Incest मैं अपने परिवार का दीवाना
- rangila
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना
thanks
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- rangila
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना
अपडेट 52
दिलीप- चलो और बहने है पहले उनको मनाता हूँ
मैं विद्या दी के रूम पहुँचा
तो देखा विद्या दी और अरुणा दी बाते कर रहे थे
मैं गेट पे ही खड़ा रहा
अरुणा दी ने मुझे देखा
और मेरे पास आई
अरुणा- बाहर क्यूँ खड़ा अंदर आना
[अरुणा दी मेरा हाथ पकड़ के अंदर ले गयी और बेड पे बैठा दिया]
दिलीप- मुझे लगा आप सब मुझसे नाराज़ होंगी
विद्या- हम क्यूँ नाराज़ होंगे तुझसे
पापा ने हमें बता दिया है कि तूने कुछ ग़लत नही किया है
दिलीप- मैं अवन्तिका दी से मिलके आउ
अरुणा- तू हमारे पास बैठता क्यूँ नही है
दिलीप- अभी सोया हुआ हूँ
क्या
अरुणा- वेरी फन्नी
[मैं जैसे ही उठ रहा था कि विद्या दी ने मेरा सर अपनी गोद में रख लिया
और मेरे सर में उंगलिया फिराने लगी]
अरुणा- दी दिलीप को मुझे दीजिए ना
विद्या- अरे यह क्या बच्चा है कि तुझे दे दूं
कितना थका हुआ है सोने दे
अरुणा- तो मैं क्या करूँ
विद्या- पैर दबा
दिलीप- यह आप क्या कह रही हैं
अरुणा- तू चुप रह वरना दाँत तोड़ दूँगी
दिलीप- मैने जल्दी से आँखें बंद करली
[मुझे विद्या दी की गोद में इतना सुकून मिल रहा था कि
तभी मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे कानो में आके ढोल पीट रहा है]
विद्या- दिलीप बाबू पापा बुला रहे हैं
[बी मामा का नाम सुनके सारा सुकून भाग गया]
[मैं जल्दी से उठा और भागा भी मामा की तरफ]
दिलीप- जी मामा जी
बड़े मामा- जतिन तुम्हे बुला रहा है
[मैं गया छोटे मामा के रूम पे गेट नॉक किया]
[ छोटी मामी ने गेट खोला]
छोटे मामा- अंदर आ जाओ
[मैं अंदर गया]
छोटे मामा- ज़्यादा दर्द तो नही हो रहा है
दिलीप- मैं ठीक हूँ
छोटे मामा- डॉक्टर रंजन कहाँ है उनकी पत्नी उनकेलिए परेशान हो रही हैं
दिलीप- कुछ दिन के लिए बाहर गये है एसपी सर ने भेजा है
मैं उनकी वाइफ से बात कर लेता हूँ
[ छोटी मामी ने मेरे सर पे हाथ फेरा
मैं रूम से बाहर आया
और अपने रूम में गया
और डॉक्टर को फोन लगाया
डॉक्टर को समझा दिया
कि क्या कहना है उसे अपनी फॅमिली से
और उसे अड्रेस भी सेंड कर दिया]
मैं गया डॉक्टर की बीबी के रूम
डॉक्टर की बीबी ने गेट खोला
दिलीप- अभी फोन आएगा डॉक्टर का बात कर लीजिएगा
[तभी रिंग बजने लगी
डॉक्टर की बीबी ने फोन उठाया और बात करने लगी
डॉक्टर की बीबी मुझे घूर रही थी]
मैं वहाँ से सीधा मेघा दी के रूम की तरफ गया
गेट खोलते ही मेघा दी मेरे गले लग्के रोने लगी
मैं उनको अंदर ले गया
अंदर सुनीता दी भी थी
दिलीप- मेरी प्यारी दी क्यूँ रो रही है
मेघा- मेरी वजह से तुझे इतनी तकलीफ़ हुई
मुझे माफ़ कर दे
दिलीप- तब आप मुझे दो थप्पड़ मारिए
मेघा- क्यूँ
दिलीप- क्यूंकी मैं आपका भाई हूँ
और बहेन की वजह से कभी भाई को तकलीफ़ नही होती
सुनीता दी क्या हुआ आप भी रो रही हैं
सुनीता- तू तो कभी मुझसे बात ही नही करता
हमेश मेघा से या वँया से बात करता रहता है
जैसे मैं तेरी कोई नही हूँ
मेघा- ऐसी कोई बात नही है यह तो मेरी वजह से रो रही है
जब भी मैं दुखी होती हूँ यह उदास हो जाती है
दिलीप-[मैं वहाँ से अवन्तिका दी के रूम गया]
अवनतिका दी ने गेट खोला
मैं अंदर गया
कहना तो नही चाहिए पर अवन्तिका दी की नज़र हमेशा मुझे अजीब ही लगती है]
अवन्तिका- तुझसे एक बात करनी है
दिलीप- जी कहिए
अवन्तिका- तुम्हारी कोई गिर्ल्फ्रेंड है
दिलीप- यह कैसा सवाल है
अवन्तिका- बताओ ना
दिलीप- नही है
अवन्तिका- मेरे बॉयफ्रेंड बनोगे
दिलीप- [यह सुनके मेरी जिंदगी के हर एक तार में करेंट दौड़ गया
यह तो एक ही झटका था
दूसरा झटका तो यह है कि अवन्तिका दी ने मुझे किस किया वो भी लिप्स पे
मुझे तो कुछ होश ही नही रहा
मैं बिना कुछ कहे अवन्तिका दी के रूम से बाहर आगया......
दिलीप- चलो और बहने है पहले उनको मनाता हूँ
मैं विद्या दी के रूम पहुँचा
तो देखा विद्या दी और अरुणा दी बाते कर रहे थे
मैं गेट पे ही खड़ा रहा
अरुणा दी ने मुझे देखा
और मेरे पास आई
अरुणा- बाहर क्यूँ खड़ा अंदर आना
[अरुणा दी मेरा हाथ पकड़ के अंदर ले गयी और बेड पे बैठा दिया]
दिलीप- मुझे लगा आप सब मुझसे नाराज़ होंगी
विद्या- हम क्यूँ नाराज़ होंगे तुझसे
पापा ने हमें बता दिया है कि तूने कुछ ग़लत नही किया है
दिलीप- मैं अवन्तिका दी से मिलके आउ
अरुणा- तू हमारे पास बैठता क्यूँ नही है
दिलीप- अभी सोया हुआ हूँ
क्या
अरुणा- वेरी फन्नी
[मैं जैसे ही उठ रहा था कि विद्या दी ने मेरा सर अपनी गोद में रख लिया
और मेरे सर में उंगलिया फिराने लगी]
अरुणा- दी दिलीप को मुझे दीजिए ना
विद्या- अरे यह क्या बच्चा है कि तुझे दे दूं
कितना थका हुआ है सोने दे
अरुणा- तो मैं क्या करूँ
विद्या- पैर दबा
दिलीप- यह आप क्या कह रही हैं
अरुणा- तू चुप रह वरना दाँत तोड़ दूँगी
दिलीप- मैने जल्दी से आँखें बंद करली
[मुझे विद्या दी की गोद में इतना सुकून मिल रहा था कि
तभी मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे कानो में आके ढोल पीट रहा है]
विद्या- दिलीप बाबू पापा बुला रहे हैं
[बी मामा का नाम सुनके सारा सुकून भाग गया]
[मैं जल्दी से उठा और भागा भी मामा की तरफ]
दिलीप- जी मामा जी
बड़े मामा- जतिन तुम्हे बुला रहा है
[मैं गया छोटे मामा के रूम पे गेट नॉक किया]
[ छोटी मामी ने गेट खोला]
छोटे मामा- अंदर आ जाओ
[मैं अंदर गया]
छोटे मामा- ज़्यादा दर्द तो नही हो रहा है
दिलीप- मैं ठीक हूँ
छोटे मामा- डॉक्टर रंजन कहाँ है उनकी पत्नी उनकेलिए परेशान हो रही हैं
दिलीप- कुछ दिन के लिए बाहर गये है एसपी सर ने भेजा है
मैं उनकी वाइफ से बात कर लेता हूँ
[ छोटी मामी ने मेरे सर पे हाथ फेरा
मैं रूम से बाहर आया
और अपने रूम में गया
और डॉक्टर को फोन लगाया
डॉक्टर को समझा दिया
कि क्या कहना है उसे अपनी फॅमिली से
और उसे अड्रेस भी सेंड कर दिया]
मैं गया डॉक्टर की बीबी के रूम
डॉक्टर की बीबी ने गेट खोला
दिलीप- अभी फोन आएगा डॉक्टर का बात कर लीजिएगा
[तभी रिंग बजने लगी
डॉक्टर की बीबी ने फोन उठाया और बात करने लगी
डॉक्टर की बीबी मुझे घूर रही थी]
मैं वहाँ से सीधा मेघा दी के रूम की तरफ गया
गेट खोलते ही मेघा दी मेरे गले लग्के रोने लगी
मैं उनको अंदर ले गया
अंदर सुनीता दी भी थी
दिलीप- मेरी प्यारी दी क्यूँ रो रही है
मेघा- मेरी वजह से तुझे इतनी तकलीफ़ हुई
मुझे माफ़ कर दे
दिलीप- तब आप मुझे दो थप्पड़ मारिए
मेघा- क्यूँ
दिलीप- क्यूंकी मैं आपका भाई हूँ
और बहेन की वजह से कभी भाई को तकलीफ़ नही होती
सुनीता दी क्या हुआ आप भी रो रही हैं
सुनीता- तू तो कभी मुझसे बात ही नही करता
हमेश मेघा से या वँया से बात करता रहता है
जैसे मैं तेरी कोई नही हूँ
मेघा- ऐसी कोई बात नही है यह तो मेरी वजह से रो रही है
जब भी मैं दुखी होती हूँ यह उदास हो जाती है
दिलीप-[मैं वहाँ से अवन्तिका दी के रूम गया]
अवनतिका दी ने गेट खोला
मैं अंदर गया
कहना तो नही चाहिए पर अवन्तिका दी की नज़र हमेशा मुझे अजीब ही लगती है]
अवन्तिका- तुझसे एक बात करनी है
दिलीप- जी कहिए
अवन्तिका- तुम्हारी कोई गिर्ल्फ्रेंड है
दिलीप- यह कैसा सवाल है
अवन्तिका- बताओ ना
दिलीप- नही है
अवन्तिका- मेरे बॉयफ्रेंड बनोगे
दिलीप- [यह सुनके मेरी जिंदगी के हर एक तार में करेंट दौड़ गया
यह तो एक ही झटका था
दूसरा झटका तो यह है कि अवन्तिका दी ने मुझे किस किया वो भी लिप्स पे
मुझे तो कुछ होश ही नही रहा
मैं बिना कुछ कहे अवन्तिका दी के रूम से बाहर आगया......
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना
अपडेट 53
मैं सीधा अपने रूम में गया
और बेड पे बैठ गया
थोड़ी देर बाद किसीने गेट नॉक किया
मैने गेट खोला
बड़ी नानी- क्या हुआ मेरे बेटे को
दिलीप- कुछ नही आइए अंदर
बड़ी नानी- पहले खाना खा ले
सारे बड़े खाना खा चुके है अब तुम बच्चे भी खा लो
दिलीप- गेस्ट सब
बड़े नानी- गेस्ट का खाना उनके रूम में पहुँचा दिया गया है
दिलीप- वो अखिल कल ही जाना चाहता है
अरषि कॉलेज भी जाती है
बड़ी नानी- ठीक है अब चल
[मैं वहाँ से सीधा डाइनिंग टेबल पे गया
सब बहनें खाना खा रही थी]
वँया कहाँ है
बड़ी नानी- उसकी तबीयत ठीक नही है
दिलीप- आप सब खाओ मेरे सर में दर्द है
[सब बहने उठ गयी और मेरा सर दबाने लगी]
अरे मैं ठीक हूँ थोड़ी देर आराम करूँगा फिर ठीक हो जौंगा
[यह कहके मैं अपने रूम में आगया]
2 घंटे बाद
मैं अपने रूम से किचन गया और खाना गरम किया
और वँया के रूम पहुँचा]
वँया मैने कल से कुछ नही खाया है
और अब खाउन्गा तो तुम्हारे हाथो से
प्लेट टेबल पे रख दिया आगे तुम्हारी मर्ज़ी
[मैं अपने रूम में आगया]
गेट खुला ही था
इंतेज़ार करते-2 नींद आ गई
तभी मुझे किसीने जगाया
मैं आँख खोल के देखा तो यह वँया थी
वँया- खाना ख़ालो
दिलीप- मैं उठके बैठ गया वँया मुझे अपने हाथ से खाना खिलाने लगी
[मेरी आँखो से आँसू बहने लगे]
वँया- क्या हुआ
दिलीप- आज तुम्हारी वजह से मेरे पास इतनी बहने हैं
और मैने तुम्हे थॅंक्स भी नही कहा
वँया- इसमे थॅंक्स कहने की क्या बात है
तुमने मेघा के लिए जो किया
दिलीप- वो मेरा फ़र्ज़ था
वँया- तो यह मेरा फ़र्ज़ था
दिलीप- [मैने भी वँया को अपने हाथ से खाना खिलाया
फिर वँया चली गयी
मैने गेट लॉक किया कपड़े बदल के सो गया
अगली सुबह
मैं उठा नहाया तय्यार हुआ
बाहर आया तो देखा सब जाने के लिए तय्यार है
मैं अखिल के पास गया]
अपना और भाभी का ख्याल रखना
अखिल- तू भी अपना ख्याल रखना
और भाभी अगर इसने आपको कभी परेशान किया
तो मुझे फोन करदेना
[आइजी आंड फॅमिली एसपी की फॅमिली अखिल अरषि और डॉक्टर की फॅमिली सब चले गये]
बड़ी नानी मैं गाओं घूम के आता हूँ
[फिर मैं बाइक पे बैठा और विनय के घर गया]
विनय मुझे देखते ही मेरे गले लग गया]
अरे बस हो गया
[मैं विनय के घर में गया
विनय की माँ ओर बहेन चूल्हेे के पास बैठी थी मैं उनको नमस्ते किया
विनय- चलो माँ हमे खेत भी जाना है
[विनय और उसकी माँ चले गये]
मैं विनय की माँ के पास गया
तो आपने जीजाजी को मना ही लिया
विनय की दीदी- हाँ पर आगे क्या करना है
मुझे तो लगा आप भूल गये
दिलीप- चिंता मत कीजिए 2 दिन बाद डॉक्टर के यहाँ जाएँगे
अब मैं चलता हूँ
फिर मैं वहाँ से सीधा बिम्ला के घर गया
मैने गेट नॉक किया
बिम्ला की बेटी ने गेट खोला और मुझे देखके डर गयी
कौन है
[अंदर से बिम्ला की आवाज़ आई]
दिलीप- मैं अंदर गया
बिंला- छोटे मालिक आप यहाँ बैठिए
तू खड़ी क्या देख रही है
जा स्कूल
[बिम्ला की बेटी तो वैसे भी डरी हुई थी बिम्ला के कहते ही वो बाहर निकल गयी]
बिम्ला- छोटे मालिक कुछ काम था क्या
दिलीप- क्यूँ ऐसे नही आसकता
बिम्ला- आप ही का घर है
कुछ लेंगे आप
दिलीप- दूध[मैं बिम्ला के दूध को घुरके कहा]
बिंला- अभी लाती हूँ
दिलीप- रहने दीजिए आप नही समझेंगी
पहले आप यह देखिए
[मैने अपना मोबाइल निकाला और वीडियो प्ले कर दिया
कहना तो नही चाहिए पर वीडियो देखके बिम्ला की फॅट गयी....
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना
अपडेट 54
दिलीप- कुछ कहना है
बिम्ला- यह कहाँ से मिला आपको
दिलीप- मैने खुद बनाया है
और जब भी देखता हूँ मज़ा आजाता है
[ऐसा लग रहा था कि बिम्ला कुछ सोच रही है]
आप सोच रही हैं कि मैं आपको ब्लॅकमेल करूँगा
बिम्ला- अगर ऐसा नही होता तो आप यह वीडियो कभी नही बनाते
दिलीप- सच में
[अच्छा यह लीजिए मैने वीडियो डेलीट कर दिया]
अब तो मैं आपको ब्लॅकमेल नही कर पाउगा
बिम्ला- हो सकता है आपके पास और भी हो
दिलीप- अच्छा है अभी तो मुझे सच जानना है
कि आपके घर में एक जवान बेटी है फिर भी आप यह सब कर रही हैं
बिम्ला- मेरा मरद 2 साल पहले मर गया वो एक नंबर का शराबी था
उसने सरपंच से 50000 रुपया उधर लिया था
सरपंच ने मुझे बोला कि या तो 50000 देदो या अपना खेत
अगर मैं खेत देदेति तो भूखी मर जाती
और नही मेरे पास 50000 था
सरपंच ने मुझे तीसरा रास्ता बताया जिससे मेरी उधारी भी माफ़ हो जाएगी और उसका भी काम हो जाएगा
दिलीप- मेरे माथे पे चूतिया लिखा हुआ है
यह चलुपन किसी और के साथ चल जाएगा मेरे साथ नही
सच बताती हो या सरपंच से जाके पुच्छू
बिम्ला- बात यह है कि
मैं यह सब अपनी मर्ज़ी से कर रही हूँ
मेरी कोई मजबूरी नही है
मेरे मरद के मरने के बाद मैं 1साल तक बर्दाश्त करती रही पर
दिलीप- सरपंच अभी भी आता है
बिम्ला- कहाँ जिस दिन से उसके
दिलीप- उसकी गान्ड पे मैने पत्थर मारा है
बिम्ला- आपने पत्थर मारा था
दिलीप- वैसे अभी तक आपने दूध नही पिलाया
[मेरा ध्यान खिड़की की तरफ गया
बिंला- पिलाऊं
[बिम्ला ने एक क़ातिल मुस्कान देते हुए कहा]
दिलीप- नही रहने दो
मुझे नही लगता आपके पास दूध होगा
[यह कहके मैं बाहर आया घर के पीछे गया और देखा बिम्ला की लड़की खिड़की से देख रही थी
मैं धीरे से गया और बिंला की लड़की की गान्ड पे एक थप्पड़ मारा
[बिम्ला की लड़की चीखने ही वाली थी कि मैं उसके मुँह पे हाथ रख दिया]
स्कूल जा हर वक़्त अपनी माँ की जासूसी करती है
उसके बाद मैं बाइक पे बैठा और घर की तरफ बाइक दौड़ा दिया
थोड़ी देर में पहुँचा हवेली
पूरी महिला मंडल हॉल में बैठके बाते कर रहे थे
[मैं भी साथ में बैठ गया यही मेरी सबसे बड़ी ग़लती थी]
विद्या- दिलीप कहाँ गया था
दिलीप- दोस्त से मिलने
अरुणा- तू तो हर वक़्त बाहर घूमता है
हमारे साथ बैठने में तुझे अच्छा नही लगता क्या
अवन्तिका- हाँ दी आज मैं इसको कहाँ कि हम बगीचे में घूमने जाएँगे
तो यह बोला कि नही मुझे आप सबके साथ बोर नही होना है
विद्या- हम तुझे बोर करते हैं
[पीछे से किसी ने मेरी गर्दन पकड़ के हिला दिया]
विद्या- कितना बेशरम है
झूठ ही बोल देता हमारा दिल रखने के लिए
[मैं पीछे मुड़ा तो देखा सुनीता दी हँस रही थी]
विद्या- अभी से कोई दिलीप से बात नही करेगा
[मैं बड़ी नानी की तरफ देखा]
बड़ी नानी- मुझे क्या देख रहा है तेरी बहने है तू ही मना
[बड़ी नानी और दोनो मामी वहाँ से उठके किचन में चली गयी]
दिलीप- मैं सोचने लगा एक तो यह दिमाग़ किसी की बजाना हो तो 4जी की स्पीड में दौड़ता है
और अब ज़रूरत है तो 2जी की स्पीड भी नही दे रहा है
मेघा- भैया दी मज़ाक कर रही है
अरुणा- तू थोड़ी देर चुप नही रह सकती थी
[यह सुनके मैं दूसरी तरफ मुँह फूला कर बैठ गया]
सब बहने हँसने लगी....
दिलीप- कुछ कहना है
बिम्ला- यह कहाँ से मिला आपको
दिलीप- मैने खुद बनाया है
और जब भी देखता हूँ मज़ा आजाता है
[ऐसा लग रहा था कि बिम्ला कुछ सोच रही है]
आप सोच रही हैं कि मैं आपको ब्लॅकमेल करूँगा
बिम्ला- अगर ऐसा नही होता तो आप यह वीडियो कभी नही बनाते
दिलीप- सच में
[अच्छा यह लीजिए मैने वीडियो डेलीट कर दिया]
अब तो मैं आपको ब्लॅकमेल नही कर पाउगा
बिम्ला- हो सकता है आपके पास और भी हो
दिलीप- अच्छा है अभी तो मुझे सच जानना है
कि आपके घर में एक जवान बेटी है फिर भी आप यह सब कर रही हैं
बिम्ला- मेरा मरद 2 साल पहले मर गया वो एक नंबर का शराबी था
उसने सरपंच से 50000 रुपया उधर लिया था
सरपंच ने मुझे बोला कि या तो 50000 देदो या अपना खेत
अगर मैं खेत देदेति तो भूखी मर जाती
और नही मेरे पास 50000 था
सरपंच ने मुझे तीसरा रास्ता बताया जिससे मेरी उधारी भी माफ़ हो जाएगी और उसका भी काम हो जाएगा
दिलीप- मेरे माथे पे चूतिया लिखा हुआ है
यह चलुपन किसी और के साथ चल जाएगा मेरे साथ नही
सच बताती हो या सरपंच से जाके पुच्छू
बिम्ला- बात यह है कि
मैं यह सब अपनी मर्ज़ी से कर रही हूँ
मेरी कोई मजबूरी नही है
मेरे मरद के मरने के बाद मैं 1साल तक बर्दाश्त करती रही पर
दिलीप- सरपंच अभी भी आता है
बिम्ला- कहाँ जिस दिन से उसके
दिलीप- उसकी गान्ड पे मैने पत्थर मारा है
बिम्ला- आपने पत्थर मारा था
दिलीप- वैसे अभी तक आपने दूध नही पिलाया
[मेरा ध्यान खिड़की की तरफ गया
बिंला- पिलाऊं
[बिम्ला ने एक क़ातिल मुस्कान देते हुए कहा]
दिलीप- नही रहने दो
मुझे नही लगता आपके पास दूध होगा
[यह कहके मैं बाहर आया घर के पीछे गया और देखा बिम्ला की लड़की खिड़की से देख रही थी
मैं धीरे से गया और बिंला की लड़की की गान्ड पे एक थप्पड़ मारा
[बिम्ला की लड़की चीखने ही वाली थी कि मैं उसके मुँह पे हाथ रख दिया]
स्कूल जा हर वक़्त अपनी माँ की जासूसी करती है
उसके बाद मैं बाइक पे बैठा और घर की तरफ बाइक दौड़ा दिया
थोड़ी देर में पहुँचा हवेली
पूरी महिला मंडल हॉल में बैठके बाते कर रहे थे
[मैं भी साथ में बैठ गया यही मेरी सबसे बड़ी ग़लती थी]
विद्या- दिलीप कहाँ गया था
दिलीप- दोस्त से मिलने
अरुणा- तू तो हर वक़्त बाहर घूमता है
हमारे साथ बैठने में तुझे अच्छा नही लगता क्या
अवन्तिका- हाँ दी आज मैं इसको कहाँ कि हम बगीचे में घूमने जाएँगे
तो यह बोला कि नही मुझे आप सबके साथ बोर नही होना है
विद्या- हम तुझे बोर करते हैं
[पीछे से किसी ने मेरी गर्दन पकड़ के हिला दिया]
विद्या- कितना बेशरम है
झूठ ही बोल देता हमारा दिल रखने के लिए
[मैं पीछे मुड़ा तो देखा सुनीता दी हँस रही थी]
विद्या- अभी से कोई दिलीप से बात नही करेगा
[मैं बड़ी नानी की तरफ देखा]
बड़ी नानी- मुझे क्या देख रहा है तेरी बहने है तू ही मना
[बड़ी नानी और दोनो मामी वहाँ से उठके किचन में चली गयी]
दिलीप- मैं सोचने लगा एक तो यह दिमाग़ किसी की बजाना हो तो 4जी की स्पीड में दौड़ता है
और अब ज़रूरत है तो 2जी की स्पीड भी नही दे रहा है
मेघा- भैया दी मज़ाक कर रही है
अरुणा- तू थोड़ी देर चुप नही रह सकती थी
[यह सुनके मैं दूसरी तरफ मुँह फूला कर बैठ गया]
सब बहने हँसने लगी....
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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