यह देख कर भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गयी. वो सांड़ की रास लीला और ना देख सकी और शर्म के मारे अंदर भाग गयी. मैं भी पीछे पीछे अंदर गया. भाभी किचन में थी. मैने बहुत ही भोले स्वर में पूछा
"भाभी वो सांड़ क्या कर रहा था?"
"तुझे नहीं मालूम?" भाभी ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
"तुम्हारी कसम भाभी मुझे कैसे मालूम होगा ? बताइए ना." हालाँकि भाभी को अच्छी तरह पता था कि मैं जान कर अंजान बन रहा हूँ लेकिन अब उसे भी मेरे साथ ऐसी बातें करने में मज़ा आने लगा था. वो मुझे समझाते हुए बोली
"देख आशु, सांड़ वोही काम कर रहा था जो एक मर्द अपनी बीवी के साथ शादी के बाद करता है."
"आपका मतलब है कि मर्द भी अपनी बीवी पर ऐसे ही चढ़ता है?"
"हाई राम! कैसे कैसे सवाल पूछता है. हां और क्या ऐसे ही चढ़ता है."
"ओह! अब समझा, भैया आपको रात में क्यों बुलाते हैं."
"चुप नालयक, ऐसा तो सभी शादीशुदा लोग करते हैं."
"जिनकी शादी नहीं हुई वो नहीं कर सकते?"
"क्यों नहीं कर सकते? वो भी कर सकते हैं, लेकिन….." मैं तपाक से बीच में ही बोल पड़ा-
"वाह भाभी तब तो मैं भी आप पर च्चढ़…….." भाभी एकदम मेरे मुँह पर हाथ रख कर बोली " चुप, जा यहाँ से और मुझे काम करने दे." और यह कह कर उन्होनें मुझे किचन से बाहर धकेल दिया.
इस घटना के दो दिन के बाद की बात आयी. मैं छत पर पढ़ने जा रहा था. भाभी के कमरे के सामने से गुज़रते समय मैने उनके कमरे में झाँका. भाभी अपने बिस्तर पर लेटी हुई कोई नॉवेल पढ़ रही थी.
उसकी नाइटी घुटनों तक उपर चढ़ि हुई थी. नाइटी इस प्रकार से उठी हुई थी की भाभी की गोरी गोरी टाँगें, मोटी मांसल जंघें और जांघों के बीच में सफेद रंग की पॅंटी सॉफ नज़र आ रही थी. मेरे कदम एकदम रुक गये और इस खूबसूरत नज़ारे को देखने के लिए मैं छुप कर खिड़की से झाँकेने लगा. ये पनती भी उतनी ही छ्होटी थी और बड़ी मुश्किल से भाभी की चूत को धक रही थी. भाभी की घनी
काली झांटें(चूत का बॉल) दोनो तरफ से कछि के बाहर निकल रही थी. वो बेचारी छ्होटी सी पॅंटी भाभी की फूली हुई बूर के उभार से बस किसी तरह चिपकी हुई थी. बूर की दोनो फांकों के बीच में दबी हुई पॅंटी ऐसे लग रही थी जैसे हंसते वक़्त भाभी के गालों में डिंपल पर जातें हैं. अचानक भाभी की नज़र मुझ पर पड़ गयी . उन्होनें झट से टाँगें नीचे करते हुए पूछा " क्या देख रहा है आशु"
क्रमशः...............
चिकनी भाभी compleet
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Re: चिकनी भाभी
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: चिकनी भाभी
चिकनी भाभी--3
गतान्क से आगे................
चोरी पकड़े जाने के कारण मैं सकपका गया और " कुच्छ नहीं भाभी" कहता हुआ छत पर भाग गया. अब तो रात दिन भाभी की सफेद पॅंटी में छिपी हुई बूर की याद सताने लगी.
मेरे दिल में विचार आया, क्यों ना भाभी को अपने विशाल लंड के दर्शन कराऊ. भाभी रोज़ सबेरे मुझे दूध का ग्लास देने मेरे कमरे में आती थी. एक दिन सबेरे मैं तौलिया लप्पेट कर न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करते हुए इस प्रकार बैठ गया कि सामने से आती हुई भाभी को मेरा लटकता हुआ लंड नज़र आ जाए.
जैसे ही मुझे भाभी के आने की आहट सुनाई दी,मैने न्यूसपेपर अपने चेहरे के सामने कर लिया, टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया ताकि भाभी को पूरे लंड के आसानी से दर्शन हो सकें और न्यूसपेपर के बीच के छेद से भाभी की प्रतिक्रिया देखने के लिए रेडी हो गया. जैसे ही भाभी दूध का ग्लास लेकर मेरे कमरे में दाखिल हुई, उनकी नज़र तौलिए के नीचे से झाँकते मेरे 7-8 इंच लंबे मोटे हथोदे की तरह लटकते हुए लंड पे पड़ गयी.
वो सकपका कर रुक गयी, आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गयी और उन्होनें अपना नीचला होंठ दाँतों से दबा दिया. एक मिनिट बाद उन्होनें होश संभाला और जल्दी से ग्लास रख कर भाग गयी. करीब 5 मिनिट के बाद फिर भाभी के कदमों की आहट सुनाई दी. मैने झट से पहले वाला पोज़ धारण कर लिया और सोचने लगा, भाभी अब क्या करने आ रही है.
न्यूसपेपर के छेद में से मैने देखा भाभी हाथ में पोछे का कपड़ा ले कर अंदर आई और मुझसे करीब 5 फुट दूर ज़मीन पर बैठ कर कुच्छ सॉफ करने का नाटक करने लगी. वो नीचे बैठ कर तोलिये के नीचे लटकता हुआ लंड ठीक से देखना चाहती थी. मैने भी अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर दिया जिससे भाभी को मेरे विशाल लंड के साथ मेरी बॉल्स के भी दर्शन अच्छी तरह से हो जाएँ.
भाभी की आँखें एकटक मेरे लंड पर लगी हुई थी, उन्होनें अपने होंठ दाँतों से इतनी ज़ोर से काट लिए कि उनमे थोड़ा सा खून निकल आया. माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई. भाभी की यह हालत देख कर मेरे लंड ने फिर से हरकत शुरू कर दी. मैने बिना न्यूसपेपर चेहरे से हटाए भाभी से पूछा
"क्या बात है भाभी क्या कर रही हो?"
भाभी हडॅवाडा कर बोली " कुच्छ नहीं, थोड़ा दूध गिर गया था उसे सॉफ कर रही हूँ." यह कह कर वो जल्दी से उठ कर चली गयी. मैं मन ही मन मुस्काया. अब तो जैसे मुझे भाभी की चूत के सपने आते हैं वैसे ही भाभी को भी मेरे मस्ताने लंड के सपने आएँगे. लेकिन अब भाभी एक कदम आगे थी. उसने तो मेरे लंड के दर्शन कर लिए थे पर मैने अभी तक उनकी चूत को नहीं देखा था. मुझे मालूम था कि भाभी रोज़ हमारे जाने के बाद घर का सारा काम निपटा कर नहाने जाती थी. मैने भाभी की चूत देखने का प्लान बनाया. एक दिन मैं कॉलेज जाते समय अपने कमरे की खिड़की (विंडो) खुली छ्चोड़ गया. उस दिन कॉलेज से मैं जल्दी वापस आ गया. घर का दरवाज़ा अंदर से बंद था. मैं चुपके से अपनी खिड़की के रास्ते अपने कमरे में दाखिल हो गया. भाभी किचन में काम कर रही थी. काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद आख़िर मेरी तपस्या रंग लाई. भाभी अपने कमरे में आई.
गतान्क से आगे................
चोरी पकड़े जाने के कारण मैं सकपका गया और " कुच्छ नहीं भाभी" कहता हुआ छत पर भाग गया. अब तो रात दिन भाभी की सफेद पॅंटी में छिपी हुई बूर की याद सताने लगी.
मेरे दिल में विचार आया, क्यों ना भाभी को अपने विशाल लंड के दर्शन कराऊ. भाभी रोज़ सबेरे मुझे दूध का ग्लास देने मेरे कमरे में आती थी. एक दिन सबेरे मैं तौलिया लप्पेट कर न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करते हुए इस प्रकार बैठ गया कि सामने से आती हुई भाभी को मेरा लटकता हुआ लंड नज़र आ जाए.
जैसे ही मुझे भाभी के आने की आहट सुनाई दी,मैने न्यूसपेपर अपने चेहरे के सामने कर लिया, टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया ताकि भाभी को पूरे लंड के आसानी से दर्शन हो सकें और न्यूसपेपर के बीच के छेद से भाभी की प्रतिक्रिया देखने के लिए रेडी हो गया. जैसे ही भाभी दूध का ग्लास लेकर मेरे कमरे में दाखिल हुई, उनकी नज़र तौलिए के नीचे से झाँकते मेरे 7-8 इंच लंबे मोटे हथोदे की तरह लटकते हुए लंड पे पड़ गयी.
वो सकपका कर रुक गयी, आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गयी और उन्होनें अपना नीचला होंठ दाँतों से दबा दिया. एक मिनिट बाद उन्होनें होश संभाला और जल्दी से ग्लास रख कर भाग गयी. करीब 5 मिनिट के बाद फिर भाभी के कदमों की आहट सुनाई दी. मैने झट से पहले वाला पोज़ धारण कर लिया और सोचने लगा, भाभी अब क्या करने आ रही है.
न्यूसपेपर के छेद में से मैने देखा भाभी हाथ में पोछे का कपड़ा ले कर अंदर आई और मुझसे करीब 5 फुट दूर ज़मीन पर बैठ कर कुच्छ सॉफ करने का नाटक करने लगी. वो नीचे बैठ कर तोलिये के नीचे लटकता हुआ लंड ठीक से देखना चाहती थी. मैने भी अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर दिया जिससे भाभी को मेरे विशाल लंड के साथ मेरी बॉल्स के भी दर्शन अच्छी तरह से हो जाएँ.
भाभी की आँखें एकटक मेरे लंड पर लगी हुई थी, उन्होनें अपने होंठ दाँतों से इतनी ज़ोर से काट लिए कि उनमे थोड़ा सा खून निकल आया. माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई. भाभी की यह हालत देख कर मेरे लंड ने फिर से हरकत शुरू कर दी. मैने बिना न्यूसपेपर चेहरे से हटाए भाभी से पूछा
"क्या बात है भाभी क्या कर रही हो?"
भाभी हडॅवाडा कर बोली " कुच्छ नहीं, थोड़ा दूध गिर गया था उसे सॉफ कर रही हूँ." यह कह कर वो जल्दी से उठ कर चली गयी. मैं मन ही मन मुस्काया. अब तो जैसे मुझे भाभी की चूत के सपने आते हैं वैसे ही भाभी को भी मेरे मस्ताने लंड के सपने आएँगे. लेकिन अब भाभी एक कदम आगे थी. उसने तो मेरे लंड के दर्शन कर लिए थे पर मैने अभी तक उनकी चूत को नहीं देखा था. मुझे मालूम था कि भाभी रोज़ हमारे जाने के बाद घर का सारा काम निपटा कर नहाने जाती थी. मैने भाभी की चूत देखने का प्लान बनाया. एक दिन मैं कॉलेज जाते समय अपने कमरे की खिड़की (विंडो) खुली छ्चोड़ गया. उस दिन कॉलेज से मैं जल्दी वापस आ गया. घर का दरवाज़ा अंदर से बंद था. मैं चुपके से अपनी खिड़की के रास्ते अपने कमरे में दाखिल हो गया. भाभी किचन में काम कर रही थी. काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद आख़िर मेरी तपस्या रंग लाई. भाभी अपने कमरे में आई.
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Re: चिकनी भाभी
वो मस्ती में कुच्छ गुनगुना रही थी. देखते ही देखते उसने अपनी नाइटी उतार दी. अब वो सिर्फ़ आसमानी रंग की ब्रा और पॅंटी में थी. मेरा लंड हुंकार भरने लगा. क्या बला की सुन्दर थी. गोरा बदन, पतली कमर,उसके नीचे फैलते हुए भारी चूतड़ और मोटी जंघें किसी नमर्द का भी लंड खड़ा कर दें. भाभी की बड़ी बड़ी चुचियाँ तो ब्रा में समा नहीं पा रही थी.
ओर फिर वही छ्होटी सी पॅंटी, जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा रखी थी. भाभी के भारी चूतर उनकी पॅंटी से बाहर गिर रहे थे. दोनो चूतरो का एक चौथाई से भी कम भाग पॅंटी में था. बेचारी पॅंटी भाभी के चूतरो के बीच की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी. उनकी जांघों के बीच में पॅंटी से धकि फूली हुई चूत का उभार तो मेरे दिल ओ दिमाग़ को पागल बना रहा था.
मैं साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब भाभी पॅंटी उतारे और मैं उनकी चूत के दर्शन करूँ. भाभी शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने को निहार रही थी. उनकी पीठ मेरी तरफ थी. अचानक भाभी ने अपनी ब्रा और फिर पॅंटी उतार कर वहीं ज़मीन पर फेंक दी. अब तो उनके नंगे चौड़े और गोल-गोल चूतड़ देख कर मेरा लंड बिल्कुल झरने वाला हो गया.
मेरे मन में सोचा कि भैया ज़रूर भाभी की चूत पीछे से भी लेते होंगे ओर क्या कभी भैया ने भाभी की गांद मारी होगी. मुझे ऐसी लाजबाब औरत की गांद मिल जाए तो मैं स्वर्ग जाने से भी इनकार कर दूं. लेकिन मेरी आज की प्लॅनिंग पर तब पानी फिर गया जब भाभी बिना मेरी तरफ़ घूमे बाथरूम में नहाने चली गयी. उनकी ब्रा और पॅंटी वहीं ज़मीन पर पड़ी थी.
मैं जल्दी से भाभी के कमरे में गया और उनकी पॅंटी उठा लाया. मैने उनकी पॅंटी को सूँघा. भाभी की चूत की महक इतनी मादक थी कि मेरा लंड और ना सहन कर सका और झार गया. मैने उस पॅंटी को अपने पास ही रख लिया और भाभी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. सोचा जब भाभी नहा कर नंगी बाहर निकलेगी तो उनकी चूत के दर्शन हो ही जाएँगे.
लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. भाभी जब नहा के बाहर निकली तो उन्होने काले रंग की पॅंटी और ब्रा पहन रखी थी. कमरे में अपनी पॅंटी गायब पा कर सोच में पड़ गयी. अचानक उन्होनें जल्दी से नाइटी पहन ली और मेरे कमरे की तरफ आई. शायद उन्हें शक हो गया कि यह काम मेरे अलावा और कोई नहीं कर सकता. मैं झट से अपने बिस्तेर पर ऐसे लेट गया जैसे नींद में हूँ. भाभी मुझे कमरे में देखकर सकपका गयी. मुझे हिलाते हुए बोली…..
"आशु उठ. तू अंदर कैसे आया?"
मैने आँखें मलते हुए उठने का नाटक करते हुए कहा " क्या करूँ भाभी आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया. घर का दरवाज़ा बंद था बहुत खटखटाने पर जब आपने नहीं खोला तो मैं अपनी खिड़की के रास्ते अंदर आ गया."
"तू कितनी देर से अंदर है?"
"यही कोई एक घंटे से."
ओर फिर वही छ्होटी सी पॅंटी, जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा रखी थी. भाभी के भारी चूतर उनकी पॅंटी से बाहर गिर रहे थे. दोनो चूतरो का एक चौथाई से भी कम भाग पॅंटी में था. बेचारी पॅंटी भाभी के चूतरो के बीच की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी. उनकी जांघों के बीच में पॅंटी से धकि फूली हुई चूत का उभार तो मेरे दिल ओ दिमाग़ को पागल बना रहा था.
मैं साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब भाभी पॅंटी उतारे और मैं उनकी चूत के दर्शन करूँ. भाभी शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने को निहार रही थी. उनकी पीठ मेरी तरफ थी. अचानक भाभी ने अपनी ब्रा और फिर पॅंटी उतार कर वहीं ज़मीन पर फेंक दी. अब तो उनके नंगे चौड़े और गोल-गोल चूतड़ देख कर मेरा लंड बिल्कुल झरने वाला हो गया.
मेरे मन में सोचा कि भैया ज़रूर भाभी की चूत पीछे से भी लेते होंगे ओर क्या कभी भैया ने भाभी की गांद मारी होगी. मुझे ऐसी लाजबाब औरत की गांद मिल जाए तो मैं स्वर्ग जाने से भी इनकार कर दूं. लेकिन मेरी आज की प्लॅनिंग पर तब पानी फिर गया जब भाभी बिना मेरी तरफ़ घूमे बाथरूम में नहाने चली गयी. उनकी ब्रा और पॅंटी वहीं ज़मीन पर पड़ी थी.
मैं जल्दी से भाभी के कमरे में गया और उनकी पॅंटी उठा लाया. मैने उनकी पॅंटी को सूँघा. भाभी की चूत की महक इतनी मादक थी कि मेरा लंड और ना सहन कर सका और झार गया. मैने उस पॅंटी को अपने पास ही रख लिया और भाभी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. सोचा जब भाभी नहा कर नंगी बाहर निकलेगी तो उनकी चूत के दर्शन हो ही जाएँगे.
लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. भाभी जब नहा के बाहर निकली तो उन्होने काले रंग की पॅंटी और ब्रा पहन रखी थी. कमरे में अपनी पॅंटी गायब पा कर सोच में पड़ गयी. अचानक उन्होनें जल्दी से नाइटी पहन ली और मेरे कमरे की तरफ आई. शायद उन्हें शक हो गया कि यह काम मेरे अलावा और कोई नहीं कर सकता. मैं झट से अपने बिस्तेर पर ऐसे लेट गया जैसे नींद में हूँ. भाभी मुझे कमरे में देखकर सकपका गयी. मुझे हिलाते हुए बोली…..
"आशु उठ. तू अंदर कैसे आया?"
मैने आँखें मलते हुए उठने का नाटक करते हुए कहा " क्या करूँ भाभी आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया. घर का दरवाज़ा बंद था बहुत खटखटाने पर जब आपने नहीं खोला तो मैं अपनी खिड़की के रास्ते अंदर आ गया."
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"यही कोई एक घंटे से."
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Re: चिकनी भाभी
अब तो भाभी को शक हो गया कि शायद मैने उन्हें नंगी देख लिया था. और फिर उनकी पॅंटी भी तो गायब थी. भाभी ने शरमाते हुए पूछा " कहीं तूने मेरे कमरे से कोई चीज़ तो नहीं उठाई?'
"अरी हाँ भाभी! जब मैं आया तो मैने देखा कि कुच्छ कपड़े ज़मीन पर पड़े हैं. मैने उन्हें उठा लिया." भाभी का चेहरा सुर्ख हो गया. हिचकिचाते हुए बोली
"वापस कर मेरे कपड़े."
मैं तकिये के नीचे से भाभी की पॅंटी निकालते हुए बोला " भाभी ये तो अब मैं वापस नहीं दूँगा."
"क्यों अब तू औरतों की पॅंटी पहनना चाहता है?"
"नहीं भाभी" मैं पॅंटी को सून्घ्ता हुआ बोला…
"इसकी मादक खुश्बू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है."
"अरे पागला है? यह तो मैने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे."
"नहीं भाभी धोने से तो इसमे से आपकी महक निकल जाएगी. मैं इसे ऐसे ही रखना चाहता हूँ."
"धात पागल! अच्छा तू कब्से घर में है?" भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैने उसे नंगी तो नहीं देख लिया. मैने कहा
"भाभी मैं जानता हूँ कि आप क्या जानना चाहती हैं. मेरी ग़लती क्या है, जब मैं घर आया तो आप बिल्कुल नंगी शीशे के सामने खड़ी थी. लेकिन आपको सामने से नहीं देख सका. सच कहूँ भाभी आप बिल्कुल नंगी हो कर बहुत ही सुन्दर लग रही थी. पतली कमर, भारी और गोल-गोल मस्त चूतड़ और गदराई हुई जंघें देख कर तो बड़े से बड़े ब्रहंचारी की नियत भी खराब हो जाए."
भाभी शर्म से लाल हो उठी.
"हाई राम तुझे शर्म नहीं आती. कहीं तेरी भी नियत तो नहीं खराब हो गयी है?"
"आपको नंगी देख कर किसकी नियत खराब नहीं होगी?"
"हे भगवान, आज तेरे भैया से तेरी शादी की बात करनी ही पड़ेगी" इससे पहले मैं कुछ और कहता वो अपने कमरे में भाग गयी.
"अरी हाँ भाभी! जब मैं आया तो मैने देखा कि कुच्छ कपड़े ज़मीन पर पड़े हैं. मैने उन्हें उठा लिया." भाभी का चेहरा सुर्ख हो गया. हिचकिचाते हुए बोली
"वापस कर मेरे कपड़े."
मैं तकिये के नीचे से भाभी की पॅंटी निकालते हुए बोला " भाभी ये तो अब मैं वापस नहीं दूँगा."
"क्यों अब तू औरतों की पॅंटी पहनना चाहता है?"
"नहीं भाभी" मैं पॅंटी को सून्घ्ता हुआ बोला…
"इसकी मादक खुश्बू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है."
"अरे पागला है? यह तो मैने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे."
"नहीं भाभी धोने से तो इसमे से आपकी महक निकल जाएगी. मैं इसे ऐसे ही रखना चाहता हूँ."
"धात पागल! अच्छा तू कब्से घर में है?" भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैने उसे नंगी तो नहीं देख लिया. मैने कहा
"भाभी मैं जानता हूँ कि आप क्या जानना चाहती हैं. मेरी ग़लती क्या है, जब मैं घर आया तो आप बिल्कुल नंगी शीशे के सामने खड़ी थी. लेकिन आपको सामने से नहीं देख सका. सच कहूँ भाभी आप बिल्कुल नंगी हो कर बहुत ही सुन्दर लग रही थी. पतली कमर, भारी और गोल-गोल मस्त चूतड़ और गदराई हुई जंघें देख कर तो बड़े से बड़े ब्रहंचारी की नियत भी खराब हो जाए."
भाभी शर्म से लाल हो उठी.
"हाई राम तुझे शर्म नहीं आती. कहीं तेरी भी नियत तो नहीं खराब हो गयी है?"
"आपको नंगी देख कर किसकी नियत खराब नहीं होगी?"
"हे भगवान, आज तेरे भैया से तेरी शादी की बात करनी ही पड़ेगी" इससे पहले मैं कुछ और कहता वो अपने कमरे में भाग गयी.
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Re: चिकनी भाभी
भैया को कल 6 महीने के लिए किसी ट्रैनिंग के लिए मुंबई जाना था. आज उनका आखरी दिन था. आज रात को तो भाभी की चुदाई निश्चित ही थी. रात को भाभी नींद आने का बहाना बना कर जल्दी ही अपने कमरे में चली गयी. उसके कमरे में जाते ही लाइट बंद हो गयी. मैं समझ गया कि चुदाई शुरू होने में अब देर नहीं. मैं एक बार फिर चुपके से भाभी के दरवाज़े पर कान लगा कर खड़ा हो गया.
अंदर से मुझे भैया भाभी की बातें सॉफ सुनाई दे रही थी. भैया कह रहे थे,
"सिम्मी, 6 महीने का समय तो बहुत होता है. इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे जी सकूँगा. ज़रा सोचो 6 महीने तक तुम्हारी बूर नहीं चोद सकूँगा."
"आप तो ऐसे बोल रहें हैं जैसे यहाँ रोज़ …."
"क्या मेरी जान बोलो ना. शरमाती क्यों हो? कल तो मैं जा रहा हूँ. आज रात तो खुल के बात करो. तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर दिल खुश हो जाता है."
"मैं तो आपको खुश देखने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ. मैं तो ये कह रही थी, यहाँ आप कॉन सा मुझे रोज़ चोद्ते हैं." भाभी के मुँह से चुदाई की बात सुन मेरा लंड फंफनाने लगा.
"सिम्मी यहाँ तो बहुत काम रहता है इसलिए थक जाता था. वापस आने के बाद मेरा प्रमोशन हो जाएगा और उतना काम नहीं होगा. फिर तो मैं तुम्हें रोज़ चोदुन्गा. बोलो मेरी जान रोज़ चुदवाओगि ना."
"मेरे राजा, सच बताऊ मेरा दिल तो रोज़ ही चुदवाने को करता है पर आपको तो चोदने की फ़ुर्सत ही नहीं. क्या अपनी जवान बीवी को महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही चोदा जाता है?"
"तो तुम मुझसे कह नहीं सकती थी?
"कैसी बातें करतें हैं? औरत ज़ात हूँ. चोदने में पहल करना तो मर्द का काम होता है. मैं आपसे क्या कहती? चोदो मुझे? रोज़ रात को आपके लंड के लिए तरसती रहती हूँ."
"सिम्मी तुम जानती हो मैं ऐसा नहीं हूँ. याद है अपना हनिमून, जब दस दिन तक लगातार दिन में तीन चार बार तुम्हें चोद्ता था? बल्कि उस वक़्त तो तुम मेरे लंड से घबरा कर भागती फिरती थी."
" याद है मेरे राजा. लेकिन उस वक़्त तक सुहाग रात की चुदाई के कारण मेरी चूत का दर्द दूर नहीं हुआ था.
आपने भी तो सुहाग रात को मुझे बड़ी बेरहमी से चोदा था."
"उस वक़्त मैं अनाड़ी था मेरी जान"
क्रमशः...............
अंदर से मुझे भैया भाभी की बातें सॉफ सुनाई दे रही थी. भैया कह रहे थे,
"सिम्मी, 6 महीने का समय तो बहुत होता है. इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे जी सकूँगा. ज़रा सोचो 6 महीने तक तुम्हारी बूर नहीं चोद सकूँगा."
"आप तो ऐसे बोल रहें हैं जैसे यहाँ रोज़ …."
"क्या मेरी जान बोलो ना. शरमाती क्यों हो? कल तो मैं जा रहा हूँ. आज रात तो खुल के बात करो. तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर दिल खुश हो जाता है."
"मैं तो आपको खुश देखने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ. मैं तो ये कह रही थी, यहाँ आप कॉन सा मुझे रोज़ चोद्ते हैं." भाभी के मुँह से चुदाई की बात सुन मेरा लंड फंफनाने लगा.
"सिम्मी यहाँ तो बहुत काम रहता है इसलिए थक जाता था. वापस आने के बाद मेरा प्रमोशन हो जाएगा और उतना काम नहीं होगा. फिर तो मैं तुम्हें रोज़ चोदुन्गा. बोलो मेरी जान रोज़ चुदवाओगि ना."
"मेरे राजा, सच बताऊ मेरा दिल तो रोज़ ही चुदवाने को करता है पर आपको तो चोदने की फ़ुर्सत ही नहीं. क्या अपनी जवान बीवी को महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही चोदा जाता है?"
"तो तुम मुझसे कह नहीं सकती थी?
"कैसी बातें करतें हैं? औरत ज़ात हूँ. चोदने में पहल करना तो मर्द का काम होता है. मैं आपसे क्या कहती? चोदो मुझे? रोज़ रात को आपके लंड के लिए तरसती रहती हूँ."
"सिम्मी तुम जानती हो मैं ऐसा नहीं हूँ. याद है अपना हनिमून, जब दस दिन तक लगातार दिन में तीन चार बार तुम्हें चोद्ता था? बल्कि उस वक़्त तो तुम मेरे लंड से घबरा कर भागती फिरती थी."
" याद है मेरे राजा. लेकिन उस वक़्त तक सुहाग रात की चुदाई के कारण मेरी चूत का दर्द दूर नहीं हुआ था.
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"उस वक़्त मैं अनाड़ी था मेरी जान"
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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