प्यासी जिंदगी complete

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rangila
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Re: प्यासी जिंदगी

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दस मिनट बाद हमने ज़ुबैर और हनी को देखा तो वो दोनों आँखें बंद किए किस कर रहे थे।
मैंने ज़ुबैर को आवाज़ दी और साथ ही बाजी के बूब्स पर आ गया।
ज़ुबैर भी मुझे देख कर हनी के बूब्स पर आ गया और उसके निप्पल को मुँह में डाल कर चूसने लगा।
हनी के मुँह से सीत्कार फूट पड़ी- ओह.. अम्मीईईईं.. उईई..
हनी की चूत का खेल शुरू हो गया था।
हनी की मादक आवाजें आने लगीं और उसने अपने दोनों हाथ ज़ुबैर के सर पर रखे और अपने बूब्स पर दबाने लगी।
मैंने उनसे नज़रें हटाईं और बाजी को देखा तो बाजी ने अपने बूब्स की तरफ इशारा किया और चूसने को कहा।
मैंने बाजी का इशारा समझा और बाजी के बूब्स को हाथ में पकड़ कर मुँह में कभी एक निप्पल को चूसता तो कभी दूसरे को चूसता।
बाजी पूरे मज़े में आ रही थीं और मादक आवाज़ें निकाल रही थीं।
बहन की चूत चटाई
मैं कुछ मिनट बाजी के बूब्स चूसता रहा फिर मैंने अपने मुँह उठाया और बाजी की चूत पर चला गया। अब मैंने अपना मुँह बाजी की टाँगों के अन्दर रख कर बाजी की चूत को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
मेरी ज़ुबान चूत के अन्दर गई.. तो बाजी ने ‘आआहह.. आआअहह..’ की तेज आवाज़ निकाली.. जिससे ज़ुबैर और हनी हमारी तरफ देखने लगे।
ज़ुबैर ने मुझे देखा तो वो भी उठ कर चूत पर आ गया और हनी को कहने लगा- अब तुझे मज़ा आएगा।
यह कह कर उसने अपना मुँह हनी की चूत पर रख दिया और ज़ुबान फेरने लगा।
हनी ने अपनी चूत पर ज़ुबान का एहसास महसूस करते ही अपने जिस्म को अकड़ाना शुरू कर दिया और टाँगें सिकोड़ लीं.. पर ज़ुबैर नहीं हटा और वो चूत को चूसता रहा।
कुछ देर हनी की चूत को चूसने के बाद ज़ुबैर ने अपनी ज़ुबान हनी की चूत के अन्दर की.. जिससे हनी की चीख निकली- आआहह..’
तो बाजी ने ज़ुबैर से कहा- आराम से करो यार..
पर ज़ुबैर नहीं हटा और ऐसे ही हनी की चूत को चूसता रहा और हनी आहें भरती रही- आहह आआहह.. आअहह..
इसी के साथ-साथ वो अपने हाथ बिस्तर पर मारती जाती थी।
मैंने भी बाजी की चूत को दोबारा चूसने शुरू कर दिया और ज़ुबान अन्दर करके बाजी की चूत को चोदने लगा।
बाजी मज़े से मेरा सर दबाने लगीं- हमम्म्म.. आआहह.. वसीम.. मेरे सरताज मजा आ गया.. आह्ह..
वो मेरे सर को अपने हाथों से चूत पर दबाने लगीं।
बहन ने लंड चूसा
मैंने कोई 5 मिनट ऐसे ही चूत को चूसा और फिर अपना मुँह उठा कर बाजी से कहा- बाजी मेरे लण्ड को चूसो.. फिर आपकी चुदाई शुरू करनी है।
बाजी उठीं और उन्होंने हनी को भी आवाज़ दी और उससे कहा- उठ कर जैसे मैं करती हूँ.. वैसे करो।
मेरा लण्ड बाजी ने हाथ में पकड़ा और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर मेरे लण्ड पर फेरने लगीं।
बाजी ने जैसे ही अपनी ज़ुबान मेरे लण्ड पर लगाई.. तो मेरे जिस्म में जैसे करेंट दौड़ गया हो। मैंने एक लंबी सांस ली और सर को पीछे को करके लण्ड चुसवाने लगा।
तभी हनी ने भी ज़ुबैर का लण्ड हाथ में पकड़ा और अपनी ज़ुबान उस पर फेरने लगी। ज़ुबैर ने भी ‘आहह..’ की आवाज़ के साथ अपने हाथ हनी के सर पर रख दिए और उसके बालों में हाथ फेरने लगा।
मैं देख कर हैरान था कि हनी ये सब कैसे आसानी से करती जा रही है। शायद ये सब आजकल की लण्ड चूसने वाली ब्लू-फिल्मों का असर था।
बाजी ने दो मिनट मेरा लण्ड चूसा और फिर लण्ड को मुँह से बाहर निकाल कर बोलीं- वसीम अब रहा नहीं जा रहा.. अब इसे मेरी चूत के अन्दर पेल दो।
मैंने कहा- ठीक..
मैंने बाजी को बेड पर लेटा दिया.. लण्ड को हाथ में पकड़ा।
तो बाजी बोलीं- वसीम पहले ज़ुबैर का लण्ड हनी के अन्दर डलवा दो.. वरना ये खुद उसे बहुत दर्द देगा।
छोटी बहन की चूत में पहला लंड
तो मैंने ज़ुबैर से कहा- अपना लण्ड आराम से अन्दर डालो.. ज़रा सा भी ज़ोर मत लगाना।
तो उसने कहा- ओके।
उसने हनी को पीछे की तरफ सीधा लेटाकर अपना लण्ड हाथ में पकड़ा और हनी की टाँगें खोल कर उसकी चूत के सुराख पर रख दिया.. पर लण्ड को हाथ से नहीं छोड़ा और हाथ से ही अन्दर हल्का सा दबाया।
अभी लण्ड की टोपी अन्दर नहीं गई थी कि हनी घबरा गई और कहने लगी- बाजी मुझे दर्द होगा प्लीज़ ना डलवाओ..
तो मैंने उससे कहा- कुछ नहीं होगा तुम डरो मत..
मैंने ज़ुबैर से कहा- थोड़ा और अन्दर करो।
इस दफ़ा ज़ुबैर ने हाथ लण्ड पकड़ कर थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो लण्ड की टोपी हनी की चूत में चली गई।
अभी टोपी ही अन्दर गई ही थी कि हनी की चीख निकली- आआहह अम्मी.. बाहर निकाल दो प्लीज़..
पर उसने ना तो अपनी टाँगें हिलाईं और ना ही हाथों से ज़ुबैर को पीछे किया। उसने बस रोना चालू कर दिया था.. तो बाजी ने ज़ुबैर से कहा- तुम और अन्दर मत करना.. बस यहीं पर रुक कर आगे-पीछे करो।
ज़ुबैर ने वहीं आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड को आगे-पीछे करना चालू कर दिया.. पर हनी के मुँह से ‘आहह.. आआहह..’ की आवाज़ आ रही थी।
ज़ुबैर वहीं आगे-पीछे हो रहा था तभी बाजी ने ज़ुबैर से कहा- ज़ुबैर अगर आधा करीब अन्दर चला गया हो तो आज के दिन लण्ड इससे ज्यादा अन्दर ना करना.. हनी को टाइम दो.. आज उसका पहला दिन है.. वो घबराई हुई है।
तो ज़ुबैर ने कहा- ठीक है बाजी.. नहीं करता।
अब बाजी ने मुझे हिलाया और बोलीं- वसीम डालो ना अन्दर।
मैंने अपना लण्ड जो कि मैंने पहले ही हाथ में पकड़ा हुआ था, बाजी की चूत के सुराख पर रखा और एक ही तेज़ झटके से बाजी की चूत के अन्दर कर दिया।
लण्ड बाजी की चूत के अन्दर गया.. तो बाजी ने आँखें बंद कर लीं और मेरी कमर को पकड़ कर रोक दिया। मैं भी वहीं रुक गया।
बाजी बोलीं- वसीम दर्द हो रहा है.. शायद लण्ड सूख गया था।
तो मैंने कहा- बाजी, अभी ठीक हो जाएगा।
यह कहते हुए मैंने अपनी कमर को आहिस्ता-आहिस्ता हिलना चालू कर दिया और आराम से बाजी की चूत को चोदने लगा।
बाजी के मुँह से ‘आआहह आआअहह.. आआहह आअहह..’ की आवाज़ आ रही थी। कुछ मिनट बाद ही बाजी ने नीचे से अपनी गाण्ड को हिलाना चालू कर दिया.. तो मैं समझ गया कि बाजी का दर्द कम हो गया है।
अब मैंने तेज़ी से अपने लण्ड को बाजी की चूत के अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया।
बाजी भी मेरा साथ दे रही थीं और मज़े से ‘ऊऊओह.. ऊऊहह..’ की आवाज़ें निकाल रही थीं।
मैं ऐसे ही धक्के मारते हुए बाजी के ऊपर झुक कर बाजी को किस करने लगा। मैंने बाजी को 5 मिनट तक इसी पोज़ में चोदा और 5 मिनट बाद लण्ड बाहर निकाल कर खड़ा हो गया।
मैंने बाजी को भी बिस्तर से उठा कर खड़ा कर दिया।
बाजी बोलीं- क्या हुआ है?
तो मैंने कहा- बाजी आज एक न्यू पोज़ ट्राई करते हैं।
मैंने बाजी का मुँह अपने मुँह के सामने किया.. बाजी की सीधी टांग को ऊपर उठाया और अपनी कमर के साथ रख कर अपने दूसरे हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर बाजी की चूत में पेल दिया। बाजी की हाइट मेरे जितनी थी.. इसलिए लण्ड सीधा बाजी की चूत में चला गया।
अब मैंने बाजी की चूत में धक्के मारने चालू कर दिए।
मैंने ऐसे खड़े-खड़े ही बाजी को कुछ मिनट तक चोदा.. तभी बाजी ने मुझसे कहा- वसीम मैं छूटने वाली हूँ.. रुकना मत।
अब बाजी की आवाज़ में तेज़ी आ गई- उफफ्फ़ वसीम.. मैं गई.. ऊऊहह..
इसी के साथ ही बाजी ने पानी छोड़ दिया।
मैं भी अपनी मंज़िल के नज़दीक था। मैंने दो झटके और मारे और बाजी की चूत में धारें मारने लगा।
हम दोनों ऐसे ही खड़े थे तभी अचानक ज़ुबैर की आवाज़ आई ‘आआअहह..’
उसके लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया था। सारा पानी हनी की चूत में छोड़ दिया था जो कि थोड़ा-थोड़ा करके बाहर आ गया और बिस्तर पर गिर गया।
हम चारों बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे।
बाजी ने हनी से पूछा.. तो उसने कहा- बहुत दर्द हो रहा है।
इसी तरह बातें करते करते हम सो गए।
जब सुबह आँख खुली तो टाइम साढ़े 6 के करीब हो रहा था। हम सब ऐसे ही कपड़ों के बिना लेटे हुए थे। मैंने सब को उठाया और कपड़े पहनने को कहा। मैंने खुद भी मुँह हाथ धोकर कपड़े पहने और बाजी को नीचे आने का कह कर मैं भी नीचे चला गया।
मैं टीवी लाउन्ज में पहुँचा तो अम्मी नाश्ता बना रही थीं और अब्बू टीवी देख रहे थे।
वो दोनों नाश्ते के फ़ौरन बाद निकलने के लिए तैयार थे।
मुझे बैठे हुए अभी 5 मिनट ही हुए थे कि बाजी भी नीचे आ गईं और सीधा किचन में चली गईं।
अब्बू ने मुझसे कहा- जाओ उन दोनों को भी उठा कर लाओ.. उनके स्कूल का टाइम हो रहा है।
मैंने ज़ुबैर को आवाज़ दी कि उठ जाओ.. तो उसने कहा- हम तैयार हो कर आ रहे हैं।
मैं दोबारा वहीं सोफे पर बैठ गया।
बाजी ने नाश्ता लगाना चालू किया।
अब्बू ने बाजी से कहा- तुम आज यूनिवर्सिटी मत जाना.. घर को खाली नहीं छोड़ना और वसीम तुम याद से कॉलेज से दुकान पर चले जाना।
तो मैंने कहा- जी अब्बू..
मैं नाश्ता करने लगा।
सबने नाश्ता किया और ज़ुबैर और हनी तैयार हो कर बाहर निकल गए।
मैंने सोचा कि पीछे से बाजी अकेली होंगी तो कॉलेज जा कर क्या करना है।
मैं नाश्ता करके उठा और बाजी के पीछे किचन में गया और बाजी के पास खड़े हो कर कहा- बाजी अम्मी-अब्बू के जाते ही मैं वापिस आ जाऊँगा।
बाजी ने कहा- वसीम ध्यान से.. अब्बू को शक न हो।
मैंने कहा- आप फ़िक्र मत करो.. मैं बाइक साथ ले जा रहा हूँ।
यह कह कर मैं घर से निकल गया और सीधा पास ही एक मेडिकल स्टोर पर चला गया।
वहाँ से आई-पिल और टाइमिंग वाली गोलियाँ लीं और उस आदमी के साथ ही खड़े होकर बातें करने लगा।
कोई 15 मिनट गुज़रने के बाद मैंने सोचा कि अब घर चलना चाहिए.. क्योंकि अम्मी-अब्बू निकलने के लिए बस रेडी ही थे.. अब तक चले गए होंगे।
मैं वहाँ से निकला और सीधा घर चला गया। मैंने दरवाज़ा खोला और अन्दर दाखिल हो कर देखा और चैन की सांस ली कि गाड़ी नहीं थी.. मतलब अब्बू चले गए हुए थे।
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Re: प्यासी जिंदगी

Post by rangila »

मैं सीधा टीवी लाउन्ज में गया.. तो वहाँ कोई नहीं था। आपी किचन में काम कर रही थीं। मैंने आपी को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया.. जिससे आपी एकदम चौंक गईं और मुझे डाँटने लगीं- शर्म करो तुमने तो मुझे डरा ही दिया है।
मैंने कहा- आपी छोड़ो ना ये काम.. बाद में करना.. चलो ना पहले कुछ और करते हैं.. आज तो घर भी कोई नहीं है। आज सारा दिन मेरे साथ गुजारो ना!
तो आपी बोलीं- वसीम बस दस मिनट और तुम बाहर बैठो.. मैं ये काम ख़त्म करके आती हूँ.. वरना सारा दिन पड़ा रहेगा।
मैंने कहा- ओके.. पर मैं बाहर नहीं जा रहा हूँ.. यहीं आपके पास खड़ा रहता हूँ।
आपी ने कहा- तुम खड़े ना रहो.. रात को दूध नहीं पिया था हमने.. खुद भी पियो और मुझे भी पिलाओ।
मैंने कहा- ओके और दूध फ्रिज से निकाला और आपी से पूछा- आपी आप कितना पियोगी?
आपी बोलीं- जितना तुम चाहो उतना।
तो मैंने कहा- और जैसे मैं चाहूँ वैसे ही पीना पड़ेगा।
आपी बोलीं- ठीक है.. मैं वैसे ही पियूंगी.. जैसे तुम चाहोगे।
मैंने दूध जग में डाला और आधा जग भर लिया.. चीनी डाल कर मिक्स करने लगा।
मैंने मिक्स करते हुए आपी से कहा- आपी अभी तो मुझे आपका दूध भी पीना है.. आज बहुत दिल कर रहा है।
तो आपी बोलीं- शरम करो बहन हूँ मैं तुम्हारी..
और ये कह कर वे हँसने लगीं।
मैंने कहा- आपी आप बहन के बाद मेरा प्यार भी तो हो ना.. और मेरी सेक्स पार्ट्नर भी हो.. तो इसलिए मुझे हक है।
हम दोनों हँसने लगे।
दूध में मैंने चीनी घोली और आपी से कहा- आपी आप रेडी हो?
तो आपी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
मैंने कहा- ओके.. फिर लो अपने होंठ लाओ इधर।
जग से मैंने एक घूँट अपने मुँह में भरा और आपी की तरफ अपना मुँह किया.. तो आपी ने भी अपना मुँह मेरी तरफ किया। मैंने अपने होंठ आपी के होंठों से ज़ोड़ कर खोल दिए और दूध आपी के मुँह में डालने लगा।
पूरा घूँट मैंने आपी के मुँह में डाल दिया और आपी के होंठों को चूसने लगा। आपी ने भी मेरे होंठों को चूसना चालू कर दिया.. जिससे आपी के मुँह में बचे हुए दूध की धार बाहर आपी के होंठों से होती हुई आपी के बूब्स के अन्दर जाने लगी।
आपी के गर्दन गीली हो गई।
कुछ सेकेंड किस करके आपी बोलीं- वसीम तुम पागल कर दोगे मुझे..
तो मैंने कहा- यही तो मैं चाहता हूँ कि आप मेरे लिए पागल हो जाओ और फिर मेरे साथ हर वक्त सेक्स करो।
यह कह कर मैं दोबारा घूँट भरने लगा तो आपी ने कहा- रूको..
अब आपी क्या करने वाली थीं मुझे देखना था।
उन्होंने मेरे हाथ से जग पकड़ कर एक घूँट भरा और जग साइड पर रख के अपनी बांहें मेरी गर्दन के गिर्द लपेट कर अपने होंठ मेरे होंठों से ज़ोड़ दिए और सारा दूध मेरे मुँह में डाल दिया।
अब वो मुझे किस करने और मेरे होंठों को चाटने लगीं। कुछ देर किस करने के बाद आपी ने अपने होंठ अलग किए और दोबारा काम में लग गईं और मुझसे कहा- अब खुद पियो.. मैं जल्दी से काम खत्म कर लूँ।
जग को उठाया और मैंने मुँह से लगा कर आधा दूध पी गया और बाकी का बचा के आपी को कहा- ये आपका..
मैंने जग आपी के आगे किया..
तो आपी ने कहा- मेरा दिल नहीं कर रहा.. बस इतना ही पीना था।
मैंने आपी से कहा- कुछ नहीं होता.. पियो।
मैंने जग आपी के मुँह से लगा दिया और सारा दूध आपी को पिला कर जग नीचे किया.. तो आपी ने लंबी सांस ली और मुझे गुस्से से देखने लगीं।
आपी से मैंने कहा- आपी आप दूध नहीं पियोगी तो कमज़ोर हो जाओगी।
आपी के मुँह में अभी भी एक घूँट दूध बाकी था.. आपी ने बिना कुछ बोले ही अपने होंठ मेरे होंठ पर रख कर दूध मेरे मुँह में डाल दिया और अपने होंठ अलग करके बोलीं- अच्छा बाबा.. ठीक है लो पी लिया ना.. अब बस मुझे दस मिनट दो.. मैं काम खत्म कर लूँ।
मैंने कहा- ओके..
मैं वहीं आपी के पास रुक गया।
आपी ने किचन की चीजें संभालीं और कुछ बर्तन धो कर मुझसे बोलीं- चलो बाहर चल कर बैठते हैं।
मेरा हाथ पकड़ कर वे मुझे बाहर टीवी लाउन्ज में ले आईं और हम दोनों सोफे पर बैठ गए।
आपी ने मुझसे कहा- वसीम, तुम कॉलेज भी जाया करो.. ऐसे तुम्हारी स्टडी खराब होगी।
तो मैंने कहा- आपी आप छोड़ो ना स्टडी को.. कोई और बात करो। चलो ना.. कुछ करते हैं।
मैंने आपी को सर से पकड़ा और आपी को किस करने लगा।
आपी भी मुझे किस का रेस्पॉन्स देने लगीं।
किस करते-करते मैंने आपी का सर से अपना हाथ से उठाया और आपी की कमर को पकड़ कर आपी को पीछे की तरफ लेटाता हुआ आपी के ऊपर लेट गया.. पर किस करना नहीं छोड़ा।
आपी भी पूरे मज़े से मुझे किस कर रही थीं और अपने हाथों से मेरे सर पर दबाव डाल रही थीं। वे मेरे होंठों को अपने होंठों पर इस तरह दबाव डाल रही थीं.. जैसे मेरे होंठ ही खा जाएंगी।
मैं भी आपी के ऊपर लेट कर आपी को किस करता रहा।
हम ऐसे ही करीब दस मिनट तक मगन हो कर किस करते रहे।
इसके बाद आपी ने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किए तो आपी के होंठों से हल्का-हल्का खून निकलने लगा।
मैंने अपना हाथ आपी के होंठ पर लगाया.. तो मेरी उंगली पर खून लग गया।
मैं जल्दी से आपी के ऊपर से उठा और आपी को उठाया और पूछा- आपी आपके होंठों से ब्लड निकल रहा है.. लगता है आपको मेरे दांत लग गए हैं।
आपी ने मुझे कुछ कहे बिना ही दोबारा किस चालू कर दी और मेरे होंठों को चूसने लगीं। मैंने आपी के सर को पकड़ कर पीछे किया और बोला- आपी पागल मत बनो.. ब्लड निकल रहा है.. रूको मैं पानी ले कर आता हूँ।
मैं उठने लगा तो आपी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक कर बोलीं- वसीम तुमने खुद तो कहा था कि मैं आपको अपने प्यार में पागल कर देना चाहता हूँ.. लो मैं हो गई हूँ तुम्हारे लिए वसीम.. तुमने कुछ और माँगा होता तो मैं आज तुम्हारे लिए वो भी कर जाती।
मैं आपी की बात सुन कर मैं वहीं बैठ गया और आपी के माथे पर किस की।
आपी से बोला- आपी प्लीज़.. ऐसे अपने आपको तकलीफ़ ना दिया करो प्लीज़.. ये ठीक नहीं है.. आप रूको एक मिनट!
और मैं किचन से ग्लास में पानी लेकर आया और साथ एक खाली बर्तन लेकर आया। मैं आपी के पास बैठ गया और आपी से कहा- लो कुल्ली करो और मुझे ज़ख़्म दिखाओ।
आपी बोलीं- पहले किस करो मुझे..
तो मैंने कहा- आपी ज़िद ना करो आप.. पहले ज़ख़्म दिखाओ मुझे.. फिर मैं किस करूँगा।
मैंने ग्लास आपी के होंठों के आगे किया तो आपी ने घूँट भरा और कुल्ली की और पानी खाली बर्तन में फेंका।
मैंने आपी से कहा- अब मुँह खोलो।
मैं ग्लास और बर्तन नीचे रख कर आपी का मुँह देखने लगा। आपी के ऊपर वाले होंठ पर किस करते वक्त एक कट लग गया था और उसमें से खून निकल रहा था।
मैंने आपी से कहा- आपी आपके होंठ को कट लग गया है.. आप लेटो मैं कमरे में से जैल लेकर आता हूँ।
मैंने आपी को सोफे पर लेटा कर कमरे में से जैल लेकर आया और आपी के होंठ के अन्दर वाली साइड पर लगाई। मैं आपी के पास बैठ गया और आपी से कहा- आपी प्लीज़ आप आगे से ऐसे ना करना.. ये ठीक नहीं है.. देखो मुँह में ज़ख़्म बन गया है।
आपी बोलीं- वसीम बस चुप करो अब और तुम टाइम क्यों ज़ाया कर रहे हो, चलो ना काम शुरू करते हैं।
मैंने आपी से कहा- नहीं आपकी तबियत ठीक हो जाए.. फिर करेंगे।
तो आपी ने कहा- तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो.. मैं रोऊँगी फिर।
मैंने कहा- अच्छा ओके बाबा.. पर अब नो किस ओके..
आपी ने कहा- अच्छा किस न करो पर चुदाई तो करो ना और सुनो अभी तुम एक टेबलेट खा लो.. देर तक करने का मूड है।
तो मैंने जो टेबलेट साथ लाया था.. वो निकाली और एक टाइमिंग वाली गोली खुद खा ली और आई-पिल आपी को खिला दी।
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैं अंडरवियर पहने हुए ही आपी के ऊपर आ गया और आपी की सलवार खींच कर नीचे को उतार कर सोफे पर फेंक दी।
फिर आपी को हल्का सा ऊपर उठा कर उनकी कमीज़ भी उतार दी।
आपी बस ब्रा में थीं.. आपी ने नीचे पैन्टी भी नहीं पहनी हुई थी।

मैंने आपी की टाँगों को खोला और अपने मुँह को चूत पर रख कर ज़ुबान फेरने लगा। मेरी ज़ुबान आपी की चूत के साथ लगी ही थी कि आपी ने सिसकारी भरी।
‘ऊऊऊहह ऊओह..’ और अपनी चूत को हल्का सा ऊपर उठा दिया.. जो कि मेरे मुँह में चली गई।
मैंने आपी की चूत को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। आपी नीचे से अपनी गाण्ड को उठा-उठा कर चूत चुसवा रही थीं और साथ ही ‘आआहह.. आआहह…वसीम..ज़ुबान और अन्दर करो..ऊऊ ऊओह..’ की आवाज़ निकाल रही थीं.. और चूत को मेरी जीभ से चुदवाए जा रही थीं।
मैंने आपी की चूत को चूसते हुए अपने हाथ से आपी की ब्रा नीचे की और अपने हाथ से आपी के चूचों को मसलने लगा।
मैं अपनी ज़ुबान को आपी की चूत में तेज रफ्तार से अन्दर-बाहर करने लगा, अब आपी पूरी मस्ती से गाण्ड को हिला रही थीं।
कुछ ही देर में मैंने आपी की चूत को चोदा होगा कि आपी ने मेरे सर को अपने हाथ से दबाना चालू कर दिया और कहने लगीं- वसीम, मैं छूटने वाली हूँ आहह..
मैंने आपी की बात सुन कर और तेज़ी से ज़ुबान को हिलाना चालू कर दिया और कोई दो मिनट ही और किया होगा कि आपी का जिस्म अकड़ने लगा और आपी ने एक लंबी आह भरी ‘ऊऊऊऊऊहह.. मैं गईईई..’
इसी के साथ आपी ने अपनी कमर को ऊपर उठा दिया.. उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
आहिस्ता-आहिस्ता आपी का जिस्म ढीला हो गया और आपी ने वापिस अपनी कमर को नीचे सोफे पर गिरा दिया।
मैंने आपी की चूत से मुँह उठाया और आपी से कहा- आपी कैसा रहा?
आपी कुछ ना बोलीं और बस आँखों से इशारा कर दिया।
मैंने आपी से कहा कि आप लण्ड नहीं चूसोगी.. मैं तेल लेकर आता हूँ और तेल लगा कर अन्दर डालूंगा तो मजा आएगा।
आपी ने कहा- नहीं.. ऐसे ही अन्दर डाल दो.. कुछ नहीं होगा।
मैंने आपी को उठाया और आपी को पास ही रखी डाइनिंग टेबल पर लेटा दिया और खुद खड़ा हो गया।
अब आपी की चूत बिल्कुल मेरे लण्ड के सामने थी।
मैंने आपी की तरफ देखा और लण्ड आपी की चूत के करीब लाकर आपी की चूत के ऊपर रगड़ने लगा। अब मैं अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा।
ऐसे करने से आपी गरम होती जा रही थीं और वो मुझसे कहने लगीं- वसीम डालो ना अन्दर..
तो मैंने अपने लण्ड को पकड़ कर सुराख पर रखा और हल्का सा अन्दर को पुश किया तो लण्ड की टोपी आपी की चूत में चली गई.. और आपी एकदम झटके से ऊपर को उठीं और फिर नीचे लेट गईं।
उन्होंने मुझे रुकने का इशारा किया.. तो मैं वहीं रुक गया।
आपी को दर्द हो रहा था.. मेरा लण्ड बिल्कुल खुश्क था इसलिए में कोई दो मिनट ऐसे ही रुका रहा।
आपी ने मुझसे कहा- आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर करो.. एकदम मत करो।
मैंने लण्ड पीछे को खींचा और फिर अन्दर किया और वहीं आहिस्ता-आहिस्ता धक्के लगाने लगा।
आपी को दर्द हो रहा था.. पर आपी बर्दाश्त कर रही थीं। आपी ने अपने दोनों हाथों से टेबल को साइड्स से पकड़ा हुआ था। मैं दस मिनट तक ऐसे ही आपी को चोदता रहा और आपी अपनी आवाज़ दबाए चुदवाती रहीं।
दस मिनट बाद आपी ने मुझसे कहा- वसीम अब काम ठीक है.. अब तेज़-तेज़ करो।
मैंने आपी की एक टांग को अपने हाथ से ऊपर उठाया और तेज़-तेज़ धक्के लगाने लगा। आपी को भी मज़ा आ रहा था और आपी मज़े से ‘ऊऊऊहह.. उफफफ्फ़.. वसीम.. आआहह..’ कर रही थीं।
आपी की आवाज़ें मुझे मस्त कर रही थीं और मैं फुल जोश से आपी को चोद रहा था। साथ ही मैं अपने लण्ड की लज्जत को फील कर रहा था।
कुछ मिनट ऐसे ही आपी को चोदने के बाद मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और आपी को उठने का इशारा किया।
मैंने आपी से कहा- अब आप घोड़ी बन जाओ।
आपी नीचे कालीन पर घुटनों के बल बैठ गईं और घोड़ी बन गईं, मैंने आपी के पीछे बैठ कर अपना लण्ड आपी की चूत में डाल दिया और ज़ोर-जोर से धक्के लगाने लगा।
आपी पूरे मज़े में थीं और अपनी गाण्ड को आगे-पीछे हिला-हिला कर चुदवा रही थीं और साथ ही ‘ऊऊओह.. वसीम.. आह्ह..’ की आवाज़ें निकाल रही थीं।
मैंने आपी की चूत को चोदते हुए अपनी उंगली आपी की गांड के ऊपर फेरी तो आपी ने मुड़ कर मुस्करा के मेरी तरफ देखा और अपनी गाण्ड को हिला-हिला कर चुदवाने लगीं।
मैंने अपनी उंगली आपी की गांड के सुराख पर आराम-आराम से फेरनी चालू कर दी।
इससे आपी और जोर से चुदवाने लगीं, साथ ही वे कहने लगीं- वसीम मैं छूटने वाली हूँ..
तो मैंने कहा- आपी बस मेरा काम भी होने वाला है।
आपी बोलीं- फिर एक दफ़ा ज़रा फुल ज़ोर से धक्के मारो।
मैंने आपी की बात सुनी और पूरे ज़ोर से धक्के मारने लगा। कोई चार-पांच धक्कों के बाद ही आपी का जिस्म अकड़ा और आपी की सिसकारी निकली- उफफ्फ़ वसीम… मैं गई..
इसी के साथ ही आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया।
अभी आपी की चूत से पानी निकल ही रहा था कि मैंने आपी से कहा- आपी बहुत दिन हो गए हैं.. आप ने मेरा पानी नहीं पिया.. एक दफ़ा आज हो जाए।
आपी बोलीं- हाँ वसीम.. आज पिला दो।
मैंने दो धक्के और मारे और लण्ड निकाल कर आपी को सीधा बैठा कर उनके मुँह के सामने कर दिया।
तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी मारी जो सीधी आपी के मुँह में गई और आपी ने मुँह बंद कर लिया और मेरा माल पी गईं।
दूसरी धार आपी के मुँह पर गिरी और इसी तरह मेरा सारा पानी आपी के मुँह पर.. और मुँह के अन्दर गिरा और कुछ आपी के मम्मों पर भी गिरा जो कि आपी ने सारा इकठ्ठा करके पी लिया।
दोस्तो, इस तरह इस कहानी का समापन हुआ


समाप्त







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Re: प्यासी जिंदगी complete

Post by 007 »

bahut hi achhi kahani hai dost
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

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