बहू नगीना और ससुर कमीना

Post Reply
User avatar
Smoothdad
Novice User
Posts: 914
Joined: 14 Mar 2016 08:45

Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

अगले दिन सुबह राजीव की नींद खुली तो वो देखा कि शिवा और सरला ग़ायब हैं । सिर्फ़ मालिनी अपनी चूचि चादर से बाहर निकाले सो रही थी। राजीव उठकर बाथरूम गया और फिर बाहर आया तो किचन से आवाज़ आ रही थी। वो चुपचाप किचन में झाँका तो अंदर का दृश्य देखकर मस्त हो गया। किचन में सरला नंगी ही चाय बना रही थी और नंगा शिवा उसके पीछे खड़ा होकर उसकी चूचियाँ दबाकर उसकी पीछे से चुदाई कर रहा था। सरला आगे की ओर थोड़ी झुकी हुई भी थी। फ़च फ़च की आवाज़ का मतलब था कि बुर चोदी जा रही थी। राजीव का लंड भी खड़ा होने लगा था।

तभी शिवा बोला: आऽऽऽऽऽऽह मम्मी क्या मस्त बुर है आपकी। उफ़्फ़्क्फ़्फ़्फ़ बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽ रहा है। मैंने अपनी मम्मी को भी ऐसे ही शंकर मामा से चुदते देखा था। आऽऽऽऽऽहहहब वो भी ऐसी चाय बना रही थी। हाऽऽऽऽय्य और मामा उनको चोद रहे थे। ऐसे ही चूचियाँ दबाकर।

सरला: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ धीरे से दबाओ ना। हाऽऽऽऽऽऽय क्या शंकर तुम्हारे सगे मामा थे? उइइइइइइइ।।

शिवा: आऽऽऽह नहीं वो पापा के दोस्त थे जिनको मम्मी ने भाई बनाया हुआ था और उनको राखी भी बाँधती थीं।

राजीव को अपने कानों पर मानो विश्वास ही नहीं हुआ। क्या सच सविता उसकी बीवी दूसरों से चुदवाती थी? उसे कई बार शक तो हुआ था पर सबूत कभी नहीं मिला। आज शिवा ये सब क्या कह रहा है?
तभी शिवा: आऽऽऽऽऽहब मम्मी आऽऽऽहब्ब मैं गया। कहकर झड़ने लगा । सरला भी उइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। शिवा हाँफते हुए प्लाट्फ़ोर्म पर बैठ गया और वो बोला: मम्मी आप इसको चाटकर साफ़ करो ना। मेरी मम्मी मामा का ऐसा ही साफ़ करती थीं चुदाई के बाद। फिर सरला ने उसके अब भी पूरे तने हुए लंड को चाटकर साफ़ किया। अब शिवा प्लाट्फ़ोर्म से उतरा और एक तौलिया लेकर सरला की जाँघों और बुर और गाँड़ की जगह को साफ़ किया और बोला: मामा ऐसे ही मम्मी की बुर को साफ़ करते थे जैसे मैं आपकी कर रहा हूँ।

राजीव का सिर घूम गया था। वो अपने आप को बड़ा खिलाड़ी समझता था पर लगता है कि सरिता भी कम खिलाड़ी नहीं थी। वो हमेशा उसे घरेलू औरत ही समझता था। वो सोचा कि उसे अंदर की कहानी शिवा से निकालनी ही पड़ेगी।

वो आवाज़ देकर अंदर आया और बोला : क्या शिवा अपनी सास की बुर साफ़ कर रहा है? सुबह सुबह ही चोद दिया क्या?

सरला: आपका ही बेटा है। सुबह सुबह ही एक राउंड कर लिया ये मेरे साथ।

राजीव ने सरला की गाँड़ सहलाते हुए कहा: अरे तुम्हारी जैसे गरम सास हो तो बेचारे मेरे बेटे का क्या क़सूर है।

सरला ने प्यार से राजीव का गाल चूमा और उसके आधे खड़े लंड को सहलाकर कहा: हाँ आपका बेटा तो बेचारा बहुत भोला है।
सब हँसने लगे।

सब चाय पी रहे थे तभी मालिनी भी नंगी ही बाहर आयी। वो आकर शिवा को गाल में चूमकर प्यार की। फिर वो अपनी माँ से प्यार की । जब राजीव के पास आइ तो उसने खींचकर उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गाल चूमा और चूचि सहलाने लगा।

मालिनी: उफफफ पापा चाय तो पी लेने दो।

राजीव: उसकी चूचि को चूमा और बोला: देखो शिवा और तुम्हारी मम्मी ने एक राउंड मज़ा ले भी लिया। हम दोनों पीछे रह गए।

मालिनी हँसकर : ओह तो यहाँ कॉम्पटिशन हो रहा है बाप बेटे में?
वो अपनी गाँड़ उठाकर एडजस्ट करते हुए बोली: उफफफ पापा आपका तो खड़ा होकर नीचे चुभ रहा है।

तभी असलम का फ़ोन शिवा को आया: हाँ भाई क्या प्रोग्राम है आज का?

शिवा: वही जो कहा है तुमको? कब तक आ जाओगे?

असलम: अरे यार एक दिक़्क़त हो गयी है। आयशा को बुखार आ गया है। अब बोलो तो मैं अकेला आ सकता हूँ एक दो घंटे के लिए। वरना फिर कभी का प्रोग्राम रख लेते हैं।

शिवा: ओह ऐसा क्या। ठीक है तुम ही आ जाओ १२ बजे के क़रीब । बाई काम करके चली जाएगी। खाना यहीं खा लेना।

असलम: ठीक है मैं आ जाऊँगा २ घंटे के लिए। बाई।

शिवा: पापा आयशा नहीं आ पाएगी वो बीमार हो गयी है। असलम १२ बजे आएगा २ घंटे के लिए ।

सरला: मुझे वापस जाना है १० बजे तक। मैं राकेश को यही बोल कर आयी हूँ।

राजीव: अरे तुम शाम को चली जाना। अभी असलम आएगा। वो मालिनी को चोदने ही तो आ रहा है। तुम मेरा और शिवा का ध्यान रखना। शाम को तुमको भेज देंगे। राकेश को फ़ोन कर दो।

सरला: ठीक है जैसे आप कहते हो वैसा ही करूँगी। मैं उसे बता दूँगी।

सरला: मैं नाश्ता बनाती हूँ। आप लोग नहा लो।

मालिनी: मम्मी मैं भी अपनी मदद करती हूँ।

फिर सब बारी बारी से नहाए और नाश्ता किए अब क्योंकि बाई आने वाली थी इसलिए सबने कपड़े पहन लिए।बाई आकर अपना काम करने लगी।
क़रीब १२ बजे बाई चले गयी और असलम भी आ गया। वो एक जींस और टी शर्ट पहना था और बहुत हैंडसम दिख रहा था। सरला की आँखें उसकी मस्कूलर बदन पर पड़ीं और उसकी बुर में पानी आ गया। वो उसे घूरने लगी।

असलम भी मालिनी और सरला को बारी बारी से घूरे जा रहा था और उसकी पैंट का आगे का भाग फूल सा गया था।

सबसे परिचय के बाद चाय का दौर चला और सबने आयशा की तबियत पूछी। क्योंकि वह पहली बार आया था , इसलिए एक स्वाभाविक झिझक सी थी सबमें।

User avatar
Smoothdad
Novice User
Posts: 914
Joined: 14 Mar 2016 08:45

Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

राजीव ने आख़िर में सोचा कि फ़ालतू में समय ख़राब हो रहा है सो वह बोला: शिवा ने बताया कि तुम और तुम्हारे दोस्त बीवियों की अदला बदली करते हो। तुमको अजीब नहीं लगता।

असलम: वो क्या है ना अंकल शुरू में पहली बार हिचक होती है पर उसके बाद तो मज़ा ही मज़ा आता है।

राजीव: मुझे पता है कि तुम पारिवारिक चुदाई में भी विश्वास रखते हो। तो ज़्यादा मज़ा किसमें आता है?

असलम: अंकल ज़्यादा मज़ा तो परिवार के अंदर ही आता है। पर जब वो ना मिले तो बाहर वालों के साथ भी मज़ा कर लेते हैं। आयशा मेरे अब्बा को बहुत मिस करती है इसीलिए वो आपसे करवाना चाहती है।

शिवा: और क्योंकि मैं कई बार आयशा को चोद चुका हूँ इसलिए अब ये मालिनी की लेना चाहता है।

राजीव: तो मालिनी बेटा अब किस बात की देर है। जाओ असलम को अपने बेडरूम में ले जाओ और मज़े करो। ठीक है ना शिवा?

मालिनी: मैं अकेली नहीं जाऊँगी। शिवा आप भी चलो।

शिवा हँसा और बोला: ठीक है चलो मैं भी चलता हूँ। अब तीनों उठे और मालिनी के बेडरूम की ओर चले गए। सरला उनको जाते देखती रही। राजीव बोला: क्या बात है? तुमको भी असलम से चुदवाना है क्या?

सरला आह भर कर बोली: अब जिसे मालिनी जैसी जवान लड़की मिल रही हो, वो मेरे जैसे बुढ़िया का क्या करेगा?

राजीव ने खींचकर उसको अपने पास बिठाया और बोला: कौन कहता है कि तुम बुढ़िया हो गयी हो? मस्त माल हो अभी भी। वह उसकी चूचियाँ दबाके बोला। अब राजीव उसके होंठ चूसने लगा।

उधर शिवा और असलम जाकर बिस्तर पर बैठे और मालिनी भी बिस्तर के एक कोने में बैठी। उसे बड़ा अजीब लग रहा था। यह पहली बार था जब वो घर से बाहर किसी से चुदवाने जा रही थी और वो भी अपने पति के सामने।

असलम: भाभी आओ ना पास बैठो। इतनी दूर क्यों बैठी हो?

मालिनी शर्म से सिर झुकाए बैठी रही। अब शिवा बोला: आओ मालिनी यहाँ हमारे बीच में बैठो । मालिनी बिस्तर पर खिसकी और उन दोनों के बीच में जाकर बैठ गयी। अब वो तीनों बिस्तर के हेडरेस्ट के सहारे बैठे हुए थे । शिवा ने असलम से कहा: यार देख मालिनी के गाल कितने चिकने हैं चूम इनको। यह कहकर वो ख़ुद ही एक गाल को चूम लिया। अब असलम भी उसके दूसरे गाल को चूम लिया। फिर शिवा ने असलम का एक हाथ लिया और उसे मालिनी की एक चूचि पर रखा और बोला: देख असलम मालिनी की चूचि किसी मस्त अनार से कम सख़्त है क्या? असलम मालिनी की एक चूचि दबाने लगा और शिवा भी एक चूचि दबाकर मस्ती से भरकर बोला: मालिनी मज़ा आ रहा है ना?

मालिनी की बुर गीली होने लगी थी पर वो कुछ नहीं बोली। अब शिवा ने मालिनी का एक हाथ पकड़कर शिवा के लंड के उभार पर रखा और कहा: लो मालिनी सहलाओ इसे।

अब तक मालिनी भी गरम हो चुकी थी सो उसने अपनी मूठ्ठी में उसके लौड़े को पकड़ लिया और सहलाने लगी। असलम भी मस्ती में आकर उसकी एक जाँघ सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद असलम ने कहा: भाभी कुर्ता उतारो ना।

शिवा : अरे उसे क्यों बोल रहा है ख़ुद ही उतार दे ना।
अब असलम ने कुर्ता नीचे से पकड़ा और उसे ऊपर को उठाने लगा और मालिनी ने अपनी बाँह उठाकर उसे निकालने में मदद भी कर दी। असलम ने ब्रा में क़ैद उसके बदन के ऊपर का हिस्सा देखा और बोला: उफफफ भाभी क्या मस्त माल हो तुम। वो उसके चिकने सपाट पेट और नाभि को सहलाते हुए उसके ब्रा में क़ैद अनारों को दबाने लगा और उसके होंठ चूसने लगा । मालिनी भी फिर से अपना हाथ उसके लंड पर ले आयी और वहाँ दबाकर मस्ती से बोली: आप भी उतारो ना कपड़े । मुझे तो आधी नंगी कर दिया ।

असलम ख़ुशी से बोला: लो जान अभी उतार देते हैं। वो अपनी शर्ट और जींस उतारा और अब चड्डी में से उसका मोटा लंड बहुत मस्त लगा मालिनी को। उसकी छाती भी मस्कूलर थी और बालों से भरी थी। अब मालिनी भी उत्तेजना से भरकर उसके छाती पर हाथ फेरी और उसकी चड्डी में हाथ डालकर उसका लौड़ा बाहर निकाली। मालिनी ने पहली बार मुस्लिम लौड़ा देखा था । सामने से कटा हुआ और मोटा सुपाड़ा पूरा नंगा। उफफफफ कितना प्यारा है इसक लंड । वो झुकी और उसे चूम ली और फिर उत्तेजित होकर उसे चूसने लगी।

शिवा हैरानी से मालिनी को देख रहा था और सोच रहा था कि ये लड़की क्या से क्या बन गयी है । उफफफफ क्या मज़े लेकर ये असलम का लौड़ा चूस रही है। अब तक झुकी हुई मालिनी की ब्रा का स्ट्रैप वो खोल चुका था और मालिनी की ब्रा निकालकर असलम उसकी दोनों चूचियों को एक एक हाथ में लेकर मसलने लगा। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर उसके लौड़े को चूसती रही।

शिवा अब भी पूरे कपड़ों में उसकी मस्ती देख रहा था।

अब असलम ने उसे उठकर लिटा दिया और उसकी सलवार का नाड़ा खोला और एक झटके में उसकी सलवार और पैंटी भी निकाल दी। अब वो मुग्ध दृष्टि से उसकी फूली हुई बुर के फाँकों को देख रहा था और बोला: शिवा इससे सुंदर बुर मैंने आजतक नहीं देखी। उफफफ क्या मस्त कचौरी की माफ़िक़ फूलि हुई है और कितनी गोरी और चिकनी है। वह झुका और नाक लगाकर सूँघा और बोला: आऽऽऽऽऽह क्या मस्त गंध है। ज़रा टेस्ट भी कर लूँ।

यह कहकर वो उसकी टांगों को उठाकर फैलाया और अपना मुँह ले जाकर चूमने लगा। मालिनी आऽऽऽहाह कर उठी। फिर वो उसकी बुर के छेद में अपनी जीभ डाला और उसे मस्ती से भरने लगा। मालिनी अब बेशर्मी से आऽऽऽऽऽऽह मरीइइइइइइइइइ चिल्लाने लगी।

शिवा उसे देख रहा था और अब उसने अपनी पैंट से अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था और वो उसे सहलाए जा रहा था। पर उसकी आँखें मालिनी के चेहरे पर जमी थीं। वो जानना चाहता था कि मालिनी को कैसा लग रहा है।

अब मालिनी चिल्लाई: आऽऽऽऽऽह्हा अब डाऽऽऽऽऽऽऽलो ना ।चोओओओओओओओओओओदो मुझे हाऽऽऽयययय।

शिवा उत्तेजना से भरकर अपना लौड़ा ज़ोर से हिलाने लगा। उधर असलम ने उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और अपना मोटा लौड़ा उसकी बुर में धकेलने लगा। मालिनी आऽऽऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मरीइइइइइइइइ उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उछाल कर उसके लौड़े को पूरा अंदर करके मस्ती से चुदवाने लगी। असलम भी उसकी चूचियाँ दबाते हुए इसे चोदने लगा। मालिनी की चीख़ें गूँज रहीं थीं : उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आऽऽऽऽऽह और जोओओओओओओर से चोओओओओओओदो ।

शिवा अपना लौड़ा ज़ोर से मुठियाने लगा। वह मालिनी की मस्ती में मानो डूबा जा रहा था । असलम भी ह्म्म्म्म्म कहकर चोदे जा रहा था । मालिनी उन्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न्न करके मज़े से चुदवा रही थी। उसकी बाहें असलम की पीठ से चिपकी हुई थीं और वो भी नीचे से अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी। क़रीब २०/२५ मिनट की ज़बरदस्त पलंगतोड़ चुदाई के बाद दोनों एक साथ ही झड़ने लगे। शिवा भी अपने लंड से रस छोड़ने लगा था।

असलम सबसे पहले उठा और फ़्रेश होकर बाहर आया और मालिनी भी बाथरूम में घुस गयी। असलम शिवा को देखा और मुस्कुराया: यार मज़ा आ गया । मस्त बीवी है तुम्हारी । चलो अब बाहर चलें ।

शिवा अपनी पैंट ठीक करके बाहर आया और असलम सिर्फ़ चड्डी में बाहर आया।

ड्रॉइंग रूम में कोई नहीं था । शिवा: लगता है पापा और मेरी सास उस बेडरूम में चुदाई कर रहे हैं। चलो वहीं चलते है।

असलम: वहाँ जाना क्या ठीक होगा?

शिवा : अरे यार यहाँ सब चलता है। आओ चलो।

जब दोनों बेडरूम में घुसे तो सरला पूरी नंगी होकर नंगे राजीव के ऊपर ६९ पोज़ीशन में लेटी हुई थी। उसके बड़े बड़े चूतर देखकर असलम का ठंडा लौड़ा फिर से ठुमकने लगा। राजीव उसकी बुर को चाट रहा था और उसकी गाँड़ में एक ऊँगली भी डालकर हिला रहा था। सरला भी मज़े से उसका लौड़ा चूस रही थी और उकसे बॉल्ज़ को सहला भी रही थी।

शिवा: आऽऽऽह पापा क्या अकेले अकेले मज़े ले रहे हो। मैं और असलम भी आ जाएँ?

राजीव सरला की गाँड़ पर हाथ मारकर : क्यों सरला असलम का लौड़ा लोगी? क्यों असलम, मालिनी की चुदाई कर ली ना?

असलम: जी अंकल कर ली। पर आंटी की गाँड़ बहुत मस्त दिख रही है मारने का मन हो रहा है।

राजीव: सरला मरवाओगी क्या गाँड़ असलम से।
User avatar
Smoothdad
Novice User
Posts: 914
Joined: 14 Mar 2016 08:45

Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »


सरला ने अपना मुँह राजीव के लौड़े से उठाया और बोली: ज़रा देखूँ तो कैसा है असलम का लौड़ा ?
असलम ने चड्डी उतारी और अपना खड़ा लौड़ा लाकर सरला के मुँह के पास लाकर लहराया और सरला मज़े से उसको पकड़कर सहलाते हुए बोली: आऽऽऽऽऽह ये तो बहुत मस्त है। यह कहकर वो उसके लौड़े को चूमकर चूसने लगी। अब वो राजीव के लौड़े को मूठिया रही थी और असलम का लौड़ा चूस भी रही थी। शिवा बोला: पापा आप सीधे होकर लेट जाओ और मम्मी आपके ऊपर आ जाएगी। पीछे से असलम मम्मी की गाँड़ मार लेगा।

सरला अब उठी और राजीव के लेटते ही उस पर सवार होकर अपनी फुद्दी में उसका लौड़ा ले ली। अब शिवा उसके पीछे आया और उसकी गाँड़ के छेद में जेल लगाया। असलम ने भी जेल लेकर अपने लौड़े पर लगाया। अब वो सरला की गाँड़ में अपना लौड़ा डालकर चोदने लगा। सरला भी अपनी गाँड़ हिलाकर अपने दोनों छेदों में मोटे लौडों का आनंद ले रही थी सब शिवा भी अपना लौड़ा बाहर निकाल कर सरला के मुँह के पास ले आया। सरला ने उसका लौड़ा चूसना शुरू किया

सरला के तीनों छेदों में एक एक लौड़ा था और वो उन्न्न्न्न उन्न्न्न्न कहकर चुदवा रही थी । राजीव और शिवा उसकी चूचियाँ दबा रहे थे और असलम उसकी मोटी गाँड़ दबाकर मस्ती से उसकी गाँड़ मार रहा था।

तभी कमरे में मालिनी आयी और वो कपड़े पहन चुकी थी । कमरे का दृश्य देखकर उसकी मानो साँस ही रुक गयी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी किसी रँडी से कम नहीं लग रही थी। वो तीन तीन लंडों का भरपूर मज़ा ले रही थीं। नीचे से पापा , पीछे से असलम और सामने शिवा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्ती भरा दृश्य था। मालिनी का हाथ अपने आप बुर पर चला गया और वो ख़ुद ही सलवार के ऊपर से अपनी बुर खुजाने लगी।
तभी शिवा आऽऽऽऽऽह करके सरला के मुँह में पानी छोड़ दिया और असलम भी ह्म्म्म्म्म कहकर उसकी गाँड़ में रस छोड़ा। अब राजीव के ऊपर सरला थी और वो ज़ोर ज़ोर से चुदाई कर रही थी अपनी गाँड़ हिलाकर। आख़िर में सरला भी झड़ने लगी: उइइइइइइइइइइ मैं गयीइइइइइइइइइइइ। राजीव भी अब अपनी नीचे से कमर उछाल कर अपना रस उसकी बुर में छोड़ने लगा।

अब सब शांत होकर पड़े रहे। मालिनी चुप चाप जाकर सबके लिए पानी लायी। सबने पानी पिया और असलम बोला: मुझे चलना चाहिए। आयशा का ध्यान रखना होगा ना।

असलम के साथ सब खाना खाए और उसके जाने के बाद सब आराम करने लगे।

शाम को सरला को बस स्टैंड छोड़ने तीनों गए। उसके जाने के बाद सब बाहर खाना खाए । दोनों मालिनी को छेड़ते रहे। रात को सब नंगे होकर बिस्तर पर लेटे थे ।मालिनी के एक एक हाथ में उनके लंड थे जो वो सहलाए जा रही थी। राजीव और शिवा उसकी चूचियाँ और जाँघें और बुर सहला रहे थे। तभी राजीव शिवा से बोला: बेटा तुम सुबह कह रहे थे कि सविता को तुमने मेरे दोस्तों से चुदवाते देखा है। बताओ सच क्या है? मुझे उस पर विश्वास था पर तुम्हारी बात ने मुझे हैरत में डाल दिया है।

शिवा ने कहना शुरू किया: ------------
बात उन दिनों की है जब मैं आठवीं में पड़ता था । उन दिनों पापा आपको याद होगा कि आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं रहती थी।

राजीव: हाँ वो एक बार बिज़नेस में बहुत घाटा हो गया था तो मैं डिप्रेशन में चला गया था। सविता ने मेरा इलाज करवाया था डॉक्टर से । दवाई से मैं नींद में रहता था और दुकान से आकर सो जाता था। यह कोई ३ साल चला था।

शिवा: पापा उन दिनों आपकी और मम्मी की सेक्स लाइफ़ गड़बड़ हुई होगी, है ना?

राजीव: गड़बड़ क्या बेटा उन तीन सालों में मैंने शायद तेरी माँ से १० बार ही सेक्स किया होगा।

मालिनी उत्सुकता से : फिर आगे बताओ ना क्या हुआ?

शिवा:---- शायद यही वो समय था जब आपकी और मम्मी की सेक्स लाइफ़ गड़बड़ा गयी थी। उस दिन जब मैं स्कूल से वापस आया तो दरवाज़ा बंद था । पता नहीं मुझे कुछ गड़बड़ लगी। ऐसा कभी नहीं होता था कि मुख्य दरवाज़ा बंद रहे क्योंकि उसके बाद एक और दरवाज़ा भी था जो कि सामने के आँगन के बाद मकान में जाने के लिए था। हम उस समय पुराने घर में रहते थे जो एक मंज़िला था और पीछे भी एक आँगन था। मैं पीछे आँगन से जहाँ एक दीवार थोड़ी टूटी सी थी , उस पर से कूद कर अंदर गया। आँगन से मैंने आपके बेडरूम की खिड़की के पास आहट ली और मैं समझ गया कि कुछ गड़बड़ है। अंदर से मम्मी और एक आदमी की बातें करने और हँसने की आवाज़ें आ रही थी। हालाँकि मैं आठवीं में पढ़ता था पर सेक्स की बात समझने लगा था क्योंकि स्कूल में हम बातें करते थे।

अब मैं सीढ़ी से ऊपर गया और वहाँ जाकर आपके बेडरूम के एक रोशनदान को नोटिस किया। मैं छत पर लेट गया और नीचे को झुका और रोशनदान से आपके बेडरूम में झाँका और जो देखा मेरे तो होश ही उड़ गए। वहाँ शंकर मामा मम्मी को जकड़कर खड़े थे और उनके होंठ चूस रहे थे। मामा के हाथ मम्मी की बड़ी गाँड़ को साड़ी के ऊपर से दबा रहे थे और वो दोनों एकदम चिपके हुए थे। अब मामा पीछे हुए और मम्मी की साड़ी का पल्लू गिरा दिए और उनकी चूचियों को ब्लाउस के ऊपर से दबाकर मस्ती में बोलने लगे: आऽऽऽह सविता, राजीव साला बहुत क़िस्मत वाला है जो जब चाहे इन मस्त चूचियों को दबा सकता है। उफफफफ क्या मस्त चूचे हैं तेरे जानू।

मम्मी: अरे पहले तो वो बहुत मज़ा देते थे पर यह मुई बीमारी के बाद तो वो बिलकुल ही बेकार हो गए हैं।

मामा उनकी साड़ी निकालकर बोला: आख़िर बार कब चोदा था उसने?

मम्मी: २ हफ़्ते तो हो ही गए। और अब उनकी चुदाई में वो बात भी नहीं रही। जल्दी से झड़ जाते है। पहले तो एक एक घंटा रगड़ते थे ।

मामा अब उनका ब्लाउस भी खोलकर निकाले जिसमें मम्मी ने उनकी पूरी मदद की। अब मम्मी ब्रा में थी और वो ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियाँ मसल रहा था। अब मम्मी भी मामा की शर्ट उतारी और उनके बालों से भरी छाती को चूमने लगी। मामा ने मम्मी का पेटिकोट भी उतार दिया और मम्मी अपनी पैंटी और ब्रा में बहुत ही कामुक दिख रही थी। मेरी छोटी सी नूंनी भी खड़ी हो गयी थी ये सब देखकर।

अब मम्मी ने भी मामा की पैंट उतार दी और मैंने चड्डी में खड़ा मामा का लंड देखा। मामा ने मम्मी को बेड पर बिठाया और अपनी चड्डी उतार कर अपना काला मोटा लम्बा लंड उनके मुँह के पास लाए और मम्मी उसे पागलों की तरह चूसने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरे लिए ये बड़ा अजीब दृश्य था। मामा भी मज़े से मम्मी के मुँह में लंड को अंदर बाहर कर रहे थे। थोड़ी देर बाद मामा ने अपना लंड वापस बाहर निकाला और मामी की ब्रा का स्ट्रैप खोला और उनको लिटा दिया। अब वो उनके ऊपर आकर उनकी नंगी चूचियाँ दबाने और चूसने लगे। मम्मी अब आऽऽऽऽऽह उइइइइओइइइइ चिल्ला रही थीं। फिर मामा नीचे आए और मम्मी की पैंटी उतारे और बड़े देर तक मम्मी की बुर को प्यार से सहलाते रहे और बोले: जानू जितनी बार तुम्हारी बुर देखता हूँ उतना ही ज़्यादा इससे प्यार बढ़ता जाता है।

मम्मी यह सुनकर हँसने लगी और बड़ी बेशर्मी से बोली: भय्या चूसो ना इसको। कल आप बहुत मस्त चूसे थे । उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या बढ़िया लगता है।

यह सुनकर मामा ने मम्मी की जाँघों के बीच में अपना मुँह डालकर चूसना शुरू किया। अब मम्मी अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽहहह भय्याआऽऽऽऽऽऽ और चूउउउउउउसो। चिल्लाने लगी। आऽऽऽऽऽहहह अब चोओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽ।
यह सुनकर मामा जोश में आ गए और अपना मोटा लंड मम्मी की बुर में लगकर धीरे से दबाने लगे। अब मम्मी और ज़ोर से चिल्लाई और बोली: आऽऽऽऽह पूउउउउउउउउउरा डाआऽऽऽऽऽऽल दो नाआऽऽऽऽऽऽऽऽ। और फिर जो ज़बरदस्त चुदाई हुई उसे देखकर मैं डर गया। मुझे लगा कि मम्मी को कोई चोट ना पहुँच जाए। आधे घंटे की रगड़ाई के बाद दोनों चिल्लाकर शांत हो गए। उस समय तो मैं नहीं समझ पाया पर आज जानता हूँ कि दोनों झड़ गए थे। जब मामा उठे तो मैंने देखा कि मम्मी की बुर से सफ़ेद सा गाढ़ा सा रस बाहर निकल रहा था। उसके बाद मम्मी बोली: भय्या अब आप जाओ क्योंकि शिवा आने वाला होगा।

मामा उठकर तय्यार हुए और बाहर चले गए । मैं भी बाहर आकर वापस दरवाज़े से अंदर आया और तब तक मम्मी तय्यार होकर किचन में आ गयीं थीं ।

मैं अपने कमरे में आकर सोचा कि आज मैंने क्या देख लिया? उफफफ मम्मी नंगी कितनी सुंदर लगतीं थीं । उनके बड़े बड़े दूध और उनकी फूली हुई बुर और मोटे मोटे चूतर मुझे पागल कर दिए थे। पता नहीं मामा के साथ इनका कब से चल रहा है? तभी महक दीदी भी आ गयी पर मैंने उनसे कुछ नहीं कहा।

इधर शिवा ने देखा कि पापा का लौड़ा पूरा तन गया था मालिनी की मूठ्ठी में। वह बोले: आऽऽऽह बेटी चूस इसे । और मालिनी झुक कर उसे चूसने लगी। वो एक हाथ से उसका सिर अपने लौड़े पर दबा रहे थे और दूसरे हाथ से उसकी एक चूचि मसल रहे थे। शिवा भी मालिनी की गाँड़ सहला रहा था और उसकी बुर में पीछे से ऊँगली डालकर गीली बुर से खेल रहा था। उसका एक हाथ अपने ही लंड को मुठियाने में लगा था। तभी राजीव बोला: ये शंकर के साथ सविता का कब से चल रहा था?

शिवा: पापा आपको याद होगा। शंकर मामा आपके साथ कई बार हमारे घर आते थे और क्योंकि वो आपके दोस्त थे इसलिए हम सब ही उनको बहुत मानते थे। तभी एक दिन राखी के त्योहार पर मम्मी ने उनको राखी बांधी थी और भाई बनाया था।

राजीव: आऽऽऽह्हा हाँ याद है। ओह तो इसी के आड़ में वो सविता से मज़े ले रहा था ? कमीना कहीं का। फिर क्या हुआ?

शिवा: पापा इसके बाद मैंने कई बार उन दोनों को मज़ा लेते देखा। और एक बार मम्मी मामा को बोल रही थीं : वो क्या है ना भय्या , आजकल इनका खड़ा ही नहीं होता। कल मुश्किल से मैंने खड़ा किया तो बस दस मिनट में ही टें बोल गए। मैं तो प्यासी ही रह जाती अगर आपका सहारा नहीं होता।

मामा हँसकर: मेरा या इसका? वो अपना लौड़ा हिलाकर बोले।

दोनों हँसने लगे। मामा मम्मी को रोज़ नए नए आसनों में चोदते थे । कभी ६९ कभी मम्मी ऊपर तो कभी साइड में लेटकर और कभी चौपाया बनाकर और कभी बैठे बैठे ही। अगर समय रहता तो वो दो बार भी चुदाई कर लेते थे।

राजीव: तुमने उसे किसी और के साथ भी देखा?
शिवा: हाँ वो आपके मुस्लिम दोस्त थे ना रहमान । वो बाद में मम्मी को लगाने लगे थे। हुआ ये की शंकर मामा मम्मी को अपने एक दोस्त से चुदवाने को बोले, तो मम्मी ने मना कर दिया । इस बात से दोनों का झगड़ा हो गया और मामा ने मम्मी से मिलना छोड़ दिया। फिर वो रहमान अंकल की तरफ़ झुकी। आपको याद है एक दिन जब अंकल का जन्म दिन था तो उनको मम्मी ने राखी बाँध दी ये कहकर कि आज शुभ दिन है इसलिए मैं आपको भाई मानती हूँ।

राजीव: हाँ उसके बाद रहमान ज़रा ज़्यादा ही हमारे घर आने लगा था।

शिवा: मैं उनको मम्मी की चूचि दबाते हुए देखा था जब आप थोड़ी देर के लिए बाथरूम जाते थे जल्दी ही मम्मी ने उनको और उन्होंने मम्मी को पटा लिया और फिर एक दिन मैंने उनकी भी चुदाई देख ली। पापा क्या बताऊँ कितनी मस्ती से चोद रहे थे मम्मी को और वो चिल्ला कर मज़े से सिस कारियाँ भर रहीं थीं। अंकल तो मामा से भी ज़्यादा दबाकर चोदते थे। वो पूछते थे: क्या राजीव ऐसी चुदाई करता है?

मम्मी: आऽऽह पहले मस्त करते थे पर जब से बीमार हुए हैं नहीं कर पाते । आऽऽऽऽह तभी तो आपसे चुदवा रही हूँ।
रहमान अंकल तो उनकी चूचियाँ ऐसे दबाते थे जैसे पूरा दूध ही निकाल लेंगे। उफफफफ पापा ऐसे तो मैं मालिनी की दबा ही नहीं सकता। ये तो दर्द के मारे चीख़ उठेगी ।

राजीव: उफ़्ग्फ़्फ़्फ़ मालिनी क्या चूस रही हो। ह्म्म्म्म्म।

शिवा: वैसे पापा अंकल और मम्मी का ये खेल १ साल से भी ज़्यादा चला।

राजीव: आऽऽऽऽह मुझे याद है तेरी मम्मी ने मेरी बीमारी के दौरान तीन गर्भपात भी करवाए थे। मैंने पूछा कि क्यों करवा रही हो। हो जाने दो और बच्चे । तो वो नहीं मानी थी। अब समझ में आया कि वो मेरे बच्चे थे ही नहीं। इसीलिए वो उनको गिरा दी होगी।

शिवा: हाँ शायद यही कारण होगा। कोई भी मम्मी को कण्डोम के साथ नहीं चोदता था। इसीलिए बेचारी बार बार गर्भ से हो जाती होगी। वैसे रहमान अंकल के साथ भी बहुत दिन चला। वह दोनों बहुत देर तक ओरल सेक्स करते थे फिर ज़बरदस्त चुदाई होती थी , जिसके हर क्षण का मम्मी मज़ा लेती थीं ।

राजीव: उफफफ मुझे शक तो था पर कभी सबूत नहीं मिला। आऽऽऽहहहब बहु अब बस करो नहीं तो मुँह में ही झड़ जाऊँगा।

मालिनी मुँह उठाकर: तो झड़ जायीये ना। मुझे भी बहुत इच्छा हो रही है आपके रस को पीने की। यह बोलकर वो और ज़ोर से चूसने लगी। अब राजीव आऽऽऽऽह और ह्म्म्म्म्म्म्म मेरी जाआऽऽऽऽऽऽऽन लोओओओओओओओ पीयोओओओओओओओओ मेराआऽऽऽऽऽऽऽऽ रस । कहकर उसके मुँह में अपना रस छोड़ने लगा और मालिनी पूरी ताक़त से चूसती हुई एक एक बूँद रस पीती चली गयी।

अब मालिनी ने उसके लंड को चाटा और फिर तौलिए से साफ़ किया। और अब शिवा के खड़े लंड का सहलाते हुए बोली: शिवा आपकी क्या सेवा करूँ ?

शिवा: मैं पूरी बात ख़त्म करता हूँ फिर चुदाई करेंगे । तब तक चूस दो प्लीज़।


User avatar
Smoothdad
Novice User
Posts: 914
Joined: 14 Mar 2016 08:45

Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

मालिनी अब शिवा का लंड चूसने लगी। अब भी दोनों मर्दों के हाथ उसके बदन पर घूम रहे थे।

शिवा : वैसे पापा , मम्मी का सबसे बुरा हाल कल्लू टेलर ने किया था । वो इसी से अपने ब्लाउस वग़ैरह सिलवाती थीं । वो मुझे साथ उसकी दुकान पर हमेशा साथ में ले जाती थीं । मैं एक छोटे से कमरे में बैठ जाता था और मम्मी अंदर चली जाती थी दूसरे कमरे में । दोनों कमरों के बीच में एक पर्दा था। मैं परदे को बिलकुल ज़रा सा हटाकर अंदर झाँकता था और मुझे कल्लू और मम्मी साफ़ दिख जाते थे। उस दिन कल्लू मम्मी के ब्लाउस का नाप ले रहा था। उसने एक पजामा और कुर्ता पहना था। वो मम्मी की साड़ी के पल्लू को गिराकर नाप लेने लगा। वो मम्मी की चूचियाँ छूने का कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ रहा था। वो मम्मी की निपल के ऊपर एक टेप का हिस्सा लगाया और चूचियों के ऊपर से घुमाकर नाप ले रहा था। फिर वो ब्लाउस के अंदर ऊँगली डालकर कहा: ढीला है आपका ब्लाउस । ज़रा टाइट बना दूँ।

मम्मी: हाँ बना दो। आऽऽऽऽहाह । मैं चौंक कर देखा कि ये आवाज़ क्यों निकाली मम्मी ने? मैंने देखा कि वो अब मम्मी की चूचियाँ ब्लाउस के ऊपर से दबा रहा था। उसका पजामा आगे से बहुत ऊपर उठा हुआ था । वो मम्मी के पीछे आकर नाप लेने के बहाने उनकी गाँड़ से चिपक गया था और पजामा का आगे का हिस्सा उनकी गाँड़ में घुसा रहा था। उफफफफ पापा, अब मम्मी का कंट्रोल छूटने लगा था। वो अब कल्लू का विरोध नहीं कर पा रही थी। अब कल्लू ने भी नाप लेने का दिखावा बंद किया और मम्मी के कंधे को चूमने लगा और बोला: आऽऽऽह क्या माल हो मेरी जान। एक बार सेवा का मौक़ा दे दो। मस्ती से भर दूँगा। एक बार चुदवा लो ना मेरी जान। यह कहते हुए उसने मम्मी की साड़ी के ऊपर से बुर को भींच लिया। मम्मी उफफफफ कर उठी और बोली: आऽऽऽह। छोड़ो ना मुझे।

कल्लू: अरे बोलो ना कब आऊँ तुम्हारे घर चुदाई के लिए?

मम्मी: आऽऽऽह ठीक है कल १२ बजे आ जाओ घर पर। पर किसी से बात नहीं करना इस बारे में वरना बहुत बदनामी हो जाएगी।

कल्लू मज़े से भरकर: अरे किसको बताऊँगा? कोई फ़िकर मत करो। अब वह उनकी साड़ी उठाया और नीचे से उनकी जाँघ और बुर सहलाने लगा। अब मम्मी उइइइइइ कहकर बोली: बस बाक़ी का कल कर लेना। नाप तो ले लिया ना।
वह मम्मी की गाँड़ मसलकर बोला: क्या मस्त मोटी गाँड़ है। उफफफफ मज़ा आ जाएगा चोदने में।

मैंने एक बात नोटिस किया कि उसने मम्मी को अपना लंड नहीं छूने दिया। उसने ऐसा क्यों किया ये मुझे दूसरे दिन पता चला।

राजीव: उफफफ क्या वो एक टेलर से भी चुदवा चुकी है?

मालिनी: पापा, अगर आप एक कामवाली की ले सकते हो तो वो एक टेलर को दे दीं तो क्या हुआ?

राजीव मालिनी की गाँड़ दबाकर बोला: तो क्या तुम भी किसी टेलर या माली से चुदवा लोगी।

मालिनी हँसकर: मेरे लिए तो दो दो आशिक़ है मैं क्यों कहीं और जाऊँ? ये कहकर वो एक एक हाथ में दोनों के लंड को पकड़कर सहला दी। फिर बोली: हाँ शिवा फिर क्या हुआ?

शिवा: फिर कल्लू मम्मी को अपनी बाँह में दबोचकर उनके होंठ चूसा और एक बार और ब्लाउस के अंदर हाथ डालकर उनकी चूचियाँ मसला और फिर नीचे बैठ कर उनकी साड़ी उठाई और उनकी जाँघ चूमने लगा और बुर में भी मुँह घुसेड़ कर पता नहीं क्या क्या करने लगा।
मम्मी : उइइइइइइइ बस करोओओओओओओ । बाक़ी का कल कर लेना। ये कहकर अपने आप को छुड़ाई और कपड़े ठीक करके बाहर आयी। हम दोनों वापस घर आ गए।

अगले दिन मैं स्कूल से १२ बजे आकर अपनी जगह पर आकर जम गया। मुझे उत्सुकता थी कि मम्मी को कल्लू जैसा आदमी कैसे चोदता है। सही समय पर वो आया और आते ही मम्मी को पकड़कर अपने से चिपकाकर चूमने और चूसने लगा। फिर वो मम्मी की साड़ी और ब्लाउस उतारा और ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियों को मस्ती से दबाया। मम्मी आऽऽऽह करके बोली: आऽऽऽऽऽऽह थोड़ा धीरे से दबाओ ना। वो जैसे कुछ सुना ही नहीं। अब उसने उनकी पेटिकोट का नाड़ा खोला और उसे नीचे गिरा दिया। अब वो मम्मी को ब्रा और पैंटी में देखकर मस्ती से भर गया और उनके मोटे चूतरों को दबाकर बोला: साली मस्त माल है तू तो।

मैं हैरान रह गया कि जो आदमी कल तक मम्मी को आप कहकर बात करता था। अब सीधे तू पर आ गया है। फिर वो उनकी ब्रा खोला और उनकी चूचियों पर टूट पड़ा। उफफफफ कितनी ज़ोर से दबा रहा था मानो उनको निचोड़कर दूध ही निकाल देगा। मम्मी आऽऽऽऽऽहहह चिल्लाई। पर वो बिलकुल ध्यान नहीं दे रहा था। अब वो उनकी पैंटी भी निकाला और उनकी बुर को अपने पंजे में दबाने लगा। मम्मी उफफफफ कर उठी तभी उसने तीन मोटी मोटी उँगलियाँ अंदर डाल दीं । मम्मी इस अचानक हमले से हड़बड़ा गयीं और बोली: आऽऽह क्या कर रहे हो? इतनी जल्दी क्या है?

कल्लू मम्मी की बुर में उँगलियाँ अंदर बाहर करते हुए बोला: उफफफफ रँडी साली पूरी गीली हो गयी है चुदवाने के लिए और साली नाटक करती है।

अब मम्मी डर गयी कि कहाँ फँस गयी । उनके चेहरे पर उलझन के भाव स्पष्ट थे। अब वो उनकी गाँड़ को दबाने लगा और उनको बिस्तर पर लगभग पटक ही दिया और उलटा लिटा कर उनके चूतरों को दबाते हुए वहाँ ज़ोर ज़ोर से चपत भी मारने लगा। मम्मी चिल्लाए जा रही थी पर उसे जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था। मम्मी के दोनों गोले बिलकुल लाल हो गए थे। तभी उसने मम्मी की गाँड़ के छेद पर थूका और एक ऊँगली अपनी मुँह में डालकर गीला किया और फिर उनकी गाँड़ में डाल दिया। मम्मी उइइइइइइ कर उठी।

अब वो अपना कुर्ता पजामा और चड्डी निकाला और उसका लंड देखकर मैं तो मानो काँप गया। कम से कम १० इंच लंबा और मेरी कलाई जितना मोटा एकदम काला लौड़ा काली झाँटो से बाहर निकला हुआ किसी खम्भे की माफ़िक़ तना हुआ था और उसके नीचे बड़े बड़े बॉल्ज़ झूल रहे थे। इतना बड़ा लौड़ा मैंने कभी नहीं देखा था और मुझे डर लगा कि पता नहीं बेचारी मम्मी का क्या होगा? अब कल्लू मम्मी की गाँड़ को ऊपर किया और उनकी गाँड़ की दरार में अपना मुँह डाल कर चूसने लगा। मम्मी उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर आवाज़ें निकाल रही थीं। अब वो मम्मी को और ऊपर किया और उनकी बुर में पीछे से ही अपना लौड़ा डालने लगा। जबतक मम्मी को कुछ समझ में आता तब तक उसका आधा लौड़ा उनकी बुर में समा गया था। वो दर्द से चिल्लाई: हाऽऽऽय्यय क्या डाल रहे हो? उफफफफ इतना बड़ा? दुख रहा है । आऽऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मरीइइइइइइइइइइइ। निकाआऽऽऽऽऽऽऽलो बाआऽऽऽऽऽऽहर । पर कल्लू कहाँ सुनने वाला रहा वो और ज़ोर से धक्का लगाकर पूरा दस इंचि अंदर करके मम्मी की कमर को कसकर पकड़ कर पूरी ताक़त से धक्के मारकर उनको चोदने लगा। मम्मी की घुटी हुई चीख़ों से मानो उसे कोई मतलब ही नहीं था।

क़रीब दस मिनट के बाद वो मम्मी की बुर से अपना गीला लौड़ा बाहर निकाला और मम्मी को पलट दिया । अब वो उनके ऊपर आकर उनकी चूचियाँ चूसने लगा । मैंने देखा कि मम्मी की आँखों में आँसू आ गए थे। अब वो उठा और अपना लण्ड उनके मुँह के सामने रखा और मम्मी ने पहली बार उसका विशाल लौड़ा देखा और डर के बोली: आऽऽऽऽह इतना बड़ा ? अब वो उसे मम्मी के मुँह में डाल दिया और मम्मी पूरा मुँह खोकर भी उसे ढंग से चूस नहीं पा रही थी। उनकी आँखों से आँसू निकले ही जा रहे थे। पर उस कमीने पर कोई असर नहीं पड़ा। अब वो उनके मुँह को थोड़ी देर चोदा फिर वो मम्मी की टांगो को घुटनों से मोड़ा और पूरा फैला दिया और बीच में आकर अपना लौड़ा फिर से अंदर डाला और मम्मी को अपने ताक़तवर बदन के नीचे पूरी तरह से दबोचकर चुदाई में लग गया। उसने क़रीब मम्मी को एक घंटे तक बुरी तरह से चोदा। पहली बार मैंने मम्मी को चुपचाप पड़े हुए चुदवाते देखा। वो बिलकुल एक लाश सी पड़ीं थी और कल्लू पागलों की तरह उनको चोदे जा रहा था। वो बीच बीच में मम्मी की चूचियों को मसल देता था और मम्मी के होंठ और दूध भी चूसता था।

अचानक वो तेज़ी से धक्के मारने लगा और झड़ गया। जब उसने अपना लौड़ा निकाला तो मम्मी की बुर पूरी सूजी हुई और लाल सी दिखाई दे रही थी और उसने से ढेर सारा सफ़ेद रस निकल कर बाहर गिर रहा था।

कल्लू: आऽऽऽह क्या मस्त टाइट बुर है तेरी इस उम्र में भी साली रँडी। मज़ा आ गया। साली दूसरी छोकरियाँ तो मर जाऊँगी चिल्लाकर मेरा दिमाग़ ख़राब कर देती हैं, पर साली कुतिया मज़े से ले ली मेरा लौड़ा ।

मम्मी आँखों में आँसू लिए वैसे ही पड़ी रहीं और बोली: अच्छा अब तुम जाओ। मेरा बेटा आने वाला है।

वो दाँत निपोरते हुए कपड़े पहना और जाते हुए बोला: जब फिर चुदवाना हो बुला लेना मेरी रँडी कुतिया ।

उसके जाने के बाद भी मम्मी बहुत देर तक वैसी ही पड़ी रही और फिर हिम्मत करके उठी और लंगड़ाते हुए बाथरूम में गयी।

उस दिन मम्मी दिन भर ठीक से चल नहीं पा रही थी। पापा, आपने पूछा तो बहाना बना दीं थीं कि मसल खिंच गयी है टाँग की। अगले दो दिन वो मुझे साथ लेकर गैनोकोलोजिस्ट के पास गयीं । तीन चार दिन लगे उनको सामान्य होने में।

राजीव: ओह फिर वो कल्लू को फिर से बुलाई?

शिवा: नहीं पापा फिर कभी नहीं बुलाई। वो एक बार ही में उसको समझ गयीं थीं कि वो कितना बड़ा जानवर है।

राजीव: तो ये क्या उसका आख़री प्रेमी था? या इसके बाद भी किसी से चुदवाई थी?

शिवा: कल्लू के बाद वो बस वो अपने कज़िन राहुल से फँसी थीं । राहुल मामा और उनका रिश्ता क़रीब ३ महीने चला और फिर आख़िर बार वो राहुल मामा की शादी में ही उनसे आख़ीर बार चुदिं । ये पंजाब की बात है।

राजीव: उस साले राहुल पर मुझे शुरू से ही शक था। वो सविता को बहुत घूरता था और दीदी दीदी कहता था। बहन चोद साला उससे राखी बँधवाता था और उसकी ही लेता था। उसका चचेरा भाई था वो। अच्छा तुमने क्या देखा बताओ ज़रा?

शिवा आगे बोलता चला गया-----/
पापा, आपको याद है जब पहली बार राहुल मामा घर पर आए थे तो मम्मी ने कितना बढ़िया स्वागत किया था उनका? मामू भी उनको घूरते रहते थे। एक बार मैं सुबह उठा तो देखा कि मामू किचन में जा रहे हैं। मैं चुपचाप उनके पीछे गया और देखा कि मामू वहाँ किचन में काम कर रही मम्मी को पीछे से पकड़कर उनसे लिपटे हुए थे और उनके कंधे चूम रहे थे । वो अपनी कमर हिलाकर मम्मी की गाँड़ में अपना लंड रगड़ रहे थे।

मामू: आऽऽऽह मेरी जान क्या गाँड़ है तुम्हारी मस्त गद्देदार । वो मम्मी की गाँड़ दबाकर बोले। आज दोपहर को अपनी फुद्दी दे दो ना दीदी।

मम्मी हँसकर: कमीना , मेरी फुद्दी तो ऐसे माँग रहा है जैसे खाने के लिए रोटी माँग रहा है। चल हट अभी कोई आ जाएगा।

मामू: दीदी पहले चुदाई के लिए हाँ करो तभी छोड़ूँगा । वो मम्मी की चूचियों को नायटी के ऊपर से ही दबा कर बोला।

मम्मी: आऽऽह अच्छा ठीक है १२ बजे कर लेना । अब छोड़ ना बदमाश कहीं का।

मैं समझ गया कि आज भी दोपहर को प्रोग्राम जमेगा। मैं उस दिन भी स्कूल से जल्दी आ गया और मैंने अपनी पुरानी जगह से देखना शुरू किया। अभी कमरे में मम्मी अकेली थी और वो ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने बग़लों में सेण्ट लगा रही थीं। तभी मामू आ गया और आकर बोला: अरे दीदी आपके बदन की महक बहुत मस्त है आप वहाँ ख़ुशबू क्यों लगा रही हो? वह आकर उनकी बग़लों को उठाया और वहाँ नाक डालकर सूँघने लगा। अब वो मम्मी को बिस्तर पर गिरा दिया और ख़ुद भी उनके ऊपर चढ़ गया और एक लम्बे चुम्बन का आदान प्रदान होने लगा। फिर मामू ने उनकी चूचियाँ दबाईं और बोले: दीदी आज रँडी की तरह चुदवाओ ना प्लीज़ ।

मम्मी: अच्छा वो कैसे चुदवाती है?

मामू: वो पहले धीरे धीरे नंगी होती है, फिर वो अपनी गाँड़ मटका कर और चूचियाँ दबाकर और हिला हिला कर मर्द को मस्त करती हैं। फिर उनका लंड चूसती है और फिर मज़े से गाँड़ उछालकर चुदवाती है।

मम्मी: बस !! ये तो मैं तुम्हारे लिए कर ही सकती हूँ मेरे राजा भय्या।

ये कहकर वो मस्ती से खड़ी हुई और साड़ी में ही अपनी गाँड़ हिला कर मामू को दिखाने लगी। फिर वो साड़ी खोली धीरे धीरे और मटक कर चल के दिखाई पेटिकोट और ब्लाउस में कुछ ऐसे 👇👇
उफफफ पापा मुझे विश्वास नहीं हुआ कि मम्मी ये सब भी कर सकती हैं। फिर वो अपना ब्लाउस भी खोली और पेटिकोट भी नीचे गिरा दी। अब वो ब्रा और पैंटी में अपनी गाँड़ हिला कर दिखाने लगी।
ब्रा और पैंटी निकाल कर वो पूरी नंगी होकर अपने चूचे हिलायीं और गाँड़ भी मटकाने लगीं।

फिर वो आगे को होकर झुकी और अपनी गाँड़ मामू को दिखाईं । फिर अपनी चूचियाँ ख़ुद ही दबाई और मामू को दिखाई हिला हिला कर। उफफफ पापा वो पक्की रँडी लग रही थीं । मामू भी मस्ती से नंगे होकर अपना मोटा लौड़ा मम्मी को दिखाए और मम्मी कुतिया की तरह ज़मीन पर बैठी और मामू का लौड़ा चाटने और चूसने लगीं। वो उनके बॉल्ज़ भी चाट रही थी।

राजीव: उफफफ ये सविता को क्या हो गया था? शिवा: सच में पापा , वो एकदम रँडी की तरह लग रहीं थीं। फिर मामू बोले: चलो अब लेटो बिस्तर पर चुदाई शुरू करते हैं। अब मम्मी बिस्तर पर लेट गयीं । आपको पता वो पेट के बल लेट गयी। एकदम मस्त लग रही थीं । उनकी गाँड़ देखकर मामू का मोटा लौड़ा झटके मारने लगा।
अब मामू ने उनकी गाँड़ उठाई और नीचे हाथ डालकर उनकी चूचिया मसलने लगे। फिर अपना मोटा लंड मम्मी की बुर में घुसेड़ दिया और मम्मी मज़े से सिसकारी लेती हुई बोली: आऽऽऽऽहहह कितना मस्त लंड है भाई तेरा। उफफफ दबा और जोओओओओओओओओर से भाअअअअअअअइ । और चोओओओओओदो। फ़ाआऽऽऽऽड़ो मेंएएएएएएरि फुद्दीइइइइइइइइइइइइ। और वो अपनी गाँड़ पीछे करके मामू का पूरा लंड अंदर निगलने लगी।

अब मम्मी बोली: रुक भाई मैं ऊपर आती हूँ, तू भी क्या याद करेगा की क्या मज़ा दिया था दीदी ने?

यह कह कर वो ऊपर आ गयीं और उनका लौड़ा अपनी फुद्दी में डालकर ऊपर नीचे होकर चुदाई का भरपूर मज़ा लेने लगीं।
अब कुछ देर बाद मम्मी बोलीं: आऽऽऽऽह भाअअअअअअइइ अब ऊपर आकर तुम करो।
फिर मामू ऊपर आए और क़रीब आधे घंटे की ज़बरदस्त चुदाई के बाद मामू झड़े और मम्मी भी चिल्लाई जा रहीं थीं: आऽऽऽऽऽह मैं गयीइइइइइइइ।

अब दोनों शांत हो कर पड़े थे। मम्मी चुदाई के बाद कुछ इस तरह से पड़ीं थीं। 👇👇 । वो कपड़े पहनने जा रहीं थीं। पर मामू ने उनको रोका और जी भर के उनकी जवानी का दर्शन किया फिर बहुत सारा चुम्बन लिया और फिर वो दोनों बाहर आए।

राजीव: तुमने कितनी बार उनकी चुदाई देखी?

शिवा: कई बार । पर आख़िर बार की बहुत भयानक चुदाई थी। और वो भी पंजाब में हुई थी। आपको याद है मामू की शादी तय हो गयी थी तो वो मम्मी को लेने आए थे। आप नहीं जा पाए थे और मम्मी हमेशा की तरह मुझे साथ लेकर पंजाब चलीं गयीं थीं मामू के साथ। रास्ते भर ट्रेन में मामू और मम्मी हँसी मज़ाक़ करते रहे ।जब हम मामू के घर पहुँचे तो वहाँ कई रिश्तेदार आ चुके थे। मम्मी तड़प रही थी मामू से अकेले में मिलने के लिए पर कोई जुगाड़ नहीं बन पा रहा था। ख़ैर शादी का दिन भी आ गया था। मम्मी ने बहन द्वारा की जाने वाली सब रस्में कीं । मामू भी दूल्हा बने हुए थे और मम्मी को यहाँ वहाँ छू भी रहे थे। अब अचानक मामू ने मम्मी को धीरे से कुछ कहा, मम्मी मुस्कुरा उठी। मैं चौकन्ना हो गया । मुझे पता चल गया था कि कुछ होने वाला है। पर समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे मिलेंगे इतनी भीड़ भाड़ में?

तभी मम्मी ग़ायब हो गयीं । पर मामू तो दुल्हे थे इसलिए मुझे अभी भी दिख रहे थे। शादी २ घंटे के बाद यहीं होनी थी। शमियाना घर के सामने ही लगा था एक ख़ाली मैदान में। अचानक मैंने देखा कि मामू अपने दोस्तों से कुछ बोले और अकेले पीछे की तरफ़ चले गए। फिर मैंने उनका पीछा किया और देखा कि वो शामियाने का कपड़ा उठाकर बाहर चले गए पीछे की ओर जहाँ पेड़ और झाड़ियाँ थीं । मैं समझ गया कि कुछ प्रोग्राम बन गया है। मैं भाग कर घर की छत पर पहुँचा और पीछे की तरफ़ देखा और सन्न रह गया। वहाँ शामियाने के पीछे एक पेड़ के साये में मम्मी और मामू चिपके खड़े थे। थोड़ा अँधेरा सा था पर मुझे पता था कि वे दोनों ही इतनी हिम्मत कर सकते हैं। अब मम्मी नीचे बैठी और मामू ने अपना पजामा नीचे गिरा दिया और मम्मी उनका लंड चूसने लगीं। बड़ी देर बाद मामू ने मम्मी को उठाया और उनकी सलवार खोल दी । अब मम्मी पेड़ के सहारे आगे को झुकी और मामू ने पीछे से अपना लौड़ा उनकी फुद्दी में डाला और उनको बेतहाशा चोदने लगे। मम्मी भी अपनी गाँड़ पीछे करके चुदवा रहीं थीं ।



मैं हैरान रह गया कि मामू शादी के सिर्फ़ एक घंटे पहले भी मम्मी से चुदाई में लगा है। मस्त चुदाई के बाद दोनों कपड़े ठीक किए और फिर अलग अलग रास्ते से वापस जनवासे में आ गए और थोड़ी देर बाद मामू की शादी भी हो गयी।

राजीव: साला बड़ा ही कमीना इंसान है ये इसने अपनी बहन की चुदाई कीं वो भी अपनी शादीके बस एक घंटे पहले? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या क्या हुआ मेरे साथ और मुझे कोई ख़बर ही नहीं हुई।

शिवा: पापा उसके कुछ दिनों बाद आप ठीक हो गए और फिर मैंने एक दिन आपके कमरे से ज़बरदस्त चुदाई के साथ मम्मी की सिसकारियाँ सुनी तो मैं समझ गया कि अब सब नोर्मल हो गया है। उसके बाद मैंने मम्मी को और किसी से चुदवाते नहीं देखा।

मालिनी: मुझे मम्मी से कोई शिकायत नहीं है। आख़िर जब पापा ठीक हो गए तो वो भी नोर्मल जीवन जीने लगी ना। वो जो कुछ भी कीं पापा की बीमारी की वजह से कीं थीं।

राजीव: चलो अब जो दुनिया में नहीं है उससे क्या नाराज़ होना? चलो शिवा तुम मालिनी को चोद लो और फिर सोते हैं।

शिवा: पापा आप नहीं चोदेंगे इसे?

राजीव: नहीं मेरा अब मन नहीं है तुम ही कर लो।

अब शिवा मालिनी के ऊपर आकर उसकी ज़बरदस्त चुदाई किया क़रीब आधा घंटा और फिर दोनों थक कर सो गए।राजीव उनकी तरफ़ करवट लेकर लेटा हुआ उनकी चुदाई देख चुका था और बीच बीच में मालिनी की चूचि भी मसला था।
राजीव की आँखों से नींद ग़ायब थी, वो अब भी शिवा द्वारा बताई हुई बातों को सोच रहा था।
User avatar
Smoothdad
Novice User
Posts: 914
Joined: 14 Mar 2016 08:45

Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

update in 2 minute
Post Reply