बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव बाहर आकर चाय पीने लगा और मालिनी को घूरने लगा। वो चुपचाप चाय पीती रही । राजीव उसकी चुप्पी से असहज हो कर पूछा: बेटा क्या बात है? जब से तुमने शिवा और सरला की मस्ती का सुना है तुम थोड़ा अजीब सा व्यवहार कर रही हो? वह उसकी बाँह सहला कर बोला।

मालिनी : कुछ नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है। सब ठीक है।

अब राजीव उसकी नायटी के ऊपर से उसकी चूची दबाकर बोला: नहीं कुछ बात तो है, बेटा। बताओ ना? उफफफफ क्या मस्त चूचि है तुम्हारी। पता नहीं कब इनका रस पिलाओगी?

मालिनी: पापा आप भी बस पीछे ही पड़े रहते हो।

राजीव ने नोटिस किया कि आज वो उसका हाथ अपनी चूचि से नहीं हटा रही थी। अब वो उसकी चूची को ऊपर से सहलाना शुरू किया जहाँ से वो थोड़ी सी नंगी दिखाई दे रहीं थीं । मालिनी बोली: पापा आप छोड़िए ना मुझे शिवा को भी जगाना है। वैसे आज बाई भी नहीं आएगी तो काम भी ज़्यादा होगा ।

राजीव ने उसको अपनी गोद में खींचकर बिठा लिया और बोला: अरे बाई नहीं आएगी तो क्या हुआ? मैं तुम्हारी मदद करूँगा । बोलो क्या करना है। वो उसकी चूचियों को ऊपर से चूमकर बोला।

मालिनी हँसकर: पापा आप पहले इनको छोड़िए। तभी तो मैं कोई काम कर सकूँगी। और हाँ देखती हूँ क्या मदद करते हो आप?

राजीव उसको छोड़ते हुए बोला: बेटा बोलो बर्तन साफ़ करूँ या झाड़ू लगाऊँ?

मालिनी उठकर उसके गाल को चूमकर बोली: अरे आपको ये सब नहीं करना पड़ेगा। फिर प्यार से उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से दबाकर बोली: पापा ये तो बस खड़ा होने का बहाना ही ढूँढता रहता है, है ना?

राजीव: बेटा अब इसको पता नहीं कितने दिन तुम प्यासा रखोगी? ये तो यहाँ घुसने के लिए मरा जा रहा है। उसने उसकी बुर को नायटी के ऊपर से दबाकर कहा।

मालिनी हँसकर: पापा इसके अंदर डालने का आपका प्लान तो बहुत पहले से ही है। चलो मैं शिवा को उठाती हूँ। और हाँ एक बात और, आज आप नाश्ता नहीं करोगे। शिवा पूछेगा तो कोई बहाना बना दीजिएगा। मैं भी नाश्ता नहीं करूँगी। ठीक है?

राजीव: वो क्यों?

मालिनी: पापा आप सवाल बहुत पूछते हो। एक दिन थोड़ा देर से नाश्ता नहीं कर सकते मेरे लिए।

राजीव: अरे बेटा तेरे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ। नाश्ते की क्या बात है ।

मालिनी: अच्छा अब मैं शिवा को चाय देकर आती हूँ। फिर वो किचन में जाकर शिवा के लिए चाय बनाई और शिवा को उठाई। शिवा चाय पीकर फ़्रेश हुआ और नहाने चला गया। जब वो नाश्ता करने बैठा तो राजीव बोला: मैं आज नाश्ता देर से करूँगा , अभी मेरी तबियत थोड़ी ढीली है।

मालिनी : आज मैं भी नहा कर ही खाऊँगी ।

शिवा नाश्ता करके जाने लगा तो मालिनी बोली: आज का क्या प्रोग्राम है?

शिवा हैरानी से: कुछ नहीं बस दुकान जाऊँगा, और क्या?

मालिनी: बस ऐसे ही पूछा ,और कुछ नहीं ।

फिर वो चला गया। मालिनी उसके जाने के बाद राजीव से बोली: आप ज़रा अपने कमरे में आयिए ना।

राजीव उठकर उसके पीछे अपने कमरे में आया और बोला: क्या हुआ बेटा? क्या बात है?

मालिनी: पापा आप उस दिन मुझे एक लिंगरी निकाल कर दी थी ना। उस समय मैंने आलमारी में कुछ सुंदर साड़ियाँ देखीं थीं मम्मी जी की। एक बार दिखाएँगे क्या?

राजीव : हाँ हाँ क्यों नहीं बेटा, अब वो तो नहीं रही , इसलिए ये सब तुम्हारा ही है। लो देखो। ये कहकर वो आलमारी खोला और मालिनी वहाँ लटकी हुई साड़ियों का कलेक्शन देखकर बोली: पापा मम्मी बहुत शौक़ीन थीं । कितनी साड़ियाँ ख़रीद रखीं हैं। अब वो कुछ सुंदर साड़ी निकाली और फिर बोली: पापा ये लाल साड़ी कितनी भारी है ना? बहुत महँगी होगी?

राजीव: बेटा ये साड़ी उसने हमारी शादी के दिन पहनी थी। ये साड़ियाँ सिल्क की हैं जो उसे बहुत पसंद थीं। ये सब तुम रख लो।

मालिनी: पापा इनके ब्लाउस कहाँ हैं ? वो ढूँढती हुई बोली।

राजीव पीछे से आकर उसके चूतरों पर हाथ फेरा और बोला: ये देखो इस शेल्फ़ में रखे हैं। पर वो तुमको ढीले होंगे क्योंकि उसका बदन बाद में भारी हो गया था।

मालिनी: ये लाल ब्लाउस तो लगता है आ जाएगा। बाक़ी ज़रूर बड़े लग रहे हैं।

राजीव: अरे लाल वाला तो शादी के दिन पहनी थी ना, उस समय वो तुम्हारी जैसी थी । वो तो बच्चे होने के बाद ज़्यादा ही भारी हो गयी थी।

मालिनी: ठीक है पापा मैं ये ले लेती हूँ। जो बड़े होंगे वो दर्ज़ी से ठीक करवा लूँगी।

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर और उसकी गर्दन चूमकर बोला: हाँ बेटा सब रख लो। सब तुम्हारा ही है और मैं भी तो तुम्हारा हूँ।

मालिनी हँसकर : आऽऽह पापा बस अब छोड़ो ना। मुझे नहाना है।
तभी उसकी निगाह कुछ डिब्बों पर पड़ीं और वो बोला: बेटा ये भी देख लो।ये तो उसने पहना ही नहीं। उसने डिब्बा खोला तो उसमें ब्रा और पैंटी रखीं थीं ।

राजीव: बेटा ये ब्रा तो तुमको बड़ी होंगी। उसकी छातियाँ बड़ी थीं ना। तुम्हारी उससे छोटी है अभी।

मालिनी हँसकर: पापा आप जितना इनको दबाते हैं उससे तो लगता है जल्दी ही ये भी इतने बड़े हो जाएँगे। ये कहते हुए उसने नयी ब्रा का कप अपनी एक छाती पर रखा और बोली: मेरी भी जल्दी ही आप इतना बड़ा कर दोगे हा हा ।

राजीव : बेटा सिर्फ़ दबाने से बड़ी नहीं होतीं उनको चूसना भी पड़ता है। वो तो मुझे तुम करने नहीं देती। अरे बेटा ये पैंटी रख लो। ये तो काम आ ही जाएँगी।

मालिनी हँसकर: हाँ जब आप बाप बेटा पहनने दोगे तो ही ना काम आएँगी। आप दोनों को तो मेरा पैंटी पहनना ही पसंद नहीं है।

राजीव उसकी गाँड़ की गोलायी को दबाकर बोला: बेटा देखो कितनी अच्छी लगती है बिना पैंटी की गाँड़ । उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त फ़ीलिंग आती है। पैंटी रहने से ऐसा अहसास थोड़े ना होता है।

मालिनी: आऽऽह पापा छोड़िए अब। ठीक है पैंटी रख लेती हूँ। बाहर तो मैं पहनकर ही जाती हूँ। अच्छा अब आप भी नहाकर तय्यार हो जाओ। आपकी आलमारी दिखाओ तो।

राजीव हैरान होकर बोला: क्यों क्या हुआ?

मालिनी: अरे दिखाइए ना। फिर उसने राजीव के किए वो चूड़ीदार पजामा और कुर्ता निकाला जो कि उसने मालिनी की शादी में पहना था।

वो बोली: पापा आप आज इसको पहनो ।

राजीव: कहाँ जाना है हमको?

मालिनी: बताऊँगी ना अभी थोड़ी देर में। आप यही पहनना । ठीक है ? चलो दस बज गए हैं । आधे घंटे में बिलकुल तय्यार हो जाइए।

राजीव थोड़ा सा कन्फ़्यूज़्ड होकर हाँ में सर हिलाया, और सोचने लगा कि इसके मन में क्या चल रहा है। अब वो उसके कमरे से कपड़े लेकर निकल गयी।

अपने कमरे में आकर वो नहाने के लिए घुसी और अपनी नायटी उतारकर सिर्फ़ ब्रा में ख़ुद को निहार कर अपने आप पर ही मुग्ध हो गयी। अब उसने अपनी बग़लें चेक कीं और वहाँ वीट लगाकर उसने अपने बाल साफ़ किए। फिर उसने अपनी झाँटे चेक कीं और थोड़े से ही बाल उगे थे। उसने बुर और गाँड़ के आसपास की सभी बालों की सफ़ाई की। अब उसने अपनी ब्रा खोली और अपने मस्त टाइट मम्मे देखकर मुस्कुराई और फिर शॉवर लेने लगी। आज जो होने वाला है उसका सोचकर उसकी बुर पनिया चुकी थी। उसने उसे नहीं छेड़ा। वो आज बहुत मस्त मूड में थी। अब वो नहाकर अपनी मदमस्त जवानी को देखती रही और फिर तौलिए से बदन सुखाकर वो नंगी ही बाहर कमरे में आयी। अब वो लिंगरीपहनी जो पापा ने उस दिन दी थी जब शिवा भी एक लिंगरी लेकर आया था। इसमे जाली वाली ब्रा और जाली वाली ही पैंटी थी । जाँघों पर थोंग भी थी और गाँड़ की दरार में एक पट्टी सी थी। उसने ख़ुद को शीशे में देखा ।पूरी रँडी लग रही थी जैसे ब्लू फ़िल्मों की होती हैं। वो पीछे अपनी गोल ठोस गाँड़ देखकर मस्ती से मुस्कुराई। अब वो सास का लाल ब्लाउस पहनी और चेक की । मामूली सा ही ढीला था। फिर उसने लाल पेटिकोट पहना । अब वो और भी सेक्सी लग रही थी। फिर उसने सास की लाल साड़ी पहनी जो उसकी सास ने अपनी और पापा की शादी में पहनी थी।अब वो अपने चेहरे का मेकअप की और फिर वो ज़ेवर पहने जो कि उसको ससुर ने समय समय पर दिए थे। पैरों में पायल ,कानों में झूमके, गले में सुंदर सा हार और हाथों में लाल काँच की चूड़ियाँ भी पहनी। आख़िर में उसने लाल लिप्स्टिक लगाई। अब वो अपने आप को आगे और पिच्छे से देखी और मुस्कुराई । पता नहीं पापा का क्या हाल होगा उसको इस रूप में देखकर।

वो सज सँवर कर बाहर आयी और किचन में जाकर पिछले दिन जो सामान लायी थी उसे थाली में सजायी और ऊपर से एक सुंदर सा लाल कपड़ा डालकर उस थाल को ढाँक दी।

अब वो पूजा के कमरे में गयी और वहाँ उसने सजावट की थोड़ी सी। और वो ढाँकि हुई थाल भगवान के आगे रख दी। अब वो बाहर आकर आराम से टी वी देखने लगी। अब उसने पास के रेस्तराँ में पूरी और छोले ऑर्डर किए और कहा कि आधे घंटे में भेज दो। अब वो शांति से पापा का इंतज़ार करने लगी। तभी राजीव बाहर आया और मालिनी उसे देखकर मुस्कुराई और बोली: पापा आप तो बहुत जवान दिख रहे हो। ये ड्रेस आप पर बहुत फ़ब रही है।
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राजीव मुस्कुराया और बोला: ये तुमने क्या पहना हुआ है? आज तो दुल्हन दिख रही हो? अरे ये क्या तुमने तो वही सास की साड़ी पहन ली जो वो हमारे शादी के दिन पहनी थी।

मालिनी: आप सही पहचाने। ये वही साड़ी है। अब वो उठकर बोली: पापा किसी दिख रही हूँ मैं?

राजीव:उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बेटा क्या कहूँ? बिलकुल वैसी दिख रही हो जैसे तुम्हारी सास दिखी थी सालों पहले शादी के दिन।बल्कि उससे भी ज़्यादा प्यारी और सुंदर।

मालिनी: आज तो पापा आप भी कई क़त्ल कर दोगे अगर ऐसे बाहर गए तो। पता नहीं कितनी लड़कियाँ और अंटियाँ आप पर मर मिटेंगी। क्या लग रहे हो आप?

राजीव झेंप कर: अरे मुझे ही खींचने लगी अब तुम। वैसे इरादा क्या है तुम्हारा? ये दुल्हन का लिबास पहनकर कहाँ जाओगी? और मुझे भी कहाँ ले जाओगी?

वो हँसी: पापा आपको इतना तय्यार करके अगर मैं बाहर गयी तो पता नहीं आप जब वापस आएँगे तो पता नहीं कितनी लड़कियों के साथ आएँगे? ऐसा रिस्क मैं ले नहीं सकती। इस लिए अब हम कहीं बाहर नहीं जा रहे हैं । ठीक है? बस इस पूजा घर तक ही जाएँगे।

राजीव चौंक कर: पूजा घर ? वहाँ क्यों?

मालिनी: क्योंकि आज मैं आपसे गंधर्व विवाह करने वाली हूँ।

राजीव को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, वो हैरानी से बोला: क्या कहा? ज़रा फिर से कहना।

वो मुस्कुराई : हाँ हम अभी गंधर्व विवाह करेंगे। आपकी इच्छा थी ना कि मैं आपकी भी पत्नी बनूँ, वो आज मैं पूरी करूँगी। इसी लिए तो मैंने आपसे शुभ समय का पूछा था। अब से लेकर १२ बजे तक अत्यंत शुभ समय है आपको कल पंडित ने बताया था ना। बस अब चलिए पूजा घर में , मैंने सब तय्यारियाँ कर रखी हैं।

राजीव ख़ुशी से झूम कर: वाह बहु तुमने तो एकदम से मुझे हैरत में ही डाल दिया। मुझे तो यक़ीन ही नहीं हो रहा है किमेरी क़िस्मत खुल गयी है ।

वह आगे बढ़ा और उसको बाहों में लेकर चूम लिया। वो उसको बोली: पापा अभी छोड़ो और पूजा घर चलो।

दोनों ने वॉश्बेसिन में हाथ धोए और पूजा घर में घुसे । अब मालिनी बोली: पापा हम इसका वीडीयो बनाते हैं। यादगार रहेगा। उसने अपने फ़ोन का वीडीयो रिकॉर्डिंग चालू की और वहाँ खिड़की पर रख दिया। फिर दोनों वहाँ पर बैठ गए। अब मालिनी ने एक पुस्तक निकाली और कुछ भजन पढ़ने लगी। राजीव मंत्र मुग्ध सा उसके चेहरे को देखता ही रह गया। अब मालिनी ने भगवान के आगे दिया जलाया। और आँख बंद करके प्रार्थना की। फिर वो खड़ी हुई और राजीव भी खड़ा हुआ। अब वो थाल का कपड़ा उठाई और उसमें से दो फूलों की माला निकाली। एक माला उसने राजीव को दी। अब वो ख़ुद राजीव के सामने खड़ी होकर उसके गले में माला डाली और अब राजीव भी उसके गले में माला डाला। अब उसने राजीव को सिंदूर की डिब्बी दी जिसमें से लाल सिंदूर निकालके वह उसकी माँग भरा और मालिनी झुककर उसके पैर छुई। राजीव ने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया और उसका माथा चूम लिया। अब मालिनी बोली: पापा चलो हो गया। देखें विडीओ कैसा बना है।

अब दोनों बाहर आए और ड्रॉइंग रूम में बैठे तभी घंटी बजी और मालिनी ने रेस्तराँ से आए पैकेट को लेकर पैसा दिया।

राजीव अपने कमरे में गया और एक चाबियों का गुच्छा लेकर आया और उसने मालिनी की कमर में उसे खोंस कर बोला: बेटा अब ये चाबियाँ तुम ही सम्भालो। आज से ये घर तुम्हारा हुआ। और तुम इस घर की महारानी हो।

मालिनी मुस्कुराकर: पापा थैंक यू। मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से सम्भालूँगी। राजीव ने उसे चिपका कर उसे प्यार किया। फिर मालिनी बोली: पापा चलो छोले भटूरे खाते हैं। आपकी पसंद की रेस्तराँ से मँगाये है।

अब मालिनी ने टेबल में नाश्ता लगाया और एक थाली में सब लगाया। मालिनी: पापा अब एक ही थाली में खाएँ ना।

राजीव उसके गाल चूमकर: हाँ बेटा क्यों नहीं। अब तो हम दो बदन एक जान है । पर एक बात बता कि मैं अब तेरा पति भी हूँ और ससुर भी। तो क्या तुमको बेटी बोलूँ या नहीं?

मालिनी: पापा आप मुझे बेटी ही कहिए। वो क्या है ना सबके सामने जो बोलेंगे वही अकेले में भी बोलेंगे तो ठीक ही रहेगा।

राजीव खाते हुए बोला: चलो जैसा तुम चाहो। फिर दोनों खाना खाते हुए विडीओ देखने लगे।

दोनों खा कर उठे और अब मालिनी बोली: पापा क्या आप मेरे लिए वही पान ला देंगे जो कभी कभी खिलाते हो।

राजीव हैरानी से : पान खाना है वो भी अभी? ठीक है आज तो मैं तुम्हारी सभी शर्तें पूरी करूँगा। वो उठकर बाहर चला गया। क़रीब १० मिनट का पैदल रास्ता था। गली में थी पान की दुकान तो वो पैदल ही चला गया।

जब वो चला गया तो मालिनी ने राजीव के कमरे में जाकर बिस्तर पर नयी चादर बिछाई और फिर फूलों की पंखुड़ियाँ बिखेरीं ।दरवाज़े पर फूलों के हार सेलो टेप से चिपकायी। अब वो रूम में ख़ुशबू वाली स्प्रे भी करी। सब कुछ सुंदर बना दिया था उसने। अब वो वाशरूम गयी और फ़्रेश होकर अपनी बुर को साफ़ किया। अब उसने वहाँ भी एक ख़ुशबू वाला स्प्रे किया अब वो अपनी घूँघट नीचे करके बिस्तर पर दुल्हन बन कर बैठ गयी। अब वो अपने दूल्हे राजा का इंतज़ार कर रही थी। उसके निपल्ज़ कड़े हो गए थे और बुर गीली हो गयी थी।

तभी राजीव आया और अंदर आकर मालिनी को आवाज़ दिया। फिर वो उसके कमरे में गया और वहाँ उसको ना पाकर वो किचन में गया। अब वो सोचा कि कहाँ चली गयी? तभी मालिनी ने आवाज़ लगाई : पापा मैं यहाँ हूँ आपके कमरे में।

राजीव अपने कमरे की ओर बढ़ा और जैसे ही कमरे में पहुँचा वो ख़ुशी से झूम उठा। उफफफफ ये लड़की भी क्या क्या सोच लेती है? मस्त दुल्हन बनी बैठी है मेरे बिस्तर पर। आह्ह्ह्ह्ह उसका लौड़ा तनाव में आने लगा। अब वह बोला: बेटी पान लाया हूँ।

मालिनी ने हाथ बढ़ाकर कहा: लायिए मुझे खाना है।

राजीव ने उसके नाज़ुक हथेली पर पान रखा और वो उसे खाने लगी। घूँघट के अंदर से ही वो राजीव को देख रही थी जो अपना पान भी खाने लगा था।

राजीव: बेटी क्या सजावट की है तुमने ? मेरे जीवन की आज सबसे ख़ुशनुमा घड़ी है। सच में आज तुमने मुझे अपना ग़ुलाम बना लिया है।

अब राजीव ने आलमारी खोली और एक ज़ेवर का बॉक्स निकाला और लाकर बिस्तर पर रखा। अब वो वाश रूम गया और फ़्रेश होकर आया । उसने अपना लौड़ा अच्छी तरह से साफ़ किया और मालिनी के बग़ल में आकर बैठ गया।

अब वो मालिनी को बोला: बेटा घूँघट उठाऊँ क्या? या और कोई रस्म बाक़ी है।

मालिनी अपनी बुर के गीलेपन से परेशान ही थी सो बोली: आह पापा अब और कोई रस्म बाक़ी नहीं है ।

राजीव ने उसका घूँघट उठाया और उसके रूप का तेज़ देखकर वो मस्ती से भर गया। अब वो उसके हाथ में ज़ेवर का बॉक्स रखा और बोला: बेटा ये मेरी तरफ़ से तुम्हारी मुँह दिखाई का तोहफ़ा।

मालिनी मुस्कुरा कर उसको लेकर बोली: पापा थैंक यू।

अब राजीव बोला: बेटा अब और ना तड़पाने । आओ मेंरी बाँहों में आ जाओ। अब वो उसको खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। अब वो उसके गाल को चूमने लगा। मालिनी ने महसूस किया कि पापा का खूँटा उसके गाँड़ में चुभ रहा था। वो और भी मस्त हो गयी थी। अब राजीव उसके गरदन और होंठ चूसने लगा। अब राजीव ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। वो उसके बग़ल में लेटा और मालिनी को अपनी बाँह में भरकर चूमने लगा। मालिनी भी राजीव के बलिष्ठ शरीर से लिपट गयी।

राजीव: कितने दिनों के बाद आज मेरी तमन्ना पूरी होगी। उफ़्फ़ कितना तड़पाया है तुमने।

मालिनी: पापा मैंने नहीं तड़पाया है बल्कि आप ख़ुद ही तड़प रहे थे। मुझे तो कई बार शक होता है कि आप मुझे इस घर में अपने लिए लाए हो या शिवा के लिए?

राजीव हँसकर उसकी गाँड़ में एक चपत लगा कर बोला: वैसे ये सच है कि मेरा कमीना दिल तो तुम पर तभी से आया हुआ था जब मैं तुमको पहली बार शिवा के साथ देखने आया था। तुम चीज़ ही ऐसी मस्त हो जान। अब चलो ना ये भारी भरकम साड़ी उतारो और अपनी जवानी दिखाओ।

मालिनी हँसकर: आप ही उतारो ना। गरज तो आपकी है।

राजीव हँसकर : बिलकुल सही कहा। मैं ही तो मरा जा रहा हूँ तुम्हें चोदने को। यह कह कर उसने उसकी साड़ी की गाँठ कमर से खोली और एक ही झटके में साड़ी उसके बदन से अलग कर दी। अब वो मालिनी की रसीलि जवानी को ब्लाउस और पेटिकोट में देखकर मस्ती से भर गया। वो उसके ऊपर झुका और उसकी गरदन और कंधे को चूमने लगा। अब वो उसकी ब्लाउस को देखा और छातियों को दबाकर बोला: ये लगता है तुमने अपनी सास का ब्लाउस ही पहना है ना? बिलकुल फ़िट आ गया है। ऐसी ही मस्त टाइट अनार थे उसके भी शुरू में । फिर वो उसके नंगे सपाट पेट को चूमा और नाभि के छेद में अपनी जीभ फिराने लगा। मालिनी बोली: पापा आऽऽह गुदगुदी हो रही है।
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अब राजीव नीचे होकर उसके पेटिकोट का नाड़ा खोला और मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर उसको निकालने में मदद की। राजीव की आँखें उस लिंगरी वाली पैंटी पर पड़ी जिसकी जाली से उसकी बुर की फाँक साफ़ नज़र आ रही थी। वो मस्ती में आकर उसकी बुर को देखता रहा और बोला: बेटा क्या मस्त बुर है और इस पैंटी में तू मस्त माल लग रही है। अब वो उसकी एक टाँग उठाया और उसके पैर के तलवे को चूमने और चाटने लगा। अब वो उसकी एक एक ऊँगली को मुँह में लेकर चूस रहा था। मालिनी के लिए ये नया अनुभव था। वो सिसकारियाँ भरने लगीं। फिर वो उसकी पिंडली चाटते हुए उसके घुटने और फिर जाँघ चाटने लगा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मालिनी सोची कि पापा आज तो उसकी जान ही ले लेंगे। अब वो उसकी बुर के पास जाकर रुका और फिर दूसरी जाँघ चाटते हुए वापस नीचे दूसरी पैर की उँगलियों तक आया। मालिनी अब गरम होने लगी थी। वो अपनी कमर हिलाकर अपनी बेचैनी दिखाई। राजीव अब उसके पेट को चूमता हुआ उसके हाथों तक पहुँचा। अब वो उसकी हाथ की उँगलियाँ एक एक कर चूस रहा था। वो उसकी उँगलियों के जोड़ भी चाटकर मस्त हो रहा था। अब वो कलाई और बाँह चाटा और फिर उसका हाथ उठाकर उसकी बग़ल को सूँघा और फिर वहाँ भी जीभ से चाटने लगा। मालिनी को लगा कि वो पागल ही हो जाएगी।

अब वो मालिनी का ब्लाउस का हुक खोलने लगा। मालिनी ने हाथ उठा कर अपना ब्लाउस उतारने में उसकी मदद की। अब उसका गोरा बदन सिर्फ़ लिंगरी में बहुत ही मादक लग रहा था। वह उसके इस रूप को मुग्ध होकर देखता रहा और बोला: बेटी उफफफ क्या फ़िगर है और इस लिंगरी में तो बहुत क़ातिलाना लग रही हो। ये लिंगरी मैंने तुम्हारी सास के लिए ख़रीदा था। वो तो पहनी नहीं पर सच में तुमपे यह बहुत सेक्सी लग रही है।देखो तुम्हारे निपल्ज़ कितने मस्त दिख रहे हैं, नेट के अंदर से ।

मालिनी: पापा मैं तो ये लिंगरी पहन कर अपने आप को नंगी ही महसूस करती हूँ। और आप तो अभी भी पूरे कपड़े पहने हो।

राजीव: चलो मैं भी कपड़े उतार देता हूँ।

यह कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगा और चड्डी में आकर बोला: सच में बहुत कामुक बदन है तुम्हारा। अब वो झुका और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके गोरे दूध को चूमने लगा। मालिनी के बदन में भी सिहरन होने लगी। चड्डी में से राजीव का खड़ा लौड़ा बहुत मस्त दिख रहा था और चड्डी में दो बूँद प्रीकम भी चमक रहा था। मालिनी हाथ बढ़ा कर उसके चड्डी के ऊपर से उसके लौड़े को दबाई।
अब वो उसकी ब्रा के पीछे हाथ डाल कर उसका हुक खोला। अब उसने धीरे से उसके ब्रा का कप उठाया और उसके मदमस्त करने वाले सख़्त दूधिया अनार उसकी आँखों के सामने थे। काले बड़े निपल उन गोलायियों के ऊपर उफफफ क्या सज रहे थे। वह इन चूचियों को दबाने , सहलाने और चूसने के लिए पागल हुआ जा रहा था इतने दिनों से ।

अब वो झुका और उसने उसकी मस्त छातियों को सहलाना शुरू किया मानो वो उनकी मालिश कर रहा हो। उसकी ऊँगली और अंगूठे ने निपल को मसलना शुरू किया । अब मालिनी आऽऽहहहह कर उठी। उसकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। अब राजीव ने उसकी एक छाती मुँह में लेकर चूसना और दूसरे को मस्ती से दबाना चालू किया। अब मालिनी आऽऽह कर उठी। वह अपनी जीभ से उसके निपल को सहलाने लगा। मालिनी उइइइइइइ करके उसका सिर पकड़कर अपनी चुचि पर दबा दी। क़रीब दस मिनट तक चूसने के बाद वो अपना सिर उठाया और मालिनी के होंठ चूसने लगा। अब वो अपनी जीभ उसके मुँह में डाला और मालिनी उसे चूसने लगी। अब दोनों बहुत गरम हो गए थे। राजीव नीचे होकर उसकी पैंटी को नीचे किया । मालिनी ने भी गाँड़ उठाकर पैंटी उतारने में मदद की। अब उसको पनियाई हुई गीली बुर उसके सामने थी। वो उसकी जाँघें फैलाया और उनके बीच में फूलि हुई बुर को सहलाया और फिर दो ऊँगली अंदर डाला और बोला: आऽऽह कितनी गरम हो गयी हो तुम। बिलकुल गीली हो।

मालिनी: आऽऽह पापा अब डाआऽऽऽऽऽऽल दो ना। अब नहीं रहा जा रहा ।

राजीव झुक कर उसकी बुर को चूमा और चाटने लगा।

मालिनी: आऽऽऽह पापा इतने दिनों से बस चटवा ही तो रही हूँ और आपका चूस रही हूँ। अब बस चोओओओओओओद दीजिए। आऽऽहहहह बहुत खुजा रही है।

राजीव: हाँ बेटा मैं भी अब बस अंदर डाले बिना नहीं रह सकता। वो अपने लौडे को चड्डी से मुक्त करके बोला। मालिनी ने देखा कि उनका लौड़ा बहुत मस्त दिख रहा था।

वो बोली: पापा अब और मत तड़पाओ अंदर डाऽऽऽऽऽऽऽऽल दो।

वो उसकी टाँगें उठाकर अपने लौडे के सुपाड़े को उसकी बुर के छेद पर सेट किया और उसे वहाँ रगड़ने लगा। मालिनी उइइइइइइइ करके चिल्लाई :आऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽऽपा । क्यों तड़पा रहे हो डाआऽऽऽऽऽलो।

राजीव मज़े से भर गया और अपनी बहू की तड़प का मज़ा लेकर बोला: आऽऽऽह बेटा अब डालता हूँ। लो मेरा लौड़ा अपनी बुर में। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म्म। अब उसका सुपाडा उसके बुर में घुस गया। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या टाइट बुर है। अब वो एक धक्का मारा और आधा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। मालिनी: आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा। धीरे सेएएएएएएए प्लीज़। बहुत मोटा है हाऽऽऽऽऽय।

राजीव अब अगले धक्के में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया और अब पूरा लौड़ा उसकी बुर में समा चुका था। मालिनी भी मस्ती से बोली: आऽऽऽहहह पापा बहुत बड़ा है आऽऽऽऽऽपका ।

राजीव: शिवा का भी तो बड़ा होगा ना? वो भी मेरे जैसा ही तगड़ा मर्द है।

मालिनी: आऽऽऽह उनका भी मस्त है मगर आपका मोटा ज़्यादा है। आह्ह्ह्ह्ह। अब चोदिए प्लीज़।

अब राजीव ने उसकी चुदाई शुरू की और मालिनी भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदावने लगी। राजीव उसकी चूचियाँ दबाकर उसके होंठ चूस रहा था। अब फ़च फ़च की आवाज़ के साथ पलंग की भी चूँ चूँ की आवाज़ आ रही थी। तभी राजीव ने महसूस किया कि उसकी बुर के मसल्स ने उसके लौडे को जैसे अपने ग्रिप में ले लिया है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वह सोचा कि ऐसी चुदाई का मज़ा बरसों बाद मिल रहा था। कुछ तो बात है इस कामुक जवानी में। क्या मज़े से चुदवा रही है। पूरा मज़ा दे रही है। तभी मालिनी : आऽऽहहह पाआऽऽऽऽपा मैं गयीइइइइइइइ। और वो झड़ने लगी । राजीव भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा।
दोनों झड़कर अग़ल बग़ल लेटे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ फेर रहे थे। मालिनी हाथ से राजीव के नरम लौड़े को दबा रही थी। अब वो उसके बड़े बॉल्ज़ को सहला कर बोली: पापा आपके इन बॉल्ज़ ने तो कई लड़कियों को माँ बनाया है। मुझे लगता है अब मेरा भी नम्बर आ जाएगा अब।

राजीव: ओह हाँ ये हो तो सकता है । मगर तुम अगर प्रेगनेंट हुई तो कैसे पता चलेगा कि बाप शिवा है या मैं?

मालिनी हँसकर बोली: मुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि आप उस बच्चे के पापा हैं या दादा? मुझे तो प्यारा से बच्चा मिल जाएगा। अगर शिवा का होगा तो वो पापा और आप दादा।

राजीव उसे हैरानी से देखता रह गया।
दिन के १२ बजे थे और शिवा बेचैन था। उसे पता नहीं क्यों लग रहा था कि मालिनी कुछ करने वाली है। उसे याद आया कि वो बोली थी कि आज कामवाली बाई नहीं आएगी। इसका मतलब वो दिन भर आज पापा के साथ अकेली रहेगी। क्या वो कुछ करने वाली है? ये बात तो तो उसे पता चल गयी थी कि दोनों एक दूसरे के सब अंग छूते और चूमते और चाटते हैं! पर उनकी बातों से ऐसा लगा था कि चुदाई अब तक नहीं हुई है। वह कैसे पता करे ? तभी उसे असलम का ख़याल आया और वो उसको फ़ोन लगाकर बोला: यार मैं बहुत परेशान हूँ और जानना चाहता हूँ कि मालिनी पापा से चुदी या नहीं? कैसे पता करूँ?

असलम: यार इन सब चीज़ों में आयशा का दिमाग़ चलता है। मैं अभी खाना खाने जा रहा हूँ। तू भी आ जा। हम दोनों मिलकर आयशा की चुदाई भी कर लेंगे और उससे सलाह भी कर लेंगे कि कैसे पता करें मालिनी और तेरी पापा की चुदाई का?

शिवा का लण्ड तनने लगा ये सोचकर कि आयशा दोनों से चुदेगी । वो बोला: देख यार तू तो अपनी बीवी को मुझसे चुदवाए जा रहा है, मगर मैं नहीं जानता कि मालिनी तुमसे चुदवाएगी या नहीं।बाद में दोष नहीं देना।

असलम: यार तू आयशा को चोद लेगा तो क्या उसकी बुर घिस जाएगी? वैसे भी वो कई दिनों से डबल चुदाई का मज़ा नहीं ली है। उसे भी मज़ा आ जाएगा।

शिवा: ठीक है मैं आता हूँ। वो ये कहकर अपना लण्ड पैंट में ऐडजस्ट किया।

उधर सरला और राकेश की चुदाई के बाद अब राकेश उससे बहुत खुल गया था। अब वो किचन में सरला को पकड़कर चूम लेता था और उसके मस्त दूध दबाकर उनको ब्लाउस के ऊपर से खुले हिस्से को चूम भी लेता था। सरला भी अब उसके लण्ड को पैंट के ऊपर से जब तब दबा देती थी। उस दिन सबके जाने के बाद क़रीब १२ बजे वो सरला को लेकर उसके बेडरूम में घुस गया और उसकी ज़बरदस्त चुदाई करने लगा। सरला भी मज़े से उसका साथ दी और बाद में बोली: बेटा तेरा आख़री साल है अब पढ़ाई पर ध्यान दे । रात को मैं तेरी प्यास बुझा दिया करूँगी। राकेश मुस्कुरा कर उसकी चूचि चूसा और तय्यार होकर कोलेज चला गया। सरला अपने घर के काम में लग गयी।

उधर मालिनी और राजीव चुदाई के बाद सुस्ता रहे थे।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव: बेटा तुमने मेरी बरसों की प्यास बुझा दी ।

मालिनी अब भी उसके बॉल्ज़ से खेल रही थी। वो बोली: पापा मुझे भी बहुत मज़ा आया। फिर वो लौड़े को सहलाकर बोली: पापा अभी तो एक राउंड और होगा तभी आपको खाना मिलेगा।

राजीव हँसकर: क्यों नहीं बेटा। अब इसे चूसकर खड़ा करो और दूसरे राउंड का मज़ा लो।

मालिनी उठकर उसके लौड़े को मुँह में लेकर प्यार से चूसने लगी और पूछी: पापा आपको याद है मेरी सास कैसा चूसती थीं ?

राजीव: हाँ बेटा वो कैसे भूल सकता हूँ। वो और तुम अच्छा चूसती हो पर सबसे ज़्यादा मज़ा तुम्हारी मम्मी देती है, उफफफ क्या डीप थ्रोट देती है।

मालिनी: पापा आप मुझे भी सिखाना कि कैसे डीप थ्रोट देते है। वैसे पापा आपका खड़ा तो मैंने भी कर दिया चूसकर।

राजीव: हाँ बेटा अब चढ़ जाओ इस पर और मस्ती से इसका मज़ा लो।

मालिनी हँसकर : तो पापा मेहनत के मूड में नहीं है। चलो मैं ही मेहनत कर लेती हूँ। यह कहकर वो उसके लौड़े पर अपनी बुर रखकर नीचे को दबाई और लौड़ा उसकी बुर की गहराइयों में घुसता चला गया। अब वो आगे को झुक कर राजीव के होंठ पर अपने होंठ रखी और राजीव उनको चूसने लगा। अब वो राजीव की गरदन चूमते हुए नीचे आयी और उसकी निपल्ज़ चूसने लगी। राजीव आऽऽहाह करके मस्ती से भर गया। वह अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई में लग गयी थी।

उधर राजीव के हाथ उसकी गाँड़ की गोलाइयों पर फिर रहे थे। अचानक वो एक ऊँगली उसकी गाँड़ में घुसेड़कर उसे अंदर बाहर करने लगा। अब मालिनी उसकी छाती से मुँह ऊपर की और बोली: पापा जलन हो रही है कम से कम थूक ही लगा लो।

राजीव ऊँगली निकाला और उसे नाक के पास लाकर सूंघकर बोला: आऽऽऽऽऽह बेटा क्या मस्त गन्ध है तुम्हारी गाँड़ की।

मालिनी उसकी ऊँगली को चादर के कोने से पोंछी और बोली: छी पापा आप भी ना । बहुत गंदे हो। फिर वह उसके दोनों हाथों को अपनी चूचियों पर रखकर बोली: इनको दबाइए। क्या ग़लत सलत जगह ऊँगली डालते रहते हैं ।

राजीव उसकी चूचियों को दबाकर चूसने लगा और निपल्ज़ भी ऐंठने लगा। अब मालिनी मस्ती से अपनी गाँड़ उछालकर ज़बरदस्त चुदाई में लग गयी। वो चिल्लाई: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पाआऽऽऽऽऽऽपा क्या मज़ाआऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्य्य कितनाआऽऽऽऽऽऽ अच्छा लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है।
वह अपनी गाँड़ नीचे दबाकर पूरा लौड़ा निगलकर अपनी जवानी को पूरा मज़ा दे रही थी। अब राजीव ने एक ऊँगली उसके मुँह में डाली जिसे वो चूसने लगी। अब राजीव ने वो ऊँगली फिर से उसकी गाँड़ में डाल दी। अब मालिनी आह्ह्ह्ह्ह करके बोली: उफ़्फ़्फ़ । वह और ज़ोर से गाँड़ उठाके उसकी जाँघ पर अपने चूतर दबाने लगी। राजीव भी अब मस्ती से नीचे से लौड़ा उछालकर उसे चोद रहा था।

अब मालिनी बोली: आऽऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा अब अअअअअओ ऊपर आअअअअअअअओ और चोओओओओओदो।

राजीव उसे पकड़े हुए ही पलटा और ऊपर आकर उसके ऊपर चढ़ कर उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा।मालिनी ने नोटिस किया कि राजीव की चुदाई का तरीक़ा शिवा से अलग था। जहाँ शिवा सीधे सीधे ज़ोरदार मर्दाने धक्के मार कर उसे मस्ती से भर देता है वहाँ पापा उसकी बुर में लौड़े को एक विशेष ऐंगल से डालते हैं और ऊपर की ओर करके उसे बुर में धिसते हैं। इस तरह की घिसाई से उसकी क्लिट को भी लौड़ा रगड़ता था और वो बहुत ज़्यादा गरम हो गयी थी। अब वो आऽऽऽहहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽपा क्या चोओओओओओओओओद रहे हो हाऽऽऽऽऽय्य मैं गयीइइइइइइइ। कहते हुए वो झड़ने लगी। अब राजीव भी अपना लौड़ा दबाकर झड़ने लगा।
अब वो फिर से लस्त होकर आराम से नंगे पड़े हुए थे और एक दूसरे को अभी भी चूम रहे थे।

राजीव: चलो बाथरूम चलो।

मालिनी: मुझसे चला नहीं जाएगा। उफफफ बहुत थक गयी हूँ।

राजीव ने हँसकर उसे गोद में उठाया और बाथरूम में लेज़ाकर उसको टोयलेट की सीट पर बिठा दिया। अब वो मूतने लगी और राजीव के कानों में उसकी सीटी सी आवाज़ आने लगी। फिर वो हैंड शॉवर उठाने लगी साफ़ करने के लिए। तो राजीव ने उसे रोका और उठाकर बग़ल में खड़ा कर दिया। अब वो अपना लण्ड सहला कर मूतने लगा। मालिनी ध्यान से उसके लौड़े में से निकल रही मोटी धार को देख रही थी। फिर पेशाब करके उसने अपना लण्ड हिलाया और आख़री बूँद भी निकाली और फ़्लश चलाया।

अब वो एक स्टूल लेकर नीचे बैठा और हैंड शॉवर लेकर मालिनी के पेट से लेकर उसकी बुर और जाँघों पर पानी डाला। अब वो साबुन से उसके बदन के निचले हिस्से को साफ़ किया। वहाँ उसका और मालिनी का काम रस चिपका हुआ था। उसकी जाँघों और बुर को अच्छी तरह से साफ़ करके पानी से धोया। अब वो उसको घुमाया और उसके बड़े मस्त चूतरों पर भी पानी डाला और चूतरों को फैलाके उसकी दरार में भी पानी डाला और सब जगह साबुन लगाया। उसकी गाँड़ के छेद को भी उसने बड़े ध्यान से साफ़ किया ।फिर तौलिए से सब जगह को सुखाया। अब वो चूतरों को फैलाकर उसकी गाँड़ के छेद में जीभ फेरकर बोला: बेटा ये तो अभी तक कुँवारी है ना?

मालिनी: आऽऽऽह हाँ पापा ।

राजीव उसकी बुर को सहलाकर बोला: बेटा, इसकी शिवा ने सील तोड़ी है और इसकी मैं तोड़ूँगा। ठीक है ना, एक एक छेद एक एक पति को देना तोड़ने के लिए।

मालिनी हँसकर: हाऽऽऽऽऽय पापा आप भी ना। आऽऽऽऽह अच्छा आप इसकी सील तोड़ लेना। वैसे सासु माँ की दोनों सील आपने ही तोड़ी था ना?

राजीव: पता नहीं बेटा। गाँड़ की तो मैंने ही तोड़ी थी पर बुर का पक्का नहीं कह सकता।

मालिनी: वो क्यों पापा?

राजीव: बेटा उसकी बुर से पहली चुदाई में ख़ून नहीं निकाला था। हालाँकि उसे दर्द तो बहुत हुआ था। अब मैं पक्का नहीं कह सकता कि वो कुँवारी थी या नहीं। वैसे बेटा गाँड़ मारने के लिए बहुत तय्यारी करनी पड़ेगी जैसे मैंने सविता यानी तुम्हारी सास की थी।

मालिनी: कैसी तैयारी पापा?

अब वो अपना बदन साफ़ करके बाहर आया और आलमारी से एक डिब्बा निकाल कर लाया। उसके अंदर नक़ली रबर के ५ लंड थे जो पतले से लेकर मोटे तक के साइज़ के थे।

वो: बेटा ये मैं यूरोप से लेकर आया था। पहले ये पतला वाला तुम्हारी गाँड़ में दो दिन डालूँगा और उसके बाद उससे मोटा और फिर और मोटा वाला। इस तरह ७/८ दिन में तुम ये सबसे मोटा वाला भी अंदर ले लोगी। तब मैं अपना लौड़ा अंदर डालूँगा। वैसे इसके लिए एक विशेष लूब चाहिए जिसे K Y Jelly कहते है । ये होमों सेक्शूअल लोग गाँड़ मारने के लिए काम में लाते है मै आज शाम को ये जेली लाउँगा और कल से तुम्हारी गाँड़ मारने की प्रैक्टिस चालू करूँगा। ठीक है?

मालिनी: ठीक है पापा। मुझे भी गाँड़ मरवाने की बहुत इच्छा है। मैंने आपको और ताऊजी को मम्मी की गाँड़ मारते हुए देखा था।

राजीव: वैसे मुझे सरला ने बताया था कि शिवा ने भी उसकी गाँड़ मारी है।

मालिनी के चेहरे पर जलन के भाव आए फिर वो बोली: मारी होगी। वो तो भी मेरी भी मारना चाहते हैं पर मेरे दर्द से डरते हैं। पर अब आप मेरी मार ही लेना।

राजीव उसकी चूची दबाकर: हाँ बेटा एक हफ़्ते में तुम्हारे गाँड़ के छेद को बड़ा करूँगा और फिर देखना बिना ज़्यादा दर्द के तुम मेरा लौड़ा अंदर ले लोगी।

अचानक मालिनी को ध्यान आया कि दोनों अब भी नंगे है। वो बोली: पापा अब मैं कपड़े पहन लेती हूँ। और खाना बनाती हूँ।

राजीव: अरे बेटा चलो तय्यार हो जाओ। आज हम लंच बाहर करेंगे। मालिनी ख़ुश होकर उससे लिपट कर बोली: थैंक यू पापा। सच में मेरी हिम्मत नहीं है अभी खाना बनाने की। मैं अभी तय्यार होकर आइ।

राजीव पीछे से आवाज़ लगाया: बेटा जींस टॉप पहनकर आना।

वो मुस्कुरा कर हाँ में सिर हिलाई। अब वो तय्यार हुई जैसे कि राजीव चाहता था। एक टॉप और चुस्त जींस में। उसने पैंटी पहन ली थी। जब वो लिप्स्टिक लगाकर बाहर आयी तो राजीव भी जींस और टी शर्ट में खड़ा उसका रास्ता देख रहा था। वो मस्ती से मालिनी को अपनी बाहों में भरा और बोला: उफफफफ क्या माल लग रही हो।

मालिनी: किस्स नहीं करिएगा वरना आपके होंठ पर लाल लिप्स्टिक लग जाएगी।

राजीव हँसने लगा। वो अब आगे चली और राजीव ने उसके दोनों चूतरों को पंजों में दबा कर कहा: आज तो तुम्हारी गाँड़ को देखकर कई लोग मूठ्ठ मारेंगे । उफफफफ क्या सेक्सी गाँड़ है बेटा। आह पैंटी पहनी हो ?सही कहा ना?

मालिनी ने हाँ में सर हिलाया और बोली: बाहर जाती हूँ तो पहन लेती हूँ।

अब वो भो पैंट के ऊपर से उसके लंड को दबाकर बोली: पापा आप इसको खड़ा मत कर लेना वरना सबको पता चल जाएगा कि आप अपनी बहु पर बुरी नज़र रखते हो। हा हा ।

इस तरह मज़े मस्ती करते दोनों रेस्तराँ के लिए कार से निकल पड़े। मालिनी और राजीव रेस्तराँ से खाना खा कर वापस आए तो तीन बज गए थे। मालिनी: पापा मैं थोड़ा सा सो जाऊँ?

राजीव: हाँ क्यों नहीं, आओ मेरे कमरे में ही सो जाना।

मालिनी: पापा आपके साथ सोऊँगी तो बस चुदवाते ही चली जाऊँगी। मुझे आराम करना है।

राजीव हँसकर : अच्छा चलो अपने कमरे में ही आराम कर लो। मैं भी अब आराम कर लेता हूँ।


उधर शिवा ठीक समय पर असलम के घर पहुँचा।असलम भी अभी अभी घर पहुँचा था। वो बनियान और लूँगी में था। तभी आयशा भी आकर उसे नमस्ते की वो एक सलवार क़ुर्ती में थी।

सब बैठे और असलम बोला: हाँ भाई बोल क्या समस्या है?

शिवा: वही जो फ़ोन पर बताया था ना कि मैं जानना चाहता हूँ कि मालिनी क्या पापा से लगवा रही है?

आयशा : भाई जान आप ये जान कर क्या करोगे?

शिवा बेवक़ूफ़ की तरह उसे देखता रह गया।

आयशा: क्या आप इसका विरोध करोगे? आपको पता है कि मालिनी को भी अब पता लग गया है कि आप अपनी सास को चोद चुके हो। तो किस मुँह से आप उसे रोकेंगे?

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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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शिवा ने नोटिस किया कि चोद शब्द का इस्तेमाल इसने कितनी सहजता से किया है ।

शिवा : नहीं नहीं विरोध नहीं बस मैं जानना चाहता हूँ।

आयशा: मगर क्यों जानना चाहते हैं? क्या करेंगे जान कर?

शिवा निरुत्तर सा बैठा रह गया।

आयशा: अब मैं बताऊँ आप क्यों जानना चाहते हो? असल में आप ख़ुद चाहते हो कि वो आपके पापा से चुदे। आपको इससे एक किक मिलेगी जैसे किसी शराबी को शराब पीने से मिलती है।

शिवा का मुँह उसकी बात सुनकर खुला का खुला रह गया। वो बोला: आऽऽऽप ये कैसी बात कर रही हो। मतलब क्या है आपका?

आयशा: देखिए उस दिन भी आप मेरे और मेरे ससुर की चुदाई की बात सुनकर बहुत उत्तेजित हो रहे थे। और आज भी आप ये सोचकर कि आपकी बीवी आपके पिता से चुदवाएगी आप कितने उत्तेजित हो रहे हो। ज़रा देखो अपनी पैंट की ओर कैसा तना हुआ है अपना लण्ड। वो आगे बढ़कर उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाकर बोली : देखो कैसा तना हुआ है?

शिवा शर्मिंदा होकर: ओह नहीं भाभी ये आपके लिए पागल हो रहा है।

आयशा: अगर ये सच होता तो मैं बहुत ख़ुश होती पर ऐसा है नहीं।

असलम: चलो अभी बेडरूम में चलते हैं और इसके लंड को आराम देने की कोशिश करो। सब बेडरूम में पहुँचे और असलम बोला: चलो कपड़े उतारो । वह अपने कपड़े उतारने लगा। आयशा भी अपनी क़ुर्ती निकाल दी। अब वो सलवार और ब्रा में बहुत सेक्सी लग रही थी। असलम अब तक चड्डी में आ चुका था। उसका लण्ड चड्डी से बहुत मोटा सा लग रहा था। तभी आयशा ने सलवार उतारी और अब वह ब्रा और पैंटी में थी। शिवा भी अब चड्डी में आ गया था। उसका लण्ड भी बहुत बड़ा लग रहा था।

आयशा मुस्कुराकर बिस्तर में लेट गयी। शिवा और असलम उसके अग़ल बग़ल लेट गए । असलम उसे चूमने लगा। अब शिवा उसके सामने थोड़ा सा हिचक रहा था, सो असलम ने उसका हाथ पकड़कर आयशा की ब्रा के ऊपर से एक चूची पर रख दिया। असलम दूसरी चूचि ख़ुद दबाने लगा। अब वो दोनों उसके गाल और होंठ चूसने लगे। आयशा ने भी हाथ बढ़ाकर एक एक हाथ में उनके लण्ड चड्डी के ऊपर से पकड़ लिया और उनको दबाने लगी। असलम ने उसकी ब्रा खोली और अब वो दोनों एक एक चूचि दबाने लगे और फिर मुँह में लेकर चूसने लगे। शिवा सोचा कि उफफफफ क्या मस्त लग रहा है। वो सोचा कि जब पापा और मैं मालिनी की चूचियाँ ऐसे ही चूसेंगे तब क्या मस्त मज़ा आएगा।

अब असलम नीचे जाकर उसकी पैंटी निकाला और उसकी बुर को सहलाने लगा। शिवा भी उठकर उसके साथ बैठा और उसकी बुर को देखने लगा। असलम ने उसका हाथ पकड़कर आयशा की बुर पर रखा और बोला: तुम तो एक बार चोद चुके हो इसे। आज क्या बुर ही चोदोगे या गाँड़ मारोगे?

शिवा: मैं मैं बुर ही चोदता हूँ।

असलम: ठीक है मैं गाँड़ मार लूँगा। अब वो अपनी चड्डी उतारा और अपने लण्ड को आयशा के मुँह के पास लेज़ाकर उसे चूसने का इशारा किया। आयशा ने उसके लण्ड को चूसना शुरू किया। अब शिवा भी अपना लण्ड उसके मुँह के पास लाया और वो उसे भी चूसने लगी।

असलम: यार तुम नीचे लेट जाओ। आयशा अपनी बुर में तुम्हारा लण्ड ले लेगी।

शिवा नीचे लेट गया और आयशा उसके ऊपर आकर अपनी बुर में उसका लण्ड ले ली। शिवा नीचे से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। असलम ने अपने लण्ड में क्रीम लगाया और उसकी गाँड़ में पीछे से अपना लण्ड डालकर उसे चोदने लगा। नीचे से शिवा भी अपना लण्ड उसकी बुर में पेलने लगा।

अब आयशा की सिसकियाँ निकलने लगी : आऽऽऽऽह ऊँनन उन्न्न्न्न्न उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़् और जोओओओओओओओओर से हाय्य्य्य्य मेरी फटीइइइइइइइइइइ फ़ाआऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओ। अब दोनों मर्द जैसे मशीनो की तरह उसे चोदने लगे। शिवा महसूस कर रहा था कि असलम का लण्ड भी कुछ मसल्स की दूरी से उसके लण्ड से रगड़ सा रहा था।

आयशा इस डबल चुदाई से मस्त होकर अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगी। शिवा उसकी चूचियाँ दबाकर चूसे जा रहा था। वो जैसे सातवें आसमान पर थी। तभी असलम और शिवा भी ह्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे। थोड़ी देर बाद तीनों लेट कर सुस्ता रहे थे। तब आयशा शिवा से बोली: आप अपने पापा के साथ मालिनी को चोदना चाहते हो ना?

शिवा झेंप कर बोला: हाँ ये सच है। मैं यही चाहता हूँ। जबसे तुमने बताया है कि तुम असलम और उसके अब्बा से एक साथ चुदवाती हो तब से मेरी भी यही इच्छा हो रही है।

आयशा: चलो मैं आपकी मदद करती हूँ। आप ऐसा करो मेरी मालिनी से एक मुलाक़ात का इंतज़ाम कर दो।

शिवा: ओह पर कैसे होगा ये? क्या बोलूँगा मैं उसको?

असलम आयशा के बड़े चूतर दबाकर बोला: जान तुम ही कोई तरकीब बताओ ना।

आयशा हँसकर शिवा के नरम लण्ड को मूठ्ठी में सहलाकर बोली: ऐसा करिए आप मालिनी को बोलिए कि मैं उससे मिलना चाहती हूँ और उसे कुछ घर से करने वाले बिज़नेस के बारे में बताना चाहती हूँ , जैसे aimway वगेरह।

असलम: हाँ ये ठीक रहेगा। वैसे भी तुम इससे जुड़ी हुई हो।

शिवा: ठीक है मैं ऐसा ही करूँगा। कल की बात करता हूँ। ओके ?

आयशा उसके लण्ड को सहलाते हुए बोली: मुझे क्या फ़ीस मिलेगी?

शिवा: बोलो क्या चाहिए?

आयशा मुस्कुराई और उठकर उसका लण्ड मुँह में लेकर चूसते हुए बोली: मुझे ये लंड अब अपनी गाँड़ में चाहिए और असलम का अपनी बुर में चाहिए।

अब दोनों मर्द उससे चिपक गए और उसकी चूचियाँ दबाकर मस्ती से भरने लगे। थोड़ी देर में ही चुदाई का दूसरा राउंड शुरू हुआ बस फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था कि इस बार असलम नीचे था और उसकी बुर चोद रहा था और शिवा अब उसकी गाँड़ मार रहा था। आधे घंटे की ज़बरदस्त चुदाई के बाद तीनों मज़े से झड़ कर लेट गए।

शिवा: तुम मालिनी से बोलेगी क्या?

आयशा: आप मुझ पर छोड़ दो। फिर वो असलम से बोली: अगर शिवा के पापा ने मुँझे चोदने की इच्छा दिखाई तो आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं होगा ना? आपको पता है कि मैं हमेशा आपसे पूछ कर ही किसी और से चुदवाती हूँ।

असलम उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: अरे चुदवा लेना कौन सी तुम्हारी बुर घिस जाएगी?

शिवा हैरान हो कर: इस सबमें पापा और तुम कहाँ से आ गयीं?

आयशा: अरे आपके पापा ठरकी हैं ना। क्या पता उनका मूड बन जाए। तब मैं असलम को फ़ोन करके थोड़ी ना पूछूँगी कि जी क्या मैं मालिनी के ससुर से चुदवा लूँ?

सब यह सुनकर हँसने लगे। फिर सबने कपड़े पहने और खाना खाया । फिर शिवा अपनी दुकान में वापस चला गया।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ।

रात को खाना खाने के बाद सरला राकेश को धीरे से बोली: आज तुम्हारे ताऊजी आएँगे। वो इशारा किए है। मैं उनके जाने के बाद तुमको मिस्ड कॉल दूँगी तुम तभी आना। पहले मत आ जाना।

राकेश सरला की जाँघ दबाकर: ठीक है मम्मी मैं इंतज़ार करूँगा।

सरला भी अपने कमरे में जाते हुए उसके लोअर के ऊपर से उसका लण्ड दबाकर मुस्कुराई और चली गयी।

रात को राकेश चुपचाप रास्ता देख रहा था। तभी श्याम आया और सरला के कमरे में घुस गया। वो पहले अपने कपड़े उतारा और पूरा नंगा होकर लेटी हुई सरला के बग़ल में आ गया। राकेश खिड़की से सब देख रहा था। अब वो सरला को चूमने लगा और उसकी नायटी के ऊपर से उसके दूध दबाने लगा। अब सरला भी उसके चुम्बन का जवाब देने लगी। अब वो सरला को नायटी उतारने को कहा। सरला उठकर नायटी उतारी और फिर ख़ुद ही उसने ब्रा भी खोल दी। अब वो पूरी नंगी थी। अब दोनों एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे का बदन सहलाने लगे और चुम्बन भी जारी रखे।

अब वो सरला को बोला: जान आज पीछे से डालने का मन है।

सरला मुस्कुराई और पेट के बल होकर अपनी गाँड़ ऊँची कर दी और बोली: गाँड़ मारेंगे क्या? वैसे मेरी बुर ज़्यादा खुजा रही है।

श्याम ने उसके चूतरों को दबाया और बोला: नहीं बुर ही चोदूँगा। अब वो अपने मुँह को उसकी गाँड़ की दरार में डाला और उसकी बुर चूसने लगा। सरला आऽऽऽह करके अपनी गाँड़ उसके मुँह में दबाने लगी। थोड़ी देर बाद वह अपना मुँह वहाँ से बाहर निकाला और उसका पूरा मुँह गीला हो चुका था सरला के कामरस से । अब वो अपना लण्ड सरला की गीली बुर में डाला और उसकी चुदाई में लग गया। कमरा थप्प थप्प की आवाज़ों से गूँज उठा और हर धक्के के साथ सरला की उन्न उन्न निकल जाती थी। उसके हाथ सरला की चूचियों पर जमे हुए थे। वो उनकी घुंडियाँ भी दबाए जा रहा था।

अब सरला चिल्लाने लगी: आऽऽऽऽऽह भय्याआऽऽऽऽऽऽऽ जीइइइइइइइ और जोओओओओओओर से चोओओओओओदो। फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽड़ दो मेरी बुर। हाऽऽऽऽऽऽययय । ये कहते हुए वो पूरा पीछे की ओर धक्का मारकर उसका लण्ड पूरी तरह से अपने बुर में घुसवा कर आनंद के सागर में डूबे जा रही थी।

फिर दोनों आऽऽऽऽऽह करके झड़ने लगे। थोड़ी देर तक वो दोनों बातें करे फिर श्याम अपने कमरे में चला गया।

श्याम के जाने के बाद सरला बाथरूम गयी और फ़्रेश होकर आयी। वो थोड़ा थक सी गयी थी। वो सोची कि सो जाती हूँ और राकेश को नहीं बुलाती। पर वो बाद में सोची कि वो बुरा मान जाएगा। वो लम्बी साँस ली और राकेश को मिस्ड कॉल दी। राकेश उसकी और श्याम की चुदाई देख कर बहुत उत्तेजित हो चुका था और उसने मूठ्ठ नहीं मारी थी। वो ताऊ के बाहर आने के पहले अपने कमरे में चला गया था । सरला के कॉल से वो उठा और मम्मी के कमरे में गया । वो चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी। राकेश आकर उससे लिपट गया और बोला: मम्मी चुदाई कैसी रही ताऊ जी के साथ?

वो हँसकर बोली: तुझे तो सब पता ही है। वहाँ खिड़की से सब देख तो रहा था ना?

राकेश: मम्मी आपको कैसे पता?

सरला हँसकर: आख़िर तेरी माँ हूँ। मैंने तुझे देख लिया था।

अब राकेश भी हँसने लगा। अब वो चादर के अंदर हाथ डाला और पाया कि वो पूरी नंगी थी। वो बहुत उत्तेजित हो गया और बोला: मम्मी आप तो नंगी हो?

सरला: अब उनके जाने के बाद क्या कपड़े पहनती? तूने आकर उतार ही देना था। है कि नहीं?

राकेश अब उसकी चादर उतारा और अपनी नंगी माँ को देखकर वो उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ चूमने लगा। उसके हाथ चूचियों पर थे और वो उनको दबाकर मस्त हो रहा था। वो बोला: मम्मी दूध पिलाओ ना ।

सरला हँसकर: इतना बड़ा हो गया है पी ले ना अपने आप।

राकेश: मम्मी आप ख़ुद पिलाओगी तो मज़ा आएगा।

वो : अच्छा चल फिर बग़ल में लेट। वह बग़ल में आकर लेट गया और अब सरला ने अपनी एक चुचि अपने एक हाथ में लिया और उसके मुँह में अपना निपल डाल दिया।
राकेश बच्चे की तरह उसे चूसने लगा और सरला अब भी उसे अपनी चुचि पिला रही थी। राकेश का लण्ड मानो झड़ने वाला था वो सोचा उफफफफ क्या फ़ीलिंग आ रही है -मम्मी अपने हाथ से उसे अपनी चुचि चूसवा रही है। सरला ने हाथ बढ़ा कर लोअर के ऊपर से उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी। अब वो लोअर और चड्डी के अंदर अपना हाथ डाली और उसके नंगे लण्ड को पकड़ ली।वो सोची कि क्या मस्त जवान लण्ड है और कितना गरम है।

राकेश बोला: मम्मी अब दूसरा दूध पिलाओ ना।

सरला अब अपनी दूसरी चूचि को हाथ में लेकर उसके मुँह में डाली और वो मस्त होकर चूसने लगा। जब उसका जी भर गया तो वो बोला: मम्मी ६९ करोगी क्या?

सरला : ठीक है आजा तू नीचे लेट जा और मैं ऊपर आती हूँ। वो उलटी होकर अपनी बुर को राकेश के मुँह पर रखा और ख़ुद उसकी जाँघ के बीच आकर उसका कड़ा लंड चूसने लगी। राकेश भी मस्ती में आकर जीभ से उसकी बुर को कुरेदने लगा। सरला भी मस्ती से उसके लण्ड को अपने गले के अंदर ले जाकर चूस रही थी। वह उसके बॉल्ज़ भी चाटी और फिर बोली: आऽऽऽऽह बेएएएएएएएटा अब चोद दे। बहुत गरम हो गयी हूँ मैं ।

अब सरला घूमकर उसके ऊपर आयी और अपनी बुर को उठाकर अपने बेटे के लण्ड पर रखी और नीचे होकर उसका लण्ड अपनी बुर में पूरा निगल गयी । अब वो ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होकर चुदवाने लगी। राकेश भी नीचे से लण्ड उछालकर चोदने लगा। राकेश अब उसकी चूचियाँ दबाकर चूस रहा था । जल्दी ही चुदाई चरम सीमा पर पहुँचने लगी।

अब राकेश बोला: मम्मी हाऽऽऽऽऽययय हम एक दूसरे के मुँह में झड़ें क्या। आऽऽऽऽऽऽह बोओओओओओलो नाआऽऽऽऽ ।

सरला : उफफफफ अच्छा हाँआऽऽऽऽ ठीक है उइइइइइइइ ।

अब वो फिर से पलटी और अब दोनों एक दूसरे के अंगों को चूसने लगे। राकेश उइइइइइइइ माऽऽऽऽऽ कहकर अपनी माँ के मुँह में झड़ने लगा। सरला उसके वीर्य को निगलती चली गयी। उधर सरला भी अब राकेश के मुँह में झड़ने लगी थी और वो भी उसका रस पीता चला गया। अब दोनों झड़कर आराम करने लगे। थोड़ी देर बाद फ़्रेश होकर वो नंगे ही लिपट कर चादर ओढ़ कर सो गए।

उधर शाम की चाय मालिनी ने राजीव की गोद में बैठ कर पी। वो दोनों एक दूसरे को चूमकर ख़ुश थे

रात को ८ बजे शिवा आया और सबने खाना खाया। राजीव के कमरे में जाने के बाद वो दोनों अपने कमरे में आए और दोनों ने थकावट का बहाना बनाया और बिना चुदाई किए सो गए।

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