वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

kunal wrote: 11 Jun 2017 12:03nice update bhai
mastram wrote: 13 Jun 2017 10:25 Raziya bibi ki bhi pyas bujha do bhai bechari bahut tadap rahi hai
shukriya dosto
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

दूसरी तरफ ज़ाहिद को आज अपने पोलीस स्टेशन जाने की जल्दी थी. इसीलिए अपनी अम्मी की नज़रों की परवाह किय बगैर वो अपनी बहन से कही हुई अपनी अम्मी की बात पर मुस्कुराता हुआ बाथरूम में चला गया.

ज़ाहिद के बाथरूम जाने के बाद रज़िया बीबी भी किचन में चली आई.



जिधर उस की बेटी शाज़िया अब उस की बहू के रूप में सब घर वालों के लिए चाय और नाश्ता बनाने में मसरूफ़ थी.

रज़िया बीबी भी किचन में आ कर अपनी बेटी का हाथ बंटाने लगी.

थोड़ी देर बाद ज़ाहिद भी किचेन में चला आया. तो सब ने मिल कर एक साथ नाश्ता किया.

नाश्ते से फारिग होते ही ज़ाहिद अपनी मोटर साइकल ले कर बाहर जाने लगा. तो रज़िया बीबी ने शाज़िया को आहिस्ता से कहा “बेटी जाओ और अपने मियाँ को अलविदा करो”.

अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया पहले तो हिचकचचाई. मगर फिर अपनी अम्मी की हिदायत पर अमल करते हुए अपने भाई ज़ाहिद के पीछे पीछे गेट तक चली गई.

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया का आज यूँ एक बीवी की तरह घर के गेट तक आ कर उसे अलविदा करना अच्छा लगा.

अपनी बहन को उस के पीछे इस तरह गेट तक आता देख कर ज़ाहिद के दिल तो चाहा कि वो जाते जाते अपनी बहन की एक ज़ोर दार चुम्मि ले ले.

मगर फिर उस ने सोचा कि चुम्मि लेते लेते अगर उस का दिल फिर से अपनी बहन की चूत मारने को करने लगा. तो उसे पोलीस स्टेशन जाने में काफ़ी देर हो जाय गी.

इसीलिए अपने दिल पर पत्थर रख कर ज़ाहिद ने मोटर साइकल को किक लगाई और फिर घर से बाहर निकल गया.

घर का गेट बंद कर के शाज़िया ज्यों ही टीवी लाउन्ज में वापिस आई. तो उस ने अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज के सोफे पर बैठे पाया.

अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज में बैठा देख कर शाज़िया ने सोचा कि वो जल्दी से किचन में जा कर नाश्ते वाली डिशस को सॉफ कर के अपना काम ख़तम कर ले.

ये ही सोच कर शाज़िया ज्यों ही किचन की तरफ जाने लगी. तो उसे अपने पीछे से अपनी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी.“शाज़िया ज़रा इधर मेरे पास आ कर बैठो”.

शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. मगर उसे चारो-ना-चार अपनी अम्मी के पास आ कर सोफे पर बैठना ही पड़ा.

अपनी अम्मी के पास बैठ कर कोई बात करने की बजाय शाज़िया ने कमरे का टीवी ऑन कर के टीवी पर लगे हुए मॉर्निंग शो को देखना शुरू कर दिया.

जब रज़िया बीबी ने देखा कि शाज़िया उस से कोई बात चीत करने की बजाय अपना ध्यान टीवी में लगा रही है. तो उस ने खुद अपनी बेटी से अपनी बात स्टार्ट करने का सोचा और वो बोली “ शाज़िया मुझे समझ नही आ रही कि तुम्हारे और ज़ाहिद के दरमियाँ इतना सब कुछ होने के बावजूद, ना जाने क्यों तुम अभी तक मुझ से एक जिझक सी महसूस कर रही हो?”.

अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया ने कोई जवाब ना दिया और खामोशी से टीवी की तरफ अपनी नज़रें जमाए रखी.

“मेरी बच्ची मेरी ख्वाहिश है कि आज के बाद तुम मुझे अपनी माँ नही बल्कि नीलोफर की तरह अपनी सहेली समझो बेटी” रज़िया बीबी ने जब शाज़िया के मुँह से कोई जवाब नही सुना तो वो फिर बोली.

“अम्मी कह तो ठीक रही हैं,अब जब कि में अपनी अम्मी की रज़ामंदी से अपने ही सगे भाई की बीवी बन कर उस के साथ अपनी सुहाग रात मना चुकी हूँ,और आज मेरी अपनी सग़ी अम्मी ने मुझे अपनी बेटी से बढ़ कर अपनी बहू का दर्जा भी दे दिया है, तो अब मुझे अपने दिल से अपनी रवायती शरम और झिझक निकाल देनी चाहिए” ये बात सोचते हुए शाज़िया ने अपनी नज़रें अपनी अम्मी की तरफ कीं और बोली “ठीक है अम्मी में कोशिश करूँगी कि आइंदा आप से कोई झिझक और शरम महसूस ना करूँ”.

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के मुँह से ये बात सुनी तो उस ने शाज़िया को खैंच कर अपने साथ चिमटा लिया और खुशी से अपनी बेटी के कान में शरगोशी की “ तो अब मेरी बहू मुझे मेरा पोता कब दे रही है”.

“अम्म्मिईीईई ऐसी बातें ना करो मुझे शरम आती है” अपनी अम्मी के मुँह से पोते की फरमाइश सुन कर शाज़िया अपना मुँह शरम से अपने हाथों में छुपाते हुए बोली.

“हाईईईईईई मेरी बच्ची शादी के बाद बच्चे पैदा होना तो एक क़ुदरती अमल है,इस में शरमाने वाली कौन सी बात है भला” रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी को फिर शरमाते देखा. तो उस ने अपनी बेटी शाज़िया को प्यार से समझाया.

इस से पहले कि शाज़िया कुछ जवाब देती कि इतनी देर में नीलोफर और जमशेद घर की ऊपर वाली मंज़िल से नीचे आ कर टीवी लाउन्ज में एंटर हुए.

“तुम लोग किधर जा रहे हो सुबह सुबह” शाज़िया ने ज्यों ही नीलोफर और जमशेद को अंदर आते देखा. तो वो उन की तरफ मुँह कर के पूछने लगी.

“शाज़िया में और जमशेद बाज़ार जा रहे हैं,तुम ने कुछ मंगवाना तो नही” टीवी लाउन्ज में आ कर नीलोफर ने शाज़िया से पूछा.

“नही मुझे कुछ नही चाहिए” शाज़िया ने जवाब दिया तो नीलोफर अपने भाई के साथ घर से बाहर निकल गई.

जमशेद और नीलोफर की इस तरह अचानक आमद का फ़ायदा उठाते हुए शाज़िया भी सोफे से उठ कर नीलोफर के पीछे पीछे किचन की तरफ चली गई.


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जमशेद ने चूँकि कंप्यूटर में डिग्री ली हुई थी . और उसे कंप्यूटर की फील्ड में काम करने का बहुत तजुर्बा भी था.

इस बिना पर जमशेद जानता था. कि आज कल कंप्यूटर की फील्ड में बाहर के मुल्क में काफ़ी जॉब्स अवेलबल हैं.इसीलिए वो अक्सर घर में बैठ कर ही दूसरे देशों में ऑनलाइन जॉब्स अप्लाइ करता रहता था.

अपनी बहन नीलोफर से जेहनी शादी के कुछ दिन बाद ही जमशेद को मलेशिया में एक कंप्यूटर की जॉब ऑफर हुई. जिस में अच्छी सेलरी के साथ साथ फॅमिली वीसा और रिहायश भी शामिल थी.

“ज़ाहिद तुम बताओ कि मुझे किया करना चाहिए” नोकरी की ऑफर मिलने पर जमशेद ने ज़ाहिद से इस बड़े में मशवरा किया.

“यार तुम को पता है कि मेरी अपनी पोलीस सर्विस भी अब चन्द साल की ही रह गई है, इसीलिए वैसे में भी ये चाहता हूँ कि तुम वहाँ जा कर नोकरी के साथ साथ मेरे पैसो से कोई बिजनेस स्टार्ट करो,तो फिर अपनी नोकरी ख़तम होते ही में भी अम्मी और शाज़िया के साथ तुम्हारे पास ही चला आऊँगा” ज़ाहिद ने जमशेद की बात के जवाब में उसे मशवरा दिया.
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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जमशेद को ज़ाहिद का दिया हुआ मशवरा अच्छा लगा. इसीलिए ज़ाहिद के मशवरे के मुताबिक जमशेद ने अपनी बहन नीलोफर को साथ ले कर मलेशिया शिफ्ट होने का प्रोग्राम बना लिया.

अपनी उस सहेली जिस ने शाज़िया को उस के अपने ही सगे भाई से मिलवा कर शाज़िया की बे रोनक ज़िंदगी में फिर से बहार लौटाई थी.

अपनी उसी प्यारी सहेली से यूँ अचानक जुदा होना शाज़िया के लिए बहुत तकलीफ़ देय था.

इसीलिए एरपोर्ट पर नीलोफर और जमशेद को अलविदा करते वक्त शाज़िया की आँखों में भी आँसू आ गए.

मगर वो कहते हैं ना कि "जाने वाले को कौन रोक सका है भला". इसीलिए नीलोफर भी अपने सगे भाई के साथ परदेश चली गई.

इसी दौरान झेलम में एक नया एसपी आया. जिस ने झेलम सिटी में काफ़ी अरसे से पोस्टेड सब पोलीस ऑफिसर्स की दूसरे सिटीस में ट्रॅन्स्फर्स कर दीं.तो ज़ाहिद की पोस्टिंग भी रावलपिंडी हो गई.

अपनी बहन से अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के बाद अब ज़ाहिद अपनी बहन और बीवी शाज़िया से एक पल की दूरी नही बर्दाश्त कर सकता था.

इसीलिए ज़ाहिद अपना झेलम वाला घर रेंट पर दे कर खुद अपनी अम्मी और बहन को साथ ले कर रावलपिंडी बहरिया टाउन रावलपिंडी में एक किराए के मकान में शिफ्ट हो गया.

नीलोफर और जमशेद के जाने के और रावलपिंडी आने के बाद रज़िया बीबी के घर में ज़िदगी अपनी मामोल की डगर पर चलने लगी.

रज़िया बीबी अब अपनी बेटी शाज़िया को अपनी बहू समझ कर उस से एक अच्छी सास वाला रवईया अपनाने लगी थी. और शाज़िया को अपनी अम्मी का ये नया रूप अच्छा लगने लगा था.

ज़ाहिद और शाज़िया दोनो बहन भाई अब अपने ही घर में एक मीयन बीवी की हएएसआइयत से अपनी जिंदगी गुज़रने लगे.

अब शाज़िया अपने भाई की असली बीवी की तरह अपने शोहर भाई की सब ज़रूरतों का ख्याल रखने लगी थी.

दोनो बहन भाई को अब एक दूसरे के साथ मियाँ बीवी की हैसियत से रहते हुए अब ऑलमोस्ट एक महीना होने को था.

इस दौरान शाज़िया को अहसास हुआ कि तकरीबन एक महीना होने वाला है और उसे इस दफ़ा माहवारी (मेन्स्ट्रुयल पीरियड) नही आए. मगर उस ने अपने भाई ज़ाहिद या अपनी अम्मी से इस बात का ज़िक्र नही किया था.

इस एक महीन के दौरान ही शाज़िया अपने भाई के लंड से जितना चुदवा चुकी थी. इतना तो शाज़िया ने शायद अपनी असली शादी के पहले 6 महीने में भी नही चुदवाया था.

चूकि ज़ाहिद और शाज़िया ने अपनी अम्मी की इजाज़त के बाद ही आपस में अपना जिस्मानी रिश्ता कायम किया था.

इसीलिए अब बिना किसी शरम और हया के ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया को कई दफ़ा अपनी अम्मी की मौजूदगी और गैर मौजूदगी में अपने घर की अलग अलग जगह पर अलग अलग पोज़िशन में चोदा.

कई दफ़ा जब रज़िया बीबी अपने कमरे में रेस्ट कर रही होती. तो कई दफ़ा ज़ाहिद अपनी अम्मी की अपने कमरे में मौजूदगी का फ़ायदा उठे हुए किचन में आ घुसता.



और किचन में काम काज में मसरूफ़ अपनी बहन शाज़िया से अपने प्यार की पींगे बढ़ाने लगता.

इसी तरह कई दफ़ा ज़ाहिद सुबह सवरे उठते ही शाज़िया से बेड टी की फरमाइश कर देता. और फिर अपनी बहन शाज़िया को मजबूर करता. कि वो बिना कपड़ों के सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी चड्डी और ब्रेज़ियर में उस के लिए किचन से चाय बना कर लाए.



शाज़िया को इस तरह अपनी चड्डी और ब्रा में अपने घर के किचन में जाते हुए बहुत शरम आती. और शरम के साथ साथ शाज़िया को डर भी लगा रहता कि कहीं उस की अम्मी अचानक किचन में आ गईं तो क्या हो गा.



मगर इस के बावजूद उसे अपने शोहर भाई के प्यार के आगे हर मान कर आधी नंगी हालत में चाय बना कर लाना पड़ती.



कभी रात के अंधेरे में ज़ाहिद शाज़िया को टीवी लाउन्ज के सोफे पर बिता कर अपनी बहन की चूत को मज़े ले ले कर चाट्ता. और शाज़िया की चूत से निकलते रस को अपनी ज़ुबान से चाट रहता.



कभी आधी रात को अपने कमरे में शाज़िया अपने भाई के मोटे लंड को अपने हाथ में ले कर उस से खेलती.



कभी वो अपने हाथ से अपने भाई के मोटे लंड की मूठ लगाती.



और कभी अपने भाई के मोटे लंड को अपने मुँह में भर कर उस की चुसाइ लगती.



कभी कभी अपनी अम्मी की टीवी लाउन्ज की मौजूदगी के बावजूद ज़ाहिद दिन की रोशनी में ही अपने बाथरूम में अपनी बहन के साथ चूमा चाटी करता.


और शाज़िया को बाथरूम के सींक पर बिता कर अपनी बहन की चूत में अपना लंड डाल कर उसे चोद डालता.
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Post by rajaarkey »

इस चुदाइ के बाद दोनो बहन भाई अक्सर इकट्ठे शवर करते और अपने मुँह से एक दूसरे के लंड और चूत को चाट कर अपने प्यार का इज़हार करते.

अपने भाई के मोटे ताज़े और जवान लंड को अपनी फुद्दि में ले कर हर रोज़ उस से अपनी चूत की प्यास बुझवाना शाज़िया की अब एक आदत सी बन गई थी.

एक दूसरे को इतना ज़्यादा चोदने और चुदवाने के बावजूद दोनो बहन भाई के जिस्मो में चुदाई की आग कम नही हुई बल्कि ये आग अब पहले से भी ज़्यादा भड़क रही थी.

ज़ाहिद और शाज़िया को ये शक था. कि उन की अम्मी उन की सारी हरकतों या चुदाई से बे खबर थी. तो ये उन की भूल थी.

क्यों कि इस सारे अरसे के दौरान रज़िया बीबी ने कई दफ़ा अपने दोनो बच्चो की मस्तियों और चुदाई के लम्हात को ना सिर्फ़ छुप छुपा कर नज़ारा किया था.

बल्कि रज़िया बीबी ने अपने बेटा और बेटी की इन चुदाई की इन वारदातों को देखते हुए अक्सर अपनी चूत में उंगली कर के अपनी गरम फुद्दि को भी अपने ही हाथों से शांत किया था.

कहते हैं ना कि जिस तरह फूलों की बेल को हर रोज़ पानी देने से उस में फूल और खुश्बू ज़्यादा आती है .

इसी तरह भाई से दिन में कई कई दफ़ा चुदा कर शाज़िया के चेहरे पर अब बहुत ताज़गी आने लगी थी. साथ ही साथ अब शाज़िया का जिस्म में पहले से भी ज़्यादा निखार आने लगा था.

अपनी बेटी के जिस्म पर दुबारा से चढ़ती हुई इस जवानी के इस रूप को रज़िया बीबी ने भी नोट किया था.

फिर एक दिन ज़ाहिद के पोलीस स्टेशन जाने के बाद जब शाज़िया किचन में खाना बना रही थी.

तो उस की अम्मी रज़िया बीबी उस के पास किचन में चली आईं.और एक कुर्सी पर बैठ कर बहुत गौर से अपनी बेटी के जिस्म का जायज़ा लेने लगीं.

“शाज़िया में एक बात कहूँ,तुम अपने भाई की बीवी बनने के बाद तो तुम पहले से भी ज़्यादा खूबसूरत हो गई हो मेरी बच्ची" रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की तरफ देखते हुए अपनी बेटी के खिलते हुए हुश्न की तारीफ की.

" अम्मी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे में पहले बदसूरत थी”.शाज़िया अब अपनी अम्मी से पहले के मुक़ाबले में काफ़ी फ्री हो चुकी थी. इसीलिए आज अपनी अम्मी के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर शाज़िया को ज़रा भी शरम महसूस नही हुई. बल्कि उसे अपनी अम्मी के मुँह से अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगा और उस ने मज़ाक में अपनी अम्मी से पूछा.

“नही मेरी बच्ची ऐसी बात नही,असल में अपने तलाक़ के बाद से तुम ने अपना ध्यान रखना छोड़ दिया था,और अब अपने ही भाई की बीवी बन कर तो तुम्हारी जवानी ना सिर्फ़ लौट आई है बल्कि पहले से और भी ज़्यादा निखर आई है” रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के सवाल के जवाब में उसे समझाया.

"ऐसा क्या निखार आया है मेरी जवानी में अम्मी” शाज़िया ने अपनी अम्मी से मज़ीद फ्री होते हुए पूछा.

“में बताती हूँ कि तुम्हारी जवानी में क्या निखार आया,असल में तुम्हारा बदन पहले से भी ज़्यादा भर गया है, जिस की वजह से तुम्हारे कपड़े भी पहले से ज़्यादा टाइट होने लगे हैं मेरी बच्ची”. रज़िया बीबी ने शाज़िया से कहा.

इस से पहले कि शाज़िया अपनी अम्मी को कुछ जवाब दे पाती. शाज़िया को एक दम एक चक्कर सा आया और वो लड़ खड़ा कर किचन के फर्श पर गिरने लगी.

“क्या हुआ है तुम्हें, मेरी बच्ची” ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी बेटी को यूँ लड़खड़ाते देखा. तो उस ने एक दम कुर्सी से उठ कर अपनी बेटी को अपने हाथों में संभाल लिया. जिस से शाज़िया किचन के फ्लोर पर गिरने से बच गई.

अपनी अम्मी के हाथों का सहारा पाते ही शाज़िया गिरने से बच तो गई. मगर इस के साथ ही उस ने एक दम से उल्टी (वॉमिटिंग) कर दी.

“लगता है तुम्हारी तबीयत ठीक नही चलो में तुम्हें लेडी डॉक्टर के पास लिए चलती हूँ”. अपनी बेटी को यूँ एक दो मल्टी करते देख कर रज़िया बीबी ने शाज़िया से कहा.

रज़िया बीबी एक समझ दार औरत थी. इसीलिए अपनी बेटी की हालत और उस की उल्टी को देख कर वो फॉरन समझ गई. कि उस की बेटी का पावं भारी (प्रेग्नेंट) हो गया है.

कोई आम हालत होते तो अपनी तलाक़ याफ़्ता बेटी को यूँ उल्टियाँ करते देख कर रज़िया बीबी ना सिर्फ़ अपने हाथों से अपनी बेटी का गला दबा देती. बल्कि शरम से खुद भी खुद खुशी कर लेती.

मगर अपने बेटे ज़ाहिद की हराम की कमाई ने ना सिर्फ़ रज़िया बीबी बल्कि अपने बेटा और बेटी को एक गुनाह भरी राह पर चला दिया था.

बल्कि अपने बेटे की रिश्वत की कमाई ने रज़िया बीबी के अपने ज़मीर को इतना मुर्दा कर दिया था. कि आज ये जान कर उस का दिल खुशी से फूले नही समा रहा था. कि उस की अपनी सग़ी बेटी की कोख में उस के अपने सगे बेटे का बच्चा जनम लेने लगा है.

रज़िया बीबी ने खुद भी 5 बच्चो को जनम दिया था. इसीलिए शाज़िया की शकल से ही रज़िया बीबी को सूरते हाल का अंदाज़ा हो गया था. मगर इस के बावजूद रज़िया बीबी शाज़िया को डॉक्टर से चेक करवा कर इस बात का यकीन कर लेना चाहती थी. कि उस की बेटी वाकई ही अपने सगे भाई के बच्चे की माँ बनने वाली है.

फिर शाज़िया के रोकने के बावजूद रज़िया बीबी अपनी बेटी को घर के पास ही एक क्लिनिक पर ले गई.

शाज़िया का अच्छी तरह मुआयना करने के बाद जब लेडी डॉक्टर ने बाहर आ कर रज़िया बीबी को कहा कि “मुबारक हो आप दादी बनने वाली हैं”. तो ये खबर सुन कर रज़िया बीबी का ना सिर्फ़ दिल बाग बाग हो गया.

बल्कि उस की अपनी चूत भी इस ख्याल से पानी पानी होने लगी. कि उस के बेटे के मोटे ताज़े लंड से निकलने वाला उस का गाढ़ा पानी आख़िर अपनी बहन की बच्चे दानी में जा कर अपना काम दिखा चुका है.

चूँकि शाज़िया अपनी जिंदगी में पहली बार प्रेग्नेंट हुई थी.

इसीलिए लेडी डॉक्टर ने चेक अप के बाद शाज़िया को कुछ खास हदायत दीं.

अपने चेक अप के बाद ज्यों ही शाज़िया डॉक्टर के कमरे से बाहर आई.तो उसे अब शरम के मारे हिम्मत नही हो रही थी कि वो अपनी अम्मी से अपनी नज़रें मिला सके.

रज़िया बीबी ने खुद भी क्लिनिक में अपनी बेटी से कुछ कहना मुनासिब ना समझा.और वो चेहरे पर खुशी की मुस्कराहट लिए शाज़िया को साथ ले कर अपने घर वापिस चली आई.

अपने घर के अंदर आते ही रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया को अपने गले से लगा कर उस के माथे पर प्यार भरा बोसा दिया और बोली”शाज़िया तुम को मुबारक हो कि तुम अपने ही भाई के बच्चे की माँ बने वाली हो मेरी बेटी”.

रज़िया बीबी की तरह शाज़िया भी लेडी डॉक्टर के मुँह से माँ बनने की खूसखबरी सुन कर बहुत खुस थी.
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