Incest मैं अपने परिवार का दीवाना
- Rohit Kapoor
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना
आप को और आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी व स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाए...
Read my all stories
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
- VKG
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- rangila
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना
40
दिलीप- अबे कौन है
[अखिल मेरे पास आके]
अखिल- किसी मादर्चोद ने अपने फोन में डोरबेल की रिंगटोन सेट की है
दिलीप- वो गया
अखिल- हां
दिलीप- अबे तो चल ना
[हम लोग शीतल के घर से अपने घर आ गये]
दिलीप- अच्छा ठीक है तो मैं चलता हूँ
अखिल- तू सच में जा रहा है
दिलीप- हाँ
अखिल- कितनी अजीब बात है हमारी दोस्ती को 24 घंटे ही हुए हैं पर अब तू जा रहा है अपुन का एकलौता दोस्त
दिलीप- ज़्यादा सेंटी मत हो और जान का ख्याल रखना
अखिल- कौन जान
दिलीप- अरषि
[यह कहते हुए मैने अखिल को आँख मार दी]
अखिल- ठीक है
[मैं अखिल के पास गया और उसके कान में कुछ कहा]
अब तू जा अपनी जान के पास मैं थोड़ी देर में जाउन्गा
अखिल चला गया
मैने वहाँ से सारा समान लपेटा और एक जगह बिल्डिंग बन रही थी वहाँ पे गड्ढा खोद के गाढ दिया कुछ समान मैने रख लिया और अपना पहले वाला कपड़ा पहेन लिया फिर वहाँ से 1 घंटा चलता रहा एक टॅक्सी में बैठ गया
1 घंटे बाद 1 एम मैं पहुँचा छोटे मामा के घर के बाहर मैने सेक्यूरिटी को जगाया
सेक्यूरिटी- छोटे मालिक आप कहाँ थे सुबह से
मालिक ने आपको ढूँढने के लिए पोलीस को बुलाया था मैं अभी जाके मालिक को बताता हूँ
दिलीप- [एक तो जब भी कहीं जाओ सब छोटे मालिक ही कहेंगे]
उसकी कोई ज़रूरत नही है मैं खुद जा रहा हूँ तुम सो जाओ
[मैने यह बात सेक्यूरिटी को घूर के कहा]
और अंदर गया
हॉल में कोई नही था अभी कौन होगा सब अपने अपने रूम में होंगे
मैं सीधी से उपर आते हुए वँया की रूम की तरफ जाने लगा
मैने गेट नॉक किया
वँया ने गेट नही खोला
मैं अपनी जेब से मास्टर की निकाली
और गेट खोलके अंदर गया
वँया के रूम में लाइट ऑन थी
वँया को अंधेरे में नींद नही आती
मैं वँया के चेहरे को गौर से देखा
वँया आँखें रोके सूज गयी थी
एक तरफ मुझे इस बात का दुख था
कि मैं मेघा दी का बदला नही ले पाया
और दूसरा दुख मेरे 1 दिन ना रहने से वँया की यह हालत हो गई
मैने वँया का सर अपनी गोद में रखके बैठ गया
पता नही कब नींद आ गई
जब मैं उठा तो देखा वँया अभी भी मेरे गोद में सोई हुई है
मैं वँया का सर आहिस्ता से तकिया पर रख ही रहा था
कि वँया की आँख खुल गयी
वँया चीखते हुए मेरे गले लग गयी
और मेरे चेहरे को चूमने लगी
दिलीप- अरे बस बस क्या कर रही हो
[मैं इतना ही बोला था कि वँया ने एक साथ 4 थप्पड़ मेरे 2नो गालो पे जड़ दिए और मेरे गले लग्के रोने लगी]
थप्पड़ मुझपे पड़े और रो तुम रही हो
वँया- तुमने ऐसा किया ही क्यूँ कहाँ थे सुबह से पता है सब कितने परेशान थे
दिलीप- सुबह में टहलने गया था
थोड़ी देर पार्क में बैठ गया बैठते हुए मुझे नींद आ गई
[मैने अपने हिसाब से जो कहानी सोची थी वही वँया को बता दी]
वँया- तुम यही पे बैठो मैं सब को बुलाती हूँ
दिलीप- क्यो तुम भी सुबह सुबह सब की नींद खराब कर रही हो
वँया- कोई नींद नही खराब होगी
दिलीप- वँया यह कहके बाहर चली गयी
मैं जल्दी से बाथरूम भागा और हल्का हुआ
मैं बाथरूम से निकलके बेड पे बैठ गया
और सोचने लगा कि 5 बहनो की हिसाब से कितने थप्पड़ पड़ेंगे
उपर से सी मामा की डाँट और कोटि मामी की गालियाँ....
दिलीप- अबे कौन है
[अखिल मेरे पास आके]
अखिल- किसी मादर्चोद ने अपने फोन में डोरबेल की रिंगटोन सेट की है
दिलीप- वो गया
अखिल- हां
दिलीप- अबे तो चल ना
[हम लोग शीतल के घर से अपने घर आ गये]
दिलीप- अच्छा ठीक है तो मैं चलता हूँ
अखिल- तू सच में जा रहा है
दिलीप- हाँ
अखिल- कितनी अजीब बात है हमारी दोस्ती को 24 घंटे ही हुए हैं पर अब तू जा रहा है अपुन का एकलौता दोस्त
दिलीप- ज़्यादा सेंटी मत हो और जान का ख्याल रखना
अखिल- कौन जान
दिलीप- अरषि
[यह कहते हुए मैने अखिल को आँख मार दी]
अखिल- ठीक है
[मैं अखिल के पास गया और उसके कान में कुछ कहा]
अब तू जा अपनी जान के पास मैं थोड़ी देर में जाउन्गा
अखिल चला गया
मैने वहाँ से सारा समान लपेटा और एक जगह बिल्डिंग बन रही थी वहाँ पे गड्ढा खोद के गाढ दिया कुछ समान मैने रख लिया और अपना पहले वाला कपड़ा पहेन लिया फिर वहाँ से 1 घंटा चलता रहा एक टॅक्सी में बैठ गया
1 घंटे बाद 1 एम मैं पहुँचा छोटे मामा के घर के बाहर मैने सेक्यूरिटी को जगाया
सेक्यूरिटी- छोटे मालिक आप कहाँ थे सुबह से
मालिक ने आपको ढूँढने के लिए पोलीस को बुलाया था मैं अभी जाके मालिक को बताता हूँ
दिलीप- [एक तो जब भी कहीं जाओ सब छोटे मालिक ही कहेंगे]
उसकी कोई ज़रूरत नही है मैं खुद जा रहा हूँ तुम सो जाओ
[मैने यह बात सेक्यूरिटी को घूर के कहा]
और अंदर गया
हॉल में कोई नही था अभी कौन होगा सब अपने अपने रूम में होंगे
मैं सीधी से उपर आते हुए वँया की रूम की तरफ जाने लगा
मैने गेट नॉक किया
वँया ने गेट नही खोला
मैं अपनी जेब से मास्टर की निकाली
और गेट खोलके अंदर गया
वँया के रूम में लाइट ऑन थी
वँया को अंधेरे में नींद नही आती
मैं वँया के चेहरे को गौर से देखा
वँया आँखें रोके सूज गयी थी
एक तरफ मुझे इस बात का दुख था
कि मैं मेघा दी का बदला नही ले पाया
और दूसरा दुख मेरे 1 दिन ना रहने से वँया की यह हालत हो गई
मैने वँया का सर अपनी गोद में रखके बैठ गया
पता नही कब नींद आ गई
जब मैं उठा तो देखा वँया अभी भी मेरे गोद में सोई हुई है
मैं वँया का सर आहिस्ता से तकिया पर रख ही रहा था
कि वँया की आँख खुल गयी
वँया चीखते हुए मेरे गले लग गयी
और मेरे चेहरे को चूमने लगी
दिलीप- अरे बस बस क्या कर रही हो
[मैं इतना ही बोला था कि वँया ने एक साथ 4 थप्पड़ मेरे 2नो गालो पे जड़ दिए और मेरे गले लग्के रोने लगी]
थप्पड़ मुझपे पड़े और रो तुम रही हो
वँया- तुमने ऐसा किया ही क्यूँ कहाँ थे सुबह से पता है सब कितने परेशान थे
दिलीप- सुबह में टहलने गया था
थोड़ी देर पार्क में बैठ गया बैठते हुए मुझे नींद आ गई
[मैने अपने हिसाब से जो कहानी सोची थी वही वँया को बता दी]
वँया- तुम यही पे बैठो मैं सब को बुलाती हूँ
दिलीप- क्यो तुम भी सुबह सुबह सब की नींद खराब कर रही हो
वँया- कोई नींद नही खराब होगी
दिलीप- वँया यह कहके बाहर चली गयी
मैं जल्दी से बाथरूम भागा और हल्का हुआ
मैं बाथरूम से निकलके बेड पे बैठ गया
और सोचने लगा कि 5 बहनो की हिसाब से कितने थप्पड़ पड़ेंगे
उपर से सी मामा की डाँट और कोटि मामी की गालियाँ....
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- rangila
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना
41
एक एक करके सब बहने रोते हुए मेरे गले लग गयी
अरुणा- भैया कैसा है तू कहाँ चला गया था
विद्या- हाँ बोल ना कहाँ था तू
दिलीप- [मैने वही स्टोरी सब को बता दी]
अरुणा- मैं तेरे लिए परान्ठे बनाती हूँ
[अरुणा दी रूम से बाहर चली गयी]
अवन्तिका दी आप को क्या हुआ
अवन्तिका- कुछ नही
दिलीप- नही कुछ तो हुआ है और मेघा दी कहाँ हैं
विद्या- वो अपने रूम में है
[अभी हम बात ही कर रहे थे कि सी मामी सी मामा आ गये]
छोटे मामा- दिलीप कहाँ थे तुम कल सुबह से
[विद्या दी ने मामा को सब बताया]
छोटे मामा- अब तुम आराम करो
दिलीप- ममाजी अपने पोलीस कंप्लेंट किया था क्या
छोटे मामा- हां हम अभी आइजी को फोन कर्देते है
[यह कहके छोटे मामा चले गये]
छोटी मामी- तुम सब जाके फ्रेश हो जाओ
[विद्या दी सब को लेके चली गयी]
[मैं खड़ा छोटी मामी को देख रहा था कि छोटी मामी ने मुझपे थप्पड़ की बारिश करदी]
छोटी मामी- क्यूँ हमारी खुशियों को आग लगाने चला आता है क्या बिगाड़ा है मैने तेरा
दिलीप- लेकिन मैने किया क्या
छोटी मामी- क्या किया है यह तू जाके अपनी बूढ़ी नानी से पूछ
दिलीप- ममििइ आप को मुझे कुछ भी कहना है कह लीजिए
पर अगर आपने मेरी बड़ी नानी के बारे में कुछ ग़लत कहा
तो मेरे गुस्से से आपको ममाजी भी नही बचा पाएँगे
[मेरी यह बात सुनके छोटी पैर पटकते हुए रूम से बाहर चली गयी]
मैं वहाँ से अपने रूम में गया नहाया धोया कपड़े पहेन कर मेघा दी के रूम की तरफ जाने लगा
मैने गेट नॉक किया
10 मिनिट तक गेट नॉक करता रहा
फिर मैने मास्टर की से गेट खोला और जैसे अंदर देखा तो मेरी आँखों से आँसू बहने लगे
मेघा दी कहते हुए मैं उनके पास बैठ गया मेघा दी ने ब्लेड से अपनी कलाई काट ली थी
मैने जल्दी से मेघा दी का दुपट्टा उठाया और ज़ोर से कलाई पे बाँध दिया
[मेरी चीख सुनके सब उपर आने लगे]
सबसे पहले विद्या दी और अरुणा दी मेरे पास आई
विद्या- दिलीप क्या हुआ मेघा को दिलीप
अरुणा जल्दी से डॉक्टर को फोन करो
अरुणा दी डॉक्टर फोन करने लगी
तभी अवन्तिका दी और सुनीता दी अंदर आई
सुनीता दी तो बेहोश ही हो गयी
अवन्तिका दी भाग के नीचे गयी
नीचे छोटी मामी किचन में थी
मम्मी मेघा ने अपनी कलाई काट ली है
छोटे मामा रूम से बाहर निकले
छोटे मामा छोटी मामी दौड़े मेघा दी के रूम की तरफ
रूम में पहुँचते ही छोटी मामी ने मुझे धक्का दे दिया
छोटे मामा छोटी मामी मेघा दी को पकड़ के रोने लगे
छोटी मामी- और बुलाए अपने भानजे को
इसी की नज़र लग गयी हमारे घर को
जब भी यह हमारी जिंदगी में आता है ज़हेर घोल देता है
[छोटी मामी उठके मेरे पास आई और मुझे मारने लगी]
बता क्या हुआ मेरी बेटी को
विद्या- चाची छोड़िए दिलीप को यह आप क्या कर रही हैं
छोटी मामी- तू तो चुप ही रह
यह सब इसी की वजह से हुआ है
बता क्या किया तूने मेरी बेटी के साथ
अरुणा दी डॉक्टर को लेके रूम में आई
डॉक्टर ने जल्दी से मेघा दी के हाथ पे बॅंडेज लगाया
और एक इंजेक्षन दिया
डॉक्टर- आपने बहुत अच्छा किया जो दुपट्टा बाँध दिया
वरना कुछ भी हो सकता था
बच्ची अब ख़तरे से बाहर है
ठीक है अब मैं चलता हूँ
दिलीप- मैने बेड पे मोबाइल के नीचे 1 काग़ज़ देखा
मैने वो काग़ज़ उठा लिया उसमें मेघा दी ने लिखा था
भैया तुम यह मत सोचना कि मैने तुम्हारी कसम तोड़ दी है
और मुझे माफ़ करदेना मैने मेघा दी का मोबाइल उठाया
और जैसे ही ऑन किया
मेघा दी की नंगी तस्वीर किसी ने प्राइवेट नंबर से सेंड की थी
मैं ज़ोर से चिल्लाया मदन.....
एक एक करके सब बहने रोते हुए मेरे गले लग गयी
अरुणा- भैया कैसा है तू कहाँ चला गया था
विद्या- हाँ बोल ना कहाँ था तू
दिलीप- [मैने वही स्टोरी सब को बता दी]
अरुणा- मैं तेरे लिए परान्ठे बनाती हूँ
[अरुणा दी रूम से बाहर चली गयी]
अवन्तिका दी आप को क्या हुआ
अवन्तिका- कुछ नही
दिलीप- नही कुछ तो हुआ है और मेघा दी कहाँ हैं
विद्या- वो अपने रूम में है
[अभी हम बात ही कर रहे थे कि सी मामी सी मामा आ गये]
छोटे मामा- दिलीप कहाँ थे तुम कल सुबह से
[विद्या दी ने मामा को सब बताया]
छोटे मामा- अब तुम आराम करो
दिलीप- ममाजी अपने पोलीस कंप्लेंट किया था क्या
छोटे मामा- हां हम अभी आइजी को फोन कर्देते है
[यह कहके छोटे मामा चले गये]
छोटी मामी- तुम सब जाके फ्रेश हो जाओ
[विद्या दी सब को लेके चली गयी]
[मैं खड़ा छोटी मामी को देख रहा था कि छोटी मामी ने मुझपे थप्पड़ की बारिश करदी]
छोटी मामी- क्यूँ हमारी खुशियों को आग लगाने चला आता है क्या बिगाड़ा है मैने तेरा
दिलीप- लेकिन मैने किया क्या
छोटी मामी- क्या किया है यह तू जाके अपनी बूढ़ी नानी से पूछ
दिलीप- ममििइ आप को मुझे कुछ भी कहना है कह लीजिए
पर अगर आपने मेरी बड़ी नानी के बारे में कुछ ग़लत कहा
तो मेरे गुस्से से आपको ममाजी भी नही बचा पाएँगे
[मेरी यह बात सुनके छोटी पैर पटकते हुए रूम से बाहर चली गयी]
मैं वहाँ से अपने रूम में गया नहाया धोया कपड़े पहेन कर मेघा दी के रूम की तरफ जाने लगा
मैने गेट नॉक किया
10 मिनिट तक गेट नॉक करता रहा
फिर मैने मास्टर की से गेट खोला और जैसे अंदर देखा तो मेरी आँखों से आँसू बहने लगे
मेघा दी कहते हुए मैं उनके पास बैठ गया मेघा दी ने ब्लेड से अपनी कलाई काट ली थी
मैने जल्दी से मेघा दी का दुपट्टा उठाया और ज़ोर से कलाई पे बाँध दिया
[मेरी चीख सुनके सब उपर आने लगे]
सबसे पहले विद्या दी और अरुणा दी मेरे पास आई
विद्या- दिलीप क्या हुआ मेघा को दिलीप
अरुणा जल्दी से डॉक्टर को फोन करो
अरुणा दी डॉक्टर फोन करने लगी
तभी अवन्तिका दी और सुनीता दी अंदर आई
सुनीता दी तो बेहोश ही हो गयी
अवन्तिका दी भाग के नीचे गयी
नीचे छोटी मामी किचन में थी
मम्मी मेघा ने अपनी कलाई काट ली है
छोटे मामा रूम से बाहर निकले
छोटे मामा छोटी मामी दौड़े मेघा दी के रूम की तरफ
रूम में पहुँचते ही छोटी मामी ने मुझे धक्का दे दिया
छोटे मामा छोटी मामी मेघा दी को पकड़ के रोने लगे
छोटी मामी- और बुलाए अपने भानजे को
इसी की नज़र लग गयी हमारे घर को
जब भी यह हमारी जिंदगी में आता है ज़हेर घोल देता है
[छोटी मामी उठके मेरे पास आई और मुझे मारने लगी]
बता क्या हुआ मेरी बेटी को
विद्या- चाची छोड़िए दिलीप को यह आप क्या कर रही हैं
छोटी मामी- तू तो चुप ही रह
यह सब इसी की वजह से हुआ है
बता क्या किया तूने मेरी बेटी के साथ
अरुणा दी डॉक्टर को लेके रूम में आई
डॉक्टर ने जल्दी से मेघा दी के हाथ पे बॅंडेज लगाया
और एक इंजेक्षन दिया
डॉक्टर- आपने बहुत अच्छा किया जो दुपट्टा बाँध दिया
वरना कुछ भी हो सकता था
बच्ची अब ख़तरे से बाहर है
ठीक है अब मैं चलता हूँ
दिलीप- मैने बेड पे मोबाइल के नीचे 1 काग़ज़ देखा
मैने वो काग़ज़ उठा लिया उसमें मेघा दी ने लिखा था
भैया तुम यह मत सोचना कि मैने तुम्हारी कसम तोड़ दी है
और मुझे माफ़ करदेना मैने मेघा दी का मोबाइल उठाया
और जैसे ही ऑन किया
मेघा दी की नंगी तस्वीर किसी ने प्राइवेट नंबर से सेंड की थी
मैं ज़ोर से चिल्लाया मदन.....
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )