प्यासी जिंदगी complete

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rangila
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प्यासी जिंदगी complete

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प्यासी जिंदगी


दोस्तो आपकी सेवा में एक लेकर आया हूँ इस कहानी मे हर तरह का मिर्च मसाला मिलेगा मसलन गे सेक्स, ओरल सेक्स ,नॉर्मल सेक्स , थ्रीसम मतलब सबके दिल की मुराद पूरी होगी . वैसे एक बात और बता दूं ये कहानी मैने नही लिखी है पर कुछ फेरबदल ज़रूर किए हैं तो दोस्तो ज़्यादा बातें ना करते हुए कहानी की तरफ चलते है दोस्तो मेरा नाम वसीम राजा है और मेरे चाहने वाले मुझे राज भी कहते हैं और मेरी उम्र इस वक़्त 35 साल है। कहानी है इस बारे में कि कैसे मैं और मेरी परिवार में चुदाई से आशनाई हुई। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती जाएगी.. मैं आप लोगों से अपनी फैमिली का तवारूफ करवाता जाऊँगा।
ये सब जब शुरू हुआ.. उस वक़्त मेरी उम्र 20 साल थी। मैं सेक्स के मामले में बिल्कुल पागल था। चौबीस घंटे मेरे जेहन में सिर्फ़ सेक्स ही भरा रहता था। मैं हर वक़्त सेक्स मैगजीन्स की तलाश में रहता था।
हालांकि मुठ मारने के लिए सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी पहने हुई लड़की की तस्वीर भी मेरे लिए बहुत थी।
एक दिन मुझे मेरे दोस्त ने एक सीडी दी। मैं सीडी लेकर घर आया और हमेशा की तरह कंप्यूटर इस्तेमाल में था और मैंने शदीद झुंझलाहट में अपनी ज़िंदगी को कोसा कि मेरे इतने भाई बहन ना ही होते तो अच्छा था कि यहाँ किसी को कभी कोई प्राइवेसी ही नहीं मिलती।
मैंने सीडी अपने कॉलेज बैग में छुपा दी और रात के इन्तजार में दिन काटने लगा।
रात को जब सब सोने चले गए तो मैंने सीडी निकाली और स्टडी रूम की तरफ चल दिया। स्टडी रूम में किसी को ना पकड़ मुझे कुछ इत्मीनान हुआ और मैंने मूवी देखना शुरू की।
यह एक आम ट्रिपल एक्स मूवी थी.. जिसमें एक जोड़े को चुदाई करते दिखाया गया था।
मैंने अपने 6.5 इंच लण्ड को अपने शॉर्ट से बाहर निकाला और मूवी देखते-देखते अपने लण्ड को सहलाने लगा।
अचानक ही मेरा छोटा भाई ज़ुबैर… रूम में दाखिल हुआ।
मैं मूवी देखने और लण्ड को सहलाने में इतना खो सा गया था कि मैं ज़ुबैर की आमद को महसूस ही नहीं कर सका जब तक कि उसने चिल्ला कर हैरतजदा आवाज़ में पुकारा- भाईजान.. ये क्या हो रहा है?

मेरी खौफ से तकरीबन मरने वाली हालत हो गई और मैंने फ़ौरन अपने लण्ड को छुपाने की कोशिश की..
ज़ुबैर कुछ देर खामोश खड़ा कुछ सोचता रहा और फिर मुस्कुराते हुए कहने लगा- तो आप भी ये सब करते हैं.. मैं तो समझता था कि सिर्फ़ मैं ही ऐसा हूँ।
मैं उस वक़्त कुछ कन्फ्यूज़्ड सा था.. लेकिन मैंने देखा कि ज़ुबैर ने इस बात को इतनी अहमियत नहीं दी है.. तो मैंने झेंपते हुए मुस्कुराहट से ज़ुबैर को देखा और कहा- यार सभी करते हैं.. ये तो नेचुरल है।
ज़ुबैर ने सवालिया अंदाज़ में पूछा- भाई.. आपने ये मूवी कहाँ से ली है?
क्योंकि उस वक़्त ऐसी मूवीज का मिलना बहुत मुश्किल होता था.. ख़ास तौर से हमारे एरिया में..
मैंने कहा- यार रफ़ीक से ली है।
रफ़ीक मेरा दोस्त था।
ज़ुबैर ने हिचकिचाते हुए कहा- भाईजान मैं भी देखूंगा..
फिर मुझे कुछ सोचता देख कर फ़ौरन ही बोला- भाईजान प्लीज़ देखने दो ना..
मैंने मुस्कुरा कर ज़ुबैर को देखा और कहा- चल जा.. कुर्सी ले आ और यहाँ पर बैठ जा।
वो खुश होता हुआ कुर्सी लाकर मेरे साथ ही बैठ गया।
हमने पूरी मूवी साथ में देखी.. लेकिन मैं मुठ नहीं मार सका.. क्योंकि मेरा छोटा भाई मेरे साथ था। मूवी के बाद हम अपने-अपने बिस्तर पर चले गए.. जो हमारे अलग-अलग बेडरूम में थे। हमने यह तय किया कि हम में से जिसको भी ऐसी कोई मूवी मिली.. तो हम साथ ही देखा करेंगे।
इस एग्रीमेंट से हम दोनों को ही फ़ायदा हुआ कि हम कभी भी मूवी देख सकते थे। कंप्यूटर ज्यादातर हम दोनों के ही इस्तेमाल में रहता था। हमारी बहनें कंप्यूटर में इतनी रूचि नहीं लेती थीं।
साथ फिल्म देखने में हममें एक ही मसला था कि.. हम एक-दूसरे के सामने मुठ नहीं मार सकते थे। कुछ हफ्तों के बाद हमने एक मूवी देखी.. जिसमें कुछ सीन होमोसेक्सुअल भी थे। जैसे एक सीन में एक 18-20 साल का लड़का एक आदमी का लण्ड चूस रहा था। मुझे वो सीन कुछ अजीब सा लगा और सच ये था कि मुझे एक अलग सा अनोखा मज़ा भी आने लगा।
ज़ुबैर ने स्क्रीन पर ही नज़र जमाए हुए पूछा- भाई इसमें क्या मज़ा आता है इन लोगों को? जब लड़कियाँ मौजूद हैं.. तो ये लड़के एक-दूसरे को क्यूँ चोद रहे हैं?
मैंने कहा- पता नहीं यार..
फिर मैंने ज़ुबैर को बताया- मुझे अपने एरिया के कुछ लड़कों का पता है कि वो एक-दूसरे को चोदते हैं।
जैसे-जैसे मूवी आगे बढ़ती जा रही थी.. हमें भी मज़ा आने लगा था।
मैंने ज़ुबैर को देखा.. तो ज़ुबैर अपने शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को मसल रहा था। मुझे भी बहुत अधिक ख्वाहिश हुई कि मैं भी अपने लण्ड को सहलाऊँ। तो मैंने हिम्मत की और ज़ुबैर की परवाह किए बगैर शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को पूरा अपनी गिरफ्त में लेकर हाथ आगे-पीछे करने लगा।
ज़ुबैर ने मेरी तरफ एक नज़र डाली और कुछ बोले बिना.. फिर से मूवी देखने लगा.. तो मैंने अपनी मुठ जारी रखी।
ज़ुबैर ने भी हिम्मत की और मेरी तरह शॉर्ट के ऊपर से अपने पूरे लण्ड को गिरफ्त में ले लिया और मुठ मारने लगा।
जल्द ही हम दोनों के हाथों के आगे-पीछे होने की स्पीड बढ़ने लगी।
मेरी साँसें फूल गई थीं.. मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं, मेरा जिस्म अकड़ रहा था और जल्द ही मेरे मुँह से हल्की सी ‘आह..’ खारिज हुई.. और मैंने अपने लण्ड के पानी को अपने लण्ड से निकलता महसूस किया, मेरे जिस्म ने 3-4 झटके लिए और मैं ठंडा हो गया।
मेरी आँख खुली और मैंने ज़ुबैर की तरफ देखा तो वो मुझे ही देख रहा था।
हम दोनों के शॉर्ट्स गीले हो चुके थे। हमने एक-दूसरे से कोई बात नहीं की। ज़ुबैर ने कंप्यूटर ऑफ किया और हम दोनों चुपचाप अपने-अपने बिस्तर पर सोने चल दिए।
इसी तरह गाहे-बगाहे हम दोनों मूवी देखते और शॉर्ट के ऊपर से ही अपने-अपने लण्ड को ग्रिप में लेकर मुठ्ठ मारते। ये सब रुटीन वर्क की तरह चल रहा था, हम दोनों में से कोई भी अब इससे अजीब नहीं समझता था।
मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि मैं गान्डू सेक्स को भी पसन्द करने लगा था। ‘गे’ सेक्स की मूवीज देख कर मुझे मज़ा आता था.. लेकिन ऐसी मूवीज आम नहीं थीं। कभी-कभार कोई सीडी मिल जाती थी.. जिसमें ‘गे’ सेक्स मूवीज होती थी।
एक दिन मुझे एक सीडी ऐसी मिली.. जो प्योरली ‘गे’ पॉर्न की थी। उसमें सिर्फ़ आदमी थे.. कोई औरत नहीं थी।
हम दोनों वो मूवी देख रहे थे कि एक सीन आया.. जिसमें दो बहुत क्यूट से यंग लड़के एक-दूसरे की गाण्ड में डिल्डो (रबर का लण्ड) अन्दर-बाहर कर रहे थे।
मुझे वो सीन देखते-देखते बहुत ज्यादा मज़ा आने लगा और शॉर्ट के ऊपर से लण्ड सहलाते-सहलाते मैंने अंजाने में अपने शॉर्ट को घुटनों तक उतार दिया और अपने लण्ड को अपने हाथ में लेकर तेजी से मुठ मारने लगा।
ज़ुबैर ने मुझे इस हालत में देखा तो उससे शॉक लगा और उसने चिल्ला कर कहा- भाईईइ.. ये क्या कर रहे हो आप?
मैंने कहा- छोड़ो यार.. मैं रोज़-रोज़ अपने आपको रोक-रोक कर और रोज़ रात अपने शॉर्ट को धोकर तंग आ गया हूँ। हम दोनों ही जानते हैं कि हम ये करते हैं.. तो यार खुल कर ही क्यूँ ना करें.. तुम भी उतारो अपना शॉर्ट.. और मूवी देखो यार.. हम खुल कर मज़े लेते हैं।
ज़ुबैर से ये कह कर मैंने अपना रुख़ दोबारा कंप्यूटर की तरफ मोड़ लिया और मुठ मारने का सिलसिला दोबारा से जोड़ने लगा। कुछ देर झिझकने के बाद ज़ुबैर ने भी हिम्मत की और अपने लण्ड को शॉर्ट से बाहर निकाल लिया।
मैंने ज़ुबैर को इस हाल में देखा तो मुस्कुरा दिया। अब अचानक ही हमारा फोकस कंप्यूटर स्क्रीन से हट कर एक-दूसरे के लण्ड पर मुन्तकिल हो गया था। ज़ुबैर का लण्ड उस वक़्त भी तकरीबन 6 इंच का था.. जबकि मेरा तकरीबन साढ़े 6 इंच का था। ज़ुबैर के लण्ड की टोपी थोड़ी गुलाबी सी थी.. जबकि मेरा लण्ड कुछ लाल-काला मिक्स से रंग का था।
ज़ुबैर ने कहा- भाई हमारे लण्ड छोटे क्यूँ हैं.. जबकि मूवीज में तो सबके बहुत बड़े-बड़े लण्ड होते हैं?
मैंने कहा- हमारा साइज़ बिल्कुल नॉर्मल है.. जबकि मूवीज में सिर्फ़ उनको लिया जाता है.. जिन के लण्ड बड़े और मोटे हों.. जैसे आम नॉर्मल फिल्म्स में देखो सब हीरो वगैरह खासे पहलवान और आकर्षक.. सख्त जिस्म के होते हैं.. कोई आम सा लड़का कहाँ किसी फिल्म में हीरो होता है।
कुछ बातों के बाद हम फिर मूवी पर ध्यान करने और मुठ मारने लगे।
अब हम दोनों को ही मुठ मारने में ज्यादा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि हमारी नजरों की गिरफ्त में अब रियल लण्ड भी थे।

जब मैं डिसचार्ज होने के क़रीब हुआ.. तो मैंने अपने शॉर्ट को पूरा अपने जिस्म से अलग कर दिया और अपने लण्ड पर बहुत तेज-तेज हाथ चलाने लगा।
फिर एकदम से मेरे लण्ड ने झटकों से पिचकारी मारना शुरू की और सारा पानी मेरे छाती और पेट पर गिरने लगा। ये देखते ही ज़ुबैर भी डिसचार्ज होने लगा। डिसचार्ज होने के बाद हम दोनों ने अपने-अपने जिस्म को टिश्यू से साफ किया और बारी-बारी से बाथरूम में धोने चले गए।
उस दिन के बाद से हमने कंप्यूटर को अपने रूम में शिफ्ट कर लिया और रोज़ रात सोने से पहले हम बिल्कुल नंगे होकर मूवी देखते और मूवी देखते-देखते ही मुठ मारते।
एक रात हम इसी तरह मूवी देखते हुए मुठ मार रहे थे.. कि अचानक लाइट चली गई.. हम दोनों बहुत निराश हो गए और मैंने झुँझलाहट में बिजली वालों को गालियाँ देनी शुरू कर दीं। ज़ुबैर ने अपनी कुर्सी से उठने की कोशिश की तो अंधेरे की वजह से अचानक ज़ुबैर का हाथ मेरे लण्ड से टच हुआ और मेरे मुँह से एक ‘आह’ खारिज हो गई।
ज़ुबैर ने फ़ौरन कहा- सॉरी भाई..
मैंने कहा- कोई बात नहीं यार..
लेकिन कसम से अपने हाथ के अलावा किसी का हाथ टच होने से मज़ा बहुत आया.. चाहे एक लम्हें का ही मज़ा था।
ज़ुबैर ने ये बात सुनी और तवज्जो दिए बगैर बिस्तर की तरफ चल पड़ा।
मैं भी अपनी कुर्सी से उठा और धीमी-धीमी सी रोशनी में संभाल कर अपना शॉर्ट लेने चल पड़ा।
ज़ुबैर पहले ही झुक कर बिस्तर से अपना शॉर्ट उठा रहा था.. अचानक ही मेरा लण्ड ज़ुबैर की नरम-गरम गाण्ड की दरार से टच हुआ.. तो मज़े की एक हसीन सी ल़हर मेरे जिस्म में फैल गई।
वो लहर एक ‘आअहह..’ बन कर मेरे मुँह से खारिज हुई।
उसी वक्त मुझे ज़ुबैर की मज़े में डूबी हुई सिसकारी सुनाई दी। ज़ुबैर ना ही कुछ बोला.. और ना ही उसने अपनी पोजीशन चेंज की और उसी हालत में रुका रहा।
मुझे अंदाज़ा हुआ कि जो इतनी ‘गे’ मूवीज हमने देखी हैं.. उनका जादू ज़ुबैर पर भी चल चुका है।
मैंने हिम्मत की और अपने जिस्म को ज़ुबैर की तरफ दबा दिया।
मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड ज़ुबैर के एक कूल्हे पर रखा और अपने लण्ड को ज़ुबैर की गाण्ड की दरार में सैट किया, थोड़ा झुका और अपने राईट हैण्ड से ज़ुबैर के लण्ड को पकड़ा और उसकी गाण्ड की दरार में अपने लण्ड को रगड़ने लगा।
इसी के साथ-साथ ज़ुबैर के लण्ड को अपने हाथ में मज़बूती से पकड़ कर अपना हाथ आगे-पीछे करने लगा।

ज़ुबैर की साँसें तेज हो गईं और उसने कमज़ोर से लहजे में कहा- नहीं भाई.. प्लीज़ ये नहीं करें।
लेकिन मैंने अनसुनी करते हुए कहा- इसस्शहस्शह.. कुछ नहीं होता यार.. तुम बस ज्यादा कुछ मत सोचो.. और मज़ा लो..
यह कहते हुए मैंने ज़ुबैर के लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को मज़ीद तेज कर दिया।
अब ज़ुबैर भी मज़े में डूब गया और मेरे लण्ड के साथ आहिस्ता-आहिस्ता अपनी गाण्ड को भी हरकत देने लगा।
हम दोनों ही डिसचार्ज होने के क़रीब आ गए।
हम दोनों ही डिसचार्ज होने के क़रीब थे.. मैंने ज़ुबैर से कहा- जब पानी निकलने लगे.. तो घूम जाना ताकि बेडशीट खराब ना हो..
इसी के साथ-साथ ही मैं ज़ुबैर की गाण्ड की दरार में अपने लण्ड को रगड़ रहा था और लम्हा-बा-लम्हा छूटने के क़रीब हो रहा था। कुछ ही मिनट बाद ज़ुबैर अचानक घूम गया और उसके लण्ड से पानी की तेज धाराएँ निकलने लगीं और मेरे सीने पर चिपकती गईं।
जैसे ही ज़ुबैर के लण्ड के जूस ने मेरे सीने को टच किया.. तो मेरे जिस्म में मज़े की एक अजीब सी लहर उठी और फ़ौरन ही वो लहर मेरे लण्ड से पानी बन कर बहने लगी, मेरा धार भी ज़ुबैर के सीने और पेट को तर करती चली गई।
कुछ लम्हें हम वैसे ही खड़े रहे अंधेरे में और अपनी साँसों के दुरुस्त होने का इन्तजार करने लगे। हम दोनों को शर्मिंदगी और लज्जत ने उस वक़्त घेर रखा था। अचानक लाइट आ गई.. मुझे ज़ुबैर के जिस्म को अपने लण्ड के जूस से भरा और अपने जिस्म को ज़ुबैर के लण्ड के पानी से तर देखना अजीब सी लज़्ज़त दे रहा था। जबकि ज़ुबैर नर्वस सा खड़ा था।
मैंने अपना हाथ बढ़ाया और ज़ुबैर के लण्ड को सहला कर मुस्कुराते हुए कहा- बहुत लज़्ज़तअंगेज़ लम्हात थे ना.. मज़ा तो तुम्हें भी बहुत आया है.. क्या ख़याल है मेरे छोटे भाई साहब??
मेरी बात सुन कर ज़ुबैर थोड़ा पुरसुकून हुआ और उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट फैल गई। हमने इस बारे में मज़ीद कोई बात नहीं की..
मैंने अपने आपको साफ किया और ड्रेस पहन कर कमरे से बाहर निकला और अपनी छत पर चला गया। मैं अपनी दोनों कोहनियों को दीवार पर टिकाते हुए दीवार के पास खड़ा हुआ.. अपनी आज की इस हरकत के बारे में सोचने लगा।
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मैंने अपने आपको कभी भी ‘गे’ नहीं माना.. लेकिन सच ये था कि आज जो कुछ भी हुआ.. उसने मुझे बहुत मज़ा दिया था। मैं सोचता रहा कि क्या मैं सचमुच ‘गे’ हूँ?
फिर मैंने सोचा कि क्या होगा अगर मेरे पास एक लड़का और एक लड़की हो.. तो मैं चोदने के लिए किसे तरजीह दूँगा। फ़ौरन ही मेरे जेहन ने मुझे बता दिया कि मैं ‘गे’ नहीं हूँ। मैं हमेशा लड़की को चुदाई के लिए तरजीह दूँगा.. किसी भी लड़की के साथ किसी भी वक़्त मैं चुदाई के लिए तैयार रहूँगा।
जो मैंने अपने सगे भाई के साथ किया उसकी वजह सिर्फ़ ये थी कि हम दोनों एक ही वक़्त में एक ही जगह पर बगैर कपड़ों के नंगी हालत में थे और बहुत गरम थे.. तो ये सब होना फितरती अमल था।
उस रात हम दोनों चुपचाप सोने के लिए लेट गए और आपस में कोई बात नहीं की।
अगली रात हमने अपना वो ही हिडन फोल्डर ओपन किया.. जहाँ हमने अपनी सेक्स मूवीज छुपा रखी थीं और एक पुरानी देखी हुई मूवी दोबारा देखना शुरू कर दी क्योंकि हमारे पास कोई नई मूवी नहीं थी।
यह भी एक बाईसेक्सुअल मूवी ही थी। दस मिनट बाद ही हम दोनों अपने जिस्मों से कपड़ों को अलहदा कर चुके थे और अपने-अपने लण्ड को हाथ में लिए हाथों को आगे-पीछे हरकत दे रहे थे।
कल जो कुछ हुआ उसकी वजह से हम दोनों ही की हरकत में कुछ झिझक सी थी.. जिसको दूर करना बहुत जरूरी था।
मैं अपने छोटे भाई के सीधे हाथ की तरफ बैठा था और मैंने अपने राईट हैण्ड में अपने लण्ड को थाम रखा था। मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड उठाया और आहिस्तगी से ज़ुबैर की रान पर रख दिया और ज़ुबैर की रान को अपने हाथ से सहलाने लगा। ज़ुबैर ने मेरी तरफ एक नज़र डाली।
मैं मूवी देखने में मग्न था। ज़ुबैर ने भी अपना रुख़ कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ मोड़ दिया और मुझे कुछ नहीं कहा। मैंने कुछ और हिम्मत की और ज़ुबैर की रान को सहलाते हुए अपने हाथ को उसके लण्ड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया और आहिस्तगी से ज़ुबैर की बॉल्स को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा।
ज़ुबैर के मुँह से धीमी-धीमी सिसकारियाँ निकलने लगीं और उसके लण्ड पर उसके हाथ की हरकत तेज हो गई।
मैंने ज़ुबैर का हाथ उसके लण्ड से हटाया और उसके लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगा। ज़ुबैर का मज़ा बढ़ा तो मैंने ज़ुबैर का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और हम दोनों एक-दूसरे के लण्ड पर अपने हाथ आगे-पीछे करने लगे।
इससे हम दोनों को ही इतना मज़ा आया कि जल्द ही हम दोनों के लण्ड ने एक-दूसरे के हाथ पर पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
डिसचार्ज होने के बाद भी हमने एक-दूसरे के लण्ड को थामे रखा और बेदिली से मूवी देखते रहे। बेदिली इसलिए कि अब मूवी से ज्यादा हम दोनों का ध्यान हमारे हाथों में थामे एक-दूसरे के लण्ड पर था। कुछ लम्हों के बाद ही हम दोनों के लण्ड दोबारा सख्ती से अकड़ गए।
ज़ुबैर ने मुझसे कहा- भाई मैं भी आपके साथ वो करना चाहता हूँ.. जो कल आपने मेरे साथ किया था।
मैंने मुस्कुरा कर अपने छोटे भाई को देखा और कहा- ओके चल..
मैं अपनी कुर्सी से उठा और उसी कुर्सी पर उल्टा होकर घुटनों के बल बैठ कर अपनी कमर को आगे की तरफ झुका लिया।
ज़ुबैर उठ कर मेरी तरफ आया और उसने अपने लण्ड को थाम कर मेरे दोनों कूल्हों के बीच दरार में फँसाया और मेरे ऊपर झुकते हुए नीचे से मेरे लण्ड को अपने हाथ में थाम कर आहिस्ता-आहिस्ता मेरी गाण्ड पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा और अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगा।
सच यह है कि ज़ुबैर का लण्ड जब मेरी गाण्ड के सुराख पर टच होता.. तो गाण्ड में अजीब लज्जत सी लहर पैदा होती थी और पूरे जिस्म में सनसनी सी फैल जाती। मेरी गाण्ड के अन्दर अजीब मीठी-मीठी सी गुदगुदी हो रही थी।
मैंने भी अपने आपको पीछे की तरफ ज़ुबैर के जिस्म के साथ दबाना शुरू कर दिया।
मेरी नज़र अपने राईट साइड पर दीवार पर लगे आदमक़द आईने पर पड़ी तो भरपूर मज़े ने मुझे अपनी गिरफ्त में ले लिया और मैंने ज़ुबैर की तवज्जो भी आईने की तरफ दिलवाई.. तो ज़ुबैर की आँखें भी चमक उठीं। आईने में हम दोनों की हालत मूवी के किसी बेहतरीन सीन से ज्यादा हॉट लग रही थी। हम दोनों फ़ौरन ही मज़े की इंतेहा तक पहुँच गए और तकरीबन साथ-साथ ही डिसचार्ज हो गए।
हमारे पूरे जिस्म पसीने में सराबोर थे और नहाने की हाजत हो रही थी। हम दोनों साथ-साथ ही बाथरूम में दाखिल हुए और नहाना शुरू कर दिया।
ज़ुबैर ने मेरे पूरे जिस्म पर साबुन लगाया और मुझे अपने जिस्म पर साबुन लगाने का कहा। मैंने ज़ुबैर के जिस्म पर साबुन लगाया और अपने एक हाथ से ज़ुबैर के लण्ड पर साबुन लगाते हुए दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड के सुराख को मसलता रहा।
इस हरकत ने ज़ुबैर को इतना मज़ा दिया कि 5 मिनट के अन्दर अन्दर ही ज़ुबैर के लण्ड ने फिर पानी छोड़ दिया।
आज रात में ज़ुबैर तीसरी बार डिसचार्ज हुआ था.. जिससे उसे कमज़ोरी भी महसूस होने लगी थी।
नहाने के बाद हम दोनों कमरे में वापस आए और बिस्तर पर लेटते ही नींद की शह ने हमें अपनी आगोश में भर लिया।
अगले दिन सारे वक्त मैं अपने और ज़ुबैर के बीच हुए सेक्स के बारे में ही सोचता रहा। अब मैं कुछ और करना चाहता था.. कुछ नया करना चाहता था।
मैंने अपने एक क्लोज़ दोस्त रफ़ीक से ये डिस्कस किया। रफ़ीक का इस बारे में काफ़ी अनुभव था शायद उसको मर्दाना सेक्स में भी अनुभव था।
मैंने उसे यह नहीं बताया कि मेरा पार्ट्नर मेरा सगा छोटा भाई है, बल्कि मैंने उससे कहा- मेरे पड़ोस में एक लड़का है.. जिससे थोड़ा बहुत फन हो जाता है।
उसने एक शैतानी मुस्कुराहट से मेरी तरफ देखा तो मैंने झेंपकर अपनी नजरें नीचे कर लीं।
रफ़ीक ने हँसते हुए मेरे कंधे पर हाथ मारा और मुझे छेड़ता हुआ बोला- बच्चा जवान हो गया है, हाँ..
मैंने अपनी झेंप मिटाते हुए उससे कहा- कुत्ते बताना है तो बता.. नहीं बताता.. तो मैं जाता हूँ।
उसने कहा- अच्छा अच्छा.. रुक बताता हूँ..
बहुत कुछ तो मैंने मूवीज से ही सीख लिया था.. लेकिन काफ़ी चीजें सीखने के लिए बाक़ी थीं। जैसे मुझे यह पता नहीं था कि फर्स्ट टाइम चुदाई कैसे करनी चाहिए.. जिससे पार्ट्नर को तक़लीफ़ भी कम से कम हो और दोनों को मज़ा भी मिले।
फिर उसने मुझे कुछ टिप्स दिए ‘फ्रेंच किस’ के बारे में मुझे डिटेल से समझाया। उसने मुझे बताया कि उस लड़के के होंठों को किस करो.. उसके निचले होंठ और ऊपरी होंठ को बारी-बाबरी चूसो.. उसके लण्ड को चाटो और मुँह में भर के चूसो और उससे कहो कि वो तुम्हारे लण्ड को चूसे।
लण्ड चूसने के बारे में सोच के मुझे अजीब सा लगा और मैंने फ़ौरन कहा- ये अजीब है यार.. लेकिन ‘फ्रेंच किस’ के बारे में मैंने उससे बताया कि मैंने कभी किसी लड़के या लड़की को किस नहीं किया है और ना कभी सोचा है कि लड़के को किस करने में भी मज़ा मिल सकता है।
तो रफ़ीक बोला- मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि फ्रेंच किस कैसे होती है.. और इसमें कितना मज़ा आता है।
ये सुनते ही मैं फ़ौरन बोला- नहीं.. मैं नहीं चाहता कि हमारी इतनी मज़बूत दोस्ती किसी और रिश्ते में बदले.. इसे दोस्ती ही रहने देना चाहिए।
मेरी बात सुन कर वो बोला- अबे चूतिया मैं तुझे किस नहीं करने लगा हूँ.. मेरा एक मेट है.. उसकी उम्र अभी कम है.. हम दोनों आपस में खूब चुदाई करते हैं मैं उससे कहूँगा कि वो तुम्हें सिखा दे।
मैं थोड़ी देर तो झिझका.. लेकिन फिर इस ऑफर को तसलीम कर लिया। रफ़ीक ने मुझे शाम 5 बजे उसके घर आने के लिए बोला।
शाम 5-6 बजे के क़रीब मैं उसके घर पहुँचा वो और उसका दोस्त वहीं थे। वो लड़का बहुत क्यूट था बिल्कुल लड़कियों जैसी जिल्द थी उसकी.. चेहरे पर कोई बाल नहीं और जिस्म ज़रा भरा-भरा था उसका।
रफ़ीक ने मुझे उसका नाम कामरान बताया और हम दोनों का एक-दूसरे से तवारूफ करवाया।
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कामरान को रफ़ीक पहले ही से सब समझा चुका था और मुझे उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि बस ये मुझ पर जंप करने को तैयार खड़ा है। कामरान ने अपने कपड़े उतारना शुरू किए और मुझे भी कपड़े उतारने के लिए कहा।
मुझे थोड़ी झिझक हो रही थी.. तो मैंने रफ़ीक से साफ-साफ कहा- यार तू कमरे से बाहर चला जा.. मैं तेरे सामने ऐसा कुछ नहीं कर पाऊँगा..
रफ़ीक ने मेरी बात सुन कर एक क़हक़हा लगाया और कमरे से बाहर निकल गया।
जाते-जाते रफ़ीक ने हम दोनों को ये फरमान सुना दिया- जो करना है जल्दी-जल्दी कर लेना.. क्योंकि मेरी फैमिली जल्द ही वापस आ जाएगी।
जब रफ़ीक कमरे से बाहर निकल गया.. तो मैंने आगे बढ़ कर दरवाज़ा लॉक किया और अपने तमाम कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया। मेरा लण्ड फुल खड़ा हो चुका था और मेरी नज़र कामरान के लण्ड पर पड़ी.. तो वो भी अपने पूरे यौवन पर था।
मुझे हमेशा मूवीज देख कर ये अहसास रहता था कि मेरा लण्ड छोटा (6. 5 इंच) है.. लेकिन जब मैंने कामरान का लण्ड देखा.. तो वो मेरे लण्ड से भी तकरीबन 1.5 इंच छोटा ही था। उसका जिस्म बहुत गोरा था.. उसके जिस्म पर एक भी बाल नहीं था।
वो आहिस्ता-आहिस्ता चलता हुआ मेरे पास आया और मुझसे लिपट गया। अब वो मुझे अपने जिस्म के साथ मजबूती से भींचने लगा।
वो अपने लेफ्ट हैण्ड से मेरे राईट कूल्हे को दबाने लगा और राईट हैण्ड को मेरी गाण्ड की लकीर में दबा कर फेरने लगा।
मैंने भी उसके साथ ये ही करना शुरू किया.. तो वो अपना चेहरा मेरे क़रीब लाया और उसने मेरे होंठों पर आहिस्तगी से अपने लब रख दिए।
उसने मुझसे कहा- अपना मुँह खोलो..
मैंने मुँह खोला.. तो उसने अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में दाखिल कर दी और मुझसे कहा- चूसो मेरी ज़ुबान..
मुझे थोड़ा कन्फ्यूज़्ड और झिझकते देख कर कामरान से मुझसे कहा- अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में डालो..
और यह कहते हुए उसने अपना मुँह खोल दिया।
मैंने अपनी ज़ुबान उसके मुँह में डाली.. तो उसने मेरी ज़ुबान और मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
यह मेरी ज़िंदगी की पहली फ्रेंच किस थी और मैं अपने आपको किसी और ही दुनिया में महसूस कर रहा था।
तकरीबन 5-6 मिनट तक हम किस करते रहे.।
वो आगे बढ़ना चाहता था लेकिन मैंने कामरान से कहा- प्लीज़ यार, मुझे कुछ देर मज़ीद ऐसे ही किस करते रहो।
हमने तकरीबन 7-8 मिनट और किस किया.. फिर कामरान बोला- यार हमारे पास टाइम बहुत कम है.. बोलो अब क्या करें?
मैंने कहा- जो तुम्हारी मर्ज़ी है.. वो करो।
मैं अभी तक अपनी ज़िंदगी की पहली फ्रेंच किस के नशे से ही बाहर नहीं निकल सका था.. तो मज़ीद क्या कहता।
कामरान ने मेरे सीने पर किस करना और मेरे निपल्स को काटना शुरू कर दिया। लेकिन मुझे इसमें इतना मज़ा नहीं मिला। इस बात को महसूस करते हुए कामरान मेरे पीछे आ गया और मेरी कमर को चिपटाए हुए ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया और अब वो मेरे कूल्हों को छूने और अपने दाँतों से काटने लगा।
कामरान की यह हरकत मुझे फिर होश से बेगाना करने लगी। कामरान की गरम गरम साँसें मुझे अपनी गाण्ड के सुराख पर महसूस हो रही थीं.. जो मेरे जिस्म में अजीब सी लज्जत भर रही थीं। उसने मज़ीद कुछ ना किया और पीछे से उठ कर मेरे सामने आ बैठा और मेरी रान को चूमने लगा।
कामरान की ज़ुबान को अपनी रान पर महसूस करते ही मेरा पूरा जिस्म झनझना उठा और मुझे अपनी देखी हुई मूवीज याद आने लगीं। मुझे पहले ही अंदाज़ा हो गया कि अब क्या होने वाला है।
ये सोचते ही मेरा लण्ड झटके से खाने लगा। कामरान ने मेरे लण्ड को अपने हाथ में लिया और हाथ को आगे-पीछे हरकत देने लगा।
तभी कामरान ने अपनी ज़ुबान की नोक को मेरे लण्ड की नोक पर.. लण्ड के सुराख पर टच किया.. तो बहुत ज्यादा लज्जत महसूस हुई।
कामरान ने मेरे लण्ड को चूमना शुरू कर दिया.. लेकिन लण्ड अपने मुँह में नहीं लिया। मैं लज़्ज़त के मारे पागल सा हो रहा था।
कुछ ही देर बाद मैंने चिल्लाकर कहा- करो ना यार.. प्लीज़ क्या ड्रामा कर रहे हो..
उसने मुस्कुरा कर मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरा और उससे चूसने लगा।
मैं मुक्कमल तौर पर अपने होश खो चुका था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि ये चीज़ इतनी ज्यादा लज़्ज़त देगी। ऐसा सुरूर मैंने पहले कभी नहीं महसूस किया था।
मैंने अपने हाथों से उसके सिर को थामा और कामरान के मुँह को चोदने लगा। कामरान के मुँह से घुटी-घुटी सी आवाजें निकल रही थीं।
उसने मुझे इशारे से समझाया कि पानी निकलने लगे.. तो पहले से बता देना।
कुछ ही सेकेंड्स बाद मैं डिसचार्ज होने वाला था.. तो मैंने कामरान को बता दिया।
उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से निकाला और हाथ से मेरी मुठ मारने लगा। उसने अपने लेफ्ट हैण्ड की इंडेक्स फिंगर को अपने मुँह में लेकर गीला किया और हाथ पीछे ले जाकर मेरी गाण्ड के सुराख पर दबाई और अन्दर डाल दी।
मुझे हल्का सा दर्द हुआ.. उसने पूरी फिंगर अन्दर नहीं डाली.. बल्कि हाफ फिंगर को अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी इस हरकत ने मुझे फ़ौरन ही आखिरी मंज़िल पर पहुँचा दिया और मैं ऐसे डिसचार्ज हुआ कि ज़िंदगी में पहले कभी ऐसा डिसचार्ज नहीं हुआ था।
मैं बिल्कुल बेहाल हो चुका था। कामरान मेरी हालत देख कर मुस्कुरा दिया।
मैं इन सब चीजों में बिल्कुल नया था और ये सब ज़ाहिर हो रहा था।
मैंने अपने कपड़े पहनना शुरू ही किए थे कि कामरान बोला- इतनी जल्दी.. अभी तो सही मज़ा आना शुरू हुआ है यार!
मैंने पूछा- क्या मतलब है तुम्हारा?
वो एकदम से डोगी पोजीशन में बन गया और अपनी गाण्ड के सुराख पर अपनी फिंगर रख के बोला- मैं चाहता हूँ तुम मेरे इस होल को अपना बना लो..
फिर वो सीधा बैठते हुए बोला- लेकिन इससे पहले तुम्हें मेरे लण्ड को चूसना होगा।
यह बात मुझे इतनी अच्छी नहीं लगी.. लेकिन सच यह है कि मैं उसकी गाण्ड का मज़ा भी लेना चाहता था।
मैं बेदिली से उसकी टाँगों के बीच बैठ गया और उसके लण्ड को हाथ में लेकर आगे-पीछे हिलाने लगा।
फिर मैंने झिझकते हुए अपनी ज़ुबान की नोक को उसके लण्ड से टच किया, मुझे नमकीन-नमकीन सा ज़ायक़ा महसूस हुआ।
मेरे बिगड़ते चेहरे को देख कर कामरान बोला- चलो भी यार.. अगर तुम लण्ड चुसवाना चाहते हो.. तो तुम्हें चूसना भी पड़ेगा.. ये 2 तरफ़ा ट्रैफिक है भाई..
यह सुन कर मैंने अपना मुँह खोला और कामरान के लण्ड को अपने मुँह में भर लिया। मुझे कुछ ज्यादा अच्छा नहीं लग रहा था.. लेकिन मैं जितना समझ रहा था.. उतना बुरा भी नहीं लग रहा था।

मैं उसके लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। कामरान ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे मुँह को चोदने लगा। कामरान की बॉल्स मेरी ठोड़ी को छू रही थीं।
कुछ देर बाद ही कामरान ने फूली हुई साँसों से कहा- आह्ह.. मैं डिस्चार्ज होने वाला हूँ।
मैंने उसका लण्ड चूसना बंद कर दिया। उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला ही था कि उसका लण्ड ज़मीन पर पिचकारियाँ मारने लगा।
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rangila
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Re: प्यासी जिंदगी

Post by rangila »

अब मेरी बारी थी उसकी गाण्ड मारने की। मैंने उससे साफ़ कर दिया- मैं तुम से गाण्ड नहीं मरवाऊँगा।
उसने कहा- कोई बात नहीं..
और ये कहते हो कामरान डॉगी पोजीशन में आ गया और मेरे लण्ड को दोबारा चूसने लगा। सही तरह से गीला होने के बाद मैंने लण्ड उसके मुँह से निकाला और उसके पीछे जाकर घुटनों पर बैठ गया।
उसने हाथ पीछे लाकर मेरे लण्ड को थमा और अपने सुराख पर सही जगह रखते हुए मुझसे कहा- अब ज़ोर लगा कर अपना लण्ड मेरे अन्दर करो..
मेरे पहले झटके से ही तकरीबन 4 इंच लण्ड उसकी गाण्ड में दाखिल हो चुका था। उसकी गाण्ड का सुराख काफ़ी लूज था.. शायद काफ़ी बार गाण्ड मरवा चुका था इसलिए ऐसा था।
मेरे अगले झटके ने मेरे पूरे लण्ड को जड़ तक उसकी गाण्ड में उतार दिया। यह आज के दिन में तीसरी बार था कि मैंने अपने आपको किसी और ही दुनिया में महसूस किया था।
पहली बार किसिंग करते हुए.. सेकेण्ड टाइम लण्ड चुसवाते हुए और तीसरी बार ये था।
आज का दिन मेरे लिए बहुत हसीन दिन था। मैंने बहुत पॉर्न मूवीज देखी थीं इसलिए मुझे मज़ीद हिदायतों की जरूरत तो थी नहीं।
मैं तकरीबन 5-6 मिनट तक झटके मारता रहा। फिर मुझे डोर का लॉक ओपन होने की आवाज़ आई तो मैं डर गया.. लेकिन अगले ही लम्हे दरवाजा खुला और मैंने रफ़ीक को बिल्कुल नंगा लण्ड हाथ में पकड़े हुए वहाँ खड़ा देखा।
मैं शरम से भर गया और मैंने अपनी नज़रें रफ़ीक से हटा लीं।
रफ़ीक बोला- शर्मा मत गांडू.. मैंने पूरा सीन रूम की खिड़की में खड़े होकर देखा है.. वो मैंने पहले ही ओपन कर रखी थी।
रफ़ीक का लण्ड वाकयी बहुत इंप्रेसिव था करीब 7.5 इंच लम्बा था।
वो बोला- घबरा मत.. मैं तेरे पर नहीं चढूँगा।
वो अन्दर आया और कामरान के सामने बैठ कर कामरान के मुँह में लण्ड डालने लगा। अब रफ़ीक कामरान के मुँह को चोद रहा था और मैं कामरान की गाण्ड मार रहा था।

कुछ ही देर बाद हम दोनों ही डिसचार्ज हो गए। कामरान ने रफ़ीक की सारी मलाई मुँह में लेकर ज़मीन पर थूक दी और मेरी मलाई क़तरा-क़तरा कामरान की गाण्ड के सुराख से बाहर बहने लगी।
हम तीनों ही कुछ देर तक वहीं ज़मीन पर लेटे रहे।
फिर रफ़ीक ने मुझसे पूछा- हाँ वसीम.. मज़ा आया?
मैंने मुस्कुरा कर उसे देखा और कहा- हाँ यार.. बहुत बहुत मज़ा आया..
फिर रफ़ीक ने कहा- अब जल्दी-जल्दी उठो और कपड़े पहनो.. 6 बज गए हैं और मेरी फैमिली वापस आने ही वाली होगी। हम सबने अपने कपड़े पहने और जाने को तैयार हो गए।
मैं कामरान को गुडबाइ किस करना चाहता था.. लेकिन मुझे फ़ौरन ही याद आया कि अभी-अभी मेरे सामने कामरान ने रफ़ीक की मलाई अपने मुँह में निकलवाई है और ज़मीन पर थूकी है.. तो मैंने अपने ख़याल को खुद ही रद्द कर दिया।
जब मैं अपने घर वापस आने लगा.. तो रफ़ीक ने मुझे एक नई सीडी थमा दी और बताया- ये भी गे मूवी है.. और सब क्यूट क्यूट से लड़के हैं.. कुछ ऐसे लड़कों की स्टोरीज हैं.. जो फर्स्ट टाइम सेक्स कर रहे हैं।
फिर उसने मुझे आँख मारते हुए कहा- उस लड़के को भी दिखाना.. जिसको तुम चोदना चाहते हो।
रफ़ीक नहीं जानता था कि वो मेरा सगा भाई है.. मेरा छोटा भाई..
मैं घर वापस आया और मैंने ज़ुबैर को बताया- मैं आज एक नई सीडी लाया हूँ।
वो बहुत एग्ज़ाइटेड हुआ.. मैंने उसके ट्राउज़र के ऊपर से ही उसके लण्ड को सहलाया और उसे आँख मार कर मुस्कुरा दिया। अब हम दोनों रात होने का इन्तजार कर रहे थे।
रात को खाना खाने के बाद जब सब अपने-अपने कमरों में सोने चले गए.. तो हम भी अपने कमरे में वापस आए।
मैंने दरवाज़ा लॉक किया और अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिए। कुछ लम्हों में ही हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे। कुर्सी पर बैठते हुए मैंने ज़ुबैर के लण्ड को पकड़ कर दबाया और फिर हम मूवी देखने लगे।
स्टार्टिंग में ही दो लड़के एक-दूसरे के होंठ से होंठ मिला कर किसिंग कर रहे थे। ज़ुबैर ने मेरी तरफ और मैंने ज़ुबैर की तरफ देखा।
मैंने ज़ुबैर से पूछा- तुमने कभी किसी को किस किया है??
उसने जवाब दिया- नहीं..
मैंने पूछा- सीखना चाहते हो?
फ़ौरन ही ज़ुबैर ने जवाब दिया- हाँ.. भाई..
वो कुर्सी पर बैठा था.. मैं उठा और ज़ुबैर के पास जाकर उसके लण्ड को पकड़ा और उसकी गोद में बैठते हुए मैंने ज़ुबैर के लण्ड को अपनी गाण्ड के नीचे अपनी दरार में सैट कर लिया। मैंने अपने होंठों को ज़ुबैर के होंठों पर रखा और उसके होंठों और ज़ुबान को चूसना शुरू कर दिया।
उसने भी फ़ौरन रिस्पोन्स दिया और जल्द ही हम लोग लिप्स लॉक हो चुके थे।
हम किसिंग करते हुए ही कुर्सी से उठे और बिस्तर की तरफ चल दिए किसिंग करते-करते ही ज़ुबैर बिस्तर पर पीठ के बल लेटा और मैं उसके ऊपर लेट गया।
हम कुछ मिनट तक ऐसे ही एक-दूसरे के होंठों को चूसते और काटते रहे।
मैं चाहता था कि ज़ुबैर मेरा लण्ड चूसे लेकिन मुझे पता था कि ज़ुबैर से चुसवाने के लिए पहले मुझे ही ज़ुबैर का लण्ड चूसना पड़ेगा। तो मैंने नीचे की तरफ जाते हुए ज़ुबैर के सीने को चूमना शुरू किया और कभी उसके निप्पल को चाटने ओर काटने लगता।
ज़ुबैर के मुँह से सिसकियाँ खारिज होने लगी थीं। मैंने नीचे ज़ुबैर के लण्ड की तरफ जाना शुरू किया। मैंने ज़ुबैर के चेहरे की तरफ देखा.. तो वो शॉक की कैफियत में था। ज़ुबैर की आँखों में देखते हुए ही मैंने अपने मुँह को खोला और ज़ुबैर के लण्ड को अपने मुँह में भर लिया।
वो तकरीबन उछल ही पड़ा बिस्तर से.. और बेसाख्ता ही उसके मुँह से एक तेज सिसकारी निकली।
मैंने ज़ुबैर को आँखों से इशारा किया कि आवाज़ हल्की रखो और.. फिर से आहिस्ता-आहिस्ता ज़ुबैर के लण्ड को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और अपनी स्पीड बढ़ाने लगा।
ज़ुबैर का पूरा जिस्म झटके खा रहा था और वो डिसचार्ज होने के बहुत क़रीब पहुँच चुका था तो मैंने उसका लण्ड अपने मुँह से निकाल दिया और हाथ से सहलाने लगा।
मैंने उससे टाँगें फैलाने को कहा और अपने लेफ्ट हैण्ड की इंडेक्स फिंगर को अपने मुँह से गीला करते हुए ज़ुबैर के प्यारी सी गाण्ड के होल में डालने लगा।
जैसे ही मेरी उंगली थोड़ी सी अन्दर गई.. ज़ुबैर की एक कराह निकली और दर्द का अहसास उसके चेहरे से ज़ाहिर होने लगा।
लेकिन मैंने अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करना जारी रखा और जल्द ही उसका होल लूज हो गया।
कुछ देर बाद मैं उठा और दोबारा ज़ुबैर के ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगा।
मेरे कुछ कहे बगैर ही ज़ुबैर उठा और मेरी टाँगों के बीच आकर मेरे लण्ड के नीचे वाली बॉल्स को थामा और फ़ौरन ही उन्हें चाटने लगा।
मैं ज़ुबैर की इस हरकत पर बहुत हैरान सा था। वो मेरी बॉल्स को चाटते-चाटते मेरे लण्ड तक आया और उसे अपने मुँह में ले लिया। मूवीज ने मेरे साथ-साथ ज़ुबैर को भी बहुत कुछ सिखा दिया था।
मेरे लण्ड को थोड़ी देर चूसने के बाद ज़ुबैर ज़रा नीचे को हुआ और मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा।
मैं ज़ुबैर की इस हरकत पर बिस्तर से एकदम उछल पड़ा।
कुछ देर चाटने के बाद वो फिर से मेरे लण्ड की तरफ आया और मेरे लण्ड को मुँह में लेते वक़्त ही उसने अपनी एक उंगली भी मेरी गाण्ड में डाल दी।
मुझे मामूली सा दर्द भी हुआ.. लेकिन मज़ा दर्द पर ग़ालिब था। अब ज़ुबैर मेरे लण्ड को भी चूस रहा था और मेरी गाण्ड में अपनी उंगली को भी अन्दर-बाहर कर रहा था।
जैसे ही मैं मंज़िल के क़रीब हुआ.. तो मैंने ज़ुबैर को कहा- मेरा पानी निकलने वाला है..
लेकिन ज़ुबैर ने हाथ के इशारे से कहा- परवाह नहीं..
और मैं उसके मुँह में ही डिसचार्ज हो गया। मेरे लण्ड का जूस उसके मुँह से बह रहा था। उसने सारा पानी मेरे पेट पर थूका और फिर से मेरे लण्ड को चूसने और चाटने लगा।
वो ऊपर आया और उसने अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिया.. मुझे बहुत अजीब सा लगा क्योंकि मेरे लण्ड का पानी अभी भी उसके चेहरे और होंठों पर लगा हुआ था। मैं ज़ुबैर को हर्ट नहीं करना चाहता था.. इसलिए मैंने किसिंग जारी रखी। लेकिन ये अजीब और मज़े का अहसास था.. अपने लण्ड के पानी को खुद ही चखना..
vnraj
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Re: प्यासी जिंदगी

Post by vnraj »

नई कहानी के लिए धन्यवाद दोस्त
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