ज़ाहिद की अम्मी ने अपने बेटे के लिए खाना लगा दिया. ज़ाहिद खाना खाते ही अम्मी को खुदा हाफ़िज़ कह कर अपने कमरे में चला आया और एक फिर की स्टडी करने लगा.
ज़ाहिद को दूसरे दिन सुबह जल्दी उठा कर पिंडी जाना था. इस लिए वो जल्द ही बिस्तर पर सोने के लिए लेट गया और दिन भर की थकावट की बदोलत वो फ़ॉरन ही नींद में चला गया.
उधर भाई की नज़रो में शरीफ और नेक परवीन नज़र आने वाली शाज़िया की हालत भी नीलोफर से मुक्तिलफ नही थी.
शाज़िया के जिस्म में भी जवानी की आग तो बहुत थी. मगर अपनी इस आग को किसी गैर मर्द से बुझवाने के लिए वो कोई ख़तरा मोल नही ले सकती थी.
क्योंकि वो नही चाहती थी.कि इस के किसी भी ग़लत कदम से उस के खानदान की इज़्ज़त पर कोई उंगली उठाए.
मगर इस के बावजूद सच्ची बात तो यह थी. कि नीलोफर की तरह शाज़िया को भी तलाक़ के बाद उस के अपने जिस्म की आग ने बहुत परेशान कर रखा था.
लेकिन शाज़िया अपने जिस्म की आग को अभी तक अपने अंदर ही रख ने में कामयाब रही थी.
क्योंकि इस आग को संभालने का हल उस ने यह निकाला था. कि वो बाथरूम में नहाते वक्त अक्सर अपनी जवानी की आग को अपनी उंगली से ठंडा कर के पूर सकून हो जाती थी.
उस रात भी शाज़िया किचन में सारे काम निपटा कर थकि हारी अपने कमरे में आइए तो देखा कि उस की अम्मी उस के आने से पहले ही सो चुकी हैं.
शाज़िया ने भी खामोशी से अपना बिस्तर सीधा किया और अपना दुपट्टा उतार कर अपने सिरहाने रखा और अपने बिस्तर पर लेट गई.
कमरे में उस की अम्मी के ख़र्राटों की आवाज़ पूरी तरह से गूँज रही थी. इस लिए इस शोर में शाज़िया का सोना मुहाल हो रहा था.
वैसे भी आज नींद शाज़िया की आँखों से कोसो दूर थी. वो करवट ले कर कभी इधर तो कभी उधर , कभी सीधा तो कभी उल्टा हो रही थी.
इस की वजह यह थी. कि हर शादी शुदा लड़की की तरह शाज़िया को तलाक़ के बाद भी अपनी सुहाग रात कभी नही भूली थी. और आज फिर शाजिया को अपनी सुहाग रात शिद्दत से याद आ रही थी.
उस रात शाज़िया को उस के सबका शोहर ने 3 बार चोदा था और उन की चुदाई सुबह होने तक चली थी.
अपनी सुहाग रात को याद कर के शाज़िया की हालत बिगड़ने लगी और उस का पूरा जिस्म पसीने से भीगने लगा.जब कि प्यास कर मारे उस का गला भी खुश्क हो चुका था.
शाज़िया ने अपनी कमीज़ के कोने को उठा कर अपना चहरा सॉफ किया. फिर और दूसरे बिस्तर पर सोई हुई अपनी अम्मी की तरफ देख कर वो यह इतमीनान करने लगी कि वाकई ही उस की अम्मी सो चुकी हैं या नही.
कमरे में हल्की हल्की रोशनी की वजह से उस को नज़र आया कि उस की अम्मी वाकई ही दूसरी तरफ करवट बदल कर सो रहीं हैं. तो शाज़िया ने पहले तो अपने दोनो हाथो से अपनी बड़ी बड़ी छातियों को अपने हाथो में ले कर उन को हल्का हल्का दबाना शुरू किया.
फिर थोड़ी देर अपने मम्मों से खेलने के बाद शाजिया ने अपना एक हाथ आहिस्ता आहिस्ता अपने पेट से नीचे ले जा कर उसे अपनी शलवार के अंदर डाला और अपने हाथ को अपनी चूत के ऊपर रख दिया.
अपने चूचों से खुद की छेड़ खानी करने ही से शाज़िया की हालत बहुत बिगड़ चुकी थी. अपने चूचों को अपने हाथों से प्रेस करने की बदोलत ना सिर्फ़ शाज़िया की चूत बिल्कुल गीली हो गई थी. बल्कि उस की सारी शलवार भी चूत का पानी छूटने की वजह से गीली हो गई थी.
शाज़िया ने अपने हाथ को अपनी चूत के ऊपर रखते ही अपनी गीली चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं और बहुत तेज़ी के साथ अपनी उंगलियों को चूत में अंदर बाहर करने लगी.
शाज़िया के दिमाग़ में शादी के दिनो के वो सारे मंज़र घूमने लगे. जब उस का शोहर उसे तरह तरह के पोज़ में चोदता था.
अपने पुराने शोहर का लंबा, मोटा और सख़्त लंड शाज़िया को इस वक्त बहुत याद आ रहा था.और वो गरम होते हुए अपनी चूत को खुद ही अपनी उंगलियों से चोद रही थी.
इस तरह अपनी चूत से खेलते वक्त शिद्दती जज़्बात से बेबस हो कर शाज़िया अपने होश गँवा बैठी.
उसे यह याद ही ना रहा कि उस के साथ कमरे में उस की अम्मी भी सो रही हैं.
अपनी चूत को रगड़ते रगड़ते शाज़िया के मुँह से “सीयी सीयी सी उम्मह उम्मह” की आवाज़ें आने लगीं.जिन को सुन कर कमरे के दूसरी तरफ़ सोती हुई शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी की आँखे अचानक खुल गई.
पहले तो रज़िया बीबी को समझ नही आई कि यह किस किस्म की आवाज़ें उस के कानो में सुनाई दे रही हैं. फिर जब उस की आँखें कमरे की हल्की रोशनी में देखने के काबिल हुईं. तो उस ने अपनी बेटी शाज़िया के जिस्म के निचले हिस्से पर पड़ी चादर को तेज़ी से ऊपर नीचे होते देखा तो वो हैरत जदा रह गई.
रज़िया बीबी खुद बेवा की ज़िंदगी गुज़ार रही थी. इस लिए वो अपनी बेटी की तरफ देखते और कमरे में आती आवाज़ों को सुन कर फॉरन समझ गई. कि इस वक्त उस की बेटी शाज़िया किस किसम का “खेल” खेलने में मसरूफ़ है.
फिर रज़िया के देखते ही देखते शाज़िया के जिस्म ने एक ज़ोर का झटका लिया और फिर वो पुरसकून हो गई.
शाज़िया की अम्मी ने अपनी बेटी को अपनी चूत में उंगली मारते देख तो लिया था. मगर वो यह बात सोच कर चुप हो गई कि आख़िर जवान बेटी के भी जज़्बात हैं.
और अपने शोहर से तलाक़ के बाद अपने जवानी के मचलते जज़्बात को बुझाने के लिए अब शाज़िया कर भी क्या सकती थी.
यही बात सोच कर रज़िया बीबी ने करवट बदली और फिर से सोने के जतन करने लगी.
वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
उधर अपनी अम्मी के जाग जाने से बे खबर शाज़िया ने भी अपनी चूत के पानी को निकाल कर सकून की साँस ली और अपने हाथ को अपनी शलवार के अंदर ही छोड़ कर नींद में चली गई.
दूसरे दिन ज़ाहिद को एक केस के सिलसिले में रावलपिंडी की हाइ कोर्ट में अपना बयान रेकॉर्ड करवाना था. इस लिए वो अपनी अम्मी और बेहन शाज़िया के उठने से पहले ही घर से निकल कर पिंडी चला गया.
शाज़िया सुबह उठ कर स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी. जब कि उस की अम्मी ने हाथ मुँह धो कर अपने और शाज़िया के लिए नाश्ता तैयार करना शुरू कर दिया.
नाश्ते से फारिग होते ही शाज़िया के कानों में अपनी स्कूल वॅन के हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी. तो वो जल्दी से अम्मी को खुदा हाफ़िज़ कह कर स्कूल के लिए निकल पड़ी.
स्कूल पहुँच कर ज्यों ही शाज़िया स्टाफ रूम में दाखिल हुई. तो उस का सामना चेयर पर बैठी हुई एक खूबसूरत और जवान टीचर से हुआ.
शाज़िया यह ज़रूर जानती थी कि यह टीचर अभी नई नई (न्यू) उस के स्कूल में आई है. मगर इस टीचर से अभी तक शाज़िया का तार्रुफ नही हुआ था.
जब उस टीचर ने शाज़िया को स्टाफ रूम में दाखिल होते देखा तो वो अपनी चेयर से उठ खड़ी हुई और शाज़िया की तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए बोली” अस्लाम-वालेकुम मेरा नाम नीलोफर है और में आप के स्कूल में अभी नई आई हूँ.
(जी हां रीडर्स यह टीचर वो ही नीलोफर थी. जिस को एक दिन पहले एएसआइ ज़ाहिद ने अपने ही भाई के साथ चुदाई करते रंगे हाथों पकड़ा था.
चूँकि नीलोफर ने उसी सुबह ज़ाहिद को उस की बेहन शाज़िया के साथ स्कूल के गेट पर देखा हुआ था. इसी लिए वो अल कौसेर होटेल के रूम में ज़ाहिद को देख कर चोन्कि थी.)
शाज़िया: वाले-कूम-सलाम, आप से मिल कर ख़ुसी हुई.
यह कह कर शाज़िया ने भी उसे अपना तारूफ़ करवाया और फिर वो दोनो अपनी अपनी क्लास को अटेंड करने निकल गईं.
नीलोफर ने अपनी क्लास के स्टूडेंट्स को पढ़ने के लिए सबक दिया और खुद सीट पर बैठ कर कुछ सोचने लगी.
इस के बावजूद नीलोफर ने कल दो मर्दो से एक साथ चुदवा कर जिन्सी जिंदगी का एक नया मज़ा लूटा था. मगर फिर भी नीलोफर को एएसआइ ज़ाहिद के पोलीस रेड की वजह से इस तरह रंगे हाथों पकड़े जाने और फिर यूँ अपनी गान्ड की सील तुड़वाने का बहुत रंज हुआ था.
अब जब कि एक बार की चुदाई के बाद एएसआइ ज़ाहिद ने उस को दुबारा अपने पास आ कर चुदवाने का कह दिया था. तो अब नीलोफर को यह डर लग गया था कि वो नज़ाने कब तक एएसआइ ज़ाहिद के हाथों ब्लॅक मैल होती रहे गी.
इस लिए वो अब यह सोचने पर मजबूर हो गई. कि किस तरह जल्द आज़ जल्द वो कोई ऐसी राह निकाल ले जिस की वजह से एएसआइ ज़ाहिद उन दोनो बेहन भाई की जान छोड़ दे.
सोचते सोचते नीलोफर को एक प्लान ज़हन में आया और इस को सोच कर वो खुद-ब-खुद ही मुस्कराने लगी.
फिर उसी दिन घर जा कर नीलोफर ने अपने भाई जमशेद को बुलाया और उस को अपना सारा प्लान बता दिया.
जमशेद भी यह जानता था. कि अगर वो चुप रहे तो एएसआइ ज़ाहिद उन को हमेशा किसी ना किसी तरीके से ब्लॅक मैल करता रहे गा.
इस लिए अपनी बेहन का प्लान सुन कर उसे भी यकीन हो गया कि अगर उन की किस्मत ने साथ दिया तो वो एएसआइ ज़ाहिद से छुटकारा हाँसिल कर सकते हैं.
उधर पिंडी में कोर्ट से फारिग हो कर ज़ाहिद सदर बाज़ार चला आया.
कल उस का मोबाइल फोन उस के हाथ से गिर कर टूट जाने की वजह से उस के पास अब कोई फोन नही था. इस लिए ज़ाहिद ने एक नया फोन मोबाइल खरीदने का इरादा किया.
आज कल स्मार्ट फोन्स मार्केट में आ जाने की वजह से हर दूसरा आदमी इस किस्म के फोन्स का दीवाना बना नज़र आता है.
और जो लोग आइफ़ोन या सॅमसंग गॅलक्सी अफोर्ड नही कर सकते,उन के लिए कई तरह के दूसरे ब्रांड के स्मार्ट फोन्स मार्केट में दस्तियाब हैं.
इस लिए एक मोबाइल शॉप पर नये फोन चेक करते हुए ज़ाहिद ने “क्यू मोबाइल” के नये मॉडेल के ड्युयल सिम वाले दो स्मार्ट फोन खरीद लिए.
एक फोन ज़ाहिद ने अपने लिए खरीदा और दूसरा उस ने अपनी बेहन शाज़िया को तोहफे में देने के इरादे से खदीद लिया.फिर ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के लिए भी कुछ शलवार कमीज़ सूट्स खरीदे और झेलम वापिस आने के लिए फ्लाइयिंग कोच (वॅन) में बैठ गया.
झेलम वापसी के सफ़र के दौरान ज़ाहिद फिर से नीलोफर और उस के भाई के ताल्लुक़ात के बड़े में सोचने लगा.
ज़ाहिद के दिल में ख्यान आया कि यह कैसे मुमकिन है कि एक सगा भाई अपने जिन्सी जज़्बात के हाथो मजबूर हो कर अपनी ही सग़ी बेहन से जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम कर बैठे.
यह ही बात सोचते सोचते कल शाम की तरह ज़ाहिद का ध्यान दुबारा अपनी बेहन शाज़िया की तरफ चला गया.
“मेरी बेहन को तलाक़ हुए काफ़ी टाइम हो चुका है. तो वो अब अपनी जवानी के उभरते हुए जज़्बात को कैसे ठंडा करती हो गी” ज़ाहिद के ज़हन में कल वाला सवाल दुबारा फिर से गूंजा.
नीलोफर की उस के भाई के साथ चुदाई देखने के बाद ज़ाहिद का लंड भी अब आहिस्ता आहिस्ता ज़ाहिद को उस की अपनी ही सग़ी बेहन की जानिब “मायाल” करने की कोशिस कर रहा था. मगर ज़ाहिद के दिल और दिमाग़ उसे इस किस्म की ग़लत सोचों से बाज़ रहने की तालकीन कर रहे थे.
इस कशमकश में गिरफ्तार ज़ाहिद कभी अपने लंड की बात मान लेता और कभी अपने दिल-ओ-दिमाग़ की सुन लेता.
“उफ़फ्फ़ में यह किस सोच में पड़ गया हूँ. मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए अपनी बेहन के बारे में” अपनी बेहन का ख्याल ज़हन में आते ही ज़ाहिद को एक धक्का सा लगा.
और ज़ाहिद ने अपने दिमाग़ से अपनी बेहन के ख्याल निकालने की कॉसिश करते हुए अपनी नज़रों को रोड की तरफ लगा दिया. ता कि चलती वॅन में से बाहर का नज़ारा देखते हुए उस की सोच उस के काबू में आ जाए.
मगर सयाने कहते हैं कि इंसान कभी अपनी सोचो पर काबू नही पा सका है. इस लिए ज़ाहिद की सोच भी रह रह कर उस के दिमाग़ को उस की बेहन की तरफ मुत्वज्जो करने पर तुली हुई थी.
“नीलोफर की तरह मेरी बेहन का बदन भी तो प्यास हो गा तो क्यों ना में भी अपन ही बेहन को फासने की कोशिश करूँ” ज़ाहिद के ज़हन में पहली बार अपनी बेहन के बारे में यह गंदा ख़याल उमड़ा.
“मुझे शरम आनी चाहिए अपनी इस घटिया सोच पर, जमशेद ने जो कुछ अपनी बेहन के साथ किया उस का हिसाब वो खुद दे गा,जो भी हो आख़िर शाज़िया मेरी सग़ी बेहन है और अपनी बेहन के बारे में मेरा इस तरह सोचना भी एक गुनाह है” ज़ाहिद यह बात सोच कर ही काँप गया और फॉरन ही उस के ज़मीर ने उस की सोच पर मालमत करते हुए ज़ाहिद को समझाया.
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
अच्छा अपडेट है
- rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
mini wrote:are aage ki likho,waiting
vnraj wrote:अच्छा अपडेट है
update agli hi post me
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