गतान्क से आगे..............
रितिका मन ही मन उसे थॅंक्स बोल रही थी.....लेकिन तभी अंकित ने ध्यान दिया कि वो अपनी कमर
हिला रहा है तो उसने अचनाक कमर हिलानी बंद कर दी....और फिर उसने सर झुका लिया वो रितिका से
आँखें नही मिला पा रहा था....
रितिका समझ गयी......लेकिन पहले उसने खूब गहरी गहरी साँसें ली...जिसके लिए वो कब से बेकरार थी...
फिर उसने अपने हाथों को अंकित के चेहरे पे ले झटके उसे अपनी तरफ किया....अंकित ने अपनी आँखें
उस वक़्त भी नीचे कर रखी थी....
फिर रितिका ने अंकित के चेहरे को अपने चेहरे के करीब किया...और अपनी साँसें चेहरे पे छोड़ने लगी
फिर और करीब कर लिया अंकित के चेहरे को...इससे दोनो की नाक आपस में टकरा गयी.....
टकराने की वजह सी अंकित की नज़रे रितिका पे पड़ी....
रितिका के चेहरे पे एक मुस्कान आ गयी..और वो मुस्कान इतनी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी उस वक़्त उस
चेहरे पर कि अंकित भी बिना मुस्कुराए नही रह पाया....
रितिका ने अंकित के चेहरे को थोड़ा पीछे किया और फिर अपने होंटो से अंकित की नाक पे किस किया फिर
उसकी आँखों पे फिर उसके चीक्स पे...और फिर उसके होंठो पे एक प्यार भरी छोटी सी किस कर दी
और फिर दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने लगे......
अंकित और रितिका दोनो की आँखों में एक नशा सेक्स का नशा था फिर अंकित ने अपने होंठ आगे बढ़ा
के रितिका के गले में चूमना शुरू कर दिया कभी होंठ तो कभी जीभ से रितिका के गाल
को चाटने लगा...रितिका अपने हल्के होंठ खोले अपनी गरम साँसें बाहर निकाल रही थी....और अंकित
के बालों में हाथ फिरा रही थी......
कुछ सेकेंड बाद अंकित गालो पे अपने होंठ फेरता हुआ नीचे आने लगा...और रितिका के चुचों के
बीच की दरार पे अपने होंठ फेरता हुआ नीचे आने लगा..और पेट की नाभि पे आके रुक
गया...और वहाँ सूट के उपर अपने होंटो से पकड़ कस लिया और नाभि को चूसने लगा...
रितिका का पूरा शरीर बुरी तरह से कांप गया इससे.....वो अपनी कमर उछालने लगी......
अहहह..नो...अंकित.....आ...ह....(हल्की हल्की सिसकी निकलने लगी रितिका के मूह से)
फिर अंकित खड़ा हुआ और उसने सूट को उपर करना चालू किया..रितिका ने अपना हाथ आगे बढ़ा के उसे
रोकने की कॉसिश करी....नो नो करके बोलने भी लगी..(लेकिन उसके बोलने में झलाक नही रहा था कि वो
सच में ना कर रही है) अंकित ने रितिका के उपर ध्यान ना देते हुए उसका सूट आधा उपर कर
दिया जिससे उसका वो सपाट सुंदर पेट अंकित के सामने आ गया...रितिका ने अपनी आँखें हल्की बंद
कर रखी थी.....
अंकित की आँखों में एक चमक आ गयी...ठीक नाभि के उपर एक छोटा सा तिल था..जिसे अंकित ने
पहली बार देखा था....फिर अंकित की नज़र थोड़ी नीचे गयी..तो ठीक पाजामे के उपर लाल निशान
और थोड़ा सा पेट पे गड्ढा सा पड़ा हुआ था....
अंकित सोचने लगा कि ये शायद उसके हिलने की वजह से हो गया होगा...अंकित को अपने उपर गुस्सा
आया....
फिर उसने अपनी उंगलियो आगे बढ़ा के वहाँ निशान पे फिराने लगा...और उपर ले जाके नाभि के
चारों तरफ फिराने लगा....रितिका का तो जलता बदन और सुलगता जा रहा था...उसकी कमर हवा
में उछलने लगी....जब अंकित की ठंडी उंगलिया उसके गरम बदन पर हिचकोले खा रही थी..
फिर अंकित ने अपने होंठ रख दिए..और बड़े प्यार से उस सुंदर पेट पे फिराने लगा...और हर
तरफ अपने चुंबन की छाप छोड़ने लगा....फिर नाभि की तरफ अपनी जीभ निकाल के उसमे घुसा
दी और वहाँ अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगा.....
आ..ह.ह..ह.ह अंक....ई.ई....त.त..त......रितिका ने सिसकी लेते हुए उसके सर को पकड़ लिया......उसे बड़ी गुलगुली हो रही
थी पर साथ साथ में काफ़ी मज़ा भी आ रहा था......अंकित उसके तिल को अपने होंटो के बीच में
दबा के सक करने लगा....रितिका का तो रोम रोम हिल चुका था...उसकी कंट्रोल करने की शक्ति
ख़तम हो रही थी..
एक तरफ अंकित के होंठ उसके गरम पेट को ठंडा करने की कॉसिश कर रहे थे...दूसरी तरफ अंकित ये सब
करते हुए अपने हाथ रितिका के दोनो थाइस्स पे फिरा रहा था.....
और जब वो हाथ उसकी चूत के करीब जाते तो..रितिका की चूत की फांके खुल के अंदर से बारिश की बूंदे
बाहर टपका देती और उसकी पेंटी को गीला कर देती....अब तो हाल इतनी बुरा हो गया था कि पेंटी के
साथ चूत वाले एरिया के उपर पाजामा भी गीला होने लगा था....
अच्छी तरह से चाटने के बाद अंकित ने अपने होंठ हटा लिए.....लेकिन उसके हाथ नही रुके ...
और वो रितिका के चेहरे की तरफ देखने लगा...जो एक दम किसी देसी पहाडन की तारह लाल सुर्ख हो चुका था
और ऐसा लग रहा था मानो कोई ज़िंदा डॉल उसके सामने लेटी हो......
देखते देखते अंकित ने अपने हाथ अपनी जीन्स की तरफ किए और वहाँ से अपनी बेल्ट खोल के जीन्स
में से निकाल दी.....और जीन्स का बटन खोल के जीन्स को खिसका कर नीचे कर दिया...ज़्यादा नही पर उतनी
कि अब उसका अंडरवेर और उसके अंदर बैठा उसका शैतान लंड जो अंदर से इस खूबसूरत बाला को
सलामी ठोक रहा था जो उसे दिखाई दे रही थी...और एक दम से अंकित रितिका के उपर लेट गया....
रितिका की आँखे अचनाक पूरी खुल गयी और अंकित की नज़रे जो उसके बिल्कुल करीब थी उसको देखने लगी..
वो इसलिए हुआ..कि रितिका के पेट पे अंकित का लंड पड़ा था सिर्फ़ अंडरवेर था जो दोनो के मिलन में
अड़ा हुआ था...लेकिन रितिका उसे सॉफ बिल्कुल सॉफ महसूस कर रही थी....उसकी शक्ति को उसके वेट को अपने
उपर महसूस कर रही थी...
अंकित ने एक मुस्कान दी और रितिका के होंठो को गिरफ़्त में लेके उन्हे चूसने लगा...
रितका भी डबल मज़ा लेते हुए होंटो में गुम हो गयी..और बेइन्तिहा दोनो एक दूसरे के होंटो
को और जीभ को चाटने लगे.........
बीच बीच रितिका थोड़ी ज़्यादा वोलेंट हो जाती क्यूँ कि अंकित का लंड अंडरवेर में से हिचकोले ख़ाता
जिससे रितिका के पेट पे ऐसा लगता मानो कोई नरम चीज़ पर हठोड़ा पड़ रहा हो....
रितिका को वोलेंट देख अंकित भी पागल हो गया..और पहली बार अपने हाथ नीचे ले जाके रितिका के
सूट के उपर से उसके लेफ्ट चुचे पे हाथ रख दिया...
एक एक आहट "ज़िंदगी" की complete
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-48
क्या एहसास था ये अंकित के लिए कपड़ों के उपर से ही वो ऐसे नरम सख़्त शेप चुची लग
रही थी कि बस अभी उन्हे बाहर निकाल के उनका सारा दूध अंदर का पिए जाए और उसे खाली कर
दे.....रितका के निपल भी और सख़्त हो गये अंकित का स्पर्श पा कर..
अंकित को भी वो निपल्स अपनी हथेली पे सॉफ सॉफ महसूस होने लगी......फिर अंकित ने अपनी हथेली को
ज़रा सा बंद किया तो वो चुची भी हल्के से दब गयी.....वाहह कितना मज़ा आया
अंकित को ऐसे दबाने में...वो उसका लंड दिखा रहा था क्यूँ कि वो हिचकोले ख़ाता हुआ
फिर से रितिका के पेट पे लग जाता....
दो तरफ इस गंभीर हमले से रितिका और भी ज़्यादा पागल हो गयी....उसने अपना एक हाथ तो अंकित की गर्दन
में जैसे साँप लिपटा होता है वैसे लिपटा रखा था..और दूसरा हाथ ले जाके सीध अंकित की गान्ड के
उपर रख दिया अंडरवेर के उपर से....और वहाँ उसे सहलाने लगी....
दोनो एक दूसरे को आग दे रहे थे...लेकिन कोई किसी को ठंडा नही कर पा रहा था..महॉल और भी
ज़्यादा गरम होता जा रहा था किसी भट्टी से भी ज़्यादा...दोनो एक दूसरे की आग को और भड़काने
में मशगूल थे....ठंडा पानी कौन गिराएगा इस आग में अभी वो तय नही कर पाया दोनो में से
कोई......
अंकित ने रितिका के चुचों को हथेली से कस के अंदर की तरफ दबा दिया...और उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने
लगा मानो कोई हॉर्न बजा रहा हो........वो जितना दबाता उतना रितिका उसके होंठो को अपने जीभ से चाटती
अंकित ने चुचो के निपल्स को कपड़े के बाहर से ही पकड़ लिया और उन्हे अपनी उंगलियो से ट्विस्ट
करने लगा...कभी आधा लेफ्ट की तरफ घूमता कभी राइट की तरफ...मानो कोई निपल नही हो पानी का नल
हो.....
रितिका के लिए ये सब एक नया और बेहद कामुक और शरीर को तरसा देना वाला पल था जो उसने आज तक
ना ही झेला था...वो तो इस वक़्त सागर की गहराइयों में डूब चुकी थी और वहाँ के वातावरण का
मज़ा ले रही थी.....इसलिए वो भी पीछे रहने वाली नही थी...
अंकित की गान्ड पे जो उसका हाथ था वहाँ वो अंकित की गान्ड को दबाने लगी वो भी बिल्कुल वैसा
कर रही थी जैसा अंकित उसके चुचों को दबा रहा था....
दोनो ही कम नही थे......जैसा कि कहा मेने..दोनो एक दूसरे के अंदर आग लगा रहे थे लेकिन
ठंडा नही कर रहे थे........
अंकित भी कहाँ पीछे रहने वाला था उसने इस लड़ाई को और बढ़ा दिया और शुरू हो गया.......
रितिका के इस वार से अंकित और भी ज़्यादा उतेज़ित हो गया और उसने फिर से दुबारा अपनी कमर हिलानी शुरू
कर दी.........और अपने पूरे लंड को सिर्फ़ रितिका के पेट के उपर ही घिसने लगा...
रितिका की आँखें पूरी खुल गयी....उंगघह उःम्म्म्ममम की आवाज़ें अंकित के मूह के अंदर
जाने लगी....
अब अंडरवेर के अंदर लंड रितिका के नंगे पेट के उपर घिसा जा रहा था और दूसरी तरफ से एक
हाथ उसके चुचों को मसले जा रहा था...(आँखें फटना लाज़मी है)
अंकित अपनी कमर तेज़ी से हिला रहा था..रितिका की तो बॅंड ही बज रही थी...
अंकित के कमर हिलने की वजह से रितिका का जो हाथ अंकित के गान्ड पे चल रहा था वो उपर नीचे
हो रहा था..और तभी रितिका की नखुनो की वजह से अंकित की कच्छि थोड़ी उपर उठी और अंकित के
आगे की तरफ धक्का लगाने की वजह से रितिका का हाथ कच्चे के अंदर चला गया और अंकित की नंगी
और ठंडी गान्ड के उपर आ गया..
उंगघह उःम्म्म्मममममममम इस बार सिसकी लेने की बारी अंकित की थी....क्यूँ कि रितिका का गरम
हाथ उस ठंडी गान्ड पे ऐसा पड़ा था मानो किसी गरम तवे पे पंनी छिड़क दिया जाए तो
कैसी भाँप निकलती है....सेम अंकित का भी यही हाल था...
अंकित ने आख़िर किस तोड़ डाली (आज दोनो ने किस का तो रेकॉर्ड बना लिया था) दोनो के चेहरे पे
एक दूसरे का रस भरमार लगा हुआ था...दोनो एक दूसरी की आँखों में देखने लगी....
अंकित की कच्छि थोड़ी सी खिसक गयी नीचे की तरफ रितिका के हाथ अंदर जाने से...जिसकी वजह से
अंकित के लंड का लाल रंग का सुपाडा उसकी कच्छि से बाहर आ गया और रितिका के पेट को छू गया...
एयेए.....ह.ह..ह.ह.ह.....ह.ह.ह.ह..ह....म.....एम्म.म.....रितिका के मूह से ये सिसकी निकली तो ह...ओ..उ..उ.उ.....
अंकित के मूह से भी ये सिसकी निकल गयी...
दोनो जानते थे कि क्या हुआ है....लेकिन अगले ही पल रितिका का हाथ बाहर निकल गया और कच्छि अपनी
जगह पर सेट हो गयी....और सुपाडा भी अंदर चला गया.....
रितिका का हाथ अंकित की कमर में था.....
रितिका और अंकित दोनो को एक पल के लिए बुरा लगा लेकिन जो एहसास उन्हे कुछ सेकेंड पहले मिला था
उसकी खुशी ने सारा गम भुला दिया......
अंकित ने अपनी कमर हिलानी तेज़ी कर दी...और दूसरा हाथ ले जाके रितिका के चुचे पे रख दिया
और उसे भी कस कस के दबाने लगा..
आहहह ह्ह्म.म........सस्स्सिईईई...ओह्ह्ह.ह.ह.....रितिका के मूह से ये आवाज़ें निकल रही थी..उसके दोनो
हाथ अंकित की टीशर्ट के अंदर से उसकी कमर पे...वो बुरी तरह से हिल रही थी...
दूर से देखने पर यही लगेगा कि दोनो सेक्स कर रहे हैं..लेकींन ऐसा था ही नही....
अंकित ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाता हुआ.........
अंकित :- आ...रीत...ई...का.......
और अपना मूह आगे बढ़ाने लगा..रितिका भी गरम साँसें छोड़ रही थी...अंकित की इस स्पीड को देख
कर वो समझ चुकी थी की अंकित अब जाने वाला है..और वो खुद भी जानती थी..कि उसका भी जो रस इतने
सालों से इकट्ठा कर रखा था अब उसके निकलने का समय था..दोनो के होंठ आपस में जुड़ने
ही वाले थे कि तभी....
तभी डोर पे एक के बाद एक बेल बजने लगी...........
क्रमशः......................
रही थी कि बस अभी उन्हे बाहर निकाल के उनका सारा दूध अंदर का पिए जाए और उसे खाली कर
दे.....रितका के निपल भी और सख़्त हो गये अंकित का स्पर्श पा कर..
अंकित को भी वो निपल्स अपनी हथेली पे सॉफ सॉफ महसूस होने लगी......फिर अंकित ने अपनी हथेली को
ज़रा सा बंद किया तो वो चुची भी हल्के से दब गयी.....वाहह कितना मज़ा आया
अंकित को ऐसे दबाने में...वो उसका लंड दिखा रहा था क्यूँ कि वो हिचकोले ख़ाता हुआ
फिर से रितिका के पेट पे लग जाता....
दो तरफ इस गंभीर हमले से रितिका और भी ज़्यादा पागल हो गयी....उसने अपना एक हाथ तो अंकित की गर्दन
में जैसे साँप लिपटा होता है वैसे लिपटा रखा था..और दूसरा हाथ ले जाके सीध अंकित की गान्ड के
उपर रख दिया अंडरवेर के उपर से....और वहाँ उसे सहलाने लगी....
दोनो एक दूसरे को आग दे रहे थे...लेकिन कोई किसी को ठंडा नही कर पा रहा था..महॉल और भी
ज़्यादा गरम होता जा रहा था किसी भट्टी से भी ज़्यादा...दोनो एक दूसरे की आग को और भड़काने
में मशगूल थे....ठंडा पानी कौन गिराएगा इस आग में अभी वो तय नही कर पाया दोनो में से
कोई......
अंकित ने रितिका के चुचों को हथेली से कस के अंदर की तरफ दबा दिया...और उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने
लगा मानो कोई हॉर्न बजा रहा हो........वो जितना दबाता उतना रितिका उसके होंठो को अपने जीभ से चाटती
अंकित ने चुचो के निपल्स को कपड़े के बाहर से ही पकड़ लिया और उन्हे अपनी उंगलियो से ट्विस्ट
करने लगा...कभी आधा लेफ्ट की तरफ घूमता कभी राइट की तरफ...मानो कोई निपल नही हो पानी का नल
हो.....
रितिका के लिए ये सब एक नया और बेहद कामुक और शरीर को तरसा देना वाला पल था जो उसने आज तक
ना ही झेला था...वो तो इस वक़्त सागर की गहराइयों में डूब चुकी थी और वहाँ के वातावरण का
मज़ा ले रही थी.....इसलिए वो भी पीछे रहने वाली नही थी...
अंकित की गान्ड पे जो उसका हाथ था वहाँ वो अंकित की गान्ड को दबाने लगी वो भी बिल्कुल वैसा
कर रही थी जैसा अंकित उसके चुचों को दबा रहा था....
दोनो ही कम नही थे......जैसा कि कहा मेने..दोनो एक दूसरे के अंदर आग लगा रहे थे लेकिन
ठंडा नही कर रहे थे........
अंकित भी कहाँ पीछे रहने वाला था उसने इस लड़ाई को और बढ़ा दिया और शुरू हो गया.......
रितिका के इस वार से अंकित और भी ज़्यादा उतेज़ित हो गया और उसने फिर से दुबारा अपनी कमर हिलानी शुरू
कर दी.........और अपने पूरे लंड को सिर्फ़ रितिका के पेट के उपर ही घिसने लगा...
रितिका की आँखें पूरी खुल गयी....उंगघह उःम्म्म्ममम की आवाज़ें अंकित के मूह के अंदर
जाने लगी....
अब अंडरवेर के अंदर लंड रितिका के नंगे पेट के उपर घिसा जा रहा था और दूसरी तरफ से एक
हाथ उसके चुचों को मसले जा रहा था...(आँखें फटना लाज़मी है)
अंकित अपनी कमर तेज़ी से हिला रहा था..रितिका की तो बॅंड ही बज रही थी...
अंकित के कमर हिलने की वजह से रितिका का जो हाथ अंकित के गान्ड पे चल रहा था वो उपर नीचे
हो रहा था..और तभी रितिका की नखुनो की वजह से अंकित की कच्छि थोड़ी उपर उठी और अंकित के
आगे की तरफ धक्का लगाने की वजह से रितिका का हाथ कच्चे के अंदर चला गया और अंकित की नंगी
और ठंडी गान्ड के उपर आ गया..
उंगघह उःम्म्म्मममममममम इस बार सिसकी लेने की बारी अंकित की थी....क्यूँ कि रितिका का गरम
हाथ उस ठंडी गान्ड पे ऐसा पड़ा था मानो किसी गरम तवे पे पंनी छिड़क दिया जाए तो
कैसी भाँप निकलती है....सेम अंकित का भी यही हाल था...
अंकित ने आख़िर किस तोड़ डाली (आज दोनो ने किस का तो रेकॉर्ड बना लिया था) दोनो के चेहरे पे
एक दूसरे का रस भरमार लगा हुआ था...दोनो एक दूसरी की आँखों में देखने लगी....
अंकित की कच्छि थोड़ी सी खिसक गयी नीचे की तरफ रितिका के हाथ अंदर जाने से...जिसकी वजह से
अंकित के लंड का लाल रंग का सुपाडा उसकी कच्छि से बाहर आ गया और रितिका के पेट को छू गया...
एयेए.....ह.ह..ह.ह.ह.....ह.ह.ह.ह..ह....म.....एम्म.म.....रितिका के मूह से ये सिसकी निकली तो ह...ओ..उ..उ.उ.....
अंकित के मूह से भी ये सिसकी निकल गयी...
दोनो जानते थे कि क्या हुआ है....लेकिन अगले ही पल रितिका का हाथ बाहर निकल गया और कच्छि अपनी
जगह पर सेट हो गयी....और सुपाडा भी अंदर चला गया.....
रितिका का हाथ अंकित की कमर में था.....
रितिका और अंकित दोनो को एक पल के लिए बुरा लगा लेकिन जो एहसास उन्हे कुछ सेकेंड पहले मिला था
उसकी खुशी ने सारा गम भुला दिया......
अंकित ने अपनी कमर हिलानी तेज़ी कर दी...और दूसरा हाथ ले जाके रितिका के चुचे पे रख दिया
और उसे भी कस कस के दबाने लगा..
आहहह ह्ह्म.म........सस्स्सिईईई...ओह्ह्ह.ह.ह.....रितिका के मूह से ये आवाज़ें निकल रही थी..उसके दोनो
हाथ अंकित की टीशर्ट के अंदर से उसकी कमर पे...वो बुरी तरह से हिल रही थी...
दूर से देखने पर यही लगेगा कि दोनो सेक्स कर रहे हैं..लेकींन ऐसा था ही नही....
अंकित ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाता हुआ.........
अंकित :- आ...रीत...ई...का.......
और अपना मूह आगे बढ़ाने लगा..रितिका भी गरम साँसें छोड़ रही थी...अंकित की इस स्पीड को देख
कर वो समझ चुकी थी की अंकित अब जाने वाला है..और वो खुद भी जानती थी..कि उसका भी जो रस इतने
सालों से इकट्ठा कर रखा था अब उसके निकलने का समय था..दोनो के होंठ आपस में जुड़ने
ही वाले थे कि तभी....
तभी डोर पे एक के बाद एक बेल बजने लगी...........
क्रमशः......................
- Sexi Rebel
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-49
गतान्क से आगे..............
दोनो की नज़रे गेट पे चिपक गयी...बेल बजे जा रही थी.....अचानक रितिका को होश आया उसने अंकित
को अपने हाथ से पीछे की तरफ प्रेस किया...अंकित रितिका की तरफ देखता हुआ एक दम से हड़बड़ाता हुआ
खड़ा हो गया....और उसने अपनी जीन्स को फटाफट से उपर चढ़ा के ठीक करने लगा..
उधर रितिका भी एक दम से उठी अपना पल्लू जो ज़मीन पे गिरा हुआ था उसे जल्दी से उठा के डालने
लगी और बाल ठीक करने लगी...तब तक अंकित रेडी हो गया था और उसने सोचा कि वही खोल दे
गेट...वो आगे बढ़ा और उसने धीरे धीरे करके गेट खोलने लगा..(उसका दिल ज़ोरों से धड़कने
लगा) और जब उसने गेट खोल दिया और सामने देखा तो उसने शांति मिली..सामने आर्नव खड़ा था
और उसी को देख के मुस्कुरा रहा था..
अंकित भी मुस्कुरा पढ़ा..और पूरा गेट खोल दिया और साइड हट गया.....
रितिका की नज़र सामने आर्नव पर पड़ी..तो उसके चेहरे पे स्माइल की जगह गंभीर भाव बन गये
वो किसी सोच में डूब गयी...
अंकित :- आर्नव कैसे हो?
आर्नव :- ठीक हूँ आप कैसे हो...(मासूमियत से पूछता हुआ)
अंकित :- ओह्ह..ह्म्म कहाँ से आ रहे हो..
आर्नव कुछ बोलता उससे पहले रितिका बोल पड़ी..
रितिका :- आर्नव गो टू युवर रूम नाउ..
आर्नव :- पर मुझे अंकित भैया से बात करनी है...
रितिका :- आइ सेड गो टू युवर रूम नाउ..अंकित वहीं आएगा...(थोड़ा उँची आवाज़ में)
अंकित उसे देखता रह गया कि इतना गुस्सा अचानक से कैसे आ गया रितिका को..
आर्नव अपनी मम्मी की बात को सुनता हुआ कमरे में चला गया...तभी अंकित रितिका के पास आके
कुछ बोले उससे पहले..
रितिका :- अंकित प्लीज़ यू गो नाउ टू...
अंकित चौंक के उसे देखने लगा...मानो पूछ रहा हो कि क्या हुआ..
रितिका :- आइ साइड प्लीज़ गो...
अंकित उसके करीब आके उसके हाथ पकड़ते हुए बोला..
अंकित :- लेकिन हुआ क्या...अभी तो..
रितिका ने अंकित के हाथ को झटकते हुए..
रितिका :- में वो सब कुछ नही कर सकती...जो भी अभी हुआ..मेरा एक बच्चा है डोंट यू सी..में तुमसे
कितनी बड़ी हूँ..और तुम्हारे साथ ये सब करते हुए..नही..में नही कर सकती...मेने सिर्फ़ तुमसे सारे गिले
शिकवे दूर करने के लिए बुलाया था पर ये सब इतना कुछ हो जाएगा...मेने नही सोचा था..प्लीज़
यू गो (वो थोड़ा झल्लाती हुए बोल रही थी)
अंकित :- पर रितिका मेरी बात तो..
रितिका :- (बीच में रोकते हुए) मुझे कुछ नही सुनना..तुम क्यूँ नही समझते..मेरा ये सब करना ग़लत
है...में अपने बच्चे से बहुत प्यार करती हूँ..और उसे ये धोका नही दे सकती...यू प्लीज़ गो..
(बोलते हुए वो सर अपना सर पकड़ के वहीं उसी सोफे पे बैठ जाती है)
अंकित 2 मिनट तक खड़ा रहता है...और फिर कुछ सोच के वो मूड के चला जाता है....
इधर रितिका अपने आप को समेटते हुए उसी सोफे पे लेट जाती है...और अपनी आँखें बंद कर लेती है....
उधर अंकित बड़बड़ाता हुआ घर की बजाए बाज़ार की तरफ निकल गया...
पता नही अपने आप को क्या समझती है..पहले तो खुद ही बुलाती है फिर खुद ही शुरू करती है
और जब इतना सब कुछ हो गया तो ये सब नाटक ... कमाल है...मेने कहा था कि वो बुकेट और
कार्ड भेजने के लिए..तब समझ नही आई कि एक बेटा है...तब तो सब कुछ ठीक था..जब सब कुछ चल
रहा था..पता नही क्या चलता रहता है उसके दिमाग़ में..गुस्सा दिला रखा है....
(बड़बड़ाते हुए मार्केट की तरफ बढ़ रहा था जहाँ काफ़ी भीड़ थी..और उस भीड़ में काफ़ी सारी
सुंदर सुंदर लड़कियाँ और लॅडीस भी घूम रही थी)
अंकित :- छी..साला अच्छा भला मूड खराब कर दिया.....(बोलता हुआ अपनी गर्दन छटकता है तो
उसकी नज़र वहीं ज़म जाती है)
सामने एक टाइट जीन्स में लड़की थोड़ा उचक के कुछ समान लेने की कॉसिश कर रही थी...जिसकी वजह
से उसका पहना हुआ वाइट कलर का टॉप थोड़ा उपर हो गया जिसकी वजह से उसकी गोरी गोरी कमर का
साइड वाला हिस्सा उजागर हो गय्या..और जीन्स में फँसी टाइट गान्ड की शेप और अच्छे से उजागर हो
गयी....
एक पल के लिए अंकित की नज़रे वहीं चिपक गयी...लेकिन फिर उसके अपनी नज़रे हटा ली..
अंकित :- (अपने आप से) मत देख..साले मत देख..वैसे ही ज़िंदगी ने पोपट करने का फ़ैसला कर रखा
है...साला..जब कभी लगता है कि ये लड़की मिल जाएगी उसी वक़्त इस खड़े लंड को छुरी चला देता है..
हाए रे किस्मत...
रोते हुए वो एक शॉप में घुस जाता है...वो कुछ कपड़े खरीदने की सोचता है...और जाके जीन्स
देखने लगता है....
तभी उसे साइड में एक लड़की खड़ी दिखती है....वो उसे घूर्ने लगता है...अचानक वो लड़की अपनी गर्दन
इस तरफ घुमाती है और वो भी अंकित को घूर्ने लगती है दोनो एक दूसरे को घूर्ने लगते है...
और फिर कुछ ही मिनट में...अंकित के चेहरे पे स्माइल आ जाती है...और उस लड़की के भी...
दिशा.......तू यहाँ....(अंकित चलता हुआ वहाँ जाता है)
अंकित्त.....व्हाट आ प्लीज़ेंट सर्प्राइज़......(और वो आगे बढ़ के अंकित को एक हग देने लगती है)
उफ़फ्फ़ अंकित का तो बॅंड पहले से ही बजा हुआ था और इसे गले लगाते ही उसका तो ढोल बज गया..
वो अपने मन में..साला इसको भी आज ही गले लगना था....अगर इसे मेरे खड़े लंड का आभास हो
गया तो मेरी तो सॉलिड लग जाएगी...
लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ..दिशा उससे अलग हुई और मुस्कुरा के देखने लगी अंकित को...पर अंकित तो
उसे नीचे से उपर तक घूर्ने लगा...टाइट ब्लॅक जीन्स...जिसके अंदर मस्त थाइस्स घुसी हुई थी...
थोड़ा उपर आके...एक दम सपाट पेट.और थोड़ा उपर उसके 34 साइज़ के टाइट और बेहद सेक्सी शेप्ड
के चुचे जो कि उस पर्पल थिन टॉप में छुपे हुए थे....
दिशा :- तेरी चेकिंग आउट की बीमारी अभी तक नही गयी ना....
अंकित दिशा की इस बात को सुन के हड़बड़ा गया...और वो हड़बड़ाते हुए बोल पड़ा..
अंकित :- आ.आ...रे नही न..आह..इ यार..वो तो तू इतनी बदल गयी है..ना कि में तो बस देखता ही रह
गया....
दिशा :- ओह्ह फ्लर्ट करने की कॉसिश इतने सालों के बाद पहली मुलाक़ात में..
अंकित :- (अपने मन में) अबे कुतरी पहली मुलाक़ात में लोग गान्ड और चूत ले जाते हैं और तू फ्लर्ट की
बात कर रही है..
दिशा :- (चुटकी बजाते हुए) क्या सोच रहा है...तेरी ये सोचने की आदत नही गयी ना...
अंकित :- अरे नही यार दिशा..सॉरी सॉरी...दिशा.. ऐसा नही है..वो इतने सालों के बाद मिली..और वो भी इस
तरह...तू बिल्कुल चेंज हो गयी है सच में....
दिशा :- दिशा जी.. हहेहेहेः....रहने दे..दिशा ही बोल....वैसे भी सिर्फ़ 23 साल की हुई हूँ और तुझसे 2 साल
ही बड़ी हूँ...
अंकित :- (अपने मन में) हाँ साली वैसे तो 23 साल की है लेकिन काम तो तू 30 साल की औरतों वाले
कर चुकी है....
दिशा :- ओये फिर किस सोच में डूब गया...
अंकित :- नही यार कुछ नही..बस वही स्कूल की याद जब हम मिले थे उस ट्रिप पे..में 8थ में था तू 10थ
में...वही मिले थे..नही तो उससे पहले तो कभी स्कूल में एक दूसरे को जानते भी नही थे...
दिशा :- हाँ यार सही कहा तूने...वो ट्रिप सच में आज भी याद है मुझे...जब तू उस गोरी मेम पे
लाइन मार रहा था और उससे थप्पड़ खाते खाते बचा था हहेहेहेहेहहे...
अंकित :- ऊओ ऐसा कुछ नही था...वो मुझे थप्पड़ नही मारती.....
दिशा :- रहने दे....अगर में ना आती और ना बचाती तो सच में पड़ जाता तुझे थप्पड़...
अंकित :- ओह्ह अच्छा जी..आज तक ऐसा कोई पैदा नही हुआ है..जो हमे थप्पड़ मार दे..(और फिर अपने मन में
साला थप्पड़ तो खा चुका हूँ..पर इसको क्या पता और थोड़ा फैंकने में चलता है)
दिशा :- ह्म्म सब पता है मुझे..वैसी थप्पड़ पड़ना भी चाहिए था तुझे 8थ स्टॅंडर्ड में था
तू..और बाते बहुत बड़ी बड़ी थी तेरी...
अंकित :- (साली अब क्या कहती है वही बात तुझसे भी पूछूँ अपने मन में सोचता हुआ)
लेकिन फिर उसने बात को बदलते हुए..
अंकित :- छोड़ यार...तू ये बता..उसके बाद स्कूल क्यूँ छोड़ दिया..तू दिखी नही उस गोआ ट्रिप के बाद..
दिशा :- अरे यार क्या बताऊ...डॅड का ट्रान्स्फर हो गया अचनाक..इसलिए ड्रॉप करना पड़ा..और तुझसे उस
वक़्त सिर्फ़ एक छोटी सी फ्रेंड्शिप हुई थी..इसलिए कोई कॉंटॅक्ट नही था..तो नही बता पाई..
अंकित :- ह्म्म हाँ भाई..हम से क्यूँ फ्रेंड्शिप करोगी..हुम्म तुम्हारे लेवेल के थोड़े ही है...
(एमोशनल अत्याचार करना शुरू कर दिया)
दोनो की नज़रे गेट पे चिपक गयी...बेल बजे जा रही थी.....अचानक रितिका को होश आया उसने अंकित
को अपने हाथ से पीछे की तरफ प्रेस किया...अंकित रितिका की तरफ देखता हुआ एक दम से हड़बड़ाता हुआ
खड़ा हो गया....और उसने अपनी जीन्स को फटाफट से उपर चढ़ा के ठीक करने लगा..
उधर रितिका भी एक दम से उठी अपना पल्लू जो ज़मीन पे गिरा हुआ था उसे जल्दी से उठा के डालने
लगी और बाल ठीक करने लगी...तब तक अंकित रेडी हो गया था और उसने सोचा कि वही खोल दे
गेट...वो आगे बढ़ा और उसने धीरे धीरे करके गेट खोलने लगा..(उसका दिल ज़ोरों से धड़कने
लगा) और जब उसने गेट खोल दिया और सामने देखा तो उसने शांति मिली..सामने आर्नव खड़ा था
और उसी को देख के मुस्कुरा रहा था..
अंकित भी मुस्कुरा पढ़ा..और पूरा गेट खोल दिया और साइड हट गया.....
रितिका की नज़र सामने आर्नव पर पड़ी..तो उसके चेहरे पे स्माइल की जगह गंभीर भाव बन गये
वो किसी सोच में डूब गयी...
अंकित :- आर्नव कैसे हो?
आर्नव :- ठीक हूँ आप कैसे हो...(मासूमियत से पूछता हुआ)
अंकित :- ओह्ह..ह्म्म कहाँ से आ रहे हो..
आर्नव कुछ बोलता उससे पहले रितिका बोल पड़ी..
रितिका :- आर्नव गो टू युवर रूम नाउ..
आर्नव :- पर मुझे अंकित भैया से बात करनी है...
रितिका :- आइ सेड गो टू युवर रूम नाउ..अंकित वहीं आएगा...(थोड़ा उँची आवाज़ में)
अंकित उसे देखता रह गया कि इतना गुस्सा अचानक से कैसे आ गया रितिका को..
आर्नव अपनी मम्मी की बात को सुनता हुआ कमरे में चला गया...तभी अंकित रितिका के पास आके
कुछ बोले उससे पहले..
रितिका :- अंकित प्लीज़ यू गो नाउ टू...
अंकित चौंक के उसे देखने लगा...मानो पूछ रहा हो कि क्या हुआ..
रितिका :- आइ साइड प्लीज़ गो...
अंकित उसके करीब आके उसके हाथ पकड़ते हुए बोला..
अंकित :- लेकिन हुआ क्या...अभी तो..
रितिका ने अंकित के हाथ को झटकते हुए..
रितिका :- में वो सब कुछ नही कर सकती...जो भी अभी हुआ..मेरा एक बच्चा है डोंट यू सी..में तुमसे
कितनी बड़ी हूँ..और तुम्हारे साथ ये सब करते हुए..नही..में नही कर सकती...मेने सिर्फ़ तुमसे सारे गिले
शिकवे दूर करने के लिए बुलाया था पर ये सब इतना कुछ हो जाएगा...मेने नही सोचा था..प्लीज़
यू गो (वो थोड़ा झल्लाती हुए बोल रही थी)
अंकित :- पर रितिका मेरी बात तो..
रितिका :- (बीच में रोकते हुए) मुझे कुछ नही सुनना..तुम क्यूँ नही समझते..मेरा ये सब करना ग़लत
है...में अपने बच्चे से बहुत प्यार करती हूँ..और उसे ये धोका नही दे सकती...यू प्लीज़ गो..
(बोलते हुए वो सर अपना सर पकड़ के वहीं उसी सोफे पे बैठ जाती है)
अंकित 2 मिनट तक खड़ा रहता है...और फिर कुछ सोच के वो मूड के चला जाता है....
इधर रितिका अपने आप को समेटते हुए उसी सोफे पे लेट जाती है...और अपनी आँखें बंद कर लेती है....
उधर अंकित बड़बड़ाता हुआ घर की बजाए बाज़ार की तरफ निकल गया...
पता नही अपने आप को क्या समझती है..पहले तो खुद ही बुलाती है फिर खुद ही शुरू करती है
और जब इतना सब कुछ हो गया तो ये सब नाटक ... कमाल है...मेने कहा था कि वो बुकेट और
कार्ड भेजने के लिए..तब समझ नही आई कि एक बेटा है...तब तो सब कुछ ठीक था..जब सब कुछ चल
रहा था..पता नही क्या चलता रहता है उसके दिमाग़ में..गुस्सा दिला रखा है....
(बड़बड़ाते हुए मार्केट की तरफ बढ़ रहा था जहाँ काफ़ी भीड़ थी..और उस भीड़ में काफ़ी सारी
सुंदर सुंदर लड़कियाँ और लॅडीस भी घूम रही थी)
अंकित :- छी..साला अच्छा भला मूड खराब कर दिया.....(बोलता हुआ अपनी गर्दन छटकता है तो
उसकी नज़र वहीं ज़म जाती है)
सामने एक टाइट जीन्स में लड़की थोड़ा उचक के कुछ समान लेने की कॉसिश कर रही थी...जिसकी वजह
से उसका पहना हुआ वाइट कलर का टॉप थोड़ा उपर हो गया जिसकी वजह से उसकी गोरी गोरी कमर का
साइड वाला हिस्सा उजागर हो गय्या..और जीन्स में फँसी टाइट गान्ड की शेप और अच्छे से उजागर हो
गयी....
एक पल के लिए अंकित की नज़रे वहीं चिपक गयी...लेकिन फिर उसके अपनी नज़रे हटा ली..
अंकित :- (अपने आप से) मत देख..साले मत देख..वैसे ही ज़िंदगी ने पोपट करने का फ़ैसला कर रखा
है...साला..जब कभी लगता है कि ये लड़की मिल जाएगी उसी वक़्त इस खड़े लंड को छुरी चला देता है..
हाए रे किस्मत...
रोते हुए वो एक शॉप में घुस जाता है...वो कुछ कपड़े खरीदने की सोचता है...और जाके जीन्स
देखने लगता है....
तभी उसे साइड में एक लड़की खड़ी दिखती है....वो उसे घूर्ने लगता है...अचानक वो लड़की अपनी गर्दन
इस तरफ घुमाती है और वो भी अंकित को घूर्ने लगती है दोनो एक दूसरे को घूर्ने लगते है...
और फिर कुछ ही मिनट में...अंकित के चेहरे पे स्माइल आ जाती है...और उस लड़की के भी...
दिशा.......तू यहाँ....(अंकित चलता हुआ वहाँ जाता है)
अंकित्त.....व्हाट आ प्लीज़ेंट सर्प्राइज़......(और वो आगे बढ़ के अंकित को एक हग देने लगती है)
उफ़फ्फ़ अंकित का तो बॅंड पहले से ही बजा हुआ था और इसे गले लगाते ही उसका तो ढोल बज गया..
वो अपने मन में..साला इसको भी आज ही गले लगना था....अगर इसे मेरे खड़े लंड का आभास हो
गया तो मेरी तो सॉलिड लग जाएगी...
लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ..दिशा उससे अलग हुई और मुस्कुरा के देखने लगी अंकित को...पर अंकित तो
उसे नीचे से उपर तक घूर्ने लगा...टाइट ब्लॅक जीन्स...जिसके अंदर मस्त थाइस्स घुसी हुई थी...
थोड़ा उपर आके...एक दम सपाट पेट.और थोड़ा उपर उसके 34 साइज़ के टाइट और बेहद सेक्सी शेप्ड
के चुचे जो कि उस पर्पल थिन टॉप में छुपे हुए थे....
दिशा :- तेरी चेकिंग आउट की बीमारी अभी तक नही गयी ना....
अंकित दिशा की इस बात को सुन के हड़बड़ा गया...और वो हड़बड़ाते हुए बोल पड़ा..
अंकित :- आ.आ...रे नही न..आह..इ यार..वो तो तू इतनी बदल गयी है..ना कि में तो बस देखता ही रह
गया....
दिशा :- ओह्ह फ्लर्ट करने की कॉसिश इतने सालों के बाद पहली मुलाक़ात में..
अंकित :- (अपने मन में) अबे कुतरी पहली मुलाक़ात में लोग गान्ड और चूत ले जाते हैं और तू फ्लर्ट की
बात कर रही है..
दिशा :- (चुटकी बजाते हुए) क्या सोच रहा है...तेरी ये सोचने की आदत नही गयी ना...
अंकित :- अरे नही यार दिशा..सॉरी सॉरी...दिशा.. ऐसा नही है..वो इतने सालों के बाद मिली..और वो भी इस
तरह...तू बिल्कुल चेंज हो गयी है सच में....
दिशा :- दिशा जी.. हहेहेहेः....रहने दे..दिशा ही बोल....वैसे भी सिर्फ़ 23 साल की हुई हूँ और तुझसे 2 साल
ही बड़ी हूँ...
अंकित :- (अपने मन में) हाँ साली वैसे तो 23 साल की है लेकिन काम तो तू 30 साल की औरतों वाले
कर चुकी है....
दिशा :- ओये फिर किस सोच में डूब गया...
अंकित :- नही यार कुछ नही..बस वही स्कूल की याद जब हम मिले थे उस ट्रिप पे..में 8थ में था तू 10थ
में...वही मिले थे..नही तो उससे पहले तो कभी स्कूल में एक दूसरे को जानते भी नही थे...
दिशा :- हाँ यार सही कहा तूने...वो ट्रिप सच में आज भी याद है मुझे...जब तू उस गोरी मेम पे
लाइन मार रहा था और उससे थप्पड़ खाते खाते बचा था हहेहेहेहेहहे...
अंकित :- ऊओ ऐसा कुछ नही था...वो मुझे थप्पड़ नही मारती.....
दिशा :- रहने दे....अगर में ना आती और ना बचाती तो सच में पड़ जाता तुझे थप्पड़...
अंकित :- ओह्ह अच्छा जी..आज तक ऐसा कोई पैदा नही हुआ है..जो हमे थप्पड़ मार दे..(और फिर अपने मन में
साला थप्पड़ तो खा चुका हूँ..पर इसको क्या पता और थोड़ा फैंकने में चलता है)
दिशा :- ह्म्म सब पता है मुझे..वैसी थप्पड़ पड़ना भी चाहिए था तुझे 8थ स्टॅंडर्ड में था
तू..और बाते बहुत बड़ी बड़ी थी तेरी...
अंकित :- (साली अब क्या कहती है वही बात तुझसे भी पूछूँ अपने मन में सोचता हुआ)
लेकिन फिर उसने बात को बदलते हुए..
अंकित :- छोड़ यार...तू ये बता..उसके बाद स्कूल क्यूँ छोड़ दिया..तू दिखी नही उस गोआ ट्रिप के बाद..
दिशा :- अरे यार क्या बताऊ...डॅड का ट्रान्स्फर हो गया अचनाक..इसलिए ड्रॉप करना पड़ा..और तुझसे उस
वक़्त सिर्फ़ एक छोटी सी फ्रेंड्शिप हुई थी..इसलिए कोई कॉंटॅक्ट नही था..तो नही बता पाई..
अंकित :- ह्म्म हाँ भाई..हम से क्यूँ फ्रेंड्शिप करोगी..हुम्म तुम्हारे लेवेल के थोड़े ही है...
(एमोशनल अत्याचार करना शुरू कर दिया)
- Sexi Rebel
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- Joined: 27 Jul 2016 21:05
एक एक आहट "ज़िंदगी" की-50
दिशा :- ओये ऐसी बात नही है...एक ट्रिप में हम मिले थे उसके बाद अब मिल रहे हैं तो कैसे
करती तुझसे फ्रेंड्शिप...
अंकित :- हाँ ये बात भी सही है...वैसे तू यहाँ वापिस कब आई..
दिशा :- लास्ट मंथ ही आई हूँ यार...
अंकित :- तेरी शादी हो गयी..
दिशा :- (थप्पड़ का इशारा करते हुए) मार खाएगा क्या....में तुझे शादी शुदा लग रही हूँ..
अंकित :- अरे यार 23 की हो गयी है तू..तो मुझे लगा शादी हो गयी होगी तेरी..
दिशा :- रहने दे...में सब समझ रही हूँ..कि तेरे कहने का मतलब क्या है....
अंकित :- हाहहहः तो समझ गयी है तो फिर क्यूँ बोल रही है..हाँ (छेड़ते हुए)
दिशा :- तू बिल्कुल नही बदला वैसा का वैसा ही है....चीप हहेहेहेहेः
अंकित :- अच्छा में चीप हूँ तो बात क्यूँ कर रही है फिर....मत कर...
दिशा :- क्या करूँ..तुझसे इंप्रेस बहुत हो गयी थी ना..लास्ट टाइम..तू थोड़ा अलग किसम का बंदा है..
अंकित :- (मन में सोचता हुआ) अच्छा..अलग किसम का..तो फिर अपनी ये कमसिन जवानी दे एक बार
फिर तुझे अच्छी तरह पता चलेगा कितना अलग हूँ में ....
दिशा :- मत सोच ज़्यादा....(दिशा मुस्कुराते हुए बोली)
अंकित झेप गया..उसने अपनी जीभ दिखा दी...
अंकित :- बिल्कुल अनएक्सपेक्टेड था यार तुझसे मिलना....सच में बहुत खुशी हुई तुझसे मिल के..
दिशा :- ओहो..लड़के में समझदारी आ गई क्या बात है...हहेहेः जोक्स अपार्ट...मुझे भी बहुत खुशी
हुई यार तुझसे मिल के...वैसे जब गोआ में मिले थे ना..उसके बाद मुझे लगा कि तू एक अच्छा
लड़का है बात करने में..पर चान्स नही मिला कभी..
अंकित :- हाँ यार..मेरी किस्मत में कोई ढंग की लड़की है नही..साला किस्मत और लड़की का 36 का आकड़ा है..
अच्छा ये बता कोई बाय्फ्रेंड तो होगा..
दिशा :- ना यार ये बाय्फ्रेंड वग़ैरह सब इल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल बकवास लगता है.....में किसी एक के साथ सेनटी नही होना चाहती..
वो रोने धोने की बाते वो रोज का झगड़ा...
हाहहहहहह अंकित हँसने लगता है.....
दिशा :- हाँ सही बोल रही हूँ..यू गाइस अरे सच में बड़े ही डंबो होते हो...
अंकित :- रहने दे बहाने ना मार...तुझे कोई मिला ही नही होगा..
दिशा :- ओह्ह हेलो लड़कों की तो लाइन लगा सकती हूँ में..किसी भी लड़के को लट्टू बना सकती हूँ अपने
इशारों पे....लड़के तो हर वक़्त मुझपे मिटने के लिए तैयार रहते हैं..
अंकित :-( अपने मन में) हाँ साली तुझे तो मिटाने के लिए कोई भी खड़ा हो जाएगा...साली इतनी मस्त
माल है तो तू वैसे भी किसी की लुल्ली भी लंड बन जाए....
अच्छा तू अकेली आई है यहाँ..मतलब डॅड और मोम के साथ रहती है..
दिशा :- नही यार..मोम डॅड तो अभी भी वहीं हैं मुंबई में...में तो आंटी के साथ रहती हूँ
अपनी...
अंकित :- मतलब उनकी फॅमिली के साथ..
दिशा :- ना ना..वो आंटी अकेली रहती है...उन्होने शादी नही की
अंकित :- ओह्ह..मतलब की आंटी की जवानी चली गयी और शादी नही की..
दिशा :- तू नही सुधरेगा...उनकी एज सिर्फ़ 31 है...और वो ****** में काम करती है...
अंकित तो सुन के खुश हो जात्ता है....
अंकित :- अच्छा...कहाँ रहती है तू अब.?
दिशा :- (आँखें मतकाते हुए) क्यूँ..घर आएगा मेरे....हैं..
अंकित :- हाँ हाँ आ जाउन्गा जब तू अकेली होगी (कॉलेज जाके धीरे से बोलता है)
दिशा :- (उसके कंधे पे ज़ोर का थप्पड़ मारते हुए) कमिने...सुधर जा तू..हहेहेहहे..
अंकित अपने हाथ से कंधे को सहलाते हुए...
अंकित :- अगर हम सुधर गये तो तेरा क्या होगा ..... (आँखें मटकाते हुए)
दिशा :- और मार खाएगा क्या...
अंकित :- हाहहाहा..नही यार..वैसे ही एक पड़ गया है....
दिशा :- ह्म्म...(वो कुछ बोलती इससे पहले उसका फोन बज पड़ा वो फोन उठा के देखती है..)
अंकित एक्सक्यूस मी....(और फिर थोड़ा साइड में चली जाती है)
अंकित उसको देखने लगता है..और अपने मन में..
हाए क्या गान्ड हो गयी है इसकी...साली जीन्स में अंदर पसीने छोड़ रही होगी..बोल रही होगी कोई बाहर
निकालो मुझे.....
अरे हाँ ये तो में बताना भूल ही गया इसके बारे में...अरे अपने अपने पकड़ के रखो
कहीं हिलते हिलाते इधर उधर नही खिसक जाए क्यूँ कि ये दिखती ही ऐसी है..एक दम सेक्सबॉम्ब है ये..
इन मेडम का नाम है दिशा शेनाए पता नही इसका लास्ट नेम आज तक नही समझ आया मुझे...
ये एक टिपिकल पंजाबन है..और आप सब समझ सकते हो कि पंजाबी कुड़ी कैसी होती है...
चेहरा ऐसा कि साला इसके आगे दूध भी काला नज़र आए...इतना गोरा और इतना सुंदर....छोटी छोटी
आँखें बेहद खूबसूरत और थोड़े मोटे लिप्स ... बीच में छोटी सी नाक..जो उसकी सुंदरता को और
बढ़ाती है....चेहरे पे हमेशा ऐसा रहता है कि ये कितनी बड़ी सेडक्टिव गर्ल है..लेकिन सच में
किसी भी आक्ट्रेस को फैल कर्दे सिवाय कटरीना कॅफ के इतना सुंदर चेहरा है इसका..जब भी हँसती है नाक और
गाल दोनो लाल हो जाते हैं..उस वक़्त तो मानो कोई परी उतर के आ गयी हो ऐसी लगती है...
अब ज़रा इसके असेट्स के बारे में बता दूं..जिसकी वजह से जैसे कि मेने पहले भी कहा कि कोई भी लड़का
इस्पे मिट जाए....बिल्कुल ऐसा है इसका शरीर..
साली के 34 साइज़ की एक दम गोल गोल कड़क चुचियाँ जिन्हे हाथ से दबाते रह जाओ ज़िंदगी भर पर फिर
भी मन ना भरे...कमर तो साली है ही नही..बिल्कुल पतली सपाट पेट..और उसके नीचे उसकी 30
की गान्ड....साइज़ भले ही ना बड़ा हो पर शेप इतनी शानदार है कि बस एक बार हाथ रख दो तो
बस उसे सहलाने के अलावा और कुछ भी मन ना करे........
मेरी और इसकी मुलाक़ात स्कूल की गोआ ट्रिप में हुई थी जब में 8थ में था जैसा बताया हम ने...
और मेने उस गोरी से पूछा था कि तेरा साइज़ कितना है उसपे वो भड़क गयी थी..वहाँ आके इसने
बचाया था....और बात को घुमा दिया था..तब से हमारी बात हुई उस ट्रिप पे...लेकिन वो बात
और आगे जब बढ़ी..जब वो बीच पे एक सेक्सी हॉट टू पीस ब्लू क्लो की बिकनी में आई...
बस वहाँ खड़ा इसकी कसमिनट जवानी उस वक़्त 10थ में थी..को देख कर बेहोश सा हो गया...
साली उस वक़्त भी 4 लंड को अंदर ले ले..ऐसा शरीर था....किसी भी लड़के की हिम्मत नही थी उसके पास जाने
की....लेकिन में तो में हूँ...चल पड़ा..और उससे फ्लर्ट करना शुरू हो गया..
ये काम मेने स्कूल टाइम से ही शुरू कर दिया था.....मेरी बातों से ये बहुत अट्रॅक्ट हुई और सीनियर
होने के नाते हमारी अच्छी बात हुई..बाकी सभी लड़कों की तो झान्टे जल गयी थी मुझे उसके साथ
देख के....और.
अंकित अंकित........तभी अंकित अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आया...
दिशा :- कहाँ खो जाता है तू?
अंकित :- बस किसी को कुछ बता रहा था..
दिशा :- हैं...की बोल रहा है तू...
अंकित :- नही नही कुछ नही..वो.
दिशा :- अच्छा..यार मुझे जाना है..बाकी की बातें बाद में करेंगे...और टेंशन मत ले..इस
बार कॉंटॅक्ट रखूँगी तुझसे....मेरा नंबर. नोट कर ले..
और फिर वो नंबर बोलती है अंकित फटाफट से नंबर फोन पे लेता है और उसे मिस कॉल मार देता
है..दोनो एक दूसरे का नंबर सेव कर लेते हैं....
दिशा :- अच्छा चल बाए... (और फिर आगे आके..एक हग करती है)
इस बार अंकित भी पूरे मज़े से हग लेता है और देता है..और अपने हाथों से दिशा की पीठ को सहलाने
लगता है...पतली सी टॉप की वजह से अंदर पहनी हुई ब्रा हाथ पे महसूस हो रही थी...
क्रमशः......................
करती तुझसे फ्रेंड्शिप...
अंकित :- हाँ ये बात भी सही है...वैसे तू यहाँ वापिस कब आई..
दिशा :- लास्ट मंथ ही आई हूँ यार...
अंकित :- तेरी शादी हो गयी..
दिशा :- (थप्पड़ का इशारा करते हुए) मार खाएगा क्या....में तुझे शादी शुदा लग रही हूँ..
अंकित :- अरे यार 23 की हो गयी है तू..तो मुझे लगा शादी हो गयी होगी तेरी..
दिशा :- रहने दे...में सब समझ रही हूँ..कि तेरे कहने का मतलब क्या है....
अंकित :- हाहहहः तो समझ गयी है तो फिर क्यूँ बोल रही है..हाँ (छेड़ते हुए)
दिशा :- तू बिल्कुल नही बदला वैसा का वैसा ही है....चीप हहेहेहेहेः
अंकित :- अच्छा में चीप हूँ तो बात क्यूँ कर रही है फिर....मत कर...
दिशा :- क्या करूँ..तुझसे इंप्रेस बहुत हो गयी थी ना..लास्ट टाइम..तू थोड़ा अलग किसम का बंदा है..
अंकित :- (मन में सोचता हुआ) अच्छा..अलग किसम का..तो फिर अपनी ये कमसिन जवानी दे एक बार
फिर तुझे अच्छी तरह पता चलेगा कितना अलग हूँ में ....
दिशा :- मत सोच ज़्यादा....(दिशा मुस्कुराते हुए बोली)
अंकित झेप गया..उसने अपनी जीभ दिखा दी...
अंकित :- बिल्कुल अनएक्सपेक्टेड था यार तुझसे मिलना....सच में बहुत खुशी हुई तुझसे मिल के..
दिशा :- ओहो..लड़के में समझदारी आ गई क्या बात है...हहेहेः जोक्स अपार्ट...मुझे भी बहुत खुशी
हुई यार तुझसे मिल के...वैसे जब गोआ में मिले थे ना..उसके बाद मुझे लगा कि तू एक अच्छा
लड़का है बात करने में..पर चान्स नही मिला कभी..
अंकित :- हाँ यार..मेरी किस्मत में कोई ढंग की लड़की है नही..साला किस्मत और लड़की का 36 का आकड़ा है..
अच्छा ये बता कोई बाय्फ्रेंड तो होगा..
दिशा :- ना यार ये बाय्फ्रेंड वग़ैरह सब इल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल बकवास लगता है.....में किसी एक के साथ सेनटी नही होना चाहती..
वो रोने धोने की बाते वो रोज का झगड़ा...
हाहहहहहह अंकित हँसने लगता है.....
दिशा :- हाँ सही बोल रही हूँ..यू गाइस अरे सच में बड़े ही डंबो होते हो...
अंकित :- रहने दे बहाने ना मार...तुझे कोई मिला ही नही होगा..
दिशा :- ओह्ह हेलो लड़कों की तो लाइन लगा सकती हूँ में..किसी भी लड़के को लट्टू बना सकती हूँ अपने
इशारों पे....लड़के तो हर वक़्त मुझपे मिटने के लिए तैयार रहते हैं..
अंकित :-( अपने मन में) हाँ साली तुझे तो मिटाने के लिए कोई भी खड़ा हो जाएगा...साली इतनी मस्त
माल है तो तू वैसे भी किसी की लुल्ली भी लंड बन जाए....
अच्छा तू अकेली आई है यहाँ..मतलब डॅड और मोम के साथ रहती है..
दिशा :- नही यार..मोम डॅड तो अभी भी वहीं हैं मुंबई में...में तो आंटी के साथ रहती हूँ
अपनी...
अंकित :- मतलब उनकी फॅमिली के साथ..
दिशा :- ना ना..वो आंटी अकेली रहती है...उन्होने शादी नही की
अंकित :- ओह्ह..मतलब की आंटी की जवानी चली गयी और शादी नही की..
दिशा :- तू नही सुधरेगा...उनकी एज सिर्फ़ 31 है...और वो ****** में काम करती है...
अंकित तो सुन के खुश हो जात्ता है....
अंकित :- अच्छा...कहाँ रहती है तू अब.?
दिशा :- (आँखें मतकाते हुए) क्यूँ..घर आएगा मेरे....हैं..
अंकित :- हाँ हाँ आ जाउन्गा जब तू अकेली होगी (कॉलेज जाके धीरे से बोलता है)
दिशा :- (उसके कंधे पे ज़ोर का थप्पड़ मारते हुए) कमिने...सुधर जा तू..हहेहेहहे..
अंकित अपने हाथ से कंधे को सहलाते हुए...
अंकित :- अगर हम सुधर गये तो तेरा क्या होगा ..... (आँखें मटकाते हुए)
दिशा :- और मार खाएगा क्या...
अंकित :- हाहहाहा..नही यार..वैसे ही एक पड़ गया है....
दिशा :- ह्म्म...(वो कुछ बोलती इससे पहले उसका फोन बज पड़ा वो फोन उठा के देखती है..)
अंकित एक्सक्यूस मी....(और फिर थोड़ा साइड में चली जाती है)
अंकित उसको देखने लगता है..और अपने मन में..
हाए क्या गान्ड हो गयी है इसकी...साली जीन्स में अंदर पसीने छोड़ रही होगी..बोल रही होगी कोई बाहर
निकालो मुझे.....
अरे हाँ ये तो में बताना भूल ही गया इसके बारे में...अरे अपने अपने पकड़ के रखो
कहीं हिलते हिलाते इधर उधर नही खिसक जाए क्यूँ कि ये दिखती ही ऐसी है..एक दम सेक्सबॉम्ब है ये..
इन मेडम का नाम है दिशा शेनाए पता नही इसका लास्ट नेम आज तक नही समझ आया मुझे...
ये एक टिपिकल पंजाबन है..और आप सब समझ सकते हो कि पंजाबी कुड़ी कैसी होती है...
चेहरा ऐसा कि साला इसके आगे दूध भी काला नज़र आए...इतना गोरा और इतना सुंदर....छोटी छोटी
आँखें बेहद खूबसूरत और थोड़े मोटे लिप्स ... बीच में छोटी सी नाक..जो उसकी सुंदरता को और
बढ़ाती है....चेहरे पे हमेशा ऐसा रहता है कि ये कितनी बड़ी सेडक्टिव गर्ल है..लेकिन सच में
किसी भी आक्ट्रेस को फैल कर्दे सिवाय कटरीना कॅफ के इतना सुंदर चेहरा है इसका..जब भी हँसती है नाक और
गाल दोनो लाल हो जाते हैं..उस वक़्त तो मानो कोई परी उतर के आ गयी हो ऐसी लगती है...
अब ज़रा इसके असेट्स के बारे में बता दूं..जिसकी वजह से जैसे कि मेने पहले भी कहा कि कोई भी लड़का
इस्पे मिट जाए....बिल्कुल ऐसा है इसका शरीर..
साली के 34 साइज़ की एक दम गोल गोल कड़क चुचियाँ जिन्हे हाथ से दबाते रह जाओ ज़िंदगी भर पर फिर
भी मन ना भरे...कमर तो साली है ही नही..बिल्कुल पतली सपाट पेट..और उसके नीचे उसकी 30
की गान्ड....साइज़ भले ही ना बड़ा हो पर शेप इतनी शानदार है कि बस एक बार हाथ रख दो तो
बस उसे सहलाने के अलावा और कुछ भी मन ना करे........
मेरी और इसकी मुलाक़ात स्कूल की गोआ ट्रिप में हुई थी जब में 8थ में था जैसा बताया हम ने...
और मेने उस गोरी से पूछा था कि तेरा साइज़ कितना है उसपे वो भड़क गयी थी..वहाँ आके इसने
बचाया था....और बात को घुमा दिया था..तब से हमारी बात हुई उस ट्रिप पे...लेकिन वो बात
और आगे जब बढ़ी..जब वो बीच पे एक सेक्सी हॉट टू पीस ब्लू क्लो की बिकनी में आई...
बस वहाँ खड़ा इसकी कसमिनट जवानी उस वक़्त 10थ में थी..को देख कर बेहोश सा हो गया...
साली उस वक़्त भी 4 लंड को अंदर ले ले..ऐसा शरीर था....किसी भी लड़के की हिम्मत नही थी उसके पास जाने
की....लेकिन में तो में हूँ...चल पड़ा..और उससे फ्लर्ट करना शुरू हो गया..
ये काम मेने स्कूल टाइम से ही शुरू कर दिया था.....मेरी बातों से ये बहुत अट्रॅक्ट हुई और सीनियर
होने के नाते हमारी अच्छी बात हुई..बाकी सभी लड़कों की तो झान्टे जल गयी थी मुझे उसके साथ
देख के....और.
अंकित अंकित........तभी अंकित अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आया...
दिशा :- कहाँ खो जाता है तू?
अंकित :- बस किसी को कुछ बता रहा था..
दिशा :- हैं...की बोल रहा है तू...
अंकित :- नही नही कुछ नही..वो.
दिशा :- अच्छा..यार मुझे जाना है..बाकी की बातें बाद में करेंगे...और टेंशन मत ले..इस
बार कॉंटॅक्ट रखूँगी तुझसे....मेरा नंबर. नोट कर ले..
और फिर वो नंबर बोलती है अंकित फटाफट से नंबर फोन पे लेता है और उसे मिस कॉल मार देता
है..दोनो एक दूसरे का नंबर सेव कर लेते हैं....
दिशा :- अच्छा चल बाए... (और फिर आगे आके..एक हग करती है)
इस बार अंकित भी पूरे मज़े से हग लेता है और देता है..और अपने हाथों से दिशा की पीठ को सहलाने
लगता है...पतली सी टॉप की वजह से अंदर पहनी हुई ब्रा हाथ पे महसूस हो रही थी...
क्रमशः......................