ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का ) complete

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saras
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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kunal
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

Post by kunal »

मैं एक झटके से उठकर बैठ गया...
जैसे बरसों से मुर्दा बनकर लेटा हुआ था, और आज ही किसी शक्ति ने मुझे जगाया था....

बहुत सी बाते करनी थी अभी तो सोनिया दी से...
बहुत सी बातों का जवाब लेना था...
कुछ अधूरा बचा हुआ मज़ा पूरा करना था अभी तो..

**************
अब आगे
**************

''ओह्ह माय गॉड .......दी....क्या था ये.....तुम्हे पता भी है की मेरा क्या हाल हो रहा था....ये तो सिर्फ़ आपने मुझे सोते रहने के लिए बोल रखा था..वरना ऐसी हालत में दुनिया का कोई भी मर्द कंट्रोल करके नही रह सकता था...''

सोनिया दी मेरी बात सुनकर हँसे जा रही थी...

वो बोली : "हाँ हाँ पता है.... दूसरे मर्दो से ज़्यादा स्टेमीना और कंट्रोल है तुम्हे अपने आप पर...तभी तो ये सब मैने मोंम के साथ किया...उन्हे भी मज़ा आया और तुम्हे भी...''

मैं : "उनका तो पता नही पर मेरी हालत खराब हो गयी थी....ये मज़ा नही सज़ा थी...''

सोनिया दी ने अपनी शराबी आँखो से मुझे देखा और खिसककर मेरे पास आई..
मेरी छाती पर हाथ रखकर मुझे बेड पर लिटा दिया ..
और अपने मोटे मुम्मे मेरे सीने पर रखकर वो भी मेरे उपर लेट गयी.

और बोली : "सज़ा में अगर मज़ा हो तो वो और भी अच्छी लगती है....बोलो, आज से पहले ऐसी सज़ा के बारे में सोचा था क्या तुमने...और एक ही बार में अगर मॉम की चूत मिल जाए तो क्या मज़ा रह जाएगा उसमें ...मेरे हिसाब से चलोगे तो सज़ा में छुपा ये मज़ा मिलता रहेगा...''

मैं अधीर सा हो गया और बोला : "पर कब तक....कब तक ये सज़ा मिलती रहेगी...''

सोनिया : "जब तक तुम अपने लक्ष्य तक नही पहुँच जाते....और वो है मॉम की चूत ....समझे...''

इतना कहकर उसने अपनी गीली चूत को मेरे मुरझाए हुए लंड से रगड़ दिया...

''आआआआआआआहह...... ये तो मेरे साथ ज़्यादती है.... ''

सोनिया ने मेरे होंठो को किसी कुतिया की तरह अपनी जीभ से चाटा और बोली : "तभी तो बोनस के रूप में मैं तुम्हारे साथ हूँ ....जब तक मॉम की नही मिलती, उनकी बेटी हाजिर है तुम्हारे लिए...जब चाहे...तब मार लो मेरी....चूत ...''

वो एक-2 शब्द अपने रसीले होंठों को दांतो से दबा कर ऐसे बोल रही थी की मैं ज़्यादा देर तक बहस कर ही नही पाया....

वो मेरी गर्दन पर होंठ लगा कर मेरी नसों को चूसने लगी...

मैं : "उम्म्म्मम.....वो तो सही है...पर .....मॉम ....अगर अपने आप पर....कंट्रोल नही कर पाई तो...और अगली ही बार में मेरा लंड अंदर ले लिया तो.......क्या करू''

सोनिया : "वो अपनी तरफ से कुछ ऐसा नही करेगी...मुझे उनका पता है...उनकी चूत में भले ही आग लगी हो, पर अपनी तरफ से पहल करके वो तुम्हे ये नही दिखाएगी की वो यही चाहती है....ये सब होगा....ज़रूर होगा...पर मेरी प्लानिंग के अनुसार ही होगा....तब तक तुम अपनी तरफ से कुछ नही करोगे....और ना ही मॉम को ये एहसास दिलाओगे की तुम भी वही चाहते हो जो उनके मन में चल रहा है...समझे...''

मैने सिर हिला कर समझने का इशारा किया....

और फिर मुस्कुराते हुए हम दोनों के होंठ एक दूसरे से आ मिले...

आज के दिन मैं कितनी बार झड़ चुका था, इसका तो मुझे भी अंदाज़ा नही था...
पर सोनिया दी के नंगे बदन की गर्माहट और कुछ देर पहले चल रही फिल्म को फिर से याद करके मेरा लंड फिर से कुन्मूनाने लगा...
उसके हिलने का एहसास सोनिया को भी हुआ और वो मेरी आँखो में देखती हुई...हमारी किस्स तोड़कर...धीरे-2 नीचे खिसकने लगी...मेरा लंड उनकी चूत को छूता हुआ...उनके नंगे पेट से टकराकर...उनके मुम्मो की पहाड़ियों के बीच रगड़ खाता हुआ...उनके होंठो से जा लगा...उसके चेहरे से टपक रहा सेक्स देखकर मेरा लंड तीर की तरह तन कर खड़ा हो गया...वो अपनी नशीली आँखो की शराब मुझपर ऊडेलने लगी..


अभी कुछ देर पहले ही सोनिया दी के होंठों ने मॉम के साथ मिलकर जो हाल किया था, वो शायद एक बार फिर से होने वाला था मेरे लंड का...

और वो हुआ भी....
सोनिया ने अपनी लपलपाती जीभ फेरते हुए , मेरे लंड पर अपने होंठो से कब्जा किया और उसे मुँह के अंदर निगल गयी....लंड के साथ - 2 उसने मेरी गोटियों को भी अच्छे से चूसा



अभी कुछ देर पहले ही झड़ा था बेचारा...
हल्का दर्द भी हो रहा था....
पर फिर भी मेरी बहन की आवाज़ सुनकर कैसे कुत्ते की तरह खड़ा हो गया था फिर से...
साला...
हरामखोर
कमीना लंड.

सोनिया ने मेरे लंड को मुँह में रखे-2 अपना शरीर घुमा कर मेरी तरफ कर लिया और अपनी चूत को मेरे मुँह के उपर लाकर पटक दिया...

छपाक की आवाज़ के साथ उसकी रसीली चूत पर मेरे होंठ आ लगे....
ऐसा ठंडक भरा एहसास हुआ जैसे बर्फ का टुकड़ा रगड़ कर आई हो चूत पर.



कुछ देर तक चूसने के बाद वो खुद ही पलटी और मेरे लंड को अपनी चूत के सिरे पर लगाकर उसपर बैठ गयी...

शायद काफ़ी देर से मेरे लंड को अंदर लेने की चाह हो रही थी...
इसलिए ज़्यादा सब्र नही कर पाई बेचारी..

''उम्म्म्ममममममममम......तुम कंट्रोल की बात करते हो....मुझसे पूछो....मैने कैसे कंट्रोल किया था अपने आप पर....मैं तो पहले भी ले चुकी हूँ इसे अंदर...इसलिए कुछ ज़्यादा ही खुजली हो रही थी...मॉम थी सामने...वरना वो सारी मलाई तो बाहर बहाई थी...मेरी चूत में ही निकलती....अहह.....पर कोई ना.......अब निकालूंगी.....सारी की सारी मलाई....अपने अंदर.....एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... चोदो मुझे भैय्या .....चोदो अपनी प्यासी बहन की चूत को......ज़ोर से चोदो .....बुझा दो ये प्यास.....जो पहले अधूरी रह गयी थी..........''

वो बोलती जा रही थी और मैं उसकी कमर को पकड़ कर अपना रॉकेट उसके अंतरिक्ष में भेजता जा रहा था...

उफ़फ्फ़......
क्या सीन होता है ये भी....
हिलते हुए मुम्मो को देखकर...
सैक्स से भरे चेहरे को देखकर....
चूत मारना...



मैने हाथ उपर करके उन मुम्मो को पकड़ लिया और उनके दानो को निचोड़ कर उनका रस बाहर निकाल लिया.....
वो बेचारी मेरे इस प्रहार से भरभराकर मेरे उपर गिरती चली गयी...

मेरे होंठ उसके बूब्स पर आ लगे और उस रस को पीने लगे जो मेरी उंगलियो ने निचोड़कर निकाला था....

दोनो हाथो से मैने उसकी चौड़ी गांड को पकड़ा और अपने पैरों को बेड पर लगाकर, अपनी गांड थोड़ा हवा में उठा ली ....
और फिर जो मैने उसकी रेल बनाई....
वो सिर्फ़ आ...आअह्ह्ह उहह ही कर पाई...



मेरे होंठो से होंठ लगाकर वो मेरे हर झटके का स्वाद ले रही थी...
मुझे तो शुरू से ही उसके कठोर नितंब पसंद थे
उन्हे मसलते हुए
गांड में उंगली करते हुए
चुदाई का जो मज़ा मिलता था
वो अलग ही था..
और उपर से फ़चा फच का साउंड, वो भी चुदाई में चार चाँद लगा रहा था.

वो बिलबिलाकर बोली : "ओह माय डार्लिंग........मेरी जान ......क्या चोदते हो तुम भाई....सच में .. एक लड़की को ऐसा चोदने वाला मिल जाए तो उसकी लाइफ तो पूरी सेट्ल है.... मैं तो तुमसे पूरी जिंदगी चुदवाती रहूंगी....तुम्हारी शादी के बाद भी...अपनी शादी के बाद भी....आती रहूंगी घर पर...और तुमसे चुदवाती रहूंगी....''



सोनिया दी ने कितने प्यार और मासूमियत से पूरी जिंदगी चुदवाने का कांट्रॅक्ट साइन कर दिया..

मैं कभी उनके होंठो को चूमता और कभी बूब्स को....
और ऐसे ही चूसम चुसाई करते-2 मेरा और उसका ऑर्गॅज़म निकट आ गया...

और जब वो आया तो एक बार फिर से पूरी जिंदगी रुक सी गयी....
शरीर ऐंठ गये...
और लंड से निकली पिचकारियों को उसकी चूत ने ऐसे सोख लिया जैसे अंदर कोई स्पंज लगा कर रखा हो....

और फिर अंत में, मेरे उपर वो, हाँफती हुई सी गिरी तो पसीने की खुश्बू और वीर्य की महक ने दोनो को मदहोश सा कर दिया...



वो काफ़ी देर तक मेरे उपर लेटी रही...
और अंत में जब उठी तो अपनी चूत में से दो चार बूंदे वो मेरे उपर टपकाकर बेड के साइड में खड़ी हो गयी...

हल्की रोशनी में उसका गदराया हुआ बदन काफ़ी सैक्सुअल रहा था...
मैने नोट किया था की जब से उसकी चुदाई होनी शुरू हुई है वो पहले से काफ़ी भर भी गयी है...
ख़ासकर उसके मुम्मे , जिनपर मैने काफ़ी मेहनत की थी, वो फूल कर बड़े हो गये है...
गांड वाला हिस्सा भी कुछ और बाहर निकल चुका है...
शायद उसे घोड़ी बनाकर चोदने की वजह से ऐसा हुआ था..




पर जो भी था
उसका नंगा बदन देखकर और अपनी मेहनत का नतीजा उसपर देखकर
मैं और मेरा लंड काफ़ी प्राउड फील कर रहे थे.

फिर वो वॉश करने चली गयी...
मैं भी लंड को सॉफ करके आया और नंगा ही आकर सोनिया के बिस्तर पर लेट गया...
वो कल रात की तरह एक बार फिर मुझसे नंगी लिपटकर सो गयी...

थके होने की वजह से जल्द ही मुझे नींद आ गयी....

सुबह मेरी नींद अलार्म से खुली...
सोनिया ने जल्दी से मुझे उठाया, मुझे किस्स किया और तैयार होकर स्कूल जाने को कहा..

सुबह -2 उसे अपने सामने देखकर और वो भी टॉपलेस, मेरा तो मन ही नही कर रहा था स्कूल जाने का..



पर जाना तो ज़रूरी था...
आज साक्षी से भी तो बात करनी थी...
वो जिस तरह से कल मेरे घर से वापिस गयी थी, आधी अधूरी प्यास लेकर, वो प्यास बुझानी ज़रूरी थी..

जब मैं स्कूल पहुँचा तो पहले तनवी मिल गयी मुझे...
वो तो मुझे देखकर आजकल ऐसे खुश होती थी जैसे उसका दूल्हा आ गया हो...
साली को लंड चाहिए था बस...
और कुछ नही...
इसलिए मिलने के साथ ही वो अगले प्रोग्राम के बारे में पूछने लगी...

अब उसे भी हेंडल करना ज़रूरी था...
क्योंकि कसी हुई चूत जब खुद चलकर आए तो उसे मना नही करना चाहिए...
इसलिए उसे मैने अगले दिन उसी के घर पर मिलने का वादा किया...
और अपने घर पर वो मुझसे कैसे चुदवायेगी , ये उसकी प्राब्लम थी..

और फिर मुझे दिखाई दी साक्षी.....
जिसकी आँखो में उस वक़्त इतनी कशिश थी की जब उसने एक इशारा करके मुझे बिल्डिग के पीछे आने को कहा तो मैं रिमोट कंट्रोल वाली कार की तरह उसके पीछे चल दिया...

बिल्डिंग के पीछे वाला हिस्सा हमेशा सुनसान ही रहता था...
बिल्डिंग के पीछे घने पेड़ थे और उसके पीछे एक बड़ी सी दीवार जो बौंड्री वाल का काम करती थी...
इसलिए वहां किसी के आने का सवाल ही नही था...

मुझे भी पता था की यहा ज़्यादा कुछ होना तो पॉसिबल ही नही है..
पर फिर भी सुबह -2 उसके होंठो का मीठा शहद पीने को मिलेगा , यही बहुत था मेरे लिए..
इसलिए वहां जाते ही सबसे पहले हम दोनो के होंठ आपस में मिले...
उसके बाद बदन.



नर्म मुलायम होंठो को चूस्कर जब मुस्कुराते हुए मैने उसके बूब्स को मसला तो वो कसमसाती हुई मेरे उपर चढ़ती चली गयी..

''उम्म्म्मम....बड़े खराब हो तुम.....कल जो कुछ भी हुआ था हमारे बीच....उसके बाद तो मुझसे एक पल का भी सब्र नही हो रहा है....पता भी है कल रात मैं पूरी न्यूड . सोई थी...सिर्फ़ तुम्हारे बारे में सोचती रही...फिंगरिंग करती रही....''

उसके इस कबूलनामे को सुनकर मेरा मन तो यही कर रहा था की उसे वही दबोच कर चोद दूँ ...
पर जो सोचकर मैने उससे वादा लिया था, वो पूरा करना भी ज़रूरी था..
आख़िरकार मेरी एक दबी हुई इच्छा थी ये, जो उसके मध्यम से ही पूरी हो सकती थी अब...

इसलिए मैने उसे और ज़्यादा सताना सही नही समझा और कहा : "अब तुम्हे ज़्यादा तरसने की ज़रूरत नही है...जो भी होगा, आज रात ही होगा...और इसके लिए तुम्हे ठीक वैसा ही करना पड़ेगा, जैसा मैं कहूँगा...''

वो एक बार फिर से उसी टोन में बोली, जैसा कल बोली थी

''तुम कुछ कहकर तो देखो...तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ ...''

मैं : "ओके ...फिर आज रात को घर से बाहर रहने की पर्मिशन ले लो...''

रात भर के लिए घर से बाहर रहना, किसी भी जवान लड़की के लिए बड़ी मुश्किल का काम होता है...
पर जैसा की साक्षी ने पहले ही कहा था की वो कुछ भी करने को तैयार है
इसलिए वो एक ही बार में मान गयी...
और वो ये काम कैसे करेगी
ये मेरी प्राब्लम नही थी..

इसलिए, रात को करीब 8 बजे, उसके घर से थोड़ी दूर मिलने का वादा करके मैं अपनी क्लास में आ गया..

पूरा दिन कब निकल गया, पता ही नही चला..

शाम को घर पहुँचकर मैने भी एक बहाना लगाया की मुझे अपने दोस्त के साथ उसके घर जाना है...
एक लड़के के लिए रात भर बाहर रुकना ज़्यादा मुश्किल नही होता...
और वैसे भी मॉम मुझे नाराज़ नही कर सकती थी
इसलिए एक ही बार में पर्मिशन मिल गयी...

हालाँकि सोनिया दी मुझे शक्की नज़रों से देख रही थी
वो समझ चुकी थी की ज़रूर मेरा कुछ प्लान बन गया है...
और उनसे मैं कुछ छुपाना नही चाहता था, इसलिए उन्हे एक कोने में लेजाकर मैंने सारी बात बता दी...
पर मैं साक्षी के साथ क्या करने वाला था ये नही बताया...
पर ये वादा ज़रूर किया की वापिस आकर उन्हे सारी बाते विस्तार से बताऊंगा.

खैर, पापा की कार लेकर मैं ठीक साढ़े सात बजे घर से निकल गया...
रात के लिए मैने एक छोटे से बेग में अपने कपड़े भर लिए..
और ठीक 8 बजे साक्षी को भी पिक कर लिया..

उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की अपनी चुदाई की उसे कितनी एक्साइटमेंट है...
वैसे एक्साइटमेंट तो मुझे भी थी...

साक्षी को लेकर मैं अपने स्कूल की तरफ चल दिया..
हमारे स्कूल के पीछे एक हाउसिंग सोसायटी बन रही थी...
और वहां से निकलते हुए मैं अक्सर उसकी ऊँची इमारत और सोसायटी पार्क के बीचो बीच बने स्वीमिंग पूल को देखा करता था...
और शायद तभी मेरे मन में ये बात आई थी , जिसे पूरा करने के लिए आज मैं साक्षी को अपने साथ लाया था...

हालाँकि इसमे थोड़ा रिस्क भी था..
क्योंकि जिस प्रकार की चुदाई मुझे करनी थी उसमे किसी के द्वारा देखे जाने या पकड़े जाने का खतरा था..
पर यहाँ रिस्क थोड़ा कम ही था...
क्योंकि बिल्डिंग में अब सिर्फ़ फिनिशिंग का काम ही चल रहा था..
और सारे मजदूर सुबह से लेकर शाम तक ही वहां आया करते थे...
सिर्फ़ एक बूड़ा चोकीदार ही था
जो मैन गेट के पास बने एक छोटे से कमरे में सो रहा था...

अब आप भी सोच रहे होंगे की जो चुदाई मैं आसानी से अपने या उसके घर पर कर सकता था उसके लिए इतना रिस्क उठाकर यहाँ आने की क्या ज़रूरत थी...

ज़रूरत थी...
और वो इसलिए की ये मेरी एक ऐसी इच्छा थी जो एक सैक्सी कहानी पढ़ने के बाद मेरे जहन में आई थी...
अगर ये मेरी पहली चुदाई होती तो शायद मैं ऐसा रिस्क लेने यहाँ नही आता..
पर जैसा की आप सभी जानते है की मेरे चारों तरफ चुतों की कमी तो है नही
इसलिए साक्षी को अपनी दबी हुई इच्छा के अनुसार चोदने का मन कर गया था मेरा...
और उपर से जब उसने ये बोला था की वो कुछ भी करने को तैयार है तो मेरा निश्चय और भी पक्का हो गया था..

इसलिए उसे यहाँ लेकर आया था...

मैने कार एक दीवार की ओट में खड़ी कर दी...
और साक्षी को लेकर दबे पाँव मैं बिल्डिंग में दाखिल हो गया...
वो बेचारी तो अभी तक कुछ बोल ही नही पा रही थी...
शायद उसने जो वादा किया था उसकी वजह से ...
पर मेरे जैसा रोमांच अब उसकी आँखो में भी आ चुका था...
भले ही मैने उसे अपना प्लान नही बताया था...
पर उसकी आँखो की चमक बता रही थी की वो कुछ-2 समझ रही है की मेरे दिमाग़ में क्या चल रहा है...

और जो भी चल रहा था, वो अगर आज की रात पूरा हो गया तो उसे भी अपनी ये पहली चुदाई हमेशा के लिए याद रहने वाली थी.
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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बिल्डिंग के नीचे पहुँच कर एक ठंडक का एहसास हुआ...
नयी बनी बिल्डिंग की गीली दीवारों से ठंडे पानी की महक आ रही थी...
मैने साक्षी का हाथ थमा और उसे लेकर संभलकर सीडिया चढ़ने लगा.

साक्षी ने दबी आवाज़ में आख़िर बोल ही लिया

''कोई और जगह नही मिली थी तुम्हे अपने फर्स्ट टाइम के लिए....इससे अच्छा तो किसी होटल में ही चल सकते थे...''

मैने मुस्कुराते हुए उसे देखा और बोला : "होटल रूम की चार दीवारी से अच्छा तुम्हे यहाँ मज़ा मिलेगा...तुम देखना, आज के बाद तुम खुद ही इधर आने की जिद्द करोगी...''

जवाब में उसने मुझे आधे रास्ते में ही रोका और मुझसे लिपट कर अपने होंठ मुझपर लगा दिए और ज़ोर-2 से मुझे स्मूच करने लगी...

उसकी आँखो से बरस रही हवस सॉफ दिख रही थी मुझे...

वो बोली : "अब होटल रूम हो या ये बिल्डिंग....मुझसे तो रहा नही जा रहा....''

मैने उसका हाथ पकड़ा और उपर ले जाते हुए बोला : "तभी तो कह रहा हूँ ...उपर चलो...ज़्यादा मज़ा वहीं मिलेगा..''

और ऐसा करते-2 मैं उसे 7वी मंज़िल तक ले आया...
वहां पहुँचते-2 हम दोनो हाँफ रहे थे...
उस फ्लोर पर एक बड़ा सा पेंटहाउस था...
अभी हर जगह काम चल रहा था इसलिए दरवाजे भी खुले हुए थे....
अंदर दाखिल होकर हम उस पेंटहाउस की बाल्कनी में आ गये..

वहां से पूरा शहर दिखाई दे रहा था.

मैने अपने बेग से चादर निकाली और बाल्कनी में बिछा दी और फिर बेग से केंडल्स निकालकर हर कोने में जाकर जला दी...
फिर अपने साथ लाए गुलाब के फूलो की पंखुड़ियों को निकाल कर मैने उस चादर पर बिखेर दिया.

साक्षी ये सब एक कोने में खड़ी होकर देख रही थी...
और जैसा की हर लड़की के मन में हमेशा चलता रहता है की उसकी लाइफ की फर्स्ट चुदाई रोमांटिक होनी चाहिए, वो सब उसे वहां देखने को मिल रहा था..
वो मुस्कुराती हुई बोली : "वाव सोनू, तुम तो पूरी तैयारी के साथ आए हो...''

मैने उसे देखा और आँख मारता हुआ बोला : "अभी आगे-2 देखो, होता है क्या...''

फिर मैने अपने छोटे से बेग रूपी पिटारे में से 2 बियर केन निकाली...
बियर देखते ही उसकी आँखो में चमक सी आ गयी...
वो लपककर मेरे करीब आई और मुझे पीछे से पकड़ कर मुझसे लिपट गयी और अपनी गर्म साँसे मेरे कानों में छोड़ती हुई बोली : "एक मासूम सी लड़की को बियर पिलाकर उसे चोदना चाहते हो तुम....बड़े शैतान हो...''

मैने उसके बालो को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और वो मेरी गोद में आ गिरी
मैने उसके होंठो को चूसा और बोला : "चुदोगी तो तुम बिना बियर के भी मेरी जान, पर जब इसका सरूर चढेगा तो चुदाई में ज़्यादा मज़ा मिलेगा...''

इतना कहकर मैने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और एक बियर केन उसके हाथ में देकर खोल दिया...
चियर्स करके हम दोनो ने 1-2 लंबे घूँट भरे, पूरे शरीर में एकदम से तरावट सी आ गयी....
2-4 और घूँट मारे तो हल्का-2 सरूर भी होने लगा...

साक्षी तो मुझसे भी ज़्यादा प्यासी थी बियर पीने के लिए...
मेरी अभी आधी ही हुई थी और उसने अपनी बियर का आख़िरी घूँट भरा और अपने होंठ मेरे होंठो से लगा कर वो बियर मेरे मुँह में उडेल दी...
उसके होंठो से टकराकर वो बियर और भी ज़्यादा नशीली हो गयी थी...
उसके बाद उसने मेरे होंठो को जब चूसना शुरू किया तो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे अंदर की सारी बियर वापिस निकालने के चक्कर में है वो...
मेरी जीभ को, होंठो को, वो किसी प्यासी चुड़ैल की तरह चूस रही थी...
और साथ ही साथ अपने मोटे मुम्मे वो मेरे सीने से रगड़ कर ऐसे लहरा रही थी जैसे सच में उसके अंदर कोई चुड़ैल ने कब्जा कर लिया है...



मेरे हाथ उसकी ब्रेस्ट पर गये तो उसने कसमसाते हुए अपनी टी शर्ट को पकड़ कर उतार दिया...
नीचे की ब्रा भी बिना स्ट्रेप्स खोले निकाल दी...
अब वो टॉपलेस होकर मेरी गोद में बैठी थी...

मैंने पीछे से उसके दोनों मुम्मों को पकड़ा और उन्हें मसाज देनी शुरू कर दी




फिर मैने उसका एक मुम्मा पकड़ा और अपने मुँह से लगा कर उसे चूसने लगा...

ठंडी हवा चल रही थी...
खुली छत्त पर, केंडल्स की हल्की रोशनी में उसका सोने जैसा बदन चमक रहा था...
उसके मोटे मुम्मे शरबत उडेल रहे थे
उसके कठोरपन को महसूस करके मेरा लंड भी सख़्त हो गया था..



वो मेरी गोद से उतरी और घुटनो के बल बैठकर वो मेरे लॅंड पर झुक गयी...
जीन्स को मेरे शरीर से अलग किया और अपने मुँह में मेरे लंड को भरकर उसे बुरी तरह से चूसने लगी...

मैं तो किसी दूसरी ही दुनिया में पहुँच गया...
सच में दोस्तो, लड़की जब अपने गीले होंठो और जीभ से लंड को चुभलाती है तो उस आनंद का मुकाबला इस दुनिया के किसी भी मज़े से नही किया जा सकता...



मेरे हाथ नीचे आए और उसके झूल रहे मुम्मों को पकड़ कर उनका वजन तोलने लगे...
कसम से, हर मुम्मा 1 किलो से कम का नही लग रहा था...
लटके होने की वजह से उसकी पूरी शेप निकर कर बाहर आ गयी थी....
वो कुतिया भी अपने बूब्स पर मेरे हाथो का स्पर्श पाकर दुगने जोश से मेरे लंड को चूसने लगी..

लंड को अच्छी तरह से चूस्कर, उसे खड़ा करने के बाद वो खड़ी हुई और अपनी जीन्स भी उतार दी...
मैने भी अपने बचे खुचे कपड़े उतार कर एक कोने में फेंक दिए...
और अब हम दोनो जन्मजात नंगे थे...
उस नयी बनी बिल्डिंग के टेरेस पर हमारे नंगे बदन केंडल की हल्की रोशनी में दमक रहे थे....
मैने साक्षी को उपर से नीचे तक देखा, वो सैक्स गॉडेस लग रही थी ...
मन तो कर रहा था उसके पुर बदन पर जैम लगाकर चाट जाऊं..



पर अभी के लिए मुझे उसकी चूत को चूस्कर उसे रसीला बनाना था ताकि मेरा मोटा लंड एक ही बार में अंदर घुस जाए..

मैने उसकी टांगे फैला कर चादर पर लिटा दिया और खुद उनके बीच लेट गया...
और अपनी जीभ निकाल कर उसे चाटने लगा...
गीली तो वो पहले से ही थी पर मेरी जीभ लगने से वो और भी ज़्यादा पनिया गयी, और वही पनियाया हुआ पानी मुझे चाहिए था उसकी चुदाई के लिए, जो मेरे लंड को सरकाकर एक ही झटके में अंदर खिसका दे..



करीब ५ मिनट मैंने रसीली चूत चाटी
अब और सब्र नही हो पा रहा था...
वो खड़ी होकर मेरे करीब आई और मुझे लिटा कर खुद मेरे उपर बैठ गयी...
और मुझे एक बार फिर से स्मूच करने लगी..

उसकी नंगी चूत मेरे लंड पर टक्कर मारकर उसके मुँह में पानी ला रही थी...
मैने उसके फेले हुए कुल्हो को पकड़ लिया और अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया..

एक पल के लिए जैसे दुनिया ही ठहर गयी...
उसकी आँखो में डर के साथ-2 एक अजीब सी खुशी भी थी...
शायद अपने कुंवारेपन को खोने का दुख और एक नये सुख को महसूस करने की खुशी थी वो.

और फिर बाकी का काम उसी ने कर दिया...
मेरे दोनो हाथो को ज़मीन पर लगाकर मुझे दबोच सा लिया साक्षी ने...और फिर अपनी रसीली गांड पर दबाव डालकर एक करारा झटका मारकर मेरे लंड के टोपे को अपनी चूत में समेट लिया..

''आआआआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..........उम्म्म्मममममम''

उसके चेहरे से सॉफ पता चल रहा था की पहली बार लंड अंदर लेते हुए उसे कितनी तकलीफ़ हो रही थी.



मेरा लंड धीरे-2 उसकी चूत में उतरने लगा..
और जैसे ही वो उसकी झिल्ली से टकराया वो थोड़ा रुक गयी...
मैं समझ गया की उसे दर्द हो रहा होगा इसलिए अब मुझे ही इस खेल की कमान संभालनी थी...
मैने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसकी आँखो में देखते हुए एक करारा झटका मारा..

''आआआआआआआआआआआआआआहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी.....................''

उसे सच में ऐसा लगा जैसे उसकी चूत दो हिस्सो में बंट गयी है....
मेरा मोटा लंड उसकी चूत को ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया....
एक गर्म खून की बौछार ने मेरे लंड का राजतिलक करके उसे एक नयी चूत की सील तोड़ने की बधाई दी.

''आआआआआआआअहह सोनू......बहुत दर्द हो रहा है......प्लीज़ रुक जाओ......''

और मैने वही किया...
मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया...
ऐसे मौके पर अपने पार्ट्नर की बात मानना ही सही बात होती है, उसे भी लगता है की वो उसकी कितनी केयर करता है...
कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद उसने खुद ही अपनी कमर मटकानी शुरू कर दी...
मेरा लंड तो उसकी अंदरूनी दीवार पर टक्कर मारकर उसकी गहराई का अनुमान ले चुका था
एक बार फिर से अंदर बाहर होने लगा..



उसने तो शायद सोचा भी नही होगा की उसकी लाइफ की पहली चुदाई इस तरह से किसी नयी बनी बिल्डिंग की छत्त पर होगी...
पर जो भी हुआ था, उसमे हम दोनो को मज़ा बहुत आ रहा था...
एक अलग ही तरहा का रोमांच था...
और सबसे बड़ी बात ये थी की हम दोनो इस मूमेंट को अच्छे से एंजाय भी कर रहे थे...
चीखे मारकर, ज़ोर-2 से चिल्लाकर..
क्योंकि इतनी उपर हमारी आवाज़ सुनने वाला कोई और था भी नही..

एक बार जब लय बन गयी तो वो सीधा हो गयी और मेरे हाथो को अपने बूब्स पर रखकर खुद ही मेरे उपर उछलने लगी..

''ओह मेरी ज़ाआाआअँ...... क्या मज़ा आ रहा है...आइ इम लविंग इट....''

मैने भी उसके रसीले होंठो को चूसते हुए कहा...

''हाँ मेरी जान...अब ऐसे मज़े रोज मिलेंगे...इनफॅक्ट मुझे भी तुम्हारी पुस्सी बहुत पसंद आई....''

अपनी और अपनी छूट की तारीफ सुनकर वो खुश हो गयी...और दुगनी तेज़ी से उछलने लगी मेरे लंड पर...



और जल्द ही हमारी मेहनत का नतीजा हम दोनो के ऑर्गॅज़म की शक्ल में सामने आ गया...
मेरे लंड से और उसकी चूत से एक साथ रस निकला...

''आआआआआआआअहह आई ऍम कमिंग ...........''

मैने भी अपने लंड की आख़िरी बूँद तक उसकी चूत में निकाल दी..

दोनो का शरीर काँप रहा था...
हर बार एक नया मुकाम हासिल कर रहा था मैं अपनी चुदाइयों से..

उसके बाद हम दोनो खड़े हुए और साक्षी ने अपनी चूत में उंगली डालकर मेरा सारा घी समेट कर खा लिया...
ऐसी ही लड़किया मुझे ज़्यादा पसंद आती है, जो बिना किसी शर्म और झिझक के अपने दिल की बात मानकर अपना काम कर लेती है..

मैने अपनी बची हुई बियर उठाई और उसे सिप करता हुआ बालकनी से नीचे देखने लगा..

अभी तो सिर्फ़ 2 ही बजे थे...
पूरी रात अपनी थी...

मेरी नज़र चोकीदार के केबिन की तरफ गयी, वो भी लाइट बंद करके सो चुका था..

बिल्डिंग्स के बीचो बीच स्वीमिंग पूल था, जो पानी से लबालब भरा हुआ था...
उसे देखकर मेरे मन में एक विचार आया और मैने तुरंत साक्षी से कहा

''चलो, नीचे चलते है...स्वीमिंग पूल में ..ऐसे ही नंगे...अगला राउंड वहीँ करेंगे, पानी में ''

मेरी बात सुनकर उसकी आँखे गोल हो गयी...
पर उसने मना नही किया
क्या करती बेचारी
वादा जो किया था उसने.

मैने सारा समान अपने बेग में भरा और उसका हाथ पकड़ कर नीचे आ गया...
हम दोनो के शरीर पर एक भी कपड़ा नही था...

मेरे हिसाब से तो इस प्लान में भी कोई गड़बड़ नही होने वाली थी क्योंकि चोकीदार सो चुका था और आस पास , दूर-2 तक और कोई भी नही था..

पर वो कहते है ना, प्लानिंग हमेशा हमारे हिसाब से नहीं चलती, मेरे साथ भी वही हुआ
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kunal
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

Post by kunal »

बिल्डिंग्स के बीचो बीच स्वीमिंग पूल था, जो पानी से लबालब भरा हुआ था...
उसे देखकर मेरे मन में एक विचार आया और मैने तुरंत साक्षी से कहा

''चलो, नीचे चलते है...स्वीमिंग पूल में ..ऐसे ही नंगे...अगला राउंड वहीँ करेंगे, पानी में ''

मेरे हिसाब से तो इस प्लान में भी कोई गड़बड़ नही होने वाली थी क्योंकि चोकीदार सो चुका था और आस पास , दूर-2 तक और कोई भी नही था..पर वो कहते है ना, प्लानिंग हमेशा हमारे हिसाब से नहीं चलती, मेरे साथ भी वही हुआ

**************
अब आगे
**************

मैने जान बूझकर साक्षी को आगे चलने दिया...
मुझे हमेशा से ही गांड मटकाती लड़किया पसंद थी...
और ये तो नंगी थी इस वक़्त..
इसलिए उसकी नंगी और मटक रही गांड को देखकर मेरा मन बाग-2 हो गया..



मैने आगे बढ़कर उसकी गांड पर एक चपत लगा दी..

आउच की आवाज़ के साथ उसने शरारती नज़रों से पलटकर मुझे देखा और फिर से मटकती हुई आगे निकल गयी...

पूल के पास पहुँचकर उसने अपना पैर पानी में डाला तो काँप सी गयी...
पानी बहुत ही ठंडा था.
उसके निप्पल तन कर खड़े हो गये..

मैने आगे बड़ा और सीधा उनपर मुँह लगाकर उन कठोर अंगूर के दानों को चूसने लगा...

वो मस्ती भरी सिसकारी मारकर अपनी आँखे बंद करके मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी...
और जब मुझे लगा की वो ठंडे पानी के बारे में भूल गयी है तो मैं उसे लेकर पानी में कूद गया...

ठंडे पानी ने हम दोनो के जिस्मों को जकड़ सा लिया...
बेचारी चीखती रह गयी..
और मैं हंस-हंसकर दोहरा हो गया...

पर उस ठंडे पानी से बचने का उसने जल्द ही एक तरीका ढूँढ लिया...
अपने जिस्म को मुझसे चिपका कर वो दुगनी तेज़ी से मुझे स्मूच करने लगी...
उसका ये करना मेरे और उसके बदन में एक नयी उर्जा पैदा कर रहा था...



हम दोनो किस्स कर ही रहे थे की साक्षी ने एक जोरदार चीख मारी...
मैं तो एकदम से डर सा गया की कहीं पानी में उसे किसी कीड़े ने तो नही काट लिया...
मैने आँखे खोली तो वो डरी हुई नजरों से सामने की तरफ देख रही थी...
मैने जब पलटकर उधर देखा तो मेरी भी फट्ट कर हाथ में आ गयी..

वहां बिल्डिंग का चोकीदार खड़ा था..
हाथ में लट्ठ लिए..

एक पल के लिए तो मुझे समझ ही नही आया की कैसे मैं इस सिचुएशन का सामना करू...

और तब तक उस बूड़े चोकीदार की आवाज़ आई : "कौन हो साहब....और यहाँ क्या कर रहे हो...''

उसकी आवाज़ में जो नर्मी थी, उसने मुझे थोड़ी हिम्मत दी...
और वैसे भी उस चोकीदार की उम्र ही इतनी थी की मेरे एक झापड़ से वो नीचे गिर पड़ता...
इसलिए उसके धमकाने से भी मुझे डरने की कोई ज़रूरत नही थी.

मैं थोड़ी कड़क आवाज़ में बोला : "कुछ नही चाचा...बस ऐसे ही थोड़ी मस्ती हो रही है... मेरा फ्लॅट भी इसी बिल्डिंग में है...वो सातवे माले पर...वही दिखाने लाया था अपनी गर्लफ्रेंड को...और चलते-2 सोचा की थोड़ी मस्ती कर लू...बस ....इसलिए....ये सब...''

उस बूड़े की नज़रें अभी भी मेरे पीछे दुबक कर खड़ी साक्षी पर थी...
हालाँकि पहले उसने शायद साक्षी को टॉपलेस देख लिया था...
और शायद इसी वजा से उसकी आवाज़ में थोड़ी नर्मी थी...
वरना अभी तक अपने लट्ठ को पटककर हमे भगा चुका होता...

और मेरी बात सुनकर तो वो थोड़ा और भी नर्म सा हो गया...

वो बोला : "मालिक...वो तो ठीक है..पर इस तरह चोरी छुपे...रात के समय यहाँ आना...और यहां आकर ये सब करना....सही नही है...''

तब तक मेरे दिमाग़ ने पूरी तेज़ी से चलना शुरू कर दिया था...

मैने अपने पीछे से साक्षी को खींचकर बाहर निकाला और कहा : "अर्रे चाचा...ऐसे काम के लिए ऐसी ही जगह सही रहती है...तुम्हे हमारी मस्ती देखनी है तो आराम से देखो ''

एक बार फिर से साक्षी के मोटे मुममे देखकर उस बुड्ढे मी आँखे चमक उठी...

साक्षी ने गुस्से से मुझे देखा और चौकीदार की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी और मेरे कान में फुसफुसाई : "ये क्या कर रहे हो सोनू.....मैने कुछ नही पहना हुआ है और तुम मुझे उसके सामने कर रहे हो...''

मैने भी उसके नंगे चुतड़ों को पानी में मसला और उसे अपनी छाती से चिपकाकर कहा : "मेरी जान...इस बूड़े से डरने की कोई ज़रूरत नही है...तुम्हारे लिए तो मैं इस बूढ़े चौकीदार से तो क्या, पूरी दुनिया से लड़ जाऊं ..पर इसे देखकर मेरे दिमाग़ में एक और आइडिया आया है...क्यो ना आज इस बूड़े को इसकी जिंदगी की सबसे हसीन रात दिखाई जाए...हम दोनो सब कुछ करेंगे...इसी के सामने...एंड इट विल बी रियली एक्साइटिंग ....बोलो क्या बोलती हो...''

मेरी बात सुनकर साक्षी की आँखे गोल हो गयी....
शुरू में तो वो मेरी बात सुनकर काफ़ी खुश हुई जब मैने पूरी दुनिया से लड़ने वाली बात कही...
पर बाद में जो मैने कहा, उसे सोचकर ही उसकी हालत खराब हो गयी...
ठंडी में भी पसीना सा निकालने लगा उसके चेहरे से....
शरीर काँप सा गया ये सोचकर की वो मुझसे चुदाई करवाएगी और वो बूड़ा सामने बैठकर सब देखेगा...

उसके दिल का तो पता नही पर उसकी चूत ने हाँ कर दी...
क्योंकि उससे बाते करते हुए मैने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी थी...
ये जानने के लिए की वहां पर उसे कैसा फील होगा ये सब सुनकर...
और वही हुआ
जैसा मैने सोचा था...
एक गर्म पिचकारी निकलकर मेरी उंगली को झुलसा सी गयी...
जो इस बात का संकेत था की वो उपर से मना कर रही है पर अंदर से उसे भी ये आइडिया एकदम रोमांचक लग रहा है...

वैसे भी, इतना रिस्क लेकर वो मेरे साथ आ ही गयी थी तो इस तरह की छोटी मोटी परेशानियो से डरना बेकार था..

मैने उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए उसके कान में कहा

''ये सब करके एक नयी एक्साइटमेंट मिलेगी हमें ... एक नयी किक्क मिलेगी, जो जिंदगी भर याद रहेगी...और इस चौकीदार की उम्र भी तो देखो...इस अंधेरे में इसे हमारे चेहरे भी सही से नही दिख रहे होंगे... और कल के बाद हमें कौन सा इसके सामने दोबारा आना है जो इससे डरने की ज़रूरत पड़े...जो भी होगा..सिर्फ़ आज की रात के लिए...और सिर्फ़ हमारे बीच में ही...इसने बीच में कोई बदतमीज़ी की तो मैं इसकी टांगे तोड़ दूँगा..और फिर हम यहाँ से निकल लेंगे...प्रोमिस...''

मेरी बात ख़त्म होने की देर थी की उसने उछलकर मुझे जोरदार तरीके से स्मूच कर दिया...
मैने भी उसके कूल्हे पकड़कर उसे हवा में उठा लिया और उसकी स्मूच का जवाब देने लगा...



और मुझे पता था की इस वक़्त वो बूड़ा चौकीदार साक्षी की नंगी गांड सॉफ देख पा रहा होगा...
मैने कनखियो से उस तरफ देखा तो मेरा अनुमान सही था...

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