Incest मैं अपने परिवार का दीवाना

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rangila
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना

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अपडेट 22
दिलीप- काका आगे कोई ढाबा दिख रहा है
ड्राइवर काका- जी छोटे मालिक
मैं वँया को जगाने लगा
वँया- क्या है सोने भी नही देते
दिलीप- उठो तो
काका आप जाइए कुछ खाना है तो खा लीजिए
काका गाड़ी से बाहर चले गये
वँया- अब बोलो क्या है
दिलीप- चाइ पीयोगी
वँया- नही पीनी
दिलीप- सर दर्द कम हो जाएगा
वँया- नही
दिलीप- मान जाओ नही तो उठा के ले जाऊँगा
वँया- तुम और उठाके ले जाओगे पिताजी को अगर पता चला तो
दिलीप- शायद तुम भूल गयी मामा जी ने ही कहा था कि अपना और वँया का ख्याल रखना
वँया- चलो
हम एक टेबल पे बैठ गये
दिलीप- भैया दो चाइ देनामैने ढाबा वाले से कहा
वँया- तुमको याद है विद्या दीदी कैसी दिखती है
दिलीप- मुझे कैसे याद होगा विद्या को देखे हुवे 6 साल हो गये
वँया- तुम उन्हे दीदी क्यूँ नही कहते वो तुमसे 3 साल बड़ी है
दिलीप- तुम भी तो मुझसे 1 साल बड़ी हो तो क्या तुम्हे भी दीदी कहूँ
वँया- कह के तो दिखाओ दाँत तोड़ दूँगी
दिलीप- लो चाइ भी आ गई
हम दोनो ने चाइ पी और गाड़ी में बैठ गये
मैं अपने मोबाइल में सॉंग चालू करके सुनने लगा
मैं काका से पूछा और कितना टाइम लगेगा
ड्राइवर काका- 1 घंटा लगेगा छोटे मालिक
दिलीप- हम शहेर में दाखिल हो गये [बड़ी नानी मुझे हर साल दूसरे शहेर घूमने ले जाती थी
आज 1 साल बाद मैं छोटे मामा से मिलूँगा छोटे मामा 8साल पहले शहेर चले गये थे
लेकिन वो हर साल मुझसे और बड़ी नानी से मिलने आते हैं]
दिलीप- वँया तुम्हे पता है छोटे मामा शहेर क्यूँ चले गये
वँया- मुझे ठीक से याद नही है बाद में बताउन्गी
दिलीप- क्या हुआ काका गाड़ी क्यूँ रोक दी
ड्राइवर काका- बेटा आगे भीड़ लगी हुई है
दिलीप- हाँ तो देखिए ना किस बात की भीड़ है
ड्राइवर काका- अभी देखता हूँ [काका बाहर चले गये]
वँया- यह तो आम बात है जब भी मैं पिताजी के साथ आती हूँ शहेर यहाँ हमेशा कम से कम 1घंटा जाम ही लगा रहता है
ड्रायवर काका- छोटे मालिक कोई लड़की है जो बीच रास्ते पे पड़ी है
दिलीप- चलिए जाके देखते हैं
ड्राइवर काका- छोड़िए ना छोटे मालिक हमे क्या ज़रूरत है
दिलीप- [काका की बात सुनके गुस्सा बहुत आया] चलिए
[मैने काका को घूरते हुए कहा]
हम दोनो भीड़ में घुसते हुए आगे बढ़े
दिलीप- मैं काका को बोला क्या जमाना आ गया है
यहाँ पे कम से कम 500 लोग होंगे फिर भी इनमे से एक भी इस लड़की की मदद नही कर रहा है
लोग यह भूल जाते हैं कल कोई उनका अपना भी ऐसी हालत में हो सकता है काका ने अपनी गर्दन झुका ली
मैं उस लड़की के पास गया
तो देखा कि वो लड़की मेरे ही उमर की है चोट के निशान बहुत थे उसके जिस्म पर
उसके चेहरे पे लाल रंग लगा था इसी वजह से उसका चेहरा सॉफ नही दिख रहा था
मैने उसे अपनी गोद में उठा लिया और जाने लगा
तभी किसी की आवाज़ आई
अरे कहीं लड़की को किडनॅप ना करले पोलीस को फोन करो
दिलीप- कौन बोला कौन बोला
एक आदमी भीड़ से निकल के बिल्कुल मेरे सामने खड़ा हो गया
आदमी- मैं बोला
दिलीप- मैं अपनी लात पूरी ताक़त से उसके मैं पार्ट पे मार दी
वो वहीं पे गिर के दर्द से चिल्लाने लगा
तभी भीड़ के लोग मेरी तरफ बढ़ने लगे
दिलीप- रूको रूको वही पे भीड़ रुक गयी
जब यह लड़की यहाँ पे इतनी देर से पड़ी हुई थी
तो यह मादरचोद देखने नही आया कि यह लड़की जिंदा है कि मर गयी
जब मैं इसको अपने साथ ले जा रहा हूँ तो यह बोलता है कि पोलीस को फोन करो
मेरे आने से पहले इसने पोलीस को फोन क्यूँ नही किया मैं बताता हूँ
क्यूंकी यह अपनी माँ चोद रहा था
मैने एक और लात उसके पेट पे मारा
और वहाँ से आगे बढ़ गया
काका ने गाड़ी का गेट खोला
मैं उसे अपनी गोद में ही रखके बैठ गया
काका जल्दी चाचा जी के घर चलो
काका गाड़ी चलाने लगे
अब तुम्हे क्या हुवा
[मैं वँया से पूछा]
वँया- कुछ नही
दिलीप- 30 मिनिट बाद हम चाचा के घर पहुँचे
काका ने गेट खोला मैं बाहर उतरा और अंदर जाता उससे पहले ही सेक्यूरिटी ने मुझे रोक लिया
दिलीप- सामने से हटो
सेक्यूरिटी- पहले अपनी पहचान बताओ
दिलीप- वँया
वँया को देखते ही सेक्यूरिटी वाला साइड हो गया मैं जल्दी से अंदर गया
छोटी मामी और उनकी बेटियाँ सोफे पे बैठी बातें कर रही थी
सी मामी- कौन हो तुम और अंदर कैसे आए
दिलीप- मैने उस लड़की को ले जाके सोफे पे लिटा दिया
सी मामी- सेक्यूरिटी
[इसके आगे छोटी मामी कुछ बोल ही नही पाई]
वँया तुम यह तुम्हारे साथ है
वँया- चाची जी यह दिलीप है
[छोटी मामी मुझे घूर्ने लगी]
सी मामी- लेकिन यह लड़की कौन है
वँया- यह तो ड्राइवर काका को पता होगा
सी मामी- ड्राइवर कौन है यह लड़की
[फिर ड्राइवर काका ने सारी बात छोटी मामी को बताई गाली छोड़ के]
सी मामी- ठीक है तुम जाओ
[ड्राइवर से]
यह तुम्हारे बाप का घर नही है जो यहाँ किसी को भी उठा लाओ
अरुणा1- मम्मा आप किस भिकारी को समझा रही हैं
जिसे इतनी भी समझ नही है किसकी मदद करनी चाहिए और किसकी नही
अवन्तिका2- इसके लिए बड़ी दादी ने हम से रिश्ता नही रखा
दिलीप- आप सबको जितनी गाली देनी है बाद में दे देना पहले डॉक्टर को बुला दीजिए
[तभी छोटे मामा मैं गेट से अंदर आए
छोटे मामा- दिलीप तुम कब आए और यह लड़की कौन है
दिलीप- मैने छोटे मामा को सारी बात बताई
सी मामा- सविता जल्दी से डॉक्टर बुलाओ
दिलीप- [छोटी मामी ने इतनी जल्दी फोन लगाया कि मुझे हँसी आ गयी
मैं अपना रुमाल निकाला उसे मग में भिगोया और उस लड़की का चेहरा सॉफ किया
उस लड़की का चेहरा देखके सब की चीख निकल गयी
सब के मुँह से सिर्फ़ इतना ही निकला मेघा
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना

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अपडेट 23
दिलीप- मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी
क्यूंकी मेघा4 हूबहू सुनीता3 की तरह दिखती थी
सुनीता तो बेहोश ही होगयि
छोटे मामा मेघा का हाथ पकड़ के रोने लगे
सी मामा- बेटी क्या हुआ तुझे मेघा उठ ना बेटा
दिलीप- छोटी मामी भी मेघा के पास बैठ के रोने लगी
अरुणा और अवन्तिका जो अभी शेरनी बनी हुई थी वो भी रोने लगी]
मैं छोटे मामा के पास गया मामा जी संभालिए खुदको
छोटे मामा- कैसे संभालू खुदको मेरी फूल जैसी बच्ची के जिस्म पे ऐसे निशान
दिलीप- देखिए डॉक्टर साहब भी आ गये
छोटे मामा- डॉक्टर साहब मेरी बेटी को कुछ नही होना चाहिए आपको जो चाहिए मैं दूँगा
डॉक्टर- ठाकुर साहब सय्यम रखिए
दिलीप- [डॉक्टर मेघा को चेक करने लगा]
मैं वँया के पास गया
दिलीप- तुम कहाँ रोने लगी
[वँया मुझे घूर्ने लगी]
मेरा मतलब है कि तुम जाके मामी जी को सम्भालो ताकि वो अपनी बेटियो को संभाले
[वँया मामी जी के पास चली गयी]
मैं मामा जी के पास गया मामा जी मेरे गले लग्के रोने लगे
छोटे मामा- दिलीप मैं तुम्हारा एहसान कैसे चुकाउन्गा
दिलीप- मामा जी यह आप कैसी बात कर रहे हैं
वँया- चुप हो जाइए चाची आप ऐसे करेंगी तो अरुणा दीदी और अवन्तिका को कौन संभालेगा सुनीता भी बेहोश है
सी मामी- बेटी यह क्या हो गया सुबह मेघा अपने कॉलेज की तरफ से पिक्निक पे गयी थी
यह तो मान ही नही रहे थे मैने ही ज़िद की थी इनसे
डॉक्टर- ठाकुर साहब मैने इंजेक्षन दे दिया है सुनीता बेटी को भी थोड़ी देर में होश आ जाएगा
यह कुछ दवाई है मंगवा लीजिए मेघा बेटी को किसी बात का सदमा लगा है घबराने की बात नही है
सुबह तक होश आ जाएगा
दिलीप- डॉक्टर साहब वो चोट के निशान
डॉक्टर- वो तो जानबूझ के बनाए गये हैं बच्ची को कुछ भी नही हुआ है
[यह सुनके सी मामी अरुणा और अवन्तिका ने रोना बंद किया
वँया तो पहले ही चुप हो गयी थी]
छोटे मामा- थॅंक यू डॉक्टर साहब
डॉक्टर- अच्छा ठाकुर साहब अब अग्या दीजिए
दिलीप- [डॉक्टर साहब चले गये]
छोटे मामा- दिलीप अब तुम जाके आराम करो
अरुणा दिलीप को गेस्ट रूम में ले जाओ
अरुणा- जी पिताजी
दिलीप- मैं अपना समान लेके अरुणा के पीछे चलने लगा
अरुणा- यह है गेस्ट रूम
दिलीप- अरुणा आगे कुछ बोल पाती उससे पहले ही मैने रूम में जाके गेट अंदर से लॉक कर लिया
मैं जाके शवर के नीचे खड़ा हो गया [मैं बहुत देर से खुद को कंट्रोल किया हुआ था]
मेरी आँखो से आँसू बहने लगे बार बार मुझे याद आ रहा था कि यह घर तुम्हारे बाप का नही है
30 मिनिट तक शवर के नीचे खड़ा होके मैं रोता रहा
मैं बाथरूम से बाहर आया अपने कपड़े पहना और बेड पे लेट गया
मैने अपना मोबाइल में वाय्स रेकॉर्ड बंद किया
वाय्स रेकॉर्ड को 3 बार कॉपी किया
सोचा थोड़ा सो लेता हूँ मैं सो गया
मेरे कान में खट खाट की आवाज़ आने लगी
मैं उठा तो देखा मुझे सोते हुए 2 घंटे हो गये
मैं गेट खोला सामने वँया खड़ी थी
दिलीप- अंदर आओ
[वँया अंदर आ गयी]
बैठो
मैं बाथरूम गया मुँह धोके बाहर आया
क्या हुआ चुप क्यूँ हो
वँया- वो
दिलीप- क्या है सॉफ सॉफ बोलोना
वँया- तुम्हे नीचे खाना खाने के लिए बुला रहे हैं
दिलीप- विद्या कहाँ है
वँया- दीदी यही है घर पे जबसे उन्हे पता चला है वो भी बहुत दुखी है
दिलीप- अच्छा यह बताओ विद्या कोन्से कॉलेज में पढ़ती है
[यहण पे मैं कॉलेज को ए बी सी में लिखूंगा]
वँया- विद्या दी
कॉलेज ए में पढ़ती है
अरुणा और अवन्तिका दी कॉलेज बी में पढ़ती है
सुनीता और मेघा कॉलेज सी में पढ़ती है
दिलीप- तुमसे विद्या के बारे में पूछा था
उनसब की बात करने की क्या ज़रूरत थी
वँया- तुम्हारा मतलब तुम जब मुझसे पुछोगे तब मैं बताऊ
दिलीप- [ यह तो खिसकने वाली है]अया हूओ
वँया- क्या हुआ
दिलीप- चिंटी ने काट लिया
वँया हँसने लगी
चलो खाना खाने
मैं और वँया हॉल में पहुँचे
डाइनिंग टेबल पे सब बैठे थे पूरी फॅमिली सिर्फ़ मेघा सुनीता मामा जी और मामी जी नही थे
मैं बैठ गया
वँया मामी जी कहाँ है
वँया- मामा जी और मामी जी आज खाना नही खाएँगे
अरुणा मेरे प्लेट लगाने लगी
रहने दीजिए मैं ले लूँगा
अरुणा अपनी जगह जाके बैठ गयी
मैं प्याली में डाल डाला आधी रोटी लिया और खाने लगा सब मुझे देख रहे थे
[मैने वँया को आँख मारते हुए कहा]
खाना खाओ मुझे खा जाने वाली नज़र से मत देखो
सब ने खाना शुरू कर्दिया
मैं खाना ख़ाके उठने ही वाला था कि
विद्या- दिलीप हमे तुमसे कुछ बात करनी है
दिलीप- जी कहिए
विद्या- अरुणा और अवन्तिका तुमसे माफी माँगना चाहती हैं
दिलीप- किस लिए माफी माँगना है इन्हे इसीलिए कि मैने इनकी बहेन की जान बचाई
जी नही मैने इनकी बहेन की जान नही बचाई मैने एक इंसान की जान बचाई है
अगर यह लड़की कोई ऑर होती तो अभी तक मुझे 1000 गालियाँ पड़ चुकी होती
और वो लड़की इन्हे मुझसे माफी नही माँगनी है
इन्हे मुझे शुक्रिया कहना है कि मैने इनकी बहेन की जान बचाई
यह मेरा फ़र्ज़ था और किसी की भी मदद करने के लिए मैं कभी भी नही सोचूँगा
[यह बात मैने अरुणा की तरफ देखके कही]
वँया मेघा किस रूम में है
वँया- उस रूम में
दिलीप- तुम भी मेरे साथ चलो मैं और वँया मेघा वाले रूम में गये
मामा जी और मामी जी सोफे पे बैठे थे मैं मेघा को देखा और अपने रूम में चला गया
वँया भी अपने रूम में चली गयी मैं अपने रूम में पहुँच के कपड़े उतारा और अंडरवेर में सो गया...
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना

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अपडेट 24
सुबह 6 बजे मेरी नींद खुली
मैं उठके नाहया धोया कपड़े चेंज किया
अपना मोबाइल और पैसा कोट की जेब में रखा
रूम का गेट खोलते ही सामने वँया और विद्या खड़ी थी
वँया- कहाँ जा रहे हो
दिलीप- मामा जी से मिलने जा रहा हूँ
वँया- हम भी चलेंगे
हम तीनो मेघा के रूम में पहुँचे
वहाँ पे मामी थी
विद्या- चाचा जी कहाँ हैं
सी मामी- वो अपने रूम में गये हैं
विद्या- मेघा कैसी है
सी मामी- अभी तक होश नही आया हैतुम लोग बैठो ना
[हम तीनो बैठ गये
मामी बार बार मेरी तरफ देख रही थी]
वँया- दिलीप तुम्हे अरुणा और अवन्तिका से बात करनी चाहिए
दिलीप- मैं कुछ बोलता उससे पहले[मेघा को होश आने लगा]
मेघा मामी जी के गले लग्के रोने लगी
छोटी मामी- चुप हो जा बेटी तू रो क्यूँ रही है मैं हूँ ना तेरे पास
मेघा- मम्मा मैं बहुत डर गयी थी
[छोटे मामा भी आ गये]
छोटे मामा- [मेघा के सर पे हाथ रखते हुए] मेरी बहादुर बेटी
मेघा- पापा
[मैने वँया का हाथ पकड़ा और रूमसे निकल गया]
वँया- क्या है
दिलीप- तुम्हे क्या है हर वक़्त रोती रहती हो चलके अरुणा और अवन्तिका को बोलो मेघा को होश आ गया है
हम नीचे हॉल में गये
वँया- अरुणा दी मेघा को होश अगया है
अरुणा- अवन्तिका चल जल्दी
अवन्तिका- जी दीदी
[अरुणा और अवन्तिका मेघा को देखने चली गयी]
दिलीप- यहाँ से नज़दीक कोई मार्केट है
वँया- मेघा की तबीयत खराब है और तुम्हे मार्केट घूमना है
दिलीप- बताना है तो बताओ वरना मैं खुद ढूँढ लूँगा
वँया- रूको चलती हूँ झगड़ालू बैल
दिलीप- क्या बोली
वँया- कुछ नही चलो
[बाहर आके] काका गाड़ी निकालिए
दिलीप- मार्केट जाने के लिए कार लेजाना ज़रूरी है पैदल नही चल सकती
वँया- 2किमी दूर है मार्केट
दिलीप- हाँ तो टॅक्सी ले लेंगे
[वँया और मैं घर से बाहर निकले
वँया ने एक टॅक्सी रुकाई हम उसमे बैठ गये वँया ने बताया कहाँ जाना है
थोड़ी देर बाद हम मार्केट पहुँच गये मैने टॅक्सी वाले को पैसा दिया]
वँया- अब तो बताओ क्या काम है
दिलीप- तुम्हे क्यूँ जानना है
वँया- मत बताओ
मैं एक फ्लवर्स की दुकान पे गया और एक गुलदस्ता खरीदा उस गुलदस्ते पे लिखा था ;;गेट वेल सून
ये लो मैने वँया को गुलदस्ता देते हुए कहा
वँया- मेरे लिए थॅंक यू
दिलीप- मेघा के लिए है
वँया- पर यह तो तुमने लिया है मेघा के लिए तुम्हे ही देना चाहिए
दिलीप- मैं नही दूँगा
वँया- क्यूँ
दिलीप- मैं ये गुलदस्ता मेघा को दूँगा तो मामी अरुणा और अवन्तिका सोचेगी कि मैं छोटे मामा के सामने अपनी बढ़ाई करवाना चाहता हूँ
वँया- कितना ग़लत सोचते हो तुम तुम्हे पता है कल तुम्हारे जाने के बाद अरुणा दी और अवन्तिका कितना रोई हैं
दिलीप- तो मैं क्या करूँ
वँया- तुमने यह गुलदस्ता मेघा के लिए लिया है तो तुम्ही दो मैं नही दूँगी
दिलीप- मेरे लिए इतना नही कर सकती
वँया- नही
दिलीप- तुम्हे मेरी कसम
वँया- दे दूँगी अब चलें यहाँ से फिर हम टॅक्सी में बैठे हमे गये हुवे 2 घंटे हो गये थे
जब हम छोटे मामा के घर पहुँचे तो सी मामा चाइ पी रहे थे छोटी मामी किचन में थी
छोटे मामा- दिलीप कहाँ थे तुम 2 घंटे से
दिलीप- मार्केट गया था
छोटे मामा- बता के जाया करो
दिलीप- जी मामा जी हम मेघा को देख के आते हैं
सी मामा- ठीक है बेटा
दिलीप- मैं और वँया मेघा के रूम में पहुँचे वहाँ पे पाँचो बहनें बाते कर रही थी
विद्या- वानु कहाँ गये थे तुम दोनो
वँया- मार्केट गये थे
[वँया ने वो गुलदस्ता मेघा को देते हुए कहा] दिलीप लेके आया है तुम्हारे लिए
[मैने वँया को घूर के देखा]
मेघा- थॅंक यू दिलीप अरुणा दी ने मुझे बताया कि तुमने ही मेरी मदद की थॅंक यू सो मच
दिलीप- कोई बात नही आप आराम करो
[मेरी इस बात पे अरुणा और विद्या दोनो हँसने लगी]
वँया- अरे आप सब इतना क्यूँ हंस रही हैं
विद्या- बताती हूँ
दिलीप मेघा से इतनी इज़्ज़त से बात कर रहा है जैसे मेघा दादी अम्मा हो उसकी
मेघा- विद्या दीदी जाइए मैं आपसे बात नही करती
अरुणा- देख दादी अम्मा गुस्सा हो गयी
[मेघा अपना मुँह फूला कर बैठ गयी]
[सबने उसे किसी तरह मनाया]
दिलीप- वँया
वँया- क्या है
दिलीप- मैं अपने रूम में जा रहा हूँ
विद्या- दिलीप तुम भी बैठो ना हमारे साथ
[मैं कुछ नही बोला और सबके साथ बैठ गया
सब गॉसिप कर रहे थे और मैं बोर हो रहा था]
मैं फिर उठ गया
दिलीप- वँया मुझे कुछ काम है
मैं थोड़ी देर में आता हूँ
वँया- तुम्हे क्या काम है
[मैने वँया को घूर के देखा]
मैं भी आती हूँ
[मैं अपनी गर्दन ना में हिला दिया]
फिर भी वँया खड़ी होगयि फिर हम दोनो मेरे रूम में आए
मैं जल्दी से बाथरूम में घुसा और हल्का होने लगा
मैं बाथरूम से निकला तो वँया मुस्कुरा रही थी
दिलीप- तुमने मेरा नाम क्यूँ लिया
वँया- मैं कुछ समझी नही
दिलीप- मेरी प्यारी भोली वँया
गुलदस्ता तुमने दिया और नाम मेरा लिया
वँया- तुम उनसब से इतनी नफ़रत क्यूँ करते हो
दिलीप- नफ़रत
[मैं ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा]
तुम्हे पता है नफ़रत किसे कहते हैं नफ़रत वो है जो मैं रोज सहता हूँ फिर भी उफ्फ नही करता मैं इंसान हूँ मुझे भी तकलीफ़ होती है मैं सबसे दूर रहता इसकी वजह है आज कोई भी मुझे गाली देता है धूतकारता है मैं सहन कर लेता हूँ और सहन करता रहूँगा लेकिन कल अगर यह लोग मेरे दिल में बस गये तो फिर मैं इनकी नफ़रत इनकी गाली इनका धूतकारना कभी भी सहन नही कर पाउन्गा
मैं मर जाउन्गा
[यह कहके मैं घुटनो के बल बैठ गया
और फुट फुट के रोने लगा]...
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना

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अपडेट 25
दिलीप- मैं वही पे बैठा रोता रहा वँया रूम का गेट खोलके बाहर चली गयी
[चलिए देखते हैं वँया कहाँ गयी]
वँया दिलीप के रूम से सीधा मेघा के रूम की तरफ जाने लगी
ऐसा लग रहा था वँया को दिलीप से ज़्यादा तकलीफ़ हो रही थी
वँया की आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे वँया मेघा के रूम में पहुँची
पाँचो बहनो ने जब वँया की आँखों में आँसू देखा तो वो बहुत ज़्यादा घबरा गयी
विद्या- छोटी क्या हुआ तुझे तू रो क्यूँ रही
[वँया कुछ नही बोली]
अरुणा- वानु क्या हुआ मुझे बताना
विद्या- वँया वँया
[वँया कुछ बोल ही नही रही थी]
सुनीता और मेघा तो ज़्यादा डर गयी और रोने लगी
तभी विद्या ने वँया का कंधा पकड़ के ज़ोर से हिलाया वँया होश में आई और विद्या के गले लग्के रोने लगी
वँया- दीदी वो कह रहा था कि वो मर जाएगा
विद्या- कौन मर जाएगा बताना छोटी मेरा दिल बहुत घबरा रहा है
वँया- दिलीप
सब के मुँह से यही निकला क्या
विद्या- क्या हुआ दिलीप को
[वँया अपने दुपट्टे में से मोबाइल निकल के विद्या को देती है]
विद्या- छोटी यह तो मेरा मोबाइल है यह तेरे पास कहाँ से आया
[वँया वो मोबाइल विद्या से लेती है और उसमें वाय्स रेकॉर्डर प्ले कर्देति है]
विद्या- छोटी यह क्या कर रही
[दिलीप के बाथरूम से निकलने के बाद जो बाते दिलीप और वँया के बीच होती है वो सब मोबाइल के ज़रिए सब को सुनाई देता है जैसे जैसे दिलीप की बात आगे बढ़ती है सब के आँखों से आँसू बहने लगते हैं]
अरुणा- दी हमें देखना चाहिए कहीं दिलीप कोई ग़लत कदम ना उठा ले
[विद्या से]
विद्या- हाँ
[उसके बाद दिलीप की बहनें उसके रूम की तरफ दौड़ी]
[अब देखते हैं इधर क्या हुआ जब वँया रूम से बाहर गयी]
दिलीप- मुझे आज बहुत तकलीफ़ हो रही थी ऐसा लग रहा था कि अब मैं इनलोगो की नफ़रत बर्दाश्त नही कर पाउन्गा तभी मेरे सर में बहुत तेज़ दर्द होने लगा ऐसा लगा कि इस दर्द से मेरी जान निकल जाएगी मेरी पलके भारी होने लगी और मैं बेहोश हो गया वँया और बाकी सब दिलीप के रूम में पहुँचे
वँया दौड़ के दिलीप के पास गयी
वँया- दिलीप उठोना क्या हुआ तुम्हे दीदी देखोना दिलीप नही उठ रहा है
विद्या- अवन्तिका जल्दी से डॉक्टर को फोन लगा
अवन्तिका- डॉक्टर का नंबर तो मम्मा के पास है अभी जाती हूँ नीचे
अवन्तिका- मम्मी आपका फोन कहाँ है
छोटी मामी- वहाँ टेबल पे है तू इतनी घबराई हुई क्यूँ है
अवन्तिका- मम्मी दिलीप बेहोश हो गया है डॉक्टर को फोन करूँगी
सी मामी- उसे क्या हुआ
अवन्तिका डॉक्टर को फोन करने लगी
छोटी मामी- अब तो बता क्या हुआ दिलीप को
अवन्तिका- पापा का कहाँ हैं
छोटी मामी- ऑफीस गये हैं तू बात मत बदल
अवन्तिका ने सारी बात बताई
छोटी मामी- तू क्यूँ चिंता करती है उसे कुछ नही होगा जब तक वो हम सब की खुशियो में आग नही लगाएगा वो मरेगा नही

अवन्तिका- मम्मी आप को जितनी नफ़रत करनी है दिलीप से करिए हम बहनो का प्यार हमारे भाई के लिए काफ़ी है
छोटी मामी- बदतमीज़ अपनी माँ से ज़ुबान लड़ाती है
अवन्तिका बिना कुछ सुने दिलीप के रूम की तरफ जाने लगती है
इधर वँया का रोरोके बुरा हाल था
विद्या- छोटी चुप हो जा दिलीप ठीक हो जाएगा
वँया- यह सब मेरी वजह से हुआ है मैने दिलीप को उकसाया था कि वो अपने दिल का बोझ हल्का करे
विद्या- तेरी कोई ग़लती नही है ग़लती तो हमारी है हम कभी दिलीप को समझ नही पाए
दिलीप के लिए पापा और चाची की नफ़रत को बचपन से देखके हमारे दिल में भी दिलीप के लिए नफ़रत बैठ गयी
जबकि हमें पता ही नही है कि हम दिलीप से नफ़रत क्यूँ करते हैं
अरुणा- आप ठीक कह रही हैं दीदी हर साल हम गाओं जाते थे लेकिन कभी हम ने दिलीप से बात नही की
दिलीप हम से मिलने भी आता था तो हम उसे धूतकार के भगा देते थे
मेघा- दीदी दिलीप को कुछ होगा तो नही
विद्या- कुछ नही होगा दिलीप को आज तक दिलीप हमारी नफ़रत सहता रहा लेकिन अब मैं अपने भैया को कुछ नही होने दूँगी
अरुणा- हम अपने भैया को कुछ नही होने देंगे दीदी
अवन्तिका- हम सब बहने अपने भैया को कुछ नही होने देंगे
विद्या- डॉक्टर को फोन किया
अवन्तिका- जी दीदी थोड़ी देर में अजाएगा
विद्या- पहले दिलीप को बेड पे लिटाओ सब बहनो ने दिलीप को उठाके बेड पे लिटाया
वँया दिलीप के सर को अपनी गोद में रखे हुए थी सब बहनों के आँखो से आँसू बह रहे थे
विद्या- अवन्तिका जाके नीचे बैठ डॉक्टर आए तो जल्दी लेके आना
अवन्तिका रूम से बाहर आई और सीढ़ियो पे बैठ गयी वो अपनी माँ से बात नही करना चाहती थी
थोड़ी देर बाद डॉक्टर आगया
अवन्तिका डॉक्टर को उपर लेके आई
डॉक्टर ने दिलीप को चेक किया एक इंजेक्षन लगाया
डॉक्टर- थोड़ी देर में होश आजाएगा यह कहके डॉक्टर चला गया
अरुणा- देखो दिलीप को होश आरहा है
दिलीप- मैने अपनी आँखें खोल के देखा तो मैं चौंक गया मेरा सिर वँया की गोद में है मेरी पाँचो बहने मेरे आजू बाजू बैठी है काश यह पल यही थम जाए लेकिन मेरे दिमाग़ ने मुझे समझाया यह सच नही है
आप सब यहाँ वँया तुम रो क्यूँ रही हो
अरुणा- दिलीप हमें माफ़ करदो
दिलीप- आप सब जाइए यहाँ से
विद्या- दिलीप हम तबतक यहाँ से नही जाएँगे जब तक तुम हमें माफ़ नही करते
दिलीप- मैने कहा ना मुझे आप सब से बात नही करनी है यह कहके मैने अपना मुँह वँया की गोद छुपा लिया और रोने लगा
अरुणा- दिलीप तुम चाहो तो हमें भी धूतकार लो मार लो पर हमें माफ़ करदो
हम तुम्हारे पैर पकड़ते हैं हमें माफ़ करदो
दिलीप- दिदीइ...
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rangila
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना

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अपडेट26
दिलीप- आप मुझे मजबूर कर रही हैं
विद्या- हम बहनों ने कभी भी तुम्हे राखी नही बाँधी शायद इसी लिए तुम हमें माफ़ नही कर रहे हो
दिलीप- आप समझ नही रही हैं आज आप सब जोश में होश खो बैठी हैं लेकिन कल आप सब मुझे फिर से ठुकरा देंगी
तो मैं तो जीते जी मर जाउन्गा
[सब एक साथ दिलीप कहते हुए मेरे गले लग गयी]
विद्या- अगर दुबारा मरने की बात कही तो हम अपनी जान दे देंगे एक बार हमें माफ़ कर्दे हम तुझे अपना भैया नही अपने जिगर का टुकड़ा समझेंगे
दिलीप- [अब मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था मेरा दिल खुद को रोक नही पा रहा था मैं कितना खुशनसीब हूँ कल मेरे पास सिर्फ़ बड़ी नानी थी लेकिन आज मेरे पास इतनी बहने और वँया है] भैया भी चलेगा
अरुणा- दीदी क्या बोला अभी दिलीप ने
विद्या- मुझे क्या पता उसी से पूछ
दिलीप- भैया भी चलेगा यह कह के मैं विद्या दी के गले लग गया और रोने लगा
अवन्तिका - तू सिर्फ़ विद्या दी का भैया नही है हम सबका है
मेघा- हाँ
अरुणा- दीदी देखो तो
हमारा भैया कैसे लड़कियो की तरह रो रहा है
विद्या- अरुणा तू तो सच बोल रही है अब चुप भी हो जा कितना रोएगा
दिलीप- मैं कहाँ रो रहा हूँ
अरुणा- दीदी मैं अपने भैया के लिए स्पेशल आलू के पराठे बना के लाती हूँ
[यह कहके अरुणा चली गयी]
विद्या- तेरे हाथ के पराठे भैया तू तो गया
मेघा- दीदी अब भैया का क्या होगा
अवन्तिका- वही होगा जो अरुणा दी का परान्ठा चाहेगा
दिलीप- आप सब इतना क्यूँ घबरा गयी अरुणा दी पराठे ही तो बनाने गयी हैं कोई बॉम्ब बनाने थोड़ी गयी हैं
अवन्तिका- भैया बॉम्ब बनाके खिलती तो चलता लेकिन अरुणा दी के पराठे
विद्या- अवनी ऐसा नही कहते
अवन्तिका- सॉरी दी
दिलीप- [मुझे तो इस बात से खुशी हो रही थी आज पहली बार मैं अपनी दी के हाथों से बने हुए पराठे खाउन्गा]
[जब अरुणा नीचे गयी]
अरुणा- मम्मी जल्दी किचन से बाहर जाओ
छोटी मामी- क्या करेगी मैं खाना बना रही हूँ
अरुणा- आप खाना बाद में बना लेना मुझे अपने भैया के लिए आलू के पराठे बनाने है
छोटी मामी- एक काम करना आलू के पराठे में थोड़ा सा ज़हेर मिला के अपने भैया को खिला देना
अरुणा- मम्मी अगर अपने ऐसा दोबारा कहा तो
सी मामी- बहुत ज़ुबान चलाने लगी है
अरुणा- आप जाइए यहाँ से
[छोटी मामी बिना कुछ बोले अपने कमरे की तरफ चली गयी]
[दिलीप के रूम में]
दिलीप- दीदी आप मुझसे बात नही करेंगी [मैने सुनीता दी से पूछा]
विद्या- यह तो हम से भी कम ही बात करती है यह सिर्फ़ मेघा से बात करती है
दिलीप- [मैने सुनीता दी की तरफ देखा]
सुनीता- नही भैया दी झूठ बोल रही हैं मैं तो सब से बात करती हूँ मैं तो तुझसे भी बात कर रही हूँ
तू तो मेरा भैया है है ना है कि नही
दिलीप- [मैं विद्या दी की तरफ देखा यह कम बोलता हुआ]
[विद्या दी अवनतिका दी और मेघा दी हँसने लगी उनका हसना बंद ही नही हो रहा था]
सुनीता- आप सब को क्या हुआ है
[तभी अरुणा दी पराठे लेके आ गयी]
अरुणा- पेश है मेरे हाथो के बने स्पेशल आलू के पराठे मैं अपने भैया को अपने हाथो से खिलाउन्गी
[दिलीप- [अरुणा दी मेरे साथ बेड पे बैठ गयी और मुझे अपने हाथों से पराठे खिलाने लगी]
[सब आँखें फाड़ फाड़ के मुझे खाते हुए देख रहे थे]
आप सब भी खाओना
अरुणा- वो सब मेरे हाथ के बने हुवे पराठे नही खाती
दिलीप- इतना स्वादिष्ट है
विद्या- सच में
दिलीप- आप खुद ख़ाके देखो
[उसके बाद तो सब पराठे पे टूट पड़े 5 मिनिट के अंदर सारे पराठे ख़तम हो गये]
अरुणा- यह क्या सारा चट कर गये आज तक तो कभी नही खाया
दिलीप- क्यूँ
अरुणा- मैं बताती हूँ पहली बार जब मैं पराठे बना रही थी मेरी ग़लती से पराठे में लाल मिर्च और नमक ज़्यादा पड़ गया था जब सब ने मेरे हाथ के बने हुए पराठे खाए तो सब ने मेरा बहुत मज़ाक उड़ाया उस दिन से जब भी मैं पराठे बनाती थी
उसमें नमक और लाल मिर्च 10गुना ज़्यादा मिला देती थी

विद्या- इसका मतलब तू हमें आज तक अपने मगरमच्छ आँसू दिखा के अपने ज्वालामुखी टाइप पराठे खिलाती रही
अरुणा- हाँ
विद्या- हाँ की बच्ची रुक तुझे बताती हूँ
[विद्या दी अरुणा दी को चपत लगाने लगी]
अरुणा- भैया बचाओ भैया बचाओ
दिलीप- [मैं उठने लगा]
विद्या- अगर तू वहाँ से उठा है तो तेरी टांगे तोड़ दूँगी
दिलीप- [मैं फिर बैठ गया]
अरुणा- मेरा प्यारा भैया अपनी दीदी को नही बचाएगा
दिलीप- [मैं तो फँस चुका था दोनो तरफ से तभी मुझे गाँव का एक मुहावरा याद आगया]
एक महापुरुष ने कहा था दो औरतो के झगड़े में ना किसी मर्द को पड़ना चाहिए ना ही किसी औरत को
[जहाँ विद्या दी मेरी बात पे खुश दिख रही थी वही अरुणा दी ने अपना मुँह फूला लिया]
[मैने अवन्तिका दी की तरफ देखा]
अवन्तिका- दीदी आप दोनो को यह औरत बोल रहा है
[इस बात पे मैने अपना माथा पीट लिया]
[विद्या और अरुणा दी मेरी सामने आके खड़ी हो गयी
विद्या- मैं तुझे किस आंगल से औरत दिखती हूँ
दिलीप- मैने आपको औरत थोड़े ही कहा है
अरुणा- तो तू मुझे औरत कह रहा है
दिलीप- मैने तो मुहावरे में औरत कहा था
[विद्या दी और अरुणा दी ने एक दूसरे को देखा और लगी मुझे पीटने]
[तभी छोटी मामा के चिल्लाने की आवाज़ आई
वो मेघा दी को आवाज़ दे रही थी]
[मैं मेघा दी की तरफ देखा तो मेघा दी बहुत डरी हुई दिख रही थी]
अरुणा- मेघा पिताजी तुझे आवाज़ दे रहे हैं
[तभी छोटे मामा मेरे रूम में दाखिल हुए उनके चेहरे को देखके हम सब डर गये
वो बहुत ही ज़्यादा गुस्से में लग रहे थे]...
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