भाभियों के साथ मस्ती complete

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kunal
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Re: भाभियों के साथ मस्ती

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जिससे मुझे बाहर का कुछ दिख नहीं रहा था, क्योंकी चारों और पेटीकोट था और सामने उसकी वो सेक्सी पेट। वाउ… मैं तो उसके वो सेक्सी अंदाज से हैरान रह गया। तभी मैं और कुछ सोचू, उससे पहले ही उसने मेरा सिर पकड़कर सीधे उसकी चूत में दबा दिया। मैं भी कहां जाने वाला था। मैं तो उसकी फांकों को खोलकर जीभ से सटासट चाटने लगा। क्या रस टपक रहा था उसका, एकदम चिपचिपा लेकिन सवादिष्ट भी। मैं तो बस चाटता ही रहा और वो अपनी चूत चटवा रही थी मजे से।

तभी वो बोली- मुझे मूत लगी है। क्या आप मेरा मूत पियोगे?

मैंने कहा- हाँ भाभी, आपकी इतनी सुंदर चूत का मूत भी कितना सवादिष्ट होगा। प्लीज़्ज़… जल्दी से मेरे मुँह में धार छोड़ दो।

वो बोली- छीः… गंदे कही के, मैं तो मजाक कर रही थी।

मैं- ये गंदा नहीं होता, आयुर्वेद भी बोलता है इसके लिए।

तो प्रीति चुप हो गई, और सीधे उसने धार लगा दी- “सीईईईईईईई सुर्रर…” करके उसका मूत मेरे मुँह में जा रहा था। वो जो मूतने की आवाज थी वो बड़ी सेक्सी थी- “सीईईईईईईईई सुर्रर…”

मैं तो बस बिना रुके उसके मूत को पी रहा था। जब उसने खतम किया तो मैं आखिरी बूँद तक उसे चाट गया, जिससे प्रीति की चूत और साफ हो गई। प्रीति ने उपना पेटीकोट उठाकर मेरे मुँह को देखा, जब नजरें मिलीं तो प्रीति शर्मा गई और धीमे-धीमे मुश्कुराने लगी।

अब उसकी हालत खराब थी, वो बर्दस्त करने की हालत में नहीं थी। उसने अचानक उठाकर मेरे अंडरवेर पे हमला किया और तुरंत ही मेरा लण्ड निकालकर उसका मूठ मारने लगी। मेरा लण्ड एकदम टाइट था और लोहे की तरह गरम भी। प्रीति ने दो चार बार हिलाने बाद तुरंत ही मुँह में ले लिया। मेरा 6 इंच का लौड़ा उसके मुँह में पूरा नहीं जा रहा था फिर भी वो 5 इंच तक अंदर लेकर चूस रही थी।

मैंने भाभी को बोला- मुझे भी मूतना है।
प्रीति लण्ड बाहर निकालकर बोली- “मेरे मुँह में ही मूत लो। तुमने मेरा मूत पिया तो मैं भी तुम्हारा पियूंगी…” और ऐसा बोलकर फिर से मेरा लण्ड मुँह में ले लिया।

मैंने तो उपने स्नायु ढीला छोड़ दिया, तो तुरंत मुतना चालू हो गया। मूत की धार सीधे उसके गले में जा रही थी। मेरा मूत पीते वक्त उसने मेरा 5 इंच तक का लण्ड मुँह में डालकर रुक गई थी, तो मेरा मूत सीधा ही उसके गले में जा रहा था। मूतना खतम होते ही प्रीति हाँफने लगी। क्योंकी उसने सांस रोक रखी थी। थोड़े टाइम बाद फिर से मेरा 6 इंच का लौड़ा चूसने लगी।

मैंने प्रीति को बोला- मुझे चोदना भी है, ऐसे ही करती रही तो मुँह में ही झड़ जाऊँगा।

प्रीति बोली- कोई बात नहीं, मेरे मुँह में ही झड़ जाओ आप।

उसके ऐसे बोलते ही मैं उसका सिर पकड़कर उसका मुँह चोदने लगा। वो ‘आह्ह… ओह्ह…’ कर रही थी, क्योंकी उसकी आवाज गले में ही दब जाती थी। और फिर मैंने स्पीड बढ़ाई और मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी।

पकड़ के सीधा गटक गई। मेरे लण्ड से एक भी बूँद को बाहर नहीं गिरने दिया और चूसना चालू ही रखा, जैसे थकती ही नहीं थी। प्रीति लण्ड एसे चूस रही थी, जैसे की उसे बहुत टेस्ट आ रहा हो। और फिर से मेरे लौड़े को सहलाने लगे। तभी वो पलटी और लण्ड चूसते-चूसते ही मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी।

अब हम अब 69 पोजीशन में थे। मुझे पता था की मुझे अब क्या करना है? मैं भी चूत को चाटने लगा। चूत की दोनों पंखुड़ियों को अलग-अलग करके चूसने लगा और उसकी क्लिटोरिस के दाने पे जीभ फेरने लगा। उसकी सिसकियां अब बढ़ रही थीं और वो बड़ा आनंद ले रही थी। मेरा भी लौड़ा अब दूसरी बार गोली बरी के लिए तैयार था।

प्रीति शायद समझ गई थी तो वो अब सीधे लेट गई और मुझे अपनी ऊपर खींच लिया। वो खुद टाँगें चौड़ी करके लेटी हुई थी, मुझे दोनों टांगों के बीच में ले लिया।

अब मैंने उसके होंठ चूसना चालू किया। उसके होंठ पे चिकनाई लगी हुई थी, जो की मेरे वीर्य की थी। तभी मैंने अपने वीर्य का स्वाद चखा। मैं बस उसके होंठों को चूसे जा रहा था। मैं उसके कान के पीछे भी चूम लेता तो, वो अकड़ जाती थी। शायद वो प्रीति की सबसे ज्यादा सेन्सिटिव जगह थी। मैं कभी उसकी कान की लोलकी चूस लेता था, कभी उसकी गर्दन पे भी चूम लेता था।

धीरे-धीरे मैं नीचे की ओर बढ़ा, मैंने उसके हाथों को फैला दिया, और उसकी कांखें (आर्म्पाइट्स) सूंघने लगा। दोस्तों, औरतों की कांखों की खुशबू बहुत अच्छी होती है, एक नशा करने वाली, जो हमें आकर्षित करती है उनके प्रति। उसकी खुशबू ऐसी मदहोश कर देने वाली थी की मैं उसे चाटने ही लगा। बारी-बारी दोनों बगलों को चाटने के बाद मैं उसके चूचे पर आया। मैं एक चूची के निपल को चूस रहा था और दूसरी चूची के निपल को उंगली में लेकर दबा रहा था।

धीरे-धीरे उसकी आवाज बढ़ने लगी- “डार्लिंग अब मत तड़पाओ मुझे, बस भी करो। अब चोद भी दो। अह्ह… उईईईई… माँऽ ओह्ह… डियर प्लीज़्ज़… डालो ना। आह्ह… ओह्ह… माई गोड… उईईई माँऽ…” और वो आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं- “प्लीज़्ज़… डालो ना राजा, मत तड़पाओ अब…” करके अपनी कमर हिलाकर मुझसे चुदवासी हो गई।

लेकिन मैं उसे और तड़पाना चाहता था, तो मैंने चूचियों को चूसना चालू ही रखा। अब मैं उसके योनि त्रिकोण पे आ गया, उसकी योनि को भी चूसने लगा साथ में चूचियां भी दबा रहा था।

तभी प्रीति भड़की और मुझे नीचे गिरा दिया और बोली- “साले भड़वे पता नहीं चल रहा है तेरे को? कब से बोल रही हूँ तेरे को चोदने के लिये…” मैं तो देखता ही रह गया उसके मुँह से गाली सुनकर। और वो मेरे ऊपर चढ़ गई और पेटीकोट को चारों और फैलाकर उसने मेरा लण्ड एक हाथ से पकड़ा और धीरे धीरे मेरे लण्ड पे बैठने लगी।
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लण्ड फचक करते हुए उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुस गया। उसके साथ ही उसकी हल्की सी चीख भी निकल गई- “उईईईई… माँऽऽ” और वो उसी हालत में दो मिनट बैठी रही। क्योंकी उसको थोड़ा दर्द भी हुआ था, पहली बार इतना बड़ा लण्ड ले रही थी। थोड़ी देर शांत बैठी रही। फिर उसने धीमे-धीमे ऊपर-नीचे होना चालू किया और मुझसे अपनी प्यासी मुनिया चुदवाने लगी।

मैं उसके चूचों को दोनों मुट्ठियों में लेकर भींचने लगा, कभी निपल के दाने को दो उंगली में लेकर दबा देता तो, उसकी सीस्स्स… उईई माँऽऽ थोड़ा धीरे मेरे राजा…” बोलती और ‘आह्ह उम्म्म्म’ करके मुझे चोदने लगी। जब लण्ड अंदर या बाहर जाता फचाफच की आवाज आती थी जो मुझे पागल करने के लिए काफी थी। धीमे-धीमे उनकी स्पीड बढ़ रही थी।

मैं समझ गया की वो अब झड़ने वाली है, तो मैं भी नीचे से सहयोग देता हुआ शाट लगा देता था। ऐसे घचाघच चोदने से मैं भी अब चरम सीमा के नजदीक था। वो अब स्पीड में ऊपर-नीचे होने लगी और अचानक उसने मेरी छाती को भींच लिया और ठंडी पड़ गई।

लेकिन मैं अभी झड़ा नहीं था, तो मैंने उसे सीधा लिटाया और घचाघच शाट मारने लगा, जिससे मैं भी तुरंत ही झड़ गया। मैंने उससे पूछा भी नहीं की वीर्य कहां पे गिराऊँ? क्योंकी मुझे ही तो उसे माँ बनाना था। अभी वो सेफ पीरियड में भी नहीं थी तो मैंने पिचकारी अंदर ही छोड़ दी। मेरे गरम वीर्य की धार से वो उपने कूल्हों को इधर-उधर करने लगी, शायद उसे बहुत मजा आया।

फिर मैंने 5-6 झटकों के बाद वीर्य छोड़ना बंद किया, और थोड़ी देर उसको किस करने लगा और बालों को सहलाने लगा।

वो बहुत ही खुश होकर बोली- “तुम अब पूरे मर्द बन गये हो, मुझे तुम्हारे बेटे की माँ बनने में खुशी होगी। हम रोज एक बार किया करेंगे ताकि बच्चा रह जाए…”

मैं बोला- “ठीक है भाभी, हम ऐसा ही करेंगे…”
प्रीति भाभी को चोदने के बाद हमने कपड़े पहने और घर गये। घर आते ही राशि और सोनिया भाभी दोनों ने मजाक करना चालू कर दिया।

राशि भाभी तो मुझे डाँटने का ढोंग करते हुए बोली- “देखो किशोर तुमने मुझे धोखा दिया और मेरे से पहले उसकी ले ली। इतना भी सबर नहीं कर सकते थे?” और हँसने लगी। फिर बाद में बोली- “कोई बात नहीं, अभी रात होने दे तो, देखना मैं तेरी कैसे बजाती हूँ?”

अभी शाम के 5:00 बज रहे थे, क्योंकी हमारी चुदाई में ही हमारे दो घंटे लग गये थे और एक घंटा चलकर आने में लगा था। गाँव में शाम को 5-5:30 बजे ही खाना बनाना चालू कर देते हैं और 6:30 तक खा लेते हैं। 8 बजे तो सब सो जाते हैं। यहाँ पे ये मेरी पहली रात ही थी। मेरे सोने का इंतेजाम हाल में किया गया। क्योंकी घर में 3 कमरा, एक बड़ा हाल, किचेन और बड़ा आँगन था।
चाचा-चाची हाल के बाजू में आँगन में सोए हुए थे। उनकी उमर 65-70 साल के आस-पास थी तो उन्हें थोड़ा कम दिखता था और नींद भी गहरी थी दोनों की।

मैं हाल में सोने के लिए गया। मेरे मझले और छोटे भाई घर पे ही थे। मझले वाले भाई खेत में ही थे आज और छोटे भाई ट्रैक्टर रिपेयर करके आ गये थे। सिर्फ बड़े भाई ही शहर से नहीं आए थे, क्योंकी वो शहर से रात को नहीं निकले, वहीं किसी रिश्तेदार के घर रुक गये थे और फोन करके भाभी को बता दिया था।

रूम में जाते वक़्त मेरी प्रीति भाभी और सोनिया भाभी मुँह बिगड़ा हुआ था, क्योंकी आज वो मेरे से मजे नहीं ले सकती थी। मुझसे सारी बोलकर वो दोनों मुँह बिगाड़ के अंदर चली गईं। क्योंकी अंदर उन्हें वही पुराना लण्ड और वो भी छोटा सा मिलने वाला था।

उधर राशि भाभी मेरे पास आई और हँसकर बोली- “रात को तुम्हारे हल से मैं अपनी जमीन खोूंगी, थोड़ा सो लो…”

मैं भी खुश हो गया, और सो गया।

रात को मेरे लण्ड को कोई चूस रहा हो वैसा मुझे लगा, वो कोई और नहीं राशि ही थी। मैंने सोने का ढोन्ग चालू रखा और वो जोर से चूसने लगी। अब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं राशि का सिर पकड़कर अपने लण्ड को स्पीड में अंदर-बाहर करने लगा।

राशि भी खुश थी और लपालप लण्ड चूस रही थी। फिर चूसना छोड़कर वो धीरे से बोली- “रूम में आ जाओ। वहां तुमसे टांगें चौड़ी करके चुदवाती हूँ, चलो…”

मैं उनके पीछे चला गया। रूम में जाते ही मैंने सीधे ही उनके चूचे पे हमला किया और जोर से दबा दिया। उसकी चीख निकलते-निकलते रह गई, शायद चीख दबा दी थी ताकि कोई उठ ना जाए।

राशि बोली- “धीरे से देवरजी…”

मैं तो बस पागलों की तरह उनके चूचे दबा रहा था। चूचे दबाने से उनकी पारदर्शी नाइटी के ऊपर दूध की धारा बहने लगी। क्योंकी उनके बच्चे ने करीब 3 घंटे पहले दूध पिया था और अब वो पूरा दूध से भरा हुआ था। मैं तो बस बहते दूध को देखता ही रह गया। जैसे ही चूची दबाता, दूध की पिचकारी नाइटी के ऊपर से होकर दूर तक गिरती थी। मैंने सीधा नाइटी के ऊपर मेरा मुँह लगा दिया और दूध पीने लगा।
राशि मेरी ये हरकत देखकर धीरे-धीरे मुश्कुरा रही थी। उधर नाइटी होने के बावजूद मेरे मुँह में पूरा दूध बह रहा था। अब मैंने नाइटी को ऊपर करके उतार दिया और सीधा चूची को चूसने लगा। उनके मुलायम निप्पल मेरे मुँह में एक अजीब सा आनंद दे रहे थे, जैसे कोई मुलायम रब्बर हो। जैसे ही मैं अपने दांतों में निपल दबाता, राशि की हल्की सी सिसकारी निकल जाती थी, और वो जोर से मेरा सिर पकड़कर चूचे को मेरे मुँह पे दबा देती थी। मुझे मेरे चेहरे पे वो मुलायम गुब्बारा बहुत अच्छा लगता था। मैं तो बस गटागट दूध पी रहा था। मैंने अपने दूसरे हाथ से दूसरे चूचे को दबाना भी चालू रखा था। लेकिन उसका दूध नीचे गिर रहा था। वो देखकर मेरे मन में एक आइडिया आया।

मैंने राशि भाभी को बोला- भाभी, ये साइड का बरबाद जा रहा है। क्यों ना हम आपके दूध को किसी बर्तन में इकट्ठा करें?

राशि बोली- “ठीक है…” और वो रसोई घर में जाकर एक गिलास लाई।

अब जैसे ही वो अपनी चूची दबाकर दूध निकालने जा रही थी, मैंने उसे रोका और बोला- “मैं निकालूँगा…”

उसने हँस के वो गिलास मुझे दे दिया। अब मैं उनके चूचे को हाथ में लेकर दबाता था और नीचे गिलास का मुँह रख दिया, अब दूध का स्प्रे गिलास में होने लगा। मैं उसके नरम-नरम चूचे दबा के जैसे ही हाथ वापस लेता वो फिर से अपनी पुरानी स्थिति में आ जाते। वो एक अलग आनंद था। धीरे-धीरे वो चूची खाली हो गई जिससे आधा गिलास भर गया था। अब मैं दूसरे चूचे पे गया और उसका भी पूरा दूध निकाल दिया। अब पूरा गिलास भर गया था।

मैं जैसे ही ग्लास को मुँह पे लगाता, भाभी बोली- “रुको, बोर्नविटा नहीं पियोगे?” बोलकर उस दूध में उसने बोर्नविटा मिला दिया। शायद वो गिलास लाते वक्त ही बोर्नविटा साथ में लाई थी।
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मैं तो बहुत खुश था। अब मैं वो दूध पीने लगा और उसमें से थोड़ा उन्हें भी पिलाया। उसको भी खुद के दूध का टेस्ट अच्छा लगा। अब बारी लण्ड चूत को शांत करने की थी। मैंने नाइटी पूरा निकाल दिया था, अब वो सिर्फ पैंटी में थी। अब मैं उसकी चूत को ऊपर से महसूस करना चाहता था।

मैंने चूची चूसना चालू रखा और मेरे दूसरे हाथ को चूचे से हटाकर चूत पे ले गया। वो मखमली पैंटी एकदम चिकनी थी, और हाथ फिराने से उसकी चूत की लकीर साफ महसूस होती थी। मैं वो लकीर में मेरी एक उंगली ऊपर-नीचे करके घिसने लगा।

जिससे राशि को मजा आने लगा, और उसकी सिसकियां बढ़ने लगीं, और मुँह से ‘आह्ह… आह्ह… उम्म्म्म’ की आवाजें आने लगी।

पैंटी की साइड के किनारे से मैंने पैंटी को थोड़ा खिसकाया और असली चूत को महसूस किया। वो गीली हो गई थी। मैंने मेरी उंगली से उसके छेद को टटोला। गीला होने की वजह से मिरी उंगली धीरे से उसमें घुसा दी।

राशि के मुँह से एक कामुक सिसकी निकल गई और उसने पेट को ऊपर उठा लिया, शायद वो अब चुदने को तैयार थी। लेकिन अभी तो उसे तड़पाना था, जब तक की वो खुद मुँह से बोले की मेरे राजा मुझे अब चोद दो।
मैंने उंगली को अंदर-बाहर करना चालू किया और निपल को चूसना भी चालू रखा। वो मेरे बालों में अपने हाथ घुमा रही थी, और सिसकियां ले रही थी। उधर मैं बार-बार चूची बदल-बदलकर दोनों निपलों को चूसता था। उंगली भी अंदर-बाहर हो रही थी। फिर मैं चूची को चूसना छोड़कर उसकी पैंटी पे गया और उसकी चूत की खुशबू सूंघने लगा। वाह्ह… क्या महक थी। एकदम फ्रेश और मदहोश कर देने वाली। मैं तो पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूमने लगा।

अब राशि कंट्रोल में नहीं थी और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर चूत पे दबा रही थी। अपनी जांघों को भी मेरे सिर से भींच देती थी। उसकी जांघें भी एकदम मुलायम सी थीं, और मैंने उन जांघों को मेरे दोनों हाथों से पकड़कर चूत में पूरा मुँह सटा दिया। मैं उसकी जांघों को दूर नहीं जाने दे रहा था, जिससे वो कभी-कभी अपनी कमर उचका देती थी।

पेट तो बार-बार इतना ऊपर उठाती की जैसे वो लण्ड मांग रही हो। वो शायद अब मेरा लण्ड अपनी चूत में महसूस करना चाह रही थी। अब मैंने उसकी जांघों को छोड़कर उसकी पैंटी को उतार दिया, और उसके ऊपर उल्टा हो गया जिससे मेरा लण्ड उसके मुँह के पास था।

राशि मेरा इतना बड़ा लण्ड देखकर जैसे चौंक गई और बोली- “देवरजी, इतनी उमर में इतना बड़ा लण्ड?”

मैं- हाँ भाभी, मूठ मार-मार के बड़ा हो गया है।

राशि हँसने लगी, और मेरा इरादा समझ के उसने लण्ड की चमड़ी को ऊपर-नीचे करके लण्ड का टोपा उसके मुँह में ले लिया। मैं अब अकड़ गया क्योंकी लण्ड के टोपे पे जीभ के टच से मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया। वो धीरे-धीरे उसे चूसने लगी। पहले सिर्फ टोपे को चूसा, लेकिन बाद में पूरा का पूरा लण्ड मुँह में ले लिया और मैं भी उधर उसकी चूत के होंठों को चूस रहा था।

चूत के होंठों के साइड में मांसल गोल उभार ऐसा था की बस मैं देखता ही रहा। एकदम चिकना और वो नीच गाण्ड में मिल जाता था। लकीर इतनी टाइट थी की लगता था की भैया उसे चोदते नहीं थे। मैं उसकी पूरी लकीर के ऊपर से लेकर नीचे गाण्ड तक जीभ फेर रहा था। बाद में मैंने जीभ से उसको चोदना चालू किया। मैंने अपनी जीभ को गोल बनाया और अंदर-बाहर करने लगा। जीभ एकाध इंच अंदर जाती और बाहर आती। जिससे उसकी वासना और बढ़ गई।

राशि अब होश में ना थी। अब तक शांत राशि अब बोल रही थी- “प्लीज़्ज़… चोद दो मुझे राजा… आह्ह… और ना तड़पाओ आह्ह… उई माँऽऽ ओह्ह… धीरे चूस राजा, बस चोद मुझे प्लीज़्ज़… ओह्ह… माँ उई माँऽऽ इस्स्स्स्स… आह्ह…” करके वो अब तड़प रही थी।
अब मुझे उसपे तरस आ गया। मैंने चूत को चूसना रोक के अब उसकी टांगों को अलग किया और उसके ऊपर चढ़ गया। मैं पहले ही प्रीति भाभी को चोद चुका था, इसलिए राशि का छेद ढूँढ़ने में तकलीफ नहीं हुई। सीधा उसकी चूत पर लण्ड रखा दिया, और एक हल्का धक्का मारा। जिससे उसकी एक हल्की सिसकी निकल गयी और मेरा एक इंच जितना लण्ड उसकी चूत में था।

मैंने उसे होंठों पे किस करना चालू किया और हाथों से चूचे दबाना। राशि जब नीचे से कूल्हे उठाने लगी, तो मैं समझ गया की वो अब धकाधक चुदना चाहती है। मैं थोड़ा ऊपर हुआ और मेरा एक इंच फँसा लण्ड बाहर निकाल लिया और जोर से एक बार फिर शाट मारा।

जिससे उसके मुँह से सिसकी निकल गई- “आह्ह… उई माँ धीरे… मेरे राजा…”

मैंने फिर से लण्ड बाहर निकाल के फिर से शाट मारा जिससे मेरा लण्ड अबकी बार 3 इंच अंदर चला गया।

राशि तो बस मस्ती से भर गई, और उसकी सिसकियां रूम में गूंजने लगी। फिर मैंने और एक शाट मारा जिससे मेरा पूरा 6 इंच का लण्ड उसकी चूत में घुस गया। वो मेरे लण्ड के टोपे को उसके गर्भाशय तक महसूस कर रही थी। उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलना चालू ही थाीं।

अब मैं पूरा लण्ड बाहर निकालता और पूरा एक ही झटके में घुसा देता। जिससे उसके पेट और कूल्हे ऊपर उठ जाते थे। अब मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी चालू की, और फचाफच की आवाज के साथ चुदाई होने लगी। उसकी चूत के पानी से चिकना होकर मेरा लण्ड आसानी से अंदर-बाहर जा रहा था। उसकी चूत की दीवारें इतनी टाइट थी की मेरे लण्ड पे अच्छा दबाव महसूस होता था, जैसे की किसी कुँवारी लड़की को चोद रहा हूँ।

मैंने जोरदार शाट मारने चालू रखे जिससे अब वो बेकाबू होकर मेरे कंधे पर नाखून गाड़ना चालू किया, और अचानक उसने मुझे भींच लिया और मेरी गाण्ड पे हाथ से पकड़कर दबा दिया। उसका पानी निकल रहा था। अब मैं भी चरम सीमा पे था और कुछ 5-6 झटकों के बाद मेरे लण्ड ने भी अंदर होली खेलनी चालू कर दी, और पिचकारी सीधे उसके गर्भाशय से जा टकराई।

राशि मेरा गरम वीर्य जाने से चिहुंक उठी, और खुद कूल्हे उठाकर मेरी गाण्ड को भींचने लगी। मैं उसको किस करता हुआ उसके ऊपर सो गया। मैं भी अब थोड़ा थक गया था।

राशि भी मेरे बालों को सहलाती हुई बोली- “मेरे राजा, वाह… तू ने तो कमाल कर दिया, इतना मजा आज तक मेरे पति ने भी मुझे नहीं दिया, और तुम्हारा वो गरम वीर्य, वाउ… मेरी चूत के अंदर ऐसी स्पीड से छूट रहा था जैसे की पिस्टल से गोली। तूने तो मेरे पूरे शरीर को हल्का कर दिया। तू तो इतनी उमर में भी एक मर्द से कम नहीं…”

उसकी ये बात सुनकर मैं शर्मा गया। मैंने नाइट लैंप की रोशनी में उसकी चूत को देखा। वो चुदाई से एकदम सूज गई थी। मुझे खुशी हुई राशि को संतुष्ट देखकर।

राशि बोली- “आपको पता है, मैंने आज तक मेरे पति के होंठ और लण्ड को नहीं चूसा है, न ही उसने मेरी चूत को चाटा है, मालूम है क्यों?”

मैं- क्यों?
वो बोली- क्योंकी वो मादरचोद सिर्फ अपनी हवस मिटाने के लिए ही मेरे ऊपर चढ़ता है, और खुद का पानी निकलने के बाद साइड होकर सो जाता है। कभी ये नहीं सोचता की उसकी बीवी को मजा आया की नहीं? उसका पानी छूटा की नहीं? बस उसका निकल गया तो काम खतम, और वो अपनी सफाई भी नहीं रखते हैं। जिससे मुझे उनका लण्ड लेना पसंद नहीं है। वैसे उसने कभी मुझे दिया भी नहीं है मुँह में लेने को। और मैंने कभी बोला भी नहीं…”

मैं- भाभी, गाँव में ऐसा ही होता है, लोगों को सेक्स की पूरी जानकारी नहीं रहती। और भैया ठहरे किसान, उनको बस फसल उगाना मालूम है…”

जिससे राशि हँस पड़ी, और बोली- “चलो अब कपड़े पहन के बाहर सो जाओ, कहीं तुम्हारी चाची जाग ना जाएं…”

फिर मैंने उसे कपड़े पहनाए और खुद के कपड़े पहने।

तभी वो बोली- “रुको, मैं तुम्हारे लिए दूध लाती हूँ…”

मैं- “उसकी क्या जरूरत है? आपके पास भी तो है…”

राशि हँसती हुई बोली- “ठीक है, यही पी लो…” क्योंकी उनके चूचे वापस दूध से भर गये थे।

फिर मैंने दस मिनट उसका दूध पिया, फिर उसे किस करके मैं सोने चला गया।

रात को करीब तीन बजे मैं राशि भाभी को चोदकर मैं सोया था। थक भी गया था, मेरी आँख सुबह सीधे 9:00 बजे ही खुली। तब तक मेरे दोनों भाई खेत पे चले गये थे। मेरे बड़े भाई तो अभी शहर से आए नहीं थे, शायद आज आने वाले थे।

***** *****
मेरे उठते ही सोनिया भाभी वहां से गुजरी और मादक नजरों से मुझे देखा और सेक्सी अंदाज में पूछा- “क्यों देवरजी, रात को बहुत थक गये थे क्या?”

मैं- हाँ भाभी।

वो- क्यों, राशि भाभी ने तुमसे बहुत मजदूरी करवाई क्या?

मैं- नहीं, बस एक गोल ही किया था।

सोनिया फिर अपने पेटीकोट के ऊपर से उसकी मुनिया को भींचती हुई बोली- मेरी कब लोगे आप?

मैं- मैं तो तैयार ही हूँ, आपकी मुनिया को मेरे मुन्ने से मिलवाने के लिए। बस आप कुछ प्लान बनाओ।

सोनिया बोली- मैं कुछ ना कुछ जुगाड़ करती हूँ। आप अपने मुन्ने को सहलाओ और बता देना की उसकी मुनिया रानी उसे जल्दी ही मिलने वाली है।

मैं- “और आप भी अपनी मुनिया के आजू-बाजू में उगी घास काट देना, क्योंकी मेरा मुन्ना जंगल में जाने से डरता है…”
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Re: भाभियों के साथ मस्ती

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सोनिया हँसने लगी, और बोली- “ठीक है, जैसी आपके मुन्ने की मर्ज़ी…” और काम में लग गई।

उधर प्रीति भी कल से मेरा लण्ड चखने के बाद बेताब थी। वो मेरे बाजू में आई और बोली- “क्यों रे देवरजी, पेट भरा की नहीं राशि से?”

मैं- हाँ भाभीजी, पूरी चूची निचोड़-निचोड़ के दूध पिया।

प्रीति- हाँ भाई, अभी तुम्हारे दिन हैं, मजे करते रहो। अब मेरी दुबारा कब बजाओगे?

मैं मजाक करते हुए- आप बोले तो अभी पटक के मारूं आपकी?

वो- नहीं नहीं, अभी नहीं। बाद में मेरे राजा। तूने तो मेरी चूत में वो आग लगा दी है की बुझती ही नहीं।

मैं- मेरा फायर फाइटर तैयार ही है, आप बस बुला लेना।

बाद में प्रीति सेक्सी मुश्कान देकर काम में जुड़ गई।

मेरी चाची बाहर थी आँगन में, तो वो कुछ सुन नहीं सकती थी। अब मैं ब्रश करके नाश्ता कर लिया। नाश्ते के वक्त राशि भाभी मेरे बाजू में ही बैठी थी, और दोनों भाभियां काम में लगी थी।

राशि ने मुझे नाश्ता देते हुए कहा- क्यों देवरजी, आज आपको आना है मेरे साथ, नहाने के लिए, तालाब पे? उधर रसीला भी आपका इंतेजार कर रही होगी…”
मैं- “ठीक है भाभी, आप धोने के कपड़े तैयार रखो। मैं नाश्ता करके आता हूँ। और आप बाद में मुझे रसीला के घर पे छोड़ देना…”

राशि मुश्कुरा दी- “बहुत चोदू हो गये हो राजा, कहीं इसकी आदत लग गई तो शहर वापस जाकर तकलीफ होगी…”

मैं- “मैं, यहाँ महीने में एक-दो दिन आ जाया करूँगा, सनडे को छुट्टी होगी तब। आप हैं तो मुझे कोई परेशानी नहीं…”

बाद में हम दोनों तालाब पे चले गये, रास्ते में हमने तय किया की आज मैं भाभी से मस्ती ना करूं और नहाकर तुरंत ही रसीला के घर चला जाऊँ। रसीला का घर रास्ते में जाते वक्त ही उसने मुझे दिखा दिया। जाते वक्त हम दो मिनट उधर रुके।

तभी राशि भाभी ने रसीला से पूछा- क्या कोई है घर में?

रसीला- नहीं, वो खेत पे गये हैब और सास ससुर रिश्तेदारी में गये हैं।

राशि भाभी- ठीक है, मैं देवरजी को अभी तालाब पे नहलाकर भेजती हूँ, तेरा खेत खोडने के लिए।

रसीला- “मैं तो कब से आप लोगों का इंतेजार कर रही थी। और इनके लिए मैंने अपनी मुनिया भी सजाकर तैयार रखी है… और वो भाभी के सामने देखी, और दोनों हँस पड़े।

मैं- “मैं अभी आता हूँ और देखता हूँ की कब तक आपकी मुनिया रोती नहीं है? उसका पानी ना निकाला तो मेरा नाम भी किशोर नहीं…”

जिस पर दोनों हँस पड़ी।

फिर हम तालाब चले गये। उधर और औरतें भी कल की तरह कपड़े धो रही थीं।
मुझे देखकर एक लता नाम की औरत जो की 40 साल की थी वो बोली- “क्यों रे इधर क्या कर रहा है? रसीला के घर नहीं जाना है क्या, दूध पीने?”

मैं- “आंटी, मैं दूध पीता ही नहीं, निकालता भी हूँ, वो भी भोस के अंदर से। अगर आपको भी मेरा पीना है तो बोलना…”

लता तो सुनकर शर्मा ही गई और हँसकर फिर से कपड़े धोने लगी। फिर नीचे देखकर बोली- “मेरी उमर कहां है। अब तो वो सब छोड़ दिया है…”

मैं कपड़े निकालकर पानी में जा रहा था और वो छुपी नजरों से मुझे देख रही थी।

मैं- लेकिन मुझे तो लगता है की आपने कुछ छोड़ा नहीं है?

वो- क्यों?

मैं- अभी ही तो आप मेरे लण्ड को घूर रही थीं, और आपकी इमारत ही बता रही है की यहाँ पे कितने मजदूरों ने काम किया है?

लता शर्म से लाल हो गई, कहा- “हाँ, कभी-कभी मस्ती हम भी कर लेते हैं। अगर थोड़ा टाइम मिले तो हमारे खेत में भी बारिस कर दो…”

वैसे मुझे वो लता में कोई दिलचस्पी नहीं थी। क्योंकी वो 40 साल के करीब थी, और जब मुझे अभी 25-30 साल की भाभियां मिल रही थी तो मैं अभी उसे क्यों चोदू? हाँ, वो तो साइड सेटिंग रखना है, ताकि कभी जरूर पड़े तो वो भी काम लगे। वैसे वहां पे कल आई औरतें तो मेरा लौड़ा देखकर कभी भी चुदने को तैयार ही थीं। जिसमें से एक को मैं आज चोदने वाला था, रसीला को। बाकी का बाद में देखूंगा। मैं फटाफट नहाकर बाहर निकला। वैसे तो मुझे भूख नहीं लगी थी लेकिन रसीला को चोदते वक्त ताकत मिलती रहे, इसलिए मैंने राशि भाभी को बोला- “मुझे थोड़ा दूध पीना है…”

जिसे सुनकर बाकी की औरतें हँसने लगी। कुछ एक-दो आज नई भी थीं, जो कल हाजिर नहीं थीं।
राशि बोली- “क्यों नहीं, इधर आ जा…” कहकर अपनी गोद में मेरी सिर रखकर अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी, और अपना एक स्तन बाहर निकालकर मुझे मुँह में दे दिया।

मैं भी छप-छप करके दूध पीने लगा। थोड़ी देर दोनों चूचों से दूध पीकर मैंने भाभी को बोला- “अब मैं चलता हूँ…”

राशि अपना ब्लाउज़ बंद करते हुए बोली- “देवरजी, शाम को ही आना। आज मैं चाची से बोल दूँगी की तुम तुम्हारे दो्सत के यहाँ बाजू के विलासपुर में गये हो…”

मैं खुश होकर- “ठीक है भाभी…” और निकल पड़ा। रास्ते में दुकान से कंडोम का पैकेट लेता गया, जो की मेरे पास अब समाप्त हो गये थे। उसका घर नजदीक आ गया था। मैंने आजू बाजू में देखा कहीं कोई मुझे देख तो नहीं रहा है उसके घर में जाते हुए।

रसीला गेट पे खड़ी मेरी राह देख रही थी। मुझे देखकर अंदर आने को बोला। मैं जल्दी ही अंदर घुस गया। मैंने देखा की उसने एक पतले कपड़े का ब्लाउज़ पहना था, जिसके अंदर उसने ब्रा भी पहनी थी जिसके अंदर मुझे चूचों की गोलाईयां दिख रही थीं। लेकिन उसकी स्ट्रिप्स कंधे पे नहीं जाती थीं। इस मतलब? ओह्ह… वाउ उसने स्ट्रैपलेश ब्रा पहनी थी।

उस विचार से ही मेरा लण्ड टाइट हो गया। उसके ऊपर उसने पतली चुन्नी डाली थी जो की उसके दोनों चूचों को ढँकने के लिए काफी नहीं थी, उससे उनकी सिर्फ एक ही चूची ढकी हुई थी। दूसरी अपनी उंचाई दिखा रही थी। नीचे उसकी नाभि बिल्कुल खुल्ली दिखती थी, उसका छेद ऐसा था की मन करे तो उसी में लण्ड पेल दो। नाभि से नीचे उसका कोमल पेड़ू का प्रदेश चालू होता था जो सिर्फ पेटीकोट के नीचे चूत को जा मिलता था। उसने पेटीकोट इतना नीचा पहना था की बस चूत ही दिखनी बाकी थी। अगर एक उंगली से पेटीकोट नीचे खींचे तो वो चूत की लकीर भी दिख जाए।

उसका नाड़ा साइड में था जो की अंदर घुसाया हुआ था। ब्लाउज़ का गला भी गहरा था, जिससे उसकी ब्रेस्ट लाइन आधी जितनी दिखती थी, और आधे चूचे बाहर दिख रहे थे। चूचे के उपरी हिस्से पे ब्लाउज़ सिर्फ निपल को ही ढँक रहा था, क्योंकी निपल के आजू बाजू का पिंक एरिया, जिसे अरोला बोलते हैं वो, दिख रहा था। निपल के एरिया में ब्लाउज़ थोड़ा गीला दिख रहा था, क्योंकी आपको मालूम है की उसे भी दूध आता था। जो मैंने पिया भी था। उसके चूतड़ क्या गजब के थे पतली सी 29” की कमर से उसका कटाव सीधा ही 36” हो जाता था।

सोचिए… 36” की गाण्ड के दो गुब्बारे कैसे दिखते होंगे? वो दो गुब्बारे इतने नजदीक थे की शायद वो किसी को भी भींचने के लिए काफी थे। और उसका सबूत उसने मुझे अभी ही दे दिया। क्योंकी वो गुब्बारे की टाइट क्रैक में उसका पेटीकोट, पैंटी के साथ फँस गया था। लेकिन उसकी पैंटी की लाइन गुब्बारे पे तो दिख नहीं रही थी। मतलब क्या उसने पैंटी नहीं पहनी थी?
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Re: भाभियों के साथ मस्ती

Post by kunal »

मैं रसीला के बदन को घूरने में इतना डूब गया की उसने मुझे जगाया, हिलाकर बोली- लो पानी पियो।

मैं होश में कहा था। मैंने थोड़ा पानी पिया और ग्लास को साइड में रख दिया। वो मेरे सामने खड़ी थी और मैं पलंग पे बैठा था। मैंने सीधे ही उसके चूतड़ की गोलाईयों को मेरे दोनों हाथों से खींचकर उसको मेरे करीब खींच लिया जिससे उसकी चूत की मादक खुशबू मेरी सांसों में जाने लगी।

उसके चूतड़ क्या गजब के नरम थे, एकदम नर्म। जिसे छूकर कोई भी आदमी अपनी पूरी ज़िंदगी उसे पकड़े हुए ही बिता दे। मैं उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा, और चूत को पेटीकोट के ऊपर से ही सूंघने लगा। मेरी इस हरकत से वो भी उत्तेजित हो गई, और मेरे सिर को अपनी चूत पे दबाकर रगड़ने लगी। चूत क्या गजब थी। वहां पे शायद उसने झांटे, साफ करके कोई पर्फ्यूम लगाया था तो वो दोनों की काकटेल खुशबू मेरा लण्ड उठा रही थी।

अब मैंने उसे पलटा और मेरे मुँह को उसके चूतड़ों में डाल दिया। चूतड़ की लाइन इतनी गहरी थी की अगर वो खड़ी रहे तो पूरी उंगली भी लाइन में ना घुसा पाए, इतनी टाइट। मैं तो बस बारी-बारी दोनों गुब्बारों को मेरे मुँह से किस कर रहा था और सूंघ रहा था। मैंने मेरे हाथ को आगे ले जाकर उसकी चूत वाले हिस्से पे रख दिया। मैं चकित था। वहां पे पैंटी पहनी लगती थी, तो फिर पीछे क्यों दिखती नहीं थी?

मैंने हाथ को चूत पे लेकर उसके ढलाव पे फेरने लगा और चूत को महसूस करने लगा। उधर पैंटी एकदम छोटी सी ही लगी। पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत पे हाथ फेरने में मुझे मजा आ रहा था। वो भी मेरी हर एक हरकत को एंजाय कर रही थी। मैंने उसकी मखमल सी चिकनी गाण्ड को सूंघना और मुँह फेरना चालू रखा।

रसीला भी अब मस्ती में आ गई थी, और हल्की हल्की सिसकी ले रही थी।

उसकी चूत को सहलाते हुए दूसरा हाथ मैं उसकी गाण्ड की दरार में घुसाने लगा। वो चिहुंक पड़ी और उसके कूल्हे खुद ही उत्तेजना में आगे बढ़ गये। मैंने महसूस किया की गाण्ड में डोरी जैसा कुछ था। ओह्ह… माई गोड… उसने एक विदेशी टाइप डोरी वाली पैंटी पहनी थी, जो आगे चूत को ढँकती है और पीछे सिर्फ डोरी जैसी होती है, इसलिये वो पैंटी की डोरी उसकी गाण्ड के अंदर घुसी हुई थी। मुझे तो मुझसे ज्यादा नशीब वाली वो पैंटी लगी जो हर वक्त उसकी गाण्ड को सूंघ सकती थी।

वाउ… ये खयाल आते ही मेरा लण्ड पूरा तन गया और मुझे उसकी गाण्ड मारने का विचार आने लगा। लेकिन मुझे पता नहीं था की उसने कभी मरवाई है या नहीं? इसलिये मैंने सीधे ही उसको पूछ लिया- “भाभी आपने कभी गाण्ड मरवाई है?”

रसीला चौंक कर- क्यों रे, इसमें थोड़े ही डालते है। ये गंदा होता है।

मैं- भाभी, गाण्ड को अगर साबुन से धोकर अंदर थोड़ा तेल डालकर मारा जाए तो वो चूत से भी ज्यादा मजा देती है।

रसीला आश्चर्य से- क्या? ऐसा भी करते हैं लोग?

मैं- हाँ भाभी, शहर में तो ये आम बात है। मेरे कई दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड की चूत और गाण्ड दोनों ही मारते हैं।

रसीला- ओह्ह… वैसा क्या? मुझे ये सब मालूम नहीं था, क्योंकी इससे पहले मैंने किसी और शहरी से चुदवाया नहीं है।

मैं- भाभी, मुझे तो आपके ये गुब्बारे देखकर अभी पहले आपकी गाण्ड मारने को दिल कर रहा है।

रसीला- नहीं, मुझे गाण्ड नहीं मरवानी। भला इतने छोटे छेद में ये इतना बड़ा कैसे जाएगा? मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा तुम्हारी बातों पे। वो तो गाण्ड फाड़ ही देगा।

मैं- नहीं भाभी, कुछ नहीं होता। मेरे सभी दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड की रोज ही तो मारते हैं। उनकी क्यों नहीं फटी? पहली बार तो सबको ही दर्द होता ही है। जैसे आपको चूत में भी हुआ होगा। हुआ था की नहीं?

रसीला- “वो तो है, लेकिन वो तुम्हें गंदी तो नहीं लगेगी ना… वैसे मैंने अभी ही साबुन से धोई है, झांटें साफ करते वक्त…” उसे बाद में पता चला की वो क्या बोली तो वो शर्मा गई।

मैं- तो फिर ठीक है। मुझे अब सिर्फ तेल ही डालना होगा आपकी गाण्ड में, जिससे चिकनी हो जाए।

वो सुनकर रसीला के मन में गुदगुदी होने लगी और उत्तेजना से उसने मेरा सिर अपनी छाती में दबा दिया। वाह… वो भी क्या एहसास था।

मैंने उससे बोला- “आप तेल लाओ…”

रहीला तुरंत किचेन में उठकर गई और तेल लेकर आई। वो तेल उसने एक पिचकारी में भरा था जो की सिलाई मशीन को तेल देने के लिए इश्तेमाल होती है। उसकी पतली सी छेद वाली डंडी मुझे दिखाकर बोली- “देखो इससे तेल डालने में आसानी होगी, और पूरा अंदर तक जाएगा…”

मैं तो ये देखकर हैरान रह गया। क्योंकी ऐसी स्मार्टनेस तो शहर की औरतों में भी नहीं होती। मैंने उसे बोला- “आपकी गाण्ड मारने से पहले मुझे थोड़ा स्तनपान तो करा दे…”

रसीला बोली- “क्यों नहीं…” उसके दोनों लड़के स्कूल गये थे, और छोटी बच्ची सो रही थी जो की दो साल की थी।

मैंने रसीला को पूछा- क्या आप उनको दूध पिलाती हैं?
रसीला- हाँ, तभी तो आ रहा है। नहीं तो बंद ना हो जाता।

मैं आश्चर्य से- “क्या ऐसा होता है की दूध ना पिलाएं तो बंद हो ज ता है? मुझे तो लगता था की एक बार बच्चा हो जाने के बाद पूरी ज़िंदगी आता है…”

रसीला हँस-हँस के पागल हो गई और बोली- “अरे ऐसा थोड़े ही होता है पगले। दूध आना चालू रखने े लिए पिलाना या उसे रोज निकालना पड़ता है।

मैं- तो क्या भाभी, आपकी बच्ची पूरा दूध पी जाती है?

रसीला- नहीं रे, वो तो आधा भी नहीं पीती। बाकी का ऐसे ही ब्लाउज़ में से निकलता रहता है।

मैं- क्या भैया आपका दूध पीते हैं?

रसीला- नहीं, उसे ये पसंद नहीं है।

मैं- हाँ… लेकिन आपको तो इतना सारा दूध आ रहा है तो आप बरबाद क्यों कर रही हो?

रसीला- तो क्या करूं, तुम ही बताओ?

आप दिन में उसे निकालकर एक बर्तन में रखते रहिए, और फिर उसकी चाय बनाइए।

रसीला चौंक कर- अरे पागल, इसकी थोड़ी चाय बनाते हैं, वो तो भैंस के दूध से बनाते हैं।

मैं- लेकिन भाभी, अपने कभी कोशिश किया है क्या? आप ऐसे ही सोचेंगी तो कैसे बनेगी चाय? एक बार ट्राइ तो कीजिए, और चखिए भी। अगर अच्छी लगे तो रोज उतना दूध कम लेना पड़ेगा, और भैया का हेल्थ भी अच्छा हो जाएगा।

ऐसा सुनकर रसीला हँसकर मुश्कुरा दी। और बोली- ठीक है मैं ट्राइ करूँगी।

मैं- बाद में क्यों? अभी ही करते हैं। मैं भी तो देखूँ की आदमी के दूध की चाय कैसी होती है?

उसका मुँह शर्म से लाल हो गया। मंद-मंद मुश्कुराती हुई बोली- ठीक है।

फिर क्या था उसने थोड़ा झुक कर उसकी छाती मेरे आगे कर दी। जैसे योगा में छाती को आगे लेते हैं, वैसे। मैं तो बस उसके ये सेक्सी अंदाज से हिल गया। मेरा लण्ड पैंट में समा नहीं रहा था। मैं उसकी छाती से पल्लू हटाकर उसके ब्लाउज़ का हुक खोलने लगा। लेकिन वो बहुत कसे थे, क्योंकी उसने अपनी छाती आगे को निकाली हुई थी, तो ब्लाउज़ उसके सीने पे टाइट हो गया था।
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