बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव अलग होकर उसपर झुका और एक एक चूचि को बारी बारी से चूसा और बोला: पहले दूध पिता हूँ फिर चाय पीऊँगा।

चारु हँसकर अपने कपड़े उठाकर भाग गयी । और तौलिया लेकर राजीव बाथरूम में घुसा।

थोड़ी देर बाद दोनों चाय पीते हुए बात करने लगे।

चारु: अंकल मैं जल्दी से नाश्ता बनाती हूँ फिर हम गुड़िया को देखने जाएँगे।

राजीव: हाँ ज़रूर। बाई को आने में अभी आधा घंटा है, चलो साथ में नहा लेते है।

चारु: धत्त मुझे शर्म आएगी।

राजीव: अरे मालिनी तो मेरे साथ कई बार नहाई है। वो तो बहुत मज़ा करती है। और हाँ एक बात सुन लो अगर शर्माते रहोगी तो जवानी का मज़ा नहीं ले पाओगी। चलो अभी नहाते है।

वो चारु को उठाया हाथ पकड़कर, और वो चुपचाप उठ गयी और दोनों बाथरूम की ओर चल पड़े। वहाँ पहुँचकर राजीव ने चारु का टॉप उतारा और उसका पाजामा भी निकाल दिया। अब वो ब्रा और पैंटी में क़ातिल लग रही थी। वो ख़ुद भी एक झटके में अपनी लूँगी उतारा और नंगा होकर चारु का हाथ पकड़कर शॉवर के नीचे खड़ा हो गया। फिर वो उसकी ब्रा और पैंटी निकाल दिया।अब वो उसे अपनी बाहों में भींचा और बोला: बिटिया क्या मस्त जवानी आइ है तुमपर। उफ़्फ़ एक एक अंग जैसे साँचे में ढला है। वो उसकी कमर सहलाकर और चूची दबाकर बोला। फिर उसने शॉवर चालू किया। अब दोनों उसमें भीगने लगे। राजीव का लौड़ा खड़ा होकर उसके पेट पर नाभि के पास ठोकर मार रहा था। वो अब गरम होने लगी थी। उसकी चूचियों के निपल्ज़ अब पूरे खड़े हो गए थे। उसकी बुर भीगने लगी थी।

अब राजीव उसके होंठ चूसने लगा। और उसके हाथ उसकी कमर पीठ और गाँड़ में घूमने लगे। अब वो शॉवर को बंद किया और बोला: पहले मैं तुमको साबुन लगाता हूँ फिर तुम मुझे लगाना। यह कहकर वो साबुन लेकर उसके गले से लेकर उसकी छातियाँ और पेट और पेड़ू तक साबुन लगाया। चारु की मज़े से सिसकियाँ निकल गयीं । अब वो उसके पीठ और गाँड़ में भी साबुन लगाया। फिर वो एक स्टूल लेकर सामने बैठ गया और उसके एक पैर को उठाकर नीचे से लेकर ऊपर जाँघ तक साबुन लगाया और फिर दूसरे पैर में भी वही किया। उसकी बुर पानी से भीगी उसके मुँह के सामने थी। वो उसे ३/४ बार चूमा और फिर उसे दोनों हाथों से अच्छे से फैलाया और अंदर लाल हुई बुर को देखकर बोला: बिटिया अब तो ठीक ही दिख रही है। कल तो काफ़ी फटी हुई और घायल दिख रही थी।

चारु: अंकल वो आप क्रीम लगाए थे ना उससे बड़ा आराम मिला था।

राजीव: ठीक है बेटी अभी नहाने के बाद एक बार और लगा दूँगा। अब वो साबुन से उसकी बुर को साफ़ किया और फिर उसे घुमाकर उसकी मस्तानी गोल गोल गाँड़ पर साबुन लगाया। फिर उसने कहा: बिटिया ज़रा अपनी गाँड़ फैलाना तो मुझे यहाँ भी सफ़ाई करनी है।

चारु अब तक मस्त गरम हो चुकी थी। उसने अपनी गाँड़ दोनों हाथों से फैलायी और राजीव उसकी भूरी सिकुड़ी हुई मस्त गाँड़ के छेद को देखकर दीवाना सा हो गया। अब वो साबुन लेकर पूरे गाँड़ की दरार को साफ़ किया और अपनी उँगलियाँ उसके छेद पर रखकर उसे सहलाते हुए बड़ी देर तक साफ़ किया।

उफफफफ क्या दृश्य था – एक १८/१९ साल की लड़की अपनी गाँड़ फैलाकर एक ५०/५२ साल के आदमी से अपनी गाँड़ मस्ती कर रही थी।

राजीव भी बड़ी देर तक चारु की चिकनी गाँड़ का मज़ा लिया और बोला: बिटिया, पता है मालिनी इस छेद में भी मज़े से मेरा और शिवा का लौड़ा ले लेती है। यह कहकर वो साबुन लगी हुई अपनी मोटी सी ऊँगली उसके गाँड़ के छेद में थोड़ा सा घुसेड़ दिया। चारु उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अंकल कर उठी। दर्द के साथ उसे कुछ अजीब सी फ़ीलिंग़स भी हुई। अब राजीव अपनी एक ऊँगली उसकी गाँड़ में अंदर बाहर करते हुए उसे मस्ती से भरने लगा। कुछ देर बाद चारु बोली: आऽऽऽह अंकल अब जलन हो रही है और देर भी । हमको अस्पताल जाना है ना।

राजीव ने अपनी ऊँगली निकाली और उसे सूँघा और बोला: आऽऽऽह बिटिया क्या ख़ुशबू है तुम्हारी गाँड़ की। फिर वो खड़ा हुआ तो चारु ने देखा कि उसके मोटे लौड़े के मुँह पर एक सफ़ेद सी बूँद लगी थी प्रीकम की। पता नही चारु को क्या हुआ कि वो झुकी और उस प्रीकम को चाट ली। राजीव उसको चूम लिया और बोला: कैसा टेस्ट है इसका?

वो: म्म्म्म्म्म मस्त है अंकल। अब मैं आपको साबुन लगा दूँ?

राजीव ने एक बार शॉवर लिया और बोला: हाँ अब लगाओ।

चारु अब उसकी छाती पर साबुन लगायी और फिर उसके निपल्ज़ को भी मसली। राजीव ह्ह्ह्ह्ह्ह्म्म्म्म कर उठा। अब वो उसके हाथ पेट और पीठ पर भी साबुन मली । अब वो भी नीचे स्टूल पर बैठी और उसकी टाँग और जाँघ में साबुन लगायी और बोली: अंकल आपके कितने बाल है सब जगह?

राजीव मुस्कुराया और उसे साबुन लगाता देखने लगा और उसका लौड़ा अब उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था । अब वो साबुन लेकर उसके पेड़ू और लंड के आसपास की जगह में साबुन लगायी। फिर उसने लौड़े को हाथ में लेकर उसे मूठियाते हुए साबुन लगाया। राजीव आऽऽऽह कर उठा। उसके नाज़ुक हाथ में उसका मोटा लौड़ा तो मानो समा ही नहीं रहा था। अब वो उसके बॉल्ज़ भी साफ़ की। और नीचे हाथ ले जाकर उसकी बॉल्ज़ के निचले हिस्से को भी साफ़ किया। फिर वो बोली: अंकल ज़रा घूमिए तो।

राजीव उलटा हो गया। अब उसके बालों से भरे हुए ठोस गोल गाँड़ उसके सामने थे। वो साबुन लेकर वहाँ मलने लगी और फिर उसकी दरार में हाथ डालकर सफ़ाई की। उसका हाथ उसके छेद पर भी पड़ा । राजीव आऽऽह कर उठा । चारु अब खड़ी हो गयी और शॉवर चालू की। अब दोनों एक दूसरे के बदन से साबुन साफ़ करने में लग गए। राजीव मस्ती में आकर उसके चिकने बदन के एक एक हिस्से को सहलाया और दबाया और चारु भी उसके सभी अंगों की सफ़ाई की।

अब राजीव फिर से नीचे बैठा और हैंड शॉवर से उसकी बुर को साफ़ किया और फिर मस्ती में आकर उसे चूमने और चाटने लगा। अब उसकी जीभ बाहर आकर उसकी बुर को मस्ती से चाटने लगी। और चारु भी मस्ती में आकर अपनी उसके सिर को अपनी बुर पर दबाने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अंकल वह चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽहहहह । तभी राजीव उसको उलटा घुमाया और बोला: बिटिया ज़रा दीवाल पकड़कर अपनी गाँड़ उठाके सामने की ओर झुको ना।

चारु उत्तेजना वश मुड़कर दीवाल का सहारा लेकर अपनी गाँड़ उठाई और झुक गयी। अब राजीव पीछे से उसकी गाँड़ फैलाकर अपनी जीभ उसकी दरार में डाला और कुछ देर उसके पिछवाड़े के छेद को चाटा और फिर सामने के छेद में भी जीभ चलाने लगा। उसकी एक ऊँगली अब उसके क्लिट के दाने को भी सहला रही थी। जल्दी ही वो आऽऽऽऽऽऽहहह अंकल मैं तो गयीइइइइइइइइइइ कहकर अपनी बुर पीछे करके उसके मुँह पर रगड़ने लगी और झड़ती चली गयी। राजीव मस्ती से उसका पानी पीने लगा।

अब वो हाँफते हुए खड़ी हुई और दीवाल के सहारे टिक गयी। अभी भी वो लम्बी लम्बी साँस ले रही थी। अब राजीव उसे पकड़कर स्टूल पर बिठाया और उसके सामने अपना लंड जो बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रहा था लेकर आया। चारु ने अपना मुँह खोला और उसको एक हाथ से पकड़कर चूसने लगी। नमकीन प्रीकम से वो मस्त होने लगी। राजीव ने उसका दूसरा हाथ अपने बॉल्ज़ पर रखा और वो एक हाथ से बड़े बड़े बॉल्ज़ सहलाते हुए उसका मस्त लंड चूसने लगी। उसकी आँखें मस्ती से बंद थीं। जल्दी ही राजीव भीअपनी कमर हिलाकर आऽऽऽहह बिटिया आऽऽऽऽऽऽऽ राआऽऽऽऽऽऽऽनी कहते हुए वो झटके से उसके मुँह में अपना वीर्य गिराने लगा और बोला: आऽऽऽऽह बिटिया पीइइइइइइइइ लोओओओओओओओ इसकोओओओओओ।

चारु को कहाँ कुछ कहने की ज़रूरत थी वो ख़ुद ही मज़े से उसे गटकने लगी। अब राजीव आऽऽऽह करके अलग हुआ। अब चारु भी खड़ी हुई और पूछी: अंकल मुझे चूसना आ गया ना?

राजीव मस्त होकर उसके होंठ चूसते हुए बोला: आऽऽऽऽह मेरी रानी बिटिया, अरे मस्त चूसती हो तुम।

फिर वो उसे शॉवर के नीचे लाया और एक और बार दोनों ने स्नान किया और फिर तौलिए से एक दूसरे का बदन पोंछकर। बाहर आए। अब वो हँसकर अपने कमरे में भाग गयी।

अभी राजीव ने कपड़े पहने ही थे कि काम वाली आ गयी। उसने और चारु ने जल्दी से नाश्ता बनाया और राजीव और चारु ने खाकर मालिनी के लिए नाश्ता लिया और जल्दी से अस्पताल के लिए चले गए।

रास्ते में कार में राजीव बोला: आज बहुत मस्त लग रही हो। काले टॉप में । देखो तुम्हारी बाहें कितनी सुंदर दिख रही हैं। और जींस में तुम्हारी जाँघें भी मस्त दिख रही हैं । और एक बात बोलूँ?

चारु आँख मटका कर: वो भी बोल ही दीजिए।

राजीव : जब तुम मेरे आगे चल रही थी तो क़सम से तुम्हारी जींस में फँसी हुई गोल गाँड़ देखकर मेरा लंड झटका मारने लगा था।

चारु हँसी और उसके लंड को पैंट के ऊपर से दबाकर बोली: इसको और काम ही क्या है झटके मारने के सिवा?

दोनों हँसने लगे। तब चारु बोली: वैसे अंकल एक बात बोलूँ, आप बुरा तो नहीं मानोगे?

राजीव उसकी जाँघ सहला कर: अरे नहीं बिटिया बोलो ना जो भी बोलना है।

चारु: अंकल आप वो जो मेरी पीछे चाट रहे थे आपको गंदा नहीं लगता?

राजीव: अरे बिटिया रानी, वो तुम्हारी गाँड़ का छेद तो मस्ती का पिटारा है। उसमें जो मज़ा है वो बयान करना मुश्किल है। इतनी स्वाद है तुम्हारी गाँड़ क्या बताऊँ? और हाँ जो तुम गंदी होने की बात कर रही हो तो मैंने उसे अच्छी तरह से साबुन से साफ़ करके ही चाटा था। सफ़ाई होने के बाद कुछ भी गंदा नहीं होता बस सेक्सी होता है। समझी?

चारु: ओह ऐसा है क्या?

राजीव: अच्छा ये बताओ कि तुमको मज़ा आया कि नहीं जब मैंने तुम्हारा पिछवाड़ा चाटा?

चारु ने शर्मा कर सिर को हाँ में हिलाया।

राजीव: बिटिया जब एक ऊँगली से इतना मज़ा मिला तो जब उसमें मेरा लौड़ा जाएगा तो सोचो कितना मज़ा आएगा।

चारु शर्माकर कार के बाहर देखने लगी।

तभी अस्पताल आ गया।

जब वो अस्पताल के कमरे में घुसे तो वहाँ मालिनी लेटी हुई थी और अभी शिवा उससे बातें कर रहा था । मुन्नी बग़ल के बिस्तर पर बैठी अपने मोबाइल में गेम खेल रही थी।

राजीव को देखकर मालिनी का चेहरा खिल उठा और राजीव को देखकर शिवा उठ गया और राजीव उसकी जगह बैठकर मालिनी के माथे और गाल को चूमा और बोला: बहू रानी बहुत बहुत बधाई हो। अरे हमारी गुड़िया कहाँ है?

मालिनी: आपको भी बधाई हो। दादा जी बन गए आप। और गुड़िया तो अभी डॉक्टर के पास ही है वो उसकी जाँच कर रहे हैं। थोड़ी देर में आएगी।

तभी चारु भी मालिनी से लिपटी और बधाई दी। सब बड़े ख़ुश नज़र आ रहे थे। तभी नर्स गुड़िया को लेकर आयी और सब उसको देखकर बहुत ख़ुश हुए । सबने उस गुड़िया को प्यार किया। अब मालिनी को नाश्ता कराया चारु ने । सब बहुत ख़ुश थे तभी गुड़िया रोने लगी। नर्स आकर बोली: चलो आप इसको दूध पिलाओ। फिर वो शिवा और राजीव से बोली: आप दोनों बाहर जाओ।

अब राजीव और शिवा बाहर आ गए और अंदर मालिनी आज पहली बार अपना दूध बच्ची को पिलाने के लिए अपना गाउन खोली और चारु की मदद से उसने अपना एक दूध ब्रा से बाहर निकाला और गुड़िया के मुँह में रखा। बहुत थोड़ा सा दूध आया और वो उसे पीने लगी। नर्स चली गयी और चारु और मुन्नी बड़े ध्यान से मालिनी को दूध पिलाते देखने लगीं। दोनों को याद आया कि जिजु और अंकल भी तो ऐसे ही उनका दूध पीते हैं । दोनों मस्त होकर देख रहीं थीं। चारु: दीदी आपके दूध कितने बड़े हो गए हैं। जब आप हमारे साथ रहती थीं तो काफ़ी छोटे थे।

मालिनी मुस्करायी: शादी के बाद तेरे जिजु ने दबा दबा कर बड़े कर दिए। और अब गुड़िया के होने के समय और बड़े हो गए हैं ।

चारु मन ही मन में मुस्करायी-- वाह दीदी सिर्फ़ जिजु ने दबाया है और अंकल ने नहीं? उसे याद था कि कैसे जिजु और अंकल दोनों दीदी को मज़ा से रहे थे।

अचानक मालिनी ने ऐसा दिखाया कि गुड़िया का दूध पीना हो गया और बोली: जा तेरे जिजु और पापा को अंदर भेज दे और तुम दोनों कुछ मिनट के लिए बाहर रुको। वह अपने दूध को गाउन से छुपा कर बोली।

मुन्नी और चारु बाहर गए और फिर शिवा और राजीव अंदर आए।

राजीव पास बैठ कर: क्या हुआ मालिनी ? सब ठीक है ना?

मालिनी ने पास खड़े शिवा का हाथ पकड़ा और साथ ही राजीव का भी हाथ पकड़ा और बोली: आप दोनों ख़ुश हो ना?

राजीव अब भावुक होकर उसके होंठ चूमकर बोला: हाँ बहू हम बहुत ख़ुश हैं । ये कैसा सवाल है?

शिवा: हाँ हाँ मालिनी हम बहुत ख़ुश हैं पगली। क्या हुआ बोलो ना? वो भी झुका और उसके होंठ और गाल चूमा।

मालिनी: वो क्या है ना, मुझे बेटे की इच्छा थी तो सोची कहीं आप लोग भी तो निराश ना जो गए बेटी के होने से ।

राजीव : अरे नहीं बेटी ऐसा कुछ भी नहीं है। हम सब बहुत ख़ुश हैं।

मालिनी ख़ुशी से रो पड़ी और दोनों उसे चूमने प्यार करने लगे।

( उधर बाहर चारु को पड़ी थी कि अंदर क्या हो रहा है? वो मुन्नी को बोली: थोड़ा कॉफ़ी पीने का मन हो रहा है ला दोगी क्या?

मुन्नी हाँ कहकर कॉफ़ी लेने चली गयी अस्पताल के केंटीन में। अब चारु चुपके से अंदर जाकर खिड़की से अंदर झाँकी और उसी समय दोनों मर्द मालिनी को प्यार कर रहे थे। वो देखने लगी। )

मालिनी भी उन दोनों को चुमी और फिर आँसू पोंछकर बोली: चलो आपकी गुड़िया को दूध पिलाती हूँ आप दोनों देखो।

वह अपना गाउन खोली और एक दूध बाहर निकाली और अपना निपल गुड़िया के मुँह में लगा दी। गुड़िया उसको पीने लगी। दोनों मर्द मज़े से ये दृश्य देख रहे थे।

मालिनी: आप दोनों सोच रहे हो ना कि ये दूध आपको कब मिलेगा?

शिवा: हाँ बताओ ना कब मिलेगा ?

राजीव: बेटी घर जाकर हम लोगों को पिला देना। ठीक है?

मालिनी : नहीं पापा थोड़ा अभी ही टेस्ट कर लो आप दोनों। यह कहकर वो गुड़िया को लिटा दी। अब वो अपनी ब्रा से दूसरा दूध भी बाहर निकाली और अब दोनों मर्दों के सामने उसके बड़े बड़े स्तन थे जो दूध से भरे हुए थे। उसने अपने एक एक स्तन को अपने हाथ में पकड़ा और कहा: चलो आप दोनों टेस्ट कर लो। पर थोड़ा सा ही पीना। बाक़ी गुड़िया के लिए छोड़ देना।

चारु की आँखें फट सी गयीं । वो देख रही थी कि मालिनी का पति और उसका ससुर अब एक एक दूध को मुँह में लेकर पी रहे थे और मालिनी के चेहरे में ग़ज़ब की ख़ुशी दिख रही थी।
फिर वह बोली: बस अब रुको आप लोग। आज इतना ही मिलेगा। घर जाकर अच्छे से पी लेना। दोनों ने अपना मुँह दूध से हटाया और शिवा बोला: उफ़्फ़ पापा क्या स्वाद है। मम्मम।

राजीव: हाँ बहुत स्वाद है। मैंने आज बहुत दिन बाद पिया है मस्त लगा।

मालिनी: आपने तो सासु माँ का भी पिया होगा जब शिवा और दीदी हुए होंगे तो?

राजीव मुस्करा कर: हाँ बिलकुल पिया है। सविता (शिवा की माँ) मुझे रोज़ कम से कम दो बार पिलाती थी। एक बार जब मैं ऑफ़िस से शाम को आता था तब और दूसरी बार सोने के पहले मस्ती करने के समय।

अब राजीव ने प्यार से उसके दूध दबाए और कहा: बेटी आज पुरानी याद ताज़ा हो गयी।

शिवा भी उसका एक दूध दबाकर बोला: हाँ मुझे भी मस्त लगा जानू।

अब मालिनी ने अपना गाउन ठीक किया और कहा: जाओ अब उन लड़कियों को अंदर बुला लो। बेचारी बाहर खड़ी हैं।

शिवा बाहर गया तो उसके पहले ही चारु सब देखकर वहाँ से हट गयी थी। तभी मुन्नी सबके लिए कॉफ़ी एक ट्रे में लेकर आयी और शिवा उसको बड़े प्यार से थैंक्स कहा और अंदर जाकर सब कॉफ़ी पीने लगे।

थोड़ी देर बाद शिवा बोला: पापा मैं और मुन्नी घर जाकर फ़्रेश होकर आते हैं । आप और चारु यहाँ रुकोगे ना?

राजीव: हाँ हाँ क्यों नहीं बिलकुल रुकेंगे। जाओ तुम दोनों हो आओ। और आराम करके मालिनी का लंच लेकर आना।

अब शिवा और मुन्नी घर चले गए कार की चाबी लेकर। राजीव और चारु वहीं रह गए मालिनी और बच्ची के पास।

आगे क्या होगा----
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Kamini
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Kamini »

mast update
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

Kamini wrote: 11 Sep 2017 13:55mast update
thanks
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

शिवा और मुन्नी अस्पताल से बाहर आए और कार में बैठकर घर की ओर चल पड़े। रास्ते में मुन्नी बोली: जिजु मैं आपसे गुड़िया होने की ख़ुशी में एक गिफ़्ट लूँगी।

शिवा प्यार से उसकी जाँघ सहलाकर बोला: बोलो मुन्नी क्या चाहिए? जो माँगोगी मिलेगा?

मुन्नी : बाद में बताऊँगी सोच कर। वैसे मुझे एक सुंदर ड्रेस चाहिए।

शिवा: अरे तो क्या समस्या है ?अपनी दुकान है और अपनी मुन्नी है। जो ड्रेस पसंद हो ले लेना।

मुन्नी ख़ुश होकर: थैंक यू जिजु ।

शिवा: वैसे मुझे पापा बनने की ख़ुशी में क्या दोगी?

मुन्नी: मैं भला आपको क्या दे सकती हूँ?

शिवा उसकी जाँघ के बीच में हाथ डालकर बोला: ये दे देना मुन्नी।

मुन्नी उछल पड़ी और बोली: छी जिजु आप बहुत गंदे हो। बस आपको एक ही चीज़ दिखती है।

शिवा: मुन्नी यही तो असली चीज़ है जिसके सामने सब कुछ बेकार है। बस ये मिल जाए तो और कुछ नहीं चाहिए।

मुन्नी उसका हाथ हटाकर: उफफफ जिजु हाथ हटाओ।

शिवा हँसने लगा। तभी कार घर पहुँच गयी।

अंदर जाकर शिवा अपने कमरे में चला गया और मुन्नी अपने कमरे में। दोनों नहाये और शिवा हाफ़ पैंट और बनियान पहनकर बाहर आया और मुन्नी पाजामा और टॉप पहनकर बाहर आयी और किचन में जाते हुए पूछी: नाश्ता बना रही हूँ। आप इंतज़ार करो।

वह यह कहकर मटकती हुई किचन में चली गयी। शिवा तो उसके गीले बाल और पाजामे में चिपकी गोल गोल गाँड़ देखता ही रह गया। उसके लौड़े में गुदगुदी होने लगी।

वो भी उठा और जाकर किचन में मुन्नी को बोला: मैं भी मदद कर देता हूँ। बोलो क्या बना रही हो?

मुन्नी: टोस्ट और ओम्लेट बना देती हूँ।

शिवा: चलो मैं प्याज़ टमाटर काट देता हूँ। तुम तय्यारी करो।
इस तरह दोनों ने मिलकर नाश्ता बनाया। जब मुन्नी ओम्लेट तल रही थी तो शिवा उसके पीछे आकर झुका और अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में रगड़ने लगा। मुन्नी आऽऽऽऽऽऽह कर उठी। शिवा के हाथ अब उसकी दोनों चूचियों पर आ गए थे और वो उनको मस्ती से दबा रहा था। मुन्नी: आऽऽऽऽऽह जिजु छोड़ो ना।

शिवा उसकी गरदन चूमकर: आऽऽऽह क्या मस्त अमरूद हैं तुम्हारे। फिर वह उसकी गाँड़ पर अपना लौड़ा रगड़ते हुए बोला: उफफफ क्या मस्त गाँड़ है।

अब अचानक वो अपना एक हाथ उसके पाजामा के ऊपर से ही उसकी बुर पर रखा और उसको मसलते हुए बोला: आऽऽऽह मुन्नी दे दो ना।

मुन्नी सिसकी लेकर: आऽऽऽऽह । ये आप मेरी मदद कर रहे हैं? आऽऽहहह छोड़ो ना जिजु । मुन्नी की मुनिया गीली होने लगी थी।

शिवा उसे छोड़ा और नाश्ता ले जाकर बाहर टेबल पर रखा। वह भी सामान लेकर आयी और कुर्सी पर बैठने लगी। पर शिवा उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। वो ज़्यादा विरोध नहीं करी और उसे गोद में बैठते ही अपनी गाँड़ के नीचे एक कड़ी सी चीज़ का अहसास हुआ और वो जानती थी कि ये जिजु का बड़ा से लौड़ा ही था।
अब शिवा उसके मुँह में टोस्ट डाला और उसका एक टुकड़ा अपने मुँह में डाला। वह ऐसा करके ख़ुद भी नाश्ता करता रहा और मुन्नी को भी खिलाता रहा। मुन्नी की मुनिया अब क़ाबू से बाहर हो रही थी।

तभी शिवा ने एक और हरकत की। अब उसने मुन्नी को इस तरह से अपने गोद में बिठाया कि अब उसकी छाती शिवा की छाती से चिपक गयी। और उसकी मुनिया शिवा के हथियार से रगड़ खाने लगी। अब मुन्नी को लगा कि इस तरह तो वह झड़ जाएगी। वो बोली: जिजु नाश्ता हो गया है अब मुझे छोड़ दीजिए ना प्लीज़।

शिवा इसे गोद से उतार दिया और बोला: चलो अगर तुमको मज़ा नहीं आ रहा है तो कोई बात नहीं।

मुन्नी को काफ़ी ख़राब लगा कि उसे शिवा ने गोदी से उतार दिया। वो तो दिखावे के लिए ऐसा बोली थी। उसकी मुनिया को बहुत मज़ा आ रहा था शिवा के लंड से रगड़े जाने में। वह चुपचाप बर्तन उठा कर किचन में चली गयी और वहाँ जाकर अपनी बुर खुजा बैठी।

उधर शिवा अपने कमरे में गया और बिस्तर पर बैठ गया और अपनी पैंट नीचे करके अपने लौड़े को बाहर निकाला और मूठ्ठ मारने की तय्यारी करने लगा।

तभी मुन्नी अपनी बुर की खुजाल से मजबूर होकर शिवा के कमरे में जाने का सोची और कुछ बहाना भी सोच ली। पर दरवाज़ा बंद था। वो खिड़की से पर्दा हटा कर झाँकी तो उसने जो देखा कि उसके होश उड़ गए। शिवा अपने हाथ में थूक रहा था और अपने लम्बे और मोटे लौड़े पर मल रहा था। फिर वो सडका मारने लगा। उफफफ क्या लग रहा था। मुन्नी की हालत ख़स्ता होने लगी। वो अपनी बुर सहलाने लगी। फिर कुछ सोचकर वो दरवाज़ा खटखटाई। शिवा उठा और पैंट ऊपर किया और लौड़ा एडजस्ट करके दरवाज़ा खोला। वो बोला: क्या हुआ मुन्नी? कुछ काम था?

मुन्नी अंदर आकर बिस्तर पर बैठी और बोली: जिजु आपने तो बताया ही नहीं कि लंच में क्या लोगे? क्या बनाऊँ?

शिवा उसके अमरूदों को घूरकर कहा: मुन्नी खाने को तुमको ही खा जाऊँ पूरा ऊपर से नीचे। पर तुम मान ही नहीं रही हो? क्या करूँ? वो हाथ बढ़ाकर उसकी जाँघों को पाजामा के ऊपर से ही दबाकर बोला।

मुन्नी हँसकर: मुझे खाने से आपकी भूक़ नहीं मिटेगी जिजु। मैं तो लंच की बात कर रही हूँ।

शिवा जानता था कि लौंडिया को भी खुजली मची हुई है तभी वो यहाँ मेरे कमरे में आकर बिस्तर पर बैठी है। वो आगे होकर फिर से उसको अपनी गोद में खींचा और अब उसका मुँह उसके मुँह के सामने था और उसके एक एक पैर उसकी गोद के दोनों तरफ़ थे। इस अवस्था में दोनों के अंग एक दूसरे से रगड़ रहे थे। अब शिवा ने उसके दोनों अमरूदों पर हाथ रखा और उनको दबाते हुए उसके होंठ चूसने लगा। अब मुन्नी भी बहुत गरम हो चुकी थी और बिना विरोध किए चुम्बन का आनंद लेने लगी।

अब शिवा ने उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और उसे कहा: मुन्नी इसे चूसो। जल्दी ही दोनों एक दीर्घ चुम्बन में लीन हो गए। अब शिवा ने उसका टॉप उतारा और ब्रा में कसे अमरूदों को दबाया। फिर वो झुका और उसके सख़्त स्तनों को चूमने लगा। मुन्नी की आऽऽऽह निकल गयी। अब वो उसके ब्रा के स्ट्रैप को भी खोला और उसके मस्त सख़्त अमरूदों को दबाकर मस्त हो गया। गुलाबी निपल जो अभी पूरी तरह जवान हो ही रहे थे उसकी उँगलियों में आकर बहुत कड़े हो गए थे। फिर वो सर झुकाया और उसकी चूचियाँ चूसने लगा। मुन्नी को लगा कि उसके बदन में बिजली सी दौड़ रही है। अब शिवा ने उसे खड़ा किया और उसके पाजामा को एक झटके से उतार दिया । वो मस्ती में भरी कमसिन लौंडिया की छोटी सी और बिलकुल गीली पैंटी में फँसी हुई बुर को देखकर वहाँ अपने मुँह को ले गया और सूँघा और कहा: आऽऽऽऽऽह क्या मस्त गंध है। फिर वो जीभ से उसकी गीलीपैंटी को चाटने लगा। अब मुन्नी खुल कर मस्ती से सिसकियाँ लेने लगी थी। उसके मुँह से सीसीसी की आवाज़ें आ रही थी। अब शिवा ने उसकी पैंटी भी एक झटके से निकाल दी और अब उसकी चिकनी कुँवारी बुर उसकी आँखों के सामने थी। वो उसकी बुर को सहलाया और फिर उसे बेतहाशा चूमने लगा। उसके दोनों हाथ उसकी गोल गोल गाँड़ को दबा रहे थे। अब मुन्नी उइइइइइ कहकर अपने हाथ उसके सिर पर रखी और उसे अपनी बुर के अंदर दबाने लगी। उसकी कमर भी अब हिले जा रही थी। शिवा के हाथ अब उसकी गाँड़ की दरार में समा गए और उसकी गाँड़ के छेद को टटोलने लगे। एक हाथ से वो उसकी बुर में ऊँगली डालने की कोशिश करने लगा और दूसरा हाथ गाँड़ के छेद को छेड़ रहा था। उसकी बुर के क्लिट को भी वो बीच बीच में जीभ से रगड़ कर मुन्नी की हाऽऽऽय्य निकाल देता था। अब मुन्नी खुलकर आऽऽऽह जीइइइइइइइइइइइइइजु मरीइइइइइइइइइ कहकर ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर हिलाने लगी और अपना पानी शिवा के मुँह में छोड़ने लगी। शिवा भी मज़े से उसकी अनचुदी जवानी का रस पीकर मस्त हो गया। अब मुन्नी आऽऽऽऽह कर नीचे बैठ गयी।

अब शिवा मुस्कुराते हुए उठा और तौलिए से अपना गीला मुँह पोंछकर बोला: म्म्म्म्म्म क्या मस्त स्वाद बुर है और उतना ही स्वाद रस भी है। यह कहते हुए वो अपने कपड़े भी खोला और पूरा नंगा होकर अपने मस्त लौड़े को मसला। लौड़े को देखकर मुन्नी की आँख फैल गयी और वो डर सी गयी। वो सोची कि बाप रे इतना लम्बा और मोटा मेरी छोटी सी बुर में कैसे जाएगा? उसने देखा कि लौड़े के मुँह पर एक सफ़ेद सी बूँद सी आ गयी थी। शिवा भी इस कमसिन जवानी से मस्ती करके बहुत गरम हो गया था। वो नीचे खड़ा हुआ और मुन्नी को खींचकर इस तरह से बिठाया कि उसका लौड़ा अब मुन्नी के मुँह के सामने था। मुन्नी समझ गयी थी कि उसे क्या करना है पर डर के मारे चुपचाप बैठी रही। अब शिवा ने उसका हाथ अपने सख़्त गरम लौड़े पर रखा। वो उसे महसूस करके सिहर उठी और शिवा ने अपना लौड़ा उसके मुँह में सरका दिया। अब वो अपनी कमर हिला कर उसके मुँह को चोदने लगा। मुन्नी बड़े मुश्किल से उसे चूस पा रही थी। उसका मुँह पूरा खुल गया था। शिवा समझ गया कि लौंडिया अनाड़ी है। अब वो अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसे मुठियाने का इशारा किया। मुन्नी उसके लौड़े को हिलाने लगी और क़रीब पाँच मिनट के बाद शिवा आऽऽऽऽऽऽहहह कहकर उसकी चूचियाँ दबाते हुए झड़ने लगा और उसने अपना वीर्य उसकी चूचियों पर गिरा दिया।

अब शिवा मुन्नी को बाथरूम ले जाकर उसके साथ शॉवर लिया और उसने मुन्नी की चूचियाँ और बुर साफ़ कर के वापस आकर कपड़े पहने।

मुन्नी : जिजु खाने में क्या बनाऊँ?

शिवा: अरे जो तुमको पसंद हो बना लो। पर एक बात है तुम्हारा बदन मस्त सेक्सी है। वह टॉप के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाकर बोला।

मुन्नी: जिजु , दीदी आपका इतना बड़ा ले लेती हैं ? उनको दर्द नहीं होता?

शिवा: अरे मज़े से ले लेती है। वो तो पागल है इसके लिए। एक बार तुम भी हिम्मत करो और ले लो, फिर मज़ा ही मज़ा करोगी।

मुन्नी: नहीं जिजु मुझे तो बड़ा डर लगता है।

शिवा: चलो तुम्हारी हम मालिनी की मदद से ही लेंगे। ठीक है ना?

मुन्नी: मतलब? आप दीदी को बता दोगे?

शिवा हँसकर: हम एक दूसरे से कुछ नहीं छिपाते। तुम्हारी बुर हम मालिनी की मदद से ही खुलवाएँगे, देखना तुम।

मुन्नी शर्माकर वहाँ से भाग गयी।

अब शिवा ने अपनी सास को फ़ोन किया और कहा: नमस्ते मम्मी आपको बहुत बधाई। आप नानी बन गयी हो।

सरला: हाँ अभी मालिनी का फ़ोन आया था। बेटा तुमको भी बहुत बहुत बधाई बेटी होने की। या बहन होने की। वो यह कहकर हँसने लगी।

शिवा भी हँसकर: अरे मम्मी बहन हो या बेटी । हैं तो अपना ख़ून ही ना? और आप सुनाओ आपके और राजेश के क्या हाल हैं?

सरला: सब बढ़िया हैं ।

शिवा: तो आजकल कितनी बार चोदता है आपको दिन में वो?

सरला हँसकर: आजकल तो २/३ बार ही करता है। पहले ५/६ बार भी कर लेता था।

शिवा: मेरा साला पक्का मादरचोद बन गया है। हा हा ।

सरला: हाँ बिलकुल सही कहा तुमने। वो तो मुझे तुम्हारे यहाँ भी नहीं जाने दे रहा था। पर मैंने कहा कि ऐसा थोड़े होता है। गुड़िया को कैसे सम्भालना है मालिनी को सिखा दूँगी ,तब जाकर वो एक हफ़्ते के लिए माना है। वो भी इस शर्त पर कि वो मुझसे कमसे कम दो बार वीडीयो चैट करेगा और मुझे देख कर वो मूठ्ठ मारेगा। नालायक कहीं का।

शिवा ज़ोर से हँसने लगा और बोला: सच में आपका बेटा आपका दीवाना है। पर आप आ कब रही हैं?

सरला: बस आज शाम को निकलूँगी। तुम्हारे यहाँ रात ८ बजे तक पहुँचूँगी।

शिवा: ठीक है मम्मी आपको लेने या मैं या पापा कोई भी आ जाएगा। बस अब आप आओ और हम बाप बेटा भी बहुत प्यासे हैं । मस्त चुदाई का मज़ा लेंगे सेक्सी नानी से।

सरला: मैं तुम बाप बेटे के लिए नहीं आ रही हूँ। मैं तो अपनी नतिनि के लिए आ रही हूँ। वह यह कहकर हँसने लगी।फिर बोली: अच्छा चारु और मुन्नी कैसी हैं?

शिवा: मस्त हैं । अपने कोलेज और स्कूल में व्यस्त रहती हैं।

सरला: तुम बाप बेटे ने उनको फंसा तो नहीं लिया ?

शिवा: क्या मम्मी हम शरीफ़ लोगों पर आप शक करती हो। हा हा ।

सरला: पता है कितने शरीफ़ हो तुम लोग? चलो मिलते हैं रात को। फिर बाई कहकर फ़ोन काट दिया।

अब शिवा थोड़ी देर आराम करने के मूड में आँखें बंद कर लिया और सो गया। मुन्नी भी खाना बनाकर सो गयी।

उधर राजीव मालिनी के बिस्तर पर बैठ कर उससे बातें कर रहा था। उसके हाथ को सहलाकर वो बड़े प्यार से बोला: अब सब ठीक है ना?

मालिनी: जी पापा सब ठीक है। मालिनी ने देखा कि चारु दूसरे बिस्तर पर बैठी मोबाइल पर गेम खेल रही थी।

राजीव : तुमको एक बात बतानी थी ।

मालिनी: बोलिए पापा।

राजीव आवाज़ को नीचे करके: कल रात मैंने इसकी सील तोड़ दी। वो चारु की तरफ़ इशारा करके बोला।

मालिनी का मुँह खुला रह गया। वो बोली: उफफफ पापा आप भी ना । क्या सच बोल रहे हैं?

राजीव: हाँ बिलकुल सच बोल रहा हूँ। बहुत मज़ा ली ये । बहुत मस्ती से फडवाइ थी। देखो कैसी रिलैक्स दिख रही है।

मालिनी ने एक नज़र चारु को देखा और लम्बी साँस लेकर बोली: चलो एक ना एक दिन तो ये होना ही था। अब कोलेज में पहुँच गयी है । कोई ना कोई तो फाड़ ही देता । एक तरह से अच्छा ही है कि घर की चीज़ घर में ही काम आ गयी। मुन्नी की भी फाड़ दी क्या?

राजीव: अरे अभी नहीं फाड़ी पर दो तीन महीने में वो भी ले ही लेगी।

मालिनी: चलो चारु आप दोनों के काम आ जाएगी जब तक मैं तय्यार होती हूँ इसके लिए। ये कहकर उसने राजीव का लंड दबा दिया।

राजीव मुस्कुराकर: अरे तुम्हारी मम्मी भी तो आने वाली है तुम्हारी। वो भी तो मज़े देगी ना। कब आ रही है सरला?

मालिनी: आज रात को ही आएँगी। आप या शिवा इनको बस स्टैंड लेने चले जाना।

राजीव उसकी चूचियों पर हाथ फेरकर बोला: हाँ हाँ बिलकुल जाएँगे अपनी सेक्सी समधन को लेने। मालिनी ने कनख़ियों से देखा कि चारु अभी भी गेम खेलने में व्यस्त थी। वो उसके लौड़े को दबाकर बोली: पापा ये तो मम्मी से मज़े का सोच कर मस्त खड़ा हुआ जा रहा है।

राजीव उसके होंठ चूमकर बोला: हाँ वैसे तुम्हारी बड़ी चूचियाँ दबाकर भी मस्त लग रहा है।

दोनों हँसने लगे। तभी चारु चौंक कर उन दोनों को देखी। राजीव के हाथ उसकी चूची पर थे और मालिनी का हाथ पैंट के ऊपर से उसके लौड़े पर था। चारु की बुर में भी ग़ज़ब की खुजली उठी ये सेक्सी दृश्य देखकर।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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