ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का ) complete

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kunal
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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अभी तक उनकी बाते सुनकर यही लग रहा था की एक माँ अपनी बेटी से अपनी अतरंग बाते और पुरानी यादे ताज़ा कर रही है...
पर यहाँ तो सच में कुछ होने जा रहा था
जो उनके बीच की वो सब दूरिया भी कम करने वाला था
जिसे जनरेशन गेप कहते है..

सोनिया ने तो उनके ब्लाउज़ के बटन खोलकर वो जनरेशन गेप अपनी तरफ से ख़त्म कर दिया था
और मैं मान रहा था की शायद सोनिया को अभी इन बातों की ज़्यादा समझ नही है और अपनी उत्तेजना के आवेग में बहकर वो ऐसा कर रही है.
पर मॉम तो समझदार है ना
वो भला क्यो उसे मना नही कर रही..

वो क्यों अपनी खुद की बेटी के साथ ऐसे संबंध बनाना चाहती है
जो दुनिया की नज़र में तो ग़लत है ही
इस वक़्त मेरी नज़र में भी ग़लत है.

पर मॉम और सोनिया दी के मन से शायद ये आवाज़ नही निकलती थी की 'ये ग़लत है' इसलिए सब कुछ बड़े आराम से होता जा रहा था.

मॉम के ब्लाउज़ के पाट खुलते ही उनकी वाइट ब्रा में क़ैद मुम्मो के साक्षात दर्शन हो गये ..
एकदम कसे हुए और बड़ी मुश्किल से समाए हुए थे उनमें वो...
सोनिया दी ने पीछे हाथ करके उनकी ब्रा के हुक्स भी खोल दिए और ब्रा ढीली होते ही उसने बड़ी तेज़ी से दोनो कपड़ों को एकसाथ नीचे खींच कर निकाल दिया, जैसे कोई ठरक चढ़ चुकी हो उसमें....

और उसके बाद जो नज़ारा मेरी और सोनिया दी की आँखो के सामने आया उसे मैं तो जिंदगी भर भूल ही नही सकता...

इतने बड़े बड़े...
इतने मोटे मोटे
एकदम वाइट
और लाल-2 निप्पल



ऐसे मोम्मे तो मैने आज तक ब्लू फ़िल्मो में भी किसी के नही देखे थे..

और मेरे मुँह से अनायास ही निकल गया

''उफ़फ्फ़ माँ.... तुम तो काम की देवी लग रही हो इस वक़्त...क्या मोम्मे है तुम्हारे....वाउ....''

और सोनिया दी तो पागल ही हो गयी...
उन्हे तो और भी बड़े लग रहे थे वो,एकदम पास जो खड़ी थी उनके...

मॉम ने अपने मोटे-2 मुम्मो को सोनिया दी के बूब्स पर ज़ोर से मसला



उसके निप्पल्स पर अपने निप्पल्स लगाकर अपने साथ-2 उसे भी उत्तेजना के उस शिखर पर पहुँचा दिया जिसके लिए वो दोनो ना जाने कब से तड़प रहे थे.

और सोनिया ,बिना कुछ बोले , मॉम को धक्का देते हुए बेड तक ले गयी और उन्हे उसपर गिरा दिया...
और अपना मुँह सीधा उनके दांये मोम्मे पर लगाकर उस लाल सुर्ख शहतूत के दाने को अपने मुँह में भर लिया और ज़ोर-2 से सक्क करने लगी.



मॉम की आँखे बंद हो गयी
एक हाथ से उन्होने सोनिया का सिर दबोच कर अपनी छाती से लगाया और दूसरे हाथ से बिस्तर की चादर को कस कर जकड़ लिया और ज़ोर से चिल्लाई

''उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सोनिया................ उम्म्म्मममममममममम मममममम धीरे बेटा....धीरे......दर्द होता है.......अहह''


पर वो अब रुकने वाली नही थी
आख़िर थी तो मेरी ही बहन ना...
मेरा जब उन्हे देखकर ही इतना बुरा हाल हो रहा था तो उसका क्या हो रहा होगा...
वो अपने मुँह में भरकर उन बूब्बो को निचोड़ने में लगी थी.



और फिर उसने अपना हाथ उनके नंगे पेट पर रखकर उनकी नाभि में घुसा दिया...
वो और बुरी तरह से तड़प उठी.

निप्पल और नाभि पर हुए एकसाथ प्रहार को महसूस करके उन्हे शायद अपनी जवानी के वही दिन याद आ गये जब वो मुझे और सोनिया दी को दूध पिलाया करती थी.

सोनिया यही नही रुकी
उसके हाथ नीचे की तरफ सरके और उसने मॉम के पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे भी नीचे खिसका दिया, नीचे उन्होने एक ब्लैक कलर की पेंटी पहनी थी जो उनकी चूत से निकल रहे रस से नहा चुकी थी....

और उस कच्छी को उतारकर सोनिया ने वो काम किया जिसकी मुझे भी आशा नही थी...
सोनिया ने उसे बड़ी ही बेदर्दी से नॉचकर उतारा और उसे घुमाकर मेरी तरफ उछाल दिया.

सोनिया को शायद मेरा भी ख़याल था

वो कच्छी उस अलमारी के दरवाजे से टकराकर नीचे गिर पड़ी, जिसमें मैं खड़ा होकर वो सब देख रहा था...

उनकी चूत से निकल रहे रस की खुश्बू इतनी तेज थी की मेरे नथुने फड़फडा उठे...
और मैने नीचे बैठकर, दरवाजा हल्का सा खोलकर उस कच्छी को अंदर ले लिया.

ऐसा लगा जैसे मैने उसे पानी के टब से निकाला है...
इतनी गर्म और गीली थी वो.

मैने आव देखा ना ताव, उस गीली कच्छी को अपने मुँह से लगाकर एक गहरी साँस ले ली...
ऐसा लगा जैसे मैं मॉम की पुस्सी को सूंघ रहा हूँ ...
ऐसा नशा तो आज तक मुझे नही चड़ा था
ऐसा लग रहा था जैसे कोई पुरानी शराब का ढक्कन खोल दिया हो...
एकदम मदहोश कर देने वाली स्मेल थी वो...
उसे सूँघकर तो मैं पूरी रात चुदाई कर सकता हूँ.

पर इस वक़्त तो वो काम सोनिया कर रही थी....



मॉम के बूब्स चूसने के बाद वो धीरे-2 नीचे आई और अपनी जीभ को उसने उनकी नाभि में घुसा दिया...
बेचारी मॉम का पूरा शरीर हवा में उठ सा गया, जैसे कोई जादूगर उनपर अपना कारनामा दिखा रहा हो...
सिर्फ़ उनके पैर और सिर बेड पर लगे थे
बाकी पूरा शरीर तीर की तरह हवा में उठा हुआ खड़ा था..

मेरा तो मन किया की अभी के अभी बाहर निकलु और इस तीर के बीच घुसकर मॉम के इस आसन को तोड़ दूँ,
उनकी चूत में अपना मुँह घुसेड दूँ और एक बार फिर से उस छेद में घुसने की कोशिश करुं जिसमें से मैं निकला हूँ ...

पर अलमारी में खड़ा होकर मैं सिर्फ़ ये सोच ही सकता था, और कुछ नही..

पर सोनिया तो कर सकती थी ना...



उसने धीरे-2 उनकी नाभि को चूसा और फिर अपनी जीभ से उनके नंगे पेट को चाटा और फिर उठकर उनकी टाँगो के बीच में आ गयी और जैसे ही चूत पर मुँह लगाया, उनका हवा में तैर रहा शरीर धड़ाम से बेड पर आ गिरा.

''ओह बैबी......... उम्म्म्ममममममममममममम..... क्यो तडपा रही हो सोनिया....अहह''

सोनिया ने मॉम की चूत से लिसडा हुआ मुँह बाहर निकाला और बोली : "मॉम, आप पूरा दिन हमारे लिए बाहर रहती है, आज आपकी थकान उतारने का मौका मिला है तो मैं ये काम छोड़ने वाली नही हूँ ...''



इतना कहते हुए उसने उनकी चूत में एक बार फिर से अपना मुँह लगाया और चूसने की आवाज़े फिर से आने लगी..

ऐसा लग रहा था जैसे वो बर्फ वाला गोला चूस रही है
उतनी ही तेज आवाज़ के साथ और सड़प -2 के साउंड के साथ.

दोनो इस वक़्त जन्मजात नंगे थे...
मैने भी अपना लंड बाहर निकाल लिया...
उन्हे इस हालत में देखकर मुझे कुछ-2 नही बल्कि बहुत कुछ हो रहा था..
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kunal
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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मॉम को शायद अपनी जवानी के टाइम का कुछ याद आया और उन्होने सोनिया को घूमाकर अपने उपर खींच लिया..
यानी 69 की पोज़िशन में ...
और फिर वो माँ बेटी एक दूसरे की शहद की शीशी से रस निकाल-निकालकर चाटने लगी...



मैने भी लंड हिलाने की स्पीड तेज कर दी..

अब उन दोनो के मुँह से निकलने वाली सिसकारियां भले ही बंद हो चुकी थी पर तेज साँसे और कसमसाहट सब बयान कर रही थी

और जैसे-2 उनकी चुसाई आगे बढ़ रही थी, वैसे-2 पलंग की चरमराहट भी तेज हो रही थी...
दोनो अपनी-2 जीभ से एक दूसरे की चूत को चोदने में लगी थी..

और फिर जैसे एक सैलाब सा आया कमरे में .. और एक साथ 2-2 बाँध टूट गये...

मॉम नीचे थी, उनके चेहरे पर तो जैसे सोनिया दी की चूत से निकला झरना चल पड़ा...
और उनका पूरा चेहरा उस झरने से निकले गाड़े और चिपचिपे पानी से तरबतर हो गया..
मॉम ने अपना मुँह खोला और उस झरने का मीठा पानी पीना शुरू कर दिया...
इस उम्र में आकर ऐसा ताज़ा पानी पीना हर किसी को नसीब नही होता..
और ख़ासकर अपनी खुद की बेटी की चूत का.

वहीं दूसरी तरफ सोनिया ने तो अपना मुँह पूरा का पूरा मॉम की चूत पर चिपका सा दिया की कही एक भी बूंद बाहर ना निकल जाए...
और अपने फेले हुए होंठों की मदद से उसने मॉम की चूत को पूरा ढक कर, उसका सारा रस बड़ी ही कुशलता के साथ पी लिया...
बिना एक भी बूँद बाहर निकाले.

और दोनो ने एक दूसरे की चुतों को अच्छे से सॉफ करके ऐसा चमका दिया जैसे कुछ हुआ ही ना हो..

और फिर अपनी नंगी और प्यारी बेटी को अपने सीने से लगाकर वो बड़ी देर तक उसे प्यार भी करती रही...

और सच कहूँ दोस्तों, इस वक़्त मुझे माँ के प्यार की कमी बहुत ज़ोर से महसूस हो रही थी..
पर अंदर ही अंदर मुझे पता था की ये वाला प्यार मुझे जल्द ही मिलने वाला है.

सोनिया बड़े मज़े से मॉम के नंगे बदन से लिपट कर उन्हे सहला रही थी...
मुझे तो अब लग रहा था की वो ये बात भूल ही चुकी है की मैं अलमारी में बंद हूँ
मेरे लिए अब वहां खड़ा होना मुश्किल होता जा रहा था.

पहले तो लग रहा था की खेल ख़त्म होने के बाद मॉम नीचे चली जाएगी...
पर सोनिया ने उन्हे अपनी बातो में लगा लिया.

सोनिया : "मॉम..अगर आप बुरा ना मानो तो एक बात पूछु...''

मॉम : "ह्म्*म्म्म''

सोनिया : "आपको प्रोपर सैक्स ना किए हुए कितना टाइम हो गया...''

सोनिया की बात सुनकर मॉम ने चोंकते हुए उसे देखा.

सोनिया : "मॉम , हैरान मत होइए...मुझे पता है की आपके और पापा के बीच काफ़ी टाइम से कुछ हुआ नही है... तभी तो आप आज इतनी आसानी से अपनी बेटी के साथ ये सब करने के लिए तैयार हो गयी...''

सोनिया की बात सही थी...
मैने भी मन में सोचा की क्यो मॉम ने एक बार भी गुस्सा नही किया
माना नही किया...
अपनी ही बेटी के साथ इस तरह के रिलेशन एक माँ को शोभा नही देते.

पर वो माँ भी क्या करे जब उसे अपने पति से कोई अटेन्षन ना मिले...
और एक सभ्य परिवार की बहू होने के नाते वो बाहर किसी और के साथ संबंध भी नही बना सकती थी...
ऐसे में एक आशा की किरण उसे सोनिया ने दिखाई और वो उसकी रोशनी में पूरी नहा गयी.

मॉम : "हां ...सही कहा तुमने.... तेरे पापा को मेरी फ़िक्र ही कहा है... ऑफीस के काम के बाद वो इतना थक जाते है की इन सब बातो के लिए एनर्जी ही नही बचती...और वैसे भी, इस उम्र में आकर कुछ प्राब्लम भी हो ही जाती है, इसमें उनका भी कोई कसूर नही है...''

फिर कुछ देर रुककर वो बोली : "हम औरतों को उपर वाले ने इस तरह का बनाया है की हमारे अंदर की प्यास किसी भी उम्र में आकर भी बुझती नही है...पर हमारे समाज में इसे गंदी नज़रों से देखा जाता है...समाज के लोग लड़कियो और औरतों पर इतनी पाबंदी लगा देते है की वो अपने मन की बात ना तो किसी से कर सकती है और ना ही खुलकर जी सकती है... ऐसे में अंदर ही अंदर घुटकर जीने के सिवा कोई और चारा ही नही है..''

मॉम सही कह रही थी...
लड़को के तो मज़े होते है
वो तो कहीं भी मुँह मार लेते हैं
पर लड़कियो की चूत में अगर खुजली हो तो वो कहाँ जाए...



मॉम : "और ऐसे में अगर माँ को अपने बच्चो से वो प्यार मिले तो इसमें क्या बुरा है..''

सोनिया : "मॉम , फिर तो आप ये काम सोनू के साथ भी कर सकते हो...''

सोनिया ने बड़ी बेबाकी से अपने मन की बात मॉम को कह तो दी
पर उसके बाद मॉम के चेहरे का एक्सप्रेशन देखने लायक था...

मेरी भी हालत पतली हो गयी...
मुझे तो लग रहा था जैसे मैं भी उन्ही के सामने बैठा हूँ
और सोनिया ने मेरी सिफारिश कर दी है जिसे सुनकर मॉम गुस्सा हो गयी.

मेरी तो आँखो के सामने वो मंज़र नाचने लगा जिसमे मैं मॉम की चूत में लंड पेलकर उन्हे बुरी तरह से चोद रहा हूँ .



अब वो गुस्सा हुई या नही ये तो नही पता...
पर सोनिया की बात सुनकर वो जल्दी से उठी और उन्होने कपड़े पहनना शुरू कर दिया...
और एक मिनट में ही कपड़े पहन कर बाहर निकल गयी.

और जाते -2 वो बोली : "तुम्हे मेरे बारे में ज़्यादा सोचने की जरूरत नही है...''

और पीछे सोनिया अपने बेड पर नंगी लेटी हुई उन्हे जाते हुए देखती रह गयी.

मैं झट्ट से कूदकर अलमारी से बाहर निकला...
और भागकर सबसे पहले कमरे का दरवाजा बंद किया...
मेरा पूरा शरीर पसीने से नहा चुका था...

और फिर पलटकर मैने सोनिया दी को जैसे डांटना शुरू कर दिया
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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''दी, आप पागल हो गये हो क्या....ये क्या कर लिया आपने मॉम के साथ...और मेरे बारे में बोलने की क्या ज़रूरत थी...आपने ये ठीक नही किया दी, ये बिल्कुल ग़लत है...''

सोनिया ने अभी भी अपने नंगे शरीर को ढकने का कोई प्रयत्न नही किया...
वो बड़े आराम से तकिया लगाकर मेरी बातें सुनती रही.



और बाद में बोली : "ये ग़लत है वाली बात तो तुम करो ही मत...मेरे साथ जो कर रहे थे वो भी उतना ही ग़लत था और जब वो बाद में सही हो सकता है तो अब जो मैं मॉम के साथ जो कर रही हूँ , वो भी उसी हिसाब से सही है...और रही बात तुम्हारे बारे में बात करने की तो ये मैं तुम्हारे लिए ही कर रही हूँ और सच कहूँ तो मॉम के लिए भी...क्योंकि एक औरत की प्यास सिर्फ़ एक मर्द ही बुझा सकता है...उनके साथ ये हल्का फूला प्यार करके मैने उन्हे अभी के लिए तो शांत कर दिया है पर अंदर तक बुझने वाली प्यास तो तुम्हारा ये हथियार ही बुझा सकता है...''

उसने मेरे लंड की तरफ इशारा किया जो अभी तक उसी अंदाज में खड़ा था जैसा अलमारी में उनकी बाते सुनकर खड़ा था.

सोनिया : "और वैसे भी, अपनी मॉम के दूध का क़र्ज़ उतारना तुम्हारा भी फ़र्ज़ है... और इस वक़्त मॉम को..उनके जिस्म को...उनकी पुस्सी को तुम्हारी और तुम्हारे इस लंड की बहुत ज़रूरत है...''

वो तो जैसे मुझे हिप्टोनाईस कर रही थी...

और मैं हो भी रहा था.

उसकी बाते मेरे दिल के अंदर तक उतर रही थी...
मैं इस वक़्त अपने आपको उस मसीहा की तरह समझ रहा था जो पूरी दुनिया की अबला औरतों को बचाने निकल पड़ा है...
और सबसे पहले मैं अपनी माँ की सहायता करके उन्हे इस आग से बचाऊंगा..

पर फिर कुछ सोचकर मैने कहा : "पर...पर दी...ये सब मुझे सही नही लग रहा ...मुझे लगता है की ये सब हमारे बीच ही रहना चाहिए, मॉम को इसमे इन्वॉल्व नही करना चाहिए...''

सोनिया : "मॉम इसमे इन्वॉल्व हो चुकी है...और मुझसे मॉम का ये दर्द अब और नही देखा जाएगा... तुमने शायद देखा नही, मॉम को जब मैने तुम्हारा नाम सजेस्ट किया तो उन्होने कुछ नही कहा...इसका मतलब वो भी शायद अंदर से यही चाहती है...''


मैं चुप हो गया...
ये बात तो मैं भी समझ चुका था...
जब मॉम एक बच्चे के साथ संबंध बना सकती है तो दूसरे के साथ बनाने मे भला क्या प्राब्लम होनी थी उन्हे...

और मेरे पास तो लंड भी है.

उसी लंड की चाह में शायद वो मान जाए...
ऐसी उम्र में आकर एक कड़क लंड अगर उन्हे मिल जाए तो और क्या चाहिए उन्हे..

मुझे सोचते हुए देखकर वो उठकर मेरे पास आई और नंगी ही मुझसे लिपट गयी...

और बड़े प्यार से बोली : "मान जाओ भाई....मॉम को तुम्हारी मदद की ज़रूरत है...प्लीज़...''

उसने जब ये बात कही तो मेरा दिल एकदम पसीज गया...
आपको तो पता है लड़के इस मामले में कितने भावुक होते हैं,उनसे किसी का दर्द और परेशानी नहीं देखि जाती ।

और मैने उसे ज़ोर से हग करते हुए कहा : ''ओक...दी....जैसा आप कहे....''

मेरी बात सुनते ही वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगी...
मेरी गोद में उछलकर चड गयी और नीचे मुँह करके मेरे होंठो को चूसने लगी.



उसके मुँह से मुझे वही पुरानी शराब की खुश्बू आ रही थी जो मॉम की कच्छी में से आ रही थी...
मैं भी दुगने जोश के साथ उसके रसीले होंठो पर लगे मॉम की चूत के रस को चाटने लग गया.

अब कुछ और करने की हालत नही थी...
थोड़ी देर पहले जिस अंदाज में मैने सोनिया दी को चोदा था उसके बाद वो पर्फॉर्मेन्स दोबारा लाने के लिए कम से कम 2-3 घंटे का गेप चाहिए था..

और मॉम भी नीचे ही थी...
इसलिए मैने ज़्यादा रिस्क लेना सही नही समझा..
सोनिया दी ने भी अपने कपड़े पहने लिए और मैं पीछे वाली बाल्कनी से घर के पीछे वाली सुनसान गली में कूद कर सामने के दरवाजे के सामने आ गया..

मैने इस वक़्त ट्रैक्क सूट पहना हुआ था...
क्योंकि सोनिया दी के अनुसार तो मैं फुटबाल्ल खेलने गया हुआ था..

दरवाजा मॉम ने ही खोला...
और इस वक़्त मैं मॉम को और मॉम मुझे एक अलग ही नज़रिए से देख रहे थे...

मेरी नज़रें मॉम के उन मोटे-2 मुम्मो पर थी, जिन्हे कुछ देर पहले मैने नंगा देखा था..
नेहा द्वारा चूसते हुए देखा था...

और मॉम की नज़रें मेरी शॉर्ट्स के उपर थी, जिसमें मेरे उभरे हुए लंड की लाइन ऐसा फील करा रही थी जैसे मैने कोई खीरा छुपा रखा है अपनी टाँगो के बीच.



मैं अंदर आकर सोफे पर बैठ गया..
और मॉम मेरे लिए पानी लेकर आई...

पता नही क्यों पर मुझे लग रहा था की अंदर ही अंदर मॉम मुझे कुछ कहना चाहती है...

मैने मॉम से पूछा : "मॉम .आप अभी तक घर ही हो..क्लिनिक नही गये..''

मों : "हाँ बस..कुछ काम था...आज सोच रही हूँ की सोनिया के साथ कुछ देर मार्केट हो आऊँ..''

सोनिया ने जो प्यार दिया था शायद उसी का फल मिल रहा था उसे...
मॉम उसे शॉपिंग करवाने बाहर ले जा रही थी..

मैं : "ओक ... गुड...एंजाय करना...''

मॉम ने मुझे देखा, जैसे कहना चाहती हो की वो तो कर ही चुके है.

और तभी सोनिया दी तैयार होकर नीचे आ गयी...

और मुझे देखकर उसने हाय बोला जैसे आज की तारीख में पहली बार मिल रही हो मुझसे..

कुछ ही देर में वो लोग मार्केट के लिए निकल गये और मैं घर में अकेला रह गया..
वो शाम से पहले आने वाले नही थे...
मैं मॉम के बारे मे सोचता हुआ सोफे पर लेट गया और टीवी देखने लगा..
मेरे मन में बस यही चल रहा था की मॉम के साथ कुछ करते हुए कैसा फील होगा.

यही सब सोचते-2 मेरी आँख लग गयी

मेरे साथ और अक्सर दूसरे लोगो के साथ भी हमेशा यही होता है की जो बात सोचते-2 सोया जाए,उसी के सपने आते है..

मॉम के बारे में सोचते-2 सोया तो सपने में भी उन्ही के दर्शन हो गये..

और सपनो की दुनिया में तो आप खुद की इच्छा अनुसार कुछ भी कर सकते हो...
जैसा मर्ज़ी सोच सकते हो...
वही होता है.

यहाँ भी वही हो रहा था.

मॉम और मैं एक सुनसान टापू पर थे...
मैं एक चेयर पर नंगा लेटा हुआ था...
मेरे हाथ में बियर का केन था और मेरा लंड समुंद्र में नहाती हुई मॉम को देखकर अकड़ कर खड़ा था...

वो नीले पानी की लहरो में गोते लगा रही थी
एकदम नंगी

हमारे सिवा पूरे टापू पर कोई और नही था..

पानी की लहरे मॉम के नंगे बदन को चूम कर सारे समुंदर को नशीला बना रही थी..

उनकी चूत का पानी रिस कर नमकीन पानी को मीठा कर रहा था..




और उनका नंगा बदन मेरे लंड को एक नयी एनर्जी प्रदान कर रहा था...
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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जिसे देखकर मैं बियर के सिप भरता हुआ , अपना लंड मसलता हुआ, उस सैक्सी नज़ारे का मज़ा ले रहा था.

उन्होने मुझे देखा और मुस्कुराइ...
और अपनी मोरनी जैसी गांड मटकाती हुई मेरी तरफ आने लगी...
जैसे-2 वो करीब आ रही थी वैसे -2 उनके नशीले बदन के रसीले अंग और बड़े होते जा रहे थे...
उनके हिलते हुए मोम्मे जो दूर से आम की तरह दिख रहे थे, पास आते आते खरबूजे में बदल गये..
उनकी चूत जो दूर से दिखाई भी नही दे रही थी
पास आने पर उसकी लकीरो के पीछे छुपा गुलबीपन तक दिखाई देने लगा.



और सीधा वो मेरे उपर आकर लेट गयी और मुझे जोरों से स्मूच करने लगी...
उनके होंठो से समुंदर के नमकीन पानी का स्वाद आ रहा था...
होंठो से ही नही उनके जिस-2 अंग को मैं चूम रहा था वहां से नमक निकल रहा था...
आज मुझे एक नमकीन औरत को चखने का एहसास हो रहा था...

हम दोनो तो पहले से ही नंगे थे और उनका मेरे उपर लेटने का स्टाइल ही ऐसा था की मेरा लंड सीधा मॉम की गीली चूत पर रगड़ खा रहा था...

उनसे और सब्र नही हुआ और उन्होने अपनी टांगे फेला दी और मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी चूत के मुहाने पर चिपका लिया...
और एक ही झटके में उन्होने मेरे लंड को अपनी फुददी में घुसेड लिया और मेरे उपर उछल कूद मचाती हुई मुझे चोदने लगी..



''आआआआआआआअहह सोनू..... ज़ोर से चोद मुझे..... और ज़ोर से..... जैसे अपनी बहन को चोदता है तू...मुझे भी वैसे चोद .....अहह मज़ा आ गया...... कब तू इतना बड़ा हो गया रे....... मेरी इसी चूत से निकला है तू, जिसे आज तू चोद रहा है....''

उनकी ये बात सुनकर मैं सपने में भी इतना उत्तेजित हो गया की अपने ओर्गास्म के करीब पहुँच गया...
और इससे पहले की मैं नींद में ही अपनी चड्डी गीली कर लेता
दरवाजे पर किसी ने बेल बजा दी.

एक ही पल में मैं सपनो के गीले समुंदर से निकल कर यथार्थ के रेगिस्तान में आ गया..

लंड का तो मेरे ये हाल था जैसे उसे अभी -2 किसी की चूत में से खींचकर निकाला हो...
मैं खुद ही अपने सपने के बारे में सोचकर हंस दिया...
तभी दोबारा बाहर की बेल बजी.

मैं बाहर आने वाले को गालियां देता हुआ दरवाजा खोलने चल दिया...

और दरवाजा खोला तो अपनी हँसी बिखेरती हुई तनवी मेरे सामने खड़ी थी..

उसे इस समय अपने घर पर आया देखकर मैं भी हैरान रह गया...
उसके चेहरे को देखकर पता चल रहा था की वो जानती है की मैं घर पर अकेला हूँ ..
वो मुझे धक्का देते हुए अंदर आ गयी और खुद ही दरवाजे की कुण्डी लगा दी..

उसने एक ब्लू कलर की टाइट सी टी-शर्ट पहनी हुई थी और नीचे जीन्स.



वो बोली : "मुझे पता है की घर में कोई नही है....मैने अभी सोनिया को कॉल किया था , और उसी ने बताया की वो मॉम के साथ मार्केट में है और 1 घंटे से पहले आने वाले नही है...इसलिए मैने सोचा की जब तक वो आ नही जाते मैं तुम्हारी कुछ सेवा पानी ही कर दूँ ....वैसे ये भी तैयार लग रहा है...''

उसने अपने सैक्सी अंदाज में मेरे खड़े हुए लंड को देखते हुए कहा..

एक तो पहले से ही मॉम और सोनिया की लैस्बियन चुदाई देखकर मेरा बुरा हाल था और बाद में मॉम के सपने ने मेरे लंड की लंका लगा रखी थी...
और अब ये सैक्स की पुजारन आकर इस तरह से मेरे अंदर की वासना को भड़का रही थी...

आज से पहले मैने उसके साथ हद में रहकर ही सब कुछ किया था...
यानी चुदाई के सिवा सब कुछ करवा चुकी थी ये रंडी मुझसे...
और आज मैने उसे वो तोहफा भी देने की सोची जिसके लिए उसकी चूत ना जाने कब से कुलबुला रही थी...
वैसे भी अपनी पहली चुदाई सोनिया के साथ करने के बाद अब मेरे लंड के मुँह पर खून लग चुका था...
कुँवारी चूत का खून
और ये प्यास उसी तरह के खून से ही बुझने वाली थी..

वो तो शायद अभी भी सिर्फ़ लंड और चूत चुसाई का प्रोग्राम बना कर ही आई थी
पर मेरे लंड ने उसके लिए जो सर्प्राइज़ सोच लिया था उसके बाद तो उसकी हालत खराब होने वाली थी...

अपनी बात पूरी होने से पहले ही वो मेरे करीब आई और मुझसे लिपट कर अपनी छातिया मुझसे रगड़ने लगी...
उनमें हो रही खुजली को वो ज़ोर-2 से रगड़ कर मिटा रही थी..
उसकी टी शर्ट पर चमक रहे बटन नुमा निप्पल बता रहे थे की उसने आज भी अंदर ब्रा नही पहनी हुई है...

ये साली बिना ब्रा और पेंटी की लड़कियां रंडियो से कम नही होती...
अपने अंदर की प्यास को उजागर करने का इससे अच्छा कोई तरीका नही है इन हरामनो के पास..
ना जाने कितने लंड खड़े करवाती हुई आई होगी अपने घर से यहां तक..

पर अब उनकी हवा निकालना मेरा काम था...
मैने एक ही झटके में उसकी टी शर्ट उतार फेंकी



और अपना मुँह नीचे लगा कर उसके हिम पर्वत का पानी पीने लगा..

उसके काले निप्पल्स को मुँह में भरकर मैने जब चुभलाया तो वो नागिन की तरह लहराकर मुझसे लिपट गयी...
और मेरे खड़े हुए लंड पर अपनी चूत को रगड़ते हुए उत्तेजना के माहौल को और भड़काने लगी..

मैने भी उसके दिल की बात सुनते हुए जिप खोलकर अपना लंड निकालकर उसे थमा दिया...

तनवी : "उम्म्म.....क्या बात है....आज तो ज़्यादा नखरे भी नही कर रहे...डर भी नही रहे...लगता है कुछ करने के मूड में हो आज....''

मैं कुछ नही बोला...
मैं आज उसे उसकी पहली चुदाई एक सर्प्राइज़ के रूप में देना चाहता था.

उसने मेरी बेल्ट खोलकर मेरी जीन्स भी उतार फेंकी....
मेरे हाथ उसकी जीन्स को खोलने में बिज़ी हो गये...
ऐसे वक़्त में कपड़े उतारने का काम इतनी तेज़ी से होता है, उसमें तो हम जैसे लवर्स को गिनीस वर्ड रेकॉर्ड मिल जाना चाहिए, रेकॉर्ड टाइम में कपड़े उतारने के नाम पर..

कुछ ही देर में हम दोनो जन्मजात नंगे थे.

तनवी के नंगे बदन को अपनी आँखो के सामने एक बार फिर से देखकर मुझे उसके नशीले बदन से प्यार सा हो गया...
साली एकदम सॉलिड माल थी...
कोरा...
चिकना...
फाडू माल.

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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

Post by kunal »


मैने उसे सोफे पर बिठाया और अपना लंड मसलता हुआ उसके करीब आ गया, वो समझ गयी की उसका क्या करना था..


पहले तो उसने उसे अपने हाथ में पकड़ा और गोर से देखने लगी...
शायद आज से पहले उसे इतने करीब से देखने का मौका नही मिला था..

वो मेरे लंड के टोपे को अपने होंठो पर लिपस्टिक की तरह रगड़ते हुए बोली : "उम्म्म्म....ये साला तो दिन ब दिन बड़ा होता जा रहा है.... कब तक तरसाएगा मेरी जान....इन होंठो के अलावा भी एक और होंठो का जोड़ा है, जो इसका वेट कर रहा है....''

साली ने बड़ी मासूमियत से अपनी होने वाली चुदाई की भविष्यवाणी कर दी..
पर उसे पता नही था की उसके मुँह से निकली ये बात कुछ ही देर में सच होने जा रही है.

मेरी आँखो में देखते-2 उसने मेरे लंड को निगल लिया...
और अपनी सकिंग मशीन जैसे मुँह से वो उसे ज़ोर-2 से चूसने लगी..
लड़कियो की यही बात मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी...
मेरे लंड को ऑक्सिजन सिलेंडर समझ कर चूसती थी वो...
जैसे उसमें से निकल रही हवा से ही उनकी जिंदगी चल रही है.

मेरे लंड को अच्छे से चूसने के बाद उसने मेरी गोटियां भी चूसी...
उन्हे चाटा और अच्छे से मेरे अखरोटो को चमका कर गीला कर दिया..



मेरे मुँह में भी एक प्यास जग चुकी थी...
समय कम था पर फिर भी मुझे उसकी कुँवारी चूत का पानी आख़िरी बार पीना था..
मैने उसकी चूत की पंखुड़ियो को फेला कर अंदर का गुलाबीपन देखा
आज के बाद इसकी शक्ल और स्वाद दोनो बदलने वाले थे



मैने उसे बाहों में उठाया और बड़ी बेदर्दी से उसे मॉम डेड के रूम में लेजाकर बेड पर लिटा दिया...
वो भी मेरे रॅफ स्टाइल को देखकर मुस्कुरा दी

उसने मेरे कंधे पर अपनी टाँग रखते हुए मुझे दूर ही रोक दिया और कांपती हुई सी आवाज़ में बोली

''जानेमन....आज तो तेरे इरादे कुछ अच्छे नही लग रहे है...जितने प्यार से तू आज ये सब काम कर रहा है, उतनी ही मेरी प्यास और बढ़ती जा रही है...''

मैने उसकी टाँग को पकड़ा और उसके पैर के सभी उंगलियो को मुँह में लेकर चूस लिया...
ये वो हमला था जिसने उसके अंदर की पिशाचिनी को जगा सा दिया...
उसकी बॉडी वो सबसे सेंसेटिव पॉइंट था...



मैं उसकी उंगलियो को चूसता हुआ धीरे-2 उपर आने लगा...
उसकी कसावट वाली पिंडलिया और घुटनो के पीछे वाला हिस्सा भी बड़ी मादकता लिए हुए था...
वहां किस्स करने के बाद तो वो दोहरी होकर मुझसे लिपट गयी और मुझे खींचकर अपनी चूत पर ला पटका...

और सिसकती हुई सी आवाज़ में बोली

''साले .......कितना तरसा रहा है आज.......खा जाउंगी तुझे तो मैं .......चल चूस यहाँ .....आग लगी है अंदर.... बुझा इसे....''

मैने भी उसे ज़्यादा तरसाया नही और अपनी जीभ की पतवार निकाल कर उसकी दोनो नाओं को अगल बगल फेला कर , रसीली नदी में चप्पू चलाने लगा..

''आआआआआआययययययीी ईईईईईईईईईईईई...... उम्म्म्मममममममममममम...... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...... मेरे राजा.......आहह..... बॉय........सकक्क इट.......... ज़ोर से....................अहह''




मैने करीब 5 मिनट तक उसकी चूत से निकल रहा देसी घी जी भरकर चाटा..
और फिर अपनी जीभ उसके पेट पर फिराते हुए उपर की तरफ आने लगा.

तनवी को मेरा ऐसा करना सही नही लगा...
वो तो मेरी जीभ अंदर लेकर ही झड़ जाना चाहती थी...

मैने अपने दांतो से उसके बूब्स को जकड़ कर उन्हे चुभलाना शुरू कर दिया....
एक बार फिर से उसके निप्पल्स में से देसी शराब निकालनी शुरू कर दी..

''आआआआआआआअहह क्यों कर रे हो ये..... मरररर जाउंगी मैं ....... अहह........ भेंनचोद .....नीचे चूस.....वहां मज़ा आ रहा था.....''

मैने एक ही झटके में उसके चेहरे को पकड़ा और उसकी आँखो में देखते हुए उसे स्मूच कर लिया...

बेचारी के होंठ लरज रहे थे....

मैने अपना लंड थोड़ा आगे किया और उसकी फफक रही चूत पर रगड़ने लगा...



वो तो ऐसे तड़पी जैसे पानी में गर्म सरिया डाल दिया हो...
उसकी सिसकारियाँ कान को भेदे जा रही थी.

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... अहह......... सोनू...............मेरी ज़ाआाआअन्न..... क्या फीलिंग है इसकी....... साला जब अंदर जाएगा तो कितना मज़ा आएगा...''

उसके इतना कहने की देर थी की मैने अपनी हथेली से उसके मुँह को दबा दिया...
और पूरा उसके उपर चड गया...
बेचारी भोचक्की सी रह गयी
और इससे पहले की वो कुछ और कर पाती
मैने अपने लंड को धक्का देकर उसकी चूत के गीले होंठो के पार सरका दिया...

बेचारी घिघिया कर रह गयी....
चीख भी नहीं पाई मेरे लंड के प्रहार से...
आँखे फटी की फटी रह गयी...
और मैं इंच दर इंच अपना लंड उसकी चूत में उतारता चला गया और अंत पूरा में लंड उसकी चूत में भेद कर ही माना....



उसकी आँखो में दर्द और मस्ती का मिला जुला मिश्रण देख पा रहा था मैं ...
और मुझे पता था की इस वक़्त मैं एमोशनल हो गया तो कुछ नही कर पाउँगा ..
इसलिए उसकी आँखो में देखना छोड़कर मैने उसके मुम्मो पर नज़रे गाड़ दी और साथ ही अपने पैने दाँत भी...

एक साथ 2 जगह हमला होता देखकर उसकी तो फट्ट कर हाथ में आ गयी..

मैने अपना लंड उसकी लहू लुहान चूत से खींचकर निकाला और एक बार फिर उसी ताक़त से अंदर घोंप दिया...
इतनी रॅफ चुदाई के लिए मैने पहले सोचा नही था पर करने में काफ़ी मज़ा आ रहा था..

मैने उसके मुँह से हाथ हटा लिया और ज़ोर-2 से धक्का मारकर उसकी चूत का हलवा कूटने लगा..



बेचारी के मुँह से अब चूख भी नहीं निकल रही थी...
फफक कर रह जाती मेरे हर प्रहार से....

मुझे तो ऐसा एहसास हो रहा था जैसे मेरा लंड मखमली चादर में फँस गया है...
उसी चादर में लिसड़ कर मेरा लंड अपने मुकाम की तरफ बढ़ता ही चला जा रहा था..

मैने उसकी कमर को अपने हाथ में पकड़ा और उसे जोरों से चोदने लगा...

और अब मुझे लगने लगा की उसे भी मज़ा मिलने लगा है....
वो अपनी आँखे बंद करके सिसकारियां मार रही थी..

''आआआआआआआअहह सोनू....... साआले...... ये क्या कर दिया......... उम्म्म्मममम.... करना ही था तो...... पहले बता तो देता........ सही से मज़ा लेती......... आआआआआहह ..... पर जो भी किया....... सही किया........... कब से तरस रही थी इस मज़े के लिए.........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... आज तूने मुझे ये प्यारा सा एहसास दिया है......आई एम् लविंग इट.........एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... फककक मिईीईई.... चोदो मुझे........ अहह...... ज़ोर से चोदो ........''

उसका एक-2 शब्द मेरे अंदर नयी उर्जा भर रहा था और मैं दुगनी ताक़त से उसकी चूत का बेंड बजा रहा था....
हर झटके से उसकी कमर हवा में उछल जाती....



पहली धार की शराब जैसा नशा दे रही थी उसकी चूत मुझे....
और मैं उस नशे मे डूबकर उसके और अंदर घुसता चला गया...

और अंत में आकर जब मेरे लंड से रुक पाना मुश्किल हो गया तो मैं चिल्ला पड़ा...

''आआआआआआआआआआआआआआआआआअहह मेरी जाआंन ......आई एम् कमिंग.......''

वो उतनी ही ज़ोर से चीखी..

''कम इनसाइड मिईिइ......कम इनसाइड मी........''

मेरे पास कुछ सोचने समझने का टाइम नही था
उसने कहा है तो वो अच्छे से जानती होगी
इसलिए मैने उसी की चूत में अपनी पिचकारी का सारा रंग उडेल दिया...

और एक के बाद एक कई झटके लगने के बाद जब मेरी गाड़ी स्टेशन पर रुकी तो उसने मेरा मुंह अपनी छाती से लगाकर मुझे अपने उपर लिटा लिया....

उसके नर्म मुम्मो का सरहाना बनाकर मैं उसकी धड़कने सुन रहा था..
और वो अभी तक अपनी पहली चुदाई का एहसास लेकर अंदर ही अंदर खुश हुए जा रही थी...

मेरा लंड उसकी चूत से निकल आया, और पीछे - 2 ढेर सारा रस भी



आज हम दोनो के बीच का ये आख़िरी दरवाजा भी खुल चुका था जिसके बाद ऐसे ना जाने कितने और मज़े मिलने वाले थे..
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