वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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इस दौरान शाज़िया ने भी अपना स्कूल जाना दुबारा से शुरू कर दिया.

शाज़िया के स्कूल आने के बाद नीलोफर ने उस से बात करने की कोशिश की. मगर शाज़िया के दिल में नीलोफर के लिए गुस्सा अभी तक भरा हुआ था. इसीलिए शाज़िया ने नीलोफर को ज़रा भी घास ना डाली और उसे मुकम्मल नज़र अंदाज़ कर दिया.

शाज़िया का ये रवईया देख कर नीलोफर ने भी उस को तंग करना मुनासिब ना समझा.और शाज़िया से वक्ति तौर पर “कटाए तालूक” कर लिया.

स्कूल में नीलोफर को नज़र अंदाज़ करने के साथ साथ शाज़िया ने अपने घर में रहते हुए अब अपने भाई के सामने आना पहले से भी बहुत कम कर दिया.

जब कि ज़ाहिद भी अपनी नोकरी की मसरूफ़ियत में मगन होने की वजह से अपनी बहन पर ज़्यादा ध्यान नही दे पाया.

ज़ाहिद के अपनी नोकरी के वापिस जाने के दो दिन बाद ही उस को अपनी जॉब प्रमोशन का लेटर मिला.

ज़ाहिद अब एएसआइ से एसआइ (सब इनस्पेक्टर) बन गया. और उस के साथ ही उस को झेलम रिवर के किनारे पर कायम सीआइए स्टाफ (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन अथॉरिटी) का इंचार्ज पोस्ट कर दिया गया.

ज़ाहिद के लिए ये बहुत की खुशी की खबर थी. क्यों कि एक तो ओहदा (पोस्ट) बढ़ा. ऊपर से सीआइए स्टाफ का इंचार्ज के तौर पर ज़ाहिद जैसे राशि पोलीस ऑफीसर के लिए अब माल कमाने के ज़्यादा मौके मॉयसर हो गये थे.

ज़ाहिद की अम्मी भी अपने बेटे की इस तरहकी पर बहुत खुश हुईं. ज़ाहिरी बात है कि जिस बेटे ने एएसआइ होते हुए उन की मौज करवा दीं थी. अब वो पहले से बड़ा ऑफीसर बन कर और ज़्यादा कमाऊ पुत्तर बन गया था.

किचन वाले वॉकये के ठीक एक हफ्ते बाद ज़ाहिद एक दिन रात गये जब अपनी ड्यूटी से वापिस घर लौटा. तो उस वक्त घर में मुकम्मल खामोशी छाई हुई थी.

ज़ाहिद अपनी अम्मी के कमरे के पास से गुज़रते हुए उन के कमरे की बंद लाइट देख कर समझ गया.कि उस की अम्मी अब अपनी मस्त नींद के मज़े ले रहीं हैं.

अपने कमरे में जाते हुए जब वो अपनी बहन शाज़िया के क्मारे के पास से गुजरा तो उस को कमरे में रोशनी नज़र आई.

कमरे में से आती हुई रोशनी को देख कर ज़ाहिद की नज़र अपनी बहन के कमरे की खिड़की पर पड़ी.

कमरे की खिड़की पर एक हल्का सा परदा पड़ा था. और कमरे में लाइट ऑन होने की वजह से बाहर खड़े हुए इंसान हो कमरे का नज़ारा काफ़ी हद तक नज़र आता था.

ज़ाहिद ने देखा कि उस की बहन शाज़िया ना सिर्फ़ अभी तक जाग रही है. बल्कि वो अभी अभी अपने बाथ रूम से निकल कर बेड रूम में दाखिल हो रही थी.

ज़ाहिद के देखते ही देखते शाज़िया अपने कमरे में पड़े हुए बड़े से ड्रेसिंग टेबल के सामने आन खड़ी हुई.

ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े हो कर शाज़िया ने अपनी दाई (राइट) टाँग को टेबल के सामने पड़े स्टूल पर रखा.तो ज़ाहिद को अंदाज़ा हुआ कि उस की बहन तो उस वक्त सिर्फ़ अपनी कमीज़ में ही मलबूस है.



जब कि नीचे शलवार ना पहने होने की वजह से शाज़िया की मोटी मुलायम और गुदाज रान अपनी पूरी आबो ताब के साथ ज़ाहिद की भूकि और प्यासी आँखों के सामने नीम नंगी हो रही थी.

“हाईईईईईईईईईईई” अपनी बहन की ये “सॉफ छुपाते भी नही,सामने आते भी नही” वाली अदा ज़ाहिद के दिल और लंड को घायल कर गई.
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उधर कमरे में शीशे के सामने खड़े हो कर शाज़िया ने अपनी मुलायम रानों पर एक नज़र दौड़ाई. तो उसे कुछ दिन पहले वाला वाकीया याद आ गया.जब उस के भाई ने पहली बार उस की गान्ड की पहाड़ी पर बड़े ज़ोर और जोश से काटा था.

एक हफ़्ता गुज़र जाने के बावजूद शाज़िया को अपने भाई के दाँतों की चुभन अपनी गान्ड की पहाड़ी पर महसूस हो रही थी.

शाज़िया ने अपना एक हाथ पीछे लेजा कर गैर इरादी तौर पर अपनी गान्ड के उपेर से अपनी कमीज़ का कोना उठाया. और थोड़ी तिरछही हो कर शीशे में अपनी गान्ड को देखने लगी. कि कहीं उस के भाई के “काटने” (बाइट) का निशान अब भी उस की गान्ड की पहाड़ी पर बाकी तो नही.

अपनी बहन को यूँ अपनी गान्ड का जायज़ा लेता देख कर कमरे से बाहर खड़े ज़ाहिद के तो होश की उड़ गये. और उस का लंड पहले से ज़्यादा रफ़्तार से उस की पॅंट में फन फनाने लगा.

फिर स्टूल पर अपनी टाँग को इसी स्टाइल में रख कर शाज़िया ने ड्रेसिंग टेबल से स्किन माय्स्चर क्रीम उठाई.और एक एक कर के अपनी दोनो गुदाज रानों और लंबी लंबी टाँगों पर क्रीम लगाने लगी.

“हाईईईईईई शाज़िया मेरी जान अगर तुम मुझे इजाज़त दो, तो में अपने लंड की टोपी पर क्रीम लगा कर तुम्हारी मोटी राणू पर अपने लंड से मालिश कारों मेरी बहन”कमरे से बाहर खड़े ज़ाहिद ने अपनी बहन को अपनी गरम और मोटी रानों पर क्रीम से भरे हाथ फेरते देख कर गरम होते हुए कहा.

जब शाज़िया अपने काम से फारिग हुई तो उस ने बेड के ऊपर पड़ी अपनी शलवार को उठा कर पहन लिया.



और फिर से शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने जवान बदन का जायज़ा लेने में मसरूफ़ हो गई.

शाज़िया ये बात तो जानती थी कि उस का जिस्म मर्दो को अपनी तरफ खैंचता है.

मगर आज वो शीशे के सामने खड़े हो अपना बदन को देख कर ये सोचने लगी. कि देखूं तो सही कि उस के जिस्म में ऐसी क्या खास बात है.कि और तो और उस का अपना सगा बड़ा भाई भी उस के जिस्म का आशिक़ हो गया है.

ज़ाहिद ने तलाक़ के बाद कभी अपनी बहन शाज़िया को इस तरह शीशे के सामने खड़ा होते नही देखा था.

इसीलिए आज अपनी बहन का इस तरह शीशे के सामने खड़े हो कर अपने जिस्म का जायज़ा लेने का मंज़र ज़ाहिद के लिए एक अनोखी बात थी.

इसीलिए वो अपने कमरे में जाने की बजाय शाज़िया के बेड रूम के बाहर ही रुक कर कमरे में खड़ी अपनी बहन को इश्तियाक से देखने लगा.

ज़ाहिद अपनी बहन की मचलती जवानी को देख कर मस्ती से बे करार हो रहा था.

आज ज़ाहिद को उस की बहन की जवानी एक अनोखा ही रस दे रही थी.

फिर ज़ाहिद के देखते ही देखते शाज़िया ने एक बहुत ही मदहोश अंगड़ाई ली.



शाज़िया की इस अंगड़ाई से उस के ब्रेज़ियर में क़ैद मोटे और बड़े मम्मे ऊपर की तरफ छलक उठे. तो ज़ाहिद अपनी बहन की इस मदहोश अदा से मज़ीद गरम और बे चैन हो गया.

रात की तरीकी में तंग शलवार कमीज़ में मलबूस शाज़िया की मदहोश करने वाली अंगड़ाई को देख कर किसी भी मर्द के लिए खुद पर काबू रखना एक ना मुमकिन बात होती.

बिल्कुल ये ही हॉल ज़ाहिद का भी अपनी बहन के जवान बदन को देख कर उस वक्त हो रहा था.

उस पर अपने ही घर के माल पर हाथ मारने की धुन तो नीलोफर पहले ही सवार करवा चुकी थी.

इसीलिए उसे रात के अंधेरे में अपनी बहन के बेड रूम के बाहर खड़े हो कर उस के जवान,प्यासे बदन को देख देख कर अपनी आँखे सेकने में मज़ा आ रहा था.
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अपनी बहन की ये भरपूर अंगड़ाई देख कर ज़ाहिद भी मदहोशी में अपने लंड को पकड़ कर मचल उठा. और वो अपनी पॅंट की पॉकेट में हाथ डाल कर पॅंट में खड़े अपने मोटे लंड से खेलने लगा.

कुछ देर शेषे के सामने अपने जिस्म का अच्छी तरह से दीदार करने के बाद शाज़िया अपने पलंग पर आ गई.

पलंग पर लेट कर उस ने अपनी जवानी को बिस्तर की चादर से ढँक लिया. और हाथ बढ़ा कर कमरे में जलती लाइट को बंद कर दिया.

बहन की जवानी का शो ख़तम हो चुका था. इसीलिए ज़ाहिद भी चलता हुआ अपने कमरे में दाखिल हुआ.

ज़ाहिद का लंड अपनी बहन के बदन के नज़ारे से फुल मस्ती में आया हुआ था.

अपनी कमरे में आते साथ ही ज़ाहिद भी अपने कपड़े तब्दील कर के अपने बिस्तर पर लेट गया.

मगर अपनी बहन की जवानी का ताज़ा ताज़ा नज़ारा देख कर आज नींद उस की आँखों से कोसो दूर भाग चुकी थी.

ज़ाहिद अपनी आँखे बंद किए अपने बिस्तर पर लेटा अपनी बहन के बारे में सोच सोच कर गरम हो रहा था.और उस के हाथ उस की शलवार में खड़े उस के लंड पर आहिस्ता आहिस्ता फिसल रहे थे.

“ओह शाज़िया क्या मस्त मम्मे हैं तुम्हारे और क्या शानदार टाइट चूत हो गी तुम्हारी,हाईईईईईईई,काश तुम मेरी सग़ी बहन ना होतीईईईईइ”. ज़ाहिद अपने लंड से खेलते हुए अपनी बहन के जिस्म को ज़हन में ला कर उस के नाम की मूठ लगा रहा था.

ज़ाहिद को समझ नही आ रही थी.कि उस की बहन इतना ज़्यादा गरम और प्यासी होने के बावजूद अभी तक उस के साथ चुदाई के लिए क्यों रज़ा मंद नही हो रही थी.

ज़ाहिद काफ़ी देर तक इसी सोच में गुम रहा. कि वो किस तरह कुछ ऐसा करे कि उस की बहन गरम हो कर अपने ही आप एक पके हुए फल की तरह उस की झोली में आन गिरे.

ये सोचते सोचे ज़ाहिद को ख्याल आया. कि क्यों ना वो आज रात की तरीकी में अपनी बहन के कमरे में जा कर एक बार फिर अपनी किस्मेत आज़माई करे.

“अगर तो शाज़िया आराम से चुदवाने पर राज़ी हो गई तो ठीक,वरना आज जबर्जस्ती उसे चोद कर ज़रूर अपनी और उस के प्यासे जिस्म की प्यास बुझा लूँगा” ज़ाहिद ने अपनी दिल ही दिल में ये फ़ैसला कर लिया.

(ज़ाहिद के लिए अपनी बहन के अंदर से लॉक हुए रूम में दाखिल होना कोई मुश्किल बात नही थी. इस की वजह ये थी.कि जिस आदमी से ज़ाहिद ने ये मकान खरीदा था. उस ने इस घर के सारे कमरों में ऐसे लॉक लगवाए थे. जिन को बाहर से चाभी लगा कर भी खोला जा सकता था.और मकान बेचते वक्त उस ने ज़ाहिद को घर के सारे कमरों की कीस भी दे दी थी.)

साथ साथ ज़ाहिद को ये भी पता था. कि इन दिनो उस की अम्मी रज़िया बीबी को ब्लड प्रेशर ज़ियादा हो जाने की वजह से सकून के लिए डॉक्टर ने स्लीपिंग टॅबलेट का इस्तेमाल भी शुरू करवा दिया है. जिस वजह से एक दफ़ा सोने के बाद रज़िया बीबी को दूसरी सुबह तक कोई होश नही रहता था.

इसीलिए ज़ाहिद इस बात से निश्चिंत था.कि रात के इस पहर अपने भाई को अपने कमरे में देख कर अगर शाज़िया ने शोर भी मचाया. तो नींद की गोली के असर की वजह से उस की अम्मी का जाग जाना बहुत मुश्किल बात होती.

ये सब सोचते हुए ज़ाहिद अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ.और अपने लंड को मसलता हुआ शाज़िया के कमारे की तरफ चला आया.

अपनी बहन के कमारे के बाहर कुछ देर खड़ा हो कर ज़ाहिद ने कमरे के अंदर किसी किस्म की हरकत की आवाज़ सुनने की कोशिश की. ता कि उसे अंदाज़ा हो सके कि वाकई ही शाज़िया सो भी चुकी है या नही.

जब ज़ाहिद ने अपनी तसल्ली कर ली. तो उस ने अपनी कमीज़ की पॉकेट से कमरे की चाभी निकाली. और बहुत खामोशी और अहतियात से दरवाज़ा खोल कर बहन के कमरे में दाखिल हो गया.

ज़ाहिद ज्यों ही दबे पावं शाज़िया के कमरे में एंटर हुआ. तो सामने का नज़ारा देख कर उस का दिल और लंड दोनो ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगे.



शाज़िया अपने बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी. उस की पतली शलवार उस की मोटी गुदाज गान्ड पर इस तरह कसी हुई थी. कि शलवार में से शाज़िया की भारी गान्ड की पहाड़ियाँ साफ तौर पर नज़र आ रही थी.
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पेट के बल इस तरह लेटने की वजह से शाज़िया के चूतड़ो का उभार बहुत ही जान लेवा था.

बहन की गान्ड का ये नज़ारा देख कर ज़ाहिद की आँखें फटी रह गईं.

बाथरूम के बल्ब से आती हल्की रोशनी में शाज़िया की उठी हुई गान्ड को देख देख कर ज़ाहिद का दिल और लंड अपनी पूरी मस्ती में आ चुका था.

आज रात ज़ाहिद अपनी बहन की जवानी का ज़ायक़ा चखने के पूरे मूड में था.

मगर अपनी बहन के बदन को छूने से पहले वो यकीन करना चाहता था. कि उस की बहन वाकई ही अपनी गहरी नींद में सो रही है कि नही.

क्यों कि ज़ाहिद को ये तो पता था. कि उस के हाथों की छेड़ छाड़ से शाज़िया उठ तो यक़ीनन जाए गी.

मगर वो ये ज़रूर चाहता था. कि शाज़िया उस वक्त ही अपनी नींद से जागे जब उस की फुद्दि इतनी गरम हो चुकी हो. कि फिर उस के लिए अपने भाई के लंड को अपनी फुद्दि में लेने में कोई शरम महसूस ना हो.

इसीलिए ज़ाहिद ने अपनी बहन के गान्ड के पीछे खड़े हो कर शाज़िया को हल्के से पुकारा “ शाज़िया,सो गयी क्या?”.

जब शाज़िया ने कोई जवाब नही दिया. तो ज़ाहिद को यकीन हो गया कि शाज़िया पूर सकून नींद में डूबी हुई है.

अपनी बहन को सोता पा कर अब ज़ाहिद की हिम्मत बढ़ गयी.

अब ज़ाहिद से बिल्कुल सबर नही हो रहा था. इसीलिए उस ने अपना खेल शुरू कर दिया.

ज़ाहिद ने बहुत आहिस्ता से हाथ बढ़ा कर अपनी बहन के चूतड़ पर हाथ फेरना शुरू किया.



अपनी बहन की गोश्त से भरी गान्ड को छूते ही ज़ाहिद के दिल की धड़कन तेज़ होने लगी.

शाज़िया के भारी चूतड़ पर आहिस्ता आहिस्ता हाथ फेरते हुए ज़ाहिद ने हल्के से अपनी एक उंगली को शाज़िया के चूतड़ो की दरार में फेरा.

लेकिन शाज़िया जिस पोज़िशन में सो रही थी. इस पोज़िशन में उस की गान्ड का सुराख शाज़िया की गान्ड की दोनो पहाड़ियों में डूबा हुआ था.इसीलिए चाहने के बावजूद ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड की मोरी को छू ना सका.

इस के बावजूद कि शाज़िया की गान्ड का सुर्ख ज़ाहिद की आँखों और हाथों से पोषीदा था.

मगर फिर भी ज़ाहिद ने हल्का से नीचे झुक कर अपना मुँह अपनी बहन की गान्ड के पीछे रखा. और अपनी बहन की गान्ड की महक को अपनी सांसो में महसूस कर के अपने लंड से खेलने लगा.

बहन की गान्ड की खुसबू ने ज़ाहिद को इतना गरम कर दिया कि ज़ाहिद अब अपने होश हवास खो बैठा था.

ज़ाहिद के लंड में आग लग चुकी थी. उस की शलवार में उस का लौडा कसमसा रहा था.

ज़ाहिद ने अपनी शलवार का नाडा खोला और अपनी शलवार को पकड़ कर अपनी टाँगों से अलग कर के आधा नंगा हो गया. और अपनी बहन की गुदाज गान्ड को देख कर अपने मोटे लंड की मूठ लगाने लगा.

ज़ाहिद अपने काम में मसरूफ़ था. के अचानक शाज़िया करवट बदलते हुए सीधी हो कर लेट गई.

शाज़िया के यूँ एक दम करवट लेने से मूठ लगाता ज़ाहिद डर गया. कि कहीं शाज़िया की अचानक आँख ही ना खुल जाए.

मगर जब ज़ाहिद ने देखा कि करवट बदलने के बावजूद शाज़िया की नींद से आँख नही खुली तो उसे सकून सा आ गया.

ज़ाहिद अपनी बहन के बिस्तर के पास खड़ा हो कर बड़े गौर और प्यारसे अपनी बहन का चेहरा देखने लगा.

शाज़िया सोते हुए बहुत ही मासूम और प्यारी लग रही थी. अपनी बहन के सोते हुए चेहरे की मासूमियत ज़ाहिद को पागल करने के लिए काफ़ी थी.

शाज़िया के चेहरे को देखते देखते ज़ाहिद की नज़र अपनी बहन की भारी भारी छातियों पर चला गई. जो कि शाज़िया के साँस लेने की वजह से उस के सीने की ताल से ताल मिलाते हुए बहुत दिलकश अंदाज़ में उपेर नीचे हो रही थी.

अपनी बहन की छातियो का ये दिल फ़रैब डॅन्स देख कर ज़ाहिद का लंड भी अपनी बहन की छातियों की तरह ज़ाहिद के हाथ में उछल कूद करने लगा.

उस के डिक के अंदर बैठा शैतान उसे बार बार उकसा रहा था. कि वो क्यों देर कर रहा है. आज मोका है आगे बढ़ो और अपनी नींद में मदहोश बहन के बदन पर चढ़ कर चोद दो अपनी बहन को.

आज कुछ भी हो जाए ज़ाहिद इस मोके को अपने हाथ से जाने नही देना चाहता था.

उस ने आहिस्ता आहिस्ता अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की तनी हुई छाती पर रखा और उसे सहलाने लगा.



“उफफफफफफफफफफफ्फ़ 31 साल की होने के बावजूद मेरी बहन की चुचियाँ पत्थर की तरह सख़्त हैं,लगता है मेरा सबका बहनोई ने मेरी बहन की छातियो का सही इस्तेमाल नही किया,इसी वजह से मोटी और भारी होने के बावजूद ये अभी तक ढीली नही पड़ी” ज़ाहिद ने अपनी बहन की छाती पर अपना हाथ फेरते हुए अपने आप से कहा.

ज़ाहिद अपनी बहन से इस तरह की छेड़ छाड़ तो दो दफ़ा पहले भी कर चुका था. इसीलिए आज उस का दिल इस किसम की हरकत से नही भर रहा था.

उस का दिल चाह रहा था.के आज जिस मकसद के लिए वो रात की टर्की में अपनी बहन के बेड रूम में घुसा है.वो मकसद अब ज़रूर पूरा करे और ज़ाहिरी सी बात है वो मकसद था अपनी सग़ी बहन की चूत का “हसूल”.

ज़ाहिद जानता था.कि इस का ये मकसद उस वक्त तक नही पूरा हो सकता.जब तक वो अपनी सोई हुई बहन के जिस्म के ऊपर चढ़ कर उस की गरम फुद्दि से अपने जवान मोटे लंड को रगड़ रगड़ कर अपनी बहन की चूत को गीला ना कर दे.

ये ही सोचते हुए ज़ाहिद ने अपनी नींद में मदहोश बहन के जिस्म का जायज़ा लिया.
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