बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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Kamini wrote: 25 Jun 2017 19:48 Superb updates dear
thanks
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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कुछ दिनों बाद महक डॉक्टर से मिली और उसने उसकी जाँच कर कहा कि वो अब स्वस्थ है और अब सामान्य जीवन जी सकती है मतलब अब चुदवा सकती है। उस रात शिवा और राजीव ने उसे जम कर चोदा। चुदाई भी सभी आसनों में हुई। उसकी गाँड़ को भी उन दोनों ने नहीं छोड़ा। अब मालिनी और महक बिस्तर पर पड़ी रहतीं और दोनों बाप बेटा उन पर जब मर्ज़ी चढ़ जाते और ज़बरदस्त चुदाई कर देते। इसी तरह एक महीना बीत गया और फिर महक अपने बच्चे के साथ वापस अपने पति के पास अमेरिका चली गयी।

शिवा और राजीव महक को बहुत मिस करते और मालिनी को चोद कर ही मस्त रहते। अब मालिनी का भी पेट फूलने लगा था और अगले कुछ दिनों में वो भी चुदवाने लायक नहीं रहेगी इस बात का इल्म था दोनों बाप बेटे को। शिवा ने दबी ज़बान में आयशा का ज़िक्र छेड़ा था पर राजीव ने उसे मना कर दिया था। अब शिवा अपनी सास की बात किया तो मालिनी ने मना कर दिया। शिवा को ऐसा लगने लगा था कि अब कुछ दिनों में ही चुदाई के लाले पड़ेंगे। उन दोनों के लौड़े बुर के लिए तरसेंगे।
इसी तरह दिन बीतते गए और एक दिन महिला गैनोकोलाजिस्ट ने मालिनी को कहा: बेटी अब तुमको सेक्स से बचना होगा।

मालिनी ने शर्माकर पूछा : क्या मुँह में ले सकती हूँ?

डॉक्टर मुस्कुराकर बोली: हाँ हाँ क्यों नहीं। बस अंदर मत डलवाना।

मालिनी झिझकते हुए: वो वो क्या है ना- मेरा मतलब है
कि याने—

डॉक्टर: बेटी पूछो ना जो पूछना है।

मालिनी धीरे से: क्या पीछे ले सकती हूँ?

डॉक्टर हँसकर: नहीं दोनों छेद में नहीं। असल में पीछे लोगी तो भी बच्चे पर लिंग का दबाव पड़ सकता है।

मालिनी: ओह । ठीक है मैं ध्यान रखूँगी।

अगले दिन उसने ये बात अपने पति और ससुर को बतायी तो दोनों का मुँह उतर गया।

राजीव : कोई बात नहीं बेटी । चूस दिया करना। इसी से काम चला लेंगे।

शिवा: हाँ मालिनी ये समय भी कट ही जाएगा।

इसी तरह दिन कट रहे थे। चुदाई पूरी तरह बंद हो चुकी थी बस लंड चूसवा कर ही दोनों मर्द गुज़ारा कर रहे थे।

ऐसे समय में एक दिन सुबह सुबह राजेश ( मालिनी के भाई )का फ़ोन आया । वो रो रहा था और बोला: दीदी श्याम ताऊजी और ताईजी नहीं रहे।

मालिनी: ये कैसे हुआ?

राजेश: ताई के ज़िद करने पर ताऊजी उनको लेकर एक मंदिर जा रहे थे पर रास्ते में उनका ऐक्सिडेंट हो गया और दोनों उसमें मारे गए। आप जल्दी से आ जाओ क्योंकि मम्मी अकेली दोनों बहनों को नहीं संभाल पा रही हैं।

मालिनी: हम अभी निकलते है और दो घंटे में पहुँचते हैं।

अब मालिनी शिवा से लिपट कर रोने लगी। राजीव और शिवा ने उसको सम्भाला और सब श्याम के घर के लिए निकल पड़े। मालिनी बोली: बेचारी मुन्नी और चारु पर क्या बीत रही होगी। वो दोनों तो एकदम से ही अनाथ हो गयीं।

जब ये सब वहाँ पहुँचे तो घर पर काफ़ी भीड़ थी। चारु और मुन्नी मालिनी से लिपट कर रोने लगीं। शिवा भी उनको चुप कराया और पानी पिलाया। फिर वो दोनों अंकल कहकर राजीव से भी लिपट कर रोने लगीं। राजीव ने दोनों के कंधे सहलाए और उनकी पीठ सहलाकर बोला: बेटी ये ईश्वर की मर्ज़ी है इसके आगे किसका बस चला है। अचानक ये कहते हुए उसके दोनों हाथ उन लड़कियों के पीठ पर ब्रा की पट्टी पर पड़े और उसने अपने लंड में कुछ सनसनी महसूस की। फिर वो अपने कमीनेपन पर ख़ुद ही शर्मिंदा हुआ और उनसे अलग हो गया।
फिर राजीव ने वहाँ का सब इंतज़ाम किया और दाह संस्कार राजेश के हाथों सम्पन्न हुआ।

तीन दिनों के बाद सब रीति रिवाज पूरा करके परिवार साथ में बैठा और भविष्य के बारे में विचार होने लगा।

सरला: मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है कि आगे का क्या होगा? राजेश की पढ़ाई पूरी हो गयी है और इसकी नौकरी पास के एक छोटे से क़सबे में लग गयी है। अब इसको तो वहाँ जाना होगा। मुझे भी इसके साथ ही जाना होगा। इसके खाने पीने का ध्यान रखने के लिए।

मालिनी सोची कि खाने का ध्यान या इसके लंड से चुदवाने का ध्यान??? छी मम्मी ऐसे समय में भी अपनी चुदाई के इंतज़ाम में ही लगी हुई है वो भी अपने बेटे से ।

शिवा: फिर ये दोनों यहाँ अकेले कैसे रहेंगी? चारु को तो इस साल कोलेज में भर्ती होनाहै और मुन्नी भी ११वीं में जाएगी। ये तो गड़बड़ हो जाएगा। राजेश वाले क़सबे में तो कोई ढंग का कोलेज है नहीं।

मालिनी: पापा क्या हम इन दोनों को अपने घर रखकर इनकी पढ़ाई जारी रखवा सकते हैं?

राजीव ने एक नज़र दोनों लड़कियों पर डाली। चारु ने सलवार कुर्ता पहना था और उसकी ३२ की चूचि टाइट क़ुर्ती में ग़ज़ब ढा रही थी। मुन्नी स्कर्ट और टॉप में थी। उसकी चूचियाँ ३० की हो गयी होंगीं और जाँघें भी स्कर्ट से मस्त गदराई दिख रही थी। राजीव के लंड ने एक अंगड़ाई सी ली। फिर वो बोला: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं, महक का कमरा तो ख़ाली है। ये दोनों वहाँ आराम से रह लेंगी और इनका कोलेज और स्कूल में भी अड्मिशन हो जाएगा।

सरला: पर श्याम की दुकान और इस घर का क्या होगा?

राजीव: ऐसा करते हैं कि ये घर और दुकान बेच देते है। और सारा पैसा राजेश और इन दोनों लड़कियों में बाँट देते हैं। इनके अकाउंट में जमा करवा देंगे। इससे इनकी पढ़ाई और शादी का ख़र्च भी निकल आएगा।

सबको ये बात पसंद आयी और राजीव ने एक दलाल को काम पर लगाया ताकि वो प्रॉपर्टी बेच सके।

रात को खाना खाकर राजीव बोला: आओ सरला थोड़ा टहल लेते हैं।

वो और सरला बाहर निकल कर टहलने लगे।

राजीव: और राजेश ख़ुश रखता है ना?

सरला: हाँ बहुत ध्यान रखता है मेरा।

राजीव: तो उसकी शादी करोगी या ख़ुद ही मज़े लेते रहोगी अपने जवान बेटे की जवानी का।

सरला: वो तो अभी शादी की बात ही नहीं करता। आप सुनाओ आप और आपका बेटा मालिनी को ख़ुश रखते हो ना?

राजीव: ये भी कोई पूछने की बात है। वो मेरी लाड़ली बहू है।

सरला: ये तो बताइए कि बच्चा किसका है?

राजीव: क्या फ़र्क़ पड़ता है? आख़िर ख़ून तो हमारा ही होगा ना। वैसे सच में हमें भी पता नहीं है।

सरला: ये दोनों जवान लड़कियाँ आपके घर रहेंगी तो आप तो इनको छोड़ोगे नहीं। है ना?

राजीव: अरे क्या बोलती हो। अभी तो बच्चियाँ हैं दोनों।

सरला: कोई बच्चियाँ नहीं है १८ के आसपास हो गयी है दोनों। पूरी जवान हैं और मैंने आपको उनकी चूचियों को घूरते भी देखा है।

राजीव: अरे तुम भी कल्पना करती रहती हो।

अब वो एक पार्क में आ चुके थे जो सूना सा था। राजीव की चुदाई तो कई दिनों से बंद ही थी सो वो सरला की कमर में हाथ डाला और उसको अपने से सटाकर उसके होंठ चूसने लगा। वो भी उससे चिपक कर उसका साथ देने लगी। अब राजीव उसकी मोटी गाँड़ को सहलाकर मस्ती से भरने लगा। सरला ने भी पैंट के ऊपर से उसके लंड को दबाना चालू कर दिया। जल्दी ही राजीव ने उसके ब्लाउस के हुक खोले और हाथ अंदर डालकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। सरला आऽऽऽऽऽह कर उठी। वो उसे पार्क में एक कोने में लेज़ाकर उसकी साड़ी उठाने का इशारा किया और अपना पैंट का जीप खोलकर अपने लौड़े को बाहर निकाला। सरला एकदम से ज़मीन पर बैठी और उसके लंड को चूसने लगी। फिर वो खड़ी हुई और राजीव ने उसको घुमाया और वो पेड़ के सहारे खड़ा किया। फिर वो आगे की ओर झुककर अपनी गाँड़ पीछे को उठाकर खड़ी हो गयी। राजीव ने उसकी साड़ी और पेटिकोट उठाया और नीचे झुककर वहाँ अपना मुँह डालकर उसकी गाँड़ और बुर चाटने लगा। फिर जब वो देखा कि उसकी बुर गीली हो गयी है तो वो अपना लौड़ा उसकी बुर में सेट किया और एक झटके से अपना मोटा लंड उसकी बुर में पेल दिया। सरला भी आऽऽऽह करके अपनी बुर पीछे करके चुदवाने लगी। राजीव भी अब ज़ोर से धक्का मारने लगा। फ़च फ़च की आवाज़ सरला की बुर से आने लगी थी। अब सरला सी सी कर रही थी। क़रीब २० मिनट की चुदाई के बाद सरला की घुटी हुई चीख़ें गूँजने लगीं। और फिर दोनों झड़ने लगे।

सरला ने सीधे खड़े होते हुए अपनी बुर को अपने पेटिकोट से पोंछा और राजीव भी एक रुमाल से अपना लंड साफ़ किया और उसे अंदर कर लिया अपने पैंट के अंदर। दोनों ने कपड़े ठीक किए और घर की ओर वापस चल पड़े।

रास्ते में सरला फिर से उसको छेड़ीं : तो मेरी भतीजियों को तो आप छोड़ने वाले नहीं हो। है ना?

राजीव : अरे क्या अनाप शनाप बकी जा रही हो उन बच्चियों के बारे में। अच्छा राजेश के साथ कब जा रही हो?

सरला: बस ३/४ दिन में । आप कब वापस जाओगे।

राजीव: बस चारु और मुन्नी का समान इकट्ठा कर देना तो कल ही चले जाएँगे।

जब वो वापस घर पहुँचे तो शिवा की दोनों ओर उसकी सालियाँ बैठी बातें कर रहीं थीं । मालिनी सामने बैठी राजेश कि साथ TV देख रही थी।

राजीव ने ध्यान से लड़कियों को देखा और सोचा कि सरला सही कहती है लड़कियाँ जवान हो चुकी हैं-- उसने अपना लौड़ा दबाकर सोचा।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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Kamini wrote: 03 Jul 2017 08:41Mast update
thanks
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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अगले दिन राजीव दोनों लड़कियों को उनके सामान के साथ अपने घर ले आया। कार में मालिनी शिवा के साथ आगे बैठी और राजीव के साथ चारु और फिर मुन्नी बैठीं थी । रास्ते भर वह चारु की जींस में फँसी जाँघें देखता रहा और मुन्नी की स्कर्ट से दिखाई देती गोरी चिकनी जाँघें भी मस्त लग रही थी। टॉप के ऊपर से उनकी छोटी चूचियाँ भी ग़ज़ब ढा रही थीं । उसका लौड़ा पैंट में तन गया था पर उसने कोई भी ग़लत हरकत नहीं की क्योंकि वो लड़कियों को अभी से डराना नहीं चाहता था। वो पहले ये समझना चाहता था कि ये दोनों कितनी खेली खाई हुई हैं या फिर बिलकुल भोली हैं जैसा कि दिखती हैं।

घर पहुँचकर उनको महक का कमरा दे दिया गया। वो उसमें सेटल होने लगीं। अगले कुछ दिनों कुछ ख़ास नहीं हुआ। लड़कियों के स्कूल और कोलेज अभी खुले नहीं थे। और दोनों घर पर ही रहतीं थीं । घर पर चारु और मुन्नी दोनों टॉप और स्कर्ट ही पहनती थीं । बाहर जाने के समय चारु पैंट या सलवार पहनती थी। दिन भर उनकी गदराई जाँघें देखकर राजीव की हालत पतली हो जाती थी और बड़ी समस्या यह थी कि मालिनी की चुदाई भी बंद थी और अब इन लड़कियों के आने से ख़ुल्लम ख़ुल्ला मस्ती भी बंद हो गयी थी। रात को मालिनी राजीव के कमरे में आकर उसका लौड़ा चूस देती थी या वो मालिनी के कमरे में जाकर अपना लौड़ा चुसवा लेता था।

उधर शिवा भी चुदाई के लिए व्याकुल था । उसने आयशा को पटा लिया और घर में बिना बताए वो उसे दुकान से जाकर चोद आता था। अब उसकी वासना थोड़ी शांत हो जाती थी। अभी तक उसके मन में अपनी सालियों के लिए बुरे विचार नहीं आए थे।

मालिनी भी लड़कियों के खाने पीने का पूरा ध्यान रखती थी। बरामदे में जहाँ कपड़े सूखते थे वहाँ आजकल राजीव को दो छोटी ब्रा और दो पैंटी सूखती हुई दिखती थी। वो जनता था कि ये इन लड़कियों की ही हैं । उसका मन और व्याकुल हो जाता। इसी तरह दिन कटने लगे थे।

शाम को सब बैठे बातें कर रहे थे तब चारु बोली: अंकल मुन्नी का स्कूल में अड्मिशन का समय आ गया है।

राजीव: हाँ मैंने बात कर रखी है ।दो तीन दिनों में, मैं मुन्नी को स्कूल ले जाऊँगा और वहाँ भर्ती करा दूँगा। वैसे तुम्हारा अड्मिशन का क्या सोचा?

चारु: अंकल मैं तो बी कोम करूँगी, नैशनल कोलेज से । वहाँ मेरी अड्मिशन हो जाएगी ना?

राजीव: हाँ बेटी क्यों नहीं होगी? उस कोलेज का ट्रस्टी मेरा दोस्त है। पर अभी उसमें तो समय है ना?

चारु: जी अंकल अभी १० दिन हैं ।

राजीव: बेटी ऐसा करेंगे हम उस दोस्त के घर जाकर उसे अगले हफ़्ते ही मिल लेंगे ताकि वो तुम्हारे लिए सीट पहले से रोक ले। ठीक है ना?

चारु: जी अंकल ठीक है।

मालिनी: चलो तुम दोनों की समस्या पापा ने हल कर दी। अब कोई चिंता मत करो सब हो जाएगा।
फिर सब खाना खाने बैठ गए।

अगले कुछ दिन सामान्य बीते। फिर राजीव मुन्नी को बोला: बेटी कल सुबह अपने सभी पेपर तय्यार रखना । हम तुम्हारे स्कूल जाएँगे अड्मिशन के लिए।

अगले दिन राजीव मुन्नी को लेकर घर से बाहर आया। मुन्नी ने आज सफ़ेद टॉप और काली स्कर्ट पहनी थी। बहुत मस्त लग रही थी । राजीव ने एक ऑटो रोका और उसने पहले से एक आदमी बैठा था । राजीव उसकी बग़ल में बैठा और मुन्नी एक साइड में बैठी। उसकी स्कर्ट कम जगह को वजह से ऊपर चढ़ गयी थी और राजीव का बैग हाथ से गिर गया ऑटो के फ़्लोर पर। वो उसे उठाने को झुका तो उसकी आँखें उसकी जाँघों की जोड़ पर चली गयी वहाँ उसने देखा की मुन्नी ने आज काली पैंटी ही पहनी थी। बुर का उभार बाहर निकला हुआ साफ़ दिखाई दिया और राजीव के लौड़े ने मानो बग़ावत कर दी और तनने लगा।

वो सोचा कि उफफफफ इसकी इतनी मस्त उभरी हुई है तो चारु की कैसी होगी? वो अपना लौड़ा मसल दिया। अब वो बैग उठाकर सीधे बैठा और उसकी कोहनी मुन्नी की बाँह से रगड़ने लगी। जब ऑटो थोड़ा उछलता तो वो अपनी कोहनी मुन्नी की चूचि से रगड़ देता। मुन्नी को राजीव की इन हरकतों पर तनिक भी संदेह नहीं हुआ।

ख़ैर वो स्कूल पहुँचे और राजीव उसे लेकर प्रिन्सिपल के ऑफ़िस पहुँचा। वहाँ ऑफ़िस के बाहर वेटिंग रूम बना था। वहाँ स्टूल पर एक क़रीब ४० साल की गोरी थोड़ी मोटी सी औरत बैठी थी। राजीव ने उसे एक पर्ची ने नाम लिख कर दिया और बोला: प्रिन्सिपल से मिलना है।

वो बोली: थोड़ा रुकिए अभी कोई अंदर है।

राजीव और मुन्नी वहाँ कुर्सी में बैठ कर इंतज़ार करने लगे। तभी उस औरत का मोबाइल बजा और वो अभी आती हूँ कहकर चली गयी।

जब क़रीब १० मिनट हो गए और वो औरत नहीं आयी तो राजीव उठकर ऑफ़िस के दरवाज़े के पास गया। शायद दरवाज़ा अंदर से बंद था। वो साथ बने लम्बी काँच की खिड़की के पास गया और अंदर झाँका तो परदे के कारण उसे कुछ नहीं नज़र आया। उसके आगे एक और काँच की लम्बी सी खिड़की थी । अब वो वहाँ से भी झाँका और वहाँ का पर्दा थोड़ा सा हटा हुआ था। उफफफ अंदर का दृश्य देखकर वो जैसे पागल हो गया। अधेड़ उम्र का प्रिन्सिपल अपनी कुर्सी पर बैठा था और उसके पास एक ताज़ा जवान लड़की स्कर्ट और टॉप में खड़ी थी। वो उसकी पीठ सहला कर बोल रहा था: बेटी मैं तुमको पास कर दूँगा पर तुमने पेपर बहुत ख़राब किया है। आख़िर मुझे भी तो कुछ मज़ा दो अगर मुझसे मदद चाहिए तो। यह कहते हुए उसने अपना हाथ उसकी स्कर्ट के अंदर डाला और राजीव समझ गया कि वो उसके छोटे छोटे चूतरों को दबा रहा है। फिर वो अपना हाथ उसके टॉप के ऊपर ले गया और उसके अमरूदों को भी मसलने लगा।

राजीव ने सोचा कि लड़की शायद मुन्नी या चारु की उम्र की होगी। फिर उसने उसका टॉप और ब्रा एक साथ उठा दी और उसकी नंगी चूचियों को देखकर बोला: आऽऽऽह बेटी क्या जवानी आइ है तुम पर। ये कहते हुए वो उसके अमरूद मसलने लगा। लड़की की सिसकियाँ गूँजने लगीं। अब वो अपनी कुर्सी से उठा और लड़की को अपने टेबल पर बग़ल से पकड़कर बिठाया और फिर उसके स्कर्ट को ऊपर करके वो अपना मुँह उसके जाँघों के बीच डाला और जाँघों को चूमते हुए चाटने लगा। शायद वह उसकी पैंटी को एक तरफ़ करके उसकी बुर चाटने लगा था। लड़की की सिसकियाँ निकले जा रही थीं। उसने उसके अमरूदों को मसलते हुए उसकी बुर चाटकर उसको स्खलित कर दिया। अब वो लड़की लम्बी लम्बी साँस ले रही थी । फिर वो जल्दी से नीचे उतरी और कपड़े ठीक की और बाहर भाग गयी। इसके बाद प्रिन्सिपल ने अपना पैंट खोल और उसमें से एक छोटा सा पतला सा लंड निकाला और उसको मूठ्ठी में लेकर आगे पीछे करके दो मिनट में झड़ गया। फिर रुमाल से साफ़ किया और अपना कपड़ा ठीक करके अपनी सीट पर बैठ गया। तभी राजीव को पीछे से आवाज़ सी आयी तो वो आड़ में छुप गया और तभी उसने देखा कि वो अधेड़ औरत वापस आकर राजीव की पर्ची लेकर अंदर गयी और मुस्कुराकर बोली: ले लिया मज़ा जवानी का?

प्रिन्सिपल उसको अपने पास आने का इशारा किया और जब वो उसके पास आकर खड़ी हुई तो उसकी मोटी गाँड़ पर हाथ फेरा और उसे दबाकर बोला: हाँ मस्त माल है। फिर आएगी वो । अरे ज़रा अपनी गाँड़ तो दिखाओ जानू। वो औरत हँसकर अपनी साड़ी और पेटिकोट उठा दी और वो उसकी नंगी मस्त गाँड़ दबाकर मज़े लेने लगा।

वो बोली: आपसे मिलने एक आदमी एक लौड़िया के साथ आया है। मिल लो बहुत देर से इंतज़ार कर रहे हैं।

प्रिन्सिपल उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: चलो भेज दो ।

अब राजीव जल्दी से वहाँ से हटकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। तभी वो औरत बाहर आयी और उनको अंदर जाने का इशारा किया। राजीव और मुन्नी अंदर गए तो वो मुन्नी को घूरते हुए बोला: आइए बैठिए।

फिर राजीव ने मुन्नी के सब पेपर दिखाए और स्कूल में अड्मिशन की बात की। उसके नम्बर अच्छे थे इसलिए कोई परेशानी नहीं हुई। पर प्रिन्सिपल बीच बीच में मुन्नी को ताड़ता रहता था। फिर राजीव ने चेक जमा किया और अड्मिशन करवा कर वो मुन्नी को लेकर वापस आया। रास्ते में वो सोचा कि प्रिन्सिपल साला लम्पट है पता नहीं मुन्नी को भी तंग करेगा क्या। वो सोचा कि मालिनी से बोलूँगा कि वो मुन्नी को सावधान कर दे।

यही विचार करते हुए वो दोनों घर पहुँच गए।

दोपहर को खाना खाकर जब लड़कियाँ अपने कमरे में आराम कर रहीं थीं तब वो मालिनी के कमरे में गया । मालिनी लेटी हुई थी करवट में। वह उसकी मोटी गाँड़ सहलाया और बोला: आज जिस स्कूल में मुन्नी का अड्मिशन कराया है वहाँ का प्रिन्सिपल साला महा हरामी है। तुम मुन्नी को समझा देना कि उससे दूर रहे और अगर वो उसे कुछ बोले तो तुमको बताए।

मालिनी: ऐसा क्या कर दिया उसने?

वह उसकी गाँड़ दबाते हुए बोला: अरे एक लड़की से मज़े ले रहा था और एक औरत की भी गाँड़ मसल रहा था। यह कहकर उसने मालिनी को पूरे विस्तार से बात सुनाई। मालिनी ने देखा कि उसके लूँगी में तंबू तन गया है तो वो उसको पकड़कर सहलाने लगी। अब राजीव उठा और दरवाज़ा बंद किया और लूँगी उतार दिया और बोला: साला वो सब देखकर मैं बहुत गरम हो गया हूँ। ज़रा झाड़ दे ना।

मालिनी उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी। वह उसके लंड को जीभ से चाट भी रही थी और उसके बॉल्ज़ को सहला भी रही थी। फिर उसने उसके बॉल्ज़ को चाटना शुरू किया और साथ ही पूरा लंड लम्बाई में चाटकर उसको मस्ती से भरने लगी।
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