रूको....तभी उसके कानो में आवाज़ पड़ती है..वो मुड़ता है..
दिशा :- थॅंक यू सो मच....
अंकित के चेहरे पे कमीनी वाली स्माइल आ जाती है..
दिशा :- वैसे कौन सी क्लास में हो
अंकित :- 8थ में..
दिशा :- 8थ में...बाते तो बहुत बड़ी है तुम्हारी..
अंकित :- ह्म्म अच्छा..तो आप कौन सी क्लास में हो..
दिशा :- 10 थ में..
अंकित :- क्लास के हिसाब से तो आपका भी सब कुछ बड़ा है.....(और अपने दाँत दिखा देता है)
दिशा उसे अपनी आँखें बड़ी करके घूर्ने लगती...लेकिन फिर एक कातिलाना स्माइल देती है..
दिशा :- तुम तो बड़े ही कमीनी हो...
अंकित :- हाँ...शायद...लेकिन जो सच है वो बोल देता हूँ..आप 10थ की नही लगती इसलिए बोला..जैसे
आपको मेरी बाते बड़ों वाली लगती है..वैसे मुझे आपका सब कुछ बड़ों जैसा लगता है..
इस बार दिशा अपनी हँसी कंट्रोल नही कर पाई.....और हँसने लगी...
उधर खड़े लड़कों का तो सब कुछ जल गया साले घूर घूर के देखने लगी..
अंकित :- अच्छा..बाए..आप एंजाय करो...
दिशा :- रूको..कहाँ जा रहे हो...
अंकित :- ह्म्म बोलो
दिशा :- आक्च्युयली मुझे सी के अंदर जाना है..पर कोई है नही..क्या तुम मेरे साथ चलोगे थोड़ी
मस्ती हो जाएगी...
(अपनी बॉडी को हिलाती हुई बोलती है)
अंकित के तो पैर काँपने लगते हैं उस सीन को देखने में...वो नीचे से दिशा को घूर्ने लगता
है...हाई गोरे गोरे एक़ दम पर्फेक्ट थिग्स...उपर एक छोटी सी कच्छि जिसके पीछे छुपी उसकी
छोटी सी इंसानो वाली कच्छि....उपर सपाट पेट..और उस ब्रा में क़ैद वो चुचे जिनकी दरार दिख
रही थी..मानो बस फॉरमॅलिटी के लिए धक दिया हो उसे ब्रा से......
दिशा :- बोलो..चलोगे..
अंकित होश में आते हुए..
अंकित :- यॅ श्योर...
और फिर दिशा के साथ अंकित चल पड़ा..सी के अंदर...और फिर जो हुआ थोड़ा बहुत उससे तो वहाँ कहदा एक एक लड़का बेचारा यही सोच रहा होगा कि अपना अपना लंड काट के फेंक दूं साला..किसी काम
का नही है....
उधर पानी के अंदर दोनो हंसते हुए खेल कूद रहे थे दोनो एक दूसरे के उपर पानी डाल रहे थे
कभी कभी दिशा फिसल जाती तो अंकित उसे उठाने के चक्कर में उसकी सॉफ्ट बॉडी पे हाथ लगाता
कभी कभी उसकी गान्ड तो कभी उसके चुचों पे हाथ लग जाता...उसका तो 8थ स्टॅंडर्ड में कच्छे
के अंदर बंबू बन गया था...
यही सोचते हुए अंकित के चेहरे पे बत्तीसी फट जाती है..और उसके हाथ धीरे धीरे खिसकते हुए
अपने लंड पे चले गये...जो पहले से ही राक सॉलिड की तरह आसमान छू रहा था......
पर..
क्रमशः...........................
एक एक आहट "ज़िंदगी" की complete
- Sexi Rebel
- Novice User
- Posts: 950
- Joined: 27 Jul 2016 21:05
- Sexi Rebel
- Novice User
- Posts: 950
- Joined: 27 Jul 2016 21:05
एक एक आहट "ज़िंदगी" की-53
गतान्क से आगे..............
जैसे ही उसने अपना लंड हल्का सा मसला..उसे सबसे पहला चेहरा रितिका का याद आ गया..उसके
साथ बिताया हुआ आज का वो लम्हा याद आ गया...
बस यही सोचते हुए वो पलंग पे उठ बैठा.....
अंकित :- उफ़फ्फ़....चाहे जितनी भी हॉट लड़कियाँ आ जाए ज़िंदगी में..पर में शायद ही रितिका को भूल
पाउन्गा..मुझे फोन करना चाहिए उसे.....नही नही..इतनी रात नही..
पर...कर लेना चाहिए...क्या पता कुछ बात हो जाए..(वो अपने आप से बात करने लगा)
उधर
रितिका हॉल में बैठी थी..और अपने लॅपटॉप पे कुछ कर रही थी...रात के 12 बज रहे थे..लेकिन रितिका काम
मे लगी हुई थी...लेकिन हर 2 मिनट में वो रुक जाती कुछ सोचने लगती..और फिर से काम में लग जाती
शायद सुबह हुई घटना के बारे में ही सोच रही थी...अचानक उसके फोन पे रिंग बजी...
उसने नंबर देखा...
अंकित.....इतनी रात को......(रितिका बोलती है और फोन कट कर देती है)
1 मिनट बाद फिर से फोन आता है....वो फिर से कट कर देती है..
रितिका :- आइ कॅंट टेक युवर कॉल में जानती हूँ तुम क्या पुछोगे और मेरे पास उसका कोई जवाब नही है...
लेकिन फोन पे फोन बजने लगता है अंकित.....आख़िर कार रितिका फोन उठा ही लेती है..
रितिका :- अंकित इतनी रात में क्यूँ फोन कर रहे हो...
अंकित :- मेरा फोन क्यूँ कट कर रही थी आप..
रितिका :- इतनी रात को में कैसे बात करूँ..में सो रही थी..
अंकित :- झूठ आप सो नही रही थी.....
रितिका :- तुम्हे कैसे पता..
अंकित :- अब इतना तो जान ही जाता हूँ...मगर मुझे तो बस ये पूछना था कि ऐसा क्या हुआ सुबह
जो आप इतना गुस्सा हो गयी..हमने जो भी किया उसमे दोनो की सहमति थी..
रितिका :- (अपनी जगह से खड़ी होती हुई) हाँ थी...लेकिन उस समय में बहक गयी थी...मेरे दिमाग़ पर
मेरे शरीर ने क़ब्ज़ा कर लिया था..लेकिन में ऐसा नही कर सकती..मेरा एक बेटा है अंकित..में उससे
चीट नही कर सकती...बिल्कुल नही..
अंकित :- चीट...कैसा चीट..आपने कोई ग़लत थोड़ी किया है..क्या दिल की बात सुनना ग़लत बात है..
रितिका :- ये दिल नही शरीर की भूक थी..जो में पूरा करने चली गयी..
अंकित :- ये शरीर की भूक नही थी मेडम ये आपके दिल में खो गया प्यार उभर के आया था..
जो इतने सालों से अंदर दफ़न है..और अगर आप उस प्यार को शरीर के साथ बाँटना चाहती है तो वो
ग़लत नही है....
रितिका :- नही अंकित...ऐसा नही है..मेरे दिल में ऐ...सा....कुछ नही है.. (अटकते हुए बोली)
अंकित :- अच्छा...तो जब सुबह आपको मेरे दिए गये दर्द से तकलीफ़ हो रही थी..तब अपने मुझे क्यूँ
नही हटाया..जब आपको साँस लेने में तकलीफ़ हो रही थी तब क्यूँ नही मना किया..बोलो..
रितिका साइलेंट हो गयी इस बात को सुन के..
अंकित :- रितिका... में जानता हूँ हम दोनो एक दूसरे को प्यार नही कर सकते..ये सिर्फ़ एक अट्रॅक्षन है
और वो ऐसा अट्रॅक्षन जिससे हम पीछा नही छुड़वा सकते..इसका तो सिर्फ़ एक ही सल्यूशन है..कि सब कुछ
भूल जाओ और सिर्फ़ अपने दिल की सुनो.. नीड इट .. नही तो आप भी खुश नही रह पाएँगी और ना ही
हेलो हेलो....
अंकित पूरा बोलता उससे पहले रितिका ने फोन कट कर दिया.....
वो अपने चेहरे को अपने हाथों से ढक के..भावुक हो गयी..और कमरे के अंदर चल पड़ी...
इधर अंकित..
कल ज़ाउन्गा मिलने इनसे..हर कीमत पे...ये ऐसा नही कर सकती...बिल्कुल नही..मेरे भी कुछ जज़्बात हैं..
और में जानता हूँ वो भी चाहती है..पर किसी तरह अपने दिल को मार रही है...
और पलंग पे लेट जाता है....
टाइम निकलता गया रात गहराती गयी...2 बज गये..लेकिन अंकित करवट बदल रहा था...और कल के
बारे में सोच रहा था..उसकी आँखों से नींद गायब थी...
इधर रितिका का भी यही हाल था...उसकी आँखों में भी नींद गायब थी....उसकी आँखों के सामने
सुबह हुए अंकित और उसके बीच जो इतना प्यार का सागर फूटा था वो याद आ रहा था...
जिसकी वजह से वो बार बार करवट बदल रही थी..
ये क्या किया अंकित आज...तुमने मेरे साथ..दिमाग़ से ही नही निकल रहा..ये सब ग़लत है..में अपने
शरीर के लिए अपने बेटे को धोका नही दे सकती..पर क्या करूँ तुम्हारे दिए गये उस छोटे से पल
में इतना कुछ था..की मेरा दिमाग़ मेरे शरीर के आगे हर मान रहा है..
और फिर से वही सुबह की घटना सोचने लगती है....कि कैसे अंकित उसके शरीर पे अपने होंठो से प्यार भरी
मालिश कर रहा था....
बस यही सोचते सोचते उसका हाथ नीचे चला गया अपनी चूत पे..और उसे एक झटका लगा...
चूत के उपर से उसका पाजामा गीला था...
उसकी आँखें पूरी खुल गयी....और उसके मुँह से हल्का सा निकला..नही......
और फिर शरम में उसने अपनी आँखों पे अपने हाथों की पट्टी बाँध ली......
जैसे ही उसने अपना लंड हल्का सा मसला..उसे सबसे पहला चेहरा रितिका का याद आ गया..उसके
साथ बिताया हुआ आज का वो लम्हा याद आ गया...
बस यही सोचते हुए वो पलंग पे उठ बैठा.....
अंकित :- उफ़फ्फ़....चाहे जितनी भी हॉट लड़कियाँ आ जाए ज़िंदगी में..पर में शायद ही रितिका को भूल
पाउन्गा..मुझे फोन करना चाहिए उसे.....नही नही..इतनी रात नही..
पर...कर लेना चाहिए...क्या पता कुछ बात हो जाए..(वो अपने आप से बात करने लगा)
उधर
रितिका हॉल में बैठी थी..और अपने लॅपटॉप पे कुछ कर रही थी...रात के 12 बज रहे थे..लेकिन रितिका काम
मे लगी हुई थी...लेकिन हर 2 मिनट में वो रुक जाती कुछ सोचने लगती..और फिर से काम में लग जाती
शायद सुबह हुई घटना के बारे में ही सोच रही थी...अचानक उसके फोन पे रिंग बजी...
उसने नंबर देखा...
अंकित.....इतनी रात को......(रितिका बोलती है और फोन कट कर देती है)
1 मिनट बाद फिर से फोन आता है....वो फिर से कट कर देती है..
रितिका :- आइ कॅंट टेक युवर कॉल में जानती हूँ तुम क्या पुछोगे और मेरे पास उसका कोई जवाब नही है...
लेकिन फोन पे फोन बजने लगता है अंकित.....आख़िर कार रितिका फोन उठा ही लेती है..
रितिका :- अंकित इतनी रात में क्यूँ फोन कर रहे हो...
अंकित :- मेरा फोन क्यूँ कट कर रही थी आप..
रितिका :- इतनी रात को में कैसे बात करूँ..में सो रही थी..
अंकित :- झूठ आप सो नही रही थी.....
रितिका :- तुम्हे कैसे पता..
अंकित :- अब इतना तो जान ही जाता हूँ...मगर मुझे तो बस ये पूछना था कि ऐसा क्या हुआ सुबह
जो आप इतना गुस्सा हो गयी..हमने जो भी किया उसमे दोनो की सहमति थी..
रितिका :- (अपनी जगह से खड़ी होती हुई) हाँ थी...लेकिन उस समय में बहक गयी थी...मेरे दिमाग़ पर
मेरे शरीर ने क़ब्ज़ा कर लिया था..लेकिन में ऐसा नही कर सकती..मेरा एक बेटा है अंकित..में उससे
चीट नही कर सकती...बिल्कुल नही..
अंकित :- चीट...कैसा चीट..आपने कोई ग़लत थोड़ी किया है..क्या दिल की बात सुनना ग़लत बात है..
रितिका :- ये दिल नही शरीर की भूक थी..जो में पूरा करने चली गयी..
अंकित :- ये शरीर की भूक नही थी मेडम ये आपके दिल में खो गया प्यार उभर के आया था..
जो इतने सालों से अंदर दफ़न है..और अगर आप उस प्यार को शरीर के साथ बाँटना चाहती है तो वो
ग़लत नही है....
रितिका :- नही अंकित...ऐसा नही है..मेरे दिल में ऐ...सा....कुछ नही है.. (अटकते हुए बोली)
अंकित :- अच्छा...तो जब सुबह आपको मेरे दिए गये दर्द से तकलीफ़ हो रही थी..तब अपने मुझे क्यूँ
नही हटाया..जब आपको साँस लेने में तकलीफ़ हो रही थी तब क्यूँ नही मना किया..बोलो..
रितिका साइलेंट हो गयी इस बात को सुन के..
अंकित :- रितिका... में जानता हूँ हम दोनो एक दूसरे को प्यार नही कर सकते..ये सिर्फ़ एक अट्रॅक्षन है
और वो ऐसा अट्रॅक्षन जिससे हम पीछा नही छुड़वा सकते..इसका तो सिर्फ़ एक ही सल्यूशन है..कि सब कुछ
भूल जाओ और सिर्फ़ अपने दिल की सुनो.. नीड इट .. नही तो आप भी खुश नही रह पाएँगी और ना ही
हेलो हेलो....
अंकित पूरा बोलता उससे पहले रितिका ने फोन कट कर दिया.....
वो अपने चेहरे को अपने हाथों से ढक के..भावुक हो गयी..और कमरे के अंदर चल पड़ी...
इधर अंकित..
कल ज़ाउन्गा मिलने इनसे..हर कीमत पे...ये ऐसा नही कर सकती...बिल्कुल नही..मेरे भी कुछ जज़्बात हैं..
और में जानता हूँ वो भी चाहती है..पर किसी तरह अपने दिल को मार रही है...
और पलंग पे लेट जाता है....
टाइम निकलता गया रात गहराती गयी...2 बज गये..लेकिन अंकित करवट बदल रहा था...और कल के
बारे में सोच रहा था..उसकी आँखों से नींद गायब थी...
इधर रितिका का भी यही हाल था...उसकी आँखों में भी नींद गायब थी....उसकी आँखों के सामने
सुबह हुए अंकित और उसके बीच जो इतना प्यार का सागर फूटा था वो याद आ रहा था...
जिसकी वजह से वो बार बार करवट बदल रही थी..
ये क्या किया अंकित आज...तुमने मेरे साथ..दिमाग़ से ही नही निकल रहा..ये सब ग़लत है..में अपने
शरीर के लिए अपने बेटे को धोका नही दे सकती..पर क्या करूँ तुम्हारे दिए गये उस छोटे से पल
में इतना कुछ था..की मेरा दिमाग़ मेरे शरीर के आगे हर मान रहा है..
और फिर से वही सुबह की घटना सोचने लगती है....कि कैसे अंकित उसके शरीर पे अपने होंठो से प्यार भरी
मालिश कर रहा था....
बस यही सोचते सोचते उसका हाथ नीचे चला गया अपनी चूत पे..और उसे एक झटका लगा...
चूत के उपर से उसका पाजामा गीला था...
उसकी आँखें पूरी खुल गयी....और उसके मुँह से हल्का सा निकला..नही......
और फिर शरम में उसने अपनी आँखों पे अपने हाथों की पट्टी बाँध ली......
- Sexi Rebel
- Novice User
- Posts: 950
- Joined: 27 Jul 2016 21:05
एक एक आहट "ज़िंदगी" की-54
अगली सुबह...
आज अंकित काफ़ी देर तक सोता रहा..कौलेज तो जाना नही था इसलिए मज़े में सो रहा था..
10 से 11 बज गये लेकिन वो भाई साहब नही उठे..
वो तो जब उसकी माँ ने कान के पास आके चिल्लाना शुरू किया तब जाके भाई साहब की आँखें
खुली..
अंकित अंकित..उठ जा..कितना सोएगा...कामवाली सफाई करने आ जाएगी और तू सोता रहिओ...फिर खुद
करियो सफाई..
बस अब काम की बाते सुन के आँखें कैसे ना खुलती.भाई साहब अचानक उठ के बैठ गये...
अंकित :- (अंगड़ाया लेते हुए) हाँ हाँ उठ रहा हूँ ना...यार.....(और पीछे तकिये लगा के उसपे
टैक लगा के बैठ गया)
उसकी मम्मी बाहर चली गयी कमरे से....
उठते ही जनाब नी फोन चेक किया..
अंकित :- ऊ तेरी.... 11 मिस...किसके हैं देखूं तो...ओह्ह्ह सारे दिशा के हैं....
(और फिर पढ़ने लगा)
हाहाहा...हल्की हँसी हँसने लगा...साले कैसे ब्रा पेंटी के मसेज भेज रही है...सच में बहुत ही
ज़्यादा कंटक और कमीनी लड़की है ये...एक ही दिन में 11 नों-वेज मेसेज...साली..हाहाहा..
(अंकित पढ़ते हुए बोला और मुस्कुरा रहा था)
तभी उसकी मम्मी अंदर कमरे में आई और बेड के सामने पड़े कुछ कपड़े उठाते हुए बड़बड़ाने
लगी..
सारे काम तो मुझे ही करने पड़ते हैं घर पे...महाराज को देर तक सुल्वा लो..उसके बाद तफ़री
करवा लो ये नही कि अपनी मम्मी की मदद कर दे..नही वो तो करनी नही है...सारा दिन निथल्ले की तरफ
पड़े रहो...(बोलते हुए कमरे के बाहर चली गयी
अंकित :- (अपने आप से) बिना सुने तो मेरा दिन कहाँ शुरू होता है.....
और फिर उठ के बाथरूम में घुस जाता है..
और फ्रेश होते टाइम सोचने लगता है...कि साला आज जो भी हो जाए रितिका की तो बॅंड बजानी ही है..
बहुत हो गया.....अब मुझसे और कंट्रोल नही होता...सही टाइम देख के जाउन्गा...और आज आर या
पार वाला काम कर ही दूँगा...(उसकी आँखों में एक अलग ही रिक्षन और चमक थी)
दोफर को पलंग पे लेटा रहा और फिर थोड़ी देर बाद चुनमुनियाडॉटकॉम खोल के बैठ गया.....
अंकित :- आज क्या पढ़ुँ...क्या पढ़ु..साला अब कोई अच्छा रायटर का बच्चा नही क्या...सब की स्टोरी तो पढ़ ली
(स्क्रोल करते हुए नीचे आने लगा) ओ तेरी की..अबे इस्पे भी स्टोरी लिखने का नही छोड़ा हाहहा..
साले बड़े कमिने लोग है...किस ने लिखी है..
और फिर खोल के पढ़ने लगता है....
3 से 4 से 5 से 6 बाज जाते हैं लेकिन अंकित स्क्रीन से नही हटता....आख़िर कर वो लॅपटॉप की स्क्रीन बंद करता
है..उसकी आँखें बड़ी हो गयी थी...
अंकित :- थर्कि ये नही है साला हम है..बुरा हाल कर दिया इसने तो...कसम से...लाजवाब लिखा हुआ था..
अब तो मेरा दिमाग़ काम करना बंद कर चुका है.....मेरे दिमाग़ में से तो वो गोआ वाला सीन
नही निकल रहा (बोलते हुए वो टाइम देखता है 6:05 हो गये थे) ओ तेरी की..जल्दी करना चाहिए ये टाइम
ही सही है मेरे लिए......
बोलते हुए वो उठ जाता है और फ्रेश होके रितिका के घर के लिए निकल जाता है...
सही 6:20 पे वो गेट के बाहर खड़ा होता है..वो सामने पार्क में नज़र गढ़ाता है आर्नव वहाँ नही
था....उसे थोड़ी चिंता होती है...
लेकिन..
अंकित :- आज तो कुछ भी हो जाए आर्नव हो या तार्नव .. आज तो काम ख़तम कर के ही जाउन्गा..
वो आगे बढ़ाता है और डोर बेल बजाता है.....एक बार बजता है कोई आवाज़ नही आती..दूसरी बार बजाता
है...तब भी नही आती..उसके बाद वो इकट्ठी तीन चार बार बजा देता है...
तब जाके अंदर से उसे रितिका की मीठी आवाज़ आती है..
कमिंग..........
बोलते हुए रितिका गेट खोलती है..और बाहर खड़े अंकित को देख के उसका चेहरा गंभीर बन जाता है..
इसे पहले अंकित कुछ बोले..
रितिका :- आर्नव घर पे नही है...वो आंटी के साथ घूमने गया है..और में इस वक़्त बिज़ी हूँ..
(अंकित रितिका को पूरा नही देख पा रहा था क्यूँ कि उसने अपना चेहरा ही गेट के बाहर निकाल रखा था)
रितिका और अंकित ने कुछ एक आध मिनट के लिए आँखों ही आँखों में देखा..और रितिका गेट बंद कर
ने लगी...पर उसे ये उम्मीद नही थी..कि अंकित ऐसा कुछ करेगा....
उसने दरवाजी पे हाथ लगा के उससे बंद करने से रोक दिया...
रितिका उसे घूर्ने लगी...
अंकित :- मुझे काम है..
रितिका :- मेने कहा ना मुझे कुछ काम है..तुम जाओ प्लीज़...(सॉफ्ट टोन में बोलते हुए)
अंकित :- नही मुझे भी कुछ कम है..(हर्ष टोन में बोलते हुए)
रितिका :- अंकित प्लीज़ जाओ..(वो दरवाजे को बंद करने के लिए पुश करती रही...)
लेकिन अंकित ने अपने हाथ की ताक़त से उसे पीछे ढकलने लगा...और आख़िर वो उसमे सफल भी हुआ..
रितिका पीछे की तरफ हो गयी..उसके नाज़ुक हाथों में इतनी जान कहाँ थी..अंकित अंदर घुसा और
उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया..
क्रमशः...........................
आज अंकित काफ़ी देर तक सोता रहा..कौलेज तो जाना नही था इसलिए मज़े में सो रहा था..
10 से 11 बज गये लेकिन वो भाई साहब नही उठे..
वो तो जब उसकी माँ ने कान के पास आके चिल्लाना शुरू किया तब जाके भाई साहब की आँखें
खुली..
अंकित अंकित..उठ जा..कितना सोएगा...कामवाली सफाई करने आ जाएगी और तू सोता रहिओ...फिर खुद
करियो सफाई..
बस अब काम की बाते सुन के आँखें कैसे ना खुलती.भाई साहब अचानक उठ के बैठ गये...
अंकित :- (अंगड़ाया लेते हुए) हाँ हाँ उठ रहा हूँ ना...यार.....(और पीछे तकिये लगा के उसपे
टैक लगा के बैठ गया)
उसकी मम्मी बाहर चली गयी कमरे से....
उठते ही जनाब नी फोन चेक किया..
अंकित :- ऊ तेरी.... 11 मिस...किसके हैं देखूं तो...ओह्ह्ह सारे दिशा के हैं....
(और फिर पढ़ने लगा)
हाहाहा...हल्की हँसी हँसने लगा...साले कैसे ब्रा पेंटी के मसेज भेज रही है...सच में बहुत ही
ज़्यादा कंटक और कमीनी लड़की है ये...एक ही दिन में 11 नों-वेज मेसेज...साली..हाहाहा..
(अंकित पढ़ते हुए बोला और मुस्कुरा रहा था)
तभी उसकी मम्मी अंदर कमरे में आई और बेड के सामने पड़े कुछ कपड़े उठाते हुए बड़बड़ाने
लगी..
सारे काम तो मुझे ही करने पड़ते हैं घर पे...महाराज को देर तक सुल्वा लो..उसके बाद तफ़री
करवा लो ये नही कि अपनी मम्मी की मदद कर दे..नही वो तो करनी नही है...सारा दिन निथल्ले की तरफ
पड़े रहो...(बोलते हुए कमरे के बाहर चली गयी
अंकित :- (अपने आप से) बिना सुने तो मेरा दिन कहाँ शुरू होता है.....
और फिर उठ के बाथरूम में घुस जाता है..
और फ्रेश होते टाइम सोचने लगता है...कि साला आज जो भी हो जाए रितिका की तो बॅंड बजानी ही है..
बहुत हो गया.....अब मुझसे और कंट्रोल नही होता...सही टाइम देख के जाउन्गा...और आज आर या
पार वाला काम कर ही दूँगा...(उसकी आँखों में एक अलग ही रिक्षन और चमक थी)
दोफर को पलंग पे लेटा रहा और फिर थोड़ी देर बाद चुनमुनियाडॉटकॉम खोल के बैठ गया.....
अंकित :- आज क्या पढ़ुँ...क्या पढ़ु..साला अब कोई अच्छा रायटर का बच्चा नही क्या...सब की स्टोरी तो पढ़ ली
(स्क्रोल करते हुए नीचे आने लगा) ओ तेरी की..अबे इस्पे भी स्टोरी लिखने का नही छोड़ा हाहहा..
साले बड़े कमिने लोग है...किस ने लिखी है..
और फिर खोल के पढ़ने लगता है....
3 से 4 से 5 से 6 बाज जाते हैं लेकिन अंकित स्क्रीन से नही हटता....आख़िर कर वो लॅपटॉप की स्क्रीन बंद करता
है..उसकी आँखें बड़ी हो गयी थी...
अंकित :- थर्कि ये नही है साला हम है..बुरा हाल कर दिया इसने तो...कसम से...लाजवाब लिखा हुआ था..
अब तो मेरा दिमाग़ काम करना बंद कर चुका है.....मेरे दिमाग़ में से तो वो गोआ वाला सीन
नही निकल रहा (बोलते हुए वो टाइम देखता है 6:05 हो गये थे) ओ तेरी की..जल्दी करना चाहिए ये टाइम
ही सही है मेरे लिए......
बोलते हुए वो उठ जाता है और फ्रेश होके रितिका के घर के लिए निकल जाता है...
सही 6:20 पे वो गेट के बाहर खड़ा होता है..वो सामने पार्क में नज़र गढ़ाता है आर्नव वहाँ नही
था....उसे थोड़ी चिंता होती है...
लेकिन..
अंकित :- आज तो कुछ भी हो जाए आर्नव हो या तार्नव .. आज तो काम ख़तम कर के ही जाउन्गा..
वो आगे बढ़ाता है और डोर बेल बजाता है.....एक बार बजता है कोई आवाज़ नही आती..दूसरी बार बजाता
है...तब भी नही आती..उसके बाद वो इकट्ठी तीन चार बार बजा देता है...
तब जाके अंदर से उसे रितिका की मीठी आवाज़ आती है..
कमिंग..........
बोलते हुए रितिका गेट खोलती है..और बाहर खड़े अंकित को देख के उसका चेहरा गंभीर बन जाता है..
इसे पहले अंकित कुछ बोले..
रितिका :- आर्नव घर पे नही है...वो आंटी के साथ घूमने गया है..और में इस वक़्त बिज़ी हूँ..
(अंकित रितिका को पूरा नही देख पा रहा था क्यूँ कि उसने अपना चेहरा ही गेट के बाहर निकाल रखा था)
रितिका और अंकित ने कुछ एक आध मिनट के लिए आँखों ही आँखों में देखा..और रितिका गेट बंद कर
ने लगी...पर उसे ये उम्मीद नही थी..कि अंकित ऐसा कुछ करेगा....
उसने दरवाजी पे हाथ लगा के उससे बंद करने से रोक दिया...
रितिका उसे घूर्ने लगी...
अंकित :- मुझे काम है..
रितिका :- मेने कहा ना मुझे कुछ काम है..तुम जाओ प्लीज़...(सॉफ्ट टोन में बोलते हुए)
अंकित :- नही मुझे भी कुछ कम है..(हर्ष टोन में बोलते हुए)
रितिका :- अंकित प्लीज़ जाओ..(वो दरवाजे को बंद करने के लिए पुश करती रही...)
लेकिन अंकित ने अपने हाथ की ताक़त से उसे पीछे ढकलने लगा...और आख़िर वो उसमे सफल भी हुआ..
रितिका पीछे की तरफ हो गयी..उसके नाज़ुक हाथों में इतनी जान कहाँ थी..अंकित अंदर घुसा और
उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया..
क्रमशः...........................
- shubhs
- Novice User
- Posts: 1541
- Joined: 19 Feb 2016 06:23
Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की
समझ के परे
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
- Sexi Rebel
- Novice User
- Posts: 950
- Joined: 27 Jul 2016 21:05
एक एक आहट "ज़िंदगी" की-55
गतान्क से आगे..............
लेकिन अंकित ने अपने हाथ की ताक़त से उसे पीछे ढकलने लगा...और आख़िर वो उसमे सफल भी हुआ..
रितिका पीछे की तरफ हो गयी..उसके नाज़ुक हाथों में इतनी जान कहाँ थी..अंकित अंदर घुसा और
उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया..
रितिका :- ये क्या कर रहे हो अंकित.....
इस बात पर अंकित मुद्दा और उसने रितिका को देखा...शायद अभी ही आई थी ऑफीस सी...
सारे पहन रखी थी लाइट रेड महरून टाइप कि ट्रांसपेरेंट थी हल्की सी...और एक ग़ज़ब की सेक्सी लग रही थी..
अंकित तो वैसी भी आज बहुत ज़्यादा उत्तेजित था..और रितिका को ऐसे देख के वो तो और ज़्यादा भड़क गया
आग में घी का काम हो गया ये तो..
रितिका ने अंकित को अपनी तरफ घूरते हुए देख लिया..और उसने अपने आप को समेटती वो घूम गयी..
रितिका :- प्लीज़ जाओ यहाँ से...क्या चाहते हो...
अंकित :- वही जो आप भी चाहती हो..
रितिका :- में कुछ नही कहती..ये सिर्फ़ तुम्हारी सोच है...
अंकित :- अच्छा...सिर्फ़ मेरी सोच है....(बोलता हुआ वो धीरे धीरे कदम आगे बढ़ा रहा था)
इधर रितिका उसके कदमो को अपने करीब आते सुन उसकी दिल की धड़कने तेज चल रही थी....
अंकित की नज़र रितिका के उस न्यूड बॅक पे थी जो पीछे से काफ़ी खुली हुई थी..ब्लाउस ही ऐसा था कि
बॅक तो हद से ज़्यादा खुला हुआ था और बस एक पतली सी स्ट्रॅप्स से बंद था.....
अंकित ने करीब आते ही रितिका की बॅक को अपने हाथ से सहला दिया......
बस इससे तो रितिका की पूरी आँखें खुल गयी और उसका पूरा बदन काँपने लगा....वो कुछ बोल
पाती या कुछ कर पाती....
अंकित ने शोल्डर पे से हल्की सी साड़ी हटा के रितिका के कूल्हो पे अपने तपते होंठ रख दिए...
अंकित.त.........हल्की सी आवाज़ मुँह से निकली और फिर उसकी आँखें बंद हो गयी....
फिर अंकित अपने होंठ नीचे करते हुए आने लगा और बड़ी तेज़ी से उसने पीठ पे अपने होंठो की
बरसात कर दी......
रितिका की आँखें बंद हो गयी...दिल और दिमाग़ इस शरीर के सामने हारने लगी....रितिका मदहोशी में
अपनी गर्दन हिलाने लगी..उसका चेहरा लाल हो गया था वो बहुत गहरी साँसें ले रही थी...
उसके चेहरे को देख के कोई नही कह सकता था कि वो नही चाहती कि ऐसा हो...उसके चेहरे पे एक
नशा चढ़ चुका था......
उधर अंकित ने तो पीठ पे चुंबनों की बौछार करनी बंद नही करी..वो तो मन बना के आया
था कि आज तो सब कुछ लूट लेगा इस हसीना का....
अचानक उसने अपने हाथ आगे बढ़ाए और उस ब्लाउस की स्ट्रिप्स जो हुक से बंद थी..उसे खोल दिया.
कत्तिथल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल अजीब सी आवाज़ करके वो खुल गया....
और ये आवाज़ रितिका के कानो में बखूबी पड़ गयी..और जैसे ही पड़ी..उसने अपनी आँखें खोल ली..
मानो जैसे अभी अभी एक कड़वे सपने से जागी हो...और एक दम से आगे होके मूड गयी और अपनी
बूब्स के आगे हाथ लगा लिए...उसकी साड़ी हल्की सी साइड से गिरी हुई थी...हल्का सा क्लीवेज दिखाई दे
रहा था....ब्लाउस के हुक खुलने की वजह से वो ढीली हो गयी थी...पर रितिका ने आगे हाथ लगा रखा
था जिसकी वजह से वो नही गिरी पूरी...
रितिका की आँखों में पानी भर गया था और वो अंकित को घूर रही थी...
अंकित का फेस रियेक्शन चेंज नही हुआ वो रितिका को देखते हुए आगे बढ़ा...और अपने हाथ आगे
बढ़ा के उसे कमर से पकड़ लिया.....
रितिका अपने एक हाथ से उसे हटाने की कॉसिश करने लगी..लेकिन पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो नही हट
रही थी...
रितिका :- तुम...ऐइस..आ.आ....की....उ.न....कर..रही ह.हो... (अटकती हुई)
अंकित :- आपके लिए.....(इतना बोलता है)
और अपने होंठ आगे बढ़ा के रितिका की नेक पे रख देता है..और वहाँ बेइन्तिहा चूमने लगता है..
बिल्कुल पागलों की तरह...
आहह...रितका के मुँह से हल्की सी आवाज़ निकलती है....एक हाथ जो अंकित के हाथ को कमर से हटाने में
लगा था..वो तो ढीला पड़ता जा रहा था..बस नाम का हटा रही थी वो...
और जो दूसरे हाथ से उसने पल्लू पकड़ रखा था...वहाँ से भी वो हट गया..और अंकित के सर के पीछे
आ गया...
लेकिन अंकित ने अपने हाथ की ताक़त से उसे पीछे ढकलने लगा...और आख़िर वो उसमे सफल भी हुआ..
रितिका पीछे की तरफ हो गयी..उसके नाज़ुक हाथों में इतनी जान कहाँ थी..अंकित अंदर घुसा और
उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया..
रितिका :- ये क्या कर रहे हो अंकित.....
इस बात पर अंकित मुद्दा और उसने रितिका को देखा...शायद अभी ही आई थी ऑफीस सी...
सारे पहन रखी थी लाइट रेड महरून टाइप कि ट्रांसपेरेंट थी हल्की सी...और एक ग़ज़ब की सेक्सी लग रही थी..
अंकित तो वैसी भी आज बहुत ज़्यादा उत्तेजित था..और रितिका को ऐसे देख के वो तो और ज़्यादा भड़क गया
आग में घी का काम हो गया ये तो..
रितिका ने अंकित को अपनी तरफ घूरते हुए देख लिया..और उसने अपने आप को समेटती वो घूम गयी..
रितिका :- प्लीज़ जाओ यहाँ से...क्या चाहते हो...
अंकित :- वही जो आप भी चाहती हो..
रितिका :- में कुछ नही कहती..ये सिर्फ़ तुम्हारी सोच है...
अंकित :- अच्छा...सिर्फ़ मेरी सोच है....(बोलता हुआ वो धीरे धीरे कदम आगे बढ़ा रहा था)
इधर रितिका उसके कदमो को अपने करीब आते सुन उसकी दिल की धड़कने तेज चल रही थी....
अंकित की नज़र रितिका के उस न्यूड बॅक पे थी जो पीछे से काफ़ी खुली हुई थी..ब्लाउस ही ऐसा था कि
बॅक तो हद से ज़्यादा खुला हुआ था और बस एक पतली सी स्ट्रॅप्स से बंद था.....
अंकित ने करीब आते ही रितिका की बॅक को अपने हाथ से सहला दिया......
बस इससे तो रितिका की पूरी आँखें खुल गयी और उसका पूरा बदन काँपने लगा....वो कुछ बोल
पाती या कुछ कर पाती....
अंकित ने शोल्डर पे से हल्की सी साड़ी हटा के रितिका के कूल्हो पे अपने तपते होंठ रख दिए...
अंकित.त.........हल्की सी आवाज़ मुँह से निकली और फिर उसकी आँखें बंद हो गयी....
फिर अंकित अपने होंठ नीचे करते हुए आने लगा और बड़ी तेज़ी से उसने पीठ पे अपने होंठो की
बरसात कर दी......
रितिका की आँखें बंद हो गयी...दिल और दिमाग़ इस शरीर के सामने हारने लगी....रितिका मदहोशी में
अपनी गर्दन हिलाने लगी..उसका चेहरा लाल हो गया था वो बहुत गहरी साँसें ले रही थी...
उसके चेहरे को देख के कोई नही कह सकता था कि वो नही चाहती कि ऐसा हो...उसके चेहरे पे एक
नशा चढ़ चुका था......
उधर अंकित ने तो पीठ पे चुंबनों की बौछार करनी बंद नही करी..वो तो मन बना के आया
था कि आज तो सब कुछ लूट लेगा इस हसीना का....
अचानक उसने अपने हाथ आगे बढ़ाए और उस ब्लाउस की स्ट्रिप्स जो हुक से बंद थी..उसे खोल दिया.
कत्तिथल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल अजीब सी आवाज़ करके वो खुल गया....
और ये आवाज़ रितिका के कानो में बखूबी पड़ गयी..और जैसे ही पड़ी..उसने अपनी आँखें खोल ली..
मानो जैसे अभी अभी एक कड़वे सपने से जागी हो...और एक दम से आगे होके मूड गयी और अपनी
बूब्स के आगे हाथ लगा लिए...उसकी साड़ी हल्की सी साइड से गिरी हुई थी...हल्का सा क्लीवेज दिखाई दे
रहा था....ब्लाउस के हुक खुलने की वजह से वो ढीली हो गयी थी...पर रितिका ने आगे हाथ लगा रखा
था जिसकी वजह से वो नही गिरी पूरी...
रितिका की आँखों में पानी भर गया था और वो अंकित को घूर रही थी...
अंकित का फेस रियेक्शन चेंज नही हुआ वो रितिका को देखते हुए आगे बढ़ा...और अपने हाथ आगे
बढ़ा के उसे कमर से पकड़ लिया.....
रितिका अपने एक हाथ से उसे हटाने की कॉसिश करने लगी..लेकिन पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो नही हट
रही थी...
रितिका :- तुम...ऐइस..आ.आ....की....उ.न....कर..रही ह.हो... (अटकती हुई)
अंकित :- आपके लिए.....(इतना बोलता है)
और अपने होंठ आगे बढ़ा के रितिका की नेक पे रख देता है..और वहाँ बेइन्तिहा चूमने लगता है..
बिल्कुल पागलों की तरह...
आहह...रितका के मुँह से हल्की सी आवाज़ निकलती है....एक हाथ जो अंकित के हाथ को कमर से हटाने में
लगा था..वो तो ढीला पड़ता जा रहा था..बस नाम का हटा रही थी वो...
और जो दूसरे हाथ से उसने पल्लू पकड़ रखा था...वहाँ से भी वो हट गया..और अंकित के सर के पीछे
आ गया...