बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव: ओह आख़िर मेरा हो तो बेटा है ना। क्या बहुत मज़ा दिया?
सरला: पापा उनके साथ तो मज़ा आता ही है। आपको बतायी तो हूँ।
फिर वो राजीव से बोली: पापा लगता है कि शिवा को हम पर शक हो गया है। फिर वो पूरी बात बताई जो उसके शिवा के बीच हुई थी। राजीव: अरे कुछ नहीं ऐसा ही गेस मार रहा होगा। चलो जो होगा देखा जाएगा। तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो। पर आज मेरा क्या होगा? वो तो तुमको चोद कर चलता बना। अब मेरे लौड़े का क्या होगा?

मालिनी: ओह पापा आप भी ना, फिर क्या हुआ? अभी नहा लीजिए । मैं भी काम ख़त्म करके नहा लूँगी। फिर जी भर के मज़े लीजिएगा ना, मैं कौन आपका हाथ पकडूँगी।

राजीव मुस्कुराकर: ये हुई ना बात। चलो फिर ठीक है। मैं नहा लेता हूँ। वो उसके गाल चूमकर चला गया।

क़रीब ११ बजे बाई के जाने के बाद मालिनी राजीव के कमरे में आइ तो वो टी वी देख रहा था। वो सिर्फ़ लूँगी लपेटे हुए था। उसकी चौड़ी बालों से भरी छाती मालिनी को बहुत प्यारी लगी। वो उसे देखकर मुस्कुराया और बोला: बेटा बड़ी प्यारी लग रही हो इस सलवार कुर्ता में। फिर वो उसको खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। वो उसके शैम्पू हुए बालों को सूंघकर मस्त हुआ और बोला: उफफफ क्या ख़ुशबू मार रही हो।

मालिनी भी उसकी छाती के बालों से खेलकर बोली: पापा आपको मैं कपड़ों में अच्छी लगती हूँ या बिना कपड़ों के ?

राजीव हंस कर: बेटा तुम मुझे दोनों तरह से अच्छी लगती हो। वो अब उसकी गरदन और कंधों को चूमने लगा। उसके हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे। वो उनको हल्के से दबाए जा रहा था। मालिनी को अपनी गाँड़ पर पापा का खड़ा होता लण्ड महसूस होने लगा था। राजीव ने उसके कुर्ते को नीचे से ऊपर किया और उतार दिया। अब वो ब्रा में अपने ससुर की गोद में बैठी थी। राजीव ने उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाया और फिर हुक खोलकर उनको नंगी किया।

अब वो मज़े से उसकी मस्त ठोस चूचियों को दबाकर और निपल्ज़ को मसलकर मज़े से बोला: बेटा दूध पी लूँ?

मालिनी: मैं मना करूँगी तो नहीं पिएँगे क्या?

राजीव हंसा और उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दूध पीने लगा। मालिनी भी मज़े से उसके सिर को अपनी छाती में दबाने लगी। बहुत देर तक वो उनको बारी बारी से चूसा और फिर नीचे जाकर उसकी सलवार उतारा और अपने मुँह को उसकी जाँघों के बीच डालकर उसकी बुर चूसने लगा। मालिनी भी अब आऽऽऽह करने लगी। फिर उसने उसकी टांगों को और ज़्यादा उठाया और उसकी गाँड़ पर ऊँगली फिरा कर बोला: अब तो इसे प्यार कर सकता हूँ?

वो हँसी: पापा आपकी जो मर्ज़ी है अब करो।

वो उसकी गाँड़ को चाटकर उसमें जीभ डालने लगा। मालिनी उइइइइइइइ कर उठी। अब वो उठा और लूँगी निकाला और अपने लौड़ेपर थूक लगाया और उसकी बुर में धीरे से डाल दिया। थोड़ी देर उसके ऊपर आकर वो उसके होंठ चूमकर और उसकी चूचियाँ दबाकर वो उसको चोदने लगा। मालिनी भी प्यार से उसके निपल दबाकर अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। उनकी चुदाई आराम से हो रही थी। कोई जल्दी नहीं थी। वो भी पूरे इत्मिनान से चोदे जा रहा था ।अब मालिनी को बहुत अच्छा लगने लगा, और वो बड़बड़ाने लगी: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा जीइइइइइइ और जोओओओओओर से चोओओओओओओदो। बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽ लग रहा है। हाऽऽऽऽययय मरीइइइइइइइइ। उइइइइइइइ माआऽऽऽऽऽऽ मैं गईइइइइइइइइ। अब वो अपनी जाँघों को भींचकर अपने स्खलन का आनंद लेने लगी। राजीव भी अब रुक नहीं पाया और वो भी आऽऽह करके उसके अंदर गहराई में अपना वीर्य छोड़ने लगा।

थोड़ी देर बाद दोनों की सांसें सामान्य हुई और अब दोनों कपड़े पहनकर वापस सोफ़े मैं बैठ कर बातें करने लगे। तभी घंटी बजी। मालिनी ने दरवाज़ा खोला तो सामने एक बहुत बड़े वक्ष वाली गोरी सी लड़की खड़ी थी। उम्र में उससे वो ४/५ साल बड़ी दिख रही थी। मालिनी: आप आयशा हो?

आयशा: हाँ मैं ही आयशा हूँ। वो मुस्कुराकर हाथ बढ़ाई और दोनों ने हाथ मिलाया। वो दोनों अंदर आइ तो मालिनी ने राजीव का परिचय कराया और बोली: ये मेरे ससुर जी हैं । और पापा ये आयशा जी हैं ।

आयशा मुस्करायी और राजीव को नमस्ते की और बोली: मालिनी तुम मुझे आप तो बोलो ही नहीं। और अंकल जी आपको देख कर तो नहीं लगता कि आप इतने उम्र के हो कि शिवा के पापा हो। बहुत फ़िट हो अभी भी आप? वो उसके मर्दाने बदन को देखती हुई बोली। उसकी आँखें थोड़ी देर के लिए उसके लूँगी में से उभरे हुए उसके बड़े सोए हुए लंड और आँड पर भी रुकी और फिर वो राजीव से बोली: लगता है आप जिम भी जाते हैं?

राजीव: नहीं ऐसा कुछ नहीं है । पर हाँ अपने स्वास्थ्य का ध्यान तो रखता हूँ। वैसे बेटी फ़िगर तो तुम्हारा भी बहुत मस्त है। वो उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को बेशर्मी से घूरकर बोला। उसे याद था कि उसका पति उसको अपने दोस्तों से चुदवाता है, तो वो भी उसके साथ वैसे ही पेश आ रहा था।

मालिनी ने देखा कि राजीव उसमें ज़रा ज़्यादा ही इंट्रेस्ट ले रहा है। तो वो बोली: चलो बैठो आयशा और मुझे बिज़नेस के बारे में बताओ।

आयशा बैठी और मालिनी उसके बग़ल में बैठ गयी। राजीव अब अपने कमरे में चला गया।

आयशा अब उसे बिज़नेस के बारे में बताने लगी। मालिनी को कुछ ज़्यादा इंट्रेस्ट नहीं आया। आख़िर में मालिनी बोली: आयशा मुझे इसमें कोई इंट्रेस्ट नहीं है ।

आयशा: कोई बात नहीं। चलो इसी बहाने तुमसे मुलाक़ात तो हो ही गयी।

मालिनी : हाँ चलो चाय बनाती हूँ।

आयशा: चलो मैं भी किचन में आती हूँ।

किचन में मालिनी से नहीं रहा गया और वो बोली: शिवा बता रहा था कि असलम उसको बोला था कि क्या वो हम दोनों की अदला बदली करेगा? क्या ये सच है कि असलम और तुम इस तरह को अदला बदली का मज़ा लेते हो?

आयशा ने हिचकिचाने का नाटक किया और बोली: हाँ ये सच है कि हमने कुछ जोड़ों से अदला बदली की है। पर इसके पीछे एक लम्बी कहानी है।

मालिनी उत्सुकता से: ओह कैसी कहानी? मैं समझी नहीं।

तभी राजीव की आवाज़ आयी: अरे भई चाय बना रही हो तो हमें भी पिला देना।

आयशा: यहाँ सम्भव नहीं होगा सुनाना। तुम मेरे घर आ जाओ ना।

मालिनी: ना बाबा ना। पता नहीं तुम्हारा पति मुझे पकड़ लिया तो?

आयशा हँसकर: वो खाना खाके ३ बजे वापस काम पर चले जाते हैं। तुम कल ४ बजे आ जाना एक घण्टे के लिए।

मालिनी: ठीक है देखती हूँ।

फिर सब चाय पिए और आयशा अपने घर चली गयी।

राजीव: मस्त माल है। तुम मुझसे चुदवा दो ना।

मालिनी: बस जहाँ लड़की दीखी आपका लण्ड झटके मारने लगता है। कल मैं उसके घर जाऊँगी।

राजीव: क्यों क्या असलम से चुदवाओगी?

मालिनी: छी । मैं उससे कुछ बातें करने जा रही हूँ। बस और कुछ नहीं।

राजीव : अच्छा अब चलें तुम्हारी गाँड़ के छेद को बड़ा करने का अभियान शुरू करें?

मालिनी: पापा अभी?

राजीव: और क्या । आज सुबह मैं वॉक पर गया था तो मेडिकल स्टोर से वो लुब यानी KY jel ले आया था।

मालिनी: ओह ठीक है मैं बाथरूम से होकर आती हूँ। आपका कोई भरोसा नहीं है आप कहाँ कहाँ मुँह डाल दोगे क्या पता।

राजीव: बेटा, वो तो है । मैं तुम्हारी बुर और गाँड़ देखकर अपने आप को नहीं रोक पाता।

मालिनी बाथरूम जाकर अपनी बुर और गाँड़ को अच्छी तरह से धोकर बाहर आकर पापा के कमरे में गयी।

राजीव आलमारी से वो डिब्बा बाहर निकाल कर उसमें से सबसे पतला लण्ड निकाला और उसको लाकर बिस्तर पर जेल के साथ रख दिया। मालिनी आकर बिस्तर पर लेट गयी।

राजीव उसके सलवार का नाड़ा खोला और उसकी सलवार को उतार दिया। अब वो मालिनी की बुर सहलाया और बोला: बेटा पेट के बल हो जाओ। वो उलटी होकर लेटी और अपनी गाँड़ उठायी । अब उसके पेट के नीचे वो एक तकिया रखा जिससे उसकी गाँड़ ऊपर को उठ गयी। वो उसके चूतरों को दबाकर मस्ती से भर गया । वो उसके चूतरों को दबाया और उनको चूमने लगा। अब वो उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ के दरार को देखकर वो मस्ती से वहाँ ऊँगली से सहलाने लगा। उसके भूरे रंग के छेद को अब वो चूमने लगा और जीभ से चाटने लगा।

मालिनी: पापा इसीलिए मैं धो कर आयी हूँ। मुझे पता था कि आप वहाँ मुँह डाल ही दोगे। आऽऽऽऽह क्या कर रहे हो।

राजीव: ये देखकर कौन अपने आप को रोक सकता है। अब वो उसकी गाँड़ के छेद में जेल लगाकर एक ऊँगली अंदर डालने लगा। मालिनी आऽऽऽहहह कर उठी। थोड़ी देर वो जेल से सनी ऊँगली अंदर बाहर करता रहा। मालिनी आऽऽहहह करती रही। दस मिनट के बाद वो ऊँगली निकाला और उसकी गाँड़ थोड़ी खुल सी गयी थी। अब वो इस पतले नक़ली लण्ड को जेल लगाया और फिर धीरे से उसकी गाँड़ के छेद में वो डाला। अब मालिनी हाऽऽऽय्य कहकर मज़े से भर उठी थी। अब वो उस पतले लंड को बड़ी देर तक अंदर बाहर करते रहा।

मालिनी: आऽऽऽह पापा अच्छा लग रहा है ।

राजीव: तुम्हारी सास को भी ऐसा मज़ा मिलता था। वो भी बहुत मस्त हो जाती थी।

मालिनी: उफफफ सच में बहुत अच्छा लग रहा है।उइइइइइइ ।
उफफफ पापा मैं तो नीचे भी गीली हो गयी हूँ।
अब राजीव ने उसे पलटा और अब उसकी बुर की फाँकों को फैलाया और बोला: उफफफ क्या मस्त गुलाबी बुर है। चलो अब अपना लण्ड यहाँ डालकर तुमको मज़ा देता हूँ।
वो पतला सा नक़ली लण्ड अभी भी मालिनी की गाँड़ में घुसा हुआ था। अब राजीव ने उसकी टाँगे चौड़ी करके उसकी बुर में अपना लौड़ा पेल दिया ।फिर वह उसकी चुदाई में मस्त हो गया। मालिनी भी मस्ती से अपने चूतर उछालकर चुदवा रही थी। अब राजीव उसके होंठ चूस रहा था और क़ुर्ती के ऊपर से उसकी चूचि भी दबा रहा था।

मालिनी: उफफफफ पापा क़ुर्ती उतारो ना। आऽऽहहह ।

अब राजीव ने क़ुर्ती उतारी और ब्रा का हुक खोला। अब वो उसकी मस्त चूचियाँ दबाने लगा। वो भी मस्ती से चुदवाने लगी और अब राजीव ने अपना होंठ उसके होंठ पर रखा और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। वो उसकी जीभ वैसे ही चूसने लगी मानो उसका लौड़ा चूस रही है। राजीव के धक्के अब उसको मस्त कर रहे थे। चुदाई अपने पूरे यौवन पर थी। मालिनी की गाँड़ में वो नक़ली लंड अब भी घुसा हुआ था। तभी मालिनी चिल्ला कर आऽऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगी।राजीव भी अब जल्दी जल्दी धक्के मारा और झड़ने लगा। राजीव: बेटा ये लण्ड अब गाँड़ से निकाल देता हूँ। वो उसको बाहर निकाला और साफ़ करके वापस डिब्बे में रख दिया। वो उसकी गाँड़ के छेद को देखकर बोला: बेटा ये तो अब काफ़ी खुल गयी है। हफ़्ते भर में ये गाँड़ का छेद मरवाने लायक हो जाएगा।

अब दोनों सफ़ाई किए और राजीव बोला: अच्छा ये बताओ कि आयशा से क्या बात हुई?

मालिनी: वो कल अपने घर शाम को बुलाई है । वह बताएगी कि वो दोनों सवेप्पिंग़ क्यों शुरू किए।

राजीव: यहीं बता देती इसके लिए अपने घर बुलाने की क्या ज़रूरत है।

मालिनी हँसकर: यहाँ आप जो हो ना। बात ही नहीं करने देते।

उस दिन और कुछ नहीं हुआ।

रात को सोने से पहले शिवा ने पूछा : आयशा से क्या बात हुई?

मालिनी: बस वो अपने बिज़नेस के बारे में बतायी है । मैं कल उसके घर जाऊँगी और ज़्यादा समझने।
वो उसको स्वेपिंग़ की बात नहीं बताई।

शिवा को पहले ही आयशा से बात हो चुकी थी। वो इसे बता चुकी थी कि कल मालिनी इसके घर उसकी कहानी सुनने आ रही है। वो ये सोचकर गरम हो गया कि मालिनी अब उससे झूठ भी बोलने लगी है। उसे शायद चुदाई का चस्का लग रहा है। देखो कितना समय लगता है और खुलने में इसको।

अब रात को दोनों ने एक राउंड चुदाई की और सो गए।

उधर रात को राकेश भी सरला के कमरे में ही सोया और दोनों ने बड़े प्यार से एक राउंड चुदाई की।

अगली सुबह पता नहीं उन सबकी ज़िंदगी में क्या बदलाव लाने वाली थी?
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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सुबह मालिनी उठी और हमेशा की तरह चाय बनाकर राजीव को आवाज़ दी। चाय पीते हुए आज फिर राजीव पूछा: रात को चुदाई हुई क्या?

मालिनी: आपको बस यही जानना होता है ना। हाँ हुई और ज़ोरदार हुई।

राजीव:बेटा तुम कब मेरे साथ रात को सोओगी?

मालिनी: दिन भर तो चिपके रहते हैं और अब रात को भी चिपका कर रखना है क्या?

राजीव: अरे रात की चुदाई का अपना ही मज़ा है।

मालिनी: ठीक है ये कभी सामान ख़रीदने मुंबई जाएँगे तो रात को भी अपने साथ ही सुला लीजिएगा।

राजीव को उसकी बात सुनकर उस पर प्यार आया और वो उसको चूमा और उसकी चूचियों पर हाथ फेरकर बोला: बेटा वैसे ये अब बड़ी हो रहीं हैं ना?

मालिनी: बाप बेटा दोनों दबाएँगे और चूसेंगे तो बड़ी तो होना ही है। पर आयशा की तो ज़्यादा ही बड़ी हैं ना?

राजीव: अरे वो तो असलम के दोस्तों ने खींच कर बड़ी कर दी होंगी। हा हा ।

मालिनी खड़ी हुई और बोली: चलो आप तय्यार हो जाओ। मैं भी शिवा को उठाती हूँ।

शिवा के जाने के बाद जब बाई भी चली गयी तो राजीव बोला: बेटा गाँड़ में कब लण्ड डलवाओगी? आज सेकंड नम्बर का डालेंगे।

मालिनी: पापा अगर आप वहाँ मुँह नहीं डालने का वादा करो तो अभी डलवा लूँगी। वरना नहा कर आती हूँ और डलवाती हूँ।

राजीव: चलो वादा किया की वहाँ मुँह नहीं डालूँगा। चलो अब मेरे कमरे में।

मालनी पसीना पोंछकर उसके पीछे आयी और अपनी नायटी को पेट तक उठाकर पेट के बल लेट गयी। राजीव ने उसके पेट के नीचे तकिया रखा और उसकी गाँड़ ऊँची हो गयी। वो उसके चूतर सहलाया और बोला: उफफफफ बेटा क्या मस्त चूतर हैं और अब ये भी भर रहे है!। जितना चुदवाओगी उतना ही ये और कामुक हो जाएँगे। फिर वो उसके चूतरों को अलग किया और उसकी भूरि गाँड़ में ऊँगली फिराया और वहाँ नाक ले जाकर सूँघा और बोला: आऽऽऽह बेटा क्या मस्त मादक गंध है। जानती हो इसमे से तुम्हारे पसीने और सेक्स की मिली जुली गंध आ रही है। जब तुम उसे धोकर आती हो तो सिर्फ़ साबुन की गंध आती है।

मालिनी: अगर आप उसे चूमे तो मैं फिर कभी बिना धोए आपके पास नहीं आऊँगी।

राजीव: आऽऽह मन तो बहुत कर रहा है इसे चूमने का। पर चलो नहीं चूमते। तुमको नाराज़ भी तो नहीं कर सकते।

अब वो उसकी गाँड़ में जेल डाला और जेल लगाकर कल वाला लंड ही डाला। मालिनी : आऽऽऽऽह पापा अब भी थोड़ा सा जल रहा है।

राजीव: बस बेटा अभी अच्छा लगेगा। वो क़रीब १० मिनट तक उसको अंदर बाहर किया। फिर वो उसे निकाला और सेकंड नम्बर का थोड़ा मोटा लंड ख़ूब सारा जेल लगाकर अंदर डाला मालिनी: आऽऽऽह पापा । ये तो और मोटा है । उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

क़रीब १० मिनट तक वो इसको अब अंदर बाहर किया। अब मालिनी: आऽऽऽह पापा बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है। मेरी बुर गरम हो गयी है। उइइइइइइइइ पापा अब चोओओओओओओओदो।

राजीव ने उसकी गाँड़ उठाई और उसकी बुर में ३ उँगलियाँ डाली और देखा कि बुर पूरी तरह से पनियायी हुई है। वो अपने लौड़े पर भी जेल लगाया और उसकी बुर में अपना लौड़ा पीछे से पेलने लगा। नक़ली लण्ड अब भी उसकी गाँड़ में फंसा हुआ था। चुदाई शुरू होते ही मालिनी आऽऽऽऽह पपाऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ पीछे करके उसका पूरा लण्ड निगल कर चुदवाने लगी। वो भी अब मस्ती से भर कर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और जोओओओओओर से चोओओओओओदो पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा चिल्लाने लगी। वह उसकी क़ुर्ती के ऊपर से ही उसके दूध दबा रहा था। क़रीब २० मिनट की रगड़ाई के बाद दोनों हाऽऽऽय्य कहकर झड़ने लगे।

अब मालिनी पेट के बल गिर गयी। राजीव भी उसकी गाँड़ से नक़ली लण्ड निकाला और देखा कि उसकी गाँड़ का छेद अब भी खुला हुआ था। वो समझ गया था कि जल्दी ही इसकी गाँड़ का उद्घाटन का समय आने वाला है। वो मुस्कुराया और बोला: बेटा अब तो तुम्हारी गाँड़ ढीली पड़ रही है। जल्दी ही इसे मारूँगा। ठीक है ना?

मालिनी: पापा जब चाहो मार लो। मैंने तो अपना बदन आपको सौंप दिया है।

राजीव उसकी बात से ख़ुश हो कर उसे चूमने लगा।

उधर शिवा को शाम होने का इंतज़ार था । वो आयशा को फ़ोन लगाया : हेलो क्या हाल है?

आयशा: मैं तो ठीक हूँ। आप बड़े बेचैन लग रहे हो?

शिवा: वो क्या है ना, आज मालिनी तुमसे मिलेगी तो तुम्हारी क्या बात होती है क्या मैं सुन सकता हूँ?

आयशा: हाँ सुन तो सकते हो पर फ़ीस लगेगी।

शिवा: बोलो क्या फ़ीस लोगी?

आयशा: मालिनी के जाने के बाद आकर मुझे चोद देना एक बार।

शिवा: इतनी हसीन फ़ीस? ज़रूर मेरी जाँ । पर तुम्हारी बातें कैसे सुनूँगा?

आयशा: बहुत पुरानी ट्रिक है। मैं मालिनी के आने से पहले अपना लैंड लाइन आपके मोबाइल से कनेक्ट कर दूँगी। और उसको ऐसी जगह छिपाऊँगी कि वो मालिनी को नहीं दिखेगी। मगर आप पूरी बात सुन पाओगे।

शिवा: wow ये तो बढ़िया हो जाएगा। ठीक है मैं तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार करूँगा।

आयशा: ठीक है। बाई।

राजीव को खाना खिलाकर मालिनी बोली: पापा मैं थोड़ा आराम करके आयशा के घर जाऊँगी।

राजीव: बेटा मैं तुमको छोड़ आऊँगा।

मालिनी: पापा मैं चली जाऊँगी। मैं ऑटो कर लूँगी।

राजीव ने भी ज़िद नहीं की।

मालिनी तय्यार होकर सलवार कुर्ते में आयशा के घर गयी। वहाँ उसने बेल बजायी। तभी आयशा ने सोफ़े के सामने एक गुलदस्ते के पीछे कॉर्ड्लेस फ़ोन को शिवा के फ़ोन से कनेक्ट की और बोली: वो आ गयी है। ठीक है?

शिवा : हाँ मैं सुन रहा हूँ। बाई ।

आयशा जाकर दरवाज़ा खोली और बोली: सॉरी मैं वाश रूम में थी। तुमको इंतज़ार करवाया।

मालिनी: अरे कोई बात नहीं। आयशा उसे लेकर गुलदस्ते के पास वाले सोफ़े पर बैठ गयी। दोनों कुछ देर इधर उधर की बातें कीं और आख़िरी में मालिनी बोली: वो तुम बोलीं थीं ना कि मुझे वो बताओगी कि तुमने स्वेपिंग़ कैसे और क्यों शुरू की?

आयशा: सॉरी यार मैंने अपना इरादा बदल लिया है। असल में वो बहुत व्यक्तिगत बात है। और मैं तुमको नहीं बताना चाहती। क्या है ना बात फैलते देर नहीं लगती।

मालिनी ने थोड़ा निराश होकर कहा: अरे मुझ पर तुम विश्वास कर सकती हो। मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी।

आयशा: शिवा से भी नहीं?

मालिनी: अगर तुम चाहोगी तो उससे भी नहीं। बस? अब बताओ।

आयशा : ठीक है मैं बताती हूँ, पर ये हमारे बीच ही रहेगा। उसने कहना शुरू किया-------------------

मैं एक मध्यम वर्ग परिवार से हूँ। घर में मेरे अब्बा अम्माँ और मेरा बड़ा भाई ही था । हमारे घर में रिश्तेदार बहुत आते जाते रहते थे । अब्बा की बहने , उनके पति और बच्चे और अम्मी के भी भाई और उनके भी परिवार के सदस्य ।उन सबमे मेरी बड़े मामू से बहुत पटती थी। वो मेरे लिए बहुत सी चोकलेट्स और ड्रेस लेकर आते थे ।एक फूफा भी मुझे बहुत लाड़ करते थे। ये दोनों मर्द क़रीब ४५ के आसपास थे। वो दोनों जब भी आते ( अलग अलग ) मुझे बहुत प्यार करते थे। मुझे भी अब अटेन्शन अच्छा लगता था मानो मैं कोई VIP हूँ। वो दोनों मुझे गोद में बिठाकर प्यार करते और मेरी बाहों को सहलाते। कभी कभी मेरे दूध भी सहला देते जैसे ग़लती से हाथ लग गया हो। जब भी मैं उनकी गोद में बैठा करती मुझे नीचे खूँटा सा गड़ने लगता। मैं अब सेक्स के बारे में समझने लगी थी।
अब मैं ११ वीं में पढ़ती थी, और जवान हो गयी थी। एक दिन अम्मी को नानी के घर जाना पड़ा क्योंकि नाना की तबियत ख़राब हो गयी थी। मेरा भाई भी उनके साथ चला गया। मैं उस समय सलवार कुर्ता में थी और मैं घर में चुन्नी नहीं लेती थी। सिर्फ़ बाहर वालों के सामने ही लेती थी।

(मालिनी सोचने लगी कि ये मुझे इतने विस्तार से कहानी क्यों सुना रही है। ये चाहती तो सिर्फ़ इतना कह सकती थी कि मेरे मामा या फूफा ने मेरी चूत ली थी। पर वो ये सब सुनकर उत्तेजित हो रही थी।

उधर शिवा जानता था कि आयशा का प्लान है उसे इन सब चीज़ों से उत्तेजित किया जाए ताकि वो इन सबमे इंट्रेस्ट ले। और हक़ीक़त तो ये है की वो ख़ुद भी आयशा की कहानी से उत्तेजित होकर अपना लंड दबा रहा था। )

आयशा ने बोलना जारी रखा-------





रात को अब्बा आए और बोले: नाना की कोई ख़बर आयी?

मैं: नहीं अब्बा कोई ख़बर नहीं आयी।

अब्बा: अच्छा चलो कोई बात नहीं। तू मेरे लिए एक गिलास पानी ला और बर्फ़ निकाल कर ला। थोड़ा सा नमकीन भी ला देना।
वो अपने कपड़े बदलने चले गए। वो थोड़ी देर बाद लूँगी और बनियान में आए।

मैं समझ गयी कि आज अब्बा दारू पिएँगे। वो कभी कभी पीते थे। मैंने सब इंतज़ाम कर दिया। अब वो टी वी देखते हुए पीने लगे। मैं भी वहीं बैठकर अपना होम वर्क करने लगी।

उस समय मैंने देखा कि बोतल का पानी ख़त्म हो गया था। मैंने पूछा: अब्बा और पानी लाऊँ क्या?

अब्बा की अब आँखें लाल हो रही थीं । वो बोले: हाँ बेटा लाओ।

मैं पानी लायी और उनके गिलास में डालने लगी। तभी मुझे अहसास हुआ कि वो मेरे बदन को घूर रहे हैं। उनकी नज़र मेरी जवान होती चूचियों पर थीं। मुझे बड़ा अजीब सा लगा।

अब अब्बा ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा: आओ बेटा मेरे पास बैठो। ये कहकर वो मुझे अपनी गोद में खींच लिए। मैं उनकी लाल आँखों से डर रही थी।

वो मुस्कुराकर बोले: अरे डर क्यों रही है? मैं तो तुमको प्यार करना चाहता हूँ। तुम तो अपने मामू और फूफा की गोद में भी बैठती हो ना? तो अब्बा की गोद में कैसा डर?

मैं: वो अब्बा ऐसा नहीं है । मैं भला आपसे क्यों डरूँगी।

तभी मैंने देखा कि वो मेरी कुर्ते के अंदर झाँक रहे थे। वो बोले: अरे बेटा, तुम तो ब्रा भी पहनती हो। मैं तो तुमको बच्ची समझता था। पर तुम तो जवान हो गयी हो। वो मेरी नंगी बाहों को सहलाकर बोले। तभी मैंने महसूस किया कि अब्बा का भी खूँटा मुझे वैसे ही चुभने लगा था जैसे मामू या फूफा का चुभता था।

मैं: अब्बा मैंने तो तीन साल से ब्रा पहनती हूँ।

अब्बा : बेटा मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया। पर अब तो तुम मस्त जवान हो गयी हो।
अब उनकी आँखें और ज़्यादा लाल हो गयीं थीं।

वो: बेटी मामू या फूफा ने कभी इनको सहलाया क्या? वो मेरी चूचियों पर हाथ रख कर बोले।

मैं सिहर उठी और बोली: जी अब्बा कभी कभी सहलाते थे जब कोई आस पास नहीं होता था।

वो: बेटी तुमको अच्छा लगता था ना?

मैं: जी लगता था। फिर वो दबाते हुए बोले: और अभी कैसा लग रहा है?

मैं: अब्बा आप ऐसे क्यों कर रहे हो? आप तो मेरे अब्बा हो ना?

वो: अरे बेटी पहला हक़ तो मेरा ही है। मामू और फूफा को तो बाद में करना चाहिए था । अच्छा ये बता कि वो तेरी चड्डी में भी हाथ डाले थे क्या?

मैं शर्मा कर: हाँ कभी कभी डालते थे। पर मैं उनको मना करती थी।
अब उनका खूँटा मेरी गाँड़ में बहुत चुभने लगा था।

वो: क्या उन्होंने तुमको अपना ये भी पकड़ाया था ? वो अपने लण्ड को मेरी गाँड़ में दबाकर बोले।

मैं: नहीं अब्बा ।

फिर वो मेरी चूचियाँ दबाकर बोले: तो अब तक तुम कुँवारी हो? किसी ने तुम्हारी चुदाई नहीं की है अब तक?

मैं: छी कैसी गंदी बात करते हैं । मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ ।

फिर अचानक मुझे प्यार करते हुए बोले: बेटा, तुम मुझसे स्कुटी माँग रही थी ना, स्कूल जाने के लिए।

मैं मुँह बिसूर कर: आप तो मना कर दिए थे।

अब्बा: अरे बेटा मैं तो समझा था कि तुम बच्ची हो। पर तुम तो जवान हो गयी हो। अब मैं तुमको कल ही स्कुटी ले दूँगा।

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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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मैं ख़ुशी से उनसे चिपक गयी और उनका गाल चूमकर बोली: ओह अब्बा आप कितने अच्छे हो। थैंक यू ।

अब अब्बा अपने पर आए और मुझे अपने कड़े गठिले बदन से सटा लिए और मेरी बाँह सहलाकर बोले: बेटा लेकिन तुमको मेरा भी तो एक काम करना होगा।

मैं: हाँ हाँ बोलिए ना क्या करना होगा?

वो: बेटा मेरा पूरा बदन दुःख रहा है। अगर तुम्हारी अम्मी होती तो मेरी मालिश कर देती। अब तुम कर दोगी क्या।

मैं: हाँ हाँ अब्बा क्यों नहीं। हालाँकि मुझे आता नहीं है पर कोशिश पूरी करूँगी।

अब्बा खड़े हुए तो उनकी लूँगी में सामने से उभार साफ़ दिख रहा था । मैं भी जवान हो चुकी थी और मामू और फूफा ने मुझे ट्रेन भी किया हुआ था । मैं समझ गयी कि आज कुछ होने वाला है । मेरी बुर में भी थोड़ी सी खुजली होने लगी थी।

( इधर मालिनी की भी बुर खुजाने लगी थी, क्या मस्त तरीक़े से कहानी बता रही है- वो सोची। वो अब अपनी जाँघों को आपस में रगड़ने लगी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए थे। आयशा ने ये सब देखा और अपने प्लान की सफलता पर ख़ुश हुई ।उधर शिवा की भी हालत ख़राब हो रही थी और वो अपने कैबिन का दरवाज़ा बंद करके अपना लंड पैंट से निकाल कर हिला रहा था। )

आयशा बोले जा रही थी-------

अब्बा जाकर अपनी बनियान उतारे और लूँगी को समेट के बिस्तर पर सीधे लेट गए। अब उनका पूरा बदन सिर्फ़ जाँघों के जोड़ को छोड़कर पूरा नंगा था वहाँ भी एक तंबू तना हुआ साफ़ दिख रहा था।

अब्बा ने तेल की शीशी दिखाई और बोले: चलो पैर से शुरू करके मालिश करो। मैंने पैरों से मालिश शुरू की और ऊपर उनकी बालवाली जाँघों तक पहुँची और जैसे ही ऊपर को हुई मेरे सलवार में तेल लग गया।

अब्बा: बेटी, देखो तेल से तुम्हारे कपड़े ख़राब हो जाएँगे। इनको उतार दो।

मैं: छी अब्बा ऐसे कैसे उतार दूँ? मुझे शर्म आएगी।

वो: अरे मैं भी तो ऐसा ही पड़ा हूँ। चल उतार कुर्ता वरना अम्मी ग़ुस्सा होगी कि तेल लग गया और कपड़े ख़राब हो गए । वो मेरा हाथ पकड़े और मेरा कुर्ता उतारने लगे । अब मैंने भी चुप चाप उतार दिया । मेरी ब्रा को देखकर वो बोले: बेटी, ये इतनी टाइट ब्रा क्यों पहनी हो? उफफफ ये तो तुम्हारे साइज़ के हिसाब से बहुत छोटी है। देखो कैसे निशान पड़ गए हैं तुम्हारे दूध पर।

मैं: वो मैंने अम्मी से कहा था कि नई ले दें। पर वो डाँटकर बोली कि तेरे तो हर महीने बड़े हो जाते हैं। कितने पैसे ख़र्च करूँ इन पर?

अब्बा ने बड़े प्यार से मुझे अपने पास खिंचा और कहा: बेटा मैं तेरे लिए नयी ब्रा ला दूँगा । ज़रा साइज़ तो बता। ये कहकर वो मेरी ब्रा का हुक खोल दिए। मेरी ब्रा को हाथ में लेकर उनकी साइज़ चेक किया । मैंने शर्म से अपने हाथ से अपने दूध छिपा लिए थे । वो मुस्कुराकर बोले: बेटा ला दिखा क्या साइज़ होगा तुम्हारा? ये कहकर मेरे हाथ को वहाँ से हटाकर अपने हाथ में मेरा दूध पकड़कर जैसे साइज़ नापे और बोले: अभी तो तेरी अम्मी से काफ़ी छोटी है । तेरा साइज़ अब ३० तो हो गया है और कप साइज़ भी B तो है ही। ये ब्रा तो सच में बहुत छोटी है । देखी कैसे निशान बन ग़एँ हैं तुम्हारे दूध पर। वो मेरे दूध के निशान को सहलाकर बोले।

मैं अब बहुत गरम हो गयी थी। मेरे निपल्ज़ तन गए थे। मेरी बुर भी गीली होने लगी थी। अब अब्बा मेरी निपल्ज़ को मसलने लगे थे । मैं तो पगला सी गयी थी। तभी वो बोले: बेटा सलवार भी उतार दो वरना तेल लग जाएगा। मैं शर्म से कुछ नहीं की तो वो ख़ुद मेरे सलवार का नाड़ा खोलकर उसे निकाल दिए। अब मैं सिर्फ़ एक पुरानी सी पैंटी में थी।

वो: बेटी तुम्हारी पैंटी तो बड़ी पुरानी है और छोटी भी है। वो मेरी पैंटी को छू कर बोले। फिर वो पैंटी के ऊपर से मेरी बुर को दबाए और बोले: बेटा कल नयी पैंटी भी ला दूँगा।
अब वो मुझे अपने बग़ल में लिटाकर मुझे अपनी बाहों में लेकर चूमते हुए मेरी चूचियाँ दबाने लगे। अब वो मालिश का सब नाटक मानो भूल गए थे। वो मुझे नीचे करके मेरे ऊपर आ गए और मेरी चूचियाँ मुँह में लेकर चूसने लगे। अब मैं भी वासना से पागल हो गयी थी और उनको अपने से चिपका लिया और उनकी पीठ सहलाने लगी ।अब वो नीचे आकर मेरी पैंटी उतारकर मेरी जाँघें फैलाए। वो बोले: बेटा बाल कैंची से काटती हो क्या?

मैं: जी अब्बा । मैंने अम्मी से वीट क्रीम दिलाने को कहा तो कहने लगीं कि अभी छोटी हो कैंची से साफ़ करो ।

वो: बेटा तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो , मैं लाऊँगा क्रीम और कल ही तुम्हारे बाल ख़ुद साफ़ करूँगा। ये कहकर वो मेरी बुर को सहलाए और फिर उसमें एक ऊँगली डाले और मैं चिल्ला उठी। वो ख़ुश होकर बोले: बेटा बिलकुल कोरी कुँवारी रखी हो। आऽऽहहह मज़ा आ जाएगा। कितने दिनों के बाद किसी की सील तोड़ूँगा। अब उनकी ऊँगली मेरी बुर को सहलाने लगी और मेरी खुजली भी बढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद वो मेरे ऊपर आ गए और मेरी चूचियाँ दबाके अपना मुँह मेरे मुँह पर रखकर चूसने लगे । पता नहीं कब उनका लंड मेरी बुर पर आ गया और उन्होंने लंड दबाना शुरू किया । अचानक मेरी चीख़ निकल गयी और वो अपना मूसल मेरे अंदर धँसाते चले गए। जब पूरा लण्ड अंदर गया तो ही रुके। मेरी आँखों से आँसू निकले जा रहे थे मारे दर्द के।

अब वो क़रीब १० मिनट तक ऐसे ही मेरे ऊपर थे और मेरी चूचियाँ दबाकर चूस रहे थे। अब मुझे भी अच्छा लगने लगा। मैं भी अब थोड़ा सामान्य हुई और अब उन्होंने पूछा: बेटी दर्द कम हुआ क्या?

मैं: आऽऽंह जी अब ठीक है।

वो: तो अब चोदूँ?

मैं: मतलब?

वो: अरे अब धक्का मारूँ क्या? नहीं समझी? अरे अभी तो सिर्फ़ लंड पेला है अब चुदाई होगी , ठीक है?

मैं: जी। अब वो ऊपर होकर आधा लंड निकाले और फिर ज़ोर से वापस डाले। फिर तो वो ऐसे ही चोदने लगे। अब मैं भी मस्त हो चुकी थी। मैंने भी अब जवानी का मज़ा लेना चालू किया । क़रीब दस मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद अब्बा और मैं एक साथ झड़ गए। उनका लंड स्खलन के समय बहुत मोटा महसूस हो रहा था। मैं भी उइइइइइइइ आऽऽऽऽऽह कहकर झड़ गयी।

अब वो मेरे पास लेटकर बोले: बेटी ये गोली खा लो। ये तुम्हारी अम्मी भी खाती है गर्भ ना हो इसलिए। मैंने चुपचाप गोली खा ली। फिर वो मेरी बुर का मुआयना किए और एक कपड़े से उसको पोंछकर बोले: थोड़ा सा ख़ून निकला है। बाक़ी सब ठीक है। मैंने भी अपना हाथ अपनी बुर पर फेरा और बोली: अभी भी जलन हो रही है।

अब वो बोले: बस जल्दी ठीक हो जाएगा। चलो बाथरूम में चलो।

मैंने उठने की कोशिश की और लँगड़ा कर चलने लगी दर्द के मारे। वो बोले: कोई बात नहीं बेटा कल तक सब ठीक हो जाएगा।

बाथरूम में उन्होंने मेरी बुर को पानी से धोया और सफ़ाई करके उसको चूम लिया । मैं भी मस्ती से भर गयी। वापस बिस्तर पर आकर वो मुझे लंड चूसना सिखाए। मैं जल्दी ही सीख गई और वो मेरे मुँह में झड़ गए और मुझे पूरा रस पीने को बोले जो मैंने पी लिया।

अगले दिन वो मेरे लिए कपड़े और मेरी स्कुटी भी ले आए।
अब तो मैं घर में अब्बा से जब मौक़ा मिलता चुदवा लेती। ऐसे ही चलता रहा और फिर एक दिन अम्मी ने हमको किचन में देख लिया। मैं आगे की कर झुकी हुई अब्बा से चुदवा रही थी। मेरी सलवार पैरों में गिरी हुई थी। वो पीछे से मुझे चोद रहे थे ।तभी मेरी नज़र अम्मी पर पड़ी जो कि अचानक बाज़ार से जल्दी वापस आ गई थीं। मेरे तो प्राण ही सुख गए। मैं जल्दी से अब्बा से अलग हुई और भाग गई।

पता नहीं क्यों मगर अम्मी ने कुछ भी ऐसा नहीं जताया जैसे वो मेरे से नाराज़ हैं । पर दो दिन बाद वो मुझे बस से पास के शहर में ले के गयीं। वहाँ मैंने पहली बार असलम को देखा और तब मुझे पता चला कि मेरी अम्मी के चचेरा भाई का लड़का था ।और वहीं तब मैंने अपने होने वाले ससुर को देखा। मैं उनको देखते ही समझ गयी कि वो बड़ा ठरकी है । वो बड़े हो वासना भरी नज़रों से मुझे घूर रहा था और मेरी चूचियाँ तो जैसे वो खाने के ही मूड में था।

अम्मी ने मेरे रिश्ते की बात की असलम के बारे में ,और उसके अब्बा एकदम से राज़ी हो गए। उसी दिन मेरी और असलम की बात पक्की हो गयी।

अब आयशा ने देखा कि मालिनी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अब अपनी बुर को खुजा रही थी। वो अपना हाथ उसके हाथ पर रखी और बोली: क्या बहुत खुजा रही है?

मालिनी: आह तुम्हारी कहानी है ही इतनी सेक्सी। कोई भी पागल हो जाए।

आयशा: थोड़ा आराम दे दूँ क्या इसको? वो उसकी बुर की तरफ़ इशारा करके बोली।

मालिनी हँसी और बोली: तुम्हारे पास कहाँ हथियार है?

आयशा: अरे ये तो है । ये कहकर उसने अपनी जीभ और एक ऊँगली दिखाई।

मालिनी: ओह बड़ा अजीब लगता है सोचकर ये सब।

आयशा: अरे मैं बहुत अच्छा चाटती हूँ । एकबार करवा के देखो। मुझे मेरी सास ने ट्रेनिंग दी है। सच में मैं बहुत अच्छा चूसूँगी तुम्हारी बुर, शिवा से भी अच्छा।

( शिवा बुरी तरह से चौंका ,ये सब फ़ोन पर सुनकर । वो हैरान था कि क्या मालिनी लेज़्बीयन सेक्स के लिए मान जाएगी ? और आयशा इस सबसे क्या हासिल करना चाहती है। वो अपना लंड और ज़ोर से हिलाने लगा ? )

मालिनी चौंकी: सास ने ?

आयशा: हाँ अगली बार ये सब बताऊँगी। अभी तो अपनी प्यास बुझा लो। ये कहकर वह मालिनी के कुर्ते को ऊपर की और सलवार के नाड़े को खोलने लगी। मालिनी चाह कर भी उसे मना नहीं कर पाई। और उसकी सलवार आयशा ने नीचे खिंची और मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर सलवार निकालने में उसकी मदद की।

आयशा ने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाया और बोली: उफफफ ये तो बिलकुल गीली हो गयी है।

मालिनी शर्म से लाल होकर बोली: आपको कहानी थी ही इतनी सेक्सी।

अब आयशा सोफ़े से उठी और नीचे बैठ कर उसकी पैंटी भी निकाल दी। मालिनी ने शर्मा कर अपनी जाँघें भींच ली।

आयशा उसकी जाँघों को सहलाकर बोली: दिखाओ ना अपनी मस्तानी बुर। और वो उनको फैलाई। अब उसकी पनियायी हुई बुर उसकी आँखों के सामने थी। वो वहाँ हाथ फेरी और फिर उसने उसको हल्के से मसला। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी ।
अब आयशा ने अपना मुँह उसकी जाँघों के बीच डाला और उसकी बुर को चूमने और फिर चूसने लगी।

मालिनी: आऽऽऽऽऽऽऽऽहहह उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ ।

आयशा ने अब अपनी जीभ उसकी बुर में डाली और उसकी क्लिट को भी छेड़ने लगी। अब मालिनी अपनी गाँड़ उछालकर और उसका सिर अपनी बुर में दबाकर मस्ती से चिल्लाने लगी: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं मरीइइइइइइइइइइ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

आयशा : बोलो शिवा के लंड से ज़्यादा मज़ा आता है या मेरी जीभ से ?

मालिनी: आऽऽहहह तुम्हारी जीभ तो पागल कर देगी हाय्य्य्य्य्य।

अब आयशा ने फिर से पूछा: अच्छा बताओ ससुर के लंड से ज़्यादा मज़ा आ रहा है ना मेरी जीभ से चुदाई में?

अब आयशा का मुँह उसकी पानी से पूरा गीला हो चला था । वह अब तीन ऊँगली उसकी बुर में अंदर बाहर करने लगी और जीभ से उसके क्लिट को सहलाने लगी।

अब मालिनी: आऽऽऽह क्या कह रही हो। उफफफफ।

आयशा : मैं बोली मुझसे ज़्यादा मज़ा देता है क्या ससुर का लंड ? अब वो जल्दी जल्दी ऊँगलियों से चोद रही थी और उसकी क्लिट के साथ जीभ भी उसकी बुर में चला रही थी।

मालिनी: आऽऽऽह सच में मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽऽ है।

आयशा: पापा के लंड से भी ज़्यादा ?

मालिनी: आऽऽऽह उइइइइइइ है पापा के लंड से भी ज्याआऽऽऽऽऽऽऽऽदा ।

( शिवा को झटका लगा किमालिनी ने मान लिया कि वो पापा का लंड ले रही है, उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो अपने लंड को हिलाकर झड़ने लगा। )



आयशा मुस्कुराई और अपनी स्पीड बढ़ा दी और मालिनी: आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह हाऽऽऽऽय्य मैं गयीइइइइइइइइ कहकर अपना पानी आयशा के मुँह में छोड़ दी और वो पूरा पानी पी गयी।

अब आयशा उठकर बाथरूम गयी और मुँह धोयी। तभी मालिनी भी आकर सीट पर बैठी और मूतने लगी। फिर सफ़ाई करके वो सलवार पहनी। आयशा उसके लिए पानी लायी और बोली: मज़ा आया मेरी जान? ये कहकर उसने उसकी चूचियाँ दबा दी।

मालिनी हँसकर: हाँ बहुत मज़ा आया। सच में मुझे पता नहीं था कि इसमें इतना मज़ा है।

आयशा: हाँ और तुमने माना भी तो की शिवा और उसके पापा के लण्ड से भी ज़्यादा मज़ा आया। है ना?

मालिनी हँसकर : तुम बहुत बदमाश हो । मेरे मुँह से सब सच निकलवा लिया। पर ये बात किसी को बताओगी तो नहीं।

आयशा : असलम को तो बता सकती हूँ ना ?

मालिनी: नहीं प्लीज़ किसी को नहीं बताना। मेरे मुँह से उत्तेजना में निकल गया । वरना मैं तुमको भी नहीं बताती।

आयशा: कब से चुदवा रही हो ससुर से ?

मालिनी: चक्कर तो हमारा पुराना है पर चुदाई अभी कुछ दिन पहले ही हुई है हमारे बीच।
( शिवा बड़े ध्यान से सुन रहा था। उसका लण्ड ये सुनकर फिर से तन गया था। )

आयशा: चलो ये बढ़िया है कि तुम दिन में ससुर से चुदवाती हो और रात में अपने पति से । शिवा को पता है कि तुम उसके पापा से चुदवाती हो ?

मालिनी: कैसी बात कर रही हो? ये मैं उसे कैसे बता सकती हूँ।

आयशा : अरे इसमें क्या बुराई है। मुझे तो असलम और उसके अब्बा साथ में चोदते हैं।

मालिनी: ओह सच? तुम्हें अजीब नहीं लगता?

आयशा: नहीं बल्कि बहुत मज़ा आता है।

मालिनी: मुझे आगे की कहानी भी सुनना है। पर आज नहीं। फिर आऊँगी सुनने।

आयशा: सिर्फ़ कहानी सुनोगी या इसका भी मज़ा लोगी? वो अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी बुर को सलवार के ऊपर से मसल दी।

मालिनी: उइइइइइइ । आऽऽऽह अब छोड़ो भी ।

आयशा: तुमने मुझे भी गरम कर दिया है। अब मुझे किसी से चुदाई करनी होगी। बुलाती हूँ किसी यार को। वो अपनी बुर खुजा कर बोली ।

मालिनी: सॉरी मैंने कभी चूसी नहीं इसलिए आज मैं तुमको प्यासी छोकर जा रही हूँ। शायद अगली बार मैं तुम्हारे साथ भी वही करूँ जो तुमने मेरे साथ किया है।

आयशा: कोई बात नहीं । फिर मिलेंगे। वह उसकी चूचियाँ दबाकर बोली।

मालिनी उससे लिपट गयी और आयशा ने इस बार फिर से उसे चकित कर दिया । उसने मालिनी के होंठ चूसने शुरू किए । मालिनी सिहर कर बोली: अच्छा अब देरी हो रही है। चलती हूँ। बाई ।

आयशा: बाई मेरी जान।

अब वो अपने घर के लिए ऑटो में निकल गयी।

आयशा ने फ़ोन उठाकर कहा: शिवा आ जाओ मेरी बहुत खुजा रही है।

शिवा: बस अभी आया।
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Kautilay
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Kautilay »

Very sexy story....
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

Kautilay wrote:Very sexy story....
thanks bhai
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