बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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फोन की घंटी फिर बज उठी थी कामेश था कामया का हाथ किसी तरह से भोला को छोड़ कर वापस फोन तक पहुँचा था कि भोला के हाथों से फोन उसके हाथों पर आया कामया को होश नहीं था पर हाँ… भोला के हाथों का टच जो उसे हुआ था वो बहुत ही सुंदर था और अभी तो बहुत ही अच्छा लगा था थकि हुई थी और ऊपर अभी भोला लेटा हुआ था और उसके हाथों में फोन लिए हुए कामया ने एक बार फिर से
कामया- हाँ…
कामेश- सुनो वो ऋषि दोपहर तक आ जाएगा तुम तैयार रहना 4 बजे की फ्लाइट है और भोला को ट्रेन से आने को कह देना ठीक है
कामया- जी
कामेश- उठ गई हो की सो रही हो
कामया- उठ गई हूँ
कामेश- चलो रखता हूँ कल मिलेंगे
कामया- जी
और फोन कट गया अपने हाथों में फोन लिए हुए कामया ने थोड़ा सा जोर लगाया था अपने शरीर में ताकि भोला उसके ऊपर से हटे पर भोला उसे और भी अपनी बाहों में कसे जा रहा था जैसे की आख़िरी बार उतरने से पहले कस रहा था
उसके कसाव में एक अनोखी बात थी एक अजीब सी जान थी और एक अजीब सा प्यार था वो उसके शरीर को कसता हुआ एक एहसास उसके अंदर तक उतर रहा था कि वो उसे कितना प्यार करता है या फिर उसके शरीर को कितना चाहता है यार फिर उसे छोड़ना नहीं चाहता जो भी हो एक अजीब सा मजा था उसे कसते हुए बाहों में अपनी रात भर की थकान को मिटाने का रात भर और सुबह के सेक्षुयल एन्काउन्टर का


और सुबह सुबह अपने शरीर को आराम देने का कामया चुपचाप भोला के कंधों को धीरे से अपनी बाहों में भरकर चुपचाप लेटी रही कुछ देर तक फिर खुद भोला ही धीरे से उसके ऊपर से हट-ते हुए गहरे गहरे कुछ किस करता हुआ उसके ऊपर से उतर गया और बेड पर पड़े हुए चद्दर से उसे ढँकता हुआ भहर चला गया था

कामया वैसे ही कुछ देर लेटी रही आखें अभी भी बंद थी पर पूरा तन जाग गया था

उसका रोम रोम पुलकित सा था और हर अंग उसे अपने होने का एहसास दिला रहा था हर अंग में मस्ती थी हर अंग उसके शरीर में अपने जगह पर तने हुए थे आज सुबह का खेल बहुत ही मजेदार था कामया सोचती हुई धीरे से अपनी आखें खोलकर एक बार पूरे कमरे की और देखा सबकुछ वैसा ही था कुछ नहीं बदला था

लेकिन कुछ तो जरूर बदला था वो शायद कामया की नजर ही थी उसके देखने का तरीका ही था थोड़ी देर बाद वो उठी और बाथरूम में जाकर नहा दो कर बाहर निकली बाथरूम में उसने एक बार अपने आपको देखा था बहुत करीब से उसके शरीर में हर कही लाल और काले दाग थे भोला के एक एक किसका और दबाने की निशान साफ-साफ दिख रहे थे उसके शरीर में वो अजीब सी मुश्कान उसके होंठों पर दौड़ गई थी और हर निशान को एक बार ध्यान से देखती हुई वो बाथरूम
से बाहर आ गई थी घड़ी में 11 बज चुके थे बाहर कुछ हलचल थी कमरे के पर क्या पता नहीं थोड़ी देर बाद एक नॉक हुआ था डोर में कुछ कहने से पहले ही भोला हाथों में चाय का ट्रे लिए अंदर आ गया था जैसे कुछ कहने की या पूछने की जरूरत ही नहीं थी उसे आते ही बेड के पास वाले टेबल पर ट्रे रखते हुए नीचे नजर किए
भोला- मेमसाहब चाय पी लीजिए
और उसकी नजर एक बार फिर से कामया से टकराई थी पर कहा कुछ नहीं उसकी नजर में अब तक भूख साफ-साफ देखी जा सकती थी कामया जिस तरह से मिरर के सामने बैठी थी उसका गाउन जाँघो से फिसल गया था एक नजर उसपर डालते हुए भोला बाहर चला गया था


कामया ने चाय की ट्रे की ओर देखा और बाहर जाते हुए भोला को पीछे से एक मुस्कुराहट की एक हल्की सी लाइन उसके होंठों पर फिर से दौड़ गई थी

जानवर कही का रात भर क्या कुछ तो नहीं किया फिर भी मन नहीं भरा था अब भी देख रहा था मुस्कुराती हुई उठी थी कामया और चाय पीने लगी थी अब क्या करना है उसे पता नहीं था धीरे-धीरे अपने काम से निपटने लगी थी नहा धो कर एकदम फ्रेश थी वो कोई डिस्टर्बेन्स नहीं था और ना ही कोई घटना जिसे लिख सके ऋषि भी जल्दी ही आ गया था और फिर दोपहर का खाना खाकर सभी तैयारी में थे जाने की पर भोला की नजर बार-बार कामया के ऊपर रुक जाती थी पर कामया ने एक बार भी उसकी ओर नजर नहीं किया था और नहीं उसकी ओर देखने की हिम्मत ही थी उसमें


ऋषि के साथ वो एरपोर्ट की ओर भी रवाना हो गई और जल्दी ही घर भी घर पर मम्मीजी के साथ बहुत सी बातें और फिर रात कामेश के ना आने से कामया थोड़ा सा बिचालित थी पर एक सुखद सा एहसास उसके अंदर अब तक जीवित था कल का भोला का और उस रात की हर घटना का घर पर सभी कुछ नार्मल था एक अजीब सी तैयारी का महाल था गुरुजी के आने का बहुत दिनों बाद उनके घर पर आ रहे थे इसलिए बहुत काम था सभी को घर का हर कोना साफ और चमकदार बना हुआ था हर कोई उनके आने से पहले फ्री हो जाना चाहता था


भीमा की खेर नहीं थी वो तो शायद सांस लेने तक की फ़ुर्सत नहीं थी उसे फिर भी कोई शिकायत नहीं थी उसे एक नजर उसने भी कामया पर डाली थी और एक आह भरकर ही रह गया था कामया अपने आप में थी पता नहीं कितनो का दिल तोड़ कर और कितनो का दिल जोड़ कर बैठी है शायद उसे भी पता नहीं था हाँ… पर रात को वो खूब सोई थी जैसे बहुत दिनों की नींद पूरी की हो पर रात भर सपने में भोला की याद उसे आती रही थी एक अजीब सी कसक उसके शरीर में पैदा हो गई थी वो ना चाह कर भी अपनी हाथों को अपने जाँघो तक ले जाने से रोक नहीं पाई थी

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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हर एक लम्हा उसे याद था कैसे शुरू हुआ था और कैसे आँत हुआ था कैसे उसने उसके शरीर को निचोड़ा था और कैसे उसने उसके चुचियों को चूसा था कैसे उसने उसे चूमा था और कैसे उसने उसे नहलाया था एक-एक वाक़या अपनी आखों के सामने होते हुए लग रहा था पूरी रात कामया के जेहन में यही बात चलती रही थी और एक अजीब सी कसक और भूख को बढ़ावा देती रही थी जब भी करवट लेती थी तो अपने शरीर को टच होता हुआ महसूस करती थी वो भोला से उसके शरीर का हर अंग परिचित था और वो एहसास अब भी उसके अंदर कही जमा था या कहिए की याद था


उसका वहशीपन और उसका प्यार का हर एक लम्हा उसे याद था उसके हाथों का हर स्पर्श उसे याद था वो यह जान गई थी कि भोला एक औरत को खुश करने के लिए कुछ भी कर सकता था और उसने किया भी था उसका हर एक रोम रोम को उसने छुआ था हर एक कोने को वो जानता था रात भर कामया इसी सोच में डूबी हुई करवटें बदल बदल कर सोई थी पर नींद बहुत अच्छी आई थी सुबह जब उठी थी तो उसके शरीर का हर एक अंग खिला हुआ सा था एकदम तरोताजा थी वो कही कोई दर्द नहीं और नहीं कोई खिचाव ही था एक अजीब सी खुशी और मादकता ने उसके पूरे शरीर को घेर रखा था एक अजीब सी मदहोशी थी उसके अंदर


वो जल्दी उठकर तैयार होने लगी थी नीचे चाय पीने जाना था कामेश का कुछ पता नहीं था कब आएगा पर मम्मीजी और पापाजी थे घर में इसलिए जल्दी से तैयार होकर नीचे पहुँची थी पापाजी और मम्मीजी चाय के टेबल पर उसकी का इंतजार कर रहे थे

मम्मीजी-, आओ बहू अच्छे से सोई की नहीं

कामया- जी

पापाजी- सुनो बहू आज तुम घर पर ही रहो और मम्मीजी का हाथ बँटाओ कामेश भी आता होगा

कामया- जी

मम्मीजी- अरे घर पर क्या करेगी

पापाजी- नहीं कुछ ना करे पर थोड़ा आराम तो चाहिए ना बहू को कितना काम कर रही है जब से तुम गई हो

मम्मीजी- हाँ… वो तो है

पापाजी- अच्छा बहू परसों गुरु जी आरहे है कोई बड़ा काम है घर भी आरहे है इसलिए

मम्मीजी---अरे हम सब है ना कहाँ बहू अकेली है तुम मत डरो बहू गुरु जी बहुत अच्छे है और तुम्हारा बहुत मान करते है

पापाजी- हाँ यह बात तो है और तुम बिल्कुल चिंता मत करना और सभी लोग आएँगे घर पूरा भरा रहेगा

कामया- जी इसी तरह के कुछ टिप्स और ट्रिक्स की बातें करते हुए चाय खतम हुई और सभी अपने कमरे में पहुँचे थे कामेश कब आएगा यह उसे पता नहीं था पर आज आएँगे खेर कामया नहा धो कर तैयार थी

और तभी कामेश की आवाज आई थी उसे अरे वो आ गये है चलो थोड़ा सा टाइम कटेगा पर कामेश के आते ही वो इतना जल्दी में था की समान रखते ही जल्दी-जल्दी तैयार होने लगा था और दुनियां भर की बातें भी करता जा रहा था

कामया भी उसकी बातों में हाँ या ना में बातें करती रही और उसके जल्दी-जल्दी काम की और एकटक देखती रही उसे गुस्सा तो बहुत आया था कि इतने दिनों बाद आने पर ही कुछ आपस की बातें ना करते हुए इधार उधर की बातों में टाइम जाया कर रहे है किस तो कर सकते थे पर नहीं इतना भी क्या काम था कि पत्नी को उसका हक ही ना मिले

कामया भी कुछ ना कहती हुई उसके पीछे-पीछे नीचे उतर आई थी खाना खाने के बाद पापाजी और कामेश बाहर की ओर निकले थे घर में बहुत से लोगों को फिर से काम करते हुए उसने देखा था कौन थे पता नहीं पर थे सभी के चेहरे पर एक आदर का भाव था और सत्कार का भाव साफ-साफ देखा जा सकता था खेर कामया को क्या उसे तो मम्मीजी के साथ ही रहना था बाहर आते ही उसकी नजर भोला पर पड़ी थी पोर्च में तीन गाडिया लाइन से खड़ी थी एक में लाखा था और दूसरे में भोला और तीसरी खाली थी वो गाड़ी कामेश की थी

पर जैसे ही वो लोग बाहर निकले कामेश ने भोला की ओर देखते हुए

कामेश- भोला मेरी गाड़ी अंदर रख दे और मेरे साथ चल आज मेमसाहब की छुट्टी है

भोला के चहरे में एक भाव आया था जो कि वहां खड़े किसी ने नोटीस नहीं किया था पर कामया से वो छुप ना सका था वो जल्दी से दौड़ कर कामेश की गाड़ी को गेराज में खड़ा करते हुए जल्दी से मर्क की और बड़ा था पर जाते जाते एक नजर से अपने सप्निली चीज को देखना नहीं भुला था और सिर झुका कर मम्मीजी को भी नमस्कार किया था

कामया की आखें एक बार तो उससे टकराई थी पर कुछ नहीं कह या कर पाई थी वो उसके सामने से गाड़ी धीरे धीरे आगे की ओर सरक्ति हुई बाहर की ओर चली गई थी तभी उसकी नजर लाखा पर पर थी वो पापाजी की गाड़ी को आगे लेते हुए बाहर की ओर चला गया था उसके चहरे पर भी एक अजीब सा भाव उसने नोटीस किया था कामया का पूरा शरीर एक बार तो सनसना उठा था और वो सिहर उठी थी हर एक पाल जो कि उसने भोला के साथ गुजरे थे उसे याद आते रहे फिर लाखा के साथ के पल भी वो वापस तो मम्मीजी के साथ अंदर आ गई थी पर दिल का हर कोना उसे लाखा भोला और भीमा के साथ गुजरे पल की याद दिला रहा था कामेश की बेरूखी ने यह सब किया था

वो क्या करती पर अभी तो यह सब सोचना नहीं चाहिए पर वो क्या करे उसका बस नहीं था अपनी सोच पर जितना झटकती थी और ना सोचने की कोशिश करती थी उतना ही वो उस सोच में डूबती जा रही थी हर अंग एक बार फिर से जाग रहा था और अपने आप ही एक सरसराहट और उत्तेजना की लहर उसके तन को घेर रही थी वो नहीं जानती थी कि आगे क्या पर एक उमंग सी जाग गई थी उसके तन में यह उमंग उसने कभी महसूस किया था कि नहीं मालूम नहीं हाँ… याद आया शादी के बाद बाद में महसूस किया था जब वो सुहाग रात के बाद अपने पति को देखती थी तब एक अजीब सी खुशी और एक अजीब सी सरसराहट उसके तन को घेरती जा रही थी वो मम्मीजी के साथ साथ हर काम को देख रही थी
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Re: बड़े घर की बहू

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पर दिल का एक कोना उसके अंदर एक उथल पुथल मचा रहा आता उसका शरीर का हर कोना जगा हुआ था और कुछ माँग रहा था कामेश नहीं भीमा नहीं लाखा नहीं शायद भोला नहीं अभी नहीं अभी तो कुछ नहीं हो सकता कामेश अगर घर में होता तो शायद कुछ होता पर वो तो खेर कोई बात नहीं किसी तरह से अपने आपको समझा कर कामया मम्मीजी के साथ लगी रही काम तो क्या बस मम्मीजी के साथ भर घूमती रही थी घर के हर कोने तक और जैसा मम्मीजी कह रही थी घर के नौकरो को वो सब होते हुए देखती रही

खेर कोई ऐसी घटना नहीं हुई जो लिख सकूँ पर हाँ… एक बात साफ थी की कामया के अंदर का शैतान का कहिए कामया का शरीर जाग उठा था अपने आपको संभालती हुई वो किसी तरह से सिर्फ़ कामेश का इंतजार करती रही

रात को बहुत देर से कामेश आया घर का हर कोना साफ था और सजा हुआ था गुरु जी के आने का संकेत दे रहा था पापाजी और कामेश के आने के बाद तो जैसे फिर से एक बार घर में जान आगई थीपूरा घर भरा-भरा सा लगने लगा था नौकर चाकर दौड़ दौड़ कर अब तक काम कर रहे थे भीमा को असिस्ट करने के लिए भी कुछ लोग आ गये थे किचेन से लेकर घर का हर कोना नौकरो से भरा हुआ था पर कामया का हर कोना खाली था और उसे जो चाहिए था वो उसे नहीं मिला था अब तक उसे वो चाहिए ही था कामेश के आते ही वो फिर से भड़क गया था एक तो पूरा दिन घर में फिर इस तरह के ख्याल उसके दिमाग में घर कर गये थे की वो पूरा दिन जलती रही थी

पर कमरे में पहुँचते ही कामेश का नजरिया ही दूसरा था वो जल्दी-जल्दी सोने के मूड में था बातें करता हुआ जैसे तैसे बेड में घुस गया और गुड नाइट कहता हुआ बहुत ही जल्दी सो गया था कामया कुछ कह पाती या कुछ आगे बढ़ती वो सो चुका था कमरे में एक सन्नाटा था और वो सन्नाटा कामया को काटने दौड़ रहा था किसी तरह चेंज करते हुए वो भी सोने को बेड में घुसी थी की कामेश उसके पास सरक आया था एक उत्साह और ललक जाग गई थी कामया में मन में और शरीर में पर वो तो उसे पकड़कर खर्राटे भरने लगा था एक हथेली उसके चूचों पर थी और दूसरा कहाँ था कामया को नहीं पता शायद उस तरफ होगा पर कामेश के हाथों की गर्मी को वो महसूस कर रह थी एक ज्वाला जिसे उसने छुपा रखा था फिर से जागने लगी थी



पर कामेश की ओर से कोई हरकत ना देखकर वो चुपचाप लेटी रही अपनी कमर को उसके लिंग के पास तक पहुँचा कर उसे उकसाने की कोशिश भी की पर सब बेकार कोई फरक नहीं दिखा था कामया को रात भर वो कोशिश करती रही पर नतीजा सिफर सुबह उठ-ते ही कामेश जल्दी में दिखा था कही जाना था उसे कामया को भी जल्दी से उठा दिया था उसने और बहुत सी बातें बताकर जल्दी से नीचे की ओर भगा था नीचे जब तक कामया पहुँची थी तब तक तो कामेश नाश्ते के टेबल पर अकेला ही नाश्ता कर रहा था पापाजी और मम्मीजी चाय पीते हुए उससे कुछ बातें कर रहे थे
जो बातें उसे सुनाई दी थी

मम्मीजी- अरे तो बहू को आज क्यों भेज रहा है उसे रहने दे घर में

कामेश- मम्मी आ जाएगी वो दोपहर तक फिर कर लेना जो चाहे

कामेश--सोनू तुम थोड़ा सा कॉंप्लेक्स हो आना कुछ वाउचर रखे है साइन कर देना और कुछ कैश भी निकाल कर अकाउंट्स में रख देना कल से नहीं जा पाओगी

कामया- जी

कामेश- और हाँ… उसे ऋषि को बोल देना कि रोज जाए कॉंप्लेक्स कुछ सीखा कि नहीं

कामया- जी

मम्मीजी - हाँ ऋषि भी तो है वो क्या करता है

कामेश- फिल्म देखता है वो भी सलमान खान की हाँ… हाँ… हाँ…

पापाजी और मम्मीजी के चहरे पर भी मुश्कान दौड़ गई थी कामेश का खाना हो गया था और वो जल्दी में बाहर निकला था कामया भी उसके साथ बाहर तक आई थी तीनों गाडिया लाइन से खड़ी थी कामेश की गाड़ी नहीं थी और पापाजी की
कामेश---अरे भोला मेरी गाड़ी नहीं निकाली

भोला की नजर एक बार कामेश और कामया पर पड़ी थी कुछ सोचता उससे पहले ही
कामेश---तू सुन तू मेमसाहब को लेकर कॉंप्लेक्स जाना और जल्दी आ जाना मेरी गाड़ी निकाल दे और सुन दोपहर को शोरुम आ जाना

भोला- नज़रें झुकाए जल्दी से गेराज में गया और कामेश की गाड़ी निकाल कर उसे सॉफ करने लगा था लाखा भी दौड़ा था पर कामेश की जल्दी के आगे वो सब रुक गये थे कामेश जल्दी से गाड़ी में बैठकर बाहर की ओर चला गया रह गये थे तो सिर्फ़ लाखा भोला और कमाया एक नजर लाखा और फिर भोला पर पड़ते ही कामया अंतर मन फिर से जाग उठा था भोला की नजर में कुछ था जो उसे हमेशा से ही बिचलित करता था वो एक गहरी सांस लेकर पलटी थी और अंदर आ गई थी अपने बेडरूम में पहुँचकर देखा था कि एक मिस कॉल था

किसका है देखा तो ऋषि का था उसने ऋषि को डायल किया

ऋषि- हेलो भाभी कैसी हो अरे यार तुम कल गई नहीं में बोर हो गया था आज जाओगी ना

कामया- हो दोपहर तक हूँ लेने आती हूँ तैयार रहना आज कुछ जल्दी है ठीक है

ऋषि- जी भाभी
और फोन रखने के बाद कामया नहाने को चली नहाते वक़्त भी उसे कामेश का ध्यान आया था कैसे उसने कल रात पूरी गँवा दी कुछ नहीं किया और आज सुबह भी जल्दी चला गया था पर एक शान्ती थी आज वो फिर बाहर जा सकती है कल तो पूरा दिन ही खराब हो गया था
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Re: बड़े घर की बहू

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भोला की नजर जब उसपर पड़ी थी तो कयामत सी आ गई थी उसके शरीर में एक अजीब सी जुनझुनी और सिहरन ने उसके शरीर में निकालते समय सूट को छोड़ कर बार-बार साड़ी की ओर ही उसकी नजर जाती थी साड़ी क्यों पहनु कॉंप्लेक्स जाते समय तो हमेशा ही सूट पहनती है पर साड़ी क्यों नहीं साड़ी ही पहनती हूँ आज भोला को भी अच्छी लगती है छि भोला के लिए पहनु अब में तो क्या हुआ उसे चिडाने में मजा आएगा चलो वही काली वाली पहनु नहीं नहीं वो वाली नहीं क्या सोचेगा एक ही साड़ी है फिर यह पीली वाली पहन लेती हूँ हाँ… यह ठीक है प्लेन है और ज्यादा भड़काऊ नहीं है ब्लाउस तो स्लेवेलीस ही है ठीक है ना क्या हुआ

बहुत सी बातें करती हुई जाने कब कामया ने अपने मन को साड़ी पहनाने को मना लिया था और येल्लो कलर की साड़ी निकाल कर बेड में रख दी थी उसके साथ वाइट कलर का अंदर गारमेंट्स पहनने को थी पर क्या सोचकर मुस्कुराती हुई उसने ब्लैक कलर का ब्रा और पैंटी निकाल ली थी येल्लो में अंदर का पहन लेती हूँ इसके ऊपर
हां यह ठीक रहेगा चलो उस जानवर को एक बार फिर भड़का कर देखते है क्या करेगा अभी तो घर में है और फिर कॉंप्लेक्स ही तो जाना है वहाँ भी क्या कर लेगा यही सब सोचते हुए कामया एक के बाद एक करके अपने आपको संवारती हुई मिरर के सामने खड़ी अपने आपको निहारती जा रही थी और अपने शरीर के हर हिस्से को टटोल टटोल कर देखती हुई ब्रा से लेकर पैंटी फिर पेटीकोट और ब्लाउस पहनती हुई इठलाती हुई अपने आपको देखती हुई एक जहरीली सी
मुश्कान बिखेरती हुई साड़ी उठाकर पहेन्ने लगी थी बहुत ही कसकर बाँधी थी उसने हर एक हिस्सा साड़ी के अंदर होते हुए भी खिल कर बाहर की और आ रहा था हर गोलाई और उभार को दिखाता हुआ उस साड़ी ने सब कुछ खोलकर रख दिया था लग रहा था की टाफी को पकिंग के साथ ही खा जाए नीचे की जाने से पहले उसने अपने ऊपर वो सम्मर कोट डाल भर लिया था जो की सिर्फ़ कंधे पर टिका हुआ था उसने हाथों में नहीं पहना था डालकर अपने आपको थोड़ा सा छुपा लिया था और कुछ नहीं
नीचे को आते हुए उसने मम्मीजी को किचेन के बाहर एक चेयर पर बैठे देखा था जो की अंदर काम कर रहे लोगों को कुछ इनस्टरक्ट कर रही थी उसे जाते हुए एक बार देखा था
कामया- मम्मीजी में आती हूँ

मम्मीजी- हाँ बहू जल्दी आ जाना ज्यादा देर मत करना

कामया- जी
और कामया बाहर की ओर चल दी थी पोर्च की ओर बढ़ते हुए उसके कदम में गजब का विस्वास था और एक लचीलापन भी था बड़े ही मादक ढंग से चलती हुई वो मैंन डोर तक जब पहुँची थी तो भोला को वही सीढ़ियो में ही बैठा देखा था उसके हाइ हील की आवाज से वो पलटा था और दौड़ कर मर्क का डोर खोलकर खड़ा हो गया था उसकी नजर ऊपर एक बार जरूर उठी थी पर घर का मामला था इसलिए नीचे ही रही पर कामया की सुगंध से नहाया हुआ भोला एक बार फिर से पारी लोक की सैर करने को तैयार था क्या खसबू है मेमसाहब की हमम्म्ममम
और भोला को वापास करते ही एक महक जो कि कामया के अंदर तक उतरती चली गई थी वो थी गुटके की और पसीने की एक मर्दाना स्मेल था वो वो इस स्मेल को पहले भी सुंग चुकी थी सुंग चुकी थी टेस्ट भी किया था हाँ… यह वही स्मेल आई कामया अपनी सीट पर बैठी ही थी कि भोला ने एक नजर अंदर बैठी मेमसाहब पर डाली और डोर बंद करते हुए जल्दी से दौड़ कर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था

गाड़ी धीरे से पोर्च से बाहर और फिर गेट से बाहर होती चली गई थी और फिर सड़क पर धीरे-धीरे दौड़ने लगी थी कामया बिल कुल शांत सी पीछे बैठी हुई बाहर की ओर देख रही थी कि उसे भोला की आवाज सुनाई दी
भोला- उसे भी लेना है मेमसाहब
कामया- हाँ…
वो अच्छे समझ रही थी कि भोला ऋषि के बारे में ही कह रहा है उसकी नजर एक बार उसकी और उठी थी पर फिर से बाहर की ओर चली गई थी क्योंकी भोला उसे बक मिरर में एकटक देख रहा था
भोला- आपके लिए फूल नहीं ला पाया
कामया- जानवर कही का फूल क्यों नौकर है तू मेरा

भोला- साड़ी में बहुत सुंदर लगती है आप
कामया-
साला जानवर, गुंडा एक झटके में बाहर निकाल दूँगी नौकरी से पता नहीं इतनी हिम्मत इसकी की जो मन में आए का रहा है
भोला- पर यह कोट मत पहनिए अच्छा नहीं लग रहा

कामया- गाड़ी चलाओ और फालतू बातें मार करो

एक गरजती हुई आवाज निकली थी उसके अंदर से समझता क्या है अपने आपको यह एक बार उसके साथ क्या कर लिया अपना हक़्क़ समझ लिया है जो मन में आया कह रहा है

इतने में ऋषि का घर आ गया था ऋषि पोर्च में ही खड़ा हुआ इंतजार कर रहा था गाड़ी को देखकर ही वो खिल उठा था जल्दी से गाड़ी की ओर बढ़ा था पर गाड़ी के रुकते ही भोला जल्दी से बाहर की ओर निकला और सामने का डोर खोलकर खड़ा हो गया था ऋषि ने एक बार भोला को देखा था और फिर कुछ ना कहते हुए सामने ही बैठ गया था कामया को भी कुछ समझ नहीं आया की भोला ने ऐसा क्योंकिया पर हाँ… वो कुछ कहती इससे पहले ही ऋषि सामने की ओर बढ़ गया था वो जो डोर खोलकर ऋषि के लिए जगह बनाया था वो खाली रह गया

पर एक बात जो कामया ने नोटीस नहीं की थी वो था उसका कोट जो कि सिर्फ़ उसके कंधो पर टिका हुआ था अब थोड़ा सा ढल गया था उसके कंधो पर से पीछे की ओर चला गया था एक गजब का नजारा था स्लीवलेशस ब्लाउसमें उसके दोनों चुचे खुलकर सामने की ओर देख रहे थे साड़ी का पल्ला कही भी था पर वहां नहीं था जहां होना चाहिए गोरा सा सपाट पेट येल्लो कलर की साड़ी से जो नजारा पेश कर रहा था जिसे देखकर कोई भी पागल हो सकता था और यह तो भोला था उस हुश्न का पुजारी एक पूरी रात उसने इस परी के साथ गुजारी थी पूरी रात

ऋषि के बैठ ते ही भोला भी जल्दी से ड्राइविंग सीट की ओर लपका था
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Re: बड़े घर की बहू

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ऋषि-हाई भाभी हाई कितनी सुंदर लग रही हो आज साड़ी पहनी है सच में भाभी आप साड़ी में बहुत बहुत अच्छी लगती हो
इतने में भोला अपनी सीट पर बैठ गया था उसकी नजर एक बार तो ऋषि की ओर पड़ी और फिर पीछे की ओर मेमसाहब पर और जो नजारा उसके सामने था वो वाकाई लाजबाब था एक मुश्कान उसके होंठों पर दौड़ गई थी वाह क्या नजारा है मेमसाहब और फिर ऋषि की ओर मुड़कर
भोला- बड़े हैंडसम लग रहो भैया हाँ…
ऋषि-
भोला-क्या बात है बात नहीं करेंगा हमसे नाराज है क्या

ऋषि- नहीं
बड़े ही रूखे पन से जबाब दिया था उसने पर भोला को कोई फरक नहीं पड़ा था

भोला- मर्क चलाई है कभी आपने भैया

ऋषि और कामया की नजर एक साथ ही भोला की ओर उठी थी क्या कह रहा है यह भोला की नजर अब भी सामने की ओर ही थी पर नजर पीछे बैठी मेमसाहब पर भी थी

कुछ कहते की भोला फिर कह उठा
भोला- भैया चलाकर देखो कैसी चलती है

ऋषि- क्यों आप क्या करेंगे

भोला- अरे कुछ नहीं भैया बस हम तो सिर्फ़ पूछ रहे थे अगर चलाना हो तो बोलो आज के बाद मौका नहीं मिलेगा

उसकी बातों में कुछ अर्थ था यह तो साफ था पर क्या यह ना तो ऋषि ही समझ पाया और नहीं कामया थोड़ा आगे बढ़ कर भोला ने गाड़ी एक पेड़ के नीचे रोक लिया और ऋषि की ओर देखने लगा

कामया- गाड़ी क्यों रोकी

भोला ने कोई जबाब नहीं दिया था बल्कि ऋषि की ओर देखते हुए
भोला- आइए भैया मर्क भी चलाकर देख लो आज में थोड़ा सा पीछे बैठा हूँ

और झट से डोर खोलकर पीछे की सीट की ओर बड़ा था ऋषि का चहरा सफेद हो गया था पर कुछ कहता इससे पहले ही भोला पीछे की सीट पर बैठा हुआ था कामया पास बिल्कुल बिना किसी ओपचारिकता के और नहीं किसी डर के
ऋषि और कामया कुछ समझते
भोला- अरे भैया चलो कोई देखेगा तो क्या सोचेगा

ऋषि झट से ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था और एक ही झटके में गाड़ी आगे की ओर बढ़ गई थी उसकी नजर पीछे की सीट पर थी भाभी बड़ी ही डरी हुई लग रही थी और वो गुंडा उसे तो कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था कैसे पीछे सीट पर सिर टिकाए बैठा हुआ था चहरे पर कोई शिकन नहीं थी जानवर कही का लेकिन पीछे क्यों बैठा है वो

और उधर कामया की हालत खराब थी पीछे जैसे भोला बैठा था वो कुछ बोल भी नहीं पाई थी जैसे उसकी आवाज उसके गले में ही अटक गई थी और उसने अपने कोट की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया वो कब धलक गया था उसे पता ही नहीं चला था यह तो जैसे भोला को न्योता देने वाली बात हो गई थी पर उसने कभी नहीं सोचा था कि भोला गाड़ी में ही अटेक कर लेगा उसने तो कभी जिंदगी में इस बात का ध्यान नहीं किया था

लेकिन अब क्या भोला तो उसके पास बैठा हुआ एकटक उसकी ओर ही देख रहा था और वो बिना कुछ कहे बिल्कुल सिमटी हुई सी बैठी हुई थी जैसे मालिक वो नहीं भोला हो गया था पर भोला के शरीर से उठ रही वो स्मेल अब धीरे धीरे उसके नथुनो को भेद कर उसके अंतर मन में उतरती जा रही थी उसने अपनी सांसें रोके और आखें बाहर की ओर करके चुपचाप बैठी हुई अगले पल का इंतजार कर रही थी जैसे उसके हाथों से सबकुछ निकल गया है

इतने में भोला की हल्की सी आवाज उसे सुनाई दी

भोला- भैया आराम से चलिए और थोड़ा सा घूमकर चलिए आपका मन भी भर जाएगा और थोड़ा घूम भी लेंगे

कामया की नजर एक बार भोला की ओर उठी थी पर उस नजर में एक जादू सा था बड़ी ही खतरनाक सी दिखती थी उसकी आखें भूखी और सख़्त सी थी और एक जानवर सा दिख रहा था वो सांसें भी उसकी फूल रही थी पर कर कुछ नहीं रहा था
कामया का शरीर अब धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ रहा था पर वो बड़े ही , तरीके से बैठी हुई भोला को नजर अंदाज करने की कोशिश कर रही थी पर हल्के से एक उंगली ने उसके हाथ के उल्टे साइड को टच किया था चौंक कर उसने अपने हाथ को खींच लिया था वो एक नजर भोला की ओर ना देखती हुई सीट की ओर देखा था वहाँ उसकी हथेलिया थी मोटी-मोटी उंगलियां और गंदा सा हाथ था उसका मेल और काला पन लिए हुए वो फिर बाहर की ओर देखने लगी थी गाड़ी धीरे-धीरे चला रहा था ऋषि एसी के चलते हुए भी एक गरम सा महाल था अंदर


कामया की नजर बाहर जरूर थी पर ध्यान पूरा अंदर था और भोला जो उसके पास बैठा था क्या करेगा आगे सोच रही थी तभी उसकी कमर के साइड में उसे भोला के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ था वो सिहर उठी थी और अपने आपको हटाना चाहती थी उसके छूने से पर कहाँ वो बस थोड़ा सा हिल कर ही शांत हो जाना पड़ा था उसे क्योंकी भोला की उंगलियां उसके पेटीकोट के नाडे पर कस्स गई थी थोड़ी सी जगह पर से उसने अपनी उंगली को अंदर डालकर उसे फँसा लिया था वो कुछ ना कर सकी बल्कि सामने की ओर एक बार ऋषि की ओर देखा और फिर भोला की ओर

पर भोला की पत्थर जैसी आखों में वो ज्यादा देर देख ना सकी सीट पर सिर टिकाए हुए वो कामया की ओर एक कामुक नजर से देख रहा था वही नजर थी वो जो उसने पहली बार और जाने कितनी बार देखा था उस नजर के आगे वो कुछ नहीं कर सकती थी चाहे वो कही भी हो वो क्या कर सकती है अब यह जानवर तो उससे गाड़ी में ही सबकुछ कर लेना चाहता है और ऋषि भी कुछ नहीं कह रहा है वो तो एक अबला सी नारी है वो कैसे इस जानवर से लड़ सकती है कैसे इस वहशी को बाँध सकती है पर उसकी हालत भी खराब थी उसके टच ने ही उसे इतना उत्तेजित कर दिया था कि वो अपने गीले पन को रोक नहीं पा रही थी ना चाहते हुए भी वो अपनी जाँघो को खींचकर आपस में जोड़ रखा था पर भोला को मना नहीं कर पाई थी और नहीं शायद वो मना करना चाहती थी उसे भी वो सब चाहिए था और वो अभी तो सिर्फ़ भोला ही दे सकता था और उसने भी अभी उसने हाथों को बढ़ाकर एक आखिरी ट्राइ करने की कोशिश की और उसके उंगलियों को अपने पेटीकोट के नाडे पर से निकालने की कोशिश की पर यह तो उल्टा पड़ गया था भोला ने उसकी हाथों को कस्स कर पकड़ लिया था और उसे अपनी ओर खींच लिया था एक ही झटके में वो भोला के ऊपर गिर सी पड़ी थी ऋषि जो कि गाड़ी कम चला रहा था पीछे नजर ज्यादा थी थोड़ा सा गाड़ी धीरे कर दी थी उसने पर जैसे ही भोला की आवाज उस तक पहुँची थी वो फिर से गाड़ी चलाने लगा था

भोला- अरे यार इतना भी धीरे मत चलो थोड़ा घुमाते हुए चलो ना भैया और आगे देखो

और भोला ने अपने मजबूत हाथों के सहारे कामया को उठाया था और दूसरे हाथों से उसकी कमर को पकड़कर अपने पास खींच लिया था बहुत ही पास लगभग अपनी गोद में और अपनी हाथों का कसाव को निरंतर बढ़ते हुए उसे और पास खींचते जा रहा था कामया जितना हो सके अपने आपको रोकती जा रही थी अपने कोहनी से वो भोला को अपने से दूर रखना चाहती थी पर भोला की ताकत उससे ज्यादा थी ऋषि भी कुछ नहीं कर रहा था
कामया- प्लीज नहीं

भोला कुछ ना कहते हुए उसे एक झटके से अपने ऊपर अपनी जाँघो पर सीने के बल लिटा लेता है कामया भी कुछ नहीं कर सकी उसकी जाँघो के सहारे लेट गई हाई भगवान उसने अपने लिंग को कब निकाला था अपने पैंट से आआह्ह अपने सीने पर उसके लिंग का गरम-गरम स्पर्श पाते ही कामया हर गई थी वो और भी उसके लिंग से लिपट जाना चाहती थी पर उसकी जरूरत नहीं थी भोला का लिंग इतना सख़्त था कि वो खुद ही उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को आराम से छू सकता था और वो कर भी यही रहा था भोला के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे और उसके अंदर के हर तार को छेड़ते हुए उसके हर अंग में एक उत्तेजना की लहर भर रहा था वो अपने आपको उसके सुपुर्द करने को तैयार थी वो भूल गई थी कि वो गाड़ी में है और सामने ऋषि गाड़ी चला रहा है

वो अब अपने आप में नहीं थी एक सोते हुए शेर को भोला ने जगा दिया था और वो अब रुकना नहीं चाहती थी भोला उसकी पीठ के हर हिस्से को जो की खुला हुआ था अपने सख़्त हाथों से सहलाते हुए उसकी कमर तक जाता था और फिर उसके पीठ पर आ जाता था उसके हाथों का जोर इतना नहीं था कि वो उठ नहीं सकती थी पर वो उठी नहीं और भोला के लिंग का एहसास अपनी चुचियों के चारो ओर करती रही वो गरम-गरम और अजीब सा एहसास उसे और भी मदमस्त करता जा रहा था वो उठती क्या बल्कि उसकी हथेली धीरे-धीरे भोला के लिंग की ओर बढ़ने लगी थी एक भूख जो कि उसने दबाकर रखा था वो फिर जाग गया था और वो अब आगे ही बढ़ना चाहती थी उसका हाथ धीरे से भोला की जाँघो से होता हुआ उसके लिंग तक पहुँच चुका था और धीरे से अपनी गिरफ़्त में लेने को बेकरार था और उस गरम-गरम और सख़्त चीज को उसने अपने नरम और कोमल हाथों के सुपुर्द कर दिया

भोला- आआआआह्ह ऐसे ही मेमसाहब वाह
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