बहू नगीना और ससुर कमीना

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Kaanu25
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Kaanu25 »

Sexy story
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

lovelyssingh wrote: 30 Aug 2017 22:43 अब आएगा मजा ।
Kamini wrote: 31 Aug 2017 13:03mast update
sunita123 wrote: 06 Sep 2017 14:32 wow kay msat hot kahani hai sach me mai to pagal ho gayi Munni pe Shiva Chadhega aru Charu pe Rajiv kitna maja aayega jab do kamsin chut fategi tagde mardo se.
Mani wrote: 06 Sep 2017 23:39 और आप पे सुनीता जी
Kaanu25 wrote: 08 Sep 2017 17:10Sexy story
Thanks all for your encouraging comments.
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

राजीव और चारु मालिनी को खाना खिला कर करीब ९ बजे अस्पताल से निकले और कार से घर के लिए निकले। शिवा और मुन्नी को राजीव ने कहा था कि मालिनी का पूरा ध्यान रखना। आते समय उसने बहू का माथा चूमा था और उसे आशीर्वाद भी दिया था कि प्रभु सब ठीक करेंगे।

रास्ते में कार में चारु बोली: अंकल क्या आज बच्चा हो जाएगा?

राजीव: हाँ लगता तो है देखो क्या होता है? अच्छा एक बात बताओ तुमको पता है कि बहु का बच्चा कहाँ से निकलेगा?

चारु का चेहरा लाल हो गया वो बोली: अंकल आप कुछ भी बोलते रहते हैं । मैं कोई बच्ची थोड़ी ही हूँ। मुझे सब पता है।

राजीव: अच्छा क्या पता है बताओ?

चारु शर्मा कर अपनी बुर की ओर इशारा करके बोली: यहाँ से । आप बहुत गंदे हो कुछ भी पूछते रहते हो।

कार चलाते हुए राजीव अपना हाथ उसकी जाँघ पर रखा और वहाँ सहलाते हुए बोला: पर तुम्हारी बुर में तो मेरी दो ऊँगली भी नहीं जाती फिर यहाँ से बच्चा कैसे निकलेगा?

चारु: अंकल हैरानी तो मुझे भी होती है कि इतने छोटे छेद से बच्चा कैसे बाहर आता है? पर सब कहते हैं तो सच ही होगा।

राजीव ने उसकी स्कर्ट को ऊपर खसकाया और पैंटी के ऊपर से उसकी बुर दबाकर बोला: हाँ बेटी ये सच है कि जब बच्चे को बाहर आना होता है तो ये बहुत बड़ी हो जाती है।

चारु के बदन में सुरसुरी दौड़ गयी जब राजीव के हाथ ने उसकी बुर में ऊँगली शुरू की। वो मज़े से अपनी टाँगों को फैलाकर उसको और अच्छी तरह से मस्ती करने का मौक़ा दी।

राजीव: और एक बात जिसमें अभी दो उँगलियाँ नहीं जा रहीं हैं ना वो मोटे से मोटे लौड़े के लिए भी रास्ता बना लेती है।

यह कहकर वो उसकी बुर को पैंटी की साइड से सहलाकर बोला : आह बेटी मेरा लौड़ा सहलाना ज़रा।बहुत गरम हो गया है।

राजीव अक्सर उसका हाथ पकड़कर अपने लौड़े पर रखता था पर आज वो देखना चाहता था कि लौंडिया कितनी तय्यार है चुदवाने के लिए इसीलिए वो ऐसे बोला।

राजीव की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा जब चारु ने अपना हाथ बढ़ाकर उसके पैंट पर लौड़े पर रखा और उसे दबाने लगी।

उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या अहसास था – राजीव सोचा कि ये अब तय्यार माल है मज़े के लिए। आऽऽऽऽह क्या मज़ा आएगा इसकी सील तोड़ने में। कितने साल हो गए किसी की सील तोड़े हुए- वो सोचने लगा। अब उसने अपना हाथ पैंटी से बाहर निकाला और उसकी एक चूची दबाने लगा। वह टॉप के ऊपर से ही उसकी निपल को टटोल कर मसला और चारु आऽऽऽऽहाह कर उठी और उसके लौड़े को और भी ज़ोर से दबा दी।

तभी घर आ गया और वो दोनों कार से उतरे और घर में चले गए। घर के अंदर घुसते ही राजीव ने दरवाज़ा बंद किया और चारु सामान रखने किचन में चली गयी। राजीव अपने कमरे में जाकर फ़्रेश हुआ और सिर्फ़ एक लूँगी में आ गया। उसने ऊपर भी कुछ नहीं पहना था। अब वो सोचने लगा कि शुरुआत कैसे की जाए? अचानक वो कुछ सोचकर मुस्कुराया और फ़ैसला किया कि शुरुआत लौंडिया की तरफ़ से ही होनी चाहिए । वो अपना लंड मसलकर बिस्तर पर बैठा और टी वी देखने लगा। उसके कमरे का दरवाज़ा खुला था।

उधर चारु अपने गरम बदन को लेकर परेशान थी। वो भी फ़्रेश हुई और रात को पहनने वाली टॉप और पाजामा पहनी और सोची कि अंकल को क्या हो गया? वो उसके कमरे में क्यों नहीं आते ? इतना गरम किया कार में और आज मौक़ा है फिर भी नहीं आ रहे हैं ।वो अपनी बुर खुजाई और सोची कि थोड़ा सा इंतज़ार कर लेती हूँ। वो बाहर आयी और ड्रॉइंग रूम में बैठकर टी वी देखने लगी।

इसी तरह क़रीब आधा घंटा बीत गया और दोनों अलग अलग कमरे में टी वी देखते रहे और सोचते रहे कि पहल दूसरा करेगा ,मैं क्यों करूँ?

राजीव परिपक्व पुरुष था उसे ये सब चालें अच्छी तरह से आती थीं।पर चारु अभी नादान मासूम लौंडिया थी । वो जल्दी ही बेचैन होने लगी और उसको एक दिन पहले अंकल के द्वारा की हुई बुर की चुसाई याद आने लगी और वो अपनी बुर खुजा बैठी। अब वो सोची कि कुछ बहाने से अंकल के कमरे में जाती हूँ और देखती हूँ कि क्या होता है ?वो अब चुदाई के लिए मरी जा रही थी।

वो फ्रिज से पानी की एक बोतल निकाली और एक गिलास लेकर राजीव कमरे में आयी और बिस्तर पर बैठे अधनंगे राजीव को देखकर शरमाई और बोली: अंकल पानी लाई हूँ।

राजीव: हाँ हाँ बेटी थैंक्स वहाँ टेबल पर रख दो।

चारु ने पानी रखकर पूछा: अंकल और कुछ तो नहीं चाहिए वरना मैं सोने जाती हूँ।

राजीव अपना हाथ लूँगी के अंदर ले जाकर लंड को दबाकर बोला: क्या बिटिया बड़ी नींद आ रही है? आज मुझे तो नींद नहीं आने वाली है।

चारु की आँखें बरबस ही लूँगी में बने तंबू पर पड़ी और उसकी बुर पनिया गयी। वह मुश्किल से वहाँ से आँख हटाकर मुस्कुराते हुए बोली: क्यों अंकल क्या हुआ? क्यों नींद नहीं आएगी?

राजीव: अरे बिटिया यहाँ कुछ काट लिया है बहुत दर्द हो रहा है। वह लंड को मसलकर बोला।

चारु हँसकर: मुझे पता है वहाँ क्या हो रहा है?

राजीव: जब पता है तो बिटिया इसका इलाज कर दो ना। आराम आ जाएगा इसे।

चारु अब खुल कर बोली: इसे तो आराम आ जाएगा पर मेरी तो फट जाएगी अंकल।

राजीव : अरे मेरी बच्ची एक ना एक दिन तो उसने फटना ही है आज ही सही। बोलो क्या कहती हो?

चारु बिस्तर के पास ही खड़ी थी । वह बोली: अंकल मेरी सहेलियाँ कहतीं हैं बहुत दर्द होता है पहली बार में।

राजीव: अरे वो अनाड़ियों से करवाई होंगी । मैं बड़े प्यार से करूँगा। बोलो क्या कहती हो?

चारु: ओह अंकल पता नहीं क्यों डर लग रहा है और वैसे भी आपका बहुत मोटा और लम्बा भी है।

राजीव ने अब अपनी लूँगी से लौड़े को बाहर निकाला और उसे सहलाते हुए बोला: देखो बिटिया कहाँ बड़ा है। नोर्मल साइज़ तो है।

अब चारु की आँखें जैसे उसके लौड़े पर ही चिपक गयीं थीं और उत्तेजना से उसकी छातियाँ ऊपर नीचे होने लगी। वो बोली: अंकल कितना बड़ा है? उफफफ मैं कैसे लूँगी अंदर?

राजीव उसको अपने पास आने का इशारा किया और बोला: डरो मत मेरी बच्ची । बहुत मज़ा आएगा। थोड़ा सा ही दर्द होगा उसके बाद हमेशा के लिए मज़ा मज़ा ।

चारु: और अंकल कहीं मैं परेगनेंट हो गयी तो?

राजीव: अरे बेटी उसका भी इलाज है ना हमारे पास। वो एक गोली का पत्ता निकाला और बोला: बस एक गोली खाओ और मज़े से बिना किसी चिंता के चुदवा लो।

चारु शर्माकर सिर झुका ली। अब राजीव बोला: आओ मेरे पास और यहाँ बैठो। चारु शर्माती हुई उसके बग़ल में आकर बिस्तर पर बैठ गयी और राजीव को अपना लौड़ा सहलाते हुए देख कर बहुत गरम हो गयी। राजीव ने उसे एक गोली दी जिसे वो पानी से पी गयी। राजीव समझ गया कि जब ये गोली खा ही ली है तो मज़े से चुदवाएगी ही।

राजीव: आओ मेरी गोद में बैठो प्लीज़ ।

चारु उठकर उसके खड़े लंड पर बैठ गयी और अपनी गाँड़ के नीचे उसकी सख़्ती को महसूस करके अपनी पैंटी गीली करने लगी। राजीव की छाती पर उसकी पीठ थी । वो उसके मुँह को घुमाया और उसके गाल और माथा चूमा और फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया। अब राजीव उसके होंठ चूसने लगा और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दिया। अब चारु को बहुत मज़ा आने लगा था । वो अपनी गाँड़ को हल्के से हिलाकर मस्ताने लंड को अपनी बुर के ऊपर रगड़ने लगी थी। राजीव ने अब अपने हाथ उसकी एक एक चूचि पर रखा और दबाकर मस्त होने लगा।

राजीव: आऽऽऽऽऽह बिटिया क्या मस्त चूचियाँ है बिलकुल सख़्त अमरूदों की तरह । फिर वह उसकी स्कर्ट को कमर तक उठा दिया । अब उसका नंगा लौड़ा चारु की चिकनी जाँघों को रगड़ रहा था और पैंटी के ऊपर से उसकी बुर पर भी अपना मुँह मार रहा था । अब चारु के मुँह से सीइइइइइइ निकल रही थी। अब उसने चारु के टॉप को नीचे से उठाया और उसके सिर के ऊपर से निकाल दिया। अब वो उसकी ब्रा में फँसे हुए सख़्त अमरूदों को देखकर मस्ती से उनको भी दबाने लगा। फिर उसने ब्रा का हुक खोला और उसके अमरूदों को क़ैद से आज़ाद कर दिया। अब वो उन नंगी मस्त चूचियों को जिनके ऊपर मटर के दाने सा निपल था दबाने लगा । अब वो चारु को उठाया और घुमाकर फिर से अपनी गोद में बिठा लिया। अब उसकी नंगी छाती चारु की छातियों से सट गयीं थीं । वह मस्ती में आकर उसके होंठ चूसे जा रहा था।

उसके हाथ अब चारु की पीठ सहलाते हुए उसके गोल गोल चूतरों को भी दबाने में लगे थे। अब चारु की बुर उसके लंड से रगड़ खा कर जैसे नदी बन गयी थी जिसमें से पानी निकले ही जा रहा था। अब वो झुका और एक चूचि दबाते हुए दूसरी को चूसने लगा। चारु को लगा कि वो अभी ही झड़ जाएगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितना मज़ा आ रहा है- वो सोची। अब उसने कमर हिलाकर अपनी बुर फिर से लौड़े पर रगड़ने लगी और उइइइइइ कर उठी।

राजीव उसकी चूचियाँ बदल बदल कर चूस रहा था। और उसके निपल भी मसल रहा था। अचानक चारु ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अंकल उइइइइइइइइइ मॉआऽऽऽऽऽऽऽ कहती हुई अपनी गाँड़ हिलाते हुए बुर को लंड पर रगड़ कर झड़ने लगी।

राजीव मुस्कुराया और बोला: क्या हुआ बिटिया झड़ गयी क्या? उसने चारु की उठती गिरती छातियों को दबाकर कहा।

चारु: आऽऽऽऽह अंकल आप बहुत मज़ा देते हो। उफफफफ।

अब राजीव उसे चूमते हुए खड़ा किया और उसका स्कर्ट खोल कर निकाल दिया। अब उसकी पूरी गीली पैंटी उसके मुँह के सामने थी। राजीव ने अपना मुँह उसकी पैंटी के अंदर डाला और सूँघते हुए जीभ से उसे चाटने लगा। चारु फिर से उइइइइइइइ कर उठी। अब राजीव ने उसकी पैंटी को भी नीचे कर निकाल दिया और अब उसकी बुर को सूँघते हुए और चूमते हुए अपनी जीभ से चाटने लगा। एक बार फिर से चारु के बदन में मानो बिजली का करेंट सा लगा और वो आऽऽऽह कर उठी। राजीव के दोनों हाथ उसकी एक एक गाँड़ पर थे और वह उनको दबाकर पूरी शिद्दत से उसकी बुर चाट रहा था ।

चारु अब फिर से आऽऽऽऽऽऽऽह अंकल हाऽऽयय्य कर उठी। राजीव के आँखों के सामने पूरी नंगी जवानी उसे मदमस्त कर रही थी। क्या क़िस्मत पायी है उसने जो ऐसी मस्त कमसिन जवानी का आज मज़ा मिल रहा है – वो सोचा।

अब वो बिस्तर पर लेट गया और चारु को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठ चूसते हुए उसकी पीठ गाँड़ और चूचियाँ सहलाने लगा। उसका लौड़ा चारु की जाँघों पर मस्ती कर रहा था। अचानक वो चारु से बोला: बेटी अपना थूक मेरे मुँह में गिराओ।

चारु चौंकी और बोली: अंकल छी ये गन्दा नहीं लगेगा आपको?

राजीव: बेटी तुम्हारा कुछ गंदा हो हो ही नहीं सकता क्योंकि तुम हो ही इतनी प्यारी ।चलो थूक गिराओ मेरे मुँह में।

चारु हिचकिचाते हुए थोड़ा सा थूक बाहर निकाली और राजीव ने अपना मुँह खोल दिया और उसका थूक अपने मुँह में गिरा लिया और निगल लिया। चारु देखती ही रह गयी । राजीव फिर से बोला: बेटी और गिराओ ।

चारु अब थूक उसके मुँह में डाली और राजीव फिर से वो गटक गया। चारु का मुँह उसने नीचे करके उसके होंठ चूसने लगा और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दिया। फिर चारु को बोला: बेटी अपनी जीभ मेरे मुँह में डालो ना अब चारु भी मस्ती में थी और अपनी जीभ बाहर निकाली और राजीव उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी जीभ से अपनी जीभ दबाने लगा। दोनों पूरी तरह से गरम हो चुके थे।

अब राजीव बोला: चलो कल जैसे थोड़ी देर ६९ करें?

चारु मुस्कुराई और उठकर उसके ऊपर उलटी लेट गयी। अब राजीव के सामने उसकी बुर और मस्त गोल चिकनी गाँड़ थी। वो मस्ती से उसकी बुर चाटने लगा आऊँ गोल गोल गाँड़ दबाने लगा। उधर चारु भी उसका लंड ऊपर से नीचे तक चाटी और फिर बॉल्ज़ भी चाटी । अब उसने उसके लंड को चूसना शुरू किया। राजीव सोचा आऽऽऽऽऽऽह मासूम लड़की कितनी जल्दी सब सीख कर जवान हुए जा रही है। राजीव ने शीशे में देखा जिसमें वह उसका लंड चूसते हुए बहुत मस्त लग रही थी ।

अचानक वो बोली: आऽऽऽऽऽह अंकल रुकिए नहीं तो मैं फिर से झड़ जाऊँगी।

राजीव उसको बोला: अच्छा चलो अब लेटो यहाँ और वो उसके बग़ल में लुढ़क गयी। राजीव उठा और उसकी गाँड़ के नीचे एक तकिया लगाया और उठकर वो एक क्रीम लेकर आया। उसने अपने लंड पर वो क्रीम लगाई जो कि वो मालिनी की गाँड़ मारने के लिए इस्तेमाल करता था। फिर वो मालिनी की दोनों टांगों को घुटने से मोड़कर उसको उसकी छातियों की ओर उठा दिया। ऐसा करने से उसकी बुर पूरी तरह खुल गयी। वो उसमें दो ऊँगली डाला और पाया कि वो पूरी तरह से गीली थी। वो अब उसमें भी थोड़ी सी क्रीम अंदर तक लगाया और फिर बोला: बिटिया, तय्यार हो ना अपनी पहली चुदाई के लिए?

चारु उत्तेजनावश बोली: आऽऽऽऽऽऽह अंकल हाँआऽऽऽऽऽ।
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राजीव ने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद में रगड़ना शुरू किया और वो हाऽऽऽऽऽऽय्य कर उठी। अब वो बोला: बेटी डालूँ अंदर ?

चारु: आऽऽऽहहह अंकल डाऽऽऽऽऽऽऽऽलो नाआऽऽऽऽऽऽ।

राजीव ने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी बुर में हल्के से दबाया और आधा सुपाड़ा अंदर धँस गया। फिर उसे कुछ विरोध सा मिला उसकी बुर के अंदर से। चारु चिल्लाई: आऽऽऽऽऽह अंकल ।

राजीव: बेटी अब डाल रहा हूँ अपना लंड। ठीक है????! थोड़ा सा दर्द होगा । यह कह कर वो उसके ऊपर झुका और उसके होंठ चूसने लगा। अब उसके दोनों हाथ उसकी गाँड़ की एक एक गोलाई को दबोचे हुए थे । होंठ चूसते हुए उसने अपनी कमर दबाई और अब उसका सुपाड़ा उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर घुसते चला गया।

चारु अब दर्द से उइइइइइइइइइइइ मरीइइइइइइइइइइ। चिल्लाई। वह अपनी गाँड़ खिसकाने लगी ताकि लंड बाहर हो जाए पर राजीव की पकड़ उसकी गाँड़ पर पक्की थी । वो टस से मस नहीं हो पाई। अभी भी राजीव अपने लंड को उसकी एकदम टाइट बुर में दबाता चला गया और अबकि चारु अपना मुँह इधर उधर की ताकि उसके होंठ राजीव के होंठ से अलग हो जाएँ पर यहाँ भी उसे सफलता नहीं मिली। वो घुटी हुई चीख़ें निकाली जैसे गन्न्न्न्न्न्न्न्न ह्म्म्म्म्म्म्म्म करके चिल्लाने की कोशिश कर रही थी। राजीव ने देखा कि उसकी आँखें मानो बाहर आ रही थी। साफ़ पता चलता था कि वो काफ़ी दर्द महसूस कर रही थी। पर राजीव अनुभवी था इसलिए वो अपनी पकड़ उसके ऊपर से ढीला नहीं किया। अब तक उसका आधा लंड अंदर समा चुका था। सो उसने अपने लंड को बाहर निकाल कर आख़री धक्का मारा और उसका लंड उसकी बुर में पूरी तरह से समा गया। अब चारु की आँखों में आँसू आ गए थे और वो ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी अपने आप को छुड़ाने के लिए । अब राजीव ने उसकी गाँड़ से हाथ हटाया और अब उसकी चूचि दबाने लगा। उसके निपल्ज़ मसलने लगा। अब उसका लंड उसकी बुर में पूरा फ़ंसा हुआ था और उसने चारु के आँसुओं को अपने होंठों से चाट लिया और बड़े प्यार से बोला: बस बिटिया रानी बस , अब सब ठीक है । अब दर्द नहीं होगा। आराम से ऐसे ही पड़ी रहो। ठीक है?

चारु: आऽऽऽह अंकल आप बहुत गंदे हो। मुझे इतना दर्द हुआ और आप मेरी बात ही नहीं सुने। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरी तो जान ही निकल गयी थी।

राजीव अब उसकी एक चूचि चूस रहा था और दूसरे हाथ से उसके एक निपल को मसल रहा था। थोड़ी देर तक यूँ ही वो बदल बदल कर निप्पल्स चूसता और दबाता रहा। अब चारु के बदन में फिर से दर्द की जगह एक उत्तेजना का वास होता जा रहा था । अब राजीव ने उसकी मस्त आँखों को देखा और कहा: तो बिटिया अब अगर दर्द कम हो गया हो तो चुदाई शुरू करूँ?

चारु: हाँ अंकल अब दर्द तो नहीं हो रहा है पर थोड़ी जलन सी हो रही है।

राजीव ने मुस्कुराते हुए अपना लंड पीछे खींचा और आधा लंड बाहर करके फिर से पूरा पेल दिया। चारु फिर से आऽऽह कर उठी। पर इस बार उसे दर्द के अलावा सुख भी मिला। वो चुपचाप पड़ी रही और राजीव ने अपनी चुदाई की गति बढ़ा दी। उसके हाथ अभी भी उसके निपल्ज़ को मसलने में लगे थे।चारु की बुर अब मस्ती में आने लगी और उसकी खुजाल बहुत बढ़ गयी। वह राजीव के हर धक्के पर आऽऽऽह उन्न्न्न्न म्म्म्म्म कहती और मस्ती में आकर राजीव के बड़े चूतरों को पकड़ ली और नीचे की ओर दबाने लगी, मानो कह रही हो कि अंकल अपने बॉल्ज़ तक अंदर पेल दो। राजीव की कमर पिस्टन की तरह ऊपर नीचे हो रही थी और चारु की बुर में मस्ती का संचार सा हो रहा था। अचानक चारु चिल्लाई आऽऽऽऽहहह मैं गयीइइइइइइइइइ उफ़्फ़्क्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ हाऽऽयय्य उन्न्म्न्न्न्म्न और वो झड़ने लगी। जब वो झड़ने लगी तो उसकी बुर ने राजीव के लंड को मानो अपनी मुट्ठी में जकड़ सा लिया। वह भी मज़े में डूबकर ज़ोर ज़ोर से गाँड़ हिलाकर झड़ने लगा और ह्म्म्म्म्म्म्म आऽऽऽहहह करके उसकी बग़ल में लुढ़क गया। अब वो चारु की ओर करवट लिया और बोला: बेटी मज़ा आया?

चारु: अंकल शुरू में बहुत दर्द हुआ पर बाद में बहुत मज़ा आया। थैंक्स आज आपने मुझे लड़की से औरत बना दिया।

राजीव: अरे बेटी औरत तो तेरी दीदी बनी है तू तो अभी भी प्यारी सी लड़की ही है। बस फ़र्क़ इतना है कि अब कुँवारी नहीं चुदी हुई लड़की हो गयी है।

अब चारु उठी और झुक कर अपनी बुर को देखी और वहाँ ऊँगली लगा कर बोली: देखो अंकल मेरी आपने फाड़ दी है। देखिए ख़ून निकल रहा है।

राजीव उठा और उसकी बुर की जाँच किया और बोला: अरे बेटी जब लड़की की सील टूटती है तो ख़ून तो निकलेगा ही ना । ये ख़ून उसी समय निकला था पर अब बंद है। चलो बाथरूम में साफ़ करके और चेक कर लेते हैं।

चारु उठने की कोशिश की पर उसके क़दम लड़खड़ा गए। राजीव ने उसे गोद में उठा लिया और बाथरूम में ले जाकर उसे टोयलेट में सीट पर बिठा कर उसको पेशाब करने दिया। फिर उसने चारु को खड़ा किया और नीचे एक स्टूल पर बैठ कर उसकी बुर का मुआयना किया। उसने देखा कि बुर पूरी लाल हो रही थी और ख़ून भी काफ़ी था। वो हैंड शॉवर से उस जगह को साफ़ किया और फिर उसे घुमाकर उसकी गाँड़ और उसकी गाँड़ की दरार भी साफ़ किया। तौलिए से सुखाकर वह उठकर ऐंटिसेप्टिक क्रीम लाया और वहाँ अच्छी तरह से क्रीम लगाया और बोला: बेटी अभी कैसा लग रहा है।

चारु: अंकल जलन हो रही है थोड़ी सी। बस और कुछ नहीं।

राजीव : चलो ज़रा चल कर देखो । कोई दिक़्क़त तो नहीं है ना?

चारु थोड़ा सा चली और रुक कर बोली: अंकल कमज़ोरी सी लग रही है। और नीचे जलन हो रही है।

राजीव उसे गोद में उठाया और वापस ला कर कुर्सी पर बिठाया और ख़ुद बिस्तर की चद्दर निकाला जिसमें ख़ून और काम रस का दाग़ लगा हुआ था। फिर उसने साफ़ चादर बिछाई और चारु को बिस्तर पर लेटने का इशारा किया। वो उठकर बिस्तर पर लेट गयी और अब राजीव भी बाथरूम से फ़्रेश होकर आया और आकर उसके बग़ल में लेट गया और एक चादर से दोनों के नंगे बदन को ढक लिया। वो उसको करवट में अपनी ओर करके लिटाया। अब वो उसको अपनी बाँह में भरा और प्यार से उसके गाल चूमकर बोला: बस बेटी रात भर आराम करो। सुबह तक एकदम ठीक हो जाओगी। वह उसकी नरम गाँड़ पर हाथ फेरकर बोला। चारु की चूचियाँ उसकी चौड़ी छाती में दब सी गयीं थीं । चारु उसके बलिष्ठ बदन का अहसास पा कर मस्त होने लगी और बोली: अंकल कल कोलेज जा पाऊँगी या नहीं?

राजीव: हाँ बेटी बिलकुल जा पाओगी। अगर थोड़ा लँगड़ा कर चली तो बोल देना फिसल गयी थी घटना मुचक गया है। वो उसके चूचि को चूमकर बोला।

चारु: ठीक है अंकल । एक बात बोलूँ ? आप बहुत अच्छे हो। यह कहकर वो उसके सीने में सिर छुपा ली।

राजीव ने उसकी गरदन को चूमा और बोला: चलो अब सो जाओ । थक गयी होगी। गुड नाइट ।वह उसकी पीठ और गाँड़ सहलाता हुआ बोला।

वो: गुड नाइट अंकल । अब वो अपना सिर उठाई और अपने होंठ खोली और राजीव ने उसका एक गीला सा चुम्बन लिया। फिर दोनों एक दूसरे से लिपटे नींद की गोद में चले गए।

उस रात जब चारु और राजीव घर के लिए निकल गए तो मालिनी के पास शिवा बैठा बातें कर रहा था और मुन्नी पास ही रखे बिस्तर पर लेट गयी। उसने आज पाजामा और टॉप पहना था। वह अपनी आँख पर अपनी बाँह रख कर सोने की कोशिश की और उसे हल्की सी झपकी आ गयी।

शिवा मालिनी को हौंसला दे रहा था। मालिनी बोली : डॉक्टर बोली है कि अब कभी भी डिलीवरी हो सकती है

शिवा: अच्छा है ना । अब थोड़ा सा धेर्य रखो सब ठीक होगा। मैं तुम्हारे पास हूँ ना। वो उसका पेट सहलाकर बोला।

मालिनी फीकी सी मुस्कुराई। इसी तरह दोनों बातें करते रहे फिर मालिनी बोली: जी मुझे नींद आ रही है। उस समय ११ बज गए थे रात के।

शिवा: ठीक है जान सो जाओ तुम। वह झुका और उसके होंठ चूमा और बोला: गुड नाइट। और हाँ कुछ लगे तो मैं यहाँ ही कुर्सी पर बैठा हूँ।

मालिनी: आप मुन्नी को थोड़ा सा सरका कर वहीं सो जाओ ना।

तभी मुन्नी ने करवट ली और मालिनी बोली: मुन्नी तू थोड़ा सा खिसक जा ना। शिवा भी लेट जाएँगे। शिवा बत्ती भी बुझा दो। मुझे रोशनी में नींद नहीं आती।

मुन्नी आधी नींद में ही थोड़ा सा खिसक गयी और शिवा ने बत्ती बंद की और जाकर उसके बग़ल में पीठ के बल लेट गया। मुन्नी ने दीवार की ओर मुँह कर लिया था। पाजामे में उसकी छोटी सी मगर गोल गोल गाँड़ मस्त दिखाई दे रही थी। शिवा की आँखों में नींद नहीं थी। उसे मालिनी की चिंता तो थी ही पर साथ में उसके बग़ल में सोयी हुई कमसिन जवानी का भी अहसास था। आज ही वो उसके साथ हुए चूहे वाले हादसे का सोचकर मस्त होने लगा जब मुन्नी का तौलिया गिर गया था और उसे उसके मस्त अमरूदों का दीदार हो गया था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त माल है ये छोकरी- वो सोचा और उसका लौड़ा सर उठाने लगा। तभी मालिनी के खर्राटे से बजने लगे । वो समझ गया कि वो गहरी नींद में है।

थोड़ी देर तक ऊहापोह में रहने के बाद अपनी वासना के आगे वो हार ही गया और अपना एक हाथ मुन्नी की गोल गाँड़ पर रख ही दिया। मुन्नी की कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी। अब वो उसे धीरे धीरे दबाने लगा। अब मुन्नी हिली और फिर से सो गयी। शिवा ने भी अब मुन्नी की ओर करवट ली और अब वो उसकी गाँड़ फिर से सहलाने लगा। तभी मुन्नी की नींद खुली और उसे अपनी गाँड़ पर शिवा के हाथ का अहसास हुआ। वो चुपचाप ऐसे पड़ी रही मानो अभी भी गहरी नींद में हो। अब शिवा का हौसला बढ़ा और वह उसकी पीठ भी सहलाने लगा। जब उसने देखा कि वो कुछ नहीं बोल रही है तो वह अपने आप को उसके पिछवाड़े से चिपका लिया।अब उसके पैंट के ऊपर से लौड़ा उसकी गाँड़ पर ठोकर मार रहा था। मुन्नी की मुनिया के अंदर सुससुरी होने लगी थी। वह अब भी शांत पड़ी हुई शिवा की अगली हरकत का इंतज़ाम करने लगी।

अब शिवा ने अपना एक हाथ ऊपर से लेजा कर उसकी एक छाती पर रखा और इंतज़ार किया उसकी प्रतिक्रिया का। पर जब कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो वो हल्के से उसे दबाने लगा और सोचा कि उफ़्फ़्फ़्फ़्क कितने मस्त सख़्त अमरूद हैं इसके। अचानक जोश में उससे थोड़ा ज़ोर से दब गए उसके बूब तो वो बोल उठी आऽऽऽह । अब शिवा को पक्का हो गया कि लौंडिया जाग रही है और मज़े ले रही है।अब उसकी हिम्मत और बढ़ी और वो उसको पकड़कर करवट से सीधा किया और वो अब पीठ के बल आ गयी थी। अब वो उसके गाल सहलाया और फिर गाल चूमने लगा। इसके बाद वो उसके होंठ पर अपने होंठ रखा और उनको चूमने लगा।

मुन्नी फुसफुसाई: जिजु , दीदी जाग जाएगी।

शिवा उसके होंठ चूसते हुए: अरे अभी तो सोयी है। वो जागेगी तो हिलेगी डुलेगी।डरो नहीं बस मज़े लो बेबी । अब वो खुलकर उसके अमरूद दबाने लगा और मुन्नी उइइइइइइ कर उठी और बोली: उफफफ जिजु धीरे से दबाओ ना। दुखता है।

शिवा: ओह सारी बेबी । बहुत मस्त हैं ना तुम्हारे अमरूद । इसलिए थोड़ा जोश में ज़ोर से दबा दिया। अब मज़े से करूँगा।

यह कहकर वो उसके टॉप को ऊपर किया और उसकी ब्रा के कप्स में से उसकी चूचियाँ बाहर निकाला और उनको दबाया और फिर एक एक करके उनको चूसने लगा। मुन्नी तो जैसे मज़े से पागल हो गयी ।शिवा उसके निपल भी मसले जा रहा था। मुन्नी बड़ी मुश्किल से अपनी चीख़ों को रोक पा रही थी। क़रीब १० मिनट की चुसाई में उसकी चूचियाँ पूरी लाल हो चलीं थीं। अब शिवा उसके पाजामा के अंदर हाथ डाला और उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाया और फिर उसकी पैंटी के अंदर अपना हाथ डालकर उसकी बुर से खेलने लगा। पहले उसने बुर को अपने पंजे में दबाकर मज़ा लिया और बाद में दो ऊँगलियों से उसकी बुर में मानो गिटार सा बजाने लगा। अब मुन्नी अपने मुँह पर तकिया दबाकर अपनी घुटी हुई मस्ती से भरी आवाज़ों को दबा रही थी।

क़रीब पाँच मिनट में ही वो शिवा के हाथ को अपने ज़बरदस्त ऑर्गैज़म से भिगो बैठी। शिवा ने अब अपना हाथ बाहर निकाला और मुन्नी को दिखाकर उसे चाट लिया। मुन्नी की तेज़ साँसे अब धीरे धीरे सामान्य हो चलीं थीं। अब शिवा ने अपना पैंट खोला और अपना हथियार बाहर निकाला और मुन्नी का हाथ उसपर रख दिया। मुन्नी उसके मस्त मोटे गरम लौड़े को हाथ में लेकर सिहर उठी। पर जल्दी ही वो हाथ चलाकर मुठियाने लगी। शिवा अब तक काफ़ी उत्तेजित हो चुका था और वो मस्ती से झड़ने का इंतज़ार कर रहा था। तभी मालिनी की आऽऽह सुनाई दी। शिवा ने हड़बड़ाकर अपना लौड़ा वापस पैंट में डाला और अब फिर से करवट बदल कर मालिनी की तरफ़ मुँह कर लिया।
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »


मालिनी अब शायद शांत हो गयी थी। शिवा धीरे से उठा और बाथरूम से सफ़ाई करके वापस आया और अब मुन्नी भी बाथरूम जाकर वापस आयी।

अभी दस मिनट ही बीते होंगे कि मालिनी फिर से आऽऽऽह की। अबके शिवा उठा और मालिनी को जाकर पूछा: सब ठीक है ना? कुछ लग रहा है क्या?

मालिनी: हाँ लगता है पेन शुरू हो गया है। आप नर्स को बुला लो।

शिवा मुन्नी को उठाया और बोला: तुम इसका ध्यान रखो। मैं नर्स को बुलाता हूँ।

शिवा थोड़ी देर में नर्स के साथ वापस आया और वो मालिनी की जाँच की और बोली: चलो आपको लेबर रूम में ले चलते हैं । लगता है समय आ गया है।

थोड़ी देर बाद मालिनी को लेबर रूम में ले जाया गया। शिवा उसके माथे को चूमा और बोला: सब ठीक होगा। बिलकुल नहीं डरना।

अब शिवा और मुन्नी बाहर बेंच पर बैठकर इंतज़ार करने लगे। उस समय रात के २ बजे थे। मुन्नी: जिजु आपको लड़का चाहिए या लड़की?

शिवा: मुझे तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कुछ भी हो। बस स्वस्थ और मालिनी की तरह सुंदर हो। अच्छा ये तो बताओ कि अभी मस्ती में मज़ा आया ना?

मुन्नी: छी जिजु । चुप करिए।

शिवा मुस्कुराकर: वाह ,जब मज़ा ले रही थी तब तो तकिए में अपनी आवाज़ को दबा रही थी अब क्यों शर्मा रही हो? बताओ ना बहुत मज़ा आया ना?

यह कहते हुए उसने उसका हाथ पकड़कर दबा दिया। वो दोनों एक कमरे में बैठे थे जिसके अंदर मालिनी गयी हुई थी। वहाँ इन दोनों के अलावा और कोई नहीं था। शिवा ने फिर से कहा: जानती हो तुम्हारी मुनिया बहुत मस्त है। वो उसकी बुर की ओर इशारा करके बोला।

मुन्नी शर्मा गयी। शिवा फिर से उसे छेड़ा: अच्छा मेरा हथियार पसंद आया कि नहीं? वो अपने लंड की ओर इशारा करते हुए बोला।

मुन्नी: बहुत बड़ा है आपका। पता नहीं दीदी कैसे आपका झेलती होगी।

शिवा: अरे वो तो मज़े से ले लेती है तभी तो अभी बच्चा पैदा कर रही है मेरी मुन्नी जान। अब शिवा खुलकर मस्ती में आकर उसकी बुर को पाजामा के ऊपर से दबोच लिया। मुन्नी उछलकर बोली: उफफफ जिजु क्या करते हो? कोई आ जाएगा ना।

शिवा मन ही मन ख़ुश हुआ कि इसे किसी के आने का ही डर है वैसे मज़ा लेने में कोई आपत्ति नहीं है। वो बोला: अरे कोई नहीं आएगा यहाँ। अब वो एक हाथ उसके कंधे पर रखकर उसे टॉप के अंदर डाला और ब्रा के भी अंदर डालकर उसके सख़्त बूब दबाने लगा। मुन्नी सिहर उठी। वो सोची कि उफफफफ इसमें कितना मज़ा है। ये दोनों बाप बेटा बहुत ही सेक्सी आदमी हैं। उफफफफ क्या हो रहा है मेरे बदन में – वो सोची।

अब शिवा का एक हाथ उसके बुर को पाजामा के ऊपर से मसल रहा था और दूसरा हाथ बूब और छोटे से निपल मसल को रहा था। उसकी घुटी हुई सिसकारियाँ निकल रही थीं। वो धीरे से उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ और हाऽऽऽऽय्य कह उठी। अब शिवा ने उसका हाथ अपने पैंट के ऊपर खड़े लंड पर रखा और वो अपने आप उसे दबाकर मज़े लेने लगी। यह कुछ मिनट ही चल पाया कि दरवाज़े में आहट हुई और दोनों ने अपने अपने हाथ हटा लिए। नर्स मालिनी के कमरे से बाहर आयी।

शिवा: क्या ख़बर है अंदर की?

नर्स: सब ठीक है। अगले आधे घंटे में सब हो जाना चाहिए। यह कहकर वो आलमारी से सामान निकाली और फिर अंदर चली गयी। अब शिवा खड़ा हुआ तो उसका लंड पैंट से तना हुआ दिख रहा था। चारु उसे देखकर मस्त होकर बोली: आपका इतना बड़ा पता नहीं दीदी कैसे ले लेती है।

शिवा उसको दिखाकर दबाकर बोला: बेबी तुम भी ले लोगी।

मुन्नी तुनक कर: मुझे नहीं लेना। दीदी का है उनको ही देना।

शिवा: अरे तेरी दीदी तो अभी महीना भर किसी काम की नहीं रहेगी। तुमको ही मेरी मदद करनी होगी। बोलो करोगी ना? ये कहते हुए उसने अपना लौड़ा ऐसे एडजस्ट किया कि वो अब उसकी जाँघ के साथ लम्बाई में चला गया था और बाहर से नहीं दिख रहा था। अब वो मस्ती में आकर चारु का हाथ पकड़कर जाँघ पर रखे लौड़े पर रखा और बोला: अब एक महीने तक तुम ही इस बेचारे की प्यास बुझा देना। ठीक है?

चारु उसकी पूरी लम्बाई और मोटाई का अहसास करके अपनी बुर पनिया बैठी और बोली: धत्त जिजु आप क्या क्या बोल रहे हो। यह कहते हुए वह उसका लौड़ा दबाना चालू रखी। अब शिवा बोला: बेबी ऐसे दबाओगी तो मैं अभी पकड़कर यहीं चोद दूँगा। आऽऽऽऽह क्या मस्त बूब्ज़ हैं। वो फिर से टॉप के ऊपर से उसके अमरूद दबाते हुए बोला: अच्छा चलो कॉफ़ी लेकर आता हूँ। तुम यहीं बैठो।

क़रीब दस मिनट के बाद वो कॉफ़ी लाया और दोनों उसे पीने लगे। तभी अंदर कुछ हलचल की आवाज़ें आयीं और फिर मालिनी की चीख़ें सुनाई दीं । और तभी एक बच्चे के रोने की आवाज़ भी आयी। मुन्नी उछलकर : जिजु लगता है हो गया है।

शिवा भी उत्तेजना से खड़े होकर दरवाज़े से सट कर बोला: हाँ लगता है हो गया है।

तभी दरवाज़ा खुला और नर्स बाहर आकर शिवा को बधाई दी: बधाई हो आपको बेटी हुई है।

शिवा ने ख़ुशी में आकर नर्स को ५००/ का नोट दिया और फिर मुन्नी उससे लिपट गयी और बोली: बधाई हो जिजु ।

वो भी मुन्नी को चूमकर बोला: तुमको भी बधाई हो मौसी बनने की।

फिर थोड़ी देर बाद नर्स एक बच्ची को लेकर बाहर आयी और शिवा को दिखाकर बोली: ये आपकी बेटी।

शिवा अचम्भित सा होकर उस गोरी सी बच्ची को देखते ही रह गया। वो पूछा: मालिनी ठीक है ना?

नर्स : हाँ दोनों माँ बेटी ठीक हैं। आप अब कमरे में चलो । थोड़ी देर बाद माँ बेटी वहाँ आ जाएँगी।

शिवा ने समय देखा ४ बजे थे। वह बोला: मुन्नी चल पापा को फ़ोन करते हैं।

मुन्नी:सुबह ६ बजे कर लीजिएगा ना। अभी सो रहे होंगे ।

शिवा: ठीक है। यह कहकर वो बिस्तर पर लुढ़क गया और बोला: बिटिया बहुत प्यारी है ना?

मुन्नी उसके पास आकर बैठी और बोली : हाँ बहुत सुंदर है।

अब शिवा ने मुन्नी को अपने ऊपर खींच लिया और उसके नरम नरम होंठ चूसने लगा। मुन्नी भी उसका साथ देने लगी। शिवा के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे और फिर उसने उसके गोल गोल गाँड़ को दबाना शुरू किया। अब उसने अपने हाथ उसके पाजामा के और पैंटी के अंदर डाल दिए और उसकी गाँड़ की दरार में हाथ घुसेड़ दिया। वो उसकी बुर के छेद को लम्बाई में सहलाने लगा और गाँड़ के छेद में भी उँगलियाँ फेरने लगा। मुन्नी उन्न्न्न्न्न्न आऽऽऽह कर उठी। मुन्नी को उसका खड़ा लंड अपनी जाँघों में ठोकर मारता महसूस हुआ। वह मस्ती से उउइइइइइइ कर उठी। शिवा के पंजे उसकी बुर और गाँड़ की गोलाइयों को दबोच कर उसे मस्ती से भर रहे थे। साथ ही उसकी गाँड़ के छेद में घूमती उसकी उँगलियाँ उसके अंदर उत्तेजना का संचार कर रही थी।

अचानक शिवा पलटा और मुन्नी को नीचे करके उसकी टॉप उठा दिया और ब्रा ऊपर करके उसके अमरूदों को बाहर निकाला और उनको एक एक करके चूसते हुए दबाने लगा। अब मुन्नी आऽऽऽऽऽऽऽह जीइइइइइजु मरीइइइइइइइइ चिल्ला उठी। अब वह नीचे आया और उसके पाजामा और पैंटी को नीचे खींचा और उसकी कोमल चिकनी बुर को देखकर मस्ती से भर गया और उस पर हाथ फेरकर बोला: उफफफ बेबी इतनी प्यारी और मासूम बुर पहली बार देख रहा हूँ। क्या मस्त चिकनी कर रखी हो। अब वो झुका और उसकी बुर को चूमने लगा। बुर तो वैसे ही पनियाई हुई थी वो उसको जीभ से पूरी लम्बाई में चाटा और फिर उसकी टांगों को ऊपर उठाया और अब उसके सामने उसकी भूरि सी उतनी ही मासूम सी गाँड़ का छेद था जिसे वो प्यार से पहले चूमा और फिर जीभ बाहर करके चाटने लगा। अब उसकी जीभ उसकी बुर की पूरी लम्बाई को नाप रही थी। फिर उसने उसकी टांगों को मोड़कर फैलाया और अब दोनों हाथ से उसकी बुर की फाँकों को फैलाया और गुलाबी बुर को देखकर पागलों की तरह उसे चाटने लगा।

अब मुन्नी के लिए अपनी सिसकियाँ दबाना असम्भव सा हो गया था। वो आऽऽऽहहहह जीइइइइइइइजु उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उछालकर उसके मुँह पर अपनी बुर को रगड़ने लगी। और जल्दी ही मस्ती के सागर में डूबकर उन्न्न्न्न्न्न्न कह कर झड़ने लगी। शिवा उसके फ़ौवारे का रस पीता चला गया। अब मुन्नी निढाल होकर पड़ी हुई थी। शिवा ने उसकी पैंटी और पाजामा वापस से पहना दिया। और ख़ुद बाथरूम में जाकर अपना लौड़ा बाहर निकालकर मूठ्ठ मारने लगा। वह इतना उत्तेजित था कि क़रीब पाँच मिनट में ही झड़ गया। अब वो फ़्रेश होकर बाहर आया। वो भी मुन्नी को अपने से चिपका कर लेट गया और फिर दोनों ने एक नींद भी मार ली।

शिवा ने क़रीब ७ बजे राजीव को फ़ोन किया।

राजीव की नींद में ही आवाज़ आयी: हेलो।

शिवा: पापा बधाई हो मालिनी को बेटी हुई है।

राजीव: अरे वाह दोनों ठीक है ना?

शिवा: हाँ पापा दोनों ठीक हैं । बस थोड़ी देर में कमरे में आ जाएँगे।

राजीव: चलो बहुत बहुत बधाई हो। मैं अभी तय्यार होकर आता हूँ।

फ़ोन रखकर राजीव ने बग़ल में धुत्त सो रही चारु को देखा और उसे उस पर प्यार आ गया। वो चादर से ढकी थी पर उसके नीचे पूरी नंगी थी। वो ख़ुद भी नंगा ही था। वो झुका और उसके होंठ चूम लिया। चारु हिली और अपनी बाँह उठाकर राजीव से लिपट गयी। राजीव: चलो उठो बेटी । अभी अस्पताल जाना है, तुम मौसी बन गयी हो। मालिनी को बेटी हुई है। चारु उछलकर उठ बैठी और तब उसे याद आया कि वो तो नंगी है। उसकी सख़्त अमरूद सी छातियाँ बाहर नंगी आ गयीं थीं जिनको अब राजीव बड़े प्यार से देखे जा रहा था। इसके पहले कि वो उनको चादर से ढक पाती राजीव ने अपना मुँह झुकाया और एक बूब को चूसने लगा और दूसरे को दबाने लगा। चारु: आऽऽऽह अंकल अभी छोड़िए ना। अस्पताल जाना है।

राजीव उसे छोड़ कर बोला: उफफफ बिटिया क्या मस्त माल हो।

चारु उठकर नंगी ही बाथरूम में घुस गयी। राजीव उसके जवान बदन को देखकर अपने लंड को मसल कर सोचा- जब तक मालिनी चुदवाने लायक नहीं होती ये बहुत मज़ा देगी।

क़रीब ८ बजे सुबह नर्स मालिनी को लेकर कमरे में आयी और शिवा और मुन्नी ने मालिनी को प्यार किया और बधाई दी। मालिनी थकी सी और कमज़ोर लग रही थी पर मुस्कुरा रही थी। उसने शिवा का हाथ पकड़कर कहा: ख़ुश हो आप?

शिवा उसके गाल चूमा और बोला: हाँ जानू बहुत ख़ुश हूँ । कितनी प्यारी ही हमारी गुड़िया।

मुन्नी: हाँ दीदी बिलकुल आप जैसी गोरी है।

मालिनी: पापा को बताया कि नहीं?

शिवा: हाँ बता दिया है। बहुत ख़ुश हो रहे थे अभी आने वाले हैं।

मालिनी सोची कि पता नहीं वो इस गुड़िया के दादा हैं या पापा? वैसे क्या फ़र्क़ पड़ता है?

शिवा: क्या सोचने लगी?

मालिनी मुस्करायी : नहीं कुछ नहीं। अब मैं थोड़ी देर के लिए सोती हूँ। वो चुपचाप आँख बंद कर ली।

शिवा और मुन्नी साथ वाले बिस्तर पर बैठ गए और शिवा को फिर से गरमी चढ़ने लगी। वह फुसफुसा कर बोला: मुन्नी कब दोगी?

मुन्नी: क्या दूँगी?

शिवा उसकी बुर को पाजामा के ऊपर से दबाकर: ये, अपनी बुर?

मुन्नी उसका हाथ हटाकर:: छी जिजु कभी भी कुछ भी बोलते हो। दीदी सामने लेटी है। चुप करो।

शिवा उसका हाथ अपने लंड पर रखा और बोला: देखो कितना तरस रहा है तुम्हारी बुर में घुसने के लिए?

मुन्नी एक दो बार उसे दबा दी और फिर हाथ हटाकर: अभी चुप रहिए।बाद में देखेंगे।

शिवा उसके टॉप के ऊपर से उसकी एक चूचि दबाकर: ठीक है मुन्नी । अब रहा नहीं जाता तुमको चोदे बिना।

मुन्नी उसके मुँह से यह शब्द सुन कर अवाक् रह गयी। उसने कोई जवाब नहीं दिया।

उधर चारु बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी तो उसने राजीव का तौलिया लपेटा हुआ था। वो बोली: अंकल मैं चाय बना रही हूँ। आप फ़्रेश हो जाओ।

राजीव नंगा ही उसके पास आया और उसके होंठ चूमा और एक झटके में उसका तौलिया खींच कर निकाल दिया। अब वो उसे अपने नंगे बदन से लिपटा कर बोला: बेटी अब नीचे दर्द तो नहीं है ना?

चारु: अंकल थोड़ी सी जलन हो रही है। पर हाँ थोड़ा सा दर्द तो है।

राजीव: बस शाम तक सब ठीक हो जाएगा। रात में फिर से चुदाई के लिए तय्यार हो जाएगी तुम्हारी बुर ।

चारु शर्माकर उसकी छाती में मुँह छिपा ली। राजीव के हाथ उसकी पीठ सहला रहे थे। फिर नीचे जाकर वो दोनों हाथों में उसकी गोल गोल गाँड़ लेकर दबाने लगा।

चारु: अंकल चाय नहीं पीनी क्या?
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