प्यासी जिंदगी complete

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rangila
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Re: प्यासी जिंदगी

Post by rangila »

vnraj wrote:इस एहसास को शब्दो मे लिखना कोई आसान काम नही है बहुत अच्छा है अपडेट आप का
thanks mitr
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rangila
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Re: प्यासी जिंदगी

Post by rangila »

मैं टीवी लाउन्ज में जा कर बैठ गया और टीवी देखने लगा। बाजी अपने काम खत्म करके आईं.. और उन्होंने आते हुए अपना एक हाथ अपनी कमर के पीछे छुपाया हुआ था।
बाजी ने आ कर अम्मी के रूम की तरफ देखा और मेरी गोद में बैठ गईं और मुझसे कहा- अपनी आँखें बंद करो।
मैंने कहा- क्या हुआ?
बाजी गुस्से से कहने लगीं- बंद करो ना वसीम प्लीज़..
मैंने कहा- अच्छा बाबा.. लो कर लीं बंद..
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. तो बाजी ने मेरा हाथ पकड़ा और एक छल्ला मेरी रिंग में डाल दिया। अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और किस करने लगीं।
बाजी जो सालन अन्दर बना कर आईं थीं उसमें से चिकन का पीस खा रही थीं और किसिंग के दौरान बाजी ने वो पीस मेरे मुँह में डाल दिया और कहा- अब अपनी आँखें खोलो..
मैंने आँखें खोल कर देखा तो बाजी की आँखें लाल हो रही थीं।
मैंने बाजी से पूछा- बाजी आँखों को क्या हुआ है?
बाजी ने मेरी गोद से उठते हुए मेरे लण्ड पर हाथ रख कर कहा- मेरी आँखों के लाल होने में सारा इसका कसूर है.. यही नीचे से उठ कर मुझे तंग कर रहा था।
इतना कह कर वो फिर से मेरी गोद में बैठ गईं।
मुझे याद आया कि बाजी ने मेरी उंगली में कुछ डाला था.. वो मैंने देखा तो वो एक चाँदी का छल्ला था जिस पर ‘S’ लिखा हुआ था.. और बहुत प्यारा बना हुआ था।
मैंने बाजी से कहा- बाजी आप क्या खुद बनवा के लाई हो ये?
बाजी ने बताया- मैं आज सुबह यूनिवर्सिटी नहीं गई थी.. ये अर्जेंट में बनवा कर लाई हूँ। मुझे ये तुम्हें रात को देना था.. पर अम्मी ने काम खराब कर दिया.. इसलिए अभी दे दिया है.. वरना ज़ुबैर देख कर तंग करेगा।
मैंने बाजी को ‘थैंक्स’ कहा और बाजी को किस किया।
बाजी ने कहा- प्यार में थैंक्स नहीं और अब मुझे छोड़.. मुझे काम करना है। हम दोनों मज़े से लगे हुए हैं.. यदि अम्मी एकदम से आ गईं.. तो पता नहीं क्या होगा।
यह कहते हुए बाजी मेरी गोद से उठ गईं और खाना लगाने में लग गईं।
बाद में सबने खाना खाया और मैंने बाजी को बताया कि मैं बाहर जा रहा हूँ.. रात को आऊँगा।
बाजी ने कहा- टाइम से आ जाना.. अब मुझे टाइम दिया करो.. मुझे तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है.. या फिर मुझे भी साथ ले जाया करो।
तो मैंने बाजी से कहा- ठीक है बाजी.. इसका भी कुछ करते हैं।
मैं किचन से बाहर निकल कर नीचे चला गया।
आज पता नहीं क्या चक्कर था कि मेरा भी बाहर मन नहीं लग रहा था। मैं थोड़ी देर बाद ही वापिस आ गया और बाजी से कहा- लो बाजी.. मैं आ गया हूँ।
बाजी अकेले ही टीवी देख रही थीं.. तो मुझसे कहा- वहाँ मेरे सामने बैठ जाओ। उन्होंने मुझे अपने सामने बैठा दिया और मुझे देखने लगीं।
बाजी बस देखे जा रही थीं.. बोलीं कुछ नहीं..
तो मैंने कहा- बाजी क्या हुआ.. चुप क्यों हो?
बाजी ने कहा- कुछ नहीं तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी।
बाजी अभी बोल ही रही थीं कि तभी अचानक अम्मी के कमरे का दरवाजा खुला। बाजी आवाज़ सुन कर चुप हो गईं और टीवी देखने लगीं।
अम्मी कमरे से बाहर आईं और मुझे देख कर कहा- तुम तो बाहर गए थे?
तो मैंने कहा- अभी-अभी वापिस आया हूँ।
अम्मी ने कहा- मैं ज़रा बाज़ार जा रही हूँ.. थोड़ा काम है, कुछ चीजें लानी हैं। तुम चलोगे मेरे साथ?
तो मैंने अम्मी की बात सुन कर बाजी पर नज़र डाली.. बाजी ने आहिस्ता से अपने सर को ‘ना’ में हिलाया।
मैंने कहा- अम्मी मेरा अभी फोन आना है और मुझे अपने दोस्त के साथ काम से जाना है.. आप खुद ही हो आओ।
अम्मी ने कहा- एक तो ये दोस्त लेकर बैठ गए हैं..
वो बड़बड़ाती हुई चल दीं।
मुझे बाजी के साथ अकेला रहना ज्यादा पसंद था।
अम्मी मुझे और बाजी को अकेला छोड़ कर चली गईं।
बाजी सोफे से उठीं और छुप कर अम्मी के पीछे गईं। जब अम्मी ने दरवाज़ा बंद कर दिया तो बाजी वापिस आ गईं और तेज़-तेज़ कदमों से चल कर मेरे पास आने लगीं, आते ही वो मुझे पूरे मुँह पर ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगीं।
मैंने बाजी को संभाला और कहा- बाजी ज़ुबैर और हनी दोनों घर हैं.. क्या हो गया है.. वो आ जाएंगे तो?
बाजी ने कहा- मुझे नहीं पता.. चुप रहो बस..
मैंने कहा- अच्छा.. एक मिनट रूको.. मैं हनी को देख कर आता हूँ।
मैं वहाँ से उठा और बाजी वाले कमरे में हनी को देखा.. तो वो सो रही थी। मैंने धीरे से कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बाहर से लॉक कर दिया।
बाजी को वापस आकर मैंने कहा- हनी सो रही है और ज़ुबैर की कोई बात नहीं.. उसको तो सब पता है।
बाजी चुदक्कड़ होने लगी
बाजी ने कुछ कहे बिना ही मेरे मुँह पर अपने होंठ रखे और चूसने लगीं।
मैं भी बाजी का साथ देने लगा.. तो बाजी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से मेरे होंठ चूसने लगीं। बाजी इतनी ज़ोर से चूस रही थीं कि मुझे दर्द होने लग गया।
मैंने बाजी को रोक कर कहा- बाजी यार क्या हो गया है.. आराम से करो ना.. मैं यहाँ ही हूँ आपके पास!
तो बाजी ने कहा- वसीम, अब कैसे बर्दाश्त करूँ मैं.. पहले तुमसे कहती थी कि मुझे अभी नहीं चुदवाना.. मुझे पता था कि ये सब बाद में होगा.. पर तब मुझे तुम्हारे प्यार के लिए चुदवाना पड़ा और अब जब तुमने मेरे अन्दर आग लगा दी है तो कहते हो कि आराम से करो.. पर मैं क्या करूँ?
मैं भी बाजी को भींचने लगा।
‘ये है ना.. ये इस जगह..’ बाजी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और कहा- यहाँ आराम नहीं मिल रहा मुझे.. मैं क्या करूँ.. मुझे भी कुछ बताओ पिछले दो दिन से मैं यूनिवर्सिटी नहीं जा रही हूँ, मेरा वहाँ दिल नहीं लगता है।
बाजी की आँखों में आंसू आने लग गए- तुम तो आराम से बाहर चले जाते हो.. अपना टाइम गुजार आते हो.. कभी मेरा सोचा है कि बाजी घर में क्या कर रही होगीं। मेरे दिमाग से तुम नहीं जाते हो.. मैं क्या करूँ?’
सोफे पर बैठ कर बाजी रोने लग गईं तो मैंने कहा- बाजी प्लीज़ यार.. रो ना.. प्लीज़.. आपको पता है ना, मुझसे आपके आँसू नहीं देखे जाते.. प्लीज़ रो मत।
बाजी ने गुस्से से कहा- फिर क्या करूँ? मर जाऊँ क्या?
तो मैंने बाजी को पकड़ के ज़ोर से उठाया और झिझोड़ कर कहा- बाजी होश में आओ.. क्या बोले जा रही हो.. क्या हो गया है आपको?
मैंने बाजी को अपने गले से लगा लिया..
तो बाजी ने अपनी बांहें मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट लीं।
मैंने भी बाजी को अपनी बांहों में भर लिया, मैंने कहा- बाजी प्लीज़ चुप हो जाओ ना.. नहीं तो अब मेरे आँसू निकल आएँगे।
बाजी हिचकियाँ लेते हुए चुप होने लगीं। उनके बाल खुले हुए थे और चेहरे के आगे आ गए थे।
मैंने बाजी को गले से अलग किया और बाजी के बाल पीछे कर के बाजी के आंसू साफ करने लगा।
तो बाजी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को ज़ोर से पीछे कर दिया।
मैंने कहा- बाजी मेरी बात तो सुनो..
बाजी का चेहरा मैंने पकड़ कर ऊपर किया और आंसू साफ किए.. पर बाजी मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थीं.. तो मैंने बाजी का मुँह ज़ोर से ऊपर किया और कहा- बाजी देखो ना..
बाजी ने अपनी आँखें बंद कर लीं.. तो मैंने कहा- अच्छा बाजी वादा.. आज के बाद मैं आपके अलावा कुछ नहीं सोचूंगा.. प्रॉमिस.. आप मेरी फर्स्ट प्रेफ़रेंसे होगी.. प्लीज़ अब तो आँखें खोलो ना बाजी..
तो बाजी ने आँखें खोलीं और गुस्से से कहा- क्या है?
मैंने कहा- बाजी वादा.. आप मेरी फर्स्ट प्रेफरेन्स होगी.. जब भी मैं काम से फारिग होऊँगा.. वो टाइम आपके साथ गुज़ारूँगा।
बाजी ने कहा- सोच लो ठीक से..
मैंने कहा- आपके लिए मुझे कोई फ़ैसला करने के लिए सोचने की जरूरत नहीं है।
बाजी ने कहा- मैं जो भी करूँ.. तुम मुझे मना करते हो.. क्या बदला लेते हो मुझसे?
तो मैंने कहा- बाजी आप से कैसा बदला.. आपका तो एहसान है मुझ पर.. जो मैं कभी नहीं भुला सकूंगा।
मैंने अपने होंठों से बाजी के आंसू चूस कर साफ किए और बाजी के गालों को चूसने लगा।
बाजी से मैंने कहा- बाजी अब ये भूल जाना कि आप ज़मीन पर खड़ी हो।
मैं बाजी के होंठों को किस करने लगा।
मैंने बाजी के बाजुओं को अपने गले में डाला और झुक कर बाजी को टाँगों से उठाया और बाजी की टाँगों को अपनी कमर के गिर्द लपेट लिया।
अब मैं बाजी को किस करने लगा। बाजी ने भी मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया।
बाजी ने अपने आपको मुझे अपने साथ ज़ोर से चिपका लिया और टाँगों को भी ज़ोर लगा के अपनी चूत को मेरे लण्ड पर दबाने लगीं।
मैंने बाजी से कहा- अब खुश हो ना आप..
बाजी ने कहा- वसीम कुछ ऐसा करो कि मुझे तुमसे अलग ना होना पड़े.. मैं हर वक्त तुम्हारे साथ ही रहूँ.. दिन भी और रात भी.. वसीम एक दफ़ा लड़की जब किसी की हो जाती है.. तो फिर वो किसी और के बारे में नहीं सोचती.. इसलिए मैं भी तुम से जुदा नहीं होना चाहती हूँ।
मैंने बाजी से कहा- बाजी आप परेशान ना हों.. मैं आपको अपने आपसे जुदा नहीं होने दूँगा और मैं आपके दिन रात मेरे साथ रहने का भी कुछ करता हूँ।
बाजी ने कहा- फिर ठीक है।
मैंने कहा- बाजी और कुछ चाहिए तो बताओ.. पर आप रोया ना करो.. मुझसे आपको ऐसे नहीं देखा जाता।
बाजी ने कहा- अपनी बीवी को खर्चा भी देते हैं.. तुम तो नहीं देते मुझे.. फिर मेरे इतने काम होते हैं.. जो पैसों की वजह से रह जाते हैं।
तो मैंने कहा- बस इतना सा काम.. अभी आपको खर्चा दूँगा.. पर आपको मेरी कुछ बातें माननी पड़ेंगी।
बाजी ने कहा- तुम बस मुझे बताओ. सब मंजूर हैं।
छोटी बहन की चुदाई की बात
मैंने कहा- एक तो यह कि मैं आपको जीन्स में देखना चाहता हूँ.. और जब मेरे पास हुआ करोगी बस तब थोड़ी देर पहन लिया करो।
बाजी ने कहा- मान ली..
मैंने कहा- मेरे साथ घूमने चला करो।
बाजी ने कहा- मंज़ूर..
मैंने कहा- बाजी हनी को भी ग्रुप में अन्दर ले लो और इस डर को खत्म करो। ज़ुबैर भी जो हर वक्त आपके पीछे रहता है.. वो भी थोड़ा कम होगा और मुझे भी एक नई चूत मिल जाएगी।
मेरी इस बात को सुन कर बाजी चुप हो गईं और थोड़ी देर बाद बोलीं- उसे शामिल तो मैं कर लूँ.. पर तुमको ये एक बात छोड़नी पड़ेगी कि मुझे भी नई चूत मिल जाएगी.. क्योंकि इस लण्ड पर सिर्फ मेरा हक है.. तो किसी और का क्यों हिस्सा बनने दूँ?
तो मैंने कहा- अच्छा मेरी जान.. ये जिद खत्म कर दी.. अब तो मान जाओ ना!
बाजी ने कहा- ठीक है, कर लेंगे उसको भी शामिल।
अब बाजी ने अपने एक हाथ से मेरी बेल्ट खोल कर पैन्ट नीचे उतार दी और अपनी टाँगें ढीली करके कहा- मेरा पजामा नीचे करो।
मैंने बाजी का पजामा नीचे कर दिया और बाजी ने फिर टाँगें ऊपर की।
अब उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के सुराख पर रखा और लण्ड के ऊपर बैठने लगीं।
मेरा लण्ड बाजी की चूत में जाने लगा.. तो बाजी के मुँह से आवाज निकली- आअहह.. आहह.. ऊऊओह.. वसीम.. ये गीला नहीं है.. रगड़ कर अन्दर जा रहा है।
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rangila
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Re: प्यासी जिंदगी

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मैंने कहा- बाजी इसको पहले चूस लो।
बाजी ने कहा- नहीं वसीम आज मुझे ऐसे ही चोदो।
यह कह कर बाजी ने ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया। मैंने बाजी को गाण्ड से पकड़ा और बाजी को ऊपर-नीचे करने लगा।
बाजी सिसकारियाँ भरने लगीं ‘आहह.. आअहह वसीम.. तेज़-तेज़ ऊपर-नीचे करो उफफ्फ़.. आहह..’
कुछ देर की चुदाई में बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया.. जिससे लण्ड गीला हो कर तेज़ी से बाजी की चूत में अन्दर-बाहर होने लगा।
मैंने अपनी पूरी ताक़त से बाजी को स्ट्रोक लगाने शुरु कर दिए और कोई 5 मिनट बाद ही बाजी ने चीख मारी- आअहह आआहह.. वसीम मैं गई..
बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा लण्ड भी बाजी की चूत में पानी छोड़ने लगा।
बाजी ने कहा- वसीम क्या मस्त लण्ड है तुम्हारा.. इसको और बड़ा करो तो मज़ा आ जाएगा।
मैंने बाजी से कहा- बाजी इसका भी कुछ करते हैं.. अभी आप मेरी पॉकेट से अपने लिए खर्चा लो।
बाजी ने मेरी पॉकेट में हाथ डाला और उसमें से 200 निकाल लिए और मुझे कहा- इतने बहुत हैं.. थैंक्स वसीम।
यह कहते ही बाजी ने पीछे हो कर लण्ड को चूत से निकाला.. तो बाजी की चूत से हम दोनों की चुदाई का पानी नीचे फर्श पर गिरने लगा।
मैंने बाजी से कहा- यह तो काम खराब हो गया है।
बाजी ने कहा- तुम मुझे नीचे उतारो और जाओ ऊपर.. अपना जिस्म साफ करो.. इसको मैं देखती हूँ।

मैंने बाजी को नीचे उतारा और ऊपर जा कर वॉशरूम में घुस गया.. नहा-धो कर बाहर आया तो ज़ुबैर उठ गया हुआ था। वो मुझसे पूछने लगा- खैरियत तो है.. आज इस टाइम नहा रहे हो?
तो मैंने कहा- हाँ यार, थक गया था इसलिए नहाया हूँ।
उसने कहा- रात का क्या प्रोग्राम है?
मैंने कहा- रात को तैयार रहना.. आज बाजी आएंगी।
उसने कहा- ठीक है।
वो खुश होता हुआ वॉशरूम में चला गया।
मैं बिस्तर पर लेटा और सो गया।
रात को 9 बजे आँख खुली तो बाजी उठा रही थीं कि खाना खा लो.. मैं ऊपर ही ले आई हूँ.. और ये दूध भी पी लेना।
बाजी ग्लास में दूध भी मेरे पास रख गईं और मुझसे कह गईं कि मैं रात को लेट आऊँगी ताकि अम्मी को शक ना हो और हनी भी सो जाए।
तो मैंने कहा- बाजी हनी का भी कुछ करो न..
बाजी ने कहा- हो जाएगा.. क्यों जल्दी पड़ी है।
बाजी नीचे चली गईं।
मैंने खाना खाया और ज़ुबैर से कहा- यार कोई गर्म मूवी तो लगा।
उसने एक ट्रिपल एक्स मूवी लगा दी जो मैंने नहीं देखी थी।
उसमें एक आदमी हॉस्पिटल में नर्स को चोद रहा था, मैंने कहा- ये मूवी कहाँ से आई है?
उसने कहा- मैं बाज़ार से लाया हूँ।
मैं मूवी देखने लगा.. कुछ देर दोनों ने मूवी देखी तो टाइम करीब साढ़े दस हो गया हुआ था।
मैं उठा और टाइमिंग वाली टेबलेट निकाली और एक मैंने खुद खाई और एक ज़ुबैर को खिला दी। मैंने उससे कहा- आज बाजी को जम कर चोदना है।
तो उसने कहा- ठीक है भाई।
अभी हम ये बातें कर ही रहे थे कि दरवाज़ा खुला और बाजी अन्दर आ गईं।
अब हम दोनों बाजी को चोदने की तैयारी में थे।
बाजी आई, रूम लॉक किया और आते ही मेरे साथ चूमा चाटी करनी शुरू कर दी।
मैंने बाजी को रोका नहीं क्योंकि बाजी ने फिर रोना शुरू कर देना था इसलिए मैंने बाजी को किस करते हुए ही अपनी बांहों में भरा.. और उठा कर बिस्तर पर ले गया।
बिस्तर पर बैठा कर मैंने बाजी के कपड़े उतारे और अपने कपड़े उतार के ज़ुबैर को इशारा किया कि कपड़े उतार के आ जाओ।
मैंने बाजी को लेटा दिया और खुद बाजी के ऊपर लेट गया।
अब मैं बाजी को किस करने लगा।
किस करते-करते मैं बाजी के मम्मों पर आ गया और बाजी के मम्मों को चूसने लगा, उनके निप्पलों पर दांतों से काटने लगा।
तो बाजी ने मेरी कमर में नाख़ून मारे और कहा- दर्द देते हो मुझे.. ये लो..
उन्होंने मेरी कमर में नाख़ून मार दिए..
तो मैंने अपने मुँह उठा कर बाजी को देखा और नीचे को होता हुआ बाजी की चूत पर आ गया।
आज छोटे भाई की बारी
ज़ुबैर खड़े हुए लण्ड को हाथ में लिए ये सब देख रहा था।
तभी बाजी ने उसे इशारा किया कि ज़ुबैर आओ।
वो आ कर बाजी के मुँह पर बैठ गया तो बाजी उसका लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगीं।
ज़ुबैर ने एक दफ़ा बड़े मज़े से ‘आहहह.. आअहह..’ किया और आँखें बंद करके बाजी के लण्ड चूसने का मज़ा लेने लगा।
मैंने नीचे पहुँच कर बाजी की चूत पर मुँह रखा और ज़ुबान अन्दर डाल दी।
तभी बाजी ने आह भरी ‘आआहहह.. वसीम और अन्दर करो.. आआहह..’
अब बाजी अपनी चूत को चुसवाते हुए ज़ुबैर के लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, साथ-साथ उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं.. जो बाजी के मुँह में लण्ड होने के कारण दब जाती थीं।
मैंने कुछ मिनट बाजी की चूत को चूसा और ज़ुबैर को कहा- ओए.. अब उस चीज़ का मज़ा लो.. जो सबसे ज्यादा हसीन है.. अपनी इस बहन की..
ज़ुबैर समझ गया और उठ कर बाजी की टांगों के बीच आया और अपना लण्ड हाथ में पकड़ लिया।
उसने मेरी तरफ देखा।
मैंने उससे कहा- डालो।
तो उसने बाजी के ऊपर झुक कर लण्ड को एक हाथ से बाजी की चूत में पुश किया.. तो लण्ड की टोपी बाजी की चूत में चली गई।
तभी बाजी की मादक सिसकारी निकली ‘आहाहह..’ और बाजी ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा।
उन्होंने किसिंग स्टार्ट कर दी.. तो मैं भी बाजी को किस करने लगा।
तभी ज़ुबैर ने ज़ोर का धक्का मारा तो बाजी की चीख निकल गई।
‘आआअहह.. कमीने इंसान.. धीरे कर..’ वो मुझसे कहने लगीं- मैं इसी लिए इसके करीब नहीं आती हूँ.. ये बस मज़ा लेता है.. देता नहीं है.. इसको ज़रा भी नहीं लगता कि मेरी बहन को दर्द होगा.. बस जोर लगाने में लगा हुआ है।
मैंने बाजी से कहा- चलो कोई बात नहीं.. अब वो आराम से करेगा।
मैंने उससे कहा- अब धीरे से अन्दर-बाहर करो।
उसने कमर को हिला-हिला कर लण्ड को आगे-पीछे करना स्टार्ट कर दिया.. तो बाजी ने मादक सिसकारियाँ लेना चालू कर दीं।
कोई 5 मिनट के धक्कों के बाद ही ज़ुबैर बाजी की चूत में झड़ गया.. तो बाजी ने उससे कहा- निकालना मत.. मैं झड़ने वाली हूँ।
पर ज़ुबैर पानी छोड़ चुका था.. उसने बाजी की चूत से लण्ड निकाल लिया और साइड में लेट गया।
तो बाजी ने कहा- वसीम कुछ करो.. मेरी आग इस वक्त जोबन पर है।
मैंने उठ कर बाजी की चूत में लण्ड डाला और कमर को आगे-पीछे करके चोदने लगा।

मैंने बाजी से कहा- बाजी कितनी स्पीड से चोदूँ?
तो बाजी ने कहा- वसीम थोड़ा सा तेज़ करो.. मैं बस झड़ने वाली हूँ।
मैंने कमर की स्पीड तेज़ की और मेरे 5 या 6 धक्कों के बाद ही बाजी ने मुझे धक्का दे कर रोका और तेज़ी से कहा- आआहह.. वसीम मैं गई..
बाजी की चूत से एक धार की तरह पानी निकला और बेड पर गिरने लगा। मैंने देखा तो उठ कर बाजी की चूत के सामने आ गया और अपना मुँह खोल लिया।
तभी बाजी ने एक और धार छोड़ी जो सीधे मेरे मुँह में गई और मैं बाजी के नमकीन पानी को पीता चला गया।
कुछ पल बाद मैं बाजी के ऊपर लेट गया.. तो बाजी ने कहा- वसीम तुमने क्यों पिया.. वो इतना सारा था.. थोड़े की तो चलो खैर होती है ना..
मैंने कहा- बाजी ये आपके अन्दर से निकला था ना.. तो मैं आपके साथ कैसे दगा करूँ.. जब मैं आपको प्यार करता हूँ.. तो मैं आपकी हर चीज़ खा-पी जाऊँगा।
इसी के साथ ही मैं बाजी को किस करने लगा और एक हाथ से लण्ड बाजी की चूत में फिर से पेल दिया और बाजी के ऊपर ही लेट कर धक्के लगाने लगा।
मैंने बाजी को भरपूर चोदा और हम दोनों एक साथ ही झड़े, फिर एक-दूसरे को किस करने लगे।
कोई बीस मिनट बाद मैंने ज़ुबैर को देखा जो कि अब लण्ड खड़ा कर चुका था।
मैंने उससे कहा- अब डालो बाजी की चूत में.. और ठीक से चोदना.. उनको दर्द ना हो..
उसने कहा- ठीक है अब आराम से करूँगा।
अब और वो बाजी की चूत में लण्ड डाल कर बाजी को बड़े आराम से चोदने लगा।
बाजी ने कहा- हाँ ज़ुबैर ऐसे ही..
वो बाजी को चोदने लगा.. तो मैंने अपना लण्ड बाजी के मुँह में डाल दिया और बाजी से कहा- चूसो..
बाजी लण्ड चूसने लगीं और साथ ही मजे में कराहने लगीं ‘आआहह.. आआहह.. उफ्फ़..’
बाजी ये सब इतने जोश में कर रही थीं कि कुछ ही मिनट बाद ही बाजी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और ज़ुबैर ने भी बाजी की चूत में ही अपनी छोड़ दिया।
वो बाजी की टांगों में ही गिर गया.. तो बाजी ने कहा- वसीम अब बस करें.. टाइम काफ़ी हो गया है।
तो मैंने कहा- बाजी यार एक दफ़ा बस वो काम कर लें जहाँ शीशे के आगे जा कर कभी हम लण्ड चूत में डाले बिना ही करते थे और ऐसे लगता था कि लण्ड अन्दर है। पर आज अन्दर डाल कर करेंगे.. फिर उसके बाद आप चली जाना।
बाजी ने कहा- ठीक है चलो।
मैंने शीशे के आगे जा कर बाजी को घोड़ी बना कर बाजी की चूत में लण्ड डाला और बाजी को धक्के लगाने लगा और शीशे में देखने लगा। बिल्कुल फिल्म की तरह लगता था.. पूरा लण्ड अन्दर-बाहर हो रहा था।
मैंने बाजी से कहा- बाजी देखो तो सही, क्या मस्त सीन लग रहा है।
बाजी ने अपना मुँह शीशे की तरफ करके देखा तो कहने लगीं- आह्ह.. हाँ वसीम बिल्कुल फिल्म लग रही है.. तुम एक मिनट धक्के लगाना रोको..
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मैंने कहा- बाजी इसको पहले चूस लो।
बाजी ने कहा- नहीं वसीम आज मुझे ऐसे ही चोदो।
यह कह कर बाजी ने ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया। मैंने बाजी को गाण्ड से पकड़ा और बाजी को ऊपर-नीचे करने लगा।
बाजी सिसकारियाँ भरने लगीं ‘आहह.. आअहह वसीम.. तेज़-तेज़ ऊपर-नीचे करो उफफ्फ़.. आहह..’
कुछ देर की चुदाई में बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया.. जिससे लण्ड गीला हो कर तेज़ी से बाजी की चूत में अन्दर-बाहर होने लगा।
मैंने अपनी पूरी ताक़त से बाजी को स्ट्रोक लगाने शुरु कर दिए और कोई 5 मिनट बाद ही बाजी ने चीख मारी- आअहह आआहह.. वसीम मैं गई..
बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा लण्ड भी बाजी की चूत में पानी छोड़ने लगा।
बाजी ने कहा- वसीम क्या मस्त लण्ड है तुम्हारा.. इसको और बड़ा करो तो मज़ा आ जाएगा।
मैंने बाजी से कहा- बाजी इसका भी कुछ करते हैं.. अभी आप मेरी पॉकेट से अपने लिए खर्चा लो।
बाजी ने मेरी पॉकेट में हाथ डाला और उसमें से 200 निकाल लिए और मुझे कहा- इतने बहुत हैं.. थैंक्स वसीम।
यह कहते ही बाजी ने पीछे हो कर लण्ड को चूत से निकाला.. तो बाजी की चूत से हम दोनों की चुदाई का पानी नीचे फर्श पर गिरने लगा।
मैंने बाजी से कहा- यह तो काम खराब हो गया है।
बाजी ने कहा- तुम मुझे नीचे उतारो और जाओ ऊपर.. अपना जिस्म साफ करो.. इसको मैं देखती हूँ।

मैंने बाजी को नीचे उतारा और ऊपर जा कर वॉशरूम में घुस गया.. नहा-धो कर बाहर आया तो ज़ुबैर उठ गया हुआ था। वो मुझसे पूछने लगा- खैरियत तो है.. आज इस टाइम नहा रहे हो?
तो मैंने कहा- हाँ यार, थक गया था इसलिए नहाया हूँ।
उसने कहा- रात का क्या प्रोग्राम है?
मैंने कहा- रात को तैयार रहना.. आज बाजी आएंगी।
उसने कहा- ठीक है।
वो खुश होता हुआ वॉशरूम में चला गया।
मैं बिस्तर पर लेटा और सो गया।
रात को 9 बजे आँख खुली तो बाजी उठा रही थीं कि खाना खा लो.. मैं ऊपर ही ले आई हूँ.. और ये दूध भी पी लेना।
बाजी ग्लास में दूध भी मेरे पास रख गईं और मुझसे कह गईं कि मैं रात को लेट आऊँगी ताकि अम्मी को शक ना हो और हनी भी सो जाए।
तो मैंने कहा- बाजी हनी का भी कुछ करो न..
बाजी ने कहा- हो जाएगा.. क्यों जल्दी पड़ी है।
बाजी नीचे चली गईं।
मैंने खाना खाया और ज़ुबैर से कहा- यार कोई गर्म मूवी तो लगा।
उसने एक ट्रिपल एक्स मूवी लगा दी जो मैंने नहीं देखी थी।
उसमें एक आदमी हॉस्पिटल में नर्स को चोद रहा था, मैंने कहा- ये मूवी कहाँ से आई है?
उसने कहा- मैं बाज़ार से लाया हूँ।
मैं मूवी देखने लगा.. कुछ देर दोनों ने मूवी देखी तो टाइम करीब साढ़े दस हो गया हुआ था।
मैं उठा और टाइमिंग वाली टेबलेट निकाली और एक मैंने खुद खाई और एक ज़ुबैर को खिला दी। मैंने उससे कहा- आज बाजी को जम कर चोदना है।
तो उसने कहा- ठीक है भाई।
अभी हम ये बातें कर ही रहे थे कि दरवाज़ा खुला और बाजी अन्दर आ गईं।
अब हम दोनों बाजी को चोदने की तैयारी में थे।
बाजी आई, रूम लॉक किया और आते ही मेरे साथ चूमा चाटी करनी शुरू कर दी।
मैंने बाजी को रोका नहीं क्योंकि बाजी ने फिर रोना शुरू कर देना था इसलिए मैंने बाजी को किस करते हुए ही अपनी बांहों में भरा.. और उठा कर बिस्तर पर ले गया।
बिस्तर पर बैठा कर मैंने बाजी के कपड़े उतारे और अपने कपड़े उतार के ज़ुबैर को इशारा किया कि कपड़े उतार के आ जाओ।
मैंने बाजी को लेटा दिया और खुद बाजी के ऊपर लेट गया।
अब मैं बाजी को किस करने लगा।
किस करते-करते मैं बाजी के मम्मों पर आ गया और बाजी के मम्मों को चूसने लगा, उनके निप्पलों पर दांतों से काटने लगा।
तो बाजी ने मेरी कमर में नाख़ून मारे और कहा- दर्द देते हो मुझे.. ये लो..
उन्होंने मेरी कमर में नाख़ून मार दिए..
तो मैंने अपने मुँह उठा कर बाजी को देखा और नीचे को होता हुआ बाजी की चूत पर आ गया।
आज छोटे भाई की बारी
ज़ुबैर खड़े हुए लण्ड को हाथ में लिए ये सब देख रहा था।
तभी बाजी ने उसे इशारा किया कि ज़ुबैर आओ।
वो आ कर बाजी के मुँह पर बैठ गया तो बाजी उसका लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगीं।
ज़ुबैर ने एक दफ़ा बड़े मज़े से ‘आहहह.. आअहह..’ किया और आँखें बंद करके बाजी के लण्ड चूसने का मज़ा लेने लगा।
मैंने नीचे पहुँच कर बाजी की चूत पर मुँह रखा और ज़ुबान अन्दर डाल दी।
तभी बाजी ने आह भरी ‘आआहहह.. वसीम और अन्दर करो.. आआहह..’
अब बाजी अपनी चूत को चुसवाते हुए ज़ुबैर के लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, साथ-साथ उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं.. जो बाजी के मुँह में लण्ड होने के कारण दब जाती थीं।
मैंने कुछ मिनट बाजी की चूत को चूसा और ज़ुबैर को कहा- ओए.. अब उस चीज़ का मज़ा लो.. जो सबसे ज्यादा हसीन है.. अपनी इस बहन की..
ज़ुबैर समझ गया और उठ कर बाजी की टांगों के बीच आया और अपना लण्ड हाथ में पकड़ लिया।
उसने मेरी तरफ देखा।
मैंने उससे कहा- डालो।
तो उसने बाजी के ऊपर झुक कर लण्ड को एक हाथ से बाजी की चूत में पुश किया.. तो लण्ड की टोपी बाजी की चूत में चली गई।
तभी बाजी की मादक सिसकारी निकली ‘आहाहह..’ और बाजी ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा।
उन्होंने किसिंग स्टार्ट कर दी.. तो मैं भी बाजी को किस करने लगा।
तभी ज़ुबैर ने ज़ोर का धक्का मारा तो बाजी की चीख निकल गई।
‘आआअहह.. कमीने इंसान.. धीरे कर..’ वो मुझसे कहने लगीं- मैं इसी लिए इसके करीब नहीं आती हूँ.. ये बस मज़ा लेता है.. देता नहीं है.. इसको ज़रा भी नहीं लगता कि मेरी बहन को दर्द होगा.. बस जोर लगाने में लगा हुआ है।
मैंने बाजी से कहा- चलो कोई बात नहीं.. अब वो आराम से करेगा।
मैंने उससे कहा- अब धीरे से अन्दर-बाहर करो।
उसने कमर को हिला-हिला कर लण्ड को आगे-पीछे करना स्टार्ट कर दिया.. तो बाजी ने मादक सिसकारियाँ लेना चालू कर दीं।
कोई 5 मिनट के धक्कों के बाद ही ज़ुबैर बाजी की चूत में झड़ गया.. तो बाजी ने उससे कहा- निकालना मत.. मैं झड़ने वाली हूँ।
पर ज़ुबैर पानी छोड़ चुका था.. उसने बाजी की चूत से लण्ड निकाल लिया और साइड में लेट गया।
तो बाजी ने कहा- वसीम कुछ करो.. मेरी आग इस वक्त जोबन पर है।
मैंने उठ कर बाजी की चूत में लण्ड डाला और कमर को आगे-पीछे करके चोदने लगा।

मैंने बाजी से कहा- बाजी कितनी स्पीड से चोदूँ?
तो बाजी ने कहा- वसीम थोड़ा सा तेज़ करो.. मैं बस झड़ने वाली हूँ।
मैंने कमर की स्पीड तेज़ की और मेरे 5 या 6 धक्कों के बाद ही बाजी ने मुझे धक्का दे कर रोका और तेज़ी से कहा- आआहह.. वसीम मैं गई..
बाजी की चूत से एक धार की तरह पानी निकला और बेड पर गिरने लगा। मैंने देखा तो उठ कर बाजी की चूत के सामने आ गया और अपना मुँह खोल लिया।
तभी बाजी ने एक और धार छोड़ी जो सीधे मेरे मुँह में गई और मैं बाजी के नमकीन पानी को पीता चला गया।
कुछ पल बाद मैं बाजी के ऊपर लेट गया.. तो बाजी ने कहा- वसीम तुमने क्यों पिया.. वो इतना सारा था.. थोड़े की तो चलो खैर होती है ना..
मैंने कहा- बाजी ये आपके अन्दर से निकला था ना.. तो मैं आपके साथ कैसे दगा करूँ.. जब मैं आपको प्यार करता हूँ.. तो मैं आपकी हर चीज़ खा-पी जाऊँगा।
इसी के साथ ही मैं बाजी को किस करने लगा और एक हाथ से लण्ड बाजी की चूत में फिर से पेल दिया और बाजी के ऊपर ही लेट कर धक्के लगाने लगा।
मैंने बाजी को भरपूर चोदा और हम दोनों एक साथ ही झड़े, फिर एक-दूसरे को किस करने लगे।
कोई बीस मिनट बाद मैंने ज़ुबैर को देखा जो कि अब लण्ड खड़ा कर चुका था।
मैंने उससे कहा- अब डालो बाजी की चूत में.. और ठीक से चोदना.. उनको दर्द ना हो..
उसने कहा- ठीक है अब आराम से करूँगा।
अब और वो बाजी की चूत में लण्ड डाल कर बाजी को बड़े आराम से चोदने लगा।
बाजी ने कहा- हाँ ज़ुबैर ऐसे ही..
वो बाजी को चोदने लगा.. तो मैंने अपना लण्ड बाजी के मुँह में डाल दिया और बाजी से कहा- चूसो..
बाजी लण्ड चूसने लगीं और साथ ही मजे में कराहने लगीं ‘आआहह.. आआहह.. उफ्फ़..’
बाजी ये सब इतने जोश में कर रही थीं कि कुछ ही मिनट बाद ही बाजी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और ज़ुबैर ने भी बाजी की चूत में ही अपनी छोड़ दिया।
वो बाजी की टांगों में ही गिर गया.. तो बाजी ने कहा- वसीम अब बस करें.. टाइम काफ़ी हो गया है।
तो मैंने कहा- बाजी यार एक दफ़ा बस वो काम कर लें जहाँ शीशे के आगे जा कर कभी हम लण्ड चूत में डाले बिना ही करते थे और ऐसे लगता था कि लण्ड अन्दर है। पर आज अन्दर डाल कर करेंगे.. फिर उसके बाद आप चली जाना।
बाजी ने कहा- ठीक है चलो।
मैंने शीशे के आगे जा कर बाजी को घोड़ी बना कर बाजी की चूत में लण्ड डाला और बाजी को धक्के लगाने लगा और शीशे में देखने लगा। बिल्कुल फिल्म की तरह लगता था.. पूरा लण्ड अन्दर-बाहर हो रहा था।
मैंने बाजी से कहा- बाजी देखो तो सही, क्या मस्त सीन लग रहा है।
बाजी ने अपना मुँह शीशे की तरफ करके देखा तो कहने लगीं- आह्ह.. हाँ वसीम बिल्कुल फिल्म लग रही है.. तुम एक मिनट धक्के लगाना रोको..
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rangila
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Re: प्यासी जिंदगी

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मैं रुक गया.. तो बाजी ने खुद अपनी गांड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया।
कोई 5 मिनट ऐसे करने के बाद मैंने बाजी से कहा- चलो बाजी अब आप चली जाओ..
बाजी ने कहा- अब गरम करके ऐसे ही भेजोगे क्या?
बाजी से मैंने कहा- लो अभी ठंडा कर देता हूँ।
मैंने बाजी की कमर को पकड़ा और धक्के लगाने लगा। बाजी की सिसकारियाँ निकलीं- आहह.. आआहह.. वसीम थोड़ा सा ज़ोर से लगाना.. आआहह.. मैं झड़ने वाली हूँ आआहह..
तब मैंने कहा- बाजी बस समझो मैं भी गया।
मैंने अपने पूरे ज़ोर से बाजी को तीन-चार धक्के मारे और बाजी की चूत में झड़ने लगा। मेरे मुँह से तेज आवाज़ निकली ‘आआअहह..’ और मेरा पानी बाजी की चूत में गिरने लगा।
पानी के गिरते ही बाजी ने भी मादक आवाज खारिज की- आह्ह.. वसीम मैं भी गई..
बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया और हम ज़मीन पर गिर गए।
मैं इसी तरह 5 मिनट बाजी के ऊपर पड़ा रहा।
फिर बाजी ने मुझसे कहा- उठो अब.. मैं जाऊँ।
उन्होंने उठ कर अपने कपड़े पहने.. मुझे भी पहनाए और नीचे चली गईं।
मैंने भी कमरे को बंद किया और बिस्तर पर देखा तो ज़ुबैर वहीं पड़ा हुआ सो चुका था। मैं भी बिस्तर पर गिरते ही सो गया।
सुबह आँख खुली तो कॉलेज जाने का टाइम हो रहा था।
मैं फ्रेश होकर नीचे गया तो ज़ुबैर और बाजी नाश्ता कर रहे थे। मैंने भी उनके साथ बैठ के नाश्ता किया और अपने कॉलेज के लिए निकल गया।
जल्दी में होने की वजह से बाजी से कोई बात नहीं हो सकी.. बाजी भी यूनिवर्सिटी चली गईं।
वापसी पर मुझे दुकान पर भी जाना था इसलिए दिल को तसल्ली दे कर आराम से बैठा दिया कि जो भी होगा.. अब रात को ही होगा।
सारा दिन कॉलेज की पढ़ाई और दुकान के काम में निकाला और रात को 8 बजे घर पहुँचा तो सब अपने-अपने कामों में मगन थे।
मैं कमरे में गया और नहा कर नीचे आ कर टीवी देखने लगा।
कुछ देर बाद ही अब्बू भी आ गए और सीधा अपने कमरे में चले गए।
ज़ुबैर और हनी भी मेरे पास आकर टीवी देखने लग गए।
बाजी को हमारे कमरे में सोने की इजाजत
मैं बाजी का वेट कर रहा था.. पर वो अभी भी किचन के काम में ही लगी हुईं थीं। इसी के साथ मैं यह सोच रहा था कि ऐसा कौन सा बहाना बनाऊँ कि बाजी को रात को ऊपर रहने की इजाज़त मिल जाए।
मैं अभी सोच ही रहा था कि पापा अपने कमरे से निकले और सीधा मेरे पास आकर बैठ गए।
मैंने सलाम किया और कुछ देर दुकान की बातें करता रहा..
फिर मैंने ज़ुबैर की पढ़ाई की बात छेड़ी कि इसे एक्स्ट्रा टाइम की ज़रूरत है।
पहले तो अब्बू चुप रहे फिर वही बोले जो मैं चाहता था।
अब्बू ने ज़ुबैर से पूछा कि क्या ऐसी बात है.. तो उसने एक नज़र गुस्से से मुझे देखा और फिर ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
उसके बाद पापा ने सेम वैसे ही किया.. जो मैंने सोचा था।
अब्बू ने बाजी को आवाज़ दी और बाहर बुला कर कहा- अब से तुम रात को ज़ुबैर को पढ़ाया करोगी.. जितनी देर इसका काम कवर नहीं हो जाता और ये रात को तुम्हारे पास ही सोएगा।
अब्बू के मुँह से यह सुनते ही मैंने सोचा कि यह तो काम खराब हो गया है.. पर मैंने अब्बू से कहा- ऐसे तो ये हनी को तंग करेगा.. मैं भी तो रात को पढ़ता हूँ.. आप बाजी को इजाज़त दे दो कि ऊपर जा कर पढ़ा दिया करेंगी और वहीं सो जाया करेंगी.. इससे मेरी भी पढ़ाई में हेल्प हो जाया करेगी।
तो अब्बू बोले- हाँ ये भी ठीक है.. आज से तुम ऊपर एक कमरे में सोया करना और इसका काम ध्यान से कवर करवाओ।
यह सुनते ही मैं खुशी से दिल ही दिल में उछल पड़ा और बाजी को आँख मारी.. तो बाजी ने मुझे गुस्से से आँखें निकाल कर देखा और किचन में चली गईं।
अब मुझे दूसरा काम जो करना था कि हनी को भी अपने साथ मिलाना था।
मैं इस तरकीब में लग गया कि हनी को किस तरह गर्म करूँ.. एक बार वो गर्म हो जाए.. तो उसको शीशे में उतारना आसान हो सकता है।
अभी मैं यही सोच रहा था कि हनी ने मुझसे पूछा- भाईजान मुझे आपके कंप्यूटर पर शाम को दस मिनट का काम करना है.. क्या मैं कर सकती हूँ?
मैंने जवाब दिया- हाँ कर लेना, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
उसके इस सवाल ने मेरे दिमाग की बत्ती जला दी। मैं अपने कमरे में गया और कम्प्यूटर पर एक ट्रिपल एक्स मूवी लगा आया और एक बुक ले कर नीचे आ गया।
मुझे हनी की चूत बेसब्र किए थी।
नीचे सोफे पर बैठ कर मैंने हनी को कहा- मैं ऊपर टेबल पर अपना एक पैकेट भूल आया हूँ.. जब तुम अपना काम करने जाओ तो लेती आना।
‘जी.. भाई जान..’
यह मैं रिस्की काम करने जा रहा था.. पर मुझे शक था कि हनी भी सेक्स के बारे में अब ये सब जानती है और उसकी भी इन सब में रूचि है।
मैंने हनी को ऊपर भेजा था, उसको कम्प्यूटर पर अपना काम करना था।
वही हुआ.. हनी मेरा सामान ले कर जल्दी नीचे नहीं आई.. अपना काम वहीं बैठ कर मूवी देखने लग गई।
मैंने दस मिनट निकाले और किचन में गया और बाजी को कहा- बाजी 5 मिनट बाद ऊपर आना आपसे जरूरी काम है।
मैं सीधा सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर चला गया। कमरे का दरवाज़ा खुला था। मैं दबे पाँव अन्दर कदम रखा और आराम से अन्दर दाखिल हुआ।
हनी चेयर पर बैठी मूवी देख रही थी और उसका एक हाथ उसकी चूत पर था।
वो एकदम हैरान हो कर ये सब देख रही थी।
मैं ऐसे ही उसके करीब जाने लगा।
मैं उससे चंद कदम पीछे ही था कि उसने मुझे देखा और चेयर से उठ गई।
मैंने एक्टिंग करते हुए गुस्से से उसकी तरफ देखा और कहा- ये तुम क्या कर रही थी.. मैंने तुम्हें कुछ लेने भेजा था।
घबराहट की वजह से हनी के मुँह से चाहते हुए भी कुछ नहीं निकल सका।
मैंने उसे डांटा- तुम्हें शर्म नहीं आती।
तो वो बोली- भाई ये पहले से चल रही थी.. आप प्लीज़ किसी को मत बताना।
मैंने उससे कहा- तुम्हारी शिकायत तो करनी ही पड़ेगी अब्बू से..
वो घिघियाते हुए बोली- भाई प्लीज़ कसम से.. ये पहले से चल रही थी.. आप प्लीज़ किसी को मत बताना।
मैंने उससे कहा- एक शर्त पर नहीं बताऊँगा।
तो बोली- कैसी शर्त?
मैंने उससे कहा- तुम अभी बैठ कर ये मूवी मेरे सामने देखो।
वो बोली- नहीं भाई यह गलत है.. मुझे ये सब नहीं करना।
तो मैंने कहा- ओके.. तो मैं अब्बू को बता देता हूँ।
वो रोने लग गई- प्लीज़ मत बताना भाई.. मुझे मार पड़ेगी प्लीज़ भाई।
मैंने कहा- फिर मेरे सामने बैठ कर मूवी देखो।
तो वो रोते हुए बोली- ओके देखती हूँ।
अब वो वापिस चेयर पर बैठ के मूवी देखने लगी।
मैं भी उसके पास ही चेयर पर बैठ गया और उससे पूछा- पहले कभी देखी है?
तो उसने कहा- नहीं बस दोस्तों से सुना है कि ऐसे लड़का और लड़की करते हैं।
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