भाभियों के साथ मस्ती complete

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भाभियों के साथ मस्ती complete

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भाभियों के साथ मस्ती


मेरा नाम किशोर है और मैं बिहार के पटना में रहता हूँ। मेरा गाँव पटना से 40 कि॰मी॰ दूर था। जहां पे ये अनोखी घटना घाटी। मैं अपना परिचय देता हूँ, मेरी उम्र 22 साल, हाइट 5’9”, वजन 60 किलो, अथलेटिक बाडी, लण्ड का साइज 6” है। तो अब मैं कहानी पे आता हूँ।

बात आज से एक साल पहले की है। उस टाइम मेरी उमर 21 साल थी। उन दिनों में अपने पुराने गाँव में गया हुआ था। जिसकी आबादी करीब 3000 लोगों की थी। गाँव में मेरे चाचा-चाची, उनके तीन बेटे और उन तीनों की बीवियां रहते हैं।

ये कहानी उन भाभियों से ही जुड़ी है। मेरी बड़ी भाभी का नाम राशि, उम्र 30 साल, रंग गोरा, फिग साइज 35-29-36; दूसरी भाभी प्रीति, उम्र 26 साल, रंग मीडियम सांवला सा, फिग 34-26-34; तीसरी और छोटी भाभी का नाम सोनिया, उम्र सिर्फ 24 साल, एकदम गोरी-गोरी और सेक्सी, फिग 36-26-36, और एकदम भारी चूतड़।

मुझे ये मालूम नहीं था की वो सब बहुत सेक्सी हैं। क्योंकी गाँव में दर्शल इतनी आजादी नहीं होती है। लोग बहुत संकुचित रहते थे। औरतों को बाहर जाना कम रहता था, सिर्फ सब्ज़ी ही लाने जाते थे या कभी तालाब पे पानी भरने या कपड़े धोने।

हमारे अंकल के घर के पीछे ही एक तालाब था जो की सिर्फ 100 फुट ही दूर था। बीच में और किसी का घर नहीं था। सिर्फ कुछ पेड़ पौधे थे। हमारी भाभी रोज उधर ही कपड़े धोने जाती थी। सभी भाभियां कम बाँट लेती थी। कोई रसोई, तो कोई कपड़े धोने का, तो कोई बर्तन और सफाई का।
जैसे ही मैं गया उन सभी लोगों ने मुझे बड़े प्यार से आमंत्रित किया।

मेरी भाभियां मजाक भी करने लगीं की बहुत बड़ा हो गया है, शादी के लायक। तो मैं जाकर सभी से मिलने के बाद सोचा थोड़ा फ्रेश होता हूँ। मैंने अपनी बड़ी भाभी से बोला- मुझे नहाना है।

उसने बोला- इधर नहाना है या तालाब पे जाना है?

मैं- अभी इधर ही नहा लेता हूँ तालाब कल जाऊँगा।

वो बोली- “ठीक है…” और उसने पानी दे दिया।

मैं सभी भाभियों को देखकर उतेजित हो गया था तो मैंने बड़ी भाभी को याद करते हुए मूठ मारी और स्नान करके जैसे ही वापस आया, बड़ी भाभी बोली- क्यों देवरजी इतनी देर क्यों लगा दी? कही कोई प्राब्लम तो नहीं? अगर हो तो बता देना, शायद हम आपकी कोई मदद कर सकें? ऐसा बोलकर सभी भाभियां हँसने लगीं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और खुशी भी।

दूसरे दिन सुबह मैं 7:00 बजे उठा। ब्रश करके नाश्ता किया।

तभी बड़ी भाभी कपड़े की पोटली बना के तालाब पे धोने को जा रही थी। वो बोली- “चलो देवरजी, तालाब आना है क्या?”

मैं तो वही राह देख रहा था कि कब मुझे वो बुलाएं। मैंने हाँ कहा और उपने कपड़े और तौलिया लेकर उनके साथ चल पड़ा। रास्ते में भाभी खुश दिख रही थी। उसने थोड़ी इधर-उधर की बातें की। जब हम तालाब पहुँचे। ओह्ह… माई गोड… मैं क्या देख रहा हूँ? मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गईं। वहां पे 10-15 औरतें थी और उन सब में से 6-7 ने तो ऊपर ब्लाउज़ नहीं पहना था, मेरे कदम रुक ही गये थे।

तो भाभी ने पीछे मुड़ के देखा और बोली- क्यों देवरजी क्या हुआ, रुक क्यों गये?

मुझे मालूम था की वो मेरे रुकने की वजह जानती थी, लेकिन जानबूझ कर मुझे ऐसा पूछ रही थी। मैं बोला- “भाभी यहाँ पर तो…” बोलकर मैं रुक गया।

भाभी ने पूछा- क्या? यहाँ पर तो क्या?

मैंने बोला- सब औरतें नंगी नहा रही हैं, मैं कैसे आऊँ?

वो बोली- तो उसमें शर्माने की क्या बात है? तुम अभी इतने बड़े कहां हो गये हो, चलो अब, जल्दी करो।

मैं तो चौंक कर रह गया। वहां जाते ही सभी औरतें मुझे देखने लगी और भाभी को पूछने लगी- कौन है ये लड़का? बड़ा शर्मिला है क्या?

भाभी ने बोला- ये मेरा देवर है और शहर से आया है। अभी-अभी ही जवान हुआ है इसलिए शर्मा रहा था, तो मैंने उससे बोला की शर्माओ मत, ये सब बाद में देखना ही है ना। और सब औरतें हँसने लगीं।

मुझे अब पता चला की गाँव में भी औरतें माडर्न हो गई हैं, और गंदी-गंदी बातें करती हैं।

उनमें से एक ने मेरी भाभी को बोला- क्यों रे, देवर से हमारा परिचय नहीं कराएगी क्या?
फिर भाभी ने उन सभी से मेरा परिचय करवाया। मेरा ध्यान बार-बार उन नंगी औरतों के चूचे पे ही चला जाता था। तो वो भी समझने लगी थीं की मैं क्या देख रहा हूँ?

उनमें से एक मीडियम क़द की 26 साल की औरत ने मुझे बोला- क्यों रे तूने आज तक कभी चूची नहीं देखा जो घूर रहा है?

मेरी भाभी और दूसरी सभी औरतें हँसने लगी। मेरी भाभी ने बोला- “हाँ शायद, क्योंकी घर पे भी वो मेरे चूचे को घूर रहा था। इसलिए तो उसे यहाँ पे लाई ताकी खुल्लम खुल्ला देख सके।

और मुझसे बोला- देवरजी, देख लेना जी भर के, बाद में शहर में ऐसा मोका नहीं मिलेगा…”

और सब औरतें हँसने लगी। अभी ऐसी बातों से मेरे लण्ड की हालत खराब हो गई थी।

तभी मेरी भाभी ने कहा- देवरजी कब तक देखोगे? आप यहाँ पे नहाने आए हैं नहीं की चूचे देखने।

मेरी हिम्मत थोड़ी खुल गई- “भाभी, अभी ऐसा दिखेगा तो कोई भला नहाने में टाइम बरबाद क्यों करेगा?”

भाभी- ठीक है फिर देखो। लेकिन वो तो नहाते हुए भी तो देख सकते हो तुम।

ये आइडिया मुझे अच्छा लगा। लेकिन तकलीफ ये थी की पानी में कैसे जाऊँ। क्योंकी मेरा लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था।

तभी भाभी ने बोला- सोच क्या रहे हो कपड़े निकालो और कूद पड़ो पनी में।

मैं- “ठीक है भाभी…” कहकर मैंने भी शर्म छोड़ दी, जो होगा देखा जाएगा। सोचकर मैंने अपना शर्ट और पैंट उतार दिया। अब मैं सिर्फ फ्रेंच कट निक्कर में ही था। उसमें से मेरा 6 इंच का लण्ड साफ दिख रहा था। वो भी उठा हुआ। लण्ड का टोपा निक्कर की किनारी से थोड़ा ऊपर आ गया था तो वो सभी औरतों को भी दिखा, तो भाभी और सभी औरतें मुझे घूरने लगी।

भाभी- देवरजी, ये क्या तंबू बना रखा है अपनी निक्कर में?

मैं- क्या करूं भाभी, आप सभी ने तो मेरी हालत खराब कर दी है।

भाभी- भाई साहब, आप मेरा नाम क्यों ले रहे हो, मैंने तो अभी कपड़े उतरे भी नहीं।

मैं- “हाँ, वही तो अफसोस है…” और मैं हँसने लगा।

भाभी- लगता है आपकी शादी जल्द ही करनी पड़ेगी।

सभी औरतें हँसने लगी। और मैं पानी में चला गया। मुझे वहाँ पे बड़ा मजा आ रहा था। सोच रहा था की हमेशा ही मेरे दिन ऐसे ही कटें, इतने सारे बोबों के बीच। मुझे मूठ मारने की इच्छा हो रही थी, लेकिन मैं सभी के सामने नहीं मार सकता था, वो भी पानी में।
सभी औरतें हँसने लगी। और मैं पानी में चला गया। मुझे वहाँ पे बड़ा मजा आ रहा था। सोच रहा था की हमेशा ही मेरे दिन ऐसे ही कटें, इतने सारे बोबों के बीच। मुझे मूठ मारने की इच्छा हो रही थी, लेकिन मैं सभी के सामने नहीं मार सकता था, वो भी पानी में।

शायद मेरी परेशानी भाभी समझ रही थी और उन्होंने मुझसे मजाक में कहा- “देवरजी, आपका जोश कम करो वरना निक्कर फट जाएगी…”

उधर ऐसी गंदी मजाक से मेरी हालत और खराब हो रही थी, लेकिन उन लोगों को मस्ती ही सूझ रही थी। भाभी ने नीचे बैठकर कपड़े धोना चालू किया।

उसकी बैठने की पोजीशन ऐसी थी की उसके घुटने से दबके उसके चूचे ब्लाउज़ से बाहर आ रहे थे। और दोनों चूचों के बीच की बड़ी खाई दिखाई दे रही थी। ब्लाउज़ उसके चूचों को समाने के लिए काफी नहीं था। उसका गला भी बहुत बड़ा था, जिससे उनकी आधी चूचियां बाहर दिख रही थीम। चूचियां क्या गजब थी, मानो दो हवा के गुब्बारे, वो भी एकदम सफेद जिसे देखकर बस पूरा खाने को दिल कर जाए। मैं लगातार उनके चूचे देखे जा रहा था तब पता नहीं कब भाभी ने मेरे सामने देखा और हमारी नजरें मिली।

जिससे भाभी बोलीं- “मुझे पता है देवरजी आप मेरी भी चूचियां देखना चाहते हैं। तभी तो बार-बार घूर रहे हैं…” बोलकर हँस पड़ी, और बोली- “लो आपकी ये इच्छा मैं अभी पुरी कर देती हूँ…”

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वैसा बोलकर उन्होंने अपने पैरों को सीधा किया और मेरी तरफ देखकर ही मेरे सामने अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी। ब्लाउज़ क्या तंग था की उनको शायद हुक खोलने में मुश्किल हो रही थी। और वो मेरी तरफ देखकर बार-बार मुश्कुरा रही थीं। फाइनली उसका टाप का हुक खुल गया, उसके बाद दूसरा, तीसरा, करके चारों हुक खोल दिए। और उसने ब्लाउज़ वैसे ही रहने दिया।

उनके चूचे कपड़ों से ढँके थे, लेकिन उनकी लम्बी लकीर दिख रही थी, जो किसी के भी लण्ड का पानी छोड़ने के लिए काफी थी। उसने मेरी तरफ मुश्कुराकर खुद ही उपने चूचे को दोनो हाथों से सहलाया और दो साइड से ब्लाउज़ अलग कर दिया। बाद में उसने अपने कंधे ऊपर करके ब्लाउज़ उतार फेंका। अब उसके हाथ पीछे की और गये और उसने अपनी ब्रा का हुक भी खोल दिया। वाउ… ब्रा उसके हाथों में थी और उनके दूधिया चूचियां हवा में लहराने लगीं। चूचियां भी जैसे हवा में आजाद होकर फ्री महसूस कर रही हों, वैसे हिलने लगीं। उनके निपल मीडियम साइज के और एकदम काले थे, और दोनों चूचों के बीच में कोई जगह नहीं थी, और एक दूसरे से अपनी जगह लेने के लिए जैसे लड़ाई कर रहे हों। वो नजारा देखने लायक था। मेरी आँखें वहां से नजरें हटाने का नाम नहीं ले रही थीं।

उन्होंने वो देख लिया और बोली- क्यों देवरजी अब बराबर है ना? हुई तसल्ली?

मैं बस हैरान होकर देखे ही जा रहा था। बाकी औरतें उनकी ये हरकत से हँसने लगी। मेरा लण्ड अब मेरे काबू में नहीं था।

तभी एक चाची जो कि करीब 35 साल की थी उसने भाभी को कहा- “क्यों बिचारे को तड़पा रही हो? ऐसा देखकर तो बिचारे के लण्ड से पानी निकल रहा होगा…”

बात भी सही थी उनकी, शायद वो ज्यादा अनुभवी थी, इसलिए आदमी की हालत समझती थी। वैसे मेरी भाभी भी कोई कम अनुभवी नहीं थीं, लेकिन वो मजा ले रही थी।

मैंने भाभी को बोला- भाभी, आप मत तड़पाओ मुझे, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है।

वो बोली- क्यों रहा नहीं जा रहा है? मतलब, क्या हो रहा है?

मैं भी बेशरम होकर बोला- भाभी मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है।

वो हँसती हुई बोली- “सबर करो देवरजी, उसका इलाज भी मेरे पास है, देखते है की कैसे नहीं बैठता है आपका वो… लण्ड…” और वो फिर कपड़े धोने लगी।

मैं फिर उसकी और दूसरी औरतों के चूचे देखते हुए फिर से नहाने में ध्यान लगाने लगा, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उन सभी के चूचों और जांघों के बीच में ही अटक जाता था। कई औरतों का पेटीकोट तो घुटने तक ऊपर उठे होने की वजह से उनकी जांघें साफ-साफ दिख रही थीं और चूचे घुटनों में दबने से इधर-उधर हो रहे थे। तभी मैं नहाने का छोड़कर मूठ मारना चाहता था कहीं पेड़ के पीछे।

मैंने भाभी को बोला- “भाभी, मैं अब थक गया हूँ और मुझे भूख भी लगी है तो मैं घर जा रहा हूँ…”

भाभी बोली- “अभी से क्यों थक गए तुम? और भूख लगी है तो तुम्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। इधर ही तुम अपनी भूख मिटा लो…” ऐसा बोलकर उसने बाजूवाली को बोला- “क्यों रे रसीला, तेरे चूचे में अभी दूध आ रहा है कि नहीं?”

रसीला ने जवाब दिया- हाँ, राशि भाभी, आ रहा है।

भाभी बोली- जरा इसका तो पेट भर दे, अपनी गोदी में लेकर।

तो बाकी सब औरतें हँस पड़ीं। मैं तो हैरान रह गया।

तभी रसीला की आवाज आई- “आऊ भैया इधर…”

मैं शर्मा रहा था।

तो रसीला मुझसे बोली- “शर्माने की क्या बात है? तुम्हारे भैया भी तो रोज ही पीते हैं। अगर एक दिन तूने पी लिया तो कोई खतम थोड़े ही होगा, बहुत आता है इसमें…”
मैं धीरे-धीरे आगे बढ़कर उसके पास गया, वो पैरों को मोड़कर बैठ गई और अपनी गोद में मेरा सिर रखने को बोला। मैंने वैसा किया। क्योंकी अब मेरे पास कोई और चारा नहीं था। मेरे निक्कर में से वो बार-बार मेरा टोपा दिख रहा था। मैं जैसे ही गोद में लेटा, उसने अपने ब्लाउज़ के बटन खोलना चालू किया, एक, दो, तीन, करके सभी बटन खोल दिए और ब्लाउज़ को दूर हटाके अपने एक हाथ में चूचे को पकड़ा। उसका निपल खुद दबाया तो जैसे एक फुव्वारे कीती तरह दूध की धार मेरे पूरे चेहरे को भिगो गई।

मुझे बहुत ही मजा आया तो मैंने भी निपल को दो उंगली में लेकर दबाया तो फिर से वैसे ही दूध की पिचकारी उड़ती हुई मेरे चेहरे को भिगोने लगी। अब मैंने मेरा मुँह निपल के सामने रख दिया और उसे फिर से दबाने लगा, तो मेरे मुँह में उसके शरीर का अमृत जाने लगा। और उसका स्वाद… वाउ… क्या मीठा था, एकदम मीठा। मैं वैसे ही निपल को दबाने लगा पर दूध पीने लगा।

फिर बाद में रसीला ने अपना निपल धीरे से मेरे मुँह में दे दिया और बोला- “अब चूसो इसे…”

मैं तो उसे चूसने लगा। सोचा की ऐसे ही पूरी जिंदगी दूध ही पीता रहूं। मेरे मुँह में दूध की धारा बह रही थी। जैसे ही चूसता, पूरी धार मेरे मुँह में आ जाती। मुझे उसका दूध पीने में बहुत ही मजा आ रहा था। और वो भी अपनी दो उंगलियों में निपल लेकर दबाती ताकि और दूध मेरे मुँह में आ जाये। थोड़ी देर पीने के बाद जब उस चूची में दूध खतम हो गया, तो मैंने भाभी को वो बताया।

रसीला ने दूसरी तरफ सोने का बोला और दूसरा चूची मेरे मुँह में दे दिया। दूसरे चूचे से दूध पीते वक्त मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैं अपने हाथ से दूसरे चूचे की निपल अपनी दो उंगलियों में लेकर दबा देता था। जिससे रसीला की एक मादक आवाज आती थी- “आह्ह… आऽऽ…”

ये देखकर भाभी भी उधर बैठे-बैठे अपनी चूचियां दबा देती थी। शायद उसे भी सेक्स करने का मन कर रह था।
दूसरी सभी औरतें अपने काम में से टाइम निकाल के हमें देख लिया करती थीं। तभी रसीला की दूसरे चूचे में भी दूध खतम हो गया।

जब मैंने बताया तो, वो बोली- “अभी आधा लीटर पी गये, अब तो खतम होगा ही ना…”
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उनके ऐसे बोलने से सभी औरतें हँस पड़ीं। उसकी बात भी सही थी। मैं आधा लिटर तो पी ही गया होऊँगा, और मेरा पेट भी भर गया था, लगता था शायद शाम तक मुझे खाना ही नहीं पड़ेगा।

तभी राशि भाभी बोली- देवरजी, भूखे तो नहीं ना अब? वरना और भी है। चाहो तो और दूध का इंतेजाम कर देती हूँ…”

मैंने बोला- “नहीं भाभी, मेरा पेट बिल्कुल भर गया है…”

अभी भी मैं रसीला की चूची चूस रहा था, तो रसीला भाभी से बोली- “राशि, लगता है ये मेरे चूचे ऐसे नहीं छोड़ेगा, तुम इसे मेरे घर लेकर आना, इसको पूरा भोजन और चोदन करा दूँगी…”

राशि भाभी हँसकर बोली- हाँ वो ठीक रहेगा, लेकिन अभी तो हमारा मेहमान है।

फिर मैं दूध पीते-पीते रसीला के पेटीकोट के नारे पे अपना हाथ ले जाने लगा, जिसे देखकर रसीला बोली- “अभी नहीं, घर आना आराम से करेंगे…”

मैंने बोला- सिर्फ एक बार मुझे तुम्हारी वो देखनी है।

रसीला बोली- वो मतलब?

मैं- मतलब आपकी चूत।

रसीला- “देखकर भी क्या करोगे? इधर तो कुछ होने वाला नहीं…”

मैं- “हो भले ना, लेकिन पता तो चलेगा की पूरी दुनियां जिसमें समा चुकी है वो चीज कैसी होती है?”
रसीला ये सुनकर हँस-हँस के पागल हो गई और मेरी भाभी को बोली- “देखो राशि, ये क्या बोल रहा है? उसे मेरी चूत देखनी है, और बोलता है की मुझे वो देखना है जिसमें पूरी दुनियां समा चुकी है…”

ये सुनकर रसीला और दूसरी सब औरतें हँसने लगी।

राशि- “हाँ, तो बता दे ना, वो भी क्या याद करेगा, और रोज तेरे नाम की मूठ मारता रहेगा…”

रसीला- अरे… मेरे होते हुए क्यों मूठ मारेगा बिचारा, कल ले आना मेरे घर, धक्के ही लगवा दूँगी।

राशि- ठीक है, लेकिन अभी का तो कुछ कर।

रसीला- “हाँ… अभी तो मैं उसे मेरी मुनिया के दर्शन करा देती हूँ। ताकि उसके मुन्ने को पता चले की कल उसे कौन से ठिकाने जाना है, और अभी मैं उसका केला चूस के रस पी लेती हूँ, गुफा में कल प्रवेश कराऊँगी…” ऐसा बोलकर उसने अपना पेटीकोट कमर तक ऊंचा कर दिया और अपनी रेड कलर की जलीदार पैंटी उतारने ही वाली थी।

तभी मैंने कहा- रहने दो मैं उतारूँगा।

रसीला- हाँ भाई, तू उतार ले।

उसके ऐसा बोलते ही मैंने अपना हाथ उसकी चूत पे रख दिया और उसकी चूत का उभार महसूस करने लगा। पहली बार मैं किसी औरत की चूत छू रहा था, उसका उभार भी क्या गजब था जैसे वड़ापाओ जैसा, और बीच में एक लकीर जैसी थी और दोनों साइड एकदम चिकना-चिकना गोल था। मुझे तो स्वर्ग जैसा अनुभव लग रहा था। मैंने साइड में से उंगली डालकर उसकी पैंटी को खींचकर उसकी लकीर को महसूस किया। वो तो बस मेरे सामने ही देख रही थी, और मैं उसकी चूत की दुनियां में जैसे डूब गया था।

रसीला बोली- ऐसे ही चड्डी के ऊपर से ही देखोगे, या उतारकर भी देखना है?

मैं जैसे होश में आता हूँ- “हाँ भाभीजी…” और ऐसा बोलकर मैंने उनकी पैंटी नीचे सरकाई, और उतार फेंकी,
ओह्ह… माई गोड… भगवान्… अब समझ में आया की सभी मर्द चूत के पीछे क्यों भागते है, शायद मैं भी उन लोगों की दुनियां में आ गया था।

उसकी चूत एकदम साफ थी, मुझे मालूम था की औरतों को भी झांटें होती हैं, लेकिन फिर भी मैंने भोला बनकर रसीला को पूछि- “भाभीजी, मैंने तो सुना था की औरतों की भी झांटें होती हैं, लेकिन आपको तो नहीं है…”

रसीला हँसकर बोली- “हाँ होती है ना… लेकिन मैंने आज ही साफ की थी, शायद मेरे पति से ज्यादा लकी तुम हो जो उससे पहले तुमने मेरी बिना झांटों वाली चूत देख ली…”

बस मैं तो उसकी चूत पे हाथ फेरने लगा और देखने लगा। हर एक कोना देखना चाहता था मैं, तो मैंने उनकी टाप से लेकर बाटम तक चूत को महसूस किया, जैसे मैंने चूत की दोनों गोलाईया खोली, बीच में दो होंठ जैसा लगा। मैंने अंजान बनकर रसीला को पूछा- भाभीजी, ये बीच में लटकता हुआ क्या है?

रसीला- उसे चूत के होंठ कहते हैं।

मैं आश्चर्य से- क्या इसे भी होंठ कहते हैं?

रसीला- हाँ मेरे राजा, इसको चूसने से औरत को इस होंठ से भी ज्यादा मजा आता है।

मैं- तो क्या मैं इसे अभी चूस लूँ?

रसीला- नहीं, अभी सिर्फ देखो। कल घर आकर जो करना है करना, मैं मना नहीं करूँगी, इधर सब आते-जाते रहते हैं।

मैं- ठीक है, लेकिन मेरे इस केले का तो कुछ कर दो।

रसीला- ठीक है, मैं अभी ही इसका रस निकाल देती हूँ।

मैं- “तो देर किस बात की है, ले लो तुम मेरा केला…”

ऐसा बोलते ही उसने मेरी निक्कर नीचे उतार दी और मेरा फड़फड़ाता हुआ लण्ड हाथ में पकड़ लिया। ये मेरा पहली बार था इसलिए बहुत गुदगुदी हो रही थी। उसने मेरे टोपे की चमड़ी को ऊपर-नीचे किया। पहली बार मैं किसी और से मूठ मरवा रहा था, वो भी किसी औरत से, मेरा लण्ड काबू में नहीं था।

मैंने उसे बोला- “जल्दी करो, मुझसे रहा नहीं जाता है…”

रसीला बोली- रुको, इतनी भी क्या जल्दी है? अभी तो सिर्फ हाथ ही लगाया है, जब मुँह लगाऊँगी तो क्या होगा?

मैं अंजान बनते हुए- क्या इसे भी मुँह में लिया जाता है?

रसीला- “हाँ…” और ऐसा बोलकर वो मेरे लण्ड की चमड़ी ऊपर-नीचे करने लगी और मूठ मारने लगी।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उधर राशि भाभी ये सब देख रही थी। जब मेरा ध्यान उसपे पड़ा तो मेरा शर्म से मुँह लाल हो गया। मैं रसीला के हर एक स्ट्रोक का आनंद उठा रहा था। रसीला के मूठ मारने से मेरी उत्तेजना और बढ़ गई थी, और वीर्य की एक बूँद टोपे पे आ गई। ये देखते ही रसीला ने मेरा मूठ मारना छोड़ दिया।

एक बार तो मुझे लगा की वो ऐसे मुझे क्यों आधे रास्ते पे छोड़ रही है। लेकिन तुरंत ही वो मेरे लण्ड पे झुक गई, और मेरा टोपा अपने मुँह में ले लिया।

मेरे तो जैसे होश उड़ गये, और इतना मजा आने लगा कि अब मैं सातवें आसमान पे था। धीरे-धीरे उसने मेरा पूरा लण्ड मुँह में भर लिया और चप-चप चूसने लगी। मेरी तो हालत खराब होती जा रही थी। रसीला कभी मुँह में जीभ फेरती, तो कभी छाप-छाप करके चाटती थी। जीभ से मेरे गोटे भी चूसने लगी। फिर से उसने मेरे लण्ड को मुँह में भर लिया और जड़ तक चूसने लगी।

अब मेरा सब्र का बाँध टूटने वाला था, मुझे लगा की मेरा वीर्य निकले वाला है, मैंने रसीला को बोला- “भाभीजी छोड़ो अब, मेरा निकलने वाला है…”

लेकिन, मुझे आश्चर्य हुआ, क्योंकी रसीला सुना अनसुना करके मेरा लण्ड चूसती रही। अब मुझे क्या था, मैं तो बिंदास होकर आनंद लेने लगा। अब मेरा पूरा बदन सिकुड़ने लगा। भाभीजी को मालूम हो गया और वो और जोर से चूसने लगी। तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। वीर्य सीधा उसके गले में जाने लगा। मेरा लण्ड ऐसे 7-6 झटके मरता रहा, लेकिन उसने मेरा लण्ड छोड़ा नहीं और पूरा वीर्य पीने लगी। बाद में मेरे लण्ड को पूरा चाट-चाट के साफ किया।
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फिर अपने होठों पे जीभ फेरते हुए बोली- “आपका पानी तो बहुत मीठा है…”

मैं- होगा ही ना… पहली बार आपने चखा है।

रसीला- कैसा लगा देवरजी?

मैं- बहुत अच्छा, ऐसा मजा मैंने पहले कभी नहीं लिया था, आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी।

रसीला- “अभी सही जन्नत तो बाकी है। वैसे आपका लण्ड भी बहुत मस्त है, मेरे पति का तो सिर्फ अंगूठे जैसा है, जब की आपका तो पूरा डंडा है डंडा…”

मैं- हाँ, वो तो है। मुझे अब पता चला की पूरी दुनियां चूत में क्यों डूबी हुई है?

तभी राशि भाभी बोली- “चलो देवरजी, अब बहुत मजा किया, घर जाने में देर होगी तो कही सासू माँ इधर ना आ जाएं?”

रसीला बोली- जाओ मेरे राजा, कल आना, बाकी की जन्नत भी देख लेना।

और बाद में भाभी बोली- “चलो देवरजी, बस दो मिनट… मैं नहा लेती हूँ, बाद में हम चलते हैं…”

मैं- “भाभी, मुझे भी आपके साथ नहाना है…”

राशि- ठीक है, तुम भी आ जाओ।

मैं वैसे ही नंगा उनके पास चला गया, सभी औरतें मुझे ही देख रही थी। मैं अब पानी में घुस गया।

भाभी ने किनारे पे बैठकर मेरे सामने ही कामुक स्टाइल में पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, पेटीकोट ‘सर्र्र्र्रर’ से नीचे गिर गया। मैं तो देखकर हैरान था… लगता नहीं था की वो दो बच्चों की माँ थी। पतली कमर नीचे जाते ही इतने चौड़े कूल्हों में समा जाती थी की बस। उनके कूल्हे एकदम बड़े और गद्देदार थे और चूत वाला हिस्सा पूरा गीला था। शायद कपड़े धोने से उनकी पैंटी गीली हो गई थी। पैंटी एकदम गीली और सफेद होने की वजह से उसकी चूत की लकीर साफ दिख रही थी।

तभी उसने मेरे सामने ही अपनी पैंटी को उतारने के लिये, दो साइड से दो उंगलियां डालकर पैंटी को धीरे-धीरे नीचे उतारना चालू किया। वाओ… क्या नजारा था… उसकी चूत चमक रही थी, एकदम सफाचट, जैसे अभी ही शेविंग की हो वैसी। बीच में से उसके होंठ बाहर दिख रहे थे, जैसे बुला रहे हों की आओ मुझे चूसो। होंठों के साइड की मुलायम दीवारें जो की एकदम चिकनी दिख रही थीं और वो नीचे जाकर आदृश्य हो जाती थीं, और गाण्ड के छेद से मिल जाती थीं। चूत की दीवारें इतनी दबी हुई थी की, ऐसा लगता था जैसे पहले कभी वो चुदी ही ना हो।

धीरे-धीरे वो मेरी तरफ बढ़ रही थी और फाइनली पानी में घुस गई। भाभी ने पानी में आते ही मुझसे बोला- “एक चूत से जी नहीं भरा, जो दूसरी देख रहे हो? सारे मर्द ऐसे ही होते हैं…”

मैं- “तो उसमें गलत क्या है? भगवान ने चूत बनाई ही इसलिये है ताकी मर्द उसे देख सकें, चाट सकें और फाड़ सकें…”

राशि- “हाँ देवरजी, मेरी चूत में भी बहुत खुजली होती है, और तुम्हारे भैया से वो मिटती ही नहीं, क्या तुम मेरी खुजली मिटाओगे?”

मैं- “भला, आपका ये गद्देदार शरीर कोई मूरख ही होगा जो चोदने को ना बोले?”

राशि- “ठीक है, मैं आज घर जाकर तुम्हें मजे कराती हूँ। रात को तुम तैयार रहना…”

मैं- हाँ भाभी, लेकिन अभी आपका नंगा बदन देखकर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा। देखो रसीला भाभी के चूसने के बावजूद भी ये फिर से खड़ा हो गया है।

राशि- “लण्ड होता ही ऐसा है, गड्ढा देखा और हुआ खड़ा…” और वो जोर से हँसने लगी।

मैं- भाभी, क्या मैं आपके चूचे छू सकता हूँ?

राशि- अरे, ये भी कोई पूछने की बात है क्या? छुओ क्या चूसो जितना चूसना है उतना।
फिर मैंने सीधा ही मेरे मुँह में भाभी का निपल भर लिया और दूसरे हाथ से पानी में उसकी योनि ढूँढ़ने लगा, और वो मुझे तुरंत मिल गई, एकदम चिकनी गीली-गीली सी। जैसे ही मैंने निपल चूसा, मेरे मुँह में दूध की धारा बहने लगी, ये मेरे लिए आश्चर्यजनक था।

तो मैंने मुँह हटा के भाभी को पूछा- “आपके चूचे में भी दूध आ रहा है…”

राशि- हाँ, क्यों कैसा लगा उसका टेस्ट?

मैं- बहुत बढ़िया। लेकिन… तो फिर अपने मुझे रसीला का दूध क्यों पिलाया? आपके पास भी तो था ना?

राशि- ये मैं तुम्हें सर्प्राइज देने वाली थी, और वैसे भी इसी बहाने आपको दूसरी औरत के चूचे का मजा भी देना चाहती थी।

मैं- “भाभी, आप मेरा कितना खयल रखती हैं…” और ऐसा बोलकर मैं फिर उनका दूध पीने लगा।

उधर रसीला भी ये सब देखकर गरम हो गई थी, वो हमारे बाजू में आई और बोली- “कम पड़े तो बोलना, इसमें फिर से भर गया है…”

मैं- “वाओ… मुझे आज घर पे खाना नहीं पड़ेगा, ऐसा लगता है…” बोलकर मैं कभी राशि के और कभी रसीला के चूचे चूस रहा था। इतना दूध तो मैंने अपनी माँ का भी नहीं पिया होगा।

दोनों की 36” की चूची पूरा दूध से भरी थी, और मैं उसे चूस-चूस के खाली कर रहा था। दूध का टेस्ट एकदम मीठा और थोड़ा साल्टी था।

तभी राशि ने बोला- “मजा आ रहा है ना देवरजी?” और ऐसा बोलकर मेरे मुँह में ली चूचियों को खुद दबा-दबा के मुझे पिलाने लगी, जिससे निपल से निकलती हर पिचकारी मेरे मुँह में गुदगुदी कर रही थी।

मुझे लगा की मैं सारी उमर बस दूध ही पिता रहूं। और मैं राशि भाभी की चूत में उंगली डालकर उसे छेड़ देता तो उसकी ‘आह्ह’ निकल जाती।

थोड़ी देर बाद जब दूध पी लिया तो भाभी बोली- “चलो अब चलते हैं, बाकी घर जाकर करेंगे…”

रसीला भी नहाके बाहर निकल गई, अपने शरीर को तौलिया से पोंछा, और ब्रा पहनने लगी, बाद में ब्लाउज़, पैंटी, पेटीकोट, और फिर साड़ी।

राशि बोली- “लगता है देवरजी नंगी लड़की देखकर आपका मन अभी नहीं भरा है, आपका कुछ करना पड़ेगा?” और अचानक वो मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी।
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Re: भाभियों के साथ मस्ती

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भाभी में भी इतनी वासना भरी हुई थी, जैसे बरसों की प्यासी हो। वो तो रसीला से भी अच्छा चाट रही थी, कभी पूरा लण्ड मुँह में लेकर जीभ का स्पर्श करती तो मेरे आनंद की सीमा नहीं रहती। ऐसे ही चूसने के बाद मेरा वीर्य निकलने की तैयारी ही थी तो भाभी को मैंने बोला। लेकिन उसने भी मेरे लण्ड को निकाला नहीं और चूसना चालू रखा। दो मिनट बाद मेरा शरीर अकड़ गया और मेरा लण्ड-रस भाभी के मुँह में ही छूटने लगा। वो गटागट मेरा सारा वीर्य पी गई।

बाद में मेरे सुपाड़े को साफ करके बोली- “अभी कैसा लग रहा है देवरजी?”

मैं- “भाभी आप बहुत अच्छी हैं, मुझे बहुत मजा आया, बस एक बार आपको चोदना है…”

भाभी मुश्कुराके बोली- “वो भी हो जाएगा, बस थोड़ा धीरज रखे…” बाद में भाभी और मैं फटाफट नहाकर बाहर निकल गये और कपड़े पहनकर घर की ओर चल दिए।

जब वहां से नहाने के बाद हम घर पहुँचे, तो दूसरी दोनों भाभियां राशि भाभी को देखकर मुश्कुरा दीं। शायद उनको अंदाजा था राशि भाभी के इरादों का, और उनमें से प्रीति भाभी मुझे बोली- “क्यों देवरजी, कैसी लगी हमारी बहती हुई नदी?” और वो धीमे-धीमे हँसने लगी।

मुझे तो आश्चर्य हुआ उसकी डबल मीनिंग की बात सुनकर।

तभी वो तीसरी और छोटी भाभी सोनिया बोली- “प्रीति, लगता है देवरजी ने हमारी नदियों में डुबकी नहीं लगाई है, लगाई होती तो कुछ ज्यादा खुश होते?”

अब मैंने स्माइल देकर बोला- “भाभी, ऐसा नहीं है। अभी तो सिर्फ मैंने नदी को दूर से देखा ही है, डुबकी लगानी बाकी है…”

वो दोनों मेरी बात को सुनकर हँस पड़ी, और सोनिया बोली- “तो जल्दी ही लगा लेना, कहीं पानी सुख ना जाए?”

मैं- नहीं भाभी, मैंने नदी ध्यान से देखी है, और उसका पानी सूखने वाला नहीं है।

राशि भाभी आश्चर्य से मुझे देखने लगी और प्रीति और सोनिया को बोली- “लगता है एक ही दिन में नदी को नाप लिया है देवरजी ने। लेकिन शायद उन्हें मालूम नहीं की इन गहरी नदियों में कई लोग डूब भी जाते हैं…”

मैं- हाँ, लेकिन मैंने गोता लगाना सीख लिया है।

तभी दादी आ गई और हम सब दूसरी बातें करने लगे। दादी के आने से मैं भाभी को बोला- “भाभी, मैं थोड़ा गाँव में घूमकर आता हूँ…”
भाभी के बदले दादी बोली- “हाँ, जा बेटा, थोड़ा ध्यान रखना बेटा, और दोपहर को टाइम पे 12:00 बजे से पहले घर आ जाना…”

मैं- “ठीक है दादी जी…” कहकर मैं बाहर चला गया।

गाँव में पदार था, जहां मेन बस स्टैंड होता है और बुजुर्ग लोग बैठने आते हैं। वहां जाकर एक पान की दुकान से मैंने सिगरेट लिया। हालाँकि मैं सिगरेट रोज नहीं पीता, लेकिन कभी महीने में एकाध बार पी लेता हूँ। थोड़ी देर इधर-उधर घूमने के बाद मैं 12:00 बजे घर वापस आ गया।

आकर खाना खाया। और बाद में सोनिया भाभी बर्तन धोने लगी, तो उसके भारी स्तन घुटनों से दबने से आधे बाहर छलक रहे थे। शायद वो मुझे जानबूझकर दिखा रही थी। क्योंकी जैसे ही दादी जी आई, उसने अपना पैर सही कर लिया और चूचियों को ढँक दिया। दादी के जाने क बाद उसने मुझे एक सेक्सी स्माइल दी।

मैं भी मुश्कुरा दिया।

तभी, प्रीति भाभी मेरे सभी भाइयों का टिफिन पैक करके आई और खेत में देने जा रही थी।

तभी दादी ने प्रीति को बोला- प्रीति बेटा, जरा किशोर को भी साथ ले जा, वो भी खेत देख लेगा।

मेरे मन में तो अंदर से लड्डू फूटने लगे, शायद प्रीति भी खुश थी क्योंकी पलटकर मेरे सामने मुश्कुरा दी। मैं तो तैयार ही था। तो चल पड़ा अपनी मस्त चुदक्कड़ भाभी के साथ।

घर से निकलते ही प्रीति ने मुझसे पूछा- क्यों देवरजी, कोई गर्लफ्रेंड है की नहीं?

मैं- नहीं भाभी।

प्रीति- क्यों?

मैं- कोई मिली ही नहीं।

कुछ देर शांति के बाद उसने मुझसे पूछा- “कैसा रहा आज का नदी का स्नान? रशि भाभी ने सिर्फ नहलाया या कुछ और भी?” बोलकर वो रुक गई।

मैं- कुछ और का मतलब?

प्रीति- ज्यादा भोले मत बनो, जब तुम पदार में घूमने गये थे तो राशि ने हम दोनों को सब बताया था।

ब हैरानी की बारी मेरी थी, ये लोग आपस में सब शेयर करते हैं। आश्चर्य भी हुआ लेकिन मैंने अपने आपको शांत रखते हुए बोला- “आप सब जानती हैं, फिर भी क्यों पूछ रही हैं? लगता है आप भी भूखी हैं रशि भाभी की तरह?”

अब उसके चेहरे पे मुश्कान आ गई, उसे शायद मेरे ऐसे जवाब का अंदाजा नहीं था। फिर भी वो बोली- “हाँ, मैं भी भूखी ही हूँ, तुम्हारे भैया कहां रोज चढ़ते हैं मेरे ऊपर?”

मुझे उसकी ऊपर चढ़ने वाली देसी भाषा पे आश्चर्य हुआ। लेकिन सोचा गाँव की भाषा में ऐसे ही बोलते होंगे, चढ़ना और उतरना, जैसे ट्रेन हो।

मैं- तो आप क्या करती हैं, अपनी जवानी को शांत करने के लिए?

प्रीति- “और क्या? कभी कभी हम तीनों मिलके एक दूसरे की चाट देते हैं, कभी गाजर तो, कभी मूली डालकर अपनी आग शांत करती हैं। वैसे आपको पता नहीं होगा, मेरे पति नमार्द हैं, राशि को और सोनिया को बच्चा हुआ लेकिन मुझे नहीं हो रहा…”
मैं- क्यों, किसमें प्राब्लम है?

प्रीति- मैंने चोरी छुपे मेरा चेकप कराया, वो नार्मल आया। वो अपनी चेकप के लिए राजी ही नहीं हैं।

मैं- भाभी उससे बच्चा नहीं होता, लेकिन चुदाई तो हो ही सकती है ना?
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