बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

Kamini wrote: 11 Oct 2017 13:35mast update
kunal wrote: 12 Oct 2017 22:15Nice work
thanks dosto
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

शिवा सरला को चूमने लगा और सरला शर्मा रही थी । शायद बहुत दिन बाद वो बेटे के सिवाय किसी और से चूदने जो जा रही थी। शिवा उसको पलंग पर लिटाकर उसके ऊपर आ गया और उसके होंठ चूसते हुए उसकी टॉप के ऊपर से चूचियाँ दबाने लगा।

सरला: आऽऽऽह शिवा छोड़ो मुझे । मेरी क़ुर्ती का सत्यानाश मत करो मैं इसे उतार ही देती हूँ। यह कहकर वो उठी और अपनी क़ुर्ती उतार दी।नाइट लैम्प में ब्रा से उसके बड़े बड़े दूध बहुत ही आकर्षक दिख रहे थे। उसका पेट भी अब पहले से स्लिम लग रहा था।

मालिनी हंस कर: मम्मी लेग्गिंग भी उतार दो वरना उसका भी सत्यानाश कर देंगे।

सरला: हाँ सही कह रही है तू। वो अपनी लेग्गिंग उतारी और जब खड़ी हुई तो उसकी मस्त गोरी मांसल जाँघें और उसके बीच फूली हुई बुर शिवा के सामने थी। मालिनी के सामने उसके गोल गोल बड़े चूतर थे। अब वो पलटी और मालिनी को बोली: राजेश ने मेरी पैंटी छुड़वा दी है। अब शिवा के सामने उसकी मस्त गाँड़ आ गयी थी और वो सोचा कि आज गाँड़ तो लूँगा ही इनकी चाहे कुछ हो जाए।

मालिनी हँसकर: मम्मी मेरी भी इन बाप बेटे ने काफ़ी समय से छुड़वा दी है। दोनों हँसने लगे। शिवा बिस्तर से उठा और अपने कपड़े भी निकाल दिया और नंगा होकर अपना खड़ा लंड अपनी सास की गाँड़ में दबाकर सामने से ब्रा में से उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

सरला: आऽऽऽऽऽह आराम से बेटा। दुखता है ना।

मालिनी हँसी: मम्मी बहुत प्यासे हैं । उनकी प्यास बुझा दो ना। अब शिवा ने ब्रा का हुक खोला और उसकी चूचियों को नंगा करके पूरे पंजों में दबोचकर मज़े से उनकी कोमलता का अहसास करके अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में दबाने लगा।

सरला: आऽऽऽह चल बाबा बिस्तर में चल। आज तो लगता है मेरे दूध उखाड़ ही डालेगा। यह कहकर वो अपने आप को छुड़ाकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गयी। उसने अपने घुटनो से पैरों को मोड़ा और उनको खोल दिया ताकि उसकी बुर शिवा के लिए खुली हो । शिवा सास का यह मादक रूप और अदा देखकर मस्त हो गया और उसके ऊपर आकर चढ़ गया और फिर से उसकी चूचियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूसने लगा। जल्दी ही दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में घुसे जा रही थी। ज़बरदस्त तरीक़े से शिवा अपना लौड़ा उसकी जाँघों और बुर पर रगड़ रहा था और सरला की आखें मस्ती से भरकर लाल हुई जा रही थीं। अब वो झुका और उसकी चूचियाँ चूसने लगा। सरला आऽऽऽऽऽऽह करने लगी।

मालिनी बोली: गंदा बच्चा मेरी मम्मी का दूधु पी रहा है।

शिवा हँसा: तुमको जलन हो रही है तो आओ तुम भी पी लो। मम्मी के पास दो दो हैं ।

सरला ने उसके सिर पर एक चपेट लगायी और बोली: बदमाश कहीं का आऽऽऽऽऽह कुछ भी बोलता है।

अब शिवा उसके पेट को चूमने लगा और जीभ से उसकी गहरी नाभि को कुरेदने लगा। थोड़ा और नीचे जाकर वह उसकी जाँघों को चाटा और फिर अपना मुँह उसके फूले हुए बुर में रखा और बोला: मम्मी बिलकुल चिकनी कर रखी है आपने।

सरला: हाँ वो राजेश को बाल बिलकुल पसंद नहीं हैं। जैसे ही बढ़ते हैं वो ख़ुद से साफ़ कर देता है।

अब शिवा उसकी बुर को लम्बाई में चाटा और फिर उसकी फाँकों को फैलाकर उसकी गुलाबी माल को देखकर बोला: मालिनी तुम्हारा जन्म स्थल बहुत सुंदर है इसीलिए तुम भी इतनी सुंदर हो।

मालिनी हँसने लगी और बोली: बात कम करो और मेरी मम्मी को मज़ा दो। मस्ती से चाटो मेरी जन्म्स्थली।

शिवा अब जीभ डालकर उसकी बुर चोदने लगा। सरला की हाऽऽऽऽऽय्य निकलने लगी। अब वो उसकी टांगों को और ऊपर किया और उसकी मस्त गाँड़ के छेद को भी चाटने लगा। सरला उइइइइइइइइ कर उठी। अब वो उठा और उसके ऊपर उलटा हो गया और सरला उसके मस्त लंड को अपने मुँह के पास पाकर मस्ती से पकड़ ली और चूसने लगी। जीभ से वो उसके सुपाडे को भी चाट रही थी मानो वो लॉलीपॉप हो । उधर शिवा की बुर चटाई से मस्त होकर वो अपनी गाँड़ भी उछाल रही थी।

सरला: आऽऽऽह बेटा अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।चल अब चोद दे मेरी बुर को। उइइइइइइइइइ।


शिवा उठा और मालिनी की जाँघों के बीच आके उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और अपने लौड़े को हाथ से पकड़कर उसकी बुर के छेद में रगड़ने लगा। अब सरला नीचे से गाँड़ उछाल कर मानो कह रही थी कि मेरे राजा बेटा इसे अंदर पेल दो। अचानक शिवा ने एक मस्त धक्का लगाया और आधा लौड़ा अंदर चला गया। सरला आऽऽऽहह कर उठी। फिर उसने बिना रुके दूसरे धक्के में पूरा लौड़ा अंदर पेल दिया ।अब वो मस्ती में आकर सरला को चोदने लगा। सरला भी अपनी गाँड़ उछालकर उसका साथ देने लगी। अब कमरा सरला की उंन्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न और पलंग की चूँ चूँ से गूँज उठा और जब सरला की बुर पनिया गयी तो फ़च फ़च की आवाज़ भी आने लगी।

मालिनी यह सब देखकर उत्तेजित हो गयी और अपने निपल्ज़ को दबाने लगी। अपनी बुर को तो उसने नहीं छुआ। पर बाक़ी शरीर उसका पूरा उत्तेजित हो चुका था। अब शिवा पूरी शिद्दत से अपनी सास को अपनी बीवी के सामने चोद रहा था। तभी सरला का फ़ोन बजा जो मालिनी के बिस्तर पर ही रखा था। मालिनी ने देखा कि राजेश का ही फ़ोन था। वो: हाँ भाई क्या हाल है?

राजेश: बस बढ़िया । और हमारी भांजी कैसी है?

मालिनी शिवा और मालिनी की चुदाई देखते हुए: मस्त है अभी सो रही है। तू कब आ रहा है उसे देखने?

राजेश: बस दीदी एक हफ़्ते में । तभी मम्मी को वापस भी ले जाऊँगा। वैसे मम्मी से बात कराओ ना, क्या कर रहीं हैं?

मालिनी मुस्कुराई : वह अभी बहुत व्यस्त हैं । उनसे अभी बात नहीं हो सकती। वो देखी कि सरला उन्नन उन्नन कहकर चुदवा रही थी। अचानक वो आऽऽऽऽऽऽह मैं तोओओओओओओओ गयीइइइइइइइ बेटाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर झड़ने लगी।

राजेश: ओह गुड़िया को सम्भाल रही है। कोई बात नहीं मैं बाद में फ़ोन करता हूँ। वो फ़ोन काट दिया। मालिनी सोची कि वो गुड़िया को नहीं गुड़िया के बाप को सम्भाल रही है।

सरला झड़कर आऽऽह कहते हुए चुपचाप पड़ गयी। शिवा का लौड़ा तो जैसे पागल हो चुका था । जब वो देखा कि सरला ढीली पड़ गयी है और उसकी बुर भी पानी से भरकर अब ढीली सी हो गयी है तो वो उसकी टांगों को थोड़ा और उठाया और अपनी दो उँगलियों में ढेर सारा थूक लगाकर उसकी गाँड़ के छेद में लगाया। फिर दो उँगलियाँ अंदर डाल दीं । सरला : आऽऽऽऽऽह क्या अब गाँड़ भी मारेगा? हाय्य्य्य्य्य्य कितना गरम हो गया है बेटा तू?

शिवा ने अपना गीला लौड़ा उसकी गाँड़ के छेद में रखा और धीरे से दबाकर अंदर पेलने लगा। लौड़ा मस्त गाँड़ में जाने लगा और वो धीरे धीरे दबाकर पूरा लौड़ा अंदर ठेल दिया। सरला :उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितना मोटा है तेरा।आज मेरी गाँड़ फट कर ही रहेगी।

शिवा अब ज़ोर ज़ोर से गाँड़ मारने लगा। अब आवाज़ ठप्प ठप्प की आने लगी ।

मालिनी बोली: शिवा आप मम्मी को घोड़ी बनाकर गाँड़ मारो। ऐसे मुश्किल होगी।

शिवा पीछे होकर अपना लौड़ा बाहर किया और सरला को पलट दिया और वो अब पेट के बल लेट गयी। अब वो उसकी गाँड़ को ऊपर उठाया और अब उसकी चुदीं हुई बुर और फटीं हुई गाँड़ उसके सामने थी। वो मस्त गोल गोल गाँड़ पर थप्पड़ मारा और बोला: मम्मी मस्त गाँड़ है आपकी। फिर वो अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में घुसेड़कर उसकी गाँड़ को मस्ती से चोदने लगा। अब सरला फिर से ऊँनंन उन्न्न्न्न्न करने लगी। अब वो शिवा के हर धक्के का जवाब अपनी गाँड़ को पीछे करके उसके लौड़े पर दबा कर दे रही थी। शिवा ने उसकी नीचे को होकर झूलती हुई चूचियाँ मसलनी शुरू कीं और सरला अब आऽऽऽऽऽह मरीइइइइइइइइ कहकर चिल्लाने लगी।

मालिनी: उफ़्फ़्फ मम्मी आप अस्पताल में हो। ज़रा धीरे आवाज़ निकालो।

सरला: आऽऽऽऽऽह अपने पति को बोल ना कि आराम से चोदे । उफ़्फ़्फ़क क्या भयंकर चुदक्कड है तेरा पति।

मालिनी मुस्कुरा कर: मम्मी तभी तो आपको बहुत मज़ा आ रहा है ना।

सरला: आऽऽऽऽह मज़ाआऽऽऽऽऽ तो बहुत आऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्य्य काऽऽऽऽऽऽश ये मुझे रोज़ ऐसे चोऊऊऊऊदे। उफ़्क्फ़्क्फ़्फ़ । वो अपनी गाँड़ पीछे दबाते हुए उसके पूरे लौड़े को अंदर दबाते हुए बोली: मस्त लग रहा है उम्म्म्म्म्म्म्म्म।

अब शिवा भी गरम होकर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा और ह्म्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। उसका वीर्य अपनी सास की गाँड़ की गहराइयों में गिरता चला गया। अब वो उसकी गाँड़ में एक थप्पड़ मारकर बग़ल में लुढ़क गया। सरला भी अपने पेट के बल लेट गयी।

मालिनी ने देखा कि उसकी माँ की गाँड़ से शिवा का सफ़ेद रस बाहर आ रहा था। उफ़्फ़्फ कितना मादक दृश्य है वो सोची।

अब सरला उठी और हाय्य्य्य्य कहकर बाथरूम में गयी और सफ़ाई करके नंगी बाहर आयी। अब वो कपड़े पहनने लगी। शिवा भी अलसाते हुये उठा और बाथरूम में चला गया। वो भी आकर कपड़ा पहना। मालिनी: चलो अब दरवाज़ा खोल दो। नर्स आ सकती है ।

सरला बिस्तर पर लेटकर: आऽऽऽऽह शिवा तूने तो आज मेरी तीनों छेदों का बुरा हाल कर दिया। यहाँ तक कि मेरा मुँह भी दुःख रहा है। तेरा मोटा लंड चूस चूस कर। मालिनी, तू इसे कैसे झेलती है? वो हँसकर बोली। शिवा उसके पास आकर बैठा और उसकी कमर सहलाने लगा।

मालिनी: मम्मी आपने तो सिर्फ़ इनको झेला है । मुझे तो इनके पापा को भी झेलना पड़ता है। जब दोनों मिलकर चोदते हैं ना तब तीनों छेदों का बुर हाल हो जाता है।

शिवा: वाह और जो मज़ा आता है उसका क्या?

मालिनी: हाँ मज़ा तो आता ही है। पर उसके बाद हालत पतली हो जाती है मम्मी। बहुत चुदक्कड हैं दोनों बाप बेटा।

सरला शिवा का बदन सहलाकर बोली: पर गुड़िया है किसकी बेटी? तुम्हारी या राजीव की?

शिवा : ये तो भगवान ही जानता है। पर हमको उससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। आख़िर है तो हमारे ख़ानदान की ही ना। वो सरला की गाँड़ को लेग्गिंग के ऊपर सा दबाकर बोला: मम्मी की गाँड़ बहुत मस्त हो गयी है ना?

मालिनी हँसकर : आप जानो । अच्छा मम्मी राजेश का फ़ोन आया था । आप फ़ोन लगा लो। ११ बज गए हैं उसे भी तो सोना होगा ।

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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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सरला ने फ़ोन लगाया: हाँ बेटा कैसे हो?

राजेश: क्या मम्मी आपके बग़ैर भला अच्छा कैसे हो सकता हूँ। नींद हो नहीं आ रही है। पूरा खड़ा है मेरा और आपको याद कर रहा है।

सरला हँसी: अरे तो मेरे नाम की मूठ्ठ मार ले ना और आराम से सो जा।

राजेश: ठीक है मम्मी लगता है वही करना पड़ेगा। बहुत मन कर रहा है आपको चोदने का।

सरला: बस बेटा एक हफ़्ते की ही तो बात है फिर जी भर कर अपनी मन मर्ज़ी की कर लेना। चल रखती हूँ।

मालिनी: क्या मॉ है मेरी, भई वाह जो अपने बेटे को कह रही है कि मेरे नाम की मूठ्ठ मार लो।

सरला हँसी: और क्या बेटी है मेरी जो अपनी माँ को अपने पति से अभी अपने सामने चुदवाई है।

इस पर सब हँसने लगे । फिर थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुईं और सब सोने लगे। शिवा सरला से लिपट कर सो गया।

उधर घर पर राजीव से चुदकर चारु तो बिस्तर पर आकर सो गयी पर मुन्नी को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि वो चारु और राजीव की चुदाई देखकर बहुत उत्तेजित थी। वो अपनी पैंटी में ऊँगली डालकर अपनी मुनिया को छेड़ने लगी। अब उसकी ऊँगली उसकी क्लिट को भी छेड़ रही थी और उसके आँखों के सामने राजीव का मोटा लंड चारु की बुर के अंदर बाहर होते हुए दिखने लगा मानो वीडीयो रीवाइंड हो कर दिखा रहा है। अब वो बुरी तरह से उत्तेजित हो कर झड़ने लगी। फिर वो अपने हाथ को चद्दर में पोंछकर सो गयी।

अगली सुबह सबसे पहले राजीव की नींद खुली तो वह उठकर लड़कियों के कमरे में आया। दोनों लड़कियाँ सो रहीं थीं। बहुत ही मासूम सी लग रहीं थीं। कोई कह नहीं सकता था कि एक तो चुदाई का मज़ा लगातार ले रही है और दूसरी भी जल्द ही चुदने वाली है। वो किचन में जाकर तीनों के लिए चाय बनाया और ड्रॉइंग रूम में चाय रखा और आकर चारु के पास बैठा और उसको चूमकर बोला: चलो बिटिया सुबह हो गयी अब उठो।

चारु: ओफ़्फ़्फ अंकल सोने दो ना।

राजीव: नहीं उठना पड़ेगा अभी। आज मालिनी वापस आ रही है ना। देखो ७ बज गए हैं। चाय मैंने बना दी है। चलो अब उठो। वो उसकी गाँड़ दबाकर बोला।

चारु आँख मलती हुई उठी और बाथरूम को भागी। अब वो मुन्नी के पास गया और उसे भी चूमा और उठाने लगा। वो आँख खोली और राजीव को देखकर एकदम से उठ गयी। उसके टॉप से उसके सख़्त अमरूद मानो बाहर आने वाले थे । राजीव ने उसके अमरूदों को मानो एडजस्ट किया ब्रा के अंदर और बोला: अरे बेटी तुम्हारे अमरूद बाहर आ रहे हैं । इनको सम्भालो।

मुन्नी शर्मा गयी और उसे रात की चारु और अंकल की चुदाई याद आ गयी। वो बोली: धत्त अंकल ऐसे कैसे बाहर आ जाएँगे?

राजीव उनको हल्के से दबाकर : मैंने ठीक से ब्रा में सेट कर दिए। अब नहीं आएँगे बाहर। अब वो उसकी जाँघों पर चढ़ी स्कर्ट से उसकी पैंटी में से उसकी बुर को दबाकर बोला: और हमारी मुनिया कैसी है?

मुन्नी: अंकल हाथ हटा लो। ज़ोर से सुसू आयी है। अपना हाथ गंदा हो जाएगा।

राजीव: ऐसा है तो मेरा बाथरूम यूज़ कर लो क्योंकि दूसरे बाथरूम में तो चारु गयी हुई है।

मुन्नी खड़े होकर: थैंक यू अंकल । कहकर वहाँ से बाहर जाने लगी। राजीव ने उसकी गाँड़ को स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर पैंटी के ऊपर से दबाकर कहा: बाहर चाय रखी है । आकर पी लेना।

मुन्नी: जी अंकल कहकर चली गयी।

राजीव बाहर आकर अपनी चाय पीने लगा। तभी चारु आयी और वो भी चाय पीने लगी। राजीव: चारु कल तो तुम कई बार चुदीं मज़ा आया ना?

चारु शर्मा कर: अंकल आप भी बहुत उलटे सीधे सवाल पूछते हो।

तभी मुन्नी आयी और चाय पीने लगी। अब चारु चाय पीकर किचन में चली गयी । मुन्नी एक टाँग सोफ़े में रखकर और एक नीचे रखकर चाय पी रही थी। वो जानती थी कि इस हालत में उसकी पैंटी में क़ैद बुर राजीव को साफ़ दिखाई से रही होगी। उसका स्कर्ट ऊपर चढ़ गया था। वो कल से चारु की चुदाई देख कर परेशान थी। और अब ख़ुद भी चुदना चाहती थी। राजीव की निगाह जब उसकी पैंटी पर पड़ी तो वो मस्त होने लगा। पतली सी पैंटी से बुर की फाँकें साफ़ दिखाई दे रही थीं। उफ़्फ़्फ क्या मस्त कमसिन जवानी है। उफ़्फ़्फ क्या सख़्त अमरूद हैं और कितनी मादक गोल गोल गाँड़ है। क्या मज़ा आएगा इसकी तंग बुर में लौड़ा पेलने में।

तभी चारु चिल्लाई: मुन्नी अगर चाय हो गयी हो तो आ किचन में मेरी मदद कर दे। अब मुन्नी उठकर चली गयी अपनी गोल गोल गाँड़ मटकाती हुई।

तभी काम वाली बाई भी आ गयी। उसके बाद और कुछ नहीं हुआ।

उधर शिवा सुबह अस्पताल में उठा और मालिनी को बोला: मैं घर जाकर आता हूँ। फिर डॉक्टर के आने के बाद तुमको घर ले जाएँगे।

मालिनी: ठीक है आप हो आइए। मम्मी तो है यहाँ। वो सरला को देखकर बोली जो अभी भी सो रही थी।

शिवा वहाँ से घर आया और देखा कि राजीव ड्रॉइंग रूम में बैठा अख़बार पढ़ रहा था और लड़कियाँ किचन में थीं। ।
राजीव: आओ बेटा कैसा है अस्पताल में सब ?

शिवा: सब ठीक है पापा। दस बजे तक मालिनी को छोड़ देंगे । मैं जाकर ले आऊँगा कार में। अभी नहा लेता हूँ ।

तभी चारु और मुन्नी शिवा की आवाज़ सुन कर आयीं और चारु: जीजू सब ठीक है अस्पताल में? दीदी कब आएँगी।

शिवा: अभी थोड़ी देर में मैं जाकर ले आऊँगा। वहाँ सब ठीक है। तुम्हारी चाची भी वहीं है ।

राजीव: ठीक है बेटा । मैं ज़रा सामान ले आता हूँ। चारु ने लिस्ट दी है।

राजीव घर के पास की दुकान से कुछ सामान लेने चला गया और शिवा अपने कमरे में चला गया।

वो अपने कपड़े उतारा और पूरा नंगा होकर अपने बाथरूम में जाकर देखा कि तौलिया नहीं है। तो वो बाहर आकर आवाज़ दिया: चारु मेरा तौलिया देना ज़रा। देखो वहाँ बालकनी में सूख रहा होगा।

मुन्नी: जीजू चारु दी तो नहाने गयीं है । मैं देखती हूँ जीजू। आपका गुलाबी रंग का है ना?

शिवा: हाँ वही है।

मुन्नी : अभी लाती हूँ। वह तौलिया लेकर आयी और दरवाज़ा खटखटायी । शिवा को मस्ती सूझी और वो हल्का सा दरवाज़ा खोल कर तौलिए को लेने को हाथ बढ़ाया और मुन्नी का हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया। मुन्नी अचानक हड़बड़ा गयी और देखी कि शिवा पूरा नंगा खड़ा था और उसका लम्बा लंड सामने की ओर झूल रहा था। वो शर्मा गयी। और मुँह घुमा ली। शिवा उसको पकड़कर घुमाया और बोला: मुन्नी देखो मेरा लंड कैसे तुम्हें देखकर ख़ुश हो रहा है? देखो ध्यान से।

मुन्नी हैरानी से देखी और वो अपने लटके हुए लंड को दिखाकर बोला: देखो ये तुमको कितना प्यार करता है। अब मुन्नी आँखें फाड़कर देख रही थी कि कैसे एक एक पल में उसका लंड खड़ा होने लगा। कैसे वो अपना मुँह उठाकर मानो उसे देखने लगा हो। अब वो पूरा खड़ा हो कर शिवा की नाभि की तरफ़ झुक गया था। उफ़्फ़्फ़्फ मुन्नी की पैंटी गीली होने लगी। क्या दृश्य था उस कमसिन जवानी के लिए।ऐसा उसने कभी देखा नहीं था। कितना बड़ा और मोटा लंड था जीजू का- वो सोची।

अचानक शिवा ने उसका एक हाथ पकड़ा और अपने गरम सख़्त लंड पर रखा और कहा: मुन्नी कैसा है मेरा लंड? पसंद है ना?

मुन्नी जैसे निंद्रा में हो वैसे उसने उसको ज़ोर से दबाकर उसकी सख़्ती को महसूस किया और फिर शिवा ने उसका हाथ अपने लंड पर ऊपर नीचे करवाया और जल्दी ही वो ख़ुद उसका लंड सहलाने लगी। अब शिवा ने अपना हाथ हटाया और मुन्नी अपने आप ही लंड को मुठियाने लगी।

मुन्नी की पैंटी में गंगा जमुना बहने लगी। उसकी बहुत इच्छा हो रही थी कि वो अपने निपल्ज़ दबाए और बुर में ऊँगली करे। पर अफ़सोस वो ऐसा शर्म के मारे कर ना सकी। तभी शिवा ने उसके स्कर्ट को उठाया और पैंटी में ऊँगली डाल दिया और उसकी मस्त कुँवारी बुर को मसलने लगा। मुन्नी आऽऽऽऽऽह करके उसका लंड दबाकर मस्त हो रही थी।

तभी चारु की आवाज़ आयी: मुन्नी कहाँ हो? जाओ नहा लो।

मुन्नी ने हड़बड़ाकर उसके लंड को छोड़ा और बाहर को भागी। शिवा मुस्कुराकर बाथरूम में घुस गया।

चारु: अरे तुम जीजू के कमरे में क्या कर रही थी?

मुन्नी: वो वो उनको तौलिया चाहिए था सो दे आयी। वो अपने कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गयी।

शिवा अपने बाथरूम में और मुन्नी अपने बाथरूम में हस्तमैथुन कर रहे थे एक दूसरे के जवान अंगों का सोचकर।

चारु नहाकर कपड़े पहनते हुए सोच रही थी कि आज दीदी और चाची भी आ जाएँगी तो अंकल और उसकी चुदाई कैसे हो पाएगी? वो अपने जवान बदन को शीशे में देखी और ख़ुद पर मुग्ध होने लगी। उसका हाथ अपने मस्त बदन पर था और वो मस्त हो रही थी।

सब जवान थे और सबकी मस्ती बढ़ती ही जा रही थी——
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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