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"बॉब्बी! बॉब्बी, भगवान के लिए!" तेज गुस्से और प्रबल कामुकता से अभिभूत दिव्या अपने बेटे पर चकित रह जाती है. "तुम्हारी.... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अपनी माँ के सामने एसा नीच कार्य करने की. तुम अपने लंड से अपना हाथ इसी पल हटाओ वरना..." दिव्या गुस्से मे सीधे लंड शब्द का इस्तेमाल कर गयी लेकिन उसकी हालत एसी थी कि उसे इसकी कोई परवाह नही थी.
"मुझे इतना मज़ा आ रहा है मम्मी के अब मुजसे अब रुका नही जाएगा"
और फिर बॉब्बी ने पूरी बेशर्मी से अपनी नज़रें अपनी मम्मी के मम्मों पर गढ़ा दी, उसके मूह से आह निकलती है जब वो अपनी मम्मी के मोटे गुदाज मम्मों को उसकी शर्ट के नीचे हिलते हुए देखता है.
"माँ! वाकई मे तुम्हारे बहुत बड़े हैं मम्मे. कभी कभी मैं मूठ मारते हुए उन्हे चूसने के बारे मे सोचता हूँ. मगर मूठ मारते हुए उन्हे अपनी आँखो के सामने देखना कहीं ज़यादा बेहतर है"
"बॉब्बी!"
दिव्या अपने बेटे की बातों से इतना स्तब्ध रह जाती है कि वो निस्चय कर लेती है कि उसे अपने बेटे को इसी पल उसका लंड रगड़ने से रोकना है. वो अपना हाथ नीचे उसके लंड की ओर बढ़ाती है इस इरादे के साथ कि वो उसकी उंगलियों को खींच कर उसके लंड से अलग कर देगी. मगर उसी समय बॉब्बी जिसने देख लिया था कि उसकी मम्मी का इरादा क्या है, चालाकी से अपने हाथ को एकदम से हटा देता है और अगले ही पल दिव्या को महसूस होता है कि उसके हाथ मे उसके बेटे का विकराल लंड समा चुका है.
"ओह मम्मी! तुम्हारे हाथ का स्पर्श कितना मजेदार है. तुम अपने हाथ से इसे क्यों नही रगड़ती"
"बदतमीज़! बेशरम!"
और फिर दिव्या वाकई मे अपने बेटे की इच्छा अनुसार उसके लंड को सहलाने लग जाती है. उसे समझ मे नही आ रहा था कि उसे क्या हो गया है. क्यों वो अपने बेटे के साथ दुनिया का शायद सबसे बड़ा गुनाह करने को इतना उत्सुक थी. अत्यधिक कामोत्तेजना मे उसकी फुददी कामरस से भीग कर उसकी कच्छि में कांप रही थी. वो खुद को गुस्से, निराशा और एक अनियंत्रित कामुकता से अभिभूत महसूस कर रही थी.
अपनी कम-लोलुप मम्मी के हॅंड-जॉब के आगे पूरी तरह समर्पण कर बॉब्बी वहाँ पर लेटे हुए मुस्करा रहा था. दिव्या अब अपने बेटे के लंड को खुल्लम्खुल्ला निहार रही थी. और मुँह बनाकर अपना हाथ उसके विकराल लंड पर जितनी तेज़ी से वो कर सकती थी, उपर नीचे कर रही थी.
"क्या तुम्हे ये अच्छा लग रहा है? बॉब्बी, क्या तुम यही चाहते थे कि मैं तुम्हारे साथ एसा करूँ? तुम्हारी अपनी सग़ी माँ? क्या तुम सचमुच में इतने नीचे गिर चुके हो, इतने बेशरम हो गये हो, तुम यही चाहते हो कि मैं तुम्हारी मम्मी तुम्हारे इस मोटे लंबे लंड को अपने हाथों में लेकर मूठ मारे?"
"क्या तुम मम्मी को अपना लंड भी चुसवाना चाहते हो? तुम्हे बहुत अच्छा लगेगा, है ना? तुम्हे कितना मज़ा आएगा अगर तुम्हारी अपनी मम्मी तुम्हारे लंड को मुँह मे लेकर चूसे और तुम्हारा सारा रस पी जाए!"
बॉब्बी जवाब में उसका हाथ अपने लंड से हटा देता है, झूलते हुए उठता है और बेड के किनारे पर बैठ जाता है. वो अपनी मम्मी की ओर देखते हुए दाँत निकलता है और फिर घमंड से अपने तगड़े लंड की ओर इशारा करता है.
"हाँ, यही तो मैं चाहता था, हमेशा से. मम्मी तुम घुटनो के बल हो जाओ. मेरे लौडे को इस समय एक जोरदार चुसाइ की ज़रूरत है"
"बॉब्बी तुम एक बहुत ही गंदे बेशरम लड़के हो..."
और फिर दिव्या के मुँह से अल्फ़ाज़ निकलने बंद हो गये , वो वोही करने जा रही थी जैसा उसके बेटे ने उनुरोध किया था. बॉब्बी के सामने घुटनो पर होते हुए उसने उस विशाल और कड़े लंड को अपनी आँखों के सामने पाया. दिव्या ने महसूस किया कि वो बहुत गहरी साँसे ले रही है कि वो अपनी दिल की धड़कन को अपनी छाती से कहीं ज़यादा अपनी चूत मे महसूस कर रही थी.
उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो सारा नियनतरण खो बैठी हो जैसे अब उसके लिए इस बात में अंतर करना नामुमकिन था कि वो क्या कर रही थी और क्या करने का सोच कर वहाँ आई थी. उसे खुद पर विश्वास नही हो रहा था कि वो अपने बेटे के लंड को अपने मुँह मे डाल कर उसका उगलने वाले रस को पीने जा रही है
दिव्या ने अपनी उंगलियाँ उस फडफडा रहे लंड के गिर्द कठोरता से कसते हुए अपनी कलाई उसकी जड तक ले गयी. वो कुछ पलों के लिए गुलाबी रंगत लिए उस फूले हुए सुपाडे की ओर देखती है कि कैसे वो मोटा मुकुट चिपचिपे रस से चमक रहा है. उसकी आँखों में एक इरादे की झलक थी. फिर वो चंचल और अनियंत्रित माँ अपने सिर को नीचे की ओर लाती है और अपने होंठ उसके सुपाडे से सटा देती है. बेशरमी से वो अपनी जिव्हा बाहर निकालते हुए सिहरन से कांप रहे लंड के सुपाडे से गाढ़ा रस चाट लेती है.
"आहह! मम्मी मैं तुम्हे बता नही सकता मुझे कैसा महसूस हो रहा है. मैं सोच भी नही था कि इसमे इतना मज़ा आएगा" बॉब्बी अपनी मम्मी के सिर को दोनो हाथों से थामे हुए कांप सा जाता है. "इसे अपने मुँह मे डालो मम्मी! चूसो इसे! हाए मम्मी, अच्छे से चूसो!"
दिव्या ने अपनी आँखे बंद कर ली, वो अपने दिमाग़ मे गूँज रही उस आवाज़ को बंद कर देना चाहती थी जो उसे बता रही थी कि वो अब एसी माँ बन गयी है जो अपने ही बेटे का लंड मुँह मे लेकर चुस्ती है. धीरे धीरे उसके होंठ अपने बेटे के लंड की कोमल त्वचा पर फिसलने लगे. एक एक इंच कर सुड़कते हुए वो उस विशालकाय धड़कते लंड को मुँह मे भरती जा रही थी. जब एक तिहाई लंड उस कामुक माँ के मुँह मे समा जाता है तो वो गहरी साँस लेते हुए रुक जाती है. अगर वो इससे ज़्यादा लंड को अपने मुँह में लेने की कोशिश करती तो उसका गला रुंध जाता या उसकी साँस ही बंद हो जाती.
उसके बाद कामोत्तेजित माँ अपने बेटे के लंड को अत्यधिक कड़ाई से चूसना चालू कर देती है.आँखे बंद रखते हुए वो संतुष्टिपूर्वक उसके आकड़े हुए लंड को चुस्ती है. वो अपने दिमाग़ मे एक बेतुके/निरर्थक विचार से उस गुनाह को न्यायसंगत/उचित ठहरा रही थी जो अपने सगे बेटे के साथ वो कर रही थी. इस विचार के तहत कि वो अपने बेटे के सामने साबित कर रही थी कि उसे कितना घिनोना और बुरा महसूस होगा अगर वो अपनी ही मम्मी को अपना लंड
चुस्वाएगा.
दिव्या ने ज़ोर लगाते हुए, पूरा ज़ोर लगाते उस लंड को चूसा.उसे इस बात से झटका लगता है कि वो कितनी तत्परता से अपने ही बच्चे के लंड को सुड़कते हुए चूस रही थी. वो अपने मुख को बलपूर्वक उस लंड की जड़ों तक पहुँचाने की कोशिस करती है. बुरी तरह से खाँसते हुए वो पूर्ण आत्मबल से पूरे लंड को एक ही बार में निगलने की कोशिस करती है.इतनी देर से चल रही उस कठोर ऑर गीली चुसाइ का असर उस लंड पर अब दिखाई दे रहा था,
वो बढ़ते हुए और भी बड़ा और कठोर हो गया था. बेटे के लंड का सुपाडा असलीलतापूर्वक घमंड से अपनी मम्मी के गले की गहराई मे चोट मार रहा था.
"उमल्ल्लप्प्प"दिव्या के मुख से निकलने वाली संतुष्टिपूर्वक लंड चुसाइ की अति कामुक और सुड़कने की आवाज़ें बहुत ज़यादा उँची हो चुकी थी और पूरे बेडरूम मे गूँज रही थी. ऊत्तेजनापूर्वक अपने सिर को उपर नीचे करते हुए वो अपने बेटे के विकराल लंड को अपने मुँह से चोदना चालू कर देती है. उसकी उंगलियाँ उसके लौडे की जड़ पर कस जाती हैं. फिर वो तन्मयता के साथ सुपाडा चूस्ते हुए लंड को मुठियाने लग जाती है.
कुकरमुत्ते जैसे सुपाडे पर उसकी जिव्हा गोल गोल घुमाते हुए उसे थूक से चिपर्ते हुए नमकीन रस को चाटती है जो उस विशाल आकड़े लंड के टपक रहा होता है.
"मम्मी, मैं जल्द ही...आ..सखलित होने वाला हूँ" बॉब्बी कराहता है "उंगग्घ! मम्मी मुझे एहसास हो रहा है! मेरे टटटे भारी माल से पूरी तरह भर गये हैं, चूसो इसे, मेरे लंड को ज़ोर से चूसो मम्मी! तुम वाकई मे ग़ज़ब का लंड चुस्ती हो!"
बेटे की वो शर्मनाक, घृणित टिप्पंनी सुन कर दिव्या के कानो मे रस घुल जाता है. उसकी चेहरा लाल हो जाता है और वो जितनी कठोरता से उस लंड को चूस सकती थी चूसना चालू कर देती है. कामरस से भरे उस लंड के उसके मुँह मे होने के कारण उसके गाल शीघ्रता से फूलते और सिकुड़ते हैं. वो बेताबी थी एक बहुत भारी फुआरे के फूटने के लिए. उसके मन मे एक नयी इच्छा ने जनम लिया था कि उसका बेटा उसे उसका पूरा वीर्य निगलने के लिए बाधित कर दे.
"पी जाओ इसे मम्मी! मैं आ रहा हूँ, आ रहा हूँ!"
वो उचक कर उसका सिर पकड़ लेता है और धक्का मारकर चोदते हुए अपने लंड को एक इंच और उसके होंटो के अंदर पहुँचा देता है. धक्के के कारण वो बेड से नीचे उतर जाता है. दिव्या की साँस रुक जाती है मगर आख़िरकार उसकी इतनी जबरदस्त, कामुक लंड चुसाइ की मेहनत का फल उसे मिला था.
लंड के सूजे हुए सुपाडे से वीर्य की एक असीम बौछार फूटी है जो उस कमरस की प्यासी उस माँ के गले की गहराई मे थरथराहट से चोट करती है.
"उम्म्मल्ल्लप्प्प्प" दिव्या के मुख से गलल गलल की आवाज़ आती है.
लंड उसके मुँह मे रस उगलने लगता है, उसके गले में रस की तेज़ तेज़ धाराएँ फूटती हैं जो गले मे नीचे की ओर बहने लगता है. उत्तेजनावश वो उस विशाल गाढ़ा रस फेंक रहे लंड से चिपक जाती है. उसे अपने नवयुवक बेटे के वीर्य का स्वाद अत्यधिक स्वादिष्ट लगता है. कामोत्तेजित माँ पूरी बेशरमी से लंड को चूसने का, मुठियाने का और उसका रस पीने का तीनो काम एक साथ सुरू कर देती है. वो अपने बच्चे के लौडे को तब तक छोड़ना नही चाहती थी जब तक कि वो उससे निकलने वाले नमकीन रस की आख़िरी बूँद तक ना पी जाए.
तकरीबन आधे मिनिट बाद वीर्य का विस्फोट रुक जाता है और पतली सी कमर की उस अत्यधिक सुंदर माँ को पेट लंडरस से पूरा भरा हुआ महसूस होता है जिसकी उसने मन ही मन मे लालसा पाल रखी थी. वो अपने सिर को अपने बेटे के लंड से उपर उठाती है. स्तब्ध और अप्र्त्याशित उत्तेजना मे वो अपनी जिव्हा को मुँह के चारों और घुमा कर बाकी की क्रीम भी चाट लेती है. दिव्या की साँसे बहुह्त भारी हो गयी थीं और उसकी चूत इतनी गीली थी कि उसकी कच्छि आमने से पूरी तरह गीली हो गयी थी.