वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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शाज़िया इस स्टाइल में सोने से उस की दोनो टाँगों के दरमियाँ काफ़ी गॅप आ गया था.

शाज़िया के सोने इस स्टाइल को देख कर ज़ाहिद के ज़हन में एक ख्याल आया. और वो आहिस्ता से अपनी बहन के बिस्तर पर चढ़ गया.

बेड पर जाते ही ज़ाहिद आहिस्ता से अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ वाली खाली जगह पर बैठा. और फिर अपने दोनो बाजुओं को शाज़िया के जिस्म के दाए और बाईं (राइट और लेफ्ट) रख कर आहिस्ता से गहरी नींद में मदहोश अपनी बहन शाज़िया के जिस्म के ऊपर इस तरह झुकता चला गया. कि उस के अपने जिस्म का सारा बोझ उस की अपनी कोहनियों पर आ गया.

ज़ाहिद के इस तरह शाजिया के बिल्कुल ऊपर लेटने से ज़ाहिद का मुँह शाज़िया के मुँह के बिल्कुल नज़दीक आ गया.

ज़ाहिद का मुँह शाज़िया के इतने नज़दीक पहुँच हुआ था. कि ज़ाहिद के मुँह से निकलती उस की गरम साँसें शाज़िया के मुँह से टकराने लगीं.

सोई होने के बावजूद शाज़िया को अपने भाई की गरम साँसे अपने चेहरे पर महसूस होने लगीं थी.

जिन को महसूस करते ही शाज़िया ऐसा लगा कि कोई चीज़ उस के बदन के ऊपर माजूद है. जिस वजह से शाज़िया एक दम हड बड़ा कर अपनी नींद से जाग गई.



ज्यों ही शाज़िया ने अपनी नींद से बे दार हो कर रात के अंधेरे में अपने जिस्म पर अपने भाई को झुका हुआ पाया. तो उस का चेहरा खोफ़ और शरम कर मारे पसीने से भीग गया.

“ज़ाहिद भाई ये आप क्या कर रहे हैं” शाज़िया ने अपने ऊपर पड़े अपने भाई के मज़बूत जिस्म को हटाने की नाकाम कोशिस करते हुए कहा.

“में आज वो ही करने जा रहा हूँ,जो मुझे बहुत पहले कर लेना चाहिए था”ज़ाहिद ने जब अपनी बहन को नींद से जागते देखा. तो उस के जिस्म के ऊपर अपने जिस्म का बोझ डालते हुए बोला.

“क्या मतलब,आप अपनी बहन से जबर्जस्ती करेंगे आज” शाज़िया ने अपने भाई के वज़न के तले डूबते हुए पूछा.

“हां जब घी सीधी उंगली से ना निकले तो उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ती है शाज़िया” ज़ाहिद ने अपनी बहन के गालो को अपने दाँतों से काटते हुए कहा.

“कुछ तो खुदा का खोफ़ करें आप,सग़ी बहन हूँ में आप की,भाई तो अपनी बहन की इज़्ज़त के रखवाले होते हैं और आप हैं कि खुद ही अपनी बहन से जबर्जस्ती पर उतर आए हैं” शाज़िया ने अपने भाई को गैरत दिलाने की कोशिश करते हुए कहा.

“बहन हो तो क्या फरक पड़ता है? वैसे भी चूत और लंड का सिर्फ़ एक रिश्ता होता है,इस रात की तन्हाई में चूत तुम्हारे पास है और लंड मेरे पास,तो क्यों ना इन दोनो का आज आपस में मिलाप करवा दिया जाय,” ज़ाहिद ने शाज़िया के जवाब में चूत और लंड के अल्फ़ाज़ का खुलम खुल्ला इस्तेमाल करते हुए अपनी बहन को जवाब दिया.

साथ ही ज़ाहिद ने शाज़िया के एक हाथ को पकड़ा और उस को खैंचता हुआ अपने नंगे लंड पर ला कर रख दिया.

अपने भाई के नंगे मोटे गरम लंड को अपने हाथ में महसूस करते ही शाजिया शरम से कांप गई.

शाज़िया को अपनी हथेली पर बहुत ज़्यादा गर्मी सी महसूस हुई. और उस ने एक दम से अपना हाथ ज़ाहिद के लंड से वापिस खींच लिया.

आज काफ़ी अरसे के बाद शाज़िया ने किसी मर्द के लंड को छुआ था. और भाई के लंड को छूते ही शाजिया को भाई के लंड की सख्ती और उस की तपिश का अंदाज़ा हो गया था.

“उफफफफफफफफफ्फ़ भाई आप को शरम आनी चाहिए अपनी बहन के सामने ऐसी गंदी ज़ुबान इस्तेमाल करते और ऐसी गंदी हरकत करते हुए” शाज़िया ने अपने भाई के मुँह से लंड और चूत का ज़िक्र सुनते और उस को अपना लंड पकड़ाने की हरकत पर गुस्से में आते हुए भाई से कहा.

ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात अनसुनी करते हुए शाज़िया के जिस्म से थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपनी कमीज़ भी उतार फैंकी. और अपनी बहन के जिस्म के ऊपर पूरा नंगा लेट गया.



शाज़िया को आज अपने सामने अपने ही भाई को नंगा होते देख कर बहुत शरम आई और उस ने मारे शरम के उस ने फॉरन अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया.

“बस बहुत हो गया शरम वरम का ये नाटक ,तुम जानती हो कि तुम्हारी इस जवानी को रोज़ मर्द की ज़रूरत है,और में तुम्हारे बदन की प्यास बुझाने के लिए तुम्हारी खिदमत में हाज़िर हूँ,अब और मत तड़पाओ मुझे ” ज़ाहिद ने ये कहते हुए अपने होन्ट शाज़िया के होंठो पर रखना चाहे. तो शाज़िया नहीं मानी और तकिये पे सर इधर उधर अपना सर हिला कर अपने होंठ अपने भाई के होंठो से बचाती रही.

“कोई फ़ायदा नहीं शाज़िया, यकीन मानो तुम्हारे इस तरह के नखरों से मेरा लंड और गरम होता है मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की हरकत पर मुस्कुराते हुए कहा.
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इस के साथ ही जोश में आ कर ज़ाहिद ने अपने जिस्म को अपनी बहन के जिस्म से चिपकाते हुए शाज़िया के हाथों को उस के सर के पीछे कर के अपने हाथों से दबा दिया. और अपने होन्ट अपनी बहन के होंठो पर रखने की कोशिश करने लगा.

मगर शाज़िया अपने सर को इधर उधर करके ज़ाहिद की इस कोशिश को नाकाम बनाने पर तुली हुई थी. इसीलिए अपनी बहन के होंठो को चूमने की कोशिश के दौरान कई दफ़ा ज़ाहिद का मुँह शाज़िया के मुँह से लगा लेकिन शाज़िया ने फॉरन ही अपना मुँह हटा लिया.

फिर कुछ देर बाद जब शाज़िया अपन सर हिला हिला कर थक गई. तो ज़ाहिद भी आख़िर अपनी बहन के खुले मुँह पर अपना मुँह रख कर शाज़िया के मज़े दार होंठो का रस पीने लगा.

साथ ही ज़ाहिद अपने आधे नंगे धड़ (जिस्म) को अपनी बहन की शलवार में छुपी चूत के ऊपर लाया. और किस्सिंग के साथ साथ अपने नंगे लंड को अपनी बहन की चूत पर हल्का हल्का रगड़ने लगा.

आज तक़रीबन दो साल के अरसे के बाद अपनी चूत के लबों पर एक मर्द का लंड फिसलता हुआ पा कर शाजिया की चूत को मज़ा आने लगा.

हर औरत की तरह शाज़िया की चूत के लिए भी लंड का मतलब सिर्फ़ लंड ही था. मगर साथ ही साथ शाज़िया का दिमाग़ ये भी जानता था.कि जिस लंड को वो आज अपने साथ रगड़ता हुआ पा कर उस की चूत अपना पानी छोड़ने के मूड में आ चुकी है. वो किसी आम मर्द का लंड नही बल्कि उस के अपने सगे भाई का लंड है. और कुछ भी हो ये लंड शाज़िया की चूत के लिए रेगिस्तान मे पानी है.

ये सोच दिमाग़ में गूंजते ही शाज़िया ने अपने भाई को अपने जिस्म के ऊपर से हटाने की फिर कॉसिश की. मगर अपने हट्टे कट्टे भाई के सामने उस की एक ना चली.

ज़ाहिद शाज़िया के एक हाथ को आज़ाद करते हुए अपना एक हाथ अपने और शाज़िया के जिस्मो के बीच लाया.और उस ने अपनी बहन की शलवार के नाडे को पकड़ कर खैंचने की कोशिश की.

शाज़िया ने फॉरन अपने आज़ाद हाथ से अपनी शलवार के नाडे को मज़बूती से पकड़ लिया.

“छोड़ो शाज़िया आज में रुकने वाला नही” ज़ाहिद ने जब शाज़िया को नाडा मज़बोती से पकड़े देखा तो बोला.

“नही भाई रहम कर मुझ पर और इतना बड़ा गुनाह मत करो” शाज़िया ने अपने भाई से फरियाद की.

ज़ाहिद पर तो चुदाई का भूत सवार था. इसीलिए उस के दिल पर आज अपनी बहन की किसी फरियाद का असर नही होने वाला था. इसीलिए उस ने शाज़िया की बात की परवाह ना करते हुए उस की शलवार का नाडा खोलने की ट्राइ करता रहा.

जब ज़ाहिद ने देखा कि शाज़िया अपनी शलवार का नाडा छोड़ने पर तैयार नही. तो वो नाडे को छोड़ कर आगे झुका और अपनी बहन की भारी छातियों को अपने हाथ में थामते हुए कमीज़ के ऊपर से ही उन को अपने मुँह से चूमने लगा.

साथ ही साथ शाज़िया का जिस्म थोड़ा ढीला पड़ा. तो ज़ाहिद का मोटा सख़्त लंड अपनी बहन की गुदाज रानो से रगड़ ख़ाता हुआ उस की दोनो रानो के दरमियाँ फँस गया.

नीलोफर या किसी और को चोदे हुए ज़ाहिद को आज काफ़ी दिन हो चुके थे.

इस अरसे के दौरान अपनी बहन के गरम जिस्म को देख कर और उस के साथ मस्तियाँ कर कर के ज़ाहिद इतना गरम हो चुका था. कि अपनी बहन की चूत और रानो की बे इंतिहा गर्मी को उस की शलवार के अंदर से महसूस करते ही ज़ाहिद के लिए अपने आप को कंट्रोल करना मुहाल हो गया. और एक झटके के साथ "अहह" करते हुए ज़ाहिद के लंड ने अपना सारा थिक माल अपनी बहन की शलवार में पोषीदा फुद्दि के उपर उडेल दिया.
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ज़ाहिद के लंड से निकलती मनी की धार इतनी तेज और गरम थी. कि शलवार में मलबोस होने के बावजूद शाज़िया को ऐसे लगा. जिसे उस के भाई ने उस की चूत के अंदर ही अपना पानी निकाल दिया हो.

अपने सगे भाई को अपनी टाँगों के दरमियाँ फारिग होता देख कर शाज़िया तो शरम से पानी पानी हो गई.

मगर साथ ही शाज़िया ने सकून का साँस भी लिया. क्यों कि ना जाने क्यों शाज़िया को ये शक हुआ कि अपनी गर्मी निकालने के बाद शायद उस का भाई अब उस की जान बक्शी कर देगा. मगर ये शाज़िया की भूल थी.

क्यों कि शाज़िया के शोहार के मुक़ाबले उस का भाई ज़ाहिद उन मर्दो में से था. जिन के लंड से एक बार पानी निकलने के बाद उन में चुदाई का जोश पहले से ज़्यादा भर जाता था. और वो रात भर कई कई बार फारिग हो कर भी फुद्दि के प्यासे रहते थे.

इसीलिए अपने लंड की मनी से अपनी बहन की शलवार को तर ब तर करने के बाद भी ज़ाहिद उसी जोश में अपनी बहन के गालो और गर्दन को चूमता और काटता रहा.

जब शाज़िया ने देखा कि उस के भाई पर उस की किसी बात का असर नही हो रहा. तो अपनी बे बसी के मारे उस की आँखों से आँसू जारी हो गए.

गुस्से में आते हुए उस ने ज़ाहिद को एक ज़ोर दार धक्का मारा. तो ज़ाहिद की पकड़ शाज़िया के जिस्म से छूट गई. और झटके से ज़ाहिद अपनी बहन के पहलू में गिर गया.

ज्यों ही ज़ाहिद बिस्तर पर गिरा. शाज़िया ने उठ के कमरे से जाने की बजाय एक दम अपनी शलवार का नाडा खोला और साथ ही गुस्से में आ कर अपनी मलमल की पतली कमीज़ को अपनी भारी छातियों से पकड़ कर फाड़ दिया.

शाज़िया के इस अमल से वो ना सिर्फ़ नीचे से बिल्कुल नंगी हुई गई. बल्कि ऊपर से उस के मम्मे अपने भाई के सामने नीम नंगे हो गये.

अपने जिस्म को अपने भाई के सामने आधा नंगा करते ही शाज़िया रोते रोते बोली” लो भाई मेने खुद ही अपने आप को तुम्हारे लिए नंगा कर दिया है,आगे बडो और नोच लो मेरे नंगे जिस्म को,पूरी कर लो अपनी गंदी हवस को अपनी बहन के जिस्म से खेल कर”

ज़ाहिद ने जब अपनी बहन की आँखों में आँसू देखे. तो उस का खड़ा हुआ लंड मुरझा कर बैठने लगा.जब कि ज़ाहिद का पत्थर दिल एक दम से पिघल गया.

ज़ाहिद को अपने आप से शरम आने लगी.और अपने ऊपर लानत भेजते हुए ज़ाहिद ने एक दम अपने कपड़े उठाए और शाज़िया को रोती छोड़ के वो उस के कमरे से निकल आया.

आज ज़ाहिद को उस की बहन के आँसुओं ने मजबूर कर दिया और वो चाहते हुए भी अपनी सग़ी बहन का रेप ना कर सका.

अपने कमरे में लेट कर ज़ाहिद अपने और शाज़िया के बारे में सोचने लगा.कि लाख कोशिश के बावजूद शाज़िया उस के साथ चुदाई पर राज़ी नही हो रही. तो बेहतर है कि उसे उस के हाल पर छोड़ दिया जाए.

और उस ने ये तय कर लिया कि वो अब कभी ग़लती से भी अपनी बहन के मुतलक सोचे गा भी नही.

भाई के कमरे से जाने के बाद शाज़िया काफ़ी देर अपने बिस्तर पर पड़ी अपने आँसू बहाती रही.

फिर जब कुछ देर बाद उस ने रोना बंद किया. तो शाज़िया को अपनी चूत के ऊपर खारिश महसूस हुई.

शाज़िया ने बे इख्तियारी में शलवार के ऊपर से ही अपने हाथ को अपनी चूत पर रख कर खुजली करनी चाही. तो शाज़िया के हाथ की उंगलियाँ उस की शलवार के ऊपर छोड़े हुए अपने सगे भाई के थिक वीर्य से जा टकराया.

शाज़िया की शलवार पर लगा उस के भाई का वीर्य अब थोड़ा थोड़ा खुशक होने लगा था. जिस की वजह से उस जगह पर जहाँ ज़ाहिद का वीर्य गिरा था. शाज़िया की शलवार का वो हिस्सा वीर्य के सोखने की वजह से अकड़ कर सख़्त हो गया था.

ज़ाहिद का वीर्य इतना ज़्यादा और इस कदर थिक हो कर शाज़िया की शलवार के ऊपर गिरा था. कि थोड़ा सूखने के बावजूद उसके अपने भाई का वीर्य शाज़िया की उंगलियों पर चिपक सा गया था

शाज़िया को ज्यों ही अहसास हुआ कि उस का हाथ अपने ही भाई की मनी सर भर गया है. तो वो फॉरन उठी और उस ने अपनी शलवार को अपने जिस्म से अलहदा कर के दूर कोने में पड़ी टोकरी में फैंक दिया.

उस के बाद शाज़िया आधी नंगी चलती हुई बाथरूम में गई और अपने हाथ को अच्छी तरह से धो कर अलमारी से दूसरी शलवार कमीज़ निकाल कर पहनी. और अपने कमरे के दरवाज़े को फिर से लॉक लगा कर बिस्तर पर दुबारा सोने के लिए लेट गई.

अगली सुबह शाज़िया के उठने से पहले ही ज़ाहिद अपनी नोकरी पर जा चुका था.

शाज़िया भी तैयार हुई और नाश्ता कर के अपने स्कूल रवाना हो गई.

शाज़िया ने नीलोफर से नाराज़गी के बाद से नीलोफर वाली स्कूल वॅन में जाना छोड़ दिया था. इसीलिए उसे स्कूल पहुँच कर पता चला कि नीलोफर आज स्कूल नही आई.

अंदर अपने घर में छुट्टी कर के बैठी नीलोफर ने अपने सुबह सवेरे के काम निबटा कर ज़ाहिद को फोन कॉल मिला दी.

नीलोफर को ज़ाहिद से बात और मुलाकात किए काफ़ी दिन हो चुके थे. इसीलिए आज वो ज़ाहिद से बात कर के पता करना चाहती थी. कि उसे अपनी बहन शाज़िया की फुददी में अपना लंड डालने का फक्र अब तक नसीब हुआ है या नही.

अपने पोलीस स्टेशन में बैठे ज़ाहिद ने नीलोफर का नंबर अपने मोबाइल पर देखा तो फॉरन फोन उठा लिया.

ज़ाहिद: हेलो नीलोफर कैसी हो.

नीलोफर: में ठीक हूँ यार,तुम सूनाओ क्या चल रहा है?.

“बस यार वो ही रोज़ की रूटीन” ज़ाहिद ने नीलोफर को बोझिल आवाज़ में जवाब दिया.

ज़ाहिद के इस अंदाज़ में बात करने से नीलोफर समझ गई. कि ज़ाहिद अभी तक अपनी बहन शाज़िया को चोद नही पाया है.

“इतने मायूस क्यों हो,लगता है शाज़िया के मामले में तुम्हारी दाल नही गली अभी तक” नीलोफर ने ज़ाहिद से पूछा.

“बस यार कुछ ऐसा है बात समझो” ज़ाहिद ने जवाब दिया.और फिर नीलोफर के इसरार पर ज़ाहिद ने सारी बात उसे तफ़सील से बयान कर दी.

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ज़ाहिद की बात ख़तम होते ही नीलोफर ने ज़ोर का कहकहा लगाया और इंडियन फिल्म निकाह का गाना ,

“दिल के अरमां आँसुओं में बह गये
हम वफ़ा कर के भी तेन्हा रह गये”.

की तर्ज का एक शेर बोली,

“ लंड के अरमां ,मूठ लगा कर बह गये.
हम लंड नंगा कर के भी, कंवारे रह गये.”

ज़ाहिद नीलोफर की हँसी और उस का सुनाया शेर सुन कर गुस्सा हो गया और बोला “ बहन की लौडी मुझे शर्मिंदा करवा कर तेरी हँसी निकल रही हैं”.

“गुस्सा मत करो में कोई हल निकालती हूँ” नीलोफर ने ज़ाहिद को गुस्से में आते सुना तो फॉरन जवाब दिया.

कहते हैं ना कि “चोर चोरी से जाय,मगर हेरा फेरी से ना जाय” की मिसाल के मुताबिक नीलोफर की बात सुन कर ज़ाहिद को अपने आप से किया रात वाला वादा भूल गया. और अपने गुस्से को ठंडा करते हुए उस ने नीलोफर से इश्तियाक भरे लहजे में फॉरन पूछा “ तुम क्या करो गी अब”

“इस जुम्मे (फ्राइडे) को जो तुम्हारे पड़ोस में शादी हो रही है,वो हमारे रिश्ते दार हैं,और में भी उस शादी में शामिल हो रही हूँ” नीलोफर ने ज़ाहिद से कहा.

“ इस शादी में तो में भी हूँ गा,तो फिर?” ज़ाहिद ने नीलोफर की बात काटते हुए कहा.

“जिस लड़की की शादी है वो शाज़िया की अच्छी दोस्त है,इसीलिए शाज़िया और तुम्हारी अम्मी भी इस में ज़रूर शामिल हों गीं, तो में पूरी कोशिश करूँगी कि शाज़िया की अपने साथ नाराज़गी दूर करवा लूँ” नीलोफर बोली.

“मगर शादी के रश में तुम उस से मेरी बात कैसे करो गी” ज़ाहिद नीलोफर की बात को ना समझते हुए पूछने लगा.

“तुम जुम्मे को अपनी अम्मी और शाज़िया के साथ मुझे शादी वाले घर मिलो,बाकी सब तुम मुझ पर छोड़ दो” कहते हुए नीलोफर ने फोन काट दिया.

नेक्स्ट डे ज़ाहिद फिर अपनी ड्यूटी पर था कि उसे नीलोफर का फिर फोन आया.

“ख़ैरियत तो है, अभी कल ही तो तुम से बात हुई थी?” ज़ाहिद ने नीलोफर का फोन सुनते ही पूछा.

“यार आज में भाई के साथ बाज़ार आई हुई हूँ. सोचा तुम फ्री हो तो तुम से मुलाकात ही कर लूँ”नीलोफर को ज़ाहिद से चुदाये काफ़ी दिन गुज़र चुके थे. इसीलिए उसे आज ज़ाहिद के मोटे लंड की शिद्दत के साथ अपनी फुद्दि में तलब हो रही थी.

ज़ाहिद समझ गया कि नीलोफर को उस के लंड की प्यास लगी हुई है.इसीलिए वो उस से मिलना चाह रही है.

नीलोफर की तरह ज़ाहिद को भी फुद्दि मारे काफ़ी दिन हो चुके थे. इसीलिए नीलोफर की बात सुन कर उस ने एक घंटे बाद उस को अपने पुराने मकान पर मिलने का कहा.

नये थाने में पोस्ट होने के बाद भी ज़ाहिद ने काला गुजरं पोलीस चोकी के करीब लिया हुआ किराए का मकान अभी तक अपने पास रखा हुआ था.

ज़ाहिद के बताए हुए टाइम पर जमशेद अपनी बहन को ले कर ज़ाहिद के पास आन पहुँचा.

मकान के कमरे में जाते ही नीलोफर ने अपने गले में लटके हुए बॅग और दुपट्टे को एक झटके से अपने जिस्म से उतार कर कमरे में पड़े सोफे पर फैंका. और तेज़ी के साथ दौड़ती हुई ज़ाहिद की खुली बाहों में जा गिरी.

नीलोफर को अपनी बाहों के हसार में जकड़ते ही ज़ाहिद ने नीलोफर के मुँह,गालो और होंटो पर किस्सस की बरसात कर दी.

जमशेद अपनी बहन को एसआइ ज़ाहिद के साथ इस तरह गरम जोशी से मिलता देख कर मुस्कुराया. और उस ने नीलोफर के बॅग में से उस का सॅमसंग गॅलक्सी नोट मोबाइल फोन निकाल कर अपनी बहन और एसआइ ज़ाहिद की वीडियो बनाना शुरू कर दी.

जमशेद अपनी बहन और ज़ाहिद की वीडियो बनाने के साथ साथ एक एक कर के अपने कपड़े उतारने लगा और आख़िर कार बिल्कुल नंगा हो गया.

ज़ाहिद ने जब जमशेद को वीडियो बनाने के साथ साथ नंगा होते देखा. तो उसे भी जोश आया और उस ने आहिस्ता आहिस्ता कर के पहले नीलोफर के कपड़े उतार के उसे बे लिबास कर दिया.

फिर वो खुद भी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर नीलोफर और जमशेद के सामने मुकम्मल नंगा हो गया.

जब जमशेद ने देखा कि उस समेत कमरे में सारे जिस्म अपने अपने कपड़ो से बे नियाज़ हो गये हैं. तो उस ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ अपनी बहन का मोबाइल कमरे के टेबल पर इस पोज़िशन में रखा. जिस एंगल पर ज़ाहिद के कमरे में बिछा हुआ बेड पूरे का पूरा कवर हो सकता था.

जमशेद मोबाइल फोन की वीडियो रेकॉर्डिंग को ऑन छोड़ कर ज़ाहिद की बाहों में जकड़ी अपनी बहन के पीछे आया.और नीलोफर की गान्ड को अपने हाथों में दबोचते हुए पीछे से उस की गर्दन पर प्यार से काटने लगा.



अपनी बहन की गर्दन को चूमने के साथ साथ जमशेद के हाथ आगे बढ़े और ज़ाहिद की छाती में दबे दबे अपनी बहन के जवान मम्मो को हाथ में ले कर मसलने लगा.

“हाई आज फिर मेरी बहन को दो लंड से एक साथ चुदवाने का दिल कर रहा है” जमशेद ने ज़ाहिद की तरफ देखते हुए उस से कहा. और अपने तने हुए लंड को पीछे से अपनी बहन की गान्ड की दरार में फैरने लगा.

“क्यों ना हम इसे बिस्तर पर लिटा कर एक साथ प्यार करें” ज़ाहिद ने जमशेद की बात का जवाब देते हुए कहा.

साथ ही ज़ाहिद ने नीलोफर को पास पड़े पलंग पर पीठ के बल लिटा दिया. इस के साथ ही ज़ाहिद नीलोफर की एक तरफ लेट कर उस के एक मम्मे को अपने मुँह में लेते हुए सक करने लगा.

जब कि जमशेद ने नीलोफर की दूसरी तरफ लेट कर उस के दूसरे मम्मे को अपने मुँह में भरा. और अपनी एक उंगली अपनी बहन की चूत में गुस्सेड कर आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा.

दोनो मम्मो को एक साथ चुसवाने और चूत के देने पर अपने भाई की रगड़ को महसूस कर के नीलोफर बे इंतेहा गरम हो गई.

मज़े का ये आलम नीलोफर की बर्दाश्त से बाहर हो रहा था. इस लिए गरम होते हुए नीलोफर चली, "आह आह अब रहा नहीं जाता अब तुम लोग जल्दी से मुझे चोदो दो प्लीज़."

नीलोफर की लज़्ज़त भरी आवाज़ सुन कर मम्मे को चूस्ते हुए जमशेद ने ज़ाहिद की तरफ देखा. और उसे अपनी आँखों के इशारे से नीलोफर की चूत चोदने का कहा.

साथ ही जमशेद नीलोफर के पहलू से उठा और उठते साथ उस ने अपना मोटा लंड अपनी बहन के खुले हुए होंठो के दरमियाँ रख दिया.

अपने भाई के गरम सख़्त लंड को अपने होंठो के ऊपर पा कर नीलोफर ने बेचैनी से अपना मुँह खोला. और जमशेद के लंड को अपने मुँह के अंदर ले जा कर उस का चुसाइ लगने लगी.

ज़ाहिद,जमशेद की हिदायत पर अमल करते हुए नीलोफर की टाँगों के दरमियाँ बैठा. और उस ने नीलोफर की टाँगों को उठा कर अपने कंधो पर रख लिया. इस के साथ ही ज़ाहिद ने एक झटके में अपना लंड नीलोफर की चूत में पूरे का पूरा दाखिल कर दिया.

नीलोफर की चूत में ज़ाहिद का लंड फिसलता हुआ उस की गान्ड तक अंदर चला गया. तो नीलोफर मज़े से चिल्ला उठी "हाईईईईईईईईईई ज़ाहिद तुम्हारा लंड तो सीधा मेरी बच्चे दानी पर जा कर चोट मार रहा है,अहह मुझे बहुत मज़ा मिल रहा है.”


“आज काफ़ी दिनो बाद तुम्हारी चूत को चोद कर मुझे भी बहुत ही स्वाद मिल रहा है मेरी जान” ज़ाहिद ने नीलोफर की चुदाई करते हुए उस के मम्मो को हाथ में थामा और जोश से बोला.

“ज़ाहिद आज मेरी चूत को अपनी बहन शाज़िया की चूत समझ कर चोदो” नीलोफर ने ज़ाहिद की बात के जवाब में कहा.
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hum honge kaamyaab ek din....koshish karte rho,,,,,,,masttttttt
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