बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

pyasanokar wrote: 18 Aug 2017 20:58 Suuuuupppperrrrbbbb
thanks
Kaanu25 wrote: 21 Aug 2017 21:22:roll: Woow

thanks
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव और मुन्नी बाहर आए और एक स्कूटर में बैठे । पूरे रास्ते राजीव उसकी जाँघ सहलाता रहा और वो चुपचाप रही और उसे मना नहीं की। कोलेज पहुँचकर चारु ने अपनी फ़ीस पटायी और बाक़ी की फ़ॉर्मैलिटीज़ पूरी कीं । राजीव हर जगह उसकी मदद करता रहा। काम ख़त्म होने के बाद राजीव बोला: बेटी चलो करन के ऑफ़िस चलकर चाय पीते हैं।

चारु: अंकल वहाँ कोई काम तो है नहीं फिर क्यों जाना?

राजीव: अरे बेटी कोलेज आया और मैं उससे नहीं मिला तो वो बुरा मान जाएगा। चलो दस मिनट के लिए ही चलते हैं।

चारु चुप लगा गयी और उसके साथ चल पड़ी।

करन के ऑफ़िस पहुँचकर राजीव ने ऑफ़िस का दरवाज़ा खटखटाया तो करन की आवाज़ आयी : कौन है?

राजीव : अरे भाई मैं हूँ राजीव।

करन ने करीब पाँच मिनट के बाद दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा कर राजीव से हाथ मिलाया। चारु को देखकर वो उसके गाल सहलाया और बोला: वाह बेटी आज तो बड़ी प्यारी लग रही हो।

जब वो अंदर आए तो वहाँ सोफ़े पर एक लड़की बैठी थी जो कि चारु की ही उम्र की थी। उसके गाल लाल थे और सीना ऊपर नीचे हो रहा था। उसका बदन भरा हुआ था चारु की तुलना में और उसकी चूचियाँ बड़ी बड़ी थीं उसके उम्र के लिहाज़ से। भोला चेहरा पर बदन भरपूर जवान। राजीव के लंड ने ठुमका लगाया और वो उसकी हालत देखकर समझ गया कि उसका कमीना दोस्त इस जवानी के मज़े ले रहा था उनके आने के पहले। वो मन ही मन मुस्कुराया और सामने से बोला: ये लड़की कौन है?

करन: अरे ये उमा है बहुत प्यारी लड़की है। बस इसके नम्बर कम आए है तो थोड़ा मेरी मदद माँग रही थी सो मैंने कर दी। वो फिर उस लड़की से बोला: अच्छा बेटी अब तुम कल आओ और फ़ीस वगेरह ले आओ । कल तुम्हारा अड्मिशन करा दूँगा। करन ने उसके गाल सहला कर कहा।

वह चली गयी और करन चारु से बोला: बेटी कैसी हो? फ़ीस पटा दी?

चारु: जी अंकल । अब करन ने राजीव की तरफ़ देखा और बोला: यार तुम दोनों बैठो मैं ज़रा आधे घंटे का कुछ काम निपटा कर आता हूँ। यह कहकर वो शरारत से मुस्कुरा कर चला गया।

राजीव चारु को बोला: बेटी वो आधा घंटे में आएगा क्यों ना हम कुछ मस्ती करें? जाओ दरवाज़ा बंद कर दो।

चारु हिचकिचाई पर चुपचाप जाकर दरवाज़ा बंद करके वापस आइ तो राजीव ने उसे अपने पास बुलाया । वो आकर सोफ़े में बैठे राजीव के सामने आकर खड़ी हो गयी। राजीव ख़ुश था कि चारु ने दरवाज़ा बंद किया था इसका साफ़ मतलब था कि वो ख़ुद भी मज़े लेना चाहती है। वो उसकी बाहों को सहलाते हुए बोला: बेटी आज बहुत प्यार आ रहा है तुम पर। यहीं इस कमरे में करन अंकल ने भी तुम्हें प्यार किया था ना? आज मैं करूँगा।

चारु के गाल शर्म से लाल हो चुके थे । वो चुपचाप खड़ी रही। अब राजीव उसकी बाहँ सहलाता रहा और उसके नंगे पेट की चुम्मियाँ लेने लगा। वो उसके पेट को चूमते हुए उसकी गहरी नाभि में जीभ घूसेडने लगा। थोड़ी देर बाद वो अपना हाथ उसकी चूचियों पर ले जाकर उनको हल्के से दबाने लगा।चारु आऽऽह्ह कर उठी। अब वो उसके टॉप को उतारा और ब्रा में मस्त अमरूदों को देखकर वह उनको सहलाया और फिर पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का स्ट्रैप खोला । अब उसके सामने सख़्त बिलकुल तने हुए अमरूद थे जिनके ऊपर भूरे से छोटे छोटे निप्पल बहुत मस्त दिख रहे थे। वह उनको सहलाया और निपल को मस्ती से ऐंठा । चारु उइइइइ कर उठी । अब वो उनको अपने मुँह में बारी बारी से लेकर चूसने लगा। आधे से ज़्यादा गोलायियाँ उसके मुँह के अंदर चली जाती थीं और वो उनको चूसकर मानो स्वर्ग का सुख पा रहा था। अब चारु को भी पता लगा कि सेक्स में क्या मज़ा है । उसकी आँखें मारे मज़े से बंद सी होने लगी। अब वो अमरूद चूसते हुए उसकी स्कर्ट खोला और नीचे गिराकर पैंटी में क़ैद उसकी नयी जवानी को दबाने और मसलने लगा। उसके होंठ अब उसके पेट और नाभि पर थे। फिर वह उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को चाट और पैंटी भी उतार कर उसे पूरी नंगी करके उसकी मदमस्त उभरती जवानी को देखने लगा। वो अब भी बैठे हुए राजीव के सामने नंगी खड़ी थी और मस्ती से उसकी बुर पूरी गीली हो चली थी। अब वो उसके मस्त गोल चूतरों को दबाने लगा और बुर की चुम्मियाँ लेने लगा। चारु आऽऽऽऽह्हा करके बोली: उफफफ अंकल मेरे पैर काँप रहे हैं । मैं खड़ी नहीं रह सकती।

राजीव मुस्कुराया और ख़ुद सोफ़े से उठकर उसे सोफ़े पर लिटा दिया। अब वो ख़ुद ज़मीन पर बैठा और झुककर उसके होंठ चूसने लगा और फिर से चूचियाँ मसलने लगा। फिर वो चूचियाँ चूसने लगा और आख़िर में उसकी एक ऊँगली उसकी छोटी सी बुर पर अठखेलियाँ करने लगीं। अब चारु उइइइइइइइ कहकर उछल सी गयी। अब राजीव ने उसकी एक टाँग अपने एक कंधे पर रखा और दूसरी टाँग सोफ़े पर मोड कर फैला दिया। उसकी मासूम सी बुर अब पूरी तरह उसके सामने थी। चिकनी बुर के होंठों पर गीलापन साफ़ चमक रहा था। मदन रस था कि अब निकला और तब निकला। अब वो अपनी जीभ उसकी बुर पर फिराकर मस्त होकर बोला: आऽऽऽऽह क्या मस्त चिकनी फूलि हुई बुर है तुम्हारी। फिर वह उसकी फाँकों को फैलाया और और उसकी गुलाबी बुर देखकर उसने एक ऊँगली डाली और बोला: बेटी अभी तक चुदी नहीं हो लगता है। देखो कैसी टाइट है तुम्हारी बुर। क्या मस्त गुलाबी बुर है । वह चूमते हुए और जीभ अंदर डालकर चाटते हुए बोला।

चारु ने आँखें बंद कर रखीं थीं और मस्ती से भरी हुई वो अपनी बुर में उठती हुई सुरसुरी को महसूस कर रही थी। अब राजीव ने अपनी जीभ लम्बाई में दबाकर उसकी बुर की गहराइयों से होते हुए उसकी पिशाब के छेद से लेकर उसकी क्लिट तक जीभ फेरा। चारु के बदन में जैसे सनसनी दौड़ने लगी। राजीव ने उसकी दोनों टाँगें फैलाई हुई थी और अपनी जीभ से उसकी जवान बुर को कुरेद करके वह उस गुड़िया को मस्ती से मदमस्त कर रहा था। अब अचानक चारु ने अपनी दोनों टाँगें चिपका लिया और उसने राजीव का मुँह अपने जाँघों में दबोच सा लिया और क्लाइमेक्स की ऊँचाइयों पर कई बार चढ़ती हुई उइइइइइइइइइइ करके मज़े के फ़ौवारे राजीव के खुले मुँह में छोड़ती चली गयी। राजीव भी मज़े से उसके मधुर कामरस तो पीता चला गया। अब चारु निढाल होकर अपनी जाँघों को फिर से फैलाकर लुढ़क सी गयी। राजीव ने अपना मुँह वहाँ से हटाया और रुमाल से अपना मुँह पोंछकर कहा: वाह बेटी क्या स्वाद है तुम्हारा रस । फिर वो रुमाल से ही उसकी बुर भी पोंछा और रुमाल को बाथरूम के कचरेदान में फेंक आया।

वह बाथरूम से वापस आया और देखा कि चारु अब ब्रा और पैंटी पहन ली थी। वो बोला: बेटी तुमने तो मज़ा ले लिया पर मैं तो प्यासा रह गया। वह पैंट के ऊपर से अपना लंड दबाकर कहा।

वह फिर से चारु को अपनी बाँह में भींचकर बोला: बेटी क्या मुझे प्यासा छोड़ दोगी?

चारु: अंकल मैं क्या करूँ?

राजीव: अरे बेटी ज़रा इसे थोड़ा सा प्यार कर दो ना। वह उसका हाथ अपने लंड पर रख कर बोला।

चारु उसे प्रश्न वाचक नज़रों से देखने लगी।

वो मुस्कुराया और बोला: बेटी मेरी पैंट खोलो और इस मस्त हथियार को बाहर निकालो और उसके साथ थोड़ी देर खेलो ना।

चारु चुपचाप सिर झुका कर उसकी पैंट का हुक खोलने लगी और फिर राजीव ने जीप की चेन खोलने का इशारा किया। वो जीप भी खोली और पैंट को नीचे गिरा दी। दोनों अब भी खड़े ही थे। अब राजीव ने उसे सोफ़े पर बिठाया और अपनी चड्डी में से फूला हुआ लंड उसके सामने लाकर कहा : बेटी अब इसे भी निकालो। वो चुपचाप उसकी चड्डी भी नीचे की और जब लंड उसमें फँस गया तो उसने अंदर हाथ डालकर उसके लंड को टेढ़ा करके बाहर निकाला। गरम मोटे लंड के स्पर्श से वो काँप सी गयी। उसने देखा कि एक बूँद सफ़ेद वीर्य की उसकी टोपी पर लगी हुई थी।

राजीव ने अपना लंड उसके होंठों से सटाया और चारु का मुँह अपने आप खुल गया और वो उसके रस की एक बूँद के स्वाद से मस्त हो गयी। उसकी मर्दानी गंध ने मानो उसे पागल ही कर दिया। अब राजीव अपना लंड उसके मुँह में थोड़ा सा डालकर अंदर बाहर करके मानो उसका मुँह चोदने लगा। चारु ने कई विडीओ देखे थे । उनको याद करके वो उसका लंड चूसने लगी। ये उसका पहला अनुभव था लंड चूसने का। पर राजीव ने देखा कि वो जल्दी ही चूसना सीख गयी और मज़े से लंड चूसने लगी। राजीव: बेटी अपनी जीभ का भी इस्तेमाल करो। उसे टोपी पर फिराओ और साथ ही चूसो भी।

चारु अब अच्छी तरह से चूसने और चाटने लगी। उसके छोटे से मुँह में अपना विशाल लौड़ा अंदर बाहर होते देखकर वो ख़ुद ही बहुत उत्तेजित हो गया धक्के लगाकर झड़ने लगा। चारु के मुँह में जब पहली बार वीर्य की धार गयी तो वो चौंकी और लंड को बाहर निकालने की कोशिश की पर राजीव ने उसे निकालने नहीं दिया और उसे पीने का इशारा किया और बोला: आऽऽऽऽह ,बेटी इसे गटक लो बहुत अच्छा लगेगा। पहली बार थोड़ा सा स्वाद अजीब लगेगा बाद में अपनी मालिनी दीदी की तरह इसकी दीवानी हो जाओगी।

चारु यह सुनकर रस को गटकने लगी वरना उसकी साँस ही रुक जाती। राजीव ने अपना पूरा रस ख़ाली होने पर ही उसे छोड़ा । अब वो लंड बाहर किया और फिर से उसपर लगी हुई बूँदों को चारु के होंठ से सटाया और इस बार चारु ने भी अपने होंठ और जीभ से उसे बड़े प्यार से चाट लिया।

अब चारु बाथरूम में गयी और अपने चेहरे पर लगे उसके गाढ़े वीर्य को देखकर मस्त होकर सोची कि उन सेक्सी विडीओ में लड़कियाँ ऐसी ही तो दिखतीं हैं जैसे मैं अभी दिख रही हूँ। उसने कुछ रस अपने मुँह से ऊँगली से साफ़ किया और इस ऊँगली को चाटने लगी। उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त स्वाद है तभी तो दीदी को भी भाता होगा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़। फिर उसने अपना मुँह धोया और बाल सँवार कर कपड़े पहने और बाहर आयी। राजीव ने भी अपनी पैंट पहन ली थी । वो उसे अपनी बाँहों में भरकर बोला: बोलो बेटा कैसा लगा?

चारु शर्मा कर उसकी छाती में अपना सिर छिपा कर बोली: आऽऽऽऽह अंकल बहुत मज़ा आया। आप बहुत अच्छे हैं।

राजीव ख़ुशी से उसका सिर उठाया और उसके होंठ चूसते हुए बोला: अरे बेटी ये तो ट्रेलर था अभी असली पिक्चर तो बाक़ी है। जल्दी ही तुमको चोदेंगे तब असली मज़ा पाओगी। समझी ना? वो उसके चूतरों को दबाकर बोला।

चारु: जी अंकल । पर पहली बार बहुत दुखता है मेरी सहेलियाँ बतायीं थीं ।

राजीव: अरे बेटा थोड़ा सा दर्द होगा फिर मज़े ही मज़े ।

चारु उसके लंड को सहलायी और बोली: पर अंकल आपका तो बहुत बड़ा है। करन अंकल का मैंने पैंट के ऊपर से पकड़ा था वो तो बहुत छोटा और पतला था।

राजीव: अरे बेटा लड़की को लम्बा और मोटा हथियार चाहिए। तुम देखना कि बड़े आराम से ले लोगी इसको तुम। वो उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: तुम्हारी दीदी भी तो इसकी दीवानी है।

तभी दरवाज़ा खटखटाया गया और राजीव ने दरवाज़ा खोला । सामने करन खड़ा था । उसने आँख मारकर कहा: सब ठीक?

राजीव मुस्कुराया: हाँ यार सब बढ़िया।

अब सब सोफ़े पर बैठे।

करन ने अंदर आकर चारु से कहा: बेटी सब ठीक है ना?

चारु शर्मा कर: जी अंकल सब ठीक है।

राजीव: अच्छा यार अब चलते हैं।

करन : ठीक है। वैसे चारु बेटी तुम्हारे स्टेज पर्फ़ॉर्मन्स का सब पक्का हो गया है। अगले महीने होगा।

चारु ख़ुश होकर: थैंक्स अंकल।

करन: बस थैंक्स । एक पप्पी तो दो।

चारु शर्मा कर राजीव को देखी और वो इशारा किया कि ठीक है ।

अब चारु करन के पास आयी और वो उसको अपनी गोद में खींचा और उसके गाल चूमा और उसके हाथ उसकी मस्त गाँड़ पर आ गए। वह उनको मस्ती से दबाने लगा।

राजीव ने ऐसा दिखाया मानो कोई बात ही ना हो।

करन: अरे तुम भी मुझे थैंक्स दो ना।

चारु ने भी करन के गाल चूमे और थैंक्स कहा।

अब राजीव खड़ा हुआ और बोला: यार बाक़ी का थैंक्स कभी और करवा लेना । अब हम चलते हैं। यह कहकर वो बाहर आ गया ताकि करन को जो थोड़ा बहुत मज़ा लेना है वो ले ले।
करन अब चारु के होंठ चूसा और उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: आऽऽऽह बेटी क्या मस्त सख़्त अमरूद हैं तुम्हारे। अब जल्दी ही तुमको चोदूँगा। ठीक है ना?

चारु शर्मा कर खड़ी हुई और अपना टॉप ठीक करके बोली: छी अंकल कितनी गंदी बात करते हैं आप। कोई लड़की से ऐसी बात करता है भला?

करन भी खड़ा हुआ और उसकी गाँड़ सहलाकर बोला: अरे बेटा लड़की को तो यही बात अच्छी लगती है। देखना चुदवाने में कितना मज़ा आएगा? अच्छा अभी जाओ । अगली बार प्रोग्राम बनाएँगे चुदाई का । ठीक है?

चारु: धत्त आप बहुत गंदे हो अंकल। यह कहकर वो मुस्कुराती हुई करन को बाई कहकर बाहर आ गयी।

बाहर राजीव उसे देखकर मुस्कुराया: क्या बात है ? बहुत ख़ुश दिख रही हो? ऐसा क्या कह दिया करन ने?

चारु: वो भी आपके जैसे गंदे अंकल हैं । गंदी बात कर रहे थे।

राजीव हँसकर: अरे चुदाई का बोल रहा था क्या?

चारु शर्माकर हाँ में सिर हिलाई।

राजीव चलते हुए बोला: अरे इसमे गंदा क्या है? मालिनी तो चुदवाते हुए बहुत चिल्लाती है और कहती है कि पाआऽऽऽऽऽपा और जोओओओओर से चोओओओओओओदो।

चारु: छि आप चुप रहो ना। कोई सुन लेगा।

राजीव बोला: अरे यहाँ कौन है सुनने के लिए। वह उसकी गाँड़ सहलाकर बोला।

फिर दोनों ऑटो से घर वापस आए। घर जाते हुए राजीव बोला: बेटा आज सच में तुम्हारी बुर चूस कर बहुत मज़ा आया।

चारु: अंकल चुप करिए ना। घर आने वाला है।

राजीव: बेटा घर पर भी ये सब होता है ना। तुम्हारी दीदी को तो बुर चूसवाने में बहुत मज़ा आता है। और वो बड़े मज़े से लंड भी चूसती है तुमने तो देखा ही है ना।

चारु की बुर इस तरह की बातों से फिर से गीली होने लगी। उसे अंकल का मोटा लंड याद आया जिसे वो प्यार से चूसी थी।

घर पहुँचकर वो सीधे बाथरूम में जाकर अपनी बुर में ऊँगली करके झड़ी और फिर अपने कमरे में जाकर कपड़े बदली।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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mast
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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chusu wrote: 25 Aug 2017 17:08mast
thanks mitr
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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अगले कुछ दिन ऐसे ही बीते पर अब एक बात थी कि दिन भर में जब भी राजीव चारु या मुन्नी को पाँच मिनट के लिए भी अकेला पाता वो उनके बदन सहलाने से नहीं चूकता था। वो उनकी चूचियाँ या गाँड़ दबा देता था। और मौक़ा मिलता तो उनकी बुर भी सहला देता था। चारु और मुन्नी भी अब मज़े लेने लगीं थीं । दोनों उसे कभी नहीं रोकतीं थीं । बस दिखावे के लिए कहती रहतीं थीं कि अंकल कोई देख लेगा। चारु तो अब ख़ुद भी राजीव की लूँगी के ऊपर से उसके लंड को मसल देती थी। मुन्नी अभी तक लंड का मज़ा नहीं ली थी।

एक बार तो मालिनी और चारु बातें कर रहे थे आमने सामने बैठकर । राजीव अपने कमरे से निकला तो मालिनी की पीठ उसकी तरफ़ ही थी। वो चारु को देखकर आँख मारा और अपनी लूँगी खोलकर अपना लंड उसे दिखाने लगा और उसे सहलाने लगा। बड़ी मुश्किल से चारु ने अपने चेहरे के भाव सामान्य बनाए रखे ताकि मालिनी को शक ना हो। ऐसे मौक़ों पर चारु की हालत बहुत ख़राब हो जाती थी और उसकी इच्छा होती कि पैंटी के ऊपर से ही बुर खुजा ले। पर मालिनी के सामने ऐसा नहीं कर सकती थी।

बाद में चारु बोली जब अकेले में मिली: उगफफफ अंकल आप क्या क्या करते रहते हो? ऐसा कोई नंगा होता है क्या किसी लड़की के सामने?

राजीव उसकी बुर को दबाकर: बेटी मैं तो बस तुमको मज़ा देना चाहता हूँ। मुझे पता है कि तुमको मेरा लंड बहुत पसंद है इसीलिए बीच बीच में दिखा देता हूँ।

चारु ने उसका लंड लूँगी के अंदर हाथ डालकर पकड़ा और बोली: अंकल किसी दिन मैं काट दूँगी इसको कैंची से । और फिर हँसकर वहाँ से भाग गयी।

इसी तरह दिन बीतते रहे। शिवा आजकल बहुत व्यस्त था दुकान पर सीज़न जो चल रहा था।

उस रात सब खाना खाकर बैठे बातें कर रहे थे । शिवा बोला: पापा मालिनी को कल डॉक्टर को दिखाना है। पर मेरा सीज़न चल रहा है , आप ले जाना मालिनी को।

राजीव बड़े प्यार से बहू को देखकर बोला: हाँ हाँ क्यों नहीं मैं ले जाऊँगा। अब बस दो तीन दिन की ही देर है मुझे दादा बनने में।

चारु मुस्कुराकर: अंकल आपको पोता चाहिए या पोती?

राजीव: अरे जो भी भगवान देगा स्वीकार है बस स्वस्थ होना चाहिए।

थोड़ी देर बातें करने के बाद सब सोने चले गए।

अगले दिन राजीव मालिनी को लेकर डॉक्टर के पास पहुँचा। शिवा कार छोड़ गया था। डॉक्टर ने मालिनी को देखा और मुस्कुराई और बोली: चलो समय आ गया लगता है। चलो लेटो वहाँ जाँच करते हैं ।

राजीव बाहर डॉक्टर की टेबल के सामने रखी कुर्सी पर बैठा इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर बाद डॉक्टर अंदर से बाहर आयी और मालिनी भी बाहर आयी।

डॉक्टर: देखिए अंकल मेरी सलाह है कि अभी ही हम मालिनी को भर्ती कर लेते हैं। आज कल में ही इसे लेबर पेन होंगे। इसलिए यहाँ रहेगी तो इसका हम ध्यान रख सकेंगे।

राजीव: ओह पर हम तो तय्यारी से नहीं आए हैं । इसके कपड़े वगेरह नहीं लाए हैं।

डॉक्टर: अरे वैसे भी इनको यहाँ अस्पताल के ही कपड़े पहनने होंगे। फिर भी इनका सामान आप ले आना बाद में।

राजीव: ठीक है जैसा आप कहो । बेटा तुमको कोई समस्या तो नहीं है ना भर्ती होने में?

मालिनी: नहीं पापा कोई समस्या नहीं है ।

डॉक्टर: आप पैसे पटा दीजिए और इनको भर्ती करा दीजिए।

राजीव मालिनी को लेकर सारी फ़ॉर्मैलिटीज़ करके उसको एक प्राइवेट वार्ड में एक कमरे में भर्ती करवा दिया। वहाँ एक बिस्तर मालिनी के लिए था और एक उसके साथ जो रहेगी या रहेगा उसके लिए था। एक नर्स आकर उसको कुछ दवाइयाँ दे गयी और ब्लड और पेशाब का सैम्पल ले गयी।

मालिनी लेटी हुई थोड़ी सी नर्वस दिख रही थी। राजीव उसके बग़ल में आकर बैठा और बोला: बेटी घबरा क्यों रही हो। सब ठीक होगा। मैं हूँ ना अपनी रानी के पास। यह कहकर उसने उसका माथा और गाल चूम लिया। फिर उसके पेट पर हाथ फेरकर बोला: देखो मेरे पोता या बेटा , अपनी माँ को तंग नहीं करना और आराम से बाहर आ जाना।

मालिनी हंस पड़ी: आपको क्या लगता है ये आपका पोता है या बेटा?

राजीव उसके पेट पर हाथ फेरकर पूछा: तुमको क्या लगता है?

मालिनी: मुझे तो आपका बेटा लगता है।

राजीव: चलो फिर वही सही। पर दुनिया के सामने तो वो मुझे दादा ही बोलेगा ना। वह मुस्कुराते हुए झुका और अबकि मालिनी के होंठों पर चुम्बन लिया और बोला: बेटी मैं अभी घर जाता हूँ और चारु या मुन्नी को लेकर आता हूँ। तुम्हारे पास कोई ना कोई तो रहेगा ना।

मालिनी: पापा चारु दिन में रह लेगी क्योंकि अभी उसका कोलेज नहीं खुला है। मुन्नी का स्कूल है इसलिए वो शाम से रात तक रह लेगी और शिवा या मुन्नी यहाँ मेरे साथ सो लेंगे।

राजीव: ठीक है बेटी ऐसा ही करते हैं। अच्छा मैं तुम्हारा खाना लेकर आता हूँ। साथ में चारु को भी ले आऊँगा।

मालिनी: आप भी खा लीजिएगा। मैं खाना बना कर आयी थी। चारु और मुन्नी दोनों को रोटियाँ बनाना आता है। वैसे वो पूरा खाना भी बना लेतीं हैं।

राजीव उसे फिर से उसके होंठ चूमा और बाई बोलकर बाहर आकर घर के लिए निकला । रास्ते ने उसने शिवा को फ़ोन पर बता दिया कि मालिनी को डॉक्टर ने अड्मिट कर लिया है।

जब वह घर पहुँचा तो चारु वहाँ अकेली थी । उसने दरवाज़ा खोला और बोली: अंकल दीदी कहाँ हैं ?

राजीव: उसे डॉक्टर ने अड्मिट कर लिया है। अब वो यह अनुभव किया कि इस समय घर में चारु अकेली है और मुन्नी के आने में अभी एक घंटा है। उसका लंड कड़ा होने लगा। तभी शिवा का फ़ोन आया: पापा मैं आ जाऊँ क्या?

राजीव: अरे तू आकर क्या करेगा? मैं , चारु और मुन्नी बारी बारी से उसका ध्यान रखेंगे। अभी मुन्नी आएगी तो मैं और चारु मालिनी का खाना लेकर अस्पताल जाएँगे। शाम से रात तक मुन्नी रहेगी वहाँ। तू चाहे तो रात को रुक जाना उसके साथ।

शिवा: ठीक है पापा। वैसे मालिनी से मेरी फ़ोन पर बात हुई है वो ठीक है।

राजीव : चल रखता हूँ। फिर वो चारु से बोला: तुम मालिनी से बात करो फ़ोन पर और उसको पूछो क्या क्या लेकर जाना है अस्पताल में?

राजीव किचन में जाकर पानी पीने लगा।

चारु ने मालिनी से बात की और फिर राजीव से बोली: अंकल मैं दीदी का सामान पैक करती हूँ। बात हो गयी उनसे।

वो शिवा के कमरे में जाने लगी तो राजीव भी उसके पीछे पीछे चल पड़ा। वो बोला: क्या मँगाया है बहू ने?

चारु: टूथ ब्रश पेस्ट साबुन वगेरह और कुछ कपड़े अंदर पहनने के।

राजीव शरारत से मुस्कुरा कर: ओह ब्रा और पैंटी?

चारु हँसी: हाँ वो भी और कुछ नैप्किन भी। अब वो आलमारी से उसके अंडरगारमेंट निकालने लगी। राजीव वहीं बिस्तर पर बैठा उसके बदन को देखे जा रहा था । यह बात कि इस समय घर में कोई नहीं है उसके लंड को हरकत में ला रही थी। अब चारु ने मालिनी की तीन चार ब्रा और पैंटी निकाली और राजीव ने उनको देखकर अपने हाथ में लिया और बोला: अरे चारु ये क्या कर रही हो? ये तो उसकी पुरानी ब्रा हैं । देखो ३४ साइज़ की हैं अब वो ३८ की पहनती है। मैंने और शिवा ने दबा दबा कर उसके बहुत बड़े कर दिए हैं। और वो हा हा कहकर हँसने लगा।

चारु लाल होकर और ब्रा निकाली और उनमें से ३८ की निकाल कर बोली: ये तो ठीक है ना?

राजीव उनको सहलाकर बोला: हाँ ये ठीक है। मेरी प्यारी बहू की मस्त चूचियों के लिए इतनी बड़ी तो चाहिए ही।

चारु शर्म से दोहरी हो रही थी उसकी बात सुनकर। फिर वो पैंटी निकाली और राजीव बोला: क्या कर रही हो चारु? देखो ये छोटी सी पैंटी उसकी गाँड़ में फ़िट ही नहीं होगी। मैं उसकी बड़ी गाँड़ के साइज़ की बड़ी बड़ी पैंटी लाया था । देखो उस बैग में होगी शायद।

चारु ने वो बैग खोला तो सच में उसमें बड़ी बड़ी पैंटी रखी थी। राजीव: हाँ हमारी बहू की बड़ी बड़ी गाँड़ इस साइज़ में ही समाएगी। सही है ना?

चारु क्या कहती? उफफफफ अंकल अपनी बहू के बारे में कैसी बातें कर रहे हैं? अचानक चारु को महसूस हुआ कि उसकी बुर गीली होने लगी है । उसने चोरी से देखा तो पाया कि अंकल का लंड खूँटे सा खड़ा था और उनकी पैंट से साफ़ दिख रहा था।

अब चारु झुककर एक बैग में सब सामान डालने लगी तो राजीव उसके पीछे से आकर उसकी स्कर्ट से झाँकती उसकी पैंटी को देखकर मस्त होकर अपना हाथ उसकी गाँड़ की एक गोलाई पर रखा और बोला: बेटी आज घर में कोई नहीं है। और हम मुन्नी के आने के बाद खाना खाकर ही अस्पताल जाएँगे। कुछ मस्ती हो जाए? अब वो अपने पैंट के ऊपर से अपना लंड उसकी गाँड़ पर रगड़ते हुए बोला।

चारु के पूरे बदन में सिहरन दौड़ गयी। वो उठने की कोशिश की पर राजीव अपने लंड को उसकी गाँड़ पर रगड़ते ही रहा और बोला: उफफफ क्या जवानी है तुम्हारी? वो हाथ बढ़ाकर उसकी नीचे की ओर झुकी हुई चूचियाँ पकड़कर दबाने लगा। चारु का विरोध अब मस्ती के नीचे दब गया। वो समझ गयी कि आज अंकल उसके साथ मज़ा लेकर ही रहेंगे।

वो बोली: आऽऽऽह मुझे उठने तो दीजिए ना प्लीज़।

अब राजीव ने अपनी पकड़ ढीली की और बोला: ठीक है । उठो ।

वह खड़ी हुई तो फिर से राजीव ने उसे पीछे से पकड़ा और उसकी दोनों चूचियाँ दबाकर अपना लंड नीचे झुक कर उसकी गाँड़ में दबाने लगा। चारु की आऽऽऽह निकल गयी। अब वो उसे घुमाया और सामने से अपने से चिपका कर बोला: बेटी अभी काफ़ी समय है मुन्नी के आने में चलो मेरे कमरे में मस्ती करते हैं । अब वह चारु को अपनी गोद में एक छोटी सी बच्ची की तरह उठाया और उसके होंठ चूसते हुए अपने कमरे की ओर ले चला।

अब तक चारु भी गरम हो चुकी थी और वो ख़ुद भी चुम्बन में राजीव का साथ देने लगी। अब राजीव ने उसे लेज़ाकर अपने बिस्तर पर लिटाया और उसके जवान बदन को देखकर कहा: उफफफफ आख़िर आज तुम मेरे बिस्तर पर आ ही गयी। क्या जवान बदन है बेटी तुम्हारा। उफ़्फ़्क् क्या मज़ा आएगा तुमको चोदने में । वो अपना लंड दबाता हुआ उसके जवान बदन को घूरे जा रहा था।

अब चारु डर सी गयी कि ही भगवान इनका कितना बड़ा है बहुत दुखेगा । राजीव उसके डर को समझ गया और अपने कपड़े उतारता हुआ बोला: बेटी अभी नहीं चोद सकता तुमको। अभी तो तुमको लेकर बहू के पास जाना है । रात को देखते हैं अगर जमता है तो। अब तक वो अपनी शर्ट उतार चुका था और अब पैंट उतारकर वो सिर्फ़ चड्डी में बिस्तर पर आ कर बैठा और चारु का टॉप उतारने लगा। फिर उसने स्कर्ट भी उतार दी और अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में ही थी। उसने उसे लिटा दिया और उसके जवान बदन पर हाथ फेरकर मस्ती से भरने लगा। चारु की निगाह भी उसकी चड्डी से साफ़ दिख रहे मोटे लौड़े पर थी। चारु की पैंटी गीली हो गयी थी।

अब राजीव आकर उसको अपनी बलिष्ठ बाहों में भरकर उसके बदन को सहलाते हुए उसके गाल आँख और होंठ चूमने लगा। उसके हाथ उसकी पीठ पर घूमते हुए उसकी गोल गोल गाँड़ दबाने लगे थे। वो भी मस्ती से उससे चिपक गयी थी और उसका लंड उसकी टांगों से टकरा रहा था। राजीव के हाथ अब पैंटी के अंदर से उसकी गाँड़ मसलने लगे और वो उसकी दरार में हाथ डालकर उसकी बुर और उसकी गाँड़ के छेद पर उँगलियाँ चलाने लगा। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। अब राजीव ने उसकी ब्रा निकाली और उसके सख़्त अमरूदों पर जैसे टूट हो पड़ा। वो उनको बहुत देर तक दबाकर चूसता रहा।

चारु: आऽऽऽऽऽह अंकल अब छोड़िए इनको, उफफफ दुःख रहे हैं । आप बहुत ज़ोर से दबा रहे हैं।

राजीव ने मुस्कुरा कर उसकी चूचियों को छोड़ा और अब उसकी पैंटी उतार कर जाँघें फैलाया और दोनों टांगों को मोड़कर उसके बीच आके उसकी बुर को हाथ से सहलाने लगा। बुर बुरी तरह से पनियायी हुई थी। उसने एक ऊँगली अंदर करके उसे काम रस से भिगोया और फिर उसे उसके गाँड़ के छेद में डालकर हिलाने लगा।चारु इस अचानक हमले से हैरान होकर चिल्लाई: उइइइइइइ अंकल जलन हो रही है। निकालो ऊँगली उफफफफ। राजीव ने उसकी गाँड़ से ऊँगली निकाली और बोला: बेटी एक ऊँगली में इतना चिल्ला रही हो जब इसमें लौड़ा जाएगा तब कितना चिल्लाओगी।

चारु: अंकल वहाँ थोड़े ही डालेंगे आप , वो तो ग़लत छेद है ना।

राजीव हँसकर: बहू तो वहाँ भी मज़े से मेरा और शिवा का लौड़ा लेती है। वैसे कई बार मैं और शिवा तो उसके एक एक छेद में साथ ही डालकर चोदते है ।

चारु : ओह । वो सोची कि जैसे उसने वीडीयो में देखा था । उफफफ दीदी बहुत सेक्स का मज़ा लेती हैं शादी के बाद।

अब राजीव ने अपनी चड्डी उतारी और बोला: चलो आज मैं तुमको ६९ सिखाता हूँ। आज चुदाई के लिए अभी समय नहीं है।

अब वो ख़ुद लेट गया और चारु को अपने ऊपर आकर उलटा लेटने को बोला। वो अपनी बुर को उसके मुँह पर रखकर लेटी और अब चारु के सामने उसका लंड पूरा खड़ा होकर ऊपर नीचे हो रहा था । अब राजीव उसके चूतरों को दबाकर फैलाया और अपना मुँह उसकी गाँड़ की दरार में डालकर उसकी बुर चूमने और चूसने लगा। साथ ही वो बीच बीच में उसकी गाँड़ भी चाट लेता था। उसकी जीभ उसके दोनों छेदों को कुरेद रही थी।

उधर चारु भी उसका लंड चूसने लगी थी । आज उसके बॉल्ज़ को पहली बार मस्ती से सहलाकर वो गरम हो रही थी। उसने विडीओ में देखा था कि लड़कियाँ बॉल्ज़ भी चूसती थीं । सो वह भी बॉल्ज़ और लौड़ा दोनों सहलाकर चूसने लगी। उसका मुँह ऊपर नीचे हो रहा था और वो अपनी बुर में ज़बरदस्त गुदगुदी महसूस कर रही थी। अब उसकी कमर हिलने लगी और वो अपनी बुर राजीव के मुँह पर ख़ुद ही दबाकर रगड़ने लगी। उसके मुँह से उन्न्न्न्न्न्न की आवाज़ निकल रही थी

उधर अब राजीव भी मस्ती में आकर उसकी क्लिट को भी छेड़ने लगा था। अब चारु की उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ निकली और वो अपनी जाँघें भींचकर राजीव का मुँह दबा कर झड़ने लगी आऽऽऽऽऽऽऽह करके। अब राजीव उसका कमररस पीने लगा और ख़ुद भी अपना लंड जल्दी जल्दी हिलाकर उसके मुँह में झड़ने लगा। चारु ने एक बूँद भी उसका रस नहीं छोड़ा और पूरा गटक गयी।
राजीव चारु का हाथ पकड़कर उसे बाथरूम में ले गया और उसके सामने पेशाब करने लगा। वो बड़े ध्यान से उसके लम्बे लौड़े से निकलती पेशाब की मोटी धार को देख रही थी । राजीव ने उसका हाथ पकड़कर अपने लौड़े पर रखा और वो उसे पकड़कर उसकी धार की दिशा को कंट्रोल करके हँसने लगी। अब राजीव उसको पेशाब करते देखने लगा। उसने थोड़ा सीट से उठने को कहा ताकि वो उसकी धार देख सके। वो अपनी गाँड़ उठकर थोड़ा सा ऊपर होकर अपनी बुर और उससे निकलती हुई धार उसको दिखाई और शर्मा भी गयी।

अब राजीव ने साबुन से बड़े प्यार से उसकी बुर को हैंड शॉवर की मदद से साफ़ किया और उसको घुमाकर उसकी गाँड़ की दरार और छेद की भी सफ़ाई की। फिर वो तौलिए से उसकी गाँड़ और बुर साफ़ किया और फिर उसके गुप्त अंगों को बारी बारी से चूमने लगा। चारु ने कहा: अंकल मुन्नी आती होगी, प्लीज़ छोड़िए ना।

राजीव खड़ा होकर अपना लंड साफ़ करते हुए बोला: बताओ बिटिया ६९ में मज़ा आया या नहीं?

चारु अब बेशर्मी से उसके नंगे बदन से चिपक गयी और बोली: आऽऽऽहाह अंकल बहुत मज़ा आया।

राजीव उसकी नंगी गाँड़ दबाकर बोला: बेटी आज रात को मौक़ा मिला तो तुम्हारी बुर का उद्घाटन करेंगे। उसी में तो असली मज़ा है मेरी नन्ही सी जान।

चारु भी मस्ती से उसके नरम लंड को पकड़ी और सहलाकर बोली: अंकल ये तो मेरी फाड़ ही देगा।

राजीव झुक कर उसके होंठ चूमते हुए बोला: अरे थोड़ी देर का दर्द फिर ज़िंदगी भर का मज़ा ।

फिर दोनों बाहर आए और कपड़े पहने तभी कॉल बेल बजी और चारु ने दरवाज़ा खोला और मुन्नी अंदर आयी।
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