बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव: बेटा शाम को जल्दी आना , तेरी सास और उसके ज़ेठ आने वाले हैं। रात को हम डिनर भी बाहर करेंगे।

शिवा: ठीक है पापा जी। मैं आ जाऊँगा।
फिर वह दुकान चला गया।

राजीव उसके जाते ही बोला: बहु ,तुम आज बड़ी जल्दी नहा ली। मैं तो तुमने नायटी में देखकर ही मस्त हो रहा था और तुम साड़ी में आ गयी। लगता है दोनों साथ में ही नहाए हो? कभी हमारे साथ भी नहाओ।बड़ा मज़ा आएगा।

मालिनी कुछ नहीं बोली और उठकर जाने लगी।

राजीव: बहु मेरा तो आज जैसे समय ही नहीं कट रहा है । पता नहीं कब शाम होगी और तुम्हारी सेक्सी मम्मी आएगी और आऽऽऽऽह मेरी रात रंगीन करेगी। यह कहकर उसने बड़ी बेशर्मी से अपना लौड़ा दबा दिया। तभी मालिनी का फ़ोन बजा और उसने देखा कि उसकी मम्मी का फ़ोन था।

मालिनी: हाय मम्मी ।

सरला: हाय , कैसी हो बेटी?

मालिनी: मम्मी मैं ठीक हूँ। आप कब निकलोगी?

सरला: हम पाँच बजे तक आएँगे बेटी। तुम्हारे लिए क्या लाएँ?

मालिनी: मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस आप लोगों से मिलना हो जाएगा।

राजीव ने मालिनी से फ़ोन माँगा और बोला: अरे भाभी जी हमसे भी बात कर लीजिए। सिर्फ़ बेटी ही आपकी रिश्तेदार है क्या? हम तो भी आपके समधी हैं।

सरला सकपका कर: अरे मुझे क्या पता था कि आप भी उसके साथ बैठे हो। कैसे हैं आप?

राजीव: मस्त हैं और आपको याद कर रहे हैं। इंतज़ार है शाम का जब आप आएँगी और हम आपसे मिलकर मस्त हो जाएँगे।

सरला: कैसी बातें कर रहे है? मालिनी भी तो होगी वहाँ?

राजीव ने मालिनी को आँख मारी और कहा: अरे वो तो अपने कमरे में चली गयी है शायद बाथरूम आयी होगी।

मालिनी उसकी मंशा समझकर उठने लगी, पर राजीव ने उसे पकड़कर अपनी बग़ल में बिठा लिया और फ़ोन को स्पीकर मोड में डाल दिया। अब बहु के कंधे को सहलाता हुआ फिर बोला: जान, रात में तुमको बहुत याद किया और मूठ्ठ भी मारी। तुम तो मुझे याद ही नहीं करती होगी।

मालिनी हैरत से ससुर को देखी कि कितनी अश्लील बात कितने आराम से कह दिए।

सरला: अरे आपने मूठ्ठ क्यों मारी? मैं आ तो रही हूँ आज आपके पास। वैसे रात मुझे भी बड़ी मुश्किल से नींद आयी। एक बात बोलूँ?

हतप्रभ मालिनी के कंधे सहलाता हुआ राजीव बोला: हाँ हाँ बोलो ना?

सरला: आप जैसी मेरी नीचे वाली चूसते हो ना , आज तक किसी ने भी वैसी नहीं चूसी। उफफफफ मस्त कर देते हो आप।

राजीव अब उत्तेजित होकर अपना लंड दबाया और मालिनी को उसका आकार लूँगी से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। उसने फ़ोन अपनी एक जाँघ पर रखा था। जोश में उसने मालिनी के कंधे को ज़ोर से दबा दिया। मालिनी की सिसकी निकल गयी। पर उसने अपने मुँह पर हाथ रख कर उसे दबा दिया।

राजीव: अरे क्या नीचे वाली लगा रखा है। उसका नाम बोलो मेरी जान।

सरला हँसकर: आप भी ना,मैं बुर की बात कर रही हूँ।

राजीव मालिनी को आँख मारा और बोला: और क्या मैं तुम्हारी चूचियाँ अच्छी तरह से नहीं चूसता?

मालिनी साँस रोक के सुन रही थी कि उसकी मम्मी कितनी अश्लील बात कर रही थी। वह फिर से उठकर जाने की कोशिश की पर राजीव की पकड़ मज़बूत थी, वह हिल भी नहीं पाई। सरला: अरे वो तो आप मस्त चूसते हैं। सच आपके साथ जो मज़ा आता है, किसी और के साथ आ ही नहीं सकता। इसीलिए तो बार बार आ जाती हूँ आपसे करवाने के लिए?

अब मालिनी को भी अपनी बुर में गीलापन सा लगा। और राजीव ने भी कल जैसे ही आज भी अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था और उसे मसल रहा था। मालिनी की उत्तेजना भी बढ़ रही थी, उसके निपल्ज़ एकदम कड़े हो गए थे।

राजीव उसके कंधे से हाथ नीचे लेजाकर उसके ब्लाउस तक पहुँचा और उसकी बाँह सहलाते हुए उसकी एक चूची को साइड से छूने लगा।

राजीव: क्या करवाने आती हो, जानू साफ़ साफ़ बोलो ना।

सरला: आऽऽऽह आप भी ना, चुदाई करवाने आती हूँ और क्या? आऽऽऽह अब मैं भी गरम हो गयी हूँ आपकी बातों से । अब बंद करूँगी फ़ोन, नहीं तो मुझे भी बुर में ऊँगली करनी पड़ेगी।

मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। उफफफफ मम्मी को क्या हो गया है। कितनी गंदी बातें कर रही हैं। उसकी आँख राजीव के मोटे लौड़े पर गयी।

राजीव: आऽऽऽऽह मेरा भी खड़ा है। चलो फ़ोन बंद करता हूँ। ये कहते हुए उसने फ़ोन काटा। और फिर जो हरकत राजीव ने की, उसके लिए मालिनी बिलकुल तय्यार नहीं थी। राजीव ने मालिनी का एक हाथ पकड़कर अपने लौड़े पर रखा और उसे दबाने लगा। दूसरे हाथ से वह उसकी ब्लाउस के ऊपर से एक चूची दबाने लगा। और अपना मुँह उसके मुँह पर रख कर उसके होंठ चूमने लगा। मालिनी इस अचानक से हुए तीन तरफ़ा हमले से हक्की बक्की रह गई और उसके मुँह से गन्न्न्न्न्न्न की आवाज़ निकलने लगी।

राजीव अपने हाथ से उसके हाथ को दबाकर अपना लौड़ा दबवा रहा था। और चूची भी दबाए जा रहा था। मालिनी ने अपने बदन को ज़ोर से झटका दिया और अपने होंठों से उसके होंठों को हटाने की कोशिश की और कुछ बोलने को मुँह खोला। राजीव ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और अब मालिनी और ज़ोर से फड़फड़ाई और अपने को छुड़ाने के लिए ज़ोर लगाई। राजीव को आँखें मालिनी की आखों से टकराई। मालिनी की आँखों में आँसू आ गए थे। राजीव ने आँसू देखे और एकदम से पीछे हटकर बैठ गया। उसने दोनों हाथ भी हटा लिए।

राजीव का लौड़ा अभी भी उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था। मालिनी उठी और क़रीब भागती हुई अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गयी और इस सदमे से बाहर आने की कोशिश करने लगी। वह करवट लेती हुई लम्बी साँसें ले रही थी। उसके बदन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। उसकी बुर गीली थी और एक चूची जो राजीव दबाया था ,वहाँ उसे कड़ेपन का अहसास हो रहा था। तभी इसे अहसास हुआ कि वो अकेली नहीं है। वो जैसे ही घूमी और पीठ के बल हुई, राजीव उसे बिस्तर पर बैठे नज़र आया। वो सहम गयी। पर राजीव मुस्कुराते हुए बोला: बहु, मैं अपना अधूरा काम पूरा करने आया हूँ।

मालिनी: कौन सा अधूरा काम?

राजीव ने उसकी दूसरी चूची पकड़ ली और दबाते हुए बोला: मैंने एक ही चूची दबाई थी, अब दूसरी भी दबा देता हूँ।

मालिनी उसके हाथ को पकड़ती हुई बोली: पापा जी आज आपको क्या हो गया है? क्या मेरा रेप करेंगे? हाथ हटाइए।

राजीव: नहीं बहु, मैं कभी रेप कर ही नहीं सकता वो अभी अपनी लाड़ली बहु का? ये कहते हुए उसने उसकी चूचि छोड़ दी। और बोला: लो बहु अब बराबर हो गया। दोनों चूचियाँ बराबर से दबा दीं।

मालिनी हैरानी से उसे देखती हुई बोली: पापा जी आप जाइए यहाँ से । आज तो आप सारी लिमिट पार कर गए हैं।

राजीव हँसकर: अरे बहु, अभी कहाँ लिमिट पार की है। आख़री लिमिट तो तुमने साड़ी में यहाँ छुपा कर रखी है जिसे पार भी करना है और प्यार भी करना है। ये कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को मूठ्ठी में लेकर दबा दिया।

मालिनी उछल पड़ी और बोली: आऽऽह पापा जी ये क्या कर रहे है? छोड़िए ना प्लीज़। उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ हाथ हटाइए।

राजीव हँसता हुआ उठा और बोला: बहू , अभी तो कई लिमिट पार करनी है। चलो अब आराम करो मेरी नन्ही सी जान। यह कहकर वो अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से मसलकर बाहर चला गया। मालिनी सन्न होकर लेटी रही। वह सोचने लगी कि आज पापा जी को क्या हो गया था जो वो इस हद तक उतर आए।

तभी शिवा का फ़ोन आया और वो अपनी बुर के ऊपर से साड़ी ठीक करके बोली: हाँ जी कैसे हैं?

शिवा: बस तुम्हारी याद आ रही थी, आज सुबह की चुदाई में तुम्हारी गाँड़ पीछे से बहुत मस्त लग रही थी। वही याद कर रहा था।

मालिनी सोची कि बाप बेटा दोनों एक से हैं। वह बोली: छी, फ़ोन पर भी आप यही बात करते हैं। काम कैसा चल रहा है?

शिवा: बहुत बढ़िया। अच्छा, आज असलम का फ़ोन आया था, कह रहा था कि खाने पर आओ।

मालिनी: कौन असलम? वही बीवी बदलने वाला?

शिवा हँसकर: हाँ वही असलम। अरे भाई उसे और भी काम है बीवी बदलने के अलावा।

मालिनी: मुझे नहीं जाना उसके घर खाना खाने को। क्या पता उसकी बीवी पर आपका दिल आ जाए और फिर आप मेरे पीछे पड़ जाओगे कि जानू चलो बीवियाँ बदल लेते हैं। मुझे नहीं जाना।

शिवा हँसकर: वाह क्या कल्पना की है? लगता है तुम भी यही चाहती हो।

मालिनी: आओ घर वापस, बताती हूँ कि मैं क्या चाहती हूँ।

शिवा हँसते हुए: अरे जान, ग़ुस्सा मत करो, मैं मना कर देता हूँ । कह दूँगा फिर देखेंगे कभी और दिन। अब तो ठीक है?

मालिनी: हाँ ठीक है। आपने खाना खा लिया?

शिवा: बस खाने जा रहा हूँ।

मालिनी: चलो अब मैं भी खाना लगाती हूँ। चलो बाई।

शिवा: हाँ पापा जी को भी भूक़ लगी होगी।बाई।

मालिनी सोची कि पापा जी को तो बस एक ही चीज़ की भूक़ है उसकी इस जगह की। उसने अपनी बुर को सहलाकर सोची।उसकी बुर का गीलापन बढ़ने लगा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ यह कैसी फ़ीलिंग़स है कि एक तरफ़ तो उसे लगता है कि यह सब ग़लत है। पर दूसरी तरफ़ यह शरीर ग़लत सिग्नल भी दे देता है।जैसे अब भी उसकी चूचियों में मीठा सा दर्द हो रहा था मसले जाने का। और यह कमीनी बुर तो बस पनियाना ही जानती है। अब आज शाम को मम्मी और ताऊजी के आने के बाद भगवान ही जानता है कि क्या होने वाला है इस घर में? वह सोची और उठकर खाना लगाने किचन में चली गयी।
उस दिन शाम को सरला और श्याम को लेने राजीव बस अड्डा गया। सरला बस से उतरी तो वह उसे देखता ही रह गया । काली साड़ी में उसका गोरा बदन क़हर ढा रहा था। छोटा सा ब्लाउस आधी चूचियाँ दिखा रहा था और उसकी गहरी नाभि उस पारदर्शी साड़ी में बहुत आकर्षक लग रही थी। वह अपना सामान उठाने झुकी तो उसकी सामने की क्लिवेज़ देखते ही बनती थी। दोनों गोलायीयाँ जैसे अलग अलग से मचल रही थीं बाहर आने के लिए।

श्याम भी आकर राजीव से गले मिला और सरला भी उसके पास आकर नमस्ते की। राजीव ने उसका हाथ पकड़कर दबाया और बोला: आऽऽऽंह जानू क्या क़ातिल लग रही हो?

सरला: हा हा आपका चक्कर चालू हो गया। आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे हो।

राजीव श्याम से बात करता हुआ सरला के पीछे चलने लगा। उफफफ क्या मस्त चूतर हैं। कैसे मटक रहे हैं। कार में बैठने लगे तो सरला को आगे बैठने को कहा। श्याम पीछे बैठा। कार चला कर वह सरला को बोला: आज तो काली साड़ी में तुम्हारा गोरा बदन बहुत चमक रहा है। उसने सरला की जाँघ दबाकर कहा।

सरला: आप ही तो बोले थे की सेक्सी साड़ी पहनना , तो मैं ये पहन ली। आपको अच्छी लगी चलिए ठीक है।

वह राजीव के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखी और दबाने लगी।

राजीव : और श्याम भाई क्या हाल है? हमारी जान का ख़याल रखते हैं ना?

श्याम: हाँ जी रखते हैं। पर ये तो आपको बहुत याद करती रहती है।

राजीव: सच मेरी जान? ये कहते हुए उसने सरला की बुर को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।

सरला मज़े से टाँगें फैला दी ताकि वह मज़े से उसको सहला सके। वह बोली: अरे घर जाकर ये सब कर लीजिएगा । अभी कार चलाने पर ध्यान दीजिए।

राजीव: क्या करें सबर ही नहीं हो रहा है। देखो कैसे खड़ा है तुम्हारे लिए? राजीव ने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाकर कहा। सरला भी आगे आकर उसके पैंट के ऊपर से लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठी। फिर बोली: आऽऽह सच में बहुत जोश में है ये तो। फिर वह उसे एक बार और दबाकर अपनी जगह पर आके बैठी और बोली: आज तो ये मेरी हालत बुरी करने वाला है। सब हँसने लगे।

घर पहुँच कर सरला मालिनी से लिपट गयी और प्यार करने लगी। मालिनी भी सब कुछ भूलकर उससे लिपट गयी। फिर मालिनी श्याम से मिली और श्याम ने भी उसे प्यार किया।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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अब सब लोग सोफ़े पर बैठे और मालिनी चाय बनाने चली गयी। राजीव पहले ही समोसे और जलेबियाँ ले आया था। वह उसे सजाने लगी, तभी सरला किचन में आयी और मालिनी से बोली: बेटी ख़ुश हो ना यहाँ? शिवा के साथ अच्छा लगता है ना? तुमको ख़ुश तो रखता है?

मालिनी: उफ़्फ़ मम्मी आप भी कितने सवाल पूछ रही हो। मैं बहुत ख़ुश हूँ और शिवा मेरा पूरा ख़याल रखते हैं।

सरला: चलो ये बड़ी अच्छी बात है। भगवान तुम दोनों को हमेशा ख़ुश रखे।

मालिनी: चलो आप बैठो मैं नाश्ता लेकर आती हूँ।

सरला भी उसकी मदद करते हुए नाश्ता और चाय लगाई। सब नाश्ता करते हुए चाय पीने लगे।

सरला: शिवा कब तक आएँगे?

राजीव: उसको आज जल्दी आने को कहा है आता ही होगा।

मालिनी: मम्मी आपका सामान महक दीदी वाले कमरे में रख देती हूँ। ताऊ जी आपका सामान पापा जी के कमरे में रख दूँ क्या?

राजीव: अरे बहु तुम क्यों परेशान होती हो, मैं भाभी का समान रख देता हूँ , चलो भाभी आप कमरा देख लो। और हाँ बहु तुम शिवा को फ़ोन करो और पूछो कब तक आ रहा है।आओ श्याम जी आप भी देख लो कमरा।

तीनों महक वाले कमरे में सामान के साथ चले गए। मालिनी शिवा को फ़ोन करने का सोची। तभी उसे महसूस हुआ कि ये तीनों कमरा देखने के बहाने उस कमरे में क्यों चले गए। शायद मस्ती की शुरुआत करने वाले हैं। मुझे बहाने से अलग किया जा रहा है। ओह तो ये बात है , वह चुपचाप उस कमरे की खिड़की के पास आइ और हल्का सा परदा हटाई और उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं।

सामने मम्मी पापा जी की बाहों में जकड़ी हुई थी और दोनों के होंठ चिपके हुए थे ।पापा जी के हाथ उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ पर घूम रहे थे। ताऊ जी भी उनको देखकर मुस्कुरा रहा था और पास ही खड़ा होकर मम्मी की नंगी कमर सहला रहा था। फिर राजीव सरला से अलग हुआ और उसकी साड़ी का पल्ला गिराकर उसकी ब्लाउस से फुली हुई चूचियों को दबाने लगा और उनके आधे नंगे हिस्से को ऊपर से चूमने लगा। उधर श्याम उसके पीछे आकर उसकी गाँड़ सहलाए जा रहा था

मालिनी की बुर गरम होने लगी और उसके मुँह से आह निकल गयी। तभी पापा जी ने कहा: अरे क्या मस्त माल हो जान। सच में देखो लौड़ा एकदम से तन गया है।

मम्मी: आज छोड़िए अब मुझे, रात को जी भर के सब कर लीजिएगा। फिर हाथ बढ़ाके वह एक एक हाथ से पापा और ताऊ के लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली: देखो आपकी भी हालत ख़राब हो रही है, और मेरी भी बुर गीली हो रही है।

पापा नीचे बैठ गए घुटनो के बल और बोले: उफफफफ जान, एक बार साड़ी उठाके अपनी बुर के दर्शन तो करा दो। उफफफ मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए।

मालिनी एकदम से हक्की बक्की रह गयी और सोची कि क्या उसकी बेशर्म मॉ उनकी ये इच्छा भी पूरी करेगी। और ये लो मम्मी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट उठा दिया। पापा की आँखों के सामने मम्मी की मस्त गदराई जाँघें थी जिसे वो सहलाने लगे थे। और उनके बीच में उभरी हुई बिना बालों की बुर मस्त फूली हुई कचौरी की तरह गीली सी दिख रही थी। पापा ने बिना समय गँवाये अपना मुँह बुर के ऊपर डाल दिया और उसकी पप्पियां लेने लगे। मम्मी की आँखें मज़े से बंद होने लगी। फिर उन्होंने पापा का सिर पकड़ा और ही वहाँ से हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बस करिए। मालिनी आती होगी।

पापा पीछे हटे और मालिनी की आँखों के सामने मम्मी की गीली बुर थी। तभी पापा ने उनको घुमाया और अब मम्मी के बड़े बड़े चूतर उसके सामने थे। मालिनी भी उनकी सुंदरता की मन ही मन तारीफ़ कर उठी। सच में कितने बड़े और गोल गोल है। पापा ने अब उसके चूतरों को चूमना और काटना शुरू कर दिया। मम्मी की आऽऽहहह निकल गई। फिर पापा ने जो किया उसकी मालिनी ने कभी कल्पना नहीं की थी। पापा ने उसकी चूतरों की दरार में अपना मुँह डाला और उसकी गाँड़ को चाटने लगे।उफफगग ये पापा क्या कर रहे हैं ।मम्मी भी हाऽऽऽय्यय कर रही थी। फिर वह आगे बढ़के उससे अपने आप को अलग की और अपनी साड़ी नीचे की और बोली: बस करिए आप नहीं तो मैं अभी के अभी झड़ जाऊँगी। उफफफफ आप भी पागल कर देते हो।

पापा उठे और अपने लौड़े को दबाते हुए बोले: ओह सच में बड़ी स्वाद है तुम्हारी बुर और गाँड़ । वाह मज़ा आ गया।
मम्मी: आप दोनों ऐसे तंबू तानकर कैसे बाहर जाओगे। मालिनी क्या सोचेगी। आप दोनों यहाँ रुको और थोड़ा शांत होकर बाहर आना । यह कहते हुए मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से रगड़ी और बाहर आने लगी। मालिनी भी जल्दी से किचन में घुस गयी। उसकी सांसें फूल रही थी और छातियाँ ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर गीली हो गयी थी। तभी सरला अंदर आइ और मालिनी उसे देखकर सोची कि इनको ऐसे देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि ये औरत अभी दो दो मर्दों के सामने अपनी साड़ी उठाए नंगी खड़ी थी और अपनी बुर और गाँड़ चटवा रही थी।

सरला: बेटी शिवा से बात हुई क्या? कब आ रहा है वो? कितने दिन हो गए इसे देखे हुए?

मालिनी: हाँ मम्मी अभी आते होंगे। दुकान से निकल पड़े हैं।

तभी शिवा आ गया और उसने सरला के पाँव छुए। तभी राजीव और श्याम कमरे से बाहर आए और ना चाहते हुए भी मालिनी की आँख उनके पैंट के ऊपर चली गयी और वहाँ अब तंबू नहीं तना हुआ था। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वह अपने ताऊजी और ससुर के लौड़े को चेक कर रही है कि वो खड़े हैं कि नहीं! छी उसे क्या हो गया है, वह सोची।

फिर सब बातें करने लगे और शिवा के लिए सरला चाय बना कर लाई। शिवा: मम्मी आप बहुत अच्छी चाय बनाती हो, मालिनी को भी सिखा दो ना।

मालिनी ग़ुस्सा दिखाकर बोली: अच्छा जी , अब आप ख़ुद ही चाय बनाइएगा अपने लिए।

सब हँसने लगे। राजीव: शिवा मुझे तो बहु के हाथ की चाय बहुत पसंद है। वैसे सिर्फ़ चाय ही नहीं मुझे उसका सब कुछ पसंद है। पता नहीं तुमको क्यों पसंद नहीं है।

सरला चौक कर राजीव को देखी और सोचने लगी कि राजीव ने मालिनी के बारे में ऐसा क्यों कहा?

शिवा: अरे पापा जी, मालिनी को मैं ऐसे ही चिढ़ा रहा था।

फिर सब बातें करने लगे और फिर राजीव ने कहा: चलो डिनर पर चलें?

शिवा: जी पापा जी चलिए चलते हैं, मैं थोड़ा सा फ़्रेश हो लेता हूँ।

सरला: हाँ मैं भी थोड़ा सा फ़्रेश हो आती हूँ।

राजीव: चलो श्याम, हम भी तय्यार हो जाते हैं।

इस तरह सब तय्यार होने के लिए चले गए।
राजीव और श्याम सबसे पहले तय्यार होकर सोफ़े पर बैठ कर इंतज़ार करने लगे। तभी सरला आयी ।उसके हाथ में एक पैकेट था। और एक बार फिर से दोनों मर्दों का बुरा हाल हो गया। वह अब टॉप और पजामा पहनी थी। उफफफ उसकी बड़ी चूचियाँ आधी टॉप से बाहर थीं। उसने एक चुनरी सी ओढ़ी हुई थी ताकि चूचियाँ जब चाहे छुपा भी सके। वह मुस्कुराकर अपनी चूचियाँ हिलायी और एक रँडी की तरह मटककर पीछे घूमकर अपनी गाँड़ का भी जलवा सबको दिखाया। सच में टाइट पजामे में कसे उसके चूतर मस्त दिख रहे थे अब वह हँसकर अपनी चुन्नी को अपनी छाती पर रख कर अपनी क्लिवेज को छुपा लिया।

राजीव: क्या माल हो जान।वैसे इस पैकेट में क्या है?

सरला: मेरी बेटी के लिए एक ड्रेस है। उसे देना है।

फिर वह मालिनी को आवाज़ दी: अरे बेटी आओ ना बाहर । अभी तक तुम और शिवा बाहर नहीं आए।

शिवा बाहर आया और बोला: मम्मी जी मैं आ गया। आपकी बेटी अभी भी तय्यार हो रही है।

सरला: मैं जाकर उसकी मदद करती हूँ । यह कहकर वह मालिनी के कमरे में चली गयी। वहाँ मालिनी अभी बाथरूम से बाहर आयी और मम्मी को देखकर बोली: आप तय्यार हो गयी ? इस पैकेट में क्या है?

सरला: तेरे लिए एक ड्रेस है। चाहे तो अभी पहन ले। सरला ने अब अपनी चुनरी निकाल दी थी।

मालिनी उसके दूध देख कर बोली: मम्मी आपकी ये ड्रेस कितनी बोल्ड है। आपको अजीब नहीं लगता ऐसा ड्रेस पहनने में ?

सरला: अरे क्या बुड्ढी जैसे बात करती हो ? थोड़ा मॉडर्न बनो बेटी। देखो ये ड्रेस देखो जो मैं लाई हूँ।

मालिनी ने ड्रेस देखी और बोली: उफफफ मम्मी ये ड्रेस मैं कैसे पहनूँगी? पापा और ताऊ जी के सामने? पूरी पीठ नंगी दिखेगी और छातियाँ भी आपकी जैसी आधी दिखेंगी। ओह ये स्कर्ट कितनी छोटी है। पूरी मेरी जाँघें दिखेंगी। मैं इसे नहीं पहनूँगी।

सरला: चल जैसी तेरी मर्ज़ी। तुझे जो पहनना है पहन ले, पर जल्दी कर सब इंतज़ार कर रहे हैं।

मालिनी ने अपने कपड़े निकाले। उसने अपना ब्लाउस निकाला और दूसरा ब्लाउस पहनना शुरू किया। सरला उसकी चूचियाँ ब्रा में देखकर बोली: बड़े हो गए हैं तेरे दूध। ३८ की ब्रा होगी ना? लगता दामाद जी ज़्यादा ही चूसते हैं। यह कहकर वह हँसने लगी ।

मालिनी : छी मम्मी क्या बोले जा रही हो। वैसे हाँ ३८ के हो गए हैं। फिर उसने अपनी साड़ी उतारी और एक पैंटी निकाली और पहनने लगी पेटिकोट के अंदर से।

सरला: अरे तूने पुरानी पैंटी तो निकाली नहीं? क्या घर में पैंटी नहीं पहनती?

मालिनी शर्म से लाल होकर: मम्मी आप भी पैंटी तक पहुँच गयी हो। कुछ तो बातें मेरी पर्सनल रहने दो।

सरला: अरे मैंने तो अब जाकर पैंटी पहनना बंद किया है, तूने अभी से बंद कर दिया? वाह बड़ा हॉट है हमारा दामाद जो तुमको पैंटी भी पहनने नहीं देता।

मालिनी: मामी आप बाहर जाओ वरना मुझे और देर जो जाएगी। सरला बाहर चली गयी। साड़ी पहनते हुए वो सोची कि उसने पैंटी पहनना पापाजी के कहने पर छोड़ा या शिवा के कहने पर? वह मुस्कुरा उठी शायद दोनो के कहने पर।

तय्यार होकर वो बाहर आयी। साड़ी ब्लाउस में बहुत शालीन सी लग रही थी। सरला ने भी अभी चुनरी लपेट रखी थी।

राजीव: तो चलें अब डिनर के लिए। सब उठ खड़े हुए और बाहर आए।

शिवा: पापा जी मैं कार चलाऊँ?

राजीव: ठीक है । श्याम आप आगे बैठोगे या मैं बैठूँ?

श्याम: मैं बैठ जाता हूँ आगे। आप पीछे बैठो ।

अब राजीव ने सरला को अंदर जाने को बोला। सरला अंदर जाकर बीच में बैठ गयी। मालिनी दूसरी तरफ़ से आकर बैठी और राजीव सरला के साथ बैठ गया। तीनों पीछे थोड़ा सा फँसकर ही बैठे थे। सरला का बदन पूरा राजीव के बदन से सटा हुआ था। राजीव गरमाने लगा। जगह की कमी के कारण उसने अपना हाथ सरला के कंधे के पीछे सीट की पीठ पर रखा और फिर हाथ को उसके कंधे पर ही रख दिया और उसकी बाँह सहलाने लगा। उसका हाथ साथ बैठी मालिनी की बाँह से भी छू रहा था। मालिनी ने देखा तो वह समझ गयी कि अभी ही खेल शुरू हो जाएगा। रात के ८ बजे थे ,कार में तो अँधेरा ही था। तभी राजीव ने सरला की बाँह सहलाते हुए उसकी चुन्नी में हाथ डाला और उसकी एक चूचि पकड़ ली और हल्के से दबाने लगा। मालिनी हैरान होकर उसकी ये हरकत देखी और उसने सरला को राजीव की जाँघ में चुटकी काटकर आँख से मना करने का इशारा करते भी देखी। पर वो कहाँ मानने वाला था। अब उसने मालिनी की बाँह में हल्की सी चुटकी काटी और फिर से उसे दिखाकर उसकी मम्मी की चूचि दबाने लगा और उसने मालिनी को आँख भी मार दी।
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मालिनी परेशान होकर खिड़की से बाहर देखने लगी। अब राजीव ने थोड़ी देर बाद सरला का हाथ लेकर अपने लौड़े पर रखा और सरला उसे दबाने लगी। फिर वह अपना हाथ सरला की चूचि से हटा कर मालिनी की बाँह सहलाने लगा। मालिनी चौंक कर पलटी और उसकी आँख सरला के हाथ पर पड़ी जो कि राजीव के पैंट के ज़िपर पर थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी भी ना,कितनी गरमी है इनमे अभी भी। तभी राजीव का हाथ उसकी चूचि पर आ गया। वह धीरे से उसको घूरी और उसका हाथ हटाते हुए बोली: पापा जी जगह कम पड़ रही है तो मैं टैक्सी में आ जाती हूँ।

सरला ने झट से अपना हाथ हटा लिया।

शिवा: क्या हुआ? आप लोग आराम से नहीं हो क्या?

राजीव: अरे नहीं बेटा, सब ठीक है। मैं ज़रा हाथ फैलाकर बैठा तो बहु को लगा कि मैं आराम से नहीं बैठा हूँ। सब ठीक है तुम गाड़ी चलाओ। वो मालिनी को आँख मारते हुए बोला।

फिर थोड़ी देर बाद उसने सरला का हाथ अपने लौड़े पर रख दिया जिसे वो दबाने लगी। और वह सरला की दोनों चूचि बारी बारी से दबाने लगा। मालिनी ने देखा और फिर खिड़की से बाहर देखने लगी। उसने सोचा कि जब वो दोनों इसमें मज़ा ले रहे हैं तो वो भला इसमें क्या कर सकती है।

थोड़ी देर में वो एक शानदार रेस्तराँ में पहुँचे। शिवा और श्याम बाहर आए और मालिनी और सरला भी बाहर आ गए। राजीव अपनी पैंट को अजस्ट किया कि क्योंकि उसकी पैंट का तंबू ज़रा ज़्यादा ही उभरा हुआ दिख रहा था। वो भी वहाँ हाथ रखकर बाहर आया। ख़ैर डिनर टेबल तक पहुँचते हुए उसका लौड़ा थोड़ा शांत हो गया था।

टेबल गोल थी। राजीव के बग़ल में सरला बैठी और उसकी बग़ल में श्याम बैठा। उसकी बग़ल में शिवा और फिर मालिनी बैठी। मालिनी के बग़ल में एक कुर्सी ख़ाली थी।

राजीव: श्याम थोड़ा सा ड्रिंक चलेगा?

श्याम: यार परिवार के साथ अटपटा लगता है।

राजीव: अरे इसने अटपटा की क्या बात है? सब अपने ही तो हैं। बोलो सरला, अगर हम पिएँ तो तुमको कोई आपत्ती है क्या?

सरला: मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। शिवा से पूछ लीजिए।

शिवा: पापा जी लीजिए ना जो लेना है। और उसने वेटर को आवाज़ दी।

राजीव ने उसे दो पेग व्हिस्की लाने को कहा। फिर उसके जाने के बाद श्याम बोला: शिवा अभी तक लेनी शुरू नहीं की क्या?

शिवा: ताऊ जी कॉलेज में एक दो बार लिया था। पर आप लोगों के सामने हिचक होती है।

राजीव: अरे बेटा अब तुम जवान हो गए हो। इसमें हिचकना कैसा? चलो तुम्हारे लिए भी मँगाते हैं। पर बेटा, इसको कभी भी आदत नहीं बनाना। कभी कभी ऐसे अवसरों पर चलता है।

फिर वह सरला से बोला: भाभी आप भी वाइन ट्राई करो ना। आजकल बहुत आम बात है लेडीज़ का वाइन पीना।

श्याम: हाँ सरला ले लो ना वाइन। यह तो सभी औरतें आजकल लेती हैं। बोलो मँगाए क्या?

सरला हँसकर : मैंने तो आज तक कभी ली नहीं है। मेरे दामाद जी बोलेंगे तो लूँगी नहीं तो नहीं लूँगी।

शिवा हँसकर: मम्मी जी आप भी ट्राई करिए ना।फिर मालिनी से बोला: मालिनी तुम भी लो ना थोड़ी सी वाइन।

मालिनी: ना बाबा , मुझे नहीं लेना है। मम्मी को लेना है तो ले लें।

राजीव ने वाइन भी मँगा ली। मालिनी के लिए कोक मँगाया।

अब सबने चियर्स किया और पीने लगे। सरला: ये तो बहुत स्वाद है। मालिनी तू भी एक सिप ले के देख।

मालिनी ने थोड़ी देर विरोध किया पर जब शिवा भी बोला: अरे क्या हर्ज है एक सिप तो ले लो। तो वो मना नहीं कर पाई और मम्मी की वाइन के ग्लास से एक सिप ली।

सरला: कैसी लगी?

मालिनी: अच्छी है मम्मी। स्वाद तो ठीक है।

फिर क्या था उसी समय राजीव ने मालिनी के लिए भी एक वाइन का ग्लास मँगा लिया। अब सब पीने लगे। क्योंकि सरला और मालिनी पहली बार पी रहे थे जल्दी ही उनको नशा सा चढ़ने लगा। सभी जोक्स सुनाने लगे और ख़ूब मस्ती करने लगे। जल्दी ही पीने का दूसरा दौर भी चालू हुआ। मालिनी ने मना कर दिया कि और नहीं पियूँगी। पर राजीव ने उसके लिए भी मँगा लिया।

दूसरे दौर में तो शिवा को भी चढ़ गयी। अब वो भी बहकने लगा। मालिनी ने अपना दूसरा ग्लास नहीं छुआ। बाक़ी सब पीने लगे। अब अडल्ट्स जोक्स भी चालू हो गए और सब मज़े से थोड़ी अश्लील बातें भी करने लगे। मालिनी हैरान रह गयी जब शिवा ने भी एक अश्लील जोक सुनाया।

सरला भी अब बहकने लगी थी। राजीव उसे बार बार छू रहा था और वह भी उसको छू रही थी। शिवा भी मालिनी को छू रहा था। मालिनी को बड़ा अजीब लग रहा था। वह बार बार उसकी जाँघ दबा देता था।

तभी खाना लग गया। सब खाना खाने लगे। राजीव ने सरला को एक और वाइन पिला दी जो कि मालिनी ने भी पी थी। खाना खाते हुए अचानक राजीव अपने फ़ोन पर कुछ करने लगा और फिर मालिनी के फ़ोन में कोई sms आया । वह चेक की तो पापाजी का ही मेसिज था: बहु, चम्मच गिरा दो और उसे उठाने के बहाने टेबल के नीचे देखो ।

मालिनी ने राजीव को देखा तो उसने आँख मार कर नीचे झुकने का इशारा किया। मालिनी ने उत्सुकतावश नीचे चम्मच गिराया और उसको उठाने के बहाने से टेबल के नीचे देखी और एकदम से सन्न रह गयी। उसने देखा कि पापा जी की पैंट से उनका लौड़ा बाहर था और मम्मी की मुट्ठी में फ़ंसा हुआ था। श्याम ताऊजी का हाथ मम्मी की जाँघ पर था और वह काफ़ी ऊपर तक क़रीब बुर के पास तक अपने हाथ को ले जाकर मम्मी को मस्त कर रहे थे।

मम्मी अपने अंगूठे से मोटे सुपाडे के छेद में अँगूठा फेर रही थी और लौड़े को बड़े प्यार से मूठिया रही थी। छेद के ऊपर एक दो प्रीकम भी चमक रहा था। अचानक मम्मी ने प्रीकम को अंगूठे में लिया और वहाँ से हाथ हटाइ।
उफफफफ क्या हो गया है इन तीनों को? मालिनी सीधी हुई और राजीव ने फिर से आँख मारी। तभी मालिनी ने देखा कि सरला राजीव को दिखाकर अपना अँगूठा चूसी और प्रीकम चाट ली। मालिनी बहुत हैरान थी मम्मी के व्यवहार पर। फिर उसने सरला की चूचियों की ओर इशारा किया जो कि उसके टॉप से आधी नंगी दिख रही थी क्योंकि नशे के सुरूर में उसकी चुन्नी गले में थी। फिर उसने एक sms किया और मालिनी ने पढ़ा। लिखा था: शिवा को देखो , उसकी आँखें अपनी सासु मा की चूचियों पर बार बार जा रही हैं।

मालिनी चौंकी और कनख़ियों से शिवा को देखी और सच में वह बार बार मम्मी की आधी नंगी चूचियों को देखे जा रहा था। उसे बड़ा बुरा लगा। पर वह कुछ बोल नहीं पायी एकदम से। फिर धीरे से वह उसे बोली: क्या कर रहे हो? मम्मी को क्यों घूर रहे हो? छी शर्म नहीं आती।

शिवा झेंपकर: कुछ भी बोल रही हो? मैं कहाँ घूर रहा हूँ।

मालिनी ने टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसके लौड़े को चेक किया तो वो पूरा खड़ा था। वो फुसफुसाई : ये क्या है? आप मेरी मम्मी को गंदी नज़र से देख रहे हो और ये आपका खड़ा हथियार इस बात का सबूत है।

शिवा: अरे नहीं जान ये तो बस ऐसे ही खड़ा हो गया है। आज रात को मज़ा करने का सोच कर।

मालिनी: झूठ मत बोलो चलो घर आज तो आपसे मैं बात ही नहीं करूँगी ।

शिवा उसकी जाँघ दबाकर मुस्कुराया। फिर सबने खाना खाया। और राजीव ने बिल पे किया और सब उठ गए। सब हल्के नशे में थे। नशा शिवा और सरला को ही ज़्यादा हुआ था। शिवा ने बहुत दिन बाद पी थी और सरला ने पहली बार और वो भी तीन पेग वाइन पी ली थी। मालिनी की निगाह पापा जी के पैंट के सामने वाले भाग पर गई और वहाँ अभी भी तंबू बना था। फिर श्याम ताऊजी का भी थोड़ा फूला सा ही था वह हिस्सा और शिवा का भी खड़ा ही था। उफफफ आज इन मर्दों को क्या हो गया है। शिवा मुश्किल से चल पा रहा था। बाहर आकर श्याम बोला: गाड़ी मैं चलाउंगा। शिवा को तो चढ़ गयी है। शिवा उसके बग़ल में बैठकर सो गया। पीछे मालिनी के बैठने के बाद राजीव जल्दी से बीच में बैठ गया और सरला आख़िर में बैठी।

मालिनी समझ गयी की पापा जी अब अपने कमीनेपन पर आ जाएँगे। रात के दस बज चुके थे और अंधेरे का फ़ायदा तो उसने उठाना ही था । वह सरला की चूचि के नंगे हिस्से को चूमने लगा। और खुलकर उसे दबाने लगा। उसका दूसरा हाथ मालिनी की जाँघ को सहला रहा था । मालिनी ने उसे हटाने की कोशिश की तो वो उसकी भी चूचि दबा दिया। मालिनी आऽऽऽह कर उठी। सरला जो नशे में आँख बंद करके मज़ा ले रही थी , आँख खोलकर पूछी: क्या हुआ बेटी?

मालिनी: कुछ नहीं मम्मी। सिर टकरा गया था खिड़की से।

राजीव मुस्कुराकर फिर से उसकी चूचि दबाया। मालिनी फुसफुसाई: आप हाथ हटा लो नहीं तो मैं चिल्ला दूँगी।

राजीव अपने हाथ को हटाकर उसके गाल को चूमा और फुसफुसाया: बहु कब तक तड़पाओगी ? चलो छोड़ दिया। पर रात को अपनी मम्मी की चुदाई देखने आना। मैं एक खिड़की खुला छोड़ूँगा। देखना कितनी मस्त रँडी की तरह चुदवाएगी हम दोनों से । आओगी ना बहु रानी?

मालिनी मुँह घुमाकर बाहर की ओर देखने लगी। उसने कोई जवाब नहीं दिया। फिर अचानक उसने महसूस किया कि उसकी बुर अब काफ़ी गीली हो चुकी थी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो चुके थे। हमेशा की तरह उसे अपने आप पर ग़ुस्सा आया कि वह क्यों इतनी उत्तेजित हो जाती है?
तभी घर आ गया। और सब घर में पहुँचे। मालिनी ने देखा कि अब सिर्फ़ पापा जी का ही तंबू तना था बाक़ी शांत हो चुके थे। शिवा अपने कमरे में आया और अपने कपड़े उतारकर सो गया। जल्दी ही वह नशे के कारण सो गया। मालिनी ने भी अपने कपड़े बदले और नायटी पहनी और नीचे आदतन पैंटी और पेटिकोट भी नहीं पहनी। वह बाहर आके किचन में पानी लेने गयी। तभी सरला भी नायटी में आयी और मालिनी अपनी मम्मी को देखती ही रह गयी । उसके निपल्ज़ सिल्क नायटी से खड़े हुए साफ़ दिख रहे थे। वह नीचे भी कुछ नहीं पहनी थी।

मालिनी: मम्मी आपने ब्रा उतार दी है क्या?

सरला: हाँ बेटी मैं आजकल नायटी के नीचे कुछ नहीं पहनती। अब सोना ही तो है, पानी लेने आयी थी।

मालिनी सोची कि कितना सफ़ेद झूठ बोल रही है। अभी पापा जी और श्याम से चुदेंगी ये रात भर। और क्या सती सावित्री बन रहीं हैं।

फिर दोनों अपने अपने कमरों में चली गयीं।
मालिनी अपने कमरे में आकर शिवा को देखी तो वो नशे के मारे सो रहा था। वह सोचने लगी कि आज तो मम्मी की ज़ोर की बैंड बजने वाली है। पापा जी और ताऊ जी तो आज उनकी ज़बरदस्त चुदाई करेंगे। नशा तो उसने भी पहली बार किया था इसलिए वो भी थोड़ी सी भ्रम की स्तिथि में थी।उसे याद आया कि कैसे पापा जी का लंड मम्मी मूठिया रही थी और बाद में प्रीकम भी चाट लीं। उसकी बुर उन दृश्यों को याद करके पनियाने लगी।
वह फिर से शिवा को देखी और अचानक उसकी बुर की खुजली उसके दिमाग़ पर हावी हो गयी और वह उठ खड़ी हुई और उसने मम्मी की चुदाई को देखने का निश्चय किया। पापा जी ने उसे कहा ही था कि वो एक खिड़की खुली रखेंगे ताकि वह अपनी मम्मी की चुदाई देख सके। वह बाहर की ओर जाने को निकली फिर रुक गयी और अपनी खिड़की से चुपचाप सरला के कमरे के दरवाज़े को देखने लगी।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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उधर सरला पानी पीकर एक बोतल और लेकर अपने कमरे में गयी। वह बाथरूम से फ़्रेश होकर बाहर आइ। उसने बाथरूम में अपनी बुर और गाँड़ का हिस्सा ज़रा ज़्यादा ही अच्छी तरह से साफ़ किया क्योंकि उसे पता था ये मर्द आज पागल होकर उसकी चुसाई और चुदाई करेंगे। नशे की हालत में वह और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी। उसने अपनी गीली हुई जा रही बुर को तौलिए से फिर से साफ़ किया।
तभी फ़ोन पर राजीव का sms आया: जान आ जाओ, हम दोनों नंगे पड़े हुए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। वह मुस्कुराई और फिर वह चुपके से बाहर आयी और शिवा के कमरे की ओर झाँकी। कोई हलचल ना देख कर वह चुपचाप राजीव के कमरे में जाकर घुस गयी और अंदर से दरवाज़ा बंद कर ली।

मालिनी ने उसे चोरों की तरह पापा जी के कमरे में जाते देखा और ख़ुद भी उसके पीछे वह पापा के कमरे की खिड़की की तरफ़ गयी। पापा ने अपना वादा निभाया था, खिड़की का एक पट खुला था और उसपर पर्दा लगा था। उसने हल्के से पर्दा हटाया और अंदर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ऐसे दृश्य की उसने कल्पना भी नहीं की थी। अंदर पापा और ताऊ पूरे नंगे लेटे हुए थे और अपने अपने लौड़े सहला रहे थे जो पूरे खड़े थे। मम्मी उनके सामने सिर्फ़ एक नायटी में अपना बदन मटक कर कमरे में चल कर दिखा रही थी। उसके दूध और गाँड़ बुरी तरह हिल रहे थे। तभी पापा ने मोबाइल में एक अश्लील भोजपुरी गाना लगा दिया और मम्मी को नाचने को कहा।

मम्मी अश्लील तरीक़े से अपनी छातियाँ और कुल्हे मटका कर नाचने लगी। तभी पापा बोले: अरे यार नायटी उतार कर नाचो ना। हम भी तो नंगे पड़े हैं। मम्मी मुस्करायी और अपनी नायटी उतार दी और पूरी नंगी होकर किसी रँडी की तरह अपनी छातियाँ उछालकर नाचने लगी। उफफफ क्या घटिया दृश्य था। मालिनी का मन वित्रिश्ना से भर गया। पापा बोले: जान गाँड़ मटका कर दिखाओ ना। वह उनके सामने आकर चूतर मटका कर नाचने लगी। फिर पापा बोले: ज़रा झुक कर अपनी बुर और गाँड़ दिखाओ ना जानू।

मम्मी आगे को झुकी और अपने चूतरों को ख़ुद ही फैला कर अपनी बुर और गाँड़ दोनों मर्दों को दिखाने लगी। मालिनी ने ध्यान से देखा कि मम्मी लड़खड़ा भी रही थीं। ओह इसका मतलब है कि ये शायद वाइन का ही असर है कि वो इस तरह की हरकत कर रही हैं। तभी पापा ने अपना लौड़ा हिलाते हुए कहा: आओ जान चूसो हम दोनों का लौड़ा। आओ।

मालिनी ने देखा कि मम्मी थोड़ा सा झूमते हुए बिस्तर पर बैठी और राजीव का लौड़ा पहले पकड़कर प्यार से सहलाई और फिर जीभ से सुपाडे को चाटी और फिर मुँह खोलकर चूसने लगी। फिर श्याम का लौड़ा भी चाटने लगी। अब बारी बारी से दोनों के लौड़े और बॉल्ज़ चाट और चूस कर दोनों मर्दों को मस्त करने लगी।
राजीव उठ कर बैठा और उसके हाथ उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबा रहे थे। फिर राजीव ने कहा: जानू, आओ ६९ की पोजिसन में आ जाओ।यह कहते हुए वह फिर से लेट गया। अब सरला अपनी जाँघों को फैलाकर अपनी बुर राजीव के मुँह पर रखी और राजीव
उसे चाटने लगा और जीभ से चोदने लगा। सरला भी उसके लौड़े को चूसने लगी। मालिनी ने देखा कि वह अब डीप थ्रोट दे रही थी।मालिनी सोची कि शिवा भी कई बार उसे डीप थ्रोट के लिए बोलता है पर वह तो कर ही नहीं पाती क्योंकि उसकी साँस ही रुक जाती है । और यहाँ मम्मी कितने आराम से और मज़े से पापा जी को डीप थ्रोट दे रही हैं। तभी मम्मी की उइइइइइइ माऽऽऽऽऽ निकलने लगी, लगता है पापा उनके clit को छेड़ रहे हैं जीभ से। शिवा भी ऐसे ही उसकी चीख़ निकाल देता है। उसका अपना हाथ अपनी बुर के ऊपर चला गया और वह वहीं कपड़े के ऊपर से अपनी बुर को सहलाने लगी ऊँगली डालके।

उधर ताऊजी भी अब मम्मी की छातियाँ मसल रहे थे ।मम्मी उनका लौड़ा भी सहलाने लगी। अब राजीव बोला: जानू चलो अब चढ़ो मेरे ऊपर और मेरा लौड़ा अंदर करो । फिर श्याम से बोला: क्या भाई तुम गाँड़ मारोगे या मुँह में दोगे इसको।

श्याम: गाँड़ ही मार लेता हूँ। यह कह कर वह तेल की शीशी लेकर अपने लौड़े पर लगाने लगा। तब तक सरला अपनी बुर राजीव के लौड़े पर रख कर उसको अंदर करने लगी थी। जल्दी ही वो अपने चूतर उछालकर चुदवाने लगी। तभी श्याम आया और उसके हिलते चूतरों को दबाने लगा। राजीव ने सरला को रुकने को कहा: रुको जानू, श्याम आप गाँड़ में तेल लगाओ और डालो अपना लौड़ा अंदर। श्याम ने दो ऊँगली में तेल लिया और उसकी गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगे। मालिनी ने देखा कि मम्मी आराम से गाँड़ में दो उँगलियाँ डलवा रहीं थीं। फिर अपने तेल लगे लौड़ेको श्याम ने उसके गाँड़ के छेड़ पर लगाया और दो धक्कों में पूरा अंदर कर दिया मम्मी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर मस्त हो कर अपने चूतर उछालने लगी। अब कमरा फ़च फ़च और ठप्प ठप्प और पलंग की चूँ चूँ की आवाज़ों से गूँजने लगा। मम्मी आऽऽऽह और हाय्य्य्य्य्य कहकर चुदवा रही थी और डबल चुदाई का मज़ा ले रही थी।मालिनी ने अब अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर में दो ऊँगली डाल ली थी और उनको बुरी तरह से हिला रही थी। उधर मम्मी की चीख़ें बढ़ने लगीं और वह जल्दी ही आऽऽऽंह्ह्ह्ह्ह मैं गयीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी और श्याम भी अब अपनी गाँड़ ज़ोर ज़ोर से हिलाकर धक्का मारने लगा और हम्म कहकर झड़ने लगा। राजीव भी नीचे से धक्के मारने लगा और वह भी आऽऽआह कहकर झड़ गया। यह देखकर अब शायद मालिनी की बुर पानी छोड़ने को तय्यार थी। वह अब अपनी बुर के clit को सहलाने लगी और अपनी चीख़ दबाकर झड़ने लगी। तभी शायद उसके बदन के हिलने के कारण पर्दा हिला और राजीव की आँख खिड़की की तरफ़ गयी और उसकी आँख मालिनी की आँख से मिली और वह मुस्कुराया और झड़ कर पास में करवट में पड़ी सरला की मोटी गाँड़ दबा दिया।मालिनी शर्मा कर वहाँ से भाग कर वापस अपने कमरे में आयी।

शिवा अभी भी सो रहा था। उसने लम्बी साँस ली और चुपचाप लेट गयी और उसकी आँखों के सामने उसी चुदाई के दृश्य घूम रहे थे। उसने मम्मी की आँखों में एक अजीब सी संतुष्टि देखी थी। क्या इस तरह से चुदवाने में सच में इतना मज़ा आता है। वो तो हमेशा से यही मानती है कि हम जिसे प्यार करते हैं उसके साथ ही चुदाई में सुख मिलेगा। पर यहाँ तो उलटा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि परपुरुष के साथ ज़्यादा मज़ा है। वह लेटी हुई सोची कि अब तक तो मम्मी की दूसरे राउंड की चुदाई भी चालू हो चुकी होगी। पापा जी ने उसे चुदाई देखते हुए देख लिया है और इस बात का वो ज़रूर फ़ायदा उठाएँगे। तभी उसकी इच्छा हुई कि एक बार और देखे कि वो अब क्या कर रहे हैं? पर पापा जी तो खिड़की की तरफ़ देखेंगे ही ये जानने के लिए कि वो वहाँ खड़ी है या नहीं? उफफफ वो क्या करे? मन कह रहा है कि एक बार और देखना चाहिए। फिर वह उठी और धीरे से खिड़की के पास पहुँची और धीरे से पर्दा हटाकर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। पापा नीचे लेटे थे और मम्मी उनके ऊपर पीठ के बल अपने हाथों के सहारे आधी लेटी थीं और उनकी जाँघें फैली हुई थीं। उनके चूतर पापा के मुँह पर थे। पापा उनके चूतर फैलाकर गाँड़ चाट रहे थे। मम्मी की बुर पूरी खुली हुई साफ़ दिखाई दे रही थी जो कि नमी के कारण चमक रही थी।ताऊ जी अपना लौड़ा सहला कर उनकी चूचियाँ चूस रही थे। फिर वो भी आकर अपना मुँह उनकी बुर में घुसेड़कर उसे चूसने लगे। मम्मी इस दुगने हमले से उइइइइइइइ कर उठीं। अब वह ताऊ जी का सर अपनी बुर में दबाने लगीं।

मालिनी ने मम्मी का मुँह ध्यान से देखा । उनकी आँखें अत्याधिक मज़े से बंद थीं और वो आऽऽऽऽऽह बहुत अच्छाआऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽ है आऽऽहहहह हाय्य्य्य्य्य्य । और चूसोओओओओओओओ चिल्लाए जा रही थी।
फिर राजीव अपना मुँह गाँड़ से हटा कर बोला: चलो अब चुदाई करते हैं। मालिनी ने देखा कि पापा ने मम्मी को करवट लिटाया और ख़ुद उनके पीछे चला गया और अपने हाथों से उनके मोटे चूतरों को दबाने लगा और फिर अपने लौड़े पर तेल चुपड़कर उसकी गाँड़ में पेल दिया। ताऊ भी उसके सामने लेट गया और उसकी चूचियाँ चूसते हुए उसकी बुर में अपना लौड़ा डालकर चुदाई में लग गया। अब फिर से मम्मी की सिसकारियाँ गूँजने लगी। मम्मी ने एक टाँग हवा में उठायी हुई थी और आराम से कमर हिला कर दोनों छेदों में लौड़े घुसवा कर मज़े से भरी जा रहीं थीं।और फिर हाऽऽऽऽऽऽय्य्य्य्य मरीइइइइइइइ आऽऽऽऽऽऽऽहहह । वगेरह चिल्लायीं जा रहीं थीं। मम्मी के हाथ ताऊ के पीठ पर थे और वह उसे सहलाते हुए अब उसकी चूतरों तक ले आइ थीं और उसके चूतरों को ज़ोर से दबा रहीं थीं मानो कह रही हो और अंदर तक डालो। ताऊ और पापा के चूतर किसी पिस्टन के माफ़िक़ चल रहे थे और वो भी ह्म्म्म्म्म आऽऽह कर रहे थे। पूरा कमरा चुदाई की आवाज़ों से गूँजने लगा था । और मालिनी ने एक बार फिर से अपनी नायटी उठाई और अपना हाथ एक बार फिर से अपनी बुर में डाल दिया था। उसे याद आया कि चुदाई के दौरान कभी कभी शिवा भी उसकी गाँड़ में ऊँगली करता है। वो हमेशा उसकी ऊँगली वहाँ से हटाकर अपनी चूचियों पर रख देती थी।आज ना जाने उसे क्या हुआ कि वो अपनी गाँड़ में एक ऊँगली ख़ुद ही डाली और आगे पीछे करने लगी। उसने अँगूठा बुर में और एक ऊँगली गाँड़ में डाल दी और उनको हिलाने लगी।

चुदाई करते हुए राजीव ने अपना सिर उठाया और खिड़की की तरफ़ देखा और उसकी आँखें फिर से मालिनी की आँखों से टकरा गयीं। वह मुस्कुराया और हाथ भी हिलाया। मालिनी के तो शर्म के मारे पसीना निकल गया और वह फिर से भाग कर वापस अपने कमरे में आ गयी। अब मालिनी के शरीर में आग लगी हुई थी। उसने देखा कि शिवा अभी भी आराम से सो रहा है। उसने शिवा को हिलाया और उठाया। शिवा उठकर बोला: क्या हुआ रानी क्या बात है?

मालिनी ने कहा: मुझे नींद नहीं आ रही है। आप तो सोए ही जा रहे हो। यह कहते हुए उसने नायटी के ऊपर से अपनी बुर को खुजा दी। शिवा मुस्कुराया और बोला: ओह बुर खुजा रही है? आओ रानी अभी शांत कर देता हूँ ।

मालिनी: आपने ऐसी आदत डाल दी है कि बिना करवाए नींद नहीं आती है। चलो कपड़े उतारो। मैं भी उतारती हूँ। ये कहते हुए इसने नायटी उतार दी और फिर ब्रा खोलकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। जब वह बाहर आयी तो शिवा भी पूरा नंगा खड़ा था और वह भी बाथरूम में घुसकर फ़्रेश होकर वापस आया।

मालिनी ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगी । वह भी मज़े से उसकी चूचियाँ दबाकर मस्त होने लगा। फिर मालिनी उसकी छाती को चूमते हुए उसके पेट को चुमी और फिर वह उसके नाभि में जीभ डालकर उसके लौड़े को सहलाने लगी। फिर नीचे जाकर वह उसके लौंडे को चूसने लगी। उसका लौड़ा अब पूरी तरह से तन गया था। मालिनी अब उसके लौड़े पर वैसे ही अपनी बुर रख कर बैठी जैसे मम्मी पापाजी के लौड़े पर बैठी थी। अब वह अपनी कमर उछाल कर चुदवाने लगी। शिवा भी उसकी हिलती हुई चूचियाँ दबाने लगा।

अचानक मालिनी ने अपना हाथ शिवा के हाथ पर रखा जो कि उसकी छाती पर था। फिर वह बोली : शिवा, आज मेरे पीछे ऊँगली करो ना। जैसे पहले कभी कभी करते थे।

शिवा: पर तुम तो हमेशा मेरा हाथ वहाँ से हटा देती थी तो आज क्या हो गया?

मालिनी: हाँ पर आज मेरी इच्छा हो रही है। करो ना। लाओ मैं आपकी ऊँगली गीली कर देती हूँ। यह कहकर मालिनी ने शिवा की एक ऊँगली मुँह में लेकर चूसी और उसमें थूक लगा दी ।
शिवा अब उसकी गाँड़ ने उस उँगली को अंदर डाल दिया। मालिनी की चीख़ निकल गयी। वह बोली: उइइइइइ माँ जलन हो रही है।

शिवा ऊँगली निकाल कर बोला: वो तेल उठाना ज़रा। मालिनी ने उसे चुदाई करते हुए तेल पकड़ा दिया। अब शिवा अपने ऊँगली में तेल लगाया और फिर से उसकी गाँड़ में ऊँगली डाला। अबके मालिनी हाऽऽऽय्य कर उठी। इसमें सच में बहुत मज़ा आ रहा था। वह बोली: उफ़्फ़ बहुत मज़ा आ रहा है। आप ऐसे ही ऊँगली करते रहिए। अब वह और ज़ोर ज़ोर से अपनी गाँड़ हिलाकर चुदवाने लगी। जल्दी ही वह लम्बे धक्के मारने लगी। नीचे से शिवा भी अपनी कमर उछालकर उसकी बुर में लौड़ा जड़ तक पेल रहा था। फिर दोनों आऽऽऽहहह करके झड़ने लगे और एक दूसरे से चिपक गए।

शिवा ने उसकी गाँड़ से ऊँगली निकाली और उसे सूँघने लगा और बोला: उफ़्फ़ क्या मस्त गंध है तेरी गाँड़ की।

मालिनी ने उसको एक चपत मारी और कहा: छी कुछ भी करते है आप। जाओ हाथ धो के आओ।

शिवा हँसते हुए बाथरूम चला गया। मालिनी वहीं नंगी लेटी हुई पिछले कुछ घण्टों में आए ख़ुद के बदलाव के बारे में सोचने लगी। उसने अपनी टाँग उठाई और अपनी बुर और गाँड़ पर हाथ फेरकर सोची कि सच में मुझे कुछ होने लगा है। शिवा बाथरूम से बाहर आया तो वो भी फ़्रेश होकर वापस आइ और शिवा के साथ नंगी ही लिपट कर सोने लगी।

तभी पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो शिवा को बोली: वो आपका ख़ास दोस्त असलम आजकल आपसे बात करता है क्या?

शिवा चौंक कर बोला: अरे आज उसकी कैसे याद आ गयी? हाँ करता है बल्कि वह तो तुमको मिलने की भी बात करता है। वह तो हम दोनों को खाने पर भी बुला रहा है।

मालिनी: खाने पर जाएँगे तो वह बीवियों की अदला बदली की बात तो नहीं करेगा?

शिवा: करना तो नहीं चाहिए। पर अगर वह तुमको पसंद आ गया तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा। वो हँसने लगा।

मालिनी: आपको भला क्यों ऐतराज़ होगा। आपको भी तो आयशा मिल जाएगी मज़े करने के लिए।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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फिर दोनों हँसने लगे और एक दूसरे को चूम कर सोने की कोशिश करने लगे। शिवा सोच रहा था कि मालिनी में अचानक आए इस परिवर्तन की वजह क्या है? आज वो गाँड़ में ऊँगली डलवायी और अब असलम की बात , वो भी इस समय? कुछ तो बात है। वो सोचते हुए सो गया। मालिनी भी सोच रही थी कि उसे अचानक से आज असलम क्यों याद आ गया? वो तो कभी भी दूसरे मर्द से चुदवाने का कभी सोची ही नहीं। यह सब सोचते हुए वह भी सो गयी।
आज छुट्टी थी तो एक बड़ा सा अपडेट तो बनता है दोस्तों----

अगली सुबह मालिनी सुबह उठी और फ़्रेश होकर ब्रा और पेटिकोट और नायटी पहनी। आज उसने पेटिकोट इसलिए पहनी कि ताऊ जी भी थे। जब वह किचन में गयी तो मम्मी को वहाँ देखकर हैरान रह गयी। उन्होंने भी अभी ब्रा और पेटिकोट पहना था नायटी के नीचे। मम्मी की मुस्कान ने मालिनी के मन की सारी कड़वाहट को धो धिया और वह उनसे लिपट कर प्यार करने लगी। सरला ने उसके गाल को चूमा और बोली: चल आज मुझे चाय बना लेने दे ।

मालिनी: ठीक है आप बनाओ , मैं मदद करती हूँ । फिर माँ बेटी मिलकर नाश्ते की तय्यारी में लग गयीं।
मालिनी सरला दो देखते हुए सोच रही थी कि अभी इनको देखकर कौन कहेगा कि ये रात को दो मर्दों के साथ एक रँडी की तरह व्यवहार कर रहीं थी। अभी वो चाय बनाते हुए एक गृहिणी लग रहीं थीं। मालिनी सोची कि हम सबके कितने रूप हैं इस जीवन में। ख़ैर वो रोज़ की तरह राजीव के कमरे के सामने जाकर आवाज़ दी: पापा जी , ताऊ जी आइए। चाय बन गयी है।

ताऊ जी की आवाज़ आयी: आते हैं बेटी अभी ।

थोड़ी देर में दोनों बाहर आए लूँगी और बनियान में। सरला और मालिनी टेबल पर बैठकर चाय पी रही थीं। वो दोनों भी आकर उनके आमने बैठ गए।चाय पीते हुए ताऊ जी बोले: बेटी बड़ा अच्छा लगा तुम सबसे मिलकर। बस नाश्ता करके हम लोग निकलेंगे।

मालिनी: ठीक है ताऊजी, ये दुकान जाते हुए आपको बस अड्डे छोड़ देंगे।

राजीव: अरे यार कुछ दिन और रहते तो ज़्यादा मज़ा आता। ये कहते हुए उसने सामने बैठी मालिनी को सबकी नज़र बचा कर आँख मार दी। मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया ।

सरला मुस्कुरा कर बोली: भाई सांब आप जब बुलाएँगे फिर आ जाएँगे ।

ताऊजी: अगली बार आप सब भी आयिए हमारे घर।

राजीव: हाँ जी ज़रूर आएँगे। आप सबसे मिलना तो बड़ा अच्छा लगता है। इस बार भी वह मालिनी को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा था।

फिर सब नहाने चले गए और शिवा भी सोकर उठा और सबने साथ नाश्ता किया और फिर सरला और श्याम शिवा के साथ चले गए। अब घर में सिर्फ़ राजीव और मालिनी ही रह गए। कमला सफ़ाई कर के चली गयी थी। राजीव सोफ़े पर बैठा और बोला: बहु एक और चाय पिलाओ ना प्लीज़।

मालिनी: जी पापा जी अभी लायी। कहकर किचन में चली गयी। जब वह चाय लाई तो पापा सोफ़े पर बैठा हुआ मोबाइल में फ़ोटो देख रहे थे। चाय का प्याला सामने रख कर वह जाने लगी तो राजीव बोला: बहु बैठो और ये फ़ोटो देखो। मैं अपना चश्मा लेकर आता हूँ। मालिनी वहीं बैठ गयी और मोबाइल में फ़ोटो देखनी लगी। राजीव अपने कमरे में चला गया था चश्मा लाने।

मालिनी ने फ़ोटो देखना शुरू किया। मम्मी की फ़ोटो थी साड़ी में ,अगली फ़ोटो में वो टॉप में थी जिसमें रेस्तराँ गयीं थीं। अगली फ़ोटो में मम्मी नायटी में थी। यहाँ तक सब ठीक था। उसके बाद की फ़ोटो सब गड़बड़ थीं। अब नायटी में मम्मी के दूध दिख रहे थे। फिर अगली फ़ोटो में मम्मी पूरी नंगी खड़ी थी। सामने से और पीछे से भी फ़ोटो खींची हुई थी। अगली फ़ोटो ने मम्मी बिस्तर पर लेटकर अपनी दोनों टाँगे उठाकर और फैलाकर अपनी बुर और गाँड़ दिखा रही थी। उफफफफ मम्मी को ये क्या हो गया है। ऐसे भी कोई फ़ोटो खिंचवाता है क्या।

राजीव अचानक आकर उसके बग़ल में बैठ कर बोला: ये नंगी फ़ोटो मैंने तुम्हारे खिड़की से हटने के बाद खींची थी। क्या मस्त पोज दिया है ना तुम्हारी मम्मी ने। असल में ज़्यादा चढ़ गयी थी उसको दारू।

मालिनी को समझ नहीं आया कि वो कैसे इस बात का आवाज़ दे वह बोली: पापा जी ये फ़ोटो आप प्लीज़ डिलीट कर दीजिए।

राजीव: ज़रूर कर दूँगा जब तुम मुझे मिल जाओगी। अभी तो वो मेरे मूठ्ठ मारने के काम आएगी । वैसे तुम निश्चिन्त रहो ये मेरे पास सुरक्षित है। वैसे एक बात बताओ कल जो तुमने खिड़की से देखा , उसके बाद भी तुमको लगता है कि ज़िंदगी मज़े लेने के लिए नहीं तो और किसके लिए बनी है। देखा नहीं कि सरला ने कितना मज़ा लिया। वो एक एक पल का आनंद ले रही थी। हम दोनों भी बहुत मज़ा लिए तुमने देखा ही था।

मालिनी उठकर जाने लगी तो वह उसे पकड़कर बिठा लिया और बोला:बहु बात करोगी तभी तो बात बनेगी । ऐसे उठकर चली जाओगी तो फिर हम आगे कैसे बढ़ेंगे। अच्छा एक बात बताओ कि तुम और शिवा चुदाई करते हो तो उसमें ज़्यादा वेरायटी तो नहीं होती होगी ना? वही रोज़ रोज़ एक या दो आसनों में चुदाई करती होगी। जब तुम किसी और से चुदवाओगी तो तुमको एक अजीब सा मज़ा मिलेगा और वेरयटी भी मिलेगी। हर आदमी का चोदने का एक अपना तरीक़ा होता है और फिर लौड़े और बुर भी अलग अलग नाप और बनावट की होतीं हैं। इसलिए लोग पार्ट्नर बदल कर मज़े लेते है। कुछ समझ में आया मेरी प्यारी बहु रानी।

मालिनी पापा की बातें वो भी इतने खुले और अश्लील शब्दों में सुनकर हक्की बक्की रह गयी। वो बोली: पापा जी आप मुझसे इतनी गंदी भाषा में बात कैसे कर रहे हैं। मुझे बहुत अजीब लग रहा है।

राजीव: बहु , जब तुम खिड़की से अपनी मम्मी को चुदवाते देख सकती हो वो भी मुझसे और अपने ताऊ जी से तो ऐसी बातें तो मैं कर ही सकता हूँ। सच बताओ तुमने हमारी चुदाई देखकर अपनी बुर नहीं मसली क्या? या शिवा से उसी समय नहीं चुदवाई? दोनों में से एक काम तो किया ही होगा।

मालिंनि क्या बोलती, सच तो ये है कि उसने दोनों ही काम किया था, बुर भी मसली थी और चुदायी भी की थी । पर वह सामने से बोली: पापा जी आप ये कैसी बातें कर रहे हैं? मुझे जाने दीजिए। वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की।

राजीव: बहु क्यों तड़पा रही हो? मान जाओ और मज़े लो मुझसे और मुझे भी मज़ा दो। ये कहकर वो उसकी चूचि दबाने लगा। अब मालिनी की बुर गीली होने लगी पर वह विरोध करके उठी और राजीव के हाथ को अपनी चूचि से हटायी और बोली: पापा जी प्लीज़ अभी नहीं । मैं अभी तय्यार नहीं हूँ। यहकहकर वो अपने कमरे में चली गयी। वह महसूस की उसकी छातियाँ पापा के बातों से वह बहुत उत्तेजित हो चली थीऔर निप्पल्स कड़े हो गए थे। उसने अपनी बुर दबाई और बिस्तर पर लेट गयी।

उसने शिवा को फ़ोन लगाया: हेलो, आपने उनको बस चढ़ा दिया ना?

शिवा: हाँ जानू चढ़ा दिया। और क्या हाल है? उनकी याद आ रही है क्या?

मालिनी: हाँ एक दो दिन तो याद आएगी ना।

शिवा: तुम्हारे दोस्त का फ़ोन आया था।

मालिनी: मेरा दोस्त? मेरा कौन सा दोस्त पैदा हो गया?

शिवा हँसकर :वही असलम का यार। कह रहा था कब आएँगे खाना खाने। मैंने कह दिया कि तुमसे पूछ कर बताऊँगा।

मालिनी: हाँ हाँ आप तो मरे जा रहे हो ना आयशा को खाने के लिए। मेरा नाम क्यों लेते हो?

शिवा: अरे यार मैंने तो ऐसे ही कह दिया टालने के लिए। तुम ना जाना चाहो तो कोई ज़बरदस्ती थोड़े ना ले जाऊँगा

मालिनी: चलिए अब रखती हूँ।

राजीव अपने कमरे में बैठा सोच रहा था कि ये लड़की तो बहुत मुश्किल से पटेगी लगता है ।

उसके बाद कुछ दिन और कुछ नया नहीं हुआ। राजीव ने एक नया व्यवहार शुरू कर दिया था। वह अक्सर किचन में जाकर मालिनी को पकड़कर चूम लेता था और अक्सर उसकी चूचि आराम से दबा देता था। कभी कभी वह उसकी बुर और गाँड़ भी दबा देता था। मगर मालिनी हर बार उसका विरोध भी करती थी। इसी तरह चल रहा था। मालिनी अभी भी दुविधा में थी कि क्या करे और क्या ना करे।

उस दिन मालिनी और राजीव दोपहर का खाना खा रहे थे तभी राजीव का मोबाइल बजा। क्योंकि वह खाना खा रहा था उसने फ़ोन को स्पीकर मोड में डालकर कहा: हेलो। कौन बोल रहा है? मालिनी ने भी देखा कि कोई नाम नहीं आ रहा था सिर्फ़ नम्बर था।

उधर से एक लड़की जी आवाज़ आयी: अंकल मैं नूरी बोल रही हूँ।

एक मिनट के लिए राजीव उसे नहीं पहचान पाया और बोल पड़ा: कौन नूरी?

नूरी: ओह आप मुझे भूल भी गए। वाह कैसे पापा हैं आप मेरे बेटे के?

राजीव को अचानक याद आया कि ये तो वही नूरी है जिसे उसने प्रेगनेंट किया था और उसे एक बेटा भी हुआ था। वह बोला: अरे सॉरी नूरी भूल गया था। कैसी हो तुम? और हमारा मुन्ना कैसा है?

अब मालिनी ने चौंकने की बारी थी ।पापा का “हमारा मुन्ना” कहना उसे चौंका गया था। वो ध्यान से सुनने लगी।

नूरी: अंकल मैं भी बढ़िया हूँ और हमारा बेटा भी। बिलकुल आपके ऊपर गया है। आपके जैसा ही दिखता है। और स्वभाव भी आपके जैसा है।

राजीव: अरे दो साल का लड़का कैसे मेरे ऊपर गया है ?

नूरी: वो भी आपके जैसे मेरे दूध चूसता था। अब तो मैंने छुड़ा दिया है। हा हा ।

राजीव: हा हा बदमाश हो तुम। अच्छा बताओ कैसे याद आयी हमारी?

नूरी: मतलबी हूँ ना इसलिए मतलब से याद किया।

राजीव: तुम्हारी ये बात मुझे बहुत पसंद है कि साफ़ साफ़ बात करती हो। बोलो क्या काम है? तुम्हारा पति कैसा है?

नूरी: वो बहुत अच्छें हैं और उनका काम भी अच्छा चल रहा है । मैंने आपको इस लिए फ़ोन किया हाँ कि मेरे पति और ससुराल वालों को एक और बच्चा चाहिए। मैंने समझाने की बहुत कोशिश की पर सब अड़े हुए हैं। मैंने मजबूर होकर आपको फ़ोन किया।

राजीव: अरे तो क्या हुआ, बेबी। आख़िर तुम हमारी जान हो और अपनी हो। पर आजकल तुम हो कहाँ?

नूरी: मैं दिल्ली में रहती हूँ। पर आपसे मिलने मैं आपके शहर आ सकती हूँ , वहाँ एक मेरी आंटी रहती है। आपके दोस्त का फ़्लैट अब भी है क्या जहाँ हम मस्ती करते थे? वहीं अब भी मस्ती हो सकती है।

मालिनी स्तब्ध रह गयी की क्या कोई शादीशुदा लड़की अपने बाप की उम्र के आदमी से ऐसे बात कर सकती है।

राजीव: नहीं उसने वह फ़्लैट बेच दिया। अब तुमको मेरे घर पर ही आना पड़ेगा।

नूरी: आप अकेले रहते है क्या? आंटी कहाँ गयीं?

राजीव: तुम्हारी आंटी भगवान के घर चली गयीं। लेकिन अब मेरे साथ मेरा बेटा और बहु रहते हैं। बेटा तो दिन भर दुकान में रहता है और बहु घर पर ही रहती है।

नूरी: ओह तब तो गड़बड़ हो गया ना? मैं तो रोज़ आंटी के यहाँ से आपसे मिलने के लिए २ घंटे निकाल लूँगी पर आपके घर में तो बहु होगी ना। फिर कैसे होगा? आपको कोई जगह का इंतज़ाम करना पड़ेगा।

राजीव ने मालिनी को देखते हुए कहा: बेबी , मेरी बहु बहुत अच्छी है । जब मैं उसे ये बताऊँगा कि मैं तुमको माँ बनाने के लिए चोद रहा हूँ, तो वो बात को समझ जाएगी और हमारी मदद करेगी।

नूरी: आप बिलकुल नहीं बदले। आपको अभी भी चुदाई शब्द का बहुत शौक़ है। हा हा । पर आपकी बहू इसमेंआपकी मदद करेगी वो बात मेरे गले नहीं उतर रही। सच सच बताइये कि आप कहीं उसकी भी चुदाई तो नहीं कर रहें हैं?

राजीव मालिनी को आँख मारते हुए: नहीं नहीं सच में ऐसी कोई बात नहीं है। वो बहुत ही अच्छी लड़की है। वह सबकी मदद करती है, जब मैं उसे पूरी बात बताऊँगा कि तुम्हारा पति तुमको माँ नहीं बना सकता है और तुमको मेरी इसमें मेरी मदद चाहिए, तो वो तुम्हारी भी मदद करेगी।

मालिनी पापा की बात सुनकर हैरानी से भर गयी। उस लड़की को मेरे ही घर में चोदने के लिए वो मेरी मदद माँग रहे हैं। हे भगवान। इस आदमी का मैं क्या करूँ?

नूरी: तो आप अपनी बहु से बात करके मुझे बता दीजिए। असल में मेरे अन्सेफ़ पिरीयड कल से ही शुरू हो रहा है। अगर आप हाँ करोगे तो मैं कल ही फ़्लाइट से आकर दोपहर में आपसे मिलने हा हा नहीं चुदवाने आ सकती हूँ। हाँ मेरे साथ मेरा बेटा भी होगा। मैं दस बारह दिन का प्रोग्राम बनाऊँगी। इतने दिनों में तो आप मुझे प्रेगनेंट कर देंगे ना?

राजीव मालिनी को देखकर मुस्कुराकर बोला: अरे अभी कुछ महीने पहिले ही एक लड़की को एक महीने की चुदाई में माँ बना दिया है। फिर स्पीकर पर हाथ रख कर मालिनी से बोला: मैं रानी की बात कर रहा हूँ। मालिनी का चेहरा लाल हो रहा था। वह चुपचाप सुन रही थी। उसने अपना मुँह घुमा लिया।

नूरी: ओह तब तो मेरा काम भी हो जाएगा, अंकल , तो फिर कब फ़ोन करूँ आपको? आप अपनी बहु से बात करके बता दीजिए।

राजीव: अरे बेबी, मैं उससे बात करके थोड़ी देर में फ़ोन करता हूँ। अब सच बोलूँ , तुम्हारी टाइट बुर को याद करके मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है। उफफफ क्या मज़े से चुदवाती थी तुम।

नूरी: अंकल, मेरा भी बुरा हाल है आपसे बात करके। मेरी भी बुर गीली हो रही है। क्या मज़ा करते थे हम? दो दो घंटे चुदाई करते थे। चलो ठीक है , मैं आपके फ़ोन का इंतज़ार करती हूँ। बाई।

राजीव: बाई मेरी जान।
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