बहू नगीना और ससुर कमीना

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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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शाम के पाँच बजे थे। मालिनी सबके लिए चाय लाई तो चारु और मुन्नी राजीव से सटकर बैठीं थीं। सरला सामने सोफ़े पर गुड़िया को लेकर बैठी थी।

मालिनी : आप चाय पीओ मैं इसे दूध पिला कर लाती हूँ। वो ये कहकर गुड़िया को लेकर चली गयी।

उधर सब चाय पी रहे थे। राजीव ने शिवा को फ़ोन लगाया: अरे बेटा कब तक आओगे। यहाँ हम सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। ख़ासकर मुन्नी तो मरी जा रही है।

मुन्नी लाल होकर: क्या अंकल मेरा नाम क्यों ले रहे हैं?

शिवा हँसकर: मैं शाम ७ बजे तक आ जाऊँगा। अच्छा पापा भीड़ है दुकान में, रखता हूँ।

राजीव मुन्नी की एक चूचि दबाकर: देखो मैंने तुम्हारे लिए उसे जल्दी बुला लिया है।

मुन्नी शर्माकर: वो वैसे भी ७ बजे ही आने वाले थे।

चारु: अंकल उसे क्यों तंग कर रहे हैं । वो वैसे भी डरी हुई है अभी बोल रही थी कि जीजू का इतना मोटा मैं कैसे लूँगी? मेरी तो फट ही जाएगी।

सरला: अरे चारु भी तो शिवा और तेरे अंकल का ली है। उसकी कौन सी फट गयी।

राजीव: हा हा फटी हुई तो सभी लड़कियों की होती है।

इस पर सब हँसने लगे।

तभी मालिनी झल्लाती हुई कमरे में आयी और गुड़िया को सरला को देकर बोली: देखो मम्मी ये नालायक दूध ही नहीं पी रही है। लगता है डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा।

सरला: अरे बच्चे कभी कभी एक टाइम का उपवास करते हैं।

मालिनी अपनी एक चूची छूकर बोली: मम्मी इसके ना पीने की वजह से देखो ये अब दुःख रहे है।

सरला मुस्कुरा कर: तो क्या हुआ? जा ना अपने ससुर को पिला दे। तेरा दुखना बंद हो जाएगा।

राजीव मुस्कुराकर: हाँ हाँ बहु आओ मुझे पिला दो।

मालिनी: अच्छा चलिए आपके कमरे में चलते हैं।

राजीव उठा और मालिनी के पीछे अपने कमरे में पहुँचा। मालिनी बिस्तर पर लेट गयी और अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दी। उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ एकदम पत्थर सी सख़्त हो रहीं थीं। वो अपना ब्लाउस खोली और अब उसकी ब्रा में से बड़ी बड़ी चूचियाँ दिख रही थी। राजीव उसके बग़ल में आकर लेटा और बोला: बहू क्या हुआ?

मालिनी: पापा ये बहुत सख़्त हो गए हैं और दुःख रहे हैं।

राजीव: बेटी मैं समझ गया कि इनमे दूध भरा हुआ है। ब्रा भी खोलो।

मालिनी ने ब्रा का हुक खोला और राजीव उसकी बड़ी बड़ी पूरी तनी हुई चूचियाँ देखता ही रह गया। अब वो अपना मुँह एक चूची पर रखा और हाथ से चूचि दबाकर दूध निकालने की कोशिश किया। फिर वो चूसने लगा और थोड़ी देर बार दूध की धार निकलने लगी। अब मालिनी: आऽऽऽऽह पापा अच्छा लग रहा है बहुत। अब आराम मिल रहा है। और चूसो। आऽऽऽह ।

राजीव अब ज़ोर ज़ोर से चूसकर दूध पी रहा था। अब मालिनी बोली: आऽऽऽह पपाऽऽऽऽ प्लीज़ अब दूसरा वाला पियो ना।

राजीव ने अब दूसरी चूची दबाया और उसे भी चूसने लगा। जैसे ही उसमें से दूध बाहर आया मालिनी आऽऽऽहह पाआऽऽऽऽऽपा अच्छा लग रहा है। उफ़्फ़्फ़्फ ये गुड़िया आज सुबह से दूध पी नहीं रही है । अब जाकर आराम मिला।

राजीव अपना मुँह पोंछकर: क्या शिवा नहीं पीता?

मालिनी: वो तो रात को दूध पिए बिना सोते ही नहीं । कई बार तो मुँह में लेकर सो जाते हैं। राजीव: चलो बहू अब ब्लाउस बंद कर लो। वो उसे चूमता हुआ बोला।

मालिनी: पापा लौड़ा खड़ा हुआ हो तो मैं चूस दूँ?

राजीव: अरे नहीं बहू । रहने दो ना। वो क्या बोलता कि आज वो लिली की दो बार चुदाई कर चुका है।

अब दोनों बाहर आए और सरला बोली: तो मेरी नतिनि के हिस्से का दूध अपने ससुर को पिला दी?

मालिनी अपनी छाती को छूकर: उफ़्फ़्फ मम्मी अब। बड़ा आराम मिला। बहुत हो अजीब सा फ़ील हो रहा था।

मालिनी किचन में चली गयी।

राजीव चारु को आवाज़ दिया और बोला: चलो थोड़ा बाज़ार होकर आते हैं। जाओ तय्यार हो जाओ।

चारु ख़ुशी से तय्यार होने चली गयी। राजीव अपने कमरे में जाकर तय्यार हुआ और किचन में जाकर मालिनी को देखा तो वो आटा गूंद रही थी। वो पीछे जाकर उसके गाल चूमा और उसकी मस्त गाँड़ दबाकर बोला: बहू बाज़ार जा रहा हूँ। कुछ लाना है क्या?

मालिनी: अब क्यों जा रहे हैं बाज़ार? सब गिफ़्ट्स तो ले ही आए हैं ?

राजीव: वो सोच रहा था कि कुछ फूल ले आता और थोड़ा मोमबत्ती वगेरह । रात की तैयारी हो जाती। वाइन की बोतल भी ले आऊँगा।

मालिनी: मैं खाना तो बाहर से मँगा ली हूँ। आप आइस क्रीम भी ले आना। आऽऽऽह क्या कर रहे हैं ।उफ़्फ़्फ ज़ोर से मत दबाओ ना।

राजीव: अरे बहू तुम्हारी गाँड़ है ही इतनी मस्त कि दबाने में बहुत मज़ा आता है।

मालिनी: और हाँ वो आइ पिल भी ज़्यादा ले आना। अब तो आप दोनों तीन तीन लड़कियों की लोगे तो मैं और वो दोनों प्रेगंनेट नहीं होनी चाहिए ना।

राजीव ने उसकी गाँड़ में एक चपत मारी और कहा: हाँ ये तो है । ठीक है लेता आऊँगा। फिर वो उसे चूम कर बाहर आया तो चारु एक लाल टाइट स्लीव्लेस टॉप और एक चूतडों पर टाइट केप्रि में मस्त माल दिख रही थी। उफ़्फ़्फ़ इस लड़की पर भी क्या जवानी आयी है वो सोचा। अब वो चारु के पास आकर उसके गाल चूमा और बोला: उफ़्फ़्फ बेबी क्या माल लग रही हो? आज बाज़ार में कई घायल होंगे तुम्हारी जवानी के कटार से।

चारु हँसने लगी और बोली: चलें?

राजीव और चारु बाहर को निकल गए। दरवाज़े से बाहर निकलते हुए राजीव उसकी मस्त गाँड़ को दबाकर बोला: अब बड़ी हो रहीं हैं तुम्हारी गाँड़ भी। ग़ज़ब की दिखोगी जब ये थोड़ी और बड़ी हो जाएँगी।

बाहर आकर वो कार से एक बाज़ार में गए। रास्ते भर राजीव उसकी जवानी की तारीफ़ करता रहा। बाज़ार में उसने सब सामान लिया और चारु पूछी: अंकल ये इतने सारे फूल क्या करेंगे?

राजीव: आज हमारी मुन्नी की सील टूटेगी ना तो कमरे को थोड़ा सज़ा देंगे।

चारु: आपने मेरी सील तो बिना ये सब किए तोड़ दी थी?

राजीव: हा हा अगर मुन्नी की भी मैं ही सील तोड़ता ना, तो कोई ताम झाम नहीं होता। पर अब ये काम मुन्नी को शिवा से करवाना है तो चलो थोड़ा सा इंतज़ाम कर देते है।

फिर वो एक चाट की दुकान में जाकर चारु से बोला: बिटिया चाट खाओगी?

चारु: जी अंकल मुझे अच्छा लगता है।

वो दोनों एक टेबल पर बैठे और चाट खाने लगे।

चारु बोली: अंकल मुन्नी डरी हुई है मुझे पूछ रही थी कि क्या बहुत दर्द होता है पहली बार करवाने में?

राजीव: फिर तुम क्या बोली?

चारु: मैं बोली कि मेरे साथ तो अंकल ने बहुत प्यार से और धीरे से किया था पर दर्द तो हुआ था।

राजीव: शिवा भी प्यार से और धीरे से ही करेगा। ज़्यादा दर्द नहीं होगा बोल देना उसको। और बताओ कोलेज में कोई बोय्य फ़्रेंड बना?

चारु: नहीं अंकल । मेरी फ़्रेंड्स तो लड़कियाँ ही हैं ।

राजीव: वो तुम क्या कह रही थी कि एक लड़की का पापा तुम्हारी लेना चाहता है और बदले में मुझे अपनी बेटी की दिलवा देगा?

चारु: जी अंकल उसका नाम शमा है उसके अब्बा का नाम तारिक है। वो ही बोल रही थी।

राजीव: तारिक कबसे अपनी बेटी को लगा रहा है?

चारु: वो बस बतायी थी कि काफ़ी दिनों से वो अपने अब्बा से मज़ा ले रही है। हाँ उसकी अम्मी का देहांत हो चुका है।

राजीव: ओह तभी। कोई फ़ोटो है शमा की तुम्हारे पास?

चारु ने अपनी मोबाइल से फ़ोटो निकाली और दिखाकर बोली: ये नीले टॉप वाली लड़की है।

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राजीव ने मोबाइल में फ़ोटो देखी और उसको ज़ूम किया और उसके लौड़े ने झटका मारा। कोई तो बात थी इस शमा में। बहुत मासूम सा चेहरा, गोरा रंग, बड़ी बड़ी आँखें और लम्बी सूराहिदार गरदन और उसके नीचे टॉप में से साफ़ पता चलता था कि उम्र से बहुत बड़ी चूचियाँ । उफ़्फ़्फ क्या क़यामत चीज़ थी। वो अपना लौड़ा ऐडजस्ट करके कहा: बेटी ये तो बहुत सुंदर है।

चारु: वाह अंकल ये आपको सुंदर लगी और इसके अब्बा को मैं सुंदर लगी। हा हा ।

राजीव चारु की जाँघ सहला कर बोला: अरे बेटी तुम तो बहुत सुंदर हो ही। तो हैरानी की क्या बात है कि तुम उसे सुंदर लगी। और क्या खाओगी?

चारु: गुपचुप यानी पानी पूरी।

राजीव ने वो भी मँगवाया और बोला: बेटी शमा का नम्बर है क्या?

चारु: जी अंकल है ना।

राजीव: तो उसे फ़ोन लगाओ और उसे बताओ कि वो भी मुझे बहुत पसंद आयी है।

चारु हंस कर: ठीक है अंकल लगाती हूँ।

चारु ने फ़ोन लगाया और बोली: शमा कैसी है? —-//////

अरे मैंने तेरी फ़ोटो मेरे अंकल को दिखाई तो वो तो तुझपे फ़िदा हो गए हैं । ——//////

सच कह रही हूँ। —-///: अच्छा मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो ले उनसे ही बात कर ले।

राजीव: हाय शमा कैसी हो?

शमा: नमस्ते अंकल।

राजीव: नमस्ते बेटा नमस्ते। आज चारु ने तुम्हारी फ़ोटो दिखाई। तुम तो बहुत स्वीट हो और तुम्हारी आवाज़ भी उतनी ही स्वीट है। बहुत अच्छा लगा तुमसे बात करके।

शमा : थैंक यू अंकल। अब्बा भी यहीं हैं ।आप उनसे भी बात कर लीजिए ना। मैं उनको फ़ोन दे रही हूँ।

तारिक: हाय सर जी कैसे हैं ? मेरा नाम तारिक है।

राजीव: हाय मेरा नाम राजीव है । मैं ठीक हूँ। आपकी बेटी शमा और मेरी बहू की बहन चारु सहेलियाँ हैं । बहुत पटती है दोनों में।

तारिक: हाँ जी बहुत अच्छी फ़्रेंड्स है दोनों? उसी ने मुझे आपके बारे में बताया था? मुझे तो चारु की फ़ोटो बहुत पसंद आयी। आपको शमा की फ़ोटो कैसी लगी?

राजीव: अरे बहुत ही प्यारी बच्ची है वो भी।

तारिक: अरे मुझे पता चला है कि चारु बिना मॉ बाप की लड़की है। आपने उसको सहारा दिया है।

राजीव: हाँ जी और शमा की भी माँ नहीं है मुझे चारु ने बताया है।

तारिक: हाँ जी इसकी अम्मी का ३ साल पहले ही इंतक़ाल हुआ है।

राजीव: ओह बेचारी बच्ची। पर आपने तो बड़े प्यार से पाला है ना। ऐसा चारु बता रही थी।

तारिक हँसकर: हा हा उतने ही प्यार से जितने प्यार से आपने चारु को पाला है। मुझे शमा ने बताया है सब। तभी तो मैंने कहा कि अगर आप चाहें तो किसी संडे को आप दोनों मेरे घर मेहमान बन सकते हैं । बहुत मज़ा आएगा।

राजीव: आपने इसके पहले भी ऐसा कभी किसी के साथ किया है क्या?

तारिक: सर अब आपसे क्या छिपाऊँ ? हाँ ऐसे ही हम दोनों एक बार इसकी एक सहेली और उसके पापा से मिल चुके हैं । बहुत मज़ा आया था।

राजीव: ओह मुझे भी ऐसा अनुभव है। चलिए प्रोग्राम बनाते हैं। अभी रखता हूँ।

चारु: अंकल क्या सच में आप और मैं उनसे मिलेंगे क्या?

राजीव मुस्कुरा कर: तुम क्या चाहती हो?

चारु शर्मा कर: मुझे क्या पता कि क्या सही है और क्या ग़लत?

राजीव: अच्छा बताओ जब हम शकील और उसकी पोती से मिले थे तो तुमको मज़ा आया था कि नहीं?

चारु शर्माकर: आया था।

राजीव: बस ऐसे ही यहाँ भी आएगा । चलो अब चलते हैं। इनका प्रोग्राम किसी दिन का बनाते हैं । संडे तो नहीं हो पाएगा।

चारु: अंकल परसों हमारी छुट्टी है।

राजीव हँसते हुए: वाह बड़ी जल्दी है हमारी बिटिया को। वो आँख मारता हुआ बोला : चलो अँधेरा भी हो रहा है।

कार में बैठकर उसकी जाँघ दबाते हुए वो बोला: तो परसों का पक्का कर लूँ? वो हाथ बढ़ाकर उसकी चूची भी दबा दिया। बाहर अँधेरा हो चला था सो उसने फ़ायदा उठाया।

चारु: आऽऽऽह जैसे आपकी मर्ज़ी। मैं क्या बोल सकती हूँ। उसने अपनी जाँघों को भींच लिया क्योंकि उसकी बुर पनिया रही थी।

राजीव: हम्मम चलो ऐसा करते हैं कि तुम मुँह से मत बोलो कि जाना है या नहीं? पर एक काम करो अगर जाना है तो मेरा लंड दबा दो और नहीं जाना है तो लंड मत दबाओ।

चारु: धत्त कोई ऐसा करता है क्या?

राजीव: बस अब ये तुम्हारे पास आख़री मौक़ा है कि लंड दबाओ और परसों मज़ा करो वरना हम नहीं जाएँगे।

अब चारु ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी और बोली: उफ़्फ़्फ अंकल आप भी ना बहुत अजीब अजीब बात करते हो। और उसने राजीव के पैंट के ऊपर से उसका लंड पकड़ कर दबा दिया। थोड़ी देर दबाकर वो अपना हाथ हटा ली।

राजीव हँसकर: मुझे अपनी बात का जवाब मिल गया। चलो फिर से शमा को फ़ोन लगाओ और स्पीकर मोड में रखो। चारु ने फ़ोन लगाया और बोली: हाँ शमा लो अंकल से बात करो।

राजीव कार चलाते हुए बोला: शमा बेटी तुम्हारे अब्बा से बात कराओ।

शमा: जी अंकल अभी देती हूँ। अब्बा राजीव अंकल का फ़ोन है।

तारिक: हाँ सर जी कहिए?

राजीव: अरे अभी चारु ने बताया कि परसों उसके कोलेज में छुट्टी है। संडे मुझे सूट नहीं करता तो अगर आप एक दिन की छुट्टी ले लो तो हम परसों का प्रोग्राम आपके घर में रख सकते हैं।

तारिक: वाह बहुत ख़ूब। एक दिन की छुट्टी तो ले ही लूँगा चारु बिटिया के लिए।

अब राजीव कमीनी हँसी हँसकर: क्या करोगे चारु बिटिया के साथ?

तारिक: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ सर जी क्यों अभी से खड़ा कर रहें हैं। चोदूँगा और क्या करूँगा सर जी।

राजीव फिर से सेक्सी आवाज़ निकाल कर: और मैं क्या करूँगा शमा बेटी तुम्हारे साथ?

शमा के हँसने की आवाज़ आयी और वो कुछ नहीं बोली। तब तारिक बोला: अरे शमा बोल ना मैं भी आपसे चुदवाऊँगी। बोल अंकल से।

शमा हँसते हुए: आऽऽऽऽऽह अबब्बाऽऽऽ दुखता है ना। हाँ मैं अभी वही करूँगी जो चारु करेगी।

राजीव: चारु तो तुम्हारे अब्बा से चुदवाएगी । तुम क्या करोगी साफ़ साफ़ बोलो ना।

शमा फिर से हँसी: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अब्बाऽऽऽऽऽ धीरे से ना। आऽऽऽह हाँ मैं भी अंकल से चुदवाऊँगी।

तारिक: सर जी, ज़ोर ज़ोर से चूची दबायी तभी साफ़ साफ़ बोली। हा हा हा।

राजीव: यार बहुत मज़ा आएगा परसों। तुम्हारी बेटी भी लगता है खेली खाई है। अब तक कितनों से चुदवा चुकी है?

तारिक: जी अब तक तीन लोगों से मुझे मिलाकर । आप आएँगे तो विस्तार से बातें होंगी। चारु का स्कोर कहाँ तक पहुँचा है?

राजीव: उसका भी ३ ही है। मैं मेरा बेटा शिवा और एक और बुज़ुर्ग बंदा शकील। बस अब तक तीन लोगों से ही चुदी है।

तारिक: इसे भी मैंने, मेरे अब्बा ने और एक मेरे दोस्त ने ही चोदा है अब तक। मस्त टाइट फुद्दी है साली की। चारु की भी फुद्दी तो टाइट होगी?

राजीव अपना हाथ बढ़ाकर उसकी जाँघों के जोड़ को दबाया और फुद्दी मसलते हुए बोला: हाँ मस्त टाइट फूलि हुई फुद्दी है। अभी दबा भी रहा हूँ।

चारु आऽऽऽऽऽह कर उठी।

तारिक हँसते हुए: मैंने भी शमा को अपनी गोद में ले लिया है और उसकी सलवार के अंदर से उसकी पैंटी में हाथ डालकर उसकी फुद्दी में दो ऊँगली डाल कर उसे मस्त कर रहा हूँ। अब इसे चोदूंग़ा । उधर शमा की सिसकियाँ सुनाई दे रही थी फ़ोन पर। वो उन्न्न्न्न उन्ननन कर रही थी।

राजीव: चलो आप उसे चोदो मैं रखता हूँ। अब उसने फ़ोन काट दिया।

चारु: उफ़्फ़्फ अंकल उसके अब्बा अभी उसे चोद देंगे। पर मेरा क्या होगा? वो अपनी बुर खुजा कर बोली।

राजीव: जब शिवा मुन्नी की लेगा तो मैं तुम्हारी ले लूँगा। ठीक है? वो हाथ बढ़ाकर फिर से उसकी बुर को दबा दिया।

चारु: आऽऽऽह अंकल मुझे पैंटी बदलनी पड़ेगी पूरी गीली हो गयी है।

राजीव: बेटी जब लोग सेक्सी बातें करते हैं तो चड्डी और पैंटी गीले होते ही हैं। इसमे कुछ अजीब नहीं है।

तभी घर आ गया और वो दोनों सब सामान उठाकर घर में घुसे । सात बजने वाले थे।

सरला और मालिनी बैठे बातें कर रहे थे।

सरला: मालिनी तुम और चारु कमरा सज़ा दो । मैं मुन्नी को सज़ा देती हूँ।वैसे कौन सा कमरा सजेगा?

मालिनी: पापा का और कौन सा? मेरे कमरे में तो गुड़िया सो रही है। चारु का कमरा छोटा है।

राजीव: हाँ हाँ मेरे कमरे में सजावट कर लो। वो ऐसा कहकर टी वी देखने लगा।

अब मालिनी और चारु समान लेकर राजीव के बेडरूम में गए और उन्होंने कमरे को फूलों से सजाना शुरू किया।

सरला एक नयी सी ड्रेस लेकर मुन्नी के कमरे में घुसी। मुन्नी अपने कपड़े आलमारी में रख रही थी। वो बोली: चाची क्या हुआ?

सरला: ये कपड़े शिवा ने दुकान से भिजवाए हैं तुम्हारे लिए।

मुन्नी उत्साह से कपड़ों को देखी और ख़ुश होकर बोली: चाची बहुत सुंदर घाघरा चोली है ना? और ये क्या है?

वो पैकेट खोली तो उसमें एक बहुत ही सेक्सी ब्रा और पैंटी थी। वो शर्मा गयी और बोली: देखो चाची इसमें भला क्या छिपेगा?

सरला: अरे छिपाना थोड़े है दिखाना है सब कुछ।

इस पर दोनों हँसने लगे।

मुन्नी: चाची बहुत तो नहीं दुखेगा ना?

सरला: अरे नहीं थोड़ी सी जलन सी होगी बस। वैसे भी शिवा अच्छा लड़का है प्यार से करेगा। डर मत। और हम सब होंगे ना।

मुन्नी चौंकी: क्या मतलब, आप सब होंगे ? यानी?

सरला: बेटी ये फ़ैसला हुआ है कि शिवा हम सबके सामने तुम्हारी सील खोलेगा।

मुन्नी: धत्त ऐसा भी कहीं होता है भला? मैं शर्म से मर जाऊँगी।

सरला: कुछ नहीं होगा। बल्कि हम सबके रहने से तेरा दर्द भी कम हो जाएगा।

मुन्नी: पता नहीं मुझे अजीब सा लग रहा है। जीजू इसके लिए राज़ी हैं ?

सरला: वो तो बोला है कि तेरी बुर में मालिनी अपने हाथ से उसका लौड़ा ख़ुद पकड़ कर डालेगी। तभी वो तुझे चोदेगा।

मुन्नी: ओह ऐसा क्या?

सरला: हाँ बहुत प्यार करते हैं दोनों एक दूसरे को।
चल अब कपड़े बदल ले फिर मैं तेरा सिंगार करती हूँ।

अब वो मुन्नी को सजाने लगी।

उधर कमरा भी सज गया था। बस इंतज़ार था तो शिवा का।
तभी दरवाज़े की घंटी बजी। राजीव उठकर दरवाज़ा खोला
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राजीव ने दरवाज़ा खोला तो एक आदमी खाना लेकर आया था। वो उससे पैकेट लिया और पैसे दिया। फिर वो अपने कमरे में गया और मालिनी को बोला: बहू खाना आ गया है। मैंने टेबल पर रख दिया है। फिर सजावट को देखकर बोला: वाऽऽऽह क्या सजावट की है। मस्त लग रहा है। क्या ख़ुशबू है ?

मालिनी: हाँ मेरे पति को ख़ुश करने वाली हूँ। मस्त होकर मुन्नी की लेंगे।

चारु: आप ये सजावट नहीं भी करती तो भी वो उसकी मज़े से ही लेते।

राजीव: अरे चारु को ये ग़ुस्सा है कि उसकी सील मैंने बिना ये सब किए खोल दी और मुन्नी के लिए ये सब हो रहा है।

मालिनी: अरे उन दिनों मैं अस्पताल में थी ना, वरना तुम्हारी भी ऐसे ही मज़े से खुलवाती।

अब वो दोनों बाहर आयीं और राजीव की बग़ल से निकली। मालिनी ने अपने ससुर का लंड पैंट के ऊपर से दबाया और कहा: आज चारु को चोद दीजिएगा। वो पता नहीं क्यों बहुत प्यासी हो रही है।

राजीव जानता था कि वो तारिक से चुदवाने का सोच कर गरम हो चुकी है। वो मालिनी की बड़ी गाँड़ को सहला कर बोला: हाँ हाँ क्यों नहीं। बिलकुल चोदेंगे आज।

फिर चारु की एक चूची दबाकर वो उसे भी चूमा और वो हँसकर भाग गयी।

राजीव बाहर आया और लड़कियाँ किचन में चलीं गयीं।

तभी घंटी बजी और चारु ने दरवाज़ा खोला और बोली: लो जीजू भी आ गए। चारु ने देखा कि शिवा का सामने का हिस्सा पैंट के ऊपर से फूला हुआ था। वो बेशर्मी से उसको दबाई और धीरे से बोली: आऽऽहह जीजू ये क्या अभी से तय्यार है?

शिवा उसको चूमा और उसकी चूची दबाकर: आऽऽह सारे रास्ते मुन्नी की बुर के बारे में सोचता रहा तो इसको तो खड़ा होना ही था ना।

चारु: आऽऽह छोड़िए ना। उफ़्फ़्फ जीजू आप भी कितना ज़ोर से दबाते हो।

शिवा हँसकर उसको अपने से लिपटाया और उसकी पीठ, कमर और फिर गाँड़ सहला कर बोला: तुम दोनों बहने मस्त माल हो । जितना भी प्यार करो दिल नहीं भरता।

चारु उसके होंठ चुमी और अपने आप को छुड़ा कर भाग गयी किचन में।

शिवा ने राजीव को सोफ़े पर बैठे देखा और कहा: पापा आज बहुत अच्छा दिन था। अच्छा बिज़नेस हुआ।

राजीव: शाबाश बेटा काम बहुत ज़रूरी है।

शिवा मालिनी को ढूँढता हुआ किचन पहुँचा और वहाँ चारु और मालिनी दोनों काम कर रहीं थीं। शिवा मालिनी के पीछे जाकर उसको लिपटकर प्यार किया और उसके कान काटते हुए बोला: क्या हाल है मेरी जान।

मालिनी हँसी और अपनी गाँड़ मटकाकर बोली: सब बढ़िया। पर मेरे पिछवाड़े में ये क्या चुभ रहा है। वो अपनी गाँड़ पर उसके लंड का अहसास करके बोली।

शिवा हँसा और उसकी दोनों चूचियाँ अपने पंजों में दबोचकर बोला: जिसके घर में एक से एक माल होगा, उसका साला खड़ा ही रहेगा ना। तुम और तुम्हारी बहने क्या माल हो, मेरी जान।

फिर वो उसकी चूचियों से हाथ हटाकर उसकी मोटी गाँड़ दबाने लगा। मालिनी आऽऽह कर उठी।

चारु सब देख रही थी।वो बोली: दीदी जीजू आज बहुत गरम लग रहे है। मुन्नी की ठुकाई का सोच सोच कर खड़ा किए हुए घूम रहें हैं ।

उसकी बात सुनकर सब हंस पड़े।

मालिनी: चलो आप नहा लो और वो कपड़े पहन लेना जो मैंने निकाले हैं ।

चारु हँसते हुए: दीदी कपड़ों का क्या करना है। आज तो बिना कपड़ों के ही सब होगा ना।

शिवा हँसते हुए उसकी एक चूचि दबा कर बोला: मालिनी यह शैतान होती जा रही है। फिर उसके होंठ चूमा और बोला: आज पापा तेरी लेंगे ना। सब गरमी निकल जाएगी।

फिर वो हँसता हुआ अपने कमरे में चला गया और जाकर शॉवर लेने लगा। उसका लंड शॉवर के पानी से शांत हुआ और वो जब नंगा नहाकर बाहर आया तो उसका लम्बा मोटा लंड नीचे की ओर लटक रहा था। तभी मालिनी कमरे में आइ और उसे नंगा देखकर मस्ती से बोली: आऽऽह कितने सुंदर हो तुम। मेरी भी खुजाने लगी है। वो अपनी बुर सहला कर बोली: मुझे अब डॉक्टर से कहना पड़ेगा कि अब और ज़्यादा दिन मैं इसके बिना नहीं रह सकती। वो ये कहते हुए उसका लंड पकड़ ली और उसे सहलाने लगी। फिर पता नहीं क्या आया उसके मन में कि वो नीचे बैठी और उसके लंड की चमड़ी पीछे की और उसके सुपाडे को चूसने और चाटने लगी। शिवा का लंड झटके मार कर खड़ा होने लगा। वो थोड़ी देर ऐसे ही चूसी फिर खड़ी हो गयी और बोली: आऽऽऽह कितना मस्त है आपका। आज मुन्नी को तो मज़ा ही आ जाएगा।

शिवा उसको बाँह में भर कर बोला: तुमको मुन्नी से जलन तो नहीं हो रही? वरना मैं इसको अभी कैन्सल कर देता हूँ।

मालिनी मुस्कुरा कर: अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं। आप मज़े करो पर प्यार से करना। वो अभी जवान हो ही रही है। आराम से करना। छोटी सी होगी उस बेचारी की मुनिया।

शिवा उसको चूमकर: तुम बिलकुल बेफ़िकर रहो । बहुत प्यार से करूँगा, आख़िर घर की ही बच्ची है ना। अच्छा ये शेरवानी और कुर्ता पहनना है क्या? क्या मेरी सुहाग रात जैसा माहोल बना रही हो?

मालिनी: और क्या ? एक तरह से सुहागरत ही तो है।

शिवा अपने कपड़े पहनने लगा और मालिनी उसकी मदद करने लगी। जल्दी ही वो तय्यार हुआ और मालिनी उसको चूमकर बोली: लो दूल्हा तो तय्यार है। अब जाकर दुल्हन को देखतीं हूँ।

उधर सरला ने मुन्नी को नहाने को कहा और वो बाथरूम में जाकर नंगी हुई और अपने सख़्त अमरूदों को शीशे में देखकर सोची कि आज तो जीजू इनको दबा दबा कर लाल कर देंगे। वो ख़ुद उनको दबायी और मस्ती से भरने लगी। उसने अपनी निप्पल्स को भी मसला और उसकी बुर पनियाने लगी। उसने अपना हाथ अपनी चिकनी बुर पर रखा और वहाँ सहलाकर मस्त होने लगी। उसने एक ऊँगली से अपनी बुर को छेड़ना शुरू किया और आऽऽऽऽह करके हाथ हटा ली। वो जानती थी कि वो जल्दी ही झड़ जाएगी। उसने शॉवर चालू किया और नहाने लगी। बदन थोड़ा शांत हुआ और फिर वो नहाकर बाथरूम से सेक्सी ब्रा और पैंटी पहनकर आयी ।

उसने एक तौलिया लपेटा हुआ था और सरला उसको देखकर मुस्कुराई और बोली: चलो अब ये घाघरा पहनो। सरला ने उसका तौलिया खिंचा और उसकी सेक्सी ब्रा में क़ैद अमरूदों को देखकर वो बोली: उफ़्फ़्फ कितनी सेक्सी दिख रही हो बेटी तुम। और उफ़्फ़्फ ये पैंटी भी कितनी सेक्सी है। तुम्हारी फाँकें साफ़ दिखाई पड़ रहीं हैं । और पीछे भी तो बस एक रस्सी ही है जो गाँड़ के अंदर घुसी हुई है। पूरी गाँड़ तो नंगी है। आज बेचारे मेरे दामाद की ख़ैर नहीं।

मुन्नी शर्मा कर: बस करिए चाची वो घाघरा दीजिए ना।

फिर सरला ने बड़े प्यार से अपनी जवान होती भतीजी को चोली और घाघरा पहनाया और फिर उसे गहने भी पहनाए और उसका पूरा श्रिंगार किया। फिर उसने एक चुनरी भी दी और कहा: बिटिया ये चुनरी ओढ़ लेना। शिवा यही उठाएगा घूँघट की तरह।

मुन्नी: जी चाची। अब उसकी बुर की पूत्तियों में हलचल होने लगी थी। वो जानती थी कि अब ज़्यादा देर नहीं है उसकी सील टूटने में। वो फिर से गरम होने लगी।

तभी मालिनी अंदर आती हुई बोली: मम्मी दूल्हा राजा तो तय्यार है अपनी दुल्हनिया का क्या हाल है। फिर मुन्नी को देखकर: वाऽऽह बहुत प्यारी लग रही है। आऽऽज बेचारे शिवा का बुरा हाल होने वाला है।

फिर वो सरला को बोली: मम्मी आप इसे लेकर पापा के कमरे में जाओ और इसे घूँघट उढ़ा दो। फिर मैं शिवा को लेकर आऊँगी। यह कहकर वो बाहर चली गयी।

राजीव मालिनी को कमरे से बाहर आते देखकर बोला: क्या हो रहा है बहू ? अब और कितना टाइम है ?

मालिनी हँसी और बोली: बस पापा सब तय्यार है। बस अभी मम्मी मुन्नी को आपके कमरे में ले जाएँगी। आप भी वहीं पहुँच जाओ। वो फिर से किचन में घुसी।

तभी सरला घूँघट में छिपी मुन्नी को लेकर कमरे से बाहर आयी और राजीव को बोली: आइए आप भी आइए और हमारी बच्ची का छेदन देखिए।

राजीव हँसकर: काहे का छेदन? कान तो बिटिया का छिदा हुआ है।

सरला हँसकर: कान नहीं बुर का छेदन देखिए ।

राजीव हँसता हुआ खड़ा हुआ और सरला और मुन्नी के पीछे कमरे में पहुँचा। मुन्नी कमरे की सजावट देखकर दंग रह गयी। पूरा बिस्तर फूलों से सज़ा था और कमरे में भी सुंदर लाइट्स लटक रहीं थीं । कमरा ख़ुशबू से महक रहा था।

राजीव और सरला ने मिलकर उसे बिठाया और राजीव ने उसकी चुनरी हटाकर उसे देखा और उसके गाल चूम लिए और बोला: मैं और तेरी चाची लड़की वाले हैं । हम तेरा पूरा ध्यान रखेंगे। डरना नहीं।

मुन्नी शर्मा गयी और अब सरला ने उसको चुनरी से घूँघट जैसा बना कर ढाँक दिया। राजीव जाकर जवेल्लेर के यहाँ से ख़रीदा हुआ सब सामान लाकर पास के टेबल पर रख दिया। तभी चारु अंदर आयी और बोली: यहाँ सब रेडी है? हम दूल्हे को ले आएँ?

राजीव उसकी कमर सहलाकर: हाँ हाँ ले आओ। मुन्नी की मुनिया तय्यार है शिवा का मूसल लेने के लिए।

इस पर सब हँसने लगे। चारु अपनी कमर छुड़ा कर वापस भाग गयी। थोड़ी देर बाद शिवा अंदर आया और उसकी एक तरफ़ मालनी थी तो दूसरी तरफ़ चारु थी।

राजीव : देखो दूल्हे वाले आ गए। बहू हम लोग दुल्हन की तरफ़ से हैं ।

मालिनी हँसने लगी और शिवा को बिस्तर पर बिठा दिया। अब मालिनी बोली: शिवा आप मुन्नी को क्या गिफ़्ट दोगे? कुछ लाए हो?

राजीव: मैं सबके लिए गिफ़्ट लाया हूँ। लो ये सोने का हार पहना दो मुन्नी को । शिवा उसके हाथ से लेकर बोला: वैसे पापा मैं भी एक अँगूठी लाया हूँ। पहना दूँ क्या?

सरला : जब इसका घूँघट हटाओगे ना तब पहनाना।

राजीव: वैसे मैं सबके लिए कुछ ना कुछ लाया हूँ। आओ चारु ये तुम्हारे लिए। वो उसे भी एक सुंदर सा हार पहनाया और चारु ख़ुशी से राजीव को चूम ली।

अब राजीव सरला को एक हार दिया और बोला: सरला तुमने हमारे परिवार को बहुत ख़ुशी दी है। तीन तीन प्यारी सी लड़कियाँ और ख़ुद तुम भी उतनी ही प्यारी हो। लो ये तुम्हारे लिए। वो उसके गले में हार पहनाया और हार ठीक करते हुए उसकी पहाड़ की जैसे चूचियों को दबा भी दिया। सरला सेक्सी हँसी हंस कर थैंक यू बोली।

मालिनी: और पापा मेरे लिए कुछ नहीं? आजकल मैं आपको चुदाई का सुख नहीं दे पा रही तो मुझे भूल गए?

राजीव हँसा और बोला: मेरी प्यारी बहु रानी तुम तो सबसे ख़ास हो। तुमको भला कैसे भूल सकता हूँ। आओ मेरे पास।

मालिनी हँसती हुई उसके पास गयी तो वह उसके कमर में एक सोने की बड़ी सी करधनी पहनाया और फिर उसके पेट और कमर को चूमा और बोला: बहु पसंद आयी हमारी गिफ़्ट?

मालिनी ख़ुशी से राजीव से लिपटकर: ओह पापा ये तो बहुत सुंदर है। थैंक यू।

शिवा: वैसे पापा आपने सबसे ख़ूबसूरत गिफ़्ट मालिनी को दिया? कोई ख़ास वजह?

राजीव मालिनी को अपनी गोद में खींचकर उसके गाल चूमा और बोला: मेरी सबसे प्यारी बहू है। आज इसकी वजह से ही तो इसकी बहने और इसकी मम्मी आज हमारे साथ मस्ती कर रहीं हैं। वो उसकी गर्दन को चूमते हुए बोला।

शिवा: आपका बहू प्रेम हो गया हो तो मैं भी कुछ शुरू करूँ?

सरला: हाँ हाँ शुरू करो। सबसे पहले मुन्नी का घूँघट हटाओ ।

शिवा हँसकर उसका घूँघट हटाया और मुन्नी शर्मा कर अपने मुँह को अपनी हथेली में छुपा ली। शिवा ने बड़े प्यार से उसका हाथ हटाया और उसके माथे को चूमा।

मालिनी ने चारु को इशारे से शिवा के पाजामा में बने तंबू को दिखाया और दोनों हँसने लगीं।

सरला बोली: अरे लड़कियों क्यों सता रही हो मेरे दामाद को। चलो अब शुरू करो अब अपना काम।

शिवा : पापा आप सबके सामने अजीब लग रहा है। पहले मैं ही बोला था कि सबके सामने करेंगे पर अब बड़ा गड़बड़ लग रहा है।

राजीव: क्या गड़बड़ लग रहा है। असल में जबतक हम सब कपड़े में रहेगे तो ऐसा लगता ही रहेगा।
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