चुदाई घर बार की complete

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Jemsbond
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Re: चुदाई घर बार की

Post by Jemsbond »

ये सब सोचते सोचते मैं आख़िर इस फ़ैसले पे पंहुचा की मुझे अब ज़रा सतर्क रहना चाहिए
और फरी बाजी के साथ मेरा जो रीलेशन बन चुका है बस उसी तक मसरूफ रहना चाहिए कयुँकि इसी मैं मेरी और फरी बाजी दोनो की भलाई थी इस फ़ैसले से मैं काफ़ी मुतमान हो गया और फिर सो गया
जुब आँख खुली तो शाम होने वाली थी मैं उठा और हाथ मुँह धोया और बाहर निकला और खेतों की तरफ चल दिया जहाँ अबू और फरी भी काम से निपट हो चुके थे
अब बस भेंसों का दूध निकलना ही बाकी था जो की अबू ने ही निकलना था
मुझे खेतों की तरफ आता देख के बाजी खुश हो गई और उनका चेहरा भी हल्का गुलाबी सा हो गया तो
मैने कहा कयूं बाजी काम कर के ज़्यादा तक तो नहीं थक गई आप जो आपका का फेस रेड हो रहा है
बाजी मेरी बात सुन क हंस दी और बोली
भाई मुझे अभी तुम्हारी तरह शहर की आदत नहीं हुयी जो मैं इतने से काम से थक जाऊं तो
तभी अबू जो की पास ही बैठे थे बोले बेटा आज सारा दिन तुम ने चक्कर ही नही लगाया खेतों का क्या तुम्हे हमारी याद नहीं आती
मैं अबू की तरफ देख के मुस्कुरा दिया और बोला कैसी बात करते हो आप अबू भला मैं और आप को याद ना करूँ
बस आज देर अम्मी की वजाह से हुयी अम्मी ने आज मुझसे से शहर की बातें करती रहीं
थोड़ी देर तक अबू और फरी बाजी से इस तरह की बातें करते हुए वक़्त गुज़ारा
फिर अबू ने भेंसों का दूध निकाला तो मैं बाजी के साथ ही उठाके दूध ले के घर को चल पड़े और
थोड़ा आगे आते ही मैने बाजी को आज होने वाली सारी बातें बता दी तो बाजी भी थोडा परेशान हो गई
और बोली यार भाई ये क्या किया तुम ने अब अम्मी को तुम पे कहीं शक ना हो गया हो
मैं भी थोड़ा परेशान हो गया और बोला बाजी पता नहीं वो सब देख के मेरा अपने पे कण्ट्रोल नहीं रहता अब और ..मेरा लंड करा हो जाता है... मै क्याकरूँ ..कुछ समझ मै नहीं आ रहा है ...
लेकिन बाजी अम्मी को किस तरह शक हो सकता है हम पर
कौनसा किसी को बताने वाले हैं जो अम्मी को कुछ पता चलेगा बस अब ज़रा ध्यान से करना होगा जो भी करंगे
बाजी एक ठंडी साँस भारी और बोली भाई लगता है की मेरी किस्मत मैं ज़्यादा देर तक सकून नहीं है
तुम्हारे साथ तो मैं भी हेरान हो के बोला क्या मतलब बाजी मैं समझा नहीं आपकी बात
बाजी ने मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखा और बोली तुम्हे आज ही पता चल जाए गा
अगर मेरा शक सही हुआ था और फिर हम घर तक पहुँच गये और
थोड़ी देर हँसी मज़ाक क बाद मैने बाजी को ऊपर अपना बिस्तेर लगाने का बोला तो बाजी मेरे साथ ही अपना बिस्तेर भी बिछा दिया
लेकिन जब मैं ऊपर सोने के लिए चला गया तो थोड़ी ही देर के बाद फरीदा बाजी एक और चारपाई उठा के ऊपर लाई और बिछाने लगी
तो मैं काफ़ी हेरान हुआ और बोला ये क्या आज तुम भी ऊपर ही सोने आ गई हो क्या तो फ़रीदा ने कहा नहीं भाई ये अम्मी का बिस्तेर बिछा रही हूँ आज वो ऊपर र तुम लोगों के पास ही सोएंगी क्या समझे
फ़रीदा बाजी की बात सुनते ही मुझे बाजी की बात याद आ गई और मैं सच मैं परेशान हो गया की कहीं अम्मी को सच मैं हम दोनो पे शक तो नहीं हो गया
जो आज अम्मी ने अपना बिस्तेर ऊपर ही लगवा लिया है
ये सोच बहुत ही ख़तरनाक थी और अगर इस मैं थोड़ी भी सचाई थी तो अब हमें ज़रा संभाल के चलना था

कयुँकि अगर अम्मी को ज़रा सी भनक भी लग जाती तो हमारी गांड फटना तो यक़ीनी था

फ़रीदा बाजीके जाने के थोड़ी देर बाद ही बाजी फरी ऊपर आ गई

और खामोशी से अपने बिस्तेर पे लेट गई तो मैं उठ के बाजी की तरफ जाने लगा तो बाजी ने हाथ क इशारे से मुझे मना कर दिया और लेते रहने का इशारा किया

मैं कुछ समझा तो नहीं

लेकिन खैर वेसे जी लेता रहा तो तभी अम्मी भी ऊपर आ गई और आते ही बोली....

विकी क्या बात है कहीं तुम दोनो मैं कोई नाराज़गी तो नहीं हो गई.......................

जो इस तरह दोनो चुप चाप लेटे हो

मैने जल्दी से कहा नहीं अम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं है बस बाजी आज सारा दिन खेतों के काम से थकी हुई है ना इस लिए मैने कोई बात नहीं की सो जाए ज़रा जल्दी से थकावट ख़तम हो

बड़ा ख्याल है तुम्हे अपनी बहिन का चलो ठीक है होना भी चाहिए और इतना बोल के अपने बिस्तेर पे लेट गई सोने के लिए और

उस के बाद हम सब चुप लेकिन अपनी जगह , पता नहीं ,,,,,,,

कब तक जागते रहे और जब आँख खुली तो पता चला की सुबह हो चुकी है मैं उठा और नीचे आ के फिर से सो गया

दोबारा आँख अम्मी के उठाने से खुली तो अम्मी ने नहा के नाश्ता करने को बोला और बोली पता नही विकी क्या होता जा रहा है तुम्हे भला कोई इतनी देर तक भी सोता है सूरज तो देखो कितना निकल आया है और तुम हो की अभी तक लंबी तान के सो रहे हो चलो जल्दी करो

मैं अपनी आँखें मलता हुआ उठ बैठा और बोला क्या अम्मी कोई काम तो है नहीं तो मैं इतनी सुबह उठ के क्या करूँगा सोने दिया करो ना अम्मी

और ये बोलते ही मैने अपनी आँखें पूरी तरह खोल के अम्मी की तरफ देखा जो की अभी तक मेरी चारपाई के पास ही खड़ी हुयी ई थी और मेरी तरफ ही देख रही थी

लेकिन जब थोड़ा गौर किया तो अम्मी की आँखें मुझे लगा की मेरी तरफ नहीं बल्कि मेरे फेस से थोडा नीचे कुछ देख रही .

जब मैने गौर किया तो मुझे एहसास हुआ की सोते मैं मेरा लण्ड खड़ा हो गया था जो की अभी तक फुल हार्ड था और अम्मी की नज़र मेरे खड़े लण्ड पे ही टिकी हुयी थी

अम्मी का इस तरह मेरे लण्ड की तरफ देखना मुझे अच्छा लगा तो मैने भी मुस्कुराते हो अपने लण्ड को झटका दिया और बोला

कयूं अम्मी क्या बनाया है नाश्ते मैं तो अम्मी ने झट से अपनी नज़र मेरे लण्ड से हटाई और मेरी तरफ देखा तो मुझे अपनी तरफ ही देखते पा कर अम्मी का फेस रेड हो गया और अम्मी ने अपनी नज़र घुमा ली और बाहर की तरफ चल पड़ी और जाते हो बोली क्या

तुम्हे नहीं पता की सुबह नाश्ते मैं क्या बनता है

अम्मी के जाते ही मैं भी खड़ा हो गया और थोड़ी देर इधर उधर हाथ पावं धोता रहा जिस से मेरा ज़हन बात गया तो खड़ा हुआ लण्ड भी नीचे आ गया तो मैने टवल उठाया और नहाने क लिए बाहर निकला और बात रूम मैं जा घुसा नहाने क लिए. (कयुँकि हम गांव के रहने वाले हैं तो हमारे घर पे बाथरूम था यह बड़ी बात थी और अच्छी बात तो था नहीं बाहर ही नहाना होता सब ने और खड़े लण्ड के साथ मैं रूम से निकल नहीं सकता था कयुँकि अम्मी तो अब मुझ पे शक करने ही लगी थी )

मैं नहा के बाहर निकला तो आज फिर फरी मुझे कहीं नज़र नहीं आयी तो मैं समझ गया की अम्मी ने बाजी को फिर से खेतों मैं भेज दिया होगा और खुद घर पे ही रहेगी

तो मैं खामोशी से बाहर बरामदे मैं ही बैठ गया और अम्मी ने नाश्ता ला के दिया जिसे खाने के बाद मैं उठा और बाहर निकल गया सलीम की तरफ जो मुझे देखते ही बोला सुकर है यार की तू भी घर से निकला और तुझे मेरी याद भी आ ही गई सुना क्या चल रहा है

मैने सलीम की तरफ देखा और बोला यार क्या चलना है बस सारा दिन घर पे पड़ा ख़ाता और सोता रहता हूँ या फिर खेतों पे चला जाता हूँ तो सुना क्या हो रहा है आज कल कोई नहीं चीज़ भी सेट की है या उन्ही पुरानी वालियों के साथ अपना टाइम पास कर रहा है

सलीम थोड़ा हंस दिया मेरी बात पे और बोला बस यार क्या करें तुम्हे तो पता ही है की कोई ना कोई मिल ही जाती है अपनी चुत का रस पिलाने के लिए और फिर हमारा जाता भी क्या है 2 क़तरे पानी क बस

सलीम की बात सुन क हम दोनो हंस दिए और फिर इधर उधर की बातें करने के बाद जब मैं वहाँ से आने लगा तो सलीम ने मुझे रोक लिया और बोला यार मिला नहीं तो कभी उसके बाद रीदा से क्या मज़ा नहीं आया तुम्हे उस क साथ या तेरी गांड फॅटती है

उस देख के अभी भी मैं हंस दिया और बोला .............बस यार

अब क्या ब्ताओं तुम्हे की मुझे डर लगता है घरवालों से की अगर उन्हें पता चल गया की मैं अब ये सब भी करने लगा हूँ तो मेरा कॉलेज ख़तम समझो फिर

सलीम हेरात से मुझे देखता हुआ बोला यार तुम तो इक्लोटे बेटे हो अपने मा बाप के वो भला तुम्हारे साथ कोई सख्ती किस तरह कर सकते हैं बस बात इतनी है की तुम हिम्मत तो करो

मैने बड़ी बेचारगी से सलीम की तरफ देखा और फिर आअहह भरते हो बोला यार दिल तो मेरा भी बहुत करता है

लेकिन क्या करें दिल नहीं मानता कयुँकि घर मैं अम्मी अबू के इलावा मेरी बेहनैन भी मेरा बड़ा ध्यान रखती हैं

और सब इतने अच्छे हैं की मेरा दिल नहीं चाहता की मैं किसी को ज़रा भी दुख दूँ बस इसी वजाह से डरता हूँ यार और कोई बात नहीं है

सलीम भी अब की बार मुझे देखता रहा और फिर जब मैं उठ गया तो इतना बोला देख लो

यार विकी की कहीं आज जिस तरह तुम अपने मा बाप और बहनों की वजाह से फटो बने फिरते हो अपना आप मार के कहीं कल शादी के बाद कहीं तुम्हारी बीवी भी तुम्हारी इस आदत का फाइयदा ना उठाए और तुम हमेशा के लिए एक बुज़दिल और औरतों के पॅलो मैं छुपने वाले ना बन जाओ

सलीम की बात तो सच ही थी लेकिन क्या करता मेरी आदत ही कुछ ऐसी हो गई थी अब की शायद बदल ही नहीं सकती थी लेकिन मैने सलीम से और कोई बात नहीं की और गावँ से बाहर रोड पे आ गया जो की शहर की तरफ जाता था और वहाँ बैठ की अपने बारे मैं सोचने लगा की आख़िर क्या करूँ तभी मुझे शहर की तरफ जाने वाली बस आती नज़र आयी और मैने बिना सोचे उसे हाथ के इशारे से रोक लिया और बस के रुकते ही उस मैं चढ़ गया और शहर चला गया

शहर आ के मुझे ख्याल आया की मैने तो घर मैं या गावँ मैं किसी को बताया भी नहीं की मैं शहर जा रहा हूँ वो परेशान होंगे

मेरे इस तरह आने से की तभी मेरे दिमाग मैं ख्याल आया की मुझे अब कुछ दिन वापिस नहीं जाना चाहिए
कयुँकि अब मुझे ये ही एक हल नज़र आ रहा था की जिस तरह घर वाले मुझे अपने प्यार से ब्लॅकमैल करते आए थे आज तक अब मैं भी उन्हें उन्ही के अंदाज़ मैं ब्लॅक मैल करूँ

शायद मैं भी थोडा सर उठा की चल सकों और लड़कों की तरह घूम फिर सकों एन्जॉय कर सकों

अपनी लाइफ को ये ख्याल जितना परफेक्ट था उतना ही मुझे पसंद आया और मैं अपने एक दोस्त के पास चला गया और उसे जब सारी बात बताई तो वो हंस दिया और बोला चल शूकर है

तुझे भी मर्द बनने का शौक हुआ और मुझे अपने साथ घर ले गया जहाँ उस ने मुझे अपनी बैठक मैं रुकवाया

और इस के साथ मेरे खाने पीने का इंतज़ाम उस ने घर से कर दिया
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: चुदाई घर बार की

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मैं कोई 4 दिन तक अपने दोस्त के घर रहा और फिर वहाँ से घर की तरफ रवाना हो गया तो जो पैंट क़मीज़ मैने यहाँ आते हो पहनी थी

मेरे दोस्त के मशवरे के मुताबिक मैं उन्ही कपड़ों मैं ही रहा, वो अच्छी तरह से गंदे हो गए और जब मैं उन्ही गंदे और मैले कपड़ों मैं 4 दिन बाद घर आया तो

मुझे देखते ही

अम्मी की आँखों मैं पानी आ गया और वो रोते हो मेरी तरफ भागी और मुझे लीपेट के ज़ोर से अपने साथ भींच लिया

मेरी अपनी हालत उस वक़्त अम्मी को इस तरह रोता देख के खराब होने लगी थी की

मैने अपने आप को ज़रा संभाला और अम्मी को खुद से अलग किया और अपने रूम की तरफ चल दिया

किसी से भी बात किए बिना बाजी फरी जो की मेरे लिए मेरा सब कुछ बन चुकी थी उन की तरफ भी अपना दिल कड़ा कर की देखे बिना मैं अपने रूम मैं आया और अपने कपड़े निकल के जा के नहाया और फिर से रूम मैं जा घुसा और दरवाजा को अंदर से लॉक कर क लेट गया जो की मैं ये सब जान बुझ के ही कर रहा था

घर वाले जितना मेरे वापिस आने से खुश थे वहाँ उस से भी कहीं ज़्यादा मेरे रविए पे हेरान भी थे

की आख़िर मुझे हो क्या गया है इसी तरह थोडा वक़्त गुज़रा था की मेरे रूम के दरवाजे पे नॉक होने लगी और

जब मैने ना तो दरवाजा खोला और ना ही कुछ बोला तो एक बार फिर से दरवाजा नॉक हुआ और साथ ही अबू की आवाज़ भी सुनाई दी जो की दरवाजा खोलने का बोल रहे थे

अबू की आवाज़ सुन के

मैं थोड़ा घबरा भी गया लेकिन दिल को मजबूत कर के दरवाजा खोल दिया और

जब अबू पे मेरी नज़र पड़ी तो मैं जहाँ था वहीं का वहीं किसी बुत की तरह खड़ा रह गया कयुँकि अबू इन 4 दीनो मैं ही बिल्कुल बूढ़े नज़र आने लगे थे और उनके कंधे भी झुके नज़र आ रहे थे

मैं हेरनी से अबू की ये हालत देखता हुआ सामने से हट गया
अबू मेरे रूम मैं आए और मेरी तरफ देखते हो रो पड़े तो मेरी समझ मैं नहीं आया की आख़िर मैं करूँ

तो क्या करूँ और अबू को कैसे चुप करवाऊं की तभी अम्मी और बाजी फरी रूम मैं आ गई और अबू को संभाल के चारपाई पे बैठा दिया तो

अम्मी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा विकी ये तूने ने क्या किया बेटा आख़िर कहाँ हमारे प्यार मैं तुम्हे कमी नज़र आयी

मैं... पता नहीं उस वक़्त मेरे अंदर इतनी दलेरी कहाँ से आ गई की

मैं अम्मी की आँखों मैं आँखें डॉल के बोला आप को तो प्यार था ही नहीं मेरे साथ तो कमी कहाँ से आ गई

अम्मी... हेरनी से मेरी तरफ देखते हुयी बोली

विकी ये तो क्या बोल रहा है बेटा मैं माँ हूँ तेरी और मैं अपनी सारी औलाद मैं तुम्हे सब से ज़्यादा प्यार भी तुम से ही करती हूँ

मैं... तल्ख़ लहजे मैं अम्मी से बोला की जितना प्यार आप मुझ से करती हैं उस से ज़्यादा शक भी करती हो आप

और अगर आप मुझे प्यार करती ना अम्मी तो शक कभी नहीं करती वो भी इतना घटिया

अबू... जो की अभी तक सर झुका के बैठे हमारी बात सुन रहे थे

झटके से सर उठा के पहले मुझे और फिर अम्मी को देखते ही बोले क्या बात है रहना

ये विकी क्या बोल रहा है किस बात का शक करती हो तुम मेरे बेटे पर की जो ये इस तरह घर से चला गया था

अम्मी... जो की पहले ही काफ़ी परेशान लग रही थी अबू की बात सुन के उन का रंग फीका पड़ गया

लेकिन वो कुछ बोली नहीं बस सर झुका के खड़ी रही

अबू... जब अम्मी की तरफ से कोई जवाब ना मिला तो मेरी तरफ देखते हो बोले विकी तो बता मुझे बेटा की क्या बात है जिस की वजाह से तुम घर से निकल गये थे मैं तेरे साथ हूँ

मैं...अम्मी की तरफ देखता हुआ जो की अभी तक सर झुका के खड़ी अपनी उंगलियाँ मरौदरही थी और उन का फेस पसीने से भीग चुका था बोला

अबू आप अम्मी से ही पूछ लेना हो सकता है की मैं कुछ ग़लत समझा हूँ और बात वो ना हो कुछ और ही हो

मेरी बात सुन के अबू फॉरन खड़े हो गये और अम्मी का हाथ पकड़ के बोले चलो अभी मेरे साथ बताओ

मुझे की क्या बात है और फरी की तरफ मुड़ते हो बोले अपने भाई का ध्यान रखो ये कहीं नहीं जाए

फरी ने अबू की बात सुन के हाँ मैं सर हिलाया तो
अबू अम्मी का हाथ पकड़े हो मेरे रूम से निकल गये तो फरी मेरे पास आयी और जब बोली तो उस की आवाज़ मैं भी आँसू घुले महसूस हो रहे थे

फरी.... भाई तुम कहाँ चले गये थे और क़्यू क्या तुम मुझे भी नहीं बता सकते

मैं... बाजी अब मैं आपके और अपने दरमियाँ कोई दूरी बर्दाश्त नहीं ई कर सकता हूँ और इस के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ

मै आपसे बहुत प्यार करता हूँ बाजी... आप ही मेरा पहला और आखिरी सच्चा प्यार हो...

ओह मेरे बही... फरी आब्जी अवाक् रह गई .. यह सुनके .....

मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ मेरे भाई पर... पर हमरा रिश्ता.. कुछ एस्सा है जिसे हम दोनों.. संभाल के रख सकते थे.. सब से छिप के चोरी से....... सारी जिंदगी...... यहाँ तक की मेरे निकाह के बाद भी...
.

फरी... भाई तुम ने ये कोई अच्छा काम नहीं किया

हम अगर प्यार से, समझ से काम लेते तो हो सकता है अम्मी हमारे दरमियाँ कोई रुकावट ना बनती केलिन......

अब तुम ने सारा काम खराब कर दिया है
मैं... क्या मतलब बाजी मैं आप की बात नहीं समझा
बाजी... अरे पागल तुम अब यहाँ ज़्यादा नहीं रहते लेकिन मैं यहाँ ही रहती हूँ हर वक़्त और सब कुछ और सब को जानती हूँ की कौन क्या है और क्या करता फिर रहा है

इस लिए अगर तुम थोडा सबर और कर लेते तो अम्मी को मैं खुद ही समझा लेती.... किस तरह से...

लेकिन तुम ने बात अबू तक पंहुचा दी है
अब मुझे अम्मी के साथ अबू के बारे मैं भी सोचना पड़ेगा और यह बात बहुत महंगी पड़ेगी मेरे भाई.... अब्बू ... और अब्बू के साथ............ ..कह के ...बाजी , कुछ सोचने लगी

अभी हम ये बताईं कर ही रहे थे की फ़रीदा बाजी रूम मैं आती दिखाई दी तो हम चुप हो गये और फिर फ़रीदा बाजी ने आते ही मेरी तरफ देखा और बोली भाई अबू बुला रहे हैं तुम दोनो को...

फ़रीदा बाजी की बात सुन के मैने फरी की तरफ देखा जो की मेरी तरफ ही देख रही थी और आँखों ही आँखों मैं फरी से पूछा की अब क्या होगा

अबू ने किस लिए बुलाया होगा

तो बाजी ने हल्के से कंधे हिला दिए और रूम से बाहर की तरफ चल दी तो

मैं भी अपना सर झुका के अबू के रूम की तरफ फरी के पीछे ही चल दिया
लेकिन उस वक़्त मैं इसी सोच मैं गुम था की

आख़िर अम्मी ने अबू को ऐसा क्या बता दिया है की........,, अबू ने मेरे साथ फरी को भी बुलवा लिया है

लेकिन कुछ भी समझ मैं नहीं आया

तो मैं तक़दीर मै जो होगा देखनेग..

अबू की रूम मैं फरी की साथ चला गया जहाँ अबू अम्मी के साथ ही पलंग पे बैठे थे और सामने की चारपाई खाली पड़ी थी जिस पे बैठने के लिए अबू ने हम दोनो को बोला तो हम चुप वहाँ जा बैठे

अबू... थोड़ी देर हम दोनो की तरफ देखते रहे और फिर फरी की तरफ अपना फेस घुमा लिया और बोले

फरी तुम्हारी अम्मी का कहना है की उसे तुम्हारा विकी क साथ ज़्यादा रहना शक मैं डॉल रहा है जिस की वजाह से वो तुम दोनो पे नज़र रखने लगी तो विकी नाराज़ हो गया क्या ये सच है

मेरे साथ साथ फरी भी एस बात पे चोंक गए...

फरी... हेरनी से अबू की तरफ देखते हो बोली अबू विकी मेरा एक ही तो भाई है जो की अब हमारे साथ नही रहता यहाँ गावँ मैं शहर मैं रहता है और अब जब की वो छुट्टियों पे गावँ आया हुआ है तो क्या मैं अपने ही छोटे भाई के साथ हंस बोल भी नहीं सकती

अम्मी... देखो फरी जिस तरह तुम विकी की बहिन हो वेसे ही फ़रीदा और फ़रज़ाना भी तो विकी की बहन हैं क्या वो भी तुम्हारी तरह विकी क साथ चिपकी रहती हैं और ख़ुसर फुसर करती हैं

मैं... अम्मी मुझे लग रहा है की अब मेरा इस घर मैं कोई काम नहीं रहा और मुझे यहाँ से अब हमेशा के लिए चले जाना ही बहेतर है नेमे कुछ शक्त लहजे मै कहा....मेरे आवाज.. कुछ ज्यादा भारी होने लगी थी.. जिसे अब्बू अम्मी और फरी बाजी ने भी महसूस किया... बाजी ने आखंसे इशार किया .. तो मै थोड़े नरम लहजे मै फिर बोला..

कयुँकि जहाँ मेरी माँ ही मुझ पे मेरी बहिन से तालुकात का गंदा इल्ज़ाम लगा दे तो फिर अब मेरे पास बाकी कुछ नहीं बचता

अबू... देखो बेटा तुम बैठो और जो भी बात है वो हम यहाँ बैठ की ख़तम कर सकते हैं

मैं... (गुस्से की आक्टिंग करता हुआ खड़ा हो गया लेकिन मैं ये भी समझ रहा था की अगर घर छोड़ेगा तो दर बदर हो जायेगा कोई असरा नहीं बनता मेरा ) नहीं

अबू अब कोई बात नहीं बची प्लीज अब मुझे यहाँ से जाने से मत रोकिएगा और रूम से निकालने लगा

अबू ने भाग के मेरा हाथ पकड़ लिया और रोते हो बोले ठीक है बेटा मैं समझ रहा हूँ की..........

तुम्हारे साथ ज़्यादती हुयी है जिस के लिए तुम्हारी मा जिम्मेदार है
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
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मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: चुदाई घर बार की

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अभी वो भी तुम से माफ़ी मांग ले गी लेकिन पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज बेटा तुम घर छोड़ के नहीं जाओगे बल्कि कल से तुम मेरे साथ खेतों मैं रहा करोगे

नहीं अबू मुझ किसी से माफ़ी मंगवाने की कोई ज़रूरत नहीं है

कयुँकि अम्मी का बेवजह शक ने मुझे अपनी और फरी बाजी की नज़रों मैं गिरा दिया है तो

अब मेरे पास बस 2 ही रास्ते हैं

एक ये की मैं घर से इतनी दूर चला जाओं की किसी की नज़र मैं भी ना आऊँ ज़िंदगी भर और

दूसरा ये है क मैं अपनी जान ख़तम कर दूँ और अब कोई चारा नहीं बचा

(ये मुझे बाद मैं पता चला क ये सारी हराम ज़दगी फ़रीदा ने ही की थी अम्मी को बताने वाली और शक मैं डालने वाली और बाकी की कसर मैने अम्मी की साथ हल्की फुल्की, अपने रविये से पूरी कर डाली थी)

अम्मी जो की अब तक चुप चाप थी
अचानक.... उठी और मेरे पैरों मैं गिर गई और रोते हुए मुझसे माफ़ी माँगने लगी तो

जेसे मेरा दिल ही फटने लगा हो और मैने जल्दी से अम्मी को कंधों से पकड़ के उठा दिया और बोला नहीं अम्मी पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ये आप क्या कर रही हो

अम्मी रो रही थी और बोलती जा रही थी नहीं बेटा अब तो कहीं नहीं जाएगा अपनी मा को छोड़ के बेटा

अब मैं तुम्हे कभी कुछ नहीं कहूँगी पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बेटा अपनी मा को माफ़ कर दे

मैने अम्मी को अपने सीने से लगा लिया और बोला नहीं अम्मी मैं कहीं नहीं जाऊंगा आप को छोड़ के भला मैं खुश रह पाउँगा

कहीं इस दुनिया मैं मर ही ना जाओंगा जो आप को और अबू को छोड़ के कहीं जाऊं

मेरी बात सुन के अबू का फीका पड़ा चेहरा भी खुशी से चमक उठा और अम्मी भी खुश हो गईं तो बोली की

तू ठहर मैं ज़रा इस फ़रीदा की बची की खबर लेती हूँ

जिस की बातों मैं आके मैं अपने बच्चे को खोने जा रही थी

अम्मी की बात से मेरे साथ अबू और फरी भी चौंक गये

और फिर अबू ने ही अम्मी से पूछ क्या मतलब फ़रीदा ने ऐसा क्या बोला था जो तुम मेरे बचों के खिलाफ हो गई थी
अम्मी ने हमे फ़रीदा ने जो उस दिन अबू और अम्मी के शहर जाने के बाद मैं और बाजी खेतों मैं गये थे तो फ़रीदा जब खाना ले के आयी तो बाजी को बिना दुपते और क़मीज़ के नीचे बिना ब्रा के बड़े अजीब अंदाज़ मैं लेता देख लिया था

जिस वो शक मैं आ गई और अम्मी को भी बोल दिया था जिस की वजाह से ये सारा हुंगमा खड़ा हुआ था हमारे घर

अम्मी की बात सुन के मेरे साथ बाजी भी हेरान हुयी लेकिन शर्मिंदा भी ,

तो मैने अम्मी को मना कर दिया की वो फ़रीदा से कुछ ना कहे उस ने भी आप को जानबुझ के थोडा ही भड़काया होगा
थोड़ी देर इस तरह हम एक दूसरे से बात करते और अपने दिल का दर्द निकलते रहे तो फिर अबू ने कहा विकी बेटा तो जा अभी आराम कर देख ज़रा क्या हालत बन गई है तेरी चलो जाओ शाबाश

मैं और फरी जब अबू के रूम से निकले तो फरी ने धीमी आवाज़ मैं कहा भाई अब कुछ तो करना ही होगा वरना काम खराब हो जाएगा

मैने कहा क्या करना होगा तो फरी ने कहा थोड़ा सबर करो भाई बताउंगी

ज़रा मुझे सोच लेने दो तो उस के बाद फरी अपने रूम की तरफ चली गई और मैं अपने रूम की तरफ


बाकी का दिन ऐसे ही गुज़र गया और बस सिवाए फ़रीदा के जो मुझे या फरी को जब भी देखती बहुत गुस्से मैं घूरती और कोई खास बात नहीं हुयी

सब कुछ नॉर्मल हो गया तो रात अम्मी भी हुमारे पास ऊपर सोने नहीं आयी लेकिन फिर भी हमने कोई रिस्क नहीं लिया और सो गये

अगली सुबह जब सो के उठा तो देखा की फरी आज भी घर पे नहीं है और अम्मी घर पे ही हैं तो मैं समझ गया की फरी अबू के साथ खेतों मैं ही गई होगी जिस वजाह से अम्मी घर पे हैं

मैं उठा और नहाने चला गया जब नहा के बहार आया तो अम्मी खुद मेरा नाश्ता लायी मेरे रूम मैं ही

मैं नहा की सीधा अपने रूम मैं आ गया था तो अम्मी ने नाश्ता मेरे सामने रख़् दिया और खुद भी करीब ही बैठ गई तो मैं खामोशी से नाश्ता अपनी तरफ खिसका के खाने लगा

अम्मी ने मेरे बलों मैं अपनी उंगलियाँ घुमाते कहा कि ओं बेटा क्या अभी तक तो अपनी अम्मी के साथ नाराज़ है की बात भी नहीं कर रहा

मैने अम्मी की तरफ देखा और बोला ......

नहीं अम्मी ऐसी कोई बात नहीं अब जो होना था हो गया और अब तो बात भी ख़तम हो गई अब भला मैं आप से कयूं नाराज़ होने लगा भला

मेरी बात से अम्मी के फेस पे मुझे सकून की लहर दौड़ती हुयी महसूस हुयी और फिर जब मैने नाश्ता ख़तम किया तो अम्मी उठी और मेरे सर पे प्यार से किस कर के बर्तन उठा के निकल गई

अम्मी के जाने क बाद मैं थोड़ी देर लेटा रहा और फिर उठ के खेतों की तरफ चल दिया ये सोच कर के चलो अगर कोई मोका मिला तो बाजी की फुददी ही मार लूंगा

अबू काम से इधर उधर के साथ वालों खेतों पे भी चले जाया करते थे तो मोका बन सकता था

मैं जब खेतों मैं गया तो अबू उस वक़्त चारा काट रहे थे कयुँकि बाद मैं गर्मी ज़्यादा हो जाती तो चारा नहीं कटा जाता भेंसों के लिए और बाजी इधर उधर से कटा हुआ चारा एक जगह जमा कर रही थी और

खास बात जो मैने देखी वो ये थी फरी उस वक़्त बिना दुपते और बारीक कपड़ों मैं थी और कयुँकि हवा भी चल रही थी तो काम करने की वजाह से उसके कपड़े भी भीगे हुयी थे लेकिन वो बिना शरम किया काम मैं लगी थी
ये नज़ारा देख के मुझे पता नहीं कयूं ऐसा लगा की बाजी ये सब (यानी बिना दुपते और बारीक कपड़ों के साथ पसीने मैं भीगी अबू के इधर उधर झुक के चारा जमा करती ये सब वो जान बुझ के कर रही है)

मुझे आता हुआ अबू और बाजी दोनो ही देख चुके थे लेकिन बाजी ने अपने काम मैं बड़ी मस्ती से लगी होई थी और अबू भी चुप छाप चारा काट रहे थे जिसे बाजी जमा करती जा रही थी

मैं भी जा के करीब ही खेतों मैं निशानी के लिए पगडंडी पे जा के बैठ गया तो अबू ने कहा बेटा घर पे दिल नही लगा जो इतनी सवेरे ही यहाँ चले आए

बस अबू घर पे बौर हो रहा था तो सोचा की चलो खेतों से ही हो आता हूँ इस लिए आ गया

तो अबू ने भी चलो अच्छा किया बेटा ऐसा करो तुम चलो वहाँ रूम के पास दरखतों के नीचे बैठो यहाँ तो काफ़ी तेज़ धूप हो रही है गर्मी लगेगी हम भी बस अभी आ जाते हैं

मैं बिना कोई बात किए उठा और रूम के सामने ही जा के बैठ गया और बाजी और अबू को काम करता देखता रहा फिर अबू ने चारा काटना बंद किया और जमा किया हुआ चारा उठाने लगे जिस मैं बाजी भी

अबू की मदद कर रही थी जिस के लिए बाजी अबू के सामने पूरी तरह से झुक जाती
मुझे इतनी देर से इतना तो ठीक से पता नही चल रहा था की ये सब देख के अबू पे क्या बीत रही होगी या फिर अबू बाजी के सीने मैं तने मम्मो को देख भी रहे हैं या नहीं

थोड़ी देर के बाद अबू और बाजी चारा उठा के क रूम के पास लगी मशीन के पास आ गये और मशीन चला के चारा कटा और फिर बाजी रूम मैं चली गई और अबू साइड मैं लगे ट्यूब वेल को चलाने लगे

ट्यूब वेल के चलते ही अबू ने कहा आ जा बेटा नहा ले ठंडा पानी है मज़ा आ जाएगा

तो मैने अबू को मना कर दिया क मेरे पास कोई लूँगी नही है तो अबू जो की अब खुद भी लूँगी मैं ही आ चुके थे बोले यार कोई भी कपड़ा बाँध लो की तभी बाजी रूम से निकल आयी

वो अभी तक बिना दुपते के ही थी और बोली अबू बड़ी गर्मी लग रही है क्या मैं भी नहा लूँ

अबू ने बाजी की तरफ देखे बिना ही हाँ हाँ बेटी आ जा तू भी नहा ले बोल दिया तो

बाजी मुझे आँख का इशारा करते हुए अबू की तरफ चल दी नहाने के लिए और मैं बाजी को पूरा मोका देने क लिए रूम मैं जा घुसा जहाँ मैं एक कपड़ा ढूंड के लूँगी बंधी और रूम के दरवाजे के पास आ के बाहर झाँकने लगा

जहाँ बाजी अब पूरी तरह भीगी हुयी खड़ी थी अबू के साथ और मुझे ये देख के बड़ी हैरानी हुयी की बाजी यह सब काया कर रही हैं मेरी कीच समझ मै नहीं आ रहा था. पर मुझे बाजी पे भरोसा की वो जो भी करेंगी सोच समझ के ही.....

पर फरी बाजी की हिमत पे रश्क भी आया कि वो की बाजी के कपड़े भीगते ही उस का सारा बदन जैसे बिल्कुल नंगा नज़र आने लगा था और अब ज़रा ध्यान से देखा तो पता चला की बाजी ने ब्रा भी नहीं पहनी हुयी थी

और अबू की आँखें जो की बाजी की तरफ तो नहीं थी लेकिन वो छोड नज़रों से अपनी बड़ी बेटी की जवानी को ही निहारे जा रहे थे

ये सब देख के मैने सोचा की यार ज़रा बाजी को थोडा टाइम और मिलना चाहिए पता नहीं उनके दिमाग मै काया चाल रहा है और बहार नहीं निकला तो बाजी जो की एक बार फिर से पानी के नीचे सर दे के उठी तो अबू की तरफ देख के बोली क्या हुआ

अबू आप नहीं नहा रहे
अबू ने फरी की तरफ देखा और बोले नहीं बेटी पहले तुम नहा लो मैं बाद मैं नहा लूंगा और

फिर दूसरी तरफ देखने लगे तो बाजी साइड से सोप उठा के अपने जिस्म पे रगड़ने लगी कपड़ों के ऊपर से ही(जैसा की अक्सर गावँ मैं होता है) और साथ अबू की तरफ देखे बिना अपने मम्मो , जाँघों और गले दरमियाँ अच्छी तरह से हाथ घुमाती रही

तो अबू की हालत देखने वाली हो जाती अब अबू से ज़्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो वो वहीं साइड मैं पानी के अंदर ही बैठ गये
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Re: चुदाई घर बार की

Post by Jemsbond »

फरी ने अच्छी तरह नहाने के बाद अबू की तरफ देखा जो की तिरछी नज़रों से फरी को ही देख रहे थे तो फरी ने कहा अबू मैने तो अच्छी तरह नहा लिया अब आप भी नहा लो जल्दी से

फरी इतना बोलते ही बाहर निकल गयी तो अबू पानी के नीचे आ गये और पानी अबू के सर पे गिरने लगा तभी मैं भी रूम से निकला तो मुझे देख के फरी ने हल्की सी इस्माइल दी और

अबू की तरफ आँख से इशारा कर के आँख दबा दी तो मैं भी फरी की बात समझ के हल्का सा मुस्कुरा दिया और पानी मैं उतार गया

थोड़ी देर तक मैं अबू क साथ मिल के नहाता रहा और फरी अब भी बिना दुपट्टे के रूम से बाहर पड़ी चारपाई पे अपने पावं लटका के बैठी हुमारी तरफ ही देख रही थी

हम दोनो नहा के बाहर निकले तो अबू ने ट्यूब वेल बंद कर दिया और अपने क़मीज़ उठा के पहन ली तो मैं भी रूम मैं गया और अपने कपड़े पहन के बाहर आ गया

तब तक अबू कहीं खेतों की तरफ जा चुके थे

मैं फरी के पास बैठ गया और बोला यार कयूं अबू को परेसान कर रही हो और यह क्या चाल रहा है आपके दिमाग मै.....

हो तो फरी ने कहा भाई अब मेरे अंदर इतनी बर्दाश्त नहीं रही है की मैं ज़्यादा बर्दाश्त करूँ कयुँकि जब तक मैने पूरा मज़ा नहीं लिया था किसी ना किसी तरह बर्दाश्त कर रही थी

लेकिन अब नहीं कर सकती और इस के लिए तुम्हारे साथ के लिए , तुम्हारे प्यार के लिए मुझे जो कुछ भी करना पड़ेगा करुँगी और तुम्हे मेरा साथ देना होगा

मैं फरी की तरफ देखता रहा और फिर एक आह भर के हाँ मैं सर हिला दिया
जब अबू को गये हो काफ़ी देर हो गई और वो वापिस नहीं आए तो मैं थोडा परेशान हो गया और बाजी से बोला यार बाजी अबू अभी तक कयूं नहीं आए

बाजी मेरी बात सुन के हंस पड़ी और बोली अरे मेरे भोले भाई आज अबू ने जो कुछ और जितना भी देखा है वो अबू को कहीं आराम से थोडा ही बैठने दे रहा होगा ज़रा सबर करो अभी खुद ही आ जायेंगे

बाजी की बात तो काफ़ी हद तक ठीक ही थी कयुँकि अगर फरी की जगह कोई और लड़की होती और अबू के सामने इस तरह अपने आप दिखती तो मुझे यक़ीन था की अबू अब तक बिना कुछ सोचे समझे और बिना किसी की परवा किए अब तक 2 3 बार उसकी फुददी मार चुके होते

लेकिन मसाला फरी का था जो की उनकी की सग़ी और बड़ी बेटी थी जिस की उन्हें समझ आ भी रही थी और नहीं भी

मुझे इन सोचों मैं गुम देख के बाजी ने कहा क्या बात है भाई कहाँ गुम हो तो मैं बाजी की बात सुन के चौंक सा गया और फिर बाजी की तरफ देख के मुस्कुराने लगा और बोला कुछ नहीं बाजी भला मैं अब क्या सोचोंगा अब आप ही बता दो की आगे क्या सोचा है अपने

पता नहीं भाई यह अच्छा जी या बुरा .. पर अब मेने सोच लिया है.. तुम्हारे और हमारे रिश्ते को कायम रखना है... कल जो तुमने कहा था ... की तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो...

हाँ भाई मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ ... और इसकी लिए.. इसको कायम रखने के लिए मुझे ..चाहे.. बाजारू औरत भी बनना पड़े तो बनुगी...
तुम्हरी कल की बातें मेरे दिल को छु गयी भाई जान..... बस तुम मुझे गलत मत समझ ना.. और इसी तरह प्यार करते रहना ....
मेने बाजी की आखों मै एक अजीब से कसक देखी........
हाँ बाजी... मै सच मै आपसे भुत प्यार करता हूँ... और तुम्हरी लिये..अपनी जान भी दे सकता हूँ...


बाजी ने कहा जो कुछ मैने सोचा है उस मैं तुम्हारा कोई काम नही है.. बस तुम जो मै कहूँ वो करो...


कयुँकि अगर तुम यहाँ खेतों मैं रोज़ाना आने लग गये और सारा सारा दिन यहाँ ही गुज़रोगे तो बात नहीं बनेगी इस लिए अब तुम्हे चाहिए की 2 3 दिन तक घर मैं ही रही यहाँ मत आया करो ओक

मैने हाँ मैं सर हिला दिया और बोला ठीक है बाजी मैं यहाँ नहीं आया करूँगा लेकिन घर पे अकेला पड़ा बौर हो जाओंगा दिल ही नही लगेगा मेरा कयुँकि अब आप भी घर पे नहीं होती हो

बाजी मेरी बात सुन के हंस दी और बोली भाई आप ऐसा करो की किसी ना किसी तरह 2 3 दिन गुज़ारा करो तब तक मुझे उमीद है की मैं अबू को सेट कर लुंगी

फिर तुम भी यहाँ हमारे साथ ही रहा करना

मैने बुरा सा मुह बनाया और ओक बाजी बोलता हुआ घर की तरफ चल दिया

कयुँकि बाजी की बात भी ठीक ही थीकी अगर हमें मज़ा करना है तो उसके लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा ना घर पंहुचा तो

दुपेहर के 11 बज रहे थे और अम्मी सामने बरामदे मैं हीबैठी थी जो की मुझे देखते ही मुस्कुरा दी और बोली आ गया मेरा लाल कहाँ गया था तो इतनी सुबह

मैने अम्मी की बात सुन के ज़रा खुश्क लहजे मैं ही जवाब दिया खेतों मैं गया था

और इतना बोलते ही अपने रूम मैं जा घुसा इस से पहले की अम्मी कोई और बात शरू करती मैं रूम में आ गया और अपनी चारपाई पे लेट गया तो

अम्मी भी मेरे पीछे ही मेरे रूम मैं आ गई और आते ही मेरे पास खड़ी हो के मेरी तरफ घूरने लगी और थोड़ी देर ऐसे ही घूरने के बाद अम्मी ने कहा विकी बेटा लगता है तो ने अभी तक अपनी मा को दिल से माफ़ नहीं किया है

मैने भी अम्मी की आँखों मैं झाँका और बोला अम्मी आप को ऐसा कयूं लगता है की मैं आप से नाराज़ हूँ

अम्मी जो की अभी तक खड़ी हुयी थी मेरे साथ ही चारपाई पे बैठ गई और अपना एक हाथ मेरे बलों मैं घूमने लगी और बोली

देख बेटा ग़लती इंसान से ही होती है और मैं भी तो इंसान ही हूँ तेरी मा हूँ तो क्या हुआ लेकिन अगर तू मुझे कोई सज़ा देना चाहता है तो बेटा मैं उस क लिए भी तैयार हूँ

लेकिन बस तो अपनी मा के साथ अब अपनी नाराज़गी ख़तम कर दे मैं अब तुझे अपने साथ नाराज़ नहीं देख सकती

अम्मी की बात सुन क अचानक मेरे दिमाग मैं ख्याल आया की अम्मी तो मेरे साथ सिर्फ़ इस बात से ही नाराज़ हैं ना की , फ़रीदा ने मेरे और बाजी के बारे शक मैं डाला था

इस लिए तो नहीं की मैने उन के साथ भी मस्ती की कोशिश की थी ये सोच आते ही मेरे जिस्म मैं झुनझुनाहट सी होने लगी की अम्मी सिर्फ़ मेरे और फरी बाजी क बारे सुन के नाराज़ होई थी और ये सारा तमाशा हुआ था बाकी जो मस्ती मैने अम्मी क साथ की थी उन्होंने उस बारे मैं कोई बात नहीं की थी

मुझे सोच मैं डूबा देख के अम्मी मेरे ऊपर झुकी और मेरे माथे पे किस कर के फिर सीधी बैठ गई और बोली क्या सोच रहा है मेरा बच्चा

मैने अम्मी की तरफ देखा और हल्का सा मुस्कुरा दिया और साथ ही अम्मी की तरफ करवट ली और अपना एक हाथ अम्मी की साइड से निकल के रनो पे रख के हल्का सा सहला दिया और बोला नहीं
अम्मी भला मैं आप से किस तरह नाराज़ हो सकता हूँ वो तो आप ही मेरे साथ नाराज़ हो गई थी

इतना बोलते ही मैने अपने हाथ से अम्मी को रान को भी दबा दिया तो अम्मी ने एक बार मेरी तरफ और फिर मेरे हाथ की तरफ जो के उनकी राणो पे था देखा और मुस्कुराने लगी

अम्मी की तरफ से कोई गुस्सा ना देख के मेरा होसला भी बढ़ गया और मैं अपने हाथ को अम्मी की राणो पे ऊपर नीचे आहिस्ता से घूमते हो बोला अम्मी आप बहुत खूबसूरत हो

अम्मी...विक्की बेटा हर बेटा अपनी मा को दुनिया की सब से खूबसूरत औरत समझता है ये कोई नयी बात तो नहीं है

मैं... नहीं अम्मी मैं सच बोल रहा हूँ की आप बहुत ज़्यादा प्यारी हो और ऊपर से इतना प्यार भी करती हो

अम्मी... मेरे हाथों की हरकत जो की उन्हें अब सॉफ बता रही थी की मैं अपनी मा को किस नज़र से देख रहा हूँ

देखो बेटा हम मा बेटा हैं और हर मा अपने बेटे को ऐसे ही प्यार करती है लेकिन उस की कोई लिमेट भी होती है

ये नहीं की अगर मा बेटे से प्यार करती है तो बेटा जिस तरह मर्ज़ी अपनी मा से फाइयदा उठाने की सोचे या अपनी मा को बिना वजह तंग करे

मैं....अम्मी के क इस तरह समझने से समझ गया की अम्मी को मेरा इस तरह उनके साथ करना अच्छा नहीं लग रहा था तो मैने अपना हाथ हटा लिया और थोडा रौखे लहजे मैं बोला

लेकिन अम्मी मैं तो समझा था की जब आप किसी से प्यार का दावा करते हैं तो उस की हर जायज नाजायज बात को भी मानते हैं
कयुँकि प्यार तो क़ुर्बानी माँगता है जो हर कोई नहीं दे सकता (मेने सोचा..मेरी फरी बाजी दे रही हैं अपने जिस्म की कुर्बानी )

अम्मी...हाँ बेटा तुम्हारी बात ठीक है लेकिन जिस प्यार की तुम बात कर रहे हो वो प्यार एक मा बेटे और बहिन भाई मैं नही हो सकता कयुँकि हमरा समाज इस बात की इजाज़त नहीं देता

मैं... लेकिन अम्मी ये मसवरा या बिरदरी कौन सा हमारे साथ हमारे घर मैं हर वक़्त रहती है

जो उन्हें कोई तकलीफ़ होगी हमारे प्यार बहारे घर की

अम्मी... हेरनी से मेरी तरफ देखते हो बोली देखो बेटा मैं नहीं जानती की क तुम क्या चाहते हो और कयुँकि लेकिन एक बात जो मैं जानती हूँ और जहाँ तक समझ सकती हूँ

वो ये है की बेटा अब तुम कोई बचे नहीं रहे बड़े हो गये हो और अब तो गावँ से निकल के बड़े शहरों मैं जाते हो पढ़ने के लिए तुम्हे तो हम से ज़्यादा इस बात का पता होना चाहिए .

ये दुनिया किसी को भी अपनी मर्ज़ी और आज़ादी से जीने नहीं डटी है

बड़ी ज़ालिम है ये दुनिया बेटा और इतना बोल के खड़ी हो गई और इस से पहले की मैं कुछ बोलता रूम से निकल गई

अम्मी के जाने के बाद मैं अम्मी से हुयी बातों को सोचने लगा और पता नहीं कयूं मेरा दिल गवाही देने लगा की अगर मैं थोड़ी सी हिम्मत करूँगा तो अम्मी के साथ जो मर्ज़ी कर लूँ

वो मुझे मना नहीं करेगी और ये सोच ऐसी थी की मेरा पूरा जिस्म अंजनी सी ख़ुशी और मज़े से लर्ज़ उठा और मैने फ़ैसला कर लिया क चाहे कुछ हो जाए मैं कोशिश ज़रूर करूँगा

मैं इन ख्यालों मैं ही गुम था की फ़रीदा बाजी मेरे रूम मैं आ गई खाना ले कर लेकिन बाजी का सर झुका हुआ था और वो मेरी तरफ नहीं रही थी और मैं था की बाजी को ऊपर से नीचे तक घूर रहा था

थोड़ी देर बाजी खाना हाथ मैं पकड़े खड़ी रही और फिर फंसी हुयी से आवाज़ मैं बाजी बोली ,,

वो भाई खाना खा लो

मैने बड़े रूखे से अंदाज़ मैं कहा की खाना लाई हो मेरे लिए

आप को तो मेरे लिए कोई ज़हर लाना चाहिए था की जिसे खाके मैं मर सकूँ कयुँकि जो इल्ज़ाम अपने मुझ पर और अपनी बड़ी बहिन लगाया है उसके बाद तो हमारा ज़िंदा रहना भी जायज़ नहीं रहा .

फ़रीदा बाजी ने अपना झुका हुआ सर उठाया तो मैने देखा की उनके होंठ लहरा रहे थे और आँखें थी की खुदा की पनाह पता नहीं बाजी को कितनी मुश्किल हो रही थी अपने आँसू रोकने मैं और बाजी की आँखों से लग रहा था की पता नहीं कब से रोती रही हैं

कयुँकि बाजी की आँखें लाल हो रही थी उस वक़्त , बाजी की ये हालत देख के मेरा दिल पासीज गया

और मैं जल्दी से चारपाई से नीचे उतार के बाजी के पास खड़ा हो गया और उनके हाथ से खाना ले के चारपाई पे रखा और बाजी से कहा बाजी आप जाओ और हाथ मुँह धो लो,

देखो तो क्या हालत बना रखी है अपने अपनी

बाजी ने एक बार फिर से मेरी तरफ देखा और फिर कुछ बोले बिना ही तेज़ी क साथ रूम से निकल गई तो मैं फिर से चारपाई पे बैठ गया और खाना खाने लगा और साथ ही फ़रीदा बाजी की हालत पे ध्यान देने लगा तो मुझे एहसास हुआ की फ़रीदा अपने किए पे इतनी शर्मिंदा है की बेचारी मैं अब इतना होसला भी ना बचा क वो किसी क सामने आँख उठा के बात भी कर सके

खैर मैने खाना ख़तम किया ही था की फ़रज़ाना रूम मैं आ घुसी और आते ही बोली

भाई अपने ने क्या बोला मेरी इतनी प्यारी सी बाजी को . वो रात को भी रोती रही हैं और अभी आप के रूम से भी रोती हुयी निकली हैं

मैने फ़रज़ाना की तरफ देखा जो की सीना ताने मेरे सामने खड़ी थी और उस का ये अंदाज़ , मेरे अंदर के शैतान को जगाने लगा तो
मैने जल्दी से कहा ज़्यादा बताईं नहीं करो और ये बर्तन उठा के ले जाओ और जा के अपनी बाजी फ़रीदा से खुद ही पूछ लेना की मैने उन्हें कुछ कहा है या नहीं

फ़रज़ाना मुझे बुरी तरह घुरती हुयी बर्तन उठा के चल दी और दरवाजे मैं जा के खड़ी हो गई और बोली देख लेना भाई अगर आप ने बाजी को कुछ बोला होगा ना तो

मैं आप को छोडूंगी नहीं
मैने भी उस को देखते ही मज़ाक मैं कहा यार तुम ऐसा करो की मुझे अभी पकड़ लो बाद मैं अपनी बाजी से पूछ के भी तो मुझे ही पकड़ोगी ना और तो कहीं ज़ोर चलता नहीं है न तुम्हारा बस एक मै ही हूँ

फ़रज़ाना मुझे घूरती हुयी बर्तन ले के चली गई तो मैं अपने आप पे लानत करने लगा की

आख़िर मुझे ये होता क्या जा रहा है की मैं अपनी बड़ी बहिन के साथ तो जो कर ही चुका था

मना की ग़लत था लेकिन वो हो चुका था और अब मैं अपनी अम्मी और बहनों को भी अपनी गंदी नज़रों से देखने लगा था जिस क लिए मेरा मुर्दा ज़मीर मुझे लानत करने लगा
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Re: चुदाई घर बार की

Post by Jemsbond »

खैर 2 3 दिन इसी तरह अम्मी के साथ ही हल्का फूलका मज़ाक करते हो गुज़र गये जिस ,मैं मैं कभी बैठ हुयी हो अम्मी के साथ चिपक के बैठ जाता और कभी उनके जांघों पे सर रख के बातें करने लगता और

कभी मोका मिलता तो उनकी की गांड को भी टच करने की कोशिश करता और जब मैं ये सब करने की कोशिश करता तो मेरा लण्ड मेरे कंट्रोल मैं नहीं रहता और खड़ा हो जाता

जिसे मैं अब छुपाने की कोशिश भी नहीं करता रात को मैं ऊपर चला जाता सोने की लिए तो बाजी भी ऊपर ही सोने आती
जहाँ थोड़ी देर गप सप के बाद हम सो जाते इसी तरह 4 दिन गुज़र गये और 5वेन दिन जब शाम को बाजी घर आयी

तो बड़ी खुश नज़र आ रही थी और मुझे लग रहा था की जेसे बाजी के पावं खुशी के मारे ज़मीन पे ना लग रहे हैं
खैर रात को जब बाजी सोने क लिए ऊपर आयीं तो मैं .आँखें बंद किए लेटा हुआ था बाजी ने आते ही मुझे हिला दिया और जेसे ही मैने अपनी आँखें खोली तो बाजी ने मुझे एक किस करी और फिर बाजी ने कहा भाई जान तुम ने कल खेतों पे आना है

मैने बाजी की तरफ देखा और ज़रा नाराज़गी का इज़हार करते हुए बाजी को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की कयुँकि बाजी मेरे ऊपर ही गिरी हई लेट गई थी और बोला

मेरा वहाँ क्या काम बाजी ने हंसते हो कहा ये तो जब तुम आओगे तब ही बताउंगी की मुझे क्या काम है
तुम्हारे साथ खेतों मैं और मेने अपना प्यार के लिये तुम्हें पाने के लिये... बो सब कुछ कर दिया भाई जान... फिर से एक किस करने के बाद अपनी चारपाई पे जा के लेट गई

जो की अब मेरी चारपाई से ज़रा फ़ासले पे बिछा करती थी और

मैं बाजी के जाते ही हैरान होक सोचने लगा की आख़िर ऐसी क्या बात है जो बाजी अभी नहीं बता रही है और खेतों मैं आने को बोल रही है

बड़ी मुश्किल से रात गुज़री और सुबह किसी के हिलाने से ही मेरी आँख खुली तो देखा की बाजी ही थी जो मुझे उठा रही थी

मैने जल्दी से अपनी आँखें खोली और बाकी की तरफ देखा तो बाजी ने आहिस्ता से कहा की 9 बजे के बाद ही आना खेतों मैं कहीं ये ना हो की अभी भागते निकल पडो.

मैं बाजी की बात को समझ तो गया लेकिन पूरी तरह नहीं लेकिन फिर भी मैने हाँ मैं सर हिला दिया तो

बाजी ने कहा की अभी मेरे जाने के बाद तुम भी नीचे आ जाना और अपने रूम मैं सो लेना जितना सोना है और इतना बोल के मेरी गालों पे किस किया और नीचे चली गई
बाजी के जाने के कोई 7 8 मिनट के बाद ही मैं भी उठा और नीचे की तरफ चल दिया और अपने रूम मैं आ के लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा

लेकिन अब नींद नहीं आ रही थी तो मैं ऐसे ही इधर उधर करवट बदलता रहा लेकिन उठा नहीं जब तक अम्मी ने मुझे उठ के नाश्ता करने क लिए बोला नहीं

मैं उठा और बाहर बने गुसलखाने मैं नहाने चला गया और अच्छी तरह नहा के वापिस आया तो अम्मी ने मुझे कहा बेटा तुम ऐसा करो की रूम मैं ही बैठो
मैं अभी थोड़ी देर मैं नाश्ता लाती हूँ तो मैं भी बिना कुछ बोले रूम मैं आ के बैठ गया और नाश्ते का इंतजार करने लगा जो की अम्मी ही लाई और मेरे सामने रख दिया तो मैने अच्छी तरह पराठों के साथ रात की बची हुयी सब्ज़ी और साथ मै ताजे मख़्कन का जा झूब जम के नाश्ता किया और फिर लस्सी पी के बर्तन साइड मैं कर दिए तो अम्मी ने कहा बेटा आज क्या बात है तुम बस खामोशी से नाश्ता ही करते रहे कोई बात नहीं की मेरे साथ सब ठीक तो है ना

मैने अम्मी की तरफ देखा और मुस्कुरा के बोला जी अम्मी सब ठीक है बस भूख बड़े ज़ोरों की लग रही थी जिस वजाह से नाश्ते मैं मगन होके
आप से कोई भी बात नहीं कर सका

अम्मी खुश हो गई और बोली क्या और बनाऊं नाश्ता तेरे लिए अगर भूख अभी भी लग रही हो तो , मैने इनकार मैं सर हिला दिया और बोला नहीं अम्मी अब गुज़ारा हो गया और वेसे भी अभी खेतों की तरफ निकलूंगा तो तरबूज़ खा लूंगा

उस के लिए भी तो थोड़ी जगाह बचा के रखनी है की नहीं तो अम्मी मेरी बात सुन के हंस दी और बोली विकी तू ना अब दिन बे दिन शैतान होता जा रहा है पहले तो ऐसा नहीं था क्या बात है हूउऊउन्न्ं

कुछ नहीं अम्मी बस अब पहले से ज़रा ज़्यादा बड़ा हो गया हूँ ना तो अब बताईं और काम भी बड़े करने को दिल चाहता है इस लिए आप को लग रहा है की मैं बदल गया हूँ

अम्मी मुझे अजीब नज़रों से देखती हुयी बर्तन ले क चली गई तो मैं भी वापिस लेट गया और 9 बजने का इंतज़ार करने लगा
जिस मैं अभी इतना भी टाइम नहीं बचा था और तब तक मैं बाजी की बातों पे जो रात हुयी थी गौर करता रहा और सोचता रहा की आख़िर बाजी ने मुझे खेतों मैं कयूं बुलाया है की

तभी मेरे दिमाग मैं बिजली की तरह एक ख्याल आया की कहीं बाजी ने अबू के साथ भी अपना काम कर तो नहीं लिया क्यंकि बाजी कह रही थी तुम्हें पाने की लिये.. मेने वो कर लिया ...

ये ख्याल बड़ा ही फरहत अंगीज़ था मेरे लिए कयुँकि इस से अबू की हममे कोई पेशानी नहीं रहती और मेरा जब भी दिल करता मैं बाजी के पास खेतों मैं जा सकता था और बाजी के साथ जी भर के मज़े कर सकता था

खैर 9 बाज ही गये और मैं उठ के घर से निकल पड़ा खेतों की तरफ और जब मैं खेतों मैं पहुंच तो देखा की अबू और फरी बाजी एक साथ ट्यूब वेल मैं नहा रहे थे

और एक दूसरे पे पानी भी उछाल रहे थे और जब अबू की नज़र मेरे ऊपर पड़ी तो वो जेसे ख़ासिया से गये और फरी से थोड़ा हटके नहाने लगे तो बाजी ने मेरी तरफ्र देखते हो कहा भाई तुम भी आ जाओ ना देखो कितना मज़ा आ रहा है नहाने मैं

मैने हाँ मैं सर हिलाया और रूम की तरफ चल दिया जहाँ से मैने फरी का दुपटा उठाया तो देखा की

उसमें उसकी काली ब्रा भी दुपते के साथ ही चारपाई पे पड़ी हुयी है तो

मैं समझ गया की फरी अभी अबू के साथ बिना ब्रा के ही पानी मैं नहा रही है तो मैने भी कपड़े उतार दिए और फरी बाजी के दुपट्टे की लूँगी बाँध ली और बहार आ के पानी मैं घुस गया

थोड़ी देर तक अबू मेरे साथ नज़र नहीं मिला पा रहे थे लेकिन मैने उन की तरफ ना तो तंज़िया निगाहों से देखा और ना ही कुछ ऐसा शो किया की जैसे मैं उन्हें अजीब सी निगाहों से देख रहा हूँ बस नॉर्मल जेसे रूटीन मैं बात करते हैं हम बाप

बेटा वैसे ही बातें और हँसी मज़ाक करते और एक साथ नहाते रहे तो अचानक मैने देखा की अबू को फरी ने कुछ इशारा किया तो अबू जल्दी से बोले

हाँ विकी याद आया तुम लोग नहाओ मुझे ज़रा साथ के खेतों मैं काम है मैं वहाँ से हो के अभी आता हूँ और बहार निकल कर अपनी क़मीज़ उठाई और पहन के चले गये

तो बाजी ने मेरी तरफ देखा और बोली की भाई रूम मैं बैठ के बातें करते हैं या फिर यहीं इरादा है बातों का

मैने भी फरी बाजी की तरफ देखा और फिर उन का हाथ पकड़ लिया और बोला रूम मैं ही चलते हैं और बाजी के साथ पानी से निकल के ट्यूब वेल को बंद किया और रूम की तरफ चल पड़ा

रूम मैं आया तो बाजी खड़ी मेरा ही इंतज़ार कर रही थी तो मैं भी बाजी के पास गया और बोला बाजी अबू को आप ने कहाँ भेजा है तो बाजी ने कहा की भाई अबू के सामने ही करना था क्या
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