच्छाओ को पूरी कर लेना चाहता था वो कभी कभी कामया को पकड़कर निचोड़ता तो कभी उसे छोड़ कर उसकी चुचियों पर
अपने होंठों को रखकर उसका रसपान करता और कभी अपनी स्पीड को मेनटेन करने के लिए फिर से एक गति बनाता हुआ उसे कस कर पकड़ लेता और अपनी कमर को हिलाता हुआ उसके अंदर तक उतर जाता था इसी तरह से करते हुए भोला की जकड कर कामया अपने आपको नहीं रोक सकी और वो धीरे होने लगी थी और भोला भी पर भोला ने एक ही झटके में उसे उठा कर फिर से अपनी गोद में बिठा लिया था और हर धक्का उसके अंदर तक उसके पेट के कही अंदर तक पहुँचने की कोशिश में लगा हुआ था वो जानता था कि अब वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है पर वो हर कुछ कर लेना चाहता था पता नहीं क्या पर हर कुछ करना चाहता था और वो कर भी रहा था अपनी गोद में बिठाए हुए वो कभी कामया को कस कर पकड़ता हुआ अपने आपसे जोड़े रखता था और कभी एक हाथ से उसकी चुचियों को निचोड़ देता था तो कभी उसके नितंबो पर हाथों से एक बार मारता हुआ उसे और पास खींचने की कोशिश करता था


वो क्या करे नहीं जानता था पर एक बात जानता था कि वो अब झड़ने वाला था वो अब ज्यादा देर नहीं रुक सकता था एक ही झटके में वो टब में ही खड़ा हुआ कामया को लेकर वो बाथटब के बाहर की ओर खड़ा होकर कामया को गोद में लेकर उसकी योनि पर वार करने लगा था पर ज्यादा देर नहीं कर पाया और तीन चार झटके में ही वो झड़ने लगा था वो टब के किनारे बैठ गया था और फिर से अपनी स्पीड को कायम रखने की कोशिश करता रहा कामया फिर से लटक गई थी उसके कंधो पर शायद वो भी झड़ चुकी थी और उसमें जान नही बची थी जोश और होश दोनों ही खो चुकी थी वो पर हर धक्के में हिलती जरूर थी और एक आहह सी निकलती थी उसके मुख से दर्द की या शांति की यह नहीं पता पर भोला तो अपने काम को अंजाम दे रहा था उसके कोई फरक नहीं पड़ता था कि कामया कैसे कर रही थी उसे तो अपनी चिंता थी वो अपने आपको झड़ते हुए अपने मन की पूरी तम्माना को पूरी कर लेना चाहता था


वो आज बहुत थक चुका था और जान उसमें भी नहीं बची हुई थी सो वो भी अपने मुकाम में पहुँचने के बाद थोड़ी देर आराम करना चाहता था कामया का शरीर अब उसका साथ नहीं दे रहा था और ना ही उसकी पकड़ ही उसके गले के चारो ओर कसा हुआ था वो अब ढीला पड़ गया था



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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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भोला भी थक कर चूर हो गया था वो झरने के बाद अपने होंठों से कामया के होंठों को ढूँढते हुए उनको गिरफ़्त में लेकर एक बार फिर से चुबलने लगा था उसके लिंग की आखिरी बूँद भी नीचूड़ गया था कामया के अंदर तक बाथ टब पर अब भी शावर चल रहा था भोला एक-एक करके अपने पैरों को फिर से अंदर की ओर ले गया और धीरे से कामया अपनी गोद से ना उतारते हुए वो खुद ही टब पर बैठ गया था गरम-गरम पानी अब उसके अंदर जा धीरे धीरे सेंक रहा था कामया उसके ऊपर लेटी हुई थी एकदम निढाल सी और सोई हुई सी कोई जान नहीं बची थी उसमें एकदम लस्तपस्त सी भोला के हाथ धीरे-धीरे उसके शरीर के हर कोने में घूमते हुए उसके शरीर का एक बार जायजा ले रहे थे जैसे कि जानने की कोशिश कर रहे थे हाँ… यही वो शरीर है जिसे उसने भोगा था कामया और भोला बहुत देर तक उसे बाथ टब मे बैठे रहे कोई नहीं हिला और नहीं कुछ कहा ही पर भोला थोड़ी देर बाद अपने लिंग को कामया के नीचे से निकाल कर जितना हो सके कामया के शरीर को पानी से धोया और उठकर नंगा ही बाथरोब ले आया और कामया को टब से निकाल कर बाहर खड़ा किया कामया के शारी मे जान ही नहीं थी की खड़ी होसके

भोला- मेमसाहब

कामया- हाँ… सस्स्स्स्स्स्स्स्स्शह
और भोला के कंधे पर सिर रखते हुए एक असीम नींद के सागर में खो गई थी वही खड़े-खड़े पर हाँ इतना याद था उसे कि भोला उसे उठा कर वाशबेसिन के साथ वाले प्लॅटफार्म में बैठा कर बड़े ही जतन से उसे बाथरोब पहनाया था और फिर अपनी गोद में लेकर जैसे बाथरूम में ले गया था एक बार फिर से उसके रूम में ले आया था रूम में ठंडा था एसी चलने के कारण एकदम वातावरम में चेंज आने से कामया जाग सी गई थी पर अपने आपको एक मजबूत गिरफ़्त में पाकर फिर अपने आपको ढीला छोड़ दिया था उसने आपने आपको बेड पर लिटाते हुए भी महसूस किया था और फिर एक कंबल से ढँकते हुए भी और फिर एक लंबा सा किस उसके गालों में और फिर होंठों पर बहुत देर तक पर वो कुछ नहीं कर पाई थी नहीं कुछ कर पाने की इच्छा ही थी उसके अंदर वो तो बस महसूस ही कर सकती थी अब फिर भोला धीरे धीरे कमरे से बाहर चला गया था



कामया एक सुख के सागर में गोते लगाकर अपने आपको भूल चुकी थी वो नहीं जानती थी कि वो कहाँ है और क्या हो रहा था हाँ… एक बात साफ थी वो इतना कभी नहीं थकि थी कि अपनी आखें तक खोल नहीं पा रही थी सेक्स में इतना सुख था वो जानती थी पर इतना कि उसको होश नहीं था कि वो कहाँ है और ना वो सोच ही पा रही थी नींद के आगोश में उसे पता ही नहीं चला कि कब सो गई और कब सुबह हो गई थी पर फोन की घंटी से वो जागी थी आखें खुल नहीं रही थी तकिये के नीचे था शायद फोन जो लगातार बज रहा था अपनी आखें ना खोलते हुए उसने फोन को उठाया था ना देखते हुए ही

कामया- हेल लो

कामेश- सो रही हो

कामया- हाँ…

कामया के अंदर से कही दूर से आवाज निकली थी शरीर में जान ही नहीं थी एक अजीब तरह की थकान थी आखें भारी थी और तन बेसूध था जैसे उलट कर पड़ी थी वैसे ही बातें करने की कोशिश करती जा रही थी कामेश की बातें भी ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी उसे फिर भी

कामेश- क्या बात है

कामया- नहीं कुछ नहीं बस

और एक बार थोड़ा सा अपने शरीर को खींचकर सीधा किया था कामया ने फिर अपने हाथ पैर फैलाकर आराम से लेट गई थी मुँह नीचे की ओर करते हुए सीने के बल एक टाँग को फैलाकर और दूसरे को नीचे से सीधा करते हुए एक हाथ में फोन लिए हुए वो कामेश से बातें कर रही थी

कामेश- नींद ठीक से नहीं हुई क्या रात को

कामया- हाँ…

कमीश- क्यों


कामया क्या जवाब देती चुप थी पर अचानक ही उसे अपने कमरे में किसी के होने का आभास हुआ था कौन था देखने की हिम्मत नहीं थी पर ये जरूर था कि एक बार अपने कपड़ों का ध्यान जरूर आया था पर फोन पर कामेश था और उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपने हाथ पैरों को हिलाकर वो अपने आपको ढँक सके


उसे पता था कि उसकी जांघे बिल्कुल नंगी है और शायद कंधे पर से भी खुला हुआ था पर एक सख़्त सी हथेली ने उसकी टांगों से लेकर जाँघो तक का सफर कब शुरू कर दिया था वो नहीं जान पाई थी पर आखें खुली ना थी उसकी और नहीं मुँह से कोई आवाज ही निकली थी उसकी बिना हीलेडूले वो वैसे ही पड़ी रही और उस हथेली को अपनी जाँघो तक के सफर के एहसास को अपने अंदर समेट-ती रही

उन हथेलियों में कोई जल्दी नहीं थी और नहीं कोई उतावला पन ही था बड़े ही आराम से वो हाथ अपने आप ही उसकी चिकनी और नरम और मुलायम सी त्वचा को स्पर्श करती हुई उसकी कमर तक आ पहुँची थी और फिर उसके नितंबों से भी गाउनको हटा कर उसके नितंबों पर हाथ घुमाने लगी थी कानों में कामेश की आवाज गूँज उठी थी

कामेश- फिर सो गई क्या

कामया--ना ही हुहह उउउम्म्म्मम

कामेश- सुनो यार में आ नहीं पा रहा हूँ आज का दिन और देख लो

कामया- उउउंम्म सस्स्शह क्यउउुउउ कहा आआ हह आ
उसके नितंबों को वो हथेली अच्छे से स्पर्श करते हुए एक-एक रोम को टटोल रही थी और उसकी जाँघो को अब तो वो किस भी करने लगा था ना चाहते हुए भी कामया के होंठों से एक लंबी से सिसकारी के साथ एक आहह भी निकली थी

कामेश- अरे यार बहुत नींद में लग रही हो

कामया- सस्शह नहियीई बोलो ऊऊुउउम्म्म्ममम

कामेश- सुनो तुम आज का दिन और देख लो फिर कल निकल जाना

कामया- हाँ… उउउम्म्म्म

कामेश- और सुनो वो ऋषि को थोड़ा काम से भेजना है कहाँ है वो

कामया- हाँ…

कामया के शरीर के नीचे का हिस्सा अब बिल्कुल नंगा था और वो दोनों हाथ उसके हर हिस्से को छूते हुए उसके अंदर एक आग को फिर से जनम दे रहे थे बहुत ही अच्छा और सुख दाई था वो एहसास कामया के लिए नींद में थी और उसके साथ कोई खेल रहा था भोला ही होगा सुबह सुबह आ गया कल रात को पता नहीं कितनी बार किया था थका तक नहीं सुबह सुबह फिर से

कामया- हाँ… कहा क्यों उउउंम्म सस्शह

कामेश- क्या हुआ कुछ बोलो तो बस हाँ हाँ कर रही हो

कामया- आप बोलो ना उउउम्म्म्ममम

कामेश---अच्छा ठीक है सो जाओ बाद में फोन करूँगा

कामया-नहीं बोलो उठ रही हूँ

और कामया को उठने की जरूरत नहीं थी वो खुद को पलटने की कोशिश ही करती कि उन बलिष्ठ हाथों ने उसे पलटा लिया था एकदम चित थी वो अब हाथों में फोन लिए हुए अपने आपको ढकने की कोशिश भी नहीं की थी उसने पता था कि कोशिश करने से कोई फ़ायदा नहीं था उसके बाथ रोब का सामने का हिस्सा भी खुला हुआ था और वो बिल्कुल चित सी अपनी दोनों जाँघो को थोड़ा सा जोड़ कर फेल कर लेटी हुई थी और भोला अपने काम में लगा हुआ था उसके अंगो को सहलाता हुआ और चाट-ता हुआ

बड़े ही इतमीनान से वो लगा हुआ था पर कामया को एक अजीब सी उत्तेजना के असीम सागर में धकेलते हुए वो अपने काम को अंजाम दे रहा था उसे कोई डर नहीं था कि मेमसाहब भैया से बातें कर रही है वो तो हमेशा से ही अपने काम को ठीक से अंजाम देता रहा था चाहे वो कोई भी काम हो वो अपनी एक उंगली को धीरे-धीरे उसकी योनि के लिप्स पर घुमाने लगा था और अपने होंठों को उसके चूचियां पर टिकाए हुए उन्हें धीरे से चूस रहा था

कामया होंठों से अपने तरीके से आवाज को दबाते हुए वो बिल्कुल नार्मल होकर कामेश से बातें करने लगी थी

कामया- हाँ… बोलो क्य्ाआअ हाईईईई

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Re: बड़े घर की बहू

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एक हल्की सी सांस फैंकती हुई उसकी आवाज निकली थी पर भोला को ना रोक सकी थी वो कामेश के होते हुए भी वो उसे नहीं हटा पाई थी जान नहीं थी उसके शरीर में या हटाना नहीं चाहती थी जो भी हो पर भोला अब भी वही था जहां वो चाहता था और कामया के शरीर से खेल रहा आता वो भी कामेश और मेमसाहब की बातें सुन रहा था

और अपने काम में लगा रहा कामया को भी इस बात की चिंता नहीं थी कि भोला क्या कर रहा था पर इस बात की चिंता ज्यादा थी कि कामेश क्या सोच रहा है

कामेश- यार थोड़ा सा उठकर मुँह धो लो नहीं तो सोते हुए ही बातें करोगी
कामया- नहियिइ बोलो ऊओ उउउम्म्म्मममम म्म्म्ममम
कामेश- वो ऋषि को वो फक्टरी भेज दो और कल का टिकेट बुक करने को भोला को भेज देना

कामया- हाँ… कामया के होंठों से इसके आगे कुछ नहीं निकला था और धीरे से अपनी जाँघो को खोलकर भोला की उंगली की ओर अपनी कमर को उठाने लगी थी अपनी चूचियां को और भी भोला के होंठों के अंदर तक पहुँचने की कोशिश भी थी साथ में एक नई जान उसके अंदर जाग गई थी पर बहुत दम नहीं था पर जितना था उसके अनुसार वो चल रही थी उंगली का कमाल उसके शरीर में एक नई जान डाल रहा था और उसके होंठों का स्पर्श तो जान पर बनती जा रही थी

कामेश- अच्छा छोड़ो में फोन करलेता हूँ जाने क्या कहोगी तुम और टिकेट भी बोल देता हूँ रीना के पति को तुम आराम करो
कामया- हाँ… पर
कामेश- हाँ कहो
कामया उूउउम्म्म्म वो आआआह्ह
बहुत छुपाने की कोशिश करती हुई वो एक बार फिर हिम्मत जुटा करके बोल उठी
कामया- कब आओगे आआआआआआअह्ह उूउउम्म्म्मममममम हाँ…
कामेश- कहा ना घर जा रहा हूँ तुम कल आ जाना ठीक है अब सो जाओ
कामया- और में उुउऊकम्म्म्मममम
कामया के होंठों पर एक बार भोला के होंठों ने कब्जा किया था और आजाद कर दिया था
कामया- पर में अकेली हाँ… प्लीज हाँ… आआअह्ह
कामेश- आअरए यार तुम भी ना ऋषि तो है और वो भोला भी तो है प्लीज यार थोड़ा सा अड्जस्ट कर लो अगले हफ्ते बिल्कुल टाइम नहीं मिलेगा गुरुजी आने वाले है इसलिए सबकाम खतम करना है

कामया- हाँ… हाँ… ठीक है सस्स उउउम्म्म्ममममम

एक बार फिर से उसके होंठों पर भोला के होंठों का कब्जा हो गया था सिर्फ़ इतना कह पाई थी और अपनी जीब पर एक बार भोला की जीब कर एहसास पाते ही वो भूल गई थी कि फोन पर कामेश है

अपनी जाँघो को खोलकर अपनी कमर को धीरे-धीरे सर्कल करने लगी थी शायद अब उसे वो चाहिए था जो भोला ही दे सकता था पर भोला तो उसके होंठों पर टूटा हुआ था और उसके उंगलियां भी अब उसकी योनि से निकल अकर उसकी चूचियां पर खेल रहे थे फोन पर कामेश अब भी था
कामेश- समझ रही हो ना और यार अब तुमकोई मामूली लड़की नहीं हो तुम एक कार्पोरेट हो यार
कामया- हाँ… पर
अपने होंठों को अलग करते हुए एक लंबी सी सांस लेते हुए और एक हाथों की माला भोला के गले में डालकर अपने शरीर का हर हिस्सा उसके साथ जोड़ने की कोशिश करती रही थी वो कमर को थोड़ा सा उँचा करते हुए वो उसके हर हिस्से को छू लेना चाहती थी


पर भोला उससे थोड़ा सा दूर हो गया था और उसके बगल में बैठ गया था या कहाँ पर उसके सीने में बालों के टच होने से उसे पता चला था और फिर फोन हाथों में लिए वो जैसे ही थोड़ा सा भोला की ओर पलटी थी की उसकी नाक और होंठों में उसके लंबे से और गंध लिए हुए लिंग का एहसास हुआ था

कामया- बोलो पर कल कब ऋषि को कहा हाँ… और टिकेट
पता नहीं क्या का कह गई थी वो पर अपने होंठों के पास उसे गंध लिए हुए लिंग को अपने होंठों के बीच में लेने से नहीं रोक पाई थी और खुले हुए हाथों से सहारा देकर वो उसे लिंग को अपने होंठों से ठीक से लेने की कोशिश में लगी थी और अपने आपको रोक नहीं पाकर उसने अपनी जीब को भी उसके साथ जोड़ दिया था

कामेश---अरे यार क्या कह रही हो पता नहीं तुम आराम करो में बाद में फोन करूँगा

कामया- नहीं रूको आअह्ह सस्स्रर्रप्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल और हाँ… और

कामेश- हाँ कहो अरे यार क्या कह रही हो समझ नहीं आरहा है

कामया---जी ठीक है जैसा तुम कहो उूउउम्म्म्ममममम आआआआआआह्ह
चूत-ते हुए उसके मुख से भोला के लिंग के छूटते ही वो बस इतना ही कह पाई थी पर एक बार फिर से उसे लिंग को अपने होंठों के बीच में दबा लेने से जैसे उसे शांति मिल गई थी वो लिंग उसके होंठों में ही बहुत मोटा हो गया था थूक से लथ पथ वो अब बहुत ही आराम से उसके होंठों के बीच में फिसल रहा था और जीब को छूते हुए ही एक अजीब सा एहसास से भर देता था कामया को
कामेश- कल मिलते है ना डियर बस कल तक का इंतजार कर लो और तुम तो मेमसाहब हो यार
कामया- हाँ… हाँ… सस्स्रर्रप्प्प्ल सस्सश हाँ… उउउम्म्म्ममम
और पूरे ध्यान से उसे लिंग को चूसती हुई अपने काम में लगी हुई कामया अपने पति का दिल भी बहला रही थी फोन में और वास्तविकता में भोला के साथ थी अजीब सा दृश्य था


भोला बैठे बैठे कामया की उत्तेजना को तोल रहा था और धीरे से उसकी चूचियां सहलाता हुआ अपने हाथों को फिर से उसकी योनि तक ले गया था अंदर डालते ही उसे पता चल गया था कि मेमसाहब पूरी तरह से तैयार थी क्या गजब का शरीर है जब भी हाथ लगाओ तैयार रहती थी वो बस थोड़ी देर की बात है भोला का लिंग अब ज्यादा देर तक उसके मुख का आक्रमण नहीं झेल सकता था इसलिए वो धीरे से निकलकर उसकी टांगों के बीच में पहुँचने की कोशिश करने लगा था \


पर कामया की उंगलियों से अपने लिंग को छुड़ाने में थोड़ा सा टाइम लगा मुँह खाली होते ही कामया के मुख से एक लंबी सी सांस निकली जैसे की आंगड़ाई हो
कामेश---हां अब उठी हो अब बोलो क्या है

कामया- कुछ नहीं कल मिलेंगे घर पर ठीक है आआआआआह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह
भोला का लिंग उसकी योनि में अंदर तक धीरे से नहीं झटके से दोनों जाँघो के बीच में एक बार फिर से भोला था और अमानुष नहीं था एक आदरणीय था अब वो उसके शरीर का रखवाला था उसके शरीर का पुजारी था और उसके शरीर का ख्याल रखने वाला था आज वो
कामेश- क्या हुआ
कमाया- बस कुछ नहीं रखती हूँ बाद में फोन करती हूँ उउउम्म्म्म सस्शह आआअह्ह और हाँ… ठीक है

भोला की टक्कर अब बढ़ गई थी ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी वो पर हाँ… रुकना नहीं चाहती थी भोला को फोन जरूर काट सकती थी और किया भी उसने बिना कुछ कहे ही फोन काट कर भोला को संभालेने में लग गई थी वो अपने दोनों हाथों का घेरा भोला की कंधों के चारो ओर घेरा लिया था उसने और कमर को उचका कर हर स्टॉक को अपने अंदर तक ले जाने के लिए बहुत ही मजा आ रहा था उसे बिना कुछ कहे और बिना आखें खोले हुए इस एनकाउंटर का मजा ही दूसरा था अपने पति का फोन को काट कर अपने शरीर की भूख को मिटाने के लिए वो आज जो कर रही थी उसे बड़ा ही मजा मिल रहा था


सुबह सुबह की इस तरह का एन्काउन्टर वो पहले भी कर चुकी थी पर इतना मजा और इतना आनंद उसे नहीं आया था रात भर की थकान कहाँ गायब हो गई थी उसे पता नहीं था पर भोला की जकड़ ने उसे बहुत नजदीक तक पहुँचा दिया था भोला की स्पीड को देखते हुए उसे पता था कि वो भी शायद ज्यादा देर का मेहमान नहीं है उसकी पकड़ धीरे-धीरे बहूत सख़्त और टाइट होती जा रही थी पर अग्रेसिव नहीं हुआ था आज वो और नहीं कोई निचोड़ना ही था पर एक असीम आनद था उसके आज के संभोग में सिर्फ़ और सिर्फ़ सेक्षुयल एनकाउंटर था और कुछ नहीं था अपने आपको असीम आनन्द के सागर में डुबोने के लिए और कुछ नहीं

सिर्फ़ एक दूसरे को संतुष्ट करने की चेष्टा थी आज दोनों के अंदर भोला भी यही कर रहा था और कामया भी अपने आपको कस कर भोला के शरीर के साथ जोड़े हुए लगा तार उसके धक्के को झेलती हुई और अपने होंठों को उसके कंधों से लेकर उसके होंठों तक लेजाकर वो झड़ती चली गई थी पर पकड़ को वैसे ही मजबूती से कसे हुए वो और भी कसकर उसके शरीर में चढ़ि और किसी बेल की भाँति लिपट गई थी और भोला भी कामया के इस तरह से साथ देने से लगभग अपने मुकाम पर पहुँच गया था पर अपने मन में आए हर एक विचार अपने आखिरी समय में पूरा करना लेना चाहता था एक बार जोर से उसके होंठों को चूसकर अपनी गर्दन की नीचे करता हुआ उसकी चुचियों पर झुक गया था और तेजी से अपने लिंग को चलाता हुआ अपने आपको असीम आनंद के सागर में गोते लगाने को मजबूर कर दिया था


एक ही झटके में अपने लिंग का सारा वीर्य उसके अंदर तक उतार कर वो कस कर कामया को पकड़ कर उसके होंठों पर फिर से टूट पड़ा और अपनी कमर को आखिरी कुछ धक्कों के साथ ही कस कर कामया को पकड़कर बेड पर उसके ऊपर ही ढेर हो गया
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Kautilay
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Re: बड़े घर की बहू

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Wow... Wonderful
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