बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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शर्मा: अरे तो तुम बताओ ना कितना चाहिए तुमको? वो मेरे उभारों को देखते हुए बोला। मैंने अपने साड़ी का पल्लू उभारों के बीच में कर दिया था ताकि वो मेरे उभारों को अच्छे से देख लें।

मम्मी: मुझे कम से कम २०००० महीना चाहिए।

शर्मा मेरे उभारों को देखकर अपने होंठ पर जीभ फेरकर बोला: मुझे मंज़ूर है। कब शुरू करेंगे?

मम्मी: कल आप १२ बजे दिन में पैसे लेकर आ जाइए और अपनी मन मर्ज़ी कर लीजिए।

वो ख़ुश हो गया और बोला: चलो कल मिलते है। वो मेरे हाथ सहलाते हुए बोला। फिर हम खड़े हुए और मैंने उसकी पैंट में एक तंबू बना हुआ देखा और मैं समझ गयी कि मैंने अपने पत्ते सही फेंके हैं तभी वो अपने खड़े लंड के कारण मज़बूर है।

राजीव लिली की चूत सहलाया और बोला: ये बात तुम्हारी मम्मी ने बतायी?

लिली: हाँ पर बहुत बाद में। कब बतायी ये भी बताऊँगी। पर बाद में।

सरला संजीव का लंड सहलाकर: फिर क्या हुआ?

लिली राजीव के लंड को चूमी और बोली: जब मम्मी खड़ी हुई तो वो चुपके से उनकी मोटी गाँड़ दबा दिया। सरला आंटी मम्मी की गाँड़ आपके जैसी ही बड़ी बड़ी हैं।

अगले दिन मम्मी ने अपनी चूत के बाल साफ़ किए और बहुत तय्यार हुई । सेक्सी गाउन और सेक्सी अंडर्गार्मेंट्स भी पहनी। मस्त मेकअप भी किया। शर्मा जी तय समय पर आ गए। मम्मी को देखकर वो हैरान रह गए और मस्त होकर बोले: वाह क्या माल लग रही हो। फिर जेब से पैसे निकाले और मम्मी को दे दिए। मम्मी पैसे लेकर बेडरूम में गयी और पैसे गिनी और आलमारी में अपनी पहली कमाई रख दी और पापा की फ़ोटो के सामने आकर रो बैठीं। फिर आँसू पोंछे और शर्मा जी को लेकर गेस्ट बेडरूम में ले गयी। वहाँ उन्होंने कमरा काफ़ी सज़ा कर रखा था। बेडरूम में एक सोफ़ा भी था डबल बेड के साथ।

शर्मा ने मम्मी को अपनी गोद में खिंचा और मम्मी को बड़ा अजीब सा लगा था पहली बार अपने पति के अलावा किसी और गोद में बैठी थी। फिर उसने मम्मी को चूमा और उसकी आँखों में मम्मी ने पूरी वासना देखी। फिर वो मम्मी को नंगी किया और ख़ुद भी नंगा हो गया। मम्मी ने उसके लंड का पापा के लंड से तुलना किया और शर्मा के लम्बे लंड से मस्त हो गयी। हालाँकि वो बहुत मोटा नहीं था पर फिर भी मम्मी को वो मस्त लगा। उसका लंड पाकर मम्मी की दबी हुई प्यास बढ़ गयी और वो भी उसका साथ देने लगी और जहाँ वो मम्मी की चूचियाँ चूस रहा था मम्मी भी उसका लौड़ा दाबकर मस्त हो रही थी। फिर वो मम्मी को नीचे लिटाया और लेटी हुई मम्मी के मुँह में अपना लंड डाल दिया और मम्मी उसे प्यार से चूसने लगी। फिर उसने मम्मी को बुरी तरह से चोदा और मम्मी भी मस्ती से चुदवाने लगी। वो बोली: बेटी वो चुदाई उस समय तक की सबसे बढ़िया चुदाई थी। मैं तो जैसे स्वर्ग की सैर कर रही थी। फिर हम दोनों झड़ गए। इसके बाद तो वो हफ़्ते में दो तीन बार आ जाता और मम्मी की चुदाई कर जाता। इसी बीच उसने मम्मी की गाँड़ भी मार ली। क्योंकि उसका लौड़ा मोटा नहीं था इसलिए वो झेल गयीं। इसी तरह चलता रहा।

फिर एक दिन मेरी तबियत ख़राब हो गयी और मैं स्कूल से जल्दी आ गयी। मेरे पास भी एक चाबी थी सो मैं अंदर आयी और घर में गेस्ट बेडरूम से चिल्लाने की आवाज़ें आ रहीं थीं। मैं चुप चाप कमरे की खिड़की से झाँकी और मैंने देखा कि पूरी नंगी मम्मी घोड़ी बनी हुई है और शर्मा अंकल उनके पीछे खड़े होकर उनकी ज़बरदस्त चुदाई कर रहे थे। फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी और मम्मी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रहीं थीं। मेरी हालत ख़राब हो गयी। मेरा हाथ अपनी पैंटी के अंदर चला गया और मैंने ऊँगली से अपनी बुर खुजानी शुरू की। बाद में अंकल ने अपना लौड़ा बाहर निकाला और उनकी गाँड़ में डाल दिया। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ की आवाज़ से मम्मी की चीख़ें निकलने लगीं।

फिर शर्मा अंकल भी झड़ने लगे और आऽऽऽऽह करके ढीले पड़ गए। मैं चुपके से वहाँ से हट गयी। बाद में अंकल के जाने के बाद जब मम्मी ने मुझे घर में देखा तो वो समझ गयीं कि मैंने सब देख लिया है।

फिर उन्होंने ख़ुद ही सब बात मुझे बतायी जैसे कि मैंने अभी आपको सब बताया।

राजीव: वाह तो फिर क्या अभी भी वो शर्मा से चुदवा रहीं हैं?

संजीव: शर्मा से भी और भी दो लोगों से भी। वो हम बाप बेटे से भी चुदवा चुकी है

सरला: बेटी तुम बताओ फिर आगे की बात? वो संजीव के लौड़े को सहलाती हुई पूछी।

लिली राजीव के बॉल्ज़ को सहला कर उसके लौड़े को प्यार से मुठियाते हुए आगे बताने लगी:———/

आंटी उसके बाद मम्मी और शर्मा अंकल का ऐसा ही चलता रहा। एक दिन मम्मी बोलीं: बेटी इतने कम पैसे जो शर्मा जी देते है उसमें गुज़ारा मुश्किल है। मुझे एक ग्राहक और पटाना पड़ेगा।

मैं: मम्मी कैसे पटाओगी?

मम्मी: मुझे थोड़ी महँगी जगह जाना पड़ेगा और वहीं मुझे ऐसे बंदे मिलेंगे।

मैं: जैसे?

मम्मी: जैसे फ़ाइव स्टार होटेल के कोफ़्फ़ी शोप। या कोई बड़ी जवेल्लेरी शोप।

फिर अगले दिन मम्मी योजना बनाकर एक बड़े होटेल के कोफ़्फ़ी शोप में गयी । उस समय शाम के पाँच बजे थे । अलग अलग टेबल पर लोग ग्रूप में बैठे बातें कर रहे थे। क्योंकि मम्मी आज के अवसर के लिए विशेष रूप से तय्यार हुई थी इसलिए जब वो अंदर आयीं तो सबकी नज़र उन पर ही पड़ीं और एक सुंदर औरत वो भी अकेली सबकी नज़र में प्यास थीं । आज मम्मी ने एक छोटा स्लीव्लेस टॉप और नीचे स्कर्ट पहनी थी। उफ़्फ़्फ़्फ क्या क़ातिल लग रहीं थीं।भरी हुई गोरी जाँघें और नंगा पेट और आधे निकले हुए बड़े बड़े दूध और स्कर्ट के पिछले भाग को उठाए हुए बड़े बड़े चूतड़ बहुत ही मादक दिख रहे थे।

पूरे हाल में सब बार बार उनको ही देख रहे थे। मम्मी जिस टेबल पर बैठी उसके सामने वाले टेबल पर एक लड़का बैठा था जो कि एक किताब पढ़ रहा था और शायद कोफ़ी का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही उसने नज़र उठाई और मम्मी को देखा तो बस देखता ही रह गया। वो एक गहरी नज़र मम्मी के उभारों को देखा और फिर से चेहरे को देखने लगा। मम्मी उसकी ओर देख कर मुस्कुरा दी। वो भी मुस्कुराया और उठ कर मम्मी के पास आया और बोला: आंटी जी आप किसी का इंतज़ार कर रहीं हैं क्या?

मम्मी: नहीं तो। क्या बात है?

लड़का: आंटी क्या है ना आप भी अकेली और मैं भी अकेला तो क्या मैं आपके साथ कोफ़्फ़ी पी सकता हूँ।

मम्मी हँसकर: एक शर्त पर कि अपना बिल ख़ुद दोगे।

लड़का भी हँसकर: आंटी बिल तो हमें देना ही नहीं पड़ेगा।

मम्मी: अच्छा बताओ क्या नाम है और अपने पापा क्या करते है? कॉलेज में हो या स्कूल में?

लड़का: बाप रे बाप इतने सवाल एक साथ? अच्छा बताता हूँ। मेरा नाम तुषार है और मैं कामर्स कोलेज में फ़र्स्ट यीअर में हूँ। मेरे पापा यहाँ के बड़े बिज़्नेस मैन हैं और राज़दान ग्रूप होटेल का नाम सुना होगा। हिंदुस्तान में हमारे कुल १० होटेल हैं। और ये होटेल भी हमारा ही है। इसी किए कहा था कि बिल नहीं लगेगा।

मम्मी मन ही मन में ख़ुश हुई कि पार्टी तो तगड़ी है पर उम्र बहुत छोटी होगी , दाढ़ी मूँछ भी अभी निकल ही रही थी। वो पूछी: तुम १८/१९ के होगे? अभी कोलेज शुरू ही किया है ना?

तुषार: हाँ जी मैं १८ अभी पिछले महीने ही पूरा किया हूँ।

मम्मी उसकी टी शर्ट से झाँक रहे मसल्स को देखकर बोली: तुम्हारा बदन तो काफ़ी तगड़ा है १८ की उम्र के लिहाज़ से। वैसे मेरी एक बेटी भी बस तुम्हारी उम्र की है।

तुषार मुस्कुरा कर: आंटी मुझे जिम का शौक़ है और वैसे भी मुझे बड़ी उम्र की औरतों से ही दोस्ती करनी है। मुझे छुई मुई लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं है।

मम्मी: वो क्यों? तभी कोफ़ी आयी और दोनों पीने लगे।

तुषार: आंटी बहुत लम्बी कहानी है। वैसे आप बहुत सुंदर हो और कोई आपको एक जवान बेटी की माँ कह ही नहीं सकता। ये बात उसने मम्मी के उभारों को देखकर कहा।

अब मम्मी समझना चाहती थी कि क्या टाइम वेस्ट हो रहा है या सच में ये कुछ आगे बात बढ़ाएगा। सो वह बोली: देखो तुषार मैं तुमसे साफ़ साफ़ कहूँगी कि मैं यहाँ एक शिकार ढूँढने आयी हूँ। हाल में मेरे पति की डेथ हो गयी है और अब मेरे पास अपने बदन को बेचने के अलावा और कोई चारा नहीं है। अगर तुमको इसमें इंट्रेस्ट है तो ठीक वरना जाओ यहाँ से ताकि कोई और आकर मुझे प्रस्ताव दे।

तुषार: वाह आंटी आपने तो मेरा काम आसान कर दिया। मुझे हिचक हो रही थी और आपने ख़ुद कह दिया। आंटी मुझे आप चाहिए और अभी चाहिए। आप अपनी क़ीमत बोलिए।

मम्मी: देखो मैं ऐसे एक बार के लिए नहीं मिलती। मेरा तरीक़ा ये है कि मेरा महीना बाँध दो और फिर जब फ़ुर्सत हो मज़े कर लो।

तुषार मम्मी का हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाता हुआ: आंटी पैसे की कोई बात नहीं है। आपको आशा से ज़्यादा दूँगा बस मेरी एक शर्त होगी जो अपनी माननी पड़ेगी।

मम्मी: बोलो क्या शर्त है। मैं तुमको हर तरह से ख़ुश कर दूँगी।

तुषार: आंटी आपको मेरी मम्मी बनना पड़ेगा सेक्स के दौरान।

मम्मी: क्या मतलब? क्या तुम अपनी माँ के साथ सेक्स का सोचते हो?

तुषार: हाँ आंटी मैं पागल हूँ अपनी मम्मी के ऊपर पर हिम्मत नहीं जुटा पाता। इसलिए रोल प्ले करके काम चलाना चाहता हूँ।

मम्मी: ठीक है बेटा जैसा तुम चाहोगे हो जाएगा।

तुषार बेटा शब्द से ख़ुश होकर: थैंक्स मम्मी आप बहुत अच्छी हो। तो अब चलें?

मम्मी: कहाँ?

तुषार: आप उठो तो । फिर वो फ़ोन पर एक मेसिज लिखने लगा और उसे भेजकर मम्मी को लेकर लिफ़्ट में पहुँचा और सबसे ऊपर का बटन दबाया। लिफ़्ट में बस दोनों ही थे। अचानक उसने मम्मी को अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके गाल और फिर होंठ चूमने लगा। उसका एक हाथ मम्मी की पीठ पर और दूसरा मम्मी के सिर के पीछे था । मम्मी भी जल्दी ही उसके चुम्बन का जवाब देने लगी। जैसे ही लिफ़्ट रुकी वो अलग हुआ और दोनों बाहर आए और वो एक कमरे के सामने आकर अपने जेब से कार्ड निकाल कर दरवाज़ा खोला । फिर दोनों अंदर घुसे और मम्मी की आँख जैसे बाहर आने लगी। क्या बड़ा सा पेंट्हाउस था। सभी सुविधाओं से सुसज्जित । वो फिर से मम्मी को अपने से खड़े हुए ही चिपका लिया और बोला: मम्मी आप कितनी सुंदर हो। वो फिर से होंठ चूसने लगा। मम्मी भी आऽऽऽह बेटा कहकर उसे मज़े देने लगी। तभी कॉल बेल बजी और वो अलग हुए और तुषार ने दरवाज़ा खोला और सामने एक वेटर था, वो ट्रे लेकर अंदर आया और ट्रे टेबल में रखा और एक शेंपेन की बोतल और स्नैक्स रखा और एक काग़ज़ का पैकेट तुषार को दिया। उसके जाने के बाद तुषार ने वो पैकेट खोला और उसमें से नोटों की गड्डी मम्मी को देकर बोला: लीजिए आपके दो लाख दो महीने के लिए । मैंने आपको एक लाख महीने का देने का सोचा है ठीक है ना?

मम्मी ख़ुश होकर: हाँ बेटा ठीक है। पर ये तुमने कब मँगाए?

तुषार: वो मैंने ऑफ़िस में मेसिज किया था ना ये वहीं से आया है।

मम्मी ने पैसे अपने पर्स में डाले और आकर तुषार को गले लगाकर बोली: बेटा तुमने एक विधवा की बहुत मदद की है। बोलो कैसे तुमको ख़ुश करूँ?

वो हँसकर मम्मी को सोफ़े पर बैठाया और ख़ुद मम्मी की गोद में लेटा और बोला: मम्मी बस ख़ूब सारा प्यार कीजिए इस बेटे से ।

अब मम्मी झुकीं और उसके गाल और होंठ चूमने लगी। उन्होंने उसका टी शर्ट ऊपर किया और उसकी मर्दाना छाती पर हाथ फेरने लगी। तुषार भी मस्ती में अपना मुँह घुमाया और उसके पेट को चूमते हुए बोला: उफ़्फ़्फ़्फ मम्मी आपका पेट कितना सॉफ़्ट है। वो उसकी नाभि में अपनी जीभ फिराकर मस्त हो गया। फिर बोला: मम्मी दूधु पिलाओ ना। वह अपना मुँह टॉप के ऊपर से उसके बूब्ज़ पर रखकर बोला।

मम्मी ने मुस्कुरा कर कहा: देखो तो इतना बड़ा हो गया है अब भी दूधु पिएगा। यह कहते हुए मम्मी ने अपना टॉप उतरना शुरू किया तुषार की आँखें मानो वहीं जम गयी थी कि अब क्या मस्त दृश्य उसकी आँखों के सामने आने वाला है।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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लिली बोले जा रही थी:——-/——-//—-

मम्मी ने अपना टॉप उतारा और तुषार ने अपना मुँह मम्मी की ब्रा में घुसाने की कोशिश की और वहाँ चूमने लगा। फिर मम्मी ने अपनी ब्रा का हुक खोला और उसे बदन से अलग किया और तुषार उनको दबाकर मस्त होकर बोला: उफ़्फ़्फ मम्मी आपके बूब्ज़ कितने मस्त और बड़े हैं । मेरी मम्मी के भी ऐसे ही मस्त बड़े बड़े हैं।

मम्मी: तुमने अपनी मम्मी के कब देखे?

तुषार: कई बार छिप कर उनको चेंज करते हुए देखा है। अब आप पिलाइए ना अपना दूध।

मम्मी: अरे निकाल तो दिया है बाहर पी लो।

तुषार बच्चे की तरह ज़िद करके; नहीं मम्मी आप अपने हाथ से पिलाओ।

अब मम्मी ने अपनी एक चूचि अपने एक हाथ में ली और उसके मुँह में दे दी। वो मस्ती से उसे चूसने लगा। उसने दूसरे हाथ से मम्मी की चूचि दबानी भी शुरू की। थोड़ी देर चूसने के बाद वो बोला: मम्मी अब दूसरा दुद्धु दो।

मम्मी ने अब अपनी दूसरी चूची उसके मुँह में दे दी और वो अब उसे चूसने लगा। मम्मी के हाथ उसकी टी शर्ट के अंदर जाकर उसके निपल्ज़ को सहलाने लगे। फिर उनका हाथ उसके पैंट के ऊपर से उसकी जाँघों पर घूमने लगा। फिर मम्मी ने पैंट के ऊपर से उसके लंड को सहलाया और महसूस किया। वो सोची उफ़्फ़्फ़्फ इतनी सी उम्र में सामान तो काफ़ी बड़ा लग रहा है। वो सोची कि सबका सामान मेरे स्वर्गीय पति से बड़ा ही है। मैं कितना मज़ा मिस कर रही थी। अचानक वो उसकी निपल में दाँत गड़ाने लगा। मम्मी आऽऽह करके बोली: उफ़्फ़्फ बेटा क्या कर रहे हो? मम्मी को दुःख रहा है ना?

तुषार उठकर: तो मम्मी आप क्या मुझे रोज़ की तरह सज़ा दोगी?

मम्मी को उसकी बात समझ नहीं आयी। वो बोली: मेरा सामने खड़ा हो जा बेटा मैं तेरी पैंट खोलती हूँ।

वो मम्मी के सामने खड़ा हुआ और अपनी टी शर्ट खोल दिया। मम्मी ने उसके पैंट की बेल्ट खोली और फिर चेन नीचे की। पैंट के सामने का हिस्सा बुरी तरह से फूला हुआ था । मम्मी ने मुश्किल से टाइट पैंट नीचे की और अब सामने वो सिर्फ़ एक फ़्रेंचि में खड़ा था और उसका भी बुरी तरह से खड़ा था और आधा लौड़ा बाहर निकल रहा था। मम्मी ने चड्डी नीचे की और उसका लौड़ा झटके से बाहर आया और ऊपर नीचे होने लगा। मम्मी ने आजतक इतना गोरा और गुलाबी लौड़ा नहीं देखा था। उम्र के लिहाज़ से काफ़ी बड़ा तक़रीबन ७ इंच का और काफ़ी मोटा था। नीचे बालों का एक छोटा सा झुंड सा था और नीचे मस्त बड़े बॉल्ज़ लटक रहे थे।

मम्मी उसे सहलायी और बोली: बाऽऽऽऽऽप रे कितना गोरा और गुलाबी है तुम्हारा? मैंने आजतक इतना सुंदर हथियार नहीं देखा। वो आगे बढ़कर उसके गुलाबी सुपाडे को चूम ली।

तुषार: मम्मी आप भी खड़ी हो ना मुझे आपको भी नंगी करना है।

मम्मी खड़ी हुईं और उसने उनकी स्कर्ट निकाल दी। मम्मी की सेक्सी पैंटी देखकर वो बोला: वाह मम्मी आप बहुत सेक्सी पैंटी पहनी हो। वो सोफ़े में बैठ करके मम्मी की पैंटी भी निकाला और मम्मी की चिकनी बुर देखकर वहाँ हाथ सहलाके बोला: उफ़्फ़्फ मम्मी आपकी बुर कितनी चिकनी और सुंदर है। फिर वो उनको घुमाकर उनकी मस्त गाँड़ सहलाया और दबाने लगा। फिर अपने होंठ वहाँ रखकर गाँड़ की गोलाइयों को चूमने लगा। फिर अचानक चूमते हुए उसने मम्मी की नर्म गाँड़ को दाँत से काट दिया। मम्मी आऽऽऽऽऽह कर उठी।

वो फिर से बोला: मम्मी मुझे सज़ा दोगी क्या?

मम्मी कुछ कुछ समझी और बोली: हाँ अब तो देनी ही पड़ेगी।

वो: ठीक है मम्मी उस ड्रॉर में स्केल रखा है। वो यह कह कर अपने पेट के बल लेट गया। मम्मी ने ड्रॉर खोला तो उसमें एक प्लास्टिक का स्केल रखा था।

तुषार के गोरे मस्क्युलर गोल चूतड़ उसके सामने थे । वो हल्के से एक स्केल उसके चूतड़ पर मारी। वो चिल्लाया: आऽऽऽह मम्मी मैं अच्छा बेटा हूँ । मत मारो।

मम्मी को पता नहीं क्या हुआ उन्होंने अबके ज़ोर से स्केल उसकी चूतड़ पर मारा और वहाँ लाल निशान बन गया। वो चिल्लाया: आऽऽऽऽऽह मम्मी अब मैं नहीं काटूँगा प्लीज़ माफ़ कर दो।

मम्मी भी अब मस्ती में आ चुकी थी, उन्होंने दो तीन और हाथ चलाए और बोली: चलो अब उठो, तुम्हारी सज़ा पूरी हुई। उसके चूतड़ लाल हो चुके थे मम्मी की मार से। वो जब पलटा तो मम्मी की आँख फट सी गयी। उसका हथियार पूरा तना हुआ था और उत्तेजना से मानो सिर हिला रहा था मम्मी से रहा नहीं गया और वो उसे चूसने लगी। अब वो भी आऽऽऽह मम्मी क्या चूस रही हो उफ़्फ़्फ़्फ वगेरह बड़बड़ा रहा था। फिर वो बोला: आऽऽह मम्मी मेरा होने वाला है। पर मम्मी नहीं रुकी और फिर मम्मी के अनुसार उन्होंने अपने जीवन का सबसे मस्त और स्वाद वीर्य का पान किया। अच्छे तरह से चूसकर मम्मी ने उसके लौड़े को साफ़ किया और हैरानी से देखती रही कि वो अब भी वैसे का वैसे ही खड़ा था।

अब वो मम्मी को अपने ऊपर खिंचा और उनके होंठ और चूचियाँ चूसने लगा। उसके हाथ उनके बड़े बड़े चूतडों पर भी घूम रहे थे। मज़े के मारे मम्मी की आँखें बंद हो रहीं थीं और बुर से नदियाँ बही जा रहीं थीं।

तुषार: मम्मी मेरे लौड़े को अंदर लेकर मुझे चोदो। जैसे पापा को आप चोदती हो।

मम्मी उसके लौड़े को अपनी बुर में डाली और नीचे दबाकर पूरा निगल ली और ऊपर नीचे होकर उसके पूरे लौंडे को महसूस करके बोली: हाय्य्य्य्य मस्त है रे बेटा तेरा। उइइइइइइइइ । क्या तुमने अपने पापा मम्मी की भी चुदाई देखी है।

वो: हाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽंनन कई बाऽऽऽऽऽर देखी है उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़। मम्मी क्या मस्त लग रहा है। और ज़ोर से चोओओओओओओओओदो । अब वो नीचे से अपनी क़मर भी उछालने लगा और मम्मी की बच्चेदानी तक अपना लौड़ा पेलने लगा। अब मम्मी भी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर उछल रहीं थीं। फिर वह हाँफकर बोलीं: आऽऽह बेटा अब तू ऊपर आकर अपनी माँ को चोद ना।

वो मम्मी को लपेटे हुए पलटा और ऊपर आकर मम्मी की ज़बरदस्त चुदाई करने लगा। अब वी क़रीब २५ मिनट मम्मी को चोदा और मम्मी तीन बार झड़ीं। जब वो भी झड़ा तो मम्मी ने चैन की साँस ली और कहा: उफ़्फ़्फ इतनी सी उम्र में ही पूरे साँड़ हो गए हुए तुम। आऽऽह क्या चोदा है। जानते हो आजतक मेरी ऐसी चुदाई कभी नहीं हुई है।

वो: मम्मी मुझे भी बहुत मज़ा आया।

मम्मी: आजतक कितनी अंटियाँ चोद चुके हो?

वो: सिर्फ़ एक और वो मेरी मम्मी की दोस्त है। मैं उनको भी मम्मी बोलकर ही चोदता हूँ। पर उनको मिलना बहुत मुश्किल है क्योंकि वो अक्सर विदेश में ही रहती हैं। हाँ जब आतीं हैं तो एक दो बार ज़रूर से चुदवाती हैं। उन्होंने ही मुझे चोदना सिखाया है। वो मेरी मम्मी को भी हिंट दे चुकी हैं कि मैं उनका बेटा और आशिक़ दोनों हूँ। पर मम्मी उनकी बात को गम्भीरता से नहीं लेतीं। बस हँस देती हैं।

मम्मी: ओह चलो शायद कभी वो मान जाएँ और तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाए।

तुषार: देखें कब मेरी इच्छा पूरी होती है। यह कहकर वो मम्मी की गाँड़ पर हाथ फेरकर बोला: आप लोगों की इस उम्र में गाँड़ मस्त बड़ी हो जाती हैं। मम्मी और आंटी की भी ऐसी ही हैं। फिर वो उनकी गाँड़ के छेद को सहलाया और फिर एक ऊँगली डाला और बोला: मम्मी गाँड़ मरवाती हैं क्या?

मम्मी: अरे बेटा लोग पैसा देंगे तो गाँड़ नहीं मारेंगे क्या? सब लोग तीनों छेदों का मज़ा लेते हैं पैसा देते हैं तो।

तुषार: तो मम्मी मैं भी मार लूँ क्या? वो अपनी ऊँगली अंदर बाहर करते हुए बोला।

मम्मी: मार ले बेटा बस कुछ तेल या क्रीम लगा लेना।

तुषार उठा और जाकर बाथरूम से क्रीम लेकर आया और मम्मी को देकर बोला: लो आप लगा लो क्रीम।

वो अब बिस्तर पर लेट गया था। उसका लौड़ा आधा ही खड़ा था। मम्मी ने पहले उसे चूसना शुरू किया और क़रीब दस मिनट की चुसाई के बाद वो पूरा अकड़ गया था। तब उन्होंने बड़े प्यार से उस पर क्रीम लगाई। अब
तुषार उठा और मम्मी को घोड़ी बनने को कहा। वो अपनी गाँड़ उठाकर घोड़ी बनी और तुषार ने उनके चूतडों पर चुंबनों की झड़ी लगा दी। मम्मी भी मस्त होकर उंन्न्न्न्न्न कर उठी। अब वो चूतडों को फैलाया और गाँड़ के छेद को जीभ से चाटने लगा। मम्मी उइइइइइइइ कर उठी। फिर वो क्रीम लेकर अपनी दो उँगलियों में मलकर उनकी छेद में घूसेड़ा और मज़े से अंदर बाहर करने लगा। अब वो बोला: आऽऽऽऽह मम्मी क्या मस्त टाइट गाँड़ है आपकी, बहुत मज़ा आएगा मारने में।

अब वह अपने सुपाड़े को छेद में लगाया और अंदर की ओर दबाकर मम्मी को हाऽऽऽऽय कहने पर मजबूर कर दिया। अब वो एक दो बार आधा लंड अंदर बाहर किया और फिर पूरी ताक़त से अपना लौड़ा अंदर पेल दिया। मम्मी : उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बेएएएएएएएटा धीरे से आऽऽऽहहह।

अब तुषार ने अपनी चुदाई चालू की। वो मम्मी की बड़ी बड़ी चूचियाँ जो नीचे को लटक रहीं थीं दबाए जा रहा था और ठप्प ठप्प की आवाज़ के साथ गाँड़ मारे भी जा रहा था। मम्मी उईओईईईई आऽऽऽऽह चिल्ला रही थी।

तभी वो अपनी दो ऊँगली नीचे लेज़ाकर उनकी चूत में डाला और अंदर बाहर करने लगा। मम्मी का मजा दुगुना हो चला था। वो अब उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बेटाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽड़ दे मेरी गाँड़ चिल्ला रही थी। तुषार ने किसी अनुभवी खिलाड़ी के माफ़िक़ अब मम्मी की क्लिट को सहलाना शुरू किया और अब मम्मी के लिए रूकना असम्भव हो गया और मैं गयीइइइइइइइइइ बेटाआऽऽऽऽऽऽऽऽ कहके झड़ने लगी।

उधर तुषार भी मज़े से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाकर बोला: आऽऽऽह मम्मी मैं भी झड़ने वाला हूँ।

मम्मी: आऽऽऽऽऽऽऽह बेटा पानी मेरे मुँह में दे दे ना प्लीज़ ।

अब उसने गाँड़ से लौड़ा बाहर निकाला और हाथ से हिलाकर मम्मी के मुँह में अपना पानी छोड़ने लगा। मम्मी भी वासना के ज्वार में मस्ती से गाढ़ा सफ़ेद रस पीती चली गयी।

अब वो भी मम्मी के बग़ल में निढाल होकर गिर गया।

मम्मी उसकी छाती सहलाकर बोली: बेटा आज दो बात हुई। एक तो मैंने इतना प्यारा लंड देखा और इतना स्वाद रस पिया।

तुषार मम्मी की चूचियाँ दबाकर: मम्मी मुझे भी आज तक इतना मज़ा नहीं आया चुदाई में जितना आपने आज दिया। अब फिर कब मिलेंगी?

मम्मी: बेटा मैं तो तुम्हारी ग़ुलाम हूँ तुमने पैसे जो दिए हैं। जब बुलाओगे हाज़िर हो जाऊँगी। ठीक है ना मेरे प्यारे बेटे? यह कहते हुए वो उसकी छाती को चूमने लगी।

दोनों लिपटकर सो गए और एक घंटे बाद शेंपेन का दौर चला और चुदाई का भी।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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उस दिन जब मम्मी वापस घर आयीं तो ठीक से चल भी नहीं पा रहीं थीं। मेरे पूछने पर उन्होंने मुझे ये सब बताया जो कि मैंने अभी आपको बताया।

राजीव: वाह बड़ी सेक्सी है तुम्हारी मम्मी। तो क्या अब भी वो उस लड़के से चुदवा रहीं हैं ।

लिली: नहीं अब नहीं। वो मम्मी को दो साल तक चोदा। फिर एक दिन उसका फ़ोन आया कि माल में मिलो। जब वो वहाँ पहुँचीं तो देखा कि वो एक अधेड़ सुंदर और भरे हुई बदन वाली औरत के साथ आ रहा था। उसने उस औरत को अपने से चिपका सा रखा था। मम्मी को जलन सी हुई। पास आने पर तुषार ने मम्मी से कहा: आंटी मेरी मम्मी से मिलो। मम्मी ये मेरी वही आंटी है जिनको मैं मम्मी बोलकर करता था।

उसकी मम्मी ने हाथ बढ़ाकर मेरी मम्मी को पकड़ा और कहा: आपका बहुत धन्यवाद है जो इतने दिन इसका ख़याल रखा। अब हम दोनों समझ गए हैं कि हम एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं। इसलिए अब मैं इसका ख़याल रखूँगी।

तुषार: आंटी , मम्मी आजकल मेरे से चुदवा रहीं हैं । इसलिए अब आपसे मिलना नहीं होगा। मैंने आपके अकाउंट में दस लाख डाल दिए हैं । भगवान आपको ख़ुश रखे।

मम्मी की आँख भर आयीं क्योंकि वो समझ गयी कि अब तुषार से मिलना नहीं होगा। वो तुषार और उसकी मम्मी से गले लगीं और वहाँ से वापस चलीं आयीं।

सरला: ओह तो अब कोई और तो होगा ना जो उनके साथ लगा होगा?

लिली: हाँ आंटी समय बीतता गया और मम्मी से कई लोग जुड़े और कई अलग हुए। इस बीच में मुझे भी समझ आ गया कि मेरे लिए भी यही कैरीअर बेस्ट होगा सो मैं भी मम्मी से बोली कि मुझे अब पढ़ना नहीं है और मैं भी यही करूँगी। कुछ दिन घर में टेन्शन रहा पर मम्मी मान गयीं। अब मेरे लिए प्लान बनने लगा। मम्मी बोली: बेटी तू तो अभी कुँवारी है, तुझे तो पहली चुदाई के ही मस्त दाम मिलने चाहिए। मैं कुछ सोचती हूँ।

फिर मम्मी ने कुछ लोगों से बात की। वो वही थे जो उनके साथ जुड़े हुए थे। उन लोगों में एक दलाल भी था। उसके द्वारा मम्मी को कई बार कई ख़ास लोग चोद चुके थे। वो बोलीं कि मैं इससे बात करती हूँ ताकि मुझे अच्छे दाम दिलवा सके।

मम्मी ने मेरे सामने ही उसे फ़ोन किया और फ़ोन को स्पीकर मोड में रखकर बोलीं: हाँ मैं भी बोल रही हूँ। अरे वो मेरी बेटी है ना लिली वो अब १९ साल की हो गयी है । वो भी इसी लाइन में आना चाहती है। वो अभी कुँवारी है। कोई है जो आराम से उसकी सील खोले और अच्छे पैसे भी दे देगे ?

उधर से दलाल: हाँ हाँ आज ही डिमांड आयी है। एक स्वामी जी हैं वो बताए हैं कि उनको एक मस्त जवान कुँवारी लड़की चाहिए एक हफ़्ते के लिए। वो एक लाख देने को तय्यार हैं। वो कह रहे थे कि एक पूजा करवानी है किसी मंत्री के द्वारा और फिर वही मंत्री और स्वामी उसकी बारी बारी से चुदाई करेंगे। एक हफ़्ते में लड़की घर वापस आ सकती है।

मम्मी ने मेरी तरफ़ प्रश्न सूचक निगाह से देखा तो मैंने हाँ में सिर हिला दिया। मेरी बुर तो मम्मी की चुदाई देख देख कर प्यासी थी मुझे वहाँ खुजली सी होने लगी।

मम्मी: पर एक हफ़्ते के लिए वो भी दो दो आदमी। पैसे बढ़ाओ ना।

दलाल: अच्छा मैं उनको डेढ़ लाख के लिए राजी कर लूँगा। पर जाना आज शाम को ही होगा। और बिटिया को पार्लर वगेरह ले जाना। मस्त चमकनी चाहिए । आख़िर बड़े लोग हैं।

मम्मी: ठीक है शाम को ६ बजे के बाद ले जाना और हाँ पैसा लेते आना। यह कहकर मम्मी ने फ़ोन काट दिया।

मम्मी: बेटी अब जाकर अपनी झाँटे वगेरह साफ़ कर ले और पार्लर जाकर आ जाओ। और कुछ अच्छे सेक्सी कपड़े भी लेने होंगे। मैं साथ चलूँगी।

फिर मैंने अपने झाँटों और बग़ल के बाल साफ़ किए और बाद में मम्मी के साथ पार्लर गयी। वहाँ हाथ पैरों और मुँह के बाल भी साफ़ करवाई । बाद में मम्मी के साथ शॉपिंग की और छोटे छोटे गाउन और सेक्सी अंडर गर्मेंट्स ख़रीदे। सेल्ज़ गर्ल हैरानी से देख रही थी कि कैसी माँ है जो अपनी बेटी को ऐसे सेक्सी पैंटी और ब्रा दिलवा रही है? ट्राइयल रूम में माँ ने चेक किया कि मेरे आधे ३४ साइज़ के दूध ब्रा से बाहर थे या नहीं और पैंटी से मेरी बुर की फाँकें छोड़कर सब दिखता है या नहीं?

ख़ैर शाम को मैं नहा धो कर तय्यार हुई और एक सेक्सी स्लीव्लेस टॉप पहनी जिसमें से मेरी चूचियों की घाटियाँ साफ़ दिख रही थी और नीचे एक स्कर्ट पहना। मम्मी: मस्त माल दिख रही है। उस स्वामी और मंत्री का तो तुझे देखकर ही झड़ जाएगा।

इस बात पर हम दोनों हँसने लगे। मेरी बुर अभी से पनिया रही थी। तभी वो दलाल आया और मम्मी को पैसे दिया और मुझसे बोला: चलें?

मम्मी: शंकर ध्यान से ले जाना मेरी बिटिया को। आज उसका पहली बार है याद है ना?

शंकर: अरे क्यों घबरा रही हो? आज तक आपको कभी भी ग़लत आदमी से मिलवाया है क्या? फिर मुझसे बोला: चलो लिली डरो नहीं सब ठीक होगा।

शंकर एक तगड़ा आदमी था । थोड़ा गुंडा सा दिखता था और उम्र उसकी क़रीब ३५ के आसपास होगी। उसने टाइट जींस पहनी थी और उसके सामने का हिस्सा काफ़ी उठा हुआ था। शायद उसका हथियार काफ़ी बड़ा था- मैं सोचकर मस्त होने लगी। ख़ैर वो मेरे साथ टैक्सी में बैठा और मेरे जाँघ पर हाथ फेरकर बोला: लिली डरने की कोई बात नहीं है। मैं पूरे हफ़्ते आश्रम में ही रहूँगा और तुमको कोई तकलीफ़ हुई तो मुझे फ़ोन कर लेना। उसने अपना नम्बर देते हुए मेरी जाँघों के अंदर हाथ डाला और पैंटी के ऊपर से मेरी बुर को मसल दिया।

मैं धीरे से उफफ़्फ़्फ़्फ करके ड्राइवर की ओर इशारा की।

वो हँसकर बोला: अरे ये तो अपना यार है। कभी मुँह नहीं खोलता। तुम ज़रा स्कर्ट ऊपर करो ना मैं ऊँगली डालकर देखता हूँ कि कुँवारी बुर कसी हुई है या नहीं? बहुत दिन हो ग़ये कोई कुँवारी बुर को छुए।

मैं शर्मा कर अपनी जाँघों को चौड़ा करी और उसकी उँगलियाँ पैंटी को साइड करके बुर के अंदर दाख़िल होने की कोशिश की और मेरी आऽऽऽऽह निकल गयी।

वो बोला: उफ़्फ़्फ़्फ क्या मस्त कुँवारी बुर है। साला मंत्री और स्वामी को तो मज़ा ही आ जाएगा। फिर वो ऊँगली बाहर करके चाटा और बोला: म्म्म्म्म मस्त स्वाद है।

मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया। फिर वो मेरी चूचि तो टॉप के ऊपर से दबाया और बोला: उफ़्फ़्फ क्या सख़्त अनार हैं। ये लो मेरा भी महसूस करो। ये कहकर उसने मेरा हाथ अपने पैंट के ऊपर से अपने लौड़े पर रख दिया और मेरे अंदर मानो करेंट दौड़ गया। उफ़्फ़्फ़्फ कितना मोटा और लम्बा लौड़ा था उसका। फिर वो बोला: लिली बाद में मुझसे भी चुदवा लेना प्लीज़। पर मैं तुमको पैसे नहीं दे पाउँगा ।

मैंने कोई जवाब नहीं दिया और हाथ वहाँ से हटा ली।

वह बोला: लिली मैंने तुम्हारी मम्मी को भी कई बार चोदा है वो भी बिना पैसे के। उनको मेरा लौड़ा बहुत पसंद है। तुम भी एक बार चुदवा लोगी तो मेरी दीवानी हो जाओगी।

तभी आश्रम आ गया। वह आश्रम शहर के बाहर बड़ी सी जगह पर बना हुआ था।

आश्रम के अंदर जाते ही मुझे एक औरत के हवाले कर शंकर वहाँ से चला गया। उस औरत का नाम शांति था। वो बोली: आओ बेटी तुमको अपना कमरा दिखा देती हूँ। पूरे आश्रम की सजावट देखते ही बनती थी। बहुत सुंदर ए सी रूम में मुझे सेटल होने को कह कर शांति चली गयी। मैं फ़्रेश हो कर बिस्तर पर लेटी और नींद में समा गयी। अचानक कोई मुझे हिलाया तो सामने शांति खड़ी थी वो बोली: चलो अब तय्यार हो जाओ अभी पूजा में भाग लेना होगा। उसने मुझे एक साड़ी दी और कहा कि बस यही पहनोगी और अंदर से कुछ नहीं।

मैं: अंडर गारमेंट और ब्लाउस?

शांति: नहीं नहीं पूजा में बस ये पवित्र सफ़ेद साड़ी हो पहनोगी।

मैं थोड़ा सा परेशान हुई फिर सोचा कि क्या फ़र्क़ पड़ता है । चुदवाने के लिए तो ये साड़ी भी उतारनी ही पड़ेगी। मैं बाथरूम में गयी और फ़्रेश होकर सिर्फ़ साड़ी में तय्यार होकर अपने आप को शीशे में देखा। उफ़्फ़्फ क्या लग रही थी। बड़े बड़े अनार से बूब्ज़ बिलकुल तने हुए गोल गोल से साफ़ दिख रहे थे। उत्तेजित निपल्ज़ तने हुए साड़ी से साफ़ नज़र आ रहे थे। शीशे में उसने अपने पिछवाड़े को देखा और ख़ुद ही शर्मा गयी ।उफ़्फ़्फ क्या मस्त लग रहे थे उसके गोल गोल चूतड़ बिना पेटिकोट और पैंटी के। शांति उसे देखकर मुस्कुराई और बोली: वाह बेटी बहुत सुंदर दिखाई दे रही हो। स्वामी जी और मंत्री जी तो पागल ही हो जाएँगे।

शांति उसे बाहर आने का इशारा की और मैं उसके पीछे चल पड़ी। अब हम एक हाल में पहुँचे तो वहाँ एक आसन लगा था और स्वामीजी बैठे थे। उनके कई भक्त भी बैठे थे। जैसे ही मैं पहुँचे तो सभी आदमियों की आँखे मेरे बदन से चिपक गयीं । और उनमें वासना साफ़ दिखाई दे रही थी। मेरे निपल्ज़ और कड़े हो गए। साथ ही वहाँ मौजूद औरतों की आँखों में जलन भी स्पष्ट दिख रही थीं। अब स्वामी जी जो ऊपर से पूरे नंगे थे और उनकी छाती बालों से भरी थीं, उनकी उम्र यही कोई ४५ के आसपास थी , मुझे देखे और मुस्कुराए और बोले: आओ बेटी आओ। यहाँ बैठो। वो एक आसन की ओर इशारा करके बोले। सामने एक हवन कुंड में आग जल रही थी।

अब स्वामी जी बोले: बेटी तुम्हारा नाम लिली है ना?

मैं: जी स्वामीजी।
वो मेरे निपल्ज़ को घूरते हुए धीरे से पूछे: बेटी कुँवारी हो ना? ये पूजा किसी कुँवारी लड़की के हाथ से ही सम्पन्न हो सकती है।

मैं शर्मा कर हाँ में सिर हिला दिया। वो अपनी धोती में शायद लंड ठीक करके बोले: शांति जाओ मंत्री जी को बुला लाओ।

स्वामी जी ने मंत्र पढ़ना शुरू किया। तभी मंत्री जी आ गए वो एक पाजामा पहने थे और ऊपर से वो एक चादर ही ले रखे थे। उनकी उम्र क़रीब ५५ साल की थी। वो भी काफ़ी तगड़े मर्द लग रहे थे। उनकी निगाह मुझ पर पड़ी और मेरी चूचियों से उनकी आँख नहीं उठ पा रही थी। स्वामी जी बोले: आइए मंत्री जी यहाँ बैठिए।

मंत्री भी हवन कुंड के सामने बैठ गया। उसकी नज़र बार बार मेरे निपल पर जा रही थी। स्वामी जी ने क़रीब एक घंटा पूजा की। और मेरे हाथों से हवन में सामग्री भी डलवाई।मेरे स्तन कई बार नंगे हो जाते सब हवन सामग्री कुंड में डालती। मंत्री और स्वामी दोनों शायद मज़े ले रहे थे। बाद में उन्होंने मेरे माथे में टीका लगाया और सबको कहा: भक्तों पूजा समाप्त हुई। आप लोग प्रसाद लो और अपने अपने घर जाओ। सब चले गए और अब मैं मंत्री और स्वामी वहाँ रह गए।

स्वामी: मंत्री जी पूजा इस कुँवारी लड़की के हाथों सम्पन्न हुई है। अब आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

मंत्री मेरी चूचियाँ घूरते हुए: स्वामी जी आपके होते हमारा कोई क्या बिगाड़ लेगा। पर ये बताइए कि इस कुँवारी कन्या का प्रसाद कब मिलेगा?

स्वामी: अभी ले जाओ और खा लो।

मंत्री: पर स्वामी जी आप मेरा जुठा प्रसाद खाएँगे? मुझे आपका जुठा प्रसाद खाना चाहिए।

स्वामी: भक्त जैसा तुम चाहो। वैसे पहले तुम ही चख लो इस प्रसाद को।

मंत्री अपने होंठ पर जीभ फेरकर : ठीक है स्वामी जी। मुझे भी कई बरस हो गए किसी कुँवारी की सील खोले।

स्वामी: ठीक है आप अपनी इच्छा पूरी कर लो। जाओ बेटी इनके साथ और आज अपनी कुँवारी जवानी इन पर लुटा दो।

मेरा बस चलता तो मैं उस बूढ़े मंत्री के बजाय स्वामी से ही चुदवाती। पर मेरा तो सौदा हो चुका था और वो जैसे चाहते वैसा कर सकते थे मेरे साथ।

राजीव: तो तुम्हारी सील मंत्री ने खोली? ——
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