बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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सरला: मतलब ?

राजीव: अरे अगर सिर्फ़ ये दोनों ही नंगे हुए तो अजीब तो लगेगा ही। एक काम करते हैं कि पहले हम नंगे हो जाएँ तो ये दोनों भी नहीं झिझकेंगे।

सरला: ओह पर बड़ा अजीब लगेगा ना। आप ऐसा करो कि चारु और आप नंगे हो जाओ। मैं और मालिनी बाहर जाती हैं ।

मालिनी: मम्मी मैं तो बाहर नहीं जाऊँगी। मुझे तो मुन्नी की चुदाई देखना ही है।

राजीव: तो फिर यहीं रहना है तो कपड़े तो उतारने ही होंगे।

मालिनी हँसकर : उसमें क्या समस्या है, अभी उतार देती हूँ। यह कहकर वो अपनी क़ुर्ती के बटन खोलने लगी।

राजीव बोला: चारु तुम भी उतारो ना। वह अपनी क़मीज़ उतारने लगा और सरला को बोला: सरला साड़ी खोलो ना।

सरला: अरे आप दोनों हम तीन तीन को कैसे संभलोगे? और पता नहीं मालिनी भी क्या चाहती है?

मालिनी: मुझे कुछ नहीं चाहिए। अभी भी डॉक्टर का बैन लगा हुआ है। बस आप दोनों का चूस सकती हूँ।

राजीव: सरला खोलो तो सही कपड़े बस फिर सब ठीक होग।

मालिनी: मम्मी उतार दो ना। सब लोग मज़ा करेंगे।

सरला झिझकते हुए अपनी साड़ी खोलने लगी।

शिवा और घूँघट में बैठी मुन्नी की आँखें फट रही थीं । उफ़्फ़्फ क्या हो रहा था। मालिनी अब सिर्फ़ ब्रा में थी, पैंटी तो वो पहनती ही नहीं थी। उसकी मम्मी सरला अब पेटिकोट का नाड़ा खोली और नीचे से वो भी नंगी हो गयी। ब्लाउस तो वो पहले ही निकाल दी थी। सिर्फ़ ब्रा में उसका भरा हुआ बदन बहुत आकर्षक लग रहा था । उधर चारु भी अब ब्रा और पैंटी में आ चुकी थी। और राजीव अब पूरा नंगा था और उसका मोटा लंड आधा खड़ा था।

राजीव : चलो बचे हुए कपड़े भी उतार दो ना।

अब मालिनी ने अपनी ब्रा खोली और उसके बड़े बड़े दूध से भरे बूब्ज़ नंगे थे। सरला भी ब्रा खोली और उसके गोरे बड़े बूब्ज़ नंगे हो गए थे। चारु ने भी ब्रा निकाली और उफ़्फ़्फ सख़्त अनार से तने हुए बूब्ज़ नंगे हो गए और अब वो झुक कर अपनी पैंटी उतारी ।

शिवा सोचा कि क्या नज़ारा है। मम्मी की ४२ साइज़ की चूचियाँ तो बड़ी बड़ी हैं और अपने ही बोझ से मानो झुकी जा रहीं हैं, निपल्ज़ भी मस्त लम्बे हैं और पूरे तने हुए। मालिनी के ३८ साइज़ के मस्त गदराए हुए दूध से लबालब अपने बोझ से सिर्फ़ ज़रा से झुके हुए और निपल्ज़ भी तने हुए मम्मी से भी बड़े। और चारु के ३२ साइज़ के सख़्त अनार की तरह सीने से उभरे हुए छोटे निपल्लस जो पूरी तरह तने हुए थे।

उधर राजीव भी उनके बदन की तुलना कर रहा था। सरला की चूत क्या मोटी सी पूरी उभरी हुई और मोटी जाँघों के बीच मानो दबी हुई थी। उधर मालिनी की चूत थोड़ा कम उभरी हुई थी और उसकी गदरायी हुई जाँघों के बीच से झाँक रही थी। और चारु की चूत का तो सिर्फ़ आभास सा हो रहा था। वो उस लड़की के जवान जाँघों के बीच से बहुत ही बारीक सी लकीर की तरह दिखाई दे रही थी। राजीव को याद था कि जब वो लेट कर अपनी जाँघें फैलाती है तब उसकी बुर मस्त उभरी हुई और फाँकों के बीच से गुलाबी छेद के साथ क्या मस्त दिखती है।

राजीव: शिवा बोल क्या हम सबको देखकर अब भी तुमको और मुन्नी को झिझक होगी। अरे तुम सब शिवा को अपनी गाँड़ भी दिखाओ ना।

मालिनी पलटती हुई बोली: शिवा को हमारी गाँड़ देखनी है या आपको देखनी है?

राजीव हँसकर: अरे उसके साथ साथ मैं भी देख लूँगा ना।

अबतक सरला और चारु भी घूम गयीं थीं। उफ़्फ़्फ़्फ क्या नज़ारा था। शिवा सोचा कि मम्मी की बड़ी बड़ी गाँड़ का कोई जवाब नहीं है। सबसे सेक्सी तो मम्मी की ही गाँड़ है। वैसे मालिनी की भी आज काफ़ी बड़ी लग रही थी। एक बच्चा निकाल कर वो भी अब mature दिख रही थी। गाँड़ मस्त भर गयी है इसकी भी। और चारु कि तो मस्त चिकनी गोल गोल गाँड़ अभी तो बन ही रही है। सही से चुदाई होती रहेगी तभी तो गाँड़ और चूचियाँ और मस्त गदराएँगी – वो सोचा और अपना लौड़ा दबाने लगा।

ऐसे माहोल में राजीव अब शिवा को बोला: देखो सबने अपनी मस्त गाँड़ भी दिखा दी अब तुम दोनों शुरू जो जाओ। राजीव चारु को पकड़ा और अपने साथ, पास रखी एक कुर्सी में बैठ कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया। चारु की गाँड़ में राजीव का लंड धमाल मचाने लगा। सरला और मालिनी बिस्तर पर बैठीं और मालिनी बोली: शिवा आप अब इसका घूँघट हटाओ।

शिवा ने मुस्कुरा कर मुन्नी का घूँघट हटाया। कितनी भोली और प्यारी सी लग रही थी मुन्नी। राजीव के लौड़े ने झटका मारा। मालिनी ने शिवा से कहा: आप अपनी गिफ़्ट दे दो इसे। और ये हार पापा लाए हैं ये भी पहना दो।

शिवा ने उसे अँगूठी और हार पहनाया और फिर मालिनी बोली: अब आप इसे चूमो और प्यार करो।

राजीव बोला: अरे ऐसे कैसे चूमेगा। इसे अपनी गोद में बिठा ले और ऐसे चूम। यह कहकर वह चारु को चूमने लगा और जल्दी ही उसके होंठ चूसने लगा।

मालिनी हँसकर: हा हा एक बच्ची के बाप हो गए हो और अभी भी क्या आपको आपके पापा सिखाएँगे कि लड़की के साथ क्या करना है।

सरला: हा हा सही कहा मालिनी। वो जब हँसी तो उसके बड़े बड़े वक्ष हिलने लगे। शिवा अब मस्ती में आकर मुन्नी को अपनी गोद में खींचा और उसके गाल चूमते हुए जल्दी ही होंठ चूसने लगा। मुन्नी को अपनी गाँड़ के नीचे मानो कोई खूँटा सा गड़ रहा था। वो अपनी गाँड़ को ऐडजस्ट की ताकि खूँटा उसकी बुर को गरम करने लगे। अब शिवा का लंड उसकी बुर को कपड़े के ऊपर से रगड़ रहा था।

राजीव: यार अब मुन्नी को नंगी कर , सोच क्या रहा है?

शिवा ने मुन्नी की चोली खोलनी शुरू की। मुन्नी की शर्म थोड़ी सी कम तो हो गयी थी कि सब यहाँ नंगे जो थे। शिवा ने जब चोली निकाली तो मुन्नी ने हाथ उठाकर उसे निकालने में उसको मदद की। अब सेक्सी जालीदार ब्रा में मुन्नी के मस्त सख़्त अमरूद बहुत ही जानलेवा दिखाई दे रहे थे। शिवा ने उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाया और उसके कंधे गरदन और फिर से होंठ चूसने लगा। फिर वो अपने होंठ उसकी ब्रा में क़ैद चूचियों के उभार पर लाया और वहाँ चाटने लगा। मुन्नी की सिसकी निकलने लगी। उधर राजीव अब चारु की चूचियाँ दबाकर मस्त हो रहा था। राजीव ने देखा कि सरला और मालिनी जो कि बिस्तर के एक एक कोने पर बैठीं थीं , उनकी साँसे तेज़ चलने लगी थी और भारी छातियाँ ऊपर नीचे होने लगीं थीं।

शिवा अब उसके घाघरे को खोलने लगा। पर शायद उससे हुक नहीं खुला। वो बोला: मम्मी ये हुक तो खुल नहीं रहा है।

सरला उठकर पास आई और नीचे झुक कर उसके घाघरे का हुक खोलने लगी। इस समय उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ शिवा की आँखो के सामने थीं । उसने हाथ बढ़ाया और सरला की चूचियाँ अपने पंजों में भर ली और उनको दबाकर बोला: मम्मी आज आपके दूध ज़्यादा ही बड़े लग रहे हैं । फिर वो झुका और एक चूची मुँह में लेकर चूसने लगा। तब तक सरला ने हुक खोल दिया था। वो बोली: आऽऽऽऽऽह छोड़ मुझे । हुक खोल दिया है। अब निकाल इसका घाघरा। पर शिवा अब दूसरी चूची चूसने लगा। मुन्नी हैरानी से देख रही थी कि शिवा कैसे मज़े से चाची की चूची चूस रहा है। सरला ने आऽऽऽह किया और उसको धक्का देकर बोली: आऽऽऽह मुन्नी की चूस ना । मुझे बेकार में गरम कर रहा है।

शिवा हँसकर: मम्मी मुन्नी के बाद आपकी बारी आएगी।

सरला: देखेंगे बाद की बाद में। चल मुन्नी खड़ी हो तभी तो तेरा घाघरा उतारेगा ये।

मुन्नी खड़ी हो गयी बिस्तर पर और शिवा ने उसका घाघरा निकाल दिया। अब वह एक छोटी सी पैंटी में थी जिसमें से उसकी बुर साफ़ दिखाई दे रही थी। उसका मुँह तो शिवा की तरफ़ था और गाँड़ राजीव की तरफ़। राजीव तो उसकी गाँड़ में फँसी पैंटी की रस्सी देखकर ही मस्त हो गया। शिवा ने मुँह आगे करके उसकी पैंटी को चूम लिया।शिवा उसकी बुर की मस्त गंध से मस्ती में आ गया।

मालिनी: शिवा अब आप इसको पूरा नंगी करो ना।

सरला: ख़ुद भी तो पूरे कपड़े पहना है। इनको उतार।

शिवा खड़ा हुआ और एक झटके में अपनी शेरवानी और पाजामा उतार दिया और चड्डी में फूला उसका लंड देखकर सरला हँसी और उसको दबाकर बोली: आऽऽऽह मुन्नी ये तो पूरा तय्यार है तेरी फाड़ने के लिए।

अब तक शिवा और मुन्नी दोनों खड़े थे। अब शिवा मुन्नी को लेकर लेट गया। और मुन्नी के ऊपर आ गया और उसके होंठ चूसते हुए हल्के से काटने लगा। मुन्नी अब उन्ननन करके सिसकियाँ लेने लगी। फिर वो उठकर मुन्नी को उठाया और मालिनी से बोला: जानू ,ज़रा इसकी ब्रा के हुक खोल दो प्लीज़।

मालिनी ने हुक खोले और ब्रा निकाल दी। अब मुन्नी की सख़्त चूचियाँ जो शायद २८ की भी अभी नहीं हुई थीं , शिवा के सामने पूरी तनकर खड़ी थीं। उसके निपल्लस भी जो अभी पूरे बने नहीं थे बहुत मादक लग रहे थे। शिवा ने मस्ती से उसकी चूचियाँ दबाई और फिर मालिनी से बोला: उफ़्फ़्फ कितनी सख़्त हैं देखो?

मालिनी हँसी: होंगी ही अभी अभी ताज़ा जवानी आयी है। वह भी एक चूचि दबा दी। अब शिवा मुन्नी की चूचि दबाके चूसने भी लगा। अब मुन्नी आऽऽऽऽह उइइइइइइ करने लगी।

सरला: मुन्नी मज़ा आ रहा है ना?

मुन्नी ने कोई जवाब नहीं दिया। बस चूचि चूसवाने का मज़ा लेती रही।

तभी चारु की आऽऽऽहहह अंकल धीरे से नाआऽऽऽऽऽऽ की आवाज़ आयी। सब चौंक कर उधर देखने लगे।

वहाँ का दृश्य भी बहुत उत्तेजक था। चारु अपनी टाँगें फैलाकर अपनी पीठ राजीव की ओर करके उसके गोद में बैठी हुई ऊपर नीचे हो रही थी। ध्यान से देखने पर समझ में आया कि राजीव उस मासूम को अपने लौड़े पर कमर पकड़ कर मानो उछाल सा रहा था और उसका मोटा लौड़ा उसकी तंग बुर में अंदर बाहर हो रहा था। चारु मज़े से आऽऽऽह उन्न्न्न्न उन्ननन। कर रही थी।

मालिनी: लो शिवा तुम तो सोचते ही रह गए और देखो पापा शुरू भी हो गए।

सरला: अरे आराम से करो ना क्या बच्ची की जान ले लोगे।

राजीव हँसा: अरे कोई बच्ची नहीं है पूरी जवान हो गयी है। देखो कितने आराम से चुदवा रही है मेरी चारु। वो उसकी दोनों चूचियाँ मसलते हुए नीचे से अपनी कमर उछालकर उसे भरपूर मज़ा दे रहा था। चारु तो मस्ती से आँख बंदकर के उन्नन उन्नम आऽऽऽह उइइइइइ मरीइइइइइइ चिल्लाए जा रही थी।

मालिनी और सरला के हाथ भी अपनी बुर पर आ गए थे वो हल्के से वहाँ खुजा कर अपनी वासना का मानो इज़हार कर रही थी।

शिवा भी मुन्नी की चूचि से मुँह उठाकर राजीव और चारु की चुदाई देखने लगा। चारु बड़े प्यार से राजीव का साथ दे रही थी। उसकी खुली हुई बुर में राजीव का लौड़ा अंदर बाहर होते साफ़ दिखाई पड़ रहा था- कमरा वासना की गरमी से गरम हो गया था और सभी की आँखें वासना से लाल हो रहीं थीं।

शिवा मुन्नी के ऊपर पड़े हुए सोच रहा था कि हमारा परिवार कितना सेक्सी है। अब उसने मुन्नी की कोरी जवानी की ओर ध्यान दिया।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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thanks
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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शिवा अब मुन्नी के ऊपर लेटा हुआ था और उसकी अमरूद सी चूचियों को दबाकर चूस रहा था। उधर चारु अब कुर्सी पर बैठे राजीव की गोद में उछल उछल कर लौड़ा ले रही थी और फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी। मालिनी और सरला उसके लौड़े को अंदर बाहर होते देख रही थी। अब मुन्नी ने भी गरदन घुमाई और चारु की चुदाई देखकर मस्ती से भर गयी। शिवा ने अब उसके होंठ चूसने शुरू किए और फिर नीचे जाकर उसकी जाँघ सहलाने लगा और पैंटी को सरला को दिखाकर बोला: देखो मम्मी कितनी गीली हो गयी है इसकी पैंटी।

सरला गरम हो चुकी थी और अपनी बुर में ऊँगलियाँ डालकर दोनों जाँघों को भींचकर बोली: आऽऽऽऽह सच पूरी तरह तय्यार है इसकी बुर चुदने के लिए ।

मालिनी: शिवा निकाल दो ना पैंटी।

शिवा झुका और पैंटी को सूँघा और जीभ से चाटा और फिर उसको निकालने लगा। मुन्नी ने अपनी गाँड़ उठाकर उसकी मदद ही की। अब उसने मुन्नी की बुर देखा और दीवाना सा होकर उसे सहलाने लगा और फिर अपना मुँह वहाँ डालकर उसे चूमने लगा। मुन्नी आऽऽऽऽह्हा जीइईईईजु कहकर मस्ती से चिल्लाई। राजीव ने भी अपना धक्का रोका और मुन्नी को देखने लगा। मुन्नी की सिसकारियाँ देखकर वो मुस्कुराया और चारु से बोला: देखो तुम्हारी बहना क्या मज़ा ले रही है।

चारु ने अपनी गाँड़ दबाकर उसका लौड़ा अंदर किया और बोली: आऽऽऽऽह अंकल आऽऽऽऽऽप क्यों रुके। उन्ननन चोऊऊऊदिए नाआऽऽऽऽऽऽऽऽ।

तभी शिवा ने मुन्नी की बुर चूसते हुए अपनी कमर उठाई और मालिनी को कहा: जान चूसो ना प्लीज़।

मालिनी ने अपना सिर नीचे से शिवा के लौड़े के पास रखा और वो उसे चूसने लगी।

सरला जो अब मुन्नी के सिर के पास बैठी थी मुन्नी के निपल्लस दबाने लगी और सोची कि उफ़्फ़्फ आजकल की लड़कियाँ क्या मस्त मज़ा लेती है। मेरी बेटी और दोनों भतीजियाँ कितनी मस्ती से मज़ा कर रहीं हैं । तभी मुन्नी उइइइइइइइइ मैं गयीइइइइइइइइइ कहती हुई शिवा के मुँह में झड़ गयी। अब शिवा ने उसकी जाँघें उठाई और उसकी गाँड़ के टाइट भूरे छेद को चाटना शुरू किया। एक बार फिर मुन्नी इस नए हमले से मस्त होने लगी। उधर शिवा अपनी कमर हिलाकर मानो मालिनी का मुँह चोद रहा था।

अब शिवा उठा और मालिनी वहाँ से हट गयी। मुन्नी की जाँघें अभी भी फैलीं हुईं थीं और उसकी बुर पानी से भीगी चमक रही थी। शिवा का लंड पूरा खड़ा होकर उसकी नाभि के पास तक आ गया था।

सरला उठकर एक क्रीम लेकर आयी और बोली: मुन्नी मैं क्रीम लगा देती हूँ। बेटी इससे शिवा का लंड आराम से अंदर चला जाएगा। फिर मालिनी से बोली: लो तुम शिवा के लंड में भी क्रीम लगा दो। मालिनी ढेर सारी क्रीम ले ली और उसे शिवा के तने हुए लौड़े पर मलने लगी। शिवा बैठे बैठे एक हाथ से मुन्नी की और एक हाथ से मालिनी की चूची दबाने लगा।

उधर सरला ने क्रीम लेकर मुन्नी की बुर में लगाई और दो उँगलियाँ अंदर डालने की कोशिश की। पर मुन्नी उइइइइइइ कहकर चिल्लाई तो वो क्रीम को वहीं सिर्फ़ बुर के मुँह पर ही लगा दी।

अब चारु आऽऽऽऽऽऽऽह मैं गयीइइइइइइइइइइ अंकल जीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। राजीव उसे अपने से चिपका लिया। वह अभी झड़ना नहीं चाहता था। असल में दिन में वो दो बार लिली को चोद चुका था। इसलिए वो अपना पानी रोक रहा था। चारु झड़कर उठी और राजीव को चूमकर बाथरूम में जाने लगी। तभी सरला उसे बोली: जाओ एक बार गुड़िया को भी देख लेना। चारु तौलिए से अपनी बुर साफ़ करते हुए बाहर चली गयी। सरला ने देखा कि राजीव का लौड़ा अभी भी अकड़ा हुआ ऊपर नीचे हो रहा था और गीलेपन से चमक रहा था।

सरला: चलो क्रीम लग गयी। अब गृह प्रवेश कराओ।

उसकी बात से सब मुस्कुरा उठे। शिवा आकर मुन्नी के पैरों के पास बैठा और मालिनी को बोला: चलो मालिनी अपने हाथ से अपने पति का लौड़ा अपनी बहन की बुर में सेट करो।

मुन्नी ने जब उसका तना हुआ लौड़ा देखा तो वो सकपका गयी और उसके मोटे फूले हुए सुपाडे को देखकर बोली: उइइइइइ चाची ये इतना मोटा कैसे मेरे अंदर जाएगा?

सरला उसके सिर के पास आकर बैठी और बोली: अरे बेटी ये चारु के अंदर जा सकता है तो तेरे अंदर क्यों नहीं। तू चारु से किसी बात में कम है क्या।

मालिनी: हाँ हाँ और क्या ।बस एक बार ही दर्द होगा फिर तो मज़े मज़े। जैसे अभी चारु पापा से मज़े ली।

मुन्नी: मगर मगर मेरी तो बहुत छोटी है दीदी।

मालिनी: कुछ छोटी वोटि नहीं है। बिलकुल तय्यार है चुदने के लिए। अच्छा शिवा बड़े आराम से करना आप। ठीक है मुन्नी अब तेरा जीजू डाले ?

मुन्नी सहमी सी आँख बंद कर ली और सरला का हाथ पकड़ ली। राजीव उठकर अपना लंड हिलाता हुआ मुन्नी के पास आया और उसकी चूचियाँ सहलाता हुआ कहने लगा: अरे मुन्नी मज़े से हाँ कर दो। शिवा बिलकुल आराम आराम से करेगा। मुन्नी ने आँखे खोली तो राजीव का लंड उसके सामने था। वो अब उसकी चूचियाँ दबाकर उसे मस्त करने लगा था।

सरला उसके सिर सहलाते हुए बोली: घबराओ मत बेटी कुछ नहीं होगा।चलो मालिनी डालो शिवा का लंड अंदर।

सरला ललचायी नज़रों से राजीव का लंड देखकर मस्त हो चली थी। उसके निपल्ज़ पूरे खड़े थे और बुर बुरी तरह से पनिया रही थी। मालिनी ने शिवा का लंड पकड़ा जिस पर मस्त क्रीम लगी हुई थी। वो उसे मुन्नी के बुर में रखी और वहाँ रगड़ने लगी। मोटा सुपाड़ा उसके बारीक सुराख़ की ख़ुशबू पाकर मानो बिदका जा रहा था।

मुन्नी उइइइइइइ करके सिसक उठी।

सरला: बस बेटी डरने की कोई बात नहीं है।

राजीव अपने लंड को मुन्नी के होंठों में रगड़ा और बोला: बस थोड़ा सा दर्द फिर मज़ा ही मज़ा । मुन्नी राजीव के लंड में लगे चुदाई के रस की ख़ुशबू से मस्त हो गयी और जीभ निकालकर उसका लंड चाट दी। सरला सोची कि क्या कमाल की लौंडिया है ये । बाप का लंड चाट रही है और बेटे के लंड से चुदने वाली है।

तभी चारु अंदर आयी और उसकी गोद में गुड़िया थी जो रो रही थी। चारु: दीदी इसे भूक़ लगी है दूध पिलाओ।

मालिनी: बस दो मिनट रुको।चलो शिवा अब दबाओ अपना लंड। वो उसके लंड को मुन्नी की चूत के छेद में अड़ा कर बोली। अब शिवा ने अपना लंड मुन्नी की मुनिया में दबाना शुरू किया। मुन्नी की जाँघें शिवा ने ऊपर उठाकर फैलाईं हुईं थीं । मुन्नी ने अपनी कमर हिलाकर दर्द से कहा: नहींइइइइइइइइइ जीज़ूऊऊऊऊ निकाआऽऽऽऽऽऽऽऽलो बाआऽऽऽऽहर । उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।राजीव ने मुन्नी के हाथ पकड़े जिनसे वो शिवा के कंधे पर धक्का सा मार रही थी कि हट जाओ। अब दृश्य ये था कि शिवा अपना खूँटा मुन्नी की कोरी मुनिया में दबाए जा रहा था और मुन्नी की चीख़ें निकली जा रहीं थीं और सरला उसके सिर को , राजीव हाँथों को, शिवा जाँघों को और मालिनी कमर को दबाकर उसे चुदवाने में सहयोग दे रहे थे।

चारु गुड़िया को चुप कराते हुए आँखें फाड़े देख रही थी।
मुन्नी की आँखें दर्द के मारे बाहर आ रहीं थीं । वो चिल्लाई: आऽऽऽऽऽहहह फटीइइइइइइइइइइ उइइइइइइइइ।

अब शिवा अपना लौड़ा दबाए जा रहा था। शुरू में बुर के छेद ने मानो उसके लौड़े को मूठ्ठी में जकड़ सा लिया था। पर बाद में रास्ता बनता गया और लौड़ा आगे धँसता गया। आधा लौड़ा अंदर करे शिवा रुका और मालिनी बोली: मुन्नी अब ठीक है। देखो शिवा रुक गए हैं।

मुन्नी की आँखें आँसू से भरी हुई थी। वो सिर को ना में हिलाई और बोली: आऽऽऽऽह जीजू प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽऽऽऽल लो।

सरला ने उसके सिर को सहलाया और बोली: बेटी सील तो टूट गयी है। अब और नहीं दुखेगा। शिवा डाल दो बाक़ी का भी।

शिवा ने फिर से लौड़ा दबाना शुरू किया और इस बार धीरे से पूरा ही अंदर उतार दिया। अब मुन्नी फिर से चीख़ी और बोली: उइइइइइइइइ मरीइइइइइइइइ।

राजीव उसकी चूचियों के निपल्ज़ ऐंठ कर बोला: बस मुन्नी हो गया। देखो पूरा घुस गया। शिवा अब रुको ज़रा सा। इसकी बुर को ऐडजस्ट होने दो तुम्हारे लंड के लिए।

मालिनी शिवा के बॉल्ज़ को जो कि मुन्नी के बुर से निकले ख़ून से हल्का सा लाल हो चले थे,सहलाकर बोली: शिवा देखो अब थोड़ी देर रुको ताकि वो सेट हो जाए। फिर वो अपने हाथ में लगा ख़ून शिवा को दिखाई और फुसफुसा कर बोली: बधाई हो सील टूट गयी। शिवा मुस्कुराया और हाथ बढ़ाकर उसकी चूची दबाया और उसमें से निकले दूध को चाटा बोला: जाओ अब गुड़िया को दूध पिला दो।

मालिनी हँसी: आपको पीना है तो पहले पी लो । शिवा थोड़ी देर उसकी चूची से दूध पिया फिर मालिनी उसको हटाकर बोली: पापा सब दूध पी लेगा तो गुड़िया को क्या मिलेगा।

अब मालिनी कुर्सी पर बैठी और चारु से गुड़िया लेकर उसको अपना दूध पिलाने लगी।

राजीव अब मुन्नी के होंठ चूस रहा था और उसकी चूचियाँ दबाकर मुन्नी को गरम कर रहा था। उसका लौड़ा अब सरला सहलाने लगी थी।

अब सरला बोली: बेटी अब चुदाई शुरू करें?

मुन्नी: आऽऽऽऽऽह चाऽऽऽऽऽऽऽची फिर से दुखेगा तो नहीं?

राजीव: नहीं बेटी अब बस मज़ा ही मज़ा आएगा। चलो शिवा चुदाई शुरू करो।

शिवा ने अपना आधा लौड़ा बाहर निकाला और फिर उसे थोड़ा ज़ोर से अंदर पेल दिया। मुन्नी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। अब शिवा ने कुछ ध्यान नहीं दिया। और चुदाई चालू कर दी। मुन्नी राजीव के द्वारा की जा रही चूचियों की मालिश से गरम हो रही थी और फिर शिवा का मस्त लौड़ा उसके पोर पोर को मज़ा दे रहा था। जल्दी ही वो उन्ननन उन्ननन करके अपनी गाँड़ हिलाने लगी और अपनी मस्ती का इजहार करने लगी। पलंग अब बुरी तरह से हिलने लगा। शिवा भी अब मज़े से चोदने लगा।

तभी सरला भी उत्तेजित होकर राजीव का लंड चूसने लगी और जल्दी ही राजीव सरला को उठाकर बिस्तर पकड़कर झुकाया और पीछे से आकर उसकी मोटी गाँड़ सहलाया और अपने लौड़े को उसकी बुर में पेल दिया। अब सरला आऽऽऽऽऽऽह करके मस्ती से अपनी गाँड़ पीछे को दबाई और उसका पूरा लौड़ा निगल ली।

चारु आँखें फाड़े मालिनी की कुर्सी के बग़ल में खड़ी देख रही थी कि कैसे उसकी बहन शिवा से जनरदस्त तरीक़े से चुद रही थी और मुन्नी के सिर के पास उसकी चाची का सिर भी था और वो आगे झुकी हुई राजीव का लौड़ा लेकर मज़े से उन्नन उन्नन करके चुदवा रही थी। चारु गरम होकर अपनी बुर पर हाथ ले गयी और ऊँगली डालने लगी। मालिनी ने देखा तो मुस्कुरायी और अपना हाथ उसकी बुर के ऊपर लेज़ाकर उसका हाथ हटाया और अपनी दो ऊँगली डाल दी। चारु की बुर भट्टी की तरह गरम थी। मालिनी ने बुर में दो ऊँगली अंदर बाहर करनी शुरू की। अब चारु भी घुटी हुई आवाज़ में उइइइइइइइ कर उठी। उसकी गाँड़ अब आगे पीछे होने लगी।

कमरे में फ़च फ़च थप्प थप्प की और पलंग के चूँ चूँ की आवाज़ें आ रहीं थीं। सेक्स की गंध से कमरा महकने लगा था। मुन्नी की आहें और सरला की सिसकियाँ और चारु की उइइइइइइइ उइइइइइइ की आवाज़ें गूँज रहीं थीं। सबसे पहले चारु चीख़ीं : आऽऽऽऽऽऽऽहह दीईईईदी । जब मालिनी ने उसकी क्लिट को रगड़ना शुरू किया। अब वो चिल्ला कर झड़ने लगी। सब चुदाई करते हुए उसको देखे और उसकी बुर में मालिनी का हाथ देखकर मुस्कुरा उठे।

सरला भी अब आऽऽऽऽऽऽह कर रही थी। राजीव एक हाथ से उसकी बड़ी बड़ी चूची मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसके क्लिट को छेड़ रहा था। सरला और राजीव आऽऽऽऽऽहह उन्न्न्न्न करके झड़ने लगे। अब राजीव पीछे से हटा और बिस्तर पर बैठा और मुन्नी की चुदाई देखने लगा। अब शिवा पूरी तरह से मुन्नी के ऊपर आकर उसके होंठ चूस कर उसकी चूचियाँ दबाकर उसे ज़बर्दस्त तरीक़े से चोद रहा था । मुन्नी की गंन्न्न्न्न्न्न्न की आवाज़ आ रही थी और फ़च फ़च की आवाज़ बुर से आ रही थी। सरला। भी थक कर अपनी बुर को तौलिए से साफ़ की और फिर राजीव के पास आकर उसका लौड़ा भी साफ़ की और जाकर के बिस्तर के दूसरे सिरे पर बैठ गयी।

गुड़िया का दूध पीना हो गया था और वो सो गयी थी। चारु उसे लेकर दूसरे कमरे में सुलाकर वापस आयी और आकर देखी कि मालिनी ने शिवा और मुन्नी की चुदाई देखते हुए,अपनी जाँघें फैला ली हैं और अपनी ऊँगली से अपनी क्लिट रगड़ रही है। चारु को पता नहीं क्या हुआ वो जाकर मालिनी का हाथ हटाई और उसके सामने नीचे ज़मीन पर बैठ गयी और ऊँगली से उसकी क्लिट सहलाने लगी। मालिनी उइइइइइइ करके अचानक से उसका सिर पीछे से पकड़ी और उसको अपने बुर में दबाकर फुसफुसाई: चारु जीभ से मेरी क्लिट सहला ना प्लीज़। बुर के छेद में ऊँगली या जीभ मत डालना। अभी डॉक्टर ने बैन लगा रखा है।

चारु मस्ती में आकर उसकी बुर से निकल रही गंध से मस्त होकर अपनी जीभ से उसकी क्लिट को कुरेदने लगी। अब मालिनी उइइइइइइ आऽऽऽऽऽह करके मस्त होने लगी। सरला और राजीव ने चौंककर देखा और मुस्कुराने लगे। छोटी बहन बड़ी बहन को मज़ा दे रही थी। जल्दी ही मालिनी आऽऽऽऽऽऽऽह करके झड़ गयी और उसने अपनी जाँघें भींचकर चारु के मानो प्राण ही ले लिए। बाद में चारु हाँफते हुए अपना गीला मुँह पोंछकर बोली: उफ़्फ़्फ दीदी आप तो मेरा दम ही घोंट दिए थे।

मालिनी झेंपकर: सॉरी बहुत जोश में आ गयी थी। जानती हो गुड़िया होने के बाद आज पहली बार झड़ी हूँ।

चारु खड़ी हुई तो मालिनी ने उसे अपनी गोद में खींचकर उसके होंठ चूमे और थैंकयू कहा। राजीव ने देखा कि दो भरपूर जवानियाँ एक दूसरे से चिपकी बैठीं हैं। वो मन ही मन मुस्कुराया। उधर अब मुन्नी अपने दूसरे क्लाइमैक्स की तरफ़ बढ़ रही थी और अब वो अपनी गाँड़ हिलाकर आऽऽऽऽहह उन्नन उन्ननन चिल्ला रही थी। शिवा भी अब ४० मिनट की चुदाई के बाद अपना पानी गिराता हुआ ह्म्म्म्म्म्म करते हुए उसके साथ ही झड़ने लगा।

जब शिवा शांत हुआ तो मुन्नी बोली: आऽऽऽऽऽह उठिए ना। मैं दब रही हूँ।

राजीव हँसकर: वाह अब तक चुदवाती रही तो नहीं दबी और अब दब रही हो?

शिवा हँसकर अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसके बग़ल में लेटा । अब सरला उठी और मुन्नी की टांगों के बीच जाकर उसकी बुर का मुआयना की और बोली: मालिनी, इसकी तो बुरी तरह से फट गयी है। कम से कम दो दिन इसे दवाई लगानी होगी। अब मुन्नी उठकर बैठी और नीचे झुक कर अपनी बुर देखीऔर वहाँ ख़ून और सफ़ेद वीर्य देखी और डरकर बोली: चाची कितनी लाल हो गयी है। ये ख़ून भी निकला है ना?

सरला उसे चूमकर: हाँ पर जल्दी ठीक हो जाएगी। पर अभी दो दिन तुझे आराम करना होगा। चल बाथरूम में , मैं इसे साफ़ करके दवाई लगा देती हूँ।

मुन्नी खड़े होने की कोशिश की लेकिन उसके पैर डगमगा गए। वो बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अब दर्द कर रही है।

राजीव: अरे बेटी बस सबर करो । जल्दी ही आराम आ जाएगा। सरला गरम पानी से साफ़ करना।

सरला उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गयी। वहाँ मुन्नी सीट पर बैठ कर मूती और फिर सरला ने हैंड शॉवर से गरम पानी और साबुन से उसकी बुर साफ़ की । फिर वहाँ रखे ऐंटिसेप्टिक क्रीम लगायी। जब मुन्नी मुँह धोकर बाहर आयी तो चारु ने उसे गले से लगाकर कहा: बधाई हो मुन्नी अब तुम मज़े से चुदवा सकोगी।

मालिनी ने भी उसे प्यार किया और बोली: आख़िर तुम भी जवानी के मज़े ले ही ली। मज़ा आया ना? शिवा मस्त चोदता है ना??

शिवा भी उठकर बाथरूम में जाते हुए मुन्नी की गाँड़ दबाया और बोला: बधाई हो सील टूटने की।

अब राजीव उठकर मुन्नी को अपनी बाँह में भरा और बोला: बस अब जल्दी से अपनी बुर तय्यार कर लो। मुझसे भी तो चुदवाओगी ना? या सिर्फ़ शिवा का ही लौड़ा पसंद है?

मुन्नी शर्मा कर उसकी छाती में अपना सिर छुपा ली पर कुछ बोली नहीं। पर उसकी एक हरकत ने राजीव को मस्त कर दिया। वो उससे चिपकी हुई अपना एक हाथ उसके लौड़े पर ले गयी और उसे प्यार से सहलाते हुए फुसफुसाई: अंकल ये भी मुझे बहुत प्यारा लगता है क़सम से।

राजीव ख़ुशी से झूम उठा और उसकी गाँड़ सहलाकर बोला: बस बेबी दो दिन बाद तुम्हारी बुर लूँगा। ठीक है ना?

मुन्नी ने शर्मा कर हाँ में सिर हिला दिया।

अब मालिनी अपनी नायटी पहनी और बोली: चलो मैं तो सोने जा रही हूँ। मेरे साथ किसी को चलना है क्या?

सरला ने भी अपना गाउन पहना और बोली: मैं चलती हूँ तेरे साथ। शिवा तुम यहाँ अपने पापा के साथ सो जाओ।

शिवा ने अपनी हाफ़ पैंट पहनी और बोला: नहीं मैं चारु के साथ सोऊँगा। पापा आप मुन्नी को यहीं अपने पास सुला लो।

सरला: हे भगवान अब चारु को चोदेगा ? ठीक है , जवान मर्द है जो चाहे करो।

राजीव: चारु चुदवाना है ना शिवा से ?

चारु जो अब तक नंगी थी अपने कपड़े हाथ में पकड़कर शर्मा कर भाग गयी।

शिवा: मुन्नी पापा के साथ सो जाओगी ना!

मुन्नी ने हाँ में सिर हिला दिया था वो भी अब अपने कमरे से एक गाउन पहनकर आ चुकी थी।

सरला और मालिनी गुड़िया को बीच में लिटाकर सोने लगीं। मालिनी: मम्मी आप कुछ दिन और नहीं रुक सकतीं?

सरला: बेटी तुझे पता तो है राजेश पागल सा हो रहा है। वो कल आएगा और फिर मुझे जाना होगा। वैसे मुझे तेरी या लड़कियों की कोई चिंता नहीं है क्योंकि इतना प्यार करने वाला परिवार मिला है। शिवा और उसके पापा दोनों तुम तीनों का ख़याल रख लेंगे।

मालिनी: हाँ मम्मी वो तो है। फिर दोनों सोने लगीं।

उधर राजीव ने लूँगी पहनी और बिस्तर पर लेटने के पहले बाथरूम जा कर वापस आया। मुन्नी भी बाथरूम जाने लगी तब राजीव बोला: बेटी अभी चाची ने दवाई लगाई है ना? पेशाब करोगी तो वहाँ धोना मत वरना दवाई निकल जाएगी।

मुन्नी अच्छा कहकर बाथरूम में घुसी और जैसे ही गाउन उठाकर पिशाब करने लगी, नीचे थोड़ा सा ख़ून देखकर डर गयी। वो बोली: अंकल फिर से ख़ून निकलने लगा है।

राजीव बाथरूम में आकर बोला: बेटी उठो और दिखाओ मुझे। वो नीचे एक स्टूल पर बैठ गया और उसकी बुर को चेक करने लगा। उसकी नाक में पिशाब की तेज़ गंध आयी साथ ही उसकी सेक्स की भी। उसने देखा कि थोड़ा सा ख़ून आ गया था, बुर के मुँह पर। वो एक छोटा तौलिया लेकर गरम पानी से उसे गीला किया और उसकी बुर को हल्के से अच्छी तरह से साफ़ किया। फिर दवाई लेकर बुर को हल्के से फैलाकर अंदर एक ऊँगली से दवाई लगाई। मुन्नी आऽऽह कर उठी। फिर वो बोला: बेटी पैंटी कहाँ है?

मुन्नी : अंकल मै अपने कमरे में गयी और सिर्फ़ गाउन पहन कर आ गयी हूँ ।

राजीव उसकी बुर के ऊपर कॉटन का एक बड़ा सा टुकड़ा रखकर बोला: मैं तुम्हारे लिए पैंटी लाता हूँ।

अब मुन्नी अपना गाउन उठाए हुए बुर में कॉटन को एक हाथ से दबाए हुए बिस्तर पर आ कर बैठी। राजीव उसके कमरे में जाने लगा ताकि पैंटी ला सके।

उधर चारु एक गाउन पहनकर लेट गयी थी जब शिवा कमरे में आया और आकर उसके साथ लेट गया। चारु एक बार राजीव के साथ और एक बार मालिनी के हाथ से झड़ चुकी थी। वो थोड़ी शांत थी। शिवा जो कि सिर्फ़ हाफ़ पैंट में था, आकर उसके बग़ल में लेटा और उसे अपने ऊपर खींच कर उसके होंठ चूमने लगा। शिवा के हाथ उसकी पीठ और मस्त गाँड़ पर फिसल रहे थे। शिवा ने अपनी जीभ बाहर निकाली तो चारु उसे ऐसे चूसने लगी मानो वो भी एक लंड ही हो।

शिवा ने उसके गाउन को नीचे से ऊपर की ओर खिसकाया और अब उसके नंगे मस्त गोल चिकने चूतडों को दबाकर वो बोला: उफ़्फ़्फ क्या चिकनी लौंडिया हो बेबी? वैसे आज मुन्नी की चुदाई कैसे लगी?

चारु: सच कहूँ जीजू ? आप बड़े गंदे हो। मेरी नन्ही सी मुन्नी की फाड़ दी ना आपने?

शिवा: अरे पापा ने तो तुम्हारी भी फाड़ी थी ना? अरे सभी लड़कियों की एक ना एक दिन तो फटनी ही है।

यह कहते हुए उसने एक उँगली उसकी गाँड़ के छेद में डाल दी और वो हाय कहकर उछल पड़ी।

तभी राजीव अंदर आया और बोला: वाह्ह्ह गाँड़ के मज़े लिए जा रहे हैं।

चारु शर्मा गयी पर शिवा बेशर्मी से बोला: पापा आप यहाँ कैसे?

राजीव: मैं मुन्नी की पैंटी लेने आया हूँ। वो दवाई गाउन में ना लग जाए ना इसलिए।

चारु: अंकल वो आलमारी में रखी है।

राजीव ने उसकी गाँड़ सहलाई और कहा: शिवा ये गाँड़ भी मरवा लेती है ।

फिर आलमारी से उसने एक पैंटी निकाली और लेकर चारु की नंगी गाँड़ के पास आया और उसके चूतडों को दबाकर चूमा और हँसते हुए बाहर निकल गया। फिर कमरे में आकर वो मुन्नी को पैंटी पहनाया और उसे लिटा दिया और ख़ुद भी लेट गया। फिर दोनों सो गए।

उधर शिवा और चारु अब लिपटकर एक दूसरे को चूमे जा रहे थे।
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rajsharma
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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बहुत ही मस्त अपडेट है दोस्त
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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