बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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prkin

Re: बड़े घर की बहू

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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खेर कामेश के जाने के बाद घर में एकदम सुना सा हो गया था पर काम में जाने की जल्दी के कारण सब बेकार था कामया और पापाजी जल्दी से तैयारी में लगे हुए थे चाय और खाना खाने के बाद कामया तैयार थी कॉंप्लेक्स जाने को
टाइट सी चूड़ीदार में गजब की लग रही थी लाइट कलर येल्लो और हल्की ब्लू फ्लॉरल डिजाइन था और वैसा ही टाइट कुर्ता और थोड़ा सा छोटा घुटनों तक हेर स्टाइल भी ढीला ढाला और सिर्फ़ एक कलुतचेयर से बँधी हुई और बड़ी-बड़ी आखें लिए कामया जब दरवाजे से बाहर निकली तो भोला गाड़ी के पास एकदम तैयार खड़ा था ब्लैक कलर की टी-शर्ट और एक पुरानी जीन्स पहने पर लग रहा था एकदम गुंडा टी-शर्ट से बाहर निकली हुई उसकी बाँहे एकदम कसी हुई थी पेट सपाट था
और सीना बाहर को निकला हुआ था एक बार देखकर लगता था कि किसी गली का कोई गुंडा हो पर कामया को देखते ही दौड़ता हुआ पीछे के दरवाजे को खोलकर खड़ा हो गया कामया भी जल्दी से बैठने के लिए लपकी पर जाने क्यों उसकी सांसें एक बार फिर से तेज हो गई थी पिछले तीन चार दिनों से उसके तन को सुख उसे नहीं मिला था और सुबह सुबह भोला को देखते ही एक कसक सी उसके तन में जाग गई थी पर अपने आपको संभालते हुए वो अपनी हील चटकाते हुए पिछली सीट की ओर भागी जैसे ही वो सीट पर बैठने को हुई एक सख्त हथेली ने हल्के से उसके पिछले भाग को छू लिया


कामया के शरीर में एक लहर सी दौड़ गई थी और अचानक हुए इस हमले से वो एक बार घबरा गई थी उसके घर में और वो भी पोर्च में एक ड्राइवर ने इतनी आ जादी से उसे छू लिया था और वो कुछ भी नहीं कह पाई थी पर तब तक डोर बंद हो गया था और भोला दौड़ता हुआ सामने ड्राइविंग सीट पर आ गया था

कामया का दिल बड़े जोरो से धड़क रहा था पर होंठ जैसे सिल गये थे उसे होंठों से बातों के सिवा सिर्फ़ सांसें ही निकल रही थी वो पिछली सीट पर किसी बुत के जैसे बैठी हुई थी और सांसों को कंट्रोल कर रही थी भोला ड्राइविंग करता हुआ गेट से बाहर गाड़ी निकाल कर रोड पर ले आया और
भोला- जी मेमसाहब ऋषि भैया को लेने जाना है ना
कामया- हाँ…
आवाज उसके गले में रुक गई थी वो क्यों नहीं इस गुंडे से बोल पाई कुछ उसकी इतनी हिम्मत कि उसकी कमर और नितंबों पर घर में ही हाथ फेर दे और उसके बाद इतना सीधा होकर गाड़ी चला रहा है वो अपने ख्यालो में ही गुम थी कि फिर से भोला की आवाज आई
भोला- मेमसाहब नाराज है हम से

कामया ने सिर्फ़ ना में अपना सिर हिला दिया या बाहर देखने के लिए सिर घुमाया पता नहीं

भोला- क्या करू मेमसाहब आपको देखता हूँ तो एक नशा सा छा जाता है मेरे ऊपर भाग्य देखिए मेरा कहाँ से कहाँ आ गया कहा वो रेत टीलों के बीच में पड़ा था और अब देखिए आपका ड्राइवर बन गया भाग्य ही तो है क्या कहती है आप
कामया ने कोई जबाब नहीं दिया क्या जबाब देती इस सांड़ को

भोला- नाराज मत होना मेमसाहब मजबूर हूँ नहीं तो कभी ऐसी गुस्ताखी नहीं करता

कामया ने सिर्फ़ एक बार उसे पीछे से देखा पर कहा कुछ नहीं सिर्फ़ बाहर देखती हुई अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिस करती रही

भोला- एक काम था मेमसाहब आपसे थोड़ा सा मदद करती तो

कामया की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी भोला गाड़ी चलाते हुए उसे बॅक मिरर में देख रहा था
भोला- कहूँ मेमसाहब बुरा तो नहीं मानोगी

कामया ने फिर से सिर हिला दिया

भोला-पता था मेमसाहब आप बुरा नहीं मानेन्गी

कामया फिर बाहर देखने लगी थी पर पूरा ध्यान उसी की तरफ था अब उसका डर थोड़ा काम हो गया था
भोला- वो मेमसाहब इस ऋषि को अपनी जिंदगी से दूर कीजिए ठीक नहीं है वो

कामया की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी ऋषि के बारे में जो यह कह रहा था वो ठीक था पर इसे कैसे मालूम

भोला- आपको लग रहा होगा कि मुझे कैसे मालूम मुझे क्या नहीं मालूम मेमसाहब भैया और पापाजी जो मुझ पर विस्वास करते है वो क्या ऐसे ही मुझे सबकुछ मालूम है मेमसाहब

कामया एक बार फिर से सिहर उठी उसे तो मेरे बारे में भी मालूम था लाखा काका के घर गई थी वो तक इसने देखा था पर ऋषि के बारे में इसे कैसे मालूम

भोला- मुझे तो मेमसाहब उसकी रीना दीदी और ऋषि के बहुत से किससे पता है आप अगार देखना चाहती है तो एक काम करना जब आप उसके घर जाओ तो मुझे उसके कमरे से कोई समान लेने भेजना फिर देखना

कामया का पूरा शरीर सनसना रहा था क्या कह रहा है यह और क्या करेगा वहाँ पर इतने विस्वास से कह रहा है तो हो सकता है कोई बात हो पर क्या

भोला- आपको कुछ नहीं मालूम मेमसाहब में आपको वो खेल दिखा सकता हूँ जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकती में आपकी बहुत इज्ज़त करता हूँ मेमसाहब आपका और आपके घर का नमक खाया है आपका ख्याल रखना और आपकी देखभाल करना मेरा फर्ज़ है जान दे दूँगा पर पीछे नहीं हटूँगा

कामया की नजर एक बार फिर से उसके पीठ पर थी पर इस बार हिम्मत करके बॅक मिरर की ओर भी देख ही लिया भोला के चेहरे पर एक सख़्त पन था और उसकी आखें पत्थर जैसी थी कामया ब्लैक ग्लासस पहने हुई थी फिर भी उसने नजर हटा लिया ऋषि का घर आ गया था आज पहली बार वो इस घर में आई थी पोर्च में गाड़ी खड़ी होते ही वहां का नौकर दौड़ता हुआ आया और पीछे का दरवाजा खोलकर खड़ा हो गया

नौकर- जी भैया अपने कमरे में है मेमसाहब

कामया घर के अंदर घुस आई किसी रहीस का घर देखने में ही लग रहा था कीमती सामानो से भरा हुआ था नौकर दौड़ता हुआ उसके सामने से वहां पड़े बड़े से सोफे की ओर इशारा करते हुए बोला
नौकर- जी बैठिए मेमसाहब में बुलाता हूँ

कामया को वही बैठाकर वो अंदर चला गया बूढ़ा सा था कमर झुकी हुई पर एकदम सॉफ सुथरा था एक और नौकर उसके लिए पानी का ग्लास ले आया और वही टेबल पर रखता हुआ चला गया
नौकर- जी मेमसाहब आपको ऊपर बुलाया है
कामया उठी और ड्राइंग रूम से निकलकर सीढ़िया चढ़ती हुई उसके कमरे की ओर बढ़ी
ऋषि कॉरिडोर में ही खड़ा था
ऋषि- आइए भाभी बस मुझे आपको मेरा कमरा दिखाना था आइए ना
और बड़े ही नजाकत से कामया के हाथ को पकड़कर उसे अपने कमरे की ओर ले चला था जाते जाते उसने उसके हाथ को एक बार चूमा था कामया ने झटके से पीछे मुड़कर देखा

ऋषि- नहीं भाभी यहां नौकरो को ऊपर आना मना है जब तक बुलाया नहीं जाता यहां का में राजा हूँ अब पहले रीना दीदी और में थे अब सिर्फ़ में

और उसे अपने कमरे में ले आया कमरा बहुत ही सजा हुआ था बहुत सी चीजे थी कुछ कलेक्ट किए हुए थे और कुछ खरीदे हुए भी फूल और गमले भी था बहुत सी पैंटिंग भी पर एक बात जो अजीब थी वो था रंग रेड पिंक और येल्लो कलर की चीजे ज्यादा थी

कामया- धरमपाल जी कहाँ है दिखे नहीं

ऋषि- अरे पापा तो भैया के साथ हैदराबाद गये है ना पर्ल्स की खेती देखने भैया ने नहीं बताया

कामया- हाँ… याद आया भूल गई थी चलो चलते है

ऋषि- बैठिए ना भाभी जल्दी क्या है
बड़े ही नाटकीय ढंग से उसने कहा था
ऋषि- वो गुंडा भी आया है

कामया- हाँ… बुलाऊ उसे तेरी बड़ी तारीफ़ कर रहा था

ऋषि- नहीं बाबा तारीफ मेरी क्या कह रहा था बताइए ना प्लीज

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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कामया ने देखा कि अचानक ही उसमें एक बड़ा बदलाव आ गया था जो अभी थोड़ी देर पहले उसके लिए गुंडा था उसने क्या कहा था ऋषि के बारे में जानने की कितनी तीव्र इच्छा थी उसमें यह तो लड़कियों में ही देखा था
कामया- कह रहा था कि ऋषि बाबू मुझे बहुत अच्छे लगते है
कामया ने झूठ कहा

ऋषि- हाई राम देखो कैसा है ना वो भाभी कोई ऐसा कहता है क्या छि

कामया- क्यों क्या हुआ अच्छा लगता है तो इसमें कोई बुरी बात है क्या

ऋषि- छी भाभी कितना बदमाश है ना वो कहाँ है

कामया- नीचे है बुलाऊ

ऋषि- नहीं बाबा मुझे तो डर लगता है उससे क्या करेंगे बुला के
झट से पलट गया था ऋषि कामया के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई थी भोला ठीक ही कह रहा था ठीक नहीं है ऋषि और पता नही क्या-क्या पता है भोला को

ऋषि- बताओ ना भाभी क्या करेंगे बुलाकर
मचलता हुआ सा ऋषि बेड पर बैठा हुआ था कामया वही पर सोफे पर बैठी थी

कामया- बुला कर पूछेंगे कि बता क्यों अच्छा लगता है ऋषि है ना

ऋषि- छी भाभी क्या करेंगे बताइए ना

कामया को नहीं मालूम कब और कैसे वो लोग बैठे बैठे भोला के बारे में बातें करने लगे और उसे कमरे में भी बुलाने की बातें होने लगी कामया को भी मजा आने लगा था ऋषि के मचलने और इस तरह से बातें करने से वो भी अब भोला से ऋषि को उलझाने के बारे में ही सोच रही थी देखूँ तो क्या करता है ऋषि एक बार भोला अगर इस कमरे में आ जाता है तो

ऋषि- बुलाएँ भाभी

कामया- हाँ बुला पर देखना बाद में पलट मत जाना ठीक से धमकाना उसे ठीक है

ऋषि- जी और झट से इंटरकम उठाकर नीचे कोई नंबर डायल किया और उसे भोला को ऊपर आने को कहा

दोनों बैठे हुए भोला के आने की राह देख रहे थे ऋषि को देखते ही लगता था कि कितना उत्तेजित था वो बार-बार इधर उधर चलते हुए वो कभी कामया की ओर देख रह था और कभी डोर की ओर एक हल्की सी आहट ने दोनों का ध्यान डोर की ओर भींचा

ऋषि- हाँ अंदर आ आओ प्लीज

भोला अंदरआ गया वैसे ही सख्त सी आखें लिए और बिना कोई घबराहट के अंदर आते ही उसने पैरों से डोर को बंद कर दिया और सिर नीचे किए खड़ा हो गया

कामया के तो हाथ पाँव फूल गये थे भोला को कमरे में देखते ही पर उसका अपना ध्यान पूरे टाइम ऋषि की ओर ही था वो देख रही थी कि ऋषि क्या करता है

ऋषि- कहिए क्या बोल रहे थे आप भाभी को हाँ…

लड़कियों जैसी आखें मटकाकर और हाथ नचा कर वो एक बड़े ही नाटकीय ढंग से बड़ी ही मीठी सी आवाज में बोला जैसे डाट नहीं रहा हो बल्कि थपकी देकर पूछ रहा हो

कामया के चहरे में एक हल्की सी मुश्कान दौड़ गई थी

भोला- कुछ नहीं भाया वो तो बस में मजाक कर रहा था क्यों आपको बुरा लगा

ऋषि एक बार कामया की ओर देखता हुआ फिर से भोला की ओर देखता रहा कमरे में एक अजीब सी गंध भर गई थी शायद वो भोला से आ रही थी पसीने की या फिर पता नहीं पर थी जरूर

ऋषि- हमें यह सब अच्छा नहीं लगता अब से आप ऐसा नहीं करेंगे ठीक है

भोला- जी भैया पर आप है ही इतने अच्छे कि तारीफ करने का मन करता है इसलिए किया और मेमसाहब तो अपनी है इसलिए कोई डर नही था इसलिए कह दिया माफ़ कर दीजिए

कहते हुए भोला अपने घुटनों पर बैठ गया कामया अजीब सी निगाहे गढ़ाए भोला को देख रही थी वो गुंडा अभी तो क्या-क्या कहा रहा था पर यहां आते ही पलट गया और वो भी इस ऋषि के सामने इस तरह से घुटनों के बाल गिर के माफी माँग रहा है उसे तो एक बार बहुत गुस्सा आया पर अपनी ओर देखती हुई भोला की आखों में उसे कुछ और ही दिखाई दिया

ऋषि- ठीक है आगे से ध्यान रखिएगा ठीक है
और वो चलता हुआ भोला के पास चला गया जैसे उसे हाथ लगाकर उठाने की कोशिश कर रहा था

पर भोला वैसे ही बैठा रहा और ऋषि को अपने कंधे पर अपनी हथेलियो को फेरने दिया वो और झुका और, ऋषि के पैरों पर गिर पड़ा और माफी माँगने लगा था

ऋषि उसके पास बैठा गया और उसे ढाँढस बढ़ाने लगा था वो उसके बालों को और कंधों को सहलाते हुए उसे प्यार से सहला रहा था भोला भी वही बैठा हुआ उसकी हरकतों को देख रहा था

कामया बैठी बैठी उन दोनों को देख रही थी, जैसे कि कोई प्रेम मिलाप हो रहा हो पर देखते-देखते सबकुछ कैसे चेंज हो गया वो समझ ही नहीं पाई थी वो देख रही थी कि भोला की हथेलिया ऋषि की पीठ पर घूम रही थी और वो धीरे धीरे उसे सहला रहा था और ऋषि उसके बालों को दोनों बहुत नजदीक थे जैसे उन्हें यह ध्यान ही नहीं था कि कामया भी इस कमरे में है

भोला बहुत चालाक है वो यह बात जानता था कि ऋषि एक गे है पर कभी हिम्मत नहीं की थी अटेंप्ट की पर आज कामया की वजह से उसे यह मौका भी मिल गया था वो आज इस मौके को हाथ
से नहीं जाने देने चाहता था और इसके साथ एक फायेदा और भी था वो कामया के शरीर में एक आग ऐसी भी भर देगा जिससे कि वो कभी भी उसे मना नहीं कर पाएगी यही सोचता हुआ वो धीरे बहुत ही धीरे आगे बढ़ रहा था वो जो नाटक कर रहा था वो जानता था कि वो उसे किस तरफ ले जाएगी वैसा ही हुआ ऋषि उसके पास आ गया और फिर शुरू हो गया वो खेल जो वो खेलना चाहता था एक ऐसा खेल जिसे वो जिंदगी भर खेलना चाहता था अपनी मेमसाहब के साथ


कामया की आखों के सामने ऋषि भी अपनेआपको नहीं रोक पा रहा था पर अपने हाथो को भी वापस नहीं खींच पा रहा था वो अब भी भोला के कंधों पर अपनी हथेलियो को घुमाकर उसके बालिस्ट शरीर और उसके बालों को सहलाकर उसकी कठोरता का एहसास कर रहा था वो जानता था कि कामया की नजर उसपर है पर वो मजबूर था अपने आपको रोकने की कोशिश भी नहीं की शायद वो जानता था कि भाभी उसे कुछ नहीं कहेगी

वो भी शायद इस मौके का इंतजार कर रहा था और आज से अच्छा मौका उसे कहाँ मिलेगा आज भाभी के साथ भोला भी उसके कमरे में था और भोला की सख्त हथेलियाँ उसकी पीठ पर घूम रही थी ऋषि आज बेकाबू होने लगा था

उसने एक बार भाभी की ओर नजर उठाकर देखा शायद पूछ रहा था कि क्या आगे बढ़ुँ पर कामया की आखों में एक हैरत भरी और जिग्याशा होने के कारण वो वापस भोला की ओर मुड़ गया और अपने हाथो को फिर से उसके कंधो पर घुमाने लगा था

ऋषि- ठीक है अब उठिए अब से ऐसा नहीं कहिएगा जो कुछ कहना है हम से डाइरेक्ट कहिएगा ठीक है
और वो खड़ा होने लगा था कि भोला एकदम से उसके पैरों पर गिर पड़ा और उसके गोरे गोरे पैरों को जिसमें की नेल पोलिश भी लगाया हुआ था अपनी जीब से चाट-ते हुए फिर से माफी माँगने लगा था

ऋषि को एक झटका सा लगा था वो फिर से बैठ गया और अपने दोनों हाथों से भोला के कंधों को पकड़कर ऊपर उठाने लगता पर ऋषि का जोर इतना था कि वो भोला जैसे सांड़ को उठा या हिला भी पाए सो भोला खुद ही उठा और अचानक ही कामया दंग रह गई जो कुछ उसके सामने घट गया वो चकित रह गई और एक मूक दर्शाक के समान बैठी हुई भोला को और ऋषि को एकटक देखती रह गई थी

भोला का एक हाथ ऋषि के गले के पीछे से कस कर जकड़ रखा था और एक हाथ उसकी ठोडी पर था और उसके होंठ उसके होंठों पर थे और खूब जोर से भोला ऋषि को किस कर रहा था जोर से मतलब इतनी जोर से कि ऋषि एक बार तो तड़प कर अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगा था पर धीरे-धीरे शांत हो गया था और भोला की बाहों में झूल गया था भोला ने एक ही झटके में ऋषि को उठाया और उसके बेड की ओर चल दिया उसके होंठ अब भी उसके होंठों को सिले हुए थे

और बेड पर बिठाते ही उसने अपने होंठों को उसके होंठों से आजाद कर दिया ऋषि की सांसें फिर से चलने लगी थी एक लंबी सी और उखड़ी हुई सांसों से कमरा भर गया था ऋषि को बिठाने के बाद भोला ने कामया की ओर पीठ कर लिया था ऋषि का चहरा भी उसे नहीं दिख रहा था कामया किसी बुत की तरह सोफे में बैठी हुई भोला और ऋषि की हरकतों को देख रही थी
ऋषि और भोला को जैसे चिंता ही नहीं थी कि कामया भी वहां बैठी है या कोई शरम हया नहीं बिल्कुल बिंदास दोनों अपने खेल में लगे हुए थे सबसे आश्चर्य की बात थी ऋषि की, उसने भी कोई आना कानी नहीं की और नहीं कोई इनकार या अपने आपको छुड़ाने की कोशिस लगता था कि जैसे वो इंतजार में ही था कि कब भोला उसके साथ यह हरकत करे और वो इस खेल का मजा ले
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Re: बड़े घर की बहू

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कामया के देखते-देखते ही ऋषि का टी-शर्ट हवा में उछल गया और वो सिर्फ़ जीन्स पहने बैठा था बेड पर और भोला उसके सामने उसके खाली शरीर को अपने सख्त और कठोर हाथो से सहला रहा था ऋषि की सांसों से पूरा कमरा भरा हुआ था बहुत तेज सांसें चल रही थी उसकी

उसके हाथ भी भोला के शरीर पर घूमने लगे थे जो की कामया देख रही थी पतली पतली उंगलियों से वो भोला को कस्स कर पकड़ने की कोशिश कर रहा था उसकी कमर के चारो ओर से और अपने हाथो को भोला की टी-शर्ट के अंदर भी घुसना चाहता था भोला ने भी देर नहीं की और एक बार में ही अपना टी-शर्ट उतार कर वही बेड पर रख दिया और फिर से ऋषि के सामने खड़ा हो गया था ऋषि के दोनों हाथ उसके पेट से लेकर उसके सीने तक घूम रहे थे और उसके होंठों जो की कामया को नहीं दिख रहे थे शायद उसकी नाभि और पेट और सीने के पसीने का स्वाद ले रहे थे कामया अपने सामने होते इस खेल को देख कर एकदम सन्न रह गई थी सुबह सुबह उसके शरीर में जो आग लगी थी वो अब भड़क कर ज्वाला बन गई थी अपने जीवन काल में उसने इस तरह का खेल कभी नहीं देखा था वो अपने सोफे में बैठी हुई एकटक दोनों की ओर देखती जा रही थी और बार-बार अपनी जाँघो को जोड़ कर अपने आपको काबू में रखने को कोशिश कर रही थी कामया की नजर एक बार भी नहीं हटी थी उनपर से हर एक हरकत जो भी उसके सामने हो रही थी वो हर पल की गवाह थी उसकी आँखो के सामने ही धीरे से भोला की जीन्स भी नीचे हो गई थी और जो उसने जीवन में नहीं देखा और सोचा था वो उसके सामने हो रहा था

ऋषि के हाथों में भोला का लिंग था और भोला उसकी ठोडी को शायद पकड़कर सहला रहा था कामया ने थोड़ा सा जिग्याशा बस थोड़ा सा झुक कर देखने की कासिश की पर नहीं दिखा भोला की जीन्स के नीचे होने से उसकी मैली सी अंडरवेअर जो की बहुत जगह से फटी हुई थी और ढेर सारे छेद थे उभर कर उसके सामने थी पर भोला को कोई फरक नहीं पड़ता था वो अपने खेल में मग्न था और ऋषि के गालों को सहलाते हुए अपने लिंग को उसके हाथो में खेलने को दे दिया था ऋषि भी शायद उसके लिंग से खेल रहा था या क्या उसे नहीं दिख रहा था

पर इतने में भोला ने घूमकर एक बार कामया की ओर देखा और आखों से उसे अपने पास बुलाया कामया जैसे खीची चली गई थी कैसे उठी और कैसे वो भोला और ऋषि के करीब पहुँच गई उसे नहीं पता पर हाँ… उसके सामने अब सबकुछ साफ था उसे सबकुछ दिख रहा था ऋषि के लाल लाल होंठों के बीच में भोला का काला और तगड़ा सा लिंग फँसा हुआ था दोनों हाथो से वो अपनी आखें बंद किए भोला के लिंग का पूरा स्वाद लेने में लगा हुआ था कामया की ओर उसका ध्यान ही नहीं था पर कामया के नजदीक पहुँचने के साथ ही भोला ने कामया की कमर में अपनी बाँहे डालकर एक झटके में अपने पास खींच लिया और एकदम सटा कर खड़ा करलिया भोला की सांसें उखड़ रही थी और वो कामया के गालों को अपनी नाक और होंठों से छूते हुए
भोला- देखा मेमसाहब कहा था ना

कामया की नजर एक बार भोला की ओर गई और फिर नीचे ऋषि की ओर वो कितने प्यार से भोला के लिंग को चूस रहा था अपनी जीब को बाहर निकाल कर और अपने होंठों के अंदर लेजाकर, बहुत ही धीरे धीरे बहुत ही प्यार से

कामया का हाथ अपने आप उठा और भोला के बाकी बचे हुए लिंग के ऊपर चला गया उसकी पतली पतली उंगलियां ने एक बार उसके उस पत्थर जैसे लिंग को छुआ और भोला की ओर देखने लगी

जैसे पूछ रही ओ, छू लूँ में भी

भोला की आखों में एक चमक थी जो कि कामया सॉफ देख सकती थी वो अब भोला के सुपुर्द थी भोला वो भोला जो हमेशा से ही उसका दीवाना था और आज तो उसके सामने ही ऋषि के साथ वो खेल खेल रहा था जिसके बारे मे कामया ने जिंदगी में नहीं सोचा था

भोला की गिरफ़्त कामया की कमर में कस रही थी वो कामया को और नजदीक खींच रहा था जैसे की उसकी कमर को तोड़ डालेगा कामया एकदम से टेढ़ी सी होकर उसके साथ सटी हुई थी कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा था कही कोई आवाज नहीं बस थी तो सांसों की आवाज और कुछ नहीं भोला का लिंग अब ऋषि के होंठों से लेकर उसके गले तक जाने लगा था कामया एक टक नीचे की ओर देखती जा रही थी भोला की पकड़ में रहते हुए और अपने एक हाथों से उसके कंधो का सहारा लिए भोला का उल्टा हाथ ऋषि के सिर पर था जो कि उसे अपने लिंग पर डाइरेक्ट कर रहा था और ऋषि के सिर को आगे पीछे कर कर रहा था कामया खड़ी-खड़ी अपने हाथों से भोला के पेट को सहलाने लगी थी और एकटक देखती हुई नीचे उसके लिंग की और बढ़ने लगी थी वो नहीं जानती थी कि क्या और कब और कैसे पर हाँ… उसके हाथ अब उसके लिंग के चारो ओर थे ऋषि के दोनों हाथ अब भोला की जाँघो पर थे और भोला अपने उल्टे हाथ से उसके सिर को पकड़कर लगातार जोर-जोर से झटके दे रहा था शायद वो अपनी सीमा को लाँघने वाला था उसकी पकड़ कामया की कमर पर भी बढ़ गई थी और कमर को छोड़ कर अब धीरे धीरे उसकी पीठ से होते हुए उसकी गर्दन तक पहुँच चुकी थी कामया के नरम हाथ भी भोला के लिंग को उसके गन्तव्य तक पहुँचने में मदद कर रही थी और फिर एक साथ बहुत सी घटनाए हो गई

कामया के होंठ भोला के होंठों से जुड़ गये और एक जबरदस्त चुभन से पूरा कमरा गूँज उठा ऋषि अपने चहरे को भोला के लिंग से हटाने की कोशिश करने लगा और भोला के हाथ का जोर उसके सिर पर एकदम से सख्त हो गई थी और एक बहुत बड़ी सी सिसकारी और साथ में एक लंबी सी आअह्ह, और उुउऊह्ह, से पूरा कमरा गूँज उठा ऋषि बेड पर गिर गया था पर, अपने सामने भोला और कामया को जोड़े हुए एक दूसरे का लंबा सा चुंबन करते हुए देखता रहा ऋषि के मुख के चारो ओर भोला का वीर्य लगा हुआ था और उसका चहरा लाल था पर अपने सामने का दृश्य देखकर तो वो और भी बिचलित सा हो गया था

कामया को भोला कस कर अपनी बाहों में भर कर उनके होंठों को चूसे जा रहा था और उसके हाथ उसकी पूरी पीठ और बालों को छू रहे थे भोला के कसाव से ऐसा लगता था कि आखिरी बूँद शायद कामया के सहारे ही छोड़ना चाहता था कामया की सांसें रुक सी गई थी और अपने आपको उस खिचाव से बचाने के लिए वो जितना हो सके भोला के बालिश्ट शरीर से चिपक गई थी
पर साथ में ऋषि जो कि बिस्तर पर अढ़लेटा सा पड़ा हुआ उन्हें ही देख रहा था एक अजीब सी चमक के साथ एक आश्चर्य भरा हुआ चहरा था उसका कामया की नजर उसपर नहीं थी पर वो जानती थी कि ऋषि के लिए यह एक अजूबा था वो सोच भी नहीं सकता था कि भाभी भी उसका इस खेल में साथ देगी या फिर उसके सामने ही भोला उसे किस भी करेगा

कामया ने किसी तरह से अपने होंठों को चुराया और हान्फते हुए अपने सांसों को कंट्रोल करती हुई
कामया- यहां नहीं प्लीज़ भोला छोड़ो मुझे प्लीज

भोला- जी मेमसाहब पर आप साड़ी में ज्यादा सुंदर लगती हो आआआह्ह उूुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममम

और शायद भोला की हिम्मत जबाब दे चुकी थी वो खड़ा-खड़ा एक बार फिर से कामया के होंठों को सॉफ करता हुआ अपने आपको बेड के किनारे बिठा लिया

कामया अपने को अचानक ही आजाद पाकर जैसे चैन की सांसें ली हो पर वो ही जानती थी कि वो अपने को कैसे कंट्रोल किया था उसका शरीर जल रहा था पर मजबूर थी वो शायद ऋषि नहीं होता तो झट से तैयार भी हो जाती पर भोला को रोकने का मतलब उसका कही से नहीं था की वो रुक जाए पर भोला तो नमक हलाल आदमी था कामया के कहने भर से एक झटके में उसे छोड़ कर बैठ गया कामया किसी तरह लड़खड़ाते हुए पीछे की ओर हुई और खाँसते हुए और अपनी सांसों
को कंट्रोल करते हुए जल्दी से चेहरा घुमाकर वापस सोफे की ओर रवाना हो गई अभी-अभी जो उसने देखा था वो एक अजूबा था वो इस तरह की कोई एपिसोड के बारे में आज तक सोच नहीं पाई थी और ऋषि जैसे लड़के के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं पर जो देखा था वो सच था कहीं से कहीं तक झूठ नहीं था उसकी नजर जब वापस भोला और ऋषि पर पड़ी तो वो दोनों ही उठकर अपने कपड़े ठीक कर रहे थे और वो एक मूक दर्शक के समान उनको देख रही थी

भोला झट से बिना कुछ कहे बाथरूम की ओर चला गया और थोड़ी देर में वापस आके कमरे में कुछ ढूँडने लगा फिर ऋषि की ओर देखता हुआ
भोला- इस डब्बे में क्या है
ऋषि कुछ बुक्स है क्यों
भोला- नीचे ले जा रहा हूँ और तुम्हारा बैग कहाँ है
ऋषि- जी वहाँ
भोला बिना किसी इजाज़त के ही बैग और वो बाक्स उठाकर कमरे से बाहर की ओर जाने लगा
भोला- देर हो गई है जल्दी करो
कामया और ऋषि के चहरे पर एक चिंता की लकीर खिंच गई थी हाँ… 12 00 बज गये थे बाप रे इतना टाइम हो गया
कामया भी अपने कपड़े ठीक करते हुए और ऋषि भी अपने कपड़े ठीक करता हुआ जल्दी से नीचे की ओर चल दिया और गाड़ी कॉंप्लेक्स की ओर दौड़ पड़ी ऋषि कामया और भोला सब चुप थे पर बहुत कुछ कहना और सुनना बाकी था शायद एक अजीब सी चुप्पी थी थोड़ी देर में ही कॉंप्लेक्स आ गया और गाड़ी आफिस के सामने रुक गई जब तक भोला उतर कर आता तब तक दोनों जल्दी से उतर कर आफिस में घुस गये थे कुछ पुलिस कान्स्टेबल भी वहां थे एक इनस्पेक्टर लेवेल का आदमी जल्दी से कामया की ओर लपका
इनस्पेक्टर- जी मेडम नमस्ते वो में यहां आपकी सेक्योंरिटी के लिए आया हूँ
कामया- जी वैसे मुझे जरूरत नहीं है हमारे पास अपनी सेक्योंरिटी है
इनस्पेक्टर भोला की ओर देखता हुआ
इनस्पेक्टर- जी मेडम ऊपर से आदेश है इसलिए बस
कामया- ठीक है पर मेरे पीछे-पीछे ना घूमे आप लोग प्लीज
और झट से अपने आफिस की ओर चल दी थी
आफिस में घुसते ही वो जल्दी से टाय्लेट की ओर भागी और रिलीस करके जब बाहर निकली तो ऋषि वही बैठा हुआ वाउचर्स को देख रहा था
ऋषि- आई म सारी भाभी
कामया- क्यों क्या हुआ
ऋषि- जी वो मेरे कारण आज भोला ने आपके साथ प्लीज भाभी माफ करदो
कामया- ठीक है अब काम कर और जल्दी
कामया उसे काम देकर अपने काम में उलझ गई थी पर हर बार उसकी आखों के सामने एक ही दृश्य घूम रहा था और बार-बार उसे भोला की कही बातें भी याद आ रही थी

मैंने कहा था ना और आप साड़ी में बहुत अच्छी लगती हो

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