बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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prkin

Re: बड़े घर की बहू

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जैसे ही वो अंदर गया कामया का शरीर आकड़ गया और थोड़ा सा पीछे की ओर हुई ताकि अपने योनि में घुसे हुए लिंग को थोड़ा सा अड्जस्ट कर सके पीछे होते देखकर भीमा चाचा ने उसे अपनी बाहों में भर कर उसे सहारा दिया और धीरे-धीरे उसके गालों को चूमते हुए
भीमा- आज क्या हुआ है बहू हाँ…
और उसकी चूचियां पहले धीरे फिर अपनी ताकत को बढ़ाते हुए उन्हें मसलने लगा था लाखा काका तो नीचे पड़े हुए कामया की कमर को संभाले हुए उसे ठीक से अड्जस्ट ही करते जा रहे थे और कामया तो जैसे अपने अंदर उनके लिंग को पाकर जैसे पागल ही हो गई थी वो बिना कुछ सोचे अपने आपको उचका कर उनके लिंग को अपने अंदर तक उतारती जा रही थी

उसके अग्रसर होने के तरीके से कोई भी अंदाजा लगा सकता था कि कामया कितनी उत्तेजित है
कामया के मुख से निकलती हुई हर सिसकारी में बस इतना जरूर होता था
कामया- और जोर्र से काका उूुउउम्म्म्मम और जोर से जल्दी-जल्दी करूऊऊऊ उूुउउम्म्म्म
और अपने होंठों से पीछे बैठे हुए भीमा चाचा के होंठों पर चिपक गई थी उसकी एक हथेली तो नीचे पड़े हुए काका के सीने या पेट पर थी पर एक हाथ तो पीछे बैठे भीमा चाचा की गर्दन पर था और वो लगा तार उन्हें खींचते हुए अपने सामने या फिर अपने होंठों पर लाने की कोशिश में लगी हुई थी लाखा काका का लिंग उसके योनि पर लगातार नीचे से हमलाकर रहा था और दोनों हथेलियो को जोड़ कर वो कामया को सीधा बिठाने की कोशिश भी कर रहा था पर कामया तो जैसे पागलो की तरह कर रही थी आज वो उछलती हुई कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ हो जाती थी पर लाखा काका अपने काम में लगे रहे

भीमा भी कामया को ही संभालने में लगा हुआ था और उसकी चुचियों को और उसके होंठों को एक साथ ही मर्दन किए हुए था और अपने लिंग को भी जब भी तोड़ा सा आगे करता तो कामया के नितंबों की दरार में फँसाने में कामयाब भी हो जाता था वो अपने आप भी बड़ा ही उत्तेजित पा रहा था और शायद इंतजार में ही था कि कब उसका नंबर आएगा पर जब नहीं रहा गया तो वो कामया की हथेली को खींचते हुए अपने लिंग पर ले आया और फिर से उसकी चुचियों पर आक्रमण कर दिया वो अपने शरीर का पूरा जोर लगा दे रहा था उसकी चूचियां निचोड़ने में पर कामया के मुख से एक बार भी उउफ्फ तक नहीं निकला बल्कि हमेशा की तरह ही उसने अपने सीने को और आगे की ओर कर के उसे पूरा समर्थन दिया उसकी नरम हथेली में जैसे ही भीमा चाचा का लिंग आया वो उसे भी बहुत ही बेरहमी से अपने उंगलियों के बीच में करती हुई धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी थी कामया का शरीर अब शायद ज्यादा देर का मेहमान नहीं था क्योंकी उसके मुख से अब सिसकारी की जगह, सिर्फ़ चीख ही निकल रही थी और हर एक धक्के में वो ऊपर की बजाए अपने को और नीचे की ओर करती जा रही थी लाखा की भी हालत खराब थी और कभी भी वो अपने आपको शिखर पर पहुँचने से नहीं रोक पाएगा

आज तो कमाल ही कर दिया था बहू ने एक बार भी उन्हें मौका नहीं दिया और नहीं कोई लज्जा या झिझक मजा आ गया था पर एक डर भी बैठ गया था पर अभी तो मजे का वक़्त था और वो ले रहा था
आखें खोलकर जब वो अपने ऊपर की बाहू को देखता था वो सोच भी नहीं पाता था कि यह वही बहू है जिसके लिए वो कभी तरसता था या उसकी एक झलक पाने को अपनी चोर नजर उठा ही लेता था आज वो उसके ऊपर अपनी जनम के समय की तरह बिल्कुल नंगी उसके लिंग की सवारी कर रही थी और सिर्फ़ कर ही नहीं रही थी बल्कि हर एक झटके के साथ उसे एक परम आनंद के सागर की ओर धकेलते जा रही थी वो अपनी कल्पना से भी ज्यादा सुंदर और अप्सरा से भी ज्यादा कोमल और चंद्रमा से भी ज्यादा उज्ज्वल अपनी बहू को देखते हुए अपने शिखर पर पहुँच ही गया और एक ही झटके में अपनी कमर को उँचा और उँचा उठाता चला गया पर कामया के दम के आगे वो और ज्यादा नहीं उठा सका और एक लंबी सी अया के साथ हीठंडा हो गया


कामया की ओर देखता पर वो तो जैसे शेरनी की तरह ही उसे देख रही थी दो बार झड़ने के बाद भी वो इतनी कामुक थी कि वो अभी तक शांत नहीं हुई थी लेकिन लाखा काका को छोड़ने को भी तैयार नहीं थी वो अब भी उसके लिंग को अपनी योनि में लिए हुए अपनी योनि से दबाए जा रही थी और एक अजीब सी निगाहो से लाखा काका की ओर देखती रही पर उसके पास दूसरा आल्टर्नेटिव था भीमा चाचा जो की तैयार था पीछे वो एक ही झटके से घूम गई थी और बिना किसी चेतावनी के ही भीमा चाचा से लिपट गई थी अपनी बाँहे उनके गले पर रखती हुई और अपने होंठों के पास खींचती हुई वो उसपर सवार होती पर भीमा ने उसे नीचे पटक दिया और ऊपर सवार हो गया था और जब तक वो आगे बढ़ता कामया की उंगलियां उसके लिंग को खींचते हुए अपनी योनि के द्वार पर रखने लगी थी

भीमा तो तैयार ही था पर जैसे ही उसने अपने लिंग को धक्का दिया कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और वो उचक कर भीमा चाचा के शरीर को नीचे की ओर खींचने लगी भीमा चाचा भी धम्म से उसके शरीर पर गिर पड़े और जरदार धक्कों के साथ अपनी बहू को रौंदने लगे पर एक बात साफ थी आज का खेल कामया के हाथों में था आज वो उनके खेलने की चीज नहीं थी आज वो दोनों उसके खेलने की चीज थे और वो पूरे तरीके से इस खेल में शामिल थी और हर तरीके से वो इस खेल का पूरा आनंद ले रही थी आज का खेल उसे भी अच्छा लग रहा था और वो अपने को शिखर को जल्दी से पा लेना चाहती थी वो भीमा चाचा को खींचते हुए अपने शरीर के हर कोने तक का स्पर्श पाना चाहती थी उसके मुख से आवाजो का गुबार निकलता जा रहा था

कामया- करूऊ चाचा जोर-जोर से करो बस थोड़ी देर और करूऊऊ

और अपने बातों के साथ ही अपनी कमर को उचका कर भीमा चाचा की हर चोट का जबाब देती जा रही थी पर कब तक आधूरा छोड़ा हुआ लाखा काका का काम भीमा चाचा ने आखिर में शिखर तक पहुँचा ही दिया एक लंबी सी आहह निकली कामया के मुख से और भीमा चाचा के होंठों को ढूँढ़ कर अपने होंठों के सुपुर्द कर लिया था कामया ने और निढाल सी पड़ी रही भीमा चाचा के नीचे भीमा भी अपने आखिरी स्टेज पर ही था कामया की योनि के कसाव के आगे और चोट के बाद वो भी अपने लिंग पर हुए आक्रमण से बच नहीं पाया था और वो भी थक कर बहू के ऊपर निढाल सा पसर गया

कामया की हथेलिया भीमा चाचा के बालों पर से घूमते हुए धीरे से उनकी पीठ तक आई और दोनों बाहों को एक हल्का सा धकेला और हान्फते हुए वही पड़ी रही कमरे मे दूधिया नाइट बल्ब की रोशनी को निहारती हुई एक बार अपनी स्थिति का जायजा लिया वो संतुष्ट थी पर थकि हुई थी नजर घुमाने की, हिम्मत नहीं हुई पर पास लेटे हुए भीमा चाचा की जांघे अब भी उसे टच हो रही थी कामया नेभी थोड़ा सा घूमकर देखा पास में भीमा चाचा पड़े हुए थे और लाखा काका भी थोड़ी दूर थे लूँगी ऊपर से कमर पर डाले हुए लंबी-लंबी साने लेते हुए दूसरी ओर मुँह घुमाए हुए थे कामया थोड़ा सा जोर लगाकर उठी और पाया कि वो फ्रेश है और बिल्कुल फ्रेश थी कोई थकावट नहीं थी हाँ थोड़ी सी थी पर यह तो होना ही चाहिए इतने लंबे सफर पर जो गई थी

वो मुस्कुराती हुई उठी और एक नजर कमरे पर पड़ी हुई चीजो पर डाली जो वो ढूँढ़ रही थी वो उसे नहीं दिखी उसका गाउन और पैंटी कोई बात नहीं वो थोड़ा सा लड़खड़ाती हुई कमरे से बाहर की ओर चालदी और दरवाजे पर जाकर एक नजर वापस कमरे पर डाली भीमा और लाखा अब भी लेटे हुए लंबी-लंबी साँसे ले रहे थे

वो पलटी और सीडीयाँ उतरते हुए वैसे ही नंगी उतरने लगी थी सीढ़ियो में उसे अपना गाउन मिल गया पैरों से उठाकर वो मदमस्त चाल से अपने कमरे की ओर चली जा रही थी

समझ सकते है आप क्या दृश्य होगा वो एक स्वप्न सुंदरी अपने शरीर की आग को ठंडा करके बिना कपड़ों के सीढ़िया उतर रही हो तो उूुुुुुुउउफफफफफफफफ्फ़
क्या सीन है यार,

संभालती हुई उसने धीरे से अपने कमरे का दरवाजा खोला और बिना पीछे पलटे ही पीछे से धक्का लगाकर बंद कर दिया और पलटकर लॉक लगा दिया और बाथरूम की ओर चल दी जाते जाते अपने गाउनको बेड की ओर उच्छाल दिया और फ्रेश होने चली गई थी जब वो निकली तो एकदम फ्रेश थी और धम्म से बेड पर गिर पड़ी और सो गई थी जल्दी बहुत जल्दी सुबह कब हुई पता ही नहीं चला हाँ… सुबह चाय के समय ही उठ गई थी और पापाजी के ही चाय पिया था नीचे जाकर
पापाजी- आज क्या ऋषि आएगा तुम्हें लेने
कामया- जी कहा तो था पता नहीं
पापाजी- हाँ… तो में चला जाऊ खाना खाके तुम फिर आराम से निकलना क्यों
कामया- जी ठीक है
पापाजी- कि रुकु जब तक नहीं आता
कामया- जी क्या बताऊ कल तो बोला था कि आएगा
पापाजी- फोन कर लो एक बार
कामया- जी नंबर नहीं है उसका
पापाजी- धत्त क्या लड़की हो तुम नंबर तो रखना चाहिए ना अब वो तुम्हारे साथ ही रहेगा धरम पाल जी ने कहा है थोड़ा सा बच्चे जैसा है और कोई दोस्त भी नहीं है उसका

कामया- जी पर मेरे साथ क्यों

पापाजी (थोड़ा हँसते हुए)- देखा तो है तुमने उसे ही ही ही

कामया को भी हँसी आ गई थी कोई बात नहीं रहने दो उसे पर नंबर तो है नहीं कैसे पता चलेगा
देखा जाएगा
कामया- जी अगर नहीं आया तो में फोन कर दूँगी आपको आप गाड़ी भेज देना
पापाजी- हाँ… ठीक है
और दोनों चाय पीकर तैयारी में लग गये ठीक खाने के बाद काम्पोन्ड में एक गाड़ी रुकने की आवाज आई थी भीमा अंदर से दौड़ता हुआ बाहर की ओर गया और बताया कि धरंपाल जी का लड़का है
दोनों खुश थे चलो आ गया था
पापाजी- उसे बुला लाओ यहां
भीमा- जी
और थोड़ी देर में ही ऋषि उसके साथ अंदर आया था
आते ही पापाजी को प्रणाम किया था और कामया की ओर देखता हुआ नमस्ते भी किया था छोटा था पर संस्कार थे उसमें
पापाजी- कैसे हो ऋषि
ऋषि- जी अच्छा हूँ
पापाजी- बड़े हो गये हो तुम्हे बहुत छोटा देखा था मैंने तुम्हें आओ खाना खा लो
ऋषि- जी नहीं खाके आया हूँ
पापाजी- अरे थोड़ा सा डेजर्ट है लेलो
ऋषि- जी
और बड़े की बातों का आदर करते हुए कामया के साइड में खाली चेयर में बैठ गया और एक बार उसे देखकर मुस्कुरा दिया बहुत ही सुंदर लगा रहा था ऋषि आज महरून कलर की काटन शर्ट पहने था और उससे मचिंग करता हुआ खाकी कलर का पैंट ब्लैक शूस मस्त लग रहा था बिल्कुल शाइट था वो सफेद दाँतों के साथ लाल लाल होंठ जैसे लिपस्टिक लगाई हो बिल्कुल स्किनी सा था वो पर आदर सत्कार और संस्कार थे उसमें नजर झुका कर बैठ गया था पापाजी के कहने पर और बड़े ही शर्मीले तरीके से थोड़ा सा लेकर खाने लगा था बड़ी मुश्किल से खा पा रहा था

पापाजी- ऋषि अब से क्या तुम लेने आओगे कामया को

ऋषि- जी जैसा आप कहे
पापाजी- नहीं नहीं वो तो इसलिए कि कामया ने बताया था कि तुम लेने आओगे इसलिए पूछा नहीं तो हम तो जाते ही है कॉंप्लेक्स का काम देखने

ऋषि- जी आ जाऊँगा यही से तो क्रॉस होता हूँ अलग रोड नहीं है इसलिए कोई दिक्कत नहीं है

पापाजी- ठीक है तुम आ जाया करो हाँ कोई काम रहेगा तो पहले बता देना ठीक है और तुम्हारा नंबर दे दो
ऋषि - जी और खाने के बाद उसने अपना नंबर पापाजी को दे दिया था और कामया को भी
कामया- तुम बैठो में आती हूँ तैयार होकर
पापाजी के जाने के बाद ही कामया ने ऋषि से कोई बात की थी पर ऋषि टपक से बोला
ऋषि- तैयार तो है आप
कामया- अरे बस आती हूँ तुम रूको
ऋषि- जी झेप-ता हुआ खड़ा रह गया था
कामया पलटकर अपने कमरे की ओर चली गई थी सीढ़िया चढ़ते हुए ऋषि की बातों पर हँसी आ रही थी कि कैसे पापाजी के हट-ते ही टपक से बोल उठा था वो शरारती है और हो भी क्यों नहीं अभी उम्र ही कितनी होगी उसकी 22 या 23 साल
उसने कमरे में पहुँचकर जल्दी से अपने कपड़ों को एक बार देखा और मेकप को सबकुछ ठीक था पलटकर चलती पर कुछ रुक सी गई थी वो एक बार खड़ी हुई कुछ देर तक पता नहीं क्या सोचती रही पर एक झटके से बाहर की ओर निकल गई थी

नीचे पापाजी तो चले चले गये पर ऋषि उसके इंतेजार में बैठा हुआ था ड्राइंग रूम में उसके आते ही वो खड़ा हुआ और एक बार मुस्कुराते हुए कामया की ओर देखा और उसके साथ ही बाहर की ओर चल दिया
गाड़ी में ड्राइविंग सीट के पास ही बैठी थी कामया ऋषि ड्राइविंग कर रहा था
ऋषि- कॉंप्लेक्स ही चले ना भाभी
कामया- हाँ… और नहीं तो कहाँ
ऋषि- नहीं ऐसे ही पूछा
कामया- हाँ… थोड़ा सा गुस्से से ऋषि की और देखा
कामया- मतलब
ऋषि झेपता हुआ कुछ नहीं कह पाया था पर ड्राइव ठीक ही कर रहा था बड़ी ही सफाई से ट्रफिक के बीच से जैसे बहुत दिनों से गाड़ी चला रहा हो
कामया- अच्छी गाड़ी चला लेते हो तुम तो
ऋषि- जी असल में बहुत दिनों से चला रहा हूँ ना 11 क्लास में ही चलाना आ गया था मुझे तो दीदी के साथ जाता था सीखने को दीदी से ही सिखाया है बिल्कुल चहकता हुआ सा उसके मुख से निकलता वो गुस्से को भूल गया था
कामया- हाँ… मुझे तो नहीं आती सीखने की कोशिश की थी पर सिख नहीं पाई
तपाक से ऋषि के मुख से निकाला
ऋषि- अरे में हूँ ना में सीखा दूँगा दो दिन में ही
कामया को उसके बोलने के तरीके पर हस्सी आ गई थी बिल्कुल चहकते हुए वो बोला था
कामया- ठीक है तुम सिखा देना और देखकर चलाओ नहीं तो टक्कर हो जाएगी

ऋषि मुस्कुराते हुए गाड़ी चलाता हुआ धीरे-धीरे कॉंप्लेक्स के अंदर तक ले आया था और आफिस बिल्डिंग के सामने खड़ी करके खुद बाहर निकला और दौड़ता हुआ साइड की ओर बढ़ा ही था कि कामया दरवाजा खोलकर बाहर आ गई थी
ऋषि की ओर मुस्कुराते हुए
कामया- क्या कर रहे थे में दरवाजा नहीं खोल सकती क्या

ऋषि- ही ही ही नहीं नहीं वो बात नहीं है में तो बस ऐसे ही पहली बार आपको ले के आया हूँ ना इसलिए

कामया- तुम ड्राइवर नहीं हो ठीक है

ऋषि धीरे-धीरे उसके साथ होकर चलता हुआ उसके केबिन की ओर बढ़ता जा रहा था
ऋषि- ठीक है
कामया को उसका साथ अच्छा लग रहा था भोला भाला सा था और शायद इतनी इज़्ज़त उसे कभी नहीं मिली थी जो उसे मिल रही थी घर में छोटा था और कुछ लजाया सा था इसलिए भी हो सकता था पर अच्छा था

कामया अपने आफिस में घुसते ही अपने टेबल पर आ गई थी और वहां रखे हुए बहुत से बिल और वाउचर्स को ठीक से देखने लगी थी ऋषि भी उसके सामने वाली सीट पर बैठा हुआ था और बड़े गौर से कामया की हर हरकतों को देख रहा था कामया भी कभी-कभी उसे ही देख लेती थी और एक बार नज़रें चार होने से ऋषि बस मुस्कुरा देता था और कामया उसे और समर्थन भी देती थी

बहुत देर तक जब कामया उन कागजों में ही उलझी हुई थी तो ऋषि से नहीं रहा गया
ऋषि - भाभी कितना काम कर रही हो
बड़े ही नाटकीय और लड़कपन सी आवाज निकालते हुए उसने भाभी को कहा था कामया की हँसी फूट पड़ी थी उसके इस अंदाज से
कामया- तो यहां काम ही करने आए है

ऋषि- अरे यार यह तो बहुत बोरिंग काम है क्या खाली साइन कर रही हो आप कब से

कामया- हाँ… यह सब खर्चे है जो कि किए हुए है और होंगे भी वोही तो देखना है तुमको हम को
ऋषि- अरे यार में तो बोर होने लगा हूँ अभी से चलिए ना बाहर घूमते है
कामया- क्या
ऋषि- तो क्या कितनी देर से आप तो काम कर रही है और में बैठा हुआ हूँ
बड़े ही नाटकीय तरीके से अपने हाथों को घुमाकर और अपनी बड़ी-बड़ी आखों को मटकाकर उसने बड़े ही उत्तावलेपन से कहा कामया उसकी ओर बड़े ही प्यार से और एक अजीब सी नजर से देखने लगी थी सच में बिल्कुल लड़कियों जैसा ही था बातें करते समय उसकी आखें और होंठों को बड़े ही तरीके से नचाता था ऋषि और साथ-साथ में अपनी हथेलियो को भी गर्दन को भी कुछ अजीब तरीके से

हँसती हुई कामया का ध्यान फिर से अपने काम में लगा लिया था और ऋषि की बातों को भी सुनते हुए उसकी ओर देखती भी जा रही थी
ऋषि- भाभी प्लीज ना ऐसे काम से तो अच्छा है कि में घर पर ही रहूं क्या काम है यह बस बैठे रहो और साइन करो कुछ मजा ही नहीं

कामया- ही ही ही क्या मजाकरना है तुम्हें हाँ…

ऋषि अपनी हथेलियो को थोड़ा सा मटकाता हुआ अपनी ठोडी के नीचे रखता हुआ कामया की ओर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से देखता रहा और बोला
ऋषि- यहां से चलिए ना भाभी कितनी बोरिंग जगह है यह

कामया- हाँ हाँ… चलते है अभी तो शोरुम जाना है जरा सा और बचा है फिर चलते है ठीक है अभी उनकी बातें खतम भी नहीं हुई थी कि डोर पर एक थपकी ने उनका ध्यान खींच लिया वो दोनों ही दरवाजे की ओर देखने लगे थे

पीओन अंदर घुसा और वही खड़े होकर बोला
पीओन- जी मेडम वो भोला आया है
कामया के मुख से आनयास ही निकला
कामया- क्यों
पीओन- जी कह रहा है कि मेमसाहब से मिलना है
वो कुछ और कहता कि भोला पीछे से अंदर घुस आया और दरवाजे को और पीओन को पास करते हुए टेबल तक आ गया
पीओन वापस चला गया पर कामया की नजर भोला की ओर नहीं देख पाई थी वो ऋषि की ओर देख रही थी और भोला के बोलने की राह देख रही थी ऋषि भी भोला को देखकर दूसरी तरफ देखने लगा था

इतने में भोला की आवाज आई
भोला- जी मेमसाहब वो दरखास्त देनी थी
उसके हाथों में एक कागज था और वो अब भी उसमें कुछ लिख रहा था और धीरे से एक बार कामया की ओर देखता हुआ कामया की ओर कागज को सरका दिया

कामया ने एक बार उसकागज को देखा फोल्डेड था पर उसकी मोटी-मोटी उंगलियों के नीचे से उसकागज को देखते ही नहीं जान पाई थी कि कैसी दरखास्त थी वो

भोला- जी सोच रहा था कि कल से ड्यूटी जाय्न कर लूँ खोली में पड़ा पड़ा थक गया हूँ और ड्यूटी जाय्न कर लूँगा तो आते जाते लोगों को देखूँगा तो मन लगा रहेगा और एक आवाज उसके पास से निकली जो कि किसी क्लिप के चटकने से हुई हो

कामया का ध्यान उसकी हथेलियो की ओर गया वो चौक गई थी उसकी एक उंगलियों में उसका ही वो क्लुचेयर था जिसे की वो एक हाथों से दबाता हुआ अपनी एक उंगली में लगाता था और खींचकर निकालता था कामया सहम गई थी और अपने हाथों को बढ़ा कर उसकागज को अपनी ओर खींचा और एक नजर ऋषि की ओर भी डाली जो कि अब भी अपनी ठोडी में कलाईयों को रखकर दूसरी ओर ही देख रहा था

बड़े ही संभालते हुए कामया ने उसकागज जो अपनी ओर खिछा था और खोलकर उस दरखास्त को पढ़ने लगी कि भोला की आवाज आई
भोला- साइन कर दो मेमसाहब अकाउंट्स में दे दूँगा नहीं तो तनख़्वाह बनते समय पैसा काट जाएगा
और फिर से वही क्लिप चटकने की आवाज गूँज उठी कामया भी थोड़ा सा संभली और उस पेपर को साइन करने के लिए अपना पेन उठाया पर वो सन्न रह गई उसको पढ़ कर लिखा था

आपको फूल कैसे लगे बताया नहीं बड़ी याद आ रही थी आपके जाने के बाद से ही इसलिए भेज दिए थे

और नीचे थोड़ा सा टेडी मेडी लाइन में भी कुछ लिखा था आप साड़ी में ज्यादा सुंदर दिखती है कसम से

कामया का पूरा शरीर एक अजीब सी सिहरन से भर उठा था सिर से लेकर पाँव तक सन्न हो गया था वो उस सिहरन को रोकने की जी जान कोशिश करती जा रही थी पर उसके हाथों की कपकपि को देखकर कोई भी कह सकता था कि उसका क्या हाल था पर भोला चालाक था आगे झुक कर उसने उसकागज को अपनी हथेलियो में वापस ले लिया और थोड़ा सा पीछे होकर कहा
भोला- जी में कल से काम पर आ जाउन्गा मेमसाहब और बाहर चला गया

कामया की सांसें अब भी तेज ही चल रही थी टांगों की भी अजीब हालत थी काप गई थी वो बैठी नहीं रहती तो पक्का था कि गिर ही जाती वो कुछ कहती पर ऋषि की आवाज उसे सुनाई दी
ऋषि- भाभी यह भैया का ड्राइवर है ना
कामया- हाँ…
ऋषि आपकी तबीयत तो ठीक है भाभी
कामया- हाँ… क्यों
ऋषि नहीं वो आप हाफ रही थी ना इसलिए
कामया- नहीं ठीक है तुम इसे कैसे जानते हो
ऋषि- भोला को एक दिन ना वो भैया के साथ हमारे घर में आया था
कामया- क्यों
ऋषि- वो पापा से मिलने तब देखा था बड़ा ही गुंडा टाइप का है ना यह
कामया- क्यों तुम्हें क्यों लगा
कामया को ऋषि का भोला को गुंडा कहना अच्छा नहीं लगा जो भी हो पर गुंडा नहीं है
prkin

Re: बड़े घर की बहू

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ऋषि- असल में ना जब वो आया था तब ना रीना दीदी को बड़े ही घूर-घूर कर देख रहा था
कामया- यह रीना दीदी कॉन
ऋषि- अरे मेरी सबसे छोटी बहन रीना दीदी को नहीं जानती आप आपकी शादी में भी आए थे हम तो
कामया- अच्छा अच्छा अब कहाँ है
ऋषि- बिचारी की शादी हो गई
कामया के मुख से अचानक ही हँसी का गुबार निकल गया
और हँसते हँसते पूछा
कामया- बिचारी क्यों शादी तो सबकी होती है

ऋषि- हाँ… पर रीना दीदी मुझे बहुत मिस करती है फोन करती है ना तब कहती है
और ऋषि भी थोड़ा सा उदास हो गया था कामया को एक भाई का बहन के प्रति प्यार को देखकर बड़ा ही अच्छा और अपनी संस्कृति को सलाम करने का मन हुआ अपने को थोड़ा सा संभाल कर कामया ने कहा
कामया- अरे रीना दीदी नहीं है तो क्या हुआ में तो हूँ तुम मुझे ही अपना दीदी मान लो है ना
ऋषि- हाँ… मालूम रीना दीदी ना मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी और में उनसे कभी भी कुछ नही छुपाता था मुझे बहुत प्यार करती थी वो हमेशा ही मेरा ध्यान रखती थी

कामया- चलो चलो अब इतने सेंटिमेंटल मत हो अब तुम बड़े हो गये हो और इतना सेंटिमेंटल होगे तो आगे कैसे बढ़ोगे चलो मुझे शोरुम छोड़ दो

कामया अब नार्मल थी पर उसकी नज़र उसकी उंगलियों पर पड़ गई थी शायद एक उंगली में नेल पोलिश लगाया हुआ था ऋषि ने और वो अपने शो रूम की ओर जाने को बाहर निकली थी जैसे ही आफिस को क्रॉस करती एक आदमी दौड़ता हुआ उसके पास आके खड़ा हो गया
वो आदमी- मेडम
कमाया- हाँ…
वो आदमी- जी मेडम भोला को क्या काम देना है
एक बार फिर से एक सनसनी सी मचा दी, भोला के नाम से ही
कामया- पता नहीं बोलना भैया से बात करले
वो आदमी- जी मेडम
और कामया पलटकर बाहर हो गई ऋषि भी उसके साथ था और बराबरी पर ही चल रहा था दौड़ता हुआ आगे बढ़ कर गाड़ी कर डोर खोलकर अपनी ओर चला गया
और गाड़ी शोरुम की ओर भागने लगी थी शोरुम में पापाजी बाहर ही काउंटर पर किसी पुराने ग्राहक को अटेंड कर रहे थे पर वो वहां नहीं रुक कर सीधे अपने केबिन की ओर ही बढ़ी पीछे-पीछे ऋषि भी था केबिन के अंदर जाते ही वो एक बार चौंक उठी अंदर कामेश बैठा हुआ था
कामया-अरे आप कब आए और फोन भी नहीं किया
कामेश- अरे बाबा एक साथ इतने सवाल बैठो तो और ऋषि कैसा है
ऋषि- जी अच्छा हूँ भैया आप कैसे है
कामया और ऋषि भी वही बैठ गये कामया कामेश की ओर ही देख रही थी कि कुछ तो कहे
कामेश- सर्प्राइज नहीं दे सकता क्या कहा तो था कि दो दिन में आ जाऊँगा
कामया- हाँ… पर फोन तो करते
कामेश- फोन करते तो सरप्राइज क्या होता हाँ…
ऋषि बैठे बातें दोनों को नोकझोक बड़े ही शालीनता से देख रहा था और एक मंद सी मुश्कान उसके चहरे पर दौड़ रही थी कितना प्यार था भैया भाभी में
कामेश- और ऋषि सुना है तू आज कल कामया को लेने जाता है घर
ऋषि- हाँ… ना
बड़े ही नाटकीय तरीके से उसने जबाब दिया कामेश और कामया भी अपनी हँसी नहीं रोक पाए थे
कामेश- चलो बढ़िया है मुझे तो फुरसत नही अबसे एक काम किया कर तू ही कामया को लाया और ले जाया करना ठीक है कोई दिक्कत तो नहीं
कामया- क्यों इस बच्चे को परेशान करते हो
ऋषि- नहीं नहीं भैया कोई परेशानी नहीं मुझे तो अच्छा है एक कंपनी मिल जाएगी
कामेश- कंपनी तेरी बरा बझोउ मेरी बीवी है पता है
ऋषि- जी हाँ… पता है मुझे पर मेरी तो भाभी है ना और वैसे भी मुझे अकेला अच्छा नहीं लगता
कामेश और कामया ऋषि की बातों पर हँसे भी जा रहे थे और मज़े भी लेते जा रहे थे कामेश कहता था कि ऋषि लड़कियों की तरह ही बिहेव करता है पर देख आज रही थी कामया

पर था सीधा साधा भैया भाभी के साथ वो भी मजे लेरहा था उसे कोई बुरा नहीं लग रहा था वैसे ही हाथ नचाते हुए और आखें मटकाते हुए वो लगातार जबाब दे रहा था
कामेश- तो ठीक है तो अब क्या करेगा कहाँ जाएगा तू
ऋषि- क्यों
तोड़ा सा आश्चर्य हुआ और कामेश और कामया की ओर देखने लगा
कामया- अरे बैठने दो ना यही अभी घर जाके क्या करेगा
ऋषि तपाक से बोला
ऋषि- अरे फिल्म देखूँगा ना घर पर कोई नहीं है
कामेश- हाँ… पता है कौन सी फिल्म देखेगा और यह तूने धोनी जैसे बाल क्यों बढ़ा रखे है
ऋषि- बाडी गार्ड सलमान खान वाली जी वैसे ही
कामेश- क्यों उसमें तो करीना कपूर भी तो है
ऋषि मचलते हुए सा जबाब देता है
ऋषि- हाँ… पर सलमान खान कितना हैंडसम लगा है ना इस फिल्म में क्या बाडी है है ना भाभी
कामया अपनी हँसी नहीं रोक पा रही थी और हाँ में मुन्डी हिलाकर कामेश की ओर देखने लगी थी और इशारे से ऋषि को छेड़ने से मना भी करती जा रही थी
कामेश- क्या यार करीना भी तो क्या लगी है उसमें उधर ध्यान नहीं गया क्या तेरा
ऋषि- नहीं वो बात नहीं है हाँ… कितनी सुंदर लगी है ना वो और एक बार फिर से कामया का समर्थन लेना चाहता था वो कामया ने भी हाँ में अपना सिर हिला दिया था पर हँसी को कोई नहीं रोक पा रहा था

कामेश- अच्छा ठीक है जा जाके सलमान खान को देख और सुन कल में तेरी भाभी को ले आउन्गा तू यहां से ले जाना कॉंप्लेक्स ठीक है

ऋषि जैसे बिचलित सा हो उठा था
ऋषि- क्यों आप क्यों

कामेश- अबे काम है ना थोड़ा सा बैंक जाना है इसलिए और क्या और सुन हम परसो बॉम्बे जा रहे है
ऋषि उठ-ते उठ-ते फिर से बैठ गया उसका चहरा उदास हो गया था

कामया की हँसी बड़े जोर से फूट पड़ी और उसका साथ कामेश ने भी दिया हँसते हँसते कामया का एक हाथ ऋषि के कंधे पर गया और उसे सांत्वना देने लगी थी

कामया- अरे ऋषि में तुम्हें फोन कर दूँगी अभी तुम जाओ ठीक है

ऋषि- पर आप चली जाएँगी तो में तो कॉंप्लेक्स नहीं जाऊँगा

कामेश- अरे बाबा मत जाना घर में बैठकर फिल्म देखना पर रो तो मत

ऋषि- रो कहाँ रहा हूँ
और कामया की ओर पलट कर
ऋषि - बॉम्बे क्यों जेया रही है भाभी आप्
कामया कामेश की ओर देखने लगी थी
कामेश- अरे यार वो इम्पोर्ट एक्सपोर्ट वाले बिज़नेस के लिए एक अकाउंट खोलना है एक फॉरेन बैंक में इसलिए
कामया ने एक बार ऋषि की ओर देखा

ऋषि का मन टूट गया था पर अचानक ही उसके मुख से निकला
ऋषि- में भी चलूं भाभी और कस्स कर उसका हाथ को पकड़ लिया कामया की हथेलियो को

कामेश और कामया की हँसी अब तो उनके आपे से बाहर थी पर कामया ने बातों को संभाला और
कामया- हाँ… हाँ… चलो क्यों

कामेश- अरे यार घूमने नहीं जा रहे है चल ठीक है धरम पाल जी से पूछ लेता हूँ ठीक है

ऋषि कामया की ओर बड़ी ही गुजारिश भरी नजरों से देख रहा था जैसे कि कह रहा हो कि मुझे छोड़ कर मत जाना पर भैया से हिम्मत नहीं पड़ रही थी

इतने में पापाजी भी आ गये कुछ लेने को और जैसे ही ऋषि पर नजर पड़ी तो एक मुस्कुराहट उनके चहरे पर भी दौड़ गई थी कामेश और कमाया की ओर देखते हुए
पापाजी- कैसे हो ऋषि अपनी भाभी से कुछ सीखा कि नहीं
ऋषि- जी अंकल सीख रहा हूँ
पापाजी- हाँ… अच्छे से सीखना और देखना कही कोई गलती ना हो तुम्हारे पापाजी का बड़ा ही विस्वास है तुम पर और कल की ट्रिक में तुम्हें ही तो सब देखना है क्यों

ऋषि- जी अंकल
और पापाजी बाहर जाते हुए
पापाजी- क्यों कामेश क्या प्रोग्राम है
कामेश- जी धरम पाल जी से एक बार पूछ लूँ फिर बताता हूँ शायद परसो

पापाजी- हाँ जल्दी कर लो फिर मम्मीजी भी आने वाली है गुरु जी भी आरहे है इससे पहले ही तुम लोग आ जाओ तो ठीक रहेगा

कामया- मम्मीजी का फ़ोन आया था

पापाजी- हाँ… तभी तो उन्होंने ही तो कहा है कि कामया के नाम से ही अकाउंट खोलो गुरुजी का आदेश है
कामया कभी कामेश तो कभी पापाजी की ओर देखती रही और ऋषि को कुछ समझ नहीं आया था पर वो सबकी ओर बड़े ही उतावले पन से देख रहा था

पापाजी के बाहर जाते ही कामेश ने धरम पाल जी को फोन लगाया
कामेश- कैसे हैं आप
धरम पाल जी की आवाज तो वहां बैठे लोगों तक नहीं पहुँची पर

कामेश- अच्छा ठीक है हाँ… वो ऋषि को भी ले आता हूँ

कामेश- अरे नहीं सुनिए तो अगर मन लीजिए कि कामया को कोई दिक्कत हुई तो काम से काम ऋषि के सिग्नेचर तो चलेंगे ना इसलिए सोचा था

कामेश- ठीक है तो हम परसो सुबह की फ्लाइट पकड़ते है हाँ… ठीक है
और फोन काट कर वो ऋषि की ओर मुस्कुराते हुए देखा
कामेश- चल तुझे बॉम्बे घुमा लाता हूँ ही ही

ऋषि जैसे खुशी से पागल हो उठा था बड़े ही नाटाकिये तरीके से
ऋषि ऊह्ह थॅंक यू भैया थॅंक यू आप कितने अच्छे है (और भाभी की ओर देखते हुए) कितना मजा आएगा ना भाभी है ना

कामया और कामेश की हँसी एक साथ फूट पड़ी और जोर-जोर से हँसते हुए दोनों ने ऋषि को किसी तरह विदा किया और शोरुम के काम में लग गये कब रात हो गई और घर जाने का समय हो गया पता भी नहीं चला रात को खाने के बाद जब दोनों अपने कमरे में पहुँचे तो कामया ही कामेश पर टूट पड़ी और एक अग्रेसिव खेल फिर शुरू हो गया कामया की हर हरकत मेकामेश की जान निकलती जा रही थी इस बार भी कामेश को दो बार झुकना पड़ा कामया को संतुष्ट करने के लिए

पर उसके जेहन में एक बात घर कर गई थी कि कामया उसके बिना नहीं रह सकती थी वो यह सोचकर उतावला हो रहा था कि दो दिन बाद मिलने से कामया कितनी उतावली हो जाती है पर एक पति को और क्या चाहिए था वो तो चाहता ही था की उसकी पत्नी उसे मिस करे और आते ही अपने मिस करने का गवाह इस तरीके से प्रस्तुत करे और कामया के लिए तो कामेश था ही अपने शरीर की आग को बुझाने के लिए जो आग भीमा लाखा और भोला ने लगाई थी वो उसे ही बुझानी थी भोला की हरकतों से वो इतनी उत्तेजित हो गई थी आज कि जैसे ही अपने पति के आगोश में गई थी वो
बस उस राक्षस के बारे में सोचती रह गई थी और कामेश पर चढ़ाई कर दी थी रात को कामया ने कामेश को कपड़े भी नहीं पहनने दिए और अपनी बाहों में कस कर उसे वैसे ही सोने को मजबूर किया

रात तो कट गई और सुबह भी जैसे तैसे और फिर बैंक के चक्कर और फिर शो रूम ऋषि भी आया पर कामेश के सामने कोई ज्यादा हरकत नहीं की बस चुपचाप बैठा रहा और काम देखता रहा
कॉंप्लेक्स में भी गया था पर वैसे हो लौट आया था शोरुम में कामया और कामेश को देखते ही बोला
ऋषि- आज कॉंप्लेक्स नहीं आई आप भाभी
कामया- हाँ… सीधे यही आ गई थे शाम को भैया के साथ चली जाऊँगी क्यों
ऋषि- नहीं में गया था आप नहीं थी तो चला आया
इतने में पास में बैठे कामेश का फोन बजा
कामेश- हेलो हाँ… अरे यार तुझे बड़े काम की पड़ी है

कामेश- अच्छा एक काम कर गेट पर रहना और गाड़ी का हिसाब देख लेना ऊपर-नीचे मत होना और घाव कैसे है ठीक है

कामया- कौन था

कामेश- भोला काम की पड़ी है ठीक हो जाता फिर आता नहीं

कामेश अपने काम में लग गया पर भोला नाम से ही कामया का शरीर एक बार फिर से सुन्न पड़ गया था सिर से पाँव तक सिहरन सी दौड़ गई थी पर बैठी हुई अपने आपको संभालने की कोशिश करती रही

कामया- आपने भी तो उसे सिर पड़ चढ़ा रखा है

कामेश- अरे यार तुम जानती नहीं उसे साले का सिर कट जाएगा पर काम चोरी नहीं करेगा मर जाएगा पर नमक हलाली नहीं करेगा
कामया- हाँ…
पर वो तो कुछ और ही सोचने में व्यस्त थी ऋषि भी वही बैठा रहा कोई काम नहीं था पर हर बार जब भी कामया या पापाजी या फिर कामेश की नजर उससे मिलती तो अपने दाँत निकलकर एक मुश्कान जरूर छोड़ देता था कामया को उसके भोलेपन पर बड़ा ही प्यार आ रहा था अपनी रीना दीदी को मिस करता था वो घर पर भी अकेला था और साथ देने को कोई नहीं

खेर जैसे तैसे शाम भी हो गई ऋषि को उन्होंने सुबह 5 बजे तक एर पोर्ट पहुँचने को कहा कर रवाना किया और वो भी रात होने तक घर पहुँचे पर सुबह के इंतेजार और जाने का टेन्शन के चलते कोई भी ऐसा सर्प्राइज नहीं हुआ जो कि इस कहानी में मोड़ ला सके


सुबह होते ही कामेश और कामया जब एरपोर्ट पहुँचे तो ऋषि भी वही था मस्त सा काटन शर्ट और पैंट पहने था देखने में किसी अच्छे घर का लड़का लगता था और पढ़ालिखा भी बस खराबी थी तो जब वो बोलता था या फिर इठलाता था कामेश और कामया को देखते ही मचल सा गया था और जल्दी से उनके पास आके नमस्कार करते हुए
ऋषि-कितनी देर करदी भाभी कब से खड़ा हूँ अकेला


वो अब उससे पूरी तरह से लड़कियों जैसा ही बिहेव करने लगा था उसकी बातें भी इसी तरह से निकलने लगी थी और हरकतें तो थी ही

बिना कुछ कहे ही उसने कामया की पीठ पर अपने हाथों के लेजाकर पीठ पर से उसके पिन को खोलकर उसकी साड़ी को आजाद कर दिया और फिर से उसके पिन को वही ब्लाउसमें लगा दिया और कामया की ओर देखकर मुस्कुराने लगा था और झुक कर एक हल्की सी पप्पी उसके गालों में दे डाली

कोई पूछना नहीं ना कोई ओपचारिकता और नहीं कोई शरम हाँ शरम थी तो बस
ऋषि को छूने से,
पर जैसे ही कामया ने ऋषि को मुस्कुराते हुए देखा और उसे अपने करीब खींचा तो
ऋषि- उउउहह क्या है
कामया- मेरे पास आना
ऋषि सरक कर कामया के करीब हो गया कामया का चेहरा उसके कंधों के पास था और वो थोड़ा सा ऊपर
कामया- और पास शरमाता क्यों है हाँ
ऋषि- और कितना पास हूँ तो और नहीं बस
कामया का उल्टा हाथ उसकी बगल से निकाल कर उसके कंधों और पीठ पर घूमने लगे थे ऋषि को शायद गुदगुदी हो रही थी पर अच्छा लग रह आता
ऋषि- उउउंम्म मत करो ना
कामया- ही ही क्यों
ऋषि- उउंम्म गुड गुडी होती है
और उसकी सीधी हथेली कामया के गालों पर घूमने लगी और बड़े ही प्यार से कामया की नजर से नजर मिलाए हुए वो बोला
ऋषि- मालूम रीना दीदी भी मुझे ऐसे ही प्यार करती थी
कामया- हाँ और बता तेरी रीना दीदी क्या-क्या करती थी




वो ऋषि से सट कर लेट गई थी उसकी साड़ी उसकी चूची के ऊपर से हट गई थी और वो एकदम से बाहर की ओर देखने लगी थी ऋषि की हथेली अब धीरे-धीरे उसके गालों से लेकर उसके गले तक और फिर उसके सीने की ओर बढ़ रही थी कामया की सांसो से साफ पता चल रहा था कि अब वो किसी भी कंडीशन में रुकने वाली नहीं थी उसे जो चाहिए था पता नहीं वो उसे मिलेगा कि नहीं पर हाँ… वो ऋषि की हरकतों को तो मना नहीं करसकती थी अब
ऋषि की हथेली अब उसके गले और ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को छूती जा रही थी और उसके होंठों से निकले शब्द कामया के कानों तक पहुँच रहे थे
ऋषि- कितनी साफ्ट स्किन है भाभी आपकी आअह्ह, कितनी साफ्ट हूँ आप और कितनी कोमल हो
उसका हाथ अब कामया के ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को छू रहा था उसका हाथ ना तो उसकी चुचियों को दबा रहा था और नहीं उसे पिंच कर रहा था
जो उतावला पन आज तक कामया ने अपने जीवन में सहा था हर मर्द के साथ वो कुछ भी नहीं बस ऋषि के हाथ उसके आकार और गोलाइओ को नापने का काम भर कर रहे थे बड़े ही कोमल तरीके से और बड़े ही नजाकत से कोई जल्दी नहीं थी उसे जैसे उसे पता था कि कामया उसके पास से कही नहीं जा सकती या फिर कुछ और

कामया- अया उूउउंम्म क्या कर रह अहैइ उउउम्म्म्म
पर रोकने की कोई कोशिश नहीं हाँ… बल्कि अपने को और उसके पास धकेल जरूर दिया था
ऋषि- कुछ नहीं भाभी बस देख रहा था कि आपकी चुचे कितने सुंदर है ना मेरे तो है नही
कामया- लड़कों के नहीं होते पगले

ऋषि ---हां पर मुझे तो बहुत अच्छे लगते है ये

कामया- हाँ… प्लीज ऋषि अब मत कर

उसका एक हाथ ऋषि के हाथों के ऊपर था पर हटाने को नहीं बल्कि उससे वो ऋषि को इशारा कर रही थी कि थोड़ा सा जोर लगाकर दबा पर ऋषि तो बस आकार और प्रकार लेने में ही मस्त था उसके हाथ अब उसके ब्लाउसको छोड़ कर उसके रिब्स के ऊपर से होते हुए नीचे की ओर जाने लगे थे कामया का शरीर अब तो अकड़ने लगा था वो कमर के बल उठने लगी थी घुटनों के ऊपर उसकी साड़ी आ गई थी और कमर पर ऋषि के हाथों के आने से एक लंबी सी सिसकारी उसके
होंठों से निकली थी
ऋषि- अच्छा लगा रहा है भाभी

कामया- हाँ… हाँ… सस्स्स्स्स्स्स्स्शह

ऋषि---आप बहुत प्यारी है भाभी मन करता है में आपको इसी तरह प्यार करता रहूं कितनी साफ्ट हो आप
और उसके हाथों का स्पर्श अब तो कामया के लिए एक पहेली बन गया था आज जो आग ऋषि लगा रहा था क्या वो इसे भुझा पाएगा पर कामया तो उस आग में जल उठी थी उसे तो अब अपने आपको शांत करना ही था वो अपने चेहरे को ऋषिके सीने में सटा ले रही थी और अपनी लेफ्ट हाथ को ऋषि की पीठ पर घुमाते हुए उसे अपनी ओर खींचने लगी थी उसकी हथेली ऋषि की खुली हुई पीठ पर से धीरे-धीरे अंदर की ओर जाने और ऋषि ने उसके ब्रा की
स्ट्रॅप्स को छू लिया था

कामया एकदम से मूडी और ऋषि से लिपट गई थी ऋषि ने भी भाभी को अपने से सटा लिया था नहीं जानता था कि क्यों पर कामया का लपेटना उसे अच्छा लगा था ऋषि की हथेलिया अब उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से से उसकी ब्रा को छूते थे तो वो उसके और पास हो जाता था

कामया के जीवन का यह एहसास वो कभी भी भूल नहीं पाएगी यह वो जानती थी पर ऋषि के थोड़ा सा अलग होने से वो थोड़ा सा चिड गई थी
कामया- क्या
ऋषि -- भाभी
कामया- क्या है रुक क्यों गया
ऋषि आप बहुत उत्तेजित हो गई है है ना
कामया---हां क्यों तू नहीं हुआ
ऋषि कुछ कहता इससे पहले ही कामया ने उसे अपनी ओर खींचा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूमने लगी ऋषि ने भी थोड़ी देर वैसे ही अपने होंठों को कामया के सुपुर्द करके चुपचाप उसे स्वाद लेने दिया फिर हटते हुए लंबी-लंबी सांसें छोड़ने लगा था
कामया- क्या हुआ हाँ…
ऋषि- कुछ नहीं एक बात कहूँ भाभी गुस्सा तो नहीं होंगी नाराज तो नहीं होंगी ना
कामया- क्या नाराज क्यों बोल ना
ऋषि साहस जुटा कर जैसे तैसे शब्दों को जोड़ कर कामया की ओर नजर गढ़ाए हुए एक विनती भरी आवाज में कहा
prkin

Re: बड़े घर की बहू

Post by prkin »

ऋषि--- जी भाभी कन आई टच यू, आइ वान्ट यू भाभी व्हाट टू लव यू प्लीज भाभी प्लीज यू आर सो साफ्ट भाभी आइ जस्ट वाना महसूस यू
कामया- यू जस्ट फेल्ट मी ऋषि
ऋषि- नो भाभी नोट दिस वे दा वे आई वॉंट प्लीज भाभी आई प्रॉमिस यू
कामया के पास जबाब नहीं था उसकी हालत खराब थी पर जिस तरह से ऋषि उससे गुजारिश कर रहा था वो एक अजीब सा तरीका था

कामया- आई म नोट गेटिंग यू ऋषि हाउ

ऋषि- जस्ट डू ऐज आई से भाभी प्लीज यू विल सी हाउ प्लेसुरबले इट ईज़ आई प्रॉमिस
कामया- प्लीज ऋषि आई म स्केर्ड व्हाट शुड आई डू प्लीज ऋषि
कामया ऋषि के गालों को छूते हुए उसके पास थी और ऋषि भी तेज सांसें लेता हुआ उसके बालों को छूता हुआ उसे बड़े प्यार समझा रहा था
ऋषि- भाभी प्लीज स्ट्रीप युवर साड़ी और ले डाउन आंड सी व्हाट आई डू जस्ट एंजाय
कामया- उूउउम्म्म्म ऋषि यू नो व्हाट यू आर सेयिंग कॅन यू मनेज आई म नोट शुवर अबाउत इट बॅट इफ यू से सो बट प्लीज ऋषि
कामया धीरे से ऋषि की ओर देखती हुई बेड से उतरी और साइड में खड़ी हुई ऋषि की ओर देखती हुई कमर से एक साथ ही पूरी साड़ी को खींच लिया और वही नीचे ही गिरने दिया वो अपनी पेटीकोट को उँचा करती हुई लगभग घुटनों तक उठाकर अपने आपको वापस बेड पर चढ़ा लिया और ऋषि की ओर देखती हुई उसके पास लेट गई

दोनों एक दूसरे को बड़े ही ध्यान से देख रहे थे कामया को श्योर नहीं था जो ऋषि ने उससे कहा था पर उसके पास अपनी काम अग्नि को बुझाने का कोई और रास्ता भी नहीं था ऋषि एक मर्द था शायद उसके अंदर का कोई चीज अब भी जिंदा हो या फिर वो सिर्फ़ दिखावा कर रहा हो असल में वो भी कामेश भीमा और लाखा के जैसा ही हो
पर ऋषि अपनी जगह पर ही बैठा रहा और मुस्कुराता हुआ कामया को बेड पर लेटा हुआ देखता रहा वो अभी साड़ी पहना था
कामया- तू नहीं उतारेगा साड़ी हाँ…
ऋषि---आप कितनी सुंदर हो भाभी कितनी गोरी कितनी कोमल हो भाभी
वो अपनी हथेली कामया की टांगों से लेकर धीरे-धीरे ऊपर उसकी जाँघो तक ले जा रहा था बड़े ही संभाल कर बड़े ही कोमलता से कही कोई ताकत का इश्तेमाल नहीं कर रहा था और नहीं कोई उतावलापन बड़े ही शांत और नजाकत से ऋषि उसके शरीर की सुदोलता का एहसास कर रहा था कामया का पूरा शरीर जल रहा था वो जानती थी कि जो ऋषि कर रहा है वो एक छलावा है पर वो मजबूर थी उसे ऋषि का इस तरह से उसे छुना अच्छा लग रहा था वो आजाद थी इधर उधर होने को अपने आपको तड़पने को उसे ऋषि के मजबूत हाथ नहीं रोक रहे थे वो तो बस उसके शरीर की रचना को देख रहा था उसकी कोमलता का एहसास भरकर रहा था

कामया की पेटीकोट उसके कमर तक आ पहुँची थी और उसकी पैंटी उसके कमर पर कसी हुई और उसकी जाँघो के बीच में जाकर गुम हो गई थी वो अपनी कमर के सहारे अपनी टांगों को खोलकर बंद करके और इधार उधर होकर अपनी उत्तेजना को छुपा रही थी और ऋषि अपने हाथों से उसकी कमर के पास उसके पेट को सहलाता जा रहा था

कामया का हाथ एक बार ऋषि के चहरे तक गया और उसे अपनी ओर खींचने लगी थी वो उसे किस करना चाहती थी
ऋषि ने एक बार उठकर उसे देखा और मुस्कुराता हुआ उसके पास आ गया और अपने होंठों को धीरे से कामया के होंठों पर रखा कामया झट से उसके होंठों पर टूट पड़ी पर ऋषि उससे अलग हो गया

ऋषि- आआअम्म्म्म ऐसे नहीं बी जेंटल भाभी बी जेंटल
और धीरे से अपने होंठों से कामया के होंठों को किस किया और फिर अपनी जीब को निकाल कर धीरे-धीरे उसके होंठों पर फेरने लगा था कोई जल्दी नहीं कोई ताकत नहीं बस एहसास सिर्फ़ स्पर्श और कुछ नहीं कामया की जिंदगी का पहला किस्स जो की इतना मधुर और सौम्य था वो अपनी आखें खोलकर ऋषि की ओर देखती रही उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी उसकी एक हथेली ऋषि के पीछे उसके बालों से लेकर उसके गले से होते हुए उसके ब्लाउज के खुले हिस्से में घूम रही थी वो जान बूझ कर अपनी हथेली को उससे भी नीचे ले गई और उसके ब्लाउज के खुले हिस्से से उसके अंदर डाल दिया और ऋषि को फिर से अपनी ओर खींच लिया ऋषि ने भी कोई संघर्ष नहीं किया और चुपचाप अपने होंठों को फिर से उसके होंठों पर रख दिया इस बार बारी कामया की थी


वो भी ऋषि की तरह ही अपने होंठों से ऋषि के होंठों को धीरे-धीरे किस करती हुई उसके होंठों को चाटने भी लगी थी कोई ताकत नहीं थी बस उसके होंठों के रस्स को छूने और स्पर्श का खेल था वो ऋषि के ब्लाउज के अंदर कामया की उंगलियां उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच गई थी वो अपनी उंगलियों से उसे छेड़ रही थी

ऋषि- उूउउफफ्फ़ भाभी प्लीज डोंट डू दट आई महसूस सो गुड लेट मी महसूस यू भाभी यू आर ब्रेअसर्ट प्लीज भाभी

कामया- उूउउंम्म ओह्ह… ऋषि क्या कर रहे हो प्लीज यू आर सो साफ्ट डियर यू आर सो नाइस लव यू डियर
ऋषि- ऊवू भाभी यू आर सो लव्ली भाभी यू आर सो साफ्ट आई वाना बी यू आर डार्लिंग भाभी यू विल बी माइन
कामया- प्लीज ऋषि पुल आफ माइ ब्लाउस इट’स हरटिंग डियर प्लीज माइ डियर
सांसों की जंग के साथ और एक दूसरे को छुते हुए दोनों एक दूसरे में गुम थे और अपने मन की बातों को खोलकर एक दूसरे के सामने प्रेज़ेंट भी कर रहे थे दोनों ही एक दूसरे को समझ चुके थे और एक दूसरे की तमन्ना को शांत करने की कोशिश में लगे थे

कामया के हाथ अब ऋषि के गालों को पकड़कर उसके होंठों को किस कर रहे थे और ऋषि भी अपने हथेलियो को कामया के ब्लाउज के हुक पर उलझाए हुए कामया को धीरे से किस करता जा रहा था कामया का एक हाथ ऋषि की साड़ी को भी खींचकर उसके कंधे से उतार चुका था और उसके पेट से लेकर उसकी पीठ तक उसे सहलाते हुए उसकी कोमलता को जान रही थी ऋषि भी उतावला हो चुका था पर वहशी पन नही था उसमे था तो बस जिग्यासा और कुछ नहीं और अपनी भाभी को छूने की इच्छा

वो भाभी के ब्लाउज के हुक से आजाद कर चुका था और दोनों पाटो को खोलकर फिर से उन्हें देखने लगा था ब्रा में कसी हुई उसके चूचियां बाहर आने को तैयार थी पर ऋषि को जैसे कोई जल्दी नहीं थी बड़े ही तरीके से वो उन्हें देखता हुआ अपनी हथेली से उनके आकार और सुडोलता को अपने हथेली से छूकर और सहलाकर देख रहा था उसका चेहरा अब भी कामया के होंठों के पास था और कामया अपनी जीब से उसके गाल को चाट लेती थी उसके हाथों में कोई जल्दी या फिर कहिए कोई सखतपन नहीं था था तो बस एक जिग्यासा और कुछ नहीं उसकी ब्रा को नहीं खोलकर वो कामया की पीठ पर हाथ लेजाकर उसे उठा लिया और खुद भी बैठ गया और मुस्कुराता हुआ कामया के होंठों को एक बार चूमने के बाद उसके ब्लाउसको उसके कंधों से निकालने लगा था कामया उसे ही देख रही थी


उसकी आखों में एक चमक थी जैसे कि अपने हाथों में एक खिलोना पा गया हो उसके मन के माफिक और वो जानता था की वो उसे जैसा चाहे वैसे खेल सकता था ऋषि उसके ब्लाउसको उसके शरीर से अलग करके उसे एकटक देखता रहा और धीरे से अपनी एक हथेली को लेजाकर ऊएकी दाईं चुचि पर रखा और उसे ब्रा के ऊपर से ही सहलाता जा रहा था

ऋषि- भाभी कन आई सी यू जस्ट इन लिंगरे प्लीज कन आई पुल युवर पेटीकोट अवे
कामया के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई और वो खुद ही बैठे बैठे अपने पेटीकोट का नाड़ा को ढीलाकर दिया और ऋषि की ओए देखने लगी
ऋषि- ऊऊह्ह भाभी यू आर जस्ट ग्रेट
और अपने हाथों से वो भाभी के पेटीकोट को खींचते हुए उसे उतारता चला गया कामया लेट गई थी ताकि ऋषि को आसानी हो ऋषि उसके पेटीकोट को निकलकर अपने घुटनों के बल खड़ा हो गया और कामया को लेटे हुए देखता रहा वाइट कलर की मचिंग सेट था वो कसे हुए थे उसके शरीर पर ऋषि ने भी एक झटके से अपनी साड़ी को उतार फेका और वो भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउस पहने हुए कामया को पैरों से लेकर चूमते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा

कामया के शरीरके हर हिस्से को वो बड़े ही प्यार से छूता और अपनी जीब से उसका स्वाद लेता हुआ वो धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा था कामया की हालत खराब थी उसकी जाँघो के बीच में एक आग लग चुकी थी जिसे वो अब संभाल नहीं पा रही थी पर जो कुछ भी ऋषि कर रहा था वो एक आजूबा था इतने प्यार से और इतने जतन से आज तक कामया के शरीर को किसी ने भी प्यार नहीं किया था ऋषि के प्यार करने के तरीके से उसे एक बात तो पता चली थी वो यह कि
नारी का शरीर एक ऐसा खेलोना है जिसे जो चाहे जैसे चाहे खेल सकता है वो हर स्पर्श के लिए तैयार रहती है कोमल से कोमल स्पर्श भी उसे शरीर में वही आग जला सकता है जोकि एक मर्दाना स्पर्श करता है वो अपने इस नये परिचय से इतना कामुक हो गई थी कि उसके मुख से पता नहीं क्या-क्या निकल रहा था

कामया- आआअह्ह ऋषि क्या कर रहा है प्लेआस्ीईईई ऋषि यह सब भी उतार दे बहुत कसते जा रहे है और इधर आ
ऋषि उसके पेट को चूम रहा था उसकी नाभि को छेड़ रहा था अपनी जीब को घुमा-घुमाकर उसके अंदर तक घुसाने की कोशिश कर रहा था बड़े ही हल्के ढंग से उसने कमाया की कमर को अपनी हथेली से पकड़कर अपनी जीब को घुमाकर वो कामया के पेट के हर हिस्से को चूम रहा था

कामया---आआह्ह उउउंम्म उूउउफफ्फ़ ऊऊ ऋषि प्लीज आना इधर
ऋषि नहीं आया बल्कि थोड़ा सा और ऊपर उठा और अपने होंठों से उसके रिब्स के चारो ओर किस करता रहा और फिर अपनी हथेलियो को उठाकर उसके ब्रा के ऊपर रखते हुए उसकी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही किस करने लगा था उसे कोई जल्दी नहीं था पर कामया को थी वो अब नहीं सह पा रही थी वो जिस तरीके से उसे किस करता जा रहा था वो एक अजीब सी कहानी गढ़ रहा था कामया अपने आपको किस तरह से रोके हुए थी वो नहीं जानती थी पर हाँ… उसके प्यार करने का अंदाज निराला था
ऋषि- अच्छा लग रहा है ना भाभी
कामया- हाँ… इधर आना
ऋषि- हाँ भाभी उूउउम्म्म्ममम
ऋषि के होंठ कामया के होंठों के भेट चढ़ चुके थे और कामया का पूरा शरीर उसके शरीर से सटने की कोशिश करने लगा था वो ऋषि को खींचते हुए अपने साथ लिपट-ती जा रही थी पर ऋषि जैसे मचल गया था

ऋषि- उउउंम्म प्लीज ना भाभी रूको तो लेट मी डू इट इन माइ वे प्लीज वेट आई प्रॉमिस यू विल एंजाय जस्ट आ फेवव मोर मीं माइ लव
और ऋषि कामया की गिरफ़्त से आजाद हुआ और फिर से उसकी चुचियों को अपने होंठों से चूमता रहा ब्रा के ऊपर से
ऋषि- कॅन आई सी इट भाभी व्हाट यू हॅड इन इट हाँ…
कामया- गो अहेड माइ डियर
और वो थोड़ा सा उठी कि ऋषि उसके ब्रा के हुक को खोलेगा पर ऋषि ने उसे नहीं खोला बल्कि उसके कंधो से उसके स्ट्रॅप्स को धीरे-धीरे चूमते हुए उतरता चला गया
और जैसे ही उसके निपल्स उसके सामने थे वो धीरे से अपने होंठों को लेजाकर एक बार धीरे से उन्हें चूमकर वापस आ गया
कामया- आअह्ह उउउँ कर ना प्लीज कितना तडपा रहा है तू इधर आ
और वो ऋषि को खींचते हुए अपनी चुचियों पर उसके होंठों को रखने लगी थी

पर ऋषि तो अपने काम में ही मस्त था वो कामया की चुचियों को आजाद करके सिर्फ़ उनकी ओर ही देख रहा था और सहलाता हुआ उसकी गोलाई और कोमलता के एहसास को अपने अंदर समेट रहा था पर कामया का शरीर तो जैसे भट्टी बन चुका था वो अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि को कस कर अपने से सटा रही थी और उसे खींच रही थी कि वो कुछ करे पर ऋषि कामया के सीने पर अपना सिर रखे हुए अपने हाथों से उसे सहलाता जा रहा था और धीरे-धीरे उसकी गोल चुचियों को किस करता जा रहा था

कामया- क्या कर रहा है ऋषि प्लीज चूस ना प्लीज ऋषि चूस सस्स्स्स्शह उउउम्म्म्मममम
ऋषि- हाँ भाभी उउउम्म्म्म अच्छा लगा हमम्म्मममम
कामया-हाँ और जोर से ऋषि प्लीज और जोर से
ऋषि अपने मन से कामया की चुचियों को अपने होंठों से चूसता हुआ धीरे-धीरे उसे दबाता जा रहा था और एक हथेली को धीरे से उसके जाँघो के बीच में ले जा रहा था कामया कमोवेश की भेट चढ़ि हुई अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि के अगले स्टेप का इंतेजार कर रही थी और जैसे ही ऋषि की उंगलियां उसके योनि से टकराई वो बिल्कुल सिहर कर ऋषि को कस कर अपनी चुचियो पर कस लिया ऋषि की सांसें बंद हो गई थी

ऋषि---उउउंम्म भाभी सांसें भी नहीं ले पा रहा हूँ छोड़ो आहह

कामया- प्लीज ऋषि कुछ कर में मर जाउन्गी प्लीज वहां कुछ कर जल्दी

ऋषि- मरे आपके दुश्मन में हूँ ना आप क्यों परेशान है

एक हल्की सी आवाज कामया के मुख से निकली और वो ऋषि को अपनी जाँघो पर कस्ती जा राई थी उसकी हथेलिया ऋषि के बालों को खींचती जा रही थी पर कुछ नहीं ऋषि अपने तरीके से उसकी चूचियां चूमता हुआ उसकी योनि पर हल्के-हल्के अपनी उंगलियां चलाता रहा

कामया- प्लीज ऋषि और नहीं प्लीज़ सस्स्स्स्स्स्स्सीईईईई आआह्ह
ऋषि के हाथों को पकड़कर उसने अपनी जाँघो को फिर से कस लिया और अपनी कमर को झटके देने लगी थी

ऋषि अब थोड़ा सा उससे अलग होता हुआ फिर से अपने घुटनों पर बैठा हुआ था कामया अपनी उखड़ी हुई सांसों से उसे एकटक देख रही थी ऋषि उसकी ओर देखता हुआ धीरे से उसकी पैंटी को नीचे कर रहा था ऋषि की आखें उसकी ओर देखती हुई जैसे पूछ रही थी कि उतारू या नही


कामया ने अपनी कमर को उँचा किया ताकि ऋषि अपने काम को अंजाम दे सके और हुआ भी वही झट से पैंटी बाहर लेकिन ऋषि को कोई जल्दी नहीं थी वो धीरे से कामया की टांगों से लेकर उसकी जाँघो तक धीरे से किस करता हुआ उसकी जाँघो के बीचो बीच पहुँच गया था और

ऋषि- ऊह्ह भाभी युवर स्मेल सो गुड कन आई टेस्ट इट हाँ… प्लीज भाभी

कामया क्या कहती अपने हाथ को जोड़ कर ऋषि के बालों के पास ले गई और उसे अपने जाँघो के बीच में खींच लिया उसके होंठों ने जैसे ही उसकी योनि को टच किया एक लंबी सी सिसकारी उसके होंठों से निकली और उसकी जाँघो को चौड़ा करके जहां तक हो सके ऋषि को जगह बना के देदी थी कामया ने

ऋषि तो जैसे इस चीज में मास्टर था ना कोई दाँत लगा और नही कुछ और नहीं कोई जल्दी और नहीं कोई वहशीपन और नहीं जोर जबरजस्ती और नहीं कोई चुभन बस उसके होंठों की ओर उसकी जीब की अनुभूति और वो भी उसके अपर लिप्स पर और कही नहीं धीरे-धीरे वो उसके इन्नर लिप्स तक पहुँची पर कामया हार गई और
कामया- आआआह्ह ओूऊह्ह ऋषि आई कॅनट स्टॅंड मोर डियर, आई म कोँमिंग उूुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममममाआआआआआआह्ह,

ऋषि गो अहेड माइ लव गो अहेड आई म हियर युवर आखिरी ड्रॉप ईज़ माइन आई लव यू डियर

कामया का सारा शरीर आकड़ गया था और अपने पैरों को उँचा करके वो अपने शरीर को उत्तेजना के आग में जलाकर बाहर की ओर निकल रही थी वो निरंतर झटके से अपने आपको रिलीस कर रही थी और ऋषि उसकी योनि से निकलने वाले हर ड्रॉप को खींचकर अपने अंदर लेता जा रहा था वो अब भी कामया की जाँघो के बीच में ही था और कमाया शांत हो गई थी और बिस्तर पर गिरी गिरी अपने हाथों को पूरे बिस्तर पर घुमा रही थी


वो बहुत थकी हुई नहीं थी पर हाँ… एक अजीब सी उत्तेजना थी जो कि अब भी उसके अंदर सोई नहीं थी झटके लेती हुई अभी तक अपने को रिलीस कर रही थी

ऋषि अब तक उसे जाँघो के बीच में ही था और हर एक बूँद को चाट-ता और अपने होंठों से छूकर उसको लगातार सूखा रहा था कामया के होंठों से अब भी हल्की हल्की सिसकारी के साथ हाँफने की आवाज आ रही थी

ऋषि के बालों को पकड़कर वो लगातार अपने ऊपर और पास खींचने की कोशिश करती जा रही थी

कामया- उउउफफ्फ़ ऋषि अब बस कर नहीं तो फिर से शुरू हो जाएगा प्लीज अब मत कर

ऋषि- क्यों भाभी आज नहीं लग रहा हाँ… प्लीज ना भाभी युवर स्मेल सो गुड आई कन’त रेजिस्ट माइसेल्फ प्लीज ना

कामया- प्लीज ऋषि थोड़ा सा रुक जा सांस लेने दे इधर आ ना प्लीज

ऋषि उसकी जाँघो के बीच से अपने सिर को बाहर निकालते हुए अपने चेहरे पर गिर रहे कामया के योनि रस्स को बेड पर ही पोंच्छ लिया और अपने हाथो से कामया की जाँघो से लेकर उसके गोल गोल नितंबों को छूता हुआ अपने चहरे को कामया की चूची के ऊपर रखकर लेट गया

कामया ने भी उसे कसकर अपने सीने के आस-पास जकड़ लिया था और उसके सिर को सहलाती हुई उसे प्यार करती रही

ऋषि के हाथ अब भी उसकी कमर से लेकर उसके पीठ पर हर कही घूम रहे थे एक हल्की सी सरसराहट उसके शरीर में अब भी उठ रही थी ऋषि कामया को अपनी बाहों में भरकर उसके नंगे शरीर को बड़े ही प्यार से सहलाता जा रहा था और अपने होंठों से उसकी चुचियों के चारो ओर किस करता जा रहा था

कोई प्रेशर या जल्दिबाजी नहीं थी उसे बड़े ही आराम से और नजाकत से कामया को भी उसका इस तरह से प्यार करना अच्छा लग रहा था और उसने भी ऋषि को अपनी बाहों में भर कर अपने से सटा रखा था
कामया- ऋषि
ऋषि- जी भाभी
कामया- एक बात पूच्छू तुम बुरा तो नहीं मनोगे

ऋषि- नहीं भाभी बिल्कुल नहीं पूछिए
और उसकी हथेलिया भाभी की पीठ के साथ-साथ उसकी चुचियों पर भी आ गई थी
कामया- आह्ह स हाउ यू रिलीस युवर सेलफ

ऋषि- भाभी आई म नोट डेवेलप्ड तट वे आई हव प्रॉब्लम्स फिजिकली ऐज वेल ऐज मेडिकली
कामया- व्हाट डू यू मीन

ऋषि- यॅज़ भाभी प्लीज डान’त टाक अबाउट दट भाभी प्लीज लेट मी महसूस यू आंड स्मेल यू डियर प्लीज़
कामया- उउउम्म्म्म सस्शह बॅट ऋषि यू हव टू कन्सल्ट सम वन में बी डाक्टर आई मीन
ऋषि- प्लीज ना भाभी वी विल टाक अबौट इट लेटर प्लीज लेट मी प्ले वित यू यू आर सो साफ्ट आंड हेरलेस सो स्वीट टू टेस्ट आंड नाइस टू टच
कामया- हमम्म्म प्लीज ऋषि वी आर डन आलरेडी लेट मी गो तो बाथरूम फर्स्ट

ऋषि- नही प्लीज ना अभी नहीं मेरा मन नहीं भरा प्लीज ना भाभी रोज थोड़ी मौका मिलता है कितना अच्छा मौका मिला है आज हाँ…

कामया- बहुत बोल रहा है तू तो हाँ… एक लगाउन्गी छोड़ मुझे आती हूँ

और कामया उठकर बाथरूम को जाने लगी नीचे पड़े हुए पेटिकोट को उठाकर उसने अपने सीने पर बाँध लिया और ऋषि की ओर मुस्कुराती हुई देखती हुई चली गई
prkin

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बाथरूम से निकलकर उसने देखा की ऋषि अब भी वैसा ही लेटा हुआ था जैसे छोड़ कर गई थी एक हाथ अपने सिर पर रखे हुए और ब्लाउस और पेटीकोट पहने हुए उसकी पेटिकोट भी घुटनों तक थी और ब्लाउस तो सामने से ढीली ही थी
कामया मुस्कुराते हुए उसके पास पहुँची और धीरे से अपने हाथो को उसकी टांगों पर चलाने लगी

और धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाने लगी थी मचलता हुआ ऋषि बोल उठा

ऋषि- उउउंम्म भाभी मत करो ना गुदगुदी हो रही है आप इधर आओ में आपको प्यार करता हूँ

कामया- क्यों में तुझे नहीं करसकती
ऋषि-
कामया- क्या हुआ नाराज है
ऋषि- नहीं प्लीज भाभी आप मत करो मुझे करने दो

और वो उठकर कामया के होंठों को अपने होंठों से छूते हुए एक हल्की सी पप्पी देदिया और उसके हाथ को खींचते हुए अपने पास बुलाने लगा

कामया ने भी कोई जोर नहीं लगाया और सरक्ति हुई उसके पास चली गई वो जानती थी कि ऋषि को आज वो समझा नहीं पाएगी सोकर लेने दो उसे जो करना है वो भी मस्त हो चुकी थी ऋषि के होंठों और जीब से जो आनंद उसे मिला था वो अकल्पनीय था

आज तक जो भी सेक्स उसने किया था उसमें ताकत और वहशीपन था पर आज का सेक्स तो कुछ अलग था ना कोई जोर आजमाइश और ना दर्द और ही निचोड़ना और ना ही ताकत ना ही जितनी की इच्छा और नहीं समर्पण था तो बस आनंद और आनंद और कुछ नहीं बस अपने अंदर की आग को जलाओ और फिर बुझने का इंतजार करो कोई संघर्ष नहीं और नहीं शक्ति का प्रदर्शान

वो चुपचाप ऋषि के सामने बैठ गई थी और एकटक उसके और देखती जा रही थी ऋषि उसे अपने पास खींचकर अपनी छाती से लगाया हुआ था बहुत ही आराम से कोई ताकत का इश्तेमाल नहीं बस एहसास था एक दूसरे को छूने का और एक सुखद आनंद था एक दूसरे के स्पर्श का

कामया की सांसें फिर से उखड़ने लगी थी वो अपने टांगों को मोड़कर ऋषि के साथ ही बैठी रही और उसके अगले स्टेप का इंतजार कर रही थी ऋषि को कोई जल्दी नहीं थी अपने पास अपनी बाहों में कामया को लिए वो कामया के चहरे को देखता हुआ अपने हाथों से उसके बालों को ठीक कर रहा था और उसके गालों पर चिपके हुए एक दो बालों को अपनी उंगलियों से पकड़ पकड़कर वापस सिर पर ठीक कर रहा था बड़ी ही नजाकत से और बड़े ही प्यार से कामया भी उसकी बाहों में बिल्कुल एक निष्क्रीय और निश्चल की तरह बैठी हुई उसकी हरकतों को देख रही थी बड़े ही प्यार से वो भी अपना उल्टा हाथों को लेजाकर ऋषि के कमर के चारो ओर से उसे पकड़ लिया और उसके पीठ पर हथेलियो को फेरने लगी थी उसे बड़ा अच्छा लग रहा था एक कोमल सी त्वचा उसकी हथेलियो से स्पर्श कर रही थी उसके ब्लाउज की खुली जगह पर उसके हाथ अपने ढंग से घूम रहे थे कभी-कभीउसके हाथो के स्पर्श से ऋषि के होंठों से भी एक सिसकारी निकलते देखकर वो खुश होती थी ब्लाउज के खुले हिस्से से
वो अपनी उंगलियों को उसके अंदर ढालने की भी कोशिश करती थी और उसके ब्रा के स्ट्रॅप को छेड़ भी देती थी और ऋषि की ओर मुस्कुराते हुए देखती भी थी पर ऋषि तो अपने दी दम में था कामया के शरीर की रचना को देखने में और टटोलने में ही व्यस्त था अपनी हथेलियो से वो कामया के टांगों से लेकर उसकी जाँघो तक को सहलाते हुए ऊपर की ओर उठ-ता जा रहा था साथ साथ मे उसकी पेटीकोट को भी ऊपर की ओर उठाता जा रहा था कामया अंदर से वैसी ही थी पर उसे कोई शिकायत नहीं थी ऋषि के हाथो के स्पर्श से एक ज्वार फिर से उसके अंदर उफान भर रहा था पर जाने क्या हुआ कि अचानक ही कामया ऋषि से थोड़ा सा दूर हो गई और वैसे ही अपने पेटीकोट को ना नीचे करने की कोशिश की और ना ही ठीक करने की पेटीकोट सीने से चुचियों के ऊपर की ओर बँधा हुआ था और अब तो कमर के ऊपर उठ गया था और उसकी पूरी जाँघो का शेप और रंग साफ साफ दिखाई दे रहा था कामया अपनी पीठ पर एक तकिया रखे हुए ऋषि की ओर देख रही थी
कामया- तूने बताया नहीं हाउ यू रिलीस युवर सेल्फ़

ऋषि- आई डोंट रिलीस माई सेल्फ़ भाभी बॅट आई लाइक इट इन माइ बॅक
कामया-इन युवर बॅक
ऋषि- यस भाभी आई महसूस सम्तिंग इन माइ बॅक
कामया-बॅक मीन्स
ऋषि- अनस भाभी आई महसूस ग्रेट इफ सम्तिंग गेट्स इन देयर
कामया- छि आर यू क्रेजी
ऋषि-नही भाभी आई महसूस ग्रेट देयर आई डिड नोट नो अबाउत दट थिंग बॅट
कामया- बट बट व्हाट
ऋषि- वन्स मी आंड रीना डिड वर सीयिंग एक्सएक्सएक्स मूवी
कामया-यू आंड रीना
ऋषि-हां भाभी उस दिन शनिवार जब रीना दीदी ने मेरी गान्ड मे उंगली की
काया- आंड दॅन
ऋषि- देन फ्यू मोर थिंग्स बट भाभी आई लाइक इट दट वे इट’स नोट माइ फौल्ट

कामया आश्चर्य से ऋषि की ओर देखती रही पर कहाँ कुछ नहीं पर हाँ… उसे भीमा और लाखा की हरकत पर गोर करना पड़ा एक बार या दो बार उन्होंने भी अपनी उंगली उसके वहां पर डाला था तकलीफ नहीं हुई थी पर कुछ ऐसा एहसास भी नहीं हुआ था
पर अगर ऋषि कह रहा है तो हो सकता है
कामया- डिड युवर रीना दीदी हॅड दट सार्ट आफ फन
ऋषि- एस वन्स बट आफ्टर मेरीज शी इज लोन्ली
कामया-व्हाई शी इस हविंग आ गुड पति
ऋषि हाँ भाभी है तो वो अच्छे पर सेक्स के मामले में थोड़ा सा भी एडवेंचर नहीं है
काया- तुम्हें रीना दीदी ने बताया
ऋषि-हां वो मुझे बहुत मिस करती है
ऋषि के हाथ अब भी कामया की जाँघो पर ही घूम रहे थे और बीच बीच में वो उसकी जाँघो को और कभी उसकी नाभि को किस करता जा रहा था

कामया लेटी हुई ऋषि को देखती रही बड़ा ही आजीब सा करेक्टर था पर एक बात तो क्लियर थी कि उसको बर्बाद करने में उसकी बहन रीना का बहुत बड़ा हाथ था पर बर्बाद क्या वो तो था ही ऐसा रीना नहीं करती तो शायद कोई और वो अपने ख्यालो में घूम थी कि उसे ऋषि की आवाज सुनाई दी

ऋषि- भाभी एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मनोगी ना
कामया- कहो
ऋषि जो कि अब भी कामया के शरीर के हर उतार चढ़ाव को अपने हाथ से सहलाता हुआ उसके करीब ही लेटा हुआ था
ऋषि- वो भोला है ना वो कैसा आदमी है
कामया एक बार तो चौंक उठी उसकी बातों से ऋषि भोला के बारे में क्यों पूछ रहा है
कामया- क्यों नौकर है और क्या
ऋषि--नहीं भाभी बड़ा मन्ली है वो और
ऋषि ने बात बीच में छोड़ दिया था और कामया की चूचियां चूमने लगा था कामया के मुख से एक अया निकली और कही गुम हो गई थी पर उसका पूरा ध्यान ऋषि के बातों में था ना कि वो जो कर रहा था
कामया- और क्या
ऋषि- नहीं वो ऐसे ही पूछा था बस यू ही
कामया एक झटके से उठी और खड़ी हो गई
कामया- सुन अब जा अपने कमरे में बहुत देर हो गई है

ऋषि को अच्छा नहीं लगा कामया का इस तरह से हटना पर एक निगाह कामया पर डालते हुए वो भी धीरे से बाथरूम की ओर चल दिया पर जाने का मन उसे नहीं था वो कामया देखकर ही समझ सकती थी
पर अचानक भोला का नाम आते ही उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई थी और पूरे शरीर में फेल गई थी जो कि ऋषि के बूते के बाहर था उसे शांत करना उसे इंतजार था अपने पति का कामेश का

ऋषि थोड़ी देर बाद बाथरूम से निकला और अपने कपड़े पहनकर वापस अपने कमरे में चला गया जाते समय एक किस करता गया था कामया को और ना जाने की इच्छा भी जाहिर किया था पर कामया ने जबरदस्ती उसे भेज दिया कि कामेश और उसके पापा कभी भी आ सकते है

ऋषि अनमने ढंग से चला तो गया पर एक सवाल कामया के लिए छोड़ गया था वो था भोला उसने क्यों पूछा था भोला के बारे में आखिर क्यों ऋषि को तो भोला बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है उस दिन तो बड़ा नाराज सा हो रहा था भोले के ऊपर पर आज कहता है कि बड़ा मन्ली है

क्या बात है भोला के बारे में सोचते ही कामया एक बार फिर से उसकी हरकतों के बारे में सोचने लगी थी कैसे उसने उसे पहली बार छत पर देखा था किसी लड़की या फिर औरत के साथ और फिर हास्पिटल में और फिर उसकी खोली में उूउउफफ्फ़

धत्त कामेश क्यों नहीं आ रहा है आज क्या कर रहा है जब कुछ नहीं सूझा तो कामेश को रिंग कर दिया
कामेश- हाँ… हो गई शापिंग
कामया- अरे नहीं कहाँ गई
कामेश- क्यों
कामया- बहुत थकी हुई थी इसलिए होटेल आ गई थी पर तुम कहाँ हो
कामेश-अरे थोड़ा सा टाइम लग जाएगा कुछ काम है
कामया- क्या यार तुम भी यहां भी काम
कामेश- कुछ जरूरी है आके बताउन्गा ऋषि कहाँ है
कामया- अपने कमरे में क्यों
कामेश- नहीं बस ऐसे ही तुम आराम करो आने से पहले फोन करूँगा
और कामेश ने फोन काट दिया और कामया भी थकी तो थी ही सुबह जल्दी बाजी में आना हुआ था और फिर अभी-अभी ऋषि ने भी उसे थोड़ा सा आराम दिया था शरीर में एक खाली पन सा था सो वो भी सो गई थी जल्दी ही नींद तब खुली जब फोन की घंटी बज उठी थी

कामया ने जब फोन उठाया तो कामेश था
कामेश- सो रही थी क्या
कामया-हां
कामेश- नीचे आ गया हूँ लाबी में हूँ आता हूँ
थोड़ी देर में ही कामेश भी कमरे में आ गया था बहुत थका हुआ सा लग रहा था आते ही बाथरूम में घुस गया था हाँ या ना में ही जबाब दे रहा था कामया भी उससे बहुत से सवाल पूछ रही थी पर ज्यादा बात ना करते हुए बस एक बात मालूम चली की धरमपाल जी ने वही एक फ्लैट ले लिया है

आने जाने में काम आएगा और उनके दोस्त के साथ भी एक कांट्रॅक्ट साइन किया था हीरा कटिंग के लिए फ्लैट उन्हीं का था खाली था इसलिए उनको यूज़ करने को दिया था अब यह फैसला हुआ था कि अब जब भी आएँगे होटेल में ना रुक कर फ्लैट में ही रुकेंगे

कामेश ने ही बताया कि मम्मीजी अकेली ही आ रही है गुरु जी अगले हफ्ते आएँगे कहते है कि अभी मुहूरत नहीं आया है
खेर कामया भी कामेश की हालत देखकर अपने को भूल गई थी और खाना खाने के बाद तो कामेश लेट-ते ही नींद के आगोश में ऐसा गया कि जैसे सदियो से सोया नहीं था कामया भी बिना किसी नोकझोक के अपनी तरफ होकर सो गई

सुबह जब वो लोग उठे तो जल्दी में बैंक का अधूरा काम समाप्त करके फ्लाइट से वापस अपने शहर आ गये थे अगले हफ्ते फिर से आना था बैंक के ही काम से और कुछ और भी काम बाकी था हाँ कामया को एक बात की संतुष्टि थी की अब वो भी फ्लाइट से अपने पति के साथ आना जाना करसकती है घर पहुँचकर सभी लोग मम्मीजी के स्वागत की तैयारी में लग गये थे शाम को मम्मीजी भी आ गई थी सभी ने उन्हें घेर रखा था और मम्मीजी भी सभी को उनके हिसाब की बातें और अपने टूर के बारे में बताती जा रही थी सबसे ज्यादा खुश तो वो कामया से मिलकर हुई थी जो कि अब अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही थी बहुत ही दुलार और प्यार पाया था कामया ने मम्मीजी से

मम्मीजी- बहू देखना एक दिन तुम बहुत नाम करोगी गुरुजी का कहना है वो कहते है कि तुम्हारी बहू इस घर में चार चाँद लगाने के लिए आई है देखना एक दिन वो कितना नाम कमाएगी

कामया- जी मम्मीजी आप लोगों का साथ रहेगा तो जरूर करूँगी

मम्मीजी- बिल्कुल करना बहू तेरी वजह से ही देख आज हम कहाँ से कहाँ पहुँच गये है

कामया-नहीं मम्मीजी आप लोगों की मेहनत और पापाजी और उनकी मेहनत भी है

मम्मीजी- हाँ… पर तेरी किस्मत भी तो है देख तेरे आते ही सबकुछ कितना जल्दी बदल गया है गुरुजी कहते है कि इस बार यहां आएँगे तो एक बहुत बड़ा काम करना है

कामया- क्या

मम्मीजी- नहीं पता बहू बताते कहाँ है वो बस कह देते है पर हाँ… जो कहते है वो होता जरूर है हमने तो देखा है

बस इस तरह की कुछ बातों के साथ ही मम्मीजी के आने की बातें चलती रही घर भरा-भरा सा लगने लगा था फिर से
सुबह को फिर वही जल्दी-जल्दी अपने काम पर जाने की जल्दी कामेश अपनी गाड़ी से पापाजी अपनी गाड़ी से और कामया ऋषि के साथ कॉंप्लेक्स

कॉंप्लेक्स गये तीन दिन हो गये थे पर काम अपनी रफ़्तार से ही चाल रहा था लगभग पूरा होने को था शायद कुछ और एक दो महीने में ही होजायगा और काम ने तेजी भी पकड़ लिया था ऋषि के साथ कामया जैसे ही कॉंप्लेक्स पहुँची एक बार फिर से वहां खलबली मच गई थी

शायद उसे देखने की कोशिश थी या फिर मेमसाहब के आने काडर जी भी हो एक शांति और खलबली तो मची थी गेट के अंदर गाड़ी जाते हुए उनको भोला अब भी वही खड़ा मिला जो कि अब ठीक हो गया था काले चश्मे के अंदर से एक नजर कामया की उसपर पड़ी और गाड़ी आगे बढ़ गई थी कामया की नजर ऋषि की ओर भी गई थी

पर वो शांत था अपने केबिन में पहुँचते ही कामया अपने काम में लग गई थी बहुत से बिल्स और वाउचर्स थे साइन करने को और कुछ और भी पेपर्स थे कुछ स्टेट्मेंट्स थे और भी बहुत कुछ ऋषि को समझाते हुए कामया अपने काम में लगी थी ऋषि भी उसके साथ-साथ उन पेपर्स को देख भी रहा था और समझ भी रह था

बहुत इंटेलिजेंट था वो एक बार में ही सबकुछ साफ होता था उसे काम से फुर्सत मिलते ही कामया ने एक बार घड़ी की ओर देखा बाप रे 2 30 बज गये इतनी जल्दी

कामया- ऋषि कितनी जल्दी टाइम निकल गया ना,

ऋषि- कहाँ कितनी देर हो गई आप तो बस काम में लगी थी

कामया- अगर तुम मेरी हेल्प करते तो जल्दी नहीं हो जाता

ऋषि- हाँ… अब से में करूँगा भाभी पर मेरा मन नहीं करता

कामया- तो तेरा मन क्या करता है

ऋषि- बस वैसा ही करने को ही ही ही

कामया- एक जोर दार लगाउन्गी ना गलती से भी फिर कभी नहीं कहना

ऋषि- क्यों आप तो हमारी दोस्त थी ना फिर ऐसा क्यों

कामया- सुन ऋषि मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता

ऋषि मायूष सा हो गया उसके चहरे को देखकर लगता था कि उसका मन टूट गया था जिस चीज की आशा उसने की थी शायद वो अब उसे कभी नहीं मिलेगी भाभी उससे नाराज हो गई थी वो अपनी आखें ना उठाकर वैसे ही बैठा रहा

कामया एकटक उसकी ओर देखती रही पर इतने में ही मोबाइल की घंटी ने उसका ध्यान खींच लिया कामेश का था
कामया- हाँ…
कामेश- कहाँ हो
कामया- कॉंप्लेक्स में क्यों
कामेश- अच्छा सुनो तुम कब आ रही हो शोरुम
कामया- अभी आ जाऊ
कामेश- नहीं सुनो यार में चेन्नई जा रहा हूँ
कामया- क्यों अचानक
कामेश- हाँ यार वो एक मोटिओ का फर्म की बात थी ना अरे धरमपाल जी ने की थी वो देखने जा रहा हूँ यार सारी
कामया- क्या यार तुम ना हमेशा ही ऐसा करते हो
कामेश- सुनो में जा रहा हूँ एक काम करो ऋषि है ना तुम्हारे साथ
कामया- हाँ…
कामेश- उससे कहना वो तुम्हें घर छोड़ देगा और यहां तो पापाजी है ही तुम वहाँ का काम देखकर आ जाना ओके…
कामया- ओके…
prkin

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