बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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मालिनी चारु के पास आकर खड़ी हुई और बोली: अच्छा लग रहा है ना अब ?

चारु: हाँ अब अच्छा लग रहा है आआईईइ ।

तभी राजीव मुस्कुराकर मालिनी को बोला: बहू तुम भी घूम जाओ और अपनी मैक्सी उठाओ और अपनी गाँड़ दिखाओ।

मालिनी मुस्कुराती हुई बोली: क्या हुआ पापा ? आपको पता है ना मुझे सब मना है।

राजीव : अरे बहु मैक्सी तो उठाओ देखें तुम्हारी गाँड़ का क्या हाल है? बच्ची तो तुमने चूत से जनी है गाँड़ तो सलामत होगी। दिखाओ तो ज़रा।

मालिनी हँसकर घूम गयी और अपनी मैक्सी उठाकर बोली: पापा मैंने डॉक्टर से पूछा था कि क्या पीछे ले सकती हूँ तो वो बोली थी कि नहीं क्योंकि पीछे लेने से भी चूत पर अंदरूनी दबाव तो पड़ेगा ही। अब आगे आप देख लो।

राजीव उसकी गोल गोल गाँड़ को सहला कर बोला: आऽऽऽह बहू मस्त हो गयी है तुम्हारी गाँड़। अच्छी भर गयी है। फिर वो उसकी गाँड़ को फैलाकर बोला: बहू ह्म्म्म्म्म्म्म क्या मस्त छेद है । वो छेद पर उँगली फेर कर मस्ती से बोला। उसकी एक ऊँगली अभी भी चारू की गाँड़ में ही थी।

राजीव: बहू ज़रा लूब देना तो ।

मालिनी ने उसे लूब दिया और वो अपनी दो उँगलियों में लूब लगाकर मालिनी की गाँड़ में पहले एक ऊँगली डाला और उसे धीरे से अंदर किया। मालिनी आऽऽऽऽह कर उठी। अब वो दूसरी ऊँगली भी डाला और अब मालिनी की उइइइइइइइइ निकल गयी।

राजीव: बहू चूत में कुछ दबाव महसूस हो रहा है क्या?

मालिनी: आऽऽऽऽह पापा अभी नहीं हो रहा है। दो उँगलियों से थोड़े कुछ होगा। पर हाँ आपका मोटा लौड़ा अंदर डालोगे तो चूत पर दबाव ज़रूर पड़ेगा।

अब राजीव एक हाथ से चारु की गाँड़ में एक ऊँगली और मालिनी की गाँड़ में दो ऊँगली करने लगा।

उधर शिवा सरला की गाँड़ पूरे ज़ोर से मार रहा था और सरला अब फिर से आऽऽऽऽऽऽऽह बेटाआऽऽऽऽऽऽऽ फ़ाआऽऽऽऽऽड़ देईएएईएएईए मेरीइइइइइइइ गाँड़ चिल्ला रही थी।

तभी मुन्नी की नींद आवाज़ों से खुली और वो बाहर आकर राजीव के बेडरूम की खिड़की के पास आकर हल्का सा पर्दा हटाई और उसकी साँसे मानो थम गयीं। उफ़्फ़्फ क्या दृश्य था। उसका जीजू अपनी सास की गाँड़ मार रहा था और उसकी चाची मज़े से चिल्ला रही थी। उधर अंकल अपनी बहू की गाँड़ में ऊँगली कर रहे थे और बहू मज़े से अपनी मैक्सी उठाकर अपनी गाँड़ नंगी करके मज़ा ले रही थी। और उसकी बहन भी पूरी नंगी पड़ी थी और अंकल से वो भी अपने गाँड़ में उँगली करवा रही थी। चारु पीठ के बल लेटे हुए अंकल से करवट लेकर चिपकी हुई थी और साफ़ दिख रहा था कि वो हल्के हल्के से अपनी गाँड़ हिलाकर अपना मज़ा बयान कर रही थी। अंकल की उँगली उसकी चिकनी गाँड़ में अंदर बाहर हो रही थी। और उधर मालिनी भी अपनी गाँड़ हिलाकर अपने आनंद का इजहार करने लगी। उसकी गाँड़ में भी उसके ससुर की दो उँगलियाँ आराम से जा रहीं थीं।

मुन्नी मस्ती में आकर अपने पाजामा को नीचे करी और पैंटी में हाथ डालकर अपनी बुर सहलाती हुई अचानक अपने मुँह में एक ऊँगली डाली और उसे गीली करके अपनी गाँड़ के छेद में डालने की कोशिश करने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितनी जलन हो रही है एक ऊँगली डालने में वो सोची और यहाँ चाची शिवा का मोटा मूसल क्या मज़े से ले रही हैं ।उसने ज़बरदस्ती एक ऊँगली अंदर डाली अपने टाइट चिकनी गाँड़ के छेद में और वो अपनी सिसकी दबाकर मस्ती से भर गयी जब वो ऊँगली अंदर करने में सफल हो गयी। अब वो आऽऽऽऽऽहहह करके उसे अंदर बाहर करके मस्ती से भरने लगी।

अंदर का दृश्य अब भी उतना ही मादक था। तभी शिवा ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। और वो सरला के ऊपर गिर सा गया। फिर वो पलट कर पीठ के बल होकर लेटा और सरला की गाँड़ से उसका सफ़ेद रस बाहर आने लगा।

राजीव ने चारु की गाँड़ से ऊँगली निकाली और उसे सूँघते हुए बोला: ह्म्म्म्म मस्त गंध है बेटी। अच्छा चारु बेटी देखो सरला की गाँड़ से शिवा का रस कैसे बाहर आ रहा है। जाओ चाट कर चाची की गाँड़ साफ़ कर दो।

चारु की आँख वासना से लाल हो रही थीं। वो उठकर अपनी चाची की उठी हुई गाँड़ के पास आयी और जीभ से उसकी गाँड़ से निकालता हुआ सफ़ेद रस चाटकर पीती हुई मस्ती से भरने लगी। मुन्नी की आँख फैल गयीं थीं । ये क्या हो गया है दीदी को ? कितने मज़े से चाची की गाँड़ चाट रही हैं। जीजू का पूरा रस पी रही है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आऽऽऽऽह कहकर वो अपनी गाँड़ में ऊँगली करके मस्त होती गयी। चूत भी पूरी बह रही थी। क्या गरम हो चुकी थी उसकी प्यारी सी छोटी सी कुँवारी मुनिया भी।इसके साथ ही वो भी झड़ने लगी।

उधर राजीव मालिनी को बोला: बहू मज़ा आ रहा है?

मालिनी: आऽऽऽह पापा अब लगता है लूब सूख गया है अब जलन सी हो रही है। रहने दीजिए बस करिए।

राजीव ने अच्छा बहू कहकर जब अपनी ऊँगलियाँ निकाली तो पककक्क सी आवाज़ के साथ मालिनी की गाँड़ का छेद फिर से बंद हो गया। राजीव ने अपनी उँगलियाँ सूँघी और बोला: दोनों बहनों की गाँड़ की गन्ध एकदम एक जैसी है।

इस पर सब हँसने लगे और मालिनी ने अपनी मैक्सी नीचे की और बोली: चलो अब सोना नहीं है क्या ? मुझे तो नींद आ रही है। जिसे मेरे साथ सोना है आ जाए। शिवा बोला : चलो मैं फ़्रेश होकर आता हूँ।

चारु उठते हुए बोली: अंकल मैं तो अपने कमरे में जा रही हूँ।

राजीव: सरला तुम यहीं मेरे पास सो जाओ।

सरला हँसकर: एक शर्त पर कि अब आप कोई शरारत नहीं करेंगे।

राजीव: अरे ये दोनों बहिनों ने मुझे दो बार झाड़ दिया है। अब औक़ात नहीं है और कुछ करने की।

सरला: और आपके बेटे ने तो एक राउंड में ही मेरे तीनों छेद घायल कर दिए हैं ।

इस पर सब हंस पड़े और फिर उस रात कुछ ख़ास नहीं हुआ। मुन्नी चारु के आने के पहले ही अपने बिस्तर पर आ कर सो गयी।
राजीव सोते हुए नीरज के बारे में सोचा कि जल्दी ही उसे बुलाने का समय आ रहा है। आज वो अपने आप को थका सा महसूस कर रहा था। सरला के जाने के बाद मालिनी और उसकी दो कमसिन जवानियों को सम्भालना अब उसके बस की बात नहीं थी। वैसे भी दिन में शिवा तो दुकान में ही रहेगा।

तभी उसे याद आया कि मुन्नी की बुर का उद्घाटन का भी समय आ गया है। वो शिवा से अपनी नथ उतरवाना चाहती है। इसका भी इंतज़ाम करना होगा।

यह सोचते हुए उसकी आँख लग गयी ।

अगली सुबह राजीव उठा तो सरला बिस्तर पर नहीं थी। वो उठा और फ़्रेश होकर बाहर ड्रॉइंग रूम में आया । वहाँ सरला और मालिनी चाय पी रहे थे। सरला उसके लिए भी चाय निकाली और बोली: नींद तो मस्त आयी आपको। सुबह मैं जब उठी तो लगता है आप मस्त सपना देख रहे थे और आपका पूरा खड़ा था और लूँगी से बाहर भी आ गया था।

मालिनी हँसकर: यही हाल शिवा का भी था । उसने जो हाफ़ पैंट पहनी थी उसमें से उसका सुपाड़ा बाहर आकर झाँक रहा था। मैंने उसे दबाया तो वो उठ गए । मैंने कहा कि सपने में किसे चोद रहे थे। तो वो हँसकर करवट लेकर फिर सो गए।

सरला हँसते हुए: बाप बेटा एक जैसे हैं । हर वक़्त खड़ा किए रहते हैं।
तभी सरला का फ़ोन बजा और वो बोली: लो एक और साँड़ उठ गया। हेलो राजेश कैसे हो बेटा?

राजेश:—

सरला: हाँ हाँ मैं भी तुमको बहुत मिस कर रही हूँ बेटा।
राजेश-

सरला: हाँ हाँ बस तुम प्लान के हिसाब से लेने आ जाना। अरे बेटा बस अब तीन चार दिन की ही तो बात है। मेरे राजा बेटा अप्सेट नहीं होओ । हम जल्दी मिलेंगे। अच्छा बाई । लव यू ।

फ़ोन काट कर सरला: ये भी मेरे बिना एक दिन भी नहीं रह सकता। बिलकुल पागल है मेरे पीछे।

राजीव उसकी जाँघ दबाकर बोला: अरे जानू तुम चीज़ ही ऐसी हो कितुमको सब खा जाना चाहते हैं । वह उसके गाल चूमते हुए बोला।

मालिनी: पापा आप मेरी मम्मी को खा मत जाना।

इस बात पर सब हँसने लगे। अब मालिनी बोली: मै मुन्नी को उठाती हूँ। उसको स्कूल जाने का है।

सरला: चलो मैं भी उसका टिफ़िन बना देती हूँ।

मुन्नी आँख मलती हुई मालिनी के साथ बाहर आई और बाथरूम चली गयी।

बाथरूम से आकर वो सोफ़े पर बैठने लगी तो राजीव ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके गाल चूमकर बोला: नींद खुली या नहीं ?

मुन्नी: अंकल बिलकुल मन नहीं है स्कूल जाने का । प्लीज़ आज दीदी को बोल कर छुट्टी दिलवा दीजिए ना।

राजीव ने उसे गोद से उतारा और अपने बग़ल में बिठा लिया ।

मालिनी आयी तो राजीव बोला: बिटिया आज स्कूल नहीं जाना चाहती बोलो क्या कहती हो?

मालिनी जो कि सामने बैठी थी, चाय पीते हुए: बिलकुल छुट्टी नहीं मिलेगी स्कूल तो जाना ही होगा। चलो तय्यार हो।

अचानक मालिनी की नज़र उसके स्कर्ट के ऊपर पड़ी। वो बोली: अरे रात में तो तुमने पाजामा पहना था ये स्कर्ट कब पहन लिया। मुन्नी क्या बताती कि रात को पाजामा गीला हो गया था तो उसने उसे बदलकर स्कर्ट पहन लिया था। वो बोली: वो दीदी गरमी लग रही थी ना इसलिए बदल लिया था।

अब राजीव उसकी पीठ सहलाया और बोला: बिटिया दीदी नहीं पिघल रही है चलो तय्यार हो जाओ।

मुन्नी ने अपना पैर शायद फैलाया और तभी मालिनी की आँख उसकी स्कर्ट के अंदर गयी और वो देखी कि मुन्नी ने पैंटी नहीं पहनी है।उसकी चिकनी छोटी सी बुर बहुत सुंदर दिख रही थी। वो सोची कि उफ़्फ़्फ़्फ ये लड़की भी ना- शायद ज़्यादा ही गरम हो रही है। वो सोची कि इस घर में जहाँ बाप बेटा इतने हॉर्नी हैं इसका क्या हाल होगा?

उसे अभी पता नहीं था कि उसका अपना ही पति कल ही इस छोटी सी मस्त कमसिन जवानी की कुँवारी बुर की धज्जियाँ उड़ाने वाला है।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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thanks all
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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मुन्नी नहा कर तय्यार होकर स्कूल ड्रेस में बहुत प्यारी लग रही थी । सरला उसको नाश्ता कराई और डिब्बा देकर बोली: बेटी तेरी कल छुट्टी है ना?

मुन्नी: जी चाची ।

सरला: फिर शिवा को बता दूँ कि आज रात वो तेरी सील तोड़ देगा।

मुन्नी के गाल गुलाबी हो गए और वो शर्मा कर हाँ में सिर हिला दी। सरला ने ख़ुशी से उसके गाल चूम लिए।

तभी राजीव भी अपने कमरे से फ़्रेश होकर आया और मुन्नी के गाल चूमकर बोला: वाह बिटिया स्कूल के लिए रेडी?

सरला: सिर्फ़ स्कूल के लिए ही नहीं बल्कि रात जो शिवा से चुदवाने के लिए भी रेडी ।

राजीव उसके बग़ल में बैठा और उसकी जाँघ को स्कर्ट ऊपर करके सहलाया और मुन्नी ने भी मस्ती में अपनी टाँगें खोल दीं। राजीव उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से दबाकर: वाह तो आज इसकी सील टूट ही जाएगी। सरला आज रात को एक स्पेशल प्रोग्राम करो इसको लड़की से औरत बनाने का।

मुन्नी शर्मा कर खड़ी हुई और राजीव का हाथ हटाकर : आऽऽह अंकल अभी नहीं प्लीज़। स्कूल से आने के बाद जो करना हो कर लीजिएगा।

राजीव ख़ुश होकर: ठीक है बिटिया जाओ । ऑल दी बेस्ट । वह उसके सिर को झुका कर उसके होंठ चूमकर बोला।

मुन्नी हँसती हुई बाई कहकर बाहर को भाग गयी ।

मुन्नी के जाने के बाद मालिनी किचन से बाहर आयी और राजीव को नाश्ता देकर बोली: मुन्नी गयी?

राजीव: हाँ चली गयी और रात को शिवा से सील तुड़वाने को भी तय्यार हो गयी है। रात को जश्न होना चाहिए।

तभी शिवा भी बाहर आया और उसके कान में जश्न शब्द पड़ा तो पूछा: कैसा जश्न?

राजीव: अरे बढ़िया पार्टी होनी चाहिए।

शिवा खड़े खड़े ही एक सेब खाता हुआ बोला: किस ख़ुशी में ?

मालिनी हँसकर: आपकी और मुन्नी की सुहाग रात की ख़ुशी में।

शिवा : वाऽऽह सच क्या आज मुन्नी मुझसे चुदवाएगी? आप लोगों ने उसकी मर्ज़ी जान ली है ना?
ये कहते हुए उसने अपने तनाव में आ रहे लंड को लोअर के ऊपर से दबा दिया। सबने देखा कि वहाँ एक अच्छा ख़ासा तंबू बन गया था।

राजीव: हाँ हाँ वो एकदम तय्यार है । वो आज रात चुदवाएगी क्योंकि कल परसों स्कूल में छुट्टी है। सो अगर लँगड़ा कर भी चली तो घर में रहेगी।कोई और दिन चुदवाएगी तो स्कूल में सब पूछेंगे कि किससे चुदी?

शिवा: वाह बड़ी तगड़ी प्लानिंग की है मुन्नी ने।

मालिनी: फिर जश्न का क्या हुआ?

सरला: ठीक है मुन्नी को मैं तय्यार कर दूँगी रात के लिए।

मालिनी: मैं रात का खाना बाहर से मँगा लूँगी।

राजीव: मैं बढ़िया वाइन ले आऊँगा। सब मस्ती में झूमेंगे।

शिवा: अरे वाह आप सबने तो कुछ ना कुछ करने की प्लानिंग कर ली। मैं क्या करूँ?

मालिनी: आप अपना लंड तय्यार रखो मुन्नी की टाइट चूत के लिए। ये कहते हुए उसने लोअर के ऊपर से उसके आधे खड़े लंड को दबा दिया।

इस बात पर सब हँसने लगे।

शिवा नाश्ता करके अपने कमरे में जाकर दुकान जाने के लिए तय्यार होने लगा। तभी मालिनी अंदर आयी। वो अभी सिर्फ़ एक चड्डी में था और उसका लौड़ा अभी भी रात को मुन्नी की कुँवारी मुनिया का सोचकर खड़ा था। मालिनी आकर इसका लौड़ा दबाकर बोली: मैं एक सुंदर सा हार आपको दूँगी जो पापा ने मुझे दिया है। आप उसे मुन्नी को पहना देना। वो ख़ुश हो जाएगी।

शिवा: थैंक्स डार्लिंग पर बेचारी चारु को कोई गिफ़्ट नहीं मिली आख़िर वो भी तो पापा से चुदवाई थी।

मालिनी: ठीक है मैं उसे भी पापा से कुछ दिलवा दूँगी।

अचानक शिवा ने मालिनी को अपनी बाँह में लेकर पूछा: जानू तुम ग़ुस्सा तो नहीं हो? ये जो सब चारु या मुन्नी के साथ हो रहा है?

मालिनी: नहीं वैसे मुझे ख़ुशी है कि घर की बात घर में ही है । वरना ये अपनी जवानी बाहर में दूसरों को लुटातीं। जो हो रहा है सही हो रहा है। मैं बहुत ख़ुश हूँ कि आपको और पापा को मेरी कमी नहीं खल रही है।

अब शिवा मालिनी के होंठ चूसने लगा और उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ दबाने लगा। थोड़ी देर बाद मालिनी बोली: दुकान नहीं जाना है क्या? फिर उसके लौड़े को सहला कर बोली: चूस दूँ क्या अभी?

शिवा: आऽऽऽह नहीं रात के लिए माल इकट्ठा करता हूँ। ठीक है ना?

मालिनी हँसकर बाहर चली गयी।

बाहर अब चारु नहा कर आ गयी थी। राजीव उसे भी अपनी गोद में बिठाकर बोला: आज तुम्हारी बहन की नथ शिवा उतारेगा । ठीक है ना? तुम शिवा से गिफ़्ट लेना मुन्नी की नथ उतराई की।

चारु ने अपनी गाँड़ के नीचे राजीव के आधे खड़े लौड़े का अहसास किया और बोली: आऽऽह आपने भी तो मेरी नथ उतारी थी, मुझे क्या दिया?

राजीव उसकी चूचियाँ दबाकर: बिलकुल सही कहा तुमने। आज मैं ये उधारी भी चुका दूँगा। वो अब उसकी सलवार के अंदर हाथ डाला और पैंटी के अंदर से उसकी बुर को सहलाकर बोला: उफ़्फ़्फ़्फ क्या मस्त बुर है हमारी रानी बिटिया की।

तभी सरला किचन से आयी और बोली: उफ़्फ़्फ आप भी ना । छोड़िए उसे अभी कोलेज जाने दीजिए। रात को ये सब कर लीजिएगा।

राजीव: रात को क्यों। ये दोपहर को वापस आएगी तभी कर लूँगा।

तभी मालिनी आयी और बोली: नहीं आज दोपहर को कोई मस्ती नहीं होगी। सब लोग अपना अपना माल बचा कर रखो रात के लिए। ऐसा शिवा बोले हैं अभी।

इस बात को सबने मज़े से सुना और हँसने लगे।

चारु सबको प्यार करके चली गयी। शिवा भी दुकान चला गया।

राजीव मालिनी को अपनी गोद में बिठा कर बोला: अब जल्दी से अपनी चूत ठीक कर लो। जो मज़ा अपनी बहू को चोदने में है ना वो किसी और में नहीं। वो उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ दबाकर बोला।

सरला: मालिनी सच में तुम बहुत क़िस्मत वाली हो जो तुमको इतना प्यार करने वाला ससुर मिला है।

मालिनी : पापा, मुन्नी और चारु को गिफ़्ट देना चाहिए।

राजीव हँसकर : बेटी आज मैंने काफ़ी बड़ा बजट बनाया है सबके लिए। देखो तुम भी तो मुझे दादा बनाई हो तुमको भी मुझे कुछ देना चाहिए ना।

सरला सामने बैठी थी वो हँसी और बोली: दादा या पापा?

राजीव: अरे क्या फ़र्क़ पड़ता है । है तो अपना ही ख़ून ना ।

मालिनी हँसकर : आऽऽऽह पापा आप चूची दबा दिए तो देखो दूध बहने लगा। पियोगे क्या?

राजीव: हाँ बहू पिलाओ ना।

अब मालिनी ने अपनी क़ुर्ती उठाई और ब्रा से एक चूची बाहर की । उसके निपल पर दूध की एक बड़ी सी बूँद साफ़ चमक रही थी। वो जीभ से उसे चाटा और फिर चूची मुँह में लेकर उसे दबा दबा कर चूसने लगा। मालिनी भी अब उसके सिर के बालों में हाथ फेरने लगी।

मालिनी: मम्मी जब राजेश की बीवी बच्चा पैदा करेगी तो उसे कहना कि वो ऐसे ही राजेश को भी दूध पिलाये।

सरला: अरे राजेश को शादी के लिए राज़ी करना बहुत मुश्किल होगा। वो तो बस मेरा ही दीवाना है। पागलों की तरह मुझे प्यार करता है।

मालिनी: सच में हम दोनों माँ बेटी बहुत भाग्यशाली हैं जो हमें अपने परिवार से इतना प्यार मिला है। देखो दादू अपनी पोती के हिस्से का दूध कितने मज़े से पी रहे हैं।

अब मालिनी ने इशारा किया कि उसे चूची बदलनी है। उसने एक चूचि अंदर की और दूसरी चूची बाहर की और राजीव अपनी बहू का दूध फिर से पीने लगा। उसका लंड लूँगी में तन गया था जिसे मालिनी सहलाने लगी थी। सरला भी उसके खड़े लौड़े को खा जाने वाली दृष्टि से देख रही थी और वो गरम होकर अपनी बुर खुजा दी।

अब मालिनी ने राजीव को हटाया और कहा: अब बस करिए वरना गुड़िया के लिए कुछ नहीं बचेगा।

राजीव मुँह साफ़ करके बोला: शिवा को पिलाती हो या नहीं?

मालिनी: जी वो रोज़ एक चूची पीकर सोते हैं। दूसरी गुड़िया के लिए छोड़ देते हैं।

राजीव ने देखा कि सरला की आँखें उसके लौड़े पर थीं । वो बोला: जानू आज सबको लौड़ा रात को ही नसीब होगा। अपना अपना माल बचाना है रात के लिए। ख़ूब मस्ती होगी रात को।

सरला: ठीक है जैसा आप बोलो।

राजीव: सरला तुम तय्यार हो जाओ हम बाज़ार जाएँगे और सबके लिए गिफ़्ट्स लाएँगे और वाइन की बोतलें भी।

सरला : ठीक है मैं तय्यार होती हूँ। यह कहकर वो चली गयी।

राजीव : मालिनी चलो अब तुम भी आराम करो । हम दो घंटे में आते हैं।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव तय्यार होकर आया और सरला का इंतज़ार करने लगा। जब सरला आयी तो वो उसे देखाता ही रह गया। वो बहुत ही छोटे से स्लीव्लेस ब्लाउस में थी ,जिसमें उसकी पीठ पूरी नंगी ही थी। चूचियाँ ब्लाउस से आधी बाहर थीं और पतली सी साड़ी उसकी चूचियों को छिपाने की जगह उजागर ही कर रहीं थीं। उसका पिछवाड़ा तो और भी ग़ज़ब ढा रहा था। मेकअप में वो इस तरह सजी थी कि वो मालिनी की माँ नहीं बड़ी बहन दिख रही थी।

राजीव: उफ़्फ़्फ क्या इरादा है? आज पता नहीं बाज़ार में कितने लोग बेहोश होंगे तुम्हारे इस मादक बदन को देखकर।

सरला हँसी: बस बस इतना भी मत चढ़ाइए इस बुढ़िया को। नानी हूँ अब मैं। मुझे पता है मेरी उम्र। कोई बेहोश नहीं होगा , अब चलिए ।

दोनों बाहर आए और एक स्कूटर करके राजीव उसको एक जवेल्लरि की दुकान में ले गया और वहाँ का मालिक उसका पुराना दोस्त संजीव था। वो राजीव को सरला के साथ देखकर बोला: वाह आज इतने दिन बाद दिखाई दिया तू। और ये क्या साले बिना बताए शादी भी कर ली।

राजीव हँसकर: अरे यार ये सरला जी है ,मेरी समधन है बीवी नहीं।

सरला झेंप कर नमस्ते की। संजीव भी उसके उभारों पर आँख सेकता हुआ बोल: ओह सरला जी माफ़ कीजिएगा भूल हो गयी। आइए अंदर मेरे चेम्बर में आइए।

संजीव उन दोनों को लेकर अंदर चेम्बर में गया बाहर दुकान में कई सेल्ज़ गर्ल्ज़ ग्राहकों को सामान दिखा रहीं थीं। उसके चेम्बर में शानदार सोफ़ा लगा था। तीनों बैठे।

सरला: भाई साब चेम्बर तो आपका बहुत शानदार है।

संजीव: सरला जी साथ में एक छोटा सा कमरा भी है और उसके साथ एक बाथरूम भी है। अब हम लोग तो सुबह १० बजे से रात १० बजे तक यहीं रहते हैं । थोड़ा आराम करने की जगह भी तो चाहिए ना।

राजीव कमिनि हँसी के साथ बोला: आराम या मौज मस्ती?

संजीव : हे हे, अरे यार वो भी थोड़ी बहुत हो ही जाती है। सरला जी अब जीवन में कुछ रस भी तो होना चाहिए ना।

सरला शर्मा गयी क्योंकि वह समझ गयी थी कि इशारा किस तरफ़ को है।वह सोची कि ये कमीना ज़रूर यहाँ लड़कियाँ चोदता होगा। उसने बाहर कई सेल्ज़ गर्ल्ज़ देखीं थीं ।

संजीव: सरला जी आप क्या लेंगी?

राजीव: यार ये क्या जी जी लगा रखा है। सरला बोल ना। और वो सब ले लेगी जो तू देगा। यह कहकर वो फिर से अपनी क़मिनी हँसी हँसा। सरला समझ गयी कि ये जान बूझकर द्वीअर्थी डायलोग बोला जा रहा है।

सरला: भाई सब मुझे कुछ नहीं चाहिए। फिर वो राजीव से बोली: आप तो ज़ेवर देखने आए थे ना फिर यहाँ आकर बैठ गए।

संजीव: अरे सरला अभी मैं यहीं सब मँगा देता हूँ । तुम यहीं बैठकर पसंद कर लो। बोलो क्या दिखाऊँ?

राजीव: अरे साले बोल क्या दिखाऊँ, ज़ेवर में? वरना वो सोचेगी तू और कुछ दिखाने की बात कर रहा है? हा हा।

सरला का चेहरा लाल हो गया वो बोली: आज आपको क्या हो गया है? कुछ भी बोले जा रहे हो? आप कुछ हार और कान के बूँदे बुला लीजिए देखने के लिए।

संजीव मस्ती से : जो आज्ञा मैडम । फिर फ़ोन उठाया और बोला: लिली को बोलो हार और बूँदे लाएगी। अच्छी क्वालिटी के लाएगी मेरे ख़ास मेहमानों के लिए।

राजीव: अरे लिली कोई नयी लड़की है क्या? पिछली बार तो कोई और थी ना शबनम शायद।

संजीव: अरे यार शबनम को निकाल दिया। साली मुझे और मेरे बेटे को एकसाथ बेवक़ूफ़ बना रही थी। वो मेरी बहू बनने के चक्कर में थी। अब बताओ मेरी प्रेमिका मेरी बहू कैसे बन सकती है? हा हा ।

सरला समझ गयी कि राजीव और संजीव साँझी चुदाई भी कर चुके है तभी एक दूसरे से इतने खुले हुए हैं।

तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और एक बहुत ही बला की ख़ूबसूरत लड़की अंदर आयी। उसकी उम्र कोई २५ के आसपास थी और बहुत ही मस्त भरा हुआ बदन था। राजीव की तो आँख उसके उभारों से चिपक गयी थी। वो सोचा कि इसके उभार तो मालिनी से भी बड़े हैं। वो लड़की जब ज़ेवर के डिब्बे टेबल पर रखी तो झुकने से उसके पिछवाड़े के उभार को देखकर तो राजीव के लौड़े ने मानो बग़ावत ही कर दी।पतली सी कमर पर वो उभार और भी ज़्यादा क़ातिलाना लग रहे थे। वो अपने पैंट के ऊपर से अपना लौड़ा ऐडजस्ट किया।

उसने स्लीव्लेस बड़े गले की क़ुर्ती और लेग्गिंग पहनी थी। उसके बड़े बड़े बूब्ज़ आधे बाहर झाँक रहे थे। राजीव उसके गोरे गोरे बूब्ज़ को देखा और बोला: क्या मस्त सुंदर हैं ?

सरला मुस्कुरा कर: क्या सुंदर हैं?

राजीव कमीनी मुस्कुराहट के साथ: ये गहने और क्या?

संजीव भी एक कमीनी मुस्कान दे दिया।

सरला ने हार देखे और उसका दाम पूछने लगी। लिली उसको दाम बताने लगी। तभी संजीव ने हाथ बढ़ाया और झुकी हुई लिली की गाँड़ को लेग्गिंग के ऊपर से सहला कर बोला: बेबी दाम मत बताओ। इनसे हम कोई ज़्यादा थोड़े ही लेंगे। अच्छा डिस्काउंट देंगे सरला को ।

राजीव संजीव के हाथ को बहुत हसरत से देख रहा था जो मस्तानी गाँड़ का मज़ा ले रहे थे। तभी संजीव ने राजीव को देखा और लिली की गाँड़ दबाते हुए बोला: यार लिली बहुत अच्छी लड़की है और बहुत कोऑपरेट करती है। फिर लिली को बोला: बेबी देखो ये मेरा ख़ास दोस्त है और तुम्हारे बम का मज़ा लेने को मारा जा रहा है। उसे इजाज़त दे दो ना प्लीज़ ।

लिली ने सरला की तरफ़ देखा और शर्मा कर चुप रही।

राजीव: सरला अगर तुमको बुरा ना लगे तो मैं ज़रा लिली को छू लूँ- उफ़्फ़्फ़्फ क्या माल है।

सरला: मुझे क्यों बुरा लगेगा ? लिली को कोई ऐतराज़ नहीं होना चाहिए।

राजीव: लिली देखो अब तो सरला की भी इजाज़त मिल गयी है। मैं छू लूँ?

लिली: आंटी आप अपने पति को कंट्रोल नहीं करती क्या?

अबके संजीव हँसकर बोला: अरे ये इनकी बीवी नहीं है समधन हैं।

लिली: ओह सॉरी । अब वो सीधी खड़ी हुई तो संजीव ने अपना हाथ हटा लिया । वो मुस्कुराई और बोली: आंटी और हार लाऊँ क्य? अगर आपको इनमे से कोई पसंद नहीं आया हो तो। ये कहते हुए वो थोड़ा पीछे को हुई और अब उसकी मस्तानी गाँड़ बैठे हुए राजीव के ठीक सामने थी। अब राजीव से नहीं रुका गया और वो उसकी गाँड़ को दोनों हाथों में लेकर दाबकर मस्ती से भरने लगा। लिली अब भी ऐसे दिखा रही थी मानो कुछ हुआ ही ना हो।

सरला: नहीं ये चार मैंने फ़ाइनल किए हैं। फिर राजीव को देखी और बोली: अगर आपका दबाना हो गया हो तो ये हार देख लीजिए ।

राजीव: आऽऽऽह अभी से दबाना कैसे हो जाएगा? मस्त माल है ये तो। अच्छा चलो दिखाओ कौन सा हार किसके लिया है?

सरला: आप जानो आप किसको क्या देना चाहते हो?

राजीव: मेरी बहु के लिए ये बड़ा सा हार होगा। चारु और मुन्नी के लिए ये चेन सुंदर लगेगी। और तुम ये मस्त हार ले लो। ठीक है?

सरला: जी ठीक है। पर पैसा बहुत लग जाएगा।

संजीव: अरे पैसा पैसा क्या कर रही हो? राजीव के पास बहुत पैसा है। क्यों भाई सही कहा ना?

सरला राजीव को देखी जो अभी भी लिली की गाँड़ सहलाता हुआ अब अपनी हथेली उसकी गाँड़ की दरार में भी डाल रहा था और लेग्गिंग के ऊपर से उसकी चूत दबाकर मस्ती से भर गया।

राजीव: आऽऽऽह संजीव ये लड़की मस्त माल है। मुझे इसे चोदना है अभी के अभी। वो उसे खींचकर गोद में बिठाया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

संजीव : यार एक मिनट के लिए बाहर आजा, कुछ बात करनी है।

राजीव लिली को गोद से हटाया और खड़ा हुआ तो उसकी पैंट का सामने भाग फूला हुआ दिखाई दे रहा था। दोनों बाहर चले गए।

बाहर आकर संजीव बोला: यार एक बात पूछना है थोड़ा सा हिचक रहा हूँ।

राजीव: हाँ पूछो ना यार ।

संजीव: वो तुम लिली को चोदना चाहते हो तो चोद लो। पर ये बताओ कि मुझे सरला की चूत मिल सकती है क्या? वो क्या है ना तुम सरला के सामने लिली के साथ मस्ती कर रहे थे तो मैंने सोचा कि वो ज़रूर तुमसे भी फँसी होगी। अगर ऐसा है तो शायद वो मुझसे भी चुदवा लेगी।

राजीव: उफ़्फ़्फ इतनी सारी बात कह डाली। अरे भाई चोद ले उसे । वो तो बनी ही है चुदाई के लिए। चलो मैं उसे बोल देता हूँ।

राजीव मुस्कुराते हुए अंदर आया और सरला को बोला: ये संजीव तुम पर लट्टु हो गया है। उसकी मन की इच्छा पूरी कर दो ना प्लीज़।

सरला चौंक कर: क्या मतलब?

राजीव : अरे वो तुमको चोदना चाहता है अभी।

सरला: अभी मतलब? ये कैसे हो सकता है?

संजीव: अरे डार्लिंग , ये अंदर वाले कमरे में राजीव लिली को ले जाएगा और यहाँ सोफ़े पर हम दोनों मज़े कर लेंगे।

सरला: पर कोई आ गया तो।

संजीव: ये दरवाज़ा बंद रहेगा और बाहर एक लाल बत्ती जलती रहेगी जिसका मतलब है कि कोई हमें डिस्टर्ब नहीं करेगा। ठीक है ?

सरला: ओह मगर, मेरा मतलब है कि , असल में सब कुछ इतनी जल्दी जल्दी हो रहा है, मैं कुछ कन्फ़्यूज़्ड हूँ।

संजीव सरला को बाँहों में लेकर उसकी मोटी गाँड़ दबाकर बोला: जानू बस अब कुछ मत बोलो और मज़े करो। वो यह कहते हुए उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिया।

लिली राजीव को बोली: आप इस अंदर वाले कमरे में चलिए । राजीव मुस्कुराता हुआ कमरे में लिली के साथ चला गया। संजीव सरला के होंठ चूसते हुए उसकी गाँड़ सहलाकर बोला: चलो सरला अब हम भी मज़े करते हैं।
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