ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का ) complete

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kunal
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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वो चीखती हुई सी आवाज़ में बोली : "आआआआआआआआआहह सोनुउऊुुउउ..... मार डालोगे तुम मुझे...... उफफफफफफफफफ्फ़..... फककककक.........''

मैने अपना चूत के रस में लिसडा मुँह बाहर निकाला और बोला : "यसस्स.....फकिंग भी करूँगा....बस एक मिनट ओर...''

इतना कहकर मैं फिर से अपनी प्यारी सिस की चूत चूसने लगा...



इस बीच नीचे मोम ने अपने लिए चाय बना ली, पहले तो उन्होने सोचा था की उपर जाकर बच्चो को उठा दे, पर फिर सोचा की चाय पी लेती हूँ , बाद में जाकर उठा दूँगी, वैसे भी वो अपने आप उठ ही जाते है, चाय पीने तक नही उठे तो वो उपर जाकर उठा देगी..

पर उस बेचारी को भला क्या पता था की अभी उपर क्या चल रहा है...
और उसकी चाय पीने तक तो उसकी बेटी उपर चुद जाएगी...

इस बात से बेख़बर सोनू अपनी बहन की चूत चाटने के बाद उठ खड़ा हुआ और एक बार फिर से सोनिया के होंठों को चूसने लगा...

सोनिया ने उसका साथ देते हुए अपने हाथ उसके लंड पर भी चलाने शुरू कर दिए...
कड़क माल अंदर जाने में जो मज़ा है उसका वो भरपूर फायदा उठा लेना चाहती थी..



और जब वो लंड पूरा खड़ा हो गया तो उसने बड़ी ही नज़ाकत के साथ अपनी एक टाँग उठा कर अपने भाई की कमर पर रख दी...

सोनू भी थोड़ा आगे खिसक आया और उसने सोनिया की गांड पर अपने हाथ लगाकर उसे सहारा दिया ताकि लण्ड उसकी चूत में आसानी से घुस सके...
और प्रॉपर एंगल बनाते हुए, उसके रसीले होंठो को शावर के नीचे चूसते हुए, अपनी लाइफ की पहली बाथरूम वाली चुदाई की शुरूवात करते हुए सोनू ने अपना लंड उसकी चूत में डालकर एक जोरदार झटका मारा और वो फर्र-2 करता हुआ अंदर घुसता चला गया.



इतना गर्म और गीला एहसास उन्हे आज तक नही मिला था..

पानी की बौछार में सैक्स करने में जो आनद उन्हे इस वक़्त मिल रहा था उसका दुनिया की किसी भी चीज़ से कोई मुकाबला नही था..

दोनो एक दूसरे के होंठ चूस भी रहे थे और एक लय बनाकर चुदाई भी कर रहे थे.

अचानक सोनू ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और सोनिया को घुमा कर उसकी पीठ से चिपक कर खड़ा हो गया..

स्मूथ चल रही चुदाई में ऐसी रुकावट भला किसे पसंद होती है, सोनिया को भी ये पसंद नही आई...
पर तब आई जब वो इसका मतलब समझी...
सोनू ने उसे हल्का सा झुकाते हुए पीछे की तरफ से उसकी चूत का छेद ढूंड निकाला, और उसमे अपना लंड पेल दिया..

हालाँकि इस एंगल में लंड को अंदर जाने में थोड़ी तकलीफ़ हो रही थी, पर मज़ा भी उतना ही मिल रहा था..
और एक बार फिर से अपने प्यारे भाई के रसीले लंड को अपनी पनियाती चूत में लेकर वो कराह उठी...



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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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''ओह बैबी...... यू आर सूओssssssss गुड ..... ऐसा लग रहा है जैसे बरसो से करते आ रहे हो...उम्म्म.....आई एम लविंग इट........ फक्क मी नाउ..... फक्क मी हॉर्डरररररर ...''

इतना कहते हुए वो थोड़ा और झुक गयी...

और सोनू ने अपनी घोड़ी बनी बहन की चूत की रोड पर अपना घोड़ा दौड़ाते हुए जोरदार तरीके से उसे चोदना शुरू कर दिया...



दोनो एक ऐसे रास्ते पर भागते जा रहे थे जिसके हर पल में मज़ा बिखरा हुआ था, हर झटके से सोनिया की चूत में एक सनसनाहट पैदा होती और वो उसके शरीर के हर अंग को झझकोर कर चली जाती...
वो अपने रसीले होंठों को आपस में दबा कर हर झटके का मज़ा ले रही थी...

इसी बीच उनकी मोम की चाय ख़त्म हो गयी.

उन्होने कप सींक में रखा और सोनू को उठाने के लिए उपर चल दी...
वो बड़बड़ाती भी जा रही थी की 'जब से ये सोनिया आई है, सोनू ने तो टाइम से उठना ही बंद कर दिया है...छुट्टी उसकी है या सोनू की... बेकार में इसे भी अपने जैसा बनाती जा रही है ..'

सोनू इस बात से बेखबर सोनिया की चूत में पम्पिंग करता हुआ उसके उन्नत हो चुके मुम्मों को मसलने में लगा हुआ था


उधर सोनिया की चूत की सरसराहट जब कुछ ज़्यादा ही बढ़ गयी तो उसने पलटकर अपने भाई को ज़ोर से पकड़ लिया... शायद उसके दिमाग़ में एक नया आसन आया था जिसके बारे सोमें चकर वो अक्सर झड़ जाया करती थी...

उसने सोनू को नीचे ज़मीन पर बिठा दिया और खुद उसकी गोद में बैठते हुए उसके लंड को चूत में लेकर हड़प कर गयी...जैसे उसके बाप का माल हो...

वैसे था भी वो उसके बाप का माल ही..

और अपने बाप के माल को, यानी अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेकर, कुलबुलाती हुई सी, उसके लंड पर अपनी चूत को मूली की तरह घिसने लगी..

ऐसा लग रहा था जैसे इस दुनिया के दो 'तारे ज़मीन पर' उतार आए है जो उपर से बरस रहे पानी मे अपनी जवानी की आग को ठंडा करने में लगे है..



''ओह दी......यू आर सोओ हॉट....... कहाँ से ला रही हो ऐसी पोज़िशन्स......उम्म्म्ममममम सच में ......मज़ा आ रहा है...... ऐसा तो मैने सोचा भी नही था.....''

वो भी उखड़ती सांसो के बीच बोली : "उम्म्म......यु आर ऑल्सो गुड सोनू.....आई केन फील यु कॉम्लीटली इनसाइड मीई......अहह चोदो मुझे....सोनू....ऐसे ही चोदो ...फक्क मी लाइक दिस''

और जब एक लड़की आपके उपर चड़कर चोदने के लिए बोलती है...
और उपर से वो आपकी खुद की बहन हो...
तो दोस्तो ऐसा जोश आता है जिसका कोई मुकाबला ही नही होता.

और वही जोश इस वक़्त सोनू में भी भर गया...

वो उसके मोम्मे मसलता हुआ ज़ोर-2 से अपने लंड को उसकी चूत रूपी अंतरिक्ष में भेजने लगा..

और उसी वक़्त दरवाजे पर उनकी मोम ने नोक कर दिया..

वो दोनो तो अंदर चुदाई में बिजी थे, उन्हे भला क्या सुनाई देना था..

जब कोई जवाब ना मिला तो उन्होने सोनू को आवाज़ लगाते हुए ज़ोर-2 से दरवाजा खटकाया..



''सोनूsssssssss ओ सोनऊउउउ , दरवाजा खोलो ''

और ये उन्हे सुनाई दे गया...

अपनी मोम की आवाज़ सुनकर दोनो जड़ से बनकर रह गये...
अपनी माँ का सोनू को इतना खोफ़ था की उसका कड़क लंड भीगी बिल्ली बनकर , सिकुड़कर, एक पल में बाहर निकल आया...

तब तक एक बार फिर से उनकी माँ की आवाज़ आई

''सोनू.........उठ जा.....स्कूल का टाइम हो रहा है....आज छुट्टी करनी है क्या...''

दोनो जल्दी से उठे और शावर बंद किया...
दोनो मे से किसी को समझ नही आ रहा था की क्या करे और क्या नही..
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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सोनू का तो पता नही पर सोनिया का चुदक़्कड़पन अपनी मोंम की आवाज़ सुनकर भी शांत नही हुआ..
वो सोनू को चूमने में लगी रही..
अपने बूब्स को उसके चेहरे पर रगड़कर उसे चुदाई करते रहने के लिए उकसाती रही..
वो सोनू के लंड को अपनी चूत से निकलने ही नही देना चाहती थी...
आख़िरकार उसके अंदर जो ऑर्गॅज़म बन रहा था, वो उसका पूरा मज़ा लेना चाहती थी.

और वहीं दूसरी तरफ सोनू की हालत खराब थी, एक तो मॉम के आने से पकड़े जाने का डर बन चुका था और दूसरी तरफ सोनिया उसे छोड़ने को ही तैयार नही थी..

वो फुसफुसाया : "छोड़ो मुझे दी, मॉम आ गयी है...आप मुझे बाहर जाने दो, आप नहाते रहो...वरना सब गड़बड़ हो जाएगा...प्लीज़ दी...छोड़ दो मुझे...''

वो भी किसी नागिन की तरहा हिसहीसाई : "नहीsssssss .....पहले ये कंप्लीट करो....मैं बस झड़ने ही वाली हूँ ...आई कांट लीव यू लाइक दिस ....फिनिश इट ''

सोनू तो अवाक सा रह गया उसकी हिम्मत देखकर...
उसे मोंम का भी डर नही था...
वो कोई छोटा मोटा काम नही बल्कि चुदाई कर रहे थे...
और वो भी भाई-बहन होकर..
उसके बावजूद सोनिया दी ऐसी डिमांड कर रही थी.

और सोनू ये बात भी जानता था की सोनिया ने अगर ठान लिया है तो वो करके ही छोड़ेगी...
ऐसे में उसके साथ बहस करके वो टाइम वेस्ट नही करना चाहता था..
इसलिए उसके झटको को वो झेलते हुए उसे चोदता ही रहा.

इसी बीच एक बार फिर से मोंम की आवाज़ आई : "सोनू.........ओपन द डोर......सोनिया कहाँ हो तुम...''

मैने सोनिया की तरफ याचना भरा फेस बनाकर कहा की कम से कम जवाब तो दे दो...

वो बोली : "ओक...पर तुम चुप रहना एन्ड ये फकिंग बंद मत करना...''

इतना कहते हुए वो उठ गयी और बाथरूम के दरवाजे पर आकर फिर से घोड़ी बन गयी...
और पीछे मुँह करके उसने मुझे फिर से लंड अंदर डालने का हुक्म दिया..
मैने बिना कोई बहस किए अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और एक बार फिर से चूत चुदाई करने लगा..



सोनिया : "हांजी मॉम ....मैं नहा रही हूँ ....बोलो...''

मों : "ओहहोओ .....आज इतनी जल्दी उठकर नहा रही हो.... कहीं जाना है क्या...''

सोनिया ये सुनकर अटपटा सी गयी और बोली : "वो....ना....नही मोंम ...बस ऐसे ही.....उम्म्म....'



सोनिया दी ने जो आख़िर में सिसकी ली वो शायद बाहर माँ ने भी सुनी पर उसे अनदेखा करती हुई वो बोली : "अच्छा ...ठीक है...सोनू कहा है...उसे स्कूल के लिए देर हो रही है...''

सोनू भला कहाँ मिलता, वो तो इस वक़्त अपनी बहन की चूत मारने में बीज़ी था..

सोनिया : "मोंम ...आज तो वो सुबह जल्दी स्कूल चला गया....बोल रहा था की फुटबॉल प्रेक्टिस है आज....''

उसका ये सफेद झूट सुनकर मेरी भी आँखे फटी रह गयी.... और मैं रुक गया
पर मेरे रुकने से वो फिर से मुझे धक्का देकर फिर से चूत मारने को कहने लगी..
और सच कहूँ दोस्तो, उस वक़्त सोनिया दी का ऐसा करना मुझमें एक अलग ही तरह का रोमांच भर गया...एक थ्रिलिंग भरा एहसास था वो...

मोंम : "ओह्ह ....ठीक है....वो चला गया तो क्या हुआ...तू दरवाजा तो खोल...कुछ बात करनी है...''

सोनिया दी ने लड़खड़ाती हुई सी आवाज़ में कहा : "ओह....नो...नो मोंम ....आप...अभी यहाँ से जाओ.....मैं आती हूँ नीचे....कुछ देर मे....''

मोंम भी जिद्दी थी , वो बोली : "नही....मैने कहा ना...मुझे कुछ बात करनी है....खोलो अभी के अभी...''

सच में बड़ा ही रोमांचक दृशय था...
सोनिया दी बाथरूम के दरवाजे पर घोड़ी बनकर मुझसे चुदवा रही थी और थोड़ी ही दूर, दरवाजे के पीछे हमारी मोंम दरवाजा खड़का रही थी...
मेरे धक्के मारने की स्पीड थोड़ी और तेज हो गयी....
पूरे कमरे में सोनिया दीदी की हल्की सिसकारियाँ गूँज रही थी....
मैं तो दम साधे बस झटके मार रहा था.



मॉम के भी कान खड़े हो गये, सोनिया दी की हल्की सिसकारियाँ सुनकर

वो बोली : "तुम नहा रही हो या कुछ और कर रही हो....?''

सोनिया दी के लार टपका रहे होंठों से बड़ी मुश्किल से निकला : "हाँ मॉम ...नहा ली हूँ बस....कपड़े निकाल रही हूँ ....''

उधर मोंम के चेहरे पर एक रहस्यमयी सी मुस्कान आ गयी...
वो धीरे से बोली : "ओके ... ओके ...टेक योर टाइम....ये सब तो नेचुरल है इस ऐज में ...कर लो आराम से...''

ओ तेरी....
इसका मतलब मोंम ने समझा था की सोनिया दी मास्टरबेट कर रही है...

हा हा

मेरी तो हँसी निकल गयी...
पर दबी हुई सी...
क्योंकि मोंम को ज़रा सा भी एहसास हो गया की मैं अंदर ही हूँ तो सब गड़बड़ हो जाएगा...

पर मैने ये एहसास नही होने दिया और मैं अपने काम में लगा रहा.

और सोनिया भी शरमाने की एक्टिंग सी करती हुई बोली : "क्या मोंम ....आप भी ना....अहह''

और उसने एक बार फिर से सिसकारी मारकर खुद ही ये जता दिया की मोम का अंदाजा सही है.

इसी बीच सोनिया दी ने मेरे लंड को बाहर निकाल कर अपनी गांड का रास्ता दिखा दिया...
पहले भी उनकी गांड में मेरा लंड जा चुका था इसलिए दोबारा डालने में ज़्यादा तकलीफ़ नही हुई...
और गांड भीगी होने की वजह से वो ज़्यादा ही चिकनी हुई पड़ी थी
लंड को उसकी टनल मे घुसने में ज़्यादा तकलीफ़ नही हुई...
मेरा लंड सरसराता हुआ अंदर घुसता चला गया..



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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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सोनिया दी ने अपनी खाली हुई चूत में 4 उंगलियाँ एक साथ ठूस कर उसे भी मसलना चालू रखा और अपनी गांड में मिल रही अंदरूनी सिकाई को महसूस करके वो सिसकारी मारने लगी..

मोंम वो सिसकारी सुनकर समझ गयी की वो झड़ने के करीब है...
माँ बेटी के बीच का ये प्यार भरा एंगल तो मैने आज ही नोट किया था..
ऐसा लग रहा था की मोंम और सोनिया दी पहले भी इस तरह से ओपन्ली बाते कर लेती थी..

मैं भी झड़ने के करीब पहुँच गया था...

मैं थोड़ा आगे झुका और सोनिया के कान को अपने मुँह मे भरकर धीरे से कहा : "दी.....आई एम् एबाउट टू कम.....''

वो भी फुसफुसाई : "उम्म्म्मम......कम इनसाइड मी सोनू....कम इनसाइड मिईीईईई''



उनके कहने का तरीका ही इतना सैक्सी था की मैं अपने आप को और रोक ही नही पाया...
और ताबड़तोड़ तरीके से उनकी गांड में झड़ता चला गया...

''ओफफफफफफफ्फ़..........फकककककककककक''

और मेरे लंड का शहद अपनी गांड में समेट कर वो ज़ोर से कसमसाई

''आआआआआआआआहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... फकककककककक''



और ये शायद उसने मोंम को सुनाने के लिए ही बोला था....

मेरे पास अब आराम करने का समय नही था....
मैने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला...
पास पड़े टावल को पानी में भिगो कर अपने लंड और सोनिया दी की बह रही गांड के छेद को सॉफ किया...
टावल से उनकी चूत को भी अच्छी तरह से सॉफ करके मैने उन्हे दे दिया, जिसे उन्होने अपनी बॉडी पर लपेट लिया...

मैं पहले ही सोच चुका था की मुझे क्या करना है...
मैं भागता हुआ सा एक पुरानी अलमारी के अंदर घुसा और उसे अंदर से बंद कर लिया..

कमरे और बाथरूम की हालत सही करके सोनिया दी ने दरवाजा खोल दिया...
मोंम मुस्कुराती हुई सी अंदर आ गयी...
उनको देखकर सॉफ पता चल रहा था की वो आज कुछ ख़ास बातचीत करने के मूड में है...

वैसे भी मॉम के हिसाब से तो मैं घर पर था ही नही
स्कूल जा चुका था
इसलिए वो दोनो खुलकर बाते करने वाले थे...

और मैने ये सब अलमारी के अंदर छुपकर सुनने का निश्चय कर लिया, मुझे भी आख़िर जानना था की दोनो माँ-बेटी किस हद्द तक फ्रेंक है..

मॉम : "सो....कैसा रहा....''

माँ ने आँखे नचाते हुए जब ये पूछा तो सोनिया दी ने शरमाते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया...
अलमारी की दरार से मैं उन्हे देख पा रहा था...



दोनो के चेहरे के एक्शप्रेशन ऐसे थे जैसे दो पुरानी सहेलियाँ कुछ नमकीन बातें कर रही है..

सोनिया : "मोंम ...आप भी ना...बस भी करो...''

मोंम : "ओके ... मैने तो पहले भी कई बार तुम्हे ये बताया है की इट्स नॅचुरल....मैं भी अपनी हॉस्टिल लाइफ में मास्टरबेट करती थी...इन्फेक्ट ये करना ज़रूरी है...हमारी बॉडी के हार्मोंस के लिए...''

माँ द्वारा दी जा रही ये शिक्षा मुझे आश्चर्यचकित कर गयी...
पापा ने तो कभी मुझे ऐसा नही बोला की बेटा मुट्ठ मारा करो, ये तुम्हारी सेहत के लिए सही है...
मेरे तो मन में आया की काश मैं भी लड़की होता, माँ मुझे भी ऐसी अच्छी वाली बातें सिखाती.

फिर माँ ने वो किया जिसकी मुझे तो क्या, शायद सोनिया को भी उम्मीद नही थी..

मोंम ने थोड़ा आगे आकर सोनिया दी की ब्रेस्ट को पकड़ लिया...
और उसे दबाकर , नीचे हाथ लगाकर उसे परखने लगी...
जैसे मार्केट से कोई फ्रूट लेने आई हो.

सोनिया : "मोंमsssss ....ये क्या कर रहे हो...''

मॉम : ''मैं कई दिनों से नोट कर रही हूँ की ये पहले से ज़्यादा बड़े हो गये हैं...और थोड़े भारी भी...''

मैं मुस्कुरा दिया...
आख़िर मेरा ही तो कमाल था ये जिसका गुणगान इस वक़्त माँ कर रही थी.

सोनिया : "सो वॉट मोंम ... आजकल छोटी ब्रेस्ट वाली लड़कियो को कोई देखता भी नही है...इसलिए डेली इनकी मसाज करती हूँ मैं ...इनफॅक्ट अभी वही करने वाली थी की आप आ गये...''

मोंम : "और इससे पहले तुमने कहाँ की मसाज करी थी...''

मोंम की बात सुनकर , इस बार शरमाने के बदले वो भी बड़ी बेशर्मी से उनके हाथ को अपनी चूत पर रखती हुई बोली : "यहाँ की....खुश...यही सुनना चाहती थी ना आप...''

मोंम : "हा हा....तुम अभी भी वैसी ही हो, ज़रा सी बात पर चिढ़ जाती हो....''

सोनिया : "नही मोंम ...मैं चिढ़ नही रही..वो बस...इतने दिनों के बाद आपसे इस तरह की बात हो रही है तो थोड़ा ऑकवर्ड सा लग रहा है...अब मैं बड़ी हो गयी हूँ ...''

मोंम ने उसे अपनी छाती से लगाते हुए कहा : "माँ के लिए बच्चे हमेशा छोटे ही रहते हैं... वैसे, ज़रा मैं भी तो देखु की मेरी बेटी कितनी बड़ी हो गयी है...''

इतना कहते हुए उन्होने सोनिया दी का टावल खींच कर निकाल दिया...
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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सोनिया को रिएक्ट करने का मौका ही नही मिला...
पर उसकी बॉडी लॅंग्वेज से पता चल रहा था की उसे इस बात से ज़्यादा फ़र्क नही पड़ रहा ..
क्योंकि उसके बाद उसने मॉम से टावल वापिस लेने की जिदद नही की.

अब सोनिया दी मोम के सामने नंगी खड़ी थी



मेरा लटका हुआ लंड फिर से अकड़ने लगा , और इस बार सोनिया दी के नंगे बदन को देखकर नहीं बल्कि मॉम को ऐसा करते देखकर।।।।

मैं उन्हें देख भी रहा था, और उनके बारे में गंदे ख्याल ना आएं उनसे बचने के लिए अपना तकिया कलाम भी दोहरा रहा था

''ये गलत है , ये गलत है ''

पर मेरे इस ग़लत कहने का कुछ भी सही असर मॉम पर नही पड़ रहा था....
जैसे शुरू में मुझे और सोनिया दी को आपस में कुछ करने से डर सा लगता था, वैसा कुछ भी इस वक़्त मॉम और सोनिया के बीच फील नहीं हो रहा था...
दोनो बड़े ही आराम से बाते कर रहे थे, बावजूद इसके की इस वक़्त सोनिया दी पूरी नंगी खड़ी थी उनके सामने..

मॉम : "वॉव .... तुम सही कह रही थी, बड़ी ब्रेस्ट ही सही लगती है... इन्फेक्ट तुम्हे देखकर मुझे अपनी कॉलेज टाइम की याद आ गयी... मैं भी लगभग ऐसी ही दिखती थी... बल्कि मेरी ब्रेस्ट तो तुमसे थोड़ा बड़ी थी उस वक़्त...''

और ये बात तो सच ही है
उनकी ब्रेस्ट सच में काफ़ी बड़ी थी, और जितनी बड़ी थी उतना ही उन्होने मेंटेन करके रखा हुआ था उसे...
आज वो शायद 45 के आस पास थी पर ब्रेस्ट एकदम तनी हुई सी रहती थी.
उनकी बातें सुनकर मैं अपनी मॉम की ब्रेस्ट साइज़ का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करने लगा..
शायद 38 की होंगी..



पर जो भी था, उनकी इन रसीली बातों को छुपकर सुनने में मज़ा बहुत आ रहा था..
हालाँकि अभी भी मेरे अंतर्मन के हिसाब से ये ग़लत था पर सोनिया दी के बाद शायद मुझे इस तरह का हर ग़लत सही लगने लग गया था.

इसी बीच एक बार फिर मॉम ने सोनिया दी की ब्रेस्ट को हाथ में पकड़ कर उनका वजन नापना शुरू कर दिया..
उनके दोनो हाथ में सोनिया दी के गुब्बारे उछल कूद मचा रहे थे, हालाँकि सोनिया दी के चेहरे पर कोई एक्शप्रेशन नही था पर मुझे पता था की जब बात उनके निप्पल्स तक पहुचेगी तो ये एक्शप्रेशन बदलते देर नही लगेगी...

और हुआ भी ऐसे ही.

मॉम के दोनो हाथ सोनिया के मोम्मे नापने में बिज़ी थे और उनके हाथ के अंगूठे किसी साँप की तरह सरकते हुए उनके निप्पल्स पर आ लगे और उन्हे सहलाने लगी...

एक तेज साँस सोनिया दी ने अपनी नाक के थ्रू भरी, जैसे दुनिया की सारी ऑक्सिजन अपने अंदर समेट लेना चाहती हो...
मॉम के चेहरे पर वही शरारत भरी मुस्कान फिर से आ गयी... मैने आज से पहले उनका ये नॉटी अवतार कभी नही देखा था.

मॉम : "लगता है ये तुम्हारा सेंसेटिव पॉइंट है...''

सोनिया दी ने गहरी साँस लेते हुए कहा : "ये तो सभी का होता है...ये पॉइंट है ही ऐसा...''

मॉम ने मुस्कुराते हुए कहा : "मेरा नही है....''

सोनिया ने शरारती नज़रों से मॉम को देखा और बोली : "अच्छा जी...मैं चेक करू क्या...''

मॉम : "हाँ कर ले...मुझे क्या दिक्कत है..''

इतना कहते हुए उन्होने अपनी ब्रेस्ट सोनिया के सामने लहरा दी...
मेरा तो कलेजा मुँह को आ गया...
धाड़-2 की आवाज़ें दिल से सॉफ सुनाई देने लगी...

सोनिया ने अपना हाथ मॉम के दाँये चुके पर जमा दिया...
मॉम को तो जैसे कोई फ़र्क ही नही पड़ा.. सोनिया ने अपनी उंगली से उनके उभरे हुए निप्पल को पकड़ लिया और ज़ोर से दबा दिया, तब भी मॉम पर कोई असर नही पड़ा...

यानी वो सही कह रही थी

सोनिया : "वॉव मॉम, इट्स अमेज़िंग...मुझे तो लगता था की सभी लेडीज़ में यही वीक पॉइंट है...आपमे नही है''

मॉम (हंसते हुए) : "ऐसा नही है की मुझे कुछ होता नही था...शादी से पहले, इन्फेक्ट तुम दोनो के पैदा होने से पहले ये पायंट्स भी बहुत सेंसेटिव थे...पर...''

सोनिया : "पर क्या मॉम ...''

मॉम : "पर, तुम दोनो को दूध पिलाते हुए, ख़ासकर विक्की को, इनका सेंसेशन ख़त्म होता चला गया... विक्की तो उन्हे सक्क करते हुए इतनी ज़ोर से काटा करता था की कई बार तो इनमे से ब्लड़ भी निकल आया करता था... और शायद तभी से इनकी सेंसेटीविटी भी ख़त्म हो गयी है...''

मॉम की ये बात सुनकर मेरा तो बुरा हाल हो गया...
मॉम तो ये केवल बोल रही थी और मैं उस वक़्त अपने आप को उसी जगह पर रखकर ये सोच रहा था की मॉम मुझे गोद में लिटा कर दूध पिला रही है...
और मैं चपर -2 करके, उनके निप्पल्स को अपने तेज दांतो से काटता हुआ, उनका दूधु पी रहा हू...



और साथ ही साथ मुझे अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था की मेरी वजह से मॉम के निप्पल्स पंचर हो गये, वरना आज भी वो उतने ही सेंसेटिव होते...

सोनिया : "तो इसका मतलब अब आपका कोई भी पॉइंट सेंसेटिव नही है...''

मॉम (शरमाते हुए) : "ये मैने कब कहा...''

सोनिया के साथ-2 मेरी आँखे भी फैल कर चौड़ी हो गयी, जब उन्होने अपना हाथ सीधा सोनिया की चूत पर रख दिया...

वो बेचारी तो ऐसे काँपी जैसे ठंडा पानी डाल दिया हो उसके बदन पर...

मुझसे अच्छा सोनिया की दशा इस वक़्त भला कोई और कैसे जान सकता था...

पहले उसके निप्पल्स और अब उसकी गर्म चूत , दोनो एक से बढ़कर एक सेंसेटिव पॉइंट थे...

भले ही मॉम का हाथ सोनिया की चूत पर था पर बताना वो ये चाह रही थी की उनका भी यही सेंसेटिव पॉइंट है...

और ये बात जैसे ही सोनिया की समझ में आई उसका हाथ भी मॉम की चूत की तरफ सरकने लगा...
और मॉम ने मना भी नही किया, बल्कि उसके हाथ को महसूस करके वो भी ठीक वैसे ही काँपी जैसे सोनिया दी काँपी थी. लाइक डॉटर, लाईक मॉम.

''ससससससससस आआआआआह्हः ''

बंद अलमारी में मेरा बुरा हाल हो चुका था
एक तो अंदर वैसे ही गर्मी थी उपर से इतना गर्म सीन देखकर मेरे बदन से पसीने निकलने लगे.


वो मॉम की चूत को उनकी साड़ी के उपर से ही बुरी तरह से मसलने लगी...
अपना पूरा पंजा उसपर लगाकर उसने चूत पर ऐसा दबाव बनाया की मॉम का शरीर हवा में उठ सा गया...

'ओह्ह्ह गॉड ..... सोनी......उम्*म्म्ममममम डोंट डू इट...... कुछ हो रहा है....''

और अंदर खड़ा हुआ मैं सोनिया को कोस रहा था की ये क्या करने पर उतारू हो गयी है वो...
भला अपनी मॉम के साथ कोई बेटी ऐसा करती है क्या...
और करना भी है तो उसे ये सोच लेना चाहिए था की मैं अंदर ही हूँ ...
उनकी आवाज़ सुन सकता हूँ ...
इनफॅक्ट मैं तो दरार में से उन्हे देख भी पा रहा था, इसके बावजूद वो मॉम के साथ ये सब करने पर लगी हुई थी..

सोनिया पर तो अब कोई भूत सा चढ़ चुका था...
ठीक वैसा ही जैसा तनवी के साथ मज़े करते हुए चड़ता था.
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