भाभियों के साथ मस्ती complete

User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: भाभियों के साथ मस्ती

Post by kunal »


फिर मैंने उसकी गाण्ड पे एक जोरदार धक्का मारा तो मेरे लण्ड का टोपा उसकी गाण्ड में फँस गया।

उसके मुँह से एक चीख निकल गई, और बोली- “उईईईई माँऽ निकल साले मादरचोद, मुझे गाण्ड नहीं मरवानी, भड़वे…”

मैं- “अरे रानी, अभी कुछ नहीं होगा। बस अंदर घुस ही गया है, और फिर तेल की वजह से वो इतनी मुश्किल से घुसा था वरना घुसता ही नहीं…” फिर मैंने अपने बाडी को पीछे करके टोपे को बाहर खींचा और फिर एक शाट मारा जिससे उसकी फिर चीख निकल गई, लेकिन अब वो मुझे कोई गाली नहीं दी।

शायद इस बार उसे मजा आ रहा था। लण्ड दो इंच जितना घुस चुका था, तो मैंने अपनी कमर को हिलाना चालू किया। फिर उसको भी मजा आने लगा। कमर हिलाने से लण्ड को आगे का रास्ता मिलता रहता था, जिससे वो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। और फिर ऐसे ही आगे पीछे करने से मेरा लण्ड अब पूरा गाण्ड में जा रहा था और मेरी दोनों गोटियां उसके कूल्हों को छू रही थीं।

रसीला बोली- “वाह रे मेरे राजा… तू तो मास्टर है। तूने तो बड़ी आराम से मेरी गाण्ड में डाला, पता ही नहीं चला की कब पूरा घुस गया। सिर्फ टोपे के जाते वक्त मुझे दर्द हुआ था। मेरी गाण्ड में भी बहुत खुजली हो रही थी तो मैं मरवाना चाहती ही थी तुझसे। तूने बड़े आराम से लण्ड डालकर मेरी इच्छा पूरी कर दी…”

मैं उसकी बातों को सुनता हुआ अपनी मस्ती में मस्त होकर घचाघच उसकी गाण्ड को चोद रहा था। गाण्ड चोदते वक्त मैं उसकी चूत में भी उंगली डालकर हिला रहा था।

वो भी उत्तेजना के मारे आह्ह… उह्ह… और ना जाने क्या-क्या बोलकर मेरे को उकसा रही थी।

मैं उसकी पतली कमर पकड़कर घचाघच शाट मार रहा था। फिर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी। क्योंकी अब मेरा पानी भी निकलने वाला था, तो घचाघच चोदता रहा। तभी मेरा बाँध टूट गया और मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ना चालू कर दिया।

पिचकारी की धार इतनी तेज और गरम थी की जैसे ही अंदर गई, वो मस्ती में गाण्ड को लण्ड पे रगड़ने लगी। और 10-12 झटकों के बाद लण्ड शांत होकर अंदर ही सो गया। क्योंकी आज मैंने उसे कुँवारी गाण्ड में मेहनत करवाई थी तो, वो भी थक गया था।

फिर मैंने रसीला की गाण्ड से लण्ड निकाला और वाशरूम में चला गया। लण्ड धोकर आया तो मैंने देखा कि वो नंगी ही टाँगें चौड़ी करके लेटी थी। मेरे लण्ड ने फिर से अंगड़ाई ली और जागने लगा क्योंकी उसका पसंदीदा रास्ता जो था, वो उसे दिख गया था तो वो अब मूण में आएगा ही।

फिर मैंने अपने लौड़े को उसके मुँह पे रख दिया, तो वो समझ गई और लण्ड को चूसने लगी। रसीला हाथों से मेरी गोटियों को भी हिला देती थी। फिर मैं भी मेरे दोनों हाथों से उसके नरम और मांसल चूचियों को दबा देता था, तो दूध निकलकर उसके चूचों पे और पेट पे बहता था। वो भी पूरे सेक्स के नशे में थी और मेरे दबाने का आनंद ले रही थी।

अब मैं उसके ऊपर लेटकर उसकी चूत चाटने लगा, और वो मेरा लण्ड चूसने लगी। उसे चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था, क्योंकी इससे पहले किसी ने उसकी चूत को चाटा ही नहीं था। वो मजे से लोलीपोप की तरह मेरे लण्ड को पूरा का पूरा अंदर लेकर चूस रही थी। अब मेरा लण्ड फिर से उसकी मन-पसंद जगह में जाने को बेताब था। फिर मैंने चूसना छोड़कर उसको फिर से घोड़ी बनाया।

रसीला बोली- क्या फिर से गाण्ड मारने का इरादा है?

मैं- “नहीं, ये मेरा मुन्ना अब उसकी पसंदीदा जगह में जाने को खड़ा हुआ है, जिसका वो कल से इंतेजार कर रहा था…”

रसीला भी हँसकर बोली- “तो दिखा दो ना उसे इसका रास्ता, बाकी का काम वो खुद कर लेगा…”

और फिर क्या था, मैंने उसकी चूत के छेद पे मेरा टोपा रखा और एक धक्का मारा, जिससे मेरा एक इन्च लण्ड अंदर चला गया। और उसके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई- ‘आह्ह…’

फिर मैंने उसे थोड़ा बाहर खींचकर और एक धक्का मारा जिससे वो चूत की दीवारों को चीरता हुआ 5’ इंच तक अंदर घुस गया।

और रसीला के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई, बोली- “धीरे राजा, इतना बड़ा मैंने कभी नहीं लिया है…”

मैंने फिर से लण्ड पूरा बाहर खींचकर एक जोरदार शाट मारा की वो चीखी- “उईईईई माँऽ, आह्ह… उह्ह… इस्स्स… थोड़ा धीरे मेरे राजा…”

और फिर मैं थोड़ी देर रुका और चूचियों को पीछे से हाथ डालकर पकड़कर दबाने लगा, अब मेरे लण्ड ने उस गुफा में अपनी जगह बना ली थी। फिर मैंने मेरी अंदर-बाहर करना चालू की और धीरे-धीरे आगे पीछे करके मेरी गाण्ड हिलाकर शाट मारने लगा।
अब तक के कामुक वातावरण में रसीला इतनी उतेजित हो गई थी की 10-12 धक्कों के बाद झड़ गई। मैंने अपने धक्के चालू ही रखे, और घचाघच धक्के मारने लगा। मेरी स्पीड राजधानी एक्सप्रेस जितनी तेज थी, जिससे वो दुबारा से उत्तेजित होकर उसके चूतड़ों को आगे-पीछे करके मेरा साथ देने लगी। और फिर… और 30-35 शाट के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। आज मेरे लण्ड ने तीनों छेदों का मजा लिया था। अब चूत चुदाई के बाद तो वो और भी निखर गया था, जैसे की एक बार और।

रसीला अब सीधी लेट गई तो मैंने उसकी चूत में लण्ड डाले ही किस्सिंग चालू कर दिया। और वो भी मेरे होंठ चूस रही थी। फिर थोड़ी देर मैंने उसके चूचे को फिर से चूसकर दूध पिया, क्योंकी हमारी चुदाई को दो घंटा हो गया था और उसकी चूची में फिर से दूध भर गया था। फिर मैंने थोड़ा दूध उसकी बेटी के लिए भी छोड़ दिया। और उसके ऊपर से उतरकर उसे निहारते हुए बोला- कैसा लगा रसीला भाभी?

रसीला बोली- “बहुत मजा आया, मैंने अपनी जिंदगी में कभी ऐसा मजा नहीं लिया है…”

फिर मैं स्माइल देकर उसे किस करके बाइ बोला और उसने मुझे फिर से मिलने का वादा लिया। मैं फिर से तालाब नहाने चला गया, और नहाकर घर गया। जब घर पहुँचा तो शाम के 5:00 बज रहे थे।

घर आते ही मैं सीधा राशि भाभी के रूम में घुस गया, और राशि भाभी को बोला- “भाभी मुझे भूख लगी है। थोड़ा दूध पिला दो ना…”

उसने बाहर झांक के देखा, चाचीजी मंदिर गई हुई थी। तो बोली जरा जल्दी करना चाची कभी भी आ सकती है, और वो अपना ब्लाउज़ खोले लगी। फट से एक चूची मेरे मुँह में दे दिया। मैं भी और टाइम बरबाद ना करके फटाफट उसको चूसकर दूध पीने लगा। 10 मिनट मैंने पिया, तभी कुछ आहट हुई तो भाभी ने चूची मेरे मुँह से निकाल के ब्लाउज़ नीचे कर दिया और तुरंत नीचे का एक हुक बंद करके अपना पल्लू ढँक दिया।

उसने इस तरीके से और इतनी जल्दी ये सब किया की किसी को लगेगा भी नहीं की वो अभी ही मुझे दूध पिला रही थी। अब मैं बाहर आकर खटिया पे आराम करने लगा। भूख थोड़ी शांत हो गई थी, तो पता नहीं कब थकान से मुझे नींद आ गई।

एक घंटे बाद मुझे सोनिया भाभी उठाने आई और धीरे से बोली- उठिए देवरजी, मेहनत कम किया कीजिए वरना थक जाएंगे।

मैं- क्या करूं भाभी, मेरे ऊपर अभी इतनी सारी भाभियां मेहरबान हैं की मैं किसी को ना नहीं बोल सकता।

सोनिया- तो आज आपने अपने मुन्ने को कौन सा बिल दिखाया, राशि का या प्रीति का?

मैं- दोनों का ही नहीं। आज मैंने राशि भाभी की सहेली रसीला का बिल चौड़ा किया।

सोनिया आश्चर्य से- “देवरजी, घर में इतनी सारी मुनिया आपके मुन्ने को रिझाने के लिए हैं, और आप बाहर की मुनिया को खुश कर रहे हो?”

मैं- नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं, मैं तो आप तीनों की मुनिया से खुश ही हूँ, लेकिन आज तो आपको पता ही है की सभी भाई साहब घर पे थे तो मैं आपकी मुनिया को कैसे खुश करता?

सोनिया- हाँ, वो तो है। मैं भी तो आपके मुन्ने को एक नया बिल दिखाना चाहती हूँ लेकिन मोका ही नहीं मिलता।

मैं- भाभी, कल कुछ करते हैं। लेकिन एक बात बताऊँ भाभी?

वो बोली- क्या?

मैं- आपका दूध का डिब्बा बहुत बड़ा है, मन करता है की बस।

वो- बस क्या?

मैं- बस उसको चूसकर उसका दूध पिता ही रहूँ।
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: भाभियों के साथ मस्ती

Post by kunal »

दोस्तों, आप लोगों को तो पता ही है की राशि और सोनिया दोनों को, छोटे बच्चे होने की वजह से, दूध आता था। मैंने राशि का तो पी लिया था अब इसका ही बाकी था।

सोनिता बोली- तो चूसो ना, कौन मना कर रहा है?

मैं- भाभी, कल कुछ जुगाड़ करो ना? राशि भाभी का मीठा दूध पी लिया बस आपका पीना चाहता हूँ।

सोनिया बोली- कल तो होने दे, मैं भी प्यासी हूँ। कल जरूर कुछ करेंगे।

मैं- “ठीक है…” और ऐसा बोलकर मैंने धीरे से उसके चूचे को दबा दिया।

सोनिया बोली- “अभी नहीं…”

फिर हम उठ गये और रात का खाना खाने चले गये। आज रात को तो कुछ होने वाला था नहीं और वैसे भी मैं दिन में इतनी सारी चुदाई से थक गया था तो रात को आराम से सो गया।
दूसरे दिन मैं सुबह हमेशा की तरह 9:00 बजे उठा और मुँह धो लिया। मुझे अच्छी सी नींद आ गई थी और पूरी थकान उतर गई थी। अब मैं फिर से आज दो शाट मारने को तैयार था। मुझे भूख बहुत लगी थी तो रोज की तरह मैं राशि भाभी को ढूँढ़ने लगा, लेकिन वो दिखाई नहीं दी। तभी वहां प्रीति भाभी आई तो मैंने उससे पूछा की राशि भाभी कहां हैं?

प्रीति बोली- “क्यों ऐसा क्या काम है जो तू उसे ही ढूँढ़ रहा है?”

मैं- वो… भाभीजी मुझे बहुत भूख लगी थी, इसलिए।

प्रीति- “तो अब समझी मैं, की उसे क्यों ढूँढ़ रहे हो? वो बाहर गई है, पड़ोसी के घर। लेकिन तेरा काम मैं अभी कर देती हूँ…” वैसा बोलकर उसने सोनिया को आवाज लगाई- “सोनिया जरा यहाँ आओ तो…”

सोनिया फटाफट आई, और बोली- क्या है भाभी?

प्रीति- जरा देवरजी को भूख लगी है उसे शांत तो कर दे।

सोनिया हँसते हुए- “हाँ, भाभी…” और मेरी ओर देखकर बोली- “चलो आप मेरे कमरे में जाओ, मैं अभी चाची को देखकर आती हूँ…”

फिर क्या था, मैं तो उसके कमरे में चला गया।

थोड़ी देर बाद सोनिया आई और बोली- “आज अभी तुम्हारी चाची भी पड़ोस में कथा सुनने जा रही हैं, राशि भाभी भी उसको साथ देने उससे सीधा जुड़ जाएंगी…” और फिर मेरी ओर आँख ममैंरके बोली- “देखो, भगवान ने खुद हमारा जुगाड़ कर दिया ना?”

मैं- “हाँ भाभी, वो तो है…” अब मुझे भी भगवान पे बहुत भरोसा हो गया था, की वो सब सही ही करता है।

फिर सोनिया भाभी प्रीति भाभी से बोली- “भाभी, आप दोनों ने तो अपनी अपनी भूख शांत कर ली है देवरजी से, लेकिन मैं एक ही बाकी थी, क्या मैं भी आज वो भूख मिटा लूं?”

प्रीति भाभी- हाँ, वो भी कोई पूछने की बात है? तुम दोनों तुम्हारे कमरे में जाओ और जो करना है दोपहर तक जल्दी कर लेना। बाद में सासू माँ आ जाएंगी।

मैं तो ये सुनकर बहुत खुश था।

जैसे ही वो कमरे में आई, उसने अपनी साड़ी उतार फेंकी। और फिर वो खुद ही उसकी चूची पे हाथ फेरने लगी, जैसे बड़े पेट वाले खाने के बाद पेट पे फिरते हैं। सोनिया बोली- “देख, इसे ही घूर रहा था ना कल? आज ये तेरे सामने है…” और वो पूरी गोलाईयों पे अपना हाथ फेरने लगी।

उसने दोनों हाथों की बिचली उंगली से उसके टाप वाले हिस्से को टच किया, जहां निपल होती है। और सिर्फ उसी दो उंगली से उसने अपनी चूचियों पे दबाव दिया, जैसे टिचुन टिचुन। उसकी वो गुब्बारे जैसी नरम चूचियां ऐसे प्रेस हो रहा थीं जैसे की मखमल। फिर पूरी हथेली उसने अपने चूची पे रख दी और खुद के होठों को दांतों में दबाकर उसे सहलाने लगी, जैसे बता रही हो की देखो मेरे पास क्या है?

मैं तो उसका ये सेक्सी अंदाज देखता ही रह गया। अब उसने एक हाथ से चूची को सहलाना चालू रखकर, दूसरे हाथ को उसकी दोनों टांगों के बीच ले गई, और पूरी हथेली उस पे रख दी।
वाउ… क्या नजारा था। मैंने इतनी सेक्सी लड़की आज तक नहीं देखी थी। उसका फिग का साइज 36-26-36 था, जो की बहुत मस्त था। कोई हिजड़ा भी उसको चोदने को मचल जाए, तो मेरी क्या औकात थी।

फिर उसने स्टाइल में फिर से दोनों चूचे मेरे सामने ऐसे बाहर निकाले जैसे बोल रही हो, कि आओ और इसे चूसो। फिर वो टोड़ा झुक गई और पीछे मुड़ गई। जिससे अब उसकी गाण्ड मेरी तरफ थी।

वाउ… उसकी 36” की गाण्ड क्या गजब की थी। सोनिया उसअपने चूतड़ों को हिलाने लगी। जिससे उसके बड़े-बड़े कूल्हे लेफ्ट-राइट होने लगे। फिर उसने हिलाना बंद करके थोड़ा और नीचे झुक के नीचे पेटीकोट के किनारे को पकड़ा और ऊंचा उठाने लगी। जिससे धीरे-धीरे उसकी मांसल जांघें दिखने लगीं, और ऊंचा उठाने से उसकी गाण्ड मेरे सामने थी, एकदम सफेद-सफेद और चिकनी। इतनी चिकनी की बस उसके कूल्हों को चूमते ही रहो। वाह… भगवान ने उसे क्या खूबसूरती दी थी।

मुझे मालूम नहीं था की सोनिया जब कपड़े उतारेगी तो ऐसा गजब का सेक्सी बदन होगा।

फिर उसने अपने हाथ को पीछे लेकर उसे गाण्ड पे रख दिया और दोनों कूल्हों को अलग करने के लिए उसे दोनों साइड खींचने लगी, जिससे उसकी गाण्ड पे से पैंटी और अंदर घुस गई, और उसके पूरे कूल्हे दिखने लगे। बाद में उसने गाण्ड को सहलाया और फिर सीधी हो गई। फिर उसने एक हाथ से अपना पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, जिससे पेटीकोट सर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर से नीचे गिर गया। फिर पेटीकोट में से टाँगें निकाल के उसने पेटीकोट को साइड में रख दिया। अब भी वो घूमके मेरी साइड गाण्ड करके ही खड़ी थी। उसकी पिंक कलर की पैंटी से उसके चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे।

अब वो ब्लाउज़ और पैंटी में थी। उसने अब मेरी तरफ मुँह किया और मेरे सामने एक सेक्सी स्माइल दिया, और बोला- कैसा लगा मेरा स्टाइल?

मैं- “बहुत अच्छा, मुझे अब भी यकीन नहीं होता है की मैं इतनी सुंदर परी को नंगा देख रहा हूँ और अब भगवान की बनाई हुई इस सुंदर सी चूत को चोदने जा रहा हूँ…”

सोनिया अपने हुश्न की तारीफ सुनकर बहुत खुश हुई और मेरी सामने और नजदीक आ गई। अब वो मेरे सामने अपनी नशीली आँखों से आँखें मिलकर अपने हाथ को ब्लाउज़ पे ले गई और उसके हुक पे अपना हाथ रखा। फिर थोड़ा मुश्कुराई और धीरे से एक हुक खोला… फिर दूसरा… फिर रुक गई और नीचे मुड़ी जिससे उसकी गले की खाईं और ब्लाउज़ से आधे बाहर छलकते स्तन से मेरी नजर हट ही नहीं रही थी। जी करता था कि अभी ही चूम लूँ और हाथों से मसल दूं। लेकिन मैं भी उसकी सेक्सी हरकतों का आनंद उठाना चाहता था जो की एक स्ट्रेपटीज़ शो से कम नहीं था।

फिर उसने एक उंगली अपने मुँह में डाली और चूसी, और ऐसे मुड़े हुए ही वो उंगली उसके स्तन की गहरी खाईं में डाली। वाह… क्या दृश्य था? क्या अदा थी उसकी? और अब वो फिर से खड़ी हुई और हाथों से दोनों स्तन सहलाने लगी, और अपनी छाती को लेफ्ट-राइट हिलाया तो उसके स्तन डोलने लगे।

मेरे लण्ड का हाल बहुत बुरा हो गया था, मन करता था की उसकी माँ चोद डालूं। साली कालगर्ल से भी बढ़िया तरीके से मुझे उकसा रही थी। फिर उसने उपने बाकी के हुक खोले और दोनों हाथों को ऊपर करके ब्लाउज़ उतार फेंका।
अब उसके गोरे-गोरे स्तन पिंक पारदर्शी ब्रा में कैद थे, जो की आधे ही ब्रा में थे, बाकी के बाहर छलकते थे। ब्रा भी क्या गजब थी… उसकी नोक पारदर्शी थी, जिसकी वजह से वहां पे काला-काला रंग दिख रहा था, जो की उसके निपल थे। अब उसने ब्रा पहने हुए ही दोनों स्तनों को हाथों में भर लिया और दोनों को साथ में ऐसा दबाया की दूध की धार ब्रा के ऊपर से होती हुई सीधी मेरे चेहरे पे छू गई।

जिससे अब उसकी हँसी निकल गई और बोली- “देखा, मेरी पिचकारी में कितना दम है। अब तेरी पिचकारी भी देख लेते हैं। लेकिन पहले मेरे इस फड़फड़ाते कबूतरों को तो आजाद कर दे…” और ऐसा बोलकर अपने हाथों को पीछे लेकर ब्रा के हुक को खोल दिया।

और ब्रा को साइड में फेंकने ही वाली थी की मैं बोला- “लाओ, मुझे दो, मुझे उसे सूंघना है…” कहकर उसके हाथों से ब्रा लेकर मेरी नाक पे रखा और सूंघने लगा।

सोनिया सेक्सी अदा से देखने लगी। उसके सफेद-सफेद स्तन अब हवा में आजाद होकर लहरा रहे थे। उसके निपल अंगूर के साइज के थे। क्योंकी दूध पिलाने से वो बड़े हो गये थे।

मेरा सब्र अब नहीं रहा तो मैंने उन दोनों चूचों को मेरे हाथों में थाम लिया और सहलाकर उसकी गर्माहट और मुलायमपन महसूस करने लगा। माई गोड… वो इतने नरम थे की बस उसे चोदने का मन नहीं कर रहा था। तो मैं उसे धीरे-धीरे दबाने लगा। उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी थीं। फिर मैंने उसके एक स्तन पे मेरे होंठ रख दिए, और जीभ से उसे छेड़ने लगा। उसके निपल के आजू बाजू के गुलाबी एरोलाया समेत उसका निपल मैंने मुँह में ले लिया।

फिर हल्के से उसे दबाया तो, ‘आह्ह’ मेरे मुँह में अमृत की धारा बहने लगी। उसका सौंदर्य किसी को भी पागल करने को काफी था। एक बच्चा होने के बावजूद भी उसकी कमर सिर्फ 26” ही थी और कमर का कटाव किसी कैटरीना कैफ से ज्यादा होगा लेकिन कम नहीं था। उस कटाव के बाद उसकी गाण्ड फट से चौड़ी हो जाती थी, जो की बहुत कम औरतों को होती है। अब मैंने उसकी कमर से हाथ डालकर उसके दोनों कूल्हों को मेरी हथेली में भर लिया और उसे सहलाने लगा।

उसका दूध तो मैं चूस ही रहा था लेकिन साथ में उसकी गाण्ड भी सहला रहा था। गाण्ड की चमड़ी एक छोटे बच्चे के जैसी नरम-मुलायम थी। फिर मैं उसकी गाण्ड की दरार में मेरी उंगली फेरने लगा। उधर चूची में से लगातार दूध चूसना चालू ही था। मैं बारी-बारी दोनों चूचियों को चूस रहा था, ताकि दोनों निपल को एक-समान आनंद मिले।

अब मैंने उकसाते हुए कहा- क्या आप मेरी पिचकारी से होली खेलना नहीं चाहेगी?
सोनिया उत्तेजना से पागल थी ही, और ये सुनते ही उसने मेरे मुँह से चूचियों को छुड़ाकर नीचे झुक के मेरी पैंट की जिप और हुक खोल दिया और पैंट को नीचे खींचकर चड्डी के ऊपर से लण्ड को भींच दिया। फिर सीधा मुँह लगा दिया और किस करने लगी। फिर चड्डी भी निकल दी और लण्ड की लम्बाई देखकर वो हड़बड़ा गई। उसके मुँह से निकल गया- “ओ बाप रे… इतना बड़ा? लगता है ये मेरी फाड़ ही देगा…”

मैं बोला- क्या फाड़ देगा आपकी?

सोनिया शर्माती हुई- “चूत…” और फिर उसने लण्ड का टोपा मुँह में लिया और उसका प्री-कम जीभ से चाटने लगी।

उसकी जीभ के स्पर्श से मेरे लण्ड में एक कंपन सा आ गया, और मेरा लण्ड उत्तेजना से फट से सीधा पेट में चिपक गया। वो ये देखकर और डर गई, क्योंकी अब वो पूरी लमबाई में था, और बोली- “मुझे नहीं चुदवाना है। मेरी चूत का तो भोसड़ा बना दोगे तुम। मैं सिर्फ तुम्हारी मूठ मार दूँगी…”

मैं- “अरे भाभी… आपके अकेले के पास ही थोड़ी चूत है, जो फट जाएगी? मैं राशि और प्रीति भाभी दोनों को चोद चुका हूँ। कुछ नहीं होगा, तो डरिये मत और मेरे लण्ड का मजा लीजिए…” और ऐसा बोलकर मैंने मेरा 3-4 इंच जितना लण्ड उसके मुँह में ठूंस दिया। जिससे वो उन्ह-उन्ह करने लगी, और मैं धीरे-धीरे उसके मुँह को चोदने लगा।
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: भाभियों के साथ मस्ती

Post by kunal »



जब सोनिया थक गई, तो मेरा लण्ड मुँह से निकालकर सीधा उल्टा घोड़ी की पोजीशन में आ गई। मैंने फट से लण्ड का टोपा उसकी चूत के छेद पे रख दिया और उसकी पतली कमर को पकड़ा। उसकी गाण्ड इतनी बड़ी थी की, उसकी कमर पकड़ते ही और टोपा गाण्ड में लगाते ही जैसे मैं कपई हीरोइन को चोद रहा हूँ, वैसा अहसास होने लगा, और फिर मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया। लेकिन मेरा टोपा फिसलकर बाहर आ गया। मुझे लगता था की वो सही थी, उसने आज तक इतना बड़ा लण्ड नहीं लिया था।

मैंने फिर से टोपा छेद पे रखकर और कमर पकड़ कर जोर से धक्का मारा, जिससे मेरे लण्ड का टोपा जगह बनाकर चूत में फँस गया। लेकिन उससे उसकी चीख निकल गई। मेरी तो गाण्ड फट गई की बाहर कोई सुन ना ले। लेकिन तुरंत ही मैं रुक गया और पीछे से उसके स्तन मेरे दोनों हाथों में लेकर सहलाने लगा।

स्तन सहलाने से उसको फिर से मस्ती चढ़ने लगी। उसके मुँह से हल्की सी- “अह्ह… उह्ह… इस्स्स… प्लीज़्ज़… अब डालो…” जैसी सिसकियां निकलने लगीं।

फिर क्या था मैंने थोड़ा टोपा बाहर खींचकर फिर और एक जोरदार शाट मारा तो मेरा लौड़ा करीब 4” इंच जितना घुस गया और वो छटपटाने लगी। फिर मैंने धीरे-धीरे आगे पीछे मेरी कमर को हिलाना चालू किया, तो उसे मजा आने लगा। मुझे उसकी चूत की दीवारों का मुलायम और गरम स्पर्श मेरे लण्ड पे एक अजीब सा आनंद दे रहा था। उसकी चूत की टाइटनेस इतनी थी की जैसे मैं उसको पहली बार ही चोद रहा हूँ, और वो भी जैसे सुहागरात मना रही हो, वैसे एंजाय करने लगी।
अब मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और उसे फचा-फच चोदने लगा। उसकी आवाजें रूम में गूँज रही थीं, और वो चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी। मेरे हर शाट पे उसके कूल्हे हिल रहे थे। कूल्हे इतने नरम थे की और वासना भड़का रहे थे। मेरी स्पीड इतनी थी की हर धक्के पे कूल्हों पे मेरी जांघें टकराने से फट-फट की आवाजें आ रही थीं। और फिर इतनी स्पीड में वो और ज्यादा झेल ना पाई और कूल्हे पीछे करके झड़ गई। और मेरे लण्ड ने भी फक्क से पिचकारी छोड़ दी। 5-7 धक्कों के बाद मेरा लण्ड शांत हो गया, और मैं उसकी चूत में लण्ड डाले ही उसके ऊपर सो गया।

वो अभी भी हाँफ रही थी। फिर मैंने उसे थोड़ा सो किस किया और उसके बालों से खेलने लगा। थोड़ा दूध फिर से पिया। ये सेक्सी चुदाई में टाइम का पता ही नहीं चला और दो घंटे कब बीत गये पता ही नहीं चला।
फिर वो पलटी और हम लिप-किस करने लगे।

सोनिया बोली- “देवरजी, थैंक्स आपने तो मेरी बगिया को पानी से हरी भरी कर दिया। आप जब तक हो तब तक हम रोज ही करेंगे और जवानी का मजा लूटेंगे…”

मैं- “वो तो है भाभी। मैं आप तीनों को रोज जब भी टाइम मिले संतुष्ट किया करूँगा, और एक बात पुछू भाभी?”

वो बोली- क्या?

मैं- भाभी, आज तक मैंने सिर्फ आप तीनों को ही चोदा है पर किसी कुँवारी लड़की की चूत नहीं मारी। क्या कुँवारी चूत भी ऐसी ही होती है?

सोनिया- नहीं देवरजी, कुँवारी चूत तो और भी टाइट होती है, और पहली बार तो खून भी निकलता है।

मैं- “ओह्ह…” मुझे ये मालूम नहीं था। फिर मैं सोचने लगा।

सोनिया जैसे मुझे भाँप गई, और बोली- “क्या सोच रहे हो? कुँवारी चूत भी मारने की इच्छा हो गई क्या?”

मैं- सच बोलूँ तो हाँ भाभी।

सोनिया बोली- “मैं देखती हूँ, कुछ जुगाड़ करती हूँ आपके लिए। लेकिन बाद में कहीं हमें मत भूल मय जाना…”

मैं- नहीं भाभी, ऐसा भला हो सकता है कभी, की सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को ही मैं मार डालूं?

सोनिया- “इतनी सी छोटी सी उमर में भी बड़ी-बड़ी बातें कर लेते हो आप…”

फिर हम ऐसे ही बातें करते रहे, और फिर रूम से बाहर निकले।

जैसे ही हम बाहर निकले, राशि भाभी ने पूछा- “क्यों किशोर, कैसा रहा? मजा आया की नहीं? अगर ना आया हो तो बोलना और भी तरीके हैं हमारे पास…” बोलकर हँसने लगी।

मैं- “मजा तो आएगा ही ना भाभी। इतनी सारी मुनियों का प्यार जो मिल रहा है मेरे मुन्ने को…” और फिर ऐसे ही मजाक में बातें होती रहीं।

इस तरह तीन दिन में चार-चार भाभियों (राशि, प्रीति, सोनिया और राशि की सहेली रसीला) को चोदने के बाद मैं तो जैसे चोदने में मास्टर बन गया था। अब मैं अपने लण्ड को लंबे समय तक झड़ने से रोक सकता था, और सामने वाली के दो गोल हो जायें तब तक अपना एक शाट ही चालू रख सकता था।
दूसरे दिन सुबह में मुझे सोनिया भाभी ने जल्दी उठाया। चाचा और चाची दोनों आज बिल्कुल सबेरे ही शहर चले गये थे, रिश्तेदारों के यहाँ पर, कुछ बेचना था।

तभी सोनिया भाभी आकर मुझे बोली- “देवरजी, कैसी कटी रात? सपने में भी किसी को चोदा या नहीं?”

सुनकर सभी भाभियां हँसने लगी। मैं भी हँस दिया।

सोनिया बोली- चलो आप तैयार हो जाओ, आपको मेरे साथ मेरी माँ के घर जाना है।

मैंने पूछा- कहां है वो?

सोनिया बोली- “इधर ही आधे घंटे का रास्ता है, मैंने तुम्हारे भैया को बोल रखा था, इसलिए वो मोटरसाइकल छोड़ गये हैं, हमारे लिए…”

मैं- “लेकिन वो… आज तो भाभी आप मुझे वो…” बोलकर मैं रुक गया।

सोनिया समझ गई और बोली- “देवरजी, टेन्शन मत लो। आप सिर्फ मेरे साथ चलो। बाकी का काम मेरे ऊपर छोड़ दो…”

फिर मैं और भाभी साथ में नहाए। नहाते वक़्त भी बहुत मस्ती की। और मेरा पसंदीदा ब्रेकफास्ट (सीधा चूची का दूध) राशि भाभी और शोनिया भाभी से किया। और हम एक ही रूम में तैयार हो गये। उसने मेरे सामने ही कपड़े बदले। फिर हम बाइक पे उसकी माँ के गाँव जाने को निकले। रास्ते में वो मेरे से चिपक के बैठी थी, जिससे उसके भरी-भरी चूचियां मेरी पीठ पे दबती रहती थीं।

फाइनली जब हम वहां पहुँचे तो उनके घरवालों ने हमारा स्वागत किया। फिर जनरल बातें होती रही। थोड़ी देर बाद भाभी कहीं बाहर निकली और पीछे मुड़कर मेरे को स्माइल दिया। तो मुझे पता लग गया की मेरा काम करने ही जा रही है।

थोड़ी देर के बाद जब वो वापस आई तो मुझे अगूठा दिखाकर ‘काम हो गया’ बोला, जिसका मतलब था की मेरा काम होने वाला है।

दोपहर को खाना खाने के बाद हम आराम करने के लिए अलग कमरे में चले गये।

भाभी भी वहीं पे आ गई, और बोली- “देवरजी, लण्ड थाम के रखिये, उसकी तो आज फटने वाली है…”

मैं- “मैं तैयार ही हूँ भाभी, फाड़ने के लिए…”
तभी एक सुंदर सी छोटी सी लड़की ने कमरे में प्रवेश किया। भाभी ने मुझसे उसका परिचय करवाया की ये काजल है और 8वीं कक्षा में पढ़ती है। बाजू में ही रहती है और तुमसे कुछ पढ़ाई करना चाहती है। भाभी उसके सामने पढ़ाई बोली, क्योंकी वो शर्मा जाती। वैसे वो उससे सब बात करके ही आई थी।

मैं तो बस उसको देखता ही रह गया। क्या गजब का माल थी। एक अनछुई सी कली थी, जो की पहली बार किसी से चुदने वाली थी। वो एकदम गोरी-गोरी, हाइट 5’4” और रंग एकदम गोरा दूध जैसा था, पानी पिए तो वो भी गले से उतरता दिखे। उसके होंठ एकदमम कोमल, फूल की पंखुड़ी जैसे। अगर जोर से चूसो तो खून बह जाए। स्तन मीडियम साइज 32” के जो की उसकी जवानी का सबूत दे रहे थे। इतने टाइट और उठे हुए की बस दिल करे की उसे हाथों में ही थामे रखे।

कमर एकदम पतली सी, सिर्फ 26” की, दो हाथों को घेर लो तो उसमें समा जाए। नितंब (कूल्हे) इतने सुंदर 34” के साइज के, जो की अभी-अभी जवानी चढ़ने से हुए हों। टाँगें गोरी-गोरी और बीच में जांघों से एकदम जुड़ी जुई, जो की उसकी कुवारेपन का सबूत हैं। चलती तो कूल्हे ऐसे मटकते, जो बताते थे की अभी मुझे चोदना बाकी है। पूरा वर्णन करें तो एक सुंदर सी परी जैसी। मुझे यकीन नहीं आता था की वो चुदने को तैयार है, वो भी किसी अंजाने के साथ। मैं तो अपने आपको बहुत भाग्यषाली मान रहा था।

बाकी तो सभी को पत्नी ही मिलती है, और वो भी शायद ही कुँवारी हो। लेकिन मुझे आज यहां एक छोटी सी कुँवारी लड़की जो की अभी ही जवानी में कदम रख रही है, वो मिल रही थी।

भाभी उसे हमारे कमरे में लाई और हमने साथ में थोड़ी जनरल बात की। फिर भाभी बोली- “देवरजी, अभी नहीं, आप रात का इंतजार करो…”

मैं रात का इंतजार करने लगा। हमारे सोने की व्यवस्था गर्मियों की वजह से भाभी ने जानबूझ के छत पे की थी। वो लड़की भी पड़ोस में ही रहती थी तो उसे भी भाभी ने छत पे सोने का बोल दिया था। रात होते ही मैं बिस्तर में चला गया। आज मैं कंडोम साथ में ही लाया था। मैं नहीं चाहता था की कोई लड़की मेरे वीर्य से माँ बन जाए।

तभी भाभी थोड़े काम निपटा के ऊपर आई। उसने पारदर्शी सी नाइटी पहन रखी थी। मुझे तो हुआ की मैं उसकी अभी ही एक गोल ले लूं, लेकिन फिर सोचा कि पहला हक वो बिचारी का है जो उपना कुँवारापन मुझे दे रही है। मैंने भाभी से थोड़ी मस्ती की और थोड़ा दूध भी पिया।

तभी वो लड़की ऊपर आ गई।

भाभी बोली- “अभी रात के 8:00 ही बजे हैं तो एक-दो घन्टा सो जाओ, ताकि घर के सारे लोग भी सो जाएं…” और ऐसा ही वो लड़की को भी बताया।

मैं भाभी से चिपक के सो गया। दो घंटे बाद मेरी आँख खुली, मैंने भाभी को जगाया और बोला- “आप उसको बुला लो…”
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: भाभियों के साथ मस्ती

Post by kunal »



तभी वो लड़की चुपके से छत पे कूद के हमरी छत पे आ गई। उसने पतला सा टी-शर्ट पहना था और नीचे एक बरमूडा। वो अभी छोटी थी इसलिए रात में ऐसे ही कपड़े पहनती थी। आते ही वो भाभी के साथ बैठ गई।
भाभी ने उसका हाथ मेरे हाथों में दिया और बोला- “लो, संभलो अपने माल को…” और स्माइल दी।

वो लड़की जिसका नाम काजल था वो भी शर्मा गई।

मैं पहली बार किसी हम-उम्र लड़की को छू रहा था, तो मेरे पूरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया। वो क्या गरम थी। इतनी तो वो तीनों भाभियां भी नहीं थीं, क्योंकी वो सब चूसे हुए फूल थीं और ये काजल अनछुआ फूल थी।

मैंने धीरे से उसके हाथ को पकड़ा और सहलाया। फिर बोला- “काजल, शर्माओ मत। मैं तुम्हें थोड़ा सा भी दुख नहीं पहुँचाऊँगा, और एकदम आराम से प्यार करूँगा। क्योंकी तुम इतनी नाजुक हो की जैसे गुलाब का फूल…”

काजल अपनी तारीफ सुनकर शर्मा गई।

मैंने उसके चेहरे को उठाया। और आँखों में आँखें डालकर उसे देखने लगा। मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। क्योंकी मैं उससे अपनी सुहागरात मना रहा हूँ वैसा ही लग रहा था। और एकदम प्यार से उसे औरत बनाना चाहता था।
भाभी हमें बात करते हुए देख रही थी, और मुझे सलाह देती हुई बोली- “शायद मुझे नींद आ जाए तो ध्यान रखना, उसकी चीख से नीचे कोई जाग ना जाए। वरना लेने के देने पड़ जाएंगे और बदनामी भी होगी। अगर एक रात में नहीं होता है तो बाकी का कल करना…”

मैंने बोला- “भाभी, आप बे-फिक्र रहें, मैं इस नाजुक कली को आराम से फूल बनाऊँगा। और इतना प्यार से करूँगा जैसे की मेरी सुहागरात हो और काजल मेरी बीवी हो…”

भाभी हमें देखती जा रही थी।

उधर मैंने काजल के चेहरे को हाथों में लिया, और उसके नरम गालों को सहलाने लगा। उसकी आँखें अभी भी नीचे झुकी हुई थीं। मैं थोड़ा और नजदीक गया, उसके चेहरे को हाथों में भर लिया और उसके माथे पे एक चुम्मी लिया, फिर गालों पे, फिर कानों पे, फिर गले पे, फिर नाक पे, और फिर मेरे तपते होंठ उसके होंठों पे रख दिए। मैंने दोनों हाथों से उसे कंधे से पकड़ रखा था। मैं काजल के होंठों को चूमते हुए एक हाथ को उसकी पीठ पे ले गया और दूसरे हाथ से कंधे पर उसकी ब्रा की पट्टी से खेलने लगा।

फिर मैंने उसके होंठों को चूसना चालू किया। उसके होंठ एकदम छोटे-छोटे और नरम-नरम थे। दूसरे हाथ को कंधे से नीचे लेता हुआ ड्रेस के गले के पास उसकी चूचियों के उपरी हिस्से पे लाया, और उसकी चूचियों की नरमाई महसूस करने लगा। फिर हाथ थोड़ा और नीचे लेकर उसकी पूरी चूचियों को मेरी हथेली में भर लिया, और सहलाने लगा। मैं उसकी गोलाईयों पे पूरा हाथ फेर रहा था। उसकी चूचियां 32” की साइज की होंगी लेकिन उसके पतले शरीर में वो भी बहुत बड़ी-बड़ी दिखती थीं।

अब मैं उसकी चूचियों को थोड़ा सा दबाने भी लगा, जिससे अब उसको भी मजा आने लगा और मुझसे लिपट गई। उसकी आँखें उत्तेजना के मारे बंद हो गई थीं। काजल भी किस में मेरा पूरा साथ दे रही थी। किस करते हुए मैं अपने होंठों से उसकी जीभ को चूसने लगा, कभी-कभी काजल भी मेरी जीभ को चूस लेती थी। रात की चाँदनी में उसका दूधिया बदन चमक रहा था। मैं टी-शर्ट के ऊपर से ही उसकी चूचियां दबाने लगा।

अब उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगीं- “आह्ह… ह्म्म… सिस… आह्ह…” करके वो मेरा किस्सिंग और प्रेसिंग एंजाय करने लगी।

मैंने उसके हाथ को पकड़कर मेरी पैंट के ऊपर से लण्ड पर रख दिया, जिससे वो चौंक गई। पहली बार तो उसने हाथ हटा लिया, लेकिन मैंने फिर से हाथ रख दिया तो वो धीरे-धीरे उसके हाथ को पैंट के ऊपर घुमाकर मेरी लंबाई नापने लगी।

फिर मैंने अपनी जिप खोल दी, लण्ड को बाहर निकाला, और उसका हाथ फिर से उसके ऊपर रख दिया। अब वो मेरे गरम लण्ड को महसूस करके सिसकियां लेने लगी। अब मैंने उसे अपनी गोद में उसका चेहरा मेरे सामने रहे वैसे दोनों टाँगें दोनों तरफ फैलाकर बिठा लिया और उसे जोर-जोर से किस करने लगा। काजल मेरे लण्ड के ऊपर बैठी हुई थी तो उसके कोमल गुदाज कूल्हों की गर्मी मेरे लण्ड को महसूस हो रही थी। और वो भी थोड़ा सा आगे पीछे होकर उसकी योनि को मेरे लण्ड के साथ रगड़ रही थी।

अब काजल एकदम गरम थी और चूत में कुछ भी डलवाने को तैयार थी। मैंने उसकी टी-शर्ट उठाकर पूरा निकल दिया, जिससे अब उसके सीने पे एक छोटी सी ब्रा थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा।
उधर भाभी भी हमारा ये नजारा देखकर उत्तेजित हो गई थी, और उसने अपनी नाइटी कब का शरीर से अलग कर दिया था। ब्रा तो उसने पहनी ही नहीं थी, और सिर्फ पैंटी पहने हुए वो पैंटी के अंदर हाथ घुसाकर अपनी योनि को रगड़ रही थी।

अब सोनिया भी हमारे बाजू में आ गई और मुझे किस करने लगी। फिर उसने अपनी चूचियां मेरे मुँह में दे दिया। मैं उसकी चूचियां चूसने लगा तो मेरे मुँह में दूध की धार फूट पड़ी। मैं तो गपागप दूध पी रहा था, जैसे कभी पिया ही ना हो।

काजल ये सब देखकर और उत्तेजित हो गई और खुद ही उसके बरमूडे में हाथ डालकर अपनी योनि से खेलने लगी।
अब भाभी ने मुझे दूध पिलाते हुए काजल का चेहरा भी अपनी दूसरी चूची पे लगा दिया, और काजल उसे चूसने लगी। भाभी अपने दोनों हाथों से अपनी दोनों उंगलियों के बीच में निपल लेकर चूचियां दबाती थी जिससे हम दोनों के मुँह में और दूध बह जाता था।

फिर मैंने एक उंगली भाभी की गोद में लेटे-लेटे ही भाभी की चूत में डाल दी।

काजल ये सब देख रही थी और दूध भी पी रही थी। अब मैंने उंगली को अंदर-बाहर करना चालू किया, तो भाभी अकड़ने लगी और खुद कूल्हे ऊँचे करके साथ देने लगी। काजल ने ये देखकर दूध पीते हुए ही उसकी बरमुडा को उतार दिया और अब वो सिर्फ ब्रा पैंटी में ही थी।

मैंने दूसरे हाथ से काजल की योनि को पैंटी के ऊपर से टटोला, जो की गीली हो गई थी। मैं उसकी टाइट लकीर पे उंगली फिराने लगा। वो अब इतनी गरम हो गई थी की मेरे हाथ को अपनी चूत पे दबा दिया और जोर-जोर से उसे पकड़के पैंटी के ऊपर से ही चूत पर रगड़ने लगी। फिर थोड़ी देर में वो शांत हो गई। शायद पहली बार होने की वजह से उसका पानी जल्दी ही छूट गया था।

भाभी भी अब झड़ने वाली थी। और फिर मैंने मेरे लण्ड का टोपा काजलभाभी की चूत पे रख दिया और शाट मारने लगा।

अब काजल साइड में बैठकर हमारी चुदाई देख रही थी।

मैं भाभी के ऊपर आ गया और उसे घचाघच धक्के मारने लगा, तो वो अब सह नहीं पाई और ढीली हो गई, क्योंकी उसका पानी निकल गया था। लेकिन मेरा अभी बाकी था तो भाभी लण्ड चूत से बाहर निकालकर मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद भाभी ने काजल को नजदीक बुलाया और बोला- “तुम इसे चूसो…”

पहले तो वोकाजल शर्माई, लेकिन भाभी के जोर देने पे उसने मेरा टोपा पूरा मुँह में भर लिया और टोपे को चूसने लगी। मैं तो जैसे चरम सीमा के नजदीक था, तो मैंने उसका सिर पकड़कर फटाफट लण्ड अंदर-बाहर करने लगा जिससे काजल की ‘उम्म्म्म उम्म्म्म’ की आवाजें आने लगी।

भाभी ने काजल को बोला- “किशोर का पानी पी जाओ, बहुत गुणकारी होता है…”

काजल शायद नहीं पीना चाहती थी लेकिन मैं उसे छोड़ने वाला नहीं था तो मेरी स्पीड बढ़ गई और लण्ड से पिचकारी छूट पड़ी और उसकी धार सीधे ही उसके गले में जा गिरी। कुछ 10-12 झटकों के बाद मैं भी निढाल हो गया। फिर काजलने मेरा लण्ड बाहर निकाला और गहरी-गहरी सांसें लेने लगी।

अब भाभी ने मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और उसपे जीभ फिरा के चूसने लगी। वो तो इसमें माहिर थी तो मेरा पूरा लण्ड मुँह में ले लेती थी। और मेरे टोपे पे उसके गले के अंदर का चिकना हिस्सा टकरा जाता था।

फिर से मेरा लण्ड तनने लगा और पूरी लंबाई में आ गया। अब मुझे काजल की चूत मारे बिना नहीं रहा जा रहा था। तो मैंने काजल को किस करना चालू किया और हाथ को पीछे लेजाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। अब उसके आजाद कबूतर, जो की एकदम तने हुए थे उसको मैंने हाथों में थाम लिया।

भाभी अभी भी मेरे लण्ड को चूस रही थी। अब मैंने काजल की पैंटी उतार दी। तो उसकी योनि रात की चाँदनी में चमक उठी। उसकी योनि की दरार एकदम टाइट थी और दोनों गुदाज फांकें एक दूसरे से जुड़ी हुई थीं। उन फांकों को मैंने उंगलियों से अलग किया तो अंदर का नजारा देखने लायक था। अंदर उसके छोटे-छोटे योनि के होंठ उसकी सुंदरता बढ़ा रहे थे। उसका प्रेम छेद तो दिख नहीं रहा था, क्योंकी होंठों ने उसे ढक के रखा था।

मैंने उसकी योनि के होंठों को खोला और उसपे उंगली फिराने लगा। योनि अब एकदम गीली और चिपचिपी हो गई थी और पानी बहा रही थी। मैंने होंठों को खोलकर उसका लाल रंग का प्रेम छेद देखा, जो की सिर्फ एक स्ट्रा के छेद जितना ही था। क्योंकी उसकी योनि ने आज तक मूतने का ही काम किया था और पहली बार वो उसके साथी मुन्ने को उसमें समाने जा रही थी। तो वो भी उत्तेजित होकर ज्यादा पानी बहा रही थी।

अब मैं धीरे-धीरे एक उंगली को उसकी दरार पे फिराते हुए उसके छेद को टटोलने लगा, और उसके पानी से मैंने उंगली भिगो ली। छेद पे थोड़ा दबाया तो उंगली थोड़ी उसकी चूत में घुसी। लेकिन उससे भी उसको थोड़ा दर्द हुआ और वो कराह उठी। मैंने धीरे से उंगली को और दबाया तो मेरी आधी उंगली उसकी चिकनी गहराई में उतर गई।
लेकिन काजल को दर्द भी हो रहा था। इसलिये मैं उसी पोजीशन में उंगली रखते हुए उसके होंठों को चूमने लगा। काजल भी चूमने का मजा लेने लगी। अब मैंने उंगली हल्की सी बाहर खींचकर फिर से अंदर डाल दी। जिससे उसने गाण्ड थोड़ी सिकोड़ी, और फिर ढीली छोड़ दी। अब उसे भी मजा आने लगा था, तो वो भी कैसे घूमने लगी।

मैंने उंगली की स्पीड बढ़ा दी, क्योंकी अब मेरी उंगली आराम से उसकी मक्खन जैसी चूत में जा रही थी। उसकी योनी की दीवारें अंदर से इतनी चिकनी थीं की बड़ा आनंद दे रही थीं, और गरम भी उतनी ही थीं। अब मैंने स्पीड बढ़ा दी तो वो भी कमर उचका के साथ देने लगी।

फिर भाभी ने मुझे हटा दिया और बोला- “अब उसे चोद दो, उससे नहीं रहा जा रहा है…” और फिर ऐसा बोलकर उसने काजल की दोनों टाँगें दोनों साइड कर दी जिससे उसकी चूत का छेद थोड़ा खुल गया। उसका छेद अब मेरी उंगली जाने की वजह से उतना फैल गया था।

अब भाभी ने मुझे उसकी टांगों के बीच में आने को कहा तो मैं चला गया और फिर भाभी ने मेरे लण्ड के टोपे को पकड़कर उसके छेद पे रखा और मेरे कानों में बोला- “जैसे ही मैं काजल को किस करूं, आप लण्ड को धक्का लगाना…”

मैं भाभी की होशियारी से खुश हो गया। फिर भाभी काजल के चूचियां दबाती हुई उसके होंठों पे होंठ रख दिया और उसे चूसने लगी। काजल भी इस किस का मजा लेने लगी और उसमें खो गई। फिर तभी होंठ चूसते हुए ही भाभी ने हाथों से मुझे इशारा कर दिया।

मैं तो जैसे तैयार ही था। मैंने एक धक्का मारा तो लण्ड उसके नरम छेद को चीरता हुआ सुपाड़े तक अंदर घुस गया। और काजल की चीख निकली जो की गले में ही दब गई, और वो ‘ह्म्म ह्म्ह’ करने लगी जैसे बोल रही हो की छोड़ो मुझे, मुझे नहीं चुदवाना है।

लेकिन भाभी मजबूती से उसके होंठों को कस के किस कर रही थी, जिससे उसकी आवाज आनी ना-मुमकिन थी। और फिर एक मिनट बीता तो भाभी ने फिर से मुझे इशारा किया। मैंने मेरे टोपे को बाहर खींचा जिससे काजल को लगा की अब मैं उसे नहीं चोदूंगा, लेकिन वो उसका वहम था।

और तभी मैंने और एक शाट मारा तो मेरा लण्ड उसकी कसी चूत को चीरता हुआ 3” इंच तक घुस गया। फिर से काजल की चीख गले में दब गई। फिर मैंने भाभी के इशारे की राह देखे बिना ही मेरे लण्ड को बाहर खींचा और एक जोरदार शाट मारा तो मेरा लण्ड उसके योनि-पटल को चीरता हुआ 6” इंच तक घुस गया, जिससे उसकी योनि से खून बहने लगा।

और अब काजल चीखी, लेकिन उसकी चीख फिर से गले में ही दब गई। उसे बहुत दर्द हो रहा था। इसलिये मैं थोड़ी देर वैसे ही लण्ड डालकर पड़ा रहा और उसकी चूचियों को चूसने लगा। उसकी निपल को जीभ से छेड़ने लगा और उसकी पूरी गोलाइयों को हाथों में लेकर दबाने लगा, और उधर भाभी भी उसके होठों को जोर-जोर से चूस रही थी।
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: भाभियों के साथ मस्ती

Post by kunal »


थोड़ी देर बाद काजल भी इसका मजा लेने लगी और सहयोग करने लगी, और उसके कूल्हे उठाकर मेरा लण्ड लेने लगी। अब मैं भी हरकत में आ गया और मेरे लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा। मेरा लण्ड उसकी टाइट योनि को छीलता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था, और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।

भाभी ने सही कहा था की कुँवारी लड़कियों की तो बहुत टाइट होती है। और मैं अंदर-बाहर करते हुए उसकी चूचियां भी चूस रहा था। अब भाभी ने काजल के होठों को आजाद किया तो वो गहरी सांसें लेने लगी और उसकी हल्की-हल्की सिसकियां गूंजने लगी।

मैंने भी अब उसके होठों को मेरे होठों से जोड़ दिया और चूसने लगा।

अब मैंने मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और पूरा लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। काजल तो मेरे इन धक्कों से जल्द ही चरम सीमा पे पहुँच गई, और झड़ गई।

मैं उसकी योनि में झड़ना नहीं चाहता था। अब मुझे लगा की मेरा भी निकालने वाला है तो मैंने लण्ड बाहर खींच लिया। भाभी तो वहीं पे अपना मुँह लगाकर बैठी थी तो मैंने फट से लण्ड सीधे भाभी के मुँह में डाल दिया और भाभी का मुँह चोदने लगा, और 4-5 धक्कों के बाद मैंने पूरा लण्ड उसके गले तक डाल दिया, जिससे मेरे गोटे उसकी दाढ़ी को छू गये।

मेरे लण्ड ने एक जोरदार पिचकारी छोड़ दी, जो सीधी ही भाभी के पेट में चली गई। कुछ 5-7 पिचकारी निकली और मैं वैसे ही उसके मुँह में छोड़ दिया। उसने एक बूँद भी नीचे नहीं गिरने दिया और फिर से लण्ड चूसने लगी। मेरी फिर से उत्तेजना बढ़ गई तो मेरा लण्ड फिर से तन गया।

वहां काजल ये सब देख रही थी।
मेरा लण्ड फिर से पूरा तन गया तो मैंने भाभी के मुँह से लण्ड निकालकर, भाभी को धोड़ी बना दिया और पीछे से फच्च से उसकी चूत में लण्ड डाल दिया और फचा-फच धक्के मारने लगा। जिससे उसके कूल्हों पे मेरी जांघें टकराने से हर एक धक्के पे फट-फट की आवाजें आ रही थी। फिर ऐसे ही कुछ धक्कों के बाद मैंने मेरा वीर्य जोर की पिचकारी के साथ भाभी की चूत में गिराने लगा और वो भी चुदाई के बाद हाँफने लगी।

आज 3 गोल लेने की वजह से मैं भी थक गया था। फिर हमने अपने कपड़े पहने, काजल को गुडनाइट किस किया और कल रात फिर से मिलने का वादा करके हम सो गये।

उसके बाद लगातार तीन दिन तक मैंने भाभी और काजल को चोदा, लेकिन चौथे दिन काजल अपने मामा के घर छुट्टी मनाने चली गई। जाने के टाइम काजल उदास दिख रही थी।

हमको इधर और 4 दिन रुकना था तो दूसरे दिन काजल के जाने के बाद मेरा उदास चेहरा देखकर भाभी समझ गई, और बोली- “टेन्शन मत लो देवरजी… आप कभी भी भूखे नहीं सोएंगे, ये मेरा आपसे वादा है। मैं तो हूँ ही आपके लिए, लेकिन और इंतेजाम भी कर दूँगी…” बोलकर वो अपने काम में लग गई और मैं घर में टीवी देखकर टाइम पास करने लगा।

थोड़ी देर बाद भाभी पड़ोस में जा रही थी। मेरे सामने आकर मुझे देखकर हँसी और बोली- “अभी आपके लिए कुछ जुगाड़ करके आती हूँ शायद कुछ हो जाए…” कहकर वो बाहर निकल गई। एक घंटे के बाद वापस आई तो थोड़ी उदास दिख रही थी।

मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?

वो बोली- देखते हैं, लेकिन मुझे मेरा गिफ्ट मिलना चाहिए।

मैं- “वो तो आपको जब चाहिए तब मिल जाएगा, डोंट वरी…” और पूछा- “अभी दे दूं क्या?”

वो घबराके बोली- “नहीं बाबा, बाद में बोलूँगी। अभी तो आप सिर्फ मुन्ने को तैयार रखो…”

भाभी की ये बात सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने भाभी को बाहों में लेकर एक किस कर दिया।

भाभी बोली- चलो हटो, आप तो बेशर्म हैं, कोई देख लेगा तो?

मैं- “ठीक है, लेकिन भाभी मुझे थोड़ी भूख लगी है, थोड़ा आपका दूध पिला दो ना…”

भाभी बोली- “हाँ… तुम रूम में जाओ, मैं आती हूँ…”

मैं रूम में चला गया।

भाभी की मम्मी बाजार जा रही थी, सब्ज़ी लाने के लिए। जैसे ही वो गई। भाभी मेरे कमरे में आ गई और किवाड़ बंद कर दिया, साड़ी पूरी उतार दी। और बोली- “देवरजी, मेरी मम्मी शायद एक घंटे बाद आएंगी। तब तक मुझसे नहीं रहा जाएगा, आप मेरी प्यास अभी ही बुझा दो…”

मैं- “ठीक है भाभी, देर किस बात की है? आ जाओ, और मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चोद डालो…”
मेरी ऐसी सेक्सी बात सुनकर वो और ज्यादा उत्तेजित हो गई। उसने साड़ी उतार ही दी थी तो ब्लाउज़ में उसकी एकदम बड़ी-बड़ी चूचियां समा नहीं रही थीं, और ब्लाउज़ फाड़कर बाहर आने को मचल रही थीं। भाभी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया तो पेटीकोट सर्रर से नीचे गिर गया। अब उसकी मांसल जांघों के बीच में उभरी हुई चूत साफ दिख रही थी, और सफेद कलर की पैंटी के ऊपर थोड़ा गीला भी लग रहा था। क्योंकी वो ज्यादा ही उत्तेजित हो गई थी।

फिर भाभी दूसरे कपड़े निकाले, उससे पहले मैंने बोला- “भाभी, बाकी के कपड़े मैं उतारूँगा…”

भाभी मेरे सामने खड़ी रह गई। अब मैंने उसकी चूचियों को हाथों में भर लिया, और ब्लाउज़ के ऊपर से ही सहलाने लगा। मैंने ब्लाउज़ के ऊपर से ही निपल को मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगा, जिससे मेरे मुँह में दूध आने लगा।

फिर मैंने एक-एक करके सारे हुक खोल दिए और सीधा ही चूची को मुँह में भर लिया और दूध पीने लगा। उसकी कांखों की खुशबू मेरे नाक में समा रही थी तो कभी-कभी मैं उसे भी सूंघ लेता था। फिर मैंने ब्लाउज़ पूरा उतार दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत की खुशबू महसूस करने लगा। फिर वो थोड़ा पीछे हटी और दो उंगलियों से पैंटी को नीचे खिसका दिया।

अब उसकी बाल-रहित मुनिया मेरे सामने थी जिसमें से उसके होंठ बाहर दिख रहे थे। मैंने भाभी को नीचे बिठा के मेरी पैंट की जिप खोल दी और लण्ड बाहर निकालकर उसके मुँह में दे दिया, और वो उसे चूसने लगी। फिर मैं उसकी टाँगें चौड़ी करके उसके ऊपर आ गया, और एक ही झटके में पूरा लण्ड डाल दिया।

उस भाभी को कोई ज्यादा तकलीफ नहीं हुई, क्योंकी वो अब मेरे लण्ड की आदी हो चुकी थी। फिर मैं उसे घचाघच चोदने लगा। कुछ देर बाद हम झड़ गये और हम कपड़े पहनकर बाहर आ गये।

फिर थोड़ी देर बाद भाभी की माँ आ गई तो वो काम में लग गई। मैं सोच रहा था की भाभी ने मेरा जुगाड़ किसके साथ किया होगा? वो लड़की होगी या कोई चुदी-चुदाई हुई औरत? मुझे मालूम नहीं था। मैंने चुदाई के दौरान पूछा भी।

लेकिन भाभी ने हँसकर जवाब टाल दिया और बोला था- “वो सस्पेंस है…” शाम को भाभी ने मुझे बोला की आज आप कहा सोएंगे?

मैं- आपके ऊपर।

तो भाभी हँस पड़ी, और बोली- “वो तो है ही… लेकिन अगर मेरे साथ ही सोना है तो मैं उसको ना बोल देती हूँ…”

मैं- आप किसको ना बोल दोगी?

भाभी- जिसके साथ आज रात को तुझे सोना है।

मैं आश्चर्य से- “नहीं नहीं, मैं वो…” करके चुप हो गया।

भाभी हँसकर चली गई।

रात का खाना खाने के बाद अब बारी थी सोने की, तो मैंने भाभी को पूछा- “भाभी सोना कहां है मुझे?”

भाभी बोली- “आप अभी छत पे चले जाइए, मैं आती हूँ…”

फिर मैं छत पे चला गया और खोले माहौल में मेरे बरमूडे के ऊपर हाथ रखकर लण्ड को सहलाने लगा। थोड़ी देर में भाभी आई, और दोनों का बिस्तर लगा दिया। भाभी अपने बच्चे को नीचे सुलाकर आई थी, और ऊपर आकर उसने बच्चे मछरदानी वाली खटिया में सुला दिया। अब भाभी नाइटी पहने हुए थी।
Post Reply