बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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शिवा सीडी देखकर अपना लंड दबा रहा था। बहुत ही कामुक दृश्य था जिसमें एक जवान लड़की पीठ के बल लेट कर सिसकियाँ भर रही थी और बाप बेटा उसके एक दूध चूस रहे थे। उफफफफ क्या मज़ा ले रहे थे दोनों। लड़की के एक एक हाथ में दोनों के बड़े बड़े लण्ड थे जिनको वह सहला रही थी। दोनों आदमियों के हाथ उसके बदन पर घूम रहे थे और उसकी बुर में भी तीन उँगलियाँ घुसी हुई थीं।
तभी फ़ोन बजा। शिवा ने फ़िल्म बंद की और फ़ोन उठाया। सरला का ही फ़ोन था। वो बोली: हाँ बेटा क्या बोल रहे थे।
शिवा: मम्मी रात को मालिनी बदला लेने की बात कर रही थी । वह बोली अगर आप मेरी मम्मी को चोदे हो तो मैं भी आपके पापा से चुदवाऊँगी।

सरला: ओह इसका मतलब कि तुम्हारे पापा अपने मक़सद में कामयाब होते दिखाई दे रहें हैं।

शिवा: क्या मतलब? क्या मक़सद है पापा का?

सरला: मालिनी को चोदना । वो अपनी बहु पर बहुत दिनों से निगाह रखे हैं। वो कहते हैं कि वो दूसरी शादी करेंगे। इसलिए मालिनी उनकी बात शायद मान गयी है। तभी ऐसा बोल रही है।

शिवा: मेरे पापा के बारे में आप इतना सब कैसे जानती हैं जो कि मैं भी नहीं जानता।

सरला: वो - वो - क्या है ना - मतलब - अब मैं क्या बोलूँ?

शिवा: मम्मी कहीं आप पापा से चुदीं तो नहीं हो?

सरला: ये कैसे बोल रहे हो? क्या ऐसी बात कोई पूछता है भला?

शिवा: मम्मी आप भूल रही हो कि मैं भी आपको चोद चुका हूँ। और आप सिर्फ़ मेरी सास नहीं हो बल्कि मेरी चुदाई पार्ट्नर भी हो। मैं तो चाहता हूँ की आप कुछ दिनों के लिए यहाँ आ जाओ ताकि मैं आपको मस्ती से चोद सकूँ।

सरला: धत्त ये कैसे हो सकता है, वहाँ मालिनी और तुम्हारे पापा भी होंगे। तुम्हें मज़ा लेने यहाँ मेरे घर आना होगा।

शिवा: मम्मी वो तो सिर्फ़ इतवार को ही हो सकता है। चलो प्लान करते हैं। अच्छा रखता हूँ।

शिवा फ़ोन काट कर सोचने लगा। कही कुछ गड़बड़ है। उसे पता करना होगा कि पापा और मालिनी के बीच क्या चल रहा है? पर कैसे पता करे वो? वो सोचता रहा । तभी उसे याद आया कि वो जब लिंगरी लेकर गया था मालिनी के लिए तो रात में उसे पहनकर वो पापा को दूध देने गयी थी। उसने उस दिन उसके ऊपर एक कपड़ा ढाँक लिया था। क्या वो सब उसे धोका देने के लिए था। अगर ऐसा है तो वह पापा को लिंगरी में अपना बदन दिखाने गयी थी। वो जितना इस बात के बारे में सोचता उतना ही उसका शक पक्का होता जाता। वो सोचा कि आज फिर एक सेक्सी ड्रेस लेकर जाता हूँ। देखता हूँ कि वो फिर से कोई बहाना बना कर पापा के कमरे में जाती है क्या? अगर गयी तो फिर साफ़ है कि वो पापा के साथ मज़ा कर रही है। उसका लण्ड इन बातों को सोचकर पूरा तना हुआ था। वो बाथरूम में गया और मालिनी के नाम की मूठ्ठ मारा। और फिर शांत होकर बाहर आया और एक सेक्सी ड्रेस खोजने लगा। आज उसने एक ऐसी ड्रेस पसंद की जिसका सोच कर वो फिर से उत्तेजित होने लगा। इस ड्रेस से उसकी चूचियाँ आधी से ज़्यादा नंगी दिखाई देंगी और पूरा पेट और आधी कमर भी नंगी रहेगी। और सिर्फ़ बुर का भी आधा हिस्सा ही ढकेगा।जाँघों के ऊपर एक कपड़े का हिस्सा अलग अलग लहरा रहा था। पीछे से गाँड़ के ऊपर एक रस्सी भर होगी। उसने ड्रेस पैक कर ली। आज ये फ़ैसला होना था कि क्या सच में मालिनी और पापा के बीच कुछ है?

उधर शिवा के जाने के बाद मालिनी नहाकर सलवार क़ुर्ती में बाहर आयी और किचन में बाई के साथ खाना बनाने लगी। तभी राजीव ने उसे आवाज़ दी: बेटा ज़रा आना तो।

मालिनी उसके कमरे में आयी और बोली: जी पापा।

राजीव उसके बदन की ओर देखता हुआ बोला: वाह नहा कर कितनी मस्त लग रही हो। बाल ऐसे ही खुला रखा करो।

मालिनी हँसकर: अच्छा समझ गयी। बोलिए किस लिए आवाज़ दी?

राजीव: तुमको ये दिखाने को। ये कहते हुए उसने एक सेक्सी ड्रेस निकाली और बोला: ये मैंने तुम्हारी सास के लिए ख़रीदी थी। पर वह कभी नहीं पहनी। तुम पहनकर दिखाओ। मस्त लगोगी।

मालिनी ने उस ड्रेस को चेक किया और हँसकर बोली: पापा सासु माँ ने नहीं पहना ठीक ही किया। आप इसको ड्रेस कहते हो? इससे तो अच्छा है कि कुछ पहना ही ना जाए। देखिए तो यहाँ से तो पूरा खुला हुआ है। पूरी नंगी ही दिखूँगी।

राजीव: बेटा एक बार पहन कर तो दिखा दो। इतने प्यार से ख़रीदी थी मैंने।

मालिनी उसको हाथ में पकड़कर बाहर जाकर दरवाज़े के पास खड़ी होकर बोली:अब आप सुनिए मैं इसको अपनी सेकंड सुहागरत में पहनूँगी जो आपके साथ मनाऊँगी। वो कहकर हँसी और वहाँ से भाग गयी। राजीव के लण्ड ने ये सुनकर झटका मारा और वो भी बाहर आया । पर तब तक मालिनी किचन में जा चुकी थी जहाँ काम वाली बाई काम कर रही थी। उसके पैर थम गए। वह मन ही मन मुस्कुराता हुआ सोचा कि अब दिल्ली दूर नहीं है। जल्दी ही उसकी बहु उसकी बाहों में होगी। उसका दिल बल्लियों उछलने लगा।

उधर सरला ने राजीव को फ़ोन लगाया: कैसे है आप?

राजीव : ठीक हूँ जान। आ जाओ ना कुछ मज़े करेंगे।

सरला: आपको बस एक ही बात सूझती है। अच्छा ये बताओ कि आपने मालिनी के दिल में ये शक क्यों डाला कि शिवा और मेरे बीच कुछ हुआ होगा। क्या फ़ायदा होगा आपको ऐसा कहकर।

राजीव: अरे फ़ायदा तो हो गया। मालिनी कल शिवा को बोली कि अगर ये सच है तो वो इसका बदला लेगी। और बदला होगा कि क्योंकि शिवा ने उसकी मम्मी को चोदा है इसलिए वो शिवा के पापा से चुदवाएगी। बताओ कितना मीठा सा बदला लेगी ना तुम्हारी बिटिया।

सरला: ओह हे भगवान। आपने क्या क्या भर दिया है उसके दिमाग़ में। प्लीज़ उसे छोड़ दीजिए शिवा के लिए। आपको जो करना है मेरे साथ कर लीजिएगा।

राजीव: अरे तुम्हारे साथ भी कर लेंगे और तुम्हारी प्यारी सी बिटिया के साथ भी कर लेंगे।

सरला: अरे आप क्यों उसकी शादीशुदा ज़िन्दगी में आग लगा रहे हो।

राजीव: आग तो तुम लगायी हो शिवा के बदन में ,मैं तो मालिनी की आग बुझाऊँगा जानू।

सरला कुछ कहती इसके पहले श्याम अंदर आने लगा, तो वह अच्छा अभी रखती हूँ कहकर फ़ोन काट दी।

रात को आठ बजे शिवा घर आया और अपने कमरे में जाकर फ़्रेश हुआ। मालिनी उसके पास आइ और बोली: कैसा रहा दिन आज का?

शिवा: बहुत अच्छा धन्धा हुआ है। इसीलिए देखो तुम्हारे लिए ये गिफ़्ट लाया हूँ।
मालिनी ने गिफ़्ट खोली और उसमें एक बहुत ही सेक्सी ड्रेस देखकर उसका मन हुआ कि अपना सर पीट ले। वहाँ बाप उसे एक सेक्सी ड्रेस दे रहा है और यहाँ बेटा भी एक सेक्सी ड्रेस लेकर आ गया है। वो मन ही मन सोची कि बाप बेटा एकदम एक जैसे ही हैं।

शिवा: आज रात को ये पहन कर दिखाना और फिर तुम्हारी चुदाई करूँगा जैसे ब्लू फ़िल्म में होता है। ठीक है ना? मेरी जान।

मालिनी: अब क्या कहूँ आपको । आप हमेशा ही अपने मन की तो करते हो। है कि नहीं?

शिवा: चलो अब भाषण मत दो जान। बस पहन लेना।

मालिनी हँसके : अच्छा जो चाहोगे सब हो जाएगा मेरी जान। चलो अब खाना लगाती हूँ।

सबने खाना खाया। आज पहली बार शिवा ध्यान से देख रहा था कि क्या पापा मालिनी को ताड़ते हैं? उसने पाया कि वो उसको अच्छी तरह से घूर रहे थे। कभी उसकी चूचियों को तो कभी उसके पेट को और उसकी गाँड़ को भी। वो सोचा कि उसने तो कभी सोचा ही नहीं कि पापा ऐसा भी कर सकते हैं ? फिर वो अचानक महसूस किया कि उसका लण्ड तन रहा है । वो अपने आप पर हैरान था कि उसे ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वो उत्तेजित हो रहा था। यह क्या हो रहा है उसे? क्या वो ख़ुद ही चाहता है कि पापा अपनी बहु के साथ ये सब करे? वो काफ़ी कन्फ़्यूज़्ड था।

खाना खाने के बाद शिवा अपने कमरे में आ गया और इंतज़ार करने लगा कि कब वो आए और वो उसे लिंगरी में देखे। फिर देखना ये है कि क्या बहाना बना कर मालिनी ससुर के कमरे में जाएगी?

उधर मालिनी किचन जाकर काम निपटाई और दूध का गिलास लेकर ससुर के कमरे में दे आइ।
फिर वो बोली: पापा आपको पता है कि जैसी लिंगरी आप लाए हो वैसी ही या उससे भी ज़्यादा सेक्सी लिंगरी आपका बेटा भी लाया है। और वो मुझे अभी पहनकर उनको दिखाना है।

राजीव: उसके बाद वो तुम्हारी ज़बरदस्त चुदाई भी करेगा। है ना?

मालिनी: वो तो करेंगे ही। चलती हूँ अब वो रास्ता देख रहे होंगे।

राजीव: जान एक बार मुझे भी दिखाना कैसी लगती हो लिंगरी में। प्लीज़ ।

मालिनी: क्या बहाना बनाऊँगी? पिछली बार तो दूध का बहाना बनाया था। आज तो दूध भी ले कर आ गयी हूँ।

राजीव: अरे कुछ भी बहाना बना लेना।बस एक बार जलवा दिखा देना।

मालिनी: अच्छा देखती हूँ। कोई बहाना बन पाया तो।

अब वो अपने कमरे में गयी और देखी की शिवा सिर्फ़ एक चड्डी में उसका इंतज़ार कर रहा था । उसका लण्ड आधा खड़ा था। वह टी वी देख रहा था।

शिवा: क्या जान बड़ी देर लगा दी?

मालिनी: वो किचन साफ़ की और फिर पापा को दूध देकर आयी हूँ।

शिवा: जान चलो अब वो लिंगरी पहन कर दिखा दो। देखो लण्ड कैसे झटके मार रहा है।

मालिनी हँसकर : अच्छा अभी आयी। ये कहकर वो बाथरूम में जाकर फ़्रेश हुई और फिर सब कपड़े निकल कर सिर्फ़ लिंगरी पहन ली। उसकी बड़ी छातियाँ आधी नंगी थीं और जाघें भी नंगी थीं । सिर्फ़ बुर के ऊपर एक छोटी सी पट्टी थी उसमें से भी आधी बुर बाहर दिख रही थी। उफफफ क्या क़यामत दिख रही थी। वो ख़ुद से ही शर्मा गयी । जब वो बाहर आइ तो शिवा मस्ती से भर गया और अपनी सेक्सी बीवी को देखकर लंड दबाने लगा। शिवा: आऽऽऽह क्या माल लग रही हो मेरी जान।

मालिनी शर्माकर: सच में बहुत ही छोटी सी लिंगरी है। पूरी तो नंगी ही दिख रही हूँ।

फिर से शिवा ने उसे चलकर दिखाने को कहा और वो भी गाँड़ मटकाकर चल के दिखाई। शिवा मस्ती से भर गया। तभी शिवा सोचा कि अब वो पापा के कमरे में जाने का अगर बहाना बनाई तो उन दोनों में कोई ना कोई चक्कर है ये पक्का हो जाएगा। वो इंतज़ार करने लगा। उसका दिल बुरी तरह से धड़क रहा था। क्या मालिनी कोई बहाना बनाएगी। पर मालिनी आकर शिवा के पास आकर बैठ गयी। शिवा को मानो निराशा ही हुई। वो सोच रहा था कि वो पापा के पास जाएगी। पर ऐसा हुआ नहीं।

शिवा सोचा कि उसे तो ख़ुश होना चाहिए। पर वो उदास क्यों है। आख़िर वो ख़ुद क्या चाहता है?

अब मालिनी उसकी गोद में आकर बैठी और वो उसे चूमने लगा।मालिनी अपनी गाँड़ हिलाकर बोली: आपका तो खड़ा है बहुत चुभ रहा है। उसके बाद वो भी चुम्बन में उसका साथ देने लगी।

पर शिवा का लण्ड बैठने लगा था । शायद वो उम्मीद किया था कि वो पापा के पास जाएगी। पर ऐसा कुछ हो नहीं रहा था। तभी उसके दिमाग़ में एक विचार आया और वो सोचा कि शायद उसे मालिनी को थोड़ा सा समय अकेले में देना चाहिए। वो ये सोचकर बोला: जान मैं ज़रा बाथरूम जाकर आता हूँ। नहाने की इच्छा हो रही है।

मालिनी: इस समय आप नहाओगे ?

शिवा: बस दस मिनट दो फिर नहा कर आता हूँ। फिर चुदाई करेंगे।

मालिनी : ठीक है। आप आओ। यह कहकर वो बिस्तर पर बैठी और टी वी लगा ली।

शिवा ने अंदर जाकर शॉवर चालू किया। थोड़ा सा भीगकर वह तौलिए से ख़ुद को पोंछ भी लिया। फिर धीरे से दरवाज़ा थोड़ा सा खोलकर उसके अंदर से झाँका। उसने देखा कि मालिनी फ़ोन पर मेसिज कर रही थी। फिर वो उठी और उसने एक शॉल सी लपेटी और बाहर निकल गयी। हुआ ये था कि मालिनी अकेली होते ही राजीव को sms की और पूछा :क्या आप जाग रहे हो?

राजीव : हाँ ।

मालिनी: मैंने लिंगरी पहनी है देखोगे?

राजीव: अरे आ जाओ ना मेरी जान। दिखा दो।

मालिनी: बस दो मिनट के लिए। कोई गड़बड़ नहीं । ठीक?

राजीव: प्रॉमिस ।

इसके बाद मालिनी उठकर गयी जिसे शिवा ने देख लिया और जल्दी से तौलिया लपेट कर उसके पीछे जाकर पापा के कमरे की खिड़की से अंदर झाँका। उसका मुँह खुला का खुला रह गया।

अंदर मालिनी शाल लपेटी पापा के सामने वैसे ही चल रही थी जैसे अभी वो उसके कमरे में चल कर दिखाई थी। राजीव बिस्तर पर बैठे लूँगी के ऊपर से अपने तने लंड को सहला रहा था। वो बोला: बेटी, शॉल उतारो ना। अपनी जवानी का जलवा दिखाओ ना।

वो मुस्कुराई और शॉल को धीरे से उतारी और लिंगरी में उसकी आधी नंगी जवानी देखकर राजीव गरम हो गया और लूँगी से अपना लण्ड बाहर निकाल कर सहलाने लगा।

शिवा ने भी अपना लण्ड सहलाना शुरू किया और आँखें फाड़े अपनी बीवी को अपने ससुर के सामने लिंगरी में गाँड़ मटका कर चलते देखने लगा।

राजीव उत्तेजना में भर कर लंड मूठियाते हुए बोला: आऽऽऽऽऽऽऽह क़याऽऽऽऽऽ गाँआऽऽऽऽऽऽऽड़ है बेएएएएएएएएटी तेरी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कब चुदाअअअअअअअअअअएगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

मालिनी उसके पास आइ और झुककर उसके लण्ड के सुपाडे को चुमी और बोली: बस थोड़ा सा और इंतज़ार मेरे राऽऽजा। पापा ने उसकी चूचियाँ दबाई और उसकी मस्त गाँड़ पर हाथ भी फेरा और बोला: आऽऽऽऽह बहु अभी तो मूठ्ठ मारे बगेर नींद आएगी ही नहीं।

वो हँसकर शाल लपेटी और बोली: चलती हूँ शिवा नहाकर आने वाले होंगे। बाई । और इसके पहले कि वो निकल आती शिवा जल्दी से अपने कमरे में आकर बाथरूम में घुस गया। फिर अपनी फूली हुई साँसों को क़ब्ज़े में करके वो बाहर आया। मालिनी बिस्तर पर बैठी कितनी भोली लग रही थी। कौन कह सकता था कि ये लड़की अभी अपनी जवानी का जलवा अपने ससुर को दिखा कर आइ थी और उसका लण्ड चूस कर आइ थी। शिवा का लण्ड तो उत्तेजना के मारे फटा जा रहा था । वह बाहर आके मालिनी को बिस्तर पर लिटाया और फिर उसके ऊपर आकर उसकी चूचियाँ दबाके होंठ चूसने लगा। फिर वो लिंगरी से चूचियाँ बाहर निकाला और उनको दबाके बारी बारी से चूसने लगा। फिर वो नीचे जाकर उसकी बुर के पास से लिंगरी का कपड़ा हटाकर वहाँ अपना लंड सेट किया और एक ही धक्के में अपना आठ इंचि अंदर पेल कर उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख कर मज़े से चोदने लगा । मालिनी भी नीचे से कमर उठाकर चुदवाने लगी। मस्ती से उन्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न करके वो हर धक्के का मज़ा ले रही थी। शिवा भी उत्तेजना में भरकर उसकी बुर फाड़ने में जुटा हुआ था। पलंग तो मानो आज टूटने ही वाला था। उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आज क्या चुदाई कर रहा है शिवा। मालिनी सोची की आज इनके सिर पर क्या सवार हो गया है? लिंगरी अभी भी उसके बदन पर थी। जल्दी ही दोनों हाय्ययय कहकर झड़ने लगे। मालिनी अब शांत होकर पड़े शिवा को देखी। अब वो उठकर बाथरूम में गयी और वापस आकर सो गयी। शिवा भी सोने की कोशिश कर रहा था पर उसके आँखों के सामने बार बार मालिनी का चेहरा आ रहा था जो कि पापा के लौड़े के सुपाडे को चूस रही थी। अचानक उसने नोटिस किया कि उसका लण्ड फिर से तन गया था। वो मुड़कर पास ही सोयी मालिनी के सुंदर चेहरे को देखता रहा और सोचा कि उफफफ क्या बच्ची सी भोली दिखाई दे रही थी। और उसकी आँखों के सामने उसका बदन घूम गया जिसको वो गाँड़ हिलाकर लिंगरी में से पापा को दिखा रही थी। वह अपना लण्ड दबाया और सोने की कोशिश करने लगा।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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मालिनी सुबह उठी तो शिवा बेसुध सो रहा था। वह बाथरूम से फ़्रेश होकर एक नायटी पहनी और किचन में पहुँची। जैसे ही वो बाहर निकली शिवा उठा और बाथरूम से फ़्रेश हुआ। मालिनी को पता नहीं था कि वो जाग रहा था। वो बाहर ना जाकर चुपचाप ड्रॉइंग रूम में खुलने वाली खिड़की को थोड़ा सा खोला और पर्दा हल्का सा हटाकर बाहर झाँका। ड्रॉइंग रूम पूरा दिख रहा था। वो एक स्टूल लेकर वहाँ धैर्य से बैठ गया। तभी मालिनी किचन से बाहर आयी और राजीव को आवाज़ दी: पापा आओ चाय बन गयी।

राजीव बाहर आकर डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ा । वो बनियान और लूँगी में ही था। तभी चाय लेकर मालिनी आयी। जैसे ही वो उसके पास आयी और चाय टेबल पर रखी , राजीव ने खींचकर उसे अपनी गोदी में खींच लिया। और वो उसकी गोद में आकर मचल कर बोली: उफफफ पापा चाय तो पी लो।

शिवा हैरान रह गया कि इनमे तो बहुत याराना है।

राजीव: बेटी चाय भी पी लेंगे। पहले ये शहद तो पी लूँ। ये कहते हुए वह उसके गाल और फिर होंठ चूसने लगा। पहले मालिनी ने उसका विरोध किया फिर ख़ुद भी उसका साथ देने लगी। फिर मालिनी उठी और बग़ल की कुर्सी में बैठने लगी। तभी वो उसकी गाँड़ सहलाने लगा। और कुर्सी में हाथ का पंजा रख दिया।

मालिनी हंस कर : पापा हाथ निकालो दब जाएगा ।

वह: दबने दो बेटी तुम्हारी गाँड़ के नीचे ही तो दबेगा ना। वो उसकी गाँड़ मसलकर बोला।

शिवा अब अपने लंड को सहलाने लगा था। भोली सी दिखने वाली मालिनी इतनी गरम माल होगी। ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था।

मालिनी: पापा प्लीज़ हटाओ ना हाथ। वह हँसकर हाथ हटाया। पर अब वो बग़ल की कुर्सी में बैठी मालिनी की चूचि दबाकर बोला: बेटी रात को लिंगरी में तुम क़यामत ढा रही थी। तुम्हारी ये चूचियाँ तो बड़ी ही रसीलि दिख रहीं थीं। उफ़फ़्फ़ क्या गाँड़ मटकाती हुई चल रही थी। जानती हो मैं मूठ्ठ मारा तभी सो पाया।

मालिनी: पापा आप भी ना। बहुत गरम हो इस उम्र में भी।

राजीव अपनी लूँगी में से लण्ड बाहर निकाला और बोला: देखो अभी भी खड़ा है।

मालिनी हँसकर उसको पकड़ ली और सहलाकर बोली: आप दोनों बाप बेटा दो मिनट में ही खड़ा कर लेते हो।

शिवा हैरान रह गया मालिनी के मुँह से ऐसी बातें सुनकर। वो पापा और उसकी तुलना भी बड़ी बेशर्मी से कर रही है।

तभी राजीव बोला: बेटी थोड़ा सा चूस दो ना।

मालीनी झुक कर थोड़ी देर चूसी फिर बोली: पापा इनके जाने के बाद अच्छे से चुसवा लेना।

अब वो उठी और राजीव ने फिर से उसे पकड़ लिया और बोला: अच्छा एक मीठी सी चुम्मी दे दो ना। प्लीज़ ।

मालिनी : उफफक पापा आप भी ना बच्चों जैसी ज़िद करते हो।

शिवा को समझ नहीं आया कि पापा इतनी चुम्मियाँ तो ले चुके हैं तब तो मालिनी कुछ नहीं बोली अब क्या मुश्किल है उसे फिर से चुम्मी देने में? तभी उसका मुँह खुला रह गया। उफफफ ये क्या हो रहा है उसकी आँखों के सामने।

मालिनी ने अपनी नायटी ऊपर करनी शुरू की। अब उसकी नायटी उसके पेट तक उठ चुकी थी। राजीव नीचे बैठा और मालिनी की जाँघें सहलाया और फिर बुर में ऊँगली फेरकर मस्ती से उसको चूमने लगा। शिवा की साँसे फूल रही थी। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ ये कैसी बहु है जो ड्रॉइंग रूम में अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर अपने ससुर से चटवा रही है। और वो भी तब जब कि बग़ल के कमरे में उसका पति मौजूद है। शिवा ने देखा कि अब पापा उसकी बुर को चाट रहे थे और मालिनी उइइइइइइइइ कहकर मस्ती से उसका सिर अपनी बुर में दबा रही थी।

तभी राजीव ने उसको घुमाया और उसके मस्त गोल चूतरों को दबाकर उनको चूमने लगा। फिर वो उसके चूतरों को फैलाया और पूरी दरार चाटा और फिर उसकी गाँड़ के छेद में जीभ डालकर वह मानो गाँड़ चोदने लगा। शिवा ने मालिनी के चेहरे को ओर देखा तो वो मानो आनंद में डूबकर आँखें बंदकरके गाँड़ चुसाई का मज़ा ले रही थी और उसकी आवाज़ आऽऽऽहहह करके निकल रही थी। वो अब भी एक हाथ से अपनी नायटी उठाई हुई थी।

मालिनी: आऽऽऽहहहह पापा बस आप छोड़िए ना । शिवा को चाय देनी है । उइइइइइइइ बस कीजिए नाआऽऽऽऽऽ।

राजीव मुस्कुरा कर उठा और मालिनी ने भी नायटी नीचे की। शिवा लूँगी से बाहर झाँकते हुए उसके लण्ड को देखा और मालिनी ने उस मस्त लंड को सहलाया और हँसकर बोली: पापा आप इस उम्र में भी मस्त मर्द हो।

शिवा उत्तेजना से कांप रहा था। तभी शिवा ने देखा कि राजीव मालिनी की पीठ से चिपक गया है। और नायटी के ऊपर से ही अपना लण्ड उसकी गाँड़ की दरार में रगड़ रहा था। मालिनी उफफफफ छोड़िए ना पापा कहकर छूटने की कोशिश की। तब वो उसकी दोनों चूचियों को अपने पंजों में दबाकर बोला: बेटी कब चुदवाओगी ? क्या मेरे मरने के बाद हाँ करोगी चुदवाने के लिए?

मालिनी: आऽऽहहह पापा छोड़िए ना। आप क्यों मरेंगे । मरे आपके दुश्मन। आपको तो अभी मेरी चुदाई का शुभारम्भ करना है।

शिवा सोचने लगा कि इसका क्या मतलब है? वो पापा के साथ ये सब कर रही है और अभी भी उनसे चुदी नहीं है? ये क्या चक्कर है?

राजीव ख़ुश होकर उसको चूमा और छोड़ दिया। वो अपनी गाँड़ की दरार से फँसी हुई नायटी को निकाली और किचन में चली गयी। राजीव भी अपना लण्ड दबाके अपने कमरे में चला गया।

चाय लेकर मालिनी शिवा के पास आयी। वो जाकर उलटा होकर लेट गया था। वो चड्डी में था और पेट के बल लेट कर अपना खड़ा लंड दबाकर पड़ा हुआ था । वो बुरी तरह से उत्तेजित था। अब मालिनी आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर हिलाई और बोली: उठिए ना चाय लाई हूँ। शिवा उठने का नाटक किया और सीधा होकर लेट गया। मालिनी की आँखों के सामने उसका लण्ड चडड्डी से खड़ा हुआ और मोटा लाल सुपाडा चड्डी से बाहर था। मालिनी मुस्कुराई और बोली: नींद में किसकी ले रहे थे?

शिवा हँसकर: अरे तुम्हारे सिवा किसी और को चोदने का सवाल ही नहीं है जान। फिर वह चाय पीने लगा। मालिनी बड़े प्यार से उसके लाल सुपाड़े को सहला कर बोली: बेचारा कितना कड़ा हो गया है। वो झुकी और उसके सुपाड़े को वैसे ही चूसी जैसे अभी पाँच मिनट पहले उसने पापा का सुपाडा चूसा था। शिवा चाय रखकर उसे अपनी बाँहों में लेकर उसको चूमने लगा और फिर बिस्तर पर गिरा कर उसके ऊपर आ गया।अब वो उसके होंठ चूमा और फिर उसकी नायटी को ऊपर उठा दिया। अब वो कमर के नीचे पूरी नंगी थी। उसकी जाँघ सहलाया और फिर उसकी टाँगे उठाया और फैलाकर जैसे ही उसका हाथ उसकी बुर पर गया वो उत्तेजित हो गया। पापा का थूक अभी भी वहाँ लगा हुआ था। उन्होंने अभी अभी चाटा था वहाँ। तभी उसकी निगाह गाँड़ की दरार पर गया और छेद को सहलाया और वहाँ भी पूरा पापा का थूक पाकर वो मस्त हो गया। उफफफफ क्या लड़की है अभी अभी पापा से चटवा कर आइ है और पूरी गीली है। अब वो दो उँगलियाँ बुर के अंदर डाला और पाया कि अंदर भी पूरी गीली है। लगता है पापा ने बहुत मज़ा दिया है उसको। तभी तो इतनी मस्त होकर पूरी तरह से इसकी बुर पनियायी हुई है। आऽऽऽऽह वो सोचा और उत्तेजित होकर उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और अपना लण्ड एक ही धक्के में उसकी बुर में घुसेड़ दिया। मालिनी आऽऽऽहहहह कर के मज़े से नीचे से अपनी गाँड़ उछाली और लंड पूरा निगल गयी। अब उसने अपनी टाँगें शिवा के चूतर पर कैंची सी मारकर चिपक गयी। अब चुदाई शुरू हुई और वो उन्न्न्न्न्न उन्ननन करके चुदाने लगी ।
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उधर राजीव अपने कमरे से बाहर आया क्योंकि उसका मोबाइल डाइनिंग टेबल पर ही छूट गया था। जब वो वापस जा रहा था तभी उसको हल्की सी सिसकारियाँ और कुछ आवाज़ें सुनाई दीं। वो चौंक कर शिवा के कमरे की तरफ़ देखा। अभी सुबह के ८ बजे थे और ये दोनों क्या लगे हुए हैं? वो ये सोचकर उत्तेजित हो गया और उसी खिड़की के पास आकर धीरे से पर्दा हटाकर अंदर झाँका जहाँ से थोड़ी देर पहले शिवा उसको और मालिनी को देखा था। उसकी आँखों के सामने उसका बेटा मालिनी की ज़बरदस्त चुदाई कर रहा था। उसकी कमर पिस्टन की तरह आगे पीछे हो रही थी। मालिनी भी अपनी गाँड़ उछाल उछाल कर उसके धक्कों का बराबर दे जवाब दे रही थी। जिस तरह से पलंग चूँ चूँ कर रहा था , राजीव को लगा कि कहीं वो टूट ही ना जाए। अब शिवा ने उसकी नायटी को और ऊपर उठाया और उसकी ब्रा में क़ैद चूचियाँ दबाने लगा। फिर वो उसकी एक एक चूचि को ब्रा से बाहर किया और उनको बारी बारी से दबाकर चूसने लगा ।

मालिनी की सिसकारियाँ अब आऽऽऽहहह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ के रूप में जारी थीं।उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ देखकर राजीव भी मस्त हो रहा था। उसका हाथ अपने लण्ड पर था और वो उसे मूठिया रहा था। तभी अचानक मालिनी चिल्लायी: उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ मैं गईइइइइइइइइइ । और वो अपनी जाघें सिकोड़कर अपने आप को ऊपर की ओर उठाई और मानो एक एक इंच लंड निगल ली। तभी शिवा भी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर झड़ने लगा। अब दोनों बुरी तरह से एक दूसरे से चिपके हुए थे। फिर वो अग़ल बग़ल लेट गए।

राजीव ने देखा कि दोनों कितने मस्त होकर पड़े थे। मालिनी की छातियाँ तनी हुई थी और ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर से सफ़ेद रस टपक रहा था। शिवा भी मस्ती से पड़ा हुआ था और उसका लम्बा लण्ड उसकी जाँघ के ऊपर मानो सुस्ता रहा था। राजीव सोचने लगा कि जब उसका बेटा बहु को इतना मज़ा देता है और इतनी तगड़ी चुदाई करता है तो भला मैं उसे कैसे पटा पाउँगा। वो थोड़ा सा उदास हो गया। वो जानता था कि वो इतनी तगड़ी चुदाई अब इस उम्र में नहीं कर पाएगा। फिर वो सोचा कि अगर ऐसा होता तो बहु क्यों उसको इतना प्यार देती है। वो उलझ सा गया था।
वह वहाँ से हट गया।
शिवा मालिनी को चूमा और उठकर नहाने चला गया। मालिनी भी उठी और एक तौलिए से अपनी बुर पोंछी और फिर नायटी डाल के कंघी फेरकर बाहर आइ और किचन में जाकर काम में लग गयी। तभी बाई भी आ गयी थी। शिवा नहाते हुए सोच रहा था कि वो मालिनी को इतना मज़ा देता है फिर वो पापा से क्यों मज़े लेती है? वो आपस में क्या क्या करते होंगे? घर में बाई भी तो होती है फिर दिन भर वो कैसे कर पाते होंगे? उसे पता था कि बाई दोपहर को खाना खाने अपने घर जाती थी। शायद तभी ये दोनों मज़ा लेते होंगे।

नाश्ते के टेबल पर वह बातों बातों में मालिनी से पूछा: काम ज़्यादा तो नहीं हो जाता? वरना एक और बाई रख लो।

मालिनी: नहीं कोई ज़रूरत नहीं है। बाई काम पूरा कर लेती है।

शिवा: अच्छा इसका काम का क्या समय तय किया है तुमने ?

मालिनी: वो सुबह ८ से १२ और फिर दोपहर को ४ से ६ बजे तक काम करती है। अच्छी है मेहनती भी है।

शिवा : ओह चलो फिर ठीक है। वो सोचने लगा कि तो ये बात है १२ बजे से ४ बजे तक पापा और मालिनी अकेले होते हैं। तभी ये दोनों पता नहीं क्या क्या करते होंगे। उसका लण्ड फिर से तनाव में आने लगा।

वो नाश्ता करके चला गया। वो दुकान जाते हुए एक योजना बनाने लगा।

इधर मालिनी भी राजीव के कमरे में गयी और पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?

राजीव कुर्सी पर बैठा अपने हाथों में तेल लगा रहा था। वो बोला: हाँ बेटी चाय ही पिला दो। अपना दूध तो तुम मुझे पिलाओगी नहीं?

मालिनी मुस्कुराई और बोली: पापा आप बस ऐसी ही बात करते हो। अभी तो मेरी हड्डी हड्डी दुःख रही है।

राजीव अनजान बनकर: क्यों क्या हुआ बेटी?

मालिनी: ओह पापा आज तो इन्होंने सुबह सुबह ही मेरी ज़बरदस्त ढंग से ली है। उफफफ आज तो वो जैसे पागल ही हो गए थे।

राजीव हँसकर: बेटी मज़ा भी तो आया होगा ना?

मालिनी हँसकर: पापा वो तो बहुत आया । पर अब बहुत आलस सा लग रहा है।

राजीव: चलो तुमको नहला देता हूँ सारी थकावट मिट जाएगी।

मालिनी: हा हा आपने नहलाया तो उसके बाद आप जो ठुकाई करेंगे, उससे थकावट और बढ़ेगी। अच्छा चलती हूँ चाय बनाकर लाती हूँ। यह कहकर वो चली गयी।

उधर १२ बजे से दस मिनट पहले शिवा अपनी योजना के अनुसार अपने ही घर के सामने खड़ा था। वो इंतज़ार कर रहा था और उसका लण्ड उत्तेजना से खड़ा था। वो शांति से इंतज़ार करते रहा। तभी उसने देखा कि बाई बाहर आ रही है। वो अपनी उत्तेजना को कंट्रोल किया और चुपके से अपने ही घर में अंदर आया। उसके पास एक चाबी थी।
वो अंदर आया और एक कमरे के परदे के पीछे से चुपचाप ये समझने की कोशिश करने लगा कि दोनों कहाँ हैं ?

तभी उसने देखा कि मालिनी शायद अभी नहाकर आयी थी।वो अपने कपड़े सुखाने लगी। खुले बालों में वो अप्सरा लग रही थी। उसने साड़ी पहनी थी। उसके ब्लाउस से उसका पेट और कमर नंगा था। उफफफ क्या दिख रही थी। अब उसने देखा कि मालिनी ड्रॉइंग रूम में बैठी और टी वी चालू करी।

शिवा बोर होने लगा। तभी राजीव बाहर आया और बोला: बेटी बाई चली गयी?

मालिनी: जी पापा चली गयी।

राजीव उसके पास आकर बैठा और बोला: तो आराम हो रहा है?

मालिनी: आप करने दोगे तभी तो आराम होगा?

राजीव: क्या बात है हमारी बिटिया हमसे नाराज़ है क्या? वो उसके खुले बालों को सहला कर बोला।

मालिनी: नहीं पापा मैं आपसे क्यों नाराज़ हूँगी। मैं तो बस मज़ाक़ कर रही थी।

राजीव: आओ ना बेटी गोद में बैठो और थोड़ा सा प्यार करने दो।

शिवा का लण्ड पूरा तन गया था।

मालिनी हँसी और आकर उसकी गोद में बैठ गयी। राजीव अब उसके गाल को चूमने लगा। फिर वो उसकी गरदन और कंधों को भी चूमने लगा। अब उसने साड़ी का पल्लू गिराया और जल्दी ही उसके हाथ उसकी चूचियो पर आ गए थे ।वह उनको दबाकर मज़ा लेने लगा।


मालिनी अपनी गाँड़ हिलाकर बोली: उफफफ पापा आपका बहुत चुभ रहा है।

राजीव: बेटी इसे चूसकर ठंडा कर दो ना।

मालिनी हँसकर उठी और ज़मीन पर बैठ गयी और उसकी लूँगी हटाकर उसके लण्ड को प्यार से सहलाई और बॉल्ज़ भी दबाने लगी। जल्दी ही वो लंड और बॉल्ज़ चूसने लगी।

शिवा की आँखें उसके मुँह पर ही चिपकी हुई थी। वो कैसे पूरे मज़े से लंड चूसने का मज़ा ले रही थी। क़रीब दस मिनट चूसने के बाद राजीव बोला: बेटी ६९ करें? मुझे भी तेरी बुर चूसनी है।

मालिनी मुस्कुरा कर उठी और राजीव वहीं पड़े दीवान पर लेट गया। मालिनी ने अपनी साड़ी उतार दी। फिर अपने पेटिकोट को ऊपर उठाया और आकर के राजीव के ऊपर उलटा लेट गयी। अब उसकी बुर राजीव के मुँह के ऊपर था और उसका मुँह फिर से उसके लंड के ऊपर था ।

शिवा बड़ी बड़ी आँखों से देख रहा था कि कैसे उसकी बीवी अपने ससुर का लंड चूस रही थी। और कैसे पापा अपनी बहु की बुर और गाँड़ चाट रहे थे। उफफफफ उसका लण्ड बहुत टाइट हो गया था और वह उसे बाहर निकाल कर मूठ्ठ मारने लगा।

जल्दी ही दोनों ससुर बहु झड़ने लगे। मालिनी लंड से निकली हुई एक एक बूँद पी गयी। राजीव भी रस को चाटे जा रहा था। फिर दोनों उठकर बैठे और सफ़ाई करके आए और टी वी देखने लगे। शिवा चुपचाप खड़ा होकर मूठ मारे जा रहा था।

अचानक से राजीव बोला: अच्छा बेटी ये बताओ कि माँ से बात हुई क्या?

मालिनी: नहीं तो । किस बारे में?

राजीव: वही उस दिन के बारे में जब तुम लोग शिवा और सरला को अकेला छोड़ गए थे।

मालिनी: उफफफ पापा आपको भी कैसे कैसे ख़याल आते रहते हैं। ऐसा कुछ नहीं हुआ है जैसा आप सोच रहे हो।

शिवा हैरान रह गया कि पापा अपनी बहु को अपने बेटे के ख़िलाफ़ भड़का रहे हैं। वो ध्यान से सुनने लगा।

राजीव: तुमको विश्वास दिला दूँ अभी के अभी?

मालिनी: कैसे दिलाएँगे?

राजीव: वो मुझपर छोड़ो। बोलो अभी इनकी पोल खोलूँ?

शिवा की साँसे रुकने लगी। वो कुछ कर भी नहीं सकता था।
मालिनी: ठीक है दिलाइए विश्वास।

राजीव : ठीक है देखो अभी दिलाता हु पर तुमको चुप रहना होगा।

मालिनी: ठीक है।

राजीव ने अब सरला को फ़ोन लगाया। और फ़ोन स्पीकर मोड में रख दिया।

सरला: हेलो।

राजीव: कैसी हो मेरी जान।

शिवा उसके इस सम्बोधन से चौंका और सिर पीट लिया । उसे पापा की चाल समझ में आ गयी थी।

सरला: मैं ठीक हूँ । पर आप मेरी बेटी को तंग तो नहीं कर रहे हो?

राजीव : अरे नहीं नहीं । वो अभी किचन में है। वो बहु को आँख मार कर बोला।

शिवा समझ गया कि वो सरला के मुँह से सब उगलवा लेगा। उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे? वो चुप चाप खड़ा अपने राज़ का पर्दाफ़ाश होते देखता रहा।

सरला: ओह और कुछ उसको तो नहीं बता दिया आपने?

राजीव: अरे कुछ नहीं बताया। पर लगता है तुम अपने दामाद को मिस तो कर रही हो?

सरला: आप भी वही बात हमेशा क्यों करते हो?

राजीव: अरे हमेशा कहाँ ? आज कितने दिन बाद तो हम बात कर रहे हैं? बताओ ना शिवा का लण्ड याद आता है कि नहीं? उसने तुमको बड़ी मस्ती से चोदा था ना?

शिवा ने अपना सिर पीट लिया। वो जानता था कि वो और उसका सच अब मालिनी के सामने नंगा होने वाला है। पापा कमीनेपन पर उतरे हुए थे।

सरला: हे भगवान कितनी गंदी बातें करते हैं आप। मुझे इस पर बात नहीं करनी है।

राजीव: अरे जान तुम भी ना , अरे मुझसे कैसा शर्माना? हम तो कई बार मज़े कर चुके हैं? अच्छा ये बताओ कि कौन अच्छा चोदता है मैं या शिवा?

मालिनी का चेहरा तनाव में आ गया था। पता नहीं मम्मी क्या जवाब देंगी? शिवा भी परदे के पीछे छिपा हुआ बहुत तनाव में खड़ा हुआ ध्यान से सरला के जवाब का इंतज़ार कर रहा था ।

सरला: उफफफ क्या कोई एक औरत से ऐसी बात करता है क्या? छी आप बहुत गंदे हो।

राजीव: अरे बता भी दो ना । प्लीज़ क्यों भाव खा रही हो?

सरला: देखो आप में अनुभव है और आपके साथ बहुत मज़ा मिला था। पर शिवा जवान है उसकी कमर की ताक़त का आप मुक़ाबला नहीं कर सकते।उफफफफ क्या ताक़त है उसके धक्कों में।

यह सुनकर उधर मालिनी के चेहरे का रंग उड़ गया और इधर शिवा ने भी अपना सिर पीट लिया। वो जानता था कि आज के बाद सबकी ज़िंदगी बदल जाएगी। पापा अपने कमीनेपन का सबूत दे चुके थे। नगीना सी बहु का दिल टूट गया था। और शिवा को समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे ? वह चुपके से घर से बाहर आया और दुकान को चला गया।

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

मालिनी अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि आख़िर मुझमें क्या कमी थी जो शिवा मम्मी से चक्कर चला बैठे ।फिर उसे पापा की कही हुई बात याद आइ कि हर मर्द इधर उधर मुँह मारना चाहता है बशर्ते उसे मौक़ा मिले। और मम्मी तो मौक़ा देने को मानो तय्यार ही बैठी थी। वह सोचने लगी कि ग़लत तो वह ख़ुद भी कर रही थी, जो पापा के साथ इतनी आगे बढ़ गयी थी। फिर वो सोची कि सब करने के बाद भी वो अब तक पापा से चुदी नहीं थी। पर अब शायद पापा को रोकने का कोई मतलब बचा नहीं था। उसने फ़ैसला किया कि अब ये सब शिवा के बारे में जानकार उसे पापा की इच्छा पूरी कर देनी चाहिए। पहले वो थोड़े शंसय में थी पर अब मानो पूरी तस्वीर साफ़ हो चुकी थी। बस अब उसे पापा को हरी झंडी दिखानी थी। वो अब दिन में उनकी और रात में शिवा की बीवी बनकर रहने को मानसिक रूप से तय्यार हो चुकी थी। यह फ़ैसला लेने के बाद अब वो हल्का महसूस करने लगी।

उधर राजीव बड़ा ख़ुश था क्योंकि आज उसने अपना आख़री दाँव खेल दिया था। वो यह मान कर बैठा था कि अब मालिनी उससे चुदवाने को मान ही जाएगी।

उधर शिवा बहुत ही अप्सेट था और घर से निकल कर दुकान जाते हुए सोचा कि इस परस्तिथि में कौन उसे कुछ सलाह दे सकता है। उसे असलम की याद आइ। पता नहीं क्या सोचकर उसने कार खड़ी की और उसे फ़ोन लगाया।

असलम: हाय आज कैसे हमारी याद आइ?

शिवा: यार तुम कहाँ हो? मुझे तुमसे मिलना है।

असलम: मैं घर आया हूँ खाना खाने। आजा तू भी खा लेना।

शिवा: यार घर पर बात नहीं हो पाएगी। कहीं बाहर मिलते हैं।

असलम: यार मेरी आयशा से मैं कुछ नहीं छिपाता तू आ जा हम मिलकर बात करेंगे।

शिवा: ठीक है मैं आता हूँ। तू पता भेज sms से।

थोड़ी देर में शिवा असलम के घर पहुँचा। असलम ने उसे आयशा से मिलवाया। वो शक्ल से बहुत साधारण दिखने वाली औरत थी पर भगवान ने उसे ग़ज़ब का फ़िगर दिया था। दुबली पतली काया में पूरी ३८ की चूचियाँ और भारी नितम्ब उसकी पतली कमर से बहुत कामुक लग रहे थे। पेट भी गोरा सपाट था। उसने साड़ी पहनी थी। जब वो पानी लायी तो उसकी एक चूचि से पल्लू हटा हुआ था। उफफफ आधी चूचि बाहर थी ब्लाउस के और शिवा को अपने लण्ड में हलचल सी महसूस हुई।

असलम ने देखा कि उसकी आँखें आयशा की चूचि पर थी वो मन ही मन मुस्कुराया और बोला: हाँ यार बता क्या बात है? क्यों इतना अप्सेट सा हो रहा है?

शिवा आयशा की ओर देखा और चुप रहा।

असलम: यार आयशा से कुछ छिपाने की ज़रूरत नहीं है। वो मुझसे ज़्यादा स्मार्ट है। वो तुमको एकदम सही सलाह देगी।

शिवा: पर ये बात हम तीनों के अलावा किसी को पता नहीं चलना चाहिए।

आयशा: भाई साहब ये हमारे बीच ही रहेगी। आप बिना संकोच बोलो।

शिवा: असल में बात ही कुछ अजीब सी है। फिर वो अपनी और सरला की सेक्स की बात उनको बताया और साथ ही मालिनी और ससुर के बीच चल रहे चक्कर की बात भी किया। वो पूछा: मुझे अब क्या करना चाहिए।

आयशा: अब आपको क्या करना है? जो भी करना है मालिनी करेगी। वह अब आपके पापा का लेकर ही रहेगी। आप उसको रोक थोड़े ना पाओगे।

शिवा उसकी भाषा से चौंक गया और बोला: ओह ये तो सच है भाभी पर इस सब का अंत क्या होगा?

आयशा: वही जो हमारी कहानी का हुआ था। क्यों असलम सही कहा ना?

असलम मुस्कुरा कर: हाँ लगता है इनकी कहानी का भी वैसा ही सुखद अंत होगा जैसा हमारा हुआ था।

शिवा हैरानी से : क्या हुआ था? मैं समझा नहीं।

असलम: अरे ये जब हमारे घर शादी होकर आयी तो मेरे अब्बा अम्मी और मेरा छोटा भाई साथ में हो थे। अब ये तो मस्त १८ साल की जवान गदराई हुई लड़की थी। पापा और मेरे भाई की नीयत ख़राब हो गयी। अब्बा तो जैसे पागल ही हो गए थे। इसने मना किया तो वो मुझसे नाराज़ होकर मुझे घर से निकालने को तय्यार हो गए। उस समय मेरी नौकरी भी नहीं थी। तब अम्मी ने बात को सम्भाला और आयशा को मनाया कि अब्बा से चुदवा ले। आयशा अम्मी की बात मान गयी और घर में शांति बरक़रार हो गयी। बाद में ये अपने देवर से भी चुदवाने लगी। पापा ने मुझे कहा था कि मैं तुम्हारी बीवी को चोदता हूँ इसलिए तुम चाहो तो मेरी बीवी को चोद सकते हो। मेरी अम्मी सौतेलि थी तो मैं भी उनको चोदने लगा। इस तरह पूरा परिवार ही एक दूसरे से चुदाई करने लगा। फिर तो कई बार हम सामूहिक चुदाई भी किए। फिर मेरी नौकरी लगी और मुझे यहाँ आना पड़ा। अब भी अब्बा अम्मी आते हैं तो ख़ूब मज़ा करते हैं।

शिवा उसकी बातें आँखें फाड़ कर सुन रहा था और उसका लण्ड पैंट में पूरा खड़ा हो कर तंबू की शक्ल ले चुका था। इसका मतलब है कि वो सब भी ऐसी सामूहिक पारिवारिक चुदाई का आनंद ले सकते हैं । उफफफफ कितना मज़ा आएगा अगर पापा और वो मिलकर मालिनी को चोदेंगे जैसे वो ब्लू फ़िल्म में चोद रहे थे ।

शिवा ने देखा कि आयशा उसके लण्ड के उभार को ग़ौर से देख रही थी। असलम ने भी ये नोटिस किया और मुस्कुरा कर बोला: यार तेरा तो खड़ा ही हो गया घरेलू चुदाई का सोचकर। आयशा कुछ करो यार इसका । देखो बेचारा कैसे तड़प रहा है।

शिवा चौंककर असलम को देखा और बोला: अरे यार क्या बोले जा रहा है। सोच समझ कर बोल।

असलम: यार मैंने तो पहले भी कहा था कि मैं वाइफ़ सवेप्पिंग में विश्वास करता हूँ। मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ।

शिवा: पर मैं नहीं जानता कि मालिनी इसके लिए तय्यार होगी कि नहीं।

असलम: अरे यार एक बार सामूहिक चुदाई का चस्का लग गया ना तो वो ख़ुद वेरायिटी ढूँढेगी। तभी मुझसे चुदवा देना उसको। अभी तो तू आयशा को चोद कर अपना लण्ड शांत कर ले। मैंने खाना खा लिया है और वापस ऑफ़िस जा रहा हूँ। तू पहले इसे खा और फिर खाना भी खा। चल मैं चलता हूँ।

शिवा उसे हैरानी से जाते देखता रहा और फिर आयशा बोली: भाई साब बेडरूम में चलें?

शिवा ने उसकी मस्त जवानी का जायज़ा लिया और खड़े होकर बोला: चलो किधर है बेडरूम?

आयशा उसके आगे आगे गाँड़ मटका कर चलने लगी। बेडरूम में आकर वो पलटी और तभी शिवा ने उसको बाहों में भींच लिया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए। शिवा सोचा कि उफफफ क्या गरम जवानी है। अब वो उसकी गारदन और कन्धों को भी चूमने लगा। आयशा भी अब उसका साथ देने लगी। जल्दी ही वो दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। शिवा के हाथ उसके कमर से होकर उसके चूतरों पर ले गया और उनको दबाने लगा। आयशा भी बड़ी बेशर्मी से अपना हाथ उसके पैंट के ऊपर से लेज़ाकर उसके लौड़े को दबाने लगी।

आयशा: आऽऽऽऽह आपका बहुत बड़ा है। वो उसके लौड़े को ऊपर से नीचे तक महसूस करके बोली। शिवा भी अब उसका पल्लू गिराया और उसकी मस्त चूचियाँ ब्लाउस के ऊपर से दबाने लगा। अब वो उसकी ब्रा का हुक खोला और ब्लाउस का हुक भी खोल दिया। मोटे मोटे ३८ C कप के चूचे देखकर वो मस्ती से दबाने लगा। फिर वो उसको बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ और चूचियाँ चूसने लगा। फिर वो उठा और अपनी पैंट और चड्डी एक साथ उतारकर अपना लौड़ा उसके मुँह के पास ले गया। आयशा मज़े से उसे दबाकर चूसने लगी। उसकी जीभ सुपाडे पर मज़े से घूम रही थी। तभी शिवा का फ़ोन बजा और वो देखा कि दुकान से फ़ोन था। उसने बात की और आयशा को बोला: जान जल्दी से चुदाई ख़त्म करनी होगी। दुकान में कुछ सप्लाइअर्ज़ आए हुए हैं । फिर वह उसकी साड़ी और पेटिकोट को एक साथ उठाया और उसकी फूलों वाली पैंटी का गीलापन देखकर समझ गया कि माल गरम है।उसने पैंटी नीचे कर उतारी। अब वो उसकी टाँगे फैलाया और अपना लण्ड उसकी गीली बुर में डाला और चुदाई में लग गया। आयशा की आऽऽऽह निकल गयी। वो अब मज़े से चुदवाने लगी। आयशा: आऽऽऽऽऽऽऽह आपका तो अब्बा जितना ही मोटा है। बहुत मज़ा आ रहा है। हाऽऽऽय्यय।

शिवा चोदते हुए: आऽऽऽऽह अब्बा कितनी बार आते हैं यहाँ ?

आयशा: आऽऽऽऽऽऽह महीने में एक बार ८/१० दिन के लिए । और बहुत बुरी तरह से चोदते है जैसे अभी आप चोद रहे हो।

शिवा: असलम भी अपने अब्बा के साथ चोदता है तुमको?

आयशा: हाँआऽऽऽऽऽऽ दोनों रात भर मेरी बजाते है।

शिवा ने अपना हाथ नीचे लेज़ाकर उसकी गाँड़ के छेद का सहलाया। वो जगह पूरी गीली थी क्योंकि बुर का पानी नीचे बह रहा था। उसने अपनी दो ऊँगली उसकी बुर के रस से गीली की और उसकी गाँड़ में डाल दिया। वो चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽह बहुत मज़ा आ रहा है। और ज़ोर से चोओओओओओओदो ।

शिवा: ह्म्म्म्म्म लगता है दोनों तुम्हारी गाँड़ भी मारते हैं।

आयशा: आऽऽऽऽऽह हाँआऽऽऽऽ दोनों को बहुत मज़ा आता है गाँड़ मारने में।

शिवा: और तुमको?

आयशा: हाऽऽऽऽऽय्य मुझेएएएएए भी बहुत अच्छाआऽऽऽऽ लगता है। आऽऽऽऽऽऽऽह अब्बा तो मुझे कई बार दिन भर नंगी रखते हैं। और ख़ुद पूरे कपड़े पहने रहते हैं। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।क्या मस्त चोओओओओओद रहे हो आऽऽऽऽऽप।

शिवा उसकी बात सुनकर उत्तेजित होकर: आऽऽऽऽह बहुत मस्त माऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽल हो तुम । अब वो दोनों उन्न्न्न्न्न्न्न करके झड़ने लगे।

शिवा को जल्दी थी सो वह तय्यार होकर जाने लगा।

आयशा वैसी ही नंगी पड़ी हुई बोली: अगली बार मालिनी को लाना और असलम से चुदवाना।

शिवा हँसकर: अगर वो मान गयी तो पक्का लाऊँगा। वैसे उसे तुम्हारे ससुर याने अब्बा से भी चुदवाना चाहिए।

वो उसको चूमा और बाहर निकल गया। उसे जल्दी से दुकान जो पहुँचना था।

उधर सरला बच्चों को स्कूल और कोलेज भेजकर पसीना पोंछ रही थी। उसके दिमाग़ में वही बात घूम रही थी कि पता नहीं राजीव मालिनी के साथ कैसा व्यवहार करेगा। तभी राकेश का फ़ोन आया: मम्मी हमारे कोलेज में हड़ताल हो गयी है। मैं वापस आ रहा हूँ। कुछ लाना है क्या।

सरला: हाँ बेटा दो सब्ज़ियाँ ले आना। बस और कुछ नहीं।

सरला जाकर अपनी जेठानी से थोड़ी देर बात की और फिर जब वो सोने लगी तो वह अपने कमरे में आकर बैठी थी तभी राकेश आ गया। वह आकर सरला के पास बैठा और बोला: मम्मी आप कुछ परेशान दिख रही हो।

सरला: हाँ मैं मालिनी का सोच रही हूँ। उसका ससुर उसके पीछे पड़ा है।

राकेश: मम्मी दीदी बहुत स्ट्रोंग है वो सम्भाल लेगी। आप मेरे ख़याल रखो । दीदी की चिंता छोड़ो।

पिछले दिनों राकेश अपनी मम्मी के काफ़ी क़रीब आ गया था। वो अब किचन में अपनी मम्मी को पीछे से पकड़ कर उसके गाल और गरदन चूम लेता था और उसकी चूचियाँ भी ब्लाउस के ऊपर से ही दबा भी देता था। कई बार अपना लण्ड भी मम्मी की गाँड़ में रगड़ देता था । सरला भी अब उसको थोड़ा बहुत मज़ा ले लेने देती थी और बाद में डाँट कर भगा देती थी। किचन में कई बार वो अपना लण्ड लोअर से बाहर निकाल कर मम्मी को पकड़ा भी देता था। वो भी मस्ती से थोड़ा सा सहला देती थी।

आज भी राकेश मम्मी को अपनी गोद में खींच कर लिटा लिया और सरला अब उसकी गोद में लेटी हुई थी और बोली: क्या कर रहा है बदमाश?

राकेश: मम्मी आपके रूप का रसपान कर रहा हूँ। ये कहकर वो सरला के हाथों को सहलाने लगा। सरला की चिकनी बग़ल पसीने से भीगी हुई दिख रही थी। वो नीचे झुका और वहाँ नाक लगाकर सूँघते हुए बोला: आऽऽह मम्मी क्या मादक गंध है आपकी। उफफफफ ।

सरला को अपनी पीठ पर उसका खड़ा लण्ड गड़ने लगा था। उसका पल्लू नीचे गिरा हुआ था और उसके बड़े बूब्ज़ ब्लाउस फाड़ने को मानो तय्यार थे। राकेश ने उसके बूब्ज़ को दबाया और बोला: मम्मी खोलूँ इनको ? चूसने की इच्छा हो रही है।

सरला: नहीं ऊपर से ही दबा ले। बाद में देखेंगे।

राकेश मचल कर बोला : मम्मी हमेशा बाद में देखेंगे कह देती हो। मुझे आपको चोदने को कब मिलेगा? वो यह कहकर झुका और अपनी मम्मी के होंठ चूसने लगा और चूचियाँ दबाने लगा। वो बोला: अब तो दीदी का भी जुगाड़ हो गया और आपका भी। बस मेरा ही कुछ नहीं हो पा रहा है। वह यह कहकर मम्मी की साड़ी और पेटिकोट उठाने लगा । अब सरला की जाँघे नंगी होकर उसे व्याकुल कर रही थी। वह जाँघों के चिकनेपन से मस्त होकर बोला: मम्मी मैं क्या कुँवारा ही मर जाऊँगा।

सरला हँसकर : मरे तेरे दुश्मन। अच्छा चलो आज रात को तुम्हारा कुँवारापन छीन लेती हूँ। तू भी क्या याद रखेगा । आज रात हम सुहागरात मनाएँगे। ठीक है?

यह सुनकर राकेश का उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो गया। वो अपने हाथ को उसकी जाँघों के बीच ले गया यर बुर को दबाने लगा । सरला पैंटी तो पहनती ही नहीं थी।

अब सरला ने पानी जाँघों को चिपका लिया और बोली: बदमाश रात का इंतज़ार कर।

राकेश : अच्छा मम्मी रात का इंतज़ार करूँगा।मम्मी सुहागरात में क्या होगा?

सरला: मैं तुझे एक सामान की लिस्ट दूँगी। तू वो ले आना शाम को ठीक है? फिर रात को ११ बजे मेरे कमरे में आना और अपनी मम्मी के साथ सुहागरात मनाना।

रात के मज़े का सोचकर राकेश बहुत उत्तेजित हो गया और बोला: आऽऽह मम्मी आपके नीचे मेरा लण्ड दब रहा है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरा झड़ जाएगा। सरला हँसकर उठी और उसके लण्ड को पैंट से बाहर निकाली और उसने देखा कि वो आँसू बहा रहा था वो हँसकर उसको चूसने लगी और दो मिनट में ही उत्तेजना से भरकर राकेश आऽऽऽहहह मम्मीइइइइइइइइ मैं गयाआऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी मम्मी के मुँह में झड़ने लगा। सरला भी मस्ती में आकर पूरा रस पी गयी और बोली: उफफफफ कितना माल इकट्ठा करके रखा था तूने? फिर वो बड़े प्यार से अपने पल्लू से उसका लण्ड पोंछी और अपना मुँह भी साफ़ की।

राकेश : मम्मी लिस्ट दो ना शाम को क्या लाना है?

सरला: अभी इतनी जल्दी क्या है। शाम को दे दूँगी।

राकेश: मम्मी पता नहीं कब रात होगी? आऽऽहहह ।

सरला: चल बदमाश अब भाग यहाँ से । मुझे आराम करने दे।

राकेश हँसकर अपने कमरे में चला गया।

उधर मालिनी दोपहर के खाने के लिए राजीव को आवाज़ दी। खाना खाते हुए मालिनी बोली: पापा आप किसी पंडित को जानते हैं क्या?

राजीव चौंककर : हाँ मगर क्यों? तुम्हें पंडित से क्या काम आ गया?

मालिनी: आप खाना खा कर उससे पूछना कि किसी शुभ काम के लिए अच्छा दिन और समय बताए वो।

राजीव: बेटी मैं समझा नहीं?

मालिनी: पापा इसमें समझने का क्या है? मैं सिर्फ़ यह जानना चाहती हूँ कि किसी काम के लिए शुभ दिन और समय क्या है? बस यही।

राजीव उठकर हाथ धोया और फ़ोन लगाया: हाँ पंडित जी मेरी बहु जानना चाहती है कि आजकल कैसा समय चल रहा है?

पंडित: मतलब ? मैं समझा नहीं।

राजीव : लो आप उसी से बात कर लो। समझा तो मैं भी नहीं।

मालिनी: पंडित जी मान लो मैं कोई नया काम करना चाहती हूँ तो कौन सा दिन शुभ होगा ?

पंडित: ओह तो ऐसा कहो ना। मैं देखता हूँ। फिर वो बोला: बेटी कल का दिन शुभ है।

मालिनी: और समय ?

पंडित: बेटी कल सुबह १० बजे से शाम को ७ बजे तक का समय शुभ है।

मालिनी: धन्यवाद पंडित जी। वह फ़ोन काट दी।

राजीव : बेटी कौन सा काम शुरू करोगी जिसके लिए शुभ समय का इंतज़ार हो रहा है।

मालिनी: बस आप इंतज़ार करो कल का।

राजीव हैरानी से उसे देखता रह गया। वो सोचा कि पता नहीं क्या चल रहा है इसके मन में।

मालिनी: पापा अब मैं आराम करूँगी। और वो अपने कमरे में चली गयी। राजीव भी उलझा सा अपने कमरे में आ गया।

जल्दी ही कई लोगों के जीवन में बहुत से बदलाव आने वाले थे।
mini

Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by mini »

such,,,,itni kamuk story kabhi pahle nahi padhi.....sex and emotion ki jabardast jodi h
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