बहू नगीना और ससुर कमीना
- mastram
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
मस्त अपडेट है मित्र
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
thanks to all
- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
रात के आठ बजे थे जब राजीव बस स्टेशन पहुँचा। वहाँ पता चला कि जाम की वजह से बस आधे घंटे बाद आएगी तो वो वापस कार में बैठा और ख़यालों में खो गया। उसे शकील की बातें याद आ रहीं थीं कि वो सरिता याने उसकी स्वर्गीय पत्नी को कई बार चोदा था। वो ड्राइवर अनवर से भी चुदी है यह सोचकर उसे थोड़ा बुरा लगा। वो ड्राइवर उसके यहाँ करीब तीन साल काम किया था।बाद में वो दुबई चला गया था। वह उसके दोस्त समीर से भी चुदती थी और उसे इस बात का शक तो था ही। क्योंकि जैसे राजीव का स्वास्थ्य ठीक हुआ उसने आना छोड़ दिया था।
राजीव जब एक बार हाल में समीर से एक माल में मिला था तो बातों बातों में वो बोला था कि अनवर वापस आ गया है और काम ढूँढ रहा है। पता नहीं राजीव को क्या सूझा कि वो समीर को फ़ोन लगाया: हाय समीर । फिर कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद वो बोला: समीर तुम उस दिन बोल रहे थेना कि अनवर वापस शहर में है क्या उसका नम्बर है?
समीर: हाँ है मैं भेजता हूँ। देखो यार बिचारे को कहीं काम दिलवा दो।
राजीव: ठीक है देखता हूँ। अब वो फ़ोन बंद कर दिया।
राजीव ने समीर के sms आने के बाद अनवर को फ़ोन लगाया और कहा: अनवर मैं राजीव बोल रहा हूँ। तुम्हारा पुराना मालिक।
अनवर: नमस्ते सर आपने कैसे याद किया?
राजीव: अरे तुम्हारे बारे में समीर ने बताया था।
अनवर: जी साहब मुझे काम चाहिए।
राजीव: एक काम करो रात को ९:३० बजे अस्पताल के सामने वाले रेस्तराँ में आ जाओ। ठीक है?
अनवर ख़ुश होकर: ठीक है सर ।
अब राजीव ने फ़ोन काटा और तभी बस से सरला उतरते दिखी। वो उसकी तरफ़ भागा । उसका बैग उसके हाथ में था। सरला ने एक गुलाबी रंग की क़ुर्ती पहनी थी और साथ ही टाइट क्रीम कलर की लेग्गिंग भी पहनी थी। उफ़्फ़्फ क्या मस्त लग रही थी इस उम्र में भी। वो राजीव को देखकर मुस्कुराई और नमस्ते की। राजीव उसके पास आकर उसका बैग लेकर बोला: नमस्ते क्या हाल हैं आपके? उफ़्फ़्फ़्फ आप तो बहुत मस्त दिख रहीं हैं। लगता है आप वापस से जवानी की तरफ़ बढ़ रही हैं। वह उसकी विशाल छातियों को देखकर बोला।
सरला हँसकर: अब क्या जवान होऊँगी अब तो नानी जो बन गयी हूँ। आप भी संभल जाओ और दादा के जैसे बर्ताव करो।
इस पर दोनों हँसते हुए कार तक पहुँचे और जब वो अंदर बैठने लगी तो उसका मस्त पिछवाड़ा देखकर राजीव के लौड़े ने मानो ठुमकी ली।
कार चलाते हुए राजीव ने सरला की ओर एक बार भरपूर नज़र से देखा और कहा: उफ़्फ़्फ सेक्सी नानी क्या खाती हो जो इतनी मस्त दिख रही हो। लगता है बेटा बड़ी सेवा कर रहा है और ध्यान रख रहा है?
सरला: इसमे क्या शक है। वो मेरा पूरा ध्यान रखता है।
राजीव उसकी जाँघ पर हाथ रखा और सहलाते हुए बोला: सच सरला मस्त फ़िगर हो गया है अब तुम्हारा? देखो क्या मस्त गदराई हुई जाँघें है। अब वो उसकी जाँघों के बीच अपना हाथ ले गया और सरला ने अपनी जाँघें खोल दीं । उसका हाथ लेग्गिंग के ऊपर से उसकी बुर पर पड़ा। वो उसे मूठ्ठी में लेकर भींचा और बोला: उफ़्फ़्फ क्या मस्त बुर है। पैंटी नहीं पहनी हो ना?
सरला: आऽऽऽह हाँ अब छोड़ दी हूँ पैंटी पहनना । राजेश को पसंद नहीं है।
राजीव: तुम्हारी चूचियाँ भी और बड़ी हो गयीं हैं । लगता है राजेश बहुत दबाता और चूसता है।
सरला: हाँ अब मेरी ब्रा ४२ DD साइज़ की हो गयी है। सच में दिन भर मेरे दूध से लटका रहता है मेरा बेटा। पागल है इनके पीछे। वो अपनी छातियाँ देखकर बोली।
राजीव: लकी बोय्य।
सरला: आप अपना सुनाओ। मालिनी तो बेचारी अभी एक महीने आपके काम की नहीं रहेगी। क्या मेरी भतीजियों को शीशे में उतार लिए हो?
राजीव: हा हा सही कहा तुमने। चारु की सील तो खोल दी है। पर मुन्नी अभी पूरी तरह तय्यार नहीं हुई है। उसे थोड़ा और बड़े हो जाने देते हैं।
सरला: अरे आजकल तो मुन्नी से भी छोटी लड़कियाँ मस्ती कर रही हैं । वो भी तय्यार हो गयी होगी।
राजीव: चलो तुम उससे मिलोगी तो बताना कि उसकी सील तोड़ने का समय आया है या नहीं।
सरला ने हाथ बढ़ाकर राजीव के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और बोली: वैसे ये मुझे भी कई बार याद आता है।
इस पर दोनों हँसने लगे। तभी अस्पताल आ गया और दोनों अंदर गए। राजीव: सरला तुम्हारा पिछवाड़ा पहले से ज़्यादा सेक्सी लग रहा है।
सरला सिर्फ़ मुस्कुरा दी।
कमरे में शिवा एक पलंग पर लेटा था और मालिनी अपनी बेटी के साथ लेटी थी। सरला को देखकर मालिनी उठ बैठी और अपनी माँ से लिपट गयी। फिर सरला ने शिवा को भी गले लगकर प्यार किया और फिर अपनी नतिनि के पास जाकर उसे गोद में लेकर उसे चूमने लगी।
बड़ी देर तक सब बातें करते रहे और सरला ने एक मिनट के लिए भी गुड़िया को अपनी गोद से नहीं उतरा। शिवा ने नानी और नतिनि की फ़ोटो खिंची और सरला ने उसे राजेश को watsapp करने को कहा।
तभी राजेश का फ़ोन आया और सरला ने कहा: हाँ राजेश फ़ोटो देखी?
राजेश: हाँ बहुत प्यारी है हमारी गुड़िया। चलो आप ठीक से पहुँच गए ना। रात को फिर बात करूँगा। बाई ।
अब राजीव ने टिफ़िन दिया और कहा: इसमें मालिनी और सरला का खाना है। शिवा आज तुम घर पर सो जाओ। कल तो हम इनको घर ले ही जाएँगे।
शिवा: ठीक है पापा। हम देख लेंगे। आप चलो अब घर जाओ। दोनो लड़कियाँ वहाँ अकेली हैं।
अब राजीव ठीक है कहकर वहाँ से बाहर आया । उसकी घड़ी में ९:३० बज रहे थे। वो सामने वाले रेस्तराँ में पहुँचा। वहाँ बाहर अनवर उसका इंतज़ार कर रहा था। अब वो काफ़ी परिपक्व दिख रहा था। जब वो उनके घर पर नौकरी करता था तब वो शायद १९/२० साल का था।
अनवर ने नमस्ते किया और राजीव मुस्कुराकर उसे साथ लेकर रेस्तराँ में घुसा और उसे एक कोने की टेबल लिया और साथ बैठने को बोला। वो झिझक कर बैठ गया।
राजीव: तुम कितने साल दुबई में थे?
अनवर: जी दस साल।
राजीव: फिर वापस क्यों आए? तभी वेटर आया और राजीव ने व्हिस्की ऑर्डर की। फिर पूछा: पीते हो ना?
अनवर शर्मा कर हाँ में सिर हिलाया। अब अनवर बोला: साहब यहाँ अम्मी और अब्बा का ध्यान रखने वाला कोई नहीं था। और फिर दुबई से मन भी भर गया था तो वापस आ गया।
राजीव: अभी कहाँ काम कर रहे हो?
अनवर: सर एक सेठ के पास पर वो बहुत कमीना है १४ घंटे काम करवाता है और पैसे भी नहीं देता।
राजीव: ओह । चलो देखता हूँ तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ।
तभी व्हिस्की आ गयी और दोनों पीने लगे। राजीव ने थोड़ी धीरे से कम पीने का मन बनाया और अनवर को पिलाता चला गया। जल्दी ही वो बहकने लगा।
राजीव: अनवर वो कितने अच्छे दिन थे ना जब तुम हमारे साथ काम करते थे।
अनवर की नशे में आँखें चमक उठीं वो बोला: जी सर वो मेरे ज़िंदगी का सबसे अच्छा समय था।
राजीव: हाँ और तुम मस्त जवान भी तो थे सिर्फ़ १८/१९ के होगे।है ना?
अनवर: जी सर आऽऽऽह क्या मस्त दिन थे वो। राजीव उसको एक और पेग पिलाया और बोला: अच्छा ये बताओ। उस समय की सब बातें तुमको याद हैं या कुछ भूल भी गए हो?
अनवर: क्या बोल रहे हो साहब। एक एक बात याद है।
राजीव: और हाँ कल मैं शकील टेलर से मिला था। वो बता रहा था कि सविता को लेकर तुम उसके यहाँ अक्सर जाते थे। याद है या भूल गए?
अनवर की आवाज़ अब लड़खड़ा रही थी: याद है सर सब याद है। फिर वो धीरे से बोला: साहब वो आदमी सही नहीं था।
राजीव: वो क्यों?
अनवर आगे होकर फुसफुसाया: सर वो मैडम ( सविता) पर गंदी नज़र रखता था।
राजीव: ऐसा क्या? पर तुमको कैसे पता?
अनवर: साहब एक बार मैडम उसके पास गयीं और कपड़ा कार में ही भूल गयीं। मैं उसे देने पहुँचा तो देखा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़।
राजीव: क्या देखा?
अनवर: आप ग़ुस्सा हो जाएँगे।
राजीव हँसकर: अरे अब ग़ुस्सा होने से क्या होगा वो तो भगवान के पास जा चुकी है।
राजीव जब एक बार हाल में समीर से एक माल में मिला था तो बातों बातों में वो बोला था कि अनवर वापस आ गया है और काम ढूँढ रहा है। पता नहीं राजीव को क्या सूझा कि वो समीर को फ़ोन लगाया: हाय समीर । फिर कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद वो बोला: समीर तुम उस दिन बोल रहे थेना कि अनवर वापस शहर में है क्या उसका नम्बर है?
समीर: हाँ है मैं भेजता हूँ। देखो यार बिचारे को कहीं काम दिलवा दो।
राजीव: ठीक है देखता हूँ। अब वो फ़ोन बंद कर दिया।
राजीव ने समीर के sms आने के बाद अनवर को फ़ोन लगाया और कहा: अनवर मैं राजीव बोल रहा हूँ। तुम्हारा पुराना मालिक।
अनवर: नमस्ते सर आपने कैसे याद किया?
राजीव: अरे तुम्हारे बारे में समीर ने बताया था।
अनवर: जी साहब मुझे काम चाहिए।
राजीव: एक काम करो रात को ९:३० बजे अस्पताल के सामने वाले रेस्तराँ में आ जाओ। ठीक है?
अनवर ख़ुश होकर: ठीक है सर ।
अब राजीव ने फ़ोन काटा और तभी बस से सरला उतरते दिखी। वो उसकी तरफ़ भागा । उसका बैग उसके हाथ में था। सरला ने एक गुलाबी रंग की क़ुर्ती पहनी थी और साथ ही टाइट क्रीम कलर की लेग्गिंग भी पहनी थी। उफ़्फ़्फ क्या मस्त लग रही थी इस उम्र में भी। वो राजीव को देखकर मुस्कुराई और नमस्ते की। राजीव उसके पास आकर उसका बैग लेकर बोला: नमस्ते क्या हाल हैं आपके? उफ़्फ़्फ़्फ आप तो बहुत मस्त दिख रहीं हैं। लगता है आप वापस से जवानी की तरफ़ बढ़ रही हैं। वह उसकी विशाल छातियों को देखकर बोला।
सरला हँसकर: अब क्या जवान होऊँगी अब तो नानी जो बन गयी हूँ। आप भी संभल जाओ और दादा के जैसे बर्ताव करो।
इस पर दोनों हँसते हुए कार तक पहुँचे और जब वो अंदर बैठने लगी तो उसका मस्त पिछवाड़ा देखकर राजीव के लौड़े ने मानो ठुमकी ली।
कार चलाते हुए राजीव ने सरला की ओर एक बार भरपूर नज़र से देखा और कहा: उफ़्फ़्फ सेक्सी नानी क्या खाती हो जो इतनी मस्त दिख रही हो। लगता है बेटा बड़ी सेवा कर रहा है और ध्यान रख रहा है?
सरला: इसमे क्या शक है। वो मेरा पूरा ध्यान रखता है।
राजीव उसकी जाँघ पर हाथ रखा और सहलाते हुए बोला: सच सरला मस्त फ़िगर हो गया है अब तुम्हारा? देखो क्या मस्त गदराई हुई जाँघें है। अब वो उसकी जाँघों के बीच अपना हाथ ले गया और सरला ने अपनी जाँघें खोल दीं । उसका हाथ लेग्गिंग के ऊपर से उसकी बुर पर पड़ा। वो उसे मूठ्ठी में लेकर भींचा और बोला: उफ़्फ़्फ क्या मस्त बुर है। पैंटी नहीं पहनी हो ना?
सरला: आऽऽऽह हाँ अब छोड़ दी हूँ पैंटी पहनना । राजेश को पसंद नहीं है।
राजीव: तुम्हारी चूचियाँ भी और बड़ी हो गयीं हैं । लगता है राजेश बहुत दबाता और चूसता है।
सरला: हाँ अब मेरी ब्रा ४२ DD साइज़ की हो गयी है। सच में दिन भर मेरे दूध से लटका रहता है मेरा बेटा। पागल है इनके पीछे। वो अपनी छातियाँ देखकर बोली।
राजीव: लकी बोय्य।
सरला: आप अपना सुनाओ। मालिनी तो बेचारी अभी एक महीने आपके काम की नहीं रहेगी। क्या मेरी भतीजियों को शीशे में उतार लिए हो?
राजीव: हा हा सही कहा तुमने। चारु की सील तो खोल दी है। पर मुन्नी अभी पूरी तरह तय्यार नहीं हुई है। उसे थोड़ा और बड़े हो जाने देते हैं।
सरला: अरे आजकल तो मुन्नी से भी छोटी लड़कियाँ मस्ती कर रही हैं । वो भी तय्यार हो गयी होगी।
राजीव: चलो तुम उससे मिलोगी तो बताना कि उसकी सील तोड़ने का समय आया है या नहीं।
सरला ने हाथ बढ़ाकर राजीव के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और बोली: वैसे ये मुझे भी कई बार याद आता है।
इस पर दोनों हँसने लगे। तभी अस्पताल आ गया और दोनों अंदर गए। राजीव: सरला तुम्हारा पिछवाड़ा पहले से ज़्यादा सेक्सी लग रहा है।
सरला सिर्फ़ मुस्कुरा दी।
कमरे में शिवा एक पलंग पर लेटा था और मालिनी अपनी बेटी के साथ लेटी थी। सरला को देखकर मालिनी उठ बैठी और अपनी माँ से लिपट गयी। फिर सरला ने शिवा को भी गले लगकर प्यार किया और फिर अपनी नतिनि के पास जाकर उसे गोद में लेकर उसे चूमने लगी।
बड़ी देर तक सब बातें करते रहे और सरला ने एक मिनट के लिए भी गुड़िया को अपनी गोद से नहीं उतरा। शिवा ने नानी और नतिनि की फ़ोटो खिंची और सरला ने उसे राजेश को watsapp करने को कहा।
तभी राजेश का फ़ोन आया और सरला ने कहा: हाँ राजेश फ़ोटो देखी?
राजेश: हाँ बहुत प्यारी है हमारी गुड़िया। चलो आप ठीक से पहुँच गए ना। रात को फिर बात करूँगा। बाई ।
अब राजीव ने टिफ़िन दिया और कहा: इसमें मालिनी और सरला का खाना है। शिवा आज तुम घर पर सो जाओ। कल तो हम इनको घर ले ही जाएँगे।
शिवा: ठीक है पापा। हम देख लेंगे। आप चलो अब घर जाओ। दोनो लड़कियाँ वहाँ अकेली हैं।
अब राजीव ठीक है कहकर वहाँ से बाहर आया । उसकी घड़ी में ९:३० बज रहे थे। वो सामने वाले रेस्तराँ में पहुँचा। वहाँ बाहर अनवर उसका इंतज़ार कर रहा था। अब वो काफ़ी परिपक्व दिख रहा था। जब वो उनके घर पर नौकरी करता था तब वो शायद १९/२० साल का था।
अनवर ने नमस्ते किया और राजीव मुस्कुराकर उसे साथ लेकर रेस्तराँ में घुसा और उसे एक कोने की टेबल लिया और साथ बैठने को बोला। वो झिझक कर बैठ गया।
राजीव: तुम कितने साल दुबई में थे?
अनवर: जी दस साल।
राजीव: फिर वापस क्यों आए? तभी वेटर आया और राजीव ने व्हिस्की ऑर्डर की। फिर पूछा: पीते हो ना?
अनवर शर्मा कर हाँ में सिर हिलाया। अब अनवर बोला: साहब यहाँ अम्मी और अब्बा का ध्यान रखने वाला कोई नहीं था। और फिर दुबई से मन भी भर गया था तो वापस आ गया।
राजीव: अभी कहाँ काम कर रहे हो?
अनवर: सर एक सेठ के पास पर वो बहुत कमीना है १४ घंटे काम करवाता है और पैसे भी नहीं देता।
राजीव: ओह । चलो देखता हूँ तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ।
तभी व्हिस्की आ गयी और दोनों पीने लगे। राजीव ने थोड़ी धीरे से कम पीने का मन बनाया और अनवर को पिलाता चला गया। जल्दी ही वो बहकने लगा।
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राजीव: हाँ और तुम मस्त जवान भी तो थे सिर्फ़ १८/१९ के होगे।है ना?
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अनवर की आवाज़ अब लड़खड़ा रही थी: याद है सर सब याद है। फिर वो धीरे से बोला: साहब वो आदमी सही नहीं था।
राजीव: वो क्यों?
अनवर आगे होकर फुसफुसाया: सर वो मैडम ( सविता) पर गंदी नज़र रखता था।
राजीव: ऐसा क्या? पर तुमको कैसे पता?
अनवर: साहब एक बार मैडम उसके पास गयीं और कपड़ा कार में ही भूल गयीं। मैं उसे देने पहुँचा तो देखा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़।
राजीव: क्या देखा?
अनवर: आप ग़ुस्सा हो जाएँगे।
राजीव हँसकर: अरे अब ग़ुस्सा होने से क्या होगा वो तो भगवान के पास जा चुकी है।
- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
अनवर: मैंने देखा कि वो साला टेलर मैडम के नाप लेने के बहाने उनकी चूचियाँ दबा रहा था और मैडम मज़े से आऽऽऽऽह कर रही थी।
राजीव: फिर क्या हुआ?
अनवर: फिर वो बहुत देर तक उनकी गाँड़ और कमर सहलाया और आख़िर में वो उनको एक अंदर के कमरे में ले गया। दरवाज़ा बंद था सो मै कुछ देख तो नहीं पाया। पर अंदर की आवाज़ों से मैं समझ गया कि वो मैडम की बजा रहा था ।
राजीव अनजान बनके: तुम्हारा मतलब है कि वो सविता को चोद रहा था।
अनवर: हाँ जी साहब पक्के से चोद रहा था ।
राजीव: फिर तुम क्या किए?
अनवर: मैं क्या करता साहब? चुपचाप वापस आके गाड़ी में बैठ कर मैडम का इंतज़ार करने लगा। वो क़रीब एक घंटे के बाद आयीं और बहुत थकी सी लग रही थी। आप समझे ना? वो आँख मारकर बोला। अब वो पूरे नशे में था और खुल गया था। वो ये भी भूल गया था कि वो जिसके बारे में बात कर रहा है वो राजीव की बीवी थी।
राजीव: फिर तुमने इसका फ़ायदा कैसे उठाया? तुम मैडम को बोले होगे कि आप टेलर से चुदवायि हो तो मैं साहब को बता दूँगा। कुछ पैसे वगेरह बनाए होगे। है ना? हा हा।
अनवर: हा हा नहीं साहब पैसे की कोई बात नहीं की मैंने पर — छोड़िए ना साहब पुरानी बातों को क्या याद करना?
राजीव उसके गिलास में एक और पेग डाला और वो उसे आधा एक घूँट में ही गटक गया।
राजीव: बताओ ना यार कैसे मैडम से फ़ायदा उठाया?
अनवर की आँखे पूरी चढ़ गयीं थीं वो बोला: ह्म्म्म्म्म मैं तो मैडम की मस्त जवानी पर फ़िदा था। आप बुरा नहीं मानना। मैं मैडम को बोला कि मुझे पता है आप टेलर से चुदवा रही हो। मैडम डर गयी वो बोलीं कैसी को बताना नहीं मैं तुमको पैसे दूँगी। तो मैं बोला कि मुझे तो आपकी जवानी चाहिए । मैडम बोलीं तुम तो अभी बच्चे हो। मैं तुमसे बहुत बड़ी हूँ। ये क्या अच्छा लगेगा। तब साहब मैंने कर एक सुनसान पार्किंग में रोकी और पैंट का जीपर खोलकर अपना लंड बाहर निकाला और मैडम को दिखाकर बोला कि देखो मैं बच्चा हूँ क्या? वो मेरा खड़ा लंड देखकर बोली हे भगवान तु तो पूरा जवान हो गया है? तेरा तो टेलर से भी ज़्यादा बड़ा है। मैं बोला कि आप बस हाँ करो मैं आपको मस्त मज़ा दूँगा।
राजीव: फिर क्या हुआ?
अनवर: वो बोलीं कि अच्छा आज नहीं कल का प्लान बनाते हैं पर जगह का क्या करेंगे? मैं बोला कि मैडम आप मेरी खोली में आ सकती हो। वो अलग से बनी है वहाँ कोई नहीं आएगा। मैं आपको कल वहीं ले जाकर चोदूँगा। वो हँसने लगी और बोली कि ठीक है , कल करेंगे। अगले दिन मैं मैडम को अपनी खोली में ले गया और ज़मीन पर बिछे बिस्तर पर एक घंटे से ज़्यादा चोदा।साहब उस दिन के बाद तो मैडम मेरी ग़ुलाम हो गयीं। वो रोज़ मुझसे दो बार चुदवातीं थी और मुझे इनाम भी देती थीं। फिर वो टेलर के पास भी जाना बहुत कम कर दीं थीं। फिर आप ठीक हो गए तो वो बोलीं कि देखो अब मुझे घर में ही मस्त चुदाई का मज़ा मेरे पति से मिलने लगा है तो अब मैं तुझसे नहीं चुदवाऊँगी। मैं काफ़ी निराश हो गया था पर तभी मुझे दुबई में काम मिल गया और मैं भी बाहर चला गया।
राजीव: क्या टेलर और तुम्हारे अलावा वो किसी और से भी चुदवाती थी?
अनवर: मुझे शक है कि आपके दोस्त समीर भी कई बार आपके घर आते थे पक्का पता नहीं पर मुझे शक है।
राजीव को जो पता करना था वो पता कर चुका था सो वो उठते हुए बोला: जब भी मेरे पास कोई काम होगा तुमको बताऊँगा। ठीक है?
अनवर : जी साहब ठीक है।
राजीव बिल पटा कर बाहर आया और सोचा कि सरिता की कोई ग़लती नहीं थी क्योंकि वह सिर्फ़ उसकी बीमारी के दौरान ही दूसरों से चुदवायि थी बाद में उसने अपने पर कंट्रोल कर लिया था। वह सोचा कि अनवर से मिलकर उसकी ग़लत फ़हमी दूर हो गयी है। वो जब घर पहुँचा तो चारु TV देख रही थी। रात के ११ बज चुके थे। वो चारु के पास जाकर बैठा और बोला: सोयी नहीं अब तक?मुन्नी कहाँ है?
चारु: वो सो गयी है। बस अब जा ही रही थी सोने।
राजीव ने मुस्कुराकर उसको अपनी गोद में खिंचते हुए कहा: जहाँ इतनी देर जाग ली हो तो थोड़ी देर और सही मेरे लिए। वो उसके होंठ चूमने लगा। वो: छी आपके मुँह से शराब की बास आ रही है। आप पीकर आए हो?
राजीव उसकी चूचियों को मैक्सी के ऊपर से दबाकर बोला: चलो एक इलायची चबा लेता हूँ फिर तुमको बास नहीं आएगी। वो टेबल से इलायची लिया और चबाने लगा।
वो: बिटिया चलो मैक्सी उतारो ना। तुमको चोदने का बहुत मन कर रहा है।
चारु: अंकल आज तो मेरी आपने और शकील अंकल ने बहुत बजाई है । आज रहने दो ना।
राजीव उसकी बुर को मैक्सी के ऊपर से दबाकर : अरे ये मज़ा तो बार बार लेना चाहिए। चलो बेडरूम में चलो और वो उसको एक बच्ची की तरह गोद में उठाकर अपने कमरे मे ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया।अब वो बाथरूम जाकर अपने लंड की सफ़ाई किया और पूरा नंगा होकर बाहर आया। चारु की हालत उसके लम्बे आधे खड़े लंड को देखकर ख़राब होने लगी। वो बोला: बेटी मैक्सी नहीं उतारी?
अब चारु बिस्तर पर खड़ी हुई और मैक्सी निकाल दी। ब्रा और पैंटी में कमसिन जवानी मस्त लग रही थी। दुबला पतला बदन पर जवानी भरपूर । वो अब लेट गयी। अब राजीव का लंड पूरा तन गया और वह बिस्तर पर बैठकर उसके बदन पर हाथ फेरा और बोला: आऽऽऽह बेटी क्या मस्त चिकना बदन है। उफ़्फ़्फ क्या दूध हैं । यह कहकर वो उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर उसे पलट दिया और उसकी पीठ सहलाते हुए उसकी गरदन चूमने लगा। अब वो जीभ से उसकी गरदन पीठ और चूतरों को चाटने लगा। चारु आऽऽऽऽऽह कर उठी। अब वो उसकी ब्रा का हुक खोला और फिर नीचे जाकर उसकी जाँघे चाटने लगा। अब वो उसकी पैंटी को नीचे किया और उसकी गाँड़ चाटने लगा। जब वो उसकी गाँड़ के छेद को छेड़ा अपनी जीभ से तो वो बोली: आऽऽऽऽऽऽऽह्ह्ह। अब वो उसे पलटा और पीठ के बल लिटाया और अब उसके होंठ चूसते हुए उसकी गरदन और फिर चूचि चूसने लगा।नीचे आते हुए उसने उसके पेट और नाभि को भी चाटा। जब उसका मुँह उसकी बुर पर पहुँचा तो चारु अपनी गाँड़ उचका बैठी और चिल्लाई: आऽऽऽऽहहह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़। कितनाआऽऽऽऽऽऽ अच्छाआऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽऽऽ है अंकल।
राजीव भी पूरी शिद्दत से उसकी बुर चूस और चाट रहा था। जीभ उसकी क्लिट से भी छेड़खानी कर रही थी।
फिर वो अपना लंड उसके मुँह के सामने रखा और चारु बिना किसी निमंत्रण के उसे चूसने और चाटने लगी। राजीव मस्ती में आकर उसके मुँह को मानो चोदने ही लगा। अब वो उठा और उसके मुँह से अपना लौड़ा निकाला और उसकी गाँड़ के नीचे एक तकिया रखा और बोला: बेटी अब चोदूं ?
चारु शर्मा कर: आऽऽऽऽऽह जीइइइइइइइ । और अपनी गाँड़ उछाल दी।
राजीव उसके रंडीपने पर मुस्कुराया और बोला: लो बेटी मेरा लौड़ा लो। यह कहकर उसने अपना लौड़ा उसकी बुर में फ़िट किया और हल्के से धक्का मारा और आधा लौड़ा उसकी टाइट बुर में धँस गया। चारु उइइइइइइ कर उठी।
उसकी चीख़ की आवाज़ मुन्नी ने भी सुनी जो बाहर आयी थी बाथरूम जाने के लिए। वो चारु को ढूँढ रही थी कि वो सोने अब तक क्यों नहीं आयी? वो आवाज़ सुनकर अंकल के बेडरूम में आयी और दरवाजे के पास आकर कान लगाई। चारु अभी भी आऽऽऽऽऽऽऽह कर रही थी। वो चुपचाप खिड़की के परदे को हटा कर अंदर झाँकी और उसका मुँह खुला का खुला रह गया। अंदर चारु अपनी दोनों टाँगें फैलाकर राजीव से चुदवा रही थी।
अब राजीव ने उसकी दोनों चूचियाँ मसलते हुए एक और करारा धक्का मारा और पूरा लौड़ा जड़ तक अंदर समा गया। इस बार चारु हाऽऽऽऽऽय्यय कर उठी। अब राजीव ने थोड़ी देर तक उसकी चूची चूसी और फिर जब चारु शांत होकर आऽऽऽह करने लगी तो उसने चुदाई शुरू की। पाँच मिनट चोदने के बाद वो बोला: बिटिया तुम भी नीचे से अपनी गाँड़ उछालो ना जैसे रूहि उछालती थी। मस्त मज़ा आएगा तुम्हें और मुझे भी।
अब नादान चारु ने अपनी कमर उछाली पर शायद टाइमिंग ग़लत हो गयी क्योंकि लौड़ा बाहर आ गया। राजीव हँसकर: कोई बात नहीं सीख जाओगी। बिटिया जब मैं नीचे धक्का मारूँ तब तुम ऊपर को अपनी गाँड़ उछालो।
जल्दी ही वो कमसिम चुदवाना सीख गयी और चुदाई का पूरा मज़ा लेने लगी। अब वो गाँड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थी। क़रीब आधे घंटे की चुदाई के बाद वो आऽऽऽऽऽऽऽह कहकर झड़ने लगी। राजीव भी झड़ने वाला था। वो बोला: आऽऽऽहह बेटी मेरा पानी मुँह में लोगी या बुर में छोड़ दूँ?
चारु: आऽऽऽऽऽऽह जो आपको अच्छा लगे वो करो।
अब राजीव ने अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसकी चूचियों पर सफ़ेद रस गिराया और फिर उसके मुँह के ऊपर भी रस गिराया। चारु अपना मुँह खोली और उसके रस को चाटने लगी। अब वो उसका लौड़ा अपने मुँह में ले ली और पूरा लौड़ा चूसी और फिर चाटकर साफ़ की। बाद में वो अपनी चूची पर लगा रस भी अपनी ऊँगली में लपेटी और फिर ऊँगली भी चाटने लगी।
मुन्नी की आँखें बाहर को आ रही थीं । वो सोची हे भगवान चारु तो अंकल का इतना बड़ा लौड़ा अंदर ले लेती है। उसकी बुर गीली हो चुकी थी। वो पैंटी के अंदर हाथ डालकर अपनी बुर में ऊँगली करने लगी।
राजीव को विश्वास हो गया कि ये अब पक्की चुदक्कड बन गयी है और आने वाले दिनों में बहुत मज़ा देगी। वह बड़े प्यार से उसको गोद में उठकर बाथरूम में ले गया और दरवाज़ा भी बंद नहीं किया। मुन्नी को सब दिख रहा था। राजीव ने चारु की बुर और गाँड़ साफ़ की और फिर शॉवर लेकर तौलिए से उसका बदन पोंछा। अब बिस्तर में लाकर उसको लिटाया और फिर से उसके बदन को चूमने लगा। चारु हँसकर : अंकल क्या फिर से करोगे?
राजीव: आऽऽऽऽऽह मन तो बहुत कर रहा है पर अब सो जाओ। चलो कपड़े पहनो।
चारु उठकर अपने कपड़े पहनी और राजीव को लिपट कर प्यार किया और अपने कमरे की ओर चल पड़ी। इसके पहले ही मुन्नी अपने कमरे में आकर सोने का नाटक कर रही थी। तभी चारु आइ और आकर सो गयी।
उधर सरला और मालिनी ने खाना खाया। शिवा बाहर जाकर कैंटीन से खाना खा कर आ गया। उसने देखा कि सरला मालिनी को बच्चे को सम्भालने के गुर सिखा रही थी। वह चुपचाप माँ बेटी को बातें करते देखता रहा। थोड़ी देर बाद गुड़िया रोने लगी । सरला ने मालिनी को उसे दूध पिलाने को कहा। वो उसे दूध पिलाने लगी। अब सरला आकर शिवा के बग़ल में बैठी और बोली: और शिवा क्या हाल है? कैसा लग रहा है पापा बनकर?
शिवा: मम्मी बड़ा अच्छा लग रहा है। आप सुनाओ आपकी और राजेश की कैसी चल रही है।
सरला थोड़ा सा झिझक कर: सब ठीक है।
शिवा: मम्मी आपकी बस्ती वालों को शक नहीं होता आप माँ बेटे पर?
सरला: हम बाहर वालों के सामने तो माँ बेटा ही हैं। बस घर के अंदर क्या होता है किसको पता है?
शिवा: पर फिर भी मम्मी कभी बाहर वालों के सामने ऐसा कुछ हो सकता है ना कि उनको शक हो जाए।
सरला: बुरा नहीं मानना बेटा, पर तेरे पापा और उनकी बहू के बारे में किस किस को शक हुआ, बता तो?
शिवा झेंप गया और बोला: हाँ मम्मी आप ठीक कह रही हो। किसी को शक नहीं हुआ है।
सरला: वैसे ही हम पर भी शक नहीं हुआ। ठीक है?
शिवा : जी समझ गया। अच्छा ये बताओ कि आप अपनी फ़िगर कैसे इतनी मस्त रखती हो?
सरला: राजेश मुझे लेकर सुबह वॉक पर जाता है। मेरी डाईट का भी बहुत ख़याल रखता है।
शिवा धीरे से : और लगाता कितनी बार है दिन में?
सरला मुसकुआयी: बदमाश कहीं का । मैं उसका माल हूँ जितनी दफ़ा भी लगाए तुमसे क्या?
मालिनी: क्या खुसर पुसर हो रहा है आप दोनों में?
शिवा: कुछ नहीं मम्मी की खिंचाई कर रहा था।
मालिनी: मम्मी इनकी किसी बात का बुरा मत मानो। क्योंकि इनको कई दिनों से मैं नहीं मिली हूँ।
सरला: इसलिए इसका दिमाग़ घूम गया है क्या?
शिवा: क्या मालिनी तुम भी ना कुछ भी बोलती हो ।
मालिनी: मम्मी ये बहुत दिनों से प्यासे हैं । आप इनको आज ख़ुश कर दीजिए ना। राजेश आपका बेटा है तो ये भी तो आपके दामाद ही हैं आख़िर। और आप पहले भी तो इनसे ये सब कुछ कर चुकी हैं।
सरला नाटकीय अन्दाज़ में बोली: हे भगवान देखो ये मेरी बेटी है वो मुझे अपने दामाद के साथ सोने को बोल रही है।
शिवा: मम्मी नाटक छोड़ो और अगर मूड है तो बोलो। वरना कोई बात नहीं मैं करवट ले कर सो जाऊँगा।
सरला हँसने लगी और बोली: अच्छा बाबा जैसा चाहो कर लो। पर बत्ती बंद कर लो। मुझे रौशनी में शर्म आएगी।
उसकी इस बात पर तीनों हँसने लगे। और शिवा उसको अपनी बाँह में खींचकर उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिया।
- Kamini
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
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