बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव ने पूछा: तो तुम्हारी सील मंत्री ने खोली?

लिली आगे बताने लगी::——::::////::::—-

हॉ खोली भी और नहीं भी खोली।

सरला: इसका क्या मतलब?

लिली: हाँ बताती हूँ ना। वो क्या हुआ कि पूजा के बाद मुझे एक कमरे में ला जाकर बिठा दिया गया। वहाँ बिस्तर पर फूल भी थे मानो कि मेरी सुहाग रात हो। मैं अभी भी सिर्फ़ एक सफ़ेद साड़ी में थी। शांति मुझे बोली: जाओ नहा लो और ये गाउन पहन लेना। बस सिर्फ़ यही पहनना। वो शरारत से मुस्कुरा कर बोली: मैं तुम्हारा खाना यहीं ले आती हूँ।

मैं नहाकर जब वो कपड़े देखी तो वो भी वैसे ही सेक्सी कपड़े थे जैसे मैं ख़ुद भी लायी थी। बस फ़र्क़ इतना था कि इस पारदर्शी गाउन के नीचे कुछ भी पहनना नहीं था। मैंने शीशे में देखा कि मेरी चूचियाँ और निपल्ज़ साफ़ दिखाई दे रहे थे। और नीचे की भी मस्त झलक मिल रही थी।

मैं बिस्तर पर बैठ कर टी वी देखने लगी।शांति खाना लायी और मैंने चुपचाप खा लिया। उसके जाने के बाद मैं फिर से टी वी देखने लगी। तभी दरवाज़ा खुला और मंत्री अंदर आया। उसने पाजामा और कुर्ता पहना था और बहुत ही तगड़ा दिख रहा था। वो अंदर आया और दरवाज़ा बंद किया। मेरे पास आकर बैठा और बोला: उफ़्फ़्फ कितनी प्यारी लग रही हो तुम? कितने साल की हो? वो मेरी नग्न बाहों को सहलाकर बोला।

मैं: जी १९ की होने वाली हूँ।

वो: सच में कुँवारी हो? आज कल लड़कियाँ तो १६ साल से ही मस्ती लेने लगतीं हैं ना, इसीलिए पूछ रहा हूँ।

मैं: जी मैं ऐसी नहीं हूँ मैं अभी भी कुँवारी हूँ। वैसे भी पूजा के लिए तो कुँवारी लड़की ही चाहिए थी ना।

वो: हाँ सच कहा तुमने। तुम जानती हो मेरी एक बेटी है २० साल की । कोलेज में पढ़ती है। अब क्या बताऊँ मुझे उसके लक्षण अच्छे नहीं लगते।

मैं: क्यों उसने ऐसा क्या कर दिया?

वो: अरे वो अक्सर देर से घर आती है और हर बार कोई नया बहाना बनाती है। अब देखो तुमसे एक साल बड़ी है पर ३/४ साल बड़ी लगती है। अब क्या बताऊँ?

मैं: बता दीजिए ना मन हल्का हो जाएगा। पता नहीं क्यों मुझे उससे सहानुभूति सी हो रही थी।

वो: वो वो अब कहते हुए भी शर्म आ रही है। इतने लड़कों के साथ घूमती है। वो उसे छोड़ते होंगे क्या? उसकी फ़िगर से भी पता चलता है उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या कहूँ? २० साल में उसके दूध ३६ के हो गए हैं और गाँड़ तो ऐसी फैली है कि साफ़ लगता है जम के चुदवा रही है। मैं जब उसे टोकता हूँ लड़ने लगती है। इकलौती बेटी है इसका फ़ायदा उठा रही है। माँ की भी नहीं सुनती।

मैं: ओह ऐसा क्या?

वो: अब तुमको देख कर ही कोई कह सकता है कि तुम एक लड़की हो पर वो तो पूरी औरत दिखती है, उफ़्फ़्फ़्फ उसकी मोटी चूचियाँ और गाँड़ देखकर तो मैं भी ————-/-

मैं: आप भी क्या अंकल जी?

वो: चलो छोड़ो । आओ हम प्यार करते है। आओ मेरी गोद में बैठो। वो मुझे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिए और मेरे होंठ चूमने लगे। मैं भी उनका साथ देने की कोशिश करने लगी। फिर वो मेरे कंधे चूमने लगे और गले में भी जीभ से चाटने लगे। मैं भी गरम होने लगी। मैंने अपनी गाँड़ हिलाई और उनके लंड को महसूस करने की कोशिश की पर कोई ख़ास सफलता नहीं मिली। अब वो मेरी अनार सी चूचियों को दबाकर मस्त होकर बोले: मैं तुमको बेटी बोलकर प्यार करूँ? तुम भी मुझे पापा बोलना। प्लीज़।

मैं हैरान हुई पर फिर मुझे याद आया कि मुझे तो पैसा भी कमाना है सो बोली: ठीक है पर आपको मुझे इसके लिए अलग से पैसे देने होंगे।

वो ख़ुश होकर: ज़रूर मेरी रानी बेटी क्यों नहीं?

मैं: ठीक है पापा आप मुझे प्यार करो।

वो अब ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियाँ दबाने लगे और मैं हाऽऽऽऽय्यय पापा चिल्ला उठी। अब वो अपना कुर्ता उतारे तो उनकी चौड़ी छाती देखकर मैं मस्त हो गयी। मैं उनकी छाती को चूमी और बोली: आऽऽह पापा आपका बदन कितना तगड़ा है।

वो अब मेरे गाउन को उठाने लगे और एक झटके में मेरी मदद से उन्होंने उसे उतार दिया और मैं मादरज़ाद उनके सामने नंगी पड़ी थी। अब वो मुझे लिटाए और मेरे बदन को चूमने लगे। वो: उफ़्फ़्फ़्फ क्या मस्त नरम बदन है मेरी बिटिया का। म्म्म्म्म्म्म। वो जगह जगह चूमते हुए बोले। अब वो मेरी चूचियाँ भी दबाकर चूस रहे थे। वो: देखो ऐसी होती है कुँवारी लड़की की चूचियाँ। मेरी बेटी की अभी से पपीता बन गयीं है। पता नहीं कितना और किस किस से चुदवा रही है साली।

मैं: आऽऽऽह पापा आपने कभी बेटी की चूचियाँ देखीं हैं?

वो: मम्मम हाँ कई बार उसे कपड़े बदलते देखा है।वो दरवाज़ा बंद नहीं करती। शायद मुझे दिखाना चाहती है अपना नंगा बदन। उफ़्फ़्फ मोटी मोटी चूचियाँ हैं और उन पर लाल दाग़ रहते हैं जैसे किसी ने काटा हो उनको। अब वो मुझे पलटने को बोले और मैं पेट के बल हो गयी। वो मेरे मस्त चूतडों को दबाए और बोले: उफ़्फ़्फ़्फ क्या गोल गोल गाँड़ है। ऐसी गाँड़ होनी चाहिए लड़की की। मेरी बेटी की तो उफ़्फ़्फ क्या कहूँ किसी चुदक्कड औरत की तरह गाँड़ हो गयी है।

अब वो मेरी गाँड़ को दबाकर चूमने लगे थे।

मैं: एक बात पूछूँ पापा? आप बुर तो नहीं मानेंगे?

वो : हाँ हाँ पूछो बेटी।

मैं: पापा क्या अपनी सगी बेटी को चोदना चाहते हैं?

वो एक मिनट के लिए चुप हुए और फिर बोले: अब क्या कहूँ? हाँ सच में मैं उसकी कुँवारी जवानी को लेना चाहता था पर अब कोई फ़ायदा नहीं। अब वो मेरे किसी काम की नहीं?

मैं: वो क्यों पापा? अगर अब तक नहीं कर पाए तो अब कोशिश कर लीजिए।

वो : नहीं बेटी अब नहीं हो सकता। जब मैं अपना पाजामा उतारूँगा ना तो तुमको जवाब मिल जाएगा।

मैं हैरान सी उनको देखी। पर कुछ नहीं बोली। अब वो मुझे सीधे लिटाए और मेरी बुर को देखकर मस्ती से भरकर उसे पहले सहलाये और फिर झुक कर वहाँ चुंबनों की बौछार करने लगे। अब मेरी हाऽऽऽय्य पाऽऽऽऽऽप्पा निकल गयी। फिर वो एक ऊँगली अंदर डाले और बोले: उफ़्फ़्फ सच में तुम बिलकुल कोरा माल हो।

अब वो खड़े हुए और पाजामा खोला और उन्होंने एक बड़ी सी चड्डी पहनी हुई थी। उन्होंने वो भी खोली और मेरी आँखे हैरान रह गयीं। क्या तगड़ा आदमी था क़रीब ५५ साल का मस्त छाती और मस्त जाँघें पर उनके बीच में एक पतला सा छोटा सा बमुश्किल ४ इंचि लंड था। लंड क्या लुल्ली कहना ज़्यादा वाजिब होगा।

वो: देखा बेटी । अगर मेरी बिटिया कुँवारी होती तो शायद इसका मज़ा ले पाती। पर वो तो अब तक कई तगड़े लौड़ों से चुदवा चुकी है उसका काम इससे कैसे चलेगा? वो अपनी लुल्ली सहलाकर बोले : लो इसे सहलाओ ।

मैं अपने को क़ाबू में करके उनकी लुल्ली सहलाते हुए बोली: जी पापा आप सही कह रहे हो।

वो: बेटी तुमने तो बड़े लंड देखे होंगे ना? अपनी माँ को चुदवाते देखा होगा?

मैं: जी हाँ मैंने देखें हैं। पर इतना छोटा भी होता है मुझे तो सच में पता ही नहीं था। आपकी पत्नी इससे संतुष्ट रहती है? मैं अब भी उसे सहला रही थी।

वो : मैंने उसके किए घर में एक तगड़े लंड वाला नौकर रख दिया था शादी के फ़ौरन बाद। वो कुछ साल उसे चोदा और फिर उसके जाने के बाद एक दूसरा रखा है वो क़रीब ४० साल का है अब । मेरी बीवी को तगड़े लौड़े की मैंने कमी नहीं होने दी, वरना वो बाहर जाकर किसी से भी चुदवाती और मेरा नाम ख़राब होता।

मैं: ओह ये आपने अच्छा किया। तो क्या आपकी बेटी इसी नौकर की बेटी है?

वो: क्या पता? हो सकता है वो पहले नौकर की बेटी हो। इस नौकर से एक बेटा है ऐसा मुझे लगता है, पर वो अभी सिर्फ़ १२ साल का है। चलो अब तुम्हारी सील खोलते हैं। बेटी क्योंकि मेरा छोटा सा है इसलिए तुमको कोई ख़ास तकलीफ़ नहीं होगी।

यह कहकर वो मेरी गाँड़ के नीचे एक तकिया रखे और मेरी टांगों को फैलाये और बीच में आकर अपनी लुल्ली मेरी कुँवारी बुर में रगड़ने लगे। मैं गरम होकर उफ़्फ़्फ़्फ कर उठी। फिर वो बोले: मैं डाल रहा हूँ बेटी।

अब मुझे अपनी बुर में उनका पतला पर पूरा कड़ा लंड अंदर आते हुए महसूस हुआ और मैं उइइइइइइइइ करके चीख़ उठी। जब मेरी झिल्ली फटी और उनका लंड अंदर चला गया तो मैं दर्द से उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ चिल्ला उठी। अब वो धीरे से मेरे ऊपर आकर मेरी चूचियाँ दबाने और चूसने लगे। मैं भी मस्ती में आकर आऽऽऽऽऽह करने लगी। अब वो अपनी कमर हिलाकर मुझे चोदने लगे। मैं भी मस्त होकर चुदवाने लगी और उन्न्न्न्न उन्ननन करने लगी। उनकी चुदाई क़रीब २० मिनट चली और मैं मस्ती से झंडने लगी और वो भी झड़ गए। जब मैं शांत हुई तो वो मेरी जाँघों के बीच मेरी बुर का मुआयना किए और बोले: बेटी थोड़ा सा ही ख़ून निकला है। वो एक ऊँगली अंदर डालकर उसमें लगा ख़ून मुझे दिखाकर बोले: जाओ बाथरूम में जाकर साफ़ कर लो। बधाई हो अब तुम कुँवारी नहीं रही।

मैं उठी और मैंने अपनी बुर में मामूली सी जलन का अहसास किया और जाकर मूतने लगी। बाद में मैंने हैंड शॉवर से अपनी बुर साफ़ की। ठंडे पानी से जलन काफ़ी कम हो गई थी। जब बाहर आयी तो वो अपनी लुल्ली को नैप्किन से पोंछ रहे थे। वो लेट गए और मुझे भी बग़ल में लिटा लिए और मुझसे लिपट कर मेरा बदन सहलाने लगे। उनके हाथ मेरी पीठ, गाँड़ से होते हुए मेरी जाँघों पर घूम रहे थे।

मैंने भी उनकी छाती सहलाकर कहा: अंकल आपकी बेटी को पता है कि आपका ये इतना छोटा सा है?

वो: नहीं उसे नहीं पता है। वो नौकरों और उसकी मम्मी के रिश्ते के बारे में भी नहीं जानती।

मैं: नौकरों ने कभी आपकी बेटी को पटाने की कोशिश नहीं की?

वो: नहीं उसकी माँ इसका ध्यान रखती थी। नौकर तो कुछ नहीं कर पाए पर बाहर वालों ने ज़रूर उसकी बजा रखी है।

मैं अपना हाथ उनकी सिकुड़ी हुई लुल्ली पर लेजा कर सहलाने लगी ताकि शायद वो फिर से खड़ा हो और कुछ मज़ा करूँ।

वो बोले: बेटी इसे सहलाने से ये खड़ा नहीं होगा। अगर खड़ा करना है तो तुमको कुछ और करना पड़ेगा।

मैं: क्या करना पड़ेगा पापा?

वो मस्त होकर पेट के बल लेट गए और अपनी गाँड़ को छू कर बोले: बेटी इसकी दबाओ और सहलाओ।

मैं उठी और उनकी गोल गोल चूतडों को दबाने लगी। फिर वो अपने हाथ से अपने चूतडों को फैलाये और बोले: बेटी इस छेद में थूक लगाकर दो ऊँगली डालो।

मुझे बड़ा अजीब लगा और थोड़ी सी घिन भी आयी पर मैंने अपने दो उँगलियों में थूक लगाया और उनके गाँड़ में उँगलियाँ डाल दीं। बड़े आराम से उँगलियाँ अंदर चलीं गयीं और वो अपनी गाँड़ हिलाने लगे। जल्दी ही मैं समझ गयी कि क्या करना है और अपनी ऊँगलियों से उनकी गाँड़ चोदने लगी। जल्दी ही उन्होंने अपनी कमर उठाई और बोले: आऽऽऽऽह बेटी अब लंड सहलाओ। मैंने दूसरा हाथ उनके पेट के नीचे डाला और उनका खड़ा लंड मेरे हाथ में आ गया जिसे मैंने सहलाना शुरू किया।उनका लंड अब सख़्त होने लगा था। वो अब आऽऽऽऽहह म्म्म्म्म्म्म करके सिसकियाँ भर रहे थे। फिर वो उठे और मेरी उँगलियाँ बाहर आ गयीं। वो मुझे एक नैप्किन दिए और मैंने अपनी उँगलियों को साफ़ किया । फिर वो मुझे लिटाए और मेरे ऊपर आके अपने लंड को मेरी बुर में डाले और मुझे फिर से चोदें लगे। इस बार मुझे ज़्यादा मज़ा आया और क़रीब आधा घंटा चुदवाने के बाद हम दोनों झड़ गए।
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Smoothdad
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इस बार हम दोनों थक गए थे । फ़्रेश होकर जब हम लेटे तो वो मुझे फिर से अपने से चिपका लिए थे और मेरे होंठ चूस रहे थे। अब मैं बोली: पापा आपने ये अपनी गाँड़ में ऊँगली क्यों करवाई?

वो: देखो बेटी जब मैंने अपने पहले नौकर को अपनी बीवी से मिलवाया तो मेरी बीवी बोली कि मैं तभी किसी और से चुदवाऊँगी जब आप वहाँ ख़ुद रहोगे। मुझे उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और पहली रात को नौकर ने मेरी बीवी को मेरे सामने ही चोदा। मैं भी बहुत उत्तेजित हो गया था। उसका लौड़ा ७ इंच था और बहुत मोटा भी था। मेरी बीवी को बहुत सुख मिला ये मैंने देख लिया था। अब जल्दी ही मेरी झिझक भी कम हो गयी। वो रोज़ रात को एक साइड के दरवाज़े से अंदर हमारे बेडरूम में आ जाता और फिर मेरे सामने मेरी बीवी को ज़बरदस्त चोदता था । इसी तरह कुछ दिन चलता रहा और फिर एक दिन बीवी बोली कि आज उसको बोल दो कि पाँच दिन मत आए क्योंकि मेरे पिरीयड चालू हो गए हैं।

मैं: ओह फिर ?

वो: मैंने उसे फ़ोन करने की कोशिश की पर सम्पर्क नहीं हो पाया। वो अपने ठीक समय क़रीब ११ बजे रात को साइड के दरवाज़े से अंदर आया और आकर पूरा नंगा हो गया। उसका मस्त लौड़ा मज़े से ऊपर नीचे हो रहा था। मैंने उसे रोकने की कोशिश की पर वो नहीं सुना। फिर मैंने इसे बताया कि इसका पिरीयड आ गया है। अब ४/५ दिन सबर करना होगा। वो बोला: मालिक आपकी बीवी नहीं तो क्या हुआ मैं आपसे ही काम चला लूँगा। फिर उसने मेरी बीवी के सामने नंगा किया और मेरी ले ली।

मैं: ओह मैंने सुना है कि ऐसा होता है पर बड़ा अजीब सा लग रहा है सुनकर।

वो: बस उसके बाद से हम दोनों उस नौकर के ग़ुलाम से हो गए थे। तभी से मुझे वहाँ पीछे ऊँगली करवाना अच्छा लगने लगा।

मैं: तो क्या ये दूसरा नौकर भी?

वो: अरे बेटी अब तो आदत लग गयी है। हाँ वो भी मेरी लेता रहता है।

मैं चुप रह गयी । शायद ये मेरा पहला अनुभव था सेक्स या चुदाई की नयी दुनिया का। मैं सोची कि पता नहीं और क्या क्या पता चलेगा आगे जाकर।

ये सोचते हुए मैं सो गयी।

अगली सुबह नींद खुली तो मंत्री जी अभी भी सो रहे थे। हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए थे। हाँ ऊपर से एक चादर ओढ़ रखी थी। मैं उठी और बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी और अपना गाउन पहनी। तभी वो भी उठ गए और मुस्कुरा कर बाथरूम गए और बाहर आकर अपने कपड़े पहन लिए। उन्होंने अपना एक बैग खोला और उसने से कुछ नोट निकाले और मेरे पर्स में डालकर बोले: बेटी बहुत अच्छा लगा तुमसे मिलकर। अब चलता हूँ। अपना ख़याल रखना। ये कह कर वो मुझे अपने से चिपका कर प्यार किए और तेज़ी से बाहर चले गए। मैंने पर्स खोल कर देखा तो उसमें वो पचास हज़ार डाल गए थे। मैं बहुत ख़ुश हो गयी।

तभी शांति आयी और बोली: आपको स्वामी जी नाश्ते पर याद कर रहे हैं। मैं उसके पीछे पीछे चली गयी।

नाश्ते के टेबल पर सिर्फ़ स्वामी जी बैठे थे और अख़बार पढ़ रहे थे। मैं जाकर उनको नमस्ते की और उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयी।

स्वामी: बेटी कैसी बीती रात? मंत्री जी ने ज़्यादा तंग तो नहीं किया?

मैं क्या कहती, मैंने ना में सिर हिला दिया।

वो: हाँ अभी अभी वो गए हैं और तुम्हारी तारीफ़ कर रहे थे। मैंने पूछा कन्या कुँवारी थी या नहीं? तब वो हंस कर बोले कि हाँ हाँ थी ना।

मैं शर्मा कर चुप रही। भला इस बात का कोई जवाब हो सकता था क्या?

स्वामी: बेटी , आज से तुम हमारी सेवा में रहोगी। हमारे मन की हर इच्छा पूरी करोगी ना?

मैं क्या कहती? पैसे जो लिए थे सो बोली: जी स्वामी जी।

स्वामी ख़ुश होकर: चलो नाश्ता करते हैं । नाश्ता बहुत ही स्वादिष्ट था और मैंने जी भर के खाया। फिर स्वामी जी मुझे लेकर एक कमरे में पहुँचे और कहा कि ये आज से तुम्हारा कमरा है। मेरा बैग वहीं रखा था। वो बोले: बेटी तुम अब कपड़े बदल लो। फिर हाल में आना। शांति तुमको वहाँ ले आएगी।

मैंने नहाने के लिए कपड़े निकाले तभी शांति वहाँ आयी और बोली: आप बस कपड़े पहन लो नहाना अभी नहीं होगा। स्वामी जी बताएँगे आपको नहाने के बारे में।

मैं थोड़ा सा हैरान हुई और ऐसे ही एक सेक्सी ब्रा और पैंटी पहनी फिर उसके ऊपर से एक सेक्सी सा छोटा सा टॉप और एक मिनी स्कर्ट पहनी। फिर हाथ मुँह धोकर बाल बनाए और बाहर आयी और शांति मुझे लेकर हाल में आयी जहाँ स्वामी जी का प्रवचन चल रहा था। सब भक्त आँख बंद करके भजन गा रहे थे। स्वामी जी ने मुझे देखा और मेरी आधी नंगी चूचियाँ और जाँघें देखकर उनकी आँखों में वासना छलक उठी। वो मुझे पास बैठने को बोले। मैं एक पास ही रखी कुर्सी पर बैठी और मेरी जाँघें उनके सामने थी। वो बार बार मेरी जाँघों को देख रहे थे।

मुझे भी मस्ती सूझी और मैंने अपनी जाँघें फैला दीं ताकि मेरी पैंटी उनको अच्छी तरह से दिख जाए। मेरी पैंटी भी काफ़ी सेक्सी थी और ढाँकने की जगह दिखा ज़्यादा रही थी। स्वामी जी ने मुझे घूरते हुए अपनी धोती में अपना लंड ऐडजस्ट किया और अपने होंठों पर जीभ फेरी। मुझे पता था कि आज मुझे इनसे ही चुदवाना है सो मैं भी मानसिक रूप से अपने को तय्यार कर रही थी। इस समय भी स्वामी की बालों से भरी छाती नंगी थी और वो सिर्फ़ एक धोती में ही थे।

ख़ैर काफ़ी देर बाद सत्संग समाप्त हुआ और सब स्वामी जी के पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगे। स्वामी जी सबकी पीठ सहला कर आशीर्वाद देते थे। मैंने देखा कि छोटी उम्र की कन्याओं को ख़ास आशीर्वाद मिलता था। मतलब उनकी पीठ ज़रा ज़्यादा देर सहलायी जाती। वो भरी पूरी महिलाओं को भी आशीर्वाद देते समय शायद उनकी ब्रा के स्ट्रैप को भी छू कर मस्त हो जाते। आदमीयों को बस एक पीठ में हल्की सी धौल लगाते थे।

ख़ैर ये नाटक भी समाप्त हुआ और सब चले गए। अब कुछ सेविकाएँ और मैं ही रह गए हाल में। स्वामी जी मुझे देखकर बोले: चलो बेटी अब हमारे कक्ष में चलो। फिर सेविकाओं से कहा: सब इंतज़ाम हो गया है?

सेविकाओं ने हाँ में सिर हिलाया। मैंने ग़ौर से देखा की सबकी उम्र २१/२२ की होगी। वो सब एक सफ़ेद साड़ी पहनी थी । और उनके शरीर का कोई भी अंग सामने दिखाई नहीं दे रहा था। पूरा शरीर उन सबका साड़ी से ढका हुआ था।

मैं स्वामी जी और सेविकाएँ उनके कक्ष की ओर चल पड़े । उनके कक्ष में घुसते ही मुझे लगा कि मैं किसी और ही दुनिया में आ गयी हूँ। क्या साज सज्जा थी । बड़े बड़े शीशे लगे हुए थे और बड़ा सा गोल बिस्तर था। बड़े बड़े फ़ानूस लगे हुए थे जहाँ से रौशनी आ रही थी। बिस्तर के पास एक ज़मीन में छोटा सा पूल सा था जिसमें पानी भरा था और गुलाब की पंखुडियां तैर रहीं थीं। बग़ल में एक बाथरूम भी था जिसमें शीशे का दरवाज़ा था जिसके आरपार सब दिखाई पड़े।

मेरी आँखें फटीं हुईं थीं । तभी स्वामी जी मेरे पास आकर मेरी बाँह सहलाए और बोले: बेटी कमरा पसंद आया?

मैं: जी स्वामी जी बहुत सुंदर है।

स्वामी जी सोफ़े पर बैठे और मुझे भी पास बैठने का इशारा किया।

उनके बैठते ही दो सेविकाएँ नीचे ज़मीन पर बैठीं और उनके पैर दबाने लगीं। दो सेविकाएँ बग़ल में खड़ी रहीं।

स्वामी जी ने मेरी नंगी जाँघ पर हाथ रखा और बोले: बेटी इन सेविकाओं का मैं भगवान हूँ। इनको मैंने छोटे से बड़ा किया है। ये सब मेरी विशिष्ट भक्त हैं। ये मेरी हर बात को आँख बंद करके मानती हैं। हैं ना बेटियों?

सभी सेविकाओं ने हाँ में सिर हिलाया।

स्वामी: देखो मैं तुमको दिखाता हूँ कि ये कैसे मेरी कोई भी बात मानती है।

फिर उन्होंने एक सेविका जो पैर दबा रही थी उसको कहा: बेटी मेरे पैर का अँगूठा चूसो जैसे लिंग चूस रही हो।

इस सेविका ने स्वामी जी के पैर का अँगूठा अपने मुँह में लिया और उसे वैसे ही चूसने लगी जैसे मम्मी लंड चूसती थीं। वो अपनी जीभ से उसे चाट भी रही थी। उफ़्फ़्फ क्या दृश्य था। क़रीब दस मिनट तक वो अंगूठे बदल बदल कर चूसी।

अब स्वामी जी बोले: बस करो बेटी । बहुत अच्छा चूसती हो। यह कहकर वो धोती से उभरे हुए लौड़े को दबाए। उनका एक हाथ अब मेरी जाँघ के ऊपर होकर स्कर्ट को उठा रहा था। अब वो बैठी हुई दूसरी सेविका से बोले: बेटी तुम अपने स्तन निकाल कर इस सेविका के मुँह में दो और वो उसे वैसे ही चूसेगी जैसे अभी अँगूठा चूसी थी।

मैं थोड़ा सा शॉक में आ गयी। पर वो सेविका अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दी और फिर अपना ब्लाउस खोली और अंदर उसने कोई ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसके बड़े बड़े स्तन बाहर आ गए और दूसरी सेविका ने अपना मुँह वहाँ डाल दिया और उसके दूध चूसने लगी। अचानक उसकी छाती से दूध गिरता देखकर मैं चौंकी तो स्वामी जी हँसे: अरे कुछ नहीं इस सेविका के लड़की हुई है चार महीने पहिले। इसीलिए दूध आ रहा है।

थोड़ी देर बाद वो सेविका से बोले: चलो हटो अब बच्ची के लिए भी कुछ छोड़ोगी या नहीं। वो मुस्कुराते हुए हट गयी। तब स्वामी जी उस सेविका से बोले: लाओ मुझे भी स्तनपान कराओ।

वह सेविका आगे आयी और अपने एक स्तन को पकड़कर स्वामी जी के मुँह पर रखी और स्वामी जी भी स्तन चूसने लगे। पाँच मिनट चूसने के बाद वो अपने मुँह में लगे दूध को साफ़ किए और सेविका को हटने को कहा। उसने अपने ब्लाउस को बंद कर लिया और साड़ी भी ठीक कर ली।

अब स्वामी जी ने पास खड़ी हुई सेविका से कहा: अपनी साड़ी ऊपर करो और अपनी योनि और गुदा दिखाओ।

उस लड़की ने चुपचाप अपनी साड़ी नीचे से पकड़ी और उसे कमर तक उठा दी और क्योंकि उसने कोई पैंटी नहीं पहनी थी इसलिए उसकी बिना बालों की बुर बिलकुल नग्न स्वामी और मेरे सामने थी। उस पर शायद पसीने की दो बूँदें भी दिख रहीं थीं। स्वामी जी उसे पास बुलाए और पास आने पर वो उसकी बुर को हाथ सा सहलाए और फिर पसीने की बूँदों को ऊँगली में लेकर चूसने लगे। थोड़ी देर तक वो उसकी योनि को सहलाए और फिर उसे घूमने को कहा। वो घूमी और ख़ुद ही अपने चूतडों को एक एक हाथ से पकड़कर फैलायी और अपनी गुदा के छेद को स्वामी और मेरे सामने कर दी। वहाँ पर भी कुछ पसीना सा था और स्वामी ने मस्ती से उसकी गाँड़ की दरार में अपना हाथ डाला और पसीने को अपनी ऊँगली में लेकर सूँघा और फिर अपनी उँगलियाँ चाटने लगे। उफ़्फ़कफ कितना विचित्र था ये सब मेरे लिए। अब स्वामी जी का दूसरा हाथ जो कि मेरे जाँघ पर था अब अंदर जाकर मेरी पैंटी को छूने लगा था। फिर वो बोले: चलो साड़ी नीचे कर लो। वो सेविका अब सामान्य हो गयी। वो उसे फिर से बोले: जाओ एक बालटी लाओ।

वो जाकर एक स्टील की बालटी लायी।

अब आख़री सेविका से स्वामी जी बोले: साड़ी ऊपर करो और इस बालटी में मूत्र त्याग करो।

मैं जैसे उछल सी गयी। हे भगवान ये सब क्या हो रहा है?

वो सेविका चुपचाप अपनी साड़ी उठाई और अपने टाँग फैलायी और खड़े खड़े ही उस बालटी में मूतने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ क्या अजीब लग रहा था । एक २१/२२ साल की जवान लड़की एक आदमी के सामने खड़े खड़े मूत रही थी। थोड़ा सा पेशाब उसकी जाँघ में भी बह रहा था। अचानक स्वामी जी को पता नहीं क्या सूझा कि वो हाथ बढ़ाकर मूत के नीचे रखे और अपने गीले हाथ को सूँघे औरफिर उसे चाटने लगे। जब सेविका ने मूतना बंद किया तो वो सेविका उस बालटी को लेकर चली गयी और स्वामी जी ने उस लड़की को अपने पास खिंचा और उसकी मूत से सनी योनि को सूँघे और फिर जीभ से चाटने लगे। मैंने सेविका की ओर देखा तो उसके चेहरे पर सेक्स का आनंद साफ़ नज़र आ रहा था।

अब स्वामी जी मुँह पोंछकर बोले: बेटी साड़ी ठीक कर लो। फिर वो मेरी ओर देखकर बोले: देखा यहाँ मेरा हुक्म भगवान का हुक्म है। अब उनकी उँगलियाँ मेरी पैंटी के साइड से मेरी बुर को दबा रहीं थीं। मैं अब सेक्स के नशे पर सवार हो रही थी। अब स्वामी जी ने अपना दूसरा हाथ मेरी एक चूचि पर रखा और उसे बड़े ज़ोर से दबाया। मैं दर्द से बिलख उठी। तभी वो दूसरी चूचि भी दबाने लगे और मेरी चीख़ निकल गयी।

अब उसने मेरे होंठ चूसने शुरू किए । उफ़्फ़्फ पेशाब की गंदी गंध आ रही थी उसके मुँह से । पर वो मुझे जकड़ कर मेरे होंठ चूसते रहा और फिर अपनी मोटी जीभ मेरे मुँह में दे दिया। अचानक उसने मेरे होंठ काट दिए। मैं फिर से चीख़ उठी। सेविकाएँ चुपचाप मेरी ये हालत देखती रहीं । कोई कुछ नहीं बोला।

स्वामी: तुम नहायी तो नहीं हो ना?

मैं: नहीं नहायीं नहीं हूँ।

स्वामी: शाबाश । असल में मुझे लड़की के बदन की सामान्य गंध अच्छी लगती है। मुझे साबुन या शैम्पू की गंध पसंद नहीं है। अब तुम सुबह उठी हो और रात को चुदवाई थी तो ये सब गंध जो कि पसीने या मूत्र या काम रस की होगी। ये मुझे बहुत गरम करेंगी।

वह फिर से मेरा बदन सहलाकर बोला: चलो बिस्तर पर देखें मंत्री ने क्या क्या किया है तुम्हारे साथ?

वो मुझे लेकर बिस्तर पर गिरा दिए।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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Thanks all for your encouraging comments.
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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लिली बोले जा रही थी: ——-

अब स्वामी जी मेरे ऊपर आकर मुझे मस्ती से चूमने लगे। सभी सेविकाएँ हाथ बांधे खड़ी होकर तमाशा देख रही थीं।

मैं: स्वामी जी क्या ये सब यहीं रहेंगी ?

स्वामी: हाँ बेटी, ये सब यहीं रह कर तुम्हारी और मेरी मदद करेंगी।

अब वो मुझे और ज़ोर से अपने से भींचकर चूमे जा रहा था। अब मेरे बदन में भी मस्ती का संचार होने लगा था। अब वो बोले: बेटी पिशाब तो नहीं आ रही है?

मैं: जी स्वामी जी आ रही है। मैं बाथरूम जाकर आती हूँ।

वो हँसकर बोले: चलो यही कर लो ना। फिर एक सेविका को इशारा किए और वो भाग कर एक बालटी लेकर आयी। अब स्वामी जी ने मेरा स्कर्ट उतारा और मेरी पैंटी में मुँह डालकर सूँघने लगे और फिर बड़े प्यार से मेरी सेक्सी पैंटी भी निकाल दिए। अब वो अपना मुँह मेरी बुर पर ले गए और जाँघों को पूरा चौड़ा करके मेरी बुर सूँघे और फिर चूमकर उसे चाटने लगे। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरी तो मानो बुर पानी ही छोड़ने लगी थी। इतनी सेविकाओं के सामने मुझे शर्म भी आ रही थी। स्वामी जी के कहने से मैं नीचे ज़मीन पर रखे बालटी के ऊपर खड़ी हुई और मेरा मुँह स्वामी जी की ओर था जो कि अब बिस्तर पर बैठ कर मेरी बुर को देख रहे थे। वो बोले: चलो बेटी अब मूतो ।

मैं शर्मा कर लाल हुई पर ज़ोर लगायी और मेरी मूत की धार बालटी में गिरने लगी। स्वामी जी मस्ती में आकर मेरी बुर को मसलने लगे और उनके हाथ में मेरा पेशाब लगने लगा। अब मेरी बुर से सी सी की सीटी की आवाज़ भी आ रही थी और मैं सब सेविकाओं को अपनी बुर घूरते देखकर बहुत ही शर्मा गयी। अब स्वामी जी उठकर मेरे सामने ज़मीन पर बैठे और मेरी बुर पर अपना मुँह रख दिए और मेरी पिशाब पीने लगे। उफ़्फ़्फ़्फ मुझे बहुत घिन आयी पर उत्तेजित भी होने लगी थी। जब मेरी धार आनी बंद हो गयी तो स्वामी जी ने मेरी बुर चाटी और फिर उठकर बिस्तर पर बैठ गए। एक सेविका जल्दी से एक गीला तौलिया लायी जिससे उन्होंने अपना मुँह साफ़ किया और फिर एक सूखे तौलिए से अच्छे से पोंछा । अब वो मुझे पकड़कर बोले: आओ मेरे मुँह पर बैठो। वो बिस्तर पर लेटे तो और मैं उनके मुँह पर अपनी बुर रखकर बैठ गयी। अब वो मेरी बुर को फैलाकर चूमे और चाटने लगे। जल्दी ही मेरी आऽऽऽऽह निकलने लगी। थोड़ी देर बाद वो मुझे हटाए और एक सेविका से बोले: आओ मेरी धोती खोलो।

सेविका ने उनकी धोती खोली और उनके लंगोट में बहुत बड़ा सा उभार बना हुआ था। वो अब मेरी चूचियाँ मसल रहे थे। फिर सेविका ने उनका लंगोट भी खोला और एक बहुत काला मोटा और लम्बा हथियार मेरे सामने था। उफ़्फ़्फ़्फ कितना भयानक सा दिख रहा था। उस मंत्री का तो इसके सामने कुछ भी अस्तित्व ही नहीं था। मैं समझ गयी कि मेरी असली सील आज ही टूटेगी। अब वो मुझे अपना लौड़ा चूसने को बोले। मैं चुपचाप उसे चूसने लगी। मुझे आता नहीं था सो उन्होंने मुझे सिखाया। एक सेविका से कहा: ज़रा चूस कर दिखाओ ताकि ये भी चूस सके।

सेविका ने उनका लौड़ा चूस कर मानो ट्रेनिंग दी। अब मैं भी चूसने लगी। थोड़ी देर बाद स्वामी जी बोले: चलो अब चोदते हैं तुम्हें ।अब वो मुझे लिटा दिए और मेरी जाँघे फैलाकर मेरी बुर में एक ऊँगली डाले और बोले: उफ़्फ़्फ कितनी टाइट चूत है तुम्हारी? मंत्री चोदा नहीं क्या?

मैं: उइइइइइइइ आऽऽऽऽह चोदे थे पर उनका बहुत छोटा और पतला था। आपका तो बहुत बड़ा है मेरी फट ही जाएगी। थोड़ा आराम से कीजिएगा।

स्वामी सेविका से : ज़रा क्रीम लाओ। ये तो अभी कुँवारी ही है समझो। मंत्री कुछ ख़ास नहीं कर पाया।

अब वो मेरी बुर में अच्छे से क्रीम लगाया और फिर सेविका से अपने लौड़े पर भी क्रीम लगवाया। फिर मेरी टाँगों के बीच आकर अपना लौड़ा मेरी बुर से सटाकर उसे ऊपर से नीचे दबाने लगे। मैं उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। अब वो मेरी बुर की पूत्तियों को फैलाए और छेद में अपना मोटा सा सुपाड़ा फ़ंसा कर हल्के से दबाए और मैं दर्द से चीख़ उठी। अब वो दबाते जा रहे थे और मेरी चीख़ निकलती चली गयी। जल्दी ही मुझे लगा कि मेरी बुर में कोई गरम लकड़ी घुसेड़ दिया है। मैं रोने लगी दर्द के मारे। स्वामी जी ने पूरा लौड़ा अंदर पेल कर ही दम लिया और फिर मेरी चूचियाँ दबाके चूसने लगे। क़रीब ५ मिनट बाद मुझे महसूस हुआ कि अब दर्द और जलन कम हुआ। स्वामी: बेटी अब दर्द कम हुआ। वैसे तुम पूरी कुँवारी हो। साला मंत्री कुछ किया ही नहीं शायद । उफ़्फ़्फ़क क्या टाइट चूत है तुम्हारी।

अब स्वामी ने अपना लौड़ा आधा बाहर किया और फिर से ज़ोर से अंदर पेल दिया। अब वो मज़े से चोदने लगे। अब मैं भी झेल रही थी और मज़े लेने लगी। जल्दी ही कमरा फ़च फ़च और मेरी सिसकियों से गूँज रहा था। मैंने देखा कि सभी सेविकाएँ अब गरम हो चुकी थीं। कोई अपनी चूची दबा रही थी तो कोई अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी बुर सहला रही थी। स्वामी जी क़रीब आधा घण्टे हमें चोदे फिर चिल्ला कर झड़ने लगे। मैं तो दो बार झड़ चुकी थी।

चुदाई के बाद सेविकाओं ने हमें साफ़ किया। मेरी बुर से एक बाद फिर से ख़ून निकला था।

इसके बाद स्वामी जी ने मुझे पूरे एक हफ़्ते चोदा और पूरी तरह से मज़ा लिया और दिया। एक हफ़्ते बाद पूरी औरत बनकर स्वामी जी ने मुझे बहुत प्यार किया और २५०००/ भी दिए और आश्रम से जाने की इजाज़त दे दी।

आश्रम के बाहर शंकर मेरा इंतज़ार कर रहा था। वो मुझे देखकर बोला: तो सील टूट गयी। जवान हो गयी अब हमारी बच्ची । मैं हँसने लगी। गाड़ी में बैठ कर शंकर बोला: चलो एक हफ़्ते बाद अब घर जाओगी। वैसे याद है ना तुमने कहा था कि मुझसे भी चुदवाओगी। शंकर ने मेरा हाथ पकड़ा और पैंट के ऊपर से अपने लंड पर रख दिया।

मैं: कोई जगह है तुम्हारे पास। मैं उसके लंड को दबाकर बोली।

वो : अरे यहीं कार में हो जाएगा ना। फिर वो ड्राइवर जिसका नाम चेतन था, से बोला: कार को साइड में एक सुनसान जगह पर पार्क करो।

चेतन ने कार एक सुनसान जगह पर पार्क की। शंकर के कहने से वो ख़ुद थोड़ा दूर चला गया। अब शंकर ने अपने पैंट से अपना लंड बाहर निकाला और मुझे चूसने का इशारा किया। मैं मस्ती से इसे चूसने लगी। वो बोला: आऽऽहह सब सीख गयी हो तुम। स्वामी जी ने मस्त ट्रेनिंग दी है ह्म्म्म्म्म्म्म।

फिर वो मुझे सीट पर लिटाया और मेरी स्कर्ट उठाकर पैंटी निकाला और फिर मेरी बुर में दो ऊँगली डाला और बोला: आऽऽऽह मस्त पनिया गयी है । लो अब इसे अंदर डालता हूँ। ये कहकर वो मेरी बुर में अपना लौड़ा डाला और मुझे चोदने लगा। मैं भी मज़े से उन्ननन उन्नन करने लगी। क़रीब दस मिनट चोदेने के बाद वो उफ़्फ़्फ़्फ़्क करके झड़ गया और मैं भी झड़ गयी।

फिर वो अपनी पैंट ठीक करके बाहर आया और एक तरफ़ होकर मूतने लगा और बोला: चेतन चल कार को बैक कर ।

चेतन अपने पैंट पर से तने हुए लौड़े को दबाकर बोला: भय्या मुझे भी लेनी है इसकी।

शंकर मेरे पास आकर बोला: लिली इसको भी देगी क्या? वैसे ये और मैं तुम्हारी मॉ को कई बार चोद चुके हैं।

मैं: आऽऽऽह अभी नहीं बाद में कभी कर लेना। अभी घर चलते हैं प्लीज़।

चेतन बुरा सा मुँह बनाकर कार चलाने लगा और बोला: यार इसकी माँ को फ़ोन कर । देख तो अगर कोई ग्राहक ना हो तो वो ही मुझसे चुदवा ले और मेरी गरमी उतार दे।

मैं हैरानी से उसे देखी पर शंकर मुस्कुरा कर फ़ोन लगाया माँ को, और बोला: अरे रानी हम तुम्हारी बेटी लेकर आ रहे हैं। वो मुझसे तो चुदवा ली पर चेतन से नहीं चुदवाई। तुम अगर फ़्री हो तो हम अंदर आ जाएँ।

अब चेतन ने फ़ोन स्पीकर मोड में रखा। मॉ की आवाज़ आयी: हाँ एक लड़के को आना था पर वो अब नहीं आ पाएगा क्योंकि उसका एक छोटा सा ऐक्सिडेंट हो गया है। तुम दोनों आ जाओ घर में लिली के साथ।

चेतन चिल्लाया: थैंक यू आंटी । बेटी ना सही माँ चुदवा लेगी।

माँ: हट बदमाश आ घर पर तेरे कान खींचूँगी ।

चेतन: आंटी कान भी खींच लेना और लंड भी। हा हा ।

माँ : बदमाश कहीं का , चल रखती हूँ।

जब हम घर पहुँचे तो खाना टेबल पर सज़ा हुआ था। माँ मुझसे गले मिली और बोली: सब ठीक रहा ना? कोई परेशानी तो नहीं हुई?

मैं: नहीं माँ सब ठीक रहा।
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