एक एक आहट "ज़िंदगी" की complete

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Sexi Rebel
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-73-74

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गतान्क से आगे..............


दोनो को बाहर खड़े किसी की आहट हुई....दोनो बिल्कुल शांति से खड़े रहे....उसके बाद जब उन्हे लगा कि वासरूम से कोई बाहर चला गया और अब कोई नही है..तो दोनो ने हरकत की...सबसे पहले तो दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए..उसके बाद अंकित कुछ कहता....उससे पहले रितिका बोल पड़ी..


रितिका :- अंकित अभी नही..कुछ नही अब...हमे यहाँ से निकलना होगा...उसके बाद बात करेंगे..


अंकित :- ठीक है तुम पहले बार निकलो...और अगर रास्ता खाली हो तो एक मिस कॉल देना


रितिका :- ओके..


(ये बोल के रितिका बाहर चल पड़ी..उसने मिरर में देख के अपने आप को ठीक किया और फिर बाथरूम के बाहर खड़ी हो गयी और जब उसे लगा कि मामला क्लियर है तो उसने अंकित को मिस कॉल दे दी...)


अंकित भी बाहर निकल आया...और फिर फट से मेल्स टाय्लेट में घुस गया...रितिका वहाँ से निकल गयी...

उसके बाद अंकित भी निकला और ऑफीस से बाहर निकल गया....


उसी दिन शाम को...अंकित बिस्तर पे पड़ा था थोड़ी देर पहले अंकिता मॅम से बात हुई थी वो अभी तक वापिस नही आई थी और कुछ परेशान भी लग रही थी इसलिए ढंग से भी बात नही करी थी उन्होने... वो इन सब बातों को सोचते हुए पड़ा था कि ....तभी रितिका का फोन देख कर खुशी से झूम उठा उसने फोन पिक किया..

अंकित :- में आपके ही फोन की वेट कर रहा था..

रितिका :- हाँ आगर आज पकड़े जाते तो बस वेट करते रहते तुम मेरा....

अंकित :- पर हुआ तो कुछ नही ना..

रितिका :- हाँ लेकिन तुम्हे वहाँ आने की क्या ज़रूरत थी और वो फीमेल वॉशरूम में.. अंकित यू आर जस्ट मॅड..

अंकित :- हाहहाहा...क्या करूँ...जब पता चला कि आप आ गये हो तो रहा नही गया इसलिए आ गया..

रितिका :- यही तो मुझे पूछना है...कि कैसे पता चला...

अंकित :- वही तो एक सीक्रेट है मेडम..

रितिका :- अंकित...(उसने थोड़ा ज़ोर देते हुए आवाज़ मारी)

अंकित :- ओके ओके..आइ विल टेल यू...वो दरअसल में मेरी फ़्रेंड है दिशा...वो अपनी आंटी की साथ रहती है..और उसकी आंटी आपकी ही कंपनी में जॉब करती है तो उन्ही से ये सब पता चला...

रितिका :- ओह्ह..व्ट्स हर नेम

अंकित :- सिमरन साक्शेणा

रितिका नाम सुन के थोड़ी देर चुप रही मानो सोच रही हो...और फिर एक दम बोल पड़ी..

रितिका :- ओह यस..वो तो मेरे ही डिपार्टमेंट मे है..शी ईज़ डूयिंग टेस्टिंग ऑफ और प्रॉडक्ट...

अंकित :- यप वो आपके अंडर में ही है..बस उन्ही से पता चला..

रितिका :- क्लेवर...यू आर..हाँ...(मुस्कुराते हुए)

अंकित :- वो तो हम है ही..तभी तो आप हो हमारे साथ..

रितिका :- ह्म्म...अच्छा वैसे मेने तुम्हे कॉल किया था कि सटर्डे नाइट को क्या आ सकते हो तुम

अंकित तो बेड से कूद पड़ा उसे बिलीव नही हो रहा था कि खुद रितिका उसे नाइट के लिए बुला रही है...

अंकित :- यॅ श्योर..इसमे कुछ पूछने की ज़रूरत थोड़ी है..

रितिका :- ह्म्म ऊहक्क्क...ज़्यादा एग्ज़ाइटेड लग रहे हो..पर..

अंकित :- पर क्या..(थोड़ी चिंता में आ गया)

रितिका :- कुछ नही....बॅस तुम नाइट में आ जाना...तब ही बाते करेंगी....

अंकित :- ओके...

रितिका :- ह्म्म ओके डन..सो फिर सटर्डे को मिलते हैं..बाबयए..

अंकित :- बाए...(फोन कट कर के....खुशी में झूम उठा...)

आख़िर कार बड़ी मुस्किलों से उसने 2 दिन निकाले..इन 2 दिनो में कोई भी नही था बात करने के लिए टाइम पास के लिए दिशा भी नही थी...वो किसी फॅशन शोज में बिज़ी थी..मेडम फॅशन डिजाइन जो कर रही थी....
शटर्डे का दिन आ गया...वो सुबह कॉलेज जाने के लिए उठा तो उसकी मम्मी चौंक गयी कि सटर्डे को उसका बेटा कॉलेज..और उसे छेड़ने लगी...तभी अंकित ने कहा कि वो आज रात विकी के घर रुकेगा क्यूँ कि आज उसके किसी कज़िन की मेरिज है तो उसे भी साथ ले जाना चाहता है..इसलिए उसे रात आने में देरी हो जाएगी तो वो वही रुक जाएगा...
पहले तो उसकी मम्मी ने ना नुकर करी लेकिन अंकित ने अपनी बातों में उलझाया फुसलाया कि उन्होने पर्मिशन दे दी...
अंकित कॉलेज गया...वहाँ से वो विकी के साथ उसके घर चला गया..शाम के 6 बजे तक दोनो मज़े करते रहे...और वहाँ पहली बार अंकित ने विकी की गर्लफ्रेंड की फोटो देखी.....

अफ क्या ग़ज़ब का माल था..पूरी तरह पता चल रहा था कि हाइ सोसाइटी की है..चेहरा एक अलग छाँटा हुआ आटीट्यूड आँखें तीखी चेहरा बिलकल अट्रॅक्टिव...और उसके बाद उसकी बॉडी शेप..बिल्कुल पर्फेक्ट कहीं से भी कोई कमी नही निकाल सकते थे.....36-28-34 उसकी फिगर...फोटो में तो पूरी कपड़े पहने हुए थे..पर अंकित ने तो फोटो में ही चेक आउट मार लिया था...

वैसे अंकित ने आज तक विकी की पर्सनल लाइफ में कभी दखल नही दिया...उसने आज तक कभी उसका नाम भी नही पूछा था...और जब नाम पूछा था तो उसे तो 100% श्योर हो गया कि किसी हाइ सोसाइटी की है...

अलीशा सिंग ... नाम से पता चल रहा था कि पंजाबन होगी..और लग भी रही थी..जहाँ तक फोटो में दिख रहा था उसके बॉल लंबे थे....

और फिर विकी ने अंकित को अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बात भी करते हुए सुनाया जिसे अंकित को पूरा यकीन हो गया क्यूँ कि उसके बोलने के तरीके में बड़े मैनर्स थे..

अंकित अपने मन में सोचने लगा..साला इस लोलू फाटू चन्द को ये कैसी मिल गयी..लेकिन उसे ज़्यादा देर नही लगी समझने में..क्यूँ की वो जानता था कि विकी हाँ हुजूरी करने वाला है ....और ऐसे ही लड़कियों को चाहिए पालतू कुत्ता जो कि विकी एक दम सही था......

आख़िर कार वो घर से निकला तो 7:30 तक रितिका के गेट के बाहर खड़ा था उसके चेहरे पे एक बड़ी मुस्कान थी..उसने डोर बेल बजाई...

उसने बेल मारी काफ़ी देर तक लेकिन गेट नही खुला...वो परेशान हो गया...वो अपना फोन निकाल के मिलाने

लगा तो फोन कट कर दिया...उसने काफ़ी बार मिलाया फिर कट हो गया...उसे थोड़ी निराशा हुई....वो पीछे

मुड़ा

ओह्ह आह...(थोड़ा सहमते हुए उसने अपनी छाती पे हाथ रख लिया)
रितिका उसके बिल्कुल पीछे ही खड़ी थी..और ऐसे अचानक देख के अंकित थोड़ा घबरा गया...

रितिका मुस्कुरा पड़ी...आज दूसरों को डराने वाला खुद डर गया..

अंकित :- (अपने पीछे बालों पे हाथ फेरता हुआ) वो आप एक दम से आ गयी ना इसलिए..वैसे कहाँ गयी

थी..ना तो फ़ोन उठा रही थी.

रितिका :- यार मार्केट गयी थी..और तुम्हे तो मेने पहले ही देख लिया था इसलिए नही उठाया..देखना चाहती थी

कि तुम गुस्सा होते हो कि नही..लेकिन नही हुए वैसे भी..काफ़ी बदल गये हो..(उसने एक अजीब सी आँखों को

देखा)

जिसे अंकित देखता रह गया...वो सोच में डूब गया

रितिका :- अंदर नही आओगे..(रितिका अंदर पहुच चुकी थी)

अंकित भी अंदर चला गया.....और फिर कुछ देर बाद...दोनो के हाथ में एक मग था कॉफी का..आज ठंड

बढ़ गयी थी...शाम का टाइम था..सर्दियाँ दहलीज पे खड़ी थी..पर ऐसा लगा आज से ही आ गयी हो..आज

दोनो को थोड़ी सर्दी लग रही थी...

फिर रितिका ने बोलना शुरू किया..

रितिका :- अंकित मेने तुम्हे यहाँ क्यूँ बुलाया है जानते हो...

अंकित बेचारा कन्फ्यूज़ हो गया कि वो क्या कहे..जिसे रितिका समझ गयी..

रितिका :- इसलिए कि में ये रात तुम्हारे साथ बिता सकूँ...शायड कभी ना भूलने वाली..

पहले तो अंकित मुस्कुरा पड़ा...लेकिन फिर धीरे धीरे उसकी मुस्कान गायब हो गयी वो रितिका को देखने लगा..
उसकी आँखों में कुछ था..कुछ बाते छुपी थी..

अंकित :- क्या मतलब?

रितिका :- (गहरी साँस छोड़ते हुए) अंकित मेरा ट्रांसफर इस बार फिर से न्यू यॉर्क हो गया और इस बार में ना

नही कर सकती...

अंकित ने ये लाइन सुनी तो उसके पैरों तले ज़मीन से खिसक गयी...उसके सासें चढ़ गयी..उसके हाथ काँपने

लगे उसने कॉफी का कप टेबल पे रख दिया.....

रितिका :- मम्मी डॅडी भी वहीं है..और आर्नव भी..

तभी उसके दिमाग़ में आया कि हाँ..आर्नव काफ़ी दिन से भी नही दिखा..उसने रितिका की तरफ देखा..

अंकित :- फिर कब? (बस वो इतना ही बोल पाया)

रितिका :- शायद ही कभी आ पाउन्गी...(रितिका ने उसकी बात को समझ के उसका जवाब दिया)

अंकित को एक और ज़बरदस्त झटका लगा...और वो इस बार खड़ा होते हुए....
नही ऐसा नही हो सकता...तुम नही जा सकती...नही....मुझे क्या ये सुनाने के लिए बुलाया था...(अंकित बहुत

गुस्से में बोलता है)

रितिका भी खड़ी होती है..अंकित लिसन टू मी..(उसके कंधे पे हाथ रखते हुए) में समझती हूँ..कि तुम पर

क्या बीत रही होगी....

अंकित उसके हाथ बहुत पूरी तरह से झटक देता है..औcछ रितिका अपना हाथ पकड़ के दर्द में हल्का सा

कराहती है..लेकिन अंकित को इस वक़्त गुस्से में था.....

तुम्हे क्या पता क्या बीत रही है..अगर चिंता होती तो ऐसे हाँ नही करती ट्रान्स्फर के लिए...तुम्हे सिर्फ़ अपनी

पड़ी है...तुम्हारी नीड्स पूरी हो गयी तो तुमने लात मार दी मुझे कि जा हट अब मेरा काम हो गया

है..अब कोई ज़रूरत नही है तेरी....(फिर एक बार गुस्से में जो बोल रहा था उसे खुद नही पता था कि क्या बोल

रहा है.....रितिका बस उसे अपने मासूम से चेहरे से देखे जा रही थी)

सब बकवास है..हर औरत ही बकवास है..सबको अपनी पड़ी है...अपना काम निकाला बस..काम

ख़तम..यही सुनाने के लिए बुलाया गया था ना..बस खुश...हो गया ना अब में जा रहा हूँ..
(मूड के जाने लगता है....अंकित लिसन टू मी..प्लीज़...लिसन...रितका वहाँ खड़े खड़े चिल्लाती है)

अचानक अंकित वहाँ खड़ा हो जाता है...और फिर उसके दिमाग़ ने कुछ सोचना शुरू किया...कि ये क्या कर दिया...
क्या बोल दिया मेने अभी अभी...नो...शिट्सस...व्ट्स रॉंग..वित मी..मेने फिर वही ग़लती कर दी...ये क्या क्या बोल

डाला मेने रितिका को..उस इंसान को जिसनी मुझे एक अलग एक प्यार दिया जो आज तक किसी ने नही..ओह्ह गॉड हर बार क्यूँ ऐसी ग़लती हो जाती है मुझसे...
आख़िर क्यूँ रोक रहा हूँ में उन्हे...सिर्फ़ इस डर से कि अगर वो चली गयी तो में सेक्स किसके साथ

करूँगा....छी...इतना घटिया हो गया हूँ में ... नही...में ऐसा नही कर सकता...कहते हैं कि अगर अपनो को

खुशी खुशी विदा करो तो उसकी याद में से कभी नही निकल पाओगे..मुझे भी ऐसा ही करना है..में नही

चाहता कि रितिका मुझे नफ़रत में याद करे...आइ आम रियली सॉरी ... वेरी सॉरी..मुझसे ग़लती हो गयी मुझे

ये सब नही बोलना चाहिए...था....(वो अपने मन में सोचने लगा उसे बड़ी जल्दी रीयलाइज हुआ अपनी ग़लती का

उसकी आँखें नम थी)

क्रमशः...........................
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Sexi Rebel
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-75-76

Post by Sexi Rebel »

गतान्क से आगे..............


अंकित घुमा...उसकी नज़रें नीचे थी..वो नही मिला पा रहा था..रितिका से नज़रें..उसने बड़ी लो वॉल्यूम


में कहा....आइ आम..आइ आम..सॉरी...वेरी.य...सॉरी...(और फिर उसने गाल पे से कुछ हटाया शायद उसकी आँखों में


भरा आँसू छलक आया था)


रितिका उसकी तरफ मासूमियत भरा चेहरा लेके आगे बड़ी.....उसने अंकित के चेहरे को अपने हाथों से उपर


उठाया....जब उसने अंकित की आँखें भरी हुई देखी तो उसे दिल में बड़ी खुशी हुई..वो सब कुछ जो


थोड़ी देर पहले अंकित ने कहा था..वो अब इस चेहरे को देख के भूल गयी..


आव्व्व्व.....रितिका ने बस इतना कहा और उसके गले लग गयी..और उसके बालोन्न में हाथ फिराने लगी..


रितिका :- बाय्स नोट लुक गुड व्हेन दे क्राइ..


अंकित :- आइ आम सो सॉरी...आइ आम वेरी स्सॉरी....में वो सब नही बोलना..


रितिका :- ष्ह...बस बस...कुछ मत कहो..(उसने पीठ को थपथपाते हुए कहा)


फिर उससे अलग हुई और उसको सॉफ़फे पे लेके बैठ गयी....अंकित अभी भी नज़रे नीचे झुकाए बैठा था..और


रितिका उसे देख के मुस्कुरा रही थी....और मन में सोचने लगी..


कैसा लड़का है ये...आज तक समझ नही पाई......


दोनो सोफे पे बैठे थे...रितिका अंकित को देखे जा रही थी पर अंकित अपने गर्दन नीचे झुका के बैठा था वो रितिका से थोड़ी देर पहले की गयी बातों के बाद उसे नज़रे नही मिला पा रहा था....


रितिका :- (उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए) अंकित जस्ट रिलॅक्स....इतना परेशान होने की कोई ज़रूरत नही है...हो जाता है कभी कभी...इसमे तुम्हे टेन्षन लेने की कोई ज़रूरत नही है..मुझे बुरा बिल्कुल भी नही लगा....


अंकित अपना सर उठा के रितिका की तरफ देखते हुए...


अंकित :- नही....मेने जो भी कहा वो सही नही था...बिल्कुल ग़लत था और ये बात सच है आप भी जानते हो कि जो भी मेने कहा वो एक दम ग़लत था...पता नही इस कामीने दिमाग़ से क्या क्या आ जाता है...आप मुझे पनिशमेंट दो..हाँ वही सही रहेगा....जब तक इस कामीने को पनिशमेंट नही मिलेगी इसको पता नही चलेगा कि इसने कितनी बड़ी ग़लती की है..दो आप पनिशमेंट.....


अंकित के चुप होते ही रितिका खिला खिला के हँसने लगी....अंकित उसकी तरफ अपनी नज़रों से देखने लगा..उसे देख के अंकित के दिल में एक अजीब सी आहट हुई..रितिका के उस खूबसूरत चेहरे पर वो हँसी इतनी प्यारी लग रही थी...कि बॅस....खो जाने वाली...


अंकित :- आप हंस क्यूँ रहे हो?


रितिका :- अरे हंसु नही तो क्या करूँ....कैसे बच्चों की तरह बोल रहे हो..


अंकित :- हाँ..जो भी है...आप मुझे पनिशमेंट दो...में तभी समझूंगा..बस मुझे पनिशमेंट दो..


रितिका :- अच्छा....सोच लो फिर....


अंकित एक पल के लिए सोचने लगा....क्या इस बिल्ली से पंगा लेना ठीक रहेगा...पिछली बार तो बस इसके बालों को छेड़ा था तो इसने मेरे शरीर पर निशान छोड़ दिए थे..और इस बार तो पूरा मुँह इसके पंजों के आगे रख रहा हूँ..कहीं इस बार चेहरे को ही ना लपेटे में लेले...अरे नही नही...इसमे डरने का क्या है...है तो एक लड़की ही ज़्यादा से ज़्यादा क्या कर लेगी...


रितिका :- क्या हुआ डर गये?


अंकित :- डर और में..हाहहाहा...ऐसा नही होता...आइ आम रेडी...(स्टाइल मारते हुए)


रितिका :- ओके देन....जब तक में जो कहूँगी वो करना होगा....जैसा जैसा कहूँगी वैसा वैसा करना होगा...


अंकित :- ओके बट.


रितिका :- व्हाट?... अब ये मत कहना कि वांत सम रिलॅक्सेशन इन दिस पनिशमेंट..


अंकित :- ना ना..वो नही..में तो ये कह रहा था कि मुझे बर्तन माँजने नही आते....

(वो इस तरह बोला..कि रितिका अपनी हँसी को नही रोक पाई और खिला खिला के दोनो हँसने लगे)


थोड़ी देर बाद....डिन्नर करने के बाद..सारे काम ख़तम करने के बाद दोनो रूम में खड़े थे...


अंकित :- हाँ तो मेडम जी..डिन्नर भी हो गया..अब फ्री हो गये...क्या करने का है...


रितिका :- ह्म्‍म्म...बड़ी जल्दी है..


अंकित :- हाँ वो पनिशमेंट मिल जाए तो एक टेन्षन ख़तम होगी...(दाँत दिखाते हुए)


रितिका :- अच्छा...ह्म्म..ठीक है फिर...जाओ पीछे कुर्सी पे जाके बैठ जाओ (वो अपनी उंगली से पीछे कुर्सी की तरफ


इशारा करती है)


अंकित वहाँ जाके कुर्सी पे बैठ जाता है....अब.....(बैठते ही बोलता है)

रितिका अपनी कमर को मतकाते हुए आगे बढ़ती है...और कुर्सी के पीछे आल्मिरा में से कुछ निकालती है..


और फिर अंकित के पीछे आते हुए...


रितिका :- आँखें बंद करो...


अंकित बिना सवाल करे आँखें बंद कर लेता है..उसके दिल में एक उत्साह होता है कि क्या होने वाला है अब उसके साथ....इतने में...रितिका एक काली पट्टी लेती है..और उसके आँखों पे बाँध देती है....


अंकित :- ये क्या....(थोड़ा घबराते हुए)


रितिका :- ष्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...(रितिका पीछे से ही अंकित के लिप्स पे उंगली रखती है) कोई सवाल नही....


अंकित चुप हो जाता है..फिर रितिका एक एक कर के उसके दोनो हाथ कुर्सी से बाँध देती है...और उसके बाद उसके


पैर भी कुर्सी से बाँध देती है....


अंकित :- आज क्या मर्डर करने का प्लान है.....(थोड़ा मुस्कुराते हुए)


रितिका उसके चेहरे के बिल्कुल करीब जाते हुए..


रितिका :- क्यूँ ऐसा क्यूँ लगा तुम्हे..


अंकित :- वो सीरियल में दिखाते हैं ना..ऐसे पट्टी बाँधी और गला काट देने का..हाहहहाहा...


रितिका :- (मुस्कुराते हुए एक उंगली को अंकित के चेहरे पर फिराती है) फिर कुछ ऐसा ही समझ लो...


अंकित की तो इस अदा को महसूस करके ही बॅंड बज जाती है..उसके लंड ने हरकत देनी शुरू कर दी...


रितिका इतना बोलती है और फिर चली जाती है...अंकित को लगता है कि वो कुछ कर रही है...पर जब कुछ देर तक कोई आहट नही होती..तो उसकी सच में फट जाती है..

क्रमशः...........................
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Kautilay
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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की

Post by Kautilay »

Thanks.... Please update
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Sexi Rebel
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-77-78

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गतान्क से आगे..............


अंकित :- री..त्तिका..आ..आ....कहाँ हो....यार ऐसे बाँध के कहाँ गायब हो गयी..देखो प्लीज़ ऐसा मज़ाक पसन्द


नही है मुझे....(और फिर अपने आप से) ले अंकित और उछल दे दिया ना अपना चेहरा इस बिल्ली को..अब जब तक कुरेद नही देगी बुरी तरह से जब तक छोड़ेगी नही...अब क्या होगा मेरा....


इतना सोच ही रहा होता है कि उसे एक गेट खुलने की आवाज़ आती है..


अंकित :- रितिका....


रितिका :- ह्म्‍म्म्म.....


वो एक गेरी सांस छोड़ता है...यार ऐसे बाँध के कहाँ चली गयी थी.....अंकित बोलता है पर रितिका उसकी बातों का


कोई जवाब नही देती..और उसके बेहद करीब आ जाती है..

अंकित की तो साँसे चढ़ जाती है..जैसे ही वो पास आती है एक मस्त खुशुबू उसकी नाक में चढ़ जाती है


और वो मदहोश सा हो जाता है..रितिका अपनी हथेली को अंकित की थाइस पे रख के अपने एक घुटने को अंकित की दोनो टाँगों के बीच में रख लेती है और उसके उपर झुक जाती है.....


डर गये थी क्या...उसके कान के पास जाके बड़े ही सेडक्टिव वॉल्यूम में बोलती है..


अंकित का छुआ तो अब हिलने के साथ साथ चलने लगा था कहने का मतलब अब उसका लंड जो हिल रहा था अब वो अंदर ही अंदर उसमे हवा भर चुका था..और अपना साइज़ बढ़ा रहा था...


रितिका ने अपनी उंगलियों से अंकित की शर्ट के बटन खोलने शुरू किए और धीरे धीरे करके सारे बटन खोल डाले...और उसकी चेस्ट पर उंगली फिराने लगी....


अंकित तो मस्ती में अपनी गर्दन हिलाने लगा कि तभी उसके मुँह से एक दर्द भरी आह..निकल गयी क्यूँ कि रितिका ने उसकी चेस्ट पे आए छोटे छोटे कुछ बालों को हल्का सा खिच लिया.......


पर अगले ही पल अपने होंठ आगे बढ़ा के उसके चेस्ट पे रख दिए और वहाँ पे फिराने लगी...अंकित की तो बॅंड ही बज गयी.....वो अपनी गर्दन हिला रहा था पर कुछ नही कर सकता था..उसके हाथ पैरों की

हथेलियाँ हिल रही थी....


तभी रितिका आगे हुई तो उसका घुटना जो लंड के पास ही था..वो अंकित के लंड वाले हिस्से से जाके जुड़ गया...जिससे उसकी जीन्स पिचाक गयी....और उसका अंदर बैठा शैतान भी हल्का सा दब गया...

अब इस पल में अंकित को जितना मज़ा आया उतना ही दर्द भी हुआ...इसलिए मिली जुली सिसकी उसके मुँह से निकल


गयी..अहह ओह्ह्ह..रितिका..आ.आ.आ.आ..आ.........


रितिका :- क्या हुआ अंकित.....(उसने अपना हाथ अंकित के चेहरे पे फिराया)


पर अंकित कुछ ना बोला...बस उसके मुँह से लंबी लंबी साँसे निकल रही थी..


रितिका समझ गयी थी..पर उसे अंकित को ऐसे तड़पाने में मज़ा बेहद आ रहा था..इसलिए उसने अपने होंठों को आगे बढ़ाया और उसकी नाक उसके गालों पर चुंबनों के बौछार कर दी..और अपने हाथों को उसकी चेस्ट पे घुमाना जारी रखा...और नीचे अपने घुटने को बार बार आगे पीछे कर रही थी.....

ऐसे तीन तरफे हमले से अंकित की सॉलिड लगी हुई थी..जीन्स में फँसा हुआ उसका लंड अब अपने पूरे होशो आवाज़ में आ चुका था..और वो अंदर ही अंदर गहरे दर्द में डूबा हुआ था...


लेकिन शायद इस दर्द को और बढ़ाना चाहती थी...इसलिए उसने अपने सॉफ्ट लिप्स को अंकित के लिप्स से जोड़ दिए..और उन्हे बड़े ही सॉफ्ट्ली चूमने लगी..कभी उपर लिप्स को होंठों में भरती तो कभी लोवर लिप्स को...ऐसा ही चलत रहा कुछ सेकेंड्स तक...फिर अपनी जीब बाहर निकाल के रितिका ने होंठों को चाटना शुरू किया और उसके बाद अंकित के मुँह मे अंदर डाल के उसके जीब से अपनी जीब मिला दी..और फिर अपने होंठ चिपका डाले......


अंकित तो कोई रेस्पॉन्स नही कर रहा था...उस वक़्त पर उसे ऐसा नही आया था..और वो भी शुरू हो गया..एक सॉफ्ट किस वाइल्ड कब बन गयी....पता ही नही चला...दोनो वाइल्ड्ली किस कर रहे थी...लंड में दर्द है बेइंतिहा पर इस किस में अंकित ने कोई कमी नही छोड़ी...उसे ऐसे चाट रहा था...मानो कभी नही मिलेगा फिर....


रितिका भी अंकित के बालों पे हाथ फिराती हुई उसके होंठों और उसके जीब को चूस रही थी....


कुछ मिनट तक ये खेल चलता ही रहा.....फिर रितिका आगे बड़ी और अपने वो फ्लफी बिल्कुल खड़े हुए निपल्स के साथ अपने बूब्स अंकित की चेस्ट में धँसा दिए..और अपने होंठ अंकित की गर्दन और गले पे रख दिए और उन्हे वहाँ चूसने लगी....लंड पे घुटने अभी तक बार बार ठोकर मार रहा था...


आहह रितिका..प्लीज़...उफफफफफफफफफफफ्फ़..........आहह वो बेचारा ना हाथ हिला पा रहा था ना पैर और ना ही अपना लंड जो अंदर फँसा हुआ था....बुरी तरह से फँसा हुआ था..पर मज़ा भी दो गुना मिल रहा था उसे.......


वो अपने मन में सोचने लगा....आख़िर फँस ही गया...ये इतना ख़तरनाक तरीका अपनाएगी पता नही था..ओह्ह..बहुत दर्द हो रहा है...अब अगर बाहर नही निकाला तो अंदर ही फट जाएगा मेरा लंड...अब कैसे

समझाऊ इस लड़की को......कोई तो बचाओ..........



पर अंकित की आज पूरी तरह से लगाने का इंतेज़ाम कर रखा था रितिका ने.....कुछ देर उसकी गर्दन के साथ खेलने के बाद फिर धीरे धीरे नीचे आई..और उसकी चेस्ट के निपल्स के करीब जाके वहाँ पे गरम गरम साँसे छोड़ने लगती है....


अंकित को तो ऐसे लगा मानो उसके निपल्स को कोई झुलसा रहा हो....कुछ देर तक रितिका ऐसे ही रही ना तो

हिली ना डुलि बस अपनी गरम साँसों से उसके निपल्स पे वार करती रही.....

फिर अपनी रेड टॅंग को बाहर निकाला और अंकित के उस लाइट ब्राउन के निपल को उसने चाट डाला..


अह्हाआ...एक सांस अंकित के मुँह से निकल गयी...रितिका उसके चेहरे को देख के मुस्कुराने लगी

उसे अंकित की ऐसी हालत देख के बड़ा ही मज़ा आ रहा था.....


रितिका ने अपने होंठ आगे बढ़ाए और उसके नन्हे से निपल्स को चूसने लगी.....

अहहह....सिसकते हुए वो हल्का सा कुर्सी पे हिला जिससे कुर्सी भी हिली...अंकित अपने हाथ और पैर छुड़ाने की कॉसिश में था....पर ऐसा नही हो पाया..


रितिका ने अंकित के निपल्स को चूसना छोड़ दिया अंकित का निपल एरेक्ट होके अपना साइज़ बढ़ाने लगा...

रितिका ने दूसरे निपल् के साथ भी यही किया....और वैसी ही सिसकी अंकित के मुँह से निकल गयी....


उसके बाद रितिका ने अपनी जीब को उसके पूरे पेट पर रगड़ते हुए उसकी नाभी पे आके वहाँ अपनी जीब रख के घुमाने लगी..


रीतित्कतका नूओ.....प्लीस.ए.ए..ए.ए...आहह सिसकते हुए उसका पेट उपर नीचे हो रहा था...

कुछ सेकेंड तक उसकी नाभी को ऐसे अपनी जीब से सहलाने के बाद वो हटी..


रितिका :- क्यूँ बच्चू..जब तुम खुद ऐसा करते हो तब समझ नही आता कि कैसा लगता है..


अंकित :- हाँ पर..(गहरी साँसे लेते हुए) ऐसे हाथ पैर बाँध के तड़पाते हुए थोड़ी करते हैं....

यार अब खोल दो ना...


रितिका खिल खिला के हँसने लगी.....


रितिका :- लेकिन मेरी पनिशमेंट तो अभी बाकी है..... (बोलते हुए उसके हाथ उसके पेट को सहलाते हुए

नीचे उसकी जीन्स पे बने हुए उभार के उपर आ गया और उसे वहाँ बढ़ने लगी...उसके जीन्स के उपर

से उसके लंड को नीचे बढ़ाने लगी...


अहह हाँ..........ओह्ह्ह्ह रितिका...नो डोंट....डू दिस.स..स.आहह इट्स हार्टीन्ज्ग.ग..ग.आहह

वो कुर्सी पर हिलने लगा .... कुर्सी बुरी तरह से हिल रही थी.... लेकिन रितिका के चेहरे पर अभी भी मुस्कान बनी हुई थी..उसे बड़ा मज़ा आ रहा था.....वो उसके लंड को अपनी हथेली से जीन्स के उपर से और

ज़्यादा दबा रही थी.....


आआहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़....ससीसीई ृित्तत्तिकक.आ..आ.आ.आ.आ.आ.........

ओह्ह गॉड्ड्ड..द.द.द....इट्स रियली हारटिंग मी......वो अपना सर इधर उधर हिलाने लगा....


आख़िर जब रितिका को लगा कि सच में उसे ज़्यादा दर्द हो रहा है..तो उसने उसका लंड दबाना छोड़ दिया..

और उसके चेहरे को अपने हाथ से सहलाते हुए....


रितिका :- सॉरी अंकित ईज़ इट हारटिंग....टू मच आइ आम सॉरी..में अभी खोल देती हूँ...(वो थोड़ा घबरा गयी)


रितिका उसके चेहरे पे हाथ फेर रही थी..तो ग़लती से उसकी उंगलियाँ अंकित के होंठों के उपर चली गयी..

रितिका कुछ कर पाती...उससे पहले अंकित ने अपने होत खोल के उसकी उंगलियाँ मुँह में ले ली.....


और उसे चूसने लगा....अंकित रितिका की उंगलियों को अपने मुँह के अंदर चूसने लगा..एक पल तो रितिका

भी उस पल में खो गयी...पर फिर एक दम उसने हाथ बाहर खिच लिया...


रितिका :- अच्छा बच्चू मुझसे फिर पंगा....


अंकित रितिका की बात सुन के मुस्कुरा पड़ा...रितिका को गुस्सा आया तो उसने अपनी जंगली बिल्ली को जागाते हुए

एक बार फिर से अंकित के लंड को दबा डाला...


आहह रितिका...आ.आ.आ.आ..आ........


हहेहेहेहीः क्यूँ मज़ा आया ना.....मुझसे पंगा नही लेना अंकित....(बोलते हुए उसने अपने नाख़ून

अंकित के चेहरे में गढ़ा दिए और फिर दुबारा बोली) अब देखो तुम्हे कैसे मज़ा चखाती हूँ....

(और फिर अपने होंठों को गोल करके अंकित के चेहरे पर फूँक मारती है)


क्रमशः...........................
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Sexi Rebel
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-79-80

Post by Sexi Rebel »

गतान्क से आगे..............


हाई....आज तो में कसम से गया..लेकिन ध्यान रखना रितिका अगर इसको कुछ हो गया जीन्स के अंदर तो

फिर कभी कुछ नही कर पाउन्गा..हाहहहः..(बोलते हुए हँसने लगा)


चिंता मत करो...बस देखते रहो...(गर्दन पे उंगली फेरते हुई उसके पीछे आ जाती है)


और उसकी गर्दन को पीछे की तरफ नीचे झुका देती है ....


रितिका :- नाउ आइ विल अनफोल्ड युवर आइज़..बट प्रॉमिस मी यू डोंट ओपन युवर आइज़ बिफोर आइ विल गेव यू अनदर इन्स्ट्रक्षन

ओके...


अंकित कुछ बोलने की बजाए सिर्फ़ गर्दन हाँ में हिलाता है...


रितिका उसकी आँखों की पट्टी को खोल देती है..और वेड के मुताबिक अंकित अपनी आँखें नही खोलता..रितिका उसकी

गर्दन को सीधा कर देती है....


रितिका :- डोंट ओपन युवर आइज़ अंटिल से यू टू ओपन.....


और चलती हुई अंकित से दूर चली जाती है......


अंकित :- रितिका कहाँ जा रही है...आँखें खोल दूं....अरे कुछ तो बोलो..में खोल रहा हूँ....जल्दी

करो यार...


रितिका :- जस्ट वेट आ व्हीली प्लीज़.....


अंकित अपने मन में....यार ये मेरा खड़ा कर कर के मेरी मारेगी आज लगता है..उई माँ बड़ा दर्द हो रहा

है....कहीं खड़े रहने के चक्कर में अगर इसको कुछ हो गया तो ये तो चली जाएगी फिर मेरा क्या

होगा...नही नही..ऐसा कुछ हुआ तो में तो ज़िंदा मर जाउन्गा....(इतना सोच ही रहा होता है कि रितिका

की आवाज़ उसके कानो में पड़ती है...)


रितिका :- नाउ उ कॅन ओपन युवर आइज़.....


अंकित की बॅंड तो रितिका की आवाज़ से ही खराब हो गयी थी..उस आवाज़ में इतना सेडक्ट्ष्वनेस था इतनी

ठहरी हुई और बैठी हुई आवाज़ थी कि बस कोई भी सुन के पागल हो जाए....

अंकित ने धीरे धीरे आँख खोलनी शुरू की....और आँखें खोली तो उसे सामने कुछ दिखा पर धुंधला सा

इसलिए उसने एक दो बार आँखें बंद करी और फिर खोली....और फिर जो सामने का नज़रा था उसे सच में आज

अंकित का लंड खाट खड़ी कर जाना था...


रितिका सामने खड़ी थी........आल्मिरा के डोर के साथ ये कोई खास बात नही थी.लेकिन उसके कपड़े जो उसने

पहने थी वो ऐसे थे कि बॅस किसी की भी लुल्ली को लंड बना दे...

बिल्कुल ट्रांसपेरेंट ब्लॅक कलर की एक नाइट ड्रेस या यूँ कहिए नाइटी...उसकी लेंथ मुश्किल से कमर तक

ही थी...

अंकित की आँखें पूरी खुली थी..उसको सांस लेने में भी तकलीफ़ होने लगी ... नज़ारा ही कुछ ऐसा था..

रितिका ने अपने पैर डोर पे रखे हुए थे दोनो हाथ उपर थे चेहरा आल्मिरा से चिपका हुआ था...
सामने का सबाल बिल्कुल खुला हुआ......मानो अंकित को बोल रही हो हिम्मत है तो आओ इस शरीर को बाहों
में भर लो......एक मॉडेल भी फैल हो जाएगी रितिका के आगे इस वक़्त इतनी कयामत ढा रही थी....

चेहरे पे कोई मेकप नही बस होंठो पे रेड लिपस्टिक..बाल खुले हुए...आँखों पे हल्का काजल.....
नीचे आएँ तो उस ट्रॅन्स्परेंट नाइटी में वो उसका खुला बराबर शरीर...ड्रेस के अंदर उसकी दिखती
वो खूबसूरत चुचियाँ सॉफ दिखते हुए वो कड़क हो रखी निपल्स...जो थोड़ी देर पहले अंकित की चेस्ट
में घुसे हुए थे....और नीचे आएँ तो सपाट पेट उसका वो छोटा सा होल और उसके नीचे वो होली
जिसे देख के तो कोई भी उड़ने लगे..जैसे अंकित का लंड उड़ रहा था पर तकलीफ़ के साथ ....
रितिका की वो बेहद खूबसूरत चिकनी चूत जिसका छेड़ सामने बैठा अंकित भी देख पा रहा था...
और उसके नीचे वो सुंदर कोमल मखमली थाइस्स....और साइड में हल्की झल्क देती हुई उसकी वो गान्ड..

कसम से अंकित की तो सॉलिड लगा दी थी रितिका ने......उसने अपनी नज़रें ना चाहते हुए भी रितिका के उपर
से हटा के इधर उधर देखा तो उसका दिल अंदर तक खुशी से झूम उठा ... इतनी मेहनत इतना सब कुछ किया
रितिका ने इस रात को यादगार बनाने के लिए....अंकित सोच में पड़ गया नज़ारा ही ऐसा था कमरे का..

हर तरफ जलती हुई कॅंडल्स जिसकी रोशनी से उस कमरे में खड़ी रितिका की सुंदरता और कमरे के उस पल को
और ज़्यादा खूबसूरत बना रहा था...कमरे का महॉल ही बदल दिया था.....

दर्द चाहे जितना भी हो रहा हो...पर शायद इस पल ने अंकित के सारे दर्द को भुला दिया होगा....

क्रमशः...........................
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