एक एक आहट "ज़िंदगी" की complete
- Kautilay
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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की
Sexi Rebel please update this story..
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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की
Bandhu main to is kahani ko complete kar chuka thaKautilay wrote:Sexi Rebel please update this story..
- Sexi Rebel
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-69
गतान्क से आगे..............
दिशा :- स्मार्ट हाँ....वैसे इसी की वजह से आइ लाइक यू...
अंकित :- तो फिर कब कर रहे हैं हम...
दिशा :- क्या?
अंकित :- यू सेड यू लाइक मी..तो मेने सोचा कुछ बात आगे बढ़ानी चाहिए ना..
दिशा :- हाँ हाँ जब तू बोले..
अंकित को इस जवाब की उम्मीद नही थी...वो फिर से सोच में डूब गया....ये तो लगता है इसी इन्विटेशन के इंतजार में बैठी है...बस इधर मेने दिया ये तो सब कुछ खोल के किसी खुले हुए गिफ्ट की तरह मेरे सामने पसर जाएगी...
अंकित :- हाँ बिल्कुल यार..उसमे क्या है...आइ आम ऑल्वेज़ रेडी कल ही मिलते है...(अंकित भी थोड़ा आगे बढ़ा बस ये सोच के थोड़े सा मज़ाक ही तो चल रहा है)
दिशा :- नही यार कल तो में बिज़ी हूँ..लेट नाइट तुझे चलेगा..
अंकित की फिर लग गयी...
अंकित :- ओये में तो मस्ती कर रहा था..तू सीरियस हो गयी..
दिशा :- हाहहहहहहः...बस हवा टाइट हो गयी बच्चू...मेने तुझे कहा था ना कि में किसी को भी चाहू अपने क़ब्ज़े में कर सकती हूँ..
अंकित :- हाँ वो पता चलता है...तेरी बातों से
दिशा :- क्या मतलब (थोड़ी गुस्से की टोन में)
अंकित :- ये मतलब कि अब तुझसे बाद में बात करूँगा..ओके...
दिशा :- ओके..फिर मिलने का प्लान कब है तेरा?
अंकित :- ह्म्म्म्म जब तू बिल्कुल फ्री हो तो मूवी का प्लान बनाते हैं
दिशा :- चल में बताती हूँ...जब भी फ्री होती हूँ आइ विल कॉल यू..
अंकित :- ओके देन..बाबयए स्वीटी..
दिशा :- बाबयए ... हॅंडसम....
(फोन कट)
अंकित अपने आप से..........उफ्फ ये लड़की तो सच में........(बोलता हुआ रुक जाता है और मुस्कुरा देता है)
अगले कुछ दिन कॉलेज नही जाना था..असल में कॉलेज ट्रिप पे गया हुआ है...लेकिन अंकित इसलिए नही गया क्यूँ कि अंकिता मॅम लीव पर थी और अपने घर गयी हुई थी..उनकी फॅमिली में किसी की तबीयत खराब थी..तो भाई साहब अंकिता मॅम नही गयी तो खुद भी नही गये...विकी ने तो बहुत बार चलने को पूछा लेकिन अंकित ने हाँ नही किया....बाकियों से अंकित की पटती कम ही थी क्लास में....लड़कियों की तरफ तो वो देखता ही नही था...
ऐसे करते करते 5 दिन गुज़र गये....
सॅटार्डे टाइम 4 के आस पास..
नोएडा सेक्ट 19 में...एक ब्लू कलर की बहुत बड़ी बिल्डिंग....उसके अंदर ऑफीस में ढेर सारे स्टाफ और अपने कॅबिन में बैठी....
रितिका....
वो कुछ काम कर रही थी कि तभी उसके सेल पे कॉल आया...वो नंबर देख के थोड़ा सरप्राइज हो गयी..उसने रिसीव किया...
रितिका :- हाउ यू नो...(वो बस इतना ही बोल पाई कि सामने से फोन पे किसी ने कहा) क्या...नो वे...कहाँ पर..नही में आ रही हूँ...बिल्कुल नही..आइ सेड ना...जस्ट वेट आइ आम देअर् इन 5 मिनट..
(फोन कट)
ओह्ह गॉड....रितिका बोलते हुए फाइल बंद करी और कॅबिन से निकल के जाने लगी....
दिशा :- स्मार्ट हाँ....वैसे इसी की वजह से आइ लाइक यू...
अंकित :- तो फिर कब कर रहे हैं हम...
दिशा :- क्या?
अंकित :- यू सेड यू लाइक मी..तो मेने सोचा कुछ बात आगे बढ़ानी चाहिए ना..
दिशा :- हाँ हाँ जब तू बोले..
अंकित को इस जवाब की उम्मीद नही थी...वो फिर से सोच में डूब गया....ये तो लगता है इसी इन्विटेशन के इंतजार में बैठी है...बस इधर मेने दिया ये तो सब कुछ खोल के किसी खुले हुए गिफ्ट की तरह मेरे सामने पसर जाएगी...
अंकित :- हाँ बिल्कुल यार..उसमे क्या है...आइ आम ऑल्वेज़ रेडी कल ही मिलते है...(अंकित भी थोड़ा आगे बढ़ा बस ये सोच के थोड़े सा मज़ाक ही तो चल रहा है)
दिशा :- नही यार कल तो में बिज़ी हूँ..लेट नाइट तुझे चलेगा..
अंकित की फिर लग गयी...
अंकित :- ओये में तो मस्ती कर रहा था..तू सीरियस हो गयी..
दिशा :- हाहहहहहहः...बस हवा टाइट हो गयी बच्चू...मेने तुझे कहा था ना कि में किसी को भी चाहू अपने क़ब्ज़े में कर सकती हूँ..
अंकित :- हाँ वो पता चलता है...तेरी बातों से
दिशा :- क्या मतलब (थोड़ी गुस्से की टोन में)
अंकित :- ये मतलब कि अब तुझसे बाद में बात करूँगा..ओके...
दिशा :- ओके..फिर मिलने का प्लान कब है तेरा?
अंकित :- ह्म्म्म्म जब तू बिल्कुल फ्री हो तो मूवी का प्लान बनाते हैं
दिशा :- चल में बताती हूँ...जब भी फ्री होती हूँ आइ विल कॉल यू..
अंकित :- ओके देन..बाबयए स्वीटी..
दिशा :- बाबयए ... हॅंडसम....
(फोन कट)
अंकित अपने आप से..........उफ्फ ये लड़की तो सच में........(बोलता हुआ रुक जाता है और मुस्कुरा देता है)
अगले कुछ दिन कॉलेज नही जाना था..असल में कॉलेज ट्रिप पे गया हुआ है...लेकिन अंकित इसलिए नही गया क्यूँ कि अंकिता मॅम लीव पर थी और अपने घर गयी हुई थी..उनकी फॅमिली में किसी की तबीयत खराब थी..तो भाई साहब अंकिता मॅम नही गयी तो खुद भी नही गये...विकी ने तो बहुत बार चलने को पूछा लेकिन अंकित ने हाँ नही किया....बाकियों से अंकित की पटती कम ही थी क्लास में....लड़कियों की तरफ तो वो देखता ही नही था...
ऐसे करते करते 5 दिन गुज़र गये....
सॅटार्डे टाइम 4 के आस पास..
नोएडा सेक्ट 19 में...एक ब्लू कलर की बहुत बड़ी बिल्डिंग....उसके अंदर ऑफीस में ढेर सारे स्टाफ और अपने कॅबिन में बैठी....
रितिका....
वो कुछ काम कर रही थी कि तभी उसके सेल पे कॉल आया...वो नंबर देख के थोड़ा सरप्राइज हो गयी..उसने रिसीव किया...
रितिका :- हाउ यू नो...(वो बस इतना ही बोल पाई कि सामने से फोन पे किसी ने कहा) क्या...नो वे...कहाँ पर..नही में आ रही हूँ...बिल्कुल नही..आइ सेड ना...जस्ट वेट आइ आम देअर् इन 5 मिनट..
(फोन कट)
ओह्ह गॉड....रितिका बोलते हुए फाइल बंद करी और कॅबिन से निकल के जाने लगी....
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-70
उसके चेहरे पे हल्का सा टेन्षन था एक हाथ से साड़ी पकड़ी और एक हाथ को अपने माथे पे लगाया जल्दी जल्दी चल रही थी...उसने लिफ्ट ली और ग्राउंड फ्लोर पे उतरी और तेज कदमों से चलती हुई वो एक कोने मे जाके पतली सी गलेरी में से होते हुई एक जगह आके खड़ी हो जाती है...
एक तरफ मेल्स टाय्लेट और उसकी बगल में फीमेल टाय्लेट ... रितिका फीमेल टाय्लेट के गेट के बाहर खड़ी हो जाती है....उसने अपने हाथों से हॅंडल को दबाया और इधर उधर देखने लगी कि कोई देख तो नही रहा..फिर हॅंडल नीचे करके उसने दरवाजा खोला और फट से घुस गयी अंदर....
अंदर वॉशरूम काफ़ी बड़ा और स्टाइलिश था...डोर के ठीक पीछे वॉशबेसिन और मिरर थे...उसी के साइड में कॅबिन्स बने हुए थे 6 या 7 थे...उसके सामने की जगह खाली थी....काफ़ी स्टाइलिश बाथरूम बना हुआ था
रितिका अंदर घुस के अपनी गर्दन घुमाने लगी और अंदर आके डोर को बंद कर दिया..
यू देअर... वो हल्के से बड्बडायि...उसको डर लग रहा था...(वो चलती हुई कॅबिन्स के सामने आके खड़ी हो गयी)
सभी कॅबिन्स के डोर बंद थे ... उसने पहले सोचा कि उसे नॉक किया जाए..लेकिन फिर कुछ सोच के नही किया..
ओफफफूऊऊ.....(अपने माथे पे हाथ रख के धीरे से बोली और घूम गयी और सामने दीवार की तरफ देखने लगी)
फिर फोन पे कॉंटॅक्ट्स खोले और नंबर डाइयल करने लगी....
कि तभी पीछे से धीरे से बिना आवाज़ करे एक कॅबिन का डोर खुला और उसमे से निकला हाथ सीधी रितिका के मुँह पर पड़ा...रितिका की आँखें फट गयी उसका मुँह बंद था इसलिए वो चिल्ला भी नही पा रही थी...
तभी उन हाथों ने उसे कॅबिन के अंदर खीच लिया और कॅबिन का डोर बंद कर दिया...
रितिका अंदर छूटने के लिए छटपटा रही थी....उहं उंगघह छूटने के लिए दम लगा रही थी ....
कि अचानक वो हाथ रितिका के उपर से खुद ब खुद हट गया.....रितिका सीधी खड़ी होके गहरी गहरी साँसे लेने लगी...कि तभी...
हाहहहहहहाहा........रितिका के पीछे से हँसने की आवाज़ आई....रितिका गुस्से से भरा चेहरा लेके पीछे
मूडी
सामने अंकित अपने हाथों से तालियाँ बजाता हुए आँख मीच के हंस रहा था...
रितिका ने कंधे पे चमाटे लगा दिए एक के बाद एक 3 - 4..
अरे मार क्यूँ रही हो... (हँसना बंद करते हुए अपने शोल्डर्स को सहलाने लगा)
रितिका :- अच्छा...क्यूँ ना मारू..ऐसा भी कोई करता है..कितना डर गयी थी में..
ओह...गोल मुँह करके अंकित बोलता है...
रितिका :- क्या ओह्ह्ह.....एक पल के लिए मेरी जान ही निकल गयी थी..
ये बात सुन के अंकित रितिका की कमर में हाथ डाल के उसे थोड़ा अपने करीब कर लेता है..
अंकित :- ऐसे कैसे निकल जाने देता.....
रितिका :- हट..बदमाश...(थोड़ा सा पीछे होती है) अरे याद आया(अपने सर पे हाथ मारते हुए) अंकित तुम्हे यहाँ नही आना चाहिए था ये मेरा ऑफीस है और वो भी फीमेल्स वॉशरूम में आर यू मॅड...तुम्हे पता है ना..तुम जाओ यहाँ से फ़ौरन प्लीज़....अगर किसी ने देख लिया तो क्या होगा तुम्हे पता है..ओह्ह माइ गॉड..नो प्लीज़..तुम निकलो बाहर... (वो अंकित का हाथ खीच रही थी थोड़ी घबराई गयी थी)
अंकित :- ओफूओ....यार कितना डरते हो..कसम से...कुछ नही होगा....में तुम्हे तो कुछ नही होने दूँगा..
(उसने दोनो हाथों को पकड़ के उसे विश्वास दिलाया)
रितिका :- तुम ना....(और मुस्कुरा दी...इसी मुस्कान पे तो अंकित भाई साहब फिदा थे) लेकिन तुम्हे कैसे पता कि में आ गयी हूँ...
अंकित :- ह्म्म(अपने दोनो हाथ गले के दोनो तरफ डालते हुए) मेडम 5 दिन कैसे काटे हैं हमने..ये हम ही जानते हैं..में कैसा जानता हूँ ये छोड़ो लेकिन ये बताओ कि आपने मुझे क्यूँ नही बताया कि आप गये हो..
रितिका :- यार आज सुबह 3 ऑक्लॉक आई...और फिर सुबह ही ऑफीस चली गयी...वैसे आज ईव्निंग में तुम्हे सरप्राइज देती...लेकिन तुमने तो मुझे सरप्राइज कर दिया.... (बोलते हुए वो अपनी आँखें और चेहरा ऐसा बना रही थी जैसे वो बच्चों की तरह सच में सरप्राइज ना देने पर निराश हो)
पर उस टाइम वो इतनी भोली लग रही थी कि अंकित बस उसे ही देखे जेया रहा था कि तभी रितिका ने उसकी आँखों में देखा..
क्रमशः...........................
एक तरफ मेल्स टाय्लेट और उसकी बगल में फीमेल टाय्लेट ... रितिका फीमेल टाय्लेट के गेट के बाहर खड़ी हो जाती है....उसने अपने हाथों से हॅंडल को दबाया और इधर उधर देखने लगी कि कोई देख तो नही रहा..फिर हॅंडल नीचे करके उसने दरवाजा खोला और फट से घुस गयी अंदर....
अंदर वॉशरूम काफ़ी बड़ा और स्टाइलिश था...डोर के ठीक पीछे वॉशबेसिन और मिरर थे...उसी के साइड में कॅबिन्स बने हुए थे 6 या 7 थे...उसके सामने की जगह खाली थी....काफ़ी स्टाइलिश बाथरूम बना हुआ था
रितिका अंदर घुस के अपनी गर्दन घुमाने लगी और अंदर आके डोर को बंद कर दिया..
यू देअर... वो हल्के से बड्बडायि...उसको डर लग रहा था...(वो चलती हुई कॅबिन्स के सामने आके खड़ी हो गयी)
सभी कॅबिन्स के डोर बंद थे ... उसने पहले सोचा कि उसे नॉक किया जाए..लेकिन फिर कुछ सोच के नही किया..
ओफफफूऊऊ.....(अपने माथे पे हाथ रख के धीरे से बोली और घूम गयी और सामने दीवार की तरफ देखने लगी)
फिर फोन पे कॉंटॅक्ट्स खोले और नंबर डाइयल करने लगी....
कि तभी पीछे से धीरे से बिना आवाज़ करे एक कॅबिन का डोर खुला और उसमे से निकला हाथ सीधी रितिका के मुँह पर पड़ा...रितिका की आँखें फट गयी उसका मुँह बंद था इसलिए वो चिल्ला भी नही पा रही थी...
तभी उन हाथों ने उसे कॅबिन के अंदर खीच लिया और कॅबिन का डोर बंद कर दिया...
रितिका अंदर छूटने के लिए छटपटा रही थी....उहं उंगघह छूटने के लिए दम लगा रही थी ....
कि अचानक वो हाथ रितिका के उपर से खुद ब खुद हट गया.....रितिका सीधी खड़ी होके गहरी गहरी साँसे लेने लगी...कि तभी...
हाहहहहहहाहा........रितिका के पीछे से हँसने की आवाज़ आई....रितिका गुस्से से भरा चेहरा लेके पीछे
मूडी
सामने अंकित अपने हाथों से तालियाँ बजाता हुए आँख मीच के हंस रहा था...
रितिका ने कंधे पे चमाटे लगा दिए एक के बाद एक 3 - 4..
अरे मार क्यूँ रही हो... (हँसना बंद करते हुए अपने शोल्डर्स को सहलाने लगा)
रितिका :- अच्छा...क्यूँ ना मारू..ऐसा भी कोई करता है..कितना डर गयी थी में..
ओह...गोल मुँह करके अंकित बोलता है...
रितिका :- क्या ओह्ह्ह.....एक पल के लिए मेरी जान ही निकल गयी थी..
ये बात सुन के अंकित रितिका की कमर में हाथ डाल के उसे थोड़ा अपने करीब कर लेता है..
अंकित :- ऐसे कैसे निकल जाने देता.....
रितिका :- हट..बदमाश...(थोड़ा सा पीछे होती है) अरे याद आया(अपने सर पे हाथ मारते हुए) अंकित तुम्हे यहाँ नही आना चाहिए था ये मेरा ऑफीस है और वो भी फीमेल्स वॉशरूम में आर यू मॅड...तुम्हे पता है ना..तुम जाओ यहाँ से फ़ौरन प्लीज़....अगर किसी ने देख लिया तो क्या होगा तुम्हे पता है..ओह्ह माइ गॉड..नो प्लीज़..तुम निकलो बाहर... (वो अंकित का हाथ खीच रही थी थोड़ी घबराई गयी थी)
अंकित :- ओफूओ....यार कितना डरते हो..कसम से...कुछ नही होगा....में तुम्हे तो कुछ नही होने दूँगा..
(उसने दोनो हाथों को पकड़ के उसे विश्वास दिलाया)
रितिका :- तुम ना....(और मुस्कुरा दी...इसी मुस्कान पे तो अंकित भाई साहब फिदा थे) लेकिन तुम्हे कैसे पता कि में आ गयी हूँ...
अंकित :- ह्म्म(अपने दोनो हाथ गले के दोनो तरफ डालते हुए) मेडम 5 दिन कैसे काटे हैं हमने..ये हम ही जानते हैं..में कैसा जानता हूँ ये छोड़ो लेकिन ये बताओ कि आपने मुझे क्यूँ नही बताया कि आप गये हो..
रितिका :- यार आज सुबह 3 ऑक्लॉक आई...और फिर सुबह ही ऑफीस चली गयी...वैसे आज ईव्निंग में तुम्हे सरप्राइज देती...लेकिन तुमने तो मुझे सरप्राइज कर दिया.... (बोलते हुए वो अपनी आँखें और चेहरा ऐसा बना रही थी जैसे वो बच्चों की तरह सच में सरप्राइज ना देने पर निराश हो)
पर उस टाइम वो इतनी भोली लग रही थी कि अंकित बस उसे ही देखे जेया रहा था कि तभी रितिका ने उसकी आँखों में देखा..
क्रमशः...........................
- Sexi Rebel
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-70
गतान्क से आगे..............
रितिका :- ऐसे क्यूँ देखते हो तुम...(उसने अंकित के हाथ अपने उपर से हटाए)
शायद यही ग़लती हुई क्यूँ कि अंकित ने रितिका की कमर फिर पकड़ के उसे अपने करीब खीच लिया बेहद करीब....दोनो की साँसे एक दूसरे के उपर पड़ रही थी..
अंकित :- क्यूँ कि आज आप बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत लग रही है..(और अपने हाथ से गालों को सहलाने लगा)
(आज रितिका के चेहरे पे वैसी भी अलग निखार था ब्लू मिक्स वित रेड कलर की डेज़ाइंडर सारे स्ल्वेस ब्लाउज जो पीछे से भी पूरा खुला काफ़ी ज़्यादा उसकी पीठ दिख रही थी...बेहद खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी)
रितिका की आँखें मदहोशी में हल्की सी बंद हो गयी उसका चेहरा लाल हो गया और साँसे गहरी हो गयी...
कि तभी किसी के डोर खोलने की आवाज़ आई..दोनो चौक गये ख़ासकर रितिका वो अंकित को घूर्ने लगी..लेकिन अंकित तो मुस्कुरा दिया और होंठो पे उंगली रख के ये बोलने का इशारा किया कि चुप रहना....
तभी दोनो को आहट हुई कि बाहर कोई खड़ा है....और तभी उनके कानो में बेसुरे गुनगुनाने की आवाज़ पड़ी...
गाना कौन सा था..... अभी तो में जवान हूँ.....
ये सुन के अंकित की तो हँसी छूट पड़ी....लेकिन उसने किसी तरह से अपने आप को रौका....रितिका की भी हँसी छूट गयी..लेकिन उसने अपना चेहरा अंकित की चेस्ट में छुपा लिया जिससे उसकी हँसी की आवाज़ ना सुन पाए...
दोनो में से कोई कुछ भी नही बोल रहा था....कि तभी दोनो को आभास हुआ कि वो औरत (औरत इसलिए कि जो गाना वो गा रही थी वो कोई औरत ही गा सकती है) बगल वाले ही कॅबिन में घुस गयी.....
दोनो ऐसे ही खड़े रहे शायद उस औरत के जाने का इंतजार करने के लिए....लेकिन अभी तो शायद कुछ और होना बाकी था....
5 मिनट निकल गये कोई आवाज़ नही आई....अंकित और रितिका एक दूसरे को देखने लगी...मानो पूछ रहे हो कि ये जा क्यूँ नही रही है.... कि तभी दोनो के कानो में एक आवाज़ पड़ी....
आहह ये.स..स..स...........(ये आवाज़ सुनते ही अंकित तो फ़ौरन ही समझ गया कि बगल वाली औरत क्या कर रही है...और शायद रितिका भी समझ गयी थी क्यूँ कि उसका चेहरा शरमाते हुए और लाल हो गया था और फिर अंकित को देख के वो और शरमा गयी और अपना चेहरा उसके चेस्ट पर छिपा लिया..)
ये आवाज़ पहचाने में इतनी दिक्कत इसलिए नही हुई क्यूँ कि आवाज़ में इतनी कामुकता थी कि कोई भी पहचान जाए कि बगल में क्या चल रहा है...
औरत कमोड पे बैठी अपनी फॉर्मल पेंट को नीचे कर के अपनी चूत को अपनी उंगलियों से रगड़ रही है...
(हाँ पक्का यही है तभी ऐसी कामुकता भरी सिसकी उसके मुँह से निकली है) अंकित अपने मन में बोलने लगा..
कि तभी उसके दिमाग़ में एक शैतानी ख़याल आया और चेहरे पे शैतानी स्माइल....
उसने अपने हाथों का यूज़ करते हुए रितिका की पीठ को सहलाने लगा...जिससे रितिका ने अपना चेहरा हटा लिया और उसे घूर्ने लगी...अंकित भी मुस्कुराता हुआ उसकी आँखों में देखने लगा...
फिर अंकित पीठ को सहलाते हुए नीचे कमर तक पहुच गया...रितिका ना में गर्दन हिला रही थी...
लेकिन अंकित ने नही सुना...वो अपने हाथ को सहलाते हुए रितिका की गान्ड तक ले गया और वहाँ उसने थोड़े भारी हाथ से मसल डाला और सहला दिया..
जिसे रितिका की आँखें हल्की सी बंद हो गयी...लेकिन वो फिर भी ना कर रही थी..इसलिए उसने हल्का सा अंकित को धक्का दे दिया....जिससे उसका बेलेन्स बिगड़ गया..और पीछे किसी चीज़ से टकराया तो उसके मुँह से हल्की सी..
आहह..(दर्द में निकली) लेकिन उसने फ़ौरन अपने होंठ भींच लिए.........रितिका की आँखें खुल गयी उसे लगा अब गये....
रितिका घबरा गयी वो मन में सोचने लगी..अगर उस औरत ने सुन लिया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी.......
रितिका घबरा गयी वो मन में सोचने लगी..अगर उस औरत ने सुन लिया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी.......
पर उसकी घबराहट अंकित के चेहरे पे शैतानी मुस्कुराहट में जल्द ही बदल गयी जब उसने अपने बगल वाले कॅबिन से फिर एक बार बड़ी ही हल्की आवाज़ में सिसकती हुई आहह सुनाई दी.....
ये दोनो समझ गये कि वो औरत अपने में ही मस्त है.....
अंकित ने अपनी शैतानी मुस्कान से रितिका को देखा जिसका चेहरा पहले से ही लाल था...और फिर उसने बिना वक़्त गवाए रितिका की कमर पे हाथ रख के उसे खिचा अपनी तरफ...और फिर उसको घुमा लिया और उसकी बॅक को अपनी सीने और अपने शरीर से चिपका लिया और अपने होंठ...रितिका के शोल्डर पे रख दिए...
रितिका की आँखें मदहोशी में बंद हो गयी उसके हाथ अंकित के सर पे आ गये..और बड़ी ही धीमी आवाज़ में उसने कहा..नो यहाँ नही प्लीज़...
पर जैसे अंकित ने तो उसे बिल्कुल अनसुना सा कर दिया....उसने अपने होंठ पीछे ले जाते हुए उसकी कमर पर चूमने लगे....इससे रितिका के शरीर का रोम रोम उठ खड़ा हुआ.....
ऐसी हालत में ये सब ... खुद के ही ऑफीस में..एक तरफ तो उसे डर और ऐसे रोमांच का आनंद उसे अलग ही मज़ा दे रहा था......
अंकित के हाथ खिसकते हुए रितिका की गान्ड पे चले गये और उसने उसे साड़ी के उपर से उसे दबाना शुरू कर दिया....रितिका ने अपने होंठ दाँतों में दबा लिए जिससे कि वो आवाज़ ना निकल पाए....
रितिका के हाथ अंकित के हाथों को धक्का देने की कॉसिश कर रहे थे...लेकिन उसके हाथों में इतनी जान ही नही बची थी कि वो ऐसा कर पाए....
कुछ देर तक ऐसे चूमने के बाद और गान्ड को अपने हाथों से मसल्ने के बाद अंकित ने रितिका को घुमाया...
रितिका के चेहरे पे उसके बालों की लट आ गयी थी...अंकित ने बड़े प्यार से उन लटो को हटा के उसके चेहरे की तरफ देखा...जो इतना खूबसूरत और इतना प्यारा लग रहा था..मानो दुनिया की सारी खुबूरती इसके चेहरे पर उतर आई..और उसपे फैली लाली तो चेहरे को ऐसे सुंदर बना रहा था मानो खुशनुमा मौसम में रेनबो निकल आया हो..
अंकित के चेहरे पर इस मासूम से चेहरे को देख के एक मुस्कान फैल गयी...उसने अपने होंठ आगे बढ़ाए और रितिका के होंठों पे रख के उन्हे बड़े प्यार से उसे अपने होंठों में दबा के उसका एहसास ग्रहण करने लगा...
रितिका का हाथ खुद ब खुद उठ के उसके सर के पीछे आ गया....अंकित ने कमर पे हाथ रख के रितिका को आगे की तरफ किया जिसकी वजह से उसके वो कड़क हो रहे निपल्स वाले बूब्स अंकित की चेस्ट में धँस गये जो कि अंकित बराबर महसूस कर पा रहा था...और रितिका भी अंकित के उस बाहरी उभार वाले लंड को अपनी साड़ी के उपर से सॉफ सॉफ महसूस कर पा रही थी..
दोनो एक दूसरे की किस में माशुल हो गये थे....बराबर बराबर एक दूसरे को किस कर रहे थे...
कभी वो उसके दोनो होंठो को चूमता तो कभी रितिका अंकित के...और कभी दोनो साथ होंठ चला देते...बस कुच्छ 10 मिनट तक ऐसे ही दोनो एक दूसरे के होंठों का आनंद लेते रहे...आख़िर फिर रितिका अलग हुई..
साँसे दोनो की उखड़ी हुई थी..दोनो ने एक दूसरी की आँखों में देखा और दोनो मुस्कुरा पड़े..
रितिका :- बदमाश...
रितिका ने इतना बोला...तो अंकित ने अपना हाथ आग बढ़ा के उसकी लेफ्ट चुची पे रखना चाहा लेकिन रितिका ने उसका हाथ पकड़ लिया..
रितिका :- नो नोट हियर..(बहुत हल्की आवाज़ में)
अंकित ने सर उचका के पूछा क्यूँ..
रितिका :- नो..नोट हियर..बस इतना ही..(वो थोड़ी गुस्से में बोली)
अंकित को एक पल के लिए अंदर गुस्सा आया...लेकिन फिर उसके चेहरे पे शैतानी हँसी आ गयी..
अंकित :- ओके नो प्राब्लम..
रितिका को एक पल के लिए भी विश्वास नही हुआ कि अंकित मान गया...उसने सोचा शायद अंकित बहुत बदल गया है लेकिन अगले ही पल..
अंकित :- कोई बात नही अगर आपको कोई प्राब्लम है तो पर में सोच रहा हूँ कि वैसे भी बगल वाले कॅबिन में वो लेडी खुद ही मेहनत कर रही है..में सोच रहा हूँ उसकी मदद कर दूं....उसमे मेरी भी कुछ हेल्प हो जाएगी...
रितिका तो जैसे ये सुनते ही पागल हो गयी....उसकी आँखें पूरी खुल गयी और आँखों में एक गुस्सा सॉफ अंकित को नज़र आया..
रितिका :- हाउ डेर यू सेड दट......(इतना बोल के रितिका आगे बढ़ी और अंकित की सोच से बिल्कुल ऑपोसिट)
उसने होंठों को अपने होंठों में पकड़ा और चुस्ती हुए...हाथ नीचे ले जाके जीन्स के उपर से ही अंकित के लंड पर हाथ फेर दिया...जिससे अंकित की तो हवाइयाँ उड़ गयी..उसके हाथ उसी पोज़िशन में खड़े रहकर उसकी जीन्स का बटन खोला और ज़िप नीचे कर के...जीन्स के अंदर हाथ फँसा के उसे नीचे खिसका दिया और साथ साथ में उसका कच्छा भी..जीन्स लुड़कती हुई नीचे फर्श पे गिर गयी.उसके साथ साथ उसका कच्छा भी...
अब अंकित का लंड हवा में रितिका की साड़ी को छूता हुआ झटके खा रहा था..फिर रितिका ने होंठ चूस्ते हुए जैसे ही उन्हे हटाने लगी उसने अंकित के होंठों पर अपने दाँत लगा दिए..
सीईइ अंकित क मुँह से सिसकी निकली जो रितिका के मुँह में रह गयी और उसके हाथ रितिका की कमर पर बेहद टाइट कस गये...जिससे रितिका को भी तकलीफ़ हुई होगी..
रितिका ने फेस हटाया तो अंकित के लिप्स पर खून उभरा हुआ था....
रितिका ने अपने होंठो पे जीब फिराई..और एक शैतानी मुस्कान देती हुई अंकित को देखने लगी..
अंकित समझ गया था कि आज एक बार फिर उसने एक सोती हुई बिल्ली को ऐसे यूँ उंगल करके भड़का दिया था..और उसका नतीजा ये हुआ कि उस बिल्ली ने सीधा मुँह पे पंजा दे मारा..अब आगे और कुछ किया तो पूरे शरीर पे निशान दे देगी.....
क्रमशः...........................
रितिका :- ऐसे क्यूँ देखते हो तुम...(उसने अंकित के हाथ अपने उपर से हटाए)
शायद यही ग़लती हुई क्यूँ कि अंकित ने रितिका की कमर फिर पकड़ के उसे अपने करीब खीच लिया बेहद करीब....दोनो की साँसे एक दूसरे के उपर पड़ रही थी..
अंकित :- क्यूँ कि आज आप बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत लग रही है..(और अपने हाथ से गालों को सहलाने लगा)
(आज रितिका के चेहरे पे वैसी भी अलग निखार था ब्लू मिक्स वित रेड कलर की डेज़ाइंडर सारे स्ल्वेस ब्लाउज जो पीछे से भी पूरा खुला काफ़ी ज़्यादा उसकी पीठ दिख रही थी...बेहद खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी)
रितिका की आँखें मदहोशी में हल्की सी बंद हो गयी उसका चेहरा लाल हो गया और साँसे गहरी हो गयी...
कि तभी किसी के डोर खोलने की आवाज़ आई..दोनो चौक गये ख़ासकर रितिका वो अंकित को घूर्ने लगी..लेकिन अंकित तो मुस्कुरा दिया और होंठो पे उंगली रख के ये बोलने का इशारा किया कि चुप रहना....
तभी दोनो को आहट हुई कि बाहर कोई खड़ा है....और तभी उनके कानो में बेसुरे गुनगुनाने की आवाज़ पड़ी...
गाना कौन सा था..... अभी तो में जवान हूँ.....
ये सुन के अंकित की तो हँसी छूट पड़ी....लेकिन उसने किसी तरह से अपने आप को रौका....रितिका की भी हँसी छूट गयी..लेकिन उसने अपना चेहरा अंकित की चेस्ट में छुपा लिया जिससे उसकी हँसी की आवाज़ ना सुन पाए...
दोनो में से कोई कुछ भी नही बोल रहा था....कि तभी दोनो को आभास हुआ कि वो औरत (औरत इसलिए कि जो गाना वो गा रही थी वो कोई औरत ही गा सकती है) बगल वाले ही कॅबिन में घुस गयी.....
दोनो ऐसे ही खड़े रहे शायद उस औरत के जाने का इंतजार करने के लिए....लेकिन अभी तो शायद कुछ और होना बाकी था....
5 मिनट निकल गये कोई आवाज़ नही आई....अंकित और रितिका एक दूसरे को देखने लगी...मानो पूछ रहे हो कि ये जा क्यूँ नही रही है.... कि तभी दोनो के कानो में एक आवाज़ पड़ी....
आहह ये.स..स..स...........(ये आवाज़ सुनते ही अंकित तो फ़ौरन ही समझ गया कि बगल वाली औरत क्या कर रही है...और शायद रितिका भी समझ गयी थी क्यूँ कि उसका चेहरा शरमाते हुए और लाल हो गया था और फिर अंकित को देख के वो और शरमा गयी और अपना चेहरा उसके चेस्ट पर छिपा लिया..)
ये आवाज़ पहचाने में इतनी दिक्कत इसलिए नही हुई क्यूँ कि आवाज़ में इतनी कामुकता थी कि कोई भी पहचान जाए कि बगल में क्या चल रहा है...
औरत कमोड पे बैठी अपनी फॉर्मल पेंट को नीचे कर के अपनी चूत को अपनी उंगलियों से रगड़ रही है...
(हाँ पक्का यही है तभी ऐसी कामुकता भरी सिसकी उसके मुँह से निकली है) अंकित अपने मन में बोलने लगा..
कि तभी उसके दिमाग़ में एक शैतानी ख़याल आया और चेहरे पे शैतानी स्माइल....
उसने अपने हाथों का यूज़ करते हुए रितिका की पीठ को सहलाने लगा...जिससे रितिका ने अपना चेहरा हटा लिया और उसे घूर्ने लगी...अंकित भी मुस्कुराता हुआ उसकी आँखों में देखने लगा...
फिर अंकित पीठ को सहलाते हुए नीचे कमर तक पहुच गया...रितिका ना में गर्दन हिला रही थी...
लेकिन अंकित ने नही सुना...वो अपने हाथ को सहलाते हुए रितिका की गान्ड तक ले गया और वहाँ उसने थोड़े भारी हाथ से मसल डाला और सहला दिया..
जिसे रितिका की आँखें हल्की सी बंद हो गयी...लेकिन वो फिर भी ना कर रही थी..इसलिए उसने हल्का सा अंकित को धक्का दे दिया....जिससे उसका बेलेन्स बिगड़ गया..और पीछे किसी चीज़ से टकराया तो उसके मुँह से हल्की सी..
आहह..(दर्द में निकली) लेकिन उसने फ़ौरन अपने होंठ भींच लिए.........रितिका की आँखें खुल गयी उसे लगा अब गये....
रितिका घबरा गयी वो मन में सोचने लगी..अगर उस औरत ने सुन लिया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी.......
रितिका घबरा गयी वो मन में सोचने लगी..अगर उस औरत ने सुन लिया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी.......
पर उसकी घबराहट अंकित के चेहरे पे शैतानी मुस्कुराहट में जल्द ही बदल गयी जब उसने अपने बगल वाले कॅबिन से फिर एक बार बड़ी ही हल्की आवाज़ में सिसकती हुई आहह सुनाई दी.....
ये दोनो समझ गये कि वो औरत अपने में ही मस्त है.....
अंकित ने अपनी शैतानी मुस्कान से रितिका को देखा जिसका चेहरा पहले से ही लाल था...और फिर उसने बिना वक़्त गवाए रितिका की कमर पे हाथ रख के उसे खिचा अपनी तरफ...और फिर उसको घुमा लिया और उसकी बॅक को अपनी सीने और अपने शरीर से चिपका लिया और अपने होंठ...रितिका के शोल्डर पे रख दिए...
रितिका की आँखें मदहोशी में बंद हो गयी उसके हाथ अंकित के सर पे आ गये..और बड़ी ही धीमी आवाज़ में उसने कहा..नो यहाँ नही प्लीज़...
पर जैसे अंकित ने तो उसे बिल्कुल अनसुना सा कर दिया....उसने अपने होंठ पीछे ले जाते हुए उसकी कमर पर चूमने लगे....इससे रितिका के शरीर का रोम रोम उठ खड़ा हुआ.....
ऐसी हालत में ये सब ... खुद के ही ऑफीस में..एक तरफ तो उसे डर और ऐसे रोमांच का आनंद उसे अलग ही मज़ा दे रहा था......
अंकित के हाथ खिसकते हुए रितिका की गान्ड पे चले गये और उसने उसे साड़ी के उपर से उसे दबाना शुरू कर दिया....रितिका ने अपने होंठ दाँतों में दबा लिए जिससे कि वो आवाज़ ना निकल पाए....
रितिका के हाथ अंकित के हाथों को धक्का देने की कॉसिश कर रहे थे...लेकिन उसके हाथों में इतनी जान ही नही बची थी कि वो ऐसा कर पाए....
कुछ देर तक ऐसे चूमने के बाद और गान्ड को अपने हाथों से मसल्ने के बाद अंकित ने रितिका को घुमाया...
रितिका के चेहरे पे उसके बालों की लट आ गयी थी...अंकित ने बड़े प्यार से उन लटो को हटा के उसके चेहरे की तरफ देखा...जो इतना खूबसूरत और इतना प्यारा लग रहा था..मानो दुनिया की सारी खुबूरती इसके चेहरे पर उतर आई..और उसपे फैली लाली तो चेहरे को ऐसे सुंदर बना रहा था मानो खुशनुमा मौसम में रेनबो निकल आया हो..
अंकित के चेहरे पर इस मासूम से चेहरे को देख के एक मुस्कान फैल गयी...उसने अपने होंठ आगे बढ़ाए और रितिका के होंठों पे रख के उन्हे बड़े प्यार से उसे अपने होंठों में दबा के उसका एहसास ग्रहण करने लगा...
रितिका का हाथ खुद ब खुद उठ के उसके सर के पीछे आ गया....अंकित ने कमर पे हाथ रख के रितिका को आगे की तरफ किया जिसकी वजह से उसके वो कड़क हो रहे निपल्स वाले बूब्स अंकित की चेस्ट में धँस गये जो कि अंकित बराबर महसूस कर पा रहा था...और रितिका भी अंकित के उस बाहरी उभार वाले लंड को अपनी साड़ी के उपर से सॉफ सॉफ महसूस कर पा रही थी..
दोनो एक दूसरे की किस में माशुल हो गये थे....बराबर बराबर एक दूसरे को किस कर रहे थे...
कभी वो उसके दोनो होंठो को चूमता तो कभी रितिका अंकित के...और कभी दोनो साथ होंठ चला देते...बस कुच्छ 10 मिनट तक ऐसे ही दोनो एक दूसरे के होंठों का आनंद लेते रहे...आख़िर फिर रितिका अलग हुई..
साँसे दोनो की उखड़ी हुई थी..दोनो ने एक दूसरी की आँखों में देखा और दोनो मुस्कुरा पड़े..
रितिका :- बदमाश...
रितिका ने इतना बोला...तो अंकित ने अपना हाथ आग बढ़ा के उसकी लेफ्ट चुची पे रखना चाहा लेकिन रितिका ने उसका हाथ पकड़ लिया..
रितिका :- नो नोट हियर..(बहुत हल्की आवाज़ में)
अंकित ने सर उचका के पूछा क्यूँ..
रितिका :- नो..नोट हियर..बस इतना ही..(वो थोड़ी गुस्से में बोली)
अंकित को एक पल के लिए अंदर गुस्सा आया...लेकिन फिर उसके चेहरे पे शैतानी हँसी आ गयी..
अंकित :- ओके नो प्राब्लम..
रितिका को एक पल के लिए भी विश्वास नही हुआ कि अंकित मान गया...उसने सोचा शायद अंकित बहुत बदल गया है लेकिन अगले ही पल..
अंकित :- कोई बात नही अगर आपको कोई प्राब्लम है तो पर में सोच रहा हूँ कि वैसे भी बगल वाले कॅबिन में वो लेडी खुद ही मेहनत कर रही है..में सोच रहा हूँ उसकी मदद कर दूं....उसमे मेरी भी कुछ हेल्प हो जाएगी...
रितिका तो जैसे ये सुनते ही पागल हो गयी....उसकी आँखें पूरी खुल गयी और आँखों में एक गुस्सा सॉफ अंकित को नज़र आया..
रितिका :- हाउ डेर यू सेड दट......(इतना बोल के रितिका आगे बढ़ी और अंकित की सोच से बिल्कुल ऑपोसिट)
उसने होंठों को अपने होंठों में पकड़ा और चुस्ती हुए...हाथ नीचे ले जाके जीन्स के उपर से ही अंकित के लंड पर हाथ फेर दिया...जिससे अंकित की तो हवाइयाँ उड़ गयी..उसके हाथ उसी पोज़िशन में खड़े रहकर उसकी जीन्स का बटन खोला और ज़िप नीचे कर के...जीन्स के अंदर हाथ फँसा के उसे नीचे खिसका दिया और साथ साथ में उसका कच्छा भी..जीन्स लुड़कती हुई नीचे फर्श पे गिर गयी.उसके साथ साथ उसका कच्छा भी...
अब अंकित का लंड हवा में रितिका की साड़ी को छूता हुआ झटके खा रहा था..फिर रितिका ने होंठ चूस्ते हुए जैसे ही उन्हे हटाने लगी उसने अंकित के होंठों पर अपने दाँत लगा दिए..
सीईइ अंकित क मुँह से सिसकी निकली जो रितिका के मुँह में रह गयी और उसके हाथ रितिका की कमर पर बेहद टाइट कस गये...जिससे रितिका को भी तकलीफ़ हुई होगी..
रितिका ने फेस हटाया तो अंकित के लिप्स पर खून उभरा हुआ था....
रितिका ने अपने होंठो पे जीब फिराई..और एक शैतानी मुस्कान देती हुई अंकित को देखने लगी..
अंकित समझ गया था कि आज एक बार फिर उसने एक सोती हुई बिल्ली को ऐसे यूँ उंगल करके भड़का दिया था..और उसका नतीजा ये हुआ कि उस बिल्ली ने सीधा मुँह पे पंजा दे मारा..अब आगे और कुछ किया तो पूरे शरीर पे निशान दे देगी.....
क्रमशः...........................