Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन complete

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Re: Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन

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vnraj wrote:बहुत सुंदर दोस्त
rajaarkey wrote:दोस्त नयी कहानी के लिए मेरी तरफ से शुभकामनाएँ
धन्यवाद बंधुवर
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Sexi Rebel
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Re: Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन

Post by Sexi Rebel »

बॉब्बी का लंड अभी भी बहुत कड़ा था और उसकी मम्मी के मुख के आगे फडफडा रहा था. दिव्या ने जब कल्पना की कि उसके बेटे का विकराल, मोटा, चूत खुश कर देने वाला लौडा, उसकी चूत में गहराई तक घुस कर, अंदर बाहर होते हुए, कैसे उसकी चूत की खुदाई करेगा तो उसने अपनी चूत में ऐंठन महसूस की.

"वेल! मुझे उम्मीद है बेटा कि अब तुम पूरी तरह से संतुष्ट हो गये होगे" दिव्या हान्फते हुए बोलती है. "तुम वास्तव में मम्मी से अपना विशाल लंड चुसवाने में कामयाब हो गये. मेरा अनुमान है अब तुम अपनी मम्मी के साथ और गंदे काम करने की तम्मनाए भी कर रहे होगे'



बॉब्बी दाँत निकालते हुए हां में सिर हिलाता है. दिव्या अपने पावं पे खड़ी होती है. उसके हाथ अपनी शर्ट के बटनों को बेढंग तरीके से टटोलते हैं क्योंकि उसकी आँखे तो अपने बेटे के विशालकाय लंड पे जमी हुई थी वो चाह कर भी उससे नज़रें नही हटा पा रही थी.

"तो फिर मेरे ख़याल से अच्छा होगा अगर तुम अपने बाकी के कपड़े भी उतार दो. बॉब्बी अब जब हम ने सुरुआत कर ही ली है तो यही अच्छा होगा कि तुम्हारे दिमाग़ से यह घृणित हसरतें हमेशा हमेशा के लिए निकाल दी जाएँ.

बॉब्बी बेशर्मी से हंसता है और अपने शूस उतार कर, अपनी पैंट भी उतार देता है जो उसके घुटनो में इतनी देर से फँसी हुई थी. अब उसके जिस्म पर केवल एक कमीज़ बची थी. उसकी नज़र में मम्मी की जोरदार ठुकाई करने के लिए उसे अपनी कमीज़ उतारने की कोई ज़रूरत नही थी, एसी ठुकाई जिसकी शायद उसकी मम्मी तलबगार थी. वो नीचे फर्श पर बैठ जाता है और अपनी मम्मी को कपड़े उतारते हुए देखता है. दिव्या के गाल शरम से लाल हो जाते हैं जब वो अपनी कमीज़ उतार कर उपने उन मोटे मोटे गोल मटोल मम्मों को नंगा कर देती है. वो मम्मे जिन पर उसे हमेशा गुमान था और हो भी क्यों ना, इस उमर में भी उसके मम्मे किसी नवयुवती की तरह पूरे कसावट लिए हुए थे. पूरी तरह तने हुए मम्मे जो बाहर से जितने मुलायम और कोमल महसूस होते थे दबाकर मसलने पर उतने ही कठोर लगते थे. दूधिया रंगत लिए हुए मम्मों का शृंगार थे गहरे लाल रंग के चुचक जो इस वक़्त तन कर पूरी तरह से उभरे हुए थे. मम्मी की पतली और नाज़ुक कमर के उपर झूलते हुए वो विशालकाय मम्मे किसी अखंड ब्रह्मचारी का ब्रह्म्चर्य भंग करने के लिए काफ़ी थे.

"तुम्हारे चेहरे के हावभाव को देखकर लगता है तुम्हे अपनी मम्मी के मोटे मम्मे भा गये हैं, बॉब्बी मैं सच कह रही हूँ ना? दिव्या बेशरमी से अपने बेटे को छेड़ती है. उसके हाथ अपनी पतली कमर पे थिरकते हुए उपर की ओर बढ़ते हैं और वो अपने विशाल, गद्देदार मम्मों को हाथों में क़ैद करते हुए उन्हे कामुकतापूर्वक मसल्ति है. दिव्या अपने पावं को हिलाते हुए अपनी उँची ऐडी की सॅंडेल्ज़ निकाल देती है. फिर उसकी जीन्स का नंबर आता है. काम-लोलुप मम्मी अपने काँपते हाथों से जीन्स का बटन खोलती है और फिर उसे भी अपने जिस्म से अलग कर देती है. एक काले रंग की कच्छि के अलावा पूरी नग्न माँ अपने बेटे के पास बेड पर बैठ जाती है

"बॉब्बी आगे बढ़ो, अब तुम अपनी मम्मी के मम्मों को चूस सकते हो. मेरा अनुमान है तुम मूठ मारते हुए इन्हे चूसने की कल्पना ज़रूर करते होगे."

अपनी मम्मी की बात के जवाब में बॉब्बी सहमति के अंदाज़ में सिर हिलाता है. फिर वो अपनी मम्मी के सामने घुटनो के बल होते हुए उसके विशाल और कड़े मम्मों को हाथों में भर लेता है. चुचकों पर अंगूठे रगड़ते हुए वो किसी भूखे की तरह उन जबरदस्त मम्मों को निचोड़ने और गुंथने लग जाता है. मम्मों के मसलवाने का आनंद सीधा दिव्या की चूत पर असर करता है और उसके जिस्म मे एक कंपकपि सी दौड़ जाती है.

"तुम _ तुम चाहो तो उनको चूस सकते हो, अगर तुम्हारा मन करता है तो..." दिव्या काँपते हुए लहज़े मे बोलती है.

बॉब्बी अपनी मम्मी के जिस्म पर पसरते हुए मुँह खोल कर एक तने हुए चुचक को अपने होंठो मे भर लेता है. कामुकतापूर्वक वो अपने गालों को सिकोडता हुआ अपनी मम्मी के विशाल मम्मे को सडॅक सुड़ाक कर चूस्ता है. ठीक उसी प्रकार जैसे कभी वो बचपन में मम्मी का दूध पीते हुए करता था. दिव्या ऋण ऋण करती है., उसकी चूत की प्यास हर बीतते पल के साथ बढ़ती जा रही थी. वो अपने प्यारे बेटे के सिर को कोमलता से सहलाते हुए उसे अपने मम्मे चूसने के लिए उकसाती है जो उसके बेटे को पसंद भी था.

"तुम _ तुम मेरी चूत को अब छू सकते हो." दिव्या फुसफुसाते हुए बोलती है. "मेरा ख़याल है तुम वो भी ज़रूर करना चाहते हो"

बॉब्बी अपना हाथ नीचे सरकाता हुआ अपनी मम्मी जाँघो के दरम्यान ले जाता है और अपनी उंगली उसकी चूत पर कच्छि के उपर से दबाता है. वो अचानक मम्मे को चूसना बंद कर देता है, चेहरे पर विजयी भाव लिए हुए वो उसकी आँखो में झाँकता है.

"हाए मम्मी! तुम्हारी चूत तो एकदम गीली हो गयी है"

दिव्या लज्ज्जातरन हो जाती है. वो यह तो जानती थी कि उसकी फुददी गीली है, मगर यह नही जानती थी कि इतनी गीली है कि उसकी जांघे भीतर से, उसकी चूत से रिसने वाले तैल के कारण पूरी तरह चिकनी हो गयी थी और सामने से कच्छि उसकी गीली चूत से बुरी तरह से चिपकी हुई थी. उसका बेटा कच्छि को पकड़ता है और उसे खींच कर उसके जिस्म से अलग कर देता है. अब उसकी मम्मी उसके सामने पूरी तरह से नंगी पड़ी थी. बॉब्बी माँ की जाँघो को फैलाते हुए उसकी गीली और फडफडा रही स्पन्दन्शील चूत को निहारता है.

बॉब्बी प्रत्याशित रूप से अपनी माँ की मलाईदर चूत देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है.

"बेटा तुम मेरी ओर इस तरह किस लिए देख रहे हो?" दिव्या हाँफती हुए बोलती है. "तुम अपने इस मूसल लंड को सीधे मेरी चूत में क्यों नही घुसेड देते? मैं जानती हूँ तुम्हारे मन की यही लालसा है भले ही मैं तुम्हारी सग़ी माँ हूँ?"

"नही मैं पहले इसे चाटना चाहता हूँ." बॉब्बी बुदबुदाता है.

बॉब्बी अपनी मम्मी की लंबी टाँगो के बीच में पसरते हुए उसकी जाँघो को उपर उठाता है ताकि उसका मुँह माँ की फूली हुई गीली और धढकती हुई चूत तक आसानी से पहुँच जाए. दिव्या को एक मिनिट के बाद जाकर कहीं समझ में आता है कि उसका अपना बेटा उसकी चूत चूसना चाहता है. और जब उसके बेटे की जिव्हा कमरस से लबालब भरी हुई उसकी चूत की सुगंधित परतों पर पहला दबाव देती है तो उसका जिस्म थर्रा उठता है. उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं और वो मदहोशी में अपने होन्ट काटती है.


"उंगघ! ही....बॉब्बी! तुम _ तुम ये क्या कर रहे हो बेटा? उंगघ! उंगघ!"

मगर बॉब्बी चूत चूसने में इतना व्यसत था कि उसने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. स्पष्ट था कि उसे अपनी मम्मी की चूत का ज़ायक़ा बहुत स्वादिष्ट लगा था, अपनी जिव्हा को रस से चमक रही गुलाबी चूत में उपर नीचे करने में उसे बड़ा मज़ा आ रहा था. दिव्या ने तुरंत ही अपने मन में एक डर महसूस किया कि मालूम नही वो अपने बेटे के सामने अब कैसे वर्ताव करेगी. वो अपने बेटे द्वारा चूत चूसे जाने से पहले ही बहुत ज़यादा कामोत्तेजित थी. और जब उसके बेटे ने मात्र अपनी जिव्हा के इस्तेमाल से ही उसकी कुलबुला रही चूत को और भी गीला कर दिया था, उसकी खुजली में और भी इज़ाफ़ा कर दिया था तो आगे चलकर उसकी क्या हालत होगी? उसे यह बात सोचते हुए भी डर लग रहा था कि कहीं वो मदहोशी में अपनी सूदबुध ना खो बैठे और बेटे के सामने एक रांड़ की तरह वार्ताव ना करने लग जाए.

"नही, बेटा! तुम्हे __उंगघ__ तुम्हे मम्मी की चूत चूसने की कोई ज़रूरत नही है. उंगघ! बस अपनी मम्मी को चोद डालो, बेटा. में जानती हूँ तुम सिर्फ़ यही चाहते हो!"
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Re: Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन

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बंधुओ मुझे लगता है शायद ये कहानी पसंद नही आ रही है
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Re: Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन

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बॉब्बी कोई जवाब नही देता है. उसकी उंगलियाँ चूत के होंठो को फैलाए रखती हैं ताके वो अपनी जिव्हा अपनी माँ के गीले और सुंगंधित छेद में पूरी गहराई तक ठेल सके. चूत की गहराई से गाढ़े मलाईदर रस का बहना लगातार जारी था, और चूत का दाना सूज़ कर और भी मोटा हो गया था जो रोयेन्दार चूत की लकीर के उपर उभरा हुआ दिखाई दे रहा था.

बॉब्बी अपनी जिव्हा को चूत के उपर की ओर घुमाता है. वो चूत चूसने के कौशल मे अपनी प्रवीनता उस समय साबित कर देता है जब वो अपनी जीभ अपनी मम्मी की चूत के दाने पर एक तरफ़ से दूरी तरफ तक कोमलता से रगड़ता है. निर्वस्त्र माँ सीत्कार करते हुए बेटे के सिर को दोनो हाथों में थाम लेती है. और फिर वो अविलंब अपने नितंब बेड से उपर हवा में उच्छलते हुए अति शीघ्रता से अपने बेटे का मुँह अपनी गीली फुददी से छोड़ने लगती है.

"हाई, बेटा!!" दिव्या भर्राए गले से बोलती है. "उंगघ! मम्मी को चूसो बेटा! मम्मी को बुरी तरह से चूस डालो! उंगघ! मम्मी के दाने को चाटो! चूसो इसे! अच्छे से चूसो! अपनी मम्मी को सखलित कर दो मेरे लाल."


बॉब्बी चूत को चूमते हुए उसकी चुसाइ चालू रखता है, केवल तभी विराम लगाता है जब वो अपना चेहरा मम्मी की घनी, सुनेहरी रंग की घुँगराली झान्टो पर रगड़ता है. अब वो अपनी उंगलियाँ सीधी करता है और उन्हे अपनी माँ की चूत के संकिरण और बुरी तरह से चिपके अन्द्रुनि मार्ग पर धकेल्ता है. दिव्या के जिस्म में कंपकंपी दौड़ जाती है जब उसका बेटा उसकी चूत में उंगली करते हुए उसके दाने को मुँह में भरकर चूस्ता है.

"हाई...हाई...बॉब्बी! चूस इसे! ही..मेरी मिन्नत है बेटा..!"

बॉब्बी दाने को होंठो में दबाए हुए उसे कोमलता से चूस्ता है मगर जिव्हा को उस पर कठोरता से रगड़ते हुए, और साथ ही साथ शीघ्रता से उसकी फुददी में अपनी उंगलियाँ अंदर धकेल्ता है. दिव्या अपने भीतर गहराई में रस उमड़ता हुआ महसूस करती है जिसके कारण उसके चुचकों और गुदाद्वार में सिहरन सी दौड़ जाती है और सखलनपूर्व होने वाले एहसास से उसके जिस्म में आनंदमयी खलबली मच जाती है. और फिर वो जिस्म ऐंठते हुए अनियंत्रित ढंग से सखलित होने लगती है जब उसका अपना सगा बेटा उसकी चूत को चूस रहा होता है.

"चूस इसे बेटा ज़ोर से चूस! उंगघ! चाट इसको, अपनी मम्मी की चूत चाट! में झड रही हूँ बेटा, मैं झड रही हूँ!"

दिव्या की तड़पति चूत संकुचित होते हुए इतना रस उगलती है कि उसका लाड़ला दिल खोल कर चूतरस को चूस और चाट सकता था. बॉब्बी मम्मी के दाने को लगातार चूस्ते हुए और उसकी चूत में उंगली करते हुए उसे सखलन के शिखर तक ले जाता है. लगभग एक मिनिट बीत जाने पर चूत का संकुचित होना कम होता है. तब तक दिव्या को अपनी फुद्दि के भीतर गहराई में एक एसी तडपा देने वाली कमी महसूस होने लग जाती है जैसी उसने आज तक महसूस नही की थी. वो चाहती थी कि उसका बेटा जितना जल्दी हो सके उसकी चूत में अपना लंड घुसेड दे, वो अपने बेटे के मोटे मांसल लौडे से अपनी चूत ठुकवाने के लिए मरी जा रही थी.

"तुम _ तुम अब अपनी मम्मी को चोद सकते हो बेटा. में जानती हूँ असलियत में तुम यही चाहते हो, है ना? आगे बढ़ो, बेटा. इसे मेरी चूत मे घुसेड डालो! जल्दी बेटा जल्दी!"


बॉब्बी अपनी मम्मी की जाँघो के बीच रेंगते हुए उस के उपर चढ़ जाता है. उसका विकराल लंड रस टपकाते हुए उसके पेट पर ठोकर मार रहा था. दिव्या अधिरता पूर्वक अपना हाथ नीचे लाती है और अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसके सुपाडे को अपनी चूत के द्वार से भिड़ा देती है. दिव्या अपना निचला होंठ दांतो में दबाए हुए रीरियाती जब उसे अपने बेटे का मांसल लौडा उसकी चूत को भेदते हुए अंदर दाखिल होता महसूस होता है. उसकी चूत के मोटे होंठ बेटे के आक्रमणकारी लंड की मोटाई के कारण बुरी तरह से फैल कर उसको कसकर जकड लेते हैं.

"उबगघ! हाई,बॉब्बी तेरा वाकई में बहुत बड़ा है! तुम इसे वाकई में मेरे अंदर ठूँसने जा रहे हो, है ना? उंगघ! आगे बढ़ो मेरे लाल और ठूंस दो इसे अपनी मम्मी की चूत मे! जल्दी , जल्दी!"

बॉब्बी अपनी जांघे चौड़ी कर लेता है ताकि उसके कूल्हे चूत में लौडा ठोकने के लिए सबसे बढ़िया स्थिति में हो. और फिर वो अपने लौडे को धीरे धीरे आगे पीछे करते हुए धक्के लगाना चालू कर देता है. हर धक्के के साथ वो अपना लंड अपनी माँ की चूत में गहरा और गहरा करता जाता है. दिव्या अपना सिर उपर उठाते हुए नीचे की ओर देखती है कि कैसे उसके बेटे का लंड जिस पर नसे उभर आई थीं, उसकी संकरी चूत में आगे पीछे हो रहा था. चूत लंड के मिलन का यह नज़ारा देखने में बड़ा ख़तनाक मगर साथ ही साथ बेहद रोमांचित कर देने वाला भी था. दिव्या गान्ड हवा में उछालते हुए अपनी तड़पति चूत अपने बेटे के मोटे लौडे पर धकेल्ति है.

"बॉब्बी तुम _ तुम मुझे गहराई तक चोद सकते हो." वो हाँफते हुए बोलती है "आगे बढ़ो बेटा और अपनी मम्मी की चूत जितना गहराई तक हो सके चोदो!"


बॉब्बी और भी कठोरता से धक्के लगाना चालू कर देता है. वो वाकई में अपना विशाल लंड माँ की संकीर्ण, काँपति चूत में इतने बल पूर्वक ठोकता है कि दिव्या का जिस्म कांप उठता है. आख़िरकार वो अपना संपूर्ण लंड अपनी मम्मी की चूत में डालने में सफल हो जाता है. दिव्या ने पूरी जिंदगी में, खुद को किसी कठोर लौडे द्वारा इतना भरा हुआ कभी महसूस नही किया था.

उसकी चूत बुरी तरह ऐंठने लगती है और उस विशाल लंड को, जो उसकी बच्चेदानी के अंदर ठोकर मार रहा था, को चारों और से भींचते हुए चूस्ति है. मम्मी की चूत में अपना पूरा लंड ठोक कर बॉब्बी कुछ पलों के लिए स्थिर हो जाता है. वो अपनी कोहनियों को मोडते हुए अपनी माँ के जिस्म पर पसर जाता है. दिव्या के मोटे स्तन अपने बेटे की चौड़ी छाती के नीचे दब जाते हैं.

"चोद अपनी माँ को, बॉब्बी! माँ की चूत ठोक दे!"
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अनैतिक वयाभिचार की उसकी कामना और भी प्रबलता से स्पष्ट हो जाती है, दिव्या ने अपनी टांगे उपर की और जितना उठा सकती है, उठाती है और फिर अपनी पिंदलियाँ अपने बेटे की पीठ पर बाँध देती है. और फिर वो व्यग्रता से अपने कूल्हे हिलाते हुए अपनी गीली और कसी चूत से अपने बेटे के लंड को किसी कामोत्तेजित रंडी की तरह चोदना चालू कर देती है.

"मैने कहा चोद मुझे! मम्मी अब बहुत चुदासी है बेटा! मुझे अब बस चोद डाल, ठोक दे मेरी!"

बॉब्बी लंड बाहर निकालता है, तब तक बाहर खींचता है जब तक सिर्फ़ लंड का गीला और फूला हुआ सुपाडा उसकी माँ की फुददी के होंठो के बीच रह जाता है. वो पूरे ज़ोर से अपने कूल्हे नीचे की ओर लाते हुए एक जोरदार घस्सा मारता है और उसका विकराल लंड उसकी माँ की चूत में जड़ तक घुस जाता है. अपनी माँ की चूत में लगाया ये पहला घस्सा उसे ऐसा आनंद देता है कि उसका पूरा जिस्म काँप जाता है. तब तक दिव्या किसी बरसों की प्यासी, अतिकामुक औरत की तरह अपनी गान्ड उछालते हुए चुदवाने लगती है. जब वो अपनी चूत अपने बेटे के लंड पर मारती है तो उसके मोटे स्तन कंपन करते हुए बुरी तरह से उछलते हैं. बॉब्बी अपनी मम्मी की ताल से ताल मिलाते हुए अपना लौडा उसकी मखमली चिकनी चूत में पूरी गहराई तक पेलता है.

"ऐसे ही, हाँ ऐसे ही चोद माँ को मेरे लाल! हाई मे मारियीयियी! उंगघ, और ज़ोर लगा बेटा, मम्मी की चूत जितने ज़ोर से चोद सकता है, चोद!" दिव्या अपनी बाहें उसके कंधो के गिर्द लपेटते हुए उसे ज़ोर से गले लगा लेती है. गहरी साँसे लेते हुए उसका कराहना अब चीखने में बदल जाता है, जब वो अपनी चूत से उसके लंड को ज़ोर से भींचती है "चोद बेटा, चोद अपनी मम्मी को"

बॉब्बी अपनी माँ के कंधे पर सिर रखकर एक गहरी साँस लेता है, और फिर अपने जिस्म की पूरी ताक़त लगाते हुए अपनी माँ की चुदाई करने लगता है. उसके कूल्हे अति व्यग्रता से अपनी माँ की जाँघो में उपर नीचे होते हैं, वो हुंकार भरते हुए अपने भाले नुमा लौडे को मम्मी की मलाईदार चूत में पेलता है. आतिशीघ्र दिव्या को अपने अंदर फिर से रस उमड़ता महसूस होता है और लौडे से पूरी भारी पड़ी उसकी प्यारी चूत बुरी तरह संकुचित होते हुए बेटे के लंड को और भी कस लेती है.

"में फिर से झड़ने वाली हूँ बेटा! चोद माँ को! मार मेरी चूत! उंगघ! है में आ रही हूँ बेटा!"

उसकी चूत मंत्रमुग्ध कर देने वाले सखलन के सुखद अहसास से फॅट पड़ती है और उससे चुदाई का गाढ़ा रस बहकर बाहर आने लगता है. चूत की सन्करि गुलाबी दीवारें बेटे के उस भयंकर लंड को कसते हुए उसे भींचती हैं. बॉब्बी अपना पूरा लंड मम्मी की चूत में जड़ तक पेलते हुए उसपर ढेर हो जाता है. और उसके लंड से दूसरी बार गाढ़ा रस फुट पड़ता है. दिव्या अपनी चूत की गहराई में वीर्य की भारी बौछार गिरती हुई महसूस करती है और उसकी चूत गरम और गाढ़े रस से लबालब भर जाती है.

कामोत्तेजित माँ अपनी चूत की मांसपेशियों को बेटे के लंड पर ढीला छोड़ते हुए, उसे अपने टट्टों में भरे हुए रस का भंडार अपनी फुददी में खाली करने में मदद करती है.लेकिन वो अपने मन में अभी से अपराध बोध, शर्म और घृणा लौटते हुए महसूस कर रही थी कि उसने खुद पर नियंत्रण की बजाए अपने बेटे से अपनी चूत मारने की उत्कट इच्छा के आगे घुटने टेक दिए थे. 'यह पहली और आख़िरी बार था' वो अपने मन में सोचती है. वो इस तरह खुद के साथ जिंदगी नही जी सकती थी कि जब भी उसके बेटे का लंड खड़ा होगा तो वो उसे चूस कर या अपनी चूत मे लेकर शांत करेगी. 'नही में दोबारा एसा हरगिज़ नही होने दूँगी' वो सोचती है

दोपहर की उस जोरदार चुदाई के बाद उस दिन दिव्या ने अपने बेटे को दोबारा चुदाई से सॉफ तोर पर मना कर दिया, हालाँकि बॉब्बी ने पूरी कोशिश की कि वो हमेशा सख़्त रहने वाले अपने लंड को अपनी माँ की चूत की गहराइयों मे फिर से उतार सके. दिव्या के लिए भी उसे मना करना आसान नही था. उसने रात का ज़्यादातर वक्त अपनी चूत में उंगली करते हुए गुज़रा. बंद दरवाजे के पीछे वो अपनी गीली चूत को बुरी तरह रगड़ते हुए उस दोपहर के जबरदस्त मज़े के बारे में सोच रही थी जो उसे उसके बेटे के मोटे लंड से चुदकर मिला था.

अगली सुबह बॉब्बी नाश्ता करने के लिए जब नीचे आता है तो उसके तन पर एक भी कपड़ा नही होता है. उसका लंड पूरा अकड़ा हुआ था और उसकी टिप से रस बाहर आ रहा था. बॉब्बी पूरी कोशिश करता है फिर से अपनी माँ को चोदने की, जब दिव्या उसे खाना परोसती है तो वो उसके जिस्म से छेड़छाड़ करता है. उसके मम्मे और उसकी गान्ड दबाता है, कुर्सी पर अपनी टांगे चौड़ी करके वो दिव्या को अपने उस भयंकर लंड के दर्शन करवाता है, मगर उसकी कोशिश सफल नही हो पाती और दिव्या चुदवाने से पूरी तरह मना कर देती है.


मगर बॉब्बी की उस छेड़छाड़ और उस मोटे तगडे लंड को देख कर उसकी काम वासना फिर से भड़क उठती है और वो फिर से अपने कमरे में जाकर एक घंटे तक अपनी चूत रगड़ती है. वो जानती है कि उसकी इतनी मेहनत उसके खुद और उसके बेटे के लिए अच्छी है. पिछली दोपहर को अपने सगे बेटे के साथ उसने जो चुसाइ और चुदाई का जबरदस्त कार्यक्रम किया था वो किसी भी हालत में दोहराया नही जा सकता था. भला एसी कोन्सि माँ होगी जो अपनी कोख से जन्मे बेटे के लिए अपनी टांगे चौड़ी कर अपनी चूत उसके सामने खोल देगी.


बूबी के कॉलेज चले जाने के बाद वो घर का बाकी का काम काज निपटाती है और फिर तय्यार होकर घरेलू खरीददारी के लिए बाज़ार चली जाती है. जब वो खरीददारी करके घर लौटती है तो घर में घुसते ही उसे बेहद उत्तेजित सिसकियों और चीखने की की आवाज़ें सुनाई पड़ती है. दिव्या को अपने कानो पर विस्वास नही होता मगर उसकी चूत उन आवाज़ों को सुन कर गीली होने लगती है. तब उसे अपने बेटे की बात याद आती है जो उसने पिछली दोपेहर को उससे बोली थी. वो अपनी बात का पक्का निकला था. वो वाकई में किसी युवती को चोदने के लिए घर ले आया था.


"हाई, चोद मुझे बॉब्बी!" युवती की आनंदमई सिसकारी गूँजती है. आवाज़ से वो बेहद जवान जान पड़ती है. "उंघघ! बॉब्बी ज़ोर से! और ज़ोर लगा! अपने मोटे लौडे से मेरी चूत फाड़ दे!"
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