प्यासे दिन और प्यासी रातें complete

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rangila
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Re: प्यासे दिन और प्यासी रातें

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एक दिन रंगीला ने घर आकर रेखा को बताया कि उसका एक बचपन का दोस्त जय यहाँ एक इंश्योरेंस कंपनी में ब्रांच हेड बन कर आया है और वो आज उसकी फैक्ट्री आया था।
जय बड़ा जिंदादिल और स्मार्ट बंदा है और रंगीला और जय की स्कूल और बाद में कॉलेज में खूब पटती थी। जय की शादी को भी पांच साल हो गए हैं और उनकी एक बेटी है जो जय की पत्नी प्रीति की मां के पास ही रहती और पढ़ती है।
रेखा ने कहा कि अगर रंगीला चाहे तो जय और प्रीति को खाने पर बुला ले।
रंगीला ने बताया कि अभी ट्रान्सफर के बाद प्रीति आगरा में ही अपनी माँ के पास ही रह रही है… एक महीने बाद आएगी।

आज रंगीला बेड पर मस्त मूड में था… टॉपिक आज सिर्फ जय और उसकी और रंगीला की बदमाशियाँ थीं।
रंगीला ने बताया कि वो और जय साथ साथ पढ़ते समय एक दूसरे का लंड पकड़ लिया करते थे… पॉकेट मनी से डेबोनेयर या प्लेबॉय मैगजीन खरीदते और फोटो देखकर मुठ मारते… वगैरा वगैरा…
जय की एक बात पर रंगीला ने बहुत जोर दिया और रेखा को भी सुन कर अच्छा लगा कि जय का लंड मोटा और लम्बा है।
बताते बताते रंगीला का भी खड़ा हो गया और रेखा भी उत्तेजित हो गई थी।
चुदाई के दौरान रेखा ने रंगीला से कहा कि आज उसका लंड कुछ बदला बदला सा लग रहा है, कहीं उसने अपना लंड जय से बदल तो नहीं लिया।
यह सुन कर रंगीला को और जोश आ गया… वो अपनी स्पीड बढाते हुए बोला- ले आज तू जय से ही चुद ले… वो आज तेरी फाड़ ही देगा…
रेखा ने भी कह दिया- चलो, आज मैं भी टेस्ट बदल कर देख ही लेती हूँ, पायल भाभी तो रोज ही कहती है कि एक से रोज रोज क्या चुदना!
घमासान चुदाई के बाद दोनों एक दूसरे की बाँहों में सो गए।
पर एक सपना जग गया… ग्रुप सेक्स के खेल के नए जोड़ीदारों की लिस्ट में एक नया नाम जुड़ने की तैयारी हो रही थी।
अगले दिन रंगीला का फोन आया कि आज शाम को जय खाने पर आएगा, कुछ अच्छा बना लेना और अच्छा सा कुछ पहन लेना।
रेखा ने पूछा- अच्छा क्या पहनूँ?
तो रंगीला बोला- कुछ मत पहनना…
रेखा बोली- ज्यादा पागलपन मत सोचा करो, हो सकता है जय अब बदल गया हो…
खैर यह तो मजाक था, ऐसे कौन पहली बार में ही कुछ होने जा रहा था।
शाम को रंगीला ने तो नहाकर लुंगी और कुरता पहन लिया, रेखा ने एक लॉन्ग टाइट मिडी पहनी।
रेखा ने देखा कि उसके बूब्स और बम्प्स खूब शेप में दिख रहे हैं।
हाँ एक चीज जो रंगीला ने दिखाई कि उसकी पैंटी लाइन दिख रही थी… रंगीला ने जोर दिया तो रेखा ने पैंटी उतार दी, अब उसके चूतड की गोलाई गजब ढा रही थी।
घंटी बजी, रंगीला ने गेट खोला, जय था… गोरा, लम्बा और हंसमुख… बड़ी बेबाकी से उसने रंगीला को गले लगाया और रेखा से हाथ मिलाया और उसे एक बड़ी चॉकलेट गिफ्ट दी।
क्या जादू था जय में… रेखा को तो शब्द ही नहीं मिल रहे थे, फिर वो संभल कर बोली- बैठिये भाई साहब… बताईये क्या लेंगे… हार्ड ड्रिंक या सॉफ्ट?
जय बैठते हुए बोला- मैंने आपको गले नहीं लगाया, इसका मतलब यह नहीं कि आप मुझे भाई साहब बोलें… मैं और रंगीला कितने खुले हैं, यह मैं समझता हूँ कि आपको रंगीला ने बता दिया होगा अब तक?
रेखा ने कहा- आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि रंगीला ने मुझे क्या क्या बताया होगा। भला कोई अपनी बदमाशियाँ दूसरे को बताता है?
जय बोला- आप भोली न बनें… मैं रंगीला को बहुत अच्छे से जानता हूँ… अगर यह लड़का नहीं होता तो मैं इससे ही शादी करता।
मैंने भी कह दिया- बिना शादी किये ही आप लोगों ने क्या कम मस्ती की थी…
जय हंस पड़ा, बोला- देखिये पकड़ा गया न चोर… अब आप कैसे कह सकती हैं कि रंगीला ने आपको सब कुछ नहीं बताया और रंगीला ने ही क्या कल फोन पर मैंने भी प्रीति को सब कुछ बताया तो वो तो कह रही थी कि चलो अब मेरी जगह रंगीला से ही काम चला लेना जब तक मैं न आऊँ…हम सब हंस पड़े…
आगे की कहानी आप रेखा से ही सुनिए…
मैंने फिर पूछा- बियर लाऊँ या व्हिस्की?
जय बोला- जिसमें आप साथ दें, वो ले आयें।
मैं बियर में ही कम्फर्ट फील कर रही थी तो वही लाई…
इन दोनों ने लार्ज गिलास बनाया और मैंने स्माल!
बियर स्ट्रोंग थी, कुछ तो नशा उसका था और कुछ माहौल बन गया था।

जय और रंगीला के नॉन-वेज जोक्स शुरू हो गए।
जय तो एक बार बोला- रंगीला तुझे नहीं लगता कि अगर रेखा मेरी और तेरी शादी से पहले एक साथ हमें दिखी होती तो हम दोनों ही इससे शादी कर लेते और एक साथ रह लेते…
ऐसे ही हंसी मजाक में खाना खाकर जय जाने को हुआ तो रंगीला बोला- अभी दस ही तो बजे हैं तुझे घर जाकर क्या करना है, रूक कॉफी पीकर जाना।
मैं जब कॉफी बना रही थी तो रंगीला किचन में आया और बोला- कॉफ़ी लेकर तुम जय के पास बैठना।
मैंने पूछा- क्यों?
तो रंगीला बोला- उसका लंड देखना, बाहर आने को तैयार है।
खैर में कॉफ़ी लेकर बाहर आई और अलग ही बैठी।
रंगीला ने मुंह बनाया, मैंने कहा- यहाँ से अच्छा दिखेगा।
जय बोला- क्या अच्छा दिखेगा?
मैंने कहा- आपका नूरानी चेहरा!
जय हंस कर बोला- रंगीला, आज तक जितनी लड़कियों की फोटो देखकर हमने अपने हाथों को तकलीफ दी है, उनमें रेखा सबसे खूबसूरत है।
मैं शरमा गई।
जय ने कहा- अच्छा, अब थोड़ी सीरियस होकर मेरी बात सुनो, मुझे अपनी कंपनी के लिए एक एजेंट चाहिए जो फोन पर ही या कभी कभी मेरे साथ गाड़ी में जाकर क्लाइंट्स से मिले और पालिसी बेचे, इसमें अच्छी कमाई है।
जय चाहता था कि रंगीला या मैं इस काम को कर लें।
रंगीला को प्रपोजल अच्छा लगा, अपने लिए नहीं पर मेरे लिए… क्योंकि बेटे के स्कूल के समय सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक मैं बिल्कुल खाली थी।
यह तय हुआ कि मैं एक दो हफ्ते करके देखती हूँ अगर अच्छा लगा और कर सकी तो करूंगी।
अगले दिन में दस बजे जय के ऑफिस गई।
जय ने मुझे दोपहर तक अपनी पॉलिसीस के बारे में बताया और चलते समय कुछ ब्रोशर्स दिये और कहा कि मैं इन्हें पढूँ।
अगले दिन के लिए यह तय हुआ कि जय मुझे घर से नौ बजे ले लेगा और हम एक क्लाइंट के ऑफिस में मिलेंगे।
रंगीला से पूछा तो उसे कोई एतराज नहीं था।
अगले दिन मैं जीन्स और टॉप मैं जय के साथ गई।

मेरा जाना इतना शुभ हुआ कि हमें दस लाख का बिज़नस मिल गया… जय तो लौटते समय ख़ुशी से पागल था। मैं भी बहुत खुश थी… बहुत अच्छा पैसा कमीशन में मिलेगा मुझे!
जय ने मुझे घर ड्राप किया… वो जाने लगा, मैंने कहा- रुक कर जाना…
मैं और वो लॉक खोल कर अंदर आ गए।
जय ने मेरे हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- तुम बहुत भाग्यशाली हो मेरे लिए!
मैं पता नहीं किन सपनों में खोई थी… कब उससे लिपट गई, कब हमारे होंठ मिल गए… कोई होश नहीं…
होश आया तो अलग हुई।
जय सॉरी बोलते ही बाहर जाने लगा, मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- सॉरी क्यों? क्या कुछ गलत हो गया… क्या रंगीला की बीवी तुम्हारी दोस्त नहीं हो सकती।
अब तो जय ने मुझे पागलों की तरह लिपट कर चूमना शुरू कर दिया और हमारा यह चूमने का कार्यक्रम सोफे पर बैठते ही ख़त्म हुआ और अब जय के हाथ मेरे टॉप के अंदर थे या यूं कहें कि मेरा टॉप उतार रहे थे… मुझे भी कोई एतराज नहीं था।
जय ने मेरी ब्रा खोल कर मेरे मम्मे चूसने शुरू कर दिये।
हम ज्यादा आगे बढ़ते, तभी रंगीला का फोन आ गया।
मैं संभल कर रंगीला को अपने बिज़नेस के बारे में बताने लगी। और यह भी बता दिया कि जय मुझे छोड़ने घर आये हैं।
रंगीला को बिल्कुल बुरा नहीं लगा, उसने जय को भी मुबारकबाद दी और तय हुआ कि शाम को डिनर बाहर करेंगे।
मगर जो अब चल रहा था वो तूफ़ान इस फोन से थम सा गया, जय कपड़े ठीक करके जाने लगा।

गेट तक पहुंचा ही था कि अचानक मैंने उसे आवाज दी…
वो पलटा तो मैं अपनी जीन्स उतारकर सिर्फ पैंटी में खड़ी थी।
मुझे इस हालत मैं देखकर जय पगलों सा पलटा और अपना ब्रीफकेस सोफे पर पटककर मुझे बेतहाशा चूमने लगा और फिर मुझे गोदी में उठाकर बेड रूम में ले गया।
पांच मिनट बाद हम दोनों बिना कपड़ों के एक दूसरे की बाँहों में थे, मैं उसके लंड को कस के पकड़े थी।
वो नीचे हुआ और मेरी चूत को चूसने लगा।
उसने मेरी टांगों को ऊपर उठाकर अपनी जीभ पूरी मेरी चूत के अंदर कर दी और चूसने लगा।
वो बार बार अपना थोड़ा सा थूक भी मेरी चूत में डाल देता, जिससे मेरी चूत और आस पास का इलाका गीला और चिकना हो गया।
अब उसने अपनी एक उंगली भी मेरी चूत में करनी शुरू कर दी।
मेरा मजा बढ़ रहा था, मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को चौड़ा किया हुआ था और मैं चाह रही थी कि वो और जोर से मेरी चूत की मालिश करे।
मैंने सोचा और उधर अब जय ने अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी।
मेरे मुल्ह से सीत्कार निकल रही थी, मेरी चूत उसके थूक से लबलबा रही थी।
अब उसने अपनी उंगली से थोडा सा थूक मेरी चूत से खिसका कर मेरी गांड में कर दिया और अपनी एक उंगली से गांड के ऊपर मसलने लगा।
मुझे लगा कि वो गांड को चिकना कर रहा है, मैंने कभी गांड मरवाई नहीं थी, मुझे मालूम भी नहीं था कि गांड भी मरवाई जाती है।

जय ने अचानक मेरे मुंह को अपने होठों से बंद करके मेरी गांड में उंगली कर दी।
मैं दर्द से छटपटाई तो तुरंत जय ने उंगली बाहर कर दी और अब अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रख दिया।
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Re: प्यासे दिन और प्यासी रातें

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चूत तो नए मेहमान के स्वागत के लिए तैयार थी और मेरी जिन्दगी का भी वो पल आ गया था जब मैं अपने पति के अलावा किसी और से चुदने जा रही थी।
मैंने अपनी टांगें फैला दी और जय ने एक ही झटके मैं अपना मूसल मेरी चूत में घुसा दिया।
अब जय ने जो चुदाई की स्पीड पकड़ी, उसके सामने तो हर चुदाई फेल!
जय ने मेरे चूतड़ों के नीचे एक तकिया लगा दिया था, जिससे मेरी चूत और उठ गई थी।
वो बहुत मस्ती से मेरी मस्त चूत चोद रहा था, मैं भी नशे में कह रही थी कि अब तक कहाँ थे मेरे राजा… आज तो तुम्हारी मर्दानगी ने मेरे बदन के सारे पेंच ढीले कर दिए… अब रुको नहीं… चुदाई स्पीड से करो…
वो भी कह रहा था- रानी, अब तक मुझे क्यों नहीं मिली… आज ऐसी चुदाई करूँगा कि तुम्हारी चूत मेरे लंड की गुलाम हो जाएगी।
मेरी चूत तो चूत, बेड का भी ऐसा हाल हो गया था कि पानीपत की लड़ाई इसी पर हुई हो।
हम दोनों पसीने से लथपथ एक दूसरे से गुंथे पड़े थे। लंड और चूत कोई भी छूटने को तैयार नहीं… सच इतना मजा कभी चुदाई में नहीं आया था।
मैं और जय एक साथ चरम आनन्द पर आये, जय ने मुझसे पूछा- माल कहाँ निकालूँ?मैंने कॉपर टी लगवा रखी है, इसलिए मैंने उससे माल अंदर ही गिरवाया।
अंदर गिरवाने मैं चूत को ग़ज़ब का आनन्द मिलता है।
कपड़े पहन कर जय चला गया और मैं नहाकर फ्रेश हुई और पायल से फोन पर गप्पें मारने लगी।
आज मैं अपने को पायल से कम भाग्यशाली नहीं मान रही थी।
और सच बताऊँ तो अब मेरे मन में एक बार राज का लंड भी खाने की इच्छा हो रही थी।
मेरा बेटा स्कूल से आ गया था।
उधर मेरी मम्मी भी कहती थी कि बेटे को पढ़ने उन्हीं के पास भेज दूँ।
मेरा बेटा भी नानी से खूब हिलमिल गया था।
आज की बिजनेस डील की कामयाबी और उसके बाद मिले जय के लंड से मेरे मन मैं भी यही आ रहा था कि बेटे को मम्मी के पास भेज दूं। सोचा, चलो रंगीला से पूछूंगी, वो शायद ही तैयार हो क्योंकि वो बेटे से बहुत प्यार करता है।
हम दोनों खाना खाकर सो गए।
मेरी आँख तीन बजे खुल गई… चूत फिर प्यासी हो रही थी… मैंने जय को फोन किया और एक लम्बा किस दिया।
जय बोला- जानू प्लीज रंगीला को मत बोलना… पर अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊँगा।
हम दोनों ने पौना घंटा फोन पर बातें की।
शाम को डिनर पर मिल ही रहे थे इसलिए फोन रखा।
रंगीला फैक्ट्री से सात बजे आया, चाय पीकर दोनों बाप बेटे खेलते रहे।
मैंने बेटे को पट्टी पढ़ा रखी थी कि वो अपने पापा से नानी के पास जाने की जिद करे।
और वही हुआ, बेटा रंगीला से नानी के पास जाकर वहीं पढ़ने को कहने लगा, रंगीला ने मना कर दिया।
मैंने भी सोचा कि देखते हैं।
नहा धोकर हम लोग डिनर पर गए, वहाँ लिफ्ट में बेटे ने जाने से मना कर दिया, वो और रंगीला एस्केलेटर्स से गए और मैं और जय लिफ्ट से!
लिफ्ट में हमारे होंठ मिल गए और जय के हाथ मेरे मम्मे दबाने लगे।
लिफ्ट रुकते ही जय ने अपना रूमाल निकला और अपने होठों से मेरी लिपस्टिक साफ़ की… हम हंसते हुए बाहर आये।
रंगीला ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- जय मुझे छेड़ने की कोशिश कर रहा था।
इस पर रंगीला बोला- यार अगर न छेड़ पाया हो तो एक बार और कोशिश कर ले… सच बहुत गर्म माल है मेरी बीवी…
हम तीनों हंस पड़े और सामने रेस्तराँ में घुस गए।
टेबल पर जय अपने पैर से बार बार मेरी साड़ी उठाने की कोशिश कर रहा था। रंगीला की निगाह बचाकर कर उसने अपनी स्पून मेरी स्पून से बदल ली और स्पून को चाटने लगा।
मेरी चूत तो गीली हो रही थी, मेरे दिमाग मैं एक आईडिया आ रहा था कि अगर प्रीति भी इस खेल में शामिल हो जाए और मैं भी राज से चुद लूँ तो हम छह लोगों का ग्रुप बन जाएगा और चुदाई की ऐसी रासलीला हममें से किसी ने सोची नहीं होगी।
रात को रंगीला ने यह शर्त रखी कि आज बेड पर बिना कपड़ों के ही जायेंगे।
मगर बेटा सो नहीं रहा था।

मैं कॉफ़ी बना लाई और सोफे पर बैठे रंगीला की गोद मैं पसर गई।
मैंने फ्रॉक पहना था और नीचे कुछ नहीं था।
रंगीला की उंगली चूत में पहुँच गई और वो मुस्कुरा कर बोला- आज तो शब्बो पूरी तैयार है।
रंगीला मेरी चूत को शब्बो कहता था और मैं उसके लंड को रुस्तम।
रंगीला बोला- कहीं यह जय को देखकर तो चिकनी नहीं हो रही?
मेरी चोरी पकड़ी गई… पर मैं बोली- रुस्तम के आगे दुनिया का कोई पहलवान नहीं टिक पायेगा। आज बहुत मूड है, पर ये सो नहीं रहा है।
रंगीला का भी मूड बना हुआ था पर बेटे की मजबूरी थी।
मैंने रंगीला को प्यार से कहा- सुनो, बेटे को इसकी नानी के पास भेज देते हैं… वहाँ भी तो घर ही है। यहाँ मैं तुम और पायल भरपूर मौज लेंगे और प्रीति को आने दो शायद जय भी तैयार हो जाए।
मैंने उसे दोपहर का किस्सा कुछ नहीं बताया। पायल का नाम सुनकर और यह सुनकर कि प्रीति भी इसमें जुड़ सकती है, रंगीला का लंड तूफ़ान मचाने लगा और उसने बेटे को नानी के पास भेजने की हाँ कर दी।
मैं और बेटा ख़ुशी से कूदने लगे, मैंने बेटे से कहा- जल्दी सो जाओ वरना पापा नहीं भेजेंगे।
वो बेचारा फटाफट सो गया और हमारे कपड़े केले के छिलके जैसे उतर गए और मैं नंगी ही रंगीला की पीठ पर लटक गई।
रंगीला ने मेरी दोनों टांगें अपने पेट पर लपेट ली और मुझे लेकर बेड पर गया।
आज तो बेड की भी शामत आई हुई थी, उसके सारे पेंच तो जय और मेरी घमासान चुदाई में ढीले हो गए थे और रात भी रंगीन होने को थी।
मुझे चिपटा कर रंगीला ने पूछा- जय का कैसा लगा?
मैंने पूछा- क्या कैसा लगा?
रंगीला मेरे निप्पल मसलते हुए बोला- उसका लंड?
मैंने भी रो मैं कह दिया- दिलवा दो तब बताऊंगी कैसा लगा।
रंगीला मेरे ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मेरी चिकनी चूत में घुसा कर बोला- सुन, तू जय को पटा ले और अपनी गर्म चूत उसे दे दे ताकि वो भी प्रीति की चूत मुझे दिलवा दे।
मैंने ड्रामा करते हुए कहा- नहीं, मुझे तुम्हारे अलावा किसी और से नहीं चुदना। मुझे जितना मजा तुम देते हो, और कोई नहीं दे पायेगा।
अब रंगीला मुझे चोदते हुए बोला- नहीं मेरी जान, नए लंड और नई चूत से बड़ा मजा आता है। तू एक बार कर के तो देख!
मैंने कहा- अभी नहीं, प्रीति को आ जाने दो, देख लें वो कैसी है तब सोचेंगे। कहीं ऐसा न हो कि जय मुझे तो चोद ले और अपनी बीवी के नाम पर मना कर दे और इस बीच मैं भी जय से नजदीकी बढ़ा लेती हूँ।
अब मैंने सोचा कि क्या करूँ जो पायल और रंगीला खुद मुझे राज के लंड के लिए जोर दें।
मैंने रंगीला से कहा- तुम्हें नहीं लगता कि कभी अगर राज को मालूम पड़ गया तुम्हारे और पायल भाभी के बारे में, तो पायल भाभी को दिक्कत हो जायगी?

अब रंगीला क्या बताता कि राज ने खुद ही तो पायल की चूत उसे दिलाई है।
पर अगले दिन रंगीला ने पायल को फोन करके कहा कि रेखा तैयार है, उसे राज का लंड से ठुकवा दो।
पायल बड़ी खुश हुई।
पायल ने रात को बेड पर राज से कहा- तुम्हें एक चूत और दिलवा दूं वो भी गर्म गर्म तो कैसा रहे?
यह सुन कर राज ने जबाब तो नहीं दिया पर अपना लंड पूरा घुसेड़ दिया पायल की चूत में और उसके मम्मों को जोर से दबाते हुए बोला- अब किसकी चूत पर चढ़ आई हो?
राज बोला- मैं तुम्हें अच्छे से जानता हूँ, तुम जरूर किसी चूत से लेस्बियन हुई होगी और अब उसकी गर्मी मेरे लंड से शान्त करना चाहती हो।
पायल बोली- हाँ, बात तो बिल्कुल यही है।
पायल ने रेखा का नाम लिया तो रेखा का नाम सुनते ही राज के धक्के बढ़ गए, क्योंकि रीमा की मटकती गांड का दीवाना था वो!
पायल और रंगीला ने दो दिन बाद का रंगीला के घर पर ही डिनर कम कॉकटेल का प्रोग्राम बनाया।
इस बीच रंगीला और रेखा अपने बेटे को उसकी नानी के पास छोड़ आये थे।
अगले दिन पायल अपने और रेखा के हाथों और पैरों मैं मेहंदी लगवा लाई थी।
रेखा ने पूछा- क्यों लगवा रही हो?
तो पायल ने हंस कर कहा- तेरी सुहागरात की तैयारी जो हो रही है।
तय दिन पर रात को राज और पायल रंगीला और रेखा के घर पर आये।
दिन में पायल ने एक बैग रेखा को भिजवाया था कि इसमें पायल और राज के कपड़े हैं।
रेखा समझी नहीं, पर जब शाम को रंगीला घर आया तो उसने बताया कि पायल ने पार्टी का ड्रेस कोड रखा है कि लड़कियाँ बिना ब्रा पेंटी के सिर्फ फ्रॉक पहनेंगी और लंड वाले मतलब लड़के लुंगी कुरता।
और चूंकि ये कपड़े पहन कर राज पायल घर से नहीं आ सकते थे इसलिए उन्होंने अपने पहनने के कपड़े पहले भेज दिये।
शाम को घर में घुसते ही सभी ने एक दूसरे को हग किया।
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Re: प्यासे दिन और प्यासी रातें

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राज के गले लगते रेखा को सिहरन सी हुई पर राज ने कोई जल्दीबाजी नहीं की और न ही उसका कोई अंग दबाया।
यह रेखा को अच्छा लगा और उसका चेहरा चमक रहा था।
पायल और राज उनके बेड रूम में गए और कपड़े बदल कर बाहर आये।
पायल की फ्रॉक का गला काफी गहरा था और ढीला था इसलिए जब वो झुकती तो उसके मम्मे झलक दिखला रहे थे।
पर पायल के मम्मे तो सबने देखे थे, नहीं देखे तो राज का लंड और रेखा की चूत और मम्मे!
सब लोग ड्राइंग रूम में बैठे।
रंगीला ने कोई इंग्लिश म्यूजिक लगा रखा था।
रेखा बार ट्राली खींच लाई, ट्राली पर व्हिस्की के अलावा सॉफ्ट ड्रिंक भी थी और आइस क्यूब्स और गिलास थे।
पायल और रेखा ने सॉफ्ट ड्रिंक ली और राज और रंगीला ने व्हिस्की के पैग बनाये।
लड़कियों से कहा गया कि वो उनके पैग से एक सिप लेकर उन्हें दें।
मैंने सिप लेकर रंगीला को पैग दिया जिसे रास्ते से ही राज ने ले लिया और पायल का सिप किया हुआ पैग रंगीला ने ले लिया।
राज ने हमारे न नुकुर करने के बावजूद भी थोड़ी सी व्हिस्की हम दोनों के गिलास में टपका दी।
हंसी मजाक का दौर और नशे का सुरूर आधे पौन घंटे तक चलता रहा…
मैं तो अपने सिप धीरे धीरे ले रही थी और राज ने मेरे गिलास में व्हिस्की डाली भी थोड़ी सी थी पर पायल के गिलास में व्हिस्की ज्यादा पड़ी थी और उसे नशा भी हो रहा था।
बहुत अश्लील मजाक शुरू हो गए थे, पायल पालथी मारकर सोफे पर बैठ गई और उसकी चूत अपना जला दिखा रही थी।
मेरे मुख से निकल गया- पायल, तुम्हारी मुनिया साफ़ नहीं दिख रही?
पायल अब नशे में आ गई थी, खड़ी हो गई और अपनी फ्रॉक पूरी ऊपर उठा ली, बोली- ले देख ले!सब हंस पड़े।
राज ने पायल को अपने पास खींच कर उसकी चूत को चूम लिया और उसको अपनी गोदी में बिठा लिया।
मैं भी रंगीला की गोदी में बैठ गई और अपनी फ्रॉक को कंधे से गिरा लिया जिससे रंगीला मेरे मम्मी चूस सके।
अब नंगे का खेल शुरू हो गया था।
राज ने पहले तो पायल को चूमना शुरू किया और उधर पायल ने अपने पैर से राज की लुंगी हटा कर उसका लंड मुझे भी दिखा दिया।
क्या मजबूत लंड था राज का!
मुझे उसे देखते हुए रंगीला ने मुझे गोदी से उतरा और राज की ओर धकेल कर मेरी ओर आँख मारी।
मैं अब बेशर्म होकर राज का लंड पकड़ कर उसे चूसने लगी और पायल अपनी फ्रॉक उतारकर रंगीला की लुंगी में घुस गई।
हम चारों नंगे हो चुके थे और वहीं कालीन पर रंगीला पायल के ऊपर चढ़ा हुआ उसे चोद रहा था और इधर राज और मैं तो एक दूसरे को खा जाने के अंदाज में चुदाई कर रहे थे।

हम दोनों लड़कियों ने अपने हाथ से एक दूसरे को पकड़ा हुआ था और कभी कभी मम्मे भी दबा रही थी।
मैंने कहा- मैं चाहती हूँ कि आज मुझे रंगीला और राज दोनों चोदें।
अब रंगीला नीचे लेट गया और मैं उसके पेट पर अपनी पीठ के बल लेटी। रंगीला ने अपना लंड पीछे से मेरी चूत में कर दिया अब ऊपर से राज आया और अपने लंड को रंगीला के लंड के साथ ही मेरी चूत में घुसा दिया।
मैं दर्द से चीखी पर दोनों जालिमों ने अपने लंड को नहीं निकाला और मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी।
पायल मेरे मम्मे चूसने लगी और रंगीला अपनी उंगलियाँ पायल की चूत में कर रहा था।
क्या मस्ती छा गई थी।
राज ने अपना माल मेरी चूत में डाल दिया और अब रंगीला मेरे ऊपर चढ़ कर चुदाई करने लगा।
वो छूटने ही वाला था कि पायल आ गई और रंगीला का लंड खींच कर अपने मुख में कर लिया और रंगीला के छूटते उसका सारा माल गटक गई।
हम लोगों का ग्रुप सेक्स के सपने का पहला चैप्टर बखूबी ख़त्म हुआ।
खाना खाकर राज और पायल घर गए और मैं और रंगीला एक बार और चुदाई का खेल खेलने की तैयारी करने लगे।
सुबह उठी तो चूत में दर्द था। आखिर दो दो लंड झेले थे मेरी शब्बो ने…
मैंने थोड़ी वेजीनल क्रीम लगा ली, दोपहर तक आराम आ गया था।
आज ऑफिस नहीं गई… जय को झूठ बोल दिया कि आज कहीं कहीं जाना है।
एक दिन बाद रात को अचानक राज और पायल बिना बताये आ गए, नाईट ड्रेस में ही थे, बोले की वाक पर निकले थे तो सोचा कॉफ़ी पी चलें।
मैंने हंस कर कहा- यह क्यों नहीं कहते कि सोचा चुदाई का खेल खेल चलें।
पर पायल बोली- नहीं आज नहीं… आज मैं छुट्टी पर हूँ, पीरियड्स आये हैं!
मैंने कहा- तुझे ही तो आये हैं, मुझे तो नहीं।
पर रात हो चुकी थी, कॉफ़ी पीकर वो चले गए और आज रंगीला भी थका था तो जल्दी सो गए।
सुबह उठी तो मोबाइल पर जय का मैसेज था कि वो दस बजे आएगा, कहीं जाना नहीं है, बस उसका मन था आने का!
जाहिर है जय रंगीला के जाने के बाद आना चाहता था।
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Re: प्यासे दिन और प्यासी रातें

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मैंने खूब सोचकर रंगीला को कहा कि जय दस बजे करीब आएगा, कोई नई पॉलिसी है उन को बताने आ रहा है।
रंगीला ने चाय पीते हुए मुस्कुराकर मुझ से कहा- बुरा न मानो तो एक बात कहूँ?
मैंने कहा- रंगीला कैसी बात करते हो, भला तुम्हारी बात का बुरा क्यों मानूंगी।
रंगीला बोला- जय, तुमसे आकर्षित हो रहा है, लोहा गर्म है, चोट कर दो। थोड़ी सी लिफ्ट ज्यादा दे दो, अगले हफ्ते प्रीति भी आ रही है, अगर ये दोनों भी हमारे ग्रुप में आ जायें तो मजा आ जायेगा।
रंगीला ने प्रीति की फोटो देख रखी है, इसलिए वो प्रीति में ज्यादा इंटरस्टेड था।
मैं मुस्कुरा दी, अब उसे क्या बताती कि मैं और जय तो गंगा नहा चुके हैं।
हाँ यह मुझे यकीन था कि जय मेरे को पाने की चाहत में प्रीति को रंगीला से चुदवा देगा।
रंगीला के जाने के कुछ देर में ही जय आ गया, अंदर आते ही हम दोनों के होंठ मिल गए।
आज मैं जान बूझकर जय को चुदाई से दूर रखना चाहती थी।
जय ने जैसे ही मेरे ट्रैक सूट में हाथ डालना चाहा, मैंने कहा- जान आज नहीं, आज मैं छुट्टी पर हूँ।
जय मुस्कुरा दिया। वो सोफे पर बैठ कर नई पॉलिसी निकालने लगा, मैं चाय नाश्ता ले आई…
मुझे मालूम था कि जय कुछ खा के नहीं आया होगा।
जय का मनपसंद नाश्ता था… मैंने जय को एक लम्बा किस दिया और नाश्ता शुरू करने को कहा।
वो बहुत खुश होकर नाश्ता करने लगा।
उसने बताया की उसे मकान मिल गया है और वो आज शाम को आगरा जायेगा प्रीति को लाने, परसों आ जायेगा।
जय मुझे कुछ फोन नंबर और पते दे गया कि मैं इन लोगों से ऑफिस के एक स्टाफ के साथ जाकर मिल लूं और नई पॉलिसीज उन्हें समझा दूं।
जाते समय मैंने जय को हग किया और वादा किया कि मैं उसके लिए हमेशा एक अच्छी दोस्त रहूंगी और उनके संबंधों से प्रीति और जय के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
जय ने एक प्रेमी की तरह मुझे जोर से चिपकाते हुए लम्बा किस दिया।
तीसरे दिन सुबह मैंने ही फोन करके जय से पूछा कि आ गए क्या।
उसने बताया कि आधे घंटे में पहुँच जाऊँगा।
मैंने साउथ इंडियन डिश बनाई थी, वो और चाय लेकर मैं और रंगीला जय के घर पहुंचे।
वो लोग अभी आये ही थे।
प्रीति पतली लम्बी सी और बहुत मिलनसार लड़की थी, वो मुझ से गले लगी और बोली- भाभी थैंक्स! आपने जय का बहुत ध्यान रखा… जय तो आपकी और भैया की तारीफ करते रहते हैं।
मैंने कहा- आज के बाद भैया और भाभी मत बोलना… हम सब दोस्त हैं, तुम हमारे नाम ले सकती हो…
हम सबने चाय नाश्ता किया।
रंगीला तो फैक्ट्री चला गया और जय को पीछे के काम की जानकारी दी। फ़िर वो भी ऑफिस चला गया।
अब घर पर मैं और प्रीति थे।
हमने फटाफट उनका सामान अनपैक किया और लगा दिया।
सामान काफी था… लगाते लगाते दोपहर हो गई।
तभी डोर बेल बजी, जय ने बर्गर और कोल्ड ड्रिंक भिजवाए थे।

इस बीच मैं और प्रीति खूब खुल चुके थे।
मेरी और प्रीति की सलवार धुलाई और पोंछा लगाने में गीली हो गई थी।
मैंने प्रीति से कहा- तू कपड़े बदल ले, मेरे तो अभी सूख जायेंगे।
प्रीति ने अपना सूटकेस खोल कर दो नाईट सूट्स निकाल दिये… हम कपड़े चेंज करके बेड पर बैठ कर ही खाने लगी और खाकर वहीं लेट कर गप्पें लगाने लगी।
मेरा मन था कि प्रीति के ज्यादा नजदीक आऊँ, पर फिर मैंने सोचा कि आज नहीं।
चार बजे करीब मैं वापस आने लगी और कपड़े बदल लिए।
मैंने प्रीति को आँख मारकर कहा- आज तो सुहागरात मनेगी!
प्रीति बोली- क्यों?
मैंने कहा- नया मकान, नया बेड… और तुम दोनों इतनी दिनों से मिले भी कहाँ हो…
प्रीति शर्मा के हंस पड़ी… मैंने मौका देखकर प्रीति को होठों पर चूम लिया…
हम दोनों को ही एक सिहरन सी हुई… प्रीति की आवाज थरथरा रही थी… वो हॉट फील कर रही थी… वो बोली- वादा करो हम हमेशा बहुत अच्छे दोस्त रहेंगे।
मैंने उसे अपने से चिपका कर कहा- वादा…
अब उसने अपने होंठ मेरे होठों से चिपका लिए और अपनी जीभ से मेरी जीभ को चाटने लगी।
दो मिनट बाद हम अलग हुए और मैं घर आ गई… प्रीति बहुत अच्छी लगी मुझे और सब कुछ वैसे ही हुआ जैसे मैं चाहती थी…
मुझे भी अब प्रीति को अपना ऐसे ही बनाना है जैसे पायल ने मुझे अपना बनाया। चाहे पायल को मैंने रंगीला दिया, पर पायल का एहसान तो मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी।
अगले दिन सुबह मैंने 10 बजे करीब प्रीति को फोन किया- सुहागरात कैसी रही?
तो वो बोली- अब फोन पर क्या बताऊँ, यहाँ आ जा, कर के बता दूँगी…
प्रीति, जितना मैंने सोचा था, उससे ज्यादा मस्त थी।
मैंने कहा- आज तू आ और अभी आ जा, खाना यहीं खायेंगे…
वो बोली- अभी तो मैं नहाई भी नहीं हूँ!
मैंने कहा- मैं कौन सी नहाई हूँ, आ जा साथ साथ नहायेंगे।
वो बोली- बड़ी बेशर्म है तू?
मैंने कहा- नहाने में क्या बेशर्मी… जो तुझ पर है वही मुझ पर भी है…
वो हंस पड़ी, बोली- आ रही हूँ, पता लिखा…
मैंने उसे अपना पता बताया और फटाफट पाव भाजी बना ली और एक कोल्ड कॉफ़ी की कैन फ्रीजर में रख दी।
मैंने दो फ्रॉक भी निकाल कर रख ली।
बाथरूम को भी साफ़ करके दो फ्रेश टॉवल टांग दिये।
प्रीति आ चुकी थी, आते ही लिपट कर बोली- पहले तो चाय पिला, फिर गप्पें लगायेंगे।
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rangila
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Re: प्यासे दिन और प्यासी रातें

Post by rangila »

यह तो कन्फर्म था कि अगले 4-5 घंटे हमें डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं था।
बस जय का ही डर था, उसे मैंने कह दिया था कि वो फोन भी न करे।
चाय लेकर हम दोनों नीचे सेटी पर ही बैठ गई।
रात की चुदाई पूरी प्रीति ने बड़ी बेशर्मी से सुना दी… मुझे बहुत मजा आया प्रीति की बात सुनकर…
प्रीति बोली- मैं तो सोने आई हूँ… रात भर जय ने सोने नहीं दिया!
मैंने कहा- नहा ले, फिर सो लेना।
वो नहाने चली गई… मैं देखती रह गई… सोचा था साथ नहायेंगे… उसकी अन्दर से आवाज आई- क्यों? क्या शर्म आ रही है साथ नहाने मैं?
मैं फटाफट बाथरूम में गई।
अन्दर वो वीट से अपनी चूत के बाल साफ़ कर रही थी… क्या गोल गोल मम्मे थे बिल्कुल मेरे जैसे!
मैंने भी कपड़े उतार लिए।
वो मेरे मम्मे दबाते हुए बोली- तेरे मम्मों का तो जय भी दीवाना है…
मैंने बनावटी गुस्से में कहा- जय ने कहाँ देख लिए?
प्रीति बोली- इतनी गोल गोल हैं और जब तू टाइट ड्रेस पहनती है तो अंधे को भी नजर आ जायेंगे…
प्रीति बोली- रात जय ने कहा था कि इसकी शेव कर लूं, इसीलिए वीट अपने साथ ले आई थी कि पता नहीं यहाँ हो या न हो।
प्रीति ने मेरे भी रिमूवर लगा दिया, हैण्ड शावर की मोटी धार से हम दोनों ने एक दूसरे की चूत मालिश की।
चिपक कर नहाने के बाद हम तौलिया लपेट कर बाहर निकली… मैंने उसे फ्रॉक दी पहनने को तो वो बोली- चल, ऐसे ही लेटते हैं, उठ कर पहन लेंगे।

बेड पर लेटते ही हम दोनों बेकाबू हो गईं, 69 पोजीशन में पहले तो चूत चटाई हुई और दोनों ने एक दूसरे की चूत में खूब उंगली की… थक कर हम दोनों चिपक कर सो गईं।

दो बजे आँख खुली, कपड़े पहन कर मैंने जय और रंगीला को फोन किया कि आ जाओ, साथ खाना खायेंगे।
आधा घंटे में वो दोनों आ गए और हमें फ्रॉक में देखकर मुस्कुरा पड़े।
हम दोनों ही अच्छे से तैयार हुई थीं… हाँ, ब्रा पैंटी न मैंने पहनी थीं और न प्रीति को पहनने दी थी।
हालाँकि वो बहुत जिद कर रही थी पहनने के लिए।
रंगीला और जय दोनों को समझ आ गया था कि हम लोग नीचे कुछ नहीं पहने हैं।
मैं कुछ लेने किचन में गई तो पीछे पीछे रंगीला आ गया और किचन में ही मुझे चूमने लगा और मेरी फ्रॉक उठा कर मेरी चूत में उंगली कर दी।
मैंने कहा- क्या करते हो? जय आ जायेगा।
रंगीला बोला- उस हरामी को मैं अच्छे से जनता हूँ, वो भी बाहर यही कर रहा होगा।
मैंने कहा- दूसरे के घर में? ऐसा हो ही नहीं सकता…
रंगीला बोला- बाहर चलते हैं, अगर जय प्रीति में घुसा मिले तो तुझे वहीं मुझसे चुदना पड़ेगा।
मैंने हाँ कह दी क्योंकि मुझे लगा कि प्रीति ऐसा नहीं करेगी।
बाहर आई तो देख कर हैरान रह गई कि जय ने प्रीति को घोड़ी बना कर चुदाई शुरू कर दी थी।
मैं शर्त हार गई थी और रंगीला अपना लंड निकल कर मेरी फ्रॉक उठा कर मेरी चूत में घुसा चुका था।
मैं चहक कर बोली- प्रीति की बच्ची… इंतज़ार नहीं कर सकती थी? रात भर चुदी है, फिर शुरू हो गई?
प्रीति हंस कर बोली- जय चोदने पर अमादा था… या तो वो तेरी चोदता या मेरी… अब बता तुझे चुदवाना हो तो तू आ जा…
आईडिया बढ़िया था।
रंगीला ने मुझे छोड़ दिया और में जय प्रीति के पास गई…
पहले तो प्रीति को किस किया फिर जय को…
जय प्रीति की चूत से बाहर आ गया और मुझे पास के सोफे पर ले गया और मेरी टांगों को ऊपर करके अपनी पुरानी स्टाइल में मेरी चूत में घुस गया।
उधर रंगीला और प्रीति भी होंठ चिपकाये खड़े थे।
रंगीला ने प्रीति की एक टांग पास के सोफे पर रखी और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
नया लंड नई चूत… जोर ज्यादा लग रहा था, प्रीति चीखी- फाड़ दोगे क्या मेरी?
रंगीला ने प्रीति को सेटी पर लिटा दिया और पहले तो उसकी चूत को चूस कर थूक से चिकना किया, जब प्रीति गर्म हो गई, तब उसने भी घमासान चुदाई शुरू की… अब तो हम दोनों ही ‘और करो… और जोर से…’ के नारे लगा रहीं थी।
थोड़ी देर में ही हम दोनों की चूत माल से भर गई… सफाई करके हमने खाना खाया।
थोड़ी देर बाद जय और प्रीति चले गए, रंगीला भी फैक्ट्री चला गया।
मैंने पायल को फोन लगाया।
पायल शिकायत कर रही थी कि बहुत दिनों से हम मिले नहीं हैं।
गप्पें लगने के बाद उसका फोन रखा ही था कि प्रीति का फोन आ गया… वो बहुत खुश थी, बोली- बस किसी को पता नहीं चले प्लीज… मैंने कहा- पागल है क्या? भला ये बातें किसी से कही जाती हैं।
मैंने प्रीति से कहा- हमारे बहुत अच्छे दोस्त हैं पायल और राज… तुम लोगों को उनसे मिलवाना है। कल पायल दोपहर को मेरे घर आएगी, तुम भी आ जाना… खाना हमारे साथ ही खाना।
अगले दिन सुबह सच में बहुत काम था, मैं और जय सुबह से ही कई लोगों से मिले। अच्छा बिजनेस मिलने की उम्मीद थी… जय मेरे बात करने के स्टाइल से बहुत खुश था।
मैं क्लाइंट्स को पॉलिसी बहुत प्रभावी ढंग से समझाती थी।
हमें बिज़नस भी मिल रहा था।
मैंने जय को 11 बजे तक के लिए ही बोला था, जय ने मुझे ठीक ग्यारह बजे घर पर उतारा।
मैंने कहा- कुछ पीकर जाना, उसे मालूम था कि प्रीति आएगी!
तो चाह कर भी वो रुका नहीं, बस गेट के अंदर आकर मुझे लिपटा कर एक लम्बा फ्रेंच किस किया।
उसके लंड के उभार को और अपनी चूत के गीलेपन को मैं समझ रही थी पर मौका नहीं था इसलिए तड़फ कर रह गई।

फटाफट कपड़े बदले… जान बूझकर एक शार्ट और टॉप डाला… अंदर कुछ नहीं…
मैंने किचन में जाकर भेलपुरी और फ्रूट चाट बनाई और एक बियर फ्रिज में रख दी।
थोड़ी देर में ही प्रीति आ गई… मुझे इन कपड़ों में देखकर मेरे मम्मे दबा दिये… बोली- जय के साथ मस्ती कर रही थी क्या?
मैंने कहा- अगर उसके साथ मस्ती कर रही होती तो तुझसे क्या शर्म थी… वो तो मुझे गेट से ही छोड़ कर चला गया।
मैंने उसे भी चेंज करने को कहा तो वो मेरी वार्डरॉब से एक बरमूडा और सॉर्ट टॉप निकाल लाई और वहीं बदलने लगी।
उसके कपड़े उतरते ही मैंने उसके मम्मे लपक लिए और उन पर प्यार से काट लिया।
तभी डोर बेल बजी..
मैंने कहा- जल्दी पहन, पायल है।
जब तक मैं पायल को लाई तब तक प्रीति मेरे बेड रूम में ड्रेसिंग टेबल पर हल्का सा मेकअप ठीक करके आ गई।
हाँ उसने अब लिपस्टिक ऑरेंज कलर की लगा रखी थी जो उस पर खूब फब रही थी।
पायल और प्रीति को इंट्रोडयूस किया मैंने… उसने आते ही पायल को गले लगाकर चुम्बन लिया… जो पायल को बहुत अच्छा लगा।
हम दोनों के कपड़े देखकर पायल ने मुँह गोल करके सीटी मारी…
मैंने कहा- ज्यादा नीयत मत ख़राब कर और तू भी चेंज कर ले! फिर गप्पें मारेंगे।
पायल सकुचाई तो मैंने कहा- दो-चार घंटे कोई नहीं आ रहा।
प्रीति ने उसे एक फ्रॉक दी और कहा- आज मेरी पसंद से पहन लीजिये।
पायल बेड रूम में गई, पीछे पीछे मैं भी गई और उसे बता आई कि आज हम दोनों ने भी अंदर कुछ नहीं पहना है।
मैंमे और प्रीति किचन से सामान लेकर बेड पर ही बिछा लिया… बियर भी ले आई में।
हम तीनों बेड पर बैठी… बियर हम तीनों ही लेती थीं, इस लिए शुरुआत बियर से ही हुई।
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