चुदाई घर बार की complete

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Jemsbond
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Re: चुदाई घर बार की

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बाजी ने मुझे इस तरह घूरता देखा तो हल्का सा मुस्कुरा दी और बोली

चलो भाई तुम, ऐसा करो रूम मैं मेरी चादर पड़ी है वो ही बाँध लो नहाने क लिए कपड़े गीले नहीं करना.

मैं खामोशी से बाजी की बात मान गया और रूम मैं जा के कपड़े उतार दिए और बाजी की चादर जो वो घर से

ओढ़ के आयी थी बाँध के बाहर निकल आया तो

देखा की बाजी पानी मैं बैठी अपने आप को भिगो रही थी

मैं भी पानी मैं आ गया और अभी बैठने ही लगा था की बाजी खड़ी हो गई और

मैं बाजी को देख के अपना होश खोने लगा कयुँकि उस वक़्त सच मैं ऐसा लग रहा था की........

बाजी ने कपड़े नहीं पहने हो और नंगी ही मेरे साथ नहा रही है तो

मेरा लण्ड, जो की पहले ही थोडा सा टाइट हो चुका था फुल हार्ड हो गया

जिससे की मेरी धोती मैं तंबू सा बन गया

जिसे बाजी ने बड़े गौर से देखा और साथ ही हल्का सा मुस्कुरा दी और

पानी को अपने हाथों से उठा के मेरी धोती पे फैंकने लगी जिस से मेरी धोती गीली हो गई जिस से मेरे लण्ड का पूरा आकर बाजी को नज़र आने लगा तो मैं जल्दी से पानी मैं बैठ गया

तो बाजी हहेहहे कर के हंस दी

अब मेरा सबर भी ख़तम होने लगा था तो मैं भी बोल ही पड़ा की

बाजी आख़िर आप मेरे साथ ऐसा कयूं कर रही हो


बाजी ने मेरी आँखों मैं देखते हो बड़े बे झिझक अंदाज़ मैं कहा, कयुँकि

मैं बाहर जाके बदनाम नहीं होना चाहती और अब ज़्यादा बर्दाश्त भी नहीं कर सकती



बाजी की बात ने मुझे दोराहे पे खड़ा किया था

और लण्ड था की फुल टाइट था बाजी की चूत मैं घुसने को

लेकिन दिमाग था की बोल रहा था की नहीं ये ग़लत है गुनाह है हम बहिन भाई हैं

बाजी ने मुझे सोच मैं डूबा देखा तो थोडा मेरे पास आ गई और मुझे अपनी तरफ खींच के सीने से लगा लिया

तो बाजी की मस्त बड़ी बड़ी मुलायम चूचियां मेरी छाती से आ लगी जो की मुझे पागल करने लगी

और मैं कुछ भी सोचने के क़ाबिल ना रहा और बाजी से लिपट गया
और बाजी की गर्दन पे हल्की सी किस भी कर दी ,

मेरी किस से बाजी समझ गई की अब मेरी तरफ से कोई इनकार नही है

तो बाजी ने कहा भाई कयूं ना हम रूम मैं चले
यहाँ वैसे तो कोई आता नहीं है लेकिन फिर भी रूम मैं ठीक रहेगा

मैं कुछ नहीं बोला तो बाजी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपने साथ रूम मैं ले गई

और मैं सर झुका के बाजी के पीछे रूम मैं आ गया

रूम मैं आते ही बाजी ने एक चताई नीचे बिछा दी कयुँकि चारपाई तो पहले ही बाहर थी

और उसके बाद मेरे साथ लिपट गई और मुझे किस करने लगी कभी बाजी मेरे मुँह मैं अपनी ज़ुबान घुसा के चुस्ती कभी मेरी ज़ुबान चूसने लगती बाजी की हर अदा और हरकत मैं एक वहशत सी थी जो की बाजी के साथ मुझे भी होश से बेगाना करती जा रही थी

किस करते हुए बाजी का हाथ मेरे हाथ पे आया और

फिर बाजी ने मेरे हाथ को पकड़ के अपनी चुचिओं जो की साइड से गीले हो थे पे रख के हल्का सा दबा दिया

तो मैं समझ गया की बाजी क्या चाहती है

तो मैने अपना हाथ बाजी की चूचियों पे रख केहल्के से दबाना और सहलाना शरू कर दिया तो

बाजी ने अपना हाथ मेरे हाथ से हटा लिया और नीचे कर के अचानक मेरी धोती मैं घुसा के

मेरे लण्ड को अपनी मुठी मैं जकड लिया

तो मेरा हाथ जो की बाजी की चूचियों पे था खुद ही सख़्त हो गया और मैने बाजी की चूचियों को ज़ोर से दबा दिया

अब हम दोनो बहिन भाई एक दूसरे से लिपटे किस कर रहे थे

और साथ ही मैं बाजी की चूचियों से खेल रहा था दबा रहा था और

बाजी मेरे लण्ड को सहला रही थी के थोड़ी देर बाद बाजी ने मुझे अलग किया और प्यासी नज़रों से

मेरी धोती मैं खड़े मेरे लण्ड की तरफ देखने लगी तो पता नहीं कहाँ से मेरे अंदर इतनी हिमत आ गई की

मैने खुद ही बाजी के बोले बिना ही अपनी धोती निकल दी और बाजी क सामने नंगा हो गया

बाजी मुझे नंगा देखते ही खुश हो गई

और एक बार मेरी आँखों मैं देखके नीचे बैठ गई और मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी मैं पकड़ के हिलने लगी
और फिर अपने हौंठों के साथ रगड़ने और चूमने लगी

बाजी का इस तरह से मेरे लण्ड को सहलाना और चूमना चाटने मुझे इतना अच्छा लगा की

मज़े से मेरे मुह से आअहह बाजिीइईईईईईईईईईईईईईई उनम्म्मह अप बहुत अच्छी हूऊऊऊऊ की आवाज़ निकल गई

अब बाजी ने अपना मुँह खोला और मेरे लण्ड का सूपड़ा को अपने मुँह मैं भर को चूसने लगी

लोली पोप की तरह

जिस से मैं आआहह बाजिीइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ऊऊहह

ये क्या कर रहियीईईईईईईईईईईईईई हो उनम्म्मह बाजिीइईईईईईईईईईई बहुत मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईईईईईईईई

मैं गया बाजिीइईईईईईईईईईईईई मेरा निकालने वाला हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

लेकिन बाजी मेरी कोई बात नहीं सुन रही थी और बड़े प्यार से मेरे लण्ड के सुपाड़े को चूसे जा रही थी की तभी

मेरे लण्ड ने झटका खाया और सारा पानी बाजी के प्यारे से मुँह मैं गिरा दिया जिसे बाजी बड़े मज़े से चाट गई


फारिग होने के द बाजी से अपना लण्ड छुडवा के नीचे चटाई पे लेट गया

और अपनी आँखों को बंद कर के लंबी साँस लेने लगा

कोई 3 4 मिनट के बाद

बाजी ने फिर से मेरे लण्ड और नीचे को हाथ से सहलाना शरू किया और साथ ही मेरे साथ थोडा सा

मेरे सीने ऊपर अपनी छाती को रगड़ के लेट गई तो मुझे बाजी की चूची नंगे महसूस हुयी हो तो

मैने अपनी आँखों को खोल दिया और बाजी की तरफ देखा जो की
मुझे कमर से ऊपर जितनी भी नज़र गयी नंगी ही थी और बाजी की चूची मेरे सीने से रग़ड खा रहे थे


ये नज़ारा देखते ही मेरे लण्ड मैं फिर जान आना शरू हो गई तो

बाजी थोड़ा ऊपर हुयी और मुझे किस करने लगी और साथ ही मेरे लण्ड को भी सहलाने लगी उस वक़्त बाजी की आँखें लाल हो रही थी और बाजी का जिस्म जैसे आग बना हुआ था

बाजी के हाथ की नर्मी और जिस्म की गर्मी ने मेरे लण्ड को फिर से खड़ा कर दिया तो बाजी साइड मैं हो के लेट गई तो मैं उठा

और बाजी चूचियों को अपने हाथ और मुँह से सहलाने और चूसने लगा तो बाजी के मुँह से आआहह उनम्म्मह विकी मेरे भाईईईईईईईईईईईई देखो कब से तड़प रही हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई तेरी बहिन उनम्म्मह

भाईईईईईईईईईईईईईईईई और मस्लो मेरे मौम्मूँ कूऊऊऊऊऊ आअहह अच्छा लग रहा है

भाईईईईईईईईईईईईईईई की सिसकियाँ निकालने लगी

बाजी की सिसकियाँ सुनके

मैं भी गरम होने लगा और अपना हाथ बाजीकी चूची से हटा के नीचे अपनी बड़ी बहिन की चूत पे रख दिया जो की पूरी तरह गीली हो चुकी थी अपने ही पानी से और गरम इतनी हो रही थी की जैसे कोई तनौर हो

मेरा हाथ जैसे ही बाजी की चूत से लगा बाजी के मुँह से आआहह निकली

भाई देखो कितनी तड़प रही

अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा मुझ से

कुछ करो भाईईई पल्ल्ल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ नैईईईई तो मैं मर जाओं गििईईई भाईई
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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Jemsbond
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Re: चुदाई घर बार की

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मैं भी बाजी की हालत देख रहा था

वो किस तरह हवस की आग मैं जल रही हैं और उठके बाजी की टाँगों को पूरी तरह खोल के जाघों दरमियाँ मैं आ बैठा
और फिर अपने लण्ड को थूक से पूरी तरह गीला किया और बाजी की चूत पे रख दिया

जो की अपने ही पानी से बुरी तरह गीली हो रही थी

मैने बाजी की चूत से लण्ड लगते ही थोडा से दबया तो मेरा लण्ड थोड़ा सा बाजी की चूत मैं फिसल ने लगा

पर घुसनेने का नाम नहीं ले रहा था. बहुत तिघत चुत थी बाजी...
फिर मेने ..अपना लंड बज्जी की चुत के मुह पे रख के बाजी के मुँह से सस्सिईईईईईईईईईईईई की हल्की आवाज़ निकल गई
लेकिन बाजी ने कुछ नहीं बोला तो

मैने अपनी पकड़ को बाजी पे मजबूत किया ही था की
बाजी ने कहा हाँ भाई एक ही झटके मैं घुसा डालो पूरा जब तक तक काम ख़तम ना हो जाए

मेरी कोई परवा नहीं करना पल्ल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़

मैने हाँ न मैं सर हिलाते ही पूरी ताक़त का झटका दिया कि बाजी भी पूरा साथ दे रही थी और

बाजी ने अपना जिस्म भी ढीला छोड़ रखा था तो झटका लगते ही मेरा लण्ड अपनी बड़ी बहिन की चूत को खोलता हुआ पूरी ताक़त से बाजी की चूत मैं जड़ तक घुस गया

लण्ड घुसते ही बाजी की आवाज़ जैसे रुक सी गई और आँखें खुल सी गईं

और फिर कोई 5 १० सेक के बाद अचानक बाजी के जिस्म मैं हरकत सी हुयी और बाजी के मुह से आआईयईईईईई म्म्म्माआमैं मार गैिईईई ऊऊहह विकी पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़

मुझे नहीं करवाना नहीं चुदवाना ...

कुछ भी... बहार निकल जल्दी से अपना लंड ऊऊऊऊओ .. निकालो अपना लण्ड आऊओह

कामीने बहार निकाल लूऊऊऊऊऊऊऊऊ की आवाज़ क साथ ही बाजी की आँखों से पानी निकालने लगा


मेरे दिल मैं एक बार तो ये आया की मैं अभी अपना लण्ड बहार निकल लूँ लेकिन

फिर जैसा की बाजी ने कहा था मैं अपना लण्ड घुसाके बाजी को मज़बोती से पकड़ के लेता रहा और कोई हरकत ना की.
थोड़ी देर तक बाजी चिलाती रही और मुझ से अपने आप से छुड़वाने की कोशिश करती रही

लेकिन फिर आहिस्ता आहिस्ता शांत होने लगी

तो मैने भी अपने लण्ड को बाजी की चूत मैं हल्के से अन्दर बाहर करना शरू कर दिया जिस से बाजी के मुँह बस पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल

विकी आराम से करना बहुत दर्द हुआ हाईईईईईईईईई मेरी जान ,

अब मैं बाजी की चुत मैं अपने लण्ड को अंदर बहार करने लगा

और साथ ही अब बाजी की चूचियों को भी आहिस्ता से सहलाने और चूसने लगा जिस से बाजी एक बार फिर से मज़ा लेने लगी


और हाआंन्नणणन् विकिईईईईअब अच्छा लग रहा हाईईईईईई भाईईईईईई
बस इसी तरह आराम से करूऊऊऊओ ऊऊहह भाईईईईईईईईईईईईईईईई कितना अच्छा लग रहा हाईईईई मेरी

चूत मैं तेरा लण्ड ओह ....

ऊऔउन्न्ञनह की आवाज़ मैं सिसकियाँ भरने लगी और अपनी गांड को भी हल्का सा उछाल के मेरा साथ देने लगी

मेरा लण्ड बाजी की चूत मैं ऐसे जा रहा था की किसी चीज़ ने मेरे लण्ड को जकड रखा हो

लेकिन अगर बाजी की चूत अंदर से गीली नहीं होती तो बड़ी मुश्किल हो जाती,

चुत गरम ऐसे थी की मुझे लग रहा था की मेरा लण्ड पिघल जाएगा बाजी की चूत के अंदर ही.

अब बाजी ने अपनी टाँगों की क़ैंची सी बना ली मेरी कमर के गिर्द और अपनी गांड को हिला हिला के

मेरे हर झटके का साथ देने लगी और हाँ भाईईईईअब मज़ा मिल रहा हाईईईईई

थोडा तेज़ करूऊओ मेरा होने वाला हाईईईईई ऊओह भाईईईईईईईईईईईई उनम्म्मह की तेज़ आवाज़ों मैं चिल्लाने भी लगी जिस से मैं भी मज़े की मंज़िल के करीब पूछने लगा... था..

तभी बाजी का शरीर अकड़ने लगा ...और एक जोर की आवाज के साथ बाजी ..का शरीर ढीला पड़ गया ..बाजी अपनी सांसो को कन्टोल करने की कोसिस मै आखें बंद किये लेती रही ,,,

और मैं धक्के पे धक्के लगा के बाजी की मस्त गर्म ..बिना चुदी चुत का उदघाटन.. करने लगा

बाजी अपना एक बार चूत का का पानी निकाल चुकी थी . और अब थोड़ा शांत हो गई थी

जबकि मेरा चोदना अभी चालू था.

मेरा लण्ड जोर जोर से बाजी की चूत के अंदर बाहर जा रहा था ..

करीब ४-५ मिनट के बाद ही बाजी को फिर से मज़ा आने लगा ..

अब वो जोर से चिचलाने लगी .. बोली रीदा..ठीक ही कहती थी ... तेरे बही का लंड बहुत मोटा है...बहुत लंबा है ...
ओह मेरे भाई..आज तुने फाड दी अपनी बड़ी बहन की चुत... बहुत प्यासी थे... ओह्ह्ह

मेरे राजा भाई ..आज से मै तेरे गुलाम हो गयी ...ओह जोर से... कर मेरे बही... भुत मज़ा हेहेहेहे...

तो मने अपने होंठों को बाजी के होंठों पे रख कर उनके होंठों को चूसने लगा ..

बाजी ने अपनी जीभ बाहर निकाल दी ,,और मेरे मुँह के अंदर डाल की जिसे मैं बड़े प्यार से चूस रहा था

अब मैने बाजी की चूत मैं अपना लण्ड पूरी ताक़त से अंदर बाहर करना चालू कर दिया और

आआहह बाजी मेरा भी होने वाला हाईईईईईईईईईईईई उनम्म्मह बाजिीइईईईईईईईई

मेरा लण्ड अपना माल बाजी की चूत मैं डालने को तैयार था

मैं भी और तेज़ झटके मार मार के ८- १० मिनट बाद ही बाजी की चूत मैं... .अपना गर्म गर्म माल निकलने लगा .. मुझे लगा की बाजी भी दूसरी बार मरे साथ की झड रही है.. मुझे उनका ..गर्म गर्म माल अपने लंड उनकी चुत के अन्दर महसूस होने लगा ..

माल निकलने बाद मैं बाजी के ऊपर ही लेट गया तो

उस वक़्त बाजी अपनी आँखों को बंद किए लंबी लंबी भारी साँस ले रही थी

उनके चेहरे पे मुझे एक अजीब सी चमक और खुशी नज़र आ रही थी

जिसे मैं लफ़्ज़ों मैं बयान करना चाहों तो नहीं कर सकता.

थोड़ी देर बाजी के ऊपर रह कर मेने भी अपनी सॉंसों को कंटोल किया और अपनी बाजी को एक प्यार भरा किस देके , उनकी ही साइड मैं लैट गया .

थोड़ी देर तक हम दोनो बहिन भाई आराम से लेते रहे अपने अपने ख्यालों मैं गुम और एक दूसरे से बिना कोई बात किए

फिर बाजी ने ही अपनी आँखों को खोला और मेरी तरफ सर घुमा के देखा और हल्का सा मुस्कुरा दी और पूछी

भाई कैसा लगा.

तुमको मज़ा आया की नहीं .

मैं..... बाजी की बात से शर्मा गया और सर घुमा लिए दूसरी तरफ और बस बाजी.....जी... ही बोल पाया

विकी इधर देखो मेरी तरफ

मैं... बाजी की तरफ सर घुमा क देखते हो बोला जी बाजी

बाजी... भाई क्या बात है अब कयूं इतना शर्मा रहे हो अब तो जो होना था हो गया और अच्छा ही हुआ (स्माइल करते हए )

मैं... लेकिन बाजी फिर भी ऐसा नहीं होना चाहिए था

बाजी... देखो भाई तुम रीदा से मिल ही चुके हो और तुमको पता भी चल चुका है की उस का भाई नॉमी ना सिर्फ़ खुद अपनी बहिन के साथ करता है बल्कि और लोगों से भी करवाता है धन्धा

मैं... ठीक है बाजी

आप जो बोलोगी मैं आपको मना नहीं करूँगा लेकिन क्या आप भी रीदा की तरह मेरे अलावा दूरसे से करना चाहती हो

बाजी.... भाई एक बात तो अपने ज़हन मैं बैठ लो ,
जो भी हो मैं कोई बाज़ारी नहीं हूँ जो थोड़े से पैसों के लिए हर किसी के नीचे लेट जाओं

लेकिन ये भी नहीं की मेरा दिल नहीं चाहता की मैं एक साथ 2 से करूँ

मैं... तो फिर बाजी अगर आप बहार किसी और के साथ भी नहीं करना चाहती होतो फिर 2 लण्ड एक साथ किस तरह ले पाओ गी

बाजी... मेरी बात सुन क मुस्कुरा दी

बिक्की मेरे भाई .. तुने मेरी..तमना पूरी की... मेरे जिस्म की प्यास बुझाई... तुमने ही ..आज मुझे पहली बार चोदा है... मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ मेरे भाई... यह अहसान मै जिंदगी भर नहीं भुलुगी..मरे भाई..

बाजी आप भी ना... मुझे भी आप से बहुत प्यार ही बाजी... अब तक तो मेने सब..बाजारू औरतों के साथ किया था बाजी..
पर आज जो आपने मज़ा दिया है वो मेरे लिए अनमोल है..... मै कभी आपको किस बात के मना नहीं करूँगा..यह वादा है बाजी...


बाजी के बैठते ही बाजी के मुँह से हल्की से सीईईईईईईईईईई की आवाज़ निकल गई

तो मैं भी उठके बैठ गया तो

तब तक बाजी ने अपनी जांघों को खोल लिया था जहाँ जांघों के दरमियाँ बाजी की चूत नज़र आ रही थी

और उस मैं से निकलती मेरी मानी और बाजी की की चूत का पानी मिक्स हो के बहार निकल रहा था

और साथ ही बहुत सी खून निकला हो और उस की लाली भी नज़र आ रही थी

मैने ये सब देख के बाजी से पूछा

बाजी मैने तो सुना है की जब कोई लड़की फर्स्ट टाइम करवाती है तो बहुत ज़्यादा ब्लड निकलता है l चूत से

मैने बाजी की बात सुन के हाँ मैं सर हिला दिया और फिर उठ के अपनी धोती बँधी

और बाजी को भी उन के कपड़े पहना दिए और फिर बाजी को सहारा दे के बहार तलब मैं ले गया बाजी का पूरा बदन दर्द कर रहा था, उनसे चला भी नहीं जा रहा था.

फिर बाजी बोली ... बदन बहुत दर्द कर रहा है भाई.. पर यह सब किस को पता नहीं चलना चाहिये नहीं तो घर पे क़यामत आ जाएगी

मेने हाँ मै सर हिला दिया
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Re: चुदाई घर बार की

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जहाँ हम दोनो ने नहाके अपने आप को साफ़ किया और फिर बाजी को उठा के पास मैं चारपाई बिछाके लिटा दिया. और बाजी का सारा काम मै खुद करने लगा , जबकी बही तक मेने ..यह कुछ भी नहीं किया था

भेंसों को खोल के ले आया और उन्हें भी पानी पीला के और नहला के चारा डॉल दिया

इन सब कामों से फारिग होते मुझे कोई 2 घंटे लगे और फिर मैं वापिस आया और एक बार फिर से नहाया

कयुँकि मेरे जिस्म पे काफ़ी माटी लग चुकी थी और बाजी का दुपटा जिस की मैने धोती बाँध रखी थी उतार के अपने कपड़े पहन लिए और बाजी क पास गया तो देखा की बाजी अभी भी सो रही थी

सोते हई बाजी के चेहरे पे बड़ी प्यारी सी मुस्कान दौड़ रही थी जैसे किसी को दिली सकूँ मिलने के बाद नींद आती है


मैने बाजी को सोने दिया और रूम से चटाई उठा के ले आया और बाजी के करीब ही बिछाके उस पे लेट गया और अभी कुछ देर पहले जो हम दोनो बहिन भाई के बीच हुआ उस के बारे मैं सोचने लगा की

क्या अभी जो मैने किया है अपनी ही बड़ी बहिन के साथ क्या वो किसी भी मज़हब मैं जाइज़ है तो जवाब नहीं मैं आता

लेकिन फिर साथ ही ये भी ख्याल आता की मैने ये सब कर के अपनी बड़ी बहिन की ख़ुशी ही पूरी नहीं की बल्कि उसे जगह जगह मुँह मारने और बदनाम होने से भी बचा लिया है ये सोच आती तो मेरा दिमाग शांत हो जाता और

जब बाजी के साथ गुज़रे लम्हों की याद आती तो पुरे वजूद मे मज़े की लहर दौड़ने लगती जिस के कारण मेरा हाथ खुद ही लैंड पे चला जाता और मैं लैंड को सहलाने लगता

इन सब सोचों मैं कब वक़्त गुज़रा और दोपहर के 2 बज गये पता ही नहीं चला और पता तो तब चला जब बाजी ने मुझे आवाज़ दी विकी क्या सोच रहे हो इतनी देर से तो मैं चौंक सा गया

मैने सर घुमा के बाजी की तरफ देखा जो की करवट के बल चारपाई से थोडा नीचे को मेरी तरफ ही झुकी होई थी

और मुझे देख के हल्का सा मुस्कुरा भी रही थी तो मैं भी हल्का सा हंस दिया और बोला बाजी क्या सोचना है बस
ये ही सोच रहा था की हम ने आज क्या कर डाला

बाजी... भाई अब तो जो होना था हो ही गया है तो इस मैं इतना सोचने की कों सी बात है

बस अब जो हो रहा है चलने दो और लाइफ को पूरी तरह से एंजाय करो और करने दो क्या समझे

मैं... जी बाजी अब और हो भी क्या सकता है कयुँकि जो कुछ आज हमारे बीच हुआ है

उस के बाद हम चाहे भी तो उन लम्हों को वापिस नहीं ला सकते तो फिर आप की बात ही ठीक है

बाजी... अच्छा ज़रा देख तो टाइम क्या हुआ है

मैने अपनी वॉच पे नज़र डाली और टाइम बाजी को बताया की 2 बजे हैं तो बाजी ने कहा कहाँ रह गई ये फ़रीदा भी इतनी देर हो गई लेकिन खाना ले के नहीं आयी लगता है हमें ही जाना पड़ेगा

तू रुक थोडा मैं भैसों को चारा डाल के आती हूँ. और जबरदस्ती उड़ने की कोसिस की

मैने कहा बाजी मेने सब काम कर दिया है.. और भैसों को नहला भी दिया है

बाजी ने मुझे देखा .. और हंस की बोली.. ओह भाई.. तुने .. सच मैं... पहली बार... लव यू भाई ....


आप यहाँ ही रूको मैं चला जाता हूँ और घर से खाना ले के आ जाता हूँ

तभी बाजी जो की खेतों को आने वाले रास्ते की तरफ ही देख रही थी बोली रहने दे अब कोई फाइयदा नहीं फ़रीदा खुद ही खाना ले के आ रही है

और इतना बोलते ही चारपाई से उठी और नोर्मल दिखते हुयी रूम मैं चली गई और वहाँ से अपना दुपटा उठा के कंधों पे डॉल लिया और वहीँ आ गई

फ़रीदा जब खाना ले के हमारे पास पहुंची तो बाजी ने कहा क्या बात है यार,

आज इतनी देर कयूं लग गई खाना बनाने मैं तुम्हे पता भी है यार की मुझे से भूख बर्दाश्त नहीं होती

फ़रीदा ने कहा बाजी वो फ़रज़ाना को मैने खाना बनाने को बोला था लेकिन उस ने भी नहीं बनाया और डाइजेस्ट मैं घुसी रही जिस की वजाह से आज खाना इतनी देर से तैयार हुआ है

फिर फ़रीदा ने भी हमारे साथ ही बैठ के खाना खाया और बर्तन ले के चली गई तो बाजी ने कहा क्यों विकी क्या ख्याल है हो जाए फिर से एक बार ज़रा मौज मस्ती या कोई और इरादा है
मैने कहा नहीं बाजी अभी नहीं रात को कुछ करेंगे तो बाजी ने कहा यार भाई जान तुम्हे क्या हो गया है घर मैं

किस तरह से होगा तो मैने कहा बाजी आज मेरा बिस्तर छत पे लगा देना और खुद भी बहाने से ऊपर ही आ जाना सोने के लिए फिर क्या .... और हंस दिया

बाजी भी मेरी बात मान गई और फिर शाम को अबू के आने के बाद हम लोग घर वापिस आ गए

घर आके हम लोगों ने आपिस मैं थोड़ी देर तक गैप शप लगाई और फिर खाना खाया ,और खाने के बाद

मैने फरी बाजी को आवाज़ दी और कहा की बाजी प्लीज मेरा बिस्तर आज छत पे लगा देना मैं आज ऊपर सोना चाहता हूँ


अम्मी... विकी क्या बात है बेटा खैर तो है ना आज कोई खास बात है जो तुम छत पे सोने का बोल रहे हो

मैं... वो अम्मी आप को तो पता है कितनी गर्मी हो रही ऊपर ज़रा हवा तो लगेगी ही ना इस लिए

बाजी.... अम्मी क्या मैं भी भाई के पास ऊपर ही अपना बिस्तर बिछा लूँ क्या .
अम्मी... हाँ फरी ये ठीक रहेगा विकी का अकेले ऊपर सोना ठीक नहीं है तुम भी ऊपर ही चली जाओ

अम्मी की तरफ से इजाज़त मिलते ही बाजी ने मेरी और अपनी बिस्तर ऊपर छत पे ले गई और बिस्तर लगाके मुझे आवाज़ दे के बोली भाई बिस्तर लगा दिया है आ जाओ ऊपर तो मैं अम्मी के पास से उठा और छत की सीढ़ियाँ चढ़के छत पे बाजी के पास चला गया जो की नीचे बिस्तर पे बैठी थी

मेरे ऊपर जाते ही बाजी ने कहा तुम सो मत जाना आज की रात जाग के गुजारेंगे ,मैं अभी थोड़ी देर तक आ जाओंगी तुम्हारा दूध ले के

मैने अब की बार थोड़ी हिम्मत की और अपना हाथ बाजी के लेफ्ट चूची पे रख के हल्का सा दबा दिया और बोला

बाजी मुझे तो अब ताज़ा दूध ही पीना है क्या आप पिलाओगी मुझे

बाजी ने मेरी गॉल पे प्यार से चुटकी कटी और बोली

भाई मैं तो बस अब तुम्हारी ही हूँ

जब दिल चाहे जितना दिल चाहे दूध पियो मैं भला तुम्हे कयूं मना करने लगी तुम तो अब मेरी जान और जिस्म के भी मलिक हो

बाजी की बात ने मुझे इतना सकून दिया की मैं बता नहीं सकता और फिर बाजी मेरे पास से उठी और नीचे चली गई और मैं चारपाई पे लेट के बाजी की वापसी का इंतजार करने लगा
जैसे बाजी ने कहा था की आज की रात जाग के गुज़ारनी है तो फिर मुझे नींद कैसे आ सकती थी

बाजी कोई 30 मिनट के बाद वापिस आयी तो बाजी के हाथ मैं दूध का गिलास भी था जो बाजी ने मुझे पकड़ा दिया तो मैने एक ही साँस मैं पूरा ग्लास खाली कर के बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने कहा

अभी थोडा सब्र करो सब को अच्छी तरह से सो जाने क बाद जो भी दिल चाहेगा करेंगे

हम दोनो अलग अलग बिस्तर पे लेते इंतज़ार की आग मैं जलते रहे

कोई 30 मिनट क बाद बाजी उठी और नीचे चली गई और वापिस आके
सीधा मेरी बिस्तर पे लेट गई तो मैने बड़ी बेताबी से बाजी को अपने साथ लिपटा लिया और बाजी को किस करने लगा और चूची को मसालने लगा

थोड़ी देर तक किस करने के बाद बाजी ने मुझे खुद से अलग किया और बिस्तर से उठ के खड़ी हो गई

अपने कपड़े उतार ने लगी तो मैं भी उठ के बैठ गया और कपड़े उतार के नंगा हो गया
बाजी के कपड़े उतरते ही मैने फिर से बाजी को वापिस अपनी तरफ खींच लिया और फिर से बाजी की ज़ुबान को अपने मुँह मैं भर के चूसने लगा और बाजी की चूचियों को मसालने लगा तो बाजी ने भी अपना हाथ नीचे किया और मेरा लण्ड जो के बाजी की जांघों मैं घुसा जा रहा था अपने हाथ मैं पकड़ लिया और सहलाने लगी जिस से मुझे बहुत अच्छा फील होने लगा और

मैने बाजी की ज़ुबान को अपने मुँह मैं जकड़ लिया और चूसने लगा

कुछ देर बाद जब मैने बाजी को छोड़ा तो बाजी ने लंबी साँस ली और बोली भाई आराम से करो मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही हूँ

और उठ के बैठ गई और मुझे भी सीधा लिटा दिया और मुझे प्यार से चूमना और चाटना चालू किया और फिर मेरे लण्ड सुपाड़े को अपने मुँह मैं भर क चूसने लगी
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बन्धन
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Jemsbond
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Re: चुदाई घर बार की

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अब बाजी कभी मेरे लण्ड के सुपाड़े को और कभी मेरे लण्ड की नीचे गोलियों को मुँह मैं भर के चूस रही थी जिस से मैं मज़े से काँप काँप जाता और बाजी के सर को अपने हाथ से सहलाने लगता

कोई 2 3 मिनट तक मेरे लण्ड को चूसने और चाटने क बाद बाजी ने अपना सर उठाया और आहिस्ता से बोली चलो भाई आ जाओ

अब तुम्हारी बरी है मुझे प्यार करने की और जैसे ही मैं उठा बाजी मेरी जगह लेट गई और अपनी गांड के नीचे एक तकिया रख लिया जिस से बाजी की चुत उभर के सामने आ गई

मैं अब बाजी की टाँगों को खोल के दरमियाँ मैं बैठा और अपना लण्ड बाजी की चुत पे रखा ही था की बाजी ने अपना हाथ मेरे पेट पे रख के मुझे रोक दिया और

बोली कयूं भाई क्या तुजे मेरी चुत पसंद नहीं आयी क्या

मैने हैरानी से बाजी की तरफ देखा जो की चाँद की रोशनी मैं मुझे सॉफ नज़र आ रही तो बाजी ने कहा

भाई तुम भी मेरी चुत चाटो प्लीज बड़ा मज़ा आएगा भाई

कयुँकि मैंने आज तक किसी की भी चुत ना तो चाटी थी और ना ही कभी ऐसा सोचा था

लेकिन बाजी का दिल चाह रहा था इस लिए मैने अपना लंड बाजी की चुत से हटा लिया और थोड़ा पीछे हो के बैठ गया और

फिर अपना सर अपनी बहिन की चुत के सामने झुका दिया और अपने होंठों से बाजी की चुत पे किश किया .फिर अपनी ज़ुबान को बाजी की चुत मैं चलाने लगा

उस वक़्त बाजी की चुत काफ़ी गीली हो रही थी और मेरी ज़ुबान बाजी की चुत पे घूम रही थी जिस से मुझे भी मज़ा आने लगा था और बाजी की चुत से निकालने वाला पानी जो की मेरे मुँह मैं ही जा रहा था
मुझे हल्का नमकीन टेस्ट दे रहा था जिस से मैं और भी ज़ोर से बाजी की चुत मैं अपनी ज़ुबान को घुसा के चाटने लगा और

बाजी मेरे सर को अपनी चुत पे दबाने लगी
रात का वक़्त था और आवाज़ दूर तक जा सकती थी इस लिए बाजी बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज़ को कंट्रोल कर पा रही थी वरना घरवाले जाग जाते

बाजी अब अपने हाथ से मेरे सर को अपनी चुत पे दबाने लगी और साथ ही अपनी गांड को भी उठा के मेरे मुँह पे रगड़ने लगी थी

जिस से मैं समझ गया की बाजी का होने वाला है और मैने थोड़ा और ज़ोर लगाके अपना सर जैसे ही बाजी की चुत से हटाया बाजी का जिस्म एक बार आकड़ा और

फिर चुत से ढेर सारा पानी निकलने लगा . जिसे मैं पी गया फिर बाजी का शरीर ढीला पड़ पड़ गया.

थोड़ी ढेर बाद बाजी मुझे फिर किस करने लगी
मैं अब की बार हुआ और अपना लण्ड बाजी की चुत पे सेट किया और आहिस्ता से घुसाने लगा

एक तो बाजी की चुत बहुत ज़्यादा गीली थी जिसकी वजह से मेरा लण्ड बड़े प्यार से बाजी की चुत मैं घुसने लगा और बाजी के मुँह से ईईईईईईईईईईईईई की सी आवाज़ भी निकालने लगी

बाजी की चुत जितनी गीली थी उतनी ही टाइट भी थी जिस की वजह से मुझे बाजी की चुत मैं अपना लण्ड घुसाने मैं बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था और

शायद बाजी को भी कयुँकि जैसे ही बाजी की चुत मैं मेरा आधा लण्ड घुसा बाजी ने अपनी गांड को थोड़ा सा पीछे को खिसकाया और फिर से आगे किया तो

मैने भी अब बाजी की टाँगों को पूरा उठा के बाजी के कंधों की तरफ फोल्ड कर के अपना वज़न भी बाजी पे डाला और एक जोर से झटका मार के पूरा लण्ड चुत पे दे दिया .
बाजी के मुँह से आआईयईईईईईईईईईईईईईई विकी आराम से करो अभिईीईईई कहीं मेरी चीख ना निकल जाय ऊऊहह हाआंणन्न् भाईईईईईईईईईईईईईईई बस आराम से करो , तुम्हारा बहुत मोटा और लंबा लण्ड है
मेरे भाई , थोड़ा आराम से चोदो अपनी बहिन को ..
आआआहह उनम्म्ममह मेरी जान अब अच्छा लग रहा हाईईईईई की आवाज निकालने लगी जो की बिल्कुल स्लो थी की कोई सुन नहीं सकता था

अब मैं अपना पूरा लण्ड अपनी बड़ी बहिन की चुत से निकलता और फिर वापिस घुसा देता लेकिन ज़्यादा ज़ोर नहीं लगा रहा था की बाजी को ज़्यादा दर्द ना हो कयूं की उनकी चुत बहुत टाइट थी और

वो दूसरी बार ही चुद रही थी मेरे साथ ही

आअहह बाजी ये आप ने मुझे क्या बना दिया हाईईईईई बाजिीइईईईईईईई की आवाज़ भी निकालने लगा

हम दोनो बहिन भाई कोई 15 20 मिनट तक बड़े प्यार और आराम से चुदाई करते रहे जिस मैं बाजी अब दूसरी बार डिस्चर्ग होने क करीब थी और साथ ही मैं भी तो

बाजी जो की पूरा मज़ा ले रही थी अपनी चुदाई का बोली आअहह विकी मेरे बहनचोद भाई
भाईईईईईईईईईअभी थोडा तेज़ करूऊऊ भाईईईईईई मैं गैिईईईईईईई मेरी जान ओह की आवाज़ करने लगी

तो उस वक़्त पता नहीं की मुझे बाजी के मुँह से अपने लिए बहनचोद लफ्ज़ इतना अच्छा लगा की मैं बाजी को पूरी ताक़त से चोदने लगा और

हा फरी बाजी मैं तेरा बहनचोद भाई हूँ और तू मेंरी रंडी बहिन हाईईईई आआहह ये ले बाजी अपने भाई के लण्ड का पानी ....

ऊऊहह की आवाज़ क साथ एक तेज़ झतका दिया और बाजी की चुत मैंन ही अपने लण्ड का पानी गिराने लगा ...

बाजी भी ..जोर जोर से अपनी गांड को हिला रही थी . और उसने मुझे जकड के पकड़ लिया था

मैं फरी बाजी के साथ,उनके ऊपर ही लेटा रहा . और हम दोनों लंबी लंबी साँस लेने लगे

थोड़ी देर के बाद मेने अपना लण्ड बाजी के चुत से बाहर निकल के बाजी के साइड पे लेट गया .

बाजी ने जो की अपने साथ पहले ही एक कपड़ा लाई थी उससे अपनी चुत को साफ़ की और फिर उठ के मेरे लण्ड को साफ़ करने लगी

बाजी ने हंसते हो कहा भाई मज़ा आया की नहीं

मैं... हंसते हुए हाँ बाजी मज़ा तो बहुत आया अपने ने मुझे गाली कयूं दी भला

बाजी... अच्छा जी ज़रा बताओ तो मैने अपनी जान से प्यारे भाई को ऐसी कौन से गाली दे डाली की उसे बुरा लगा

मैं... बोला .वो बाजी बुरा तो नहीं लगा लेकिन फिर भी भला ये कोई अच्छी बात है की आप मुझे ऐसा बोलो

बाजी....लेकिन मेरी जान बताओ तो सही की भला मैने कौन सी गाली दी और क्या गाली दी

जिस से तुमको बुरा लगा

मैं...बाजी.....वो आप ने मुझे कहा था ना वो

बहनचोद ..बहिन छोड़

बाजी... मेरी बात सुन के मेरी गॉल पे चूंटी काटते हुए बोली भाई

क्या मैने ग़लत कहा था क्या तुम बहनचोद नहीं हो

मेरे प्यारे से बहनचोद भैया क्या तुम मेरी चुत का मज़ा नहीं लेते

मैं... बाजी की बात से शर्मा गया और .वो तो बाजी अपने ,ने ही मज़बूर किया था मुझे इस लिए

बाजी... अच्छा जी तो सारा गुनाह अब मेरे सर दे रहे हो मैं... अरे नहीं बाजी मैं तो बस वो खेतों वाली बात के लिए बोल रहा था अभी के लिए तो नहीं बोला

बाजी... देखो भाई अब जिस तरह तुम मेरे बहनचोद भाई बन चुके हो जो की सच है

तो वेसे ही मैं तुम्हारी . बनी चुकी हूँ जिसे जब दिल करे जहाँ दिल करे तुम चोद सकते हो समझे.

लेकिन छुप के .. किसी को पता न चले .

थोड़ी देर तक हम दोनो बहिन भाई इसी तरह हँसी मज़ाक करते रहे और फिर से बाजी के कहने से एक बार और बाजी को चुत मारी और उस के बाद

हम दोनो अपने अपने बिस्तेर पे सो गये
सुबह जब मेरी नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी और हल्का हल्का रौशनी हो रही थी जिस की वजह से

मेरी आँख खुली थी मैने बाजी की बिस्तर की तरफ देखा तो वहाँ कोई भी नहीं था

बाजी उठ के नीचे जा चुकी थी शायद

तो मैं भी उठा और नीचे आ के अपने रूम मैं फिर से सो गया

दोबारा मेरी आँख किसी के हिलने से खुली तो उठ क देखा तो अम्मी थी जो मुझे नाश्ते के लिए जगा रही थी मैं अपनी आँखों को मलता उठ गया और बोला क्या अम्मी आज आप गई नहीं अभी तक खेतों मैं

अम्मी... कयूं मैं यहाँ अपने बेटे के पास घर मैं नहीं रह सकती

मैं... जी कयूं नहीं अम्मी ये तो और भी अच्छी बात है की चलो इस बहाने मुझे अपनी स्वीट सी अम्मी के साथ भी थोडा वक़्त गुज़रने का मोका मिलेगा

अम्मी... ज़्यादा माखन नहीं लगाओ बेटा और उठ क नाश्ता करो नाश्ते मैं ज़्यादा देर नहीं करनी चाहिए समझे

मैं... अच्छा जी उठता हूँ आप भी क्या याद करोगी की किस बेटे से पाला पड़ा था अपका

अम्मी... बड़ी मेहरबानी होगी जी बेटा हज़ूर की अपने ने अपनी अम्मी की बात मान ली वरना

हम तो समझे थे की आप हमारा सर ही क़लम करवा देंगे
इस गुस्ताख़ी पे और इतना बोलते ही हंस पड़ी

मैं भी अम्मी की बात सुन के हंस पड़ा और उठके तौलिया उठाया और बहार बने गुसलखाने मैं नहाने के लिए चल दिया

जब नहाके बहार निकला तो अम्मी क साथ मुझे फ़रीदा बाजी और फ़रज़ाना ही नज़र आयी जो की घर के कामों मैं लगी हुए थी

कयुँकि अम्मी घर पे थी इस लिए वरना अब तक फ़रज़ाना तो पका अपनी सहेली बिलो (नाम तो उसका शमा था लेकिन बिली की तरह की आँखों की वजाह से उस का नाम पुरे गावँ मैं बिलो मसहूर हो गया था) के घर अपने डाइजेस्ट ले के पहुँच चुकी होती और दोपहर की खाने पे ही आती

मैं रूम के बहार बने बरामदे मैं ही बैठ गया तो अम्मी मेरे लिए नाश्ता ले की आयी तो मैने फ़रज़ाना जो की मेरी चारपाई जिस पे मैं नाश्ते के लिए बैठा हुआ था

करीब ही सफाई कर रही थी की तरफ देख के अम्मी से बोला देखा
अम्मी आप यहाँ हो तो ये किस तरह घर क काम कर रही है वरना अभी तक अपनी सहेली के घर बैठी डाइजेस्ट पढ़ रही होती
फ़रज़ाना....भाई कयूं मुझे इल्ज़ाम दे रहे हो बाजी से पूछ लो

अम्मी मैं तो सारा दिन घर मैं ही होती हूँ बाहर भी नहीं जाती काम ही इतना होता है भाई झूट बोल रहा है(मुझे घूर रही थी )

अम्मी... फ़रज़ाना बेटी बुरी बात भाइयों को इस तरह नहीं बोलते और फिर ये तो तुम्हारा एक ही भाई है इस की किसी बात का बुरा नहीं मना
दुबारा ऐसा नहीं बोलना

मैं... फ़रज़ाना की तरफ देख के मुस्कराते हो बोला सुना नही क्या तुम ने अम्मी ने क्या कहा है चलो माफ़ी माँगो मुझ से हो सकता है की मैं तुम्हे माफ़ कर ही दूँ

अम्मी...विकी बेटा बुरी बात अब तुम अपनी बहिन को जान बुझ के तंग कर रहे हो चलो नाश्ता करो जल्दी से बाकी का हँसी मज़ाक बाद मैं होता रहेगा और उठ के पीछे की तरफ चल पड़ी

अम्मी के उठते ही फ़रज़ाना फिर से काम मैं लग गई थी और मैं अभी नाश्ते के लिए हाथ धोने ही लगा था की

मेरी नज़र अम्मी की तरफ गई जो की अब मेरी तरफ अपनी पीठ किया जा रही थी की मेरी नज़र उनकी गांड पे गई जिसमैं की उनकी क़मीज़ फाँसी हुयी थी

और उनकी गांड जब अम्मी चलती तो पूरी तरह हरकत करती हुयी नज़र आने लगी जिसे देख के मेरा हल्क़ सूखने लगा क्योंकि अम्मी की गांड कपड़ों मैं ही इतनी प्यारी लग रही थी की क्या बताऊँ
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Re: चुदाई घर बार की

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अम्मी फ़रीदा बाजी के पास जा के बैठ गई जो की बर्तन धो रही थी तो मेरी नज़र का सामने का तालिस्म टूट गया और मैं जैसे हड़बड़ा गया और सर झुका के नाश्ता करने लगा

लेकिन नाश्ता भी मुझ से ठीक से नहीं किया जा रहा था बार बार मेरी नज़र के सामने मेरी अम्मी की गांड मैं कपड़ा फँसने से जो अम्मी की गांड का हिलना का नज़ारा मिला था बार बार मेरी नज़रों क सामने आ जाता

मेरे नाश्ता ख़तम करते ही फ़रीदा बाजी बर्तन उठाने आयी

तो मैने बाजी से फरी बाजी का पूछा तो बाजी ने कहा वो आज अम्मी की जगा खेतों मैं गई है अबू के साथ काम मैं लगी हो गी

खैर मैं और कुछ नहीं बोला और वहीं लेट गया तो फरजाना जो की अब सफाई कर चुकी थी अम्मी के पास गई और बोली अम्मी मेरा काम ख़त्म हो गया है क्या मैं बिल्लो के घर चली जाओं थोड़ी देर के लिए प्लीज जल्दी वापिस आ जाउंगी

अम्मी ने हाँ मैं सर हिला दिया तो

फ़रज़ाना खुशी से उछालती हुयी अपना डाइजेस्ट उठा के बिल्लो की घर तरफ भाग गई

अम्मी उठी और मेरे पास आ के बैठ गई पैरों की तरफ तो मैं जल्दी से उठने ही लगा था की अम्मी ने कहा नहीं नहीं लेतो आराम से कोई बात नहीं तो मैने फिर से अपनी टाँगों को पहले की तरह फेला दिया

जिस से मेरा दाहिना पावं अम्मी के चूतड़ों से टकरा गया

मेरा पावं जेसे ही अम्मी के चूतड़ों से टच हुआ मेरे जिस्म मैं सनसनी की लहर ही दौड़ गई लेकिन अम्मी मेरे पावं के लगने बावजूद बड़े आराम से बैठी रही तो मैने भी अपना पावं वहीं रखे रहा और वहाँ से हटाया नहीं तो अ

म्मी ने कहा विकी बेटा

शहर मैं तो तुम अपने दोस्तों क साथ घूमने फिरने निकल जाते होगे लेकिन यहाँ

तुमको घर पे रहना पड़ता है तुम तंग तो आ जाते होंगे ना यहाँ आ के कयुँकि यहाँ बस घर पे ही रहना होता है

मैं अम्मी की बात सुन के हल्का सा हंस दिया और बोला नहीं

अम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं बात सिर्फ़ इतनी है की अगर किसी भी इंसान को उसे अपने घर पे हर चीज़ मिल जाए तो उसे यहाँ वहाँ फिरने की ज़रूरत ही क्या है (और इतना बोलते ही पता नहीं केसे )

लेकिन अपने पावं को जो के अम्मी की गांड से लगा हुआ था थोडा और ज़ोर से अम्मी की गांड पे दबा दिया)

अम्मी की गांड पे जेसे ही मेरे पावं का दबाव बड़ा अम्मी ने हैरत से मुड़ कर मेरी तरफ देखा और फिर अपना सर और पीछे घुमा के मेरे पावं को देखा जो की

अभी तक अम्मी की गांड से टच था और मैने हटाया नहीं था तो अम्मी के चेहरे पे गुस्सा नज़र आने लगा तो मैने झट से अपना पावं हटा लिया तो अम्मी मुझे बड़े गुस्से और बे यक़ीनी से देखती हुए खड़ी हो गई और

बिना कुछ बोले अपने रूम की तरफ चली गई तो
मैं परेशान सा हो गया की..... अब क्या होगा....
कयुँकि मैने जो अभी किया था अम्मी के साथ वो किसी तरह भी ठीक नहीं था और अब ये सब होने क बाद और अम्मी का चेहरा देखने के बाद मेरी गांड फटने लगी थी
तो मैं उठा और घर से निकल के ऐसे ही आवारा घूमने लगा
दोपहर के कोई 12 बजे मैं डरते डरते घर वापिस आया तो देखा की फ़रीदा जो की खाना बना चुकी थी फ़रज़ाना के साथ मिल के और अब खाना खाने की तैयारी हो रही थी
मुझे देखते ही फ़रीदा बाजी बोली भाई ये क्या अम्मी आप के साथ थोडा वक़्त गुज़रने की खातिर आज खेतों पे भी नहीं गई और आप हो की कुछ पता ही नहीं की कहाँ आवारा गार्दी करते फिर रहे हो
मैने बस वो काम था थोड़ा बोल के रूम की तरफ चला गया तो थोड़ी ही देर के बाद बाजी फ़रीदा मेरे रूम मैं ही खाना ले के आ गई
जिसे देख के मैने हेरनी से बाजी की तरफ देखा और बोला ये क्या बाजी खाना तो 2 लोगों का है
बाजी ने कहा हां
आप को और अम्मी का अम्मी भी तुम्हारे साथ ही खाना खाईंगी और निकल गई तो
मैं अम्मी का सुनते ही घबरा गया और खिसकने के लिए चारपाई से खड़ा ही हुआ था की अम्मी रूम मैं आ गई और मुझे चारपाई से उतरता देख के बोली कहाँ जा रहे हो
मैं वो अम्मी बस शरू करो मैं अभी आता हूँ तो अम्मी ने मुझे घूर के देखा और बोली
विकी आराम से बैठ के खाना खाओ फिर जहाँ घूमना है चले जाना
भला हुमारे मना करने से तुम अब घर मैं थोडा ही रूकोगे इतना बोलते ही अम्मी की आँख मैं आँसू आ गये थे
जिन्हें देख के मुझे दिल से शर्मिंदगी होई तो मैं बैठ गया
खाना हम माँ बेटे ने खामोशी से खाया और फिर अम्मी चारपाई से उतार गई और ज़रा झुक के बर्तन उठाने लगी
तो उनका दुपटा उन के कंधे से फिसल क नीचे जा गिरा तो अम्मी के खुले गिरेबान वाली क़मीज़ मैं से
अम्मी की चूचियां आधे से ज़्यादा नज़र आने लगी जो की किसी भी हसीन और जवान लड़की से भी ज़्यादा बड़ी और सुन्दर और एक काली ब्रा मैं फंसी थी
मुझ पे क़यमत ढा रहे थे और मेरी नज़र उनपे टकटकी की तरह लगी हुयी थी की
तभी अम्मी ने भी शायद महसूस कर लिया था या बस वो बर्तन उठा के सीधी हुई तो मुझे इस तरह घूरता देख के फॉरन समझ गई की मैं क्या देख रहा था
लेकिन अब की बार अम्मी कुछ बोली नहीं और एक अजीब सी नज़र से देखते हो बर्तन उठा के चली गई
अम्मी के जाते ही जैसे मुझे थोड़ा सकून मिला और मैं खुद भी खड़ा हो के खिसकने लगा की फ़रज़ाना आ गई और आते ही बोली अम्मी बोल रही है की तुम कुछ देर के लिए उन की पास आ जाओ गप सप करेंगे

अब मैं खामोश खड़ा सोचता रहा की आख़िर अम्मी ने क्या बात करनी थी मेरे साथ और आ जा की मेरे दिमाग मैं सुबह और अभी थोड़ी देर पहले वाली हरक़त ही नज़र आती की जिस की बारे अम्मी कोई बात करना चाहती हो जिसे सोचते ही मेरी तो हवा टाइट होने लगी थी
मैं थोड़ी देर सोचने के बाद जो तक़दीर होगा होगा ही और अम्मी के रूम की तरफ चल दिया जो की सब से अलग बना हुआ था और जब मैं अम्मी के रूम मैं घुसा तो अम्मी ने मुझे बड़ी अजीब से नज़रों से देखा और बोली आ जाओ यहाँ मेरे पास ही बैठो आज तुम से भी कुछ बातें हो जायँ
मैं अम्मी की आँखों मैं देखता आगे बड़ा और अम्मी की चारपाई जिस पे वो आराम से लेती हुयी थी उस वक़्त जाके अम्मी के पैरों की तरफ बैठ गया तो अम्मी जो की अभी तक मेरी आँखों मैं ही देख रही थी बोली विकी बेटा क्या बात है आज तुम मुझे सुबह से कुछ बदले बदले दिखाई दे रहे हो
मैं... क्या मतलब अम्मी मैं समझा नहीं की मैं भला किस तरह से बदल सकता हूँ
अम्मी... देखो विकी आज सुबह से तुम्हारा रवईया घर मैं अजीब सा नज़र आ रहा है खास तौर से मेरे साथ

मैं... लेकिन अम्मी मुझे तो नहीं लगता की मैने आपके या किसी और के साथ किसी तरह की कोई बदतमीज़ी की हो
अम्मी...(मेरी आँखों मैं गहराई तक देखते हो जेसे वो कुछ सोच रही थी )
बोली बेटा बात ये है की मुझे लगता है की तू अब तो अच्छे से जवान हो गया है और अब तेरे लिए कुछ सोचना चाहिए मैं करती हूँ तुम्हारे अब्बू से बात की वो कोई लड़की देखें
मैं... नहीं अम्मी ये भला किस तरह हो सकता है की घर मैं मेरी जवान बड़ी बहनें बैठी हों और मैं उन से पहले अपने लिए कुछ सोचों प्लीज अम्मी ये बात
सोचना भी मत , अभी मुझसे कुछ और पढ़ाई भी करनी है
अम्मी.... ठंडी आअहह भरते हो बोली देखो बेटा जब जवानी आती है ना तो जवानी के जोश मैं इंसान सब कुछ भूल जाता है और ये ही वजह है की हम ने
तुम्हे बाहर आवारा गर्दी और ज़्यादा दोस्ती की इजाज़त कभी नहीं दी
कयुँकि हम नहीं चाहते थे की हुमारा बेटा बुरी सोहबत मैं गिरफ्तार हो के इतना बिगड़ जाए की हमारा सहारा ना बन सके लेकिन मुझे लग रहा है की यहाँ हम अपनी लाइफ की सब से बड़ी ग़लती कर चुके हैं
मैं... अम्मी अगर आप ने मुझे बुरी सोहबत और बाहर जा के आवारा होने और बिगड़ने से बचाने की कोशिश की है तो इस मैं आप से कोई बड़ी ग़लती नहीं हुयी है जो आप परेशान हो रही हो
अम्मी... बेटा मैं माँ हूँ तेरी और तेरी नज़रों को और तुम्हे बहुत अच्छी जानती हूँ और जो मैं तुम्हारे अंदर इस बार तब्दीली देख रही हूँ ये मुझे ख़ौफ़ परेशान हूँ
मैं... अम्मी आख़िर आप किस बात से इतनी ख़ौफ़ जादा हैं ज़रा मुझे भी तो पता चलना चाहिए
अम्मी... रहने दे बेटा फिर कभी बताऊंगी
अच्छा देख अभी मैने तुम्हे इस लिए बुलाया था की अगर तो बाहर जाना या नहीं दोस्त से मिलाना चाहता है तो आज से तुम पूरी तरह से से इजाज़त है
अब तुम्हे कोई भी मना नहीं किया करेगा बाहर जाने और दोस्त बनाने से
मैं...( हैरानी से अम्मी की तरफ देखने लगा कयुँकि अब मैं समझ गया था की अम्मी कयूं चाहती हैं की मैं बाहर निकल कर और दोस्त भी बनें वो समझ चुकी थी ) की अगर मैने जवानी मैं कोई ग़लत क़दम उठा दिया और वो भी अपने ही घर मैं तो हम किसी को अपना मुँह दिखाने के क़ाबिल भी नहीं रहंगे
लेकिन सच तो ये था की मैं घर का मज़ा ले चुका था तो मैने बस अम्मी की तरफ ना देखते हो इतना ही बोला अम्मी लगता है की
मुझ से कोई ऐसी ग़लती हो गई हैकी जिस की वजाह से आप नाराज़ हो
अगर ऐसी कोई बात है तो प्लीज अम्मी मुझे बता दो अगर मेरी ग़लती हुयी तो हमेशा के लिए इस घर से चला जाऊंगा और कभी किसी को अपनी शकल भी नहीं दिखाऊंगा मैं
अम्मी.... मेरी आख़िरी बात को सुन के तड़प उठी और मुझे अपने सीने से भींच लिया और बोली देखो
विकी बेटा फिर कभी अपने मुँह से ऐसी बात मत निकलना वरना तो मेरा मरा हुआ मुँह देखेगा और रो पड़ी
अम्मी मुझे अपने सीने से भिंचे रो रही थी
और मैं अपनी मा के सीने से लगा उनकी चूचियों की मुलायमता का लुत्फ़ ले रहा था
जिस से मेरा लण्ड भी कड़ा होने लगा और मैने बहुत कोशिश की खुद को अम्मी से थोड़ा दूर रखूं कयुँकि मेरा लण्ड अम्मी की टाँगों से टच ना हो
अम्मी ने मुझे अपनी तरफ खींचा था सीने से लगाने के लिए तो मैं तक़रीबन अम्मी के ऊपर गिरा हुआ था
जैसे ही मेरा लण्ड अम्मी की जांघों को घुटनो से थोड़ा ही ऊपर टच हुआ तो
अम्मी ने मुझे झटके से अलग किया और हेरनी से मेरी तरफ देखने लगी और तिरछी नज़र से नीचे जहाँ मेरा लण्ड अपनी औकात मैं खड़ा हुआ था और मेरी पैंट और क़मीज़ मैं एक तंबू सा बना हुआ था
अम्मी ने थोड़ी देर ये सब देखा तो बोली ठीक है विकी तुम जाओ अभी यहाँ से हम अब बाद मैं बात करंगे तो मैं उठा और अम्मी क रूम से निकल के अपने रूम की तरफ चल पड़ा
अपने रूम मैं आ के मैं अपनी चारपाई पे लेट गया और सोचने लगा की क्या ये जो कुछ हो रहा है और मैं कर रहा हूँ क्या वो सब ठीक है या
मुझे अपने आप कंट्रोल करने की ज़रूरत है
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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