बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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उस दिन और कुछ नहीं हुआ । मालिनी ने सोचा कि अब उसकी आख़री आस महक दीदी थी। अभी तो अमेरिका में वो सो रही होगी। वह शाम को उससे बात करेगी ताकि वह पापा जी को समझाए। वह थोड़ी संतुष्ट होकर लेट गयी।

तभी उसे शिवा की कही बात याद आइ जो वह अपने दोस्त असलम के बारे में बता रहा था कि वो बीवियों की अदला बदली में मज़ा लेता है। वह थोड़ी सी बेचैन हुई कि क्या यह सब आजकल समान्य सी बात हो गयी है। क्या पति से वफ़ादारी और रिश्तों की पवित्रता अब बाक़ी नहीं रह गयी है। और क्या शिवा सच में असलम से जो बोला कि वह उसकी बीवी को करना चाहता है यह मज़ाक़ ही था या कुछ और? क्या शिवा उसे भी अपने दोस्त से चुदवाना चाहता है? पता नहीं क्या क्या चल रहा है किसके मन में यहाँ? हे भगवान मैं क्या करूँ? फिर वह सोची कि शाम को महक दीदी से बात करूँगी तभी कुछ शायद मदद होगी। ये सोचते हुए उसकी आँख लग गयी ।
शाम को उसने देखा कि पापा टी वी देख रहे हैं। वह अपने कमरे में आयी और महक को लैंडलाइन से फ़ोन लगायी। महक ने फ़ोन उठाया और बोली: हाय पापा जी क्या हाल है?

मालिनी: दीदी नमस्ते , मैं मालिनी बोल रही हूँ।

महक: ओह, मैं सोची पापा होंगे। बोलो क्या हाल है भाभी जी?

मालिनी: कुछ ठीक नहीं है, इसीलिए आपको फ़ोन किया है, शायद आप कोई मदद कर सको।

महक: हाँ हाँ बोलो ना क्या समस्या है?

मालिनी: समस्या तो बड़ी गम्भीर है दीदी। और वो पापा के बारे में है।

महक: ओह, हेलो हेलो आवाज़ नहीं आ रही है। मैं लगाती हूँ फिर से फ़ोन। यह कहकर महक ने फ़ोन काट दिया।

फिर महक अपने मोबाइल से राजीव को फ़ोन लगायी और बोली: पापा मालिनी मुझसे आपके बारे में बात करना चाहती है। ज़रूर आपकी शिकायत करेगी। अगर सुनना चाहते हैं तो मैं लैंड लाइन पर लगाती हूँ आप पैरलेल फ़ोन उठा कर अपने बेडरूम से सुन लेना। पर बोलना कुछ नहीं।

राजीव: ठीक है बेटी लगाओ फ़ोन।

अब महक ने फ़ोन लगाया और मालिनी ने उठाया और साथ ही राजीव ने भी अपने कमरे में उठा लिया।

महक: अरे भाभी आपका फ़ोन कट गया था, इसलिए मैंने फिर से लगाया है।

मालिनी: ओह ठीक है दीदी, मैं आपसे पापा जी के बारे में बात करना चाहती हूँ, उनको शादी करने का भूत सवार है और वह भी मुझसे भी छोटी लड़की से।

महक: ओह क्या कह रही हो? ये तो बड़ी बेकार बात है।

मालिनी: वही तो, अब आप ही उनको समझाइए। वो तो कल गाँव जा रहे हैं लड़की पसंद करने। और ये भी बोल रहे हैं कि शिवा को प्रॉपर्टी का आधा हिस्सा ही मिलेगा। आधा हिस्सा वो उस लड़की को दे देंगे।

राजीव सुनकर कुटीलता से मुस्कुराया और सोचा कि ये बेवक़ूफ़ किससे मदद माँग रही है, हा हा ।

महक: ओह तो तुमने उनको समझाया नहीं?

मालिनी: क्या समझाऊँ? वो तो मेरे को ही दोष दे रहें हैं इस सबके लिए।

महक: तुमको ? वो क्यों?

मालिनी: अब कैसे कहूँ आपको ये सब? मैंने तो अभी तक ये सब शिवा को भी नहीं बताया है।

महक: अरे तुम बताओगी नहीं तो मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँगी?

मालिनी: आप इसे अन्यथा ना लेना, असल में वो रानी थी ना हमारे घर की नौकरानी? पापा के उसके साथ सम्बंध थे। एक दिन मैंने दोनों को साथ देख लिया और उसे नौकरी से निकाल दिया। बस तब से मेरे पीछे पड़े हैं कि अब मेरी प्यास कैसे बुझेगी? और भी ना जाने क्या क्या।

महक: ओह, तुमने उसे निकाल क्यों दिया? अरे माँ के जाने बाद अगर वह अपनी प्यास उससे बुझा रहे थे तो तुमको क्या समस्या थी? घर की बात घर में ही थी। किसी रँडी को तो नहीं चो- मतलब लगा रहे थे ना?

मालिनी उसकी बात सुनकर हैरानी से बोली: दीदी वो नौकरानी थी और पापा जी को उससे कोई बीमारी भी हो सकती थी। मैंने तो पापा के स्वास्थ्य के लिए ही ऐसा किया। अब आप भी उनका ही पक्ष ले रही हो।

महक: अरे भाभी, पापा बच्चे थोड़े हैं। अपना भला बुरा समझते हैं। तुमको उनके व्यक्तिगत जीवन में दख़ल नहीं देना चाहिए था।

मालिनी: ओह दीदी अब तो जो हुआ सो हुआ। आगे जो बताऊँगी आपको सुनकर और भी अजीब लगेगा।

महक: अच्छा बताओ।

मालिनी: उसके बाद वो शादी की बातें करने लगे। जब मैंने मना किया तो वो बोले कि मैं बहुत सुंदर और मादक हो गयी हूँ। और मुझे दिन भर देख देख कर वह वासना से भर जाते हैं और मुझे दिन में उनकी प्यास बुझानी चाहिए। और रात को शिवा की बीवी बनकर रहना चाहिए। छी दीदी, मुझे तो बोलते हुए भी ख़राब लग रहा है। आप ही बोलो कोई ससुर अपनी बहु से ऐसा भी भला बोलता है?

राजीव यह सुनकर मुस्कुरा कर अपना खड़ा होता हुआ लौड़ा दबाने लगा।

महक: ओह, क्या सच में तुम इतनी मादक हो गयी हो? जब मैंने तुमको देखा था तो तुम सामान्य सी लड़की थी।

मालिनी: ओह दीदी आप भी ना? शादी के बाद लड़की के बदन में परिवर्तन तो आता ही है। मैं भी थोड़ी भर गयी हूँ।

महक हँसकर: क्या ब्रा का साइज़ भी बढ़ गया है? और पिछवाड़ा भी भारी हो गया है?

मालिनी: छी दीदी आप भी मज़ाक़ करती हो। वैसे ब्रा का साइज़ दो नम्बर बढ़ा है और हाँ पापा जी कह रहे थे की मेरी छातियाँ और पिछवाड़ा उनको बहुत मादक लगता है।

अब राजीव ने यह सुनकर लूँगी से अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसको मुठियाने लगा।

महक: तो ऐसे बोल ना कि तुम माल बन गयी हो, तभी तो पापा पागल हो रहे हैं। अब देख ना, एक तो वैसे ही रानी को तुमने भगा दिया और अब उनके सामने दिन भर अपनी चूचियाँ और गाँड़ मटकाओगी तो बेचारे उन पर क्या गुज़रेगी?
उनका बदन तो फड़फड़ायेगा ना तुमको पाने के लिए।

मालिनी उसकी भाषा और उसके विचारों से सकते में आ गयी और बोली: आप भी क्या क्या बोल रही हो? छी आप अपने पापा के बारे में ऐसा कैसे बोल सकती हो? फिर मैं उनकी बहु हूँ, कोई आम लड़की नहीं हूँ।

महक: अरे तुम अपने ही घर की हो तभी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी और कोई बाहर वाले से ऐसा थोड़े ही बोल सकते थे।

मालिनी: मतलब? मैं समझी नहीं।

महक: देखो भाभी, उनको तुम अच्छी लगी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी। वो तुमको शिवा को छोड़ने को तो नहीं कह रहे, बस उनकी भी बन जाने को कह रहे है। मुझे तो लगता है कि इसमे कोई बुराई नहीं है। घर की बात घर में ही रहेगी और प्रॉपर्टी का भी बँटवारा नहीं होगा। बाद में शिवा को भी बता देना कि उसका आधा हिस्सा बचाने के लिए तुम पापा से चुद-- मतलब करवाई थी।

राजीव अब ज़ोर ज़ोर से अपना लौड़ा हिलाने लगा। अपनी बेटी और बहु की कामुक बातें उसे पागल बना रही थी ।

मालिनी: उफफफ दीदी आपकी सोच से तो भगवान ही बचाए। आप साफ़ साफ़ कह रही हो कि पापा के सामने मुझे संपरण कर देना चाहिए? पता नहीं मैं क्या करूँगी?

महक: अपने घर को दो टुकड़ों में बटने से बचाने के लिए ये त्याग तुमको करना ही पड़ेगा। अगर पापा जी ने शादी कर ली, तो घर की शांति हमेशा के लिए खतम समझो।

मालिनी: यही चिंता तो मुझे खाए जा रही है। समझ में नहीं आ रहा है कि शिवा को कैसे धोका दूँ। वो मुझे बहुत प्यार करते है।

अब राजीव कॉर्ड्लेस फ़ोन को लेकर मालिनी के कमरे के सामने आया और खुली खिड़की से अंदर झाँका, वहाँ मालिनी फ़ोन से महक से बातें कर रही थी। उसकी छाती साँसों के तेज़ चलने की वजह से हिल रही थी।

महक: अरे ये सब तुम शिवा के हक़ के लिए ही तो कर रही हो और साथ ही इस घर को भी बहुत बड़ी मुसीबत से बचा रही हो। दिन में पापा का प्यार लेना और रात में शिवा का। काश मेरे ससुर होते तो मैं तो ऐसे ही मज़ा करती। बहुत ख़ुशक़िस्मत लड़की हो तुम जिसकी जवानी की प्यास दो दो मर्द बुझाएँगे। मुझे तो सोचकर ही नीचे खुजली होने लगी।

मालिनी: उफफफ दीदी कैसी बातें कर रही हो? ये कहते हुए उसने भी अपनी बुर खुजा दी। और सोची कि छी मुझे वहाँ क्यों खुजली हुई? क्या मैं भी अब ये चाहने लगी हूँ जो दीदी बोल रही है।

जैसे ही राजीव ने देखा कि मालिनी महक की बुर की खुजली की बात सुनकर अपनी भी बुर खुजा रही है, उसके लौड़े ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया जिसे वह लूँगी में सुखाने लगा।

मालिनी ने ठीक है दीदी रखती हूँ कहकर फ़ोन बंद कर दिया। अब वह सोचने लगी कि उसके सामने क्या रास्ता बचा है? क्या शिवा को सब बता दे और घर में क्लेश मचने दे या दीदी की बात मान ले।

वह अपना सिर पकड़कर रह गयी।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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Shukr hai thoda sa hi data gaayab hai
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव ने महक को फ़ोन किया और बोला: थैंक्स बेटी, तुमने बहुत साथ दिया। अब वो ज़रूर कुछ सोचेगी मेरी शादी को रोकने के लिए।

महक: अच्छा पापा मेरे को तो बताओ कि क्या आप सच में आप शादी करोगे ?

राजीव: अरे नहीं बेटी, इस उम्र में में कैसे शादी कर सकता हूँ। किसी लड़की की ज़िन्दगी नहीं खराब करूँगा।

महक: फिर ठीक है, ये आप मालिनी को पटाने के लिए कर रहे हो। है ना?

राजीव: बिलकुल बेटी यही सच है। अब तुम मेरे पास होती तो हम मज़े कर लेते। पर तुम तो जॉन से मज़े कर रही हूँ। यहाँ मैं अपना डंडा दबा दबा कर परेशान हो रहा हूँ। क्या बताऊँ तुम्हें कि ये मालिनी इतनी ग़दरा गयी है कि इसको देखकर ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है। साली की गाँड़ मस्त मोटी हो गयी है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या बताऊँ तुम्हें।

महक हँसती हुई बोली: बस बस पापा बस करिए। समझ में आ गया कि आपकी बहू मस्त माल हो गयी है। और अब बहुत जल्दी ही वो आपके आग़ोश में होगी। चलिए रखती हूँ। बाई ।

राजीव का लौड़ा महक से बात करते हुए खड़ा हो गया था। इसने उसको दबाया और लम्बी साँस ली और सोचा कि चलो कल देखते हैं क्या होता है।

शिवा घर आया तो उदास मालिनी को देखकर पूछा: क्या हुआ जान , उदास दिख रही हो ।

मालिनी: अरे कुछ नहीं, बस थोड़ी सुस्ती लग रही थी। चलो आप फ़्रेश हो मैं खाना लगती हूँ।

शिवा: अरे पहले तुम्हें तो खा लूँ फिर खाना खाऊँगा। यह कहते हुए उसने मालिनी को बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर आकर उसके गाल और होंठ चूसने लगा।

मालिनी उसको धक्का दी और बोली: चलो अभी छोड़ो और खाना खाते हैं।
शिवा थोड़ा हैरानी से : क्या हुआ जान? सब ठीक है ना?

मालिनी: सब ठीक है, अभी मूड नहीं है।

शिवा उसे छोड़कर बिस्तर से उठा और बोला: अच्छा आज भी बात हुई पापा जी से पैसे के बारे में?

मालिनी झल्ला कर बोली: नहीं हुई और आप भी मत करना । कोई ज़रूरत नहीं है।

शिवा उसको पकड़कर बोला: बताओ ना क्या बात हुई है? तुम्हारा मूड इतना ख़राब मैंने कभी नहीं देखा।

मालिनी: कुछ नहीं हुआ है बस सर दर्द कर रहा है। इसलिए आराम करना चाहती हूँ।

फिर वह किचन में चली गयी। खाना लगाते हुए उसे अपने व्यवहार पर काफ़ी बुरा लगा और वह वापस अपने कमरे में आयी और शिवा से लिपट गयी और बोली: रात को कर लेना । मना नहीं करूँगी और ये कहते हुए उसने लोअर के ऊपर से उसका लौड़ा दबा दिया। शिवा भी मस्ती में आकर उसकी कमर सहलाने लगा। फिर उसका हाथ उसके चूतरों पर आ गया और उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी पैंटी पर हाथ फिराकर बोला: जान, घर में पैंटी मत पहना करो। बाहर जाओ तो पहन लिया करो। ऐसे हाथ फिरा रहा हूँ तो पैंटी के कारण तुम्हारे चूतरों का मज़ा भी नहीं मिल पा रहा है।

मालिनी: आपका बस चले तो मुझे नंगी ही रखोगे क्या पता?

शिवा उसके चूतरों के ऊपर से पैंटी को टटोलते हुए बोला: देखो ये पैंटी मेरे हाथ को तुम्हारी मस्तानी गाँड़ को महसूस ही करने नहीं दे रहा है।

मालिनी हँसकर बोली: अच्छा नहीं पहनूँगी पैंटी बस । चलो अब खाना खा लो।

वो दोनों बाहर आए और शिवा ने राजीव को आवाज़ दी और सब खाना खाए। राजीव ने कुछ भी ऐसा शो नहीं किया जैसे कि कोई बात है। मालिनी सोचने लगी कि कितना बड़ा नाटककार है ये पापा जी , ऐसे बर्ताव कर रहे है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। कल शादी करने के लिए लड़की देखने जा रहे हैं और बेटे को इसकी भनक भी नहीं लगने दे रहे हैं और मेरे पीछे भी पड़े हैं कि मैं अपनी जवानी इनको सौंप दूँ। उफफफफ क्या करूँ।

खाना खाते हुए बाप बेटा व्यापार की बातें करते रहे। फिर वो अपने अपने कमरे में चले गए।

रात को शिवा ने मालिनी की दो बार चुदाई की और फिर वो सो गए।

अगले दिन शिवा के जाने के बाद कमला किचन में आयी और मालिनी को बोली: बड़े साहब कहीं बाहर जा रहें हैं क्या?

मालिनी : क्यों क्या हुआ?

कमला: वो साहब सूटकेस पैक कर रहे हैं ना इसलिए पूछी।

मालिनी बहुत परेशान हो गयी । उफफफफ पापा जी को भी चैन नहीं है । लगता है आज जा रहें हैं लड़की देखने। वह सोची कि क्या करूँ कैसे रोकूँ उनको।

तभी राजीव ने चाय माँगी। मालिनी बोली: अभी लाती हूँ।

कमला अपना काम कर चली गयी। मालिनी चाय लेकर सोफ़े पर बैठे राजीव को दी।

राजीव चाय पीते हुए बोला: बहु आज मैं गाँव जा रहा हूँ। रात तक वापस आ जाऊँगा।

मालिनी: मैं शिवा को क्या बोलूँ?

राजीव: जो तुम्हें सही लगे बोल देना। वैसे भी उसे बताना तो होगा ही कि उसकी नयी माँ आने वाली है।

मालिनी रुआंसी होकर बोली: जानते हैं उनको कितना बुरा लगेगा। पता नहीं वो टूट ना जाए।

राजीव: मैं क्या कर सकता हूँ अगर तुम मेरी बात मान जाओ तो मुझे ये सब कुछ नहीं करना पड़ेगा।

मालिनी: पापा जी आप समझते क्यों नहीं कि मैं शिवा से आपके बेटे से बहुत प्यार करती हूँ और उनको धोका कैसे दे सकती हूँ।

राजीव: वही रट लगा रखी हो । कहा ना हम दोनों की बनकर रहो। पता नहीं क्यों तुम्हें समझ नहीं आ रहा है। तुम मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं शादी करूँ और इस घर का बँटवारा करूँ।

मालिनी रोने लगी और बोली: पापा जी क्यों मेरी ज़िंदगी तबाह करने पर तुले हैं। मैं बरबाद हो जाऊँगी।

राजीव: रोने से इस समस्या का हल नहीं होगा बहु। तुमको फ़ैसला करना ही होगा।

यह कहकर वह उठा और अपने कमरे में चला गया। वह दरवाज़ा खुला छोड़कर अपना सूट्केस पैक करने लगा। मालिनी सोफ़े पर बैठी हुई राजीव को पैकिंग करते हुए देख रही थी और उसका कलेजा मुँह को आ रहा था । उसे लगा कि ये पापाजी सूट्केस नहीं बल्कि इस घर की ख़ुशियाँ पैक करके बाहर ले जा रहे हैं। तभी उसने फ़ैसला लिया कि ये नहीं हो सकता और वह ये नहीं होने देगी चाहे इसके लिए उसे कितना बड़ा भी त्याग ना करना पड़े।

वह उठी और राजीव के कमरे में पहुँची और बोली: ठीक है पापाजी मुझे आपकी शर्त मंज़ूर है , आप गाँव नहीं जाएँगे।

राजीव बहुत ख़ुश हो कर बोला: सच में बहु! अगर तुम मान गयी हो तो मुझे क्या ज़रूरत है जाने की।

यह कहकर वह आगे बढ़ा और मालिनी को अपनी बाहों में जकड़ लिया। मालिनी ने छूटने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही कोई उत्साह दिखाया। राजीव उसके गाल चूमा पर मालिनी को जैसे कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ा। वह बुत की तरह खड़ी रही।

राजीव थोड़ा परेशान होकर बोला: क्या हुआ बहु ? क्या बात है?

मालिनी: पापा जी , आपको मैं अपना शरीर दे दी हूँ। आप जो चाहे कर लीजिए मेरे साथ। पर मेरा दिल आपको अभी भी अपना नहीं मान रहा है। शिवा ने मेरे तन और मन दोनों जीता है। पर आपको मेरा सिर्फ़ तन ही मिलेगा, मन नहीं। उसने राजीव को देखते हुए कहा।

राजीव उसे छोड़ कर बोला: बहु , मैंने आजतक किसी भी लड़की से कभी भी ज़बरदस्ती नहीं की। मैंने कई लड़कियों से मज़ा लिया है पर कभी भी उनकी मर्ज़ी के बिना नहीं किया। और सुन लो तुमसे भी कोई ज़बरदस्ती नहीं करूँगा।

मालिनी: मैंने तो आपको अपना बदन सौंप ही दिया है जो करना है कर लीजिए मेरे साथ। ज़बरदस्ती का सवाल ही नहीं है। यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया। उसकी ब्लाउस में भरी हुई बड़ी बड़ी छातियाँ राजीव के सामने थी। वो बोली: पापा जी, जो करना है कर लीजिए। आप साड़ी उतारेंगे या मैं ही उतार दूँ।

राजीव ने देखा कि उसका चेहरा बिलकुल ही भावहीन था। वह सकते में आ गया इस लड़की के व्यवहार से । वह चुपचाप खड़ा रहा , फिर वह पास आकर उसकी साड़ी का पल्लू उठाकर वापस उसके कंधे पर रखा। फिर बोला: बहु ,मुझे लाश से प्यार नहीं करना है। अब मैं भी पहले तुम्हारा मन जीतूँगा और फिर तन से मज़े लूँगा। बोलो मेरा चैलेंज स्वीकार है ?

मालिनी: मतलब आप मेरा पहले मन जीतेंगे और फिर मेरे साथ यह सब करेंगे?

राजीव: बिलकुल सही कहा तुमने।

मालिनी: फिर आप गाँव जाएँगे क्या?

राजीव: गाँव जा कर क्या करूँगा। अब तो तुमको जीतना है और तुम्हारा मन भी जीतना है। वो गाँव जाकर नहीं होगा बल्कि यहाँ रहकर ही होगा।

यह कहकर वो हँसने लगा। मालिनी को भी अजीब सी फ़ीलिंग हो रही थी। अब राजीव मालिनी के पास आकर उसको अपनी बाँह में लेकर उसके गाल को चूमा और बोला: बहुत जल्दी तुम्हारा मन भी जीतूँगा और ये भी । यह कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया और फिर उसको छोड़कर हँसते हुए कमरे से बाहर निकल गया। मालिनी उसकी इस हरकत से भौंचक्की रह गयी।

वह भी चुप चाप अपने कमरे में चली गयी । परिस्थितियाँ इतनी जल्दी से बदली थीं कि वह भी हैरान थी।
राजीव अपने कमरे में आकर सूट्केस का सामान निकाला और मन ही मन ख़ुश होकर सोचा कि आज एक जीत तो हो गयी है।मालिनी ने उसके सामने सरेंडर तो कर ही दिया है। उसको पता था कि उसका मर्दाना चार्म इस बला की मादक लड़की को जल्दी ही उसकी गोद में ले आएगा। उसने थोड़ी देर सोचा फिर एक sms किया सरला को याने मालिनी की मॉ को। उसने उसे आधे घंटे के बाद फ़ोन करने को कहा और उसे श्याम के साथ आने का और रात रुकने का न्योता भी दिया। उसने यह भी कहा कि इस sms का ज़िक्र वो श्याम से भी ना करे।

उधर मालिनी ससुर की हरकत से अभी भी सकते में थी। कितनी बेशर्मी से उसने उसकी साड़ी में ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया था। वह बहुत शर्मिंदा थी कि जिस चीज़ पर सिर्फ़ उसके पति का हक़ है उसे कैसे वह इस तरह से दबा सकता है। उसकी आँखें शर्मिंदगी से गीली हो गयीं। वह बाथरूम गयी और मुँह धोकर बाहर आयी।

वह सोफ़े पर बैठ कर टी वी देख रही थी तभी राजीव अपनी योजना के अनुसार बाहर आया और उसके साथ उसी सोफ़े पर बैठा और मालिनी को एक लिफ़ाफ़ा दिया और बोला: लो बहु , इसको संभाल लो।

मालिनी: पापा जी ये क्या है?

राजीव: ये दो लाख रुपए का चेक है, जो तुमने माँगे थे ,शिवा के बिज़नेस के लिए। अब क्योंकि शादी कैन्सल हो गयी है तो पैसे बच गए ना फ़ालतू ख़र्चे से । इसलिए तुमको दे दिए।

मालिनी बहुत ही हल्का महसूस की क्योंकि इसको लेकर शिवा बहुत तनाव में था। अब ज़रूर वह ख़ुश होगा।वह बोली: थैंक्स पापा जी। इनको पा कर शिवा को बहुत ख़ुशी होगी।

राजीव हँसकर: तुम्हें सिर्फ़ शिवा की ख़ुशी की चिंता है, कुछ ख़ुशी मुझे भी तो दो।

मालिनी: आपको क्या ख़ुशी चाहिए।

राजीव ने उसका हाथ पकड़ा और उसको चूमते हुए बोला: मुझे तो बस एक चुम्बन ही दे दो। यह कहके वह साइड में झुका और उसका एक गाल चूम लिया।

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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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मालिनी एक पल के लिए हड़बड़ा गयी। तभी राजीव के फ़ोन की घंटी बजी। फ़ोन श्याम ने किया था। वह मन ही मन मुस्कुराया क्योंकि ये फ़ोन उसकी योजना के अनुसार ही आया था। वह मोबाइल मालिनी को दिखाकर बोला: तुम्हारे ताऊजी का फ़ोन है।

मालिनी थोड़ी परेशान होकर बोली: ओह, भगवान करे वहाँ सब ठीक हो। ताऊजी ने आपको क्यों फ़ोन किया है?

राजीव फ़ोन को स्पीकर मोड में रखा और बोला: लो तुम भी सुन लो , जो भी बात होगी।

मालिनी ध्यान से सुनने लगी।

श्याम:नमस्कार भाई साब कैसे हैं ?

राजीव: सब बढ़िया है आप सुनाओ।

श्याम: अरे भाई साब , मैंने फ़ोन स्पीकर मोड में रखा है और साथ ही सरला भी है।

सरला: नमस्ते भाई साब , आप कैसे हैं?

राजीव ने मालिनी को आँख मारी और चुप रहने का इशारा किया और बोला: अरे जान, आज बहुत दिन बाद हमारी याद आइ। हम तो धन्य हो गए।

सरला: हमारी रानी बेटी कैसी है? ख़ुश तो है ना?

राजीव मालिनी को आँख मारते हुए: अरे बहुत ख़ुश है और बहुत मस्त हो गयी है। उसका बदन मस्त ग़दरा गया है। देखते ही बनती है।

सरला: छी अपनी बहू के बारे में कुछ भी बोलते हो। कहीं उस पर भी बुरी नज़र तो नहीं डाल रहे हो?

मालिनी अपनी माँ की इस बात से बुरी तरह से चौकी। पर राजीव को मानो कुछ फ़र्क़ ही नहीं पड़ा और वह बोला: अरे नहीं नहीं, वो तो मेरी प्यारी बेटी है। उसपर कैसे बुरी नज़र डालूँगा। ये कहते हुए उसने मालिनी की एक जाँघ दबा दी।

मालिनी ने उसका हाथ वहाँ से हटा दिया।

श्याम: अच्छा हम दोनों कल आपके घर आने का प्रोग्राम बना रहे हैं। सरला का बहुत मन है मालिनी से मिलने का।

राजीव: सिर्फ़ उसी से मिलने का? और मुझसे मिलने का मन नहीं है?

सरला: अरे आपसे भी मिलने का मन है। असल में मैं श्याम जी से बोली हूँ कि हम कल शाम को आएँगे और बेटी और दामाद से मिल लेंगे, फिर रात में रुक जाते हैं। आप कोई ना कोई जुगाड़ तो बना ही लोगे रात में मज़ा करने का। ठीक बोली ना मैं?

मालिनी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया और वह वहाँ से जाने के लिए उठने लगी। पर राजीव ने उसके हाथ को पकड़कर उसे ज़बरदस्ती वहाँ बिठा दिया और उसके हाथ को पकड़े ही रखा।

राजीव: अरे क्यों नहीं मेरी जान, रात को तो चुदाई का मस्त जुगाड़ हो जाएगा। शिवा और बहु भी रात को १० बजे अपने कमरे में जाकर चुदाई में लग जाते हैं। हम तीनों भी मस्त चुदाई करेंगे रात भर।

सरला: छी अपने बेटे और बहु के बारे में ऐसी बात क्यों कर रहे हो। क्या उनको देखते रहते हो कि वो कमरे में क्या कर रहे हैं।

राजीव: अरे जवान जोड़ा अपने कमरे में और क्या करेगा। ये कहते हुए वह मालिनी को देखा और हंस दिया। अभी भी वो उसकी बाँह पकड़ा हुआ था और उसे सहला रहा था। मालिनी भी चुपचाप मजबूरी में अपनी माँ , ताऊजी और राजीव की बातें सुन रही थी। पर उसे एक अजीब सी उत्तेजना होने लगी थी और उसके निपल्ज़ कड़े हो गए थे ब्रा के अंदर।

श्याम: चलो फिर पक्का हुआ ना कल शाम को हम आ रहे हैं।

राजीव: पक्का हुआ और मेरी जान कल कुछ सेक्सी पहनना ।

सरला: अरे मैं बेटी और दामाद के घर सेक्सी कपड़े पहन कर आऊँगी क्या?

राजीव: अरे उनके सामने तो साड़ी ही पहन कर आना, पर रात को एक मस्त सेक्सी नायटी में अपना मस्त बदन दिखाना। और हाँ घर से पैंटी पहन कर मत आना।

श्याम: अरे भाई , अब इसने पैंटी पहनना बंद कर दिया है। मैंने आपकी इच्छा के मुताबिक़ इसकी पैंटी छुड़वा दी है। हा हा।

मालिनी सोचने लगी कि कितना खुलके ये सब गंदी बातें कर रहे है और अचानक ही उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हुई। उसे अपने आप पर खीज हुई कि वो इन बातों से गरम कैसे हो रही है!! छि ।

सरला: और अब ये जब चाहे साड़ी उठाकर सीधे टार्गट तक पहुँच जाते हैं। कहते हुए वह हँसने लगी और दोनों मर्द भी हंस पड़े।

श्याम: फिर भाई साब फ़ोन रखूँ?

राजीव: अरे यार इतनी जल्दी क्या है, इतने दिनों बाद तो फ़ोन किया है। आप दोनों लास्ट कब चुदाई किए?

सरला: अरे भाई साब , आजकल तो इनको रोज़ चाहिए। कल भी किए थे। आपने इनको बिगाड़ दिया है।

राजीव: हा हा अरे इसमें श्याम की कोई ग़लती नहीं है। तुम हो ही इतनी क़ातिल चीज़ जो देखकर ही लौड़ा हिलने लगता है। मेरा भी खड़ा हो गया है, तुमसे बात करके ही।

यह कहते हुए राजीव ने हद कर दी। उसने अपनी लूँगी एक साइड में की और चड्डी तो वो पहनता ही नहीं है घर में, इसलिए उसका लम्बा मोटा साँवला सा लौड़ा बाहर आ गया और वो उसे बेशर्मी से सहलाने लगा। मालिनी को बहुत ज़बरदस्त शॉक लगा और वह भौंचाक्की सी उसके लौड़े को देखती रह गयी। उसका साइज़ भी शिवा जैसा ही था और सुपाड़ा शिवा से भी ज़्यादा ही बहुत मोटा था। राजीव ने उसको अपने लौड़े को एकटक देखते हुए पाया और फ़ोन के स्पीकर पर हाथ रख के बोला: बहु पसंद आया हमारा? शिवा का भी ऐसा ही होगा। हमारा बेटा जो है। सही कहा ना?

मालिनी की तो जैसे साँस ही रुक गयी। पर उसकी बुर अब पानी छोड़ने लगी।

तभी सरला बोली: क्या हुआ भाई साब हिला रहे हैं क्या? जो अपनी आवाज़ आनी बंद हो गयी। और सरला और श्याम के हँसने की आवाज़ आने लगी।

मालिनी के कान में माँ की अश्लील बातें गूँज रही थी।और आँखों के सामने ससुर का नंगा लौड़ा था जिसे वो हिला रहे थे। उसकी तो जैसे बोलती ही बंद हो गयी थी।

राजीव अपना लौड़ा हिलाते हुए बोला: अरे हिलाते हुए भी तो बात कर सकता हूँ। मेरे मुँह में कौन से तुम्हारी चूचि घुसी हुई है जो बात नहीं कर पाउँगा। हा हा ।

सरला: कल आऊँगी तो कल वो भी आपके मुँह में घुसेड़ दूँगी।फिर देखती हूँ आपकी बोलती कैसे बन्द नहीं होती।

राजीव: सच जान, बहुत दिन हो गए तुम्हारी चूचि चूसे हुए। कल तो रात भर चूसूँगा।

सरला हँसते हुए: रात को मुँह में लेकर सो जाईएगा।

मालिनी की हालत अब ख़राब होने लगी थी।उसकी माँ ने इतनी अश्लील बातें करके उसे दुखी कर दिया था।

श्याम: कल रात तो मैं भी मुँह में लेकर सो गया था। हा हा ।

सरला: अरे तो क्या हुआ, मेरे पास दो दो हैं, एक एक आप दोनों मुँह में लेकर सो जाईएगा।

मालिनी अपनी माँ की इतनी अश्लील बातों से एकदम सन्न रह गयी थी और ऊपर से पापा जी अपना लौड़ा हिलाए जा रहे थे। राजीव ये सोचकर कि वो बहु की माँ से अश्लील बातें कर रहा है और बहु उसे सुन भी रही है और उसके लौड़े को भी देख रही है , वह बहुत उत्तेजित हो गया। फिर अचानक वह आऽऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगा। उसका पानी दूर तक ज़मीन में गिरे जा रहा था और वह ह्म्म्म्म्म्म आऽऽऽऽह कहकर मज़े से मालिनी को देख रहा था, जिसकी आँखें उसके लौड़े और उसमें से गिर रहे सफ़ेद गाढ़े वीर्य पर थीं।

राजीव ने फ़ोन पर हाँफते हुए कहा: आऽऽऽह मैं झड़ गया। अच्छा अब रखता हूँ।

सरला की भी हाऽऽय्यय की आवाज़ें आ रही थीं। वह बोली: ठीक है ये भी गरम हो गए हैं, मेरी साड़ी उठाकर अपना डालने जा रहे हैं। आऽऽऽऽऽह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ । रखती हूँ बाअअअअअअअइइइइ ।

मालिनी समझ गयी कि ताऊजी ने माँ को चोदना शुरू कर दिया है। अब तक राजीव भी अपनी पीठ टिकाकर सोफ़े पर झड़ा हुआ बैठा था। उसका लम्बा मोटा लौड़ा अभी भी आधा खड़ा हुआ था। अब उसने उसका हाथ छोड़ दिया था। मालिनी उठी और उसने महसूस किया कि उसके पैर काँप रहे हैं। वह ज़मीन पर गिरे हुए वीर्य से अपने पैरों को बचाते हुए अपने कमरे में पहुँची और बिस्तर पर गिर गयी। उसकी बुर पूरी गीली हो चुकी थी। उसने साड़ी और पेटिकोट उठाया और पैंटी में दो उँगलियाँ डालकर अपनी बुर को रगड़ने लगी। बुर के दाने को भी वो मसल देती थी ।बार बार उसकी आँखों के सामने पापा का लौड़ा आ जाता था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितने बड़े बॉल्ज़ थे पापा के। आऽऽह्ह्ह्ह्ह ।और क़रीब १० मिनट में वो बहुत ज़ोर से ऊँगली चलाते हुए झड़ने लगी।

थोड़ी देर बाद वह फ़्रेश होकर बाहर आइ और देखा कि राजीव वहाँ नहीं है। वह भी अपने कमरे में जा चुका था। उसकी नज़र ज़मीन पर पड़े हुए सूखे हुए वीर्य पर पड़ी। वह नहीं चाहती थी की नौकरानी उसे देखे , इसलिए वो एक पोछा लायी और ज़मीन पर बैठकर उसे साफ़ करने लगी। अचानक पता नहीं उसके मन में क्या आया कि उसने एक धब्बे को अपनी एक ऊँगली से पोंछा और उसे नाक के पास लाकर सूँघने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मादक ख़ुशबू थी। उसकी बुर फिर से गीली होने लगी। तभी उसे ख़याल आया कि वह ये क्या कर रही है, वो अपने आप से शर्मिंदा होने लगी और सफ़ाई करके अच्छी तरह से हाथ धोकर वापस खाना लगाने लगी। फिर उसने राजीव को आवाज़ लगाई: पापा जी खाना लगा दिया है। आ जाइए।

राजीव के कमरे का दरवाज़ा खुला और वह बाहर आया।

राजीव और मालिनी चुपचाप खाना खा रहे थे। राजीव ने ख़ामोशी तोड़ी और बोला: तुमने देखा कि आदमी और औरत के बीच में सेक्स का रिश्ता ही सबसे बड़ा रिश्ता है। तुम्हारी मॉ मेरी समधन है पर उससे बड़ा रिश्ता है हमारे बीच सेक्स के रिश्ते का। वैसे ही तुम्हारे ताऊ जी सरला के जेठ हैं पर उनके बीच भी चुदाई का ही रिश्ता सबसे बड़ा है। इसी तरह हम दोनों में भी ससुर बहु का रिश्ता है पर मैं चाहता हूँ की हमारे बीच भी मर्द और औरत का यानी चुदाई का रिश्ता भी हो जाए। बस इतनी सी बात है बहु रानी।

मालिनी: पापा जी, मैं नहीं जानती कि सच क्या है और क्या ग़लत , पर सच में मम्मी ने मुझे बहुत ठेस पहुँचाई है। मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह का व्यवहार या बातें कर सकती हैं। और ताऊजी भी ऐसे कर सकते हैं।

राजीव: बहु , जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे सेक्स की इच्छा भी बढ़ती है। यही हाल हम तीनों का है। अब कल हम दोनों तुम्हारी मम्मी को बहुत मज़ा देंगे। और वह भी हमें बहुत मज़ा देगी। इसी का नाम जीवन है बहु रानी। अब वह सोफ़े पर आकर बैठ गया। मालिनी टेबल से बर्तन हटा रही थी। जैसे ही वह उसके सामने से गुज़री , राजीव ने उसके हाथ को पकड़ा और बोला: जानती हो तुम्हारा सबसे सेक्सी अंग क्या है?

मालिनी चुपचाप खड़ी रही और उसकी ओर देखती रही। वह उसके मस्त चूतरों पर हाथ फेरकर बोला: ये है तुम्हारे बदन का सबसे हॉट हिस्सा। पर बहु तुम भी अपनी मम्मी की तरह पैंटी पहनना बन्द कर दो। तभी इसको छूने से मस्त माँस का अहसास होगा। यह कहके उसने एक बार फिर से उसके चूतरों को दबाया और फिर उसे जाने दिया।
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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मालिनी सिहर कर किचन में चली गयी। उसने सोचा कि आज एक दिन में ही बाप और बेटे ने उसे पैंटी ना पहनने को कहा। सुबह शिवा भी तो यही बोला था। उफफफफ कितनी समानता है दोनों में और दोनों के हथियारों में भी। वह मुस्कुराती हुई सोची कि पता नहीं कब तक वो बच पाएगी इस शिकारी से । फिर वह आकर सोफ़े पर बैठी और टी वी देखने लगी।

राजीव: कल तुम अपनी मम्मी से लड़ाई तो नहीं करोगी कि वह क्यों मुझसे चुदवाती है।ऐसा करोगी तो बेकार में माहोल ख़राब होगा।

मालिनी: नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी। अगर मम्मी को यह सब अच्छा लगता है तो मैं क्यों उनको इससे दूर रखूँ।

राजीव: शाबाश ये हुई ना समझदारी वाली बात। इस बात पर मैं तुम्हें एक गिफ़्ट देना चाहता हूँ। अभी लाया। यह कहकर वह उठकर अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर में वह वापस आया और उसके हाथ में एक छोटी सी डिब्बी थी। वह आकर उसे खोला और मालिनी ने देखा कि उसने एक सोने की चेन थी। वह हैरानी से उसे देखी तो वो मुस्कुराया और उस चेन को लेकर उसके पास आया और वह चेन उसने मालिनी के गले में डाल दी और पीछे जाकर उसका हुक लगाया । फिर आगे आकर उसकी उभरी हुई छातियों पर रखी चेन को ठीक किया। और यह करते हुए उसने उसकी छातियों को छू भी लिया। उसकी ब्लाउस में कसी हुई छातियाँ और उस पर रखी वो चेन बहुत सुंदर लग रही थी। मालिनी ने अपना मुँह नीचे किया और अपनी छाती में रखी चेन को देखा। फिर बोली: ये क्या है पापा जी, मुझे क्यों दे रहे हैं?

राजीव: बहु, ये मैं इसलिए दे रहा हूँ क्योंकि तुमने अभी कहा कि तुम अपनी मम्मी को कल मुझसे चुदवाने से मना नहीं करोगी। मेरे लिए ये बहुत बड़ी बात है। और देखो तुम्हारी छाती पर ये चेन कितनी सुंदर दिख रही है। जैसी मस्त छातियाँ वैसी ही मस्त चेन । उसने उसकी छातियों को घूरते हुए कहा।

मालिनी उसकी बात सुनकर लाल हो गयी और उठते हुए बोली: पाप जी थैंक्स, पर शिवा को मैं क्या बोलूँगी?

राजीव: तुम उसे कुछ नहीं बोलना, जो बोलना होगा, मैं ही बोलूँगा। ठीक है?

मालिनी जाते हुए बोली: ठीक है आप जानो।

अपने कमरे में आकर वह शीशे के सामने खड़ी हुई और अपनी छातियों पर रखी इस सुंदर चेन को देखकर वह ख़ुश हो गयी। उसने चेक देखा और ख़ुश हो गयी कि शिवा इसको देख कर बहुत ख़ुश हो जाएगा। फिर उसे याद आया कि पापा जी कैसे उसकी छाती को घूर रहे थे। पता नहीं आज उसे कुछ ख़ास बुरा नहीं लगा। आज जब वह उसे चेन पहना रहे थे तब भी उनकी आँखों में उसे ढेर सारा प्यार दिखाई दिया था। फिर वह सोची कि पापा जी उतने भी बुरे नहीं है शायद जितना मैं समझ रही हूँ। शीशे में अपने आप को देखते हुए उसने अपनी गोलाइयों को सहलाया और सोची कि आख़िर ये हैं ही इतने सुंदर , अब बेचारे पापा जी भी क्या करें! आख़िर उनका भी दिल आ ही गया है इस सुंदरता पर। वह शीशे में अपने सुंदर रूप को देखकर मुस्करायी। फिर वह पीछे को मुड़ी और अपने पिछवाड़े को देखी और वहाँ हाथ फेरी और सोची कि सच में ये हिस्सा उसका अब बहुत ही मादक हो गया है। पतली कमर पर ये उभार सच में बहुत कामुक लगते होंगे पापा जी को। फिर उसका हाथ पैंटी के किनारों पर पड़ा और उसे याद आया कि आज तो दोनों बाप बेटे उससे अनुरोध कर चुके हैं कि पैंटी मत पहना करो। वह मुस्करायी और शरारत से अपनी साड़ी और पेटिकोट उठायी और पैंटी निकाल दी ।अब उसने अपने पिछवाड़े को देखा और वो समझ गयी कि इससे क्या फ़र्क़ पड़ा है। अब उसके चूतर खुल कर इधर उधर डोलने को स्वतंत्र थे। साथ ही अब उसे पैंटी के किनारे की लकीरें भी नहीं दिखाई दे रही थी। वह अब सोची कि देखें कौन पहले नोटिस करता है बाप या बेटा कि उसने पैंटी नहीं पहनी है। और मज़े की बात ये है कि वो दोनों सोचेंगे कि यह मैंने उनके कहने पर ही किया है। वह सोची कि यह उसे क्या हो रहा है? वो इस तरह के विचारों से ख़ुश क्यों हो रही है? इतना बड़ा परिवर्तन? ऐसा क्यों भला हो रहा है? वह फिर से उलझन में पड़ गयी। इसी उधेड़बन में वह सो गयी।

राजीव अपने कमरे में आकर अब तक की घटनाओं का सोचा और मन ही मन में मुस्कुराया। वो जानता था कि बहु का विरोध अब कम हो रहा है। और आज की सेक्स चैट जो उसने श्याम और सरला से की थी। उसका असर बहु पर ज़रूर पड़ेगा। ऊपर से उसने चेक और चेन देकर उसे काफ़ी ख़ुश कर दिया है। वह सोचने लगा कि कल जब रात को सरला से सेक्स होगा तो कोई तरीक़े से बहु को अपनी चुदाई दिखा दे। फिर वह सोचा कि ये तो बिलकुल सीधे बात करके भी किया जा सकता है। वह फिर से मुस्कुरा उठा। फिर वह भी सो गया।

शाम को जब मालिनी कमला से काम करवा रही थी तो उसने महसूस किया कि बिना पैंटी के उसे थोड़ा सा अजीब सा लग रहा था । पर वो सहज भाव से अपना काम की और फिर राजीव को चाय के लिए आवाज़ दी। राजीव बाहर आया और दोनों चाय पीने लगे। कमला किचन में काम कर रही थी ।

राजीव: नींद आइ या उलटा पुल्टा ही सोचती रही?

मालिनी: मैं सो गयी थी। कुछ नहीं सोची।

राजीव: बढ़िया । मैं सोचा कि कहीं मम्मी का सोचकर परेशान तो नहीं हो रही थी?

मालिनी: उन्होंने मुझे दुखी तो किया ही है, पर क्या किया जा सकता है? आख़िर वो अपनी ज़िंदगी अपनी इच्छा से जीने का हक़ तो रखतीं है।

राजीव ख़ुश होकर: वह बहु , तुम तो एकदम परिपक्व व्यक्ति के जैसे बात करने लगी। मुझे ये सुनकर बड़ी ख़ुशी हुई।

मालिनी उठी और चाय के कप लेकर जाने के लिए मुड़ी और तभी एक चम्मच नीचे गिर गया। जैसे ही वह उसे उठाने को झुकी , इसकी बड़ी गाँड़ साड़ी में लिपटी राजीव के सामने थी और उसने नोटिस कर ही लिया कि वह पैंटी नहीं पहनी है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या उसने उसके अनुरोध को इतनी जल्दी स्वीकार कर लिया? उसका लौड़ा खड़ा होने लगा। अब वह चम्मच उठाकर किचन में चली गयी और काम में लग गयी

राजीव वहाँ बैठा कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा। और जब वह चली गयी तो वह किचन में गया और जाकर सब्ज़ी बना रही मालिनी के पीछे आकर खड़ा हो गया। इसके पहले कि मालिनी पलट पाती उसने उसके चूतरों पर दोनों हाथ रख दिए और वहाँ सहलाते हुए बोला: थैंक्स जान , तुमने पैंटी उतार दी। सच में अभी तुम्हारी गाँड़ मस्त मटक रही है।

मालिनी थोड़ी सी परेशान होकर बोली: पापा जी , प्लीज़ छोड़ दीजिए ना। क्या कर रहे हैं?

राजीव: अरे क्या कर रहा हूँ, बस पैंटी के बिना तुम्हारे बदन का अहसास कर रहा हूँ। अब वह और ज़ोर से उसकी गाँड़ दबा कर बोला।

मालिनी: आऽऽंह पापा जी दुखता है ना? प्लीज़ हटिए यहाँ से।

राजीव हँसकर वहाँ से बाहर आते हुए बोला: बहु आज तुमने पैंटी उतार कर सच में मेरा मन ख़ुशियों से भर दिया।

उसके बाहर जाने के बाद मालिनी ने सोचा कि इनको तो पता चल ही गया कि वो पैंटी नहीं पहनी है। इसका मतलब है कि पापा का ध्यान हर समय उसके पिछवाड़े पर ही रहता है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या अजीब सी स्तिथि बनती जा रही है।

रात को शिवा आया और मालिनी ने दरवाज़ा खोला और वह उसके पीछे पीछे घर जे अंदर आया। उसने भी नोटिस किया कि मालिनी के चूतर आज ज़्यादा ही हिल रहे हैं। जैसे ही वह कमरे में पहुँचा , उसने दरवाज़ा बंद किया और मालिनी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूमते हुए उसकी कमर सहलाने लगा और फिर जब वह उसके चूतरों को सहलाने लगा तभी उसे भी पैंटी ना होने का अहसास हो गया। वह ख़ुश होकर पूरी तरह से उसके कोमल और गोल चूतरों को दबा कर मस्ती से भर कर बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽन तुमने मेरी बात मान ली और पैंटी उतार दी, थैंक्स बेबी। सच में मस्त लग रहा है तुम्हारे चूतरों को दबाना।

मालिनी मन ही मन मुस्करायी कि जैसा बाप वैसा ही बेटा। दोनों का ध्यान उसके पिछवाड़े पर ही रहता है। आज मालिनी भी गरम थी तो जल्दी ही दोनों मस्त हो गए और शिवा ने उसकी साड़ी और पेटिकोट उठाकर उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया और उसको चूसने लगा। मालिनी उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ करके उसके सिर को अपनी जाँघों के बीच दबाने लगी । जल्दी ही शिवा ने उसकी बुर में अपना लौड़ा पेला और चोदने लगा। मालिनी भी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। क़रीब बीस मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद दोनों लस्त होकर पड़ गए। फिर मालिनी ने शिवा को वह चेक दिया और शिवा ख़ुशी से भर गया। उसने मालिनी को चूमा। फिर मालिनी उठकर वह चेन लाई और बोली: पापा जी ने ये चेन आज मुझे उपहार में दी है।

शिवा: ये सच में बहुत सुंदर है। किस ख़ुशी में उन्होंने तुमको उपहार दिया उन्होंने?

मालिनी: वो बोले तुम बहुत अच्छा खाना बनाती हो। इसलिए यह उपहार दिया है।

शिवा: वो तो सच में बनाती हो, काश मैं भी तुमको कोई महँगा उपहार दे पाता।

मालिनी उससे लिपट गयी और बोली: आपका प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार है। और फिर उसके लौड़े को दबाकर बोली: और ये भी तो है ना मेरा असली उपहार जो मुझे बहुत ख़ुशी देता है।

शिवा और मालिनी दोनों हँसने लगे। दिर वो बोली: चलो डिनर करते हैं। आप भी पापा जी को चेक देने के लिए थैंक्स कर दो।

डिनर करते हुए शिवा ने कहा: पापा जी थैंक्स, चेक के लिए । अब मुझे दुकान की शॉपिंग के लिए मुंबई जाना होगा। दो दिन तो लग ही जाएँगे। मैं लिस्ट बनाता हूँ और फिर कुछ दिनों में होकर आता हूँ।

राजीव : हाँ क्यों नहीं, इतना एडवाँस दोगे तो वो ५/६ लाख का तो सामान दे ही देंगे। ठीक है प्लान कर लेना। वैसे कल बहु की माँ और ताऊजी भी आ रहे हैं। कल शाम को ज़रा जल्दी आ जाना। उनके साथ बाहर खाना खा लेंगे। रात को वह लोग यहीं रुकेंगे।

शिवा: वाह ये तो बड़ी अच्छी बात है, मालिनी तो बहुत ख़ुश होगी। है ना मालिनी?

मालिनी: हाँ ख़ुश तो हूँ, पर मेरे से ज़्यादा तो पापा जी ख़ुश हैं । है ना पापा जी? उसने कटाक्ष किया ।

राजीव भी तो चिकना घड़ा था उसे कौन सा कोई फ़र्क़ पड़ता है। वह बोला: अरे मेरी ख़ुशी तो बहु की ख़ुशी में है। यह कहकर उसने शिवा की आँख बचाकर बहु को आँख मार दी। मालिनी ने चुपचाप सिर झुका लिया।

शिवा: पापाजी आपने बहुत सुंदर चेन दी है मालिनी को। सच में वह खाना बहुत अच्छा बनाती है।

राजीव समझ गया कि बहु ने ये कारण बताया है शिवा को चेन देने का। वह मुस्कुराकर बोला: हाँ सच में बहुत स्वाद है वो मतलब उसका बनाया खाना। उसने फिर से बहु को आँख मार दी।

खाने के बाद राजीव उठते हुए बोला: बहु , मुझे एक ग्लास गरम दूध देती जाना।

मालिनी: जी पापा जी अभी गरम करके देती हूँ।

शिवा अपने कमरे में चला गया और मालिनी दूध गरम करते हुए सोची कि पापा को दूध की क्या सूझी? ज़रूर कोई शरारत करेंगे अपने कमरे में एकांत में। वह ग्लास लेकर राजीव के कमरे में पहुँची और दरवाज़ा खटखटाया।

राजीव: आओ बहु अंदर आ जाओ। जैसे ही वह अंदर पहुँची वह बोला: मेरे कमरे में आने के लिए दरवाज़ा खटखटाने की ज़रूरत नहीं है। और वैसे भी मैंने तुमको अपना सब कुछ तो दिखा ही दिया है। वह अपने लौड़े को मसल कर आँख मारते हुए बोला।

मालिनी कुछ नहीं बोली और ग्लास को साइड टेबल पर रखने लगी। जब वह पलटी तो उसके सामने राजीव खड़ा था। वह इसके पहले कुछ समझ पाती उसने उसे अपनी बाहों में दबोच लिया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए। वह उसे चूमे जा रहा था और मालिनी चुपचाप खड़ी उसको देख रही थी और अपनी तरफ़ से कोई सहयोग नहीं कर रही थी।

जैसे ही उसने उसका मुँह छोड़ा वह बोली: पापा जी प्लीज़ मुझे जाने दीजिए।

राजीव उसे अपने से चिपकाए हुए था। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसकी चौड़ी छाती में जैसे चिपक सी गयीं थीं। वह अपने हाथ अब उसके चूतरों पर फिराया और बोला: बहु पैंटी ना पहनकर तुमने मुझे बहुत ख़ुश किया है। अब एक ख़ुशी और दे दो।

मालिनी : क्या पापा जी?

राजीव: जब तुम सुबह नायटी में आती हो तो तुम एक पेटिकोट भी नीचे से पहनती हो। आख़िर क्यों? सविता भी नायटी पहनती थी पर उसने कभी नीचे पेटिकोट नहीं पहना। उसकी मस्तानी गाँड़ जब मटकती थी तो मैं तो जैसे दीवाना हो जाता था। और यहाँ तुम पेटिकोट पहनकर अपने पिछवाड़े का पूरा सौंदर्य ही समाप्त कर देती हो। शिवा कुछ नहीं कहता तुमको?

मालिनी: वह तो सोते रहते हैं , उनको क्या पता मैं पहनती हूँ या नहीं।

राजीव: अरे रात को तो तुम नायटी पहनती होगी उसके सामने।

मालिनी का चेहरा लाल हो गया और वह बोली: रात को तो वो मुझे कुछ नहीं मतलब बिलकुल बिना कपड़े मतलब - चलिए अब जाने दीजिए ना प्लीज़।

राजीव: अरे मतलब तुमको पूरी नंगी रखता है। वह ये तो मुझसे भी बड़ा बदमाश है। हा हा ।

मालिनी: प्लीज़ पापा जी , अब जाने दीजिए ना।

राजीव: अभी चली जाओ, बस कल नीचे पेटिकोट मत पहनना। ठीक है?

मालिनी: देखूँगी पर अभी जाने दीजिए। वह सोचेंगे कि मैं इतनी देर क्यों लगा रही हूँ।

राजीव ने उसको छोड़ दिया और वह जब जाने लगी तो वह पीछे से बोला: बहु पेटिकोट नहीं प्लीज़ । ओके ?

मालिनी बाहर जाते हुए पीछे मुड़कर बोली: पापा जी गुड नाइट ।

राजीव: गुड नाइट बेबी।

पता नहीं क्यों राजीव को ऐसा लगा कि बहु की आँखों में एक शरारत भरी मुस्कान थी, हालाँकि वह पक्की तरह से नहीं कह सकता।
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