बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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आखों में एक मस्ती थी और एक नशा था अपनी आखों को खोलकर बंद करने का तरीका चाहे उसे कैसा भी लगा हो पर अगर कोई देखता होता तो निश्चय ही गश खाकर गिर जाता या फिर झट से कामया को खींचकर अपनी बाहों में भर कर चूमने लगता एक नशीली आखों की मालकिन आज अपने ही नौकर को दिखाना चाहती थी कि वो क्या है और कितनी सुंदर दिखती है ब्लैक कलर की पैंटी पहनते समये एक बार कमर से थोड़ा सा पीछे की ओर भी होकर देखा था उसने नितंबों पर कैसे कसा हुआ था देखने के लिए मस्त सी शटीं कपड़े का बना वो पैंटी में सिर्फ़ पतली सी पट्टी भर थी हर तरफ और सामने से दो पट्टी उठ-ती हुई कमर के ऊपर की ओर जाती थी हड्डी के थोड़ा सा ऊपर एक छोटा सा ट्राइंगल की तरह और पीछे गदराए हुए मास के अंदर गुम हो जाती थी ब्रा भी ठीक वैसा ही सिर्फ़ सपोर्ट के लिए था जो कि नीचे भर से सपोर्ट कर रहा था और सिंथेटिक, रोप से बल्कि कहिए पट्टी से उसे सपोर्ट कर रहा था पीछे से हुक लगते ही एक बार फिर से अपने शरीर पर अपनी हाथों को फेर कर अपने आपको देखा था कामया ने और फिर बड़े ही कान्फिडेन्स के साथ मिरर की ओर देखते हुए पेटीकोट भी उठाया था शटीं का चमकीला पेटीकोट को जैसे ही उसने अपनी टांगों के साथ-साथ ऊपर की ओर उठाया उसका गोरा रंग धीरे-धीरे ढँकता चला गया था और उसकी गोरी गोरी मसल टाँगें भी उसके अंदर कही खो गई थी एक बार फिर से पलटकर और घूमकर अपने आपको देखती हुई आखों से आखें मिलाकर अपने ब्लाउसकी ओर घूमी की फोन बज उठा था

कामया- हाँ…

कामेश-क्या हो रहा है

कामया- कुछ नहीं तैयार हो रही हूँ

कामेश - हाँ… रीना और उसके पति के साथ डिनर पर जा रही हो

कामया- हाँ… तुम्हें कैसे पता

कामेश- वो धर्मपाल ने बताया था रीना का फोन आया था कह रही थी भाभी बहुत अच्छी है

कामया- अच्छा और आपका क्या हुआ आज आने वाले थे

अपने हाथों में ब्लाउसको उठाए हुए कामया बार-बार पलटकर अपने आपको ही देखती जा रही थी उसमे में कही भी कोई खामी तो नही थी या फिर एक दो बार बात करते हुए मिरर के पास जाके अपने बालों को भी ठीक किया था और आखों में भी कुछ आईब्रो में कुछ ठीक किया था

तभी कामेश का फ़ोन आया
कामेश- यार क्या करू शायद कल निकलूंगा लंच तक पहुँच जाऊँगा ठीक है हाँ… और मंडे को बैंक के पेपर्स साइन करके ही निकलना क्योंकी गुरुवार तक गुरुजी पहुँच रहे है कहते है कि बहू से काम है

कामया- मुझसे क्या काम है

कामेश- यार पता नहीं वो तो वही जाने पर तुम किसी भी तरह फ्री हो जाना थर्स्डे तक

कामया- अरे यार में तो अभी भी फ्री हूँ

कामेश- हाँ… यार लगता है जबरदस्ती तुम्हें फँसा दिया मैंने घर पर थी ठीक थी है ना

कामया- अरे छोड़ो में ठीक हूँ आप अपना ध्यान रखिए और सुनिए प्लीज कल आ जाना बहुत बोर लगता है अकेले में

कामेश- हाँ… यार में भी बोर हो गया हूँ वो साला झल्ला कहाँ है

कामया- कौन ऋषि कमरे में होगा

कामेश- क्या कर रहा है फिल्म देख रहा होगा छोड़ो ठीक है रखता हूँ कल फोन करूँगा एंजाय युवर डिनर

कामया- गुड नाइट
और फिर कमाया अपने आपको सवारने में लगा गई थी ब्लाउस पहनते समय बड़े ही नजाकत से उसने एक-एक करके हुक लगाए थे और थोड़ा सा अपनी चुचियों को खींचकर बाहर की ओर भी निकाला था ब्लाउस कसा हुआ था और उसके शरीर पर एकदम फिट था साथ में गोरे रंग में वो मखमली सा ब्लाउस कोई कयामत की तरह दिख रहा था अपने आपको देखकर एक बार वो मुस्कुराई थी और नीचे देखती हुई साड़ी भी उठा ली थी उसकी साड़ी ब्लैक कलर की जिसमे सिल्वर कलर के बहुत ही छोटे छोटे डॉट थे और कही कही हल्के सिल्वर कलर के डिजाइन भी थे जो कि पार दर्शी थे शिफॉन की साड़ी हल्की और मखमली सी उसके हाथों में एक सुखद सा एहसास दे रही थी अंदर दबी हुई चिंगारी धीरे-धीरे आग पकड़ती जा रही थी कुछ दिनों से अपने शरीर की आग से लड़ते हुए कामया थक गई थी कोई नहीं मिला था उसे ना कामेश ना ही भीमा और नहीं लाखा काका


और यह जो जानवर जिसे लिए घूम रही थी बस आग को लगाकर छोड़ देता था आज देखती हूँ क्या कहता है एक ही झटके में साड़ी को खोलकर अपने पेटीकोट पर बाँधने लगी थी नाभि के बहुत नीचे से जब उसने अपनी साड़ी को बढ़ाते हुए ऊपर की ओर उठी तो एक कयामत सी नजर आ रही थी और जब आखिरी वक़्त पर उसने आँचल को हिलाकर अपनी चूचीयों को ढका था और एक नजर मिरर पर डाला था जो सच में गजब का नजारा था उसके सामने जिस तरह का मेकप उस तरह का सजना सवरना और उसी तरह का ड्रेसिंग सेन्स कमाल का दिख रही थी कामया सच में एक कामया का रूप देख कर कोई भी बहक जाता उसे पाने को बड़ी-बड़ी आखें जब किसी पर पड़ जाए तो कोई तीर सा चल जाता था चाहे कोई मरे या घायल हो कामया तो वैसे ही खड़ी है अब सिर्फ़ इंतजार था उसे रीना से मिलने का देखे आज वो क्या पहनती है या कैसी लगती है उसे पता था कि उसके सामने रीना कही नहीं टिकेगी


पर कब तक इंतजार करना था पता नहीं और हुआ भी ठीक ऐसा ही तैयार होते में उसने टाइम तो देखा नहीं था ऋषि की आवाज आई थी उसे कमरे के बाहर से

ऋषि- भाभी तैयार हो गई रीना दीदी लोग निकल गये है

कामया- हाँ हो गई
और एक बार फिर से एक नजर अपने आप पर डाला और एक बार घूमकर भी देखा पीछे से उसकी पीठ कितनी सुंदर दिख रही थी गोरी गोरी पीठ कितनी साफ और कोमल सी और काले रंग के ब्लाउसपर से दिखता हुआ बिल्कुल कया मत वो मुस्कुराती हुई वो अपने पर्स में मोबाइल डाला और डोर की ओर बढ़ी थी

ड्राइंग रूम में ऋषि और भोला खड़े हुए उसका ही इंतजार कर रहे थे जैसे ही डोर खुला भोला और ऋषि एक साथ मुड़े और बस दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया था कामया के देखते ही खुले हुए बालों को झटकते हुए हाइ हील को चटकाते हुए अपनी बड़ी-बड़ी आखों को उन दोनों पर डालती हुई वो थोड़ा सा मचलकर चल रही थी उसकी चाल में एक मादकता थी एक कसक थी एक बला की मदहोश करने वाली अदा थी ऋषि और भोला की नज़रें एक बार जो उठी तो उठी ही रह गई थी ना कुछ ऋषि के मुख से कुछ निकला और नहीं भोला के भोला तो खेर नौकर था उससे उम्मीद भी नहीं करना चाहिए पर ऋषि की तो आँखे फटी की फटी ही रह गई थी तारीफ करने के लिए मुख तो खोला पर कहे क्या सोच नहीं पाया पर भोला की आखें उसके शरीर के हर कोने का जायजा लेती जा रही थी वाकई साड़ी में मेमसाहब गजब की लगती है अगर ऋषि नहीं होता तो शायद वो आज अपनी नौकरी की फिकर नहीं करता और नहीं अपने नौकर होने का और नहीं मेमसाहब के बुलाने का इंतजार

कामया- चले ऋषि
कामया अपनी तरफ उठी नज़रों को समझती हुई एक बार उसके पास आते ही बोल उठी थी उसके शरीर से उठने वाली खुशबू तो मदहोश करने के लिए ही थी जलवा और ऊपर से मदहोश करने वाली खुशबू के चलते दोनों ऋषि और भोला की आवाज तो जैसे गले में ही फस कर रह गई थी पर कामया के बोलते ही होश में आए और भोला आगे की ओर बढ़ते हुए डोर खोलकर खड़ा हो गया था और ऋषि कामया के साथ ही बाहर निकल गया था जब तक भोला डोर लॉक करके आया ऋषि और कामया गाड़ी मे बैठ गये थे भोला दौड़ कर आया और सामने की सीट पर बैठ गया था और गाड़ी सड़क पर दौड़ गई थी अंदर सभी चुपचाप थे और एक मदहोश करने वाली खुशबू में डूबे हुए अपने मुकाम की ओर बढ़े चले जा रहे थे होटेल पर पहुँचकर भी कुछ ख़ास नहीं पर हाँ… रीना का पति बड़ा ही मजेदार था थुलथुला मोटा सा खाने पीने का सौकीन था हँसता रहता था उसे कामया बहुत पसंद आई थी इसलिए नहीं की वो सुंदर थी पर इसलिए कि बड़ी ही शालीनता से उससे प्रेज़ेंट हुई थी और उसे वो इज्ज़त दी थी जैसे एक दामाद को मिलना चाहिए सो खाने के बाद जब वो वापस चले तो होटेल के मेन गेट पर
रीना- भाभी में ऋषि को ले जाऊ एक दिन के लिए

कामया- हाँ… हाँ… क्यों नहीं

ऋषि- नहीं दीदी भाभी अकेली रह जाएगी ना

रीना- अरे घर पर अकेले क्या क्यों भाभी कोई दिक्कत है कल जल्दी आ जाएगा

कामया- नहीं नहीं कोई परेशानी नहीं भोला है ना कोई दिक्कत नहीं जाओ

रीना- असल में भाभी ऋषि बहुत दिनों बाद मिला है ना इसलिए बस थोड़ा सा बातें करेंगे और कुछ नहीं
और यह तय हो गया कि ऋषि रीना के साथ ही चला जाएगा और कामया अपने हुश्न का जलवा बिखेरती हुई वापस गाड़ी में बैठ गई थी और वापस अपने घर की ओर चल दी थी


गाड़ी में अब सिर्फ़ ड्राइवर था और भोला और कामया एक अजीब सा सन्नाटा था और बाहर की ओर देखने की होड़ थी ड्राइवर तो जैसे गाड़ी चलाने में व्यस्त था पर भोला और कामया शायद एक दूसरे की ओर देखते हुए भी अंजान से बने बैठे थे भोला ने वापस आते समय भी नहीं पूछा था कि ऋषि कहाँ है या कुछ और जब कामया बैठी थी तो खुद भी बैठ गया था कामया ने ही ड्राइवर से कहा था कि गाड़ी घर ले चले ऋषि नहीं आएगा ड्राइवर और भोला ने खाना खाया कि नहीं यह भी पूछा था फिर शांति हो गई थी गाड़ी के अंदर सिर्फ़ बाहर की आवाजें आ रही थी


गाड़ी जब तक घर पहुँचती एक अजीब तरह का सन्नाटा और एक अजीब तरह का आवेश सा बन उठा था कामया और भोला के अंदर भोला भी जानता था कि ऋषि नहीं है और कामया भी जानती थी कि ऋषि नहीं है और तो और आज तो कामया ने जान लेने वाली साड़ी पहनी थी जो कि भोला के अंदर तक उतरगई थी खाने के बाद का और घर तक का सफ़र तो कट गया पर अब एक अजीब सी कसक जाग गई थी दोनों के अंदर जैसे कि दोनों ही एक दूसरे का इंतजार में थे कि कौन आगे बढ़े भोला अपने को रोके हुए था और कामया उसके आगे बढ़ने का इंतजार करती हुई पीछे बैठी हुई थी


पर जैसे ही गाड़ी रुकी और भोला जल्दी से उतर कर पीछे का डोर खोलकर खड़ा हुआ उसकी नजर कामया के सीने पर पड़ी बैठी हुई कामया के सीने से आँचल जो ढलका हुआ था उसके अंदर का पूरा हिस्सा जो कि खुला हुआ था उसकी नजर के सामने चमक उठा था वो अपनी नजर नहीं हटा पाया था उस सुंदरी से उसकाम की देवी से उस सुंदरता से जिसे वो कई दिनों से अपनी हवस का शिकार बनाना चाहता था पर आज का माहौल ठीक उसके आनुरूप था घर पर वो अकेली थी और उसे रोकने वाला कोई नहीं था और तो और आज कामया ने जो साड़ी पहनी थी वो शायद उसे ही दिखाने के लिए ही पहनी थी ना जाने क्या-क्या सोचते हुए भोला अपनी नजर को मेमसाहब पर टिकाए हुए उसकी मादकता को अपने अंदर समेटने की कोशिश करता जा रहा था उसके गोरे गोरे पेट और फिर उसके नीचे उसकी नाभि और टाइट से बँधी हुई साड़ी में उसकी नग्नता को और भी उजागर कर रहे थे
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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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डोर के खुलते ही कामया थोड़ा सा चौंक कर आगे की ओर हुई और अपनी चुचियों का और पीठ का थोड़ा सा हिस्सा नुमाइश करते हुए अपनी टांगों को बाहर निकालते हुए एक हाथ को खिड़की पर रखते हुए बाहर को निकली उसका निकलना था कि दो खुशबुओं ने एक साथ अपनी जगह बदली कामया की मधुर और काम उत्तेजित करने वाली खुशबू भोला के नथुनो को भेदती हुई उसके शरीर के रोम रोम में उतरगई थी खड़ा-खड़ा भोला अपनी मदहोशी के आलम में खोया हुआ कामया को अपने सामने से होकर आगे जाते हुए देख रहा था और एक खुशबू जो कि भोला की थी पसीने और एक मर्दाना जो कि कामया के नथुने में घुसते ही एक लड़खड़ाहट सी पैदा कर चुकी थी उसके शरीर में एक लंबी सी साँस छोड़ती हुई वो आगे बढ़ी थी पीछे से उसे भोला की आवाज भी सुनाई दी थी जो कि ड्राइवर से कुछ कह रहा था पर क्या कामया ने नहीं सुना था पर जैसे ही वो लिफ्ट पर रुकी थी और बटन प्रेस किया था वो खुशबू फिर से कामया नथुनो को भेद गई थी यानी की भोला उसके पीछे ही खड़ा था वो थोड़ा सा बिचलित सी हो उठी थी शरीर का हर हिस्सा उसका जबाब दे उठा था सांसें जो कि अभी तक नियंत्रित थी अब बहक बहक कर चल रही थी रुक रुक कर चलती हुई सांसों को कंट्रोल करने में लगी कामया के सामने धीरे से लिफ्ट कर दरवाजा खुला और एक बलिशट सी बाँहे उसके पीछे से निकलकर उसके कंधों को छूकर पीछे से आई और आगे बढ़ गई थी कामया थोड़ा सा हटी पर जो आग्नि उसके अंदर जागी थी उसे और भी बढ़ा कर अलग हो गई थी कामया थोड़ा सा हटी थी और झट से अंदर हो गई थी लिफ्ट में अंदर आते ही भोला भी अंदर आ गया था और कामया के पीछे खड़ा हो गया था कामया ने पलटने की कोशिश नहीं की थी पर अपनी सांसों को कंट्रोल करने में लगी थी पीछे से उसे कोई आहट सुनाई नहीं दी थी लिफ्ट धीरे से ऊपर की ओर उठने लगी थी लिफ्ट के पीछे लगे हुए मिरर में कामया ने देखा था की भोला उसकी ओर पीठ करके खड़ा था


वो कुछ और देखती कि भोला की नजर भी आमने लगे हुए मिरर से टकरा गई थी वो अपनी नजर झुका कर खड़ी हो गई थी सांसों के साथ उसकी साड़ी का आँचल भी उसके शरीर के हिस्से को ढकने की छोड़ चुका था वो खड़ी हुई थी कि उसके नितंबों पर एक सख़्त और कठोर हाथों ने कब्जा कर लिया था उसने एक बार अपनी नजर उठा कर फिर से मिरर की ओर देखा था भोला जो कि थोड़ा सा उसकी ओर घुमा था अपने हाथों से उसके नितंबों का जायजा ले रहा था और धीरे-धीरे उसकी हथेलिया उसकी कमर के पास आके रुक गई थी उसकी आखों में एक तारीफ थी जी उसे मिरर में दिख रही थी वो कामया की पीठ की ओर ही देख रहा था और अपने हाथों को घुमाकर उसकी रचना की और उसकी सुंदरता और उसकी कोमलता को वो सहेज रहा था अपने अंदर और एक ना भुजने वाली आग में कामया को जलाकर रखकर देना चाहता था कामया के शरीर में जो आग लगी थी वो एक बार भोला के छूने से फिर से बढ़ गई थी पर एक झटके से पलटकर खड़ी हो गई थी वो जैसे कहना चाहती थी कि छोड़ो मुझे पर भोला तो भोला ही था जानता था कि आज कामया उसे ना नहीं कर पाएगी अपने हाथ ना खींचते हुए वो फिर से कामया के पेट को छूता हुआ उसकी चुचियों की ओर बढ़ा था और अपने हाथों से उन्हें छूता हुआ एक बार उसकी ठोडी को ऊपर करके चूमता तभी लिफ्ट रुक गई थी कामया की जान में जान आ गई थी और वो भी जोर-जोर से अपनी सांसों को छोड़ती हुई खड़ी हुई एकटक भोला की ओर देखती रही पर भोला जैसे ही लिफ्ट रुकी आगे बढ़ कर गेट खोलने में लग गया था अपने कपड़ों की सुध लिए बिना ही कामया जैसी थी वैसे ही बाहर निकल आई थी और खड़ी होकर भोला के फ्लैट के मेन डोर खोलने का इंतजार करने लगी थी भोला भी जल्दी से डोर खोलकर अंदर घुस गया था और पीछे-पीछे कामया भी दौड़ती हुई घुसी और सीधे अपने कमरे में चली गई थी और झट से डोर बंद करलिया था जैसे उसे डर था कि भोला उस पर टूट ना पड़े

पर भोला ने ऐसा कुछ नहीं किया थोड़ी देर शांति बनी रही रात के 11 बज गये थे पर एक शांति ऐसी थी उस घर में कि जैसे कोई कुछ सुनने की कोशिश कर रहा हो और कुछ नहीं कामया आते ही बेड की साइड में बैठी हुई अपनी सांसों को कंट्रोल करने की कोशिस करने लगी थी धमनियो से टकराती उसकी सांसों से उसे लग रहा था कि कही हार्ट फैल नहीं हो जाए सांसों के साथ उसके मुख से एक अजीब तरह की आवाज भी निकल रही थी जो कि सिर्फ़ उसे ही सुनाई दे है थी कह सकते है कि आअह्ह थी या कह लीजिए कि सिसकारी थी जो भी हो बहुत जान लेवा थी अपने शरीर को छूने के तरीके से भी वो बड़ी ही आश्चर्य चकित थी कितने प्यार भरे अंदाज से भोला उसके शरीर को छुआ था जैसे उसके शरीर के हर उतार चढ़ाव को वो देखना चाहता था कोई जल्दी नहीं थी पर एक कसक थी जो उसके दिल में जगा गया था वो भोला सच में उसके तरीके की गुलाम बन गई थी

कामया - सांड़ कही का जानवर अगर एक बार में पकड़कर चूम लेता तो वो क्या करती कुछ नहीं उस दिन भी उसने यही किया था ऋषि के कमरे में सिर्फ़ एक बार चूमा था और कितना कस कर पकड़ा था कि कमर ही टूट जाती पर उसके कहने पर छोड़ दिया था उसके कमरे में भी जब उसने उसकी जाँघो के बीच में उंगली डाली थी तो कैसा लगा था कामया को बता नहीं सकती और एक-एक करके कामया को सब ध्यान आता चला गया जो कि भोला ने उसके साथ किया था अपनी सांसों को कंट्रोल करती हुई और अपने दोनों हाथों को समेटती हुई कामया बेड के एक साइड में लेटी हुई थी और अपने आपसे बातें करती जा रही थी कि डोर पर हल्के से नोक हुआ भोला था

भोला- मेमसाहब

कामया- हाँ…

भोला- जी मेमेसाहब में खाना खा आता हूँ आप अगर चाहे तो डोर बंद करले नहीं तो में लंच करके आता हूँ

कामया- ठीक है लंच करके आओ

कामया की हिम्मत नहीं थी उसके सामने आने की वो नहीं चाहती थी कि भोला एक बार फिर से उसके सामने आए बाहर की आवाज़ बंद हो चुकी थी और मेन डोर भी बंद होने की आवाज उसने सुनी थी लेटी हुई कामया अपने आपको स्थिर करने की कोशिश करती जा रही थी कि फोन ने उसे चौंका दिया था

कामेश- खाना खा लिया

कामया- हाँ… ताज गये थे

कामेश- रीना के पति से मिली कैसा है

कामया मस्त है सिर्फ़ खाने और घूमने के अलावा कुछ नहीं अच्छा लड़का है

कामेश- हाँ… इस दुनियां में एक में ही हूँ जो खराब हूँ बाकी तो सब मस्त ही है ही ही है ना

कामया- अरे यार बोर मत करो कब आओगे यह बताओ हद करते हो तुम

कामेश---अरे यार आने का मन तो बहुत करता है पर यह काम जो है ना इसके चलते सब बेकार का हो जाता है

कामया- कल आही जाना

कामेश--चल रखता हूँ

जो आग कामया संभालने की कोशिश कर रही थी वो कामेश के फोन ने और भी बढ़ा दिया था उसकी याद ने और उसके यहां नहीं होने से वो अपने आपको फिर से उसी आग में जलता पा उठी थी

एक तो वो भोला और ऊपर से उसकी वो हरकत और अकेला घर सबकुछ मिलाकर कामया अपने आपको सभालने की कोशिश से लड़ती हुई सी अपने से हारती हुई पा रही थी वो चाह कर भी अपने आपको संभाल नहीं पा रही थी गला सूखने को लगा था पर बाहर जाने का डर था कही वो सांड़ नहीं आ जाए कितनी देर हुई थी और कहाँ गया था वो नहीं जानती थी पर एक डर था उसके अंदर डर यह नहीं था कि वो क्या करेगा डर था अगर वो अपने आपको ना सभाल पाई तो
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Smoothdad
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Re: बड़े घर की बहू

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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वो नहीं चाहती थी कि वो इस खेल का हिस्सा बने पर परस्थिति ऐसी बन रही थी कि वो नहीं रुक पा रही थी वो उलझन में थी कि क्या करे पानी तो चाहिए ही था पर आ गया वो आ गया तो तो क्या वो ऐसे ही थोड़ी पड़ी रहेगी उसे पानी चाहिए था और वो खुद जाके ले लेगी एक बार में उठी और बाहर की ओर चल दी थी डोर खोलते समय वो थोड़ा सा रुकी भी थी बाहर की कोई आहट सुनने को पर बाहर कोई आहट नहीं थी और नहीं कोई चिंता की बात वो बाहर आ गई थी और किचेन की ओर चल दी थी फ्रीज में रखी बोटल को निकाल कर पानी पिया था और एक दो घुट पीकर अपना गला तर किया और बोतल रखकर वापस मूडी एक बार घर का अवलोकान भी किया था सबकुछ ठीक ठाक अपनी जगह पर था कही कोई कमी नहीं थी डाइनिंग टेबल की ओर जब उसका ध्यान गया था तो वो रुक गई थी एक येल्लो कलर का रोज रखा था एकदम फ्रेश वो डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ी थी प्लास्टिक में लपेटे हुए फूल के साथ एक चिट ही थी लिखा था

क्या लग रही हो मेमसाहब आज धन्यवाद हमारी फरमाइश सुनने का

कामया का पूरा शरीर सनसना गया था भोला साला गुंडा कही का यह फूल उसने रखा था इतनी हिम्मत उसकी कामया का दिमाग़ खराब हो गया था मैंने साड़ी उसके लिए पहनी थी वो है कौन और में उसके लिए क्यों पहनु और क्या सब मर गये है वो है कौन


गला एक बार फिर से सुख गया था वो फ्रीज की ओर बढ़ी थी बोतल निकाल कर पानी पिया था जल्दी और हड़बड़ी के चलते थोड़ा सा पानी उसके गले और ब्लाउज के ऊपर भी गिर गया था एक हाथ में वो फूल था फ्रीज खुला हुआ था और पानी पीते हुए एक बार वो दीवाल की ओर देखती जाती और फिर गला तर करती कि पीछे की आहट ने उसका ध्यान खींचा मैं डोर में चाबी घुसने की आवाज थी एक खामोशी और उलझन सी भरी हुई कामया हाथों में फूल लिए हाथों में पानी की बोतल लिए एकटक डोर की ओर ही देखती रही और बाहर से आते हुए भोला की नजर जैसे ही कामया पर पड़ी वो वही रुक गया था कामया की ओर एकटक देखते हुए सबसे पहले उसने मेन डोर को बंद किया और कामया को देखता रहा


सबसे पहले उसकी नजर उसके हाथों में उस गुलाब पर पड़ी जो वो रख गया था हाथों में पानी की बोतल लिए अपने कपड़ों की सुध नहीं थी उसे या कहिए उसे अंदाजा नहीं था कि भोला आ जाएगा ढला हुए आँचल से दिखते हुए उसके आधे खुले हुए चुचे काले रंग के ब्लाउससे दूर से ही चमक रहे थे गले से बाहर की ओर पानी की एक धार जो कि ब्लाउज के गले में जाकर कही गुम हो जा रही थी दूर से ही दिख रही थी कमर के हिस्से से साड़ी नहीं के बराबर थी खाली कमर से उसके पेट का हर हिस्सा साफ-साफ दिख रहा था एक जानवर, भोला के अंदर जो सोया हुआ था अचानक ही जाग उठा और वो धीरे-धीरे कामया की ओर बढ़ने लगा था कामया सांस रोके खड़ी हुई एकटक नजर से नजर मिलाए हुए भोला को अपनी ओर बढ़ते देखती रही थी

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Re: बड़े घर की बहू

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उसकी सांसें जो कि थोड़ी सी कंट्रोल में थी एक बार फिर से धमनियो से टकराने लगी थी आआहए सी निकलने लगी थी खड़े-खड़े काँपने लगी थी हाथ में रखा हुआ फूल उसे नहीं दिखा था और नहीं उसके हाथों में बोतल ही और नहीं उसे अपने कपड़ों का ध्यान था हाँ ध्यान था तो सिर्फ़ एक बात का उसके सामने खड़ा हुआ वो जानवर जो कि उसके शरीर का प्यासा है, जो की उसकी प्यास बुझा सकता था गला क्या उसके सारे शरीर में जो प्यास है उसे वो बुझा सकता है हाँ… कामेश नहीं है पर उसे अपने शरीर की प्यास के लिए कुछ करना ही था तो यह गुंडा क्यों नहीं और फिर वो तो उसका नौकर ही है उसकी खिदमत करना तो उसका फर्ज़ है वो खड़ी हुई सोच ही रही थी कि भोला एकदम उसके पास आके खड़ा हो गया और अपने सीधे हाथों को एक बार उसके लेफ्ट चुचे के ऊपर से घुमाकर उसके चहरे पर ले आया और उसके चहरे से बालों के गुच्छे को हटा कर उसकी आँखो में देखता रहा और बहुत ही धीरे से अपनी नजर को उसके सीने से लेकर उसके पूरे शरीर पर घुमाकर वापस उसकी आखों पर डाल कर उसके नजदीक चला गया

कामया- आआअह्ह
पर भोला की आवाज नहीं निकली निकली तो सिर्फ़ उसकी जीब जो कि कामया गले से लेकर उसके सीने पर जहां जहां पानी गिरा था उसके साथ-साथ घूमती हुई उसके ब्लाउसको चूमती हुई और उस गिरे हुए पानी को पीते हुए फिर से ऊपर की र उठने लगी थी

कामया- आअह्ह उूउउम्म्म्मम प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज

भोला- मेमसाहब चलिए आपको सुला दूं

और अपने होंठों को एक बार कामया के गालों को छूते हुए अपनी दोनों बाजू को उसके गले और जाँघो के नीचे लेजाकर एक झटके में ही उसके तन को अपनी बाहों में उठा लिया था कामया जब तक संभालती तब तक तो हवा में थी और एक मजबूत गिरफ़्त में थी एक अंजाने भय के चलते एकदम से भोला की टीशर्ट पर उसकी उंगलियां कस्स गई थी और उसके पीठ पर जो बाँहे थी उसके सहारे अपने सीने को उँचा करके आखें बंद किए आगे की होने वाली घटना को सहेजती हुई कामया ने अपने शरीर को एकदम ढीला छोड़ दिया था


एक मदहोश करने वाली गंध उसके नथुनो को अब भी भेदने में लगी थी और एक आपरिचित सी गंध भी शायद वो शराब की थी जो की भोला की सांसों से आ रही थी और उसके शरीर से भी पर कामया की मजबूरी ही थी की वो ना चाहते हुए भी उसकी गिरफ़्त में थी और नहीं जानती थी कि क्या करे पर हर स्थिति को जानती हुई भी एक अंजान सी बनी हुई उसकी बाहों के सहारे अपने कमरे की ओर चल दी थी


उसकी पकड़ अब भी भोला की टी-शर्ट पर कसी हुई थी और नहीं जानती थी कि भोला की नजर कहाँ है पर सांसों के छोड़ने से जो गंध उसकी नाक में जा रही थी उससे तो लगता था कि उसे ही देख रहा होगा पर कामया में इतनी शक्ति नहीं थी कि वो अपने को ढँक सके खाली पेट और सीने पर पड़ती हुई ठंडक को झेलते हुए उसे यह तो अंदाज़ा था ही कि वो अपने कपड़ों का ध्यान नहीं दे रही थी और एक संपूर्ण आमंत्रण सा दे रही थी भोला को और भोला भी उस मौके का पूरा फायदा उठा रहा था

उसे कामग्नी में जल रही नारी को जो कि उसके जीवन की सबसे ज्यादा तपस्या का फल था आज उसकी बाहों में थी और वो उसे उसी के कमरे में ले जा रहा था एक उमंग के साथ-साथ एक बड़ा ही नाटकीय सा मोड़ आ गया था उसके जीवन में ना जाने क्यों भोला भी इस औरत के लिए इतना क्यों बेकरार था और जाने क्यों वो अब तक इससे जबरदस्ती नहीं कर पाया था चाहता तो लाखा काका के बाद ही वो इस औरत को अपने नीचे लिटा सकता था पर नहीं किया था उसने और आज जब सबकुछ उसके हाथों में था एक झिझक थी उसमें क्या करे या कहाँ से शुरू करे, या फिर कुछ और था जो भोला को रोके हुए था वो तो इस औरत को छू चुका था और वहां भी ऋषि के घर में भी तो उसे इशारा करके ही बुलाया था ना कि मिन्नत करके कैसे आ गई थी यानी वो भी जानती है कि और चाहती ही होगी फिर क्यों वो पीछे हटेगा आज नहीं हटेगा कुछ भी हो



और उधर कामया अपने आपको अंदर की ओर ले जाती हुई भोला की चाल को गिन रही थी उसकी पकड़ में अपने आपको विचलित सी होती हुई अपने नाखूनों को और भी ज्यादा तेजी से उसकी टी-शर्ट पर गाढ़ती हुई अपने को सहारा दिए हुए अपने कमरे पर पहुँच गई थी और अपने को नीचे की ओर होते हुए भी एहसास किया था और अपने को बेड पर टच भी होते हुए पाया था पर उसकी गिरफ़्त उसके टी-शर्ट पर से ढीली नहीं हुई थी


कामया को लिटा कर भोला एक बार तो उससे दूर जाने की कोशिश करता है पर कामया की पकड़ उसके टीशर्ट पर इतनी मजबूत थी कि वो हट नहीं पाया थोड़ा सा रुक कर उसपरम सुंदरी को एक बार निहारता हुआ अपने दोनों हाथों को उसके नीचे की ओर से निकालने लगा था निकालते समय कामया के शरीर के हर हिस्से को लगातार छूते हुए और एक गहरा एहसास लेते हुए निकालता चला गया आखें कामया के शरीर के हर हिस्से को निहारती रही और अपने अंदर उठ रही हवस की आग को ठंडा करने की कोशिश करता रहा पर कामया की पकड़ के सामने वो हार गया और अपने सीधे हाथ से एक बार फिर से कामया के शरीर के हर मोड़ पर और हर अंग को शहलाने की इच्छा को वो रोक ना पाया कमर के चिकने पन से लेकर कोमलता और उसके गदराए हुए नितंबों तक वो अपने हाथों को घुमाते हुए ले चला था हर हिस्सा उसके तन में एक आग को जनम दे रहा था दूसरे हाथ से वो कामया की चुचियों पर अपने उतावलेपन को दर्शा रहा था कितनी सुंदर और सुडोल है मेमसाहब कितनी कोमल और नशीली सी और किस तरह से अपने आप में ही तड़प रही थी


कामया अपने शरीर मे उठ रही ऐंठन को नहीं रोक पा रही थी अपने आपको सिकोड़ती हुई और तन्ती हुई भोला की टी-शर्ट पर अपनी पकड़ अब तक ढीली नहीं की थी और भोला भी धीरे-धीरे अपने हाथों को चलाते हुए उसके शरीर के हर हिस्से को सहलाता हुआ कभी ऊपर और तो कभी नीचे की ओर जा रहा था पर हर बार ही उसे लगता था कि कही कुछ छूट तो नहीं गया और फिर से वो उन्हीं जगह पर घुमाने लगता था कामया के शरीर पर घूम रहे भोला के सख़्त और कठोर हाथ उसके अंदर एक नई आग को जनम दे रहे थे आज तक किसी ने उसे इतने प्यार से नहीं सहलाया था थोड़ी देर में ही वो जंगली हो उठ-ता था और उसपर टूट पड़ता था पर यहां भोला कुछ अलग था उसके हाथों को कोई जल्दी नहीं थी और उसके हाथों के घुमाने से ही लगता था कि वो कामया के हर हिस्से को ठीक से और अच्छे से देख लेना चाहता था कामया के शरीर पर से उसकी साड़ी एक तरफ हो गई थी और जो जगह ढकनी चाहिए वो अब खुली हुई थी काले कलर की साड़ी के अंदर का हर वो पहनावा अब बिल्कुल साफ था भोला के सामने ब्लाउज के अंदर से उसकी चूचियां आधे से ज्यादा बाहर आ गई थी और हर बार उसकी सांसें लेने से वो और भी बाहर की ओर आ जाती थी कामया के मुख से सांसों के साथ-साथ कई आवाजें भी निकलती जा रही थी जो की उस समय उस कमरे में एक अजीब से महाल को जनम दे रही थी भोला की आखें पथरा सी गई थी अपने सामने इस तरह से कामया को तड़पते देखकर उसकी साड़ी को कंधे से नीचे होते ही जब वो झटके से उसकी ओर पलटी तो सिर्फ़ ब्लाउज के अंदर का हिस्सा उसके सामने था और पेटीकोट से बँधी हुई उसकी साड़ी और वो गहरी सी नाभि भी अपनी उंगलियों से उसके पेट को छूते हुए उसकी नाभि को उंगलियों से उसके आकार और प्रकार का जाएजा लेता हुआ भोला उस काम अग्नि में जल रही कामया को एकटक देख रहा था दूसरे हाथ से उसके चहरे से बालों को साफ करते हुए उसके चेहरे को ध्यान से देखता रहा पर कामया की आखें बंद थी और जोर-जोर से सांसें लेती हुई अब तो भोला को टी-शर्ट पकड़कर अपनी ओर खींचने लगी थी उसकी उत्तेजना को देखकर लगता था कि भोला को उसकी जरूरत कम थी और कामया को उसकी जरूरत ज्यादा थी उत्तेजना में हालत खराब थी कामया की पर भोला तो जैसे मंत्र मुग्ध सा अपने हाथों में आई उस हसीना के एक एक अंग को ठीक से तराशते हुए अपने हाथों को उसके जिश्म पर घुमा रहा था उस नरम और कोमल चीज के हर हिस्से को छू लेना चाहता हो जैसे कामया के तड़पने से उसकी पेटीकोट उसकी जाँघो तक आ गई थी और भोला की आखें जैसे पथरा गई हो
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